QuoteWith our mantra of ‘Sabka Saath, Sabka Vikas’ we continuously worked towards enhancing the quality of life of our citizens: PM Modi
QuoteWhile I have my performance record of having served the people of this country tirelessly, the ‘Mahamilawati’ leaders have nothing but their falsehood campaigns to rely on: PM Modi in M.P.
QuoteThe Congress government here has given a free pass to hooligans and anti-social elements and hence crime is rapidly rising in M.P. : Prime Minister Modi

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय

मां क्षिप्रा और मां अहिल्याबाई की इस पवित्र नगरी को यहां के लोगों को सादर प्रणाम। मैं एयरपोर्ट पर तो समय पर आ गया था। लेकिन यहां पहुंचने में विलंब हुआ, और विलंब इसलिए हुआ कि आज इंदौर ने जो अभूतपूर्व प्रेम दिखाया। जो आशीर्वाद दिए, एयरपोर्ट से यहां तक दोनों तरफ ह्यूमन वॉल था। शायद मैं भाषण न करता और इतना रोड शो कर के चल जाता तो भी पूरे मध्य प्रदेश के अखबार भरे रहते कि मोदी का रोड शो जबरदस्त हुआ। इतना प्यार, आज इंदौर ने मेरे दिल को छू लिया है। पुरातन भारत की आस्था अध्यात्म से लेकर नए हिंदुस्तान के नए अंदाज नए एटीट्यूड का अगर कोई शहर प्रतीक है तो उस शहर का नाम इंदौर है। इंदौर ने अहिल्याबाई होल्कर के रुप में काशी सहित पूरे भारत में अध्यात्म और मानवता की भलाई के लिए प्रेरणादायक नेतृत्व दिया तो बीते पांच वर्षों में स्वच्छ भारत अभियान के लिए भारत की अगुवाई की। मां अहिल्याबाई ने काशी में बाबा विश्वनाथ मंदिर के लिए जो सपना देखा था उसको बाबा के आशीर्वाद से पूरा करने की कोशिश आज मेरे काशीवासी कर रहे हैं। बनारस का एक सांसद होने के नाते मुझे इस बात का विशेष गर्व है। इंदौर से मेरा विशेष स्नेह इसलिए भी रहा है कि ये सुमित्रा ताई का शहर है। इस शहर ने उन्हें चुनकर के देश की सेवा करने के लिए भेजा। संसद में भेजा। और स्पीकर के तौर पर सुमित्रा ताई की उन्होंने जो कुशलता से संयम से कार्य किया, उससे न सिर्फ मैं जो भी पार्लियामेंट चल रही उस समय अगर टीवी देखने के आदी थे उन सबके मन पे ताई ने एक अमीट छाप छोड़ी है, और बहुत कम लोगों को मालूम होगा आपको इतना लगेगा कि मोदी जी प्रधानमंत्री हैं। लेकिन हमारी पार्टी में मोदीजी को भी अगर कोई डांट सकता है तो ताई डांट सकती हैं।

सुमित्रा ताई इस बार इस पूरे मध्य प्रदेश के चुनाव को लड़ा रही है और एक नया इतिहास बना रही है। लेकिन सथियो, मुझे ताई जी के साथ संगठन में काम करने का मौका मिला, हमने एक साथी के रुप में काम किया है। उनका कार्य के प्रति समर्पण सामान्य मानवी की जिंदगी के लिए कुछ कर गुजरने के उनके इरादे इन सबको ध्यान में रखते हुए मैं इंदौर को विश्वास दिलाता हूं कि शहर के विकास में ताई जी की कोई भी इच्छा अधूरी नहीं रहेगी। मैं कभी कमी नहीं आने दूंगा। ये विश्वास देने के लिए मैं आज इंदौर वासियों के पास आया हूं। साथियो, इंदौर और मध्य प्रदेश का मैं एक और बात के लिए आभारी हूं। आपने मेरे एक आग्रह को बहुत गंभीरता से सफल बनाया और वो स्वच्छ भारत अभियान, स्वच्छ भारत अभियान अगर भारत के सामान्य मानवी की सोच तक पहुंचा है तो इसके हकदार इंदौर के मेरे सभी भाई-बहन हैं। साथियो, हमने अक्सर देश में सत्तारूढ़ सरकार को हटाने के लिए जनता को खड़े होते देखा है। लेकिन इस बार कश्मीर से कन्याकुमारी, कच्छ से कामरूप, इस बार इस सरकार को दोबारा चुनने के लिए देश खड़ा हो गया है। अक्सर ये भी कहा जाता है कि देश का वोटर बहुत साइलेंट होता है। लेकिन इस बार जनता बोल रही है। जोर जोर से बोल रही है। और यही कारण है कि बहुत सारे नेता जिनकी नींद हराम हो गई है। अब उन्होंने बोलने में संतुलन भी खो दिया है। बौखलाएं हैं, साथियो, 2014 का चुनाव एंटी इनकंबेंसी का था, 2019 का चुनाव प्रो इनकंबेंसी का है। 2014 में भ्रष्टाचार, वंशवाद और पॉलिसी पैरालिसिस के खिलाफ आक्रोश चरम पर था। 2019 में जनता का विश्वास चरम पर है। 2014 में देश ने मोदी और मोदी के काम के बारे में सिर्फ सुना था।

