आदरणीय सभापति जी, और सभी आदरणीय वरिष्‍ठ सदस्‍यों, सदन में मुझे पहली बार बोलने का अवसर मिला है। यहां सारे अनुभवी, वरिष्‍ठ महानुभाव हैं। आगे मुझे उन सबसे बहुत कुछ सीखना भी है, लेकिन आज प्रारंभ में मेरे अनुभव की कमी के कारण कोई अगर चूक रह जाए, आप सब मुझे क्षमा करेंगे। राष्‍ट्रपति जी के अभिभाषण पर सदन में करीब 42 आदरणीय सदस्‍यों ने अपने विचार रखे हैं। अकेले गुलाम नबी आजाद जी, फिर सतीश जी, देरेक ओब्रायन जी, श्रीमान डी पी त्रिपाठी जी, प्रो. रामगोपाल यादव जी, श्री सीताराम येचुरी जी, सभी वरिष्‍ठ महानुभावों ने अपने-अपने विचार रखे हैं। सभी दलों के नेताओं ने अपने-अपने विचार रखे हैं और बहुतायत इसका समर्थन हुआ है। कहीं पर कुछ रचनात्‍मक सुझाव भी आए हैं। कुछ एक में अपेक्षाएं भी व्‍यक्‍त की गई हैं, लेकिन ये चर्चा बहुत सार्थक रही है। किसी भी बैंच पर क्‍यों न बैठे हों, लेकिन स्वीकार करने योग्य भी सुझाव आए हैं, उन सुझावों का आने वाले दिनों में रचनात्‍मक तरीके से सही उपयोग करने का प्रयास हम करेंगे और इसके लिए मैं रचनात्‍मक सुझाव देने वाले सभी आदरणीय सदस्‍यों का आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

कुछ आदरणीय सदस्‍यों ने चिंता व्‍यक्‍त की है और आकांक्षा भी व्‍यक्‍त की है कि यह कैसे संभव होगा, कब करोगे, कैसे करोगे? ये बात सही है कि पिछले कई वर्षों से एक ऐसा निराशा का माहौल छाया हुआ है और हर किसी का मन ऐसा बन गया है कि अब कुछ नहीं हो सकता, अब सब बेकार हो गया है उसकी छाया अभी भी है और उसके कारण कैसे होगा, कब होगा, कौन करेगा यह सवाल उठना बहुत स्‍वाभाविक है, लेकिन कुछ ही दिनों में विश्‍वास हो जाएगा, ऐसे मित्रों को भी कि अब निराशा का माहौल छंट चुका है और एक नये आशा और विश्‍वास के साथ देश आगे बढने का संकल्‍प कर चुका है।

कई वर्षों के बाद देश ने एक ऐसा जनादेश दिया है जिसमें देश ने स्थिरता को प्राथमिकता दी है और एक स्‍टेबल गवर्मेंट के लिए वोट दिया है। भारत के मतदाताओं का ये निर्णय सामान्‍य निर्णय नहीं है। हम देशवासियों के आभारी हैं। उन्होंने भारत की संसदीय प्रणाली को इतनी उमंग और उत्‍साह के साथ देश ने अनुमोदन किया है। इसके साथ-साथ समय की मांग है कि हम सब हमारे अपने महान लोकतंत्र के प्रति गौरान्वित हो कर के, विश्‍व के सामने जरा सिर ऊंचा करके, हाथ मिलाकर बोलने की आदत बनाएं। हमारे मतदाताओं की संख्या अमेरिका और यूरोप, उनकी कुल जनसंख्‍या से भी ज्‍यादा हैं, यानी हमारा इतना विशाल देश हैं, इतना बड़ा लोकतंत्र हैं। पर चाहे, हमारे यहां अनपढ़ हो, गरीब हो, गांव में रहता हो, और उसके पास पहनने को कपड़े भी न हो, लेकिन उसकी रगों में जिस प्रकार से लोकतंत्र ने जगह बनाई, ये हमारे देश के लिए बड़े गौरव की बात है, लेकिन हम इसको उस रूप में अभी तक विश्‍व के सामने ला नहीं पाए हैं। ये हम सबका सामूहिक कर्तव्‍य है कि हम भारत की इस लोकतांत्रिक ताकत को विश्‍व के सामने उजागर करें और एक नये आत्‍मविश्‍वास का संचार करें, इस दिशा में हम आगे बढ़े।

राष्‍ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में अनेक बिन्‍दुओं को स्पर्श किया है और सभी माननीय सदस्‍यों ने अपने-अपने तरीके से उनको व्‍यक्‍त करने का प्रयास किया है। लेकिन एक बात मैं जरूर कहना चाहता हूं कि विजय और पराजय दोनों में सीख देने की ताकत होती है और सीख पाने की आवश्‍यकता भी होती है, जो विजय से सीख नहीं लेता है, वो पराजय के बीज बोता है और जो पराजय से सीख नहीं लेता वो विनाश के बीज बोता है,‘जय और पराजय’ के तराजू से ऊपर उठ करके, हमने कुछ सीखा है।

मैं एक बार आचार्य विनोबा जी के चिंतन को पढ़ रहा था और उसमें उन्‍होंने युवा की व्‍याख्‍या की है और बड़ी सरल और अच्‍छी व्‍याख्‍या की। उन्‍होंने कहा युवा वो होता है, जो आने वाले कल की सोचता है, आने वाली कल की बोलता है, लेकिन जो बीती हुई बातों को गाता रहता है, वो युवा नहीं हो सकता। उसकी सोच युवा नहीं हो सकती। उसके लिए बीती हुई बातों को ही गुनगुनाते रहना, लोग चाहे स्‍वीकार करें, या न करे लोग अस्‍वीकार करें तो भी उसी अपने लहजे में रहना, ये हमने भी देखा है। कभी रेलवे में बस में कोई ऐसे बूढ़े सज्‍जन मिल जाते थे, तो उनको देर तक सुनना पड़ता है उनका भूत काल क्या था उनको वो सारी कथायें सुनानी होती हैं। ये विनोबा जी की युवा की बड़ी बढि़या डेफिनेशन है और मैं मानता हूं उसे अपने आने वाले दिनों की ओर सोचने के लिए प्रेरित करेगी।

भारत की एक ताकत उसका संघीय ढांचा है। बाबा साहेब अंबेडकर और उस समय के हमारे विद्धत पुरुषों ने हमें जो संविधान दिया है उसकी सबसे बड़ी एक ताकत है ये संघीय ढांचा है। हमें आत्‍म-चिंतन करने की आवश्‍यकता है कि क्‍या हमने दिल्‍ली में बैठ करके संघीय ढांचे को ताकत दी है या नहीं दी है, इसको और अधिक सामर्थ्‍यवान बनाया है या नहीं बनाया है और अगर भारत को आगे बढ़ाना है तो राज्‍यों को आगे बढ़ना पड़ेगा। अगर राष्‍ट्र को समृद्ध होना है, तो राज्‍यों को समृद्ध होना पड़ेगा और अगर राष्‍ट्र को सशक्‍त होना है तो राज्‍यों को सशक्‍त होना होगा और इसलिए जब मैं गुजरात में मुख्‍यमंत्री के रूप में काम करता था, हम एक मंत्र हमेशा बोलते थे ‘भारत के विकास के लिए गुजरात का विकास’। हम हमेशा ये शब्‍द प्रयोग करते थे। क्‍या राज्‍यों के अंदर ये माहौल हम पनपा पाए हैं?

मेरा ये सदभाग्‍य रहा है कि एक राज्‍य के मुखिया के रूप में पीड़ा क्‍या होती है, उसे बहुत मैंने झेला है, अनुभव किया है। मेरा ये भी सौभाग्‍य रहा है कि यदि दिल्ली में अनुकूल सरकार हो, तब राज्‍य का क्‍या हाल होता है और प्रतिकूल सरकार दिल्‍ली में हो तब राज्‍यों का क्‍या हाल होता है और इसीलिए मैं एक भुक्‍तभोगी व्‍यक्ति हूं। मैंने इन कठिनाईयों को झेला है कि राज्‍यों को कितनी मुसीबतें झेलनी पड़ती हैं मैंने, इसको भली-भांति समझा है। राज्‍य कितनी ठोकरें खाता है, राज्‍यों की बात को किस प्रकार से नकारा जाता है, सिर्फ निजी स्‍वार्थ के खातिर राज्‍यों की विकास की योजनाओं को किस प्रकार से रोका जाता है। पर्यावरण के नाम पर राज्‍यों की विकास यात्रा को दबोचने के लिए किस प्रकार के षडयंत्र होते हैं, इन सारी बातों का मैं भुक्‍तभोगी हूं।

अब इसीलिए एक ऐसे व्‍यक्ति को प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला है, एक ऐसे व्‍यक्ति को देश की सेवा करने का सौभाग्‍य मिला है, जो राज्‍यों की पीड़ा को भली-भांति समझता है। आज मैं इस पीड़ी को जानते हुए इस सदन को विश्‍वास दिलाता हूं कि हम कार्य करेंगे। आदरणीय सभापति जी, राष्‍ट्रपति जी के भाषण में हमने इस बात को बल दिया है और हमने को-ऑपरेटिव फेडर्लिज्‍म की बात की है कि बड़े भाई, छोटे भाई वाला कारोबार नहीं चलेगा। हमें राज्‍यों के साथ समानता का व्‍यवहार करना होगा, हमें उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने का दिशा बना लेनी है। हमें एक ऐसी कार्य संस्‍कृति विकसित करनी होगी, जिसमें राज्‍य को भी अनुभूति हो कि मैं भारत की भलाई के लिए काम कर रहा हूं और भारत की सरकार चलाने वाले लोगों के मन में भी यह रहना चाहिए कि हिन्‍दुस्‍तान का छोटा से छोटा राज्‍य भी क्‍यों न हो, उसके विकास के बिना हिन्‍दुस्‍तान का विकास होने वाला नहीं है। हमें इस मन की रचना के साथ देश को आगे चलाना है। आदरणीय सभापति जी, यह मैं बड़े विश्‍वास से कहता हूं कि बहुत सी बातें ऐसी हैं अगर हम राज्‍यों को विश्‍वास में लें तो हमारे कार्य की गति बहुत बढ़ सकती है। हमने ‘टीम इंडिया कांसेप्‍ट’ की बात आदरणीय राष्‍ट्रपति जी के भाषण में कही। भारत जैसे संघीय राज्‍य व्‍यवस्‍था वाले देश को चलना है तो प्रधानमंत्री और सभी मुख्‍यमंत्री इनको टीम इंडिया के रूप में काम करना चाहिए। प्रधानमंत्री और उनके कैबिनेट के मंत्री, ये टीम सफिशियंट नहीं है। प्रधानमंत्री और राज्‍यों के मुख्‍यमंत्री, यह टीम का एक स्‍वरूप हमें उभारना होगा और उस पर अगर हम बल देंगे, तो हम राज्‍यों की ताकत, राष्‍ट्र के विकास पर में जोड़ पाएंगे।

