QuoteJungleraaj govt. had built an industry of kidnapping and extortion in Bihar: PM
QuoteThey were railway ministers so long but has the demands of Munger been met: PM
QuoteWe plan to do lot of work for Bihar and we need your help, you need to remove this disruptive govt: PM
QuoteMahaswarthbandhan has looted Bihar for 60 years; we must not give them another chance: PM
QuoteJungleraaj is at its peak in Bihar, there had been 4000 kidnappings between January to July this year: PM

भारत माता की जय

मंच पर विराजमान बिहार के हमारे वरिष्ठ साथी श्रीमान सुशील कुमार मोदी जी, बिहार विधान परिषद् के सदस्य श्रीमान कुशवाहा जी, हम पार्टी के अध्यक्ष और तारापुर से उम्मीदवार श्रीमान शकुनी चौधरी जी, सांसद श्री गजेन्द्र सिंह, श्री पाटिल, पूर्व सांसद श्री सूरजभान सिंह, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के महासचिव श्रीमान शिवराज सिंह जी, मुंगेर की सांसद श्रीमती वीणा देवी, भाजपा जिलाध्यक्ष शिवकुमार जी, रालोसपा के जिलाध्यक्ष श्रीमान रणधीर सिंह, मुंगेर नगर निगम की मेयर श्रीमती कुमकुम देवी, मुंगेर नगर निगम की डिप्टी मेयर सुश्री बेबी चंकी, सूर्यगढ़ से उम्मीदवार श्री प्रेम रंजन जी, भाजपा से लखीसराय के विधानसभा उम्मीदवार विजय कुमार सिन्हा जी, भाजपा मुंगेर से उम्मीदवार श्री प्रणव यादव जी, लोजपा से जमालपुर से उम्मीदवार श्री मानसुख कुंवर जी, सुभाष चन्द्र बोस जी, बहुत-बहुत धन्यवाद साथियों।

सभी को इस विराट जन समुदाय का आशीर्वाद मिला है और यह इस बात का सबूत है कि अब बिहार में क्या होने वाला है। एक सच बता दूँ, मैं गुजरात में कई वर्षों तक मुख्यमंत्री रहा और गुजरात में लम्बे अरसे तक लोगों ने भाजपा को सरकार बनाने का अवसर दिया लेकिन कभी सुबह 10-11 बजे ऐसी रैली करनी हो तो हम नहीं कर पाएंगे। हम शाम के समय का इंतज़ार करते हैं। मैं हैरान हूँ कि आप लोग सोते हो कि नहीं सोते हो। ये दृश्य अपने आप में इस बात का सबूत है कि हवा का रुख़ किस तरफ़ चल रहा है। देश के पोलिटिकल पंडितों को इस बार अपने सारे राजनीतिक समीक्षा के आधार बदलने के लिए बिहार ने मज़बूर कर दिया। लम्बे अरसे तक बिहार की राजनीति की चर्चा या तो कुछ नेताओं के इर्द-गिर्द रहती थी या कुछ जातियों के इर्द-गिर्द रहती थी; पहली बार बिहार का चुनाव युवाओं के जोश के आस-पास केन्द्रित हुआ है, पहली बार चुनाव विकास के विचार पर केन्द्रित हुआ है। मैं समझता हूँ कि हिंदुस्तान के सभी राजनीतिक पंडितों को इस बात पर मुहर लगाने के दिन आ गए हैं।

आज 8 अक्टूबर है। मुझे मुंगेर की उस धरती पर आने का सौभाग्य मिला है जहाँ योग को आधुनिक रूप दिया गया। पूरे विश्व को मुंगेर ने आकर्षित किया और यही मुंगेर जैसी कई योगपीठ है देश में जिसने दुनिया के 190 से ज्यादा देशों को योग मनाने के लिए प्रेरित किया। मैंने 8 अक्टूबर को याद इसलिए किया क्योंकि 1979 में इसी दिन हमने हमारे प्राणप्रिय नेता आदरणीय जयप्रकाश नारायण को खो दिया था। जयप्रकाश नारायण जी में मौत से भी मुकाबला करने की ताक़त थी। उन्होंने अंग्रेज़ों के नाकों में दम कर दिया था। आजादी के बाद वे सुशासन के लिए लड़ते रहे, भ्रष्टाचार से लड़ते रहे, देश के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन खपा दिया और संपूर्ण क्रांति का मंत्र लेकर के देश के नौजवानों में एक नई चेतना भर दी थी लेकिन जयप्रकाश बाबू, कोई कल्पना नहीं कर सकता था कि हमारे बीच से चले गए।