2019 में देश मोदी के काम को जानने लगा है। 2019 का चुनाव केवल भारतीय जनता पार्टी नहीं लड़ रही है। बल्कि 2019 का चुनाव भारतीय जनता लड़ रही है। 130 करोड़ देशवासी इस चुनाव का नेतृत्व कर रहे हैं। साथियो, मेरी निष्ठा, मेरी नीयत और मेरी नीति का आकलन कम ज्यादा हो सकता है। लेकिन मेरे इरादों में कोई खोट नहीं निकाल सकता। ऐसा इसलिए है क्योंकि मैं जनता के बीच में रहता हूं, जनता से निरंतर संवाद करता हूं। मैंने कभी भी एयर कंडीशनर कमरों में बैठकर के मौज-मस्ती नहीं मारी है। नीति निर्माण पर मैंने बाबूगिरी की दुनिया छोड़ कर के जनभागीदारी से देश में परिवर्तन लाने का प्रयास किया है। भाइयो-बहनो, बीते पांच वर्ष में हमने टेक्नोलॉजी और ट्रॉंसपरेंसी इस पर विशेष ध्यान दिया है। आज आप देखिए टेक्नोलॉजी के मामले में भारत की ग्लोबल स्टैंडिग कहां पहुंची है। देखते ही देखते भारत दुनिया का तीसरा बड़ा स्टार्ट सिस्टम बन गया है। हमारे युवा साथियों को भरपूर अवसर मिल सके इसके लिए आने वाले पांच वर्षों में हम इस इको सिस्टम को स्टार्ट अप की फंडिग को और सशक्त करने वाले हैं। भाइयो-बहनो, जो अगली औद्योगिक क्रांति है वो डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और टैंलेट पर ही आधारित होगी। इसके लिए हम देश को तैयार कर रहे हैं। आज देश भर के स्कूलों में हम 6th क्लास के बच्चों को ही अटल टिंकरिंग लैब उपलब्ध कर रहे हैं। ये भारत की शिक्षा व्यवस्था में एक व्यापक सुधार है। भविष्य में यही से स्टार्ट अप और टेक्नोलॉजी के लिए हमारा टेंपारमेंट विकसित होने वाला है। भाइयो-बहनो, यही नए संस्थान नए भारत की नई पहचान बनने वाले हैं। हमारे युवा साथियों की आकांक्षाओं को उड़ान देने वाले हैं। डिजिटल टेक्नोलॉजी को जिस प्रकार हमने गवर्नेंस का हिस्सा बनाया है। उससे मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस उस सपने  साकार ककरने में बहुत मदद मिली है। बीते पांच वर्षों में फैसले लेने की प्रकिया तेज हुई है। सर्विसेस की डिलीवरी सटीक और फास्ट हुई है। और सबसे बड़ी बात जनता की पहुंच सिस्टम तक बढ़ी है। और सिस्टम में ट्रांसपेरेंसी आई है। साथियो, जन धन, आधार और मोबाइल यानी JAM जैम की ट्रिनिटी से बीते पांच वर्ष में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक, इंदौर वालों ये सुनकर के पको आश्चर्य होगा।

पांच वर्ष में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हिंदुस्तान का खजाना, जिस पर आपका अधिकार है। हिंदुस्तान के खजाने के मालिक आप है। लेकिन पहले ऐसी सरकारें चलती थी 1 लाख करोड़ रुपया, ये आंकड़ा मामूली नहीं है। सरकारी तिजोरी में से आया हुआ रुपया गलत हाथों में चला जाता था। मोदी ने उसे रोक लिया है दोस्तों। वही पांच वर्ष में करीब 6 लाख करोड़ रुपया का डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, सीधे लाभार्थियों के खाते में गया है। यानी बिचौलिए भी गायब और देश के ईमानदार टैक्स पेयर के लिए उनके जो पैसे की लूट होती थी उस लूट को भी मैंने बचा लिया है। साथियो, ये पहली सरकार है जिसने ईमानदार टैक्स पेयर को इतना सम्मान दिया है। ये पहली सरकार है जिसने मिडिल क्लास की जरूरतों को उसकी आशाओं, आकाक्षाओं को इतना मान और सम्मान दिया है। आज देश में पांच लाख रुपये की आय पर कोई टैक्स नहीं है। ये मांग देश का मिडिल क्लास सालों से कर रहा था ये काम भी इस चौकीदार ने कर दिया। हमने महंगाई कम की है, घर की EMI कम की है। भाइयो-बहनो, बढ़ाने के लिए हम देश में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का जाल बढ़ा रहे हैं। भाइयो-बहनो, आज मेक इन इंडिया एक बहुत बड़ा ब्रांड बनकर उभर रहा है। यहां इंदौर में ही सुपर कॉरिडोर सहित आईटी पार्क और बिजनेस पार्क है। करीब पांच हजार छोटे-बडे उद्योग चल रहे हैं। आज भारत ऑटो, रेल कोट, डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में बहुत तरक्की कर रहा है। मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग में हम दुनिया के दूसरे नंबर के देश हो गए हैं।

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आप सभी को याद होगा कि विधानसभा चुनाव के दौरान एक नामदार यहां आकर कह गए थे कि मेक इन इंदौर और मेक इन मंदसौर मोबाइल फोन बनाउंगा, ऐसा कहा था न, कहा था कि नहीं कहा था? इंदौर वाले भूल जाते हैं। कहा था? किसने कहा था? लेकिन इतना गाजे बाजे से कहा और यहां की मीडिया ने बहुत आन बान शान से ये छापा भी। जरा विशेष कृपा रहती है उन पर, लेकिन कांग्रेस के पूरे मेनिफेस्टो में ये वादा भूला दिया गया है उल्लेख तक नहीं है। कोई अखबार वाला लिखेगा नहीं। फिर सरकार बदल गई है न। खैर कांग्रेस के लिए ये कोई नई बात नहीं है। उनका तो अहंकार तीन शब्दों में प्रकट होता है। ये तीन शब्द कांग्रेस के अहंकार की पहचान है। ये तीन शब्द कांग्रेस देश के लोगों की तरफ कैसे देखती है उसका जीता जागता सबूत है। ये तीन शब्द ये ऐसे शब्द है जिसको सुनने के बाद हिदुतान के सार्वजनिक जीवन में कांग्रेस को और उसके महामिलावटी साथियों को एक दिन भी सार्वजनिक जीवन में रहने का अधिकार नहीं है। ये तीन शब्द कौन से हैं? कौन से हैं? कौन से हैं? कौन से हैं? पहले तो इंदौर वालों को सलाम क्योंकि आपको मालूम है, आप जागरूक हैं। अभी नामदार के गुरु ने और ये कोई व्यक्ति नहीं बोल रहा, ये कांग्रेस पार्टी का अहंकार बोल रहा है, कांग्रेस पार्टी की सोच बोल रही है। और क्या बोला? हुआ तो हुआ। हुआ तो हुआ। हुआ तो हुआ। हुआ तो हुआ। किसानों का दो लाख तक का कर्ज माफ होना था किसानों के घर आज पुलिस आ रही है।

