Schemes worth thousands of crores of rupees have been offered at Baba's feet for the development of Jharkhand and have been dedicated to the public: PM Modi in Deoghar
The political parties, which adopt short-cuts, put all the money of this investment to entertain the public. Those who do politics of short-cut will never build new airports, will never build new and modern highways: PM Modi
Today we have brought a work culture, a political culture, and a governance model wherein we inaugurate everything that we lay the foundation stone of: PM Modi in Deoghar

बाबा बैजनाथ की जय !

संथाल परगना रेयाक धरती,

बाबा बैद्यनाथ आर बीर बांटा सिदो कान्हु वाक धरती रे,

सानाम गो - बाबा को ... बोयहा मिसी को - डोबोक जोहार

अपने सनीं कें नमस्कार !

की हाल-चाल छै!

मंच पर उपस्थित भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सहयोगीगण, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे साथीगण, संसद के मेरे साथीगण, विधायकगण और देवघर के मेरे भाइयों और बहनों, कल देवघर की दीवाली, पूरा देवघर दीपमालाएं प्रज्वलित कर और पूरा देश देख रहा था कि जब विकास की गंगा बहती है तो जन-जन के दिल में कितना आनंद होता है कितना उमंग होता है। वो कल पूरे देश ने आपने दीपक जला कर पूरे देश को संदेश दिया है। और आज मैं नए-नए एयरपोर्ट देवघर से निकला और बाबा के चरणों में जाने के पहले रास्ते में, जिस उमंग और उत्साह से आप सब आशीर्वाद देने के लिए आए थे। पूरा झारखंड, पूरा देवघर, पूरा मेरा संथाल परगना, आपने जो प्यार दिया है, जो आशीर्वाद दिए हैं, मेरे जीवन की बहुत बड़ी पूंजी है। एक तरफ बाबा का आशीर्वाद और दूसरी तरफ ईश्वर रूप जनता जनार्दन का आशीर्वाद, इतना बड़ा आशीर्वाद, कितनी बड़ी शक्ति देते हैं, वो आप भी जानते हैं, मैं भी जानता हूं।

श्रावणी मेले की तैयारी भी बाबा धाम में पहले से अनेक रंग रूप से मनेगी, पूरा हमारा महीना मंगल और उत्साह से बीतने वाला है। मुझे कुछ देर पहले बाबा के चरणों में जाकर दर्शन, पूजन, अर्चन करने का सौभाग्य मिला, उससे पहले झारखंड के विकास के लिए हज़ारों करोड़ रुपए की योजनाओं को भी बाबा के चरणों में और जनता जनार्दन के चरणों में अर्पित किया है, और विशेष रूप से बाबाधाम में जिस प्रकार सुविधाओं का विस्तार हुआ है, उससे कांवड़ियां और श्रद्धालुओं, उनको तो अनेक प्रकार की सुविधा होने वाली है। जिस नए एयरपोर्ट का शिलान्यास करने में मुझे देवघर आने का सौभाग्य मिला था, आज उसका लोकार्पण करने का अवसर मिला है। आपको याद होगा पहले योजनाओं की घोषणा होती थी। फिर एक दो सरकार आने के बाद कोई आकर के पत्थर लगा कर जाता था। और पत्थर लटकता रहता था। दो चार सरकारें चलने के बाद कोई और आता फिर वो ईंट लगाना शुरू करता था। और पता नहीं कितनी सरकारें जाने के बाद कोई योजना सामने दिखती थी। आज हम उस कार्य संस्कृति को लाए हैं, उस राजनीतिक संस्कृति को लाए हैं, उस गवर्नेंस के मॉडल को लाए हैं कि जिसका शिलान्यास हम करते हैं, उसका उद्घाटन भी हम करते हैं। हम जनता के हक की पाई-पाई की कीमत समझते हैं, जनता के पसीने से आए हुए पैसों का मूल्य समझते हैं और इसलिए जनता-जनार्दन का एक भी पैसा बर्बाद न हो जाए, पैसों का समय पर उपयोग हो और पैसों का जो उपयोग हो वो जनता जनार्दन के लिए काम आए, इसी संकल्प को लेकर हम चलते हैं।

