NDA’s 6 sutras for development of Bihar –for people: Education, employment, Medical facilities & for state: Electricity, Water, Roads
NDA is dedicated to welfare of the poor; our only mantra is development of Bihar: PM Modi #ParivartanRally
Do not vote for ‘Jungle Raj’ & ‘Jantar Mantar Raj’. They would ruin Bihar: Narendra Modi #ParivartanRally
People of Bihar are fed up of Nitish Govt.; now they want development: PM Modi
Nitish-Lalu-Sonia responsible for Bihar’s plight: PM Narendra Modi #ParivartanRally
Those who do not have faith in democracy and have lost people’s faith are now turning towards ‘Jantar Mantar’: PM Modi
I assure the people of Bihar that the NDA would fulfill all aspirations of the people: PM Modi #ParivartanRally
The youth of Bihar have immense talent and could do wonders: PM Modi #ParivartanRally

सामाजिक न्याय के प्रणेता, गरीब, पिछड़ों के मसीहा और बिहार के गौरव बाबू विन्देश्वर प्रसाद मंडल जी के धरती के कोटि-कोटि नमन करै छी। अहाँ सब के पावन स्नेह देखकर मन भाव-विभोर भे गिल। मंच पर विराजमान बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और दलितों के मसीहा श्रीमान जीतन राम मांझी जी, एनडीए के सभी घटकों के वरिष्ठ नेतागण और विशाल संख्या में पधारे हुए मधेपुरा के मेरे भाईयों और बहनों।

चुनाव में सहरसा से भाजपा के उम्मीदवार आलोक रंजन जी, मधेपुरा से भाजपा के उम्मीदवार विजय कुमार विमल, बिहारीगंज से भाजपा के उम्मीदवार रवीन्द्र चरण यादव, सुपौल से भाजपा के उम्मीदवार किशोर कुमार, पीपड़ा से भाजपा के उम्मीदवार विश्व मोहन कुमार, निर्मली से भाजपा के उम्मीदवार राम कुमार राय, छतापुर से भाजपा के उम्मीदवार नीरज कुमार सिंह, महीसिंह से रालोसपा के उम्मीदवार चंदन कुमार जी, सोवरसो से लोजपा के उम्मीदवार श्रीमती सरिता देवी जी, सिंदरी से लोजपा के उम्मीदवार युसुफ़ अलाउद्दीन जी, आलमनगर से लोजपा के उम्मीदवार श्री चंदन सिंह, सिन्देश्वर से हम पार्टी के उम्मीदवार श्रीमती मंजू देवी, त्रिवेणीगंज से लोजपा के उम्मीदवार विजय पासवान जी और विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे भाईयों और बहनों।

मैं कई बार अभियान के लिए आया लेकिन हर बार मैं बिहार आ न सकूँ, आपके दर्शन न कर सकूँ, आपके आशीर्वाद न ले पाऊं, इसके लिए भांति-भांति के अड़ंगे लगाने की कोशिश की गई एक बार जब मुझे आना था तो लालू जी, नीतीश जी चुनाव आयोग के पास पहुँच गए और शिकायत की कि बिहार में पहले चरण का मतदान चल रहा है और अगर मोदी इस समय आयेगा तो हमारा बचा-खुचा भी खा जाएगा इसलिए मोदी को बिहार में मत आने दो। चुनाव आयोग ने सारे नियम-कानून देखे और उनको कहा अगर किसी एक इलाक़े में चुनाव हो रहा है और दूसरे में नहीं है तो आप किसी को भी प्रचार करने से रोक नहीं सकते हैं; मोदी जी आयेंगे और सभा को संबोधित करेंगे। आज भी बिहार के कुछ स्थानों पर मतदान चल रहा है और मुझे आपका आशीर्वाद पाने का सौभाग्य मिला है।

लालू जी, नीतीश जी को पिछले 60 दिन में सभी सभाओं में जितने लोगों ने आशीर्वाद दिया होगा, मुझे अकेले मधेपुरा में उससे भी ज्यादा लोगों ने आकर आशीर्वाद दिया है। ये हिसाब है इस चुनाव का और बिहार की जनता राजनीति को भली-भांति समझती है। बिहार के लोग आधा-अधूरा नहीं बल्कि पूरा विश्वास करते हैं। उनको ख़ुद पर विश्वास है और इसलिए वे दूसरों पर भी विश्वास करते हैं लेकिन जब कोई उनका विश्वास तोड़ देता है तो चुन-चुन करके अपना हिसाब चुकता कर लेते हैं। यही बिहार के लोग है, 35 साल तक लोगों ने आँख बूँद करके कांग्रेस पर भरोसा किया, उनके वादे मानती रही लेकिन जब उन्होंने 35 साल का हिसाब देखा तो लोगों ने जिस कांग्रेस को 35 साल तक छप्पड़ फाड़ के दिया था, 35 साल के बाद ऐसा साफ़ कर दिया कि कांग्रेस नज़र ही नहीं आ रही है। अरे अभी उनको 40 सीट तोहफ़े में मिली है। ये 40 पर लड़ रहे हैं और एक प्रकार से हमारे लिए बिना कांटेस्ट के 40 सीट हो हमारी ज़ेब में वैसे ही आ गई है। उम्मीदवार पैसे लेकर घर पहुँच गए। ये पैसा ही खर्च नहीं कर रहे कि बच्चों को काम आएंगे। दिल्ली से जो थैली आई, उसे खर्च नहीं कर रहे क्योंकि उन्हें मालूम है कि कुछ बचने वाला नहीं है।