कांग्रेस पार्टी ने इस देश में आपातकाल लगाया था। हिंदुस्तान को जेलखाना बना दिया था और जयप्रकाश नारायण जी को जेल की सलाखों के पीछे धकेल दिया था और यहीं उनकी बीमारी आई और उन्हें ले गई। दुर्भाग्य देखिये कि को कभी जयप्रकाश नारायण जी का गीत गाते थे, यही लोग उस कांग्रेस के साथ बैठे हैं जिस कांग्रेस ने जयप्रकाश बाबू को जेल के अन्दर बंद कर दिया था। ये स्वार्थ की राजनीति नहीं है तो क्या है; ये जयप्रकाश नारायण जी के साथ धोखा नहीं है तो क्या है। राम मनोहर लोहिया जीवनभर गैर-कांग्रेसी विचारों के लिए जूझते रहे। उसी राम मनोहर लोहिया का नाम लेने वाले लोग आज कांग्रेस द्वारा पिलाये गए पानी को पीकर के हमें कोसते हैं। इसलिए मैं कहने आया हूँ कि हमें बिहार के भाग्य को बदलना है और मेरा यह विश्वास है कि बिहार के ये नौजवान बिहार की तक़दीर भी बदलेंगे, बिहार की तस्वीर भी बदलेंगे।

मैं आज मुंगेर की इस धरती पर आया हूँ तो यह स्वाभाविक है कि मुझे नंदलाल बोस जी को स्मरण करना चाहिए। यहाँ बहुत कम लोगों को उनके विषय में सुनने का अवसर मिला होगा। तारापुर में जन्मे नंदलाल बोस, जिस प्रकार बाबा अम्बेदकर ने भारत को संविधान दिया, उस संविधान को नया रूप-रंग देने का काम मुंगेर के लाल नंदलाल बोस ने किया। अलग-अलग खण्डों में 22 चित्र, जो आज भी हमारे संविधान का मूल तत्त्व है, वे 22 चित्र, उसकी सजावट, उसका रंग-रोगन इसी मुंगेर की धरती के बेटे नंदलाल बोस ने किया था। मैं आज उनको आदरपूर्वक नमन करता हूँ। कला, संस्कृति, ये बिहार के रग-रग में हैं और जब भी मौका मिला, इसने अपना असली रूप दिखाया है इसलिए पूरा देश बिहार का गौरवगान करता है, बिहार का आदर और सम्मान करता है।

भाईयों-बहनों, जब मैं जयप्रकाश जी को याद करता हूँ तो स्वाभाविक... पुराना मुंगेर जिला था; अब तो उसके हिस्से हो गए। सिमरिया में राष्ट्रकवि दिनकर का जन्म हुआ था और उनकी वह कविता जिसने पूरे देश के नौजवानों को प्रेरित किया था, “सिंहासन खाली करो कि जनता आती है”, इसी को लेकर के इतिहास का नौजवान चल पड़ा था। इस बार इस चुनाव में बिहार के भाग्य को बदलने के लिए संकल्प लेना पड़ेगा।

मेरा जन्म गुजरात की धरती पर हुआ है। ये वो धरती है जहाँ चरखाधारी मोहन महात्मा गाँधी का जन्म हुआ था। ये वो धरती है जहाँ के चक्रधारी द्वारकाधीश भगवन श्रीकृष्ण थे। और देखिये आज भी इस धरती पर द्वारकाधीश की परंपरा कैसी चल रही है। श्रीकृष्ण के संस्कारों की छाया उस धरती को कितनी प्रेरणा देती है, यही तो कारण है कि वहां हमारे यहाँ जो यदुवंशी लोग हैं जिन्होंने देश को श्वेत क्रांति दी और आज दूध के क्षेत्र में अमूल जैसी कई डेयरियाँ गुजरात की प्रसिद्ध है। भारत में श्वेत क्रांति का केंद्र बिंदु गुजरात बन गया था। श्रीकृष्ण की परंपरा को उन्होंने गौ-पालन करके निभाया।

लेकिन यहाँ के एक नेता क्या-क्या खा गए और उन्होंने यदुवंशियों का अपमान किया है। लालू जी चुनाव आते हैं, जाते हैं लेकिन आप ये मत भूलिये कि यही यदुवंश के लोग थे जो आपके साथ खड़े रहे थे और तब जाकर आपको सत्ता के सिंहासन तक जाने का अवसर मिला था। आज यदुवंश के लोग अगर आपको सवाल करते हैं तो आप उन पर क्या-क्या आरोप लगते हो। इतना गंभीर आरोप उन्होंने लगाया है कि यदुवंशी क्या खाते हैं। ये यदुवंश का अपमान है कि नहीं? ये बिहार का अपमान है कि नहीं? और जब यदुवंश का गुस्सा भड़क गया तो वो कह रहे हैं कि मेरे भीतर शैतान प्रवेश कर गया। मेरे मन में एक सवाल उठता है कि शैतान को यही ठिकाना मिला क्या, पूरे हिन्दुस्तान में, पूरे विश्व में कोई ठिकाना नहीं मिला; मिला तो सिर्फ़ लालू जी का ठिकाना मिला। मुझे बताईये, आपके घर, आपके गाँव, आपके मोहल्ले आया आपके शरीर में शैतान आने की हिम्मत कर सकता है? जैसे रिश्तेदार आता है और हम पहचान लेते हैं; उन्होंने शैतान को पहचान भी लिया। अब मुझे बताईये कि जहाँ शैतान रहने की हिम्मत कर सकता है, जहाँ शैतान को रहने के लिए अच्छी खातिरदारी मिल सकती है, ऐसे लोगों के लिए बिहार में कोई जगह हो सकती है क्या? इसलिए शैतान ने जिसका पता ढूंढ लिया है, उस पते पर कभी हम देखेंगे भी नहीं।

