QuoteOur focus is all-round development of India & North east cannot stay behind in this journey: PM Modi
QuoteWe want to ensure that youth here gets the opportunities to fulfil their dreams: PM
QuoteWe would set up Central Institute of Technology for better technical education, Kokrajhar to get deemed university status: PM
QuoteAssam gave a PM for 10 years, Congress ruled here for 15 years, still the state faces problems: PM
QuoteWe want to Act East. Be it rail, roads or waterways, we want to connect our North east with entire India: PM
QuoteOur aim is housing for all by 2022 & 24/7 electricity and water: PM Modi during rally in Assam
QuoteI assure our Govt would leave no stone unturned in developing the North east region: PM Modi

मंच पर विराजमान बीटीसी के चीफ़ श्रीमान अग्रमा मोहिलरी, केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी और जनप्रिय नेता श्रीमान सर्वानंद जी सोनमल, केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी और डोनर के मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह जी, बीटीसी के डिप्टी चीफ़ श्रीमान खम्पा जी, श्रीमान हेमंत विश्व शर्मा जी, सांसद श्रीमान विश्वजीत और विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे भाईयों एवं बहनों।

मैं सबसे पहले आप सबसे क्षमा मांगता हूँ क्योंकि मुझे आने में विलंब हुआ। मैं सिक्किम में था मुझे निकलने में देर हुई और आपको काफ़ी इंतज़ार करना पड़ा लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मुझे इतनी देरी नहीं हुई है जिस कारण आपको विकास के लिए इंतज़ार करना पड़े, आपको अपने हक़ के लिए लड़ाई करनी पड़े। मैं आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर यहाँ के लोगों की भलाई करने आया हूँ, आपके शक्ति, सामर्थ्य, सपनों, यहाँ के युवाओं को अवसर मिले और वे विकास की नई ऊंचाईयों को प्राप्त करें।

|

मैं आपके बीच में एक ऐसे समय आया हूँ जब यहाँ पर एकता और सद्भावना का माहौल है। यहाँ के राजनीतिक गुट भी अपने वाद-विवादों को पीछे रखते हुए यहाँ के लोगों की भलाई और उनके विकास के लिए आगे आए हैं। मैं इसके लिए यहाँ के नेतृत्व को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ और जो लोग जुड़ रहे हैं, उनका मैं तहे दिल से स्वागत करता हूँ। अग्रमा जी, खम्पा जी मेरे घर पर आये थे, दिल खोलकर बातें हुई थी। उनसे मिलकर मुझे यहाँ की समस्याओं को समझने का अवसर मिला तभी उन्होंने कहा कि मोदी जी, जो देना है, वो दिल खोलकर दे दीजिए क्योंकि बातें भी तो दिल खोलकर हुई थीं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि दिल में आप समा गए हैं।

12-15 साल से जो वादे आपको किये गए, उन वादों का भी निपटारा नहीं हुआ। मैं यह तो मान सकता हूँ कि इसमें कुछ समय लग सकता है लेकिन आप हर बार वादे करें और फ़िर वादों को भुला दें, नए-नए वादें करें इस तरह के वादाखिलाफी से गुस्सा आता है, ये आपकी नाराजगी का प्रदर्शन है।

मैं आपको इतना ही कहने आया हूँ कि जो बात मैं कर रहा हूँ, उसे पूरा करने के लिए मैं जी-जान से जुड़ जाता हूँ, खप जाता हूँ। मैं हैरान हूँ कि एक पार्टी जिसने यहाँ 15 साल राज किया, ये असम प्रदेश जिसने 10 साल के लिए देश को प्रधानमंत्री दिया, 15 साल कांग्रेस ने लगातार राज किया; देखा जाए तो 60 साल तक वो ही सरकार चलाते रहे, मैं तो यह सोच रहा था कि असम में तो अब कोई समस्या हो ही नहीं सकती क्योंकि 10 साल यहाँ से प्रधानमंत्री रहे हैं और 15 साल से एक मुख्यमंत्री यहाँ सरकार चला रहे हैं। जिन्हें अपने काम का हिसाब देना चाहिए, वे सवाल पूछ रहे हैं तो फिर उन्होंने किया क्या? ये सब विफलताओं की दस्तक है। उन्हें यह स्वीकार करना पड़ रहा है कि उनका अपना प्रधानमंत्री था, असम से मनमोहन सिंह जी को भेजा था लेकिन अभी समस्याओं की लंबी लिस्ट है आपकी।