कांग्रेस को साफ करने के बाद लोगों को लगा कि लालू जी चल जाएंगे बड़ी अच्छी बातें बोलते हैं, ख़ुद भी अच्छे इंसान हैं, भैंस पर बैठ जाते हैं, बच्चों के बाल काट देते हैं बिहार के लोगों ने इतना भरोसा किया कि जिनको इन सारे कामों में मज़ा आता था, उन्हें सरकार चलाने का मौका दे दिया और नतीज़ा यह हुआ बिहार में बर्बादी के सिवा कुछ नहीं बचा। उसके बावजूद लोगों ने 15 साल तक उन पर भरोसा किया, उनपर गंभीर आरोप लगे, उन्हें सजा हुई और जब पत्नी को गद्दी पर बिठाया तो लोगों ने उन पर भी भरोसा किया। इसके बाद भी जब बिहार का भला नहीं हुआ तो बिहार की जनता का तीसरा नेत्र खुल गया। बिहार की जो जनता लालू जी को पलकों पर बिठाती थी, उसने हमेशा के लिए लालू जी की विदाई कर दी।

तीसरा जिस पर भरोसा किया, उनका अहंकार ही उनको खा गया जनता के साथ उनको कोई नाता नहीं रहा, जॉर्ज फ़र्नान्डिस के पीठ में छुरा भोंक दिया, जेपी को छोड़ दिया, जिस लोहिया जी ने कांग्रेस के खिलाफ़ लड़ाई लड़ी थी, उस लोहिया जी के चेले ख़ुद कांग्रेस की गोद में जाकर बैठ गए। बिहार की जनता ने धोखाधड़ी देखी है और इसलिए बिहार की जनता का और भी ज्यादा गुस्सा फूट निकला है। बिहार की जनता ने कांग्रेस को 35 साल बाद निकाला, लालू जी को 15 साल बाद निकाला, इनको तो 10 साल के बाद हमेशा-हमेशा के लिए विदाई कर देगी।

भाईयों-बहनों, बिहार के पास पानी है, जवानी है, नौजवानों के पास सपने हैं, बिहार के लोग मेहनत करने को तैयार हैं, फ़िर भी बिहार पीछे है। आपको जानकर आनंद होगा कि 150 साल पहले अंग्रेज़ लोग यहीं के कुछ लोगों को उठाकर मजदूरी के लिए मॉरिशस ले गए। गरीब, दलित, पिछड़े, अति पिछड़े, इसी समाज के लोग थे वो। तब अंग्रेज़ों का ज़ुल्म चलता था, जहाजों में बिठाकर समुद्र के रास्ते मॉरिशस ले गए। आज अगर आप मॉरिशस जाकर देखो तो बिहार के लोगों नें मॉरिशस में स्वर्ग खड़ा कर दिया। ऐसा मॉरिशस बना दिया है कि सीना तन जाता है बिहार के लोगों का पराक्रम देखकर। जो बिहार के लोग मॉरिशस को बना सकते हैं, वो बिहार और मधेपुरा को भी बना सकते हैं। झारखंड बिहार का ही हिस्सा था और झारखंड अलग हुआ, नेता नए आए, भाजपा को सेवा करने का मौका मिला और आज झारखंड भारत के पहले 10 राज्यों में खड़ा हो गया लेकिन बिहार आखिरी नंबर पर है और उसका कारण है – 25 साल लालू जी और नीतीश जी की सरकार, बड़े भाई और छोटे भाई की जुगलबंदी।

