The nerve centre of India's development lies in eastern India: PM Modi

Published By : Admin | March 12, 2016 | 15:52 IST
PM Modi lays foundation stone of additional bridge at Hajipur, Bihar
PM Modi lays stress on development of eastern India for all round progress of the country
The nerve centre of India's development lies in Eastern India: PM
Infrastructure, roads & railways sow seeds of development for the country: PM Modi

मंच पर विराजमान सभी महानुभाव और विशाल संख्‍या में पधारे हुए प्‍यारे भाइयो और बहनों, 

ये आपका उत्‍साह देख करके मैं अंदाज लगा सकता हूं कि इस bridge के प्रति आप लोगों के मन में कितना महात्‍मय है, इस bridge के कारण न सिर्फ यातायात लेकिन यहां के आर्थिक जीवन में भी कितना बड़ा बदलाव आ सकता है इसका भली-भांति अंदाज आप सबके उत्‍साह के कारण मैं अनुमान लगा सकता हूं।

मां गंगा उत्‍तरी बिहार और दक्षिणी बिहार, दोनों को जोड़ती है लेकिन नागरिकों को जुड़ने के लिए व्‍यवस्‍थाएं आवश्‍यक होती हैं। अब आप कल्‍पना कर सकते हैं जब नीतीश जी रेल संभालते थे, अटल बिहारी वाजपेयी जी प्रधानमंत्री थे, तब का ये सपना इतने सालों के बाद आज पूरा हो रहा है। अगर पिछले दस साल में इसको अगर neglect न किया गया होता, routine budget के हिस्‍से से भी अगर काम किया होता तो भी शायद पांच-सात साल पहले ये काम पूरा हो गया होता। 600 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला प्रोजेक्‍ट विलंब होने के कारण 3000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। ये पैसे जनता-जनार्दन के हैं लेकिन कोई न कोई ऐसे कारण आते हैं कि हमारे देश में विकास की प्रक्रिया अलग हो जाती है और बाकी प्रक्रियाएं उभर करके आ जाती हैं। पिछले 18 महीनों में इसका सबसे ज्‍यादा काम इतने कम समय में, 18 महीनों में हुआ। करीब 34 प्रतिशत काम जो अधूरा पड़ा था इसको पूरा किया गया और हम मानते हैं कि अगर भारत का sustainable development करना है, अगर भारत को आने वाले 25 साल, 30 साल तक लगातार विकास के नए-नए आंक पार  करते जाना है वो तब तक संभव नहीं होगा जब तक हमारा पूर्वी हिंदुस्‍तान develop नहीं होगा। चाहे पूर्वी उत्‍तर प्रदेश हो, चाहे बिहार हो, चाहे पश्चिम बंगाल हो, असम हो, नार्थ-ईस्‍ट हो, उड़ीसा हो, ये सारे क्षेत्र जितने तेजी से develop होंगे हिंदुस्‍तान उतनी ही तेजी से आगे बढ़ने वाला है। अब भारत के विकास की जो Nerve centre है वो Nerve centre Eastern India में है और अगर हम पूर्वी भारत को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो हम यह shortcut के रास्‍ते से नहीं कर पाएंगे।

अब तक हम तत्‍कालीन समस्‍याओं को स्‍पर्श करते गए। लोगों की तत्‍कालीन आवश्‍यकताओं को address करते गए लेकिन अब समय की मांग है कि हम लोगों की तत्‍कालीन आवश्‍यकताओं को तो जरूर address करें लेकिन इस पूरे क्षेत्र को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाना है तो लंबे अरसे की व्‍यवस्‍थाओं को भी विकसित करना अनिवार्य है।