भाईयों-बहनों, वे 15 साल में कुछ नहीं कर पाए और मुझसे अपेक्षा करते हैं कि मैं 15 दिन में सबकुछ कर दूँ। मुझे बताईये कि क्या ये मेरे साथ न्याय है? ये आपलोगों को गुमराह करने के लिए है लेकिन मेरा आप पर भरोसा है कि आप गुमराह नहीं होंगे। आपने उनके 15 साल देखे हैं और आपने हमारे 15 महीने भी देखे हैं। मेरे सामने कुछ बातें रखी गई थीं और आज मैं बड़े संतोष के साथ कहना चाहता हूँ कि असम के कार्बी मिकिर जनजाति को मैदानी इलाके में अनुसूचित जनजाति के रूप में और असम के बोडो काछारी जनजाति को ट्राइब आंगलोंग और एनसी हिल ऑटोनोमस काउंसिल के इलाके में अनुसूचित जनजाति के रूप में घोषित किये जाने का मुद्दा काफ़ी समय से लंबित है। अब दोनों ही मसलों की रजिस्ट्रार सेंट्रल ऑफ़ इंडिया और अनुसूचित जनजाति के लिए राष्ट्रीय आयोग द्वारा सिफ़ारिश कर दी गई है। आने वाले कुछ समय में ये मामला कैबिनेट में अप्रूव हो जाएगा और उसके बाद संसद में इसे पारित किया जाएगा। वर्षों से आपकी इस समस्या का समाधान निकाला जा रहा है।

आपके नेता ने जब मुझे इस समस्या के बारे में बताया तो मैंने कहा कि मैं पहले इसका समाधान निकालूँगा, फ़िर आऊंगा। इस क्षेत्र के छात्रों को उच्च गुणवत्ता की तकनीकी शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराने के लिए, औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, कोकराझार को एक वर्ष की अवधि में डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया जाएगा। इस कार्य से यूनिवर्सिटी को और अधिक अकादमिक तथा प्रशासनिक अधिकार प्राप्त होंगे।

|

मेरे सामने एक मसला आया था, एयरपोर्ट का बहुत पहले एक एयरपोर्ट सेना के साथ मिलकर काम कर रहा था, फ़िर वो बंद हो गया। अब राज्य सरकार ज़मीन नहीं दे रही है मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि जैसे ही ज़मीन का मसला पूरा हो जाएगा, रूपसी एयरपोर्ट को भारतीय वायुसेना और आम जनता के लिए संयुक्त रूप से विकसित किया जाएगा।

कंचनजंघा एक्सप्रेस ट्रेन के रूट का बराक वेली में सिलचर तक विस्तार किया जाएगा और मैं आने वाले दिनों में बहुत जल्द उस ट्रेन को आरंभ करने जा रहा हूँ। मुझे एक और कठिनाई बताई गई कि हमारे लिए बजट में इतना आवंटन होता है लेकिन पता नहीं कहाँ जाता है। जनता की पाई-पाई जनता के ही पास जानी चाहिए; जो अब तक लूटा गया है और अब लूटने का अवसर नहीं मिल रहा है इसलिए ये लोग हमसे परेशान हैं। दिल्ली आजकल हिसाब मांगता है।

दिल्ली में अटल जी के समय में नार्थ-ईस्ट के विकास के लिए एक विशेष मंत्रालय - डोनर बना था। अटल जी की सरकार के जाने के बाद इनकी सरकार में क्या-क्या होता है, ये आप सभी को मालूम ही है। हमने डोनर मंत्रालय को एक नया काम दिया है जिससे यहाँ के कुछ नेता लोग काफ़ी परेशान हैं। पहले यहाँ के लोगों को दिल्ली जाना पड़ता था, मिनिस्ट्री खोजनी पड़ती थी, सामान्य लोग वहां जा नहीं पाते थे, शिकायत पहुंचाई नहीं जा सकती थी, क्या चल रहा है, सच-झूठ का पता ही नहीं चलता था। रुपये तो आते थे लेकिन ज़मीन पर कोई काम दिखाई नहीं देता था।