बैंक किसानों को कर्ज नहीं दे रहे और ये कहते हैं हुआ तो हुआ। ये कहते हैं पूरी ताकत से बोलो उनको सुनाई दें। ये कहते हैं हुआ तो हुआ। ये कहते हैं हुआ तो हुआ। ये कहते हैं हुआ तो हुआ। ये कहते हैं हुआ तो हुआ। और इंदौर की जनता कहती है इनफ इज इनफ बहुत हो गया। मध्य प्रदेश की जनता पूछ रही है कि बिजली के बिल की बजाय बिजली की सप्लाई हाफ क्यों हुई? कांग्रेसी कहते हैं हुआ तो हुआ। कांग्रेसी कहते हैं हुआ तो हुआ। कांग्रेसी कहते हैं हुआ तो हुआ। यहां का कर्मचारी पूछ रहा है कि बेवजह मेरा ट्रांसफर क्यों हुआ? ये कहते हैं हुआ तो हुआ। ये कहते हैं कि हुआ तो हुआ। इतना अहंकार इनमें भरा हुआ है। ये सोचते हैं कि कुछ भी अनाप-शनाप बोलेंगे और लोग मान लेंगे। कांग्रेस वाले समझ लो ये 20वीं शताब्दी नहीं है। ये 21वीं शताब्दी है चार साल का बच्चा भी जानता है आप कौन हो। इंदौर के मेरे प्यारे भाइयो-बहनो, वंशवाद के पेड़ पर चढ़कर इन लोगों को पार्टी की कमान तो मिल सकती है लेकिन, सोच और विजन नहीं मिल सकता है। जव विजन नहीं होता, जब ट्रैक रिकॉर्ड ठीक नहीं होता तो सिर्फ और सिर्फ झूठ का सहारा लेना पड़ता है, झूठ फैलाना पड़ता है। यही कारण है कि आज कांग्रेस देश की डिफेंस पॉलिसी हमारी रक्षा नीति ये डिस्कस ही नहीं करना चाहती। कांग्रेस कहती है कि मोदी आतंकवाद का मुद्दा क्यों उठाता है। आप मुझे बताइए उठाना चाहिए कि नहीं चाहिए? ऐसे जवाब नहीं चलता इंदौर वाले तो दिल खोलकर के बोलते हैं। पोहा खिलाते हैं तो प्यार से खिलाते हैं। आप मुझे बताइए इस देश में आतंकवाद की चर्चा होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? ये इंदौर महानगरपालिका का चुनाव है क्या? ये हिंदुस्तान का चुनाव है, इंदौर महानगरपालिका के चुनाव में खम्बे, बिजली, पाइप, बगीचा, सफाई, गट्टर, पानी ये तो मैं समझ सकता हूं। लेकिन क्या हिदुस्तान का चुनाव होगा, जिस हिंदुस्तान की सरकार रक्षा बजट बनाती है। जो हिंदुस्तान की सरकार को सीमा की रक्षा की जिम्मेदारी होती है। जिसे देश में आय दिन 2014 के पहले बम धमाके होते थे। बम धमाके होते थे। बम धमाके होते थे कि नहीं होते थे? पुणे में हुआ कि नहीं हुआ ? बनारस में हुआ कि नहीं हुआ? अयोध्या में हुआ कि नहीं हुआ ? दिल्ली में हुआ कि नहीं हुआ? मैं इतनी बड़ी लिस्ट बता सकता हूं। 2014 के बाद बंद क्यों हो गया भाई? क्यों बंद हो गया? क्यों बंद हो गया? क्या कारण है? क्यों बंद हो गया? अरे आप इंदौर वालों ने गलत जवाब दे दिया। इंदौर वाले गलती नहीं कर सकते जी। इंदौर वालों ने गलत जवाब दे दिया, आप कहते हैं मोदी ने किया आपका जवाब गलत है ये आपके एक वोट ने किया है। ये आपके वोट की ताकत है जो देश आज मजबूती से घर में घुसकर के मारता है। कांग्रेस के लिए सिर्फ एक ही मुद्दा है मोदी हटाओ, मोदी हटाओ।

भाइयो-बहनो, ये वही कांग्रेस है जिसकी गलत नीतियों के चलते देश में आतंकवाद और नक्सलवाद को बल मिला। इनकी सुरक्षा नीति इतनी कमजोर थी कि सैकड़ों लोग बम धमाकों में मारे जाते थे। लेकिन इनके मुंह से आवाज नहीं निकलती, दुनिया इनकी बात मानने को तैयार नहीं थी। पाकिस्तान ने पूरी दुनिया में ये फैला दिया कि भारत में आतंकवाद तो भारत की अंदुरुनी समस्या है। आय दिन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर का कश्मीर-कश्मीर-कश्मीर का राग गाया जाता था। साथियो, बीते पांच वर्ष से सब कुछ बंद हो गया। अब पाकिस्तान को हर जगह पर जाकर के जवाब देना पड़ता है कि वो आतंकवाद करेंगे कि नहीं करेगा। भाइयो-बहनो, और ये मोदी है आप इंदौर वाले मुझे जानते हो न। भाइयो-बहनो, ये नया हिंदुस्तान है, अब भारत घर में घुसकर के मारता है। और उसके बावजूद भी पूरी दुनिया हमारे साथ खड़ी रहती है। पाकिस्तान की कोई सुनने को तैयार नहीं है। आप मुझे बताइए मैं सही कर रहा हूं कि नहीं कर रहा हूं? मुझे यही करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? घर में घुसकर मारना चाहिए कि नहीं मारना चाहिए? क्या रोते बैठना चाहिए क्या?  मेरे जवान मारे जाए मैं चुप रहूं क्या? आप मुझे बताइए आज इस लोकसभा के चुनाव में प्रधानमंत्री बनने की बहुत बड़ी लाइन लगी हुई है। मालूम है न? बहुत लोग कतार में खड़े हैं प्रधानमंत्री बनने के लिए। बहुत लोग हैं। कर्नाटक में तो आठ सीट लड़ने वाले भी ये सोचते हैं कि इस बार उनका नंबर लग जाएगा। 20 सीट वाले भी सोचते हैं कि वो प्रधानंमत्री बन जाएंगे। 30 सीट लड़ने वाले भी बोल रहे हैं, अरे सुनो भाई, आपका प्यार मेरी सर आंखों पर, मैं बोलना शुरू करूं? अरे इंदौर वालों इतना प्यार कर रहे हो, फिर ताई को मुझे खाना खिलाना पड़ेगा।