अब तो बिहार को बचाना है, इसे आगे बढ़ाना है। अब तक तो हम सोचते थे कि हमारी लड़ाई इंसानों से है, पहली बार पता चला कि इंसानों के अन्दर शैतान पहुँच जाता है और वो हमारे पीछे पड़ा हुआ है। आप कल्पना कीजिये, बिहार में आजादी के बाद राज किसने किया? 35 साल तक राज किया कांग्रेस ने, और 25 साल तक राज किया इन बड़े-छोटे भाईयों ने। जिन्होंने ये 60 साल बिहार को लूटा है, अब वो आकर के स्वार्थबंधन बना रहे हैं और छोटा नहीं, ‘महास्वार्थबंधन’। भाईयों-बहनों, क्या बिहार को और अधिक बर्बाद होने देना है? बिहार को तबाही से मुक्त कराना है? 60 साल तक जिन्होंने बिहार के भविष्य को रौंद डाला है, क्या ऐसे ‘महास्वार्थबंधन’ को अब बिहार में जगह देनी चाहिए? हमेशा-हमेशा के लिए मुक्ति होनी चाहिए कि नहीं?

इस कांग्रेस पार्टी की जब सामने से आने की ताकत ख़त्म हो गई है तो पिछले दरवाजे से आ गए हैं। आज कांग्रेस के नेता अपने किसी नेता का गुणगान गाने की ताकत खो चुके हैं। कांग्रेस का ऐसा हाल कभी देश ने देखा नहीं था और उसका कारण हिन्दुस्तान के किसी भी कोने में छोटा या बड़ा राजनेता हो; किसी कस्बे या विचारधारा का हो; सार्वजनिक जीवन में अहंकार कितना विनाश करता है, उसका उदाहरण कांग्रेस पार्टी है। ये जनता है, चुप रहती लेकिन समय आने पर चुन-चुन कर हिसाब चुकता करती है। लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस के अहंकार का क्या हुआ, ये सब जानते हैं इस बार बिहार के चुनाव में अहंकार कैसे पराजित होने वाला है, ये बिहार के नौजवान करके दिखाने वाले हैं।

कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि ये चुनाव सीधा-सीधा दो बातों पर है; निर्णय आपको करना है। एक तरफ जंगलराज है और एक तरफ विकासराज है। जंगलराज और विकासराज के बीच की लड़ाई है। आप मुझे बताईये कि जंगलराज फिर से आने देना चाहिए? अभी भनक आ गई है। बिहार सरकार के खुद के आंकड़े, जनवरी से जुलाई के आंकड़े कह रहे हैं कि बिहार में जंगलराज का जो सबसे बड़ा उद्योग लगा था वह था - अपहरण करो, फ़िरौती लो। जनवरी से जुलाई के आंकड़े जो बिहार सरकार ने घोषित किये हैं, उसके हिसाब से 4000 घटनाएं अपहरण की हुई हैं। अब आप मुझे बताईये कि क्या फिर से ये अपहरण के दिन आने देने हैं?

आपको याद है आने वाले दिनों में त्यौहार का मौसम है, दुर्गापूजा की धूम होगी, विजयादशमी का महोत्सव आएगा, रामलीला चलेगी; आपमें से बहुत लोग होंगे जिनका जन्म भी नहीं हुआ होगा या बहुत बचपन के दिन होंगे; दुर्गा मंडप में जाना हो और मां शाम को रोकती थी और कहती थी कि अब सूरज ढालने वाला है और बाहर नहीं जा सकते; मां को यहीं से नमन कर लो; ये दिन थे कि नहीं थे? रामलीला हुआ करती थी लेकिन शाम के समय में लोग जाने से डरते थे। त्यौहार के दिनों में कोई अगर नई गाड़ी खरीद ले तो बेचारे तो चिंता रहती थी कि यहाँ के किसी नेता को पता चल गया तो उसके चेले-चपाटे यहाँ से आकर के गाड़ी उठाकर ले जाएंगे। गाड़ी भी जाएगी, पैसे भी जाएंगे और मांगने गए तो जान भी चली जाएगी। ये दिन बिहार ने देखे हैं कि नहीं देखें हैं? इसलिए मैं कहता हूँ कि बिहार में चुनाव विकासराज के लिए होना चाहिए न कि जंगलराज के लिए।