राजीव गाँधी सही कहते थे कि दिल्ली से एक रुपया निकलता है और गाँव में जाते-जाते 15 पैसे हो जाता है। इसलिए हमने तय किया कि डोनर मिनिस्ट्री, उसके अधिकारी महीने में एक बार नार्थ-ईस्ट के राज्यों में जाएंगे, पूरा सचिवालय दिल्ली से गुवाहाटी जाएगा। दिनभर वहां बैठेंगे, सरकार ने जो पैसे दिये, उसका हिसाब मांगेंगे, रुपये कहाँ जा रहे हैं, उसकी पूछताछ होगी और यह काम डॉ. जितेन्द्र सिंह की टीम बखूबी कर रही है। इसके कारण यहाँ लोगों को परेशानी हो रही है कि मोदी हिसाब मांग रहे हैं और आजकल फैशन हो गया है, अपने काम का हिसाब नहीं देना। जब हिसाब मांगते हैं तो कोई और ही आरोप लगाना शुरू कर देते हैं इसलिए नार्थ-ईस्ट की सभी सरकारों को पैसे का हिसाब देना पड़ेगा क्योंकि ये जनता का पैसा है और ये जनता के काम आना चाहिए और इसलिए मैं इन लोगों को बुरा लगता हूँ।

मैं अपना समय इस लिए बर्बाद नहीं करता कि मैं अच्छा लगूं यां बुरा लगूं; मैं अपना समय खपाता हूँ ताकि मेरा देश अच्छा बने। हमारे देश का भविष्य बदलने के लिए मेरा तीन सूत्रीय कार्यक्रम है – विकास, विकास और सिर्फ़ विकास। सारी समस्याओं का समाधान विकास में ही है। पिछले दिनों आपने देखा होगा कि जब दिल्ली में पुलिस की भर्ती हुई तो मैंने आग्रह रखा कि नार्थ-ईस्ट राज्यों के नौजवानों को दिल्ली में पुलिस में भर्ती करना चाहिए और आज बहुत बड़ी संख्या में यहाँ के नौजवानों को दिल्ली में रक्षा के लिए ले जाया गया। एक बार जो बात कही, उसे लागू करने के लिए जी-जान से लगे रहते हैं, पूरी कोशिश करते हैं।

हमें अगर विकास करना है तो इस इलाके की सबसे पहली ज़रूरत है – इंफ्रास्ट्रक्चर, चाहे सड़क हो, रेल हो, या जलमार्ग हो और इसलिए हमारी सरकार ने एक्ट ईस्ट पॉलिसी बनाई है। इस पॉलिसी के माध्यम से नार्थ-ईस्ट राज्यों को भारत की विकासधारा में जोड़ना है, रास्तों का नेटवर्क बनाना है। पिछले बजट में आपने देखा होगा कि जैसा आवंटन हुआ था, वैसा पहले कभी नहीं किया गया होगा, उतने रुपये हम नार्थ-ईस्ट में सड़क और रेल में लगा रहे हैं।

देश की आज़ादी के इतने साल बीत गए और मैं सोच रहा था कि अब तक तो देश के सभी गांवों में बिजली पहुँच गई होगी लेकिन मुझे हिसाब मिला कि अभी भी 18,000 गाँव ऐसे हैं जहाँ बिजली का खंभा भी नहीं है। हमने बीड़ा उठाया, 15 अगस्त को लाल किले से हमने घोषणा की कि मेरी सरकार जी-जान से काम करेगी और 1,000 दिन में 18,000 गाँव में बिजली पहुंचाऊंगा। आप अपने मोबाइल पर इसका पूरा विवरण देख सकते हैं। इसके लिए एक अलग वेबसाइट बनाई है कि कहाँ-कहाँ बिजली पहुंची और दिन-प्रतिदिन का हिसाब रखा जाता है और हर दिन किसी-न-किसी गाँव में बिजली पहुँच रही है। गाँव में बिजली पहुँचने के बाद लोगों को अहसास होता होगा कि आज़ादी किसे कहते हैं। मैं तो मीडिया के मित्रों को भी कहता हूँ कि बिजली पहुँचने के बाद गाँव में जो लोगों का उत्साह है, उसे लोगों को दिखाएं। इससे देश के साथ-साथ काम करने वालों का भी हौसला बुलंद होगा।

बिजली पहुँचने से शिक्षा और जीवन-व्यवस्था में सुधार होगा और हमारा सपना है 2022 में भारत की आज़ादी के 75 साल होने पर सब जगह लोगों को 24 घंटे बिजली मिले जो आज नहीं मिल रही है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि 2022 तक हम यह काम करके रहेंगे।

|

हमारा एक और सपना यह है कि देश के गरीब परिवारों को अपना घर मिले। हमने ठान लिया है कि 2022 में देश के गरीब से गरीब व्यक्ति के पास भी ख़ुद का रहने का घर हो और घर भी ऐसा जिसमें बिजली हो, पानी आता हो, शौचालय भी हो और बच्चों के लिए नजदीक में स्कूल भी हो। जब इतने मकान बनेंगे, रास्ते बनेंगे, रेल का काम होगा तो बहुत सारे लोगों को रोजगार भी मिलेगा, काम के अवसर बढ़ेंगे।

