This is an election between the 'maha jhooth' of Mahajot and 'maha vikas' of Double Engine: PM Narendra Modi in Kokrajhar
In Kokrajhar, PM Modi says Assam will show red card to Congress and its allies Yesterday, the entire state of Assam saw in a video how the identity of Assam, the symbol of the hardwork of the women of Assam 'Gamosa' was insulted publicly: PM
People of Assam trust NDA for development and peace, says PM Modi in Kokrajhar
Congress has handed over its 'hand' and fortune to leaders of that party which had pushed Kokrajhar into violence: PM Modi on Cong-AIUDF alliance

नमस्कार बंधुशकल, केने आसें अपुनआलुक ?
खुल्ंबई लोगोफ्फर, नोंग थंग मोनहा मा बोरोई दांग?

मैं पिछली बार यहां बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन के ऐतिहासिक समझौते के समय आया था। तब भी आपने भारी संख्या पहुंचकर न सिर्फ मुझे पूरे हिंदुस्तान को एक नया विश्वास दिया था और आज इतनी बड़ी तादाद में आप सभी आशीर्वाद देने के लिए पहुंचे हैं। मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। मैं देख रहा हूं कि वहां पीछे सारी जो कर्टेन बनाई थी हटानी पड़ी। बारिश आ गई सुबह, लेकिन आना लोगों का नहीं रुका, यही आपका प्यार है। इस पवित्र धरती पर बार-बार आना, आपके दर्शन करना, आपके आशीर्वाद प्राप्त करना इससे बड़ा जीवन का और सौभाग्य क्या हो सकता है। अभी प्रमोद जी ने कहा कि पीएम हमारे घर के सदस्य हैं। आप सभी का ये स्नेह आपका ये विश्वास मेरे लिए अमूल्य है, मुझे भावुक करने वाला है। और आपका मैं घर का ही सदस्य हूं तो आपका मुझ पर पूरा-पूरा अधिकार भी है।

हम मिलकर इस विश्वास को दोनों मिलकर के दिनोंदिन और मजबूत करेंगे, हम मिलकर इस क्षेत्र का विकास करेंगे, हम मिलकर यहां की गौरवशाली परंपराओं को आगे बढ़ाएंगे। मैं बोडोफा उपेंद्र नाथ ब्रह्मा जी को नमन करता हूं। मैं श्रीमंत शंकरदेव, गुरुदेव कालीचरण ब्रह्मा जी और गुरुदेव मादरराम ब्रह्मा जी जैसी संत आत्माओं से जुड़ी इस धरती का मैं वंदन करता हूं। इन्हीं के आशीर्वाद से एनडीए सरकार यहां सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास को आधार बनाकर, इसी मंत्र को लेकर के आप लोगों के कल्याण के लिए, आप लोगों के सपने पूरे करने के लिए जी जान से जुटे हुए हैं। इसलिए, पहले चरण की वोटिंग में असम के लोगों ने एनडीए को भरपूर आशीर्वाद दिया है। पहले चरण की वोटिंग ने असम में डबल इंजन की सरकार की भव्य विजय पर मुहर लगा दी है। और आज भी जो मतदान चल रहा है, सारी खबरें उत्साहजनक है, भाइयों-बहनों पूरा हिंदुस्तान इस बात को जानता है कि यहां के नौजवानों में फुटबॉल बहुत फेमस है। अगर मैं उन्हीं की भाषा में कहूं तो कांग्रेस और उसके महाझूठ को यहां के लोगों ने फिर ‘रेड कार्ड’ दिखा दिया गया है।

