'Stand up India' initiative would promote entrepreneurship among women, SC and ST communities: PM
'Stand Up India' initiative will transform the lives of the Dalits and the Adivasis: PM Modi
India's development journey will be stronger when it is scripted by the poor: PM Modi
Stand up India initiative launch: PM Modi urges e-rickshaw pullers to educate their children
PM Modi goes the digital way, books e-rickshaw and makes payment through cellphone

वि‍शाल संख्‍या में पधारे हुए मेरे प्‍यारे भाइयो और बहनों!

आज बाबू जगजीवन राम जी की जन्‍मजयंती है। अनेक वर्षों तक राष्‍ट्र की सेवा में उन्‍होंने अपना पूरा जीवन खपा दि‍या। उनके जन्‍म दि‍वस को समता दि‍वस के रूप में भी याद कि‍या जाता है। दलि‍त परि‍वार में पैदा होकर के राष्‍ट्र के गौरव को बढ़ाने में उन्‍होंने जो अथार्त पुरुषार्थ कि‍या, परि‍श्रम कि‍या। उन्‍होंने सामाजि‍क स्‍थि‍ति‍यों को कभी अपने आड़े नहीं आने दि‍या। ऐसे बाबू जगजीवन राम जी की जन्‍मजयंती पर आज भारत सरकार ‘Stand Up India’ कार्यक्रम को launch कर रही है।

बाबू जगजीवन राम जी की एक वि‍शेषता रही कि‍ वे हमेशा merit के आग्रही रहे। scholarship भी वो merit पर लेने के आग्रही रहते थे। Merit पर जो न मि‍ले, उसको लेने से इंकार करते थे और बहुत कम लोगों को याद होगा कि‍ भारत ने जो प्रथम कृषि‍ क्रान्‍ति‍ की, agriculture revolution कि‍या, तब हमारे देश के कृषि‍ मंत्री बाबू जगजीवन राम थे। बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि‍ 1971 की लड़ाई में भारत ने जो वि‍जय प्राप्‍त की, उस समय भारत के रक्षा मंत्री बाबू जगजीवन राम थे। लेकि‍न ऐसे कारण रहे देश में कि‍ इस प्रकार की सेवाओं को, ऐसे महापुरुषों के योगदान को करीब-करीब इति‍हास में भुला दि‍या गया है। हम इस मत के है कि‍ राजनीति‍क वि‍चारधाराएं कुछ भी हो, दल कोई भी हो, लेकि‍न देश के लि‍ए जीने-मरने वाले हम सबके लि‍ए आदरणीय होते हैं, हम सबके लि‍ए प्रेरक होते हैं। 


शायद बाबू जगजीवन राम जी की जन्‍मजयंती पर पहले कभी भारत सरकार ने कोई कार्यक्रम launch कि‍या हो, कम से कम मेरी स्‍मृति‍ में नहीं है लेकि‍न मुझे आज गौरव हो रहा है और इसका बहुत बड़ा ताल्‍लुक भी है, क्‍योंकि‍ हमने एक योजना बनाई। योजना यह बनाई कि‍ हमारे जो आदि‍वासी भाई-बहन है, हमारे जो दलि‍त भाई-बहन है, वे कब तक नौकरी का इंतजार करते रहेंगे और सरकार भी कि‍तनों को नौकरी दे पाएगी और अगर यही स्‍थि‍ति‍ रही तो समाज के दलि‍त, पीड़ि‍त, शोषि‍त, वंचि‍त, इन मेरे भाइयों का क्‍या होगा, उन नौजवानों का क्‍या होगा? मेरा यह वि‍श्‍वास है कि‍ परमात्‍मा ने जो शक्‍ति‍ और सामर्थ्‍य, जो समझ और हुनर ईश्‍वर ने हमें दि‍या है, वैसा ही मेरे इन दलि‍त परि‍वारों को भी दि‍या है और मेरे आदि‍वासी परि‍वारों को भी दि‍या है। लेकि‍न हम लोग वो है जि‍न्‍हें अवसर मि‍ला, वो लोग हैं जि‍न्‍हें अवसर नहीं मि‍ला। अगर अवसर मि‍लने पर हम कुछ कर सकते हैं, तो अवसर मि‍लने पर मेरे दलि‍त और आदि‍वासी भाई-बहन भी उतना ही उत्‍तम काम कर सकते हैं और देश को बहुत योगदान दे सकते हैं।