हमने तय किया था कि हम गरीब से गरीब व्यक्ति का बैंक खाता खोलेंगे; प्रधानमंत्री जन-धन योजना शुरू की। लोगों को लगता था कि जो काम 70 साल में नहीं हुआ, वो मोदी जी कैसे करेंगे। आज बताते हुए मुझे ख़ुशी हो रही है कि जन-धन योजना के अंतर्गत हमने 20 करोड़ लोगों के खाते खोल दिए हैं। हमने उन्हें अर्थव्यवस्था के धारा में जोड़ा, बैंक तक उनका रास्ता खोला। मैंने कहा था कि पैसे नहीं होंगे तो भी खाते खुलेंगे लेकिन मुझे ख़ुशी है कि गरीबों ने भी सोच लिया कि मुफ़्त में नहीं करना है, बैंक में कुछ तो जमा करेंगे और लोगों ने करीब-करीब 30 हज़ार करोड़ रुपये जमा किये। ये ताकत है देश के आम जन की और इस ताकत को लेकर हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

मेरा एक ही इरादा है कि हिन्दुस्तान में और जगहों पर जितना विकास हुआ है, यहाँ भी उतना ही विकास होना चाहिए। ये काम मुझे करना है और इसलिए मैं आपके पास आशीर्वाद लेने आया हूँ। आज लाखों की तादाद में मैं यह जनसैलाब देख रहा हूँ। मैंने असम में बहुत दौरे किये हैं। लोकसभा के चुनाव में भी आपने भरपूर आशीर्वाद दिया है लेकिन ऐसा नज़ारा मैंने पहले कभी नहीं देखा, ऐसा माहौल पहले कभी नहीं देखा। आपके इसी आशीर्वाद से मुझे ताकत मिलती है, आपके लिए दिन-रात दौड़ने की मुझे प्रेरणा मिलती है। मुझे ख़ुशी है कि मुझे नए साथियों के साथ काम करने का मौका मिला है और मैं विश्वास दिलाता हूँ कि यहाँ की जितनी रुकी समस्याएं हैं, उनके समाधान के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे। मैं आप सभी का आभारी हूँ, बहुत-बहुत धन्यवाद!       

            

Explore More
78వ స్వాతంత్ర్య దినోత్సవ వేళ ఎర్రకోట ప్రాకారం నుంచి ప్రధాన మంత్రి శ్రీ నరేంద్ర మోదీ ప్రసంగం

ప్రముఖ ప్రసంగాలు

78వ స్వాతంత్ర్య దినోత్సవ వేళ ఎర్రకోట ప్రాకారం నుంచి ప్రధాన మంత్రి శ్రీ నరేంద్ర మోదీ ప్రసంగం
'Operation Brahma': First Responder India Ships Medicines, Food To Earthquake-Hit Myanmar

Media Coverage

'Operation Brahma': First Responder India Ships Medicines, Food To Earthquake-Hit Myanmar
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Our youth, imbued with the spirit of nation-building, are moving ahead towards the goal of Viksit Bharat by 2047: PM Modi in Nagpur
March 30, 2025
QuoteIt is our priority that all citizens of the country get better health facilities: PM
QuoteEven during the most difficult times, new social movements kept taking place in India to keep consciousness awakened: PM
QuoteRashtriya Swayamsevak Sangh is the modern Akshay Vat of the immortal culture of India, this Akshay Vat is continuously energizing Indian culture and the consciousness of our nation: PM
QuoteWhen during efforts the focus is on we and not I, when the spirit of nation first is paramount, when the interest of the people of the country is the most important factor in policies and decisions, only then its effect is visible everywhere: PM
QuoteWherever there is a natural disaster in the world, India stands up to serve wholeheartedly: PM
QuoteOur youth, imbued with the spirit of nation-building, are moving ahead towards the goal of Viksit Bharat by 2047: PM

