Text of PM’s address at 25th Foundation Day of NASSCOM

Published By : Admin | March 1, 2015 | 13:10 IST

सभी महानुभाव!

मैं सबसे पहले तो आपकी क्षमा याचना करता हूं, क्‍योंकि पहले यह कार्यक्रम आज सुबह तय हुआ था। लेकिन मुझे आज कश्‍मीर जाना पड़ा और उसके कारण मैंने Request की थी कि अगर समय बदला जाए तो ठीक होगा। आपने समय बदला और मुझे आप सबको मिलने का अवसर दिया, इसलिए मैं NASSCOM का बहुत आभारी हूं।

शायद ही कोई संगठन इतना जल्‍दी एक Movement बन जाए, आमतौर पर Membership होती है, सब Meetings होती है, सरकार को Memorandum दिये जाते हैं, सरकार से अपेक्षाएं की जाती है, कभी राजी-नराजी प्रकट की जाती है, लेकिन NASSCOM का Character वो नहीं रहा। यह संस्‍था से ज्‍यादा एक बड़ा आंदोलन बन गया और प्रारंभ में जिसने कुछ मोतियों को NASSCOM के धागे के साथ जोड़ दिया। आज धीरे-धीरे भारत का गौरवगान करने वाली एक बहुत बड़ी सुंदर माला बन गया है ।

जब NASSCOM की चर्चा आएगी तो Dewang की जरूर चर्चा आएगी। मेरा Dewang से अच्‍छा परिचय था और जब Y2k को लेकर के बड़ा तूफान खड़ा हो गया था, सारी दुनिया चिंतित थी और उस समय अटल जी की सरकार थी हमारे प्रमोद जी IT विभाग को देखते थे और बड़ा इतना Hype था Y2k के कारण पता नहीं कैसे क्‍या हो जाएगा। और उस समय Dewang के साथ काम करने का अवसर आया था, लेकिन खैर बहुत लम्‍बे समय हमारे बीच रह नहीं वो। मैं उनको आदरपूर्वक अंजली देता हूं और NASSCOM जितनी तेज गति से प्रगति करेगा उतने ही Dewang के ideas हमें हर बार याद आते रहेंगे।

25 साल के कार्यकाल में जब NASSCOM प्रारंभ हुआ तो मैं समझता हूं शायद यह क्षेत्र Hundred Million की Economy से ज्‍यादा नहीं होगा, आज Hundred forty Six Billion तक पहुंच गया। 25 साल में इतना बड़ा Jump, लेकिन ज्‍यादातर जब IT sector की चर्चा होती है, यह तो बात माननी पड़ेगी कि आज IT में जहां हम पहुंचे हैं उसका एक कारण, जो प्रमुख कारण है मुझे लगता है, वो प्रमुख कारण है कि इसमें सरकार कहीं नहीं है। हम जितने दूर रहे उतने ही अच्‍छे है। यह जो सारा करिश्‍मा है वो हमारी युवा पीढ़ी का है। 20, 22, 25 साल के नौजवान जिन्‍होंने उस समय इस क्षेत्र में प्रवेश किया। NASSCOM के इस Network के माध्‍यम से लाखों नौजवानों को रोजगार मिला, उनको अवसर मिले। देश की economy को लाभ हुआ। भारत को आधुनिक बनाने की दिशा में कुछ कदम हम भी चले।

लेकिन इन सबसे भी अलग एक बात जो मुझे हमेशा लगती है इस IT के कारण पूरी दुनिया को भारत की तरफ देखने का रवैया बदलना पड़ा। पहले दुनिया हमें पिछड़े, अंधश्रद्धा में डूबे हुए, सांप-सपेरे वाले, इसी हमारे देश की पहचान बनी हुई थी। लेकिन हमारे नौजवानों ने Computer पर उंगलियां घुमाते-घुमाते सारी दुनिया के दिमाग को बदल दिया और विश्‍व को भारत की एक नई पहचान देने में इस क्षेत्र का एक बहुत बड़ा योगदान है और इसके लिए इस क्षेत्र के साथ जुड़े हुए सभी भारत की इतनी बड़ी महान सेवा के लिए अनेक-अनेक अभिनंदन के अधिकारी है। मैं आपको बधाई देता हूं।

आज जिन महानुभावों ने इस क्षेत्र में योगदान किया है, जिन्‍होंने Innovation के द्वारा, नई-नई Application के द्वारा, अपने start-up Industries को भी बहुत ऊंचाई पर पहुंचाया है। जिन्‍होंने इस क्षेत्र से जो कुछ भी कमाया समाज सेवा के लिए लगाया है जैसे हमारे अजीम प्रेमजी, उन सबका मुझे सम्‍मान करने का अवसर मिला। मैं उन सबको हृदय से बधाई देता हूं। उनके Achievement के लिए NASSCOM को जन्‍म देने वालों से लेकर के NASSCOM को यहां तक पहुंचाने वालों को और NASSCOM के कारण अपने को भी आपको बहुत ऊंचाईयों पर ले जाने वालों को भी मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं और मुझे विश्‍वास है कि आप लोगों का यह सा‍हस, आप लोगों का यह प्रयास नई पीढ़ी को भी प्रेरणा देगा और अनेक नई चीजों को करने के लिए आश्‍वस्‍त करेंगे।

आपका कार्यक्रम है IT- India Tomorrow और आप Innovations पर बल दे रहे हैं। हम भी कुछ दिनों से Digital India की दिशा में चीजों को Synchronize करने का प्रयास कर रहे हैं। वक्‍त इतना तेजी से बदल चुका है कि जितना महत्व Highways का है, उतना ही महत्व i- Ways का है, Information ways. Highways बन गए तो प्रगति होगी और गारंटी जब तक i-way नहीं जुड़ता है अधूरी रह जाती है और इसलिए जब Digital India इस बात को लेकर के चल रहे हैं तो हमारी कल्‍पना है। Digital दृष्टि से जो Infrastructure चाहिए भारत के हर नागरिक को वो व्‍यवस्‍था कैसे उपलब्‍ध हो। उतना वो विस्‍तार होना चाहिए। हम Digital India की जब बात करते है तब Citizen Centric सेवाएं उसको उपलब्‍ध कराने की व्‍यवस्‍था, हम कैसे विकसित करें। हम Digital India की बात करते है, तब Governance में हम किस प्रकार से बदलाव लाएं और मेरा यह मत रहा है। Good Governance का एक पर्याय बन गया है E-Governance और जब मैं E-Governance कहता हूं तब मेरी दृष्टि से वो Easy Governance भी है, Economical Governance भी है। और उस रूप में Governance की सारी परिभाषाएं बदलती जा रही है। हम उसको कैसे आगे बढ़ाएं। हम आज जहां भी पहुंचे हैं, संतोष है ऐसा लगता है, लेकिन जरूरत के हिसाब से देखें तो अभी हम बहुत पीछे हैं। बहुत कुछ करना बाकी है। इतना बड़ा देश, इतने सारे लोग, आप कल्‍पना कर सकते हैं जिस देश में बहुत ही निकट भविष्‍य में 100 करोड़ Mobile Phones लोगों के हाथ में होंगे। Hundred crore क्‍या? अब जितना जल्‍दी आपकी field के लोग Mobile app जितनी तेजी से तैयार करेंगे। मैं समझता हूं उतना तेजी से आप Market को Capture करेंगे और मैं जो यह सलाह दे रहा हूं उसके लिए कोई Consultancy Fee नहीं है।