मैंने सुना, मैत्रीयन जी का भाषण हुआ। उन्‍होंने कहा कि उनके मुख्‍यमंत्री ने चालीस चिट्टियां लिखी थी लेकिन एक का जवाब नहीं आया था। ये स्थिति हमें बदलनी होगी। इसलिए इस अवस्‍था को लाने के लिए कोई मैकेनिज्‍़म विकसित हो, उस पर हम प्रयास करने के पक्ष में हैं। हम आगे बढ़ना चाहते हैं। हमारे देश में कुछ लोगों को ‘गुजरात मॉडल’ की बडी चिंता हो रही है। कुछ लोगों के मन में ये भी सवाल है कि ‘गुजरात मॉडल’ आखिर है क्‍या? तो उनकी इस मुसीबत का तो मैं अंदाज लगा सकता हूं। ‘गुजरात मॉडल’ को अगर सरल भाषा में समझना है तो वो ये है कि अगर उत्‍तर प्रदेश में मायावती जी की सरकार ने कोई अच्‍छा काम किया, उसको समझना, स्‍वीकार करना और हमारे यहां लागू करना, यह ‘गुजरात मॉडल’ है। केरल में लेफ्ट की सरकार थी लेकिन उनका एक कुटुम्‍बश्री प्रोग्राम था, हमने उससे सीखा। हमारे यहां अनुकूलता के अनुसार उसे लागू किया। सबसे बड़ी बात है कि आज एक राज्‍य दूसरे राज्‍य की जो चर्चा हो रही है, वो मॉडल की चर्चा है और मॉडल की चर्चा विकास के संदर्भ में हो रही है। ये हमारे लिए एक अच्‍छा माहौल तैयार कर रही है कि एक राज्‍य दूसरे राज्‍य के साथ विकास की स्‍पर्धा के साथ चर्चा कर रहा है मेरे कान ये सुनने के लिए हमेशा लालायित रहते हैं कि कभी बंगाल ये कहे कि हम गुजरात से आगे निकल गए। कभी तमिलनाडु कहे कि गुजरात और बंगाल दोनों से हम आगे निकल गए। कभी आंध्र कहे कि हम तेलंगाना से आगे निकल गए, तो तेलंगाना कहे कि हम आंध्र प्रदेश से आगे निकल गए। कभी बिहार कहे कि हमने गुजरात को पीछे छोड़ दिया, ये स्‍पर्धा का माहौल, विकास की स्‍पर्धा का माहौल, हमें देश में देखना है, बनाना है। उस दिशा में हम इस बात को लेकर के आए हैं कि हम हमें को-ऑपरेटिव फेडर्लिज्‍म को लेकरके देश को आगे बढ़ाना चाहते हैं।

हमारे देश में हर राज्‍य की अपनी शक्ति भी है हर राज्‍य की अपनी विशेषता भी। हमें उसे समझना होगा। गुजरात जैसा छोटा सा राज्‍य, लेकिन हर जिले में हमारा एक मॉडल काम नहीं करता है। एक ही प्रकार के कुर्तें सारी दुनिया को पहनाए नहीं जा सकते। वहां की विशेषता ये है कि रेगिस्‍तान वाला कच्‍छ का मॉडल हरे-भरे वलसाड में नहीं चल सकता है। उसी प्रकार से एक राज्‍य का मॉडल दूसरे राज्‍य पर थोपा नहीं जा सकता। उसी प्रकार से दिल्‍ली के विचार राज्‍यों पर नहीं थोपे जा सकते। उसकी Priority क्‍या है, उसकी कठिनाईयां क्‍या है। उसके अनुरूप संसाधनों का उपयोग करके, उन शक्तियों को बल देने से वो तेज़ गति से आगे बढ़ेंगी। इसलिए विकास में राज्‍यों और राष्‍ट्र की दोनों की सामूहिक जिम्‍मेदारी है। एक नए राजनीतिक चरित्र की दिशा में हम बढ़ना चाहते हैं। हम भारत माता के चित्र को देखेंगे हमें ध्‍यान में आता है कि भारत माता का पश्चिमी किनारा वहां तो कोई गतिविधि नज़र आती है, केरल हो, कर्नाटक हो, गोवा हो, महाराष्‍ट्र हो, गुजरात हो, राजस्‍थान हो, हरियाणा हो, दिल्‍ली हो, पंजाब हो, लेकिन हमारे देश का पूर्वी इलाका ओडिशा हो, बिहार हो, पश्चिम बंगाल हो, उत्‍तर प्रदेश का पूर्वांचल हो, क्‍या हमारी भारत माता ऐसी हो कि जिसका एक हाथ तो मजबूत हो और दूसरा हाथ दुर्बल हो। ये भारत मां कैसे मजबूत बनेगी। इसलिए हमारे लिए ये प्राथमिकता है कि भारत का पूर्वी छोर जो विकास में पीछे रह गए, उसको कम से कम पश्चिम की बराबरी में लाने के लिए हमें अथाह प्रयास करना है।

विकास, जब हम कहते हैं ‘सबका साथ, सबका विकास’। विकास सर्व- समावेशी होना चाहिए, विकास सर्व-स्‍पर्शी होना चाहिए, विकास सर्व-देशिक होना चाहिए, विकास सर्वप्रिय होना चाहिए, विकास सर्वहितकारी होना चाहिए और इसलिए विकास को किसी एक कोने में देखने की आवश्‍यकता नहीं। जब हम उसको परिभाषित करें तब, एक समग्र कल्याण की परिभाषा को लेकर, आगे बढ़ने की कल्‍पना लेकर के हम चलने वाले हैं। इसलिए भारत का जो पूर्वी इलाका है उसकी हम चिंता करें। नार्थ-ईस्‍ट, हम आर्थिक मदद करें। नार्थ-ईस्‍ट को उसके नसीब पर छोड़ दें, कब तक चलेगा। क्‍या हम एक नए सिरे से नहीं सोच सकते।

आज हमारे देश में 20 हजार से ज्‍यादा कॉलेजिज हैं। हर कॉलेज के स्‍टूडेंट्स दस दिन के लिए टूर पर जाते हैं। यह उनका एक रेगुलर कार्यक्रम रहता है। क्‍या कभी हमने हमारे कॉलेजों को गाइड किया कि कम से कम हर कॉलेज साल में एक बार दस दिन के लिए नार्थ-ईस्‍ट का एक टूर जरूर करें। आप विचार कीजिए अगर देश के 30 हजार कॉलेज के 100 विद्यार्थी नार्थ-ईस्‍ट में एक हफ्ते रहने के लिए जाते हैं, उससे नॉर्थ-ईस्‍ट का टूरिज्‍म कितना बढ़ सकता है, इको टूरिज्‍म कितना बढ़ सकता है। इससे नॉर्थ-ईस्‍ट के लोगों के सुख-दुख को हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने का व्‍यक्ति जानेगा। नॉर्थ-ईस्‍ट के साथ का अपनापन कितना हो जाएगा। उसे भी लगेगा कि हि‍न्‍दुस्‍तान हर कोने को की भारत मां की जय बोलने वाले लोग हैं। उनको गले लगाने का एक रास्‍ता नहीं हो सकता। तरीके ढूढ़ने होते हैं किस प्रकार के नए तरीकों से हम देश को चला सकते हैं उसकी योजना बनानी हो तो हो। एक बार मुख्‍यमंत्री के कार्यकाल के दरम्यान, नार्थ-ईस्‍ट के सभी मुख्‍यमंत्रियों को मैंने इस संबंध में चिट्ठी लिखी थी ।

जब प्रधानमंत्री जी मनमोहन सिंह‍ जी थे तब एक बार उन्‍होंने एनडीसी बुलार्इ‍ थी उस समय भी मैंने उनसे पब्लिकली यह कहा और आग्रह किया था कि नॉर्थ-ईस्‍ट के सभी स्‍टेटस से 200 वुमेन पुलिस आप गुजरात भेजिए 2 साल के लिए और हर 2 साल के बाद चेंज करते रहिए। इससे 15 सौ 2 हजार लोगों को वहां काम मिलेगा और जब वे वापिस जाएंगें तो यहां कई परिवारों से उनका नाता जुड़ जाएगा। इस प्रकार से इंटीग्रेशन का कितना बढि़या काम संभव हो सकेगा। ‘एक भारत’ जो हम कहते हैं न, यह ‘दो’ या ‘तीन’ भारत के संदर्भ में एक नहीं है।

भारत की एकता की बात है। आज जातिवाद के ज़हर ने देश को डूबो दिया है प्रांतवाद की भाषा ने देश को तबाह करके रखा है। समय की मांग है कि यह तोड़ने वाली भाषा को छोड़कर के एकता की भाषा को एकस्‍वर से बोलना चा‍‍हिए और इस लिए एक भारत श्रेष्‍ठ भारत का सपना लाए हैं। अगर किसी को एक भारत में से ‘दो’ दिखता है, तो यह उनकी मानसिक बीमारी का परिणाम है। हम तो एकता का मंत्र लेकर आए हैं।

हम भाषा से परे हो कर के जाति से परे हो करके, सम्‍प्रदाय से परे हो करके, एक राष्‍ट्र का सपना ले करके हम चलें। ‍यह देश विविधता में एकता वाला देश है। हमारा देश एकरूपता वाला देश नहीं है और देश एकरूपता वाला बनना भी नहीं चाहिए। हम वो लोग नहीं है कि हर 20 किलो मीटर पर एक ही प्रकार का पीजा खाएं, हम वे लोग हैं नीचे से निकले तो इडली खाते निकले और ऊपर जाते-जाते परौठा हो जाता है। यह विविधता से भरा हुआ देश है। उसे एकरूपता से उसे नहीं देखा जा सकता है और इसलि‍ए ‘एक भारत, श्रेष्‍ठ भारत’ का सपना लेकर के हम देश की कल्‍याण की बात कर रहे हैं।

हमारे देश में संसाधनों के संबंध में हम नए तरीके से प्रेरि‍त कैसे कर सकते हैं। राज्‍यों के अपने स्‍वभाव है अपनी वि‍शेषताएं तकनीकी में। उन समस्‍याओं को सम्‍मि‍लि‍त रूप से समस्‍याओं को समाधान करने का सामूहि‍क प्रयास करते हैं। जैसे हि‍मालय स्‍टेट्स हैं, हि‍मालय स्‍टेट को हम तराई के इलाको से प्रगति‍ के मॉडल से फि‍ट नहीं कर सकते हैं। हमारा अफसर जाएगा वह कहेगा कि‍ 60 कि‍मी की स्‍पीड से गाड़ी चलनी चाहि‍ए, अब हि‍मालय में 60 कि‍मी की स्‍पीड से कैसे चलेगी। वो कहेगा कि‍ एक गाडी इतना किमी चलेगा तो इतना डीज़ल मि‍लेगा, वहां इतना डीज़ल से कहां चलने वाला। केवल इसलि‍ए हमें एक ही प्रकार के सोल्यूशन से बाहर आना पड़ेगा, इसलि‍ए राष्‍ट्रपति‍ जी के भाषण में इस बात को हमने उजागर भी कि‍या है कि‍ हि‍मालय रेंज के जि‍तने भी स्‍टेट्स हैं, उनको एक साथ बैठाकर करके उनकी समस्‍याओं को समझा जाए। उनके लि‍ए एक न्‍यूनतम कॉमन व्‍यवस्‍था को वि‍कसि‍त कर सकते हैं, क्‍या इस दि‍शा में कुछ कर सकते हैं, क्‍या?