भाइयो-बहनो, आज प्रधानमंत्री बनने की बहुत बड़ी कतार लगी हुई है। आठ सीट वाला भी सोचता है उसका नंबर लगेगा। 20 सीट लड़ रहा है वो भी सोच रहा है। 30 सीट लड़ रहा है वो भी सोच रहा है। कुछ लोगों ने तो दर्जी के पास से कपड़े भी बनवा लिए। मैं जरा आपसे पूछना चाहता हूं कि जितने चेहरे दिखाई देते हैं कौन है ? कौन है? जो आतंकवाद से लड़ सकता है? ये मुझे खुश करने के लिए मत बोलो, ये मीडिया वालों को खुश करने के लिए मत बोलो। सच बताओ, आतंकवाद से कौन लड़ सकता है? आतंकवाद से कौन मुकाबला कर सकता है? देश की रक्षा कौन कर सकता है? आपको पुन भरोसा है, मैं आपका बहुत आभारी हूं। कांग्रेस और उसके महामिलावटी देश की सुरक्षा पर बहस करने की हिम्मत नहीं कर रहे जी। क्योंकि बहस करेंगे तो उनको 70 साल के उनके पापों का हिसाब देना पड़ेगा। इसलिए भाग जाते हैं, साथियो याद करिए इन्हीं महामिलावटी लोगों के कार्यकाल में जब देश में एक साथ दो बड़े आयोजन करने में सरकार की नींद उड़ जाती थी, और इसी वजह से जब 2009 के चुनाव चल रहे थे, और 2014 के चुनाव चल रहे थे। दोनों चुनाव मई महीने में हुए और मई महीने में आईपीएल का मैच होता है। देश का नौजवान मैच देखना चाहता है। एन्जॉय करना चाहता है। आप हैरान हो जाओगे दोस्तो, याद करो, ये ऐसी सरकार बैठी थी कि 2009 और 2014 में उन्होंने कह दिया चुनाव है हम आईपीएल नहीं करवा सकते और आईपीएल चुनाव के बाहर हुआ था। जो लोग एक आईपीएल नहीं करवा सकते, और आज क्या है, देखिए सरकार बदलती है सरकार बदलती है तो क्या क्या बदलता है। आप देखिए, ये मीडिया वाले नहीं बताएंगे आपको मुझे आकर बताना पड़ रहा है। देखिए चुनाव भी हो रहा है, हो रहा है कि नहीं हो रहा? आईपीएल हो रहा है कि नहीं हो रहा है? एक तरफ देश में लोग लोकतंत्र का पर्व मना रहे हैं तो वही इसी दौरान अभी अभी नवरात्री का उत्सव गया, चैत्र नवरात्र चल रही थी, अभी-अभी रामनवमी का उत्सव गया, देश ने आन बान शान के साथ मनाया। अभी अभी हनुमान जयंती गई देश ने आन-बान-शान के साथ मनाया। अभी अभी ईस्टर का पर्व गया, पूरे देश ने ईस्टर को मनाया और अभी रमजान भी पूरी धूमधाम से मना रहा है और चुनाव भी चल रहा है।

इतना ही नहीं कुछ दिन पहले आपने ये भी देखा होगा कि बहुत बड़ा फेनी, ये फोनी चक्रवात तूफान आ गया, हिंदुस्तान के पूर्वी इलाके में और बहुत तेज गति से आया। उसको भी हमने इस प्रकार से हैंडल किया, 12 लाख लोगों को एक जगह से उठाकर के दूसरी जगह पर बसाया, हजारों लोगों के मरने की संभावना थी बचा लिया और यूनाइटेड नेशन ने कहा कि भारत ने अद्भुत काम कर के दिखाया। ये भी चुनाव के दौरान किया दोस्तो। चुनाव चले, आईपीएल चले, नवरात्री चले, रमनवमी चले, हनुमान जयंती चले, ईस्टर चले, रमजान चले और तूफान का भी मुकाबला करे ये हिंदुस्तान नया हिंदुस्तान है। लोग वहीं हैं अफसर भी वहीं दफ्तर भी वहीं ब्यूरोक्रेसी वहीं हैं, बाबू वहीं हैं, सरकारी मशीन वहीं, टेबल वहीं, फाइल वहीं, एजेंसिया भी वहीं। फिर बदला क्या? क्या बदला? लोग तो वहीं हैं। बदली है सरकार की इच्छशक्ति, कार्य संस्कृति और सरकार की नीयत। हर फैसला जब सिर्फ और सिर्फ देशहित को ध्यान में रखते हुए लिया जाता है तो ऐसे ही नतीजे मिलते हैं। भाइयो-बहनो, कांग्रेस की हर चीज वंशवाद और वोट बैंक से से डिसाइड होती है। तीन तलाक का मुद्दा लीजिए, कांगेस सिर्फ वोट बैंक के लिए मुस्लिम बहनों के साथ जुल्म का विरोध कर रही है। अभी अलवर में जो बेटी से गैंगरेप हुआ, दलित बेटी से हुआ उसको भी दबाया गया ताकी चुनाव के पहले खबर न फैल जाए। वरना दलित नाराज हो जाएंगे।

मैंने आज मायावती को चुनौती दी है। मैंने कहा बहनजी आपकी पार्टी राजस्थान में सरकार में भागीदार है, अगर दलितों की इतनी चिंता है तो समर्थन वापस करो वो तो पूर्ण बहुमत वाली सरकार नहीं है। बयान देते हैं, हिम्मत नहीं है नीयत नहीं है दोस्तों। साथियो, सबका साथ सबका विकास ये हमारा मंत्र है, और सबको सुरक्षा सबका सम्मान ये हमारा प्रण है। इसी भावना को मजबूत करने के लिए इस बार पूरी शक्ति से कमल खिलाना है। देश मजबूत बनाना है? देश मजबूत बनाना है? और बनाना है? ताकतवर बनाना है? तो सरकार मजबूत चाहिए कि नही चाहिए? सरकार मजबूत चाहिए कि नहीं चाहिए? तो ये चौकादार भी तो मजबूत होना चाहिए?   चौकीदार को मजबूत बनाना है तो अपना बूथ मजबूत बनाओगे? 19 तारीख को मतदान है घर घर जाओगे? हर किसी को मिलोगे? देश के लिए समझाओगे? वोट देने के लिए निकालोगे? पूरी मेहनत करोगे? पूरे मध्य प्रदेश का रिकॉर्ड तोड़ने वाला मतदान इंदौर कर सकता है क्या? कर सकता है क्या? भाइयो-बहनो, कमल के निशान पर बटन दबाइए आपका वोट सीधा सीधा मोदी के खाते में जाएगा। आप इतनी बड़ी मात्रा में आशीर्वाद देने आए, मैं इंदौर का बहुत बहुत आभारी हूं। आप सबका बहुत आभारी और ताई जी के आशीर्वाद के लिए ताई जी का भी बहुत बहुत आभारी हूं।

मेरे साथ दोनों मुट्ठी बंद कर के बोलिए

बारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय

बहुत-बहुत धन्यवाद           

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India is driving global growth today: PM Modi at Republic Plenary Summit
March 06, 2025
QuoteIndia's achievements and successes have sparked a new wave of hope across the globe: PM
QuoteIndia is driving global growth today: PM
QuoteToday's India thinks big, sets ambitious targets and delivers remarkable results: PM
QuoteWe launched the SVAMITVA Scheme to grant property rights to rural households in India: PM
QuoteYouth is the X-Factor of today's India, where X stands for Experimentation, Excellence, and Expansion: PM
QuoteIn the past decade, we have transformed impact-less administration into impactful governance: PM
QuoteEarlier, construction of houses was government-driven, but we have transformed it into an owner-driven approach: PM

नमस्कार!

