Time to reject dynastic politics in Telangana: PM Modi in Hyderabad

Published By : Admin | December 3, 2018 | 18:20 IST
The elections on 7th December in Telangana are an opportunity for the people of the state to reject the discrimination on the grounds of caste and dynastic politics: PM Modi
TRS and Congress are two sides of same coin. They are the A and B teams: PM Modi in Hyderabad
We are committed to take Telangana to newer heights guided by the mantra of 'Sabka Saath, Sabka Vikas': PM Modi in Hyderabad

मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्रीमान लक्ष्मण जी, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव श्रीमान मुरलीधर राव, केन्द्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्रीमान नड्डा जी, संसद में मेरे साथी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्रीमान बंडारू दत्तात्रेय जी, श्रीमान श्रीपरिपूर्णानंदजी, भाई किशन रेड्डी जी, इन्द्रसेन रेड्डी जी, एन रामचंद्र जी, डॉ. एस मल्लारेड्डी जी, श्रीमान के बालासुब्रमण्यम जी, श्रीमान वेंकटरमानी जी, डॉ. टी राजेश्वर राव, श्रीमती वाई गीता जी, श्रीमान बोक्कानरसिम्हा रेड्डी जी, श्रीमान वी वेंकटा रेड्डी जी और इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार राजेन्द्र नगर से श्रीमान बद्दमबाल रेड्डी जी, एलबी नगर से पेरलाशेखर रावजी, हैदराबाद से सीआर रेड्डी जी, उप्पल से श्रीमान एन प्रभाकर जी, घोषमहल से टी राजासिंह, मेडचल से मोहनरेड्डी जी, कुक्काटपल्ली से माधवराव कंटराव जी, चेवल्ला से श्री कंजरलाप्रकाश जी, सिकन्दराबाद कैन्टनमेंट से श्रीमान श्रीगणेश जी, जुबली हिल्स से श्री आर श्रीधर रेड्डी जी, संथननगर से भंवरलाल वर्मा जी, नेमपल्ली से देवराकरुणाकर जी, सिकन्दराबाद से सतीश गौड़ जी, मलगपेट से आले जितेन्द्र जी, सर्जनमपल्ली से जी योगानंद जी, चारमीनार से टी उमामहेन्द्र जी, कारवान से अमरसिंह जी, बहादुरपुरा से श्रीमान हनीफ अली जी, चन्द्रयान गुट्टा से कुमारी सैयद शहजादी जी, यकतपुरा से श्रीमान सी रूपराज जी, महेश्वरम से श्रीरामुलु यादव जी...विशाल संख्या में पधारे मेरे प्यारे भाई बहनों...दोनों हाथ ऊपर करके, भारत माता की जय बोल करके, मेरे साथियों को आशीर्वाद दीजिए। भारत माता की...जय...भारत माता की....जय!

भाइयो और बहनो, हैदाराबाद का ये मिजाज ये साफ दिखा रहा है कि चुनाव भारतीय जनता पार्टी का चुनाव है। एक प्रकार से तेलंगाना की जनता के लिए, हैदराबाद की जनता के लिए, ये निर्णय करना है कि सच्चे अर्थ में हमें इस देश में लोकतंत्र को ताकत देनी है या नहीं देनी है। जिस प्रकार से हिन्दुस्तान की राजनीति में बड़ी चालाकी से लोकतंत्र का गला घोंट दिया जा रहा है, इसके कारण नये राजे-महाराजे पैदा हो रहे हैं, वंशवाद पनप रहा है, परिवारवाद पनप रहा है और इसलिए इस चुनाव में इस देश में चारो तरफ जो नये प्रकार की राजशाही घुस रही है, लोकतंत्र का गला घोंट रहे हैं, उनको चुनौती दे करके तेलंगाना को देश के लिए आदर्श भूमि बनाने का मौका है। यहां प्रमुख रूप से पांच पार्टियां चुनाव मैदान में हैं और जो दिल्ली में बैठ करके दिन-रात बड़े लिबरलिज्म के झंडे ले करके घूम रहे हैं, मैं आज उनको भी कहना चाहता हूँ,  अगर हिम्मत है और ईमानदारी से आप लिबरल हैं तो इस वंशवादी राजनीति के खिलाफ आवाज उठाइय़े। पूरी पार्टियां वंशवाद में पल रही हैं। किसी परिवार में बाप भी चुनाव लड़ ले, बेटा भी चुनाव लड़ ले, वो पार्टी का निर्णय हो सकता है लेकिन पूरी पार्टी वंशवाद पर चले, कर्ता-धर्ता, नीति-निर्धारक सब वंशवाद में फंसा हुआ हो तो लोकतंत्र के लिए कितना भयंकर खतरा पैदा होगा। बाबासाहेब अंबेडकर ने जो सपने देखे थे, बाबासाहेब अंबेडकर ने हमें जो संविधान लिखा, दिया है, उस संविधान की पीठ में छुरा भोंकने का काम ये वंशवादी पार्टियां, परिवारवादी पार्टियां, परिवारीवादी राजनीति कर रही है। यहां पांच पार्टियां हैं, सिर्फ और सिर्फ एक ही पॉलिटिकल पार्टी लोकतांत्रिक व्यवस्था है, लोकतांत्रिक व्यवस्था से चलती है, लोकतांत्रिक व्यवस्था से पलती है, पनपती है, बढ़ती है औऱ उस पार्टी का नाम है भारतीय जनता पार्टी।