कोस्‍टों से समुद्री तटीय पर वि‍कास आज वि‍श्‍व व्‍यापार का युग है। कि‍तनी तेजी से आज समुद्रीय तटों का वि‍कास हुआ है। हमारा भारत का समुद्रीय तट भारत समृद्धि‍ का प्रवेश द्वार बन सकता है। हमारा कोस्‍टल एरि‍या भारत के प्रोपर्टी का साधन बन सकता है। लेकि‍न आज सबसे ज्‍यादा उपेक्षि‍त है। हमने ज्‍यादा से ज्‍यादा छोटे से मछुआरों का सोचा, हमारे पूरे कोस्‍टल गेट के development के लि‍ए भी और इसीलि‍ए राष्‍ट्रपति‍ जी के भाषण में कोस्‍टल development के लि‍ए एक अलग से विचार करने की व्यवस्था सोची गई है। हम चाहते हैं, कोस्‍टल राज्य एक साथ बैठे। कोस्‍टल development में क्‍या कॉमन विचार हो, उनकी क्या कठिनाईयां हैं एक दूसरे को co-ordinate कैसे करें। एक दूसरे की ताकत कैसे बनें और विकास की स्पर्धा मे अपने अनुभव को कैसे share करे। भारत का समुद्रीतट बहुत बड़ा है। हम एक ऐसे भौगोलिक location में है कि हम east और west को जोड़ने के लिए, एक बहुत बड़ी समुद्री ताकत बन सकते है लेकिन हमें उसमें जितना आगे बढ़ना चाहिए था, नहीं बढ़े। श्रीलंका का कोलंबो छोटा सा है लेकिन आज वह विश्व व्यापार में सामुद्रिक व्‍यापार का जिस प्रकार का क्षेत्र बना हुआ है। एक तरफ सिंगापुर बना हुआ है।एक तरफ पाकिस्तान के अंदर चीन अपने ports डाल रहा है, तब जा कर के भारत के समुद्र की ओर एक विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। क्या उसके लिए भारत के समुद्री विकास का माँडल उनके साथ बैठकर नहीं बनाया जा सकता।

हमारे यहां landlocked स्‍टेट्स हैं। उनमें भी विविधताएं भरी पड़ी हैं। उनकी विविधताओं को समझना होगा। हमारे यहां माओवाद से इफेक्‍टेड एरियाज़ हैं। कुछ माओवाद prone जोन भी हैं। कुछ माओवाद प्रोन जोन भी हैं। क्‍या उन्‍हीं को identify करके उनके साथ बैठकर उसी स्‍पेसिफिक समस्‍या के समाधान के लिए केन्‍द्र और राज्‍य मिलकर काम नहीं कर सकते? इसलिए हम आगे आने वाले दिनों में इन चीजों को आगे कैसे ले जाएं, उस आगे ले जाने का हमारा रास्‍ता भी यही लेकर हम चलना चाहते है, ताकि हिन्‍दुस्‍तान का हर एक राज्‍य अपनी शक्ति और सामर्थ्‍य के आधार पर विकास की यात्रा में आगे आएं।

आजकल क्‍या हुआ है? हम दिल्‍ली में राजनीतिक माइलेज प्राप्‍त करने में कोई भी निर्णय कर लेते है, कोई भी कानून बना देते है, लेकिन उसको इम्‍पलीमेंट करने की जिम्‍मेदारी स्‍टे्टस की होती है। उनके पास रिर्सोसेज नहीं होते और इसलिए वह योजना धरी की धरी रह जाती है। अख़बार में चार-छह दिन आ जाता है और फिर गाली पड़ती है कि आपने दिल्‍ली में यह किया लेकिन उसे आपने लागू नहीं किया। ये तनावपूर्ण वातावरण हम क्यों पैदा करते हैं? मैं राज्‍य में रहा हूं, इसलिए मु्झे मालूम है कि यह तनाव हमें विपरीत दिशा में ले जाता है और इसलिए हमें इन स्थितियों पर गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है और उसमें बदलाव करने की आवश्‍यकता है।

हमारे एग्रीकल्‍चर के भी Agro-climate zones हैं। हर राज्‍य में एक फसल का एक निश्चित एरिया हैं। उसकी mapping तो है, लेकिन गेंहू पकाने वाले राज्‍यों की अलग समस्‍या है, उनको अलग से बिठाकर बात करेंगे, चावल पकाने वाले राज्‍यों की अलग समस्‍या है, उनसे हम अलग से बात करेंगे और गन्‍ना पकाने वाले राज्‍यों की अलग समस्‍या है, उनसे अलग से बात करेंगे। जब तक हम Issue-centric, focused activity नहीं करते, हम इतने बड़े विशाल देश को सिर्फ दिल्‍ली से चलाने की कोशिश करते रहेंगे और नीतियां बनाने के मामले में हम दुनिया को कहेंगे कि इतने एक्‍ट बनाये, इतने किए, लेकिन इससे स्थितियां नहीं बदलेंगी।

आज आवश्‍यकता है कि अपने विचारों को, अपनी बातों को आखिरी व्यक्ति तक कैसे पहुचाएँ। Last man delivery ये सबसे बड़ी समस्‍या है और इसके लिए मूल कारण Governance.

स्वराज मिला, हमें इस बात को स्‍वीकार करना चाहिए कि हम सुराज नहीं दे पाये। मैं नेता चुना गया, जिन्‍होंने उस दिन का भाषण सुना होगा, मैंने साफ कहा है कि मैं इस विचार का नहीं हूं कि पहले की सरकारों ने कुछ नहीं किया है और कोई सरकार कुछ न कुछ करने के लिए तो आती नहीं है। हर सरकार कुछ करने के लिए आती है। अपने-अपने समय में हर सरकार ने कुछ न कुछ किया है। उन सबका cumulative परिणाम है कि आज हम यहां आये है, लेकिन जितना होना चाहिए था नहीं हुआ है, जिस दिशा में होना चाहिए था उस दिशा में नहीं हुआ है और जिस प्रकार से देश के अंदर उस प्रकार से ऊर्जा नहीं भरी, इन कमियों को हमें पूर्ण करना होगा।

महोदय, यही देश नेता बाहर जाकर आज भी कहते है कि हमारा देश तो गरीब है और वही हमें मिसाइल दिखा रहे है। यह देश कभी सोने की चिडि़या कहा जाता था। यह देश विश्‍व के समृद्ध देशों में सबसे आगे माना जाता था। यह देश ज्ञान-विज्ञान की दुनिया में प्रगति पर माना जाता था। गुलामी के कालखंडमें सब ध्‍वस्‍त हो चुका, उसमें से हम बाहर आ सकतें हैं। हम स्‍वराज्‍य की ओर हम कैसे बल दें? हमारे लोकतंत्र के ढांचे से हम इस रूप से दब गये, अपने आप पता नहीं क्‍या कठिनाईयां महसूस कि हमने Good Governance पर बल नही दिया। Good Governance सामान्‍य नागरिक के प्रति जवाबदेह होता है। क्या आज हम यह कह सकते हैं कि हमारा पूरा प्रशासन तंत्र सामान्य नागरिक के प्रति जवाब देह है? लोकतंत्र कि पहली शर्त होती है कि वह नागरिकों के प्रति जवाबदेह होना चाहिए, लेकिन यह स्थिति नहीं है। क्‍या हम यह कह सकते है कि व्यवस्था तंत्र में गरीब से गरीब व्‍यक्ति कि सुनवाई हो रही है? तो लोकतंत्र की वह कौन सी असलीयत है जो इस प्रकार की कमियां पैदा कर रही है? इसलिए समय की मांग है कि देश के अंदर सुराज पर हमें बल देना पड़ेगा, इसलिए हमें सुराज पर बल देना है।

महोदय, व्‍यक्ति कितना ही स्‍वस्‍थ क्‍यों न दिखता हो, ऊंचाई हो, वजन ठीक हो, सब हो, कोई बीमारी न हो, लेकिन अगर एक डायबिटिज उसके शरीर में प्रवेश कर जाए, तो उसका सारा शरीर बीमारियों का घर बन जाता है। जिस प्रकार से शरीर में डायबिटिज का प्रवेश पूरे शरीर को नष्‍ट कर देता है, उसी प्रकार से शासन व्‍यवस्‍था में bad governance की एंट्री पूरे शासन तंत्र को, पूरे देश को तबाह कर देती है। Bad Governance डायबिटिज से भी भयंकर होता है। हमारा आग्रह है, हमारा प्रयास है कि हम Good Governance से चले।

महोदय, देश में करप्‍शन की चिंता है और मैं मानता हूं पूरे विश्‍व में हमारी एक पहचान बनी है, अच्‍छी है, बुरी है, सही है, गलत है, हरेक के अपने-अपने विचार होंगे, लेकिन दुनिया के सामने हिंदुस्‍तान एवं ‘Scam India’ यह पहचान बन गई है, और उसी ने भारत की विकास की यात्रा को बहुत बड़ा सदमा पहुंचा है। हमारे टूरिज्‍म पर बहुत बड़ी ब्रेक लगी, यह क्‍यों लगी? बलात्‍कार की घटनाओं ने टूरिस्‍टों के आने में रोक पैदा कर दी है। पूरे देश की विकास यात्रा में भारत की छोटी-छोटी घटनाएं भी बहुत बड़ी चिंता बनी हुई है और इस पर राजनीति नहीं हो सकती हैं। क्‍या हम terrorism पर भी राजनीति करेंगे? क्‍या माओवाद के हमलों पर भी राजनीति करेंगे? क्‍या मां-बहनों पर बलात्‍कार पर भी राजनीति करेंगे? निर्दोषों की हत्‍या पर भी राजनीति करेंगे? समय की मांग है कि हम इससे ऊपर उठकर के एक के सामूहिक दायित्‍व के साथ इन समस्‍याओं के संबंध में कोई Compromise नहीं करेंगे, मिल बैठकर कोई रास्‍ता निकालेंगे और देश की छवि जो बर्बाद हो रही है, उससे बाहर निकलने का प्रयास करेंगे।

महोदय, विश्‍व का भारत के प्रति आकर्षण बन रहा था। टूरिज्‍म के लिए लोग भारत की तरफ मुड़े थे, लेकिन अचानक पिछले कुछ समय में इसमें गिरावट आई है। यह गिरावट इन्‍हीं घटनाओं के कारण आई है। क्‍या हमारी सामूहिक जिम्‍मेवारी नहीं है? क्‍या राजनीति से ऊपर उठ करके इन समस्याओं के समाधान के लिए रास्‍ता नहीं निकाले जा सकते है?

महोदय, यह ऐसा सदन है, जहां देश का talent बैठता है, यह देश की विद्धवत सभा है। इन्‍हें मार्गदर्शन करना पड़ेगा। इसी गृह में मार्गदर्शन करना पड़ेगा। हमें मिल करके रास्‍ते खोजने पड़ेंगे और हमारी कोशिश है कि हम मिल बैठ कर रास्ता खोजें और देश को आगे ले जाएं।

हमारे देश में corruption के खिलाफ आम आदमी का रोष है। हमारी कानूनी व्‍यवस्‍था में कौन करप्‍ट आदमी कब जेल जाएगा, इसके लिए देश इंतजार करने को तैयार नहीं है। उसके हाथ में जो शस्‍त्र है, उससे राजनेताओं को सजा देने के लिए आज वह काबिल हुआ है। लेकिन, उससे बात बननी है। जितनी चिंता करप्‍शन के बाद की होती है, उससे ज्‍यादा चिंता करप्‍शन न हो, इसके लिए चिंता करने की आवश्‍यकता है। इसलिए राष्‍ट्रपति जी के अभिभाषण में इस बात पर भी बल दिया है कि करप्‍शन के बाद के लिए किए जाने वाले Measures पर ज्‍यादा चर्चा हो चुकी है, उसके कई मुद्दे हैं, लेकिन करप्‍शन न हो इसके लिए भी तो कुछ-कुछ चीजें की जा सकती है और उसमें एक है The State must be policy driven, अगर The State must be policy driven है तो करप्‍शन की संभावनाएं बहुत ही कम रहती है, ग्रे एरिया बहुत ही कम रहता है। दूसरा है टेक्‍नोलॉजी। आज टेक्‍नोलॉजी करप्‍शन को रोकने में बहुत बड़ा रोल प्‍ले कर सकती है। अगर Environment Ministry की फाइलें ऐसे ही जमा रहती हैं और भांति-भांति के आरोप लगते हैं, लेकिन वही ऑनलाइन हो, कोई भी एप्लिकेंट फॉर्म अपने पासवर्ड से ऑनलाइन देख सकता है। कि आज मेरी फाइल की क्‍या पोजिशन है? टेक्‍नोलॉजी के द्वारा इतनी transparency आ सकती है कि हमारे यहाँ एक सामान्य मानव भी करप्शन करने से पहले 50 बार सोचेगा। सीसीटीवी कैमरा जैसी चीजें भी आज आदमी को ङरा रही हैं, खूंखार-खूंखार व्‍यक्तियों को भी डरा रही है, तो हम टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग कर सकते है। करप्शन को कर्ब करने के लिए अभी ई-टेंडरिंग वगैरह छोटी-मोटी चीजें प्रारम्भ हुई हैं, लेकिन उसको और व्यापक रुप से आगे लाया जाए। इतना ही नहीं, अगर हम स्कूल्स में बच्चों के प्रेजेंस को बोयोमिट्रिक सिस्टम से जोड़ दें, तो फिर अगर कहीं 40 बच्चें है और कोई 80 लिखवाकर सारी सहायता ले रहा है, तो वह करप्शन अपने आप चला जाएगा। ग्रासरुट लेवल से टॉप लेवल तक करप्शन की सारी बातें होती हैं। अगर रेलवे के अंदर सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था होगी तो रेलवे के भीतर चलने वाली गतिविधियों को हम रोक सकते हैं। ऐसी कई बातें हैं, जैसे एक पालिसी-ड्रिवन स्टेट हो, टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग हो और करप्ट लोगों के लिए कठोर से कठोर कार्रवाई करने की व्यवस्था हो, तो मुझे विश्वास है कि हम स्थितियों को बदल सकते हैं।