साथियों,

आपने अपना स्नेह देकर मुझे जिस तरह अपना ऋणी बना लिया है, उसको मैं तेज़ विकास करके, सबका विकास करके, चुकाने का ईमानदारी से प्रयास करता रहा हूं, करता रहूंगा। आज 16 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की ये योजनाएं, इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।

भाइयों और बहनों,

भारत आस्था, अध्यात्म और तीर्थस्थलों की धरती है।तीर्थयात्राओं ने हमें, बेहतर समाज और बेहतर राष्ट्र के रूप में गढ़ा है। हम देवघर को ही देखें तो यहां शिव भी है और शक्ति भी है। ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ यहां दोनों मौजूद हैं।हर साल लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से यहां गंगाजल लेकर आते हैं, देश के अलग-अलग कोने से आते हैं। बड़ी भक्ति भाव से आते हैं। लोगों को एक दूसरे की भाषा-बोली भले समझ आए या ना आए, लेकिन हमारी आस्था हमारी सास्कृतिक विरासत, ये सांझी अमानत है।भारत की इन्हीं धरोहरों को सुरक्षित करने, इन तक पहुंचने का मार्ग आसान बनाने के लिए आज अभूतपूर्व निवेश किया जा रहा है।बाबा वैद्यनाथ धाम हो,काशी विश्वनाथ धाम हो,केदारनाथ धाम हो,अयोध्या धाम हो,रामायण सर्किट हो,भगवान बुद्ध से जुड़े पवित्र स्थान हों,देश में आस्था, अध्यात्म और ऐतिहासिक महत्व से जुड़े हर स्थान में आधुनिक सुविधाएं तैयार की जा रही हैं।

साथियों,

आज पर्यटन दुनिया के अनेक देशों में एक आकर्षक उद्योग के रूप में रोज़गार का बहुत बड़ा माध्यम बना हुआ है। आज पूरी दुनिया में अनेक देश हैं, जिनकी पूरी अर्थव्यवस्था, सिर्फ और सिर्फ पर्यटकों के भरोसे चल रही है।भारत के कोने-कोने में पर्यटन की शक्ति अपार है, बहुत सामर्थ्य पड़ा हुआ है, हमें इसे और बढ़ाने की जरूरत है।आज दुनिया नए स्थानों को, नए कल्चर को, नई चीज़ों को देखना चाहती है, समझना चाहती है, जुड़ना चाहती है। लोग कुछ दशक पहले की विरासत देखकर आंखें चौड़ी कर लेते हैं, उनको कभी कभी लगता है अच्छा.. हैं!..., लेकिन भारत में आते हैं तो यहां हर कोने में, हर पत्थर पर हजारों साल पुरानी यादें सम्माहित हुए देखते हैं, हजारों साल पुरानी परंपरा दुनिया जब देखती है, तो चकाचौंध उनके मन को प्रभावित कर देते हैं । इसलिए, आज ये समय की मांग है कि भारत अपनी विरासत को ज्यादा से ज्यादा और तेजी के साथ संरक्षित करे, वहां आधुनिक सुविधाएं बढ़ाए। और हम ये पूरे देश में देख रहे हैं कि बीते वर्षों में जिन भी तीर्थ स्थलों को आधुनिक सुविधाओं से जोड़ा गया, वहां यात्रियों की संख्या पर्यटकों की संख्या अनेक गुणा बढ़ गई है।