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

गुडी पाड़-व्याच्या आणि नवीन वर्षाच्या आपल्या सर्वांन्ना अतिशय मन:पूर्वक शुभेच्छा! कार्यक्रम में उपस्थित परम पूजनीय सरसंघ चालक जी, डॉ मोहन भागवत जी, स्वामी गोविंद गिरी जी महाराज, स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज, महाराष्ट्र के लोकप्रिय मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे साथी नितिन गडकरी जी, डॉ अविनाश चंद्र अग्निहोत्री जी, अन्य महानुभाव और उपस्थित सभी वरिष्ठ साथी, राष्ट्र यज्ञ के इस पावन अनुष्ठान में आज मुझे यहां आने का सौभाग्य मिला है। आज चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ये दिन बहुत विशेष है। आज से नवरात्रि का पवित्र पर्व शुरू हो रहा है। देश के अलग-अलग कोनों में आज गुड़ी-पड़वा, उगादि और नवरेह का त्योहार भी मनाया जा रहा है। आज भगवान झूलेलाल जी और गुरू अंगद देव जी का अवतरण दिवस भी है। ये हमारे प्रेरणापुंज, परम पूजनीय डाक्टर साहब की जयंती का भी अवसर है। और इसी साल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गौरवशाली यात्रा के 100 वर्ष भी पूरे हो रहे हैं। आज इस अवसर पर मुझे स्मृति मंदिर जाकर पूज्य डॉक्टर साहेब और पूज्य गुरुजी को श्रद्धांजलि अर्पित करने का सौभाग्य मिला है।

साथियों,

इसी कालखंड में हमने हमारे संविधान के 75 वर्ष का उत्सव भी मनाया है। अगले ही महीने संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर जी की जयंती भी है। आज मैंने दीक्षाभूमि पर बाबा साहब को नमन किया है, उनका आशीर्वाद लिया है। मैं इन विभूतियों को नमन करते हुए देशवासियों को नवरात्रि और सभी पर्वों की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

साथियों,

संघ सेवा के इस पवित्र तीर्थ नागपुर में आज हम एक पुण्य संकल्प के विस्तार के साक्षी बन रहे हैं। अभी हमने माधव नेत्रालय के कुलगीत में सुना, अध्यात्म, ज्ञान, गौरव, गुरुता का ये अद्भुत विद्यालय, मानवता रत यह सेवा मंदिर कण-कण में देवालय। माधव नेत्रालय एक ऐसा संस्थान है, जो अनेक दशकों से पूज्य गुरुजी के आदर्शों पर लाखों लोगों की सेवा कर रहा है। लोगों के जीवन में रोशनी लौटी है, आज उसके नए परिसर का शिलान्यास हुआ है। अब इस नए परिसर के बाद इन सेवाकार्यों को और ज्यादा गति मिलेगी। इससे हजारों नए लोगों के जीवन में प्रकाश फैलेगा, उनके जीवन का अंधकार भी दूर होगा। मैं इस सेवा कार्य के लिए माधव नेत्रालय से जुड़े सभी लोगों को उनके कार्य की, उनके सेवाभाव की सराहना करता हूं और मेरी तरफ से अनेक-अनेक शुभकामनाएँ देता हूँ।

|

साथियों,

किसी भी राष्ट्र का अस्तित्व, पीढ़ी दर पीढ़ी, उसकी संस्कृति के विस्तार, उस राष्ट्र की चेतना के विस्तार पर निर्भर करता है। हम अपने देश का इतिहास देखें, तो सैकड़ों वर्षों की गुलामी, इतने आक्रमण, भारत की सामाजिक संरचना को मिटाने की इतनी क्रूर कोशिशें, लेकिन भारत की चेतना कभी समाप्त नहीं हुई, उसकी लौ जलती रही। ये कैसे हुआ? क्योंकि कठिन से कठिन दौर में भी भारत में इस चेतना को जागृत रखने वाले नए-नए सामाजिक आंदोलन होते रहे। भक्ति आंदोलन, उसका ये उदाहरण, जिससे हम सभी भलिभांति परिचित हैं। मध्यकाल के उस कठिन कालखंड में हमारे संतों ने भक्ति के विचारों से हमारी राष्ट्रीय चेतना को नई ऊर्जा दी। गुरु नानकदेव, कबीरदास, तुलसीदास, सूरदास, हमारे यहाँ महाराष्ट्र में संत तुकाराम, संत एकनाथ, संत नामदेव, संत ज्ञानेश्वर, ऐसे कितने ही संतों ने हमारी इस राष्ट्रीय चेतना में अपने मौलिक विचारों से प्राण फूंके। इन आंदोलनों ने भेदभाव के फंदों को तोड़कर समाज को एकता के सूत्र में जोड़ा।

