The Rule of Law has been a core civilizational value of Indian society since ages: PM Modi
About 1500 archaic laws have been repealed, says PM Modi
No country or society of the world can claim to achieve holistic development or claim to be a just society without Gender Justice: PM Modi

चीफ़ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस बोबड़े, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद जी, मंच पर उपस्थित सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश गण, अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया, इस कॉन्फ्रेंस में आए दुनिया के अन्य उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, भारत के सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट्स के सम्मानित Judges, अतिथिगण, देवियों और सज्जनों !!

दुनिया के करोड़ों नागरिकों को न्याय और गरिमा सुनिश्चित करने वाले आप सभी दिग्गजों के बीच आना, अपने आप में बहुत सुखद अनुभव है।

न्याय की जिस chair पर आप सभी बैठते हैं, वो सामाजिक जीवन में भरोसे और विश्वास का महत्वपूर्ण स्थान है।

आप सभी का बहुत-बहुत अभिनंदन !!!

साथियों,

ये कॉन्फ्रेंस, 21वीं सदी के तीसरे दशक की शुरुआत में हो रही है। ये दशक भारत सहित पूरी दुनिया में होने वाले बड़े बदलावों का दशक है। ये बदलाव सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी, हर मोर्च पर होंगे।

ये बदलाव तर्क संगत होने चाहिए और न्यायसंगत भी होने चाहिए, ये बदलाव सबके हित में होने चाहिए, भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए होने चाहिए, और इसलिए, Judiciary and The Changing World पर मंथन बहुत महत्वपूर्ण है।

साथियों, ये भारत के लिए बहुत सुखद अवसर भी है कि ये महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस, आज उस कालखंड में हो रही है, जब हमारा देश, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जन्मजयंति मना रहा है।

पूज्य बापू का जीवन सत्य और सेवा को समर्पित था, जो किसी भी न्यायतंत्र की नींव माने जाते हैं।

औऱ हमारे बापू खुद भी तो वकील थे, बैरिस्टर थे। अपने जीवन का जो पहला मुकदमा उन्होंने लड़ा, उसके बारे में गांधी जी ने बहुत विस्तार से अपनी आत्मकथा में लिखा है।

गांधी जी तब बंबई, आज के मुंबई में थे। संघर्ष के दिन थे। किसी तरह पहला मुकदमा मिला था लेकिन उन्हें कहा गया कि उस केस के ऐवज में उन्हें किसी को कमीशन देना होगा।

गांधी जी ने साफ कह दिया था कि केस मिले या न मिले, कमीशन नहीं दूंगा।

सत्य के प्रति, अपने विचारों के प्रति गांधी जी के मन में इतनी स्पष्टता थी।

और ये स्पष्टता आई कहां से?

उनकी परवरिश, उनके संस्कार और भारतीय दर्शन के निरंतर अध्ययन से।

Friends,

भारतीय समाज में Rule of Law सामाजिक संस्कारों का आधार रहा है।

हमारे यहां कहा गया है- ‘क्षत्रयस्य क्षत्रम् यत धर्म:’। यानि Law is the King of Kings, Law is supreme. हजारों वर्षों से चले आ रहे ऐसे ही विचार, एक बड़ी वजह हैं कि हर भारतीय की न्यायपालिका पर अगाध आस्था है।

साथियों,

हाल में कुछ ऐसे बड़े फैसले आए हैं, जिनको लेकर पूरी दुनिया में चर्चा थी।

फैसले से पहले अनेक तरह की आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं। लेकिन हुआ क्या? 130 करोड़ भारतवासियों ने न्यायपालिका द्वारा दिए गए इन फैसलों को पूरी सहमति के साथ स्वीकार किया। हजारों वर्षों से, भारत, न्याय के प्रति आस्था के इन्हीं मूल्यों को लेकर आगे बढ़ रहा है। यही हमारे संविधान की भी प्रेरणा बना है। पिछले वर्ष ही हमारे संविधान को 70 वर्ष पूरे हुए हैं।

संविधान निर्माता डॉक्टर बाबा साहब अंबेडकर ने कहा था-

“Constitution is not a mere lawyer’s document, it is a vehicle of life, and its spirit is always a spirit of age.”

