Text of PM's address at the Indian Community Reception at Dubai

Published By : Admin | August 17, 2015 | 23:28 IST
Today I am witnessing 'mini-India' in Dubai: PM
People from all over the world have come here to Dubai. Magnetic power of this place has drawn the world here: PM
There are around 700 flights between India and the UAE but it took 34 years for a PM to visit this Nation: PM
PM Narendra Modi urges audience to give a standing ovation to the Crown Prince of Abu Dhabi
India has been a victim of terrorism for 40 years. Innocent people have lost their lives: PM
Good Taliban, Bad Taliban...Good Terror, Bad Terror...this won't work. A decision has to be taken are you with terrorism or with humanity: PM
Our effort has been to take India to new heights of progress and maintain a strong friendship with our neighbouring countries: PM

दुबई की धरती पर मैं आज मेरे सामने लघु भारत के दर्शन कर रहा हूं। हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने से आए हुए मेरे प्यारे देशवासियों को मैं नमन करता हूं। आप वे लोग हैं, जिन्होंने परिश्रम की पराकाष्ठा करके..कोई दस साल से, कोई पंद्रह साल से, कोई बीस साल से, कोई तीस साल से, रोजी रोटी कमा रहे हैं, लेकिन साथ-साथ भारत के गौरव को भी बढ़ाने में कभी पीछे नहीं रहे। आपके व्यवहार के कारण आपके आचरण के कारण हमेशा भारत गौरव अनुभव करता रहा है। भारत में अगर अधिक बारिश भी हो जाए तो दुबई में बैठा हुआ मेरा हिंदुस्तानी छाता खोल देता है। भारत में कहीं अगर कोई प्राकृतिक आपदा आ जाए, दुबई में बैठा हुआ मेरा देशवासी चैन से सो नहीं सकता।

जब अटल बिहारी देश के प्रधानमंत्री थे, भारत ने न्यूक्लियर टेस्ट किया था, दुनिया चौंक गई थी, कुछ लोग गुस्से में आए थे और रातों-रात भारत पर sanction लगा दिए गए थे। भारत को आर्थिक मुसीबतों में धकेल दिया गया था.. और तब वाजपेयी जी ने विश्व भर में फैले हुए भारत वासियों को आह्वान किया था, देश की मदद करने के लिए। आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि वाजपेयी जी के उस आह्वान पर, हिन्‍दुस्‍तान की तिजोरी भरने में Gulf Countries में जो मजदूरी का काम करते थे, उन मेरे भारतवासियों का सबसे बड़ा योगदान था। इस अर्थ में यहां बसा हुआ हर भारतवासी, एक प्रकार से हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने से जुड़ा हुआ है। पिछली बार जब देश लोकसभा के चुनाव के लिए व्यस्त था, चुनाव नतीजे आ रहे थे, हिन्‍दुस्‍तान ही नहीं, पूरा दुबई नाच रहा था। ये प्यार भारत माता के कल्याण के लिए..मां भारती फिर से एक बार सामर्थ्यवान बने, सशक्त बने, सम्‍पन्‍न बने, समृद्ध बने, ये सपना संजोकर के दिन-रात एक करने वाले आप लोग मेरे सामने बैठे हैं।

भाइयों-बहनों, आज..यहां तो हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने से आए हुए मेरे भाई-बहन बैठे हैं और दुबई, वो सिर्फ लघु भारत ही रहा है ऐसा नहीं है, अब तो दुबई एक लघु विश्व भी बन गया है। दुनिया के सभी देशों के लोग, कम अधिक मात्रा में दुबई में रह रहे हैं। ठंडे से ठंडे प्रदेश के लोग भी इस 40-45 डिग्री तापमान में रहना पसंद करते हैं। क्या ताकत दिखाई होगी इस देश ने, क्या magnetic power पैदा किया होगा विकास के माध्यम से कि पूरा विश्व यहां आकर्षित हो जाता है।

हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने से आए हुए सभी देशवासियों ने अभी दो दिन पूर्व 15 अगस्त, भारत की आज़ादी का पर्व मनाया है। मैं भी आप सब को आज़ादी के पावन पर्व की अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

यहां केरल से आया हुआ भी समुदाय बहुत बड़ी मात्रा में है। मैं केरल का उल्लेख विशेष रूप से इसलिए कर रहा हूं क्योंकि आज केरल का नववर्ष है। सहोदरकअ एंटे रूदयम निरन्या नववलसरा आशम सफलअ। नमस्कारम्।



हर हफ्ते हिन्‍दुस्‍तान से 700 से भी ज्यादा फ्लाइट यहां आती हैं। दुनिया में किसी एक देश के साथ इतनी बड़ी मात्रा में हवाई आवागमन अगर कहीं है, तो इस इलाके से है। हर हफ्ते 700 से भी अधिक फ्लाइट आती हैं, लेकिन भारत के प्रधानमंत्री को यहां आने में 34 साल लग गए। कभी-कभी मुझे लगता है कि बहुत सारे ऐसे अच्छे अच्छे काम हैं, जो पूर्व के लोग मेरे लिए बाकी छोड़ करके चले गए हैं और इसलिए बहुत सारे बाकी रहे अच्छे काम करने का मुझे भाग्य मिला है। उन अच्छे कामों में से महत्वपूर्ण अच्छा काम मेरा अबुधाबी आना, मेरा दुबई आना है। जिस प्रकार से..ये मेरी पहली मुलाकात है। इसके पहले कभी मैं धरती के इस भू-भाग पर नहीं आया। ..और 34 साल में प्रधानमंत्री के रूप में कोई आएं, तो किसी को भी, किसी को भी नाराज़गी व्यक्त करने का हक बनता है। हक बनता है कि नहीं बनता है? बनता है कि नहीं बनता है? लेकिन अबुधाबी में His Highness Crown Prince ने, दुबई में His Highness अल मख्तूम जी ने नाराज़गी नहीं दिखाई, इतने प्यार की वर्षा की, इतने प्यार की वर्षा की, मैं उनके इस प्यार को कभी भूल नहीं पाउंगा। जो स्वागत किया, जो सम्मान किया.. His Highness Crown Prince अपने सभी पांचों भाइयों के साथ एयरपोर्ट पर लेने के लिए आए। मेरे प्यारे देशवासियों, ये प्यार, ये सम्मान किसी व्यक्ति को नहीं है। ये सवा सौ करोड़ देशवासियों का सम्मान है। ये भारत की बदली हुई तस्वीर का सम्मान है। भारत जिस प्रकार से दुनिया में अपनी जगह बना रहा है, उस बदले हुए हालात का सम्मान है। मैं His Highness Crown Prince का, अमीरात का, दुबई के Rulers का हृदयपूर्वक बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।