आप मुझे बताइये, ये मजलिस परिवारवादी है कि नहीं, वंशवादी है कि नहीं, एक ही परिवार सब कुछ करता है कि नही करता है, राजनीति के नाम धन आता है वो उनके यहां ही जमा होता है कि नहीं होता है, उन्हीं के परिवार के लोग पद पर हैं कि नहीं है? दूसरी पार्टी टीडीपी, अब देखिए ये पार्टी का जन्म हुआ था तेलुगु के स्वाभिमान के लिए, कांग्रेस पार्टी के ये नामदार के पिताजी ने जिस प्रकार से आंध्र का अपमान किया था, उस समय संय़ुक्त आंध्र था और उसमें से गुस्से में आ करके यहां के स्वाभिमान के लिए एनटीआर ने तेलुगु देशम पार्टी को जन्म दिया था, लेकिन आज स्वार्थ के लिए, सत्ता सुख के लिए जिस नामदार के पिताजी ने आंध्र का, तेलुगु का अपमान किया था उसके बेटे की गोद में जा करके पूरी पार्टी को रख दिया। ये टीडीपी भी परिवारवादी पार्टी,  वंशवादी पार्टी, सारे निर्णय एक परिवार करेगा, सारी सत्ता एक परिवार के पास सिमट करके रहेगी। आप मुझे बताइये क्या टीडीपी पार्टी परिवारवादी पार्टी है कि नहीं, एक परिवार की पार्टी है कि नहीं है, वंशवादी पार्टी है कि नहीं है, ये लोकतंत्र के लिए खतरा है कि नहीं है, लोकतंत्र के लिए खतरा है कि नहीं है? तीसरे नामदार, ऑल इंडिया पार्टी, आजादी के इतने सालों तक चार-चार पीढ़ियों ने राज किया। ये कांग्रेस पार्टी भी... वहां लोकतंत्र का नामोनिशान बचा है क्या... लोकतंत्र का नामोनिशान बचा है क्या...कांग्रेस पार्टी भी परिवार पार्टी बन गय़ी है कि नहीं बन गई है... एक ही परिवार के लिए पार्टी चल रही है कि नहीं चल रही है...परिवार का व्यक्ति जब तक योग्यता प्राप्त नहीं करता, तब तक उसको खींचा जा रहा है कि नहीं खींचा जा रहा है? पूरी पार्टी…सवा सौ साल से भी ज्यादा साल जिस पार्टी के हो गये…अनेक तपस्वी महापुरुषों ने जिस पार्टी के लिए जीवन खपा दिया था, ऐसी पार्टी को एक परिवार की गोद में समर्पित कर दिया गया। क्या ये लोकतंत्र के साथ धोखा है कि नहीं है..ये लोकतंत्र के साथ धोखा है कि नहीं है?

भाइयो-बहनो, अब जरा यहीं की बात कर लें। मैं जरा तेलंगाना के नौजवानों से पूछना चाहता हूँ। आखिर कर अलग तेलंगाना क्यों मांगा था.. आखिरकार अलग तेलंगाना के लिए इतने सालों तक क्यों इतनी मुसीबतें झेली थीं आखिरकार अलग तेलंगाना के लिए इतने नौजवानों ने बलिदान क्यों दिए थे, शहादत क्यों दी थी। तेलंगाना के उज्ज्वल भविष्य के लिए दी थी। एक परिवार को तेलंगाना लूटने का हक नहीं दिया गया था भाइयो। आप मुझे बताइये ये टीआरएस परिवारवादी पार्टी है कि नहीं है, परिवार की पार्टी है कि नहीं है, परिवार के लिए ही पूरा तेलंगाना उनके लिए है कि नहीं है? क्या ये लोकतंत्र के ऊपर छुरा भोंकने के बराबर है कि नहीं है...ये लोकतंत्र की हत्या नहीं हैं क्या? चारों पार्टियां चाहे टीआरएस हो या टीडीपी हो, चाहे मजलिस हो या कांग्रेस हो, ये सारे दल, देश के लोकतंत्र के लिए खतरा बन रहे हैं और इसलिए जो भी भाजपा को पसंद न करते हैं…आपका विचार हो सकता है, मोदी को पसंद नहीं करते…आप का विचार हो सकता है…आप नहीं चाहते थे कि मोदी चुन करके आये…आज भी आपका गुस्सा नहीं गया है...मंजूर है, लेकिन लोकतंत्र के प्रति यदि रत्ती भर भी आपके अंदर कुछ बचा हो तो हिम्मत के साथ बाहर आइये और ये परिवारवादी राजनीति, ये लोकतंत्र के लिए कितना भयंकर खतरा बनने वाली है, उसके विषय में जरा जागरूक हो जाइये।