भाईयों-बहनों, बिहार एक ऐसा प्रदेश है जहाँ कुछ इलाकों में इतना पानी है, जिस पानी के लिए हिन्दुस्तान के बहुत सारे इलाके तरसते हैं और बिहार एक ऐसा प्रदेश है जहाँ नौजवान भरे पड़े हैं। यहाँ किसी को कुछ भी न आए और सिर्फ़ यहाँ के पानी और जवानी पर ध्यान केन्द्रित कर दिया जाए तो बिहार का जीवन बदल जाएगा। यहाँ ऐसी सरकारें आई हैं जब बिहार का पानी भी बर्बाद हुआ और यहाँ की जवानी भी पलायन कर गई। मुझे बिहार का पानी और यहाँ की जवानी, इन दोनों पर मेरा भरोसा है जो न सिर्फ़ बिहार को बल्कि पूरे हिन्दुस्तान को बदलेंगे। मैं यह विश्वास लेकर यहाँ आया हूँ।

पानी का सही प्रबंध हो और जवानी को सही अवसर मिले; देश कहाँ से कहाँ पहुँच जाएगा लेकिन पानी गया तो गया और हम तो जानते हैं कि बिहार में एक और उद्योग चल पड़ा है, रेत की चोरी करने का सारी नदियों का कितना बुरा हाल है। नदी के किनारे पर रहने वाले लोग बालू चोरों के कारण कितने परेशान हैं, वो यहाँ के लोग भली-भांति जानते हैं। पानी तो नहीं बचा, बालू तक नहीं बचने दिया इन लोगों ने और यह बिहार की बर्बादी का कारण बना। ये आवश्यक है कि हमें बिहार के विकास की ओर ध्यान केन्द्रित करना है। मैं जरा पूछना चाहता हूँ इन नेताओं से कि मोदी-मोदी की माला जपते रहते हैं। आपका प्यार अलग है; आप मोदी-मोदी बोलते हो तो उनकी नींद खराब होती है।

भाईयों-बहनों, बिहार के ये दोनों महाशय रेल मंत्री थे कि नहीं? इतने साल रेल मंत्री रहे कि नहीं रहे? कोई मुझे बताये कि मुंगेर के रेल पुल का काम कर पाए? ये पूरा होना चाहिए कि नहीं? उन्होंने किया? वो तो बिहार के थे, रेल मंत्री रहे लेकिन मुंगेर का पुल नहीं बना; पटना का पुल लटका पड़ा है। ये इनके इरादे हैं और इसलिए मैं ये कहने आया हूँ कि हमें विकास की गाड़ी को तेज़ चलाना है। मैं आपको एक बात और बताना चाहता हूँ। 11वीं, 12वीं पंचवर्षीय योजना, क्या हुआ? यहां के मुख्यमंत्री जी ने 24 घंटे बिजली देने का वादा किया था। 2010 के चुनाव में आपको बिजली देने का वादा किया था? अगर बिजली नहीं दूंगा तो 2015 में नहीं आऊंगा, वोट नहीं मांगूंगा; ये कहा था? उन्होंने वचन का पालन किया? आपके साथ धोखा किया कि नहीं? बिजली तो छोड़ो, उन्होंने कैसी सरकार चलाई है; मैं बता रहा हूँ।

11वीं और 12वीं पंचवर्षीय योजना, बिहार को गाँवों में बिजली के लिए 8215 करोड़ रुपये दिल्ली से मिले लेकिन ये लोग बिहार में ऐसी सरकार चला रहे हैं, 8000 करोड़ में से सिर्फ़ 1300 करोड़ का खर्च कर पाए। खर्च करने की भी ताकत नहीं है; न ताकत है और न इरादा है और जब तक उनका बंटवारा तय नहीं होता बात आगे चलती नहीं और इसलिए काम आगे रुकी पड़ी है। मैंने सपना देखा है कि 2022 में जब आज़ादी के 75 साल होंगे, मैं हिन्दुस्तान के हर गाँव में 24 घंटे बिजली पहुँचाना चाहता हूँ। मैं जहाँ जाता हूँ, बिजली की बात को आगे बढ़ा रहा हूँ और एक बार बिजली आती है तो सिर्फ़ दीया जलता है, ऐसा नहीं है; पूरी ज़िन्दगी रौशन हो जाती है, पीढ़ी रौशन हो जाती है; रोजगार मिलते हैं; शिक्षा मिलती है; कारखाने लगने लगते हैं; किसान को अपने उत्पाद में मूल्य वृद्धि का अवसर मिलता है और इसलिए बिजली को आगे बढ़ाना, बिजली से जीवन में सुधार लाना, एक बहुत बड़े काम का बीड़ा हमने उठाया है और काम तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। पिछले 30 सालों में जितनी बिजली का उत्पादन नहीं हुआ, उतनी बिजली का उत्पादन हमने एक साल में करके दिखाया है। अगर काम करने वाली सरकार हो तो काम कैसे होता है, ये हमने करके दिखाया है।