एक तरफ संप्रदाय के नाम पर आतंकवाद के खेल खेले जाते हैं। निर्दोषों को मौत के घाट उतार दिया जाता है। पूर्णतया: चिंता का माहौल हो, ऐसे समय अबुधाबी के His Highness Crown Prince भारतीय समुदाय के लिए मंदिर बनाने के लिए जगह देने का निर्णय करते हैं। जो लोग अबुधाबी से परिचित हैं, उन्हें पता है कि निर्णय कितना बड़ा है, ये सौगात कितनी बड़ी है। आप मुझे बताइए, सभी देशवासियों को उनका विशेष रूप से अभिनंदन करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए। मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि तालियों की गूंज से Crown Prince का अभिनंदन कीजिए। Crown Prince को Standing Ovation दीजिए। उनका अभिनंदन कीजिए। मैं हृदय से उनका अभिनंदन करता हूं।

भाइयों-बहनों, दो दिन की मेरी यात्रा में जिस प्रकार का विश्वास का माहौल बना, आखिरकार अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का आधार..आपकी भाषा क्या है, आप कितने articulate हैं, आप diplomatic relation में कितने बढि़या ढंग से मेलजोल करते हैं..उससे भी ज्यादा महत्व होता है, एक दूसरे पर भरोसे का। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में ये भरोसा, ये विश्वास, एक बहुत बड़ी पूंजी होता है ..और आज मैं चंद घंटों की मेरी मुलाकात के बाद कह सकता हूं कि भारत, अबुधाबी, दुबई, अमीरात.. जो विश्वास का सेतू बना है, वो अभूतपूर्व है और आने वाली पीढि़यों तक काम आए, ऐसा foundation तैयार हुआ है।

आज मुझे खुशी हुई कि जब आज भारत और अमीरात के बीच जो Joint Statement आया है, आपको भी खुशी होगी जान करके.. Crown Prince ने हिन्‍दुस्‍तान में साढ़े चार लाख करोड़ रूपए का निवेश करने का संकल्प दोहराया है। साढ़े चार लाख करोड़ रूपया! कितना? कितना? कितना? भाइयों-बहनों, अगर आप पर किसी का भरोसा न हो, तो कोई 10 रूपया भी आप पर लगाने के लिए तैयार होगा क्या? ये भारत की साख बनी है। आज भारत का बदला हुआ रूप विश्‍व के सामने अपनी स्वीकृति बनाता आगे चल रहा है।

आज अमीरात और भारत की तरफ से आतंकवाद के खिलाफ, दो टूक शब्दों में, बिना लाग लपेट और किसी की परवाह किए बिना साफ-साफ शब्‍दों में संकेत दे दिए गए हैं। आतंकवाद के खिलाफ एकता का स्वर आज इस धरती से उठा है। मैं इसे बहुत अहम मानता हूं और इतना ही नहीं..समझने वाले समझ जाएंगे, अक्लमंद को इशारा काफी। आतंकवाद में लिप्त लोगों को सजा होनी चाहिए, ये स्पष्ट शब्दों में संकेत यहां से निकला है। मैं आज यहां के शासकों का इसलिए भी आभारी हूं कि उन्होंने..United Nations जब अपने 70 साल मनाने जा रहा है, तो यहां से कहा गया है और भारत की इस बात का खुला समर्थन किया गया है कि भारत को United Nations की Security Council की Permanent Membership मिलनी चाहिए। मैं आभारी हूं उनका।

इससे भी आगे एक बहुत-बहुत महत्वपूर्ण बात पर..आज भारत की लंबे अर्से से एक position है। उसका आज His Highness Crown Prince ने खुले आम समर्थन घोषित किया। भाइयों-बहनों, कई वर्षों से United Nations में एक Resolution लटका पड़ा है। आपको भी बड़ी हैरानी होगी..और दो-पांच साल से नहीं, कई वर्षों से लटका पड़ा है। क्या.. ? United Nations, जो कि प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध से पीडि़त मानव समुदाय को मरहम लगाने के लिए..आगे मानव जाति को ऐसे संकट झेलने की नौबत न आए, इसके लिए precaution लेने के लिए, व्यवस्थाएं विकसित करने के लिए 70 साल पहले United Nations का जन्म हुआ। लेकिन वह United Nations आतंकवाद की अभी तक परिभाषा नहीं कर पाया। आतंकवादी किसको कहें, आतंकवाद किसको कहें, आतंकवाद को समर्थन करने वाले कौन माना जाए, किस देश को आतंकवाद का समर्थक माना जाएं, किस देश को समर्थक न माना जाए। इसलिए Comprehensive Convention on International Terrorism..इसका निर्णय करने का प्रस्ताव लंबे अर्से से United Nations में लंबित पड़ा हुआ है। भारत ने position ली हैं सालों से किए एक प्रस्ताव पर चर्चा हो जाए, निर्णय होना चाहिए और ये टाला जा रहा है। आज मुझे खुशी इस बात की है कि His Highness Crown Prince ने भारत की स्थिति का समर्थन का किया है, भारत की position का समर्थन किया है और आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के संबंध में आपने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं। न सिर्फ.. साढ़े चार लाख करोड़ का पूंजी निवेश की बात नहीं है ये। ये एक निश्चित दिशा में कंधे से कंधा मिलाकर चलने का एक प्रकार का संकेत, इस Joint Statement में है। मैं इसे बहुत महत्वपूर्ण मानता हूं।