सिर्फ Banking लीजिए. मैं नहीं मानता हूं कि Bank में कोई जाने वाला है। Mobile Banking पर दुनिया चलने वाली है। हम उसको कैसे आगे बढ़ाएं, Mobile Governance पर चलने वाला है सारी सुविधाएं, सारी आवश्‍यकताएं, इंसान वहीं से प्राप्‍त करना चाहता है। आप तो देखते होंगे कि आज Astrologers भी Mobile पर सुबह क्‍या करना है, क्‍या नहीं करना, बता देते हैं। हर कोई समझता है कि इसका क्‍या उपयोग हो सकता है। हर कोई अपने-अपने तरीके से विकसित कर सकता है NASSCOM ने कभी Agenda नहीं रखा होगा कि Astrology और IT को क्‍या किया जाए, लेकिन लोगों ने कर लिया होगा।

कहने का तात्‍पर्य यह है कि पूजा-पाठ करना है तो भी उनको IT का सहारा लेना है। उसको दुनिया की Latest से Latest जानकारी चाहिए तो भी वो IT का सहारा ले रहा है। अपनी कोई समस्‍या का समाधान करना है तो भी IT से, Shopping करना है तो भी IT से, वह आज एक प्रकार से इस पर Dependent हो गया है और आपके परिवार में जो 18 से नीचे के जितने बच्‍चे हैं उनका एक ही गुरू है Google गुरू, वो सब चीज उसको ही पूछते हैं, वो आपको नहीं पूछेंगे। घर में भी अंदर चर्चा चलती होगी दो भाईयों के बीच में तो अंदर जाकर के पूछ करके आए देखो यह है तो यह इस रूप में उसने स्‍थान ले लिया है। इसलिए हम कल्पना कर सकते हैं कि इसमें व्याप्त की कितनी संभावनाएं पड़ी है और भारत का एक स्‍वभाव है इन चीजों को Adapt करना यह भारत के Nature में है।

हमारे यहां सामान्‍य से सामान्‍य व्‍यक्ति भी.. मैं अपना एक अनुभव बताऊं और मेरे लिए वो बड़ा surprise था। मैं गुजरात में मुख्‍यमंत्री था तो एक तहसील ऐसा था कि जहां मुझे पांच-छह साल वहां काम करने के बाद भी जाने का अवसर नहीं मिला था। मेरा स्‍वभाव रहता था कि मैं ज्‍यादा से ज्‍यादा स्‍थान पर पहुंचु, इलाके में जाऊं, लोगों से मिलूं, यह मेरा आग्रह रहता था। मैं हमारे सरकारी अफसरों को कहता कि भई वहां मुझे जाना है कोई कार्य्रक्रम बनाओ। अब वहां कोई कार्यक्रम बने इतना कोई विकास ही नहीं हुआ था क्‍या करें। मैंने कहा ऐसे ही चला जाऊंगा भई, कुछ करो। एक बस का Route चालू करने का कार्यक्रम बनाओ। मुझे वहां जाना है, खैर फिर तय हुआ कि वहां एक Chilling Centre बनाएंगे Milk Collection के लिए एक छोटा-सा Centre कोई 20-25 लाख का छोटा-सा इमारत बनाकर के Chilling Centre खड़ा किया।

मैंने कहा ठीक है, मैं उदघाटन के लिए आता हूं। जंगल विस्‍तार से सब आदिवासी लोग रहते हैं और forest होने के कारण वहां आम सभा करने के लिए भी जगह नहीं थी। कोई तीन किलोमीटर एक स्‍कूल था उस स्‍कूल के मैदान में एक आम सभा रखी तो यहां Chilling Centre का उद्घाटन करना और वहां जाना तो वहां पर जो Milk देने वाली कुछ आदिवासी महिलाएं थी। वो भी उस दिन उद्घाटन के समय Chilling Centre में करीब 25 महिलाएं उन्‍होंने बुलाकर रखी थी। हम सारा कार्यक्रम किया और मैं देख रहा था वो पच्‍चीसों महिलाएं Mobile Phone से फोटो निकाल रही थी। मानें आप कल्‍पना कर सकते हैं कि जहां 25 लाख का एक Chilling Centre बनाना एक बहुत बड़ी घटना सरकार के लिए थी। वहां सामान्‍य महिला वो भी आदिवासी महिला जो दूध भरने आई थी, उसके पास Mobile Phone था और फोटो निकाल रहीं थी और मैं उनके पास गया, मैंने कहा आप मेरा फोटो निकालकर के क्‍या करोगे? उन्‍होंने जो जवाब दिया वो मैं समझता हूं कि आपको भी चौंकाने वाला है। उन्‍होंने कहा हम जाकर के उसको Download कराएंगे। अब यह आपको भी अंदाज नहीं होगा कि आप कहां-कहां पहुंचे हैं। अगर इस शक्ति को पहचान लिया आपने कि आपका जो आखिरी client है वो आपसे दो कदम आगे है, उस need को पूरा करने के लिए सरकार Infrastructure खड़ा करे , आप नए Innovations करें। आपके Innovations को सरकार Adopt करे। और देखते ही देखते Revolution हो सकता है।

और मैं मानता हूं कि आने वाले दिनों में GDP की संभावना वाले अनेक क्षेत्र हैं, उसमें एक connectivity क्षेत्र, GDP increase करने वाला बहुत बड़ा क्षेत्र बनने वाला है। जितनी ज्‍यादा, जितनी अच्‍छी, जितनी तेज connectivity, उतनी अधिक GDP की संभावनाएं, यह होने वाला है। इतनी बड़ी तेजी से दुनिया बदल रही है, उस दुनिया को हम कैसे Capture करे। आने वाले दिनों में.. मेरे मन में एक सवाल है आप नाराज मत होना क्‍योंकि आपने बहुत किया है, देश का सम्‍मान बढ़ाया है, फिर भी, जो अच्‍छा करता है उसी से तो अपेक्षाएं होती है, जो अच्‍छा नहीं करता उसको कौन पूछेगा, भई हां ठीक है बहुत अच्‍छा, ले लो ईनाम ले लो। आप अच्‍छा कर रहे हैं, इसलिए मेरी अपेक्षाएं ज्‍यादा है। आप अच्‍छा नहीं करते तो मैं कुछ नहीं मांगता आपसे।

क्या आपके मन में सवाल नहीं उठता है दोस्‍तों कि Google मेरे देश में क्‍यों न बना ? क्‍या Talent में कमी है क्‍या, यहां से जो गए उन्‍होंने जरूर बनाया। मैं नहीं मानता हूं कि सरकार यह रूकावट है। हौंसले बुलंद हों, दुनिया में हम पहुंचने के लिए हम उस level की Innovations पर जाएं ताकि जगत को चलाने में हमारी व्‍यवस्‍थाएं एक Role Play करें और यह हो सकता है दोस्‍तों, मुश्किल काम नहीं है। Hollywood के फिल्‍म से भी कम खर्चे में अगर मेरे देश के नौजवान Mars पर पहुंच सकते हैं, तो मैं समझता हूं कि आप भी कर सकते हैं मेरे दोस्‍तो! यह innovation के बहुत बड़े challenge के रूप में लेना चाहिए। कहीं और सब चीजें बनें फिर हम सिर्फ client बने, अच्‍छे client बने और अच्‍छे बने यह हमारा मकसद नहीं हो सकता। हमें इससे आगे जाना है। एक क्षेत्र ऐसा है, जिसमें बहुत संभावनाएं पड़ी है ऐसा मैं मानता हूं।