हम चाहें या न चाहें, देश में हमारे इन सदनों की गरिमा पर चोट लगी हुई है। एक व्यापक चर्चा है कि संसद में वे लोग जाते हैं जिनका criminal बैकग्राउंड होता है। पाँच हों, सात हों, दस हों लेकिन एक छवि बनी हुई है। यह हम लोगों की सामूहिक जिम्मेवारी है कि हम इस कलंक से हमारे इन दोनो सदनों को मुक्त करें और कलंक से मुक्त करने का एक अच्छा उपाय है कि हम सब मिलकर तय करें, भारत के सुप्रीम कोर्ट से रिक्वेस्ट करें कि अभी जितने हमारे सदस्य हैं, उनमें से किसी पर भी यदि एफआईआर लॉज हुई है, तो ज्यूडिशियल मेकैनिज्म के द्वारा उसको एक्सपिडाइट किया जाए और एक साल के भीतर-भीतर दूध का दूध और पानी को पानी होना चाहिए। जो गुनहगार हो, वह जेल चला जाए, जो निर्दोष हों, वे बेदाग होकर वे दुनिया के सामने खड़े हो जाएँ। क्यों राजनीतिक कारणों से इतने गुनाह रजिस्टर होते हैं, कई निर्दोष लोग मारे जाते है? हम देश और दुनिया को बताएँ कि कम से कम 2015 के अंदर हम एक ऐसे हिन्दुस्तान को सदन में देखेंगे, चाहे वह लोक सभा हो या राज्य सभा हो, जहाँ पर बैठा हुआ कोई व्यक्ति ऐसा नही होगा जिस पर कोई दाग लगा होगा। दुनिया के अंदर हम एक शुरुआत कर सकते हैं। अगर हम इस प्रकार से एक बार लोक सभा को क्‍लीन कर दें तो फिर राजनीतिक दलों को भी टिकटें देते समय 50 बार सोचना पडेगा। अगर हम एक साल के भीतर यह सफाई कर देते हैं तो सीटें खाली होने लगेंगी, कोई हिम्मत नहीं करेगा। यह क्रम बाद में असेम्बलीज़ में ले जाया जाए और फिर घीरे-धीरे कॉर्पोरेशन में ले जाया जाए। जब एक बार माहौल बन जाएगा और वह सर्वसम्मति से बनेगा तो हम राजनीति को अपराधीकरण से मुक्त कर सकते हैं। इसकी शुरुआत करने का यह सही तरीका हैं। इसलिए राष्टपति जी के अभिभाषण में इस बात का भी उल्लेख किया गया हैं। मैं नहीं मानता हूं कि कोई ऐसा भी होगा, जो इससे मुक्ति न चाहता हो। जिस पर एफआईआर होगी, वह भी कहेगा- साहब, यह तलवार 15 साल से लटक रही है, हर बार मुझे नामांकन करते समय लिखना पड़ता है, हर बार एनजीओ के द्वारा अखबार में छपता है कि इसके ऊपर 30 गुनाह हैं, इसके ऊपर 25 गुनाह है। इससे हर कोई मुक्ति चाहता है। हम न्याय की प्रक्रिया को इस प्रकार से संचालित करें।

मैं मानता हूँ कि सभी सदस्य, चाहे वे लोक सभा के हों, राज्य सभा के हों, ये सब मिलकर इस बात के लिए सहयोग करेंगे और हम उस दि‍शा में सुप्रीम कोर्ट की मदद लेकर जो गुनाहगार हैं उसके लि‍ए जेल हो, जो बेगुनाह हों वह बेदाग दुनि‍यां के सामने प्रस्‍तुत हो, उसकी व्‍यवस्‍था हमें करनी चाहि‍ए। और इन दो सदनों में वह सामर्थ्‍य है कि‍ ये उस काम को कर सकते हैं। ऐसे अनेक वि‍षय हैं।

हम लोग यहां से शुरूआत करें और उसके बाद बाकी हो जाएगा। लेकि‍न मैं आपकी भावना का आदर करता हूं कि‍ कोई बचना नहीं चाहि‍ए। कानून का राज होना चाहि‍ए, बेगुनाहों को सुरक्षा मि‍लनी चाहि‍ए और गुनाहगारों को सजा मि‍लनी चाहि‍ए। इसीलि‍ए तो अभी तो जो ब्‍लैक मनी के लि‍ए दो साल से एस.आई.टी. बनाना लटक रहा था, हमने आते ही उस काम को कर दि‍या। उस काम को कर दिया, क्‍योंकि‍ यह हमारी प्राथमि‍कता है। हम में से कोई नहीं जानता कि वे ब्‍लैक मनी वाले कौन हैं, लेकि‍न देश की जनता के सामने यह सत्‍य आना जरूरी है कि‍ ब्‍लैक मनी है या नहीं है, तो कि‍सकी है, तो कि‍तनी है, कैसे आई और कहां गई, देश को पता तो चले और अगर नहीं है तो देश से इस प्रकार का धुंआ हट जाएगा। देश एक शांति का आनंद लेगा, इसलिए ऐसे कामों में कोताही बरते बिना हिम्‍मत के साथ आगे बढ़ना चाहिए और अगर हम आगे बढ़ते हैं तो देश के सामान्‍य व्‍यक्ति की संसद के प्रति श्रद्धा बढ़ेगी, लोकतंत्र के प्रति उसकी श्रद्धा बढ़ेगी और सरकारी व्‍यवस्‍था में वह भरोसा करने लगेगा।

आज देश के सामने सबसे बड़ा संकट है कि उसका भरोसा टूट गया है और यह भरोसा इस हद तक टूटा है कि यहां बैठे हुए लोग भी कभी मोबाइल फोन से किसी को एस.एम.एस करते होंगे और बाद में फोन करते होंगे कि मेरा एसएमएस मिला? क्‍यों? भरोसा टूट गया है। भरोसा टूट गया, वरना भरोसा होना चाहिए कि मेरे मोबाइल से मैंने एस.एम.एस भेजा है तो गया ही होगा। लेकिन फोन करके पूछता है कि मैंने कोई एस.एम.एस किया था, वह मिला क्‍या? यह जो भरोसा टूट गया है उसको पुन: स्‍थापित करने की आवश्यकता है। सरकारी अस्‍पताल में गया तो उसको विश्‍वास होना चाहिए कि उसकी बीमारी ठीक होगी। बच्‍चा सरकारी स्‍कूल में गया तो मां-बाप को भरोसा होना चाहिए कि उसकी पढ़ाई में कोई तकलीफ नहीं होगी, यह भरोसा होना चाहिए और यह भरोसा पैदा करना एक बहुत बड़ा चैलेंज है, लेकिन हम मिल बैठकर उस काम को करें, तो कर सकते हैं। आप सबने जो सुझाव दिए हैं, सभी सुझाव हमारे लिए सम्‍माननीय हैं और मैं कहता हूं और मैं बड़ी नम्रता के साथ कहता हूं, भले ही हम विजयी होकर आए हों, भले ही देश की जनता ने कई वर्षों के बाद हमारा इतना बड़ा समर्थन किया, लेकिन अगर आपका समर्थन नहीं, तो वह समर्थन अधूरा है, और इसलिए हम आपको साथ लेकर चलना चाहते हैं। जरूरत पड़ी तो आपके मार्गदर्शन में चलना चाहते हैं और यह कोई नई बात नहीं है। जब नरसिंह राव जी की सरकार थी, जेनेवा के अंदर एक कांफ्रेंस में जाना था, पाकिस्‍तान के खिलाफ एक लॉबीइंग करने की आवश्‍यकता थी और नरसिंह राव जी ने अटल बिहारी वाजपेयी जी को पसंद किया और उनको डेलीगेशन के रूप में भेजा था और उसक काम को किया था। तो सारी जो अच्‍छी बातें हैं उन बातों को हमें आगे बढ़ाना है और इसलिए हम देश के लिए काम करने वाले लोग हैं। दल से बड़ा देश होता है, इस मंत्र को लेकर चलना है और इस पवित्र सदन में उस मंत्र को उजागर करने के लिए हम लोग प्रयास करेंगे। आपका सहयोग रहेगा तो समस्‍याओं का समाधान करने की सुविधा और ज्‍यादा तेज होगी। राजनीति करने के लिए आखिरी वर्ष काफी होता है, अभी तो चार साल सिर्फ राष्‍ट्र हित के लिए सोचें, राष्‍ट्रनीति के लिए सोचें। जय और पराजय में कड़वाहट आई है, उसको बाहर रख करके आएं। आती है कड़वाहट। इतनी कड़वाहट के साथ आगे बढ़ने की जरूरत नहीं है और यह तो वरिष्‍ठ गृह है, वरिष्‍ठ गृह का माहौल एक उमंग और उत्‍साह का होना चाहिए, उसको बरकरार करने के लिए हम कोशिश करेंगे।

मुझे विश्‍वास है कि देश के सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ विजयी लोग ही नहीं, चुने हुए सब लोगों का जो दायित्‍व होता है, उस दायित्‍व को पूरा करने में हम पीछे नहीं रहेंगे। फिर एक बार, सदन के सामने अपनी बात रखने का मुझे अवसर मिला, मैं आपका आभारी हूं और मैं पूरे सदन से प्रार्थना करता हूं कि जो प्रस्‍ताव आपके सामने रखा गया है, उस प्रस्‍ताव का सर्वस‍म्‍मति से समर्थन करते हुए देश को हम नई दिशा दें, नई ताकत दें। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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There is only one mantra to fight cancer - Awareness, Action and Assurance: PM Modi
The Ayushman Bharat Yojana has reduced the financial problems in cancer treatment to a great extent: PM Modi