आप लोग सब थक गए होंगे, अर्णब की ऊंची आवाज से कान तो जरूर थक गए होंगे, बैठिये अर्णब, अभी चुनाव का मौसम नहीं है। सबसे पहले तो मैं रिपब्लिक टीवी को उसके इस अभिनव प्रयोग के लिए बहुत बधाई देता हूं। आप लोग युवाओं को ग्रासरूट लेवल पर इन्वॉल्व करके, इतना बड़ा कंपटीशन कराकर यहां लाए हैं। जब देश का युवा नेशनल डिस्कोर्स में इन्वॉल्व होता है, तो विचारों में नवीनता आती है, वो पूरे वातावरण में एक नई ऊर्जा भर देता है और यही ऊर्जा इस समय हम यहां महसूस भी कर रहे हैं। एक तरह से युवाओं के इन्वॉल्वमेंट से हम हर बंधन को तोड़ पाते हैं, सीमाओं के परे जा पाते हैं, फिर भी कोई भी लक्ष्य ऐसा नहीं रहता, जिसे पाया ना जा सके। कोई मंजिल ऐसी नहीं रहती जिस तक पहुंचा ना जा सके। रिपब्लिक टीवी ने इस समिट के लिए एक नए कॉन्सेप्ट पर काम किया है। मैं इस समिट की सफलता के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं। अच्छा मेरा भी इसमें थोड़ा स्वार्थ है, एक तो मैं पिछले दिनों से लगा हूं, कि मुझे एक लाख नौजवानों को राजनीति में लाना है और वो एक लाख ऐसे, जो उनकी फैमिली में फर्स्ट टाइमर हो, तो एक प्रकार से ऐसे इवेंट मेरा जो यह मेरा मकसद है उसका ग्राउंड बना रहे हैं। दूसरा मेरा व्यक्तिगत लाभ है, व्यक्तिगत लाभ यह है कि 2029 में जो वोट करने जाएंगे उनको पता ही नहीं है कि 2014 के पहले अखबारों की हेडलाइन क्या हुआ करती थी, उसे पता नहीं है, 10-10, 12-12 लाख करोड़ के घोटाले होते थे, उसे पता नहीं है और वो जब 2029 में वोट करने जाएगा, तो उसके सामने कंपैरिजन के लिए कुछ नहीं होगा और इसलिए मुझे उस कसौटी से पार होना है और मुझे पक्का विश्वास है, यह जो ग्राउंड बन रहा है ना, वो उस काम को पक्का कर देगा।

साथियों,

आज पूरी दुनिया कह रही है कि ये भारत की सदी है, ये आपने नहीं सुना है। भारत की उपलब्धियों ने, भारत की सफलताओं ने पूरे विश्व में एक नई उम्मीद जगाई है। जिस भारत के बारे में कहा जाता था, ये खुद भी डूबेगा और हमें भी ले डूबेगा, वो भारत आज दुनिया की ग्रोथ को ड्राइव कर रहा है। मैं भारत के फ्यूचर की दिशा क्या है, ये हमें आज के हमारे काम और सिद्धियों से पता चलता है। आज़ादी के 65 साल बाद भी भारत दुनिया की ग्यारहवें नंबर की इकॉनॉमी था। बीते दशक में हम दुनिया की पांचवें नंबर की इकॉनॉमी बने, और अब उतनी ही तेजी से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं।

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साथियों,

मैं आपको 18 साल पहले की भी बात याद दिलाता हूं। ये 18 साल का खास कारण है, क्योंकि जो लोग 18 साल की उम्र के हुए हैं, जो पहली बार वोटर बन रहे हैं, उनको 18 साल के पहले का पता नहीं है, इसलिए मैंने वो आंकड़ा लिया है। 18 साल पहले यानि 2007 में भारत की annual GDP, एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंची थी। यानि आसान शब्दों में कहें तो ये वो समय था, जब एक साल में भारत में एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी होती थी। अब आज देखिए क्या हो रहा है? अब एक क्वार्टर में ही लगभग एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही है। इसका क्या मतलब हुआ? 18 साल पहले के भारत में साल भर में जितनी इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही थी, उतनी अब सिर्फ तीन महीने में होने लगी है। ये दिखाता है कि आज का भारत कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। मैं आपको कुछ उदाहरण दूंगा, जो दिखाते हैं कि बीते एक दशक में कैसे बड़े बदलाव भी आए और नतीजे भी आए। बीते 10 सालों में, हम 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफल हुए हैं। ये संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है। आप वो दौर भी याद करिए, जब सरकार खुद स्वीकार करती थी, प्रधानमंत्री खुद कहते थे, कि एक रूपया भेजते थे, तो 15 पैसा गरीब तक पहुंचता था, वो 85 पैसा कौन पंजा खा जाता था और एक आज का दौर है। बीते दशक में गरीबों के खाते में, DBT के जरिए, Direct Benefit Transfer, DBT के जरिए 42 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए गए हैं, 42 लाख करोड़ रुपए। अगर आप वो हिसाब लगा दें, रुपये में से 15 पैसे वाला, तो 42 लाख करोड़ का क्या हिसाब निकलेगा? साथियों, आज दिल्ली से एक रुपया निकलता है, तो 100 पैसे आखिरी जगह तक पहुंचते हैं।

साथियों,

10 साल पहले सोलर एनर्जी के मामले में भारत दुनिया में कहीं गिनती नहीं होती थी। लेकिन आज भारत सोलर एनर्जी कैपेसिटी के मामले में दुनिया के टॉप-5 countries में से है। हमने सोलर एनर्जी कैपेसिटी को 30 गुना बढ़ाया है। Solar module manufacturing में भी 30 गुना वृद्धि हुई है। 10 साल पहले तो हम होली की पिचकारी भी, बच्चों के खिलौने भी विदेशों से मंगाते थे। आज हमारे Toys Exports तीन गुना हो चुके हैं। 10 साल पहले तक हम अपनी सेना के लिए राइफल तक विदेशों से इंपोर्ट करते थे और बीते 10 वर्षों में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट 20 गुना बढ़ गया है।