मैं दुनिया के जितने राजनेताओं को प्रधानमंत्री बनने के बाद मिला। शायद 50 से ज्‍यादा राजनेताओं से मिला हूं। उसमें 25 से 30 राजनेताओं से मेरी जो बात हुई है वो Cyber Security की उनकी चिंता सारी दुनिया परेशान है Cyber Security को लेकर। क्‍या मेरे हिंदुस्‍तान का नौजवान दुनिया को चैन की नींद सोने के लिए Cyber Security के लिए Full Proof Innovations लेकर के आ सकता है क्‍या? बहुत बड़ा Market होगा आप लिखकर के रखिए यह। firewall से भी काफी आगे बढ़ना पड़ेगा। हमें उस स्थिति में पहुंचना पड़ेगा और जिसके संबंध में जानते ही दुनिया को लगेगा कि, हां यार हम चिंतित थे, अब शायद हमें रास्‍ता मिल गया। सारी दुनिया की जो ताकत है, उस ताकत को Cyber Safety की जरूरत खड़ी हुई है। Cyber Security की जरूरत पड़ी है। क्‍या NASSCOM के द्वारा ऐसे एक Task-force बनाकर के, हम Globally क्‍या दे सकते हैं। यह बात सही है कि यह dynamic अवस्‍था है। आप एक करे तो वो दूसरा करता है, आप दूसरा करे तो, तीसरा करता है, लेकिन शायद जगत को एक बहुत बड़ा चिंतामुक्‍त करने का काम हम कर सकते हैं। मैं डरा नहीं रहा हूं, मैं इस विषय का मास्‍टर नहीं हूं। मैं एक Client हूं, मैं client के रूप में बात करता हूं, सामान्‍य ग्राहक। अगर हम यह security प्रदान नहीं करेंगे, वो दिन दूर नहीं होगा कि बहुत बड़ा वर्ग मोबाइल को छूने से भी दूर रहेगा। उसको लगेगा कि नहीं, नहीं भईया यह पता नहीं बातें कहां चली जाएंगी, कोई चीजें कहां Record हो जाएंगी अरे नहीं नहीं भईयां वो मैं नहीं करता, मेरे पास मत.. यह दिन आएंगें। और तब जाकर के इस process को इतना बड़ा धक्‍का लगेगा, जिसकी हम कल्‍पना नहीं कर सकते और इसलिए आवश्‍यक है हम Assurance पैदा करे विश्‍वास पैदा करे कि भई चिंता मत करो यह जो इस technology से तुम जुड़े हो, सुरक्षित है, चिंता मत करो.. तुम्‍हारी privacy को भी problem नहीं है।

तुम्‍हारे अपने Documents को भी Problem नहीं है। उसी प्रकार से जैसा E-Business बढ़ा, जो भी वो Portal बनाकर के आते हैं वो आगे बढ़ रहे हैं। अब जितनी बड़ी मात्रा में E-Database तैयार हो रहा है, Digital Database तैयार हो रहा है, आने वाले दिनों में आपको अपने Status से नीचे आकर के एक नया Business शुरू करना पड़ेगा। Status, मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मैं शब्द प्रयोग ऐसा करने वाला हूं। Public Life में तो आप ऊंचे जाने वाले हैं, व्‍यापारिक जगत में ऊंचे जाने वाले हो। ऐसे दिन आएंगे जब आपको Cloud godown शुरू करने होंगे। अब आप अपने पिताजी को कहेंगे कि मैं Godown शुरू करने जा रहा हूँ, तो वे कहेंगे कि तुम्‍हारी बुद्धि खराब हो गई है क्‍या? Godown खोलोगे क्‍या? लेकिन आने वाले दिनों में Cloud Godown का एक बहुत बड़ा business खड़ा होने वाला है। बहुत बड़ी मात्रा में लोग अपने Documents, अपनी सारी व्‍यवस्‍थाएं और बैंक, बैंक भी पूरा का पूरा Data आपके Cloud Godown में रखने के लिए तैयार हो जाएगा, जिस पल उसको विश्‍वास हो जाएगा कि आप Security Provide करते हैं, Safety Provide करते हैं। Cloud locker आने वाले दिनों में Important Document के लिए, Even कल जो हमने Gold Bond की बात कही है, Gold Bond लेने के बाद बहुत लोग होंगे जो Gold Bond को Cloud locker में रख देंगे। Cloud Godown and Cloud locker यह इतनी बड़ी Market की संभावना वाला क्षेत्र बन रहा है। मैं समझता हूं उस पर हमें व्‍यापक रूप से सोचना होगा और सरकारों को भी अब सरकारों को अपने दफ्तरों में फाइलों के ढ़ेर रखने की आवश्‍यकता नहीं होगी। वे अपने Cloud Godown में चीजें रखते रहेंगे और सालों-साल सुरक्षित उसको रखें वो दिन आने वाले हैं।

मैं स्‍वयं, मैं शायद पहला politician हूं, जो Sound Cloud का उपयोग करता हूं और मेरा अनुभव इतना अच्‍छा है, Sound cloud का। वरना मैं पहले Yahoo के अगल-बगल में ही घूमता रहता था, YouTube के अगल-बगल में घूमता रहता था। अब मैं चला गया वहां और मैंने देखा है मैं बहुत तेजी से एक बहुत बड़े जग‍त के साथ जुड़ गया। हम इन शक्तियों को अगर पहचानते हैं और उन शक्तियों को जोड़ करने की दिशा में प्रयास करते हैं तो बहुत बड़ा लाभ आने वाले दिनों में हो सकता है, ऐसा मुझे लगता है।

हमारे रविंशकर जी ने कहा कि अमीर और गरीब की चर्चा का एक नया पैरामीटर आने वाला है और वो है Digital Divide. Digital Divide से भी अमीरी और गरीबी नापी जाएगी और इसलिए समाज में दो तबके पैदा न हो, digital divide की अवस्‍था पैदा न हो उसको हमने आगे बढ़ाना पड़ेगा। मैंने देखा है सरकार में एक बहुत बड़ी समस्‍या रहती है एक तो silos में काम करने की उनकी पहले से ही आदत रही है और अब उनकी digital activity भी silos में पड़ी है। और मैं मानता हूं, मैं तो technician नहीं हूं, मुझे लगता आप कर सकते हैं, फिर वही आप कर सकते हैं इसलिए कहने का मन करता है।

किसी भी language को किसी भी language में Translate करने वाले Software आपने बनाए हैं। उसकी लेखनी अलग है, उसका grammar अलग है, लेकिन Translation हो जाता है software से। मतलब Interpretation के लिए आपके पास बढि़या-सा Talent है जिसका उपयोग करते हो। सरकार के सामने यह समस्‍या है, किसी ने 15 साल पहले कोई Software लिया तो यह सारा Material उस भाषा के Software में है। 10 साल पीछे कोई दूसरा Software लिया तो उसमें है। यह इतना बिखरा पड़ा है और इतने अलग-अलग लोग माल हमको देकर चले गए हैं। अब उस समय जो लोग थे उनको लेने की जरूरत होगी शायद और लेने में भी मजा आता होगा। क्‍या हमारी यह जो बिखरी हुई चीजें हैं, हरेक का अलग-अलग Software है। अगर Language को आप Interpret कर सकते हैं बड़ी आसानी से एक software से, क्‍या इस challenge को उठाकर हमारी यह जो Raw data पड़ा है, अलग-अलग form में पड़ा है, उसको हम चाहे इस प्रकार से उसको synchronize करना, उसको Interpret करना, उसको उस form में रखना क्‍या इस काम को कर सकते हैं क्‍या। देश के Governance में एक बहुत बड़ा बदलाव आ सकता है इससे, क्‍योंकि आज मैं नया software लूं और लोगों को कहूं कि भई अब वो बदलो, वो फैंक दो इसमें डालो सारा। तो भई वो कहेंगे कि ठीक है साहब हम data entry करते रहेंगे। मैं नहीं चाहता हूं कि सरकारे data entry में ही लगी रहे। हमें बदलाव चाहिए और technology के उपयोग से क्‍या होता है देखा होगा आपने। बहुत-सी बातें होती हैं जो लिखने, पढ़ने, देखने को मिलती नहीं है, लेकिन मैं बताता हूं।