और इसलिए, जीवन के हर क्षेत्र में समाज के आखि‍री छोर पर बैठा हुआ जो व्‍यक्‍ति‍ है, उसको आगे आने का अवसर मि‍लना चाहि‍ए। उसको कि‍सी की कृपा पर जीने के लि‍ए मजबूर नहीं होना चाहि‍ए। अगर वो अपने पुरुषार्थ से, अपने परि‍श्रम से, साहस करने को तैयार है, बुद्धि‍ है, क्षमता है। अगर थोड़ी-सी भी सुवि‍धा हो जाए तो वो एक नई, भव्‍य, स्‍वप्‍नों को साकार करने वाली अपनी जि‍न्‍दगी को आगे बढ़ा सकता है और उसी एक वि‍चार में से ये ‘Stand Up India’ की कल्‍पना आई।

15 अगस्‍त को लालकि‍ले पर से मैंने घोषणा की थी – ‘Start Up India, Stand Up India’. ‘Stand Up India’ योजना के तहत 15 अगस्‍त को लालकि‍ले से घोषणा की थी कि‍ भारत के हर बैंक की ब्रांच अपने क्षेत्र में एक दलि‍त को और अगर वहां दलि‍त बस्‍ती नहीं है तो आदि‍वासी को और एक महि‍ला को बैंक की तरफ से लोन देंगे। आज देश में सवा लाख बैंक हैं। एक लाख से ज्‍यादा स्‍थानों पर फैले हुए हैं। आम तौर पर कोई उद्योग या व्‍यापार शुरू होता है, तो जो established शहर होते हैं वहीं पर बढ़ोतरी होती है। हमारी इस योजना के तहत सवा लाख बैंक जब पैसे देंगे तो सवा लाख स्‍थानों पर कोई न कोई उपक्रम शुरू होगा और ढाई लाख लोगों के द्वारा ढाई लाख उपक्रम शुरू होंगे। एक जि‍ले में, एक जगह पर, एक जहां प्रगति‍ हो रही है वहीं नहीं, एक फैला हुआ काम और इसलि‍ए हर ब्रांच को कहा है कि‍ आपकी जि‍म्‍मेवारी होगी कि‍ आपकी ब्रांच जि‍स इलाके में है, उस इलाके के कि‍सी नौजवान, जो कि‍ दलि‍त हो, या आदि‍वासी हो और एक महि‍ला, दो लोगों को आपको लोन देना होगा और उनको नया उद्योग, नया व्‍यवसाय करने के लि‍ए मदद करनी होगी।

आप कल्‍पना कर सकते हैं कि‍ आज जो Job seeker है, वो Job creator बन जाएगा। जो आज नौकरी तलाशता है, वो नौकरी देने वाला बन जाएगा। अगर ऐसे ढाई लाख यूनि‍ट शुरू होते हैं, कोई एक को रोजगार दे, कोई दो को दे, कोई पाँच को दे, हमारे देश के नौजवानों के लि‍ए एक रोजगार का नया अवसर प्राप्‍त होगा।