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साथियों,

इन 10 वर्षों में, हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्टील प्रोड्यूसर हैं, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरर हैं और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बने हैं। इन्हीं 10 सालों में हमने इंफ्रास्ट्रक्चर पर अपने Capital Expenditure को, पांच गुना बढ़ाया है। देश में एयरपोर्ट्स की संख्या दोगुनी हो गई है। इन दस सालों में ही, देश में ऑपरेशनल एम्स की संख्या तीन गुना हो गई है। और इन्हीं 10 सालों में मेडिकल कॉलेजों और मेडिकल सीट्स की संख्या भी करीब-करीब दोगुनी हो गई है।

साथियों,

आज के भारत का मिजाज़ कुछ और ही है। आज का भारत बड़ा सोचता है, बड़े टार्गेट तय करता है और आज का भारत बड़े नतीजे लाकर के दिखाता है। और ये इसलिए हो रहा है, क्योंकि देश की सोच बदल गई है, भारत बड़ी Aspirations के साथ आगे बढ़ रहा है। पहले हमारी सोच ये बन गई थी, चलता है, होता है, अरे चलने दो यार, जो करेगा करेगा, अपन अपना चला लो। पहले सोच कितनी छोटी हो गई थी, मैं इसका एक उदाहरण देता हूं। एक समय था, अगर कहीं सूखा हो जाए, सूखाग्रस्त इलाका हो, तो लोग उस समय कांग्रेस का शासन हुआ करता था, तो मेमोरेंडम देते थे गांव के लोग और क्या मांग करते थे, कि साहब अकाल होता रहता है, तो इस समय अकाल के समय अकाल के राहत के काम रिलीफ के वर्क शुरू हो जाए, गड्ढे खोदेंगे, मिट्टी उठाएंगे, दूसरे गड्डे में भर देंगे, यही मांग किया करते थे लोग, कोई कहता था क्या मांग करता था, कि साहब मेरे इलाके में एक हैंड पंप लगवा दो ना, पानी के लिए हैंड पंप की मांग करते थे, कभी कभी सांसद क्या मांग करते थे, गैस सिलेंडर इसको जरा जल्दी देना, सांसद ये काम करते थे, उनको 25 कूपन मिला करती थी और उस 25 कूपन को पार्लियामेंट का मेंबर अपने पूरे क्षेत्र में गैस सिलेंडर के लिए oblige करने के लिए उपयोग करता था। एक साल में एक एमपी 25 सिलेंडर और यह सारा 2014 तक था। एमपी क्या मांग करते थे, साहब ये जो ट्रेन जा रही है ना, मेरे इलाके में एक स्टॉपेज दे देना, स्टॉपेज की मांग हो रही थी। यह सारी बातें मैं 2014 के पहले की कर रहा हूं, बहुत पुरानी नहीं कर रहा हूं। कांग्रेस ने देश के लोगों की Aspirations को कुचल दिया था। इसलिए देश के लोगों ने उम्मीद लगानी भी छोड़ दी थी, मान लिया था यार इनसे कुछ होना नहीं है, क्या कर रहा है।। लोग कहते थे कि भई ठीक है तुम इतना ही कर सकते हो तो इतना ही कर दो। और आज आप देखिए, हालात और सोच कितनी तेजी से बदल रही है। अब लोग जानते हैं कि कौन काम कर सकता है, कौन नतीजे ला सकता है, और यह सामान्य नागरिक नहीं, आप सदन के भाषण सुनोगे, तो विपक्ष भी यही भाषण करता है, मोदी जी ये क्यों नहीं कर रहे हो, इसका मतलब उनको लगता है कि यही करेगा।

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साथियों,

आज जो एस्पिरेशन है, उसका प्रतिबिंब उनकी बातों में झलकता है, कहने का तरीका बदल गया , अब लोगों की डिमांड क्या आती है? लोग पहले स्टॉपेज मांगते थे, अब आकर के कहते जी, मेरे यहां भी तो एक वंदे भारत शुरू कर दो। अभी मैं कुछ समय पहले कुवैत गया था, तो मैं वहां लेबर कैंप में नॉर्मली मैं बाहर जाता हूं तो अपने देशवासी जहां काम करते हैं तो उनके पास जाने का प्रयास करता हूं। तो मैं वहां लेबर कॉलोनी में गया था, तो हमारे जो श्रमिक भाई बहन हैं, जो वहां कुवैत में काम करते हैं, उनसे कोई 10 साल से कोई 15 साल से काम, मैं उनसे बात कर रहा था, अब देखिए एक श्रमिक बिहार के गांव का जो 9 साल से कुवैत में काम कर रहा है, बीच-बीच में आता है, मैं जब उससे बातें कर रहा था, तो उसने कहा साहब मुझे एक सवाल पूछना है, मैंने कहा पूछिए, उसने कहा साहब मेरे गांव के पास डिस्ट्रिक्ट हेड क्वार्टर पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बना दीजिए ना, जी मैं इतना प्रसन्न हो गया, कि मेरे देश के बिहार के गांव का श्रमिक जो 9 साल से कुवैत में मजदूरी करता है, वह भी सोचता है, अब मेरे डिस्ट्रिक्ट में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनेगा। ये है, आज भारत के एक सामान्य नागरिक की एस्पिरेशन, जो विकसित भारत के लक्ष्य की ओर पूरे देश को ड्राइव कर रही है।