हम लोगों ने गैस सिलेंडर की जो सब्सिडी है वो Direct Benefit Transfer करने की Scheme बनाई। 80 percent ग्राहक तक हम पहुंच गए। करीब 12 crore लोगों को हम Direct Benefit Transfer कर रहे हैं और यह काम हमने 30 दिन में पूरा कर दिया, कैसे? Just it with the help of technology. कितना बड़ा achievement और मैं मानता हूं आने वाले दिनों में यह जो भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ाई है न, उसमें technology बहुत बड़ा Role play कर रही है। इतनी transparency लाई जा सकती है, हम चाहते हैं यह लाना और इससे बड़ी देश की सेवा क्‍या हो सकती है। यह सिर्फ गैस का जो हमने direct transfer किया है न, मेरा मोटा-मोटा अंदाज है शायद 10 percent लीकेज तो मैंने बंद कर ही दिया है। Can you imagine ten percent यानी thousands of crore rupee है।

अभी हमने Coal Auction किया है। पूरा technology का उपयोग किया, इतने बड़े बोर्ड पर public में उसको रखा। जिसको बैठना था, सारे पत्रकार भी बैठे थे। Auction हो रहा था। 204 coal blocks, जिसको Supreme Court ने सितंबर महीने में कह दिया कि भ्रष्‍टाचार हुआ है, रद्द करो। सब फायदा मुफ्त का उठा कर ले गए और आपको मालूम होगा कि एक जगह से चिट्ठी जाती थी, कोयले की खदान मिल जाती थी। Supreme Court ने निर्णय किया, हमने उसका फायदा उठाया। हमने तीन महीने के अंदर सारी योजना बनाई, Ordinance लाए, कुछ लोगों की नाराजगी स्वाभाविक है कि Ordinance क्‍यों लाए ? CAG ने कहा था कि यह जो coal block का आवंटन हुआ है, उसमें एक लाख 86 हजार करोड़ रुपये का घपला हुआ है। उस समय जब एक लाख 86 करोड़ अखबारों में हैडलाइन आई तो इस देश के नागरिक मानने को तैयार नहीं थे कि यार यह तो ऐसे ही लिख दिया होगा। CAG शायद सरकार से, उसकी भिड़ गई होगी। हम भी politically बोलते तो थे लेकिन मन में रहता था कि यार इतना होगा क्‍या? देखा भाई जिसने समंदर देखा नहीं है, जिसने गांव का तालाब देखा है उसको कोई पूछे कि समंदर कैसा है? तो वो क्‍या बोलेगा, क्‍या बोलेगा बेचारा। किसी को पूछेगा कि बताओ तो भई तो वो कहेगा कि तुम्‍हारे गांव में जो तालाब है न इससे बहुत बड़ा होता है। कितना बड़ा होता है, बोले बहुत बड़ा होता है। फिर पूछेगा.. ऐसे हमारी भी मुसीबत है.. हम तो कल्‍पना ही नहीं कर सकता है। अभी हमने 19 ब्‍लॉक का auction किया और technology का प्रयोग करके किया पूरी तरह e-auction था, सब लोग अपनी बोली computer से बोल रहे थे। 204 में से सिर्फ 19 का हुआ है, CAG का कहना है सिर्फ 204 में एक लाख 86 हजार करोड़ रूपये का घपला हुआ है। 19 का किया और अब तक एक लाख 10 हजार करोड़ रुपया की बोली, बोल चुके हैं। Technology से Transparency कैसे आती है इसका यह जीता जागता उदाहरण है और कहीं किसी ने उंगली नहीं उठाई है जी। एक सवाल नहीं खड़ा हुआ है। अगर हम ईमानदारी से आधुनिक विज्ञान का उपयोग करते हुए, नेक इरादे से चीजों को करें। क्‍या आने वाले दिनों में आप इसमें योगदान कर सकते हैं और मैं मानता हूं कि आप लोग कर सकते हैं और आपसे मेरी अपेक्षाएं हैं।

अभी हमने एक कल्‍पना रखी है हम जानते हैं कि Tourism का sector. अभी हमारे चंद्रशेखर जी Two trillion Dollar का हिसाब बता रहे थे। आज दुनिया में Tourism का Business three trillion dollar का है और तेज गति से बढ़ने वाला business है। आज जो Tourist है वो न टेलिफोन करके जानकारी लेता है, न किताब पढ़कर निकलता है, वो Google Map से चलता है वो Destination Google से तय करता है, वो IT profession के द्वारा व्‍यवस्‍था के द्वारा चलता है। क्‍या हम भारत का Tourism में हमारे इस Profession के माध्‍यम से एक बहुत बड़ी marketing कर सकते हैं? हम पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकते हैं क्‍या? और भारत में गरीब से गरीब को रोजगार देने में Tourism बहुत बड़ी ताकत रखता है और एक बार उसको सही चीजें प्राप्‍त हो। मगर इन चीजों को वो मेहनत करके करे, Database तैयार करके करे, easily accessible व्‍यवस्‍थाएं विकसित करे। आप कल्‍पना कर सकते हैं हम कहां से कहां पहुंच सकते हैं। हमारे नौजवानों को मैं आग्रह करता हूं।

मैंने सरकार में अभी यह निर्णय किया है Heritage cities के लिए। मैं चाहता हूं कि देश में 50 ऐसे Heritage Cities में Virtual Museum तैयार किया जा सकता है क्‍या? देखिए यह किसी भी देश की विरासत को बचाने, संभालने में museum का बहुत बड़ा role होता है, लेकिन आज भारत के पास इतने पैसे नहीं है। कि हम world class museum को create करे, लेकिन virtual museum बना सकते हैं। मैं, नौजवानों आपसे आग्रह करता हूं, आइए virtual museum बनाइए, virtual museum बनाकर के एक बहुत बड़ा market खड़ा करे, tourism के साथ जोड़े और भारत सरकार तैयार है इस प्रकार के virtual museum को आने वाले दिनों में खरीदने के लिए तैयार है। एक बहुत बड़े Business की संभावनाएं हैं, Research करने वाली University मिल जाएगी, Professors मिल जाएंगे और फिर आप उसमें से तैयार करिए और इतना User friendly बनाएंगे, आप देखिए tourism को बढ़ावा देने के लिए यह virtual museum और Economical रहेगा। आप एक Museum खड़ा करे उसका खर्चा और एक Virtual Museum का बहुत फर्क पड़ जाता है। क्‍या हम इस काम को कर सकते हैं क्‍या? आने वाले दिनों में अगर इन चीजों का काम कर सकते हैं तो मेरा आपसे आग्रह है कि आप करे, बाकी तो शिक्षा है, Health है यह काम ऐसे है कि बड़े बहुत ही अनिवार्य हैं।