           எனதருமை நாட்டுமக்களே, வணக்கம்.   இன்று மனதின் குரலில், 2025ஆம் ஆண்டு…… இதோ வந்தே விட்டது, வாயிற்கதவுகளைத் தட்டிக் கொண்டிருக்கிறது.  2025ஆம் ஆண்டு, ஜனவரி மாதம் 26ஆம் தேதியன்று நமது அரசியலமைப்புச்சட்டத்தின் 75ஆம் ஆண்டு நிறைவடைய இருக்கின்றது.  நம்மனைவருக்கும் இது மிகவும் கௌரவம்மிகு தருணமாகும்.  நமது அரசியலமைப்புச்சட்ட பிதாமகர்கள் நம்மிடத்தில் ஒப்படைத்திருக்கும் அரசியல்சட்டம், காலத்தின் அனைத்துக் காலகட்டங்களிலும் வெற்றிகரமாக வழிகாட்டியிருக்கிறது.  அரசியல் சட்டமானது நம்மனைவருக்கும் பாதை துலக்கும் ஒளிவிளக்காய், வழிகாட்டியாய் விளங்குகிறது.  பாரத நாட்டின் அரசியல் சட்டம் காரணமாகவே இன்றிருக்கும் இடத்தில் நான் இருக்கிறேன், உங்களோடு உரையாடிக் கொண்டிருக்கிறேன்.  இந்த ஆண்டும் நவம்பர் மாதம் 26ஆம் தேதியன்று அரசியல்சட்ட தினம் தொடங்கி ஓராண்டுக்காலம் வரை நடைபெறக்கூடிய செயல்பாடுகள் தொடங்கப்பட்டிருக்கின்றன.  தேசத்தின் குடிமக்களை அரசியல் சட்டத்தின் மரபோடு இணைக்க வேண்டி, constitution75.com என்ற பெயரில் ஒரு சிறப்பான இணையத்தளம் உருவாக்கப்பட்டிருக்கிறது.   அரசியல் சட்டத்தின் முன்மொழிவினை வாசிக்கும் வகையில் உங்களுடைய காணொளியை இதிலே தரவேற்றம் செய்யலாம்.  பல்வேறு மொழிகளில் அரசியல்சட்டத்தை வாசிக்கலாம், அரசியல் சட்டம் தொடர்பான வினாக்களை எழுப்பலாம்.  மனதின் குரலின் நேயர்கள் தொடங்கி, பள்ளிகளில் படிக்கும் குழந்தைகள், கல்லூரிப்படிப்பு படிக்கும் இளைஞர்கள் ஆகியோரிடம் நான் விடுக்கும் வேண்டுகோள் – இந்த இணையத்தளத்தை அணுகுங்கள், இதோடு உங்களை இணைத்துக் கொள்ளுங்கள் என்பதே.

     நண்பர்களே, அடுத்த மாதம் 13ஆம் தேதி முதல் பிரயாக்ராஜில் மகாகும்பமேளா நடைபெற இருக்கிறது.  இந்த வேளையில், அங்கே சங்கமத்தின் கரையில் தடபுடலாக ஏற்பாடுகள் நடந்தேறி வருகின்றன.  சில நாட்கள் முன்பாக நான் பிரயாக்ராஜ் சென்றிருந்த வேளையில், ஹெலிகாப்டர் மூலமாக மொத்த கும்பமேளாவும் நடைபெறவுள்ள இடத்தையும் பார்வையிட்ட போது மனதில் பெரும் நிறைவு உண்டானது.  என்னவொரு விசாலம்!!  என்னவொரு அழகு!!  எத்தனை பிரும்மாண்டம்!!  அடேயப்பா!!

     நண்பர்களே, மகாகும்பமேளாவின் விசேஷம் இதன் விசாலமான தன்மை மட்டுமல்ல; மாறாக இதன் சிறப்பே இதன் பன்முகத்தன்மையில் தான் அடங்கியிருக்கிறது.  இந்த ஏற்பாட்டிலே கோடிக்கணக்கானோர் ஒரே நேரத்தில் சங்கமிக்கிறார்கள்.  இலட்சக்கணக்கான புனிதர்கள், ஆயிரக்கணக்கான பாரம்பரியங்கள், பல்லாயிரம் சம்பிரதாயங்கள், பல்வேறு பிரிவுகள் என அனைவரும் இந்த ஏற்பாட்டின் அங்கமாக ஆகின்றார்கள்.  எங்கும் எந்த வேறுபாடும் காணப்படாது, பெரியவர்-சிறியோர் என்று ஒன்றும் கிடையாது.  வேற்றுமையில் ஒற்றுமையின் இந்தக் காட்சியை உலகில் வேறு எங்குமே காண இயலாது.  ஆகையால் தான் நமது கும்பமேளா என்பது ஒற்றுமையின் மகாகும்பமேளாவாகவும் திகழ்கிறது.  இந்த முறை வரும் மகாகும்பமேளாவும் கூட ஒற்றுமையின் மகாகும்ப மேளாவின் மந்திரத்திற்கு சக்தியூட்டும்.  நாம் கும்பமேளாவில் பங்கேற்றுத் திரும்பும் போது, ஒற்றுமையின் இந்த உறுதிப்பாட்டை மனதில் ஏந்தி வீடு வருவோம்.  சமுதாயத்தில் பிரிவினை மற்றும் வெறுப்புணர்வுக்கு முடிவுகட்டும் உறுதிப்பாட்டையும் ஏற்போம்.  சொற்களில் இதை வடிக்க வேண்டும் என்று சொன்னால்……

மகாகும்பமளிக்கும் செய்தி, நாட்டில் ஒற்றுமை மலரட்டும்.

மகாகும்பமளிக்கும் செய்தி, நாட்டில் ஒற்றுமை மலரட்டும்.

 

இதை வேறுவகையில் கூற வேண்டுமென்றால்…..

கங்கையின் இடைவிடாப் பெருக்கு, நமது சமூகம் பிளவுபடக்கூடாது.

கங்கையின் இடைவிடாப் பெருக்கு, நமது சமூகம் பிளவுபடக்கூடாது.

     நண்பர்களே, இந்த முறை பிரயாக்ராஜில் உள்நாட்டிலிருந்தும், அயல்நாடுகளிருந்தும் பக்தர்கள் டிஜிட்டல் வழிமுறையில் மகாகும்பமேளாவைக் காண இருக்கிறார்கள்.  டிஜிட்டல்முறை வழிகாட்டல் வாயிலாக பல்வேறு படித்துறைகள், ஆலயங்கள், புனிதர்களின் மடங்கள் வரை சென்றடைய பாதை துலக்கிக் காட்டப்படும்.  இதே வழிகாட்டும் முறையே வாகன நிறுத்துமிடத்திற்கு நீங்கள் செல்வதற்கும் உதவிகரமாக இருக்கும்.  முதன்முறையாக கும்பமேளாவுக்கான ஏற்பாடுகளில் செயற்கை நுண்ணறிவு chatbot, உரையாடல் பயன்படுத்தப்படும்.  இந்த செயற்கை நுண்ணறிவு chatbot வாயிலாக, கும்பமேளாவோடு தொடர்புடைய அனைத்துவிதமான தகவல்களும் 11 இந்திய மொழிகளில் பெற முடியும்.  இந்த chatbot வாயிலாக, தட்டச்சு செய்தோ, குரல்வழி பேசியோ, யாராலும் எந்தவொரு உதவியையும் கோர முடியும்.   செயற்கை நுண்ணறிவால் இயங்கும் காமிராக்கள் மொத்த திருவிழாப்பகுதியையும் கண்காணித்துவரும்.  கும்பமேளா நெரிசலில் யாராவது தங்களுடைய சொந்தங்களைப் பிரிய நேர்ந்தால், இந்தக் கேமிராக்கள் மூலமாக அவர்களைத் தேடிப் பிடிக்கவும் உதவிகள் கிடைக்கும்.  திருவிழா நடைபெறும் எந்த ஒரு பகுதியிலும் தொலைந்தவர்களை டிஜிட்டல்வழியே கண்டுபிடிக்கும் மையத்தின் வசதியும் பக்தர்களுக்கு கிடைக்கும்.  அரசு அங்கீகாரம் பெற்ற சுற்றுலாத் திட்டங்கள், தங்குவசதிகள், இல்லங்களில் தங்குவசதிகள் ஆகியன பற்றியும் பக்தர்களுக்கு செல்பேசி வாயிலாக தகவல்கள் அளிக்கப்படும்.  நீங்களும் கும்பமேளா செல்லுங்கள், இந்த வசதிகளை அனுபவியுங்கள், அப்புறம் ஒரு விஷயம்….. #ஏக்தா கா மகாகும்ப் என்பதில் உங்களுடைய சுயபுகைப்படத்தையும் மறக்காமல் தரவேற்றம் செய்யுங்கள்.

     நண்பர்களே, மனதின் குரல் அதாவது மன் கீ பாத் MKBயில் இப்போது KTB பற்றி….. மிக மூத்தோர் இருக்கிறார்களே, அவர்களில் பலருக்கு KTB பற்றித் தெரிந்திருக்கும்.   ஆனால் சின்னக் குழந்தைகளிடம் வினவிப் பாருங்கள், அவர்கள் மத்தியிலோ KTB சூப்பர்ஹிட் என்றே சொல்லலாம்.  அதாவது, க்ருஷ், த்ருஷ், பால்டிபாய் ஆகியோர்.  உங்களுக்கு ஒரு வேளை தெரிந்திருக்கலாம், குழந்தைகளின் விருப்பமான அனிமேஷன் தொடரின் பெயர் தான் KTB – பாரதத்தில் நாம், இப்போது இதன் இரண்டாவது தொடரும் வந்து விட்டது.   இந்த மூன்று அனிமேஷன் பாத்திரங்களும் நமக்கும் பாரதநாட்டின் அதிகம் அறியப்படாத, அதிகம் பேசப்படாத சுதந்திரப் போராட்ட நாயகர்கள்-வீராங்கனைகள் பற்றித் தெரிவிக்கும்.  தற்போது தான் இதன் இரண்டாவது தொடர் மிகவும் சிறப்பான பொலிவோடு கோவாவில் நடந்த இந்தியாவின் சர்வதேச திரைப்படத் திருவிழாவில் அறிமுகப்படுத்தப்பட்டது.  மிகவும் அருமையான விஷயம் என்னவென்றால் இந்தத் தொடரானது பாரத நாட்டின் பல மொழிகளில் மட்டுமல்ல, அயல்நாட்டு மொழிகளிலும் கூட ஒளிபரப்பப்பட்டு வருகிறது.  இதை தூர்தர்ஷனோடு கூடவே இன்னபிற ஓடிடி தளங்களிலும் கண்டுகளிக்க முடியும்.

     நண்பர்களே, நமது அனிமேஷன் படங்களின், வாடிக்கையான படங்களின், டிவி தொடர்களின் பிரபலத்தன்மை பாரத நாட்டின் படைப்புத் திறன் துறையிடம் இருக்கும் திறமைகளைப் படம்பிடித்துக் காட்டுகிறது.  இந்தத் துறையானது தேசத்தின் முன்னேற்றத்திற்கு மட்டும் பெரும் பங்களிப்பு அளிக்கவில்லை, மாறாக நமது பொருளாதாரத்தையும் கூட புதிய சிகரங்களுக்கு இட்டுச் செல்கிறது.  நமது திரைப்படம் மற்றும் கேளிக்கைத் துறை மிகவும் விசாலமானது.  தேசத்தின் பல மொழிகளிலும் திரைப்படங்கள் தயாராகின்றன, படைப்புத்திறன்மிக்க உள்ளடக்கம் உருவாக்கப்படுகிறது.  ஒரே பாரதம் உன்னத பாரதம் என்ற உணர்வுக்கு வலுவூட்டுவதன் காரணத்தால் நான்நமது திரைப்பட மற்றும் கேளிக்கைத் தொழில்துறைக்கு என் பாராட்டுக்களைத் தெரிவித்துக் கொள்கிறேன்.