इसी भावना को हमारे देश की अदालतों, हमारे सुप्रीम कोर्ट ने आगे बढ़ाया है।

इसी स्पिरिट को हमारी Legislature और Executive ने जीवंत रखा है।

एक दूसरे की मर्यादाओं को समझते हुए, तमाम चुनौतियों के बीच कई बार देश के लिए संविधान के तीनों Pillars ने उचित रास्ता ढूंढा है।

और हमें गर्व है कि भारत में इस तरह की एक समृद्ध परंपरा विकसित हुई है।

बीते पाँच वर्षों में भारत की अलग-अलग संस्थाओं ने, इस परंपरा को और सशक्त किया है।

देश में ऐसे करीब 1500 पुराने कानूनों को समाप्त किया गया है, जिनकी आज के दौर में प्रासंगिकता समाप्त हो रही थी।

और ऐसा नहीं है कि सिर्फ कानून समाप्त करने में तेजी दिखाई गई है।

समाज को मजबूती देने वाले नए कानून भी उतनी ही तेजी से बनाए गए हैं।

Transgender Persons के अधिकारों से जुड़ा कानून हो, तीन तलाक के खिलाफ कानून हो या फिर दिव्यांग-जनों के अधिकारों का दायरा बढ़ाने वाला कानून, सरकार ने पूरी संवेदनशीलता से काम किया है।

Friends,

मुझे खुशी है कि इस कॉन्फ्रेंस में Gender Just World के विषय को भी रखा गया है।

दुनिया का कोई भी देश, कोई भी समाज Gender Justice के बिना पूर्ण विकास नहीं कर सकता और ना ही न्यायप्रियता का दावा कर सकता है। हमारा संविधान Right to Equality के तहत ही Gender Justice को सुनिश्चित करता है।

भारत दुनिया के उन बहुत कम देशों में से एक है, जिसने स्वतंत्रता के बाद से ही महिलाओं को वोट देने का अधिकार सुनिश्चित किया। आज 70 साल बाद अब चुनाव में महिलाओं का ये Participation अपने सर्वोच्च स्तर पर है।

अब 21वीं सदी का भारत, इस Participation को दूसरे पहलुओं में भी तेज़ी से आगे बढ़ा रहा है।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे सफल अभियानों के कारण पहली बार भारत के Educational Institutions में Girls Child का Enrolment, लड़कों से ज्यादा हो गया है।

इसी तरह सैन्य सेवा में बेटियों की नियुक्ति हो, फाइटर पाइलट्स की चयन प्रक्रिया हो, माइन्स में रात में काम करने की स्वतंत्रता हो, सरकार द्वारा अनेक बदलाव किए गए हैं।

आज भारत दुनिया के उन कुछ देशों में शामिल है जो देश की करियर वूमेन को 26 हफ्ते की Paid Leave देता है।

साथियों,

परिवर्तन के इस दौर में भारत नई ऊँचाई भी हासिल कर रहा है, नई परिभाषाएं गढ़ रहा है और पुरानी अवधारणाओं में बदलाव भी कर रहा है।

एक समय था जब कहा जाता था कि तेजी से विकास और पर्यावरण की रक्षा, एक साथ होना संभव नहीं है।

भारत ने इस अवधारणा को भी बदला है। आज जहां भारत तेजी से विकास कर रहा है, वहीं हमारा Forest Cover भी तेज़ी से Expand हो रहा है। 5-6 साल पहले भारत विश्व की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। 3-4 दिन पहले ही जो रिपोर्ट आई है, उसके मुताबिक अब भारत विश्व की 5 वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

यानि भारत ने ये करके दिखाया है कि Infrastructure के निर्माण के साथ-साथ Environment को भी सुरक्षित रखा जा सकता है।

साथियों,

मैं आज इस अवसर पर, भारत की न्यायपालिका का भी आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जिसने विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन की गंभीरता को समझा है, उसमें निरंतर मार्गदर्शन किया है।

अनेक Public Interest Litigations-PILs की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी पर्यावरण से जुड़े मामलों को नए सिरे से परिभाषित किया है।

साथियों,

आपके सामने न्याय के साथ ही, शीघ्र न्याय की भी चुनौती हमेशा से रही है। इसका एक हद तक समाधान टेक्नोलॉजी के पास है।

विशेषतौर पर Court के Procedural Management को लेकर इंटरनेट आधारित टेक्नॉलॉजी से भारत के Justice Delivery System बहुत लाभ होगा।

सरकार का भी प्रयास है कि देश की हर कोर्ट को e-court Integrated Mission Mode Project से जोड़ा जाए। National Judicial Data Grid की स्थापना से भी कोर्ट की प्रक्रियाएं आसान बनेंगी।

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मानवीय विवेक का तालमेल भी भारत में न्यायिक प्रक्रियाओं को और गति देगा। भारत में भी न्यायालयों द्वारा इस पर मंथन किया जा सकता है कि किस क्षेत्र में, किस स्तर पर उन्हें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की सहायता लेनी है।

इसके अलावा बदलते हुए समय में Data Protection, Cyber Crime, जैसे विषय भी अदालतों के लिए नई चुनौती बनकर उभर रहे हैं। इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, ऐसे अनेक विषयों पर इस कॉन्फ्रेंस में गंभीर मंथन होगा, कुछ सकारात्मक सुझाव सामने आएंगे। मुझे विश्वास है कि इस कॉन्फ्रेंस से भविष्य के लिए अनेक बेहतर समाधान भी निकलेंगे।

एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाओं के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं !! धन्यवाद !!!

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Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.