इसका सीधा लाभ वहां रहने वाले, आस-पास के गांव को लोग, आस-पास के जिले के लोग, उन्हें इनका बहुत बड़ा लाभ उन्हें हुआ है। मैं बाबा धाम के आप लोगों को बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी का एक उदाहरण दूंग।
जब से काशी में विकास ने गति पकड़ी है, काशी विश्वनाथ परिसर का सुंदरीकरण हुआ है, बनारस आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कई गुणा बढ़ोतरी हुई है। 3 साल पहले की तुलना में इस साल वाराणसी में अभी तक तीन गुना अधिक यात्री आए हैं।इस वृद्धि के चलते होटल वाले हो, ढाबे वाले हो, नाव वाले हो, ऑटो रिक्शा वाले हो, फूल पौधे बेचने वाले हो, पूजा का सामान बेचने वाले हो। इतना ही नहीं चाय बेचने वालों को भी खूब फायदा हो रहा है, उनका कोराबार बढ़ा है। वहां जो हस्तशिल्प का काम होता है, कारीगर-बुनकर जो सामान बनाते हैं, उसकी बिक्री भी बहुत ज्यादा बढ़ी है।

साथियों,

ऐसा ही प्रभाव हम केदारनाथ धाम में भी देख रहे हैं।जब वहां पुनर्निर्माण नहीं हुआ था, जब वहां सुविधाएं नहीं बढ़ीं थीं तो कपाट खुलने के शुरुआती दो महीने में औसतन दो-ढाई लाख यात्री आते थे। अब इस साल कपाट खुलने के शुरुआती 2 महीनों में करीब-करीब 9 लाख श्रद्धालु, बाबा केदार के दर्शन कर चुके हैं।ऐसा ही एक और उदाहरण गुजरात आपको पता होगा, गुजरात में मां नर्मदा के तट पर, सरदार वल्लभ भाई पटेल की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा बनी है- स्टैच्यूऑफ यूनिटी। उस जगह पर उसके निर्माण के कारण, अब वो पूरा क्षेत्र, मेरे आदिवासी भाई बहनों का क्षेत्र है, वहां मेरे आदिवासी भाई-बहन रोजी-रोटी कमाते हैं। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनने के बाद, लाखों की यहां लोग आते हैं, ये टूरिस्ट वहां के होटल, वहां के ढाबों में, हैंडिक्राफ्ट का समान खरीदना। सैकड़ों करोड़ रूपये भी खर्च करते हैं। इसका सीधा लाभ, वहां रहने वाले लोगों को हो रहा है। मेरे आदिवासी भाई-बहनों को हो रहा है।

यानि जब पर्यटन बढ़ता है तो इसका फायदा गरीब को होता है, आदिवासी को होता है, दलित, वंचित, पिछड़े को होता है।झारखंड में भी बढ़ती हुई कनेक्ट्विटी, आस्था के स्थलों का सुंदरीकरण, पर्यटन को बढ़ाएगा, यहां रोजी-रोटी को अवसर देगा, नौजवानों के लिए नए मौके मिलेंगे, स्थानीय लोगों की आय बढ़ेगी। ये हमारी सरकार के लिए बहुत गर्व की बात है कि 15 नवंबर, हर कोई गर्व करता है पूरे देश में, 15 नवंबर, भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को हमने जनजातीय गौरव दिवस घोषित किया है। और अब पूरा हिंदुस्तान हर वर्ष इस बात को मनाएगा। धरती आबा, बिरसा मुंडा के बेहतरीन और आधुनिक संग्रहालय के निर्माण का सौभाग्य भी हमें ही मिला है।मुझे विश्वास है, जो परियोजनाएं आज हमने शुरू की हैं, वो झारखंड के विकास को नई गति देने जा रही हैं।

भाइयों और बहनों,

हमारे लिए सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास, ये सिर्फ एक नारा भर नहीं है, कल जो आप दीप जला रहे थे, आज रास्ते पर उमंग उत्साह से जो उमड़ पड़े थे और आज भी जहां मेरी नजर पहुंच रही ,लोग ही लोग ही लोग है, इसका मतलब है लोगों को विकास चाहिए, और विकास के लिए सबका साथ मिलता है और सबका साथ सबका विकास, ये मॉडल आज देवघर में सबके सामने नजर आ रहा है। भाइयों बहनों ये जो विकास हो रहा है ये सिर्फ एक नारा बोलने के लिए नहीं है। ये हमारी निष्ठा का प्रमाण, हमारी नीयत का प्रमाण है और हमारे परिश्रम का प्रमाण है। बीते 8 वर्षों में हमने उनको सशक्त किया है, जिनको पहले सिर्फ राजनीतिक नारों में समेट दिया गया था।वो गरीब, आदिवासी, वो दलित, वो पिछड़ा, वो हमारी बहनें-बेटियां, जिनका नंबर हमेशा सबसे अंत में आता था, वो हमारी सरकार के लिए पहली पंक्ति में है, आज हमारी प्राथमिकताओं में पहली पायदान पर हैं। वो क्षेत्र जो विकास की दौड़ में पीछे रह गए, हम उनको आगे लाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।