मैं जंगलराज का उदाहरण देना चाहता हूँ। मैं आपको याद कराना चाहता हूँ। जनवरी 2014, याद कीजिये, सुकराबाद पुलिस स्टेशन; 70 साल के एक बुजुर्ग श्री देविका चौधरी जी को पुलिस उठाकर ले गई क्योंकि बिजली को बिल झूठा आया था (बिजली आई नहीं लेकिन बिजली को बिल जरूर आया)। सुकराबाद पुलिस स्टेशन में 70 साल के बुजुर्ग श्री देविका चौधरी जी को इतना मारा गया कि उनकी मौत हो गई। भाईयों-बहनों, पुलिस थाने में बुलाकर निर्दोष लोगों को मरने का कारोबार चला लेकिन इन नेताओं को कोई चिंता नहीं थी। एक ऐसी सरकार जो यहाँ के समाज और जीवन को तबाह कर रही है, इससे बिहार को बचाना है।

हमारी सरकार ने 1 लाख 65 हज़ार करोड़ रूपये का पैकेज बिहार के विकास के लिए दिया। उनको इससे भी बुरा लग गया। अब वे यह कोशिश करने लग गए कि ये पैकेज बिहार को न मिले। अब बिहार की जनता उन्हें पैकेज रोकने का अवसर नहीं देने वाली क्योंकि बिहार को अब विकास चाहिए। और हमने जो पैकेज कहा है, उसमें एक-एक चीज़ लिख-लिख कर कहा है, ज़िम्मेवारी के साथ कहा है। मुंगेर में पुल बनाना, 2300 करोड़ रूपया; नेशनल हाईवे – 80 मुंगेर सेक्शन को चार लेन करना, 1200 करोड़ रूपया; क्यूल-गया रेलवे लाइन 123 किमी, 1300 करोड़ रूपया; क्यूल-तिलैया रेलवे लाइन का विद्युतीकरण, 87 किमी, 85 करोड़ रूपया; तीन पहाड़ राजमहल सहित अम्मापाली हाट, क्यूल रेलवे लाइन का विद्युतीकरण आदि, 247 किमी और करीब-करीब 280 करोड़ रूपया। पैकेज में मुंगेर को क्या मिलेगा, इसका पूरा खांका बनाकर घोषित किया है और दिल्ली सरकार इसे पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

हमें मौका दीजिए। बिहार में मुझे रोड बनाना है, शिक्षा पर काम करना है, आरोग्य का काम करना है, बिजली का काम करना है, नदियों का काम करना है, किसानों के कल्याण का काम करना है। आप बस एक काम कर दीजिये, ये जो रूकावट करने वाली सरकार है, उसे हटा दीजिये और बिहार में यहाँ आकर शैतान बैठना नहीं चाहिए। अब शैतान को बिहार में नहीं बल्कि हिन्दुस्तान में कहीं पर भी ठिकाना नहीं मिलना चाहिए। इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि भारी संख्या में मतदान कीजिये, एनडीए के सभी साथी दलों के साथ भाजपा को विजयी बनाईये। मेरे साथ दोनों मुट्ठी बांधकर पूरी ताक़त से बोलिये-

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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The history and legacy of the Chola Empire reflect the strength and true potential of our great nation: PM Modi
July 27, 2025
QuotePM releases a commemorative coin honouring one of the greatest emperors of India, Rajendra Chola I
QuoteRajaraja Chola and Rajendra Chola symbolise India's identity and pride: PM
QuoteThe history and legacy of the Chola Empire reflect the strength and true potential of our great nation: PM
QuoteThe Chola era was one of the golden periods of Indian history; this period is distinguished by its formidable military strength: PM
QuoteRajendra Chola established the Gangaikonda Cholapuram Temple; Even today, this temple stands as an architectural wonder admired across the world: PM
QuoteToday, our government is carrying forward the Chola-era vision of cultural unity through initiatives like the Kashi-Tamil Sangamam and the Saurashtra-Tamil Sangamam: PM
QuoteDuring the inauguration of new Parliament building, where the sacred Sengol has been placed, the saints from our Shaivite Adheenams led the ceremony spiritually: PM
QuoteThe Chola emperors were key architects of Shaivite legacy that shaped India's cultural identity. Even today, Tamil Nadu remains one of the most significant centres of Shaivite tradition: PM
QuoteThe economic and military heights India reached during the Chola era continue to inspire us even today: PM
QuoteRajaraja Chola built a powerful navy, which Rajendra Chola further strengthened: PM

वणक्कम चोळा मंडलम!

परम आदरणीय आधीनम मठाधीशगण, चिन्मया मिशन के स्वामीगण, तमिलनाडु के गवर्नर R N रवि जी, कैबिनेट में मेरे सहयोगी डॉ. एल मुरुगन जी, स्थानीय सांसद थिरुमा-वलवन जी, मंच पर मौजूद तमिलनाडु के मंत्री, संसद में मेरे साथी आदरणीय श्री इलैयाराजा जी, सभी ओदुवार्, भक्त, स्टूडेंट्स, कल्चरल हिस्टोरियन्स, और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों! नमः शिवाय

नम: शिवाय वाळघा, नादन ताळ वाळघा, इमैइ पोळुदुम्, येन नेन्जिल् नींगादान ताळ वाळघा!!