भाइयो-बहनो, ये चुनाव साफ-साफ एक कसौटी है, लोकतांत्रिक प्रक्रिया की एक कसौटी है कि हम हमारे वोट की ताकत पर वंशवाद, परिवारवाद, जातिवाद, संप्रदायवाद...इन सबको एक साथ खत्म करने के लिए उत्तम से उत्तम मौका है तो सातवीं दिसंबर का आपका मतदान है।

भाइयो-बहनो, ये दोनों.. नामदार केसीआर के लिए अनाप-शनाप बोलते हैं, केसीआर नामदार को सुनाते हैं। ऐसा लगता है दोनों एक-दूसरे को बहुत अच्छी तरह जानते हैं। लगता है कि नहीं लगता है। दोनों एक-दूसरे के गुण बराबर जानते हैं। ये इसके गुणों का वर्णन करते हैं, वो इसके गुणों का वर्णन करते हैं। और ये नामदार उनका प्राब्लम ये है, उनको याद ही नहीं रहता है कि वो कल क्या बोले थे, कब क्या बोले थे, कहां क्या बोले थे, कुछ याद नहीं रहता इसको। उस समय जो पर्ची पकड़ा दी जाती है वो उसी को रट लेते हैं ये नामदार...इसे यहां किसी ने पढ़ा दिया कि आप बता दो कि केसीआर जो है ये टीआरएस पार्टी जो है वो बीजेपी की बी टीम है, ऐसा उन्होंने कहा। मैं जरा आपको याद करना चाहता हूँ, ये पुरानी बात नहीं है, ये उनके गाजे-बाजे बजाने वाले जो राग दरबारी हैं, वो तो उनके गीत गाते रहेंगे लेकिन जो न्यूट्रल है, जो निष्पक्ष है वे इस सच्चाई को उजागर जरूर करेंगे। आपको याद होगा, अभी कुछ ही महीने पहले कर्नाटक में चुनाव हुआ और उस कर्नाटक के चुनाव में और ये नामदार का यही भाषण था कि ये जेडीएस, बीजेपी की बी टीम है। देवेगौड़ा जी की जो पार्टी है...जेडीएस पार्टी है...कर्नाटक में उस समय हर भाषण में वो रटते थे कि बीजेपी की बी टीम है, कि बीजेपी की बी टीम है, कि बीजेपी की बी टीम है। आप जरा बताइये, जब कर्नाटक के चुनाव नतीजे आये, तब सरकार किसकी बनी भाई...कांग्रेस जेडीएस की बनी कि नहीं बनी, कांग्रेस-जेडीएस की बनी कि नहीं बनी, मतलब की ए टीम-बी टीम वो थे कि नहीं थे। कांग्रेस की बी टीम जेडीएस थी कि नहीं थी, कितना झूठ बोलते हैं! अब यहां बोलते हैं कि आप लिख कर रखो वो पीछे के दरवाजे से अभी से सोच रहे हैं, कुछ भी करो बीजेपी घुस न जाए, थोड़ा तुम ले लो, थोड़ा तुम ले लो, बीजेपी को रोको। अगर सचमुच में एक ही चरित्र, एक ही आदत, एक ही तौरतरीके, एक ही सोच अगर किसी में है तो ये दो लोगों में है कांग्रेस और टीआरएस में है। कांग्रेस भी परिवारवादी पार्टी, ये भी परिवारवादी पार्टी। कांग्रेस भी जातिवादी राजनीति करे, ये भी जातिवाद करे। कांग्रेस भी संप्रदायवाद से चले, ये भी संप्रदायवाद से चले। कांग्रेस भी appeasement की पॉलिटिक्स करे, ये भी appeasement की पॉलिटिक्स करे, दोनों ही एक ही सिक्के के दो बाजू हैं, दोनों एक ही सिक्के के दो बाजू हैं।