भाइयों-बहनों आप तो सालों से बाहर हैं। आज भारत का नाम सुनते ही आपके सामने खड़े हुए व्यक्ति की आंखों में चमक आती है कि नहीं आती है? आपका माथा गर्व से ऊंचा होता है कि नहीं होता है, आपका सीना गर्व से तन जाता है कि नहीं तन जाता है? एक गर्व महसूस करते हैं कि नहीं करते हैं? भाइयों बहनों आज दुनिया का हिन्‍दुस्‍तान की तरफ देखने का नज़रिया पूरी तरह बदल गया है और उसका एक कारण..क्या कारण है?.. क्या कारण है, ये बदलाव आया है? मोदी के कारण नहीं, ये जो बदलाव आया है, सवा सौ करोड़ देशवासियों की संकल्प शक्ति के कारण आया है। सवा सौ करोड़ देशवासियों ने 2014 मई महीने में 30 साल के बाद पूर्ण बहुमत वाली सरकार चुनी। आज दुनिया का कोई भी महापुरूष, दुनिया का कोई भी राजनेता मोदी से जब हाथ मिलाता है न, तब उसे मोदी नहीं दिखता है। उसे सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानी दिखाई देते हैं। दुनिया की तेज़ गति से बढ़ रही economy दिखाई दे रही है।

भाइयों-बहनों, पिछले दिनों, IMF हो, World Bank हो, Moody हो, विश्व की जितनी भी आर्थिक पैमाने पर Rating Institutions हैं, सब किसी ने एक स्वर से कहा है कि आज दुनिया में बड़े देशों में सबसे तेज गति से अगर आर्थिक सुधार हो रहा है, तेज गति से growth हो रहा है तो उस देश का नाम है.. (दर्शक दीर्घा से भारत-भारत के नारे). मुझे बताइए सीना तन जाएगा कि नहीं तन जाएगा? माथा ऊंचा हो जाएगा कि नहीं होगा कि नहीं होगा। एक साल के भीतर-भीतर ये बदलाव आया है। भाइयों बहनों, हमने मेक इन इंडिया.. कुछ महीने पहले इस अभियान का प्रारंभ किया। दुनिया को मैं कह रहा हूं- मेक इन इंडिया। आइए, हिन्‍दुस्‍तान एक ऐसा देश है जो संभावनाओं से भरा हुआ है, Opportunities ही Opportunities हैं। ये एक ऐसा भाग्‍यशाली देश है, जिसके पास 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 साल से कम उम्र की है। भारत एक नौजवान देश है। आज यहां जवानी लबालब भरी पड़ी है और विश्व वहां आए, हमारे युवकों की शक्ति जुटाए, उत्पादन करे, दुनिया के बाज़ार में जाकर बेचे। और आज..ये कुछ ही महीनों का मामला है.. Foreign Direct Investment..FDI में 48 प्रतिशत वृद्धि हुई है, 48%। भाइयों-बहनों विकास को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए Ease of doing Business का माध्‍यम हो। देश की युवा शक्‍ति में Skill Development का अभियान हो। आधुनिक भारत के निर्माण के लिए डिजिटल इंडिया का सपना साकार करने के लिए दिन-रात पुरुषार्थ चलता हो। तो विश्‍व का आना बहुत स्‍वाभाविक है मेरे भाइयों और बहनों, बहुत स्‍वाभाविक है।

भाइयों-बहनों, आज दुनिया जिस आतंकवाद के नाम सुनते ही कांप उठती हैं, एक नफरत पैदा होती है। मैं दुनिया को कहता हूं हम हिन्‍दुस्‍तान के लोग 40-40 साल से ये आतंकवाद के शिकार हुए हैं। हमारे निर्दोष लोग आतंकवादियों की गोलियों से भून दिए गए हैं, मौत के घाट उतार दिए गए हैं और जब कभी मैं विश्‍व के लोगों के साथ आज से 25-30 साल पहले कभी मुझे बात करने का अवसर मिलता था, तो वे आतंकवाद समझने की उनकी क्षमता ही नहीं थी। कभी मैं आतंकवाद की बात करता था तो वे मुझे कहते थे ये तो आपका Policing का problem है Law and Order का problem है। अब उनको समझ आ गया है कि आतंकवाद का कितना भयंकर रूप होता है। आतंकवाद की कोई सीमाएं नहीं होती है, वो पता नहीं कब किस सीमा पर जाकर आ धमकेगा। आज अभी मैं यहां पहुंच रहा था, मैंने सुना बैंकॉक के अंदर आज एक बम धमाका हुआ, निर्दोष लोगों को मार दिया गया। भारत तो लगातार इन हरकतों को झेलता रहा है और विश्‍व समुदाय जब तक आतंकवाद की मानसिकता वाले देशों को, आतंकवाद को, उसको समर्थन करने वालों को एक ओर, और मानवता में विश्‍वास करने वाले दूसरी ओर, और मानवतावाद में विश्‍वास करने वाले दुनिया के देश एक होकर के आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का वक्‍त आ चुका है।

Good Taliban-Bad Taliban, Good Terrorism- Bad Terrorism ये अब चलने वाला नहीं है। हर किसी को तय करना पड़ेगा कि फैसला करो कि आप आतंकवाद के साथ हो या मानवता के साथ हो, निर्णय करो। भारत को तो आज भी आए दिन इन नापाक हरकतों का शिकार होना पड़ता है। हम समस्‍याओं का समाधान खोजने की दिशा में लगातार कोशिश कर रहे हैं। यहां बहुत कम लोगों को पता होगा कि भारत की आजादी के पहले से नागालैंड में अतिवाद, insurgency इस समस्‍या से नागालैंड जूझता रहा और उसके कारण भारत का पूरा ये पूर्वी हिस्‍सा, नॉर्थ-ईस्‍ट, आए दिन हिंसा का शिकार होता था और धीरे-धीरे वो बीमारी इतनी फैलती गई कि अन्‍य राज्‍यों में भी अलग-अलग नाम से, अलग-अलग अतिवादी, आतंकवादी गुट बनते चले गए। आजादी के भी पहले से चल रहा था।