मैं देख रहा था कि जब-जब नयनार नागेंद्रन का नाम आता था, चारो तरफ उत्साह के वातावरण से एकदम से माहौल बदल जाता था।

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साथियों,

एक प्रकार से राज राजा की ये श्रद्धा भूमि है। और उस श्रद्धा भूमि में इलैयाराजा ने आज जिस प्रकार से शिवभक्ति में हम सबको डूबो दिया, सावन का मास हो, राज राजा की श्रद्धा भूमि हो और इलैयाराजा की तपस्या हो, कैसा अद्भुत वातावरण, बहुत अद्भुत वातावरण, और मैं तो काशी का सांसद हूं और जब ओम नम: शिवाय सुनता हूं, तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

साथियों,

शिवदर्शन की अद्भुत ऊर्जा, श्री इलैयाराजा का संगीत, ओदुवार् का मंत्रोच्चार, वाकई ये spiritual experience आत्मा को भाव विभोर देता है।

साथियों,

सावन का पवित्र महीना और बृहदेश्वर शिवमंदिर का निर्माण शुरू होने के, one thousand years का ऐतिहासिक अवसर, ऐसे अद्भुत समय में मुझे भगवान बृहदेश्वर शिव के चरणों में उपस्थित होकर के पूजा करने का सौभाग्य मिला है। मैंने इस ऐतिहासिक मंदिर में 140 करोड़ भारतीयों के कल्याण और भारत की निरंतर प्रगति के लिए प्रार्थना की है। मेरी कामना है- भगवान शिव का आशीर्वाद सबको मिले, नम: पार्वती पतये हर हर महादेव!

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साथियों,

मुझे यहां आने में विलंब हुआ, मैं यहां तो जल्दी पहुंच गया था, लेकिन भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय ने जो अद्भुत प्रदर्शनी लगाई है, ज्ञानवर्धक है, प्रेरक है और हम सब गर्व से भर जाते हैं, कि हजार साल हमारे पूर्वजों ने किस प्रकार से मानव कल्याण को लेकर के दिशा दी। कितनी विशालता थी, कितनी व्यापकता थी, कितनी भव्यता थी, और ये बताया गया मुझे पिछले एक सप्ताह से हजारों लोग ये प्रदर्शनी को देखने के लिए आ रहे हैं। ये दर्शनीय हैं और मैं तो सबको कहूंगा कि इसको आप जरूर देखें।

साथियों,

आज मुझे यहाँ चिन्मय मिशन के प्रयासों से तमिल गीता की एल्बम लॉंच करने का अवसर भी मिला है। ये प्रयास भी विरासत को सहेजने के हमारे संकल्प को ऊर्जा देता है। मैं इस प्रयास से जुड़े सभी लोगों को भी बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूँ।

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साथियों,

चोळा राजाओं ने अपने राजनयिक और व्यापारिक संबंधों का विस्तार श्रीलंका, मॉलदीव और दक्षिण-पूर्व एशिया तक किया था। ये भी एक संयोग है कि मैं कल ही मॉलदीव से लौटा हूं, और आज तमिलनाडु में इस कार्यक्रम का हिस्सा बना हूं।

हमारे शास्त्र कहते हैं- शिव के साधक भी शिव में ही समाहित होकर उनकी ही तरह अविनाशी हो जाते हैं। इसीलिए, शिव की अनन्य भक्ति से जुड़ी भारत की चोळा विरासत भी आज अमर हो चुकी है। राजराजा चोळा, राजेन्द्र चोळा, ये नाम भारत की पहचान और गौरव के पर्याय हैं। चोळा साम्राज्य का इतिहास और विरासत, ये भारत के वास्तविक सामर्थ्य का true potential का उद्घोष है। ये भारत के उस सपने की प्रेरणा है, जिसे लेकर आज हम विकसित भारत के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहे हैं। मैं इसी प्रेरणा के साथ, राजेंद्र चोळा द ग्रेट को नमन करता हूं। पिछले कुछ दिनों में आप सभी ने आडी तिरुवादिरइ उत्सव मनाया है। आज उसका समापन इस भव्य कार्यक्रम के रूप में हो रहा है। मैं इसमें सहयोग करने वाले सभी लोगों को बधाई देता हूं।

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साथियों,

इतिहासकार मानते हैं कि चोळा साम्राज्य का दौर भारत के स्वर्णिम युगों में से एक था। इस युग की पहचान उसकी सामरिक ताकत से होती है। मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में भारत की परंपरा को भी चोळा साम्राज्य ने आगे बढ़ाया था। इतिहासकार लोकतन्त्र के नाम पर ब्रिटेन के मैग्नाकार्टा की बात करते हैं, लेकिन, कई सदी पहले चोळा साम्राज्य में कुडावोलई अमईप् से लोकतान्त्रिक पद्धति से चुनाव होते थे। आज दुनियाभर में water management और ecology preservation की इतनी चर्चा होती है। हमारे पूर्वज बहुत पहले से इनका महत्व समझते थे। हम ऐसे बहुत से राजाओं के बारे में सुनते हैं, जो दूसरी जगहों पर विजय प्राप्त करने के बाद सोना-चांदी या पशुधन लेकर आते थे। लेकिन देखिए, राजेंद्र चोळा की पहचान, वे गंगाजल लाने के लिए हैं, वो गंगाजल ले आए थे। राजेंद्र चोळा ने उत्तर भारत से गंगाजल लाकर दक्षिण में स्थापित किया। “गङ्गा जलमयम् जयस्तम्बम्” उस जल को यहां चोळागंगा येरि, चोळागंगा झील में प्रवाहित किया गया, जिसे आज पोन्नेरी झील के नाम से जाना जाता है।