इसी तरह, स्वामी विवेकानंद जैसे महान संत भी हुए। उन्होंने निराशा में डूब रहे समाज को झकझोरा, उसे उसके स्वरूप की याद दिलाई, उसमें आत्मविश्वास का संचार किया और हमारी राष्ट्रीय चेतना को बुझने नहीं दिया। गुलामी के आखिरी दशकों में डॉक्टर साहेब और गुरू जी जैसे महान व्यक्तित्वों ने इसे नई ऊर्जा देने का काम किया। आज हम देखते हैं, राष्ट्रीय चेतना के संरक्षण और संवर्धन के लिए जो विचारबीज 100 साल पहले बोया गया, वो महान वटवृक्ष के रूप में आज दुनिया के सामने है। सिद्धान्त और आदर्श इस वटवृक्ष को ऊंचाई देते हैं, लाखों-करोड़ों स्वयंसेवक इसकी टहनी, ये कोई साधारण वटवृक्ष नहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत की अमर संस्कृति का आधुनिक अक्षय वट है। ये अक्षय वट आज भारतीय संस्कृति को, हमारे राष्ट्र की चेतना को, निरंतर ऊर्जावान बना रहा है।

|

साथियों,

आज जब हम माधव नेत्रालय के नए परिसर का काम शुरू कर रहे हैं, तो दृष्टि की बात स्वभाविक है। हमारे जीवन में दृष्टि ही हमें दिशा देती है। इसीलिए, वेदों में भी कामना की गई है- पश्येम शरदः शतम्! अर्थात्, हम सौ वर्षों तक देखें। ये दृष्टि आँखों की, यानी बाह्यदृष्टि भी होनी चाहिए, और अन्तः दृष्टि भी होनी चाहिए। जब अन्तःदृष्टि की बात करते हैं, तो विदर्भ के महान संत श्री गुलाबराव महाराज जी का स्मरण होना भी स्वाभाविक है। उन्हें प्रज्ञाचक्षु कहा जाता था। बहुत कम आयु में ही उनको आंखों से दिखाई देना बंद हो गया था, लेकिन फिर भी उन्होंने अनेकों पुस्तकें लिखीं थीं। और अब कोई भी पूछ सकता है कि जब आंखों से दिखाई नहीं देता है, तो उसके बावजूद भी कोई इतने ग्रंथ कैसे लिख सकता है? इसका उत्तर ये है कि उनके पास भले ही नेत्र नहीं थे, लेकिन दृष्टि थी। ये दृष्टि बोध से आती है, विवेक से प्रकट होती है। ये दृष्टि व्यक्ति के साथ ही समाज को भी बहुत शक्ति देती है। हमारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी एक ऐसा संस्कार यज्ञ है, जो अन्तः दृष्टि और बाह्य दृष्टि, दोनों के लिए काम कर रहा है। बाह्य दृष्टि के रूप में हम माधव नेत्रालय को देखते हैं और अंत: दृष्टि ने संघ को सेवा का पर्याय बना दिया है।

साथियों,

हमारे यहां कहा गया है- परोपकाराय फलन्ति वृक्षाः, परोपकाराय वहन्ति नद्यः। परोपकाराय दुहन्ति गावः, परोपकारार्थ-मिदं शरीरम्।। हमारा शरीर परोपकार के लिए ही है, सेवा के लिए ही है। और जब ये सेवा संस्कारों में आ जाती है, तो सेवा ही साधना बन जाती है। यही साधना तो हर एक स्वयंसेवक के जीवन की प्राण वायु होती है। ये सेवा संस्कार, ये साधना, ये प्राण वायु, पीढ़ी दर पीढ़ी हर स्वयंसेवक को तप-तपस्या के लिए प्रेरित कर रही है। ये सेवा साधना हर स्वयंसेवक को निरंतर गतिमान रखती है, उसे कभी थकने नहीं देती, कभी रुकने नहीं देती। पूज्य गुरू जी अक्सर कहा करते थे, जीवन की अवधि का नहीं, उसकी उपयोगिता का महत्व होता है। हम देव से देश और राम से राष्ट्र के जीवन मंत्र लेकर के चले हैं, अपना कर्तव्य निभाते चलते हैं। और इसलिए हम देखते हैं, बड़ा-छोटा कैसा भी काम हो, कोई भी कार्यक्षेत्र हो, सीमावर्ती गाँव हों, पहाड़ी क्षेत्र हों, वनक्षेत्र हो, संघ के स्वयंसेवक निःस्वार्थ भाव से कार्य करते रहते हैं। कहीं कोई वनवासी कल्याण आश्रम के कामों को उसको अपना ध्येय बनाकर के जुटा हुआ है, कहीं कोई एकल विद्यालय के माध्यम से आदिवासी बच्चों को पढ़ा रहा है, कहीं कोई संस्कृति जागरण के मिशन में लगा हुआ है। कहीं कोई सेवा भारती से जुड़कर गरीबों-वंचितों की सेवा कर रहा है।