     நண்பர்களே, 2024ஆம் ஆண்டிலே நாம் திரைத்துறையின் பல மகத்தான நபர்களின் 100ஆம் ஆண்டு விழாவைக் கொண்டாடினோம்.  இந்த நபர்கள் பாரதநாட்டுத் திரைத்துறையை உலகளாவிய வகையில் அடையாளப்படுத்தினார்கள்.  ராஜ் கபூர் அவர்களின் படங்கள் வாயிலாக உலகம் பாரத நாட்டின் soft power மென்மையான சக்தியை இனம் கண்டு கொண்டது.  ரஃபி ஐயாவின் குரலில் இருந்த மாயாஜாலம், அனைவரின் இதயங்களையும் தொட்டுவருட வல்லது.  அவருடைய குரல் அலாதியானது.  பக்திப்பாடல்களாக இருந்தாலும் சரி, காதல் பாடல்களாக இருந்தாலும் சரி, துயரம்-வலி நிறைந்த பாடல்களாக இருந்தாலும் சரி, அனைத்து உணர்வுகளையும் அவர் தனது குரலில் உயிர்ப்படையச் செய்து விடுவார்.  ஒரு கலைஞன் என்ற முறையில் பார்க்கும் போது, இன்றும் கூட இளைய தலைமுறையினர் அவருடைய பாடல்களை அதே பேரார்வத்தோடு கேட்கிறார்கள் என்பதிலிருந்தே அவருடைய மாட்சிமையை நம்மால் புரிந்து கொள்ள முடிகிறது, காலத்தைக் கடந்த கலைக்கான அடையாளம் இது தானே.  அக்கினேனி நாகேஷ்வர் ராவ் காரு, தெலுகு திரைப்படத்துறையை புதிய உயரங்களுக்கு இட்டுச் சென்றவர்.  அவருடைய படங்கள் பாரதநாட்டுப் பாரம்பரியங்களையும், நன்மதிப்புக்களையும் மிகச் சிறப்பாகப் படம்பிடித்துக் காட்டுவன.  தபன் சின்ஹா அவர்களின் படங்கள், சமூகத்திற்கு ஒரு புதிய பார்வையை அளித்தன.  அவருடைய படங்களில் சமூக விழிப்புணர்வு மற்றும் தேசத்தின் ஒற்றுமை தொடர்பான செய்தி எப்போதும் இருக்கும்.  நமது ஒட்டுமொத்தத் திரைப்படத்துறைக்கும் இந்த மாமனிதர்களின் வாழ்க்கை கருத்தூக்கம் அளிப்பது.

     நண்பர்களே, நான் மேலும் ஒரு சந்தோஷமான செய்தியை உங்களுக்கு அளிக்க விரும்புகிறேன்.  பாரதநாட்டின் படைப்புத்திறனை உலகின் முன்பாக வைக்க ஒரு மிகப்பெரிய சந்தர்ப்பம் வந்து கொண்டிருக்கிறது.  அடுத்த ஆண்டு நமது தேசத்தில் முதன்முறையாக உலக ஒலிஒளி கேளிக்கை உச்சிமாநாடு அதாவது வேவ்ஸ் உச்சிமாநாடு நடைபெறவிருக்கிறது.  நீங்கள் அனைவரும் தாவோஸ் பற்றிக் கேள்விப்பட்டிருப்பீர்கள்; அங்கே உலகின் பொருளாதாரவுலகின் ஜாம்பவான்கள் ஒன்று கூடுவார்கள்.  இதைப் போலவே வேவ்ஸ் உச்சிமாநாட்டிலே உலகெங்கிலுமிருந்தும் ஊடகங்களும், திரைத்துறையின் ஜாம்பவான்களும், படைப்புலகத்தினரும் பாரத நாட்டிற்கு வருவார்கள்.   இந்த உச்சிமாநாடு, பாரத நாடு உலகம் தழுவிய உள்ளடக்க உருவாக்க மையமாக ஆகும் திசையில் ஒரு மகத்துவம் வாய்ந்த அடியெடுப்பாகும்.  இந்த உச்சிமாநாட்டின் தயாரிப்பு முஸ்தீபுகளிலே நமது தேசத்தின் இளம் படைப்பாளிகள் முழு உற்சாகத்தோடு இணைந்து பணியாற்றி வருகிறார்கள் என்று என்னிடம் கூறப்பட்டிருக்கிறது.  நாம் 5 ட்ரில்லியன் டாலர் பொருளாதாரம் என்ற திசையை நோக்கி முன்னேறும் வேளையில் நமது படைப்பாற்றல் பொருளாதாரமும் ஒரு புதிய ஆற்றலைக் கொண்டுவந்து சேர்க்கிறது.   நான் பாரத நாட்டின் மொத்த கேளிக்கை மற்றும் படைப்பாற்றல் துறையிடமும் என்ன வேண்டிக் கொள்கிறேன் என்றால், நீங்கள் இளம் படைப்பாளியோ, புகழ்மிக்க கலைஞரோ, பாலிவுட்டோடு இணைந்தவரோ அல்லது பிராந்திய திரைத்துறையைச் சேர்ந்தவரோ, தொலைக்காட்சித் துறையின் தொழில்வல்லுநரோ அல்லது அனிமேஷன் வல்லுநரோ, கேமிங்கோடு தொடர்புடையவரோ கேளிக்கைத் தொழில்நுட்பத் துறையில் கண்டுபிடிப்பாளரோ…. நீங்கள் அனைவரும் வேவ்ஸ் உச்சிமாநாட்டில் பங்கு பெறுங்கள். 

     எனதருமை நாட்டுமக்களே, பாரதநாட்டுக் கலாச்சாரம் பொழியும் ஒளியானது இன்று எப்படி உலகின் அனைத்து மூலைகளுக்கும் பரவி வருகிறது என்பதை நீங்கள் அனைவரும் நன்கறிவீர்கள்.  மூன்று கண்டங்களின் முயற்சிகளைப் பற்றி இன்று நான் உங்களிடம் பரிமாறிக் கொள்ள இருக்கிறேன், இவை நமது கலாச்சார மரபின் உலகளாவிய பரவலின் சான்றுகளாக இருக்கின்றன.  இவையனைத்தும் ஒன்றுக்கொன்று பல கி.மீ. தொலைவால் வேறுபட்டவை.  ஆனால் பாரத நாட்டைப் பற்றித் தெரிந்து கொள்ளவும், நமது கலாச்சாரத்தைக் கற்றுக் கொள்ளவும் அவர்களிடம் இருக்கும் தாகம் ஒன்று போலவே இருக்கிறது.

     நண்பர்களே, ஓவியங்களின் உலகம் எத்தனை வண்ணமயமாக இருக்குமோ, அந்த அளவுக்கு அழகாக இருக்கும்.  தொலைக்காட்சி வாயிலாக உங்களில் யாரெல்லாம் மனதின் குரலோடு இணைந்து வருகிறீர்களோ, சில ஓவியங்களை தொலைக்காட்சியில் உங்களால் காண முடியும்.  இந்தச் சித்திரங்களில் நமது தெய்வங்கள், நடனக்கலைகள் மற்றும் மாமனிதர்களைக் கண்டு உங்கள் உள்ளங்கள் உவப்பெய்தும்.  இவற்றிலே பாரதநாட்டில் இருக்கும் உயிரினங்கள் தொடங்கி நிறைய விஷயங்களை உங்களால் காணமுடியும்.   இவற்றில் தாஜ்மஹலின் ஒரு அற்புதமான ஓவியமும் அடங்கும், இதை 13 வயதேயான ஒரு குட்டிப் பெண் வரைந்திருக்கிறாள்.  இந்த மாற்றுத்திறனாளிக் குழந்தை தனதுவாயால் இந்த ஓவியத்தை வரைந்திருக்கிறாள் என்பதறிந்தால் நீங்கள் திகைத்துப் போவீர்கள்.   மிகவும் சுவாரசியமான விஷயம் என்னவென்றால் இந்த ஓவியங்களை வரைந்தவர்கள் பாரத நாட்டினர் அல்ல, எகிப்து தேசத்தைச் சேர்ந்த மாணவர்கள்.  சில வாரங்கள் முன்பு எகிப்து நாட்டில் சுமார் 23,000 மாணவர்கள் ஒரு ஓவியப் போட்டியில் பங்கெடுத்தார்கள்.  அங்கே அவர்கள் பாரத நாட்டின் கலாச்சாரம் மற்றும் இந்த இருநாடுகளின் சரித்திரப்பூர்வமான தொடர்புகளை வெளிப்படுத்தும் வகையிலான ஓவியங்களை வரைந்திருந்தார்கள்.  நான் இந்தப் போட்டியில் பங்கெடுத்துக் கொண்ட அனைத்து இளைஞர்களுக்கும் பாராட்டுக்களைத் தெரிவித்துக் கொள்கிறேன்.  அவர்களின் படைப்பாற்றலை எத்தனைப் பாராட்டினாலும் தகும்.

     நண்பர்களே, தென்னமெரிக்காவின் ஒரு தேசம் பராகுவே.  அங்கேயிருக்கும் பாரதநாட்டவரின் எண்ணிக்கை ஓராயிரத்தை மிகாது.  பராகுவேயில் ஒரு அற்புதமான முயற்சி நடைபெற்று வருகிறது.  அங்கே பாரதநாட்டு தூதரகத்தில் எரிகா ஹ்யூபர் என்பவர் இலவசமாக ஆயுர்வேத ஆலோசனை அளிக்கிறார்.  ஆயுர்வேத ஆலோசனை பெற, அந்நாட்டவர் அதிக எண்ணிக்கையில் வருகிறார்கள்.  எரிகா ஹ்யுபர் பொறியியல் படிப்பு படித்திருந்தாலும் கூட, அவருடைய மனம் ஆயுர்வேதத்திலேயே நிலை கொள்கிறது.  அவர் ஆயுர்வேதம் தொடர்பான படிப்புக்களை மேற்கொண்டார், காலப்போக்கில் இதில் வல்லுநராகவும் ஆகி விட்டார்.

     நண்பர்களே, உலகின் மிகத் தொன்மையான மொழி தமிழ்மொழி, இந்தியர்கள் அனைவருக்கும் இது பெருமை சேர்க்கும் விஷயமாகும்.  உலகெங்கிலும் இருக்கும் நாடுகளில் இதைக் கற்போரின் எண்ணிக்கை தொடர்ந்து அதிகரித்து வருகிறது.   கடந்த மாத இறுதியில், ஃபிஜியில் பாரத அரசின் உதவியோடு தமிழ் பயில்விக்கும் நிகழ்ச்சி தொடங்கப்பட்டது.  கடந்த 80 ஆண்டுகளில், ஃபிஜியில் தமிழில் பயிற்சி பெற்ற ஆசிரியர்கள் தமிழ் பயிற்றுவிப்பது என்பது இதுவே முதல் முறை.  இன்று ஃபிஜியின் மாணவர்கள் தமிழ்மொழியையும், சம்ஸ்கிருதத்தையும் கற்றுக் கொள்ள நிறைய ஆர்வம் காட்டுகிறார்கள் என்பது எனக்கு உவப்பைத் தருகிறது.

     நண்பர்களே, இந்த விஷயங்கள், இந்தச் சம்பவங்கள், வெறும் வெற்றிக்கதைகள் அல்ல.   இவை நமது கலாச்சார மரபின் காதைகளும் கூட.  இந்த எடுத்துக்காட்டுகள் நம் உள்ளங்களைப் பெருமிதத்தால் நிரப்பி விடுகின்றன.  கலை முதல் ஆயுர்வேதம், மொழி, இசை என அனைத்தும் பாரதத்திடம் கொட்டிக் கிடக்கிறது, இதுவே உலகை மயக்குகிறது.