साथियों,

राजेंद्र चोल ने गंगै-कोंडचोळपुरम कोविल की स्थापना भी की थी। यह मंदिर आज भी विश्व का एक architectural wonder है। ये भी चोळा साम्राज्य की ही देन है, कि मां कावेरी की इस धरती पर मां गंगा का उत्सव मनाया जा रहा है। मुझे बहुत खुशी है कि आज उस ऐतिहासिक प्रसंग की स्मृति में, एक बार फिर गंगाजल को काशी से यहां लाया गया है। अभी यहां मैं जब पूजापाठ करने के लिए गया था, विधिपूर्वक अनुष्ठान सम्पन्न किया गया है, गंगाजल से अभिषेक किया गया है और मैं तो काशी का जनप्रतिनिधि हूं, और मेरा मां गंगा से एक आत्मीय जुड़ाव है। चोळा राजाओं के ये कार्य, उनसे जुड़े ये आयोजन, ये ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के महायज्ञ को नई ऊर्जा, नई शक्ति और नई गति देते हैं।

भाइयों बहनों,

चोळा राजाओं ने भारत को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में पिरोया था। आज हमारी सरकार चोळा युग के उन्हीं विचारों को आगे बढ़ा रही है। हम काशी तमिल संगमम् और सौराष्ट्र तमिल संगमम् जैसे आयोजनों के जरिए एकता के सदियों पुराने सूत्रों को मजबूत बना रहे हैं। गंगै-कोंडचोळपुरम जैसे तमिलनाडु के प्राचीन मंदिरों का भी ASI के जरिए संरक्षण किया जा रहा है। जब देश की नई संसद का लोकार्पण हुआ, तो हमारे शिव आधीनम के संतों ने उस आयोजन का आध्यात्मिक नेतृत्व किया था, सब यहां मौजूद हैं। तमिल संस्कृति से जुड़े पवित्र सेंगोल को संसद में स्थापित किया गया है। मैं आज भी उस पल को याद करता हूं, तो गौरव से भर जाता हूं।

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साथियों,

मैंने अभी चिदंबरम् के नटराज मंदिर के कुछ दीक्षितरों से मुलाकात की है। उन्होंने मुझे इस दिव्य मंदिर का पवित्र प्रसाद भेंट किया, जहां भगवान शिव की नटराज रूप में पूजा होती है। नटराज का ये स्वरूप, ये हमारी philosophy और scientific roots का प्रतीक है। भगवान नटराज की ऐसी ही आनन्द ताण्डव मूर्ति दिल्ली के भारत मंडपम की शोभा भी बढ़ा रही है। इसी भारत मंडपम में जी-20 के दौरान दुनिया भर के दिग्गज नेता जुड़े थे।

साथियों,

हमारी शैव परंपरा ने भारत के सांस्कृतिक निर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। चोळा सम्राट इस निर्माण के अहम architect थे। इसीलिए, आज भी शैव परंपरा के जो जीवंत केंद्र हैं, तमिलनाडु उनमें बेहद अहम है। महान नयनमार संतों की लीगेसी, उनका भक्ति लिटरेचर, तमिल लिटरेचर, हमारे पूज्य आधीनमों की भूमिका, उन्होंने सोशल और spiritual फ़ील्ड में एक नए युग को जन्म दिया है।

साथियों,

आज दुनिया जब instability, violence और environment जैसी समस्याओं से जूझ रही है, ऐसे में शैव सिद्धांत हमें solutions का रास्ता दिखाते हैं। आप देखिए, तिरुमूलर ने लिखा था — “अन्बे शिवम्”, अर्थात्, प्रेम ही शिव है। Love is Shiva! आज अगर विश्व इस विचार को adopt करे, तो ज़्यादातर crisis अपने आप solve हो सकती हैं। इसी विचार को भारत आज One World, One Family, One Future के रूप में आगे बढ़ा रहा है।

साथियों,

आज भारत, विकास भी, विरासत भी, इस मंत्र पर चल रहा है। आज का भारत अपने इतिहास पर गर्व करता है। बीते एक दशक में हमने देश की धरोहरों के संरक्षण पर मिशन मोड में काम किया है। देश की ancient statues और artifacts, जिन्हें चुराकर विदेशों में बेच दिया गया था, उन्हें वापस लाया गया है। 2014 के बाद से 600 से ज्यादा प्राचीन कलाकृतियां, मूर्तियां दुनिया के अलग-अलग देशों से भारत वापस आई हैं। इनमें से 36 खासतौर पर हमारे तमिलनाडु की हैं। आज नटराज, लिंगोद्भव, दक्षिणमूर्ति, अर्धनारीश्वर, नंदीकेश्वर, उमा परमेश्वरी, पार्वती, सम्बन्दर, ऐसी कई महत्वपूर्ण धरोहरें अब फिर से इस भूमि की शोभा बढ़ा रही हैं।