बिहार जंगलराज, भ्रष्टाचार, और अहंकार से तबाह हो गया और ये तीनों इकट्ठे हो गए है और इससे पहले से ज्यादा बर्बादी होगी। आप बताएं कि आज पूरे विश्व में हिन्दुस्तान का डंका बज रहा है कि नहीं? अमेरिका, जर्मनी, कनाडा, चीन, जापान चारों तरफ हिन्दुस्तान की जय-जयकार हो रही है कि नहीं? ये मोदी के कारण नहीं हो रहा है बल्कि ये सवा सौ करोड़ देशवासियों के कारण हो रहा है। आज अगर दिल्ली में आपने हमें पूर्ण बहुमत नहीं दिया होता तो दुनिया में हिन्दुस्तान का डंका नहीं बज सकता था। ये डंका इसलिए बजता है क्योंकि देशवासियों ने 30 साल के बाद दिल्ली में पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाई है। दुनिया में कितना ही महान और ताक़तवर देश क्यों न हो, लेकिन उसका नेता जब मोदी से हाथ मिलाता है तो उसे मोदी नहीं बल्कि सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानी दिखाई देते हैं और इसलिए दुनिया हिन्दुस्तान का लोहा मानती है।

इसी तरह सभी राज्यों में भी बिहार का डंका बजे और जय-जयकार हो तो बिहार में भी दो-तिहाई बहुमत के साथ एनडीए की सरकार बनानी होगी। चौथे चरण का चुनाव अभी चल रहा है और आज सुबह से जो मुझे जानकारी मिल रही है, लोगों में काफ़ी उत्साह है और लंबी-लंबी कतारें लगी हैं और भारी मतदान हो रहा है। मधेपुरा सारे बिहार का रिकॉर्ड तोड़ेगा और मुझे विश्वास है कि इस बार मधेपुरा नया इतिहास बनाने वाला है।

भाईयों-बहनों, हमारे मधेपुरा में रेल लोकोमोटिव फैक्ट्री... जो वर्षों से धीरे-धीरे गुजारा कर रही है, न उसमें कोई जान भरता है, न कोई विकास करता है और न कोई रोजगार के अवसर पैदा करता है हमने निर्णय किया है कि हम रेल लोकोमोटिव को नया बनाएंगे, उसका विस्तार करेंगे, नई टेक्नोलॉजी लाएंगे, बिहार में रोजगार की नई संभावनाएं पैदा करेंगे। टेंडर पास हो गया है, जैसे ही आचार संहिता पूरी होगी, टेंडर खुल जाएंगे, और तेज़ गति से ये रेल लोकोमोटिव आगे बढ़ना शुरू हो जाएगा।

अगर काम करने का इरादा हो और बिहार के प्रति प्यार हो, तो फ़िर ये काम कभी रुक नहीं सकता है। मैं कहना चाहता हूँ कि मुझे एक ही काम करना है – विकास। विकास के लिए आपके लिए मेरे मन में तीन चीज़ें हैं - पढ़ाई, कमाई और बुजुर्गों को दवाई। बिहार के गरीब बच्चों को सस्ती एवं अच्छी शिक्षा मिलनी जरुरी है और यहीं पर मिलनी चाहिए क्योंकि तब गरीब माँ-बाप को अपनी जमीन गिरवी रखने और अपनी बहू-बेटियों की अमानत गिरवी रखने की नौबत नहीं आएगी। अच्छी शिक्षा हो, सस्ती शिक्षा हो, गरीब से गरीब व्यक्ति को शिक्षा मिले, ये काम मुझे करना है, मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए। दूसरी बात है, कमाई; नौजवान के लिए रोजगार। बिहार में पलायन रूकना चाहिए। पलायन के कारण बूढ़े माँ-बाप को उनकी सेवा करने के उम्र में छोड़कर नौकरी के लिए भटकना पड़ रहा है। ये पलायन रूकना चाहिए और बिहार के नौजवान को यहीं पर रोजगार का अवसर मिलना चाहिए। उद्योग नहीं लगेंगे तो रोजगार कैसे मिलेगा।

अभी वर्ल्ड बैंक ने एक रिपोर्ट निकाली थी कि किस राज्य में लोग निवेश करना चाहते हैं, ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस कहाँ है। आपको जानकर दुःख होगा कि झारखंड, जो कभी बिहार की हिस्सा था, वो आज चौथे नंबर पर है और ये बिहार 21वें – 22वें नंबर पर खड़ा है। मुझे बताईये कि ऐसी स्थिति में कोई आयेगा क्या? इसका परिणाम देखिये, जब भाजपा के लोग बिहार में सरकार में थे, तो करीब 17,500 रुपये का पूँजी निवेश आया और जैसे ही भाजपा वाले निकल गए, ये आंकड़ा 6000 पर आ गया। ये बिहार का नुकसान हुआ कि नहीं, बिहार में कारखाना आने से अटक गया कि नहीं, नौजवान का रोजगार गया कि नहीं। बिजली नहीं होगी तो कारखाना कैसे लगेगा। आज भी 21वीं सदी में बिहार के 4000 गाँव ऐसे हैं जहाँ बिजली का खंभा भी नहीं है। ये शर्म की बात है। मैंने इन 4000 गांवों में बिजली पहुँचाने का ठान लिया है। घरों, स्कूलों में बिजली होनी चाहिए। नीतीश बाबू कहते हैं कि हम कंप्यूटर देंगे। आप बताईये कि बिना बिजली के कंप्यूटर कैसे चलेगा। ये मूर्ख बना रहे हैं। नीतीश जी, पहले बिजली तो लाओ।