यह जो ‘Stand Up’ योजना है। मुद्रा योजना और ‘Stand Up’ योजना में एक बहुत बड़ा फर्क है। मुद्रा योजना में भी गारंटी के बि‍ना उद्योगकार बैंक से, कुछ आगे बढ़ना है, तो पैसे ले सकता है। अख़बार बेचने वाला, कमाना है तो ले सकता है पैसे। चाय बेचने वाला हो, चना बेचने वाला हुआ, धोबी हो, नाई हो, छोटे-छोटे लोग जि‍नको बेचारे को पैसे बड़ी ब्‍याज से लेने पड़ते हैं। साहूकार लोग उनको लूट लेते हैं। वो एक बार पैसे लेता है तो ब्‍याज देने के चक्‍कर से बाहर ही नहीं आता है। जीवनभर वो कर्जदार रहता है और देश में 6 करोड़ से ज्‍यादा लोग ऐसे कुछ न कुछ काम करते हैं जो देश की आर्थि‍क गति‍वि‍धि‍ को चलाते हैं। छोटे-छोटे लोग हैं, छोटे दुकानदार हैं। कि‍सी को पाँच हजार चाहि‍ए, कि‍सी को दस हजार चाहि‍ए, कि‍सी को पचास हजार चाहि‍ए। बैंक के दरवाजे उनके लि‍ए बंद थे और ये इतने गरीब थे कि‍ कोई उनके लि‍ए गारंटी नहीं देता था। हमने मुद्रा योजना के तहत बि‍ना कोई गारंटी ऐसे लोगों को लोन मुहैया कराया। अभी अरुण जी बता रहे थे कि‍ हमारा लक्ष्‍य तो सवा लाख करोड़ से भी कम था, लेकि‍न हम उससे भी आगे नि‍कल गए और करीब-करीब सवा तीन करोड़ से ज्‍यादा लोगों को ये पैसे दि‍ए। आज वो अपना कारोबार चला रहे हैं। अपने व्‍यवसाय का वि‍कास कर रहे हैं और ब्‍याज के चंगुल से बच गए हैं लेकि‍न मुद्रा में 10 लाख रुपए तक की रकम मि‍लती है।

यह जो दलि‍त परि‍वारों के लि‍ए योजना बनाई है, आदि‍वासी परि‍वारों के लि‍ए योजना बनाई है, महि‍लाओं को उद्यमी बनाने के लि‍ए जो योजना बनाई है, उसके तहत 10 लाख से लेकर के एक करोड़ रुपए तक की राशि‍ बैंक उनको देगी और उस ब्रांच के इलाके में होगा ताकि‍ हि‍न्‍दुस्‍तान में एक लाख रुपए से अधि‍क जगह पर कोई न कोई नया काम शुरू होगा। अकेला उत्‍तर प्रदेश में हो, अकेला दि‍ल्‍ली में हो, अकेला जयपुर, मुम्‍बई, अहमदाबाद में हो, नहीं। छोटे-छोटे स्‍थान पर काम शुरू होना चाहि‍ए। इस देश को आगे बढ़ाना है और इसलि‍ए बैंक की ब्रांच को . . कोई एक बैंक, उसकी सौ ब्रांच है और बैंक दो सौ लोगों को एक जगह पर दे दे, वो हमें मंजूर नहीं है। अगर सौ ब्रांच है तो जहां ब्रांच होगी, वहीं पर उनको देना होगा, ताकि‍ उस पि‍छड़े इलाके का भी वि‍कास हो। इस योजना के तहत यह कि‍या गया है।