Remotest to Remote Area में हम अगर अच्‍छी शिक्षा पहुंचाने चाहते हैं तो Technology बहुत बड़ी ताकत है। Long Distance education के द्वारा उत्‍तम से उत्‍तम शिक्षा हम दे सकते हैं और हम अगर उसका उपयोग करे हम बहुत बड़ी सेवा कर सकते हैं आप Corporate Social responsibility के नाम पर कई काम कर रहे हैं, मेरा एक आग्रह है स्‍वच्‍छता के लिए आप करें, लेकिन उसके साथ-साथ मुझे बताया गया कि 1800 members हैं आपके NASSCOM के, क्‍या 1800 Member कंपनियां कम से कम एक का उस कंपनी के मालिक या उसके partner जिस primary school में पढ़े हैं, जहां भी बचपन में गांव में होंगे, शहर में, जहां भी पढ़े हैं कम-से-कम उस स्‍कूल को आप एक E-library donate कर सकते हैं क्‍या? आप हमारी नई पीढि़यों को जानकारी का खजाना खोल दीजिए उनके सामने। आज Minimum 20 लाख किताबें E-Library के लिए आसानी से उसको उपलब्‍ध हो जाएगी। आज गांव में दो हजार किताबों की Library बनाना कठिन है, लेकिन आप जहां पढ़े हैं आपको एक Attachment होगा, आपका भी मन करता होगा, जिस स्‍कूल ने मुझे बड़ा बनाया, मैं भी उसके लिए कुछ करूं। आप देखिए देखते ही देखते वो Viral की तरह फैलेगा और फिर E-Library की लिए बहुत बड़ा business खुल जाएगा। यह है कि E-Library का structure बनाकर के दे देते हैं, E-Library service provide करते हैं। science magazine आज हमारा विद्यार्थी कहां से खर्चा करेगा। Even medical students के लिए science magazine महंगे पड़ते हैं, लेकिन हम E-Library Provide करे तो वो कितना सारा कर सकता है इसका आप अंदाज कर सकते हैं। और इसलिए हम Corporate Social Responsibility के नाते ही अपने व्यक्तिगत जीवन में जहाँ नाता रहा वहां कुछ करें, आप देखिये उनके लिए भी बहुत बड़ी चीज़ होगी और आने वाले दिनों में बहुत बड़ा लाभ होगा और Dynamic आप उसमें उत्तरोत्तर सुधार करवा सकते हैं क्योंकि आप इस field में हैं। दूसरा जब मैं सूचना की बात करता हूँ E-Waste इसके विषय में awareness नहीं है देखिये हमारे देश में environment की समस्याएं इसलिए आई कि जिस जगह कारखाना लगा दिया, They were not conscious about it. हमें E-Waste के सम्बन्ध में और NASSCOMM को विषय उठाना चाहिए और लोगो के लिए Awareness Campaign चलाना चाहिए online चलाना चाहिये, E-Waste के Solutions देने चाहिए, सरकार के साथ मिलकर के कोई project बनाया जा सकता है। Campaign चलाना चाहिए, वर्ना हम कहाँ से कहाँ पहुँच जायेंगे।

कभी कभार इन दिनों हमारे यहाँ पहले अच्छा पेन रखना एक Status था, अच्छी घड़ी रखना एक Status था लेकिन अब अच्छा फ़ोन रखना एक स्टेटस हो गया है और एक दूसरे को मिलते रहते हैं और कहते है अच्छा-अच्छा तूने ले लिया Apple-6. अगर ये नहीं है तो लगता है कुछ नहीं है। बहुत साल पहले की बात है इमरजेंसी के दिन थे मैं Underground था, पुलिस हमें खोज रही थी। एक परिवार में मैं रह रहा था उनके एक भाई UK में रहते थे वो आये हुए थे शाम को पहुंचें तो सभी भाई बैठे थे, तो उन्होंने कहा कि में एक घड़ी लाया हूँ, दो-ढाई लाख की घड़ी होगी शायद सबने देखी, सुबह हम चाय-पानी के लिए बैठे थे और उनके एक छोटे भाई थे वो बड़े मजाकिया थे, तो उन्होंने उनसे पुछा कि time कितना हो गया, तो उन्होंने कहा कि आठ बज गए हैं, बोले नहीं-नहीं ज़रा ठीक से देखिये, उन्होंने बोला कि आठ ही बजे है, फिर वो बोले की आप ज़रा ध्‍यान से देखिये वो फिर बोले की आठ ही बजे है, तो दूसरे भाई बोले की अच्छा, मेरी 250 रुपये की घड़ी है उसमें भी आठ ही बजे हैं।

हमारे देश में 1500 रूपए के मोबाइल वाला भी जो उपयोग देता है 25000 रूपए वाला भी उतना ही उपयोग देता है। लाल बटन, नीला बटन, Green button इससे ही एक मैं मानता हूँ कि सचमुच में हमें मोबाइल revolution लाना है, mobile app का revolution लाना है तो एक बहुत बड़े वर्ग को, 80 percent utility नहीं है 80 percent.. एवरेज मैं कह रहा हूँ, कितना ही बढ़िया सॉफ्टवेर वाला मोबाइल ले आईये, लेकिन उसका उपयोग ही नहीं करेंगे तो फायदा क्या होगा। क्या school-colleges में इसके बारे में awareness कार्यक्रम हो सकते हैं क्या? इसको करना चाहिए। वरना मैं मानता हूँ कि यह एक अलग प्रकार का E- Waste हैं। कोई भी पैसा अगर कहीं पर dead money के रूप में पड़ा है तो मैं मानता हूँ कि वो देश का नुकसान है। अगर मेरा 25,000 रूपए का मेरा मोबाइल फ़ोन हो और मैं उसका 80 प्रतिशत use नहीं करता मतलब कि वो मेरा dead money है सीधा- साधा इकोनॉमिक्स है, हमें लोगों को तैयार करना है और यह काम यही field के लोग कर सकते हैं. उसकी utility से ताकत बढ़ती है देश की, सामान्य लोगों की भी ताकत बढ़ती है और उस दिशा में हम कैसे काम करें इस दिशा में हमे सोचना है। आप जानते है कि मैं social मीडिया में काफी active रहा हूँ और काफी समय से active रहा हूँ, इस दुनिया की जब से शुरुआत हुई तभी से इसमें मेरी रुचि थी।

My gov.in मैंने मेरे कार्यालय से जोड़कर के मैंने देखा है कि मैं कोई भी चीज वहां question करता हूं, हजारों लोग मुझे respond करते हैं। मुझे कहीं भाषण करने जाना है और मैं पूछता हूं कि मुझे थोड़ा idea दीजिए, हजारों लोग तुरंत मुझे idea देते हैं। आपने देखा होगा यह जनधन योजना, प्रधानमंत्री जनधन योजना.. यह शब्‍द एक नागरिक ने दिया है, competition से आया है, my gov.in पर आया। अभी my gov.in के द्वारा मैं competition launch करने जा रहा हूं शायद एक दो दिन में कर लूंगा, मैं आपको भी निमंत्रित करता हूं इसमें आइए।

PMO कार्यालय के लिए Mobile App कैसा होगा, ideas पहली competition का मेरा level है Ideas. और जो Best ideas आएंगे यह Google के साथ मिलकर के हम कर रहे हैं, जो Best ideas होंगे ऐसे लोगों की टीम को फिर Google office America जाने का निमंत्रण मिलेगा और दूसरा है education, Idea को implement करने वाला पूरा software तैयार करना। मैं चाहूंगा कि मेरे कार्यालय को भी इस India tomorrow जो innovation को लेकर के आप चले हैं तो मुझे भी आप लोग मदद करे।

फिर एक बार मैं नहीं जानता मैंने ज्‍यादा ही समय ले लिया। मुझे यहां आकर अच्छा लगा, बहुत बहुत धन्‍यवाद।