साथियो,
असम के विकास के लिए असम के लोगों का विश्वास एनडीए पर है। असम में शांति और सुरक्षा के लिए असम के लोगों का विश्वास एनडीए पर है। असम के सम्मान और संस्कृति की सुरक्षा के लिए असम के लोगों का विश्वास एनडीए पर है। और इसलिए, असम को दशकों तक लूटने वाले, असम की संस्कृति को तबाह करने का सपना देख रहे महाझूठ वाले बौखला रहे हैं। महाजोत वाले बड़े-बड़े झूठ बोलेंगे, अफवाहें फैलाएंगे, लेकिन असम के लोगों को उनसे सावधान रहना है, सतर्क रहना है। ये बातें कितनी ज़रूरी हैं, ये कोकराझार से बेहतर भला कौन समझ सकता है? ये चुनाव महाजोत के महाझूठ और डबल इंजन के महाविकास के बीच है। कांग्रेस ने हमारे सत्रों, हमारे नामघरों को अवैध कब्जा गिरोहों के हवाले किया, एनडीए ने उन्हें मुक्त किया। कांग्रेस ने बराक, ब्रह्मपुत्र, पहाड़, मैदान- सबको भड़काया, अंदर-अंदर टकराव करवाया, NDA ने इनको विकास के सेतु से जोड़ा है।

दिलों को दिलों से भी जोड़ा है। कांग्रेस ने, इन क्षेत्रों को पानी, बिजली, गैस, सड़क ऐसी सुविधाओं के लिए तरसाया, सालों तक तरसाया, एनडीए हर सुविधा घर तक पहुंचाने के लिए आज जी जान से जुटी हुई है। कांग्रेस ने टी गार्डन में काम करने वाले साथियों को कभी पूछा तक नहीं। ये एनडीए की ही सरकार है जिसने टी गार्डन्स में काम करने वाले मजदूर भाई-बहनों की हर चिंता के समाधान का प्रयास किया। सवा 3 लाख से ज्यादा परिवारों को भूमि के पट्टे देना हो, मजदूरी बढ़ाना हो, टी गार्डन्स में काम करने वाली बहनों-बेटियां का जीवन आसान बनाना हो, ये एनडीए की सरकार ने ही पूरी जीवटता के साथ, पूरी संवेदनशीलता के साथ और सबका साथ सबका विकास मंत्र को लेकर के पूर्ण करने का प्रयास किया है।

साथियो,
ऐसी कोई जनजाति नहीं जिससे कांग्रेस ने विश्वासघात नहीं किया। वहीं NDA सरकार, कोच, राजबोन्शी, मोरान, मोटोक, सूतिया, सभी जनजातियों के हित में कदम उठा रही है। इसके लिए नई डेवलपमेंट काउंसिल बनाने का काम यहां तेज़ी से चल भी रहा है। हमारी कोशिश है कि हर जनजाति को उसकी परंपरा, उसकी भाषा, उसके रोज़गार के लिए सुरक्षा भी मिले, सम्मान भी मिले। इस दिशा में निरंतर काम जारी है।

भाइयो और बहनो,
मुझे संतोष है कि 2016 में BTR में शांति और विकास का जो वादा हमने किया था, उसे लेकर हमने बहुत ईमानदार प्रयास किया है। कांग्रेस के लंबे शासन ने असम को बम, बंदूक और ब्लॉकेड में झोंक दिया था। NDA ने असम को शांति और सम्मान की सौगात दी है। आप याद कीजिए, ये अटल जी की ही एनडीए सरकार थी, जिसने Bodoland Territorial council का अधिकार आपको दिया था। और ये भी देखिए, NDA की वर्तमान केंद्र सरकार है, जिसने स्थाई शांति के लिए ऐतिहासिक बोडो अकॉर्ड पर मुहर लगाई है। आज BTR का विस्तार भी हुआ है और विकास की नई शुरुआत भी हुई है। बोडोलैंड के स्थायी विकास के लिए हमारा मंत्र है- Peace, Progress और Protection यानी, शांति, समृद्धि और सुरक्षा। बीते वर्षों में बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन के विकास के लिए सैकड़ों करोड़ रुपए विशेष तौर पर दिए गए हैं। इसके तहत अनेक प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है। कोकराझार में मेडिकल कॉलेज के निर्माण का कार्य तेज़ गति से चल रहा है।