आज आपने देखा होगा। सामान्‍य परि‍वार के लोग, उनको एक योजना के तहत सहभागी बनाया है और मैं भाई मि‍लि‍न्‍द को अभि‍नन्‍दन देता हूं कि‍ उन्‍होंने दलि‍त युवकों में एक नई चेतना जगायी है। स्‍वयं तो उद्योगकार है, लेकि‍न उन्‍होंने तय कि‍या कि‍ वे दलि‍त युवकों को आत्‍मसम्‍मान के साथ जीने वाले, अपने पैरों पर खड़े रहकर काम करने वाले और देश के विकास में योगदान देने वाले बनाना चाहते हैं। मैं तो हैरान था, दलि‍त महि‍लाओं का भी उन्‍होंने एक संगठन खड़ा कि‍या। मैं उस दि‍न जब गया था, 300 महि‍ला उद्यमी दलि‍त, वो सैंकड़ों-करोड़ों का कारोबार कर रही है, अगर यह ताकत है तो उस ताकत को ध्‍यान में लेकर के योजना बनाई जाए तो देश को वि‍कास की ऊंचाइयों पर कैसे ले जा सकते हैं, इसका हम उत्‍तम उदाहरण दे सकते हैं। मेरे लि‍ए व्‍यक्‍ति‍गत रूप से आज का कार्यक्रम मैं उत्‍तम से उत्‍तम कार्यक्रम मानता हूं क्‍योंकि‍ मैं देख रहा हूं कि‍ मेरे दलि‍त भाइयों के, मेरे आदि‍वासी भाइयों के जीवन में वो बदलाव आने वाला है और समाज में वो सम्‍मान के साथ जीएंगे और नई पीढ़ी को रोजगार देने की उनमें ताकत आएगी। इस प्रकार की रचना होना, यह अपने आप में समाज में एक बहुत बड़ा बदलाव लाने का कारण बन रहा है।

आज एक और कार्यक्रम भी इसके साथ जोड़ दि‍या। प्रमुख कार्यक्रम तो मेरा ‘Stand Up India’ का था लेकि‍न हमारे महेश शर्मा जी, अपने इस क्षेत्र में ई-रि‍क्‍शा के लि‍ए कि‍तने दि‍नों से काम पर लगे हुए थे। तो उनका आग्रह था कि‍ इस कार्यक्रम को भी इसके साथ जोड़ दि‍या जाए। मैंने कहा, जरूर जोड़ देंगे और मुझे अभी रि‍क्‍शा वाले परि‍वारों के साथ चाय पर चर्चा करने का मौका मि‍ला। मैं उनकी बातें सुन रहा था। वे वो लोग थे जो पहले कि‍राये की रि‍क्‍शा लेकर के, दि‍नभर मेहनत करके, अपने परि‍वार का गुजारा चलाते थे लेकि‍न ज्‍यादातर पैसे कि‍राये पर, जि‍ससे कि‍राये पर लि‍या है रि‍क्‍शा, उसी पर चला जाता था। अपनी जेब में बहुत कम आता था और मेहनत भी इतनी करनी पड़ती कि‍ एक उम्र से ज्‍यादा काम नहीं कर सकता था। मेहनत भी इतनी पड़ती थी कि‍ ग्राहक खड़ा हो तो भी थक जाते थे, खींचने की ताकत नहीं रहती थी। यह जो अवस्‍था उन्‍होंने अपनी जि‍न्‍दगी में जी. .

भारत सरकार ने एक योजना बनाई। इस योजना के तहत, मेरे मि‍त्र भाई ब्रिजेश इस काम को बखूबी नि‍भाते रहते है और पाँच हजार से ज्‍यादा, 5100 ई-रिक्‍शा आज देने का कार्यक्रम हो रहा है। अब ये अपनी ई-रि‍क्‍शा के मालि‍क बन जाएंगे, जो कल तक कि‍राये की रि‍क्‍शा पर गुजारा करते थे। योजना ऐसी बनी है कि‍ दि‍न भर की कमाई में से, थोड़े पैसे डालकर के वो उसके मालि‍क बन जाएंगे। दूसरा, ई-रि‍क्‍शा होने के कारण शरीर को जो मजदूरी करनी पड़ती थी वो कम हो जाएगी। दि‍न में ज्‍यादा सफर कर पाएंगे, ज्‍यादा काम कर पाएंगे।