Rail और road, infrastructure, उसके अंदर इतनी ताकत होती है कि वह विकास की न सिर्फ नींव रख देते हैं बल्‍कि विकास को गति भी दे देते हैं और इसलिए पिछली सरकार ने पांच साल में रेलवे के पीछे बिहार में जितना खर्चा किया, उससे करीब-करीब ढाई गुना ज्‍यादा पिछले डेढ़ साल में वर्तमान सरकार ने किया है। यह इसलिए किया है कि बिल्‍कुल मेरा यह conviction है कि भारत का भाग्‍य बदलना है तो हमें बिहार का भाग्‍य पहले बदलना होगा। बिहार को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाना होगा। केन्‍द्र और राज्‍य मिलकर के, कंधे से कंधा मिलाकर के इस काम को करेंगे, यह मेरा पूरा विश्‍वास है और इसलिए infrastructure मुख्‍यतः , रेलवे और road आज उत्‍तर बिहार-दक्षिण बिहार को जोड़ने वाले तीन प्रोजेक्‍ट का एक साथ लोकार्पण एवं शिलान्‍यास हो रहा है।

अब आप देखिए, एक काम तो मैं आज वो कर रहा हूं कि जहां पर पहले मोकामा दोनों तरफ डबल लाइन थी लेकिन बीच में bridge ऐसा था कि वहां डबल लाइन नहीं थी और उसके कारण वो दोनों तरफ की डबल लाइन का जो खर्चा है उसका कोई उपयोग ही नहीं है क्‍योंकि वो आकर के bottleneck बन जाता था। अब इस बात को हमने हाथ में लिया है और मुझे विश्‍वास है कि हम समय की सीमा में इसको पूरा करके देंगे और उस इलाके के विकास के लिए भी एक बहुत बड़ी गति आ जाएगी।

मेरे बिहार के नौजवानों, आपकों एक बहुत बड़ा तोहफा इन दिनों मिला है। दो locomotives, इसके बहुत बड़े कारखाने बिहार के धरती पर लग रहे हैं। 2006-07 से यह कागज पर मसला चल रहा है, भाषणों में काम आ रहा है लेकिन धरती पर कुछ हो नहीं पा रहा है। कोई टेंडर के लिए तैयार नहीं होता था। हमने कुछ innovative चीजें कीं टेंडर में। हमने export का लक्ष्‍य तय किया, हमने भारत की requirement का हिसाब लगाकर के order place का निर्णय किया और वह एक ऐसी रचना थी कि दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों को लगा कि अब हम इसके अंदर टेंडर लेकर के जा सकते हैं और अगर मिल गया तो काम हो सकता है। उस प्रक्रिया ने रंग लाया। दुनिया की बहुत बड़ी कंपनियां आईं। 40 हजार करोड़ रुपयों का Foreign direct investment इन दो जगहों पर, बिहार की धरती पर आने वाला है, वो हिन्‍दुस्‍तान के अंदर सबसे बड़ा माना जाएगा। यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और कम समय में यह सरकार बनने के बाद, 18 महीने मिले है हमें दिल्‍ली में लेकिन 18 महीनों में बिहार हमारी प्राथमिकता है क्‍योंकि भारत का विकास करने के लिए बिहार का विकास अनिवार्य है, यह हम मानते हैं। इसलिए इस काम को भी अंजाम दिया गया है और उसका परिणाम भी आने वाले दिनों में मिलने वाला है।

भाइयो-बहनों, आज के युग में गैस पाइपलाइन भी उतना ही महत्‍व रखती है। अगर हम गैस कनेक्‍टिविटी करते हैं, पाइपलाइन का खर्चा बहुत होता है लेकिन उसके बावजूद भी बिहार को गैस कनेक्‍टिविटी से जोड़ने की दिशा में हम तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं जो आने वाले दिनों में यहां के जीवन में एक बहुत बड़ा बदलाव लाने वाला है।