1500 करोड़ रुपए का पैकेज घोषित किया गया है, उसको भी तेज़ी से लागू करने की कोशिश की जा रही है। बोडोलैंड यूनिवर्सिटी, सेंट्रल इंस्टीट्यूट और टेक्नॉलॉजी, बिनेश्वर ब्रह्मा इंजीनियरिंग कॉलेज, बोडोलैंड भवन, ऐसे अनेक काम अब यहां की पहचान बन रहे हैं। बोडो समाज की संस्कृति, यहाँ की पहचान, यहाँ की भाषा, यहां की परंपराएं परम्पराएँ, इन सब की सुरक्षा ये भी हमारा पहला संकल्प है और इसको पूरा करना हम अपना दायित्व मानते हैं। थुलुंगापुरी में बोडोफा उपेंद्रनाथ ब्रह्मा जी के नाम से एक cultural Complex और Centre of Excellence यहां का गौरव और बढ़ाएगा। यही नहीं, बोडो भाषा को संविधान के 8th शैड्यूल में डालने का काम भी किया जा चुका है। बोडो समाज की पहचान को सुरक्षित रखने के लिए, और समृद्ध करने लिए एनडीए सरकार प्रतिबद्ध है।

साथियो,
शांति और विकास के इसी विश्वास के कारण BTR चुनावों में आपने भाजपा को भरपूर समर्थन दिया, United People's Party Liberal के साथ हमारे गठबंधन को सेवा का अवसर दिया। जो प्यार आपने काउंसिल चुनावों में दिया है, उससे भी अधिक आशीर्वाद विधानसभा के लिए मिलेगा, ये मैं आज मेरी आंखों के सामने देख रहा हूं। कोई भी पोलिटिकल पंडित देख ले ये क्या नजारा है। मैदान छोटा पड़ गया… मैदान छोटा पड़ गया। मैं दूर-दूर ये जो बॉउंड्री बनाई है उसके पीछे भी लोगों को देख रहा हूं।

भाइयो और बहनो,
लंबे समय के बाद असम में शांति लौटी है। जो साथी बंदूक छोड़कर लौटे हैं, उनकी हर संभव सहायता के लिए एनडीए सरकार प्रतिबद्ध है। अभी भी जो साथी नहीं लौटे हैं, उनसे भी मेरा आग्रह है कि शांति और विकास के इस मिशन से आप भी जुड़ जाइए। साथियो, कांग्रेस के कुशासन ने कैसे कोकराझार को सालों-साल तक हिंसा में झुलसने दिया, ये आप और हम कभी भी भूल नहीं सकते। कोकराझार के युवा, कोकराझार की बहनें, कोकराझार का हर नागरिक हिंसा का वो दौर भूला नहीं है। उस दौर में दिल्ली से लेकर गोवाहाटी तक कांग्रेस की सरकारें, चुपचाप तमाशा देखती रहीं। और आज हिम्मत देखिए, कांग्रेस एक महाझूठ बनाकर, एक बार फिर कोकराझार सहित पूरे बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन को छलने निकले हैं। जिस दल के नेताओं ने कोकराझार को हिंसा की आग में झोंका था, आज कांग्रेस ने अपना हाथ और अपना भाग्य उन लोगों को थमा दिया है। जिन लोगों को कांग्रेस ने तब अपने वोटबैंक की खातिर बचाया था, उन्हीं के सहारे आज कांग्रेस असम में सत्ता हासिल करने के लिए सपने देख रही है।

भाइयो और बहनो,
कल एक वीडियो में पूरे असम ने देखा है कि कैसे असम की पहचान, असम की बहनों के श्रम के प्रतीक, यहां की एक पहचान, गमोसा, गमोसा का सरेआम अपमान किया गया। असम को प्यार करने वाला हर व्यक्ति, इन तस्वीरों को देखकर बहुत आहत है, बहुत गुस्से में है। कांग्रेस के नेता बार-बार कहते हैं कि ये ताला-चाबी वाले असम की पहचान है। कांग्रेस के झूठ, उसकी साजिश को समझिए। सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस इन लोगों के सामने समर्पण कर चुकी है। इस अपमान की सज़ा कांग्रेस को तो मिलेगी ही, इस पूरे महाझूठ को मिलेगी। साथियों, असम की ये शांति, हम सभी ने बहुत मुश्किल से हासिल की है। इसको अब किसी भी हालत में कांग्रेस और उसके साथियों के हाथों लुटने नहीं देना है। कोकराझार, BTR सहित पूरे असम के विकास से कांग्रेस का कोई सरोकार नहीं है। इनको सिर्फ अपनी जेब भरने से, अहम की संस्कृति को तबाह करने से मतलब है। इसी कोशिश में ये महाजोत नाम का महाझूठ यहां लगा हुआ है।