आज एक Mobile application को भी launch कि‍या है, Ola. मोबाइल फोन पर जो Ola के application को download करेगा, वो उस पर एक क्‍लि‍क करेगा सि‍र्फ तो नज़दीक में ये जो ई-रि‍क्‍शा वाला खड़ा होगा, उसके मोबाइल फोन पर सूचना जाएगी कि‍ फलानी जगह पर कोई रि‍क्‍शा के लि‍ए खड़ा है। दो-तीन-चार मि‍नट में रि‍क्‍शा आकर के खड़ा हो जाएगा। अभी मैं रि‍क्‍शा में बैठकर के आया। उसी technology से रि‍क्‍शा को बुलाया और उसी रि‍क्‍शा में बैठकर के आया। जेब में पैसों की भी जरूरत नहीं, अगर आपका जन-धन account है, रुपे कार्ड है तो आप मोबाइल फोन से ही अपना पाँच रुपया - सात रुपया - दस रुपया, जो भी कि‍राया होगा, वो आप मोबाइल से उसको दे सकते हैं, आराम से। पहले तो चार लोग हाथ ऊपर करे, कोई ऑटो रि‍क्‍शा वाले देखे न दि‍खे, आज आप मोबाइल फोन से ऑटो रि‍क्‍शा, ई-रि‍क्‍शा को बुला सकते हैं और ई-रि‍क्‍शा में बैठकर के आप आगे जा सकते हैं। इस व्‍यवस्‍था के कारण उनको ग्राहक ढूंढने के लि‍ए घूमना नहीं पड़ेगा, वरना वो तो इधर-उधर देखते रहते हैं कि‍ कोई मि‍ल जाता है - कोई मि‍ल जाता है, अब जरूरत नहीं है। वो एक जगह पर खड़े है, जैसा ही अपने मोबाइल फोन पर सूचना आई, वो दौड़ेगा और लेकर आगे जाएगा।

उसके कारण जो fuel का खर्चा होता है, वो भी नहीं होता और इसमें fuel battery है। इसकी भी व्‍यवस्‍था है कि‍ जि‍स प्रकार से ये पाँच हजार ई-रि‍क्‍शाएं मि‍ली हैं उसी प्रकार से इन रि‍क्‍शाओं को charging करने के लि‍ए Energy Bank भी बनाए गए हैं। जहां पर solar energy से battery charge होगी। आपकी ई-रि‍क्‍शा की battery down हो गई है, आप वहां जाएंगे, अपनी battery वहां छोड़ दीजि‍ए, दूसरी battery ले लीजि‍ए, charging का पैसा दे दीजि‍ए, आप गाड़ी दि‍न भर चलाते रहि‍ए। इसके कारण सैंकड़ों लोगों को ये solar energy से battery charging की दुकानें भी चलाने का मौका मिलेगा और आग्रह यह रखा है कि‍ ये ई-रि‍क्‍शा उनको मि‍लेगी जो रिक्‍शा के मालि‍क नहीं है। जो सि‍र्फ ड्राइवर है और कि‍राये की रि‍क्‍शा चलाते थे, यानी कि‍ गरीब को मि‍लेगा और गरीब, पीडि़त, शोषित, इनको अपने पैरों पर खड़े रखने की ताकत कैसे मिले उस दिशा में हमारी सारी योजनाएं आज काम कर रही हैं। और उसका नतीजा है कि आज यहां 5100 ई-रिक्‍शाएं गरीब परिवार के हाथ में जा रही हैं और मैं उनके चेहरे को देख रहा था और उनको सब मालूम था बोले हमारी ट्रेनिंग हो गई है। कुछ काम रिपेयर करना हो तो रिपे‍यरिंग करना हमको सिखा दिया गया है, हमको ई-रिक्‍शा कैसे चलानी उसका ड्राइविंग सिखा दिया गया है, बैंक के साथ कैसे कारोबार करना, वो सिखा दिया गया है। हमें app के द्वारा कोई सूचना आए तो कैसे जाना वो सिखा दिया गया है, यानी एक प्रकार से skill development का पूरा काम इन परिवारों का हो चुका है। आज ये दोनों चीजें ई-रिक्‍शा के द्वारा environment को भी फायदा है। आज पूरी दुनिया global warming से परेशान है। हम लोगों को विदेशों से तेल लाना पड़ता है, अरबों-खरबों रुपया जाता है। अब वो तेल में भी बचत होगी, क्‍योंकि सूरज से, सूरज की गर्मी से तैयार होने वाली बैटरी से ये ई-रिक्‍शाएं चलने वाली हैं। धुआं भी नहीं होने वाला है, environment का problem नहीं होने वाला है, और इसके कारण सामान्‍य मानवी के आरोग्‍य को भी इसके कारण फायदा तो होगा ही होगा, लेकिन दुनिया में भी जो global warming की चिंता है, उसका उपाय भी इसी से प्रस्‍तुत होगा और ये काम भी आज आपकी इस नगरी में प्रारंभ हो रहा है।