2010 में नीतीश कुमार ने कहा था कि मेरी सरकार बनाईए, मैं घर-घर बिजली पहुंचाऊंगा और अगर मैं बिजली न पहुंचाऊं तो मैं वोट मांगने नहीं आऊंगा। बिजली तो नहीं आई लेकिन वो वोट मांगने जरुर आये। उन्होंने आपसे धोखा किया, अपना वादा तोड़ा तो अब आप उनसे नाता तोड़ोगे? जो अपना बिजली का वादा नहीं निभा सकते, वो आने वाले दिनों में भी आपका कुछ नहीं करेंगे। वो कहेंगे कि जंतर-मंतर करो, बिजली आ जाएगी, पानी आ जाएगा, रोजगार आ जाएगा। जंतर-मंतर वाला जमाना गया। मुझे तो डर है कि यहाँ 15 साल जंगलराज चला, 10 साल जंतर-मंतर का राज चला और ये जंतर-मंतर और जंगलराज एकसाथ आ गया, फ़िर बिहार को कोई नहीं बचा सकता।

हमें न जंतर-मंतर चाहिए और न जंगलराज चाहिए, इसलिए उन्हें विदाई देने का समय आ गया है। तीसरा है – दवाई; बुजुर्गों के लिए सस्ती दवाई, डॉक्टर और दवाखाना होना चाहिए। इंसान अगर बीमार हो तो कहाँ जाएगा। इसलिए आपके लिए मेरे तीन मंत्र हैं - पढ़ाई, कमाई और बुजुर्गों को दवाई। बिहार राज्य की भलाई के लिए तीन सूत्र है, बिजली, पानी एवं सड़क। बिजली आएगी, उद्योग लगेंगे। कोसी की तबाही के कारण यहाँ के किसानों को कितनी परेशानी होती है। एक कोसी परेशान करे तो दूसरी तरफ़ सूखा। पानी का प्रबंध होना चाहिए बिहार के पास दो ताकत है जो बिहार का भविष्य बदल सकती है – बिहार का पानी और बिहार की जवानी। मैं तो हैरान हूँ कि यहाँ इतना पानी है, इतने गरीब लोग हैं लेकिन मछली पालन का भी काम सरकार ने नहीं किया। अगर ये पानी में मछलियाँ तैयार करते तो आज बिहार को खाने के लिए 400 करोड़ रुपये की मछली बाहर से नहीं लानी पड़ती और 400 करोड़ में यहाँ लाखों नौजवान को रोजगार मिल जाता। उनको करना ही नहीं है, पानी बह रहा है और मछली बाहर से आ रही है। यही तो मुसीबत है कि जवानी बाहर जा रही है और पानी समुंदर में जा रहा है। बिहार को आगे बढ़ने के लिए मुझे ये दोनों पूरी ताकत से चाहिए और इसलिए मैं आपसे आशीर्वाद मांगने आया हूँ।

भाईयों-बहनों, हम बिहार को विकास की नई ऊंचाईयों पर ले जाना चाहते हैं। 1 लाख 25 हज़ार करोड़ का पैकेज और 40 हज़ार करोड़ पुराना वाला जो कागज़ पर पड़ा था लेकिन जिसे कोई देने का नाम नहीं लेता था, हमने कहा कि लिखा किसी ने भी हो लेकिन बिहार तो मेरा है, सरकार किसी पराये की होगी लेकिन बिहार पराया नहीं है। इसलिए हमने सब मिलाकर 1 लाख 65 हज़ार करोड़ का पैकेज दिया जो बिहार का भाग्य बदलने का ताकत रखता है। विकास के लिए, बिहार का भाग्य बदलने के लिए वोट कीजिये।

मैं पूरे बिहार में जा चुका हूँ और जनता-जनार्दन का आशीर्वाद ले चुका हूँ और मैं साफ़ कहता हूँ कि दो-तिहाई बहुमत से एनडीए की सरकार बनने वाली है। बिहार 8 तारीख को दिवाली मनाएगा और पूरा हिन्दुस्तान 8 तारीख को दिवाली मनाएगा। दो-दो दिवाली मनानी है भाईयों। यहाँ आया हुआ हरेक व्यक्ति कम-से-कम दस परिवार को वोट करा देगा? ये प्यार और आशीर्वाद हो तो कोई सरकार बनने से रोक सकता है क्या। मतदान भारी संख्या में हो और पांचवें चरण में सबसे ज्यादा मतदान करके दिखाईये, यही मेरी आपको शुभकामनाएं हैं। मेरे साथ ज़ोर से बोलिये -   

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!       

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!