मेरे बिहार के प्‍यारे भाइयो-बहनों, आपने इस बजट में देखा होगा कि हमने गरीब परिवारों को गैस कनेक्‍शन देने का बीड़ा उठाया है। मैं जानता हूं काम कठिन है। गरीबी की रेखा के नीचे जीने वाले पांच करोड़ परिवारों को आने वाले तीन वर्ष के अंदर-अंदर चूल्‍हे की जगह पर गैस का सिलेंडर मिल जाए और उन माताओं-बहनों को धुएं से बचा लिया जाए, उनके आरोग्‍य की चिन्‍ता की जाए, इसके लिए एक अहम जिम्‍मेवारी सिर पर उठाई है। वैज्ञानिक कहते हैं कि चूल्‍हा जलाकर के, लकड़ी जलाकर के, कोयला जलाकर के जो मॉं खाना पकाती है तो खाना पकाते-पकाते जितना धुंआ उसके शरीर में जाता है वो 400 सिगरेट के बराबर होता है। एक दिन में 400 सिगरेट का धुंआ अगर हमारी माताओं के शरीर में जाए तो उनके शरीर का क्‍या हाल होगा, उनके बच्‍चों का क्‍या हाल होगा। यह मानवता का काम है इसलिए हमने सरकार की तिजोरी से जितना खर्चा लगे लेकिन बीड़ा उठाया है कि गरीब परिवारों को अब यह चूल्‍हा, यह कोयला, उसका धुंआ, उससे मुक्‍ति दिलानी है।

मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों, हमारे देश में आजादी के इतने साल हो गए। अब भी गांवों में बिजली नहीं पहुंची है और बिजली पहुंचाना, यह कोई लक्‍ज़री नहीं है। बिजली अब जीवन का हिस्‍सा बन गई है। वो कोई रईसों का खेल नहीं है, गरीबों के लिए जरूरी है। मैंने एक दिन review लिया कि भई क्‍या हाल है? मैं हैरान था आजादी के 70 साल होने आए, 18 हजार गांव ऐसे थे जहां अभी बिजली का खंभा भी नहीं पहुंचा। मैंने अफसरों को कहा, मुझे एक हजार दिन में काम पूरा करना है। जो 70 साल में नहीं हुआ वो एक हजार दिन में पूरा करना है। बीड़ा उठाया। अभी तो हजार दिन पूरा होने में देर है, बहुत दिन बाकी है लेकिन मुझे आज पता चला कि 6,000 से अधिक गांवों का काम पूरा होगा, बिजली पहुंच गई है और उसका सबसे ज्‍यादा लाभ उत्‍तर प्रदेश और बिहार के गांवों को मिला है। मैं नीतीश जी का आभारी हूं कि इस काम को गति देने में उनकी राज्‍य सरकार की तरफ से भी पूरा सहयोग मिलता रहा है और उसके कारण यह काम भारत सरकार गति से कर रही है। मुझे तो विश्‍वास है अगर एक बार भारत सरकार और बिहार सरकार तय कर ले तो पूरे हिन्‍दुस्‍तान में ये जो 18,000 गांवों का काम बाकी है, उसमें से बिहार को सबसे पहले हम पूरा करके एक गौरावान्‍वित बिहार बना सकते हैं और जिस तरह काम चला है, मेरा विश्‍वास है कि हो जाएगा, यह काम हो जाएगा।

मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों, चाहे बिजली हो, सड़क हो, पानी हो, रेल हो, इन चीजों को सामान्‍य मानिवकी की आवश्‍यकताएं हैं और उन आवश्‍यकताओं की पूर्ति करने का प्रयास है। बिहार से बहुत बड़ी मात्रा में हमारे नौजवान हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने में आते-जाते रहते हैं। पढ़ने के लिए जाते हैं, रोजी-रोटी कमाने के लिए जाते हैं लेकिन रेलवे में अगर जाना है तो उसका दम उखड़ जाता है। लंबी सफर की ट्रेनों में आरक्षण की सीमा रहती है। इस बार हमारे रेल मंत्री श्रीमान सुरेश प्रभु जी ने एक बड़ा अहम कदम उठाया है और मैं मानता हूं उस अहम कदम का अगर सबसे ज्‍यादा कोई फायदा उठाएगा तो बिहार का नौजवान उठाएगा। वो अहम कदम यह उठाया है कि लंबी सफर की जो ट्रेन है उसमें दो या चार डिब्‍बे ऐसे लगेंगे, दीन-दयाल डिब्‍बे, जिसमें आप last moment भी चढ़ जाना है तो चढ़ जाओ और जहां जाना है पहुंच जाओ। ये इसलिए किया कि गरीब व्‍यक्ति, उसको अगर दूर जाना है, बेटा अगर बिहार से बाहर कहीं काम कर रहा है, अचानक मां‍बीमार पड़ गई और उसको पहुंचना है तो reservation तो संभव नहीं होता है। ये एक ऐसी व्‍यवस्‍था रहेगी कि जिसके कारण ऐसे लोग परेशानी न भुगतें, और समय पर पहुंच सकें। 