मैं वित्‍त मंत्री श्रीमान अरुण जेटली जी का अभिनंदन करना चाहता हूं, उन्‍होंने Banking Sector को, आपने देखा होगा, हमारे देश में वित्‍त मंत्रालय यानी office, file, बिल पास करना, न करना, उसके आगे देश को वित्‍त मंत्रालय क्‍या होता है ये कभी पता ही नहीं था। ज्‍यादा से ज्‍यादा वित्‍त मंत्रालय से कौन जुड़ते थे तो शेयर मार्केट वाले आएंगे, बड़े उद्योगकार आएंगे। पहली बार आप देखते होंगे कि वित्‍त मंत्रालय द्वारा जनता के बीच जा करके कभी जन-धन योजना, कभी जीवन बीमा योजना, कभी जीवन ज्‍योति योजना, कभी मुद्रा योजना, कभी Stand Up योजना, कभी RuPay Card की योजना, गरीब व्‍यक्ति के साथ देश का वित्‍त मंत्रालय जुड़ा हुआ हो, वो 21वीं सदी की पहली घटना है भाइयो-बहनों। एक-एक department को गरीबों के काम के लिए कैसे लाया जा सकता है, गरीबों की भलाई के लिए कैसे लाया जा सकता है, इसका एक जीता-जागता उदाहरण है।

हमारे देश में बैंकों का राष्‍ट्रीयकरण हुआ था, गरीबों के नाम पर। लेकिन मुझे दुख के साथ कहना पड़ता है कि आजादी के 70 साल होंगे, इस देश के 40 प्रतिशत लोग ऐसे थे कि जिनको कभी बैंक का दरवाजा देखने को सौभाग्‍य नहीं मिला आज तक। हमने बीड़ा उठाया। पिछली बार मैंने 15 अगस्‍त को कहा था और कुछ ही दिनों के भीतर-भीतर सभी बैंक के कर्मचारी, मैं सार्वजनिक रूप से बैंक के सभी कर्मचारियों का, सर्वजनिक रूप से फिर से अभिनंदन करना चाहता हूं, उनका धन्‍यवाद करना चाहता हूं कि वो घर-घर गए, banking hours के बाद भी काम किया, Saturday, Sunday को काम किया, और देश के गरीब लोगों को Bank के खाते से जोड़ दिया। और हमने तो कहा था कि zero balance से बैंक का खाता खुलेगा। आपको एक रुपया नहीं होगा, अरे वो फोन का stationary का जो खर्चा होता है, आठ आना, रुपया, वो भी नहीं होगा। बस आप खाता खुलवा दीजिए। अपना Bank account खुलवा दीजिए। हमने गरीबों से कहा था आपके पैसों की जरूरत नहीं है, बस आप जुड़ जाइए। लेकिन मेरे देश के गरीबों की अमीरी देखिए, मेरे देख के गरीबों की अमीरी देखिए, देश ने अमीरों की गरीबी देख ली है, बैंको से रुपये ले करके भागना कैसा, इसको रास्‍ते लोग खोज रहे हैं। लेकिन एक गरीब देखिए, जिसको तो हमने कहा था कि zero balance से तुम account खुलाओ लेकिन उसकी ईमानदारी देखिए, उसकी अमीरी देखिए, उसने कहा नहीं-नहीं मोदीजी हम ऐसे तो नहीं करेंगे, हम कुछ देना चाहेंगे। और आज मैं गर्व के साथ कहता हूं कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना के अंतर्गत गरीबों ने जो बैंक एकाउंट खुलवाए, उसमें किसी ने पचास रुपये, किसी ने सौ रुपये, किसी ने दो सौ रुपये डाला। वो रकम 35 हजार करोड़ रुपये से भी ज्‍यादा हुई, 35 हजार करोड़। ये है मेरे देश के गरीबों की अमीरी। और जिस देश के गरीबों की अमीरी देखतें हैं, तो सरकार का भी मन करता है कि उन गरीबों के लिए खप जाना चाहिए। पूरी सरकार गरीबों के लिए स्‍व-स्‍वाहा कर देनी पड़े तो कर देनी चाहिए, इस मिजाज से मैं काम कर रहा हूं। और मैं मानता हूं देश आगे तब बढ़ेगा जब देश के गरीब के द्वारा देश की विकास यात्रा में भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