साथियों,

आज बाबाधाम में, मैं आपसे एक सवाल भी करना चाहता हूं। मुझे जवाब देने की जरूरत नहीं है, आप मन में सोचिए। आज जो ये काम हो रहे हैं, देश यही है, लोग वही है, दफ्तर वही है, अफसर वही है, तो क्या पहले होने चाहिए थे कि नहीं होने चाहिए थे। ये काम पहले होने चाहिए थए कि नहीं होने चाहिए थे। कौन रोकता था उनको, भाइयों बहनों इसका पहले एक बड़ा कारण था, सरकारें कुछ होती हैं। जिसके दिल में सेवाभाव नहीं सत्ता भाव भर जाता है। और ये सत्ताभाव के कारण वे लंबे समय तक, जो सरकारों में रहे उनकी प्राथमिकता सत्ता, सर्व सत्ता, सबदुर सत्ता कहां से मिले वहां से पाना, सिर्फ सत्ता। यही उनका ख्याल, यही उनका मंत्र, यही उनकी प्राथमिकता, सेवा कभी उनकी प्राथमिकता नहीं रही, अगर रहती तो देश आज आजादी के 75 साल मना रहा है, बहुत आगे पहुंच चुका होता भाइयों।

ऐसे में व्यवस्था ऐसी बन गई कि जिसके पास पहुंच थी, सिफारिश थी, जो धनवान था, वही सारी सुविधाओं तक पहुंच पाता था, वहीं सारी सुविधाएं उसी के लिए समर्पित हो जाती थीं। जो पहुंच से जितने दूर थे, जो गरीब थे, दलित, पिछड़े आदिवासी थे, उनतक सुविधा भी उतनी ही देर से पहुंचती थी। उनका नंबर ही नहीं लगता था। इसलिए झारखंड को, संथाल-परगना के इस बहुत बड़े क्षेत्र को सुविधाओं के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ा।और मुझे गर्व है कि भाजपा की सरकार, एनडीए की सरकार, गरीब की सेवा की भावना से, उनके लिए जी जान से काम कर रही है।हम गांव-गांव तक सड़कें बना रहे हैं, ताकि सुविधा मिले तो सबको मिले।हम गरीबों के लिए नए घर बना रहे हैं। झारखंड के 12 लाख गरीब परिवारों को पक्के घर मिले हैं। भाइयों-बहनों। हमारी सरकार बनने के बाद 12 लाख गरीब भाइयों को मेरे आदिवासी भाइयों को पक्के घर मिले हैं। हर परिवार को बिजली मिले, पर्याप्त बिजली मिले, गरीब से गरीब बहनों को रसोई गैस मिले, हर घर जल पहुंचे, इसके लिए हम निरंतर काम कर रहे हैं।हमारी सरकार के ऐसे ही प्रयासों से, मेरे गरीब भाई-बहनों में, गरीबी के विरुद्ध लड़ने का, गरीबी के खिलाफ लड़ने का, गरीबों को गरीबी के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार करने का। गरीबी दूर करने का नया साहस पैदा हुआ है।

भाइयों और बहनों,

हमारी सरकार गरीब की मुश्किल समझती है, गरीब के सुख-दुख की साथी है।कोरोना के इस कालखंड में, 100 साल की सबसे बड़ी महामारी आई।
इस दौरान हमारी सरकार ने गरीब को मुफ्त वैक्सीन से लेकर उसके खाने-पीने तक हर चीज़ का ध्यान रखा। और इतना बड़ा देश, कोई गरीब के घर का चूल्हा न जले, इसकी हमने पूरी तकीदारी की ताकि कोई गरीब भूखा न सो जाए। झारखंड के भी लाखों लोगों को केंद्र सरकार की मुफ्त राशन वाली योजना का लाभ मिल रहा है।