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साथियों,

हमारी विरासत और शैव दर्शन की छाप अब केवल भारत तक, या इस धरती तक ही नहीं। जब भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड करने वाला पहला देश बना, तो हमने चंद्रमा के उस पॉइंट को भी शिवशक्ति नाम दिया। चंद्रमा के उस अहम हिस्से की पहचान अब शिव-शक्ति के नाम से होती है।

साथियों,

चोळायुग में भारत ने जिस आर्थिक और सामरिक उन्नति का शिखर छूआ है, वो आज भी हमारी प्रेरणा है। राजराजा चोळा ने एक पावरफुल नेवी बनाई। राजेंद्र चोळा ने इसे और सुदृढ़ किया। उनके दौर में कई प्रशासनिक सुधार भी किए गए। उन्होंने लोकल एड्मिनिस्ट्रेटिव सिस्टम को सशक्त बनाया। एक मजबूत राजस्व प्रणाली लागू की गई। व्यापारिक उन्नति, समुद्री मार्गों का इस्तेमाल, कला और संस्कृति का प्रचार, प्रसार, भारत हर दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा था।

साथियों,

चोळा साम्राज्य, नए भारत के निर्माण के लिए एक प्राचीन रोडमैप की तरह है। ये हमें बताता है, अगर हमें विकसित राष्ट्र बनाना है, तो हमें एकता पर ज़ोर देना होगा। हमें हमारी नेवी को, हमारी डिफेंस फोर्सेस को मजबूत बनाना होगा। हमें नए अवसरों को तलाशना होगा। और इस सबके साथ ही, अपने मूल्यों को, उसको भी सहेज कर रखना होगा। और मुझे संतोष है कि देश आज इसी प्रेरणा से आगे बढ़ रहा है।

साथियों,

आज का भारत, अपनी सुरक्षा को सर्वोपरि रखता है। अभी ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने देखा है कि कोई अगर भारत की सुरक्षा और संप्रभुता पर हमला करता है, तो भारत उसे कैसे जवाब देता है। ऑपरेशन सिंदूर ने दिखा दिया है कि भारत के दुश्मनों के लिए, आतंकवादियों के लिए अब कोई ठिकाना सुरक्षित नहीं है। और आज जब मैं हेलीपेड से यहां आ रहा था, 3-4 किलोमीटर का रास्ता काटते हुए, और अचानक मैंने देखा एक बड़ा रोड शो बन गया और हरेक के मुंह से ऑपरेशन सिंदूर का जय-जयकार हो रहा था। ये पूरे देश में ऑपरेशन सिंदूर ने एक नई चेतना जगाई है, नया आत्मविश्वास पैदा किया है और दुनिया को भी भारत की शक्ति को स्वीकार करना पड़ रहा है।

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साथियों,

हम सब जानते हैं कि राजेन्द्र चोळा ने गंगै-कोंडचोळपुरम का निर्माण कराया, तो उसके शिखर को तंजावूर के बृहदेश्वर मंदिर से छोटा रखा। वो अपने पिता के बनाए मंदिर को सबसे ऊंचा रखना चाहते थे। अपनी महानता के बीच भी, राजेंद्र चोळा ने विनम्रता दिखाई थी। आज का नया भारत इसी भावना पर आगे बढ़ रहा है। हम लगातार मजबूत हो रहे हैं, लेकिन हमारी भावना विश्वबंधु की है, विश्व कल्याण की है।

साथियों,

अपनी विरासत पर गर्व की भावना को आगे बढ़ाते हुये आज मैं यहां एक और संकल्प ले रहा हूं। आने वाले समय में हम तमिलनाडु में राजराजा चोळा और उनके पुत्र और महान शासक राजेंद्र चोळा प्रथम की भव्य प्रतिमा स्थापित करेंगे। ये प्रतिमाएं हमारी ऐतिहासिक चेतना का आधुनिक स्तंभ बनेंगी।

साथियों,

आज डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी की पुण्यतिथि भी है। विकसित भारत का नेतृत्व करने के लिए हमें डॉक्टर कलाम, चोळा राजाओं जैसे लाखों युवा चाहिए। शक्ति और भक्ति से भरे ऐसे ही युवा 140 करोड़ देशवासियों के सपनों को पूरा करेंगे। हम साथ मिलकर, एक भारत श्रेष्ठ भारत के संकल्प को आगे बढ़ाएँगे। इसी भाव के साथ, मैं एक बार फिर आज के इस अवसर की आप सबको बधाई देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की- जय

भारत माता की- जय

भारत माता की- जय

वणक्कम!