     நண்பர்களே, குளிர்காலத்தில் நாடெங்கிலும் விளையாட்டு மற்றும் உடலுறுதி தொடர்பாக பல செயல்பாடுகள் நடைபெற்று வருகின்றன.  மக்கள் உடலுறுதியைத் தங்களுடைய தினசரி வாடிக்கையாக்கி வருகிறார்கள் என்பது மகிழ்ச்சியை அளிக்கிறது.  கஷ்மீரில் பனிச்சறுக்கு முதல் குஜராத்தில் காற்றாடிவிடுதல் வரை அனைத்து இடங்களிலும் விளையாட்டுக்களின் உற்சாகத்தைக் காண முடிகிறது.   #SundayOnCycle மற்றும்  #CyclingTuesday போன்ற இயக்கங்கள் சைக்கிள்விடுதலுக்கு ஊக்கமளித்து வருகின்றன.

     நண்பர்களே, இப்போது நான் உங்களோடு ஒரு வித்தியாசமான விஷயத்தைப் பகிர்ந்து கொள்ள விரும்புகிறேன், இது நமது தேசத்தில் ஏற்பட்டும்வரும் மாற்றங்கள் மற்றும் இளைய நண்பர்களின் உற்சாகத்தையும், ஊக்கத்தையும் அடையாளப்படுத்துகிறது.  நமது பஸ்தர் பகுதியில் ஒரு வித்தியாசமான ஒலிம்பிக் போட்டி தொடங்கப்பட்டிருப்பது பற்றிக் கேள்விப்பட்டிருக்கிறீர்களா?  ஆமாம்….. முதன்முறையாக பஸ்தர் ஒலிம்பிக்ஸ் வாயிலாக பஸ்தரில் ஒரு புதிய புரட்சி பிறப்பெடுத்து வருகிறது.  என்னைப் பொறுத்தமட்டில் மிக சந்தோஷமான விஷயம் என்னவென்றால், பஸ்தர் ஒலிம்பிக்ஸ் என்ற கனவு மெய்ப்பட்டிருக்கிறது என்பது தான்.  ஒருகாலத்தில் மாவோவாதிகளின் பயங்கரவாதம் பாதிக்கப்பட்ட பகுதியாக இருந்த பகுதியில் இது நடக்கிறது என்பது உங்களுக்கும் மகிழ்ச்சியை ஏற்படுத்தலாம்.  பஸ்தர் ஒலிம்பிக்ஸின் சின்னம், வன் பைன்ஸா ஔர் பஹாடி மைனா, அதாவது காட்டெருமையும், மலைப்பகுதி மைனாவும்.   இதிலே பஸ்தரின் நிறைவான கலாச்சாரம் பளிச்சிடுவதைக் காண முடிகிறது.  இந்த பஸ்தர் விளையாட்டு மகாகும்பமேளாவின் மூல மந்திரம் என்ன தெரியுமா? 

கர்ஸாய் தா பஸ்தர் பர்ஸாயே தா பஸ்தர்

அதாவது, விளையாடும் பஸ்தர் – வெல்லும் பஸ்தர்.

     முதன்முறையாக பஸ்தர் ஒலிம்பிக்ஸில் 7 மாவட்டங்களைச் சேர்ந்த ஒரு இலட்சத்துஅறுபத்து ஐயாயிரம் விளையாட்டு வீரர்கள் பங்கெடுத்துக் கொண்டார்கள்.  இது வெறும் எண்ணிக்கையல்ல.  இது நமது இளைய சமூகத்தின் உறுதிப்பாட்டின் கௌரவக்காதை.  தடகளப் போட்டிகள், கயிறு இழுத்தல், பூப்பந்தாட்டம், கால்பந்தாட்டம், ஹாக்கி, பளுதூக்குதல், கராட்டே, கபடி, கோகோ, கைப்பந்தாட்டம் என அனைத்து விளையாட்டுக்களிலும் நமது இளைஞர்கள் தங்களுடைய திறன்கள்-திறமைகளை வெளிப்படுத்தினார்கள்.  காரி கஷ்யப் அவர்களின் கதை எனக்கு மிகவும் உத்வேகம் அளித்தது.  ஒரு சின்னஞ்சிறிய கிராமத்திலிருந்து வரும் காரி அவர்கள் அம்பு எய்தல் போட்டியில் வெள்ளிப்பதக்கம் வென்றார்.  “பஸ்தர் ஒலிம்பிக்ஸ் போட்டியானது எங்களுக்கு விளையாட்டு மைதானத்தை மட்டுமல்ல, வாழ்க்கையில் முன்னேற ஒரு சந்தர்ப்பத்தை அளித்திருக்கிறது” என்று கூறியிருக்கிறார் இவர்.  சுக்மாவைச் சேர்ந்த பாயல் கவாசி அவர்களின் கூற்று ஒன்றும் குறைந்த ஊக்கத்தை அளிக்கவில்லை.  ஈட்டி எறிதல் போட்டியில் தங்கப்பதக்கம் வென்ற பாயல், “ஒழுக்கம் மற்றும் கடும் உழைப்பு வாயிலாக யாராலும் எதையும் சாதிக்க முடியும்” என்றார் இவர்.   சுக்மாவின் தோர்நாபாலைச் சேர்ந்த புனேம் ஸன்னா அவர்களின் கதை, புதிய பாரதத்துக்கே உத்வேகம் அளிப்பதாகும்.  ஒரு காலத்தில் நக்ஸல் தாக்கத்தால் கவரப்பட்ட புனேம் அவர்கள் இன்று சக்கர நாற்காலியில் விரைந்து பதக்கங்களை வென்று வருகிறார்.  இவருடைய சாகஸமும், தன்னம்பிக்கையும், அனைவருக்கும் கருத்தூக்கம் அளிக்க வல்லவை.  கோடாகாவின் அம்பெறிதல் போட்டியாளரான ரஞ்ஜூ ஸோரி அவர்கள், பஸ்தரின் இளைஞர்களின் சின்னமாகத் தேர்ந்தெடுக்கப்பட்டிருக்கிறார்.  நெடுந்தலைவுகளில் இருக்கும் இளைஞர்களை தேசிய அளவில் கொண்டு சேர்க்கும் சந்தர்ப்பத்தை பஸ்தர் ஒலிம்பிக்ஸ் அளித்து வருகிறது என்று கருதுகிறார்.

     நண்பர்களே, பஸ்தர் ஒலிம்பிக்ஸ் என்பது ஒரு விளையாட்டு நிகழ்ச்சி மட்டுமல்ல.  இங்கே வளர்ச்சி மற்றும் விளையாட்டுக்களின் சங்கமம் நடக்கிறது.  இங்கே நமது இளைஞர்களின் திறமைகள் ஒளி உமிழ்கின்றன, ஒரு புதிய பாரதத்தை அவர்கள் படைக்கிறார்கள்.  நான் உங்கள் அனைவரிடத்திலும் வேண்டிக் கொள்கிறேன் –

  • உங்கள் பகுதிகளில் இப்படிப்பட்ட விளையாட்டு நிகழ்ச்சிகளுக்கு ஊக்கம் தாருங்கள்.
  • #खेलेगा भारत – जीतेगा भारत என்பதிலே உங்களுடைய பகுதிகளில் விளையாட்டுத் திறமைகளைப் பற்றிய கதைகளைப் பகிர்ந்து கொள்ளுங்கள்.
  • விளையாட்டில் திறமைகள் உள்ளவர்கள் வட்டாரத்தில் இருந்தால் அவர்கள் முன்னேற வாய்ப்பளியுங்கள்.

நினைவில் கொள்ளுங்கள், விளையாட்டுக்கள் நமது உடல் வளர்ச்சியை மட்டுமல்லாமல், ஆரோக்கியமான மனநிலையையும் ஏற்படுத்தி, சமூகத்தின் இணைப்புக்களை-உறவுகளை மேலும் வலுவாக்க வல்லது.  ஆகையால் விளையாடுங்கள், நன்றாக விளையாடுங்கள்.

     எனதருமை நாட்டுமக்களே, பாரதத்தின் இருபெரும் சாதனைகள் இன்று உலகத்தின் கவனத்தை ஈர்த்திருக்கின்றன.  இதைக் கேட்டு நீங்கள் பெருமைப்படுவீர்கள்.  இந்த இருபெரும் வெற்றிகளும் ஆரோக்கியத் துறையில் கிடைத்திருக்கின்றன.  முதல் சாதனை என்னவென்றால், அது மலேரியாவுடனான போராட்டத்தில்.  மலேரியா என்ற நோய் 4000 ஆண்டுகளாக மனித சமூகத்திற்கே ஒரு பெரும் சவாலாக இருந்து வருகிறது.  சுதந்திரமடைந்த காலகட்டத்தில், இது நமது மிகப்பெரிய சுகாதாரச் சவால்களில் ஒன்றாக இருந்தது.  ஒரு மாதம் முதல் ஐந்து ஆண்டுகள் வரையிலான குழந்தைகளின் உயிர்குடிக்கும் அனைத்துத் தொற்றுநோய்களில் மலேரியாவுக்கு மூன்றாவது இடம்.   இன்று, நாட்டுமக்களை அனைவரும் இந்தச் சவாலை தீவிரத்தோடு எதிர்கொண்டார்கள், முன்னேற்றமும் கண்டார்கள் என்பதைப் பகிர்ந்து கொள்வதில் எனக்கு பேருவகை ஏற்படுகிறது.  உலக சுகாதார நிறுவனத்தின் அறிக்கை என்ன கூறுகிறது தெரியுமா?  பாரத நாட்டில் 2015ஆம் ஆண்டு தொடங்கி 2023ஆம் ஆண்டிற்குள்ளாக மலேரியா பாதிப்பு விஷயங்கள் மற்றும் இதனால் ஏற்படும் இறப்புக்களில் 80 சதவீத வீழ்ச்சி காணப்பட்டிருக்கிறது.   இது ஒன்றும் சிறிய சாதனையே அல்ல.  மேலும் மிகவும் மகிழ்ச்சிதரும் செய்தி என்னவென்றால் இந்த வெற்றி, நாட்டுமக்கள் அனைவரின் பங்களிப்புக் காரணமாகவே கிடைத்திருக்கிறது.  பாரத நாட்டின் அனைத்து இடங்களிலும், அனைத்து மாவட்டங்களிலும் அனைவரும் இந்த இயக்கத்தில் பங்கெடுத்தார்கள்.  அஸாமின் ஜோர்ஹாட்டில் தேயிலைத் தோட்டங்களில் நான்காண்டுகள் முன்புவரை மக்களின் கவலைக்குக் காரணமாக மலேரியா இருந்துவந்தது.  ஆனால் இதை வேரடி மண்ணோடு கெல்லி எறிய தேயிலைத் தோட்டத்தில் வசிப்பவர்கள் ஒன்று திரண்ட போது, இதில் கணிசமான அளவுக்கு வெற்றியை ஈட்ட முடிந்தது.  தங்களுடைய இந்த முயற்சியில் அவர்கள் தொழில்நுட்பத்தோடு கூட, சமூக ஊடகங்களையும் முழுமையாகப் பயன்படுத்தினார்கள்.   இதைப் போலவே ஹரியாணாவின் குருக்ஷேத்திரம் மாவட்டவாசிகளும் கூட மலேரியாவைக் கட்டுப்படுத்த மிக நேர்த்தியான மாதிரி ஒன்றினை முன்வைத்தார்கள்.  இங்கே மலேரியாவைக் கண்காணிப்பதில் மக்களின் பங்களிப்பு கணிசமாக வெற்றி பெற்றிருக்கிறது.  தெருமுனை நாடகங்கள், வானொலி ஆகியவை வாயிலாக செய்திகள் ஓங்கி ஒலிக்கப்பட்டன, இதன் காரணமாக கொசுக்களின் இனப்பெருக்கம் குறைய கணிசமாக உதவியது.  நாடெங்கிலும் இப்படிப்பட்ட முயற்சிகளால் தான் நம்மால் மலேரியாவுக்கு எதிரான போராட்டத்தை முன்னேற்ற முடிந்தது.