|

अभी हमने प्रयाग में महाकुंभ में देखा, वहां नेत्रकुंभ में कैसे स्वयंसेवकों ने लाखों लोगों की मदद की, यानी जहां सेवा कार्य, जहां सेवा कार्य, वहां स्वयंसेवक। कहीं कोई आपदा आ जाए, बाढ़ की तबाही हो या भूकंप की विभीषिका हो, स्वयंसेवक एक अनुशासित सिपाही की तरह तुरंत मौके पर पहुँचते हैं। कोई अपनी परेशानी नहीं देखता, अपनी पीड़ा नहीं देखता, बस सेवा भावना से हम काम में जुट जाते हैं। हमारे तो हृदय में बसा है, सेवा है यज्ञकुन्ड, समिधा सम हम जलें, ध्येय महासागर में सरित रूप हम मिलें।

साथियों,

एक बार एक इंटरव्यू में परम पूजनीय गुरू जी से पूछा गया, कि वो संघ को सर्व-व्यापी क्यों कहते हैं? गुरूजी का उत्तर बहुत ही प्रेरणादायी था। उन्होंने संघ की तुलना प्रकाश से की थी, उजाले से की थी। उन्होंने कहा कि प्रकाश सर्वव्यापी होता है, वो खुद ही अकेले सारे कार्य भले ना करे, लेकिन अंधेरे को दूर करके वो दूसरे को कार्य करने का रास्ता दिखा देता है। गुरू जी की ये सीख, हमारे लिए जीवन मंत्र है। हमें प्रकाश बनकर अंधेरा दूर करना है, बाधाएं मिटानी हैं, रास्ता बनाना है। उस भाव को हम जीवन भर सुनते रहें, हर कोई कम अधिक मात्रा में जीने का प्रयास करता रहा। मैं नहीं तुम, अहं नहीं वयं, “इदं राष्ट्राय इदं न मम्”।

|

साथियों,

जब प्रयासों के दौरान में, जब मैं नहीं, हम का ध्यान होता है, जब राष्ट्र प्रथम की भावना सर्वोपरि होती है, जब नीतियों में, निर्णयों में देश के लोगों का हित ही सबसे बड़ा होता है, तो सर्वत्र उसका प्रभाव भी और प्रकाश भी नजर आता है। विकसित भारत के लिए सबसे जरूरी है कि हम उन बेड़ियों को तोड़ें, जिनमें देश उलझा हुआ था। आज हम देख रहे हैं, भारत कैसे गुलामी की मानसिकता को छोड़कर आगे बढ़ रहा है। गुलामी की निशानियों को जिस हीनभावना में 70 वर्षों से ढोया जा रहा था, उनकी जगह अब राष्ट्रीय गौरव के नए अध्याय लिखे जा रहे हैं। वो अंग्रेजी कानून, जिन्हें भारत के लोगों को नीचा दिखाने के लिए बनाया गया था, देश ने उन्हें बदल दिया है। गुलामी की सोच से बनी दंड संहिता की जगह अब भारतीय न्याय संहिता लागू हुई है। हमारे लोकतन्त्र के प्रांगण में अब राजपथ नहीं, कर्तव्यपथ है। हमारी नौसेना के ध्वज में भी गुलामी का चिन्ह छपा हुआ था, उसकी जगह अब नौसेना के ध्वज पर छत्रपति शिवाजी महाराज का प्रतीक लहरा रहा है। अंडमान के द्वीप, जहां वीर सावरकर ने राष्ट्र के लिए यातनाएँ सहीं, जहां नेताजी सुभाष बाबू ने आज़ादी का बिगुल फूंका, उन द्वीपों के नाम भी अब आज़ादी के नायकों की याद में रखे गए हैं।