भाइयों और बहनों,

आज मुझे एम्स देवघर में नई सुविधाएं शुरू करने का भी मौका मिला है।झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए हम निरंतर काम कर रहे हैं।यही झारखंड की धरती है, जहां से जब रघुबर दास जी मुख्य मंत्री थे, आयुष्मान भारत योजना का उद्घाटन इसी झारखंड से हुआ था। इस योजना के तहत देश के 3 करोड़ गरीब मरीज़ों को मुफ्त इलाज मिल चुका है। इसमें झारखंड के भी 12 लाख से अधिक बहनों ने इसका लाभ लिया है। इन लोगों ने अस्पताल में भर्ती होकर अपना मुफ्त इलाज कराया है।आप कल्पना कर सकते हैं, इससे सिर्फ झारखंड के गरीबों को ही 1400 करोड़, अगर ये योजना न होती तो उनको अस्पताल के 1400 करोड़ रूपये का बिल भरना पड़ता। आज इस योजना के कारण झारखंड के लोगों की जेब में, वो 1400 करोड़ रूपया बच गया है। मेरे भाइयों-बहनों

सोचिए, इतना पैसा खर्च करके इलाज करने के बजाय, मेरा गरीब भाई- बहन तो यही सोचता कि भई कुछ नहीं करना है थोड़ी तकलीफ होगी.. अब कितने दिन जीना है। भाइयो-बहनों वो दवाई नहीं करवाते घर पर बैठे रहते… माताएं तो बताती भी नहीं कि मुझे पीड़ा हो रही है। क्योंकि मां को रहता है कि कहीं बेटे को कर्ज हो जाएगा.. तो वे दर्द झेलती रहती… लेकिन मां आपके बेटे पर कर्ज न पड़े तेरा दूसरा बेटा बैठा है, तेरी चिंता करने के लिए। लेकिन भाजपा सरकार की ये योजना गरीब के लिए बहुत बड़ा संबल बनकर आई है। आयुष्मान भारत योजना की वजह से झारखंड के लोगों को, गरीबों को देश के दूसरे बड़े शहरों के अस्पतालों में भी बहुत मदद मिल रही है। यहां देवघर में एम्स बनने से भी गरीबों की बहुत बचत होने वाली है।

साथियों,

आदिवासी समाज का सशक्तिकरण, उनके बच्चों का उज्जवल भविष्य भाजपा की प्राथमिकता है।ये केंद्र सरकार की नीतियों में साफ-साफ झलकता है।देश के 100 से अधिक आकांक्षी जिलों में अनेक जिले झारखंड के हैं, उसमें भी अधिकतर संथाल-परगना में हैं।कुछ महीने पहले ही देश के 44 जनजातीय जिलों में 4G मोबाइल कनेक्टिविटी मजबूत करने के लिए बड़ा फैसला लिया गया है।इसके लिए सरकार लगभग 6 हज़ार करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है।इसका लाभ झारखंड के अनेक जिलों में रहने वाले मेरे आदिवासी भाई-बहनों, यहां के युवाओं को होने वाला है।इससे जनजातीय जिलों में डिजिटल इंडिया का, यानि ऑनलाइन सरकारी सेवाओं का लाभ और बेहतर तरीके से मिल पाएगा।झारखंड, एकलव्य मॉडल स्कूलों के नेटवर्क का भी बहुत बड़ा लाभार्थी है।केंद्र सरकार झारखंड में 90 से अधिक एकलव्य स्कूल बना रही है।