साथियों,

किसी भी समाज की, राष्ट्र की ताकत तभी बढ़ती है, जब उसके नागरिकों के सामने से बंदिशें हटती हैं, बाधाएं हटती हैं, रुकावटों की दीवारें गिरती है। तभी उस देश के नागरिकों का सामर्थ्य बढ़ता है, आसमान की ऊंचाई भी उनके लिए छोटी पड़ जाती है। इसलिए, हम निरंतर उन रुकावटों को हटा रहे हैं, जो पहले की सरकारों ने नागरिकों के सामने लगा रखी थी। अब मैं उदाहरण देता हूं स्पेस सेक्टर। स्पेस सेक्टर में पहले सबकुछ ISRO के ही जिम्मे था। ISRO ने निश्चित तौर पर शानदार काम किया, लेकिन स्पेस साइंस और आंत्रप्रन्योरशिप को लेकर देश में जो बाकी सामर्थ्य था, उसका उपयोग नहीं हो पा रहा था, सब कुछ इसरो में सिमट गया था। हमने हिम्मत करके स्पेस सेक्टर को युवा इनोवेटर्स के लिए खोल दिया। और जब मैंने निर्णय किया था, किसी अखबार की हेडलाइन नहीं बना था, क्योंकि समझ भी नहीं है। रिपब्लिक टीवी के दर्शकों को जानकर खुशी होगी, कि आज ढाई सौ से ज्यादा स्पेस स्टार्टअप्स देश में बन गए हैं, ये मेरे देश के युवाओं का कमाल है। यही स्टार्टअप्स आज, विक्रम-एस और अग्निबाण जैसे रॉकेट्स बना रहे हैं। ऐसे ही mapping के सेक्टर में हुआ, इतने बंधन थे, आप एक एटलस नहीं बना सकते थे, टेक्नॉलाजी बदल चुकी है। पहले अगर भारत में कोई मैप बनाना होता था, तो उसके लिए सरकारी दरवाजों पर सालों तक आपको चक्कर काटने पड़ते थे। हमने इस बंदिश को भी हटाया। आज Geo-spatial mapping से जुडा डेटा, नए स्टार्टअप्स का रास्ता बना रहा है।

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साथियों,

न्यूक्लियर एनर्जी, न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े सेक्टर को भी पहले सरकारी कंट्रोल में रखा गया था। बंदिशें थीं, बंधन थे, दीवारें खड़ी कर दी गई थीं। अब इस साल के बजट में सरकार ने इसको भी प्राइवेट सेक्टर के लिए ओपन करने की घोषणा की है। और इससे 2047 तक 100 गीगावॉट न्यूक्लियर एनर्जी कैपेसिटी जोड़ने का रास्ता मजबूत हुआ है।

साथियों,

आप हैरान रह जाएंगे, कि हमारे गांवों में 100 लाख करोड़ रुपए, Hundred lakh crore rupees, उससे भी ज्यादा untapped आर्थिक सामर्थ्य पड़ा हुआ है। मैं आपके सामने फिर ये आंकड़ा दोहरा रहा हूं- 100 लाख करोड़ रुपए, ये छोटा आंकड़ा नहीं है, ये आर्थिक सामर्थ्य, गांव में जो घर होते हैं, उनके रूप में उपस्थित है। मैं आपको और आसान तरीके से समझाता हूं। अब जैसे यहां दिल्ली जैसे शहर में आपके घर 50 लाख, एक करोड़, 2 करोड़ के होते हैं, आपकी प्रॉपर्टी की वैल्यू पर आपको बैंक लोन भी मिल जाता है। अगर आपका दिल्ली में घर है, तो आप बैंक से करोड़ों रुपये का लोन ले सकते हैं। अब सवाल यह है, कि घर दिल्ली में थोड़े है, गांव में भी तो घर है, वहां भी तो घरों का मालिक है, वहां ऐसा क्यों नहीं होता? गांवों में घरों पर लोन इसलिए नहीं मिलता, क्योंकि भारत में गांव के घरों के लीगल डॉक्यूमेंट्स नहीं होते थे, प्रॉपर मैपिंग ही नहीं हो पाई थी। इसलिए गांव की इस ताकत का उचित लाभ देश को, देशवासियों को नहीं मिल पाया। और ये सिर्फ भारत की समस्या है ऐसा नहीं है, दुनिया के बड़े-बड़े देशों में लोगों के पास प्रॉपर्टी के राइट्स नहीं हैं। बड़ी-बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं कहती हैं, कि जो देश अपने यहां लोगों को प्रॉपर्टी राइट्स देता है, वहां की GDP में उछाल आ जाता है।

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साथियों,

भारत में गांव के घरों के प्रॉपर्टी राइट्स देने के लिए हमने एक स्वामित्व स्कीम शुरु की। इसके लिए हम गांव-गांव में ड्रोन से सर्वे करा रहे हैं, गांव के एक-एक घर की मैपिंग करा रहे हैं। आज देशभर में गांव के घरों के प्रॉपर्टी कार्ड लोगों को दिए जा रहे हैं। दो करोड़ से अधिक प्रॉपर्टी कार्ड सरकार ने बांटे हैं और ये काम लगातार चल रहा है। प्रॉपर्टी कार्ड ना होने के कारण पहले गांवों में बहुत सारे विवाद भी होते थे, लोगों को अदालतों के चक्कर लगाने पड़ते थे, ये सब भी अब खत्म हुआ है। इन प्रॉपर्टी कार्ड्स पर अब गांव के लोगों को बैंकों से लोन मिल रहे हैं, इससे गांव के लोग अपना व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, स्वरोजगार कर रहे हैं। अभी मैं एक दिन ये स्वामित्व योजना के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंस पर उसके लाभार्थियों से बात कर रहा था, मुझे राजस्थान की एक बहन मिली, उसने कहा कि मैंने मेरा प्रॉपर्टी कार्ड मिलने के बाद मैंने 9 लाख रुपये का लोन लिया गांव में और बोली मैंने बिजनेस शुरू किया और मैं आधा लोन वापस कर चुकी हूं और अब मुझे पूरा लोन वापस करने में समय नहीं लगेगा और मुझे अधिक लोन की संभावना बन गई है कितना कॉन्फिडेंस लेवल है।

