विशाल संख्या में पधारे हुए काशी के मेरे युवा साथियो। काशी के आप सभी भाई-बंधु, भगिनी को मेरा प्रणाम बा।
हमरे काशी के लोगन हमें एतना प्यार देलन सच में मन हृदय गदगद होई जाला। आप लोगन के बेटा हई, समय निकाल बार-बार काशी आवे का मन करेला।
भाइयो और बहनों, हर-हर महादेव।
मेरे लिए ये सौभाग्य की बात है देश के लिए समर्पित एक और वर्ष की शुरूआत, मैं बाबा विश्वनाथ और मां गंगा के शुभाशीष से कर रहा हूं। आप सभी का ये स्नेह, ये आशीर्वाद मुझे हर पल प्रेरित करता और सभी देशवासियों की सेवा के संकल्प को और मजबूत करता है।
साथियो, इसी सेवा भाव को आगे बढ़ाने के लिए आज यहां साढ़े पांच सौ करोड़ रुपये से ज्यादा रकम के projects का या तो लोकार्पण हुआ है या फिर शिलान्यास हुआ है।
विकास के ये कार्य बनारस शहर ही नहीं, बल्कि आसपास के गांवों से भी जुड़े हैं। इनमें बिजली, पानी जैसी मूलभूत आवश्यकताओं से जुड़ी परियोजनाएं तो हैं ही, साथ में किसानों, बुनकरों और शिल्पकारों को नए अवसरों से जोड़ने वाले प्रोजेक्ट भी शामिल हैं।
इतना ही नहीं, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय को 21वीं सदी का महत्वपूर्ण knowledge centreबनाने के लिए भी कई projects की शुरूआत की गई है। इन परियोजनाओं के लिए मैं बनारस के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं।
साथियो, मैं जब भी आपके बीच आता हूं तो एक बात जरूर याद दिलाता हूं, हम काशी में जो भी बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं, वो उसकी परम्पराओं को संजोते हुए, उसकी पौराणिकता को बचाते हुए किया जा रहा है। अनंतकाल से जो इस शहर की पहचान रही है, उसे सुरक्षित करते हुए इस शहर में आधुनिक व्यवस्थाओं का समावेश किया जा रहा है।
चार-सवा चार वर्ष पहले जब काशीवासी बदलाव के इस संकल्प को ले कर निकले थे, तब और आज में अंतर स्पष्ट दिखाई देता है। दिखता है ना? अंतर दिखता है कि नहीं दिखता है? बदलाव नजर आ रहा है? धरती पर परिवर्तन दिख रहा है? धन्यवाद।
वरना आप तो उस व्यवस्था के गवाह रहे हैं जब हमारी काशी को भोले के भरोसे अपने हाल पर छोड़ दिया गया था। आज मुझे बहुत संतोष है कि बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से हम वाराणसी को विकास की नई दिशा देने में सफल हुए हैं।
वरना बरसों पहले के वो भी दिन थे जब काशी की ध्वस्त हो रही व्यवस्थाओं को देखकर यहां आने वाले हर व्यक्ति का मन उदास हो जाता था। बिजली के तारों के जाल, उसी की तरह ये शहर भी अपनी अव्यवस्थाओं में उलझा हुआ था। और इसलिए मैंने ठाना था कि काशी की चौतरफा अव्यवस्था को, चौतरफा विकास में बदलना है।
आज काशी में हर दिशा में परिवर्तन हो रहा है। मुझे याद है सांसद बनने से पहले भी जब मैं यहां आता था तो शहर भर में बिजली के लटकते तारों को देखकर हमेशा सोचता था कि आखिर कब बनारस को इससे मुक्ति मिलेगी? आज देखिए, शहर के एक बड़े हिस्से से लटकते हुए तार गायब हो गए हैं। बाकी जगहों पर भी इन तारों को जमीन के भीतर बिछाने का काम तेजी से जारी है।
आज बिजलीकरण से जुड़े जिन पांच बड़े projects का लोकार्पण किया गया है, उनमें पुरानी काशी को बिजली के लटकते तारो से मुक्ति का भी काम उसमें शामिल है। इन सभी projects से वाराणसी शहर के अलावा आसपास के अनेक गांवों को पर्याप्त बिजली देने के लक्ष्य को और बल मिलने वाला है। इसके अलावा आज एक और विद्युत उपकेन्द्र का शिलान्यास किया गया है। जब ये तैयार हो जाएगा तो आसपास के बहुत बड़े क्षेत्र को कम वोल्टेज की समस्या से छुटकारा मिलेगा।
साथियो, वाराणसी को पूर्वी भारत के Gate Way के तौर पर विकसित करने का भरसक प्रयास हो रहा है। और इसलिए सरकार की प्राथमिकता वाराणसी को World class infrastructure से जोड़ने की है। 21वीं सदी की आवश्यकता के अनुरूप ट्रांसपोर्ट हो, मेडिकल सुविधाएं हों, शिक्षा सुविधाएं हों; सभी का विकास किया जा रहा है।
आज काशी LED की रोशनी से जगमगा रही है। शहर की सड़कों- उस पार रात में भी मां गंगा का प्रवास दिखता है।LED Bulb से रोशनी तो हुई है, आप लोगों के बिजली के बिल में भी बहुत कमी आई है। वाराणसी नगर निगम ने LED Bulb लगने के बाद करोड़ों करोड़ रुपये की बचत की है।
साथियों, चार वर्ष पहले जो काशी आया था, वो जब आज काशी को देखता है तो उसे नई सड़कों का विस्तार होते हुए दिखता है। बरसों से बनारस में Ring road की चर्चा हो रही थी, लेकिन इसका काम फाइलों में दबा हुआ था। 2014 में सरकार बनने के बाद काशी में Ring road की फाइल को फिर से निकाला गया है। लेकिन यूपी में पहले की सरकार ने इस प्रोजेक्ट में गति नहीं आने दी। उनको चिंता हो रही थी, कहीं ये काम हो गया तो मोदी का जय-जयकार हो जाएगा, और इसलिए दबा करके बैठे थे।
लेकिन जैसे ही आप सबने योगीजी की सरकार बनाई, सरकार बनने के बाद अब ये काम बहुत तेजी से पूरा किया जा रहा है।हरहुआ से गाजीपुर तक चार लेन सड़क का काम लगभग पूरा होने को है।हरहुआ से राजा तालाब और चंदौली तक एक नए सर्किट को तैयार करने पर तेजी से काम चल रहा है। इस रास्ते में गंगा पर एक पुल भी बनाया जाएगा, जिससे बनारस में आने वाले बड़े ट्रकों की संख्या कम हो जाएगी।
साथियो, काशी रिंग रोड के निर्माण से सिर्फ काशी ही नहीं, आसपास के अनेक जिलों को भी लाभ होने वाला है। बिहार, नेपाल, झारखंड , मध्य प्रदेश; वहां जाने के लिए यहां से निकल रही सड़कों का बहुत ही महत्व है। यही कारण है कि वाराणसी शहर के भीतर और वाराणसी को दूसरे राज्यों से जोड़ने वाली सड़कों को चौड़ा किया जा रहा है, उनको विस्तार दिया जा रहा है।वाराणसी हनमना यानी नेशनल हाईवे नंबर-7, वाराणसी-सुल्तानपुर मार्ग, वाराणसी-गोरखपुर सेक्शन, वाराणसी-हंडिया सड़क संपर्क पर भी हजारों करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
भाइयो और बहनों, बनारस के भीतर भी हजारों करोड़ रुपये की अनेक सड़क परियोजनाएं चल रही हैं। महमूरगंज से मंडुआडीह आने-जाने वालों को पहले कितनी दिक्कत होती थी। स्कूल आने-जाने वाले बच्चों को किस प्रकार मुश्किलें झेलनी पड़ती थीं; ये भी आपको याद कराने की जरूरत नहीं है। बरसों के इंतजार के बाद मंडुआडीह फ्लाईओवर का काम भी पूरा हो चुका है। वहीं गंगा नदी पर बने सामनेगाट पुल के पूरा होने से रामनगर आना-जाना और आसान हुआ है। शहर का अंधुरा पुल जितना पुराना था, उतनी ही पुरानी उसे चौड़ा करने की मांग थी। कई दशकों से अंधुरा पुल को चौड़ा पूर्ण करने का काम अटका हुआ था। इस काम को भी पूरा किया गया है। इसके अलावा बोजूविड-सिंदौरा मार्ग को चौड़ा करने का काम, शिवपुर-फुलवरिया मार्ग को 4 Lane करने का काम, राजा तालाब पुलिस चौकी से जखिनी तक सड़क के चौड़ीकरण का काम हो, शहर के अलग-अलग हिस्सों में आज तेज गति से काम चल रहा है।आस्था और पर्यटन की दृष्टि से अहम पंचकोसी मार्ग के विकास का कार्य भी तेज गति से चल रहा है।
भावतपुल से कचहरी मार्ग तक बन रही सड़क पर लगभग 750 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। पहले ये सड़क कितनी संकरी थी, इससे आप सभी भली-भांति परिचित हैं। कुछ ही मिनटों का रास्ता तय करने में घंटों का समय लग जाता था। भारी जाम के कारण कई बार फ्लाईट तक, ट्रेन तक छूट जाती थी। जब से ये सड़क पूरी तरह से तैयार हो जाएगी, तो इन सभी समस्याओं से मुक्ति मिलना सुनिश्चित है।
साथियो, वाराणसी में हो रहे विकास के गवाह यहां एयरपोर्ट पर आने वाले लोग भी बन रहे हैं। हवाई जहाज से बनारस आने वाले लोगों और टूरिस्टों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। चार साल पहले जहां बावतपुर एयरपोर्ट पर आठ लाख लोग आते-जाते थे, अब ये आंकड़ा 21 लाख पर पहुंच गया है।
स्मार्ट बनारस में स्मार्ट परिवर्तन हों, इसके लिए ट्रांसपोर्ट के हर तरीके को आधुनिक बनाने का काम हो रहा है। ट्रैफिक व्यवस्था को integrate किया जा रहा है ताकि किसी एक परिवहन व्यवस्था पर बोझ न पड़े। यहां बन रहा integrated command और control centreपूरे शहर के प्रशासन और पब्लिक सुविधाओं पर नियंत्रण करने वाला है।
बनारस और बनारस में तेजी से बन रही multi model terminal का काम पूरा होने पर ये शहर transport और logistic के बड़े hub के तौर पर भी उभरने वाला है। इससे सड़क, रेल और जल-परिवहन, तीनों ही connectivity बढ़ेंगी, जिसका बड़ा लाभ यहां के व्यापार और उद्योग को मिलने वाला है।
साथियो, काशी आने-जाने वालों का समय बचे, इसलिए गंगा पर फेरी चलाने की योजना पर काम हो रहा है। वाराणसी से हल्दिया तक national water way no-1 का काम भी जारी है। CNG से गाड़ियां चलाने की दिशा में तेज गति से काम हो रहा है।
भाइयो और बहनों, सोशल मीडिया पर जब लोगों को खुशी में वाराणसी कैंट स्टेशन की तस्वीरें पोस्ट करते हुए देखता हूं तो मेरी प्रसन्नता भी दोगुना हो जाती है।कैंट स्टेशन होमंडुआडीह हो या फिर सिटी स्टेशन; सभी पर विकास के कार्यों को गति दी गई है। उन्हें आधुनिक बनाने का काम किया जा रहा है।रेल से काशी आने वालों को अब स्टेशन पर ही नई काशी की तस्वीर नजर आती है।
साथियो, इसके अलावा वाराणसी को इलाहाबाद और छपरा से जोड़ने वाले ट्रैक की doubling का काम प्रगति पर है। वाराणसी से लेकर बलिया तक विद्युतीकरण का काम भी पूरा हो चुका है। वाराणसी-इलाहाबाद सिटी खंड के दोहरीकरण और विद्युतीकरण का कार्य जारी है।
Infrastructure के साथ-साथ वाराणसी की देश के बाकी हिस्सों से रेल connectivity में भी कई गुना बढ़ोत्तरी हुई है। वाराणसी से अनेक नई गाड़ियों की शुरूआत पिछले चार साल में की गई है। वाराणसी से नई दिल्ली, वड़ोदरा, पटना जाने के लिए अलग-अलग महामना एक्सप्रेस, वाराणसी-पटना जनशताब्दी एक्सप्रेस जैसी आधुनिक सुविधाओं वाली ट्रेनों ने भी सभी का ध्यान खींचा है। हुबली हो, मैसूर हो, गोहाटी हो; देश के अन्य शहरों के साथ वाराणसी का रेल संपर्क और मजबूत हुआ है।
साथियो, आज काशी में न सिर्फ आना-जाना आसान हो रहा है, बल्कि शहर के सौंदर्य को भी निखारा गया है। हमारे घाट अब गंदगी से नहीं, रोशनी से अतिथियों का सत्कार करते हैं। मां गंगा के जल में अब नाव के साथ-साथ कुरुंज की भी सवारी संभव हो पाई है। हमारे मंदिर, पूजा-स्थलों तक श्रद्धालुओं को पहुंचने में मुश्किल न हो, इसके इंतजाम किए गए हैं। पर्यटन से परिवर्तन का ये अभियान निरंतर जारी है।
भाइयो और बहनों, बीते चार वर्षों से काशी की विरासत हमारी धरोहरों को संजोने का, उन्हें संवारने का काम किया जा रहा है।मैदागिरसित टाउन हाल वो जगह है जहां गांधीजी ने स्वतंत्रता आंदोलन की अलख जगाई थी। हम हरितेज भवन का गौरव फिर लौटाने का काम किया गया है। ये फिर से अपने मूल स्वरूप में दिखने लगा है।
वाराणसी के बड़े और मुख्य पार्कों का जीर्णोद्धार, विकास और सौन्दर्यीकरण भी किया गया है। सारनाथ में पर्यटकों के लिए light and sound show की व्यवस्था की गई है। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए Budha theme park, सारंगनाथ तालाब, गुरूधाम मंदिर, मार्कण्डेय महादेव मंदिर जैसे आस्था से जुड़े अनेक स्थलों का सौन्दर्यीकरण भी किया जा चुका है।
भैरव कुंड, सांरगनाथ कुंड, लक्ष्मी कुंड और दुर्गा कुंड की साफ-सफाई और सौन्दर्यीकरण का कार्य पूरा हो चुका है। पिछले चार सालों में दूसरे देशों के अनेक शीर्ष नेताओं का स्वागत काशी वासियों ने किया है, अद्भुत स्वागत किया है। जापान के प्रधानमंत्री सिंजोआबे, फ्रांस के राष्ट्रपति मैंकरो, जर्मनी के राष्ट्रपति फैंक वाल्टर ने काशी के आतिथ्य को सारी दुनिया में सराहा है, जहां गए उसकी बात की है। जापान ने तो काशी के लिए convention centreका भी तोहफा दिया है।
साथियो, बनारस के आतिथ्य पर अगले वर्ष की शुरूआत में भी दुनियाभर की नजरें होंगी। जनवरी में दुनियाभर में बसे भारतीयों का कुंभ, यहां काशी में लगने वाला है। और इसके लिए सरकार अपने स्तर पर काम कर रही है। लेकिन आपका सहयोग भी आवश्यक होगा। एक-एक काशीवासी को इसके लिए आगे आना होगा। काशी की गली-गली, नुक्कड़, चौराहे पर बनारस का रस, बनारस का रंग, बनारस की सांस्कृतिक विरासत नजर आनी चाहिए। साफ-सफाई से लेकर आतिथ्य-सत्कार की ऐसी मिसाल हमें बनानी है कि हमारे प्रवासी भाई-बहन जीवन भर याद रख सकें। और मैं तो चाहूंगा कि प्रवासी भारतीय दिवस में दुनियाभर के जो लोग यहां आएंगे, वो ऐसा अनुभव करके जाएं, ऐसा अनुभव करके जाएं कि वो हमेशा के लिए काशी के टूरिज्म के ambassador बन जाएं। वो जहां जाएं, काशी की तारीफ करते रहें।
भाइयो और बहनों, स्वच्छता के मामले में भी काशी ने परिवर्तन देखा है। आज यहां के घाटों, सड़कों और गलियों में स्वच्छता स्थाई बनती जा रही है। न सिर्फ साफ-सफाई बल्कि कूड़े के निस्तारण के भी ठोस उपाय किए गए हैं। कूड़े से आधुनिक तकनीक द्वारा खाद बनाने का काम भी किया जा रहा है। करसरा में कचरे से खाद बनाने का बहुत बड़ा कारखाना स्थापित किया गया है। हर रोज सैंकड़ो मीट्रिक टन कूड़े का निस्तारण हो रहा है। कूड़े से कम्पोस्ट खाद बनाने का काम हो रहा है। करसरा में ही waste and energy plant की भी स्थापना की गई है। इस प्लांट से बिजली पैदा करने का काम किया जा रहा है। इसके अलावा भवनिया पोखरी, पहाड़िया मंडी और आईडीए परिसर में बायो फ्यूल बनाने वाले प्लांट स्थापित किए गए हैं।
साथियो, मां गंगा की सफाई के लिए गंगोत्री से लेकर गंगा सागर तक एक साथ प्रयास चल रहे हैं। सिर्फ साफ-सफाई ही नहीं, बल्कि शहरों की गंदगी गंगा में न गिरे, इसके लिए भी प्रबंध किया जा रहा है। और इसके लिए अब तक लगभग 21 हजार करोड़ की 200 से अधिक परियोजनाओं को स्वीकृति दी जा चुकी है।
बनारस में भी 600 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं सिर्फ इस मकसद से शुरू की गई हैं। बिनापुर और रामाणा मेंसीवरेज ट्रिपल प्लांट का निर्माण तेज गति पर है। सीवर प्लांट के साथ-साथ उससे जुड़े infrastructure पर भी काम किया जा रहा है। शहर भर में हजारों नए सीवर चैंबरों के निर्माण के साथ-साथ 150 से अधिक सामुदायिक शौचालायों का निर्माण भी किया जा चुका है।सीवर के साथ-साथ पेयजल की व्यवस्था सुधारने के लिए काम जारी है। हजारों घरों में पानी को कनेक्शन और पानी के मीटर लगाने का भी काम तेज गति से आगे बढ़ रहा है।
साथियो, वाराणसी शहर ही नहीं, बल्कि आसपास के गांवों को भी सड़क, बिजली, पानी जैसी सुविधाएं पहुंचाई गई हैं। सांसद के रूप में जिन गांवों को विशेष रूप से विकसित करने का जिम्मा मेरे पास है, उनमें से एक नागेपुर गांव के लिए आज पानी के बड़े प्रोजेक्ट का लोकर्पण किया गया है। नागेपुर हो, जयापुर हो, ककरिया हो या डोमरी हो, सभी गांवों को पूरी तरह सड़क, पानी, बिजली, जल जैसी सुविधाओं से जोड़ा जा रहा है।खेलकूद के लिए मैदान, स्वरोजगार के केंद्र, खेती-किसानी की बेहतर व्यवस्था और उचित स्वास्थ्य सेवाओं जैसे अनेक इंतजाम किए जा रहे हैं।
साथियो, आपके सक्रिय सहयोग से काशी आज पूर्वी भारत के एक health hub के रूप में उभरने लगा है। अलग-अलग क्षेत्रों में बन रहे नए अस्पताल आने वाले दिनों में वाराणसी को पूरे पूर्वी भारत का बड़ा मेडिकल सेंटर बनाने जा रहे हैं। बीएचयू में बना आधुनिक ट्रोमा सेंटर हजारों लोगों के जीवन को बचाने का काम कर रहा है। बनारस में बन रहे नए कैंसर हॉस्पिटल, super-specialityअस्पताल, लोगों को इलाज की आधुनिक सुविधाएं देने में बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं।
हाल ही में बीएचयूने एम्स के साथ एकworld class health institute भी बनाने के लिए समझौता किया है। साथियों आज BHU में Regional ophthalmology यानी क्षेत्रीय नेत्र संस्थान का भी शिलान्यास किया गया है। 54 वर्ष पहले लाल बहादुर शास्त्री जी ने यहां नेत्र विभाग का उद्घाटन किया था। इसको रीजनल सेंटर के रूप में विस्तार देने का अवसर आज मुझे प्राप्त हुआ है। जब ये सुविधा बनकर तैयार हो जाएगी तो पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, झारखंड और नेपाल तक के करोड़ों लोगों को इसका लाभ मिलेगा।
इतना ही नहीं बल्कि काशीवासियों को अब आंखों की गंभीर बीमारी के इलाज के लिए बड़े-बड़े शहरों में नहीं जाना पड़ेगा। इससे मोतियाबिंद से ले करके आंखों की गंभीर से गंभीर बीमारियों में होने वाले इलाज पर खर्च भी बहुत कम हो जाएगा।इतना ही नहीं, ये संस्थान अब उच्चस्तर के आंखों के डॉक्टर भी तैयार करेगा और रिसर्च में गुणवत्ता निश्चित-सुनिश्चित करेगा।
साथियो, बनारस में नए अस्पतालों का निर्माण तो हो ही रहा है, पहले से जो अस्पताल मौजूद थे, उनकी भी सुध ली गई है। पांडेपुर में 150 करोड़ की लागत से ईएसआई हॉस्पिटल का आधुनिकीकरण किया गया है। इसके अलावा बनारस में पहले से काम कर रहे अस्पताल मेंबेडों की संख्या बढ़ाई हा रही है।निजी क्षेत्र में भी यहां अस्पताल खोलने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त ब्लॉक और तहसील स्तर पर भी अनेक स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों का निर्माण किया जा रहा है।
साथियो, यूपी में भाजपा की योगीजी की सरकार बनने के बाद इन सभी कार्यों में अभूतपूर्व तेजी आई है। मैं योगीजी और उनकी पूरी टीम को आयुष्मान भारत, इससे जुड़ने के लिए भी बधाई देता हूं। देश के 50 करोड़ गरीब भाई-बहनों को पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज सुनिश्चित करने वाली इस योजना का ट्रायल यूपी समेत देश के अनेक हिस्सों में चल रहा है। 23 सितम्बर से इस योजना को देशभर में लागू किया जाएगा।
भाइयो और बहनों, स्वास्थ्य के साथ ही शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने का सरकार ने बल दिया है। ये मालविया जी की और उन्हीं का सपना था कि एक ही परिसर में प्राचीन विद्याओं के साथ-साथ आधुनिकता की पढ़ाई हो। उनके इसी सपने, यानी हमारे बीएचयू को विस्तार देने के लिए आज अनेक सेंटर्स का लोकार्पण हुआ है।
वेद के ज्ञान से लेकर 21वीं सदी के विज्ञान और भविष्य के टेक्नोलॉजी के समाधान देने वाले आयाम आज यहां जोड़े गए हैं। वेद से ले करके वर्तमान तक को जोड़ा गया है। आज यहां एक तरफ वैदिक विज्ञान केंद्र का शिलान्यास हुआ है तो दूसरी तरफ अटल incubation centreकी भी शुरूआत हुई है।
युवा साथियो, हम सभी को जितना अपनी पुरातन संस्कृतियों, सभ्यता पर गर्व है, उतना ही भविष्य की तकनीक के प्रति हमारा आकर्षण है। 80 करोड़ से अधिक युवाओं की शक्ति से भरा ये देश तेजी से बदलते technological Landscape में अपनी छाप छोड़ रहा है। भविष्य की तकनीक के साथ भारत के इसी कदमताल से ताल मिलाते हुए बीएचयू में अटल incubation centre की शुरूआत की गई है। बीएचयू का ये incubation centre आने वाले समय में यहां start up के लिए नई ऊर्जा देने का काम करेगा।
मुझे जानकारी दी गई है कि देशभर से करीब 80 start up के आवेदन इससे जुड़ने के लिए आ चुके हैं और 20 start upalready यहां जुड़ चुके हैं। इस सेंटर के लिए मैं बनारस के युवाओं और विशेष तौर पर जो इस प्रकार का साहस रखते हैं, सोच रखते हैं; उनको मैं बधाई देता हूं।
साथियो, किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को गति देने का काम भी बीते चार वर्षों से तेज हुआ है। राजा तालाब में बने पेरिशेबल कारगो केंद्र का जुलाई में ही लोकार्पण किया गया। ये कारगो सेंटर वाराणसी और आसपास के किसानों की फसलों को न केवल खराब होने से बचा रहा है, बल्कि आय बढ़ाने और value addition में भी मदद कर रहा है। यहां न सिर्फ आलू, टमाटर समेत दूसरे फल-सब्जियों के स्टोरेज की सुविधा यहां है, बल्कि रेलवे स्टेशन से भी ये सटा हुआ है। इससे फल-सब्जियों को दूसरे शहरों तक भेजने में आसानी रहती है।
इस कारगों सेंटर के अलावा अब international rice research centreभी का काम करीब-करीब समाप्ति पर है।यानी भविष्य में काशी धान की उन्नत किस्मों के स्टोर में भी अग्रिम भूमिका निभाने वाला है।वाराणसी के किसान भाई-बहनों को खेती के अतिरिक्त दूसरे व्यवसायों से भी आय हो सके, इसकी भी व्यवस्था जारी है। किसान भाइयों, बहनों को खेती के साथ-साथ पशुपालन और मधुमक्खी पालन के लिए भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
थोड़ी देर पहले किसानों, यहां मधुमक्खियों से भरे बॉक्स आज यहां दिए गए। यहां तो सिर्फ तस्वीर दी गई, लेकिन उनको दे दिए गए। उसके पीछे भी यही मकसद है। मधुमक्खी होना न सिर्फ हमारी उपज बढ़ाने को बढ़ोत्तरी करती हैं, बल्कि शहद के रूप में अतिरिक्त आय का भी स्रोत है। आपको ये जानकर खुशी होगी कि आज देश रिकॉर्ड मात्रा में अनाज पैदा करने के साथ-साथ रिकॉर्ड मात्रा में शहद भी पैदा कर रहा है।
भाइयो और बहनों, बनारस और पूर्वी भारत बुनकरों, शिल्पकारों, मिट्टी को सोना बनाने वाले कलाकारों की धरती है। वाराणसी के हथकरघा और हस्तशिल्प उद्योग को तकनीकी सहायता देने और कारीगरों को नए बाजारों से जोड़ने के लिए trade facilitation सेंटरों का निर्माण किया गया है। इसके अलावा बुनकरों को अच्छे उत्पादन की सुविधा के लिए 9 स्थानों पर common facilitation centreभी बनाए गए हैं। अब बुनकर भाई-बहनों को वाप मशीन दी जा रही है, इससे बुनकरों का काम और आसान हो जाएगा।
बुनकर ही नहीं, मिट्टी के बर्तन और मिट्टी से कलाकृतियां बनाने वाले भाइयों-बहनों को भी तकनीकी ताकत दी जा रही है। आज यहां इस कार्यक्रम में कई भाई-बहनों को इलेक्ट्रिक चार्ज दिए गए हैं। इसके अलावा मिट्टी गूंथने और सुखाने की आधुनिक मशीनें उन्हें दी जा रही हैं।इससे यहां आपके श्रम की बचत होगी, वहीं कम समय में अच्छीक्वालिटी के बर्तन या फिर सजावटी सामान बनाए जा सकेंगे।
साथियो, वाराणसी के हर वर्ग, हर तबके का जीवन स्तर ऊपर उठाने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। काशी अब देश के उन चुनिंदा शहरों में शामिल है जहां के घरों में पाईप से कुकिंग गैस पहुंच रही है। इसके लिए इलाहाबाद से बनारस तक पाईपलाइन बिछाई गई है।अब तक बनारस में आठ हजार से अधिक घरों तक पाईप वाली गैस का कनेक्शन पहुंच चुका है। आने वाले समय में इसको 40 हजार से ज्यादा घरों तक पहुंचाने के लिए काम चल रहा है।इसके अलावा उज्ज्वला योजना के तहत किए गए 60 हजार से ज्यादा गैस कनेक्शनों ने भी बनारस के आसपास गांवों में महिलाओं के जीवन को आसान बनाने का काम किया है।
साथियो, ‘सबका साथ-सबका विकास’ के रास्ते पर चलते हुए काशी एक नए उत्साह के साथ, नए जोश के साथ अपना भविष्य तय कर रहा है। हजारों करोड़ के प्रोजेक्ट्स पर काम जारी है।Infrastructure के जिन प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है, उनमें से अनेक आने वाले कुछ महीनों में पूरा होने की स्थिति में हैं। रिंग रोड, एयरपोर्ट से कचहरी तक की सड़क, rice research institute, बीनापुर-गोएठा के sewer treatment plant, multi moral terminal, विश्वस्तरीय कैंसर अस्पताल जैसे बड़े प्रोजेक्ट पूरे होंगे तो इस शहर के विकास को नए आयाम मिलेंगे।
साथियो, ये सारी परियोजनाएं वाराणसी में यहां के नौजवानों को रोजगार के असीम अवसर भी उपलब्ध करा रही हैं। बनारस में हो रहे विकास ने यहां के उद्यमियों के लिए भी व्यापार की नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं।आइए, हम पूरे समर्पण के साथ बनारस में हो रहे परिवर्तन के इस संकल्प को और मजबूत करें। नई काशी, नए भारत के निर्माण में आगे बढ़कर अपना योगदान दें।
एक बार फिर आप सभी को नए शुरू हुए तमाम प्रोजेक्ट्स के लिए बधाई देता हूं। आप यूं ही मुझे अपना स्नेह और आशीर्वाद से प्रेरणा देते रहें। इसी कामना के साथ और भाइयो-बहनों, आपने भले मुझे