भाइयों और बहनों,

झारखंड में प्राकृतिक संपदा भी है और समृद्ध होने का सामर्थ्य भी है।बीते कुछ वर्षों में केंद्र सरकार के प्रयासों से, झारखंड का ये सामर्थ्य और बढ़ रहा है।क्या कभी कल्पना की जा सकती थी कि झारखंड पाइप से रसोई गैस और CNG आधारित ट्रैफिक के मामले में देश के अव्वल राज्यों में होगा? आज प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा योजना के कारण ये संभव हो रहा है।सिंदरी खाद कारखाना, जो बंद पड़ गया था, उसे फिर से शुरू करने का काम भी तेज़ी से चल रहा है।ये झारखंड के किसानों, देश के किसानों को राहत देगा, यूरिया पर विदेशी निर्भरता को कम करेगा।

भाइयों और बहनों,

झारखंड में प्राकृतिक संपदा भी है और समृद्ध होने का सामर्थ्य भी है।बीते कुछ वर्षों में केंद्र सरकार के प्रयासों से, झारखंड का ये सामर्थ्य और बढ़ रहा है।क्या कभी कल्पना की जा सकती थी कि झारखंड पाइप से रसोई गैस और CNG आधारित ट्रैफिक के मामले में देश के अव्वल राज्यों में होगा? आज प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा योजना के कारण ये संभव हो रहा है।सिंदरी खाद कारखाना, जो बंद पड़ गया था, उसे फिर से शुरू करने का काम भी तेज़ी से चल रहा है।ये झारखंड के किसानों, देश के किसानों को राहत देगा, यूरिया पर विदेशी निर्भरता को कम करेगा।

भाइयों और बहनों,

झारखंड के पास देश का अग्रणी औद्योगिक राज्य बनने की हर संभावना मौजूद है।आज संथाल परगना के लिए पहले फोरलेन हाईवे का भी शिलान्यास किया गया है।इससे इस पूरे अंचल में कनेक्टिविटी को विस्तार मिलेगा।साहिबगंज में गंगा नदी पर मल्टीमोडल हब भी बनाया गया है, ताकि यहां के उद्योगों को भी हल्दिया से वाराणसी पर बने नदी जलमार्ग का भी लाभ मिल सके। झारखंड को समुद्री रास्ते से कनेक्ट करने के लिए जो भी प्रयास हो रहे हैं, उससे यहां उद्योग लगाना बहुत आसान हो जाएगा। यहां कच्चा माल भी है और जब उत्पादन भी यहीं होगा, तब झारखंड के गरीब को, आदिवासी को रोज़गार के लिए, यहां से कभी बाहर जाना नहीं पड़ेगा, हिंदुस्तान को किसी कोने में झुग्गी-झोंपड़ी में रहने के लिए मजबूर होना नहीं पड़ेगा। यही हमारा सबका साथ, सबका विकास का राह है।

साथियों,

विकास के इन कार्यों के बीच, आज मैं आप सभी को एक बात से सतर्क भी करना चाहता हूं।आज हमारे देश के सामने एक और ऐसी चुनौती आ खड़ी हुई है, जिसे हर देशवासी को जानना और समझना जरूरी है।ये चुनौती है, शॉर्ट-कट की राजनीति की।बहुत आसान होता है लोकलुभावन वायदे करके, शॉर्ट-कट अपनाकर लोगों से वोट बटोर लेना। शॉर्ट-कट अपनाने वालों को ना मेहनत करनी पड़ती है और ना ही उन्हें दूरगामी परिणामों के बारे में सोचना पड़ता है। लेकिन ये बहुत बड़ी सच्चाई है कि जिस देश की राजनीति शॉर्ट-कट पर आधारित हो जाती है, उसका एक ना एक दिन शॉर्ट-सर्किट भी हो जाता है। शॉर्ट-कट की राजनीति, देश को तबाह कर देती है।भारत में हमें ऐसी शॉर्ट-कट अपनाने वाली राजनीति से दूर रहना है।अगर हमें आजादी के 100 वर्ष पर, भारत को नई ऊंचाई पर ले जाना है, तो उसके लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करनी होगी। और परिश्रम का कोई शॉर्ट-कट नहीं होता।आजादी के बाद, देश में जो राजनीतिक दल हावी रहे, उन्होंने बहुत से शॉर्ट-कट अपनाए थे।

झारखंड के पास देश का अग्रणी औद्योगिक राज्य बनने की हर संभावना मौजूद है।आज संथाल परगना के लिए पहले फोरलेन हाईवे का भी शिलान्यास किया गया है।इससे इस पूरे अंचल में कनेक्टिविटी को विस्तार मिलेगा।साहिबगंज में गंगा नदी पर मल्टीमोडल हब भी बनाया गया है, ताकि यहां के उद्योगों को भी हल्दिया से वाराणसी पर बने नदी जलमार्ग का भी लाभ मिल सके। झारखंड को समुद्री रास्ते से कनेक्ट करने के लिए जो भी प्रयास हो रहे हैं, उससे यहां उद्योग लगाना बहुत आसान हो जाएगा। यहां कच्चा माल भी है और जब उत्पादन भी यहीं होगा, तब झारखंड के गरीब को, आदिवासी को रोज़गार के लिए, यहां से कभी बाहर जाना नहीं पड़ेगा, हिंदुस्तान को किसी कोने में झुग्गी-झोंपड़ी में रहने के लिए मजबूर होना नहीं पड़ेगा। यही हमारा सबका साथ, सबका विकास का राह है।

साथियों,

विकास के इन कार्यों के बीच, आज मैं आप सभी को एक बात से सतर्क भी करना चाहता हूं।आज हमारे देश के सामने एक और ऐसी चुनौती आ खड़ी हुई है, जिसे हर देशवासी को जानना और समझना जरूरी है।ये चुनौती है, शॉर्ट-कट की राजनीति की।बहुत आसान होता है लोकलुभावन वायदे करके, शॉर्ट-कट अपनाकर लोगों से वोट बटोर लेना। शॉर्ट-कट अपनाने वालों को ना मेहनत करनी पड़ती है और ना ही उन्हें दूरगामी परिणामों के बारे में सोचना पड़ता है।लेकिन ये बहुत बड़ी सच्चाई है कि जिस देश की राजनीति शॉर्ट-कट पर आधारित हो जाती है, उसका एक ना एक दिन शॉर्ट-सर्किट भी हो जाता है। शॉर्ट-कट की राजनीति, देश को तबाह कर देती है।भारत में हमें ऐसी शॉर्ट-कट अपनाने वाली राजनीति से दूर रहना है।अगर हमें आजादी के 100 वर्ष पर, भारत को नई ऊंचाई पर ले जाना है, तो उसके लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करनी होगी। और परिश्रम का कोई शॉर्ट-कट नहीं होता।आजादी के बाद, देश में जो राजनीतिक दल हावी रहे, उन्होंने बहुत से शॉर्ट-कट अपनाए थे।

इसका नतीजा ये हुआ कि भारत के साथ आजाद हुए देश भी भारत से बहुत आगे निकल गए। हम वहीं के वहीं रह गए। आज हमें अपने देश को उस पुरानी गलती से बचाना है।मैं आपको एक उदाहरण देता हूं।आज हम सभी के जीवन में बिजली कितनी जरूरी हो गई है, ये हम सभी देख रहे हैं।अगर बिजली ना हो तो मोबाइल चार्ज नहीं हो पाएगा, ना टीवी चलेगा, इतना ही नहीं गांव में टंकी बनी हो, नल भी लगा हो, बिजली नहीं है तो टंकी नहीं भरेगी, टंकी नहीं भरेगी तो पानी नहीं आएगा। पानी नहीं आएगा तो खाना नहीं पकेगा, आज बिजली इतनी ताकतवर बन गई है, हर कोई काम बिजली से जुड़ गया है।

और भाइयों-बहनों अगर ये बिजली न होगी तो फिर शाम को फिर ढिबरी या लालटेन की रोशनी में रहना पड़ेगा।बिजली ना हो तो रोजी-रोटी के अवसर, कल-कारखाने सब बंद हो जाएंगे।लेकिन बिजली शॉर्ट-कट से पैदा नहीं की जा सकती। झारखंड के आप लोग तो जानते हैं कि बिजली पैदा करने के लिए पावर प्लांट लगाने पड़ते हैं, हजारों-करोड़ रुपए का निवेश होता है।इस निवेश से रोजगार के नए रोजगार भी मिलते हैं, नए अवसर भी बनते हैं। जो राजनीतिक दल, शॉर्ट-कट अपनाते हैं, वो इस निवेश का सारा पैसा, जनता को बहलाने में लगा देते हैं।ये तरीका देश के विकास को रोकने वाला है, देश को दशकों पीछे ले जाने वाला है।

आज बाबा धाम से मैं आप लोगों को, सभी देशवासियों को इस शॉर्ट-कट की राजनीति से बचकर रहने का हृद्यपूर्वक आग्रह कर रहा हूं। शॉर्ट-कट की राजनीति करने वाले कभी नए एयरपोर्ट नहीं बनवाएंगे, कभी नए और आधुनिक हाईवेज नहीं बनवाएंगे। वे कभी भी नए एम्स नहीं बनवाएंगे, हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज नहीं बनवाएंगे। मैं आपको एक और उदाहरण देता हूं।आज यहां झारखंड में हजारों करोड़ की नई सड़कों के लिए शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है। किसी के लिए बहुत आसान है, ये कह देना कि अब से झारखंड में ना बस का टिकट लगेगा, ना ऑटो में चढ़ने के पैसे देने होंगे और ना ही रिक्शे का कोई भाड़ा लगेगा। सुनने में ये बहुत लोकलुभावन लगता है। लेकिन ऐसी लोकलुभावन घोषणाएं, ये शॉर्ट-कट एक दिन लोगों को ही कंगाल कर देते हैं।जब सरकार के पास पैसा ही नहीं आएगा तो फिर वो नई सड़कों के लिए कहां से खर्च करेगी, नए हाईवे कहां से बनवाएगी। इसलिए ऐसे लोगों से झारखंड के निवासियों को भी सतर्क रहने की जरूरत है, मेरे भाइयों और बहनों।

साथियों,

आज एक और आग्रह मैं देवघर के लोगों से करना चाहता हूं।जब यहां इतनी सुविधाएं बन रही हैं, तो उनका खयाल रखने का दायित्व भी मेरे देवघर के भाइयों और बहनों का है।देवघर को, बाबाधाम को स्वच्छ रखने की ज़िम्मेदारी हम सभी भाई-बहनों की है। और यात्री आया है, पर्यटक आता है, विदेशी टूरिस्ट भी आता है, तो स्वच्छता उसकी पहली आवश्यकता होती है। मैं चाहता हूं, ये स्वच्छता सबकी जिम्मेवारी है, हम अगर शपथ लें कि मैं गंदगी करूंगा नहीं और गंदगी करने नहीं दूंगा , तो स्वच्छता के लिए और कुछ करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आपको कोशिश करनी है कि स्वच्छता की रैंकिंग में ये हमारा देवघर देश के अव्वल शहरों में आना चाहिए। आना चाहिए की नहीं आना चाहिए आना चाहिए की नहीं आना चाहिए आप लोग मेरी मदद करोगे क्या देवघर को स्वच्छ बनाओगे क्या हिंदुस्तान में सबसे शानदार बनाओगे क्या देखिए मैने जितना काम किया है, अब मैं इतना थोड़ा सा काम आपसे मांग रहा हूं।

झारखंड को आगे बढ़ाने के लिए, देश को आगे बढ़ाने के लिए ऐसे ही हमें सबने मिलकर काम करना है। इसी भावना के साथ हमें देवघर को भी आगे बढ़ाना है, संथाल परगना को भी आगे बढ़ाना है और पूरे हिंदुस्तान को भी आगे बढ़ाना है। इसी एक भावना के साथ बाबा के चरणों में एक बार फिर प्रणाम करते हुए, आप सबका एक बार फिर धन्यवाद करते हुए, आप मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए।

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

बहुत-बहुत धन्यवाद

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।