हमारी सारी योजनाएं देश के गरीबों को देश की विकास यात्रा में भागीदार बनाने की एक सुनिश्चित रणनी‍ति के तहत चल रही है। एक के बाद दूसरी योजना, पहली योजना से दूसरी जुड़ी हुई होती है। और इन सारी योजनाओं के तहत एक ऐसा आर्थिक क्षेत्र जो अनछुआ था, किसी ने कभी सोचा तक नहीं था, ऐसे क्षेत्र में प्रवेश करने की दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं।

मैं फिर एक बार वित्‍त मंत्रालय को हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। वित्‍त मंत्रालय के सभी अधिकारियों की टीम को अभिनंदन करता हूं कि देश को उन्‍होंने उत्‍तम बजट तो दिया लेकिन देश के गरीबों के लिए एक के बाद एक योजनाएं दे करके देश के गरीबों को ताकत देने का काम किया है इसलिए वे भी बहुत-बहुत बधाई के पात्र हैं।

आज जिन परिवारों को ई-रिक्‍शा मिली है, उनको मैं जब बैठा था, मैंने कहा था लेकिन बाकी लोग वहां नहीं थे, उनसे मैं कहना चाहता हूं। और ये ई-रिक्‍शा वाले मेरा एक काम करेंगे? करेंगे? पक्‍का करेंगे? आप मुझे वादा कीजिए आप अपने बच्‍चों को पढ़ाएंगे। और राजनेताओं आपसे वोट मांगने आते होंगे, मैं आपसे आपके बच्‍चों की शिक्षा की भीख मांगने आया हूं। और उसमें भी आप अपनी बेटियों को तो अवश्‍य पढ़ाएंगे। आप देखिए कुछ ही सालों में आपको ई-रिक्‍शा भी नहीं चलाने पड़ेगी, आपके बच्‍चे, आपके परिवार को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। और इसलिए इस सरकार की योजनाओं का लाभ आपके बच्‍चों को सबसे पहले मिलना चाहिए और वो शिक्षा के रूप में मिलना चाहिए। आप देखिए आपकी तो जिंदगी बदल जाएगी, भारत का भविष्‍य बदल जाएगा और इसलिए मैं आज इन ई-रिक्‍शा वालों को भी शुभकामनाएं देता हूं। मेरे दलित परिवारों को आज से जो ‘Stand-up India’ से Loan मिलना शुरू हो रहा है, सवा लाख branches, आगे आएं वहां के नौजवान, इस opportunity का फायदा उठाएं और वे भी समाज में एक अग्रिम कक्षा के उद्योगकार, व्‍यापारी, साहसिक बन करके आएं और देश को नए सिरे से आपको मदद करें इसी एक अपेक्षा के साथ आप सबको बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!