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This is the right time to Create In India, Create For The World: PM Modi at WAVES Summit
May 01, 2025
QuoteWAVES highlights India's creative strengths on a global platform: PM
QuoteWorld Audio Visual And Entertainment Summit, WAVES, is not just an acronym, It is a wave of culture, creativity and universal connectivity: PM
QuoteIndia, with a billion-plus population, is also a land of a billion-plus stories: PM
QuoteThis is the right time to Create In India, Create For The World: PM
QuoteToday when the world is looking for new ways of storytelling, India has a treasure of its stories dating back thousands of years, this treasure is timeless, thought-provoking and truly global: PM
QuoteThis is the time of dawn of Orange Economy in India, Content, Creativity and Culture - these are the three pillars of Orange Economy: PM
QuoteScreen size may be getting smaller, but the scope is becoming infinite, Screen is getting micro but the message is becoming mega: PM
QuoteToday, India is emerging as a global hub for film production, digital content, gaming, fashion, music and live concerts: PM
QuoteTo the creators of the world — dream big and tell your story, To investors — invest not just in platforms, but in people, To Indian youth — tell your one billion untold stories to the world: PM

आज महाराष्ट्राचा स्थापना दिवस. छत्रपती शिवाजी महाराजांच्या या भूमीतील सर्व बंधू-भगिनींना महाराष्ट्र दिनाच्या खूप खूप शुभेच्छा!

आजे गुजरातनो पण स्थापना दिवस छे, विश्व भर में फैले सब गुजराती भाई-बहनों को भी गुजरात स्थापना दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

वेव्स समिट में उपस्थित, महाराष्ट्र के गवर्नर सी. पी. राधाकृष्णन जी, महाराष्ट्र के लोकप्रिय मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी अश्विनी वैष्णव जी, एल मुरुगन जी, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे जी, अजीत पवार जी, दुनिया के कोने-कोने से जुड़े क्रिएटिव वर्ल्ड के सभी दिग्गज, विभिन्न देशों से पधारे information, communication, art एवं culture विभागों के मंत्रीगण, विभिन्न देशों के राजदूत, दुनिया के कोने-कोने से जुड़े क्रिएटिव वर्ल्ड के चेहरे, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों !

साथियों,

आज यहां मुंबई में 100 से अधिक देशों के Artists, Innovators, Investors और Policy Makers, एक साथ, एक ही छत के नीचे, एकत्र हुए हैं। एक तरह से आज यहां Global Talent और Global Creativity के एक Global Ecosystem की नींव रखी जा रही है। World Audio Visual And Entertainment Summit यानि वेव्स, ये सिर्फ एक्रोनिम नहीं है। ये वाकई, एक Wave है, Culture की, Creativity की, Universal Connect की। और इस Wave पर सवार हैं, फिल्में, म्यूजिक, गेमिंग, एनीमेशन, स्टोरीटेलिंग, क्रिएटिविटी का अथाह संसार, Wave एक ऐसा ग्लोबल प्लेटफॉर्म है, जो आप जैसे हर आर्टिस्ट, हर Creator का है, जहां हर कलाकार, हर युवा, एक नए Idea के साथ Creative World के साथ जुड़ेगा। इस ऐतिहासिक और शानदार शुरुआत के लिए, मैं देश-विदेश से जुटे आप सभी महानुभावों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, आप सबका अभिनंदन करता हूं।

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साथियों,

आज एक मई है, आज से 112 साल पहले, तीन मई 1913, भारत में पहली फीचर फिल्म राजा हरिशचंद्र रिलीज हुई थी। इसके निर्माता दादा साहेब फाल्के जी थे, और कल ही उनकी जन्मजयंती थी। बीती एक सदी में, भारतीय सिनेमा ने, भारत को दुनिया के कोने-कोने में ले जाने में सफलता पाई है। रूस में राजकपूर जी की लोकप्रियता, कान में सत्यजित रे की पॉपुलैरिटी, और ऑस्कर में RRR की Success में यही दिखता है। गुरु दत्त की सिनेमेटिक Poetry हो या फिर रित्विक घटक का Social Reflection, A.R. Rahman की धुन हो या राजामौली की महागाथा, हर कहानी, भारतीय संस्कृति की आवाज़ बनकर दुनिया के करोड़ों लोगों के दिलों में उतरी है। आज Waves के इस मंच पर हमने भारतीय सिनेमा के अनेक दिग्गजों को डाक-टिकट के माध्यम से याद किया है।

साथियों,

बीते वर्षों में, मैं कभी गेमिंग वर्ल्ड के लोगों से मिला हूं, कभी म्यूजिक की दुनिया के लोगों से मिला, फिल्म मेकर्स से मिला, कभी स्क्रीन पर चमकने वाले चेहरों से मिला। इन चर्चाओं में अक्सर भारत की क्रिएटिविटी, क्रिएटिव केपेबिलिटी और ग्लोबल कोलैबोरेशन की बातें उठती थीं। मैं जब भी आप सभी क्रिएटिव वर्ल्ड के लोगों से मिला, आप लोगों से Ideas लेता था, तो भी मुझे स्वयं भी इस विषय की गहराई में जाने का मौका मिला। फिर मैंने एक प्रयोग भी किया। 6-7 साल पहले, जब महात्मा गांधी जी की 150वीं जयंति का अवसर आया, तो 150 देशों के गायक-गायिकाओं को गांधी जी का प्रिय गीत, वैष्णव जन को तेने कहिए, ये गाने के लिए मैंने प्रेरित किया। नरसी मेहता जी द्वारा रचित ये गीत 500-600 साल पुराना है, लेकिन ‘गांधी 150’ के समय दुनिया भर के आर्टिस्ट्स ने इसे गाया है और इसका एक बहुत बड़ा इंपैक्ट हुआ, दुनिया एक साथ आई। यहां भी कई लोग बैठे हैं, जिन्होंने ‘गांधी 150’ के समय 2-2, 3-3 मिनट के अपने वीडियोज बनाए थे, गांधी जी के विचारों को आगे बढ़ाया था। भारत और दुनिया भर के क्रिएटिव वर्ल्ड की ताकत मिलकर क्या कमाल कर सकती है, इसकी एक झलक हम तब देख चुके हैं। आज उसी समय की कल्पनाएं, हकीकत बनकर वेव्स के रूप में जमीन पर उतरी है।

साथियों,

जैसे नया सूरज उगते ही आकाश को रंग देता है, वैसे ही ये समिट अपने पहले पल से ही चमकने लगी है। "Right from the first moment, The summit is roaring with purpose." पहले एडिशन में ही Waves ने दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया है। हमारे Advisory Board से जुड़े सभी साथियों ने जो मेहनत की है, वो आज यहां नजर आ रही है। आपने बीते दिनों में बड़े पैमाने पर Creators Challenge, Creatosphere का अभियान चलाया है, दुनिया के करीब 60 देशों से एक लाख क्रिएटिव लोगों ने इसमें Participate किया। और 32 चैलेंजेज़ में 800 फाइनलिस्ट चुने गए हैं। मैं सभी फाइनलिस्ट्स को अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। आपको मौका मिला है- दुनिया में छा जाने का, कुछ कर दिखाने का।

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साथियों,

मुझे बताया गया है कि यहां आपने भारत पैविलियन में बहुत कुछ नया रचा है, नया गढ़ा है। मैं इसे देखने के लिए भी बहुत उत्सुक हूं, मैं जरूर जाऊंगा। Waves Bazar का Initiative भी बहुत Interesting है। इससे नए क्रिएटर्स Encourage होंगे, वो नए बाजार से जुड़ पाएंगे। आर्ट की फील्ड में, Buyers और Sellers को कनेक्ट करने का ये आइडिया वाकई बहुत अच्छा है।