भाइयो और बहनो,
असम के निरंतर विकास के लिए डबल इंजन की सरकार बहुत जरूरी है। यानि, केंद्र में भी एनडीए सरकार, राज्य में भी एनडीए सरकार। जब दोनों की ताकत लगती है, तो और तेजी से काम होता है। आज रेल हो, रोड हो या हवाई कनेक्टिविटी, इस क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाई जा रही है। गरीब को अपना पक्का घर मिले, इसके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ही कोकराझार में हजारों गरीबों के लिए घर बनाए गए हैं। इसी तरह टॉयलेट की सुविधा से भी हर गरीब परिवार को जोड़ा गया है। घर और टॉयलेट के बाद, अब हर घर जल पहुंचाने का काम तेज़ी से चल रहा है। अभी तक करीब साढ़े 4 लाख नल कनेक्शन दिए जा चुके हैं। 2 मई के बाद घर-घर पाइप से पानी पहुंचाने के इस अभियान को तेज़ किया जाएगा। इसका बहुत बड़ा लाभ हमारी बहनों को होगा, बेटियों को होगा।

साथियो,
असम में महिला सशक्तिकरण के लिए एनडीए सरकार तेजी से काम कर रही है। केंद्र की योजनाओं को यहां की सरकार ने ना सिर्फ लागू किया बल्कि उनमें अपनी तरफ से भी काफी मदद जोड़ी है। गर्भवती महिलाओं को विशेष मदद हो, टीकाकरण हो, टीकाकरण की व्यवस्था हो, ऐसे अनेक प्रयास यहां तेजी से किए गए हैं। सेल्फ हेल्प ग्रुप के माध्यम से महिलाओं को रोज़गार से जोड़ने में भी असम की एनडीए सरकार आगे रही है। कनकलता महिला सबलीकरण योजना की प्रशंसा चारों तरफ हो रही है, बहुत हो रही है। इसके तहत सैकड़ों करोड़ रुपए, बहनों के समूहों को दिए गए हैं। लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अनेक महिला कॉलेज भी खोले गए हैं।

भाइयो और बहनो,
असम में पढ़ाई, कमाई, दवाई और सिंचाई की सुविधाएं मिले, इसके लिए हर स्तर पर काम किया जा रहा है। यहां के हज़ारों किसान हमारे हजारों किसान साथियों को पीएम किसान सम्मान निधि का सीधा लाभ मिल रहा है। कोकराझार में खेती और खेती से जुड़े व्यापार के लिए बहुत संभावनाएं हैं। इसके लिए भंडारण से लेकर ट्रांसपोर्ट से जुड़ा आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना हमारी प्राथमिकता है। इसके लिए केंद्र सरकार, छोटे किसानों के किसान उत्पादक संघ बना रही है और उनको विशेष फंड से मदद भी दे रही है। बैंबू को लेकर हमारी सरकार ने जो नियम बदला है, उससे बैंबू के ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा और आसान हो गई है। इसी तरह, यहां जैसे-जैसे कनेक्टिविटी का इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर होता जाएगा, वैसे-वैसे टूरिज्म, विशेष रूप से इको-टूरिज्म इसका भी लाभ अहम सेंटर बनता जाएगा। आने वाले 5 सालों के लिए हमारे हर काम के लिए असम भाजपा ने संकल्प पत्र सामने रखा है। शांति और विकास का ये डबल इंजन मज़बूत हो, इसके लिए NDA के हर उम्मीदवार को जिताना है। प्रमोद जी जैसा नेतृत्व, जिसमें आत्मविश्वास भरा है, जिसमें विजन भरा है, ऐसे नेतृत्व को लेकर के हम आगे बढ़ना चाहते हैं। मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए… मैं कहूंगा फिर एक बार, आप पूरी ताकत से बोलिए NDA सरकार !
फिर एक बार…
फिर एक बार…
फिर एक बार…
फिर एक बार…
असम में होगी महाजोत के महाझूठ की महा हार!
आप सब का बहुत-बहुत धन्यवाद! मेरे साथ बोलिए
भारत माता की…
भारत माता की…
भारत माता की…

 

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!