आज मैं बहुत संतोष के साथ मेरे देशवासियों, आपको कहना चाहता हूं कि अभी एक महीने पहले नागालैंड के इन गुटों के साथ, जो कभी हिंसा में विश्‍वास करते थे, जो शस्‍त्रों को लेकर के गतिविधि चलाते थे। उनसे जो बातचीत चल रही थी, वो सफलतापूर्वक आगे बढ़ी, निर्णय हुआ, मुख्‍य धारा में आने का निर्णय हुआ। 60-70 साल के बाद ये संभव हुआ। मैं नागालैंड की ये घटना का जिक्र इसलिए करना चाहता हूं कि हिंसा के राह पर चले हुए भारत के नौजवानों को और विश्‍व के नौजवानों को मैं एक उदाहरण के रूप में कहना चाहता हूं, समस्‍या कितनी भी गंभीर क्‍यों न हो, आखिर तो बातचीत से ही रास्‍ता निकलता है। कोई 10 साल लड़ाई लड़ने के बाद बात करें, कोई 20 साल लड़ाई लड़ने के बाद करें, कोई 40 साल लड़ाई लड़ने के बाद बात करें, लेकिन आखिर में तो बात ही होती है और टेबल पर ही फैसले होते हैं और इसलिए विश्‍व भर से इस गलत रास्‍ते पर चल पड़ लोग बम-बंदूक के भरोसे, अपने सपनों को साकार करने के रास्‍ते पर चले हुए लोग। ये रास्‍ता कभी आपका भला नहीं करेगा। ये रास्‍ता कभी किसी और का भला नहीं करेगा। ये रास्‍ता कभी मानवता का भला नहीं करेगा। ये रास्‍ता इतिहास को बेदाग नहीं रहने देगा। ये पूरे इतिहास को कलंकित कर देगा, ये पूरे इतिहास को दागदार बना देगा और इसलिए हिंसा का मार्ग छोड़कर के मुख्‍यधारा में जाना, ये आज समय की मांग है।

मेरे प्‍यारे भाइयों-बहनों, बांग्‍लादेश 1947 में भारत का विभाजन हुआ, 1947 में। तब से पूर्व पाकिस्‍तान, पश्‍चिम पाकिस्‍तान थे उस समय। पूर्वी पाकिस्‍तान जो आज बांग्‍लादेश बना, भारत और उनके बीच सीमा का विवाद चल रहा था। तनाव का कारण बना हुआ था। आशंकाओं का कारण बना हुआ था। घुसपैठ के लिए एक सुविधाजनक स्‍थिति बनी हुई थी। आप सब के आशीर्वाद से हिन्‍दुस्‍तान ने बीड़ा उठाया, सबने मिलकर के बीड़ा उठाया। इस समस्‍या का समाधान करना है, बातचीत से करना है। मैं पिछले सितंबर में बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना जी से मिला था और मैंने उनको वादा किया था कि मुझ पर भरोसा कीजिए और मुझे थोड़ा समय दीजिए। उन्‍होंने कहा कि मेरे पास भरोसा रखने के सिवाए है भी क्‍या! लेकिन आज, आज मैं मेरे प्‍यारे देशवासियों आपके सामने सर झुकाकर के कहना चाहता हूं कि आजादी से लटका हुआ ये सवाल 1 अगस्‍त को समाप्‍त कर दिया गया है। सीमा निर्धारित हो गई। जिनको बांग्‍लादेश जाना था, बांग्‍लादेश चले गए, जिनको भारत आना था भारत आ गए। हम लोग तो 15 अगस्‍त, 1947 को आजाद हो गए थे। भारत के नागरिक के नाते गौरवगान करने लगे थे। लेकिन ये हमारे भाई-बहन अभी 1 अगस्‍त, 2015 को भारत की भूमि पर आजादी का स्‍वाद लेने का उन्‍हें सौभाग्‍यमान मिला है। भारत की संसद में सर्वसम्‍मति से सभी राजनैतिक दलों ने साथ दिया और सर्वसम्‍मति से फैसला हुआ, बातचीत के माध्‍यम से फैसला हुआ।

ये छोटी-मोटी उपलब्‍धि नहीं है मेरे भाइयों-बहनों। और मैं, औरों को भी हमेशा कहता हूं, अड़ोस-पड़ोस के देशों को भी कहता रहता हूं। जैसे हिंसा के रास्‍ते पर गए हुए लोगों को भी कभी न कभार बातचीत के रास्‍ते पर आना पड़ता है। वैसे अड़ोस-पड़ोस में भी समस्‍याओं का समाधान बातचीत से ही निकलता है।

अंतर्राष्‍ट्रीय संबंधों में आज भारत एक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। मानवता के अधिष्‍ठान पर कर रहा है। जब नेपाल में भूकंप आया चंद घंटों में, ऐसा नहीं है कि भई ज़रा पूछो तो क्‍या हुआ है? जरा जानकारी लो क्‍या हुआ है? ऐसा करो अफसरों का delegation भेजो, देखो ज़रा क्‍या मुसीबत आई है? ऐसा करो भई कोई अपने रिश्‍तेदार वहां हो तो पूछो भई हुआ क्‍या है? ऐसा इंतजार नहीं किया? आज दिल्‍ली में ऐसी सरकार है, जो हर पल नज़र आती है, हर जगह पर नज़र आती है और चंद घंटों में, चंद घंटों में, भारत से जो भी हो सकता था, ये मानवता का काम था। नेपाल के चरणों में जाकर के हमारे लोग बैठ गए और उनकी सेवा में लग गए और आज भी सेवा चालू है। नेपाल हमारा पड़ोसी है। वो दुखी हो और हम सुखी हों, ये कभी संभव नहीं होता है। उसके सुख में भी हमारा सुख समा हुआ है।

श्रीलंका, आपको हैरानी होगी। जब मैं नेपाल गया, प्रधानमंत्री बनने के बाद। नेपाल जाना है, तो 70 मिनट नहीं लगते। दिल्‍ली से नेपाल जाना हो, तो 70 मिनट नहीं लगते। लेकिन भारत के प्रधानमंत्री को नेपाल पहुंचने में 17 साल लग गए। फिर से हम गए, संबंधों को फिर से जोड़ा। अपनापन। आज नेपाल भारत पर भरोसा कर रहा है। भारत नेपाल का सुख-दु:ख का साथी बन रहा है। श्रीलंका, राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री थे, उसके बाद कोई प्रधानमंत्री की stand alone visit नहीं हुई थी। कितने साल बीत गए। हमारा पड़ोसी है, आए दिन हमारे तमिलनाडु, केरल के मछुआरे और उनके मछुआरे आपस में भिड़ जाते हैं। लेकिन उधर कोई जाता नहीं था। हम गए, इतना ही नहीं। जाफना जहां 20-20 साल तक बम और बंदूक का ही कारोबार चलता था, उस जाफना में जाकर के उन दुखियारों के आंसू पोंछने का काम करने का सौभाग्‍य मुझे मिला। एक प्रधानमंत्री के रूप में जाफना जाने का सौभाग्‍य मुझे मिला।

हमारे पड़ोस में मालदीव, आइलैंड पर बसा हुआ देश, tourism की दृष्‍टि से काफी आगे बढ़ा है। अचानक एक दिन उनके यहां पानी के सारे संयंत्र खराब हो गए। पूरे देश के पास पीने का पानी नहीं था। आप कल्‍पना कर सकते हो, कोई देश के पास पीने का पानी न हो। कितना बड़ा गहरा संकट आया। मालदीव से हमें message आया कि ऐसी मुसीबत आई है। एक पल का इंतज़ार नहीं किया, भाइयों और बहनों। हवाई जहाज से पीने का पानी पहुंचाया मालदीव में। दूसरे दिन स्‍टीमर से पानी पहुंचाना शुरू कर दिया और जब तक उनकी वो मशीन चालू नहीं हुई, पानी की व्‍यवस्‍था दुबारा पुनर्जीवित नहीं हुई, हमने मालदीव को प्‍यासा नहीं रहने दिया।

अफगानिस्‍तान हमारा पड़ोसी है। अफगानिस्‍तान संकटों से गुजर रहा है। लंबे अरसे से आए दिन वो घाव झेलता चला जा रहा है। हर पल अफगानिस्‍तान को मरहम लगाने का काम हिन्‍दुस्‍तान करता आया है। अफगानिस्‍तान फिर से एक बार खड़ा हो जाए, क्‍योंकि हम सब बचपन से काबुलीवाला से तो बहुत परिचित हैं। जब काबुली वाले की बात करते हैं, तो हमें कितना अपनापन महसूस होता है। भाइयों-बहनों हमारी कोशिश रही है भारत को विकास की नई ऊचाइयों पर ले जाना। भारत में निरंतर विकास को आगे बढ़ाना और अपने अड़ोस-पड़ोस के देशों से दोस्‍ती बनाकर करके साथ और सहयोग लेकर करके आगे चल पड़ना।

SAARC देशों का समूह उसमें एक नया प्राण पूरने का प्रयास किया है, सफलतापूर्वक प्रयास किया है। वरना पहले SAARC देशों के मंच का उपयोग तू-तू मैं मैं के लिए होता था, कभी भारत को घेरने के लिए होता था। आज SAARC देशों के लोग, जितने साथ चल सकते हैं, उनको ले करके इन SAARC की इकाई का विकास की ऊंचाइयों पर ले जाने का सपना हमने देखा था। हमने घोषित किया है कि 2016 में हम आकाश में एक SAARC Satellite छोड़ेंगे जिसकी सेवाएं SAARC देशों में मुफ्त में देंगे, जो शिक्षा के काम आए , जो आरोग्‍य के लिए काम आये, जो किसानों को काम आये, जो मछुआरों के काम आये, सामान्‍य जन को काम आये। अभी हम बीच में सोच रहे थे कि SAARC देश Connectivity के लिए गंभीरता से सोचे और हम जानते हैं, आज विकास में Connectivity का महत्‍व बहुत है। आप समुद्री मार्ग से जुडि़ए या रेल मार्ग से जुडि़ए, या रोड मार्ग से जुडि़ए, जुड़ना जरूरी है। यूरोप के देशों को ये लाभ मिला हुआ है। एक देश से दूसरे देश चले जाओ पता तक नहीं चलता कि देश कब बदल गया। क्‍या ये SAARC देशों के बीच नहीं हो सकता है? हमने मिल करके सामूहिक निर्णय करने का प्रयास किया नेपाल में। लेकिन आप जानते हैं, कुछ लोगों को जरा तकलीफ होती है, लेकिन कुछ लोगों की तकलीफ के लिए क्‍या रुकना चाहिए? हमारे काम को क्‍या हमें रोक देना चाहिए? हमें अटक जाना चाहिए क्‍या? ठीक है आपकी मर्जी, आप वहां रह जाइये, हम तो चल पड़े भाई और हमने क्‍या किया। एक बहुत बड़ा अहम फैसला लिया है भाइयों और बहनों, इसका प्रभाव आने वाले दिनों में क्‍या होने वाला है, वो तो वक्‍त बताएगा। नेपाल, भूटान, भारत, बांग्‍लादेश, इन चार देशों ने एक नया इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर बना करके Connectivity का एक पूरा काम तय कर लिया, Agreement हो गया, ये आगे चल करके नॉर्थ-ईस्‍ट से जुड़ेगा। वहां से ये म्‍यांमार मार्ग से जुड़ेगा। वो इंडोनेशिया, थाइलैंड, पूरब, हिन्‍दुस्‍तान, पूरब की बीच की तरफ भारत को Connectivity की ताकत देगा एक नया भारत का बदला हुआ, संबंधों का नया विश्‍व खड़ा हो जाएगा।

भाइयों-बहनों, एक निश्चत समय के साथ भारत अपनी भूमिका भी अदा करें, भारत बड़े होने के अहंकार से नहीं, हर किसी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहता । विकास की नई ऊंचाईयों को पार करना चाहता। भारत में नौजवानों को रोजगार मिले, हमारे कृषि में Second Green Revolution हो, हमारा पूर्वी हिन्‍दुस्‍तान, चाहे पूर्वी उत्‍तर प्रदेश हो, चाहे बिहार हो, चाहे पश्चिम बंगाल हो, चाहे असम हो, चाहे नॉर्थ-ईस्‍ट हो, चाहे ओडि़शा हो, ये हमारा जो इलाका है, ये मानना पड़ेगा कि वहां विकास की ज्‍यादा जरूरत है। अगर वहां पर विकास हो गया और हिन्‍दुस्‍तान का पश्चिमी छोर और पूरब का छोर बराबर हो गये, तो भारत बहुत तेज गति से दौड़ने लग जाएगा और इसलिए भारत के इस पूर्वी छोर पर आर्थिक विकास का एक नया अभियान हमने चलाया है। Infrastructure खड़ा करने का एक नया अभियान चलाया है। Fertiliser के नये कारखाने शुरू कर रहे हैं। गैस की पाइप लाइन लगानी है। बिजली पहुंचानी है। आप मुझे बताइए आजादी के इतने सालों के बाद बिजली होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? बिजली मिलनी चाहिए या नहीं मिलनी चाहिए? क्‍या आज के युग में बिजली के बिना गुजारा संभव है? भाइयों-बहनों हमने सपना संजोया है। पांच साल के भीतर-भीतर हम देश के कोने-कोने में 24 घंटे बिजली मैंने देने के लिए फैसला किया। ये हम करके रहेंगे।

दुबई में रहने वाले मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों, हमने एक महत्‍वपूर्ण योजना घोषित की है । हमारे देश में लोगों को पहले Bank Accounts नहीं थे, हमने हर हिन्‍दुस्‍तानी का Bank Account खोल दिया, एक काम किया। भारत में हमारे देश के नागरिकों को इंश्‍योरंस नहीं है, बीमा नहीं है। उसके परिवार में कोई आपत्ति आ जाए, पीछे वालों को देखने की कोई व्‍यवस्‍था नहीं। हमने तीन योजनाएं लगाई हैं, एक प्रधानमंत्री बीमा सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्‍योति योजना और इंश्‍योरेंस के लिए कितना पैसा देना है? एक स्‍कीम ऐसी है कि जिसमें एक महीने में सिर्फ एक रुपया देना है, 12 महीने में 12 रुपया। हमारे देश का गरीब से गरीब व्‍यक्ति भी दे सकता है या नहीं दे सकता है? मुझे बताइए दे सकता है या नहीं दे सकता है? गरीब से गरीब व्‍यक्ति एक रुपया महीने में दे सकता है या नहीं दे सकता है? महीने का 12 रुपया,.. साल भर का 12 रुपया, साल भर का 12 रुपया देगा, दो लाख रुपयों का सुरक्षा का बीमा मिलेगा। दूसरी योजना है जिसमें उसे और भी मददें मिलेंगी, वो है एक दिन का नब्‍बे पैसा, एक रुपया भी नहीं, एक दिन का एक रुपया भी नहीं, आज तो चाय भी एक रुपये में मिलती नहीं है। मैं जब चाय बेचता था तो एक रुपया भी नहीं मिलता था। लेकिन आज एक रुपये में चाय नहीं मिलती है। एक दिन का नब्‍बे पैसा, साल भर के 330 रुपये, और उसे भी ये सुरक्षा कवच मिलेगा। Natural मृत्‍यु होगा Natural अकस्‍मात नहीं हुआ है, सहज, तो भी उसके परिवार को दो लाख रुपया मिलेगा। हमने लोगों से आग्रह किया है कि रक्षाबन्‍धन के पर्व पर हमारे देश की परम्‍परा है, हम अपनी बहनों को Best सौगात देते हैं। कोई न कोई Gift देते हैं। मैं मेरे, Gulf Countries में रहने वाले मेरे प्‍यारे भाइयों बहनों का आग्रह करता हूं, इस बार रखी के त्‍यौहार पर आप अपनी बहन को ये जीवन सुरक्षा योजना दे दीजिए। अगर आप 600 रुपया बैंक में Fixed Deposit करा दोगे, तो हर साल उसको 12 रुपये से ज्‍यादा Interest मिलेगा, कटता जाएगा और आपकी बहन को दो लाख रुपये का सुरक्षा का कवच मिल जाएगा, और दोनों योजना लें लेगे, उतने पैसे जमा करा दिये, तो चार लाख रुपया उसके चरणों में आपकी तरफ से पहुंच जाएगा। भाइयो-बहनों, हमनें समाज-जीवन को एक सुरक्षित बनाना है, हमारी नई पीढ़ी को शिक्षित बनाना है, देश को आधुनिक बनाना है, और आज जब विश्‍व का भारत की तरफ आकर्षण बढ़ा है, उस परि‍स्थिति का हमने लाभ उठाना है और देश को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाना है।

मेरे प्‍यारे भाइयो, बहनों, आपने जो मुझे सम्‍मान दिया, प्‍यार दिया, पूरा हिन्‍दुस्‍तान आपको देख रहा होगा। ये बदले हुए माहौल का असर हर भारतवासी के दिल पर भी होता है। और मुझे लगता है कि विश्‍व भर में जो हमारा भारतीय समुदाय पहुंचा है, उस भारतीय समुदाय को भी आज एक नई ऊर्जा, नई शक्ति मिली है। आज जब मैं अबुधाबी आया, दुबई आया, तो कुछ बातें मेरे ध्‍यान में आई हैं, उसके विषय में भी आज आपको मैं कह करके जाना चाहता हूं, Embassy के संबंध में, Counsel के संबंध में, आपकी शिकायतें रहती हैं, नहीं रहती हैं? नहीं रहती हैं तो अच्‍छी बात है। लेकिन अगर रहती हैं तो भारत सरकार ने ‘MADAD’ नाम का एक Online Platform बनाया है, इस ‘MADAD’ नाम के Online Platform का उपयोग दुनिया भर में फैले हुए हमारे भारतीय भाई, बहन उसका उपयोग कर सकते हैं, ताकि आपकी बात आगे पहुंच सकती है। मोबाइल फोन के द्वारा भी आप उनका सम्‍पर्क कर सकते हैं। एक, दूसरा काम किया है, E-migrate portal शुरू किया गया है। जिसके द्वारा इस प्रकार सके हमारे प्रवासी भारतीयों को कोई शिकायत हो, कोई कठिनाई हो, तो उनको Emigration Office के चक्‍कर काटने नहीं पड़ेंगे ये E-migrate portal पर अपनी बात रख करके वो मदद ले सकता है, इसकी एक व्‍यवस्‍था की गई है, क्‍यों यहां दूर-दूर से आपका वहां जाना, बहुत तकलीफ होती है। मुझे ये भी बताया गया कि कही- कहीं पर E-migrate Portal का उपयेाग करने में नागरिकों को दिक्‍कत होती है इसके लिए मैंने हमारे Embassy को आदेश किया है कि वे ये जो Technical Problem है इसका 30 दिन के भीतर-भीतर Solution दें। आज 17 अगस्‍त है, 17 सितम्‍बर तक Solution दें, ऐसा मैंने उनसे कहा है और मुझे विश्‍वास है कि हमारे Embassy के भाई, ये जो Technical Problem कहीं-कहीं आता है, उसका रास्‍ता निकालेंगे।

एक और काम मैंने कहा है, यहां भारतीय समुदाय ज्‍यादातर workers हैं। उनके पास इतने पैसे नहीं कि एक जगह से दूसरी जगह पर वो भागते रहें और इसलिए हमने कहा है, कि हम समय-समय पर जहां हमारे भारतीय भाई समुदाय रहते हैं, वहां जा करके, Counselor Camp लगाएं। महीने में एक बार, दो महीने में एक बार, और वहीं जा करके उनसे बैठें, बातचीत करें, और उनकी समस्‍या के समाधान के लिए योग्‍य व्‍यवस्‍था करें। मैं यहां ये बातें इसलिए कह रहा हूं कि ये भू-भाग ऐसा है, के जहां मेरे गरीब तबके के भाई-बहन रहते हैं, मजदूरी करने के लिए यहां आए हुए हैं। अमेरिका के लिए कुछ कर पाऊं, या न कर पाऊं लेकिन अगर आपके लिए नहीं कुछ करता तो मैं बेचैन हो जाता हूं। और इसलिए हमने एक और काम किया है, इन दिनों विदेशों में कभी-कभी जाते हैं तो हमारे भारतीय भाई कभी-कभी संकट में जैसे अचानक बीमारी आ गई, कुछ हो गया, कभी कोई कानूनी पचड़े में फंस गए, बेचारे जेल चले गए। तो दुनिया के बाहर कौन उनको देखने वाला है? परिवार तो है नहीं, और इन हमारे कभी-कभी मुसीबत में कोई परिवार आ जाए तो उनकी मदद करने के लिए Indian Community Welfare Fund (ICWF) स्‍थापित किया गया है। सब दूतावासों को ये Welfare Fund दिया गया है, और इसलिए ऐसी मुसीबत में कोई फंस गया हो तो उनको कानून की मर्यादा में रह करके जो मदद हो सकती है, कोई अगर जेल में बंद हुआ है, तो कम से कम उसको खाना-पीना मिल जाए मानवता की दृष्‍टि से कोई व्‍यवस्‍था हो जाए, इन सारे कामों के लिए एक Fund की हमने व्‍यवस्‍था की है। हमने ये भी निर्णय किया है, इस Fund के द्वारा दूतावास, Counsel में Counselor सुविधाएं और अच्‍छी कैसे बनें, जो नागरिकों की भलाई के लिए हों, उनके लिए भी इसका उपयोग किया जाएगा। जिनको कानूनी सलाह की जरूरत पड़ेगी और अगर वो खुद इसको करने के लिए स्थिति नहीं है, कभी-कभार तो एक हजार-दो हजार का दंड बेचारा नहीं भर पाता, उसके कारण जेलों में सड़ता रहता है। ऐसे लोगों को मदद करके, भारतीय नागरिक होने के नाते उनको मदद करना इसके लिए Welfare Fund का उपयोग हो, ताकि वो संकटों से बाहर आ सकें, ये भी हमने व्‍यवस्‍था करने के लिए कहा है। मैं जानता हूं यहां पर स्‍कूलों में Admission में कितनी दिक्‍कत होती है, आपके बच्‍चों को स्‍कूलों में पढ़ाई की कितनी दिक्‍कत होती है? मैंने यहां के संबंधित लोगों से ये बात कही है और मैंने कहा है कि अधिक स्‍कूल कैसे बनें, उसकी चिन्‍ता मैंने की है, देखते हैं, मुझे विश्‍वास है कि आने वाले दिनों में उसका भी लाभ आप लोगों को मिलेगा।

मुझे विश्‍वास है मेरे भाइयो, बहनों, कि जो आपकी छोटी-मोटी बातें मेरे ध्‍यान में आई थीं, इसको पूरा करने का मैंने प्रयास किया है। मैं फिर एक बार आप सबको दृदय से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और दुनिया में कहीं पर भी मेरा भारतवासी है, तो हम पासपोर्ट का रंग नहीं देखते हैं। हमारा खून का रंग काफी है, वो धरती का नाता काफी है, और इसलिए आइए मेरे साथियो हम सब मिल करके जहां भी हों, मां भारती का माथा ऊंचा करने के लिए, गौरव से जीवन जीने के लिए एक माहौल बनाने में सक्रिय शरीक हों और आपका योगदान आपकी शक्ति सामर्थ्‍यवान आपके परिवार को भी भला करने में काम आए, देश का भी भला करने के लिए काम आए।

इसी शुभ कामनाओं के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

मेरे साथ दोनों मुट्ठी बंद करके बोलिए, भारत माता की जय। दोनों मुट्ठी पूरी बंद करके पूरी ताकत से बोलिए, भारत के कोने-कोने में, आपके अपने गांव में आवाज पहुंचनी चाहिए भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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November 22, 2024

गुटेन आबेन्ड

स्टटगार्ड की न्यूज 9 ग्लोबल समिट में आए सभी साथियों को मेरा नमस्कार!

मिनिस्टर विन्फ़्रीड, कैबिनेट में मेरे सहयोगी ज्योतिरादित्य सिंधिया और इस समिट में शामिल हो रहे देवियों और सज्जनों!

Indo-German Partnership में आज एक नया अध्याय जुड़ रहा है। भारत के टीवी-9 ने फ़ाउ एफ बे Stuttgart, और BADEN-WÜRTTEMBERG के साथ जर्मनी में ये समिट आयोजित की है। मुझे खुशी है कि भारत का एक मीडिया समूह आज के इनफार्मेशन युग में जर्मनी और जर्मन लोगों के साथ कनेक्ट करने का प्रयास कर रहा है। इससे भारत के लोगों को भी जर्मनी और जर्मनी के लोगों को समझने का एक प्लेटफार्म मिलेगा। मुझे इस बात की भी खुशी है की न्यूज़-9 इंग्लिश न्यूज़ चैनल भी लॉन्च किया जा रहा है।

साथियों,

इस समिट की थीम India-Germany: A Roadmap for Sustainable Growth है। और ये थीम भी दोनों ही देशों की Responsible Partnership की प्रतीक है। बीते दो दिनों में आप सभी ने Economic Issues के साथ-साथ Sports और Entertainment से जुड़े मुद्दों पर भी बहुत सकारात्मक बातचीत की है।