विषयों को ऐसे लिया गया है कि जिसके कारण आज हमारे देश में एक neo middle class, middle class उसका bulk भी बहुत बढ़ रहा है। बहुत बड़ी मात्रा में middle class का bulk बढ़ रहा है। वो पहले से थोड़ी plus सुविधा चाहता है। और इसलिए हमने एक हमसफर ट्रेन शुरू करना तय किया है जिसमें तृतीय श्रेणी की air-condition train रहेगी जो सामान्‍य middle class, lower middle class के लोग आर्थिक रूप से उनको ये सुविधा रहेगी और वे अच्‍छी स्‍पीड से चल पाएगी। 

हमारे देश में रेल बहुत पुरानी है। लेकिन रेलवे को हम अब पुरानी रहने देंगे तो रेल बोझ बन जाएगी। जिस रेल ने हिंदुस्‍तान को गति दी, वह रेल अगर वैसे ही पुराने हालात में रही तो वो ही बोझ बनते देर नहीं लगेगी इसलिए रेल का पूरी तरह नवीनीकरण होना चाहिए। उस दिशा में सुरेश जी हमारे बड़े innovative हैं, नए-नए ideas लाते हैं, दुनिया के लोगों से माथापच्‍ची करते रहते हैं। विदेशों से धन भी लाते हैं और मैं विश्‍वास से कहता हूं कि बहुत ही कम समय में पूरी रेल का कायाकल्‍प हो जाएगा, रेल का नवीनीकरण हो जाएगा। चाहे वो infrastructure का मसला हो, चाहे गति का मामला हो, चाहे पैसेंजरों की qualitative सेवा का मसला हो, चाहे रेलवे स्‍टेशनों की सुविधा का मसला हो, चाहे passenger की complaint का मुद्दा हो, चाहे digital technology के द्वारा मोबाइल फोन से रेलवे की सेवाएं लेने की बात हो, अनेक पहलुओं पर एक बहुत ही comprehensive way में रेलवे के नवीनीकरण का काम चल रहा है।

एक बीड़ा उठाया है, तेजस नाम की ट्रेन। ये तेजस ट्रेन 130 की स्‍पीड से चलाने का इरादा है। आज हमारी ट्रेन बहुत कम स्‍पीड से चलती है। इतना बड़ा देश वो अब छुक-छुक गाड़ी से नहीं चल सकता है, उसको गति देने की आवश्‍यकता है इसलिए एक नया concept प्रायोगिक रूप में , तेजस के द्वारा तेज गति से चलाने का इरादा ले करके हम आगे बढ़ रहे हैं।

मैं ये सारी बातों से आपको विश्‍वास दिलाना चाहता हूं, मैं देशवासियों को विश्‍वास दिलाना चाहता हूं कि रेल ये सिर्फ यातायात या आवागमन का साधन नहीं है, रेल भारत के अर्थतंत्र को गति देने वाला एक गतिशील माध्‍यम है और उसको गति देने की दिशा में हम स्‍वयं सरकार को गतिशील बनाये हैं और ये ही आने वाले दिनों में परिणाम देने वाला है। 

आज ये जो तीनों प्रोजेक्‍ट प्रारंभ हुए हैं, मैं मानता हूं पटना के लिए एक बहुत बड़ा वरदान है। आज already ट्रेनें चलनी शुरू हो गई हैं। चाहे मुंगेर हो, चाहे मोकामा हो, ये तीनों पूरे बिहार को एक प्रकार से अपने-आप में समाहित कर लेते हैं। इसका कितना बड़ा प्रभाव पैदा होने वाला है, इसका बिहार के हर व्‍यक्ति को पता है। 

मैं आज बिहार को लाख-लाख शुभकामनाएं देता हूं, बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूं और Railway ministry को भी बहुत बधाई देता हूं। धन्यवाद ।

 

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।