साथियों,

वसुधैव कुटुंबकम का हमारा मंत्र, आज विश्व के कोने-कोने में पहुँच रहा है। और दुनिया इसे हमारे कार्यों में भी देख रही है, महसूस कर रही है। जब कोविड जैसी महामारी आती है, तो भारत विश्व को परिवार मानकर वैक्सीन उपलब्ध करवाता है। दुनिया में कहीं भी प्राकृतिक आपदा हो, भारत पूरे मनोयोग से सेवा के लिए खड़ा होता है। अभी आपने कल ही देखा है, म्यांमार में इतना बड़ा भूकंप आया है, भारत ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत, वहां के लोगों की मदद के लिए सबसे पहले पहुंच गया है। जब तुर्किए में भूकंप आया, जब नेपाल में भूकंप आया, जब मॉलदीव्स में पानी का संकट आया, भारत ने मदद करने में घड़ी भर की भी देर नहीं की। युद्ध जैसे हालातों में हम दूसरे देशों से नागरिकों को भी सुरक्षित निकालकर के लाते हैं। दुनिया देख रही है, भारत आज जब प्रगति कर रहा है, तो पूरे ग्लोबल साउथ की आवाज़ भी बन रहा है। विश्व-बंधु की ये भावना, हमारे ही संस्कारों का विस्तार है।

|

साथियों,

आज भारत की सबसे बड़ी पूंजी हमारा युवा है। और हम देखते हैं, आज भारत का युवा कितने कॉन्फिडेंस से भरा हुआ है। उसकी Risk Taking Capacity पहले के मुकाबले कई गुना बढ़ गई है। वो नए-नए इनोवेशन कर रहा है, स्टार्ट अप्स की दुनिया में अपना परचम लहरा रहा है और सबसे बड़ी बात, आज के भारत का युवा अपनी विरासत पर गर्व करते हुए, अपनी संस्कृति पर गर्व करते हुए चल रहा है। अभी हमने प्रयागराज महाकुंभ में देखा, आज की युवा पीढ़ी लाखों-करोड़ों की संख्या में महाकुंभ में पहुंची और इस सनातन परंपरा से जुड़कर गौरव से भर उठी। आज भारत का युवा, देश की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए काम कर रहा है। भारत के युवाओं ने मेक इन इंडिया को सफल बनाया है, भारत का युवा लोकल के लिए वोकल हुआ है। एक जज्बा बना है, हमें देश के लिए जीना है, देश के लिए कुछ करना है, खेल के मैदान से लेकर अंतरिक्ष की ऊंचाई तक राष्ट्र निर्माण की भावना से ओतप्रोत हमारे युवा आगे बढ़ रहे हैं, आगे चलते ही जा रहे हैं। यही युवा 2047 के, जब आजादी के 100 साल होंगे, विकसित भारत के लक्ष्य की ध्वजा थामे हुए हैं और मुझे विश्वास है, संगठन, समर्पण और सेवा की ये त्रिवेणी विकसित भारत की यात्रा को निरंतर ऊर्जा देती रहेगी, दिशा देती रहेगी। संघ का इतने वर्षों का परिश्रम फलीभूत हो रहा है, संघ की इतने वर्षों की तपस्या विकसित भारत का एक नया अध्याय लिख रही है।

|

साथियों,

जब संघ की स्थापना हुई, तब भारत की हालत भी अलग थी, और हालात भी अलग थे। 1925 से लेकर 1947 तक, वो समय संघर्ष का समय था। आज़ादी का बड़ा लक्ष्य देश के सामने था। आज संघ की 100 वर्षों की यात्रा के बाद देश फिर एक अहम पड़ाव पर है। 2025 से 2047 तक के महत्वपूर्ण कालखंड, इस कालखंड में एक बार फिर बड़े लक्ष्य हमारे सामने हैं। कभी पूज्य गुरू जी ने एक पत्र में लिखा था, मैं अपने भव्य राष्ट्र प्रसाद की नींव में एक छोटा सा पत्थर बनकर रहना चाहता हूं, हमें सेवा के अपने संकल्प को हमेशा प्रज्ज्वलित रखना है। हमें अपने परिश्रम को बनाए रखना है। हमें विकसित भारत के स्वप्न को साकार करना है और जैसा मैंने अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर के नव निर्माण पर कहा था, हमें अगले एक हजार वर्षों के सशक्त भारत की नींव भी रखनी है। मुझे विश्वास है, पूज्य डॉक्टर साहेब, पूज्य गुरु जी जैसी विभूतियों का मार्गदर्शन हमें निरंतर सामर्थ्य देगा। हम विकसित भारत के संकल्प को पूरा करेंगे। हम अपनी पीढ़ियों के बलिदान को सार्थक करके रहेंगे। इसी संकल्प के साथ, आप सभी को एक बार फिर इस मंगलमय नववर्ष की अनेक-अनेक शुभकामनाएँ। बहुत-बहुत धन्यवाद!