साथियों,

यूरोप…Geo Political Relations और Trade and Investment…दोनों के लिहाज से भारत के लिए एक Important Strategic Region है। और Germany हमारे Most Important Partners में से एक है। 2024 में Indo-German Strategic Partnership के 25 साल पूरे हुए हैं। और ये वर्ष, इस पार्टनरशिप के लिए ऐतिहासिक है, विशेष रहा है। पिछले महीने ही चांसलर शोल्ज़ अपनी तीसरी भारत यात्रा पर थे। 12 वर्षों बाद दिल्ली में Asia-Pacific Conference of the German Businesses का आयोजन हुआ। इसमें जर्मनी ने फोकस ऑन इंडिया डॉक्यूमेंट रिलीज़ किया। यही नहीं, स्किल्ड लेबर स्ट्रेटेजी फॉर इंडिया उसे भी रिलीज़ किया गया। जर्मनी द्वारा निकाली गई ये पहली कंट्री स्पेसिफिक स्ट्रेटेजी है।

साथियों,

भारत-जर्मनी Strategic Partnership को भले ही 25 वर्ष हुए हों, लेकिन हमारा आत्मीय रिश्ता शताब्दियों पुराना है। यूरोप की पहली Sanskrit Grammer ये Books को बनाने वाले शख्स एक जर्मन थे। दो German Merchants के कारण जर्मनी यूरोप का पहला ऐसा देश बना, जहां तमिल और तेलुगू में किताबें छपीं। आज जर्मनी में करीब 3 लाख भारतीय लोग रहते हैं। भारत के 50 हजार छात्र German Universities में पढ़ते हैं, और ये यहां पढ़ने वाले Foreign Students का सबसे बड़ा समूह भी है। भारत-जर्मनी रिश्तों का एक और पहलू भारत में नजर आता है। आज भारत में 1800 से ज्यादा जर्मन कंपनियां काम कर रही हैं। इन कंपनियों ने पिछले 3-4 साल में 15 बिलियन डॉलर का निवेश भी किया है। दोनों देशों के बीच आज करीब 34 बिलियन डॉलर्स का Bilateral Trade होता है। मुझे विश्वास है, आने वाले सालों में ये ट्रेड औऱ भी ज्यादा बढ़ेगा। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि बीते कुछ सालों में भारत और जर्मनी की आपसी Partnership लगातार सशक्त हुई है।

साथियों,

आज भारत दुनिया की fastest-growing large economy है। दुनिया का हर देश, विकास के लिए भारत के साथ साझेदारी करना चाहता है। जर्मनी का Focus on India डॉक्यूमेंट भी इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। इस डॉक्यूमेंट से पता चलता है कि कैसे आज पूरी दुनिया भारत की Strategic Importance को Acknowledge कर रही है। दुनिया की सोच में आए इस परिवर्तन के पीछे भारत में पिछले 10 साल से चल रहे Reform, Perform, Transform के मंत्र की बड़ी भूमिका रही है। भारत ने हर क्षेत्र, हर सेक्टर में नई पॉलिसीज बनाईं। 21वीं सदी में तेज ग्रोथ के लिए खुद को तैयार किया। हमने रेड टेप खत्म करके Ease of Doing Business में सुधार किया। भारत ने तीस हजार से ज्यादा कॉम्प्लायेंस खत्म किए, भारत ने बैंकों को मजबूत किया, ताकि विकास के लिए Timely और Affordable Capital मिल जाए। हमने जीएसटी की Efficient व्यवस्था लाकर Complicated Tax System को बदला, सरल किया। हमने देश में Progressive और Stable Policy Making Environment बनाया, ताकि हमारे बिजनेस आगे बढ़ सकें। आज भारत में एक ऐसी मजबूत नींव तैयार हुई है, जिस पर विकसित भारत की भव्य इमारत का निर्माण होगा। और जर्मनी इसमें भारत का एक भरोसेमंद पार्टनर रहेगा।

साथियों,

जर्मनी की विकास यात्रा में मैन्यूफैक्चरिंग औऱ इंजीनियरिंग का बहुत महत्व रहा है। भारत भी आज दुनिया का बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने की तरफ आगे बढ़ रहा है। Make in India से जुड़ने वाले Manufacturers को भारत आज production-linked incentives देता है। और मुझे आपको ये बताते हुए खुशी है कि हमारे Manufacturing Landscape में एक बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है। आज मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग में भारत दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा टू-व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। दूसरा सबसे बड़ा स्टील एंड सीमेंट मैन्युफैक्चरर है, और चौथा सबसे बड़ा फोर व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री भी बहुत जल्द दुनिया में अपना परचम लहराने वाली है। ये इसलिए हुआ, क्योंकि बीते कुछ सालों में हमारी सरकार ने Infrastructure Improvement, Logistics Cost Reduction, Ease of Doing Business और Stable Governance के लिए लगातार पॉलिसीज बनाई हैं, नए निर्णय लिए हैं। किसी भी देश के तेज विकास के लिए जरूरी है कि हम Physical, Social और Digital Infrastructure पर Investment बढ़ाएं। भारत में इन तीनों Fronts पर Infrastructure Creation का काम बहुत तेजी से हो रहा है। Digital Technology पर हमारे Investment और Innovation का प्रभाव आज दुनिया देख रही है। भारत दुनिया के सबसे अनोखे Digital Public Infrastructure वाला देश है।

साथियों,

आज भारत में बहुत सारी German Companies हैं। मैं इन कंपनियों को निवेश और बढ़ाने के लिए आमंत्रित करता हूं। बहुत सारी जर्मन कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने अब तक भारत में अपना बेस नहीं बनाया है। मैं उन्हें भी भारत आने का आमंत्रण देता हूं। और जैसा कि मैंने दिल्ली की Asia Pacific Conference of German companies में भी कहा था, भारत की प्रगति के साथ जुड़ने का- यही समय है, सही समय है। India का Dynamism..Germany के Precision से मिले...Germany की Engineering, India की Innovation से जुड़े, ये हम सभी का प्रयास होना चाहिए। दुनिया की एक Ancient Civilization के रूप में हमने हमेशा से विश्व भर से आए लोगों का स्वागत किया है, उन्हें अपने देश का हिस्सा बनाया है। मैं आपको दुनिया के समृद्ध भविष्य के निर्माण में सहयोगी बनने के लिए आमंत्रित करता हूँ।

Thank you.

दान्के !