इसलिए भाइयो-बहनो, अगर सचमुच में तेलंगाना अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए अगर विकल्प की तलाश में है, तो आपके पास एक ही विकल्प बचा है और वो विकल्प का नाम है भारतीय जनता पार्टी। दूसरा, जरा ये बताइये, ये केसीआर जब युवा नेता थे, तब किस पार्टी में काम करते थे भाई, क्या वो यूथ कांग्रेस में थे कि नही थे? वे मंत्री बने... तो उनकी पहली apprenticeship टीडीपी में हुई की नहीं हुई, चंद्रबाबू उनके गुरु रहे कि नहीं रहे, जब वो दिल्ली गये तो मैडम सोनिया जी उनकी गुरु रहीं की नहीं रहीं, वो यूपीए वन में मिनिस्टर बने कि नहीं बने, उनकी apprenticeship वहां हुई कि नहीं हुई? जिनकी शिक्षा-दीक्षा उनके यहां हुई, जिनकी जिंदगी की शुरुआत वहां पर हुई, जो सारी अच्छी-बुरी आदतें वहीं से लेकर के आये, अगर उनकी नेचुरल दोस्ती होगी तो कांग्रेस और टीआरएस की होगी कि नहीं होगी? ए टीम बी टीम वो है कि नहीं है..बताइये भाइयो-बहनो कि आपकी आंख में धूल झोंक रहें हैं कि नहीं झोंक रहे हैं? ये आपको गुमराह कर रहे हैं कि नहीं कर रहे हैं? क्या मेरे हैदराबाद के मतदाता...मेरे तेलंगाना के मतदाता...मैं दिल्ली से आये हुए नामदारों से पूछना चाहता हूँ कि क्या आप इनको ऐसे मानते हो कि आप जो भी झूठ फैलाओगे वो मान लेगें? ये आपके स्वाभिमान पर चोट है…इस प्रकार की भाषा आपके सामने बोलने की वो हिम्मत करते हैं, ये आपके स्वाभिमान पर चोट है। और इसलिए भाइयो और बहनो, ये चुनाव, तेलंगाना के उज्ज्वल भविष्य के लिए चुनाव है। आप मुझे बताइये, आपमें से कोई भी तेलंगाना के उज्ज्वल भविष्य के लिए अपना जीवन लगा सकता है कि नही लगा सकता है? लेकिन ये लोग आये तो आपको गली-मोहल्ले में कुछ करने का मौका मिलेगा क्या, कोई अवसर मिलेगा क्या, यही लोग खा-पीकर करके बैठ जाएंगे कि नहीं बैठ जाएंगे? और इसलिए भाइयो-बहनो, मैं आपसे आग्रह करने आया हूँ कि इस चुनाव में आप वंशवाद, परिवारवाद, जातिवाद, इससे मुक्ति पाने के लिए इस चुनाव का उपयोग करें।

भाइयो-बहनो, हमारे देश के महान विद्वान लोग संविधान सभा में बैठे थे और संविधान सभा में बहुत चर्चा हुई थी कि इस देश में दलितों के साथ, आदिवासियों के साथ सदियों से जो व्यवहार हुआ...हमारे पूर्वजों के द्वारा जो कुछ भी हुआ...इसको धोना...उससे मुक्ति पाने की वर्तमान पीढ़ी की जिम्मेदारी है...और तब जा करके इस देश में शिड्यूल कास्ट-शिड्यूल ट्राइब के लिए आरक्षण को ले करके...उनको समानता की ओर, उनको समान अधिकार देने की ओर ले जाने का महत्वपूर्ण काम किया गया था। उस समय भी संप्रदाय के आधार पर आरक्षण देने की चर्चा हुई थी और कांग्रेस में जो आज लोग दिग्गज नामों के नाम देते हैं, वो भी उसमें बैठे थे। आज राजेन्द्र बाबू का जन्मदिन है, वे भी उसमें बैठे थे और देश के विद्वानों ने भारत की एकता और अखंडता के लिए, भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए, संप्रदाय के आधार पर आरक्षण न देने का फैसला किया था। आरएसएस वाले नहीं थे, तब तो बीजेपी और जनसंघ का जन्म भी नहीं हुआ था, उस समय देश के महापुरुषों ने लंबी सोच के बाद ये निर्णय किया था कि भारत की एकता और अखंडता के लिए, भारत में समरस समाज के निर्माण के लिए, माइनॉरिटी के नाम पर आरक्षण का खेल कतई होना नहीं चाहिए। भाइयो-बहनो, मैं हैरान हूँ, ये सत्ता के भूखे लोग, अपने परिवार के लिए कुर्सी बचाने के लिए, देश के अनगिनत महापुरुषों ने डंके की चोट पर जिस पाप को पाप कहा था, जिस बात को न करने के लिए आवाज उठायी थी और देश की संविधान सभा ने स्वीकार किया था वो माइनॉरिटी को आरक्षण देने का खेल, ये देश के साथ गद्दारी है कि नहीं है भाइयो-बहनो? संविधान सभा का अपमान है कि नहीं है...डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर का अपमान है कि नहीं है...संविधान सभा में बैठे हुए महापुरुषों को अपमानित करने का कृत्य है कि नहीं है?

भाइयो-बहनो, अरे चुनाव आयेंगे और जायेंगे, सत्ता आयेगी-जाएगी, पार्टियां बनेंगी बिगड़ेंगी, लेकिन ये देश बना रहे, ये जिम्मेवारी देश के हर नागरिक की है। देश के हर राजनीतिक दल की है, देश के हर राजनेता की है। मुझे बताइये और ये माइनॉरिटी के नाम पर आरक्षण...इसकी बातें कर रहे हैं, ये लाएंगे कहां से, सुप्रीम कोर्ट ने तो सीमा बांध करके रखी है, उसके ऊपर तो जा नहीं पायेंगे, इसका मतलब जो दलितों का हक है, कुछ उसमें से चुरा लेंगे, कुछ जनजाति का हक है, एसटी का है, उसमें से चुरा लेंगे...कुछ जो ओबीसी को हक मिला है, उसमें से चुरा लेंगे। अपनी कुर्सी बचाने के लिए, ये जो आपको हक मिला है, उसमें से पिछले दरवाजे से उसमें से चोरी करने का खेल चल रहा है। क्या आप ये जाने देंगे क्या… ये पाप होने देंगे क्या… क्या संप्रदाय के नाम पर आरक्षण होना चाहिए क्या? क्या देश को एक रखने के लिए समानता होनी चाहिए कf नहीं होनी चाहिए? भाइयो-बहनो, ये जो तूफान उठाया हुआ है...चाहे नामदार हों और चाहे नामदार के apprenticeship करके जो आये हैं, जो इतने साल यहां मुख्यमंत्री रहे हैं।

भाइयो-बहनो, अटल बिहारी वाजपेयी ने भी राज्यों का निर्माण किया था, तीन राज्य बनाए थे। मध्य प्रदेश में से छत्तीसगढ़ बना, उत्तर प्रदेश में से उत्तराखंड बना, बिहार में से झारखंड बना और तब लालू यादव जैसे लोग घोषणा करते थे कि झारखंड बनेगा तो मेरे सीने पर से बनेगा, यहां भी ऐसे लोग थे। आन्ध्र में ऐसे लोग थे ऐसा नहीं था लेकिन भाइयो-बहनो, वाजपेयी जी ने जिस कुशलता के साथ सबको विश्वास में ले करके तीन राज्यों का निर्माण किया, न कोई खून-खराबा हुआ, न कोई जहर बोये गये, हंसते-खेलते राज्यों का निर्माण हुआ। और वो राज्य जो नया राज्य बनने का जो उमंग था, जो उत्साह था, जिस तेजी से उन्होंने प्रगति की, बीमारू कहे जाने वाले इन राज्यों को जैसे ही छोटे राज्य के रुप में जगह मिली, वो आज हिन्दुस्तान के तेज गति से दौड़ने वाले राज्य बन गये। क्योंकि उनको ऐसी लीडरशिप मिली, प्रारंभिक काल से भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व मिला, ये तीनों राज्य प्रगति कर गये। क्या कारण है कि तेलंगाना के पांच साल बरबाद हो गये, एक परिवार की भलाई के लिए एक परिवार के अंहकार के लिए तेलंगाना अनेक गुना हिन्दुस्तान को आगे ले जाने की ताकत रखता है, तेलंगाना छोटी ताकत नहीं है, वो खुद तो आगे बढ़ सकता है, देश को आगे ले जाने की ताकत रखता है, इतना सामर्थ्य इस तेलंगाना में है। लेकिन लोग ऐसे बैठ गये, लीडरशिप ऐसी आ गई और तेलंगाना आंदोलन की भावनाओं का लाभ उठा करके, सारी भावनाओं को परिवार में समेट लिया भाइयो-बहनो। तेलंगाना के नौजवानों का क्या होगा, इसकी उनको परवाह नहीं है। इसलिए मैं कहता हूँ पांच साल बरबाद हो चुके हैं, और बरबाद मत होने दीजिए।

आप अपने भविष्य के लिए सोचिए, अपने बच्चों के भविष्य के लिए सोचिए। देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य तेलंगाना कैसे बने, इस पर सोचिए और जब ‘सबका साथ सबका विकास’ ये मंत्र होता है, तभी ये संभव होता है। सिर्फ वोट बैंक के खेल खेलने से विकास की यात्राएं नहीं चलती हैं भाइयो-बहनो। और इसलिए आज मैं आग्रह करने आया हूँ कि आप इस दिशा में आगे बढ़िए। भाइयो-बहनो, आज तेलंगाना के विकास के लिए हम राजनीतिक भेदभाव देखने वाले लोगों में से नहीं हैं, किसी भी दल की सरकार क्यों न हो लेकिन तेलंगाना मेरा देश का हिस्सा है, मेरा ही देश तो है ये और इसलिए दिल्ली सरकार विकास के मामले में कभी कोई कोताही नहीं बरती है। तीस हजार करोड़ से ज्यादा के प्रोजेक्ट तेलंगाना को हमने समर्पित किए। आठ हजार करोड़ रुपये के दस बड़े रेलवे के प्रोजेक्ट चल रहे हैं। मेट्रो आन-बान-शान के साथ आप देख रहे हैं भाइयो और बहनो...इतना ही नहीं दस हजार करोड़ रुपये के हाईवे प्रोजेक्ट, इसका काम तेजी से चल रहा है क्योंकि हम जानते हैं, देश का भविष्य, देश की युवा पीढ़ी का भविष्य, देश के गरीब से गरीब व्यक्ति का भविष्य, विकास के बिना बदल नहीं सकता है। वोट बैंक की राजनीति से जिंदगियां नहीं बदलती हैं, सरकारें बनती होंगी, जीवन नहीं बनते हैं भाइयो। हम जीवन बनाना चाहते हैं, सपनों को सजाना चाहते हैं, सपनों को संकल्प में परिवर्तित करना चाहते हैं और हम यहां की स्थिति बदलना चाहते हैं।

भाइयो-बहनो, ये कैसे लोग हैं, मैं आपको बताना चाहता हूँ। हमने एक सपना लिया है और मेरा सपना-आपका सपना अलग नहीं हो सकता है। आपके पास पक्का घर होगा, आपके पास रहने के लिए बंग्लो होगा, हो सकता है एक से अधिक घर हो, घर के पास गाड़ी खड़ी होगी, आपके पास सब कुछ होगा लेकिन अगर आपको मैं पूछूँ...क्या हिन्दुस्तान में हर गरीब के पास, जिसके पास अपना घर नहीं है, अपनी मालिकी का घर नहीं है, ऐसे हर हिन्दुस्तानी को उसका अपने मालिकी का घर मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए। मिलना चाहिए कि नही मिलना चाहिए। आपके पास खुद का घर है लेकिन आपका मन करता है कि मेरा देश का कोई व्यक्ति बिना घर का, फुटपाथ पर, झुग्गी झोपड़ी में जिंदगी न गुजारे, ये आपका सपना है कि नहीं है...ये आपका सपना पूरा करने के लिए मैंने बीड़ा उठाया है। 2022, आजादी के 75 साल होंगे, 2022 आजादी के 75 साल होंगे और हमने ठान कर रखी है कि इस देश में हर परिवार के पास अपना पक्का घर होगा...और घर भी सिर्फ चारदीवारें नहीं, पक्का घर होगा...घर में नल होगा, नल में जल होगा, बिजली भी होगी, गैस का चूल्हा होगा, शौचालय होगा और घर पुरुष के नाम पर नहीं, उस परिवार की महिला के नाम होगा, महिला मालिक बनेगी। अब आप कहेंगे, मोदी जी हर चुनाव में लोग बोलते ही हैं, ये सही है। इतना झूठ बोला जा चुका है, इतना झूठ बोला जा चुका है, सारी पार्टियों ने ऐसी आदत डाल दी है कि लोग ऐसी चीजों को गंभीरता से नहीं लेते हैं लेकिन मैं आपको इसलिए कह रहा हूँ कि अब तक 1 करोड़ 25 लाख से ज्यादा...और ये मेरा चार साल का हिसाब दे रहा हूँ...1 करोड़ 25 लाख से ज्यादा परिवारों को घर की चाबी दे दी गई और ये दिवाली उन्होंने मनायी...ये दिवाली उन्होंने अपने पक्के नये घर में मनायी। और ये काम भी बहुत तेजी से चल रहा है।

भाइयो और बहनो, अगर लीडरशिप में दम न हो, लीडरशिप अगर परिवार का भला ही देखती हो, बेटा-बेटी, चाचा-चाची, मामा-मामी-मासी, इसी में लगा रहता हो...तो तेलंगाना में ये काम नहीं हुआ। हिन्दुस्तान में हुआ, तेलंगाना में सिर्फ पांच हजार घर बने, सिर्फ पांच हजार घर बने। ऐसी सरकार चलाते हो क्या? दिल्ली सरकार पैसे दे रही है, काम आगे बढ़ाना चाह रही है, आप नहीं कर रहे। भाइयो-बहनो, कांग्रेस के नामदार से भी मैं कहना चाहता हूँ, यूपीए वन, यूपीए टू मैडम की रिमोट कन्ट्रोल वाली सरकार दिल्ली में चलती थी, मोदी ने चार साल में 1 करोड़ 25 लाख घर की चाबी सुपुर्द कर दी...ये मैडम...उनकी रिमोट कन्ट्रोल वाली सरकार और उस सरकार में आपको जानकर सदमा पहुंचेगा...सिर्फ अठारह हजार घर शहरी आवास के बने थे, सिर्फ अठारह हजार घर। भाइयो-बहनो, शहरी क्षेत्रों में, शहरी क्षेत्रों में हमने 12 लाख घर चार साल में बना दिए, उन्होंने दस साल में अठारह हजार...हमने चार साल में 12 लाख घर बनाकर के दे दिया। इसलिए मैं कहता हूँ भाइयो और बहनो, अगर नेतृत्व सही हो, नीयत साफ हो, नीति स्पष्ट हो और जनता-जनार्दन ही हमारा परिवार हो तो सपने सिद्ध होते हैं, ये हमने करके दिखाया है। और भाइयो-बहनो, मैंने काम को और गति दी है...12 लाख पूरा कर लिया है... कुछ में थोड़ा थोड़ा काम बाकी है...उसको मैं गिनता नहीं हूँ, इसलिए मैं कहता हूँ कि मार्च महीने तक 25 लाख तक शहरों में पूरा कर दूंगा। 25 लाख शहरी घर बनाने का काम पूरा दूंगा।

भाइयो-बहनो, गरीबों के लिए शहरों में और 65 लाख मकानों की स्वीकृति दे दी है, यानि मार्च महीने के बाद जो काम चलेगा उसमें हमारा टारगेट शहरों के गरीबों के लिए 65 लाख का है। 2022 का सपना कैसे पूरा होगा उसका मिनट टू मिनट टाइमटेबल बना करके हम देश के लोगों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं। भाइयो-बहनो, मध्यम वर्ग का परिवार किराए के घर में रहता है...उसका भी मन करता है...उसका भी खुद का घर हो, बच्चे बड़े हैं, शादी होनेवाली है, उनके लिए भी एक कमरा चाहिए, घर चाहिए। 70 साल में किसी भी सरकार ने मध्यमवर्गीय परिवारों को घर बनाने के लिए ब्याज में मदद करने की कभी कोई योजना नहीं बनाई थी। हमने 18 लाख रुपया तक कमाने वाले लोगों को घर बनाने के लिए ये सारी सुविधाएं देने का एक अहम फैसला लिया और उसके कारण आज मध्यमवर्गीय परिवार भी अपना खुद का घर बनाने  में सफल हुए हैं।

भाइयो-बहनो, इतना ही नहीं, उज्ज्वला योजना लेकर हम चले और गैस का चूल्हा देना...पुरानी सरकार में तो गैस कनेक्शन चाहिए, तो एमपी को कतार लगानी पड़ती थी...हम गरीबों के घर के सामने जा करके खड़े हो गये और सामने से पूछा। भाइयो-बहनो, इस देश में आजादी के बाद जितने गैस कनेक्शन दिए थे, उतने गैस कनेक्शन हमने चार साल में दे दिए। जो काम साठ-पैंसठ साल में हुआ था वो काम हमने चार साल में कर दिया। काम कैसे होता है भाइयो-बहनो...हमने एक एलईडी बल्ब की योजना चलायी, जिसके कारण मध्यम वर्ग के परिवार के जेब में, किसी का महीने में 100 रुपया बच रहा है, किसी का दो सौ बच रहा है, किसी का पांच सौ बच रहा है। बिजली के बिल में कटौती आयी, देश में 16 हजार करोड़ रुपयों की बचत हुई और ये कांग्रेस के नामदार के जमाने में जो एलईडी बल्ब चार सौ-साढ़े चार सौ में बिकता था, ये कौन बिचौलिए खाते थे, वो तो वो जाने, हमने आ करके उसकी कीमत 30-40 रुपये कर दी भाइयो। कहां चार सौ-साढ़े चार सौ का एलईडी बल्ब...ये मेरे मध्यम वर्ग के परिवार को काम आया और 16 हजार करोड़ रुपये की बचत मेरे मध्यमवर्गीय परिवारों के जेब में हुई है, काम ऐसे होता है।

भाइयो-बहनो, आपको मालूम होगा कि मोबाइल फोन का बिल कितना आता था, आज मिस्ड कॉल नहीं करना पड़ रहा है। कोई भुगतान के बजाय आप अपने रिश्तेदार कहीं भी रहता हो, आप बात करते हो, ये कैसे संभव हुआ भाई, इसका कारण एक ही है...पहले ये ऑपरेटरों के पास से माल खाया जाता था आप से लिया जाता था, उनको दिया जाता था, हमने सब चोरी बंद कर दी। हेल्दी कॉपिटिशन कर दिया और आज मोबाइल फोन मुफ्त में हो गया...कर दिया...और डेटा, डेटा भी आज से पहले आपका एक-एक हजार रुपये का बिल आता था ...आज भाइयो-बहनो, उस परिवार का 70-80 रुपयों मे काम पूरा हो जाता है, ये काम हमने करके दिया है। और इसलिए भाइयो और बहनो विकास के लिए स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया, मेरे देश का नौजवान अपने पैर पर खड़ा रहना चाहता है, 14 करोड़ मुद्रा योजना के लोन स्वीकृत हुए हैं, बिना बैंक गांरटी, मेरा देश का नौजवान बैंक के पास जाएगा, अपने कागज रखेगा और उसको पैसे मिल रहे हैं। कोई अपना सैलून चला रहा है, कोई टैक्सी ला रहा है, कोई ऑटो ला रहा है, कोई गेस्ट हाऊस बना रहा है, कोई कोचिंग क्लास शुरू कर रहा है, कोई कपड़े के फेरी लगा रहा है...अपने पैरों पर खड़ा हो रहा है और औरों को भी रोजगार देने की ताकत के साथ खड़ा हो रहा है। और इसलिए भाइयो-बहनो, आयुष्मान भारत योजना...ये नामदार उसका भी मजाक उड़ा रहे हैं और मैं हैरान हूँ, अभी दो महीने हुए... तीन लाख से ज्यादा लोगों ने गंभीर बीमारी के लिए इस देश के महंगे अस्पतालों में जा करके ऑपरेशन करवाये, गरीब कभी सोच नहीं सकता था कि उसका ये आपरेशन होगा और वो ठीक होगा और वो घर में कुछ कर पायेगा वो सोचा नहीं, उसने मान लिया था-वो मौत का इंतजार कर रहा था। दो महीने में तीन लाख लोगों को ये मदद मिली। पांच लाख रुपये तक का खर्च भारत सरकार ने दिया, किसी परिवार के सिर पर एक रुपये का खर्चा नहीं आया, उसके लिए जीवन वरदान बन गया, लेकिन इन तीन लाख में, तेलंगाना का एक भी नहीं है क्यों...क्योंकि यहां के मुख्यमंत्री ने ताला मार दिया है। वो कहते हैं कि मुझे आयुष्मान भारत नहीं चाहिए। अगर ऐसी रुकावटें डालने वाली यहां सरकार होगी, तो आपका भला कैसे होगा भाइयो-बहनो। और इसलिए नामदार ने देश को तबाह किया है और ये परिवार ने तेलंगाना को तबाह किया है।

मैं आज आपसे आग्रह करने आया हूँ, सात तारीख को भारी मात्रा में मतदान करके, भारतीय जनता पार्टी के कमल निशान पर बटन दबा करके,  भारतीय जनता पार्टी को विजयी बनाइये। एक बार हम पर भरोसा करके देखिए। हमने हिन्दुस्तान को बदल दिया है, हम तेलंगाना को बदल कर रहेंगे, ये विश्वास मैं दिलाने आया हूँ और मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ, तेलंगाना में आप बीजेपी की सरकार बनाइए, मैं कंधे से कंधा मिलाकर आपके साथ चलूंगा। आपका मुझपर पूरा अधिकार रहेगा, आपकी भलाई के लिए आपके सपनों को पूरा करने के लिए मैं कभी भी पीछे नहीं हटूंगा, ये विश्वास देने के लिए आया हूँ आज आपके पास। मेरे साथ दोनों हाथ ऊपर करके बोलिए..भारत माता की...जय...भारत माता की...जय...भारत माता की...जय! बहुत-बहुत धन्यवाद।

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PM to participate in ‘Odisha Parba 2024’ on 24 November
November 24, 2024

Prime Minister Shri Narendra Modi will participate in the ‘Odisha Parba 2024’ programme on 24 November at around 5:30 PM at Jawaharlal Nehru Stadium, New Delhi. He will also address the gathering on the occasion.

Odisha Parba is a flagship event conducted by Odia Samaj, a trust in New Delhi. Through it, they have been engaged in providing valuable support towards preservation and promotion of Odia heritage. Continuing with the tradition, this year Odisha Parba is being organised from 22nd to 24th November. It will showcase the rich heritage of Odisha displaying colourful cultural forms and will exhibit the vibrant social, cultural and political ethos of the State. A National Seminar or Conclave led by prominent experts and distinguished professionals across various domains will also be conducted.