साथियों,

हम देखते हैं कि छोटे बच्चे के जीवन की शुरुआत, जब बालक पैदा होता है तब से, मां से उसका संबंध भी लोरी से शुरु होता है। मां से ही वो पहला स्वर सुनता है। उसको पहला स्वर संगीत से समझ आता है। एक मां, जो एक बच्चे के सपने को बुनती है, वैसे ही क्रिएटिव वर्ल्ड के लोग एक युग के सपनों को पिरोते हैं। WAVES का मकसद ऐसे ही लोगों को एक साथ लाने का है।

साथियों,

लाल किले से मैंने सबका प्रयास की बात कही है। आज मेरा ये विश्वास और पक्का हो गया है कि आप सभी का प्रयास आने वाले वर्षों में WAVES को नई ऊंचाई देगा। मेरा इंडस्ट्री के साथियों से ये आग्रह बना रहेगा, कि जैसे आपने पहली समिट की हैंड होल्डिंग की है, वो आगे भी जारी रखें। अभी तो WAVES में कई तरह की खूबसूरत लहरें आनी बाकी हैं, भविष्य में Waves अवॉर्ड्स भी लॉन्च होने वाले हैं। ये आर्ट और क्रिएटिविटी की दुनिया में सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड्स होने वाले हैं। हमें जुटे रहना है, हमें जग के मन को जीतना है, जन-जन को जीतना है।

साथियों,

आज भारत, दुनिया की Third Largest Economy बनने की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। आज भारत ग्लोबल फिनटेक एडॉप्शन रेट में नंबर वन है। दुनिया का सेकेंड लार्जेस्ट मोबाइल मैन्यूफैक्चरर है। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम भारत में है। विकसित भारत की हमारी ये जर्नी तो अभी शुरू हुई है। भारत के पास इससे भी कहीं अधिक ऑफर करने के लिए है। भारत, बिलियन प्लस आबादी के साथ-साथ, बिलियन प्लस Stories का भी देश है। दो हज़ार साल पहले, जब भरत मुनि ने नाट्यशास्त्र लिखा, तो उसका संदेश था - "नाट्यं भावयति लोकम्" इसका अर्थ है, कला, संसार को भावनाएं देती है, इमोशन देती है, फीलिंग्स देती है। सदियों पहले जब कालिदास ने अभिज्ञान-शाकुंतलम लिखी, शाकुंतलम, तब भारत ने क्लासिकल ड्रामा को एक नई दिशा दी। भारत की हर गली में एक कहानी है, हर पर्वत एक गीत है, हर नदी कुछ न कुछ गुनगुनाती है। आप भारत के 6 लाख से ज्यादा गांवों में जाएंगे, तो हर गांव का अपना एक Folk है, Storytelling का अपना ही एक खास अंदाज़ है। यहां अलग-अलग समाजों ने लोककथाओं के माध्यम से अपने इतिहास को अगली पीढ़ी तक पहुंचाया है। हमारे यहां संगीत भी एक साधना है। भजन हों, गज़लें हों, Classical हो या Contemporary, हर सुर में एक कहानी है, हर ताल में एक आत्मा है।

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साथियों,

हमारे यहां नाद ब्रह्म यानि साउंड ऑफ डिवाइन की कल्पना है। हमारे ईश्वर भी खुद को संगीत और नृत्य से अभिव्यक्त करते हैं। भगवान शिव का डमरु - सृष्टि की पहली ध्वनि है, मां सरस्वती की वीणा - विवेक और विद्या की लय है, श्रीकृष्ण की बांसुरी - प्रेम और सौंदर्य का अमर संदेश है, विष्णु जी का शंख, शंख ध्वनि- सकारात्मक ऊर्जा का आह्वान है, इतना कुछ है हमारे पास, अभी यहां जो मन मोह लेने वाली सांस्कृतिक प्रस्तुति हुई, उसमें भी इसकी झलक दिखी है। और इसलिए ही मैं कहता हूं- यही समय है, सही समय है। ये Create In India, Create For The World का सही समय है। आज जब दुनिया Storytelling के लिए नए तरीके ढूंढ रही है, तब भारत के पास हज़ारों वर्षों की अपनी कहानियों का खज़ाना है। और ये खजाना Timeless है, Thought-Provoking है और Truly Global है। और ऐसा नहीं है कि इसमें कल्चर से जुड़े विषय ही हैं, इसमें विज्ञान की दुनिया है, स्पोर्ट्स है, शौर्य की कहानियां हैं, त्याग-तपस्या की गाथाएं हैं। हमारी स्टोरीज में साइंस भी है, फिक्शन भी है, करेज है, ब्रेवरी है, भारत के इस खजाने की बास्केट बहुत बड़ी है, बहुत विशाल है। इस खजाने को दुनिया के कोने-कोने में ले जाना, आने वाली पीढ़ियों के सामने नए और Interesting तरीके से रखना, ये waves platform की बड़ी जिम्मेदारी है।

साथियों,

आप में से ज्यादातर लोगों को पता है कि हमारे यहां पद्म अवार्ड आजादी के कुछ साल बाद ही शुरू हो गए थे। इतने सालों से ये अवार्ड दिए जा रहे हैं, लेकिन हमने इन अवार्ड्स को पीपल्स पद्मा बना दिया है। जो लोग देश के दूर-दराज में, कोने-कोने में देश के लिए जी रहे हैं, समाज की सेवा कर रहे हैं, हमने उनकी पहचान की, उनको प्रतिष्ठा दी, तो पद्मा की परंपरा का स्वरूप ही बदल गया। अब पूरे देश ने खुले दिल से इसे मान्यता दी है, अब ये सिर्फ एक आयोजन ना होकर पूरे देश का उत्सव बन गया है। इसी तरह वेव्स भी है। वेव्स क्रिएटिव वर्ल्ड में, फिल्म में, म्यूजिक में, एनीमेशन में, गेमिंग में, भारत के कोने-कोने में जो टैलेंट है, उसे एक प्लेटफार्म देगा, तो दुनिया भी इसे अवश्य सराहेगी।

साथियों,

कंटेंट क्रिएशन में भारत की एक और विशेषता, आपकी बहुत मदद करने वाली है। हम, आ नो भद्र: क्रतवो यन्तु विश्वत: के विचार को मानने वाले हैं। इसका मतलब है, चारों दिशाओं से हमारे पास शुभ विचार आएं। ये हमारी civilizational openness का प्रमाण है। इसी भाव के साथ, पारसी यहां आए। और आज भी पारसी कम्यूनिटी, बहुत गर्व के साथ भारत में थ्राइव कर रही है। यहां Jews आए और भारत के बनकर रह गए। दुनिया में हर समाज, हर देश की अपनी-अपनी सिद्धियां हैं। इस आयोजन में यहां इतने सारे देशों के मंत्रीगण हैं, प्रतिनिधि हैं, उन देशों की अपनी सफलताएं हैं, दुनिया भर के विचारों को, आर्ट को वेलकम करना, उनको सम्मान देना, ये हमारे कल्चर की ताकत है। इसलिए हम मिलकर, हर कल्चर की अलग-अलग देशों की उपलब्धियों से जुड़ा बेहतरीन कंटेंट भी क्रिएट कर सकते हैं। ये ग्लोबल कनेक्ट के हमारे विजन को भी मजबूती देगा।