साथियों,

ये जितने भी उदाहरण मैंने दिए हैं, इनका सबसे बड़ा बेनिफिशरी मेरे देश का नौजवान है। वो यूथ, जो विकसित भारत का सबसे बड़ा स्टेकहोल्डर है। जो यूथ, आज के भारत का X-Factor है। इस X का अर्थ है, Experimentation Excellence और Expansion, Experimentation यानि हमारे युवाओं ने पुराने तौर तरीकों से आगे बढ़कर नए रास्ते बनाए हैं। Excellence यानी नौजवानों ने Global Benchmark सेट किए हैं। और Expansion यानी इनोवेशन को हमारे य़ुवाओं ने 140 करोड़ देशवासियों के लिए स्केल-अप किया है। हमारा यूथ, देश की बड़ी समस्याओं का समाधान दे सकता है, लेकिन इस सामर्थ्य का सदुपयोग भी पहले नहीं किया गया। हैकाथॉन के ज़रिए युवा, देश की समस्याओं का समाधान भी दे सकते हैं, इसको लेकर पहले सरकारों ने सोचा तक नहीं। आज हम हर वर्ष स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन आयोजित करते हैं। अभी तक 10 लाख युवा इसका हिस्सा बन चुके हैं, सरकार की अनेकों मिनिस्ट्रीज और डिपार्टमेंट ने गवर्नेंस से जुड़े कई प्रॉब्लम और उनके सामने रखें, समस्याएं बताई कि भई बताइये आप खोजिये क्या सॉल्यूशन हो सकता है। हैकाथॉन में हमारे युवाओं ने लगभग ढाई हज़ार सोल्यूशन डेवलप करके देश को दिए हैं। मुझे खुशी है कि आपने भी हैकाथॉन के इस कल्चर को आगे बढ़ाया है। और जिन नौजवानों ने विजय प्राप्त की है, मैं उन नौजवानों को बधाई देता हूं और मुझे खुशी है कि मुझे उन नौजवानों से मिलने का मौका मिला।

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साथियों,

बीते 10 वर्षों में देश ने एक new age governance को फील किया है। बीते दशक में हमने, impact less administration को Impactful Governance में बदला है। आप जब फील्ड में जाते हैं, तो अक्सर लोग कहते हैं, कि हमें फलां सरकारी स्कीम का बेनिफिट पहली बार मिला। ऐसा नहीं है कि वो सरकारी स्कीम्स पहले नहीं थीं। स्कीम्स पहले भी थीं, लेकिन इस लेवल की last mile delivery पहली बार सुनिश्चित हो रही है। आप अक्सर पीएम आवास स्कीम के बेनिफिशरीज़ के इंटरव्यूज़ चलाते हैं। पहले कागज़ पर गरीबों के मकान सेंक्शन होते थे। आज हम जमीन पर गरीबों के घर बनाते हैं। पहले मकान बनाने की पूरी प्रक्रिया, govt driven होती थी। कैसा मकान बनेगा, कौन सा सामान लगेगा, ये सरकार ही तय करती थी। हमने इसको owner driven बनाया। सरकार, लाभार्थी के अकाउंट में पैसा डालती है, बाकी कैसा घर बनेगा, ये लाभार्थी खुद डिसाइड करता है। और घर के डिजाइन के लिए भी हमने देशभर में कंपीटिशन किया, घरों के मॉडल सामने रखे, डिजाइन के लिए भी लोगों को जोड़ा, जनभागीदारी से चीज़ें तय कीं। इससे घरों की क्वालिटी भी अच्छी हुई है और घर तेज़ गति से कंप्लीट भी होने लगे हैं। पहले ईंट-पत्थर जोड़कर आधे-अधूरे मकान बनाकर दिए जाते थे, हमने गरीब को उसके सपनों का घर बनाकर दिया है। इन घरों में नल से जल आता है, उज्ज्वला योजना का गैस कनेक्शन होता है, सौभाग्य योजना का बिजली कनेक्शन होता है, हमने सिर्फ चार दीवारें खड़ी नहीं कीं है, हमने उन घरों में ज़िंदगी खड़ी की है।

साथियों,

किसी भी देश के विकास के लिए बहुत जरूरी पक्ष है उस देश की सुरक्षा, नेशनल सिक्योरिटी। बीते दशक में हमने सिक्योरिटी पर भी बहुत अधिक काम किया है। आप याद करिए, पहले टीवी पर अक्सर, सीरियल बम ब्लास्ट की ब्रेकिंग न्यूज चला करती थी, स्लीपर सेल्स के नेटवर्क पर स्पेशल प्रोग्राम हुआ करते थे। आज ये सब, टीवी स्क्रीन और भारत की ज़मीन दोनों जगह से गायब हो चुका है। वरना पहले आप ट्रेन में जाते थे, हवाई अड्डे पर जाते थे, लावारिस कोई बैग पड़ा है तो छूना मत ऐसी सूचनाएं आती थी, आज वो जो 18-20 साल के नौजवान हैं, उन्होंने वो सूचना सुनी नहीं होगी। आज देश में नक्सलवाद भी अंतिम सांसें गिन रहा है। पहले जहां सौ से अधिक जिले, नक्सलवाद की चपेट में थे, आज ये दो दर्जन से भी कम जिलों में ही सीमित रह गया है। ये तभी संभव हुआ, जब हमने nation first की भावना से काम किया। हमने इन क्षेत्रों में Governance को Grassroot Level तक पहुंचाया। देखते ही देखते इन जिलों मे हज़ारों किलोमीटर लंबी सड़कें बनीं, स्कूल-अस्पताल बने, 4G मोबाइल नेटवर्क पहुंचा और परिणाम आज देश देख रहा है।

साथियों,

सरकार के निर्णायक फैसलों से आज नक्सलवाद जंगल से तो साफ हो रहा है, लेकिन अब वो Urban सेंटर्स में पैर पसार रहा है। Urban नक्सलियों ने अपना जाल इतनी तेज़ी से फैलाया है कि जो राजनीतिक दल, अर्बन नक्सल के विरोधी थे, जिनकी विचारधारा कभी गांधी जी से प्रेरित थी, जो भारत की ज़ड़ों से जुड़ी थी, ऐसे राजनीतिक दलों में आज Urban नक्सल पैठ जमा चुके हैं। आज वहां Urban नक्सलियों की आवाज, उनकी ही भाषा सुनाई देती है। इसी से हम समझ सकते हैं कि इनकी जड़ें कितनी गहरी हैं। हमें याद रखना है कि Urban नक्सली, भारत के विकास और हमारी विरासत, इन दोनों के घोर विरोधी हैं। वैसे अर्नब ने भी Urban नक्सलियों को एक्सपोज करने का जिम्मा उठाया हुआ है। विकसित भारत के लिए विकास भी ज़रूरी है और विरासत को मज़बूत करना भी आवश्यक है। और इसलिए हमें Urban नक्सलियों से सावधान रहना है।

साथियों,

आज का भारत, हर चुनौती से टकराते हुए नई ऊंचाइयों को छू रहा है। मुझे भरोसा है कि रिपब्लिक टीवी नेटवर्क के आप सभी लोग हमेशा नेशन फर्स्ट के भाव से पत्रकारिता को नया आयाम देते रहेंगे। आप विकसित भारत की एस्पिरेशन को अपनी पत्रकारिता से catalyse करते रहें, इसी विश्वास के साथ, आप सभी का बहुत-बहुत आभार, बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद!