Today there is a wave of development and trust in Assam: PM Modi

Published By : Admin | March 18, 2021 | 15:07 IST
Today there is a wave of development and trust in Assam. There is only one issue in Assam today — development: PM Narendra Modi
In 2016, when I came here, I was shocked to know that Congress govts ran Divisional Commissioner for Barak Valley from Guwahati. NDA govt has overcome this injustice: PM Modi
Addressing a rally in Karimganj in poll-bound Assam, PM Modi attacks the Congress party for its 'vote bank politics'
Our double engine government is giving a lot of encouragement to the fisheries business. Therefore, a separate Ministry of Fisheries has been created at the Center: PM Modi in Assam
PM Modi blames Congress' corruption for making Assam one of the 'most disconnected states in India'

नोमोष्कार करीमगंज, एबोंग बराक बाशी जनोसाधारोन! सोब भाला असोइन ने? आगंतुक दौल उत्सव उपलक्षते समस्त बराकबासीदेर जानाच्छि आंतरिक शुभेच्छा !! तारसंगे आगामी, बांग्ला नव वर्षेर अनेक शुभकामना !!

बराक वैली ने कचार केशरी सनत दास, उल्लासकर दत्ता, द्वारका प्रसाद तिवारी, अरुण कुमार चंदा, इंदुप्रभा देवी, संबोधन फोंगलोसा ऐसे अनेक महान व्यक्तित्व देश को दिए हैं। असम पर वीर लचित बोरफुकन जैसे महान और पुण्य व्यक्तित्व का आशीर्वाद रहा है, जिन्होंने असम को, भारत को विदेशी आक्रांताओं से बचाने में अहम भूमिका निभाई है। आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो वीर लचित बोरफुकन से लेकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस तक, हर देशवासी, अपने राष्ट्र निर्माताओं को नमन कर रहा है।

बहनो और भाइयो,

ये सुखद संयोग ही है कि आज असम में अपनी चुनावी सभाओं का आरंभ मैं बराक वैली के द्वार से, गेटवे से कर रहा हूं। बराक वैली सिर्फ असम में एंट्री का ही गेटवे नहीं है, बल्कि असम में बीजेपी की डबल इंजन सरकार का भी गेटवे है। 3 दशक पहले जब देश में भाजपा का उतना विस्तार नहीं हुआ था, तब भी बराक वैली ने 15 में से 9 सीटें भाजपा को दी थी। इन वर्षों में भाजपा आपके बीच रहकर, आपकी आवाज़ बनती रही। 5 साल के विकास और विश्वास पर इस बार बराक वैली सहित पूरा असम भाजपा को, एनडीए को पिछली बार से भी प्रचंड मत देने के लिए आज आतुर नजर आ रहा है। आज असम में विकास की लहर है, विश्वास की लहर है। आज असम में शांति का विश्वास है, समृद्धि का विश्वास है। आज असम में एक ही मुद्दा है- विकास, तेज़ विकास, निरंतर विकास, सबका विकास। 

साथियो,

दशकों पहले ये पूरा क्षेत्र बेहतर कनेक्टिविटी वाले हिस्सों में से एक था। चाय से लेकर पेट्रोलियम तक, चट्टग्राम और कोलकाता पोर्ट तक ब्रह्मपुत्र-पदमा-मेघना नदियों के रास्ते ही पहुंचते थे लोग। लेकिन वर्षों तक चली कांग्रेस की करप्शन और वोट बैंक की राजनीति ने असम को सबसे अधिक Disconnected राज्यों में शामिल कर दिया।

करीमगंज के मेरे प्यारे भाइयो-बहनो… आप जहां हैं वहां खड़े रहिए… आपका प्यार सर आंखों पर… मैं आपके प्यार को सलाम करता हूं, लेकिन आप वहीं रहिए… आगे आने की कोशिश मत कीजिए, आपके प्यार के लिए आपके आशीर्वाद के लिए.. मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं।

मेरे प्यारे भाइयो-बहनो,            

कांग्रेस सरकारों और उनकी नीतियों ने असम को सामाजिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक और राजनीतिक, हर तरह से नुकसान पहुंचाया।

साथियो,

2016 में जब मैं यहां आपके बीच आया था, तो ये जानकर हैरान रह गया कि कांग्रेस की सरकारें बराक वैली के लिए डिविजनल कमीशनर गुवाहाटी से चलाती रहीं। ये कितना बड़ा अन्याय था? मुझे खुशी है कि NDA सरकार ने इस अन्याय को दूर किया। बराक वैली के लोगों को छोटे-छोटे सरकारी कामों के लिए दूर ना जाना पड़े, यहां दवाई और पढ़ाई से जुड़े संस्थान बनें, इसके लिए सर्बानंद जी और उनकी सरकार ने जो काम किया है, वो काम यहां के लोग सदा सर्वदा प्रशंसा करते रहे हैं।

बहनो और भाइयो, 

यहां बराक वैली की रेल कनेक्टिविटी की क्या स्थिति थी, इसको लेकर हर बार यहां से आवाज उठती थी मांग उठती थी। सड़कें खस्ताहाल थीं, रेल नेटवर्क सीमित था। असम के अलग-अलग हिस्सों में जाने के लिए लोगों को बहुत लंबा सफर तय करना पड़ता था। गैस कनेक्टिविटी को लेकर भी असम की स्थिति अच्छी नहीं थी। भाजपा सरकार इस स्थिति से असम को तेजी से बाहर निकाल रही है।

बहनो और भाइयो,

आज असम में नई सड़कें बन रही हैं, नए फ्लाइओवर बन रहे हैं, नए पुल बन रहे हैं। बरसों से अटके हुए, भारत के सबसे लंबे ब्रिज- भूपेन हजारिका सेतु का निर्माण किसने पूरा करवाया? भाजपा की ही सरकार ने ये काम किया। असम को मेघालय से जोड़ने के लिए इससे भी बड़े धुबरी-फूलबारी ब्रिज का निर्माण कौन करवा रहा है? भाजपा की सरकार करवा रही है। देश का सबसे लंबा river ropeway असम को किसने दिया? भाजपा की सरकार ने दिया। किसने बरसों से अधूरे पड़े भारत के सबसे लंबे रेल-रोड ब्रिज- बोगीबील ब्रिज का काम पूरा करवाया? भाजपा की सरकार ने किया। चाहे एयर रूट हो, रेल रूट हो, हाईवे हो, हम हर प्रकार से असम की भारत के अन्य हिस्सों में कनेक्टिविटी को मजबूत कर रहे हैं। और इनसे भी बढ़कर हमने एक और कनेक्शन बनाया है, जिसे तोड़ना असंभव है। ये कनेक्शन है-असम के सामर्थ्यवान और प्रतिभाशाली लोगों से दिल का कनेक्शन। आप तो अनुभव करते हैं कि करीमगंज से सिलचर जाने के पहले कितना वक्त लगता था और अब कितना कम लगता है। असम की भाजपा सरकार ने, NDA सरकार ने, सड़कों के निर्माण में जो बेहतरीन काम किया है, उसकी प्रशंसा देशभर से यहां आने वाले पर्यटक भी करते हैं। लुमडिंग-सिलचर रेल लाइन का चौड़ीकरण मिशन मोड पर किया गया, आज बड़ी ट्रेनें भी यहां पहुंच रही हैं। 6 साल पहले तक सिलचर से लुमडिंग और अगरतला तक लगभग आधा दर्जन ट्रेनें चलती थीं, आज ये संख्या करीब-करीब दोगुनी हो चुकी है। आज बराक वैली, दिल्ली, गुवाहाटी, डिब्रुगढ़, कोलकाता, त्रिवेंद्रम और अगरतला से कनेक्ट हो चुकी है। 

बहनो और भाइयो,

आज बराक वैली के, असम के पुराने गौरव को फिर लौटाने के लिए, पारंपरिक ट्रेड रूट को फिर से मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है। आज नदी जलमार्गों को बड़े कार्गो के परिवहन के लिए भी तैयार किया जा रहा है। सिलचर में मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क विकसित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि ये क्षेत्र इंपोर्ट-एक्सपोर्ट का हब बन सके। इससे यहां के हज़ारों युवाओं को रोज़गार मिलेगा। इससे यहां के किसानों की उपज आसानी से, देश और दुनिया के बाज़ारों तक पहुंच सकेगी।

साथियो,

सिर्फ फिजिकल कनेक्टिविटी ही नहीं, बल्कि सौहार्द की, संस्कृति की कनेक्टिविटी को भी बीते 5 सालों में मज़बूत किया गया है। भुवन तीर्थ शिव मंदिर, कासाकांटी देवी मंदिर, सिद्धेश्वर शिवबारी, शोन बील, 1857 की सिपाही क्रांति का प्रतीक War Memorial, ये सब बराक वैली की पहचान हैं। नमामि बराक फेस्टिवल, से बराक वैली की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक पहचान को एनडीए सरकार ने मज़बूती दी है। कांग्रेस ने असम को हर प्रकार से Divide रखा, भाजपा ने असम को हर प्रकार से Connect करने का प्रयास किया। बराक-ब्रह्मपुत्र, पहाड़-भैयाम- हर क्षेत्र का एक समान विकास। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास- यही भाजपा का विकास का मंत्र है।

भाइयो और बहनो, 

आज गरीब से गरीब को, चाहे वो किसी भी मत-मज़हब का हो, उसको सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिल रहा है, बिना किसी भेदभाव के मिल रहा है। कोरोना संकट के दौरान महीनों तक मुफ्त राशन हो, आर्थिक मदद हो या मुफ्त गैस सिलेंडर, हर लाभार्थी को बिना किसी भेदभाव के दिया गया है। आज दलित को, आदिवासी को, असम में बिजली और गैस कनेक्शन मिला है। हर गरीब को पक्का घर मिले, इसके लिए भी तेजी से काम हो रहा है। आयुष्मान भारत योजना के तहत असम में डेढ़ लाख से ज्यादा मरीज़ों को मुफ्त इलाज मिल चुका है। बराक वैली सहित असम के 27 लाख किसान परिवारों को सैकड़ों करोड़ रुपए पीएम किसान सम्मान निधि से सीधे मिल चुके हैं। इतना ही नहीं, करीमगंज सहित पूरी बराक वैली की बहनों को अब घर में पाइप से जल पहुंचाने के लिए मिशन मोड पर काम चल रहा है।

बहनो और भाइयो,

यहां जो Tea Garden में काम करने वाले साथी हैं, उनके विकास के लिए असम की सरकार विशेष प्रयास कर रही है। असम की भाजपा सरकार ने लाखों भूमिहीन साथियों को पट्टे दिए हैं, बच्चों की पढ़ाई के लिए अनेकों नए स्कूल खोले हैं और ये काम लगातार चल रहा है। टी गार्डन में काम करने वाली गर्भवती महिलाओं को हज़ारों रुपए की मदद दी जा रही है, ताकि वो खुद की और बच्चों की सेहत का ध्यान रख सकें। हाल में केंद्र सरकार ने बजट में चाय बगान में काम करने वाले साथियों के लिए 1000 करोड़ रुपए का विशेष प्रावधान किया है। इससे चाय बगान में काम करने वाले हर परिवार के जीवन को बेहतर बनाने में बहुत मदद मिलेगी। जो अनुसूचित जाति उसके हमारे बंधु है, जो SC वर्ग के युवा है, उनको 10वीं के बाद पढ़ाई में मदद के लिए केंद्र सरकार नई योजना लेकर आई है। इस योजना के तहत मैट्रिक के बाद की स्कॉलरशिप में काफी वृद्धि की गई है। इसका लाभ बराक वैली समेत, पूरे असम के SC वर्ग के बच्चों को होने वाला है।

साथियो,

बराक वैली में तो फिशरीज़ के लिए, मछली पालन के लिए अनेक संभावनाएं हैं। हमारी डबल इंजन की सरकार मछली से जुड़े व्यापार-कारोबार को बहुत अधिक प्रोत्साहन दे रही है। इसलिए मछली पालन से जुड़े कारोबार के लिए केंद्र में अलग से फिशरीज मंत्रालय बनाया गया है। फिशरीज सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए 20 हज़ार करोड़ रुपए की मत्स्य संपदा योजना शुरू की गई है। मुझे खुशी है कि असम में भी मछली उत्पादन में बीते 5 साल में 25 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। यहां की भाजपा सरकार, एनडीए सरकार अब असम को मछली के क्षेत्र में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनने के लक्ष्य पर काम कर रही है। इसका बहुत बड़ा लाभ बराक वैली के आप सभी साथियों को, हर वर्ग के परिवार को होगा। 

बहनो और भाइयो,

आज एक तरफ भाजपा की नीति है, भाजपा का नेतृत्व है और भाजपा की नेक नीयत भी है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस है- जिसके पास ना तो नेता है, ना ही नीति है और ना ही विचारधारा है। आज कांग्रेस इतनी कमजोर हो गई है कि किसी भी हद तक जा सकती है, किसी के साथ भी हाथ मिला सकती है। ये विचित्र स्थिति आज पूरा देश देख रहा है। पश्चिम बंगाल में जिन वामपंथियों के साथ वो लाल-सलाम कर रहे हैं, उन्हीं के साथ केरल में नूरा-कुश्ती चल रही है। एक राज्य में जिसको गाली देते हैं, दूसरे राज्य में उसको गले लगाते हैं। कांग्रेस का ये कन्फ्यूजन, हर तरफ है। आप सोचिए, जिस पार्टी की सोच ही स्थिर नहीं हो, वो क्या असम में स्थिर सरकार दे पाएगी क्या? दे पाएंगे क्या? दे सकते हैं क्या? असम का भला कर सकते हैं क्या? आपका भविष्य बना सकते हैं क्या? यहां असम में देखिए, कांग्रेस किसके भरोसे मैदान में है भाई? जिन लोगों की राजनीति से यहां के कांग्रेस कार्यकर्ता दशकों से लड़ रहे हैं, जूझ़ रहे हैं, आज कांग्रेस का हाथ उसी ताला-चाबी को लेकर घूम रहा है। 

साथियो, 

वोट के लिए किसी को भी धोखा देना ये इनके जेहन में है, इनके स्वभाव में है। यहां असम में भी धोखे और भ्रम का एक वीडियो मुझे भी देखने का मौका मिला है। आपने भी जरूर देखा होगा। इस वीडियो में यहां के कांग्रेस के नेता आपस में मंच पर ही, झूठ का घोषणापत्र बना रहे हैं। बताओ. और घोषणापत्र बनाने में बहुत मेहनत लगती है। लोगों के विचारों को जानना पड़ता है, विचार-विमर्श करता है। खजाने की स्थिति क्या है ये समझनी पड़ती है। लेकिन कांग्रेस का घोषणापत्र तो सिर्फ घोषणाओं के लिए होता है, इसलिए वो 2-3 लोग मंच पर ही घोषणापत्र बना लेते हैं। इस वीडियो में वो अपनी कलई, अपना झूठ खुद ही खोल देते हैं। वो कहते हैं कि सिर्फ घोषणा कर दो, घोषणाएं पूरा करने के लिए नहीं होती हैं। ये कांग्रेस के नेता खुद कबूल कर रहे हैं। वीडियो मौजूद है। यही काम इन्होंने देशभर में किया है। ये लोग जानते ही नहीं कि देश की जनता कितनी समझदार है। अब देश की जनता की आंखों में धूल नहीं झोंक सकते हो। ये लोग जमीनी सच्चाइयों से पूरी तरह कट चुके हैं।

बहनो और भाइयो,

भाजपा की सरकार के लिए हमेशा देशहित सर्वोपरि रहा है, देश का विकास सर्वोपरि रहा है। दशकों से नॉर्थ ईस्ट को जिस तरह विकास में नजरंदाज किया गया, भाजपा सरकारें, उसे मिलकर सुधार रही हैं। हम नॉर्थ ईस्ट को देश के विकास का प्रमुख केंद्र बना रहे हैं। और इसमें असम की बहुत बड़ी भूमिका है। यहां डबल इंजन की सरकार, असम के लोगों को सशक्त करने का काम कर रही है।

साथियो,

विकास से कोई वर्ग, कोई क्षेत्र छूटे ना, हर कोई आगे बढ़े। इसी नीति वाली डबल इंजन की सरकार को अब आपको और मजबूत बनाना है। इस बार NDA को पहले से भी अधिक ताकत से विजय दिलानी है। इस बार का आपका वोट, असम के लोकल टैलेंट को, लोकल आर्ट को, लोकल सामान के प्रति वोकल होने के लिए है। इस बार आपका वोट, असम को आत्मनिर्भरता की तरफ ले जाने के लिए है। हम मिलकर विकास के नए आयाम तय करेंगे। इसी विश्वास के साथ आप सभी का मैं धन्यवाद करता हूं। और मैं देख रहा हूं. इतनी बड़ी तादाद में आप आशीर्वाद देने के लिए आए हैं। वहां दूर मैं लोगों को देख रहा हूं। 

भाइयो-बहनो,

ये आपका विश्वास है, ये आपका स्नेह है और ये असम के लिए आपके सपनों का संकल्प भी है। मैं आज आपको विश्वास दिलाने आया हूं। पिछले पांच साल में हमने जिस तेजी से काम किया है आने वाले पांच साल उस से भी तेजी से काम करेंगे। 

भाइयो-बहनो, 

मैं एक बार फिर आपसे आग्रह करूंगा, अब चुनाव सामने है, इस सभा के बाद आप घर-घर जाएंगे? घर-घर जाएंगे? लोगों को मिलेंगे? मेरी बात पहुंचाएंगे? भाजपा को जिताएंगे? एनडीए को जिताएंगे? फिर से सरकार मजबूत बनाएंगे? संकल्प ले के निकलेंगे? एक-एक घर जाएंगे? एक-एक मतदाता को लेकर मतदान केंद्र तक जाएंगे? पक्का करेंगे? .. 

 

बहुत-बहुत धन्यवाद।

 

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!