 

     நண்பர்களே, நம்முடைய மனவுறுதிப்பாடு மற்றும் விழிப்புணர்வு காரணமாக நம்மால் எந்த அளவுக்கு சாதிக்க முடியும் என்பதற்கான இரண்டாவது எடுத்துக்காட்டுத் தான் புற்றுநோயோடு போர்.  உலகின் பிரபலமான மருத்துவ சஞ்சிகையான Lancetஇன் ஆய்வு, உள்ளபடியே நம்பிக்கை அளிக்கவல்லது.  இந்த சஞ்சிகைப்படி இப்போது பாரதத்தில், சரியான காலத்தில் புற்றுநோய்க்கான சிகிச்சையைத் தொடங்குவதற்கான சாத்தியக்கூறு கணிசமாக அதிகரித்து விட்டது.  குறித்த காலத்தில் என்றால், புற்றுநோயால் பாதிக்கப்பட்டவர்களுக்கான சிகிச்சை 30 நாட்களுக்கு உள்ளாகத் தொடங்குவது என்பது தான்.  மேலும் இதில் பெரிய பங்களிப்பை அளித்துவருவது ஆயுஷ்மான் பாரத் திட்டம் தான்.  இந்தத் திட்டத்தின் காரணமாக, புற்றுநோயாளிகளில் 90 சதவீதம் பேரால், குறித்த காலத்தில் சிகிச்சையை மேற்கொள்ள முடிகிறது.  இது எப்படி நடந்தது என்றால், முன்பெல்லாம் பணத்தட்டுப்பாடு காரணமாக ஏழை நோயாளிகளால் புற்றுநோய்ப் பரிசோதனையில், சிகிச்சை மேற்கொள்ளத் தயக்கம் காட்டினார்கள்.  இப்போதோ ஆயுஷ்மான் பாரத் திட்டம் அவர்களுக்கு வரப்பிரசாதமாக ஆகியிருக்கிறது.  இப்போது அவர்கள் முன்வந்து சிகிச்சை மேற்கொள்ள வருகிறார்கள்.  ஆயுஷ்மான் பாரதம் திட்டம் புற்றுநோய் சிகிச்சையில் ஏற்படும் பணப்பற்றாக்குறை என்ற பிரச்சனையைக் கணிசமாகக் குறைத்திருக்கிறது.  மேலும் ஒரு நல்ல விஷயம் என்னவென்றால் இன்றைய காலத்தில், புற்றுநோய்க்கான சிகிச்சை தொடர்பாக மக்கள் முன்பை விட அதிக விழிப்புணர்வோடு இருக்கிறார்கள் என்பது தான்.  இந்தச் சாதனைக்கான பாராட்டுக்கள் நமது உடல்பராமரிப்பு முறை, மருத்துவர்கள், செவிலியர்கள், தொழில்நுட்ப பணியாளர்கள், குடிமக்களான சகோதர சகோதரிகள் அனைவருக்கும் சொந்தமானது.  அனைவரின் முயற்சியால் மட்டுமே புற்றுநோயை முறியடிக்கும் உறுதிப்பாடு மேலும் பலப்பட்டிருக்கிறது.  விழிப்புணர்வை உண்டாக்குவதில் தங்களுடைய முதன்மையான பங்களிப்பை அளித்த அனைவருக்கும் கூட இந்த வெற்றிக்கான பாராட்டுக்கள் சேரும்.

 

     புற்றுநோயோடுடனான போராட்டத்தில் ஒரே மந்திரம் – விழிப்புணர்வு, செயல்பாடு, உத்திரவாதம்.  விழிப்புணர்வு அதாவது புற்றுநோய் மற்றும் அதன் அறிகுறிகள் தொடர்பான விழிப்புணர்வு, செயல்பாடு அதாவது காலத்தில் ஆய்வு மற்றும் சிகிச்சை, உத்திரவாதம் அதாவது நோயாளிகளுக்கு அனைத்து உதவிகளும் கிடைக்கும் என்ற நம்பிக்கை.  வாருங்கள், நாமனைவரும் இணைந்து, புற்றுநோய்க்கு எதிரான இந்தப் போரை இன்னும் விரைவாக முன்னெடுத்துச் செல்வோம், அதிக அளவு நோயாளிகளுக்கு உதவுவோம்.

 

     என் மனம்நிறை நாட்டுமக்களே, ஒடிஷாவின் காலாஹாண்டியின் ஒரு முயற்சி குறித்து இன்று நான் உங்களோடு பரிமாறிக்கொள்ள விரும்புகிறேன், குறைந்த நீரில் குறைந்த ஆதாரங்களைத் தாண்டி, எப்படி ஒரு புதிய வெற்றிக்கதை எழுதப்படுகிறது என்பது தான் இது.  இது தான் காலாஹாண்டியின் காய்கறிப் புரட்சி.  இந்த இடத்திலிருந்து, ஒரு காலத்தில் விவசாயிகள் வெளியேறும் நிலைக்குத் தள்ளப்பட்டார்கள்; ஆனால் இங்கே இன்றோ, காலாஹாண்டியின் கோலாமுண்டா தொகுதியே கூட காய்கறி மையமாக ஆகி வருகிறது.  எப்படி நிகழ்ந்தது இந்த மாற்றம்?  இதன் தொடக்கம் வெறும் பத்து விவசாயிகளின் ஒரு சின்ன சமூகத்தில் நடந்தது.  இந்தச் சமூகம் இணைந்து, FPO உற்பத்தியாளர் விவசாயிகள் அமைப்பு ஒன்றை நிறுவினார்கள், விவசாயத்தின் நவீன உத்திகளைப் பயன்படுத்தி இன்று இவர்களின் இந்த உற்பத்தியாளர் விவசாயிகள் அமைப்பு, கோடிக்கணக்கான ரூபாய் அளவுக்கு வியாபாரம் செய்து வருகிறது.  இன்று 200க்கும் மேற்பட்ட விவசாயிகள் இந்த அமைப்போடு இணைந்திருக்கிறார்கள், இதிலே 45 பெண் விவசாயிகளும் அடங்குவார்கள்.  இவர்கள் இணைந்து 200 ஏக்கரில் தக்காளி சாகுபடியை மேற்கொண்டு வருகிறார்கள், 150 ஏக்கர்பரப்பில் பாகற்காயை சாகுபடி செய்கிறார்கள்.   இந்த அமைப்பின் ஆண்டுவருவாயும் கூட ஒண்ணரை கோடியையும் தாண்டி விட்டது.  இன்று காலாஹாண்டியின் காய்கறிகள், ஒடிஷாவின் பல்வேறு மாவட்டங்களில் மட்டுமல்ல, மேலும் பிற மாநிலங்களுக்கும் அனுப்பி வைக்கப்படுகின்றன.  அடுத்து அந்தப்பகுதி விவசாயிகள் இப்போது உருளை, வெங்காயம் ஆகியவற்றை விளைவிக்கும் புதிய உத்திகளைக் கற்கத் தொடங்கி விட்டார்கள்.

    

     நண்பர்களே, காலாஹாண்டியின் இந்த வெற்றி நமக்கெல்லாம் உறுதிப்பாட்டின் சக்தி மற்றும் சமூகமாக இணைந்துபுரியும் முயற்சியால் சாதிக்கக்கூடியவற்றை விளக்குகிறது.  இப்போது நான் உங்களிடம் வேண்டிக் கொள்வதெல்லாம் –

  • உங்களுடைய பகுதியில் விவசாயிகள் உற்பத்தியாளர் அமைப்பை ஊக்கப்படுத்துங்கள்.
  • விவசாயிகள் உற்பத்தியாளர்கள் அமைப்புக்களோடு இணையுங்கள், அவற்றைப் பலப்படுத்துங்கள்.

 

நினைவில் கொள்ளுங்கள், ஒரு சிறிய தொடக்கம் கூட பெரியதொரு மாற்றத்தை ஏற்படுத்த முடியும்.  மனவுறுதியும், கூட்டுமுயற்சியும் மட்டுமே போதுமானது.

 

     நண்பர்களே, இன்றைய மனதின் குரலில் எப்படி நமது பாரதம் பன்முகத்தன்மையில் ஒற்றுமையோடு முன்னேறி வருகிறது என்பதைக் கண்டோம்.  அது விளையாட்டு மைதானமாகட்டும், அறிவியல் களமாகட்டும், உடல்நலம் அல்லது கல்வித் துறையாகட்டும் – அனைத்துத் துறைகளிலும் பாரதம் புதிய சிகரங்களைத் தொட்டு வருகிறது.  நாம் ஓர் குடும்பத்தவரைப் போல இணைந்து, அனைத்துச் சவால்களையும் எதிர்கொண்டு, புதிய வெற்றிகளை ஈட்டியிருக்கிறோம்.   2014ஆம் ஆண்டு தொடங்கப்பட்ட மனதின் குரலின் 116 பகுதிகளைக் காணும் போது, தேசத்தின் சமூகசக்தியின் ஒரு உயிர்ப்புடைய ஆவணமாக மனதின் குரல் ஆகியிருக்கிறது என்பதை என்னால் உணர முடிந்தது.  நீங்கள் அனைவரும்தான் இந்த நிகழ்ச்சியை ஏற்றுக்கொண்டு, உங்களுடையதாக ஆக்கிக் கொண்டீர்கள்.  ஒவ்வொரு மாதமும் நீங்கள் உங்களுடைய கருத்துக்களையும், சிந்தனைகளையும், முயற்சிகளையும் பகிர்ந்து கொண்டீர்கள்.  ஒரு சமயம் ஒரு இளம் படைப்பாளியின் கருத்து நம்மைக் கவர்ந்தது, இன்னொரு சமயத்தில் ஒரு பெண் குழந்தையின் சாதனைகள் நம்மைப் பெருமைப்படச் செய்தன.  உங்களனைவரின் பங்களிப்புதான் தேசத்தின் மூலாமூலைகளெங்கும் இருக்கும் ஆக்கப்பூர்வமான சக்தியை ஒருங்கிணைக்கிறது.  மனதின் குரல் இந்த ஆக்கப்பூர்வமான ஆற்றலை மிகப்படுத்தும் அல்லது மிகுவிக்கும் மேடையாக ஆகியிருக்கிறது.  இப்போது 2025 கதவைத் தட்டிக் கொண்டிருக்கிறது.  வரும் ஆண்டில் மனதின் குரல் வாயிலாக நாம் மேலும் உத்வேகம் அளிக்கும் முயற்சிகளைப் பரிமாறிக் கொள்வோம்.  நாட்டுமக்களின் ஆக்கப்பூர்வமான சிந்தனையும், புதுமைகள் கண்டுபிடிக்கும் உணர்வும் நம் நாட்டை மாபெரும் உயரங்களுக்குக் கொண்டு போகும் என்பதில் எனக்கு நம்பிக்கை உள்ளது.  நீங்கள் உங்களுக்கருகே இருக்கும் தனித்தன்மை வாய்ந்த முயற்சிகளை #Mannkibaat என்பதில் பகிர்ந்து வாருங்கள்.  அடுத்த மாதம் மனதின் குரலில் ஒருவருக்கு ஒருவர் பகிர்ந்து கொள்ள ஏராளமான விஷயங்கள் இருக்கும் என்பதை நான் நன்கறிவேன்.  உங்கள் அனைவருக்கும் 2025ஆம் ஆண்டுக்கான பலப்பல நல்வாழ்த்துக்கள்.  உடல்நலத்தோடு இருங்கள், சந்தோஷமாக இருங்கள், உடலுறுதி இந்தியா இயக்கத்தில் நீங்களனைவரும் உங்களை இணைத்துக் கொள்ளுங்கள், நீங்களும் உடலுறுதியோடு இருங்கள்.  வாழ்க்கையில் தொடர்ந்து முன்னேற்றம் காணுங்கள்.  பலப்பல நன்றிகள்.