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साथियों,

मैं आज दुनिया के लोगों को भी ये विश्वास दिलाना चाहता हूं, भारत के बाहर के जो क्रिएटिव वर्ल्ड के लोग हैं, उन्हें ये विश्वास दिलाना चाहता हूं, कि आप जब भारत से जुड़ेंगे, जब आप भारत की कहानियों को जानेंगे, तो आपको ऐसी-ऐसी स्टोरीज मिलेंगी, कि आपको लगेगा कि अरे ये तो मेरे देश में भी होता है। आप भारत से बहुत नैचुरल कनेक्ट फील करेंगे, तब आपको Create In India का हमारा मंत्र और सहज लगेगा।

साथियों,

ये भारत में Orange Economy का उदय काल है। Content, Creativity और Culture - ये Orange Economy की तीन धुरी हैं। Indian films की reach अब दुनिया के कोने-कोने तक पहुंच रही है। आज Hundred Plus देशों में भारतीय फिल्में release होती हैं। Foreign audiences भी अब Indian films को सिर्फ सरसरी तौर से देखते नहीं, बल्कि समझने की कोशिश करता है। इसलिए आज बड़ी संख्या में विदेशी दर्शक Indian content को subtitles के साथ देख रहे हैं। India में OTT Industry ने पिछले कुछ सालों में 10x growth दिखाई है। Screen size भले छोटा हो रहा हो, पर scope infinite है। स्क्रीन माइक्रो होती जा रही है पर मैसेज मेगा होता जा रहा है। आजकल भारत का खाना विश्व की पसंद बनता जा रहा है। मुझे विश्वास है कि आने वाले दिनों में भारत का गाना भी विश्व की पहचान बनेगा।

साथियों,

भारत की Creative Economy आने वाले वर्षों में GDP में अपना योगदान और बढ़ा सकती है। आज भारत Film Production, Digital Content, Gaming, Fashion और Music का Global Hub बन रहा है। Live Concerts से जुड़ी इंडस्ट्री के लिए अनेक संभावनाएं हमारे सामने हैं। आज ग्लोबल एनीमेशन मार्केट का साइज़ Four Hundred And Thirty Billion Dollar से ज्यादा का है। अनुमान है कि अगले 10 सालों में ये डबल हो सकता है। ये भारत की एनीमेशन और ग्राफिक्स इंडस्ट्री के लिए बहुत बड़ा अवसर है।

साथियों,

ऑरेंज इकोनॉमी के इस बूम में, मैं Waves के इस मंच से देश के हर युवा क्रिएटर से कहूंगा, आप चाहे गुवाहाटी के म्यूज़िशियन हों, कोच्चि के पॉडकास्टर हों, बैंगलुरू में गेम डिज़ाइन कर रहे हों, या पंजाब में फिल्म बना रहे हैं, आप सभी भारत की इकोनॉमी में एक नई Wave ला रहे हैं - Creativity की Wave, एक ऐसी लहर, जो आपकी मेहनत, आपका पैशन चला रहा है। और हमारी सरकार भी आपकी हर कोशिश में आपके साथ है। Skill India से लेकर Startup Support तक, AVGC इंडस्ट्री के लिए पॉलिसी से लेकर Waves जैसे प्लेटफॉर्म तक, हम हर कदम पर आपके सपनों को साकार करने में निरंतर लगे रहते हैं। हम एक ऐसा Environment बना रहे हैं, जहां आपके idea और इमेजिनेशन की वैल्यू हो। जो नए सपनों को जन्म दे, और आपको उन सपनों को साकार करने का सामर्थ्य दे। वेव्स समिट के जरिए भी आपको एक बड़ा प्लेटफॉर्म मिलेगा। एक ऐसा प्लेटफॉर्म, जहां Creativity और Coding एक साथ होगी, जहां Software और Storytelling एक साथ होगी, जहां Art और Augmented Reality एक साथ होगी। आप इस प्लेटफॉर्म का भरपूर इस्तेमाल करिए, बड़े सपने देखिए, उन्हें पूरा करने के लिए पूरी ताकत लगा दीजिए।

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साथियों,

मेरा पूरा विश्वास आप पर है, कंटेंट क्रिएटर्स पर है, और इसकी वजह भी है। Youth की spirit में, उनकी वर्किंग स्टाइल में, कोई barriers, कोई baggage या boundaries नहीं होती, इसीलिए आपकी creativity बिल्कुल free-flow करती है, इसमें कोई hesitation, कोई Reluctance नहीं होता। मैंने खुद, हाल ही में कई young creators से, gamers से, और ऐसे ही कई लोगों से personally interaction किया है। Social media पर भी मैं आपकी creativity को देखता रहता हूं, आपकी energy को feel करता हूं, ये कोई संयोग नहीं है कि आज जब भारत के पास दुनिया की सबसे बड़ी young population है, ठीक उसी वक्त हमारी creativity की नई-नई dimensions सामने आ रही हैं। Reels, podcasts, games, animation, startup, AR-VR जैसे formats, हमारे यंग माइंड्स, इन हर format में शानदार काम कर रहे हैं। सही मायने में वेव्स आपकी जनरेशन के लिए है, ताकि आप अपनी एनर्जी, अपनी Efficiency से, Creativity की पूरी इस Revolution को Re-imagine कर सकें, Re-define कर सकें।

साथियों,

Creativity की दुनिया के आप दिग्गजों के सामने, मैं एक और विषय की चर्चा करना चाहता हूं। ये विषय है- Creative Responsibility, हम सब देख रहे हैं कि 21वीं सेंचुरी के, जो की टेक ड्रिवन सेंचुरी है। हर व्यक्ति के जीवन में टेक्नोलॉजी का रोल लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में मानवीय संवेदनाओं को बनाए रखने के लिए extra efforts की जरूरत हैं। ये क्रिएटिव वर्ल्ड ही कर सकता है। हमें इंसान को रोबोट्स नहीं बनने देना है। हमें इंसान को अधिक से अधिक संवेदनशील बनाना है, उसे और अधिक समृद्ध करना है। इंसान की ये समृद्धि, इंफॉर्मेशन के पहाड़ से नहीं आएगी, ये टेक्नोलॉजी की स्पीड और रीच से भी नहीं आएगी, इसके लिए हमें गीत, संगीत, कला, नृत्य को महत्व देना होगा। हज़ारों सालों से ये, मानवीय संवेदना को जागृत रखे हुए हैं। हमें इसे और मजबूत करना है। हमें एक और अहम बात याद रखनी है। आज हमारी यंग जेनरेशन को कुछ मानवता विरोधी विचारों से बचाने की ज़रूरत है। WAVES एक ऐसा मंच है, जो ये काम कर सकता है। अगर इस ज़िम्मेदारी से हम पीछे हट गए तो, ये युवा पीढ़ी के लिए बहुत घातक होगा।

साथियों,

आज टेक्नोलॉजी ने क्रिएटिव वर्ल्ड के लिए खुला आसमान बना दिया है, इसलिए अब ग्लोबल कोऑर्डिनेशन भी उतना ही जरूरी है। मुझे विश्वास है, ये प्लेटफॉर्म, हमारे Creators को Global Storytellers से कनेक्ट करेगा, हमारे Animators को Global Visionaries से जोड़ेगा, हमारे Gamers को Global Champions में बदलेगा। मैं सभी ग्लोबल इन्वेस्टर्स को, ग्लोबल क्रिएटर्स को आमंत्रित करता हूं, आप भारत को अपना Content Playground बनाएं। To The Creators Of The World - Dream Big, And Tell Your Story. To Investors - Invest Not Just In Platforms, But In People. To Indian Youth - Tell Your One Billion Untold Stories To The World!

आप सभी को, पहली Waves समिट के लिए फिर से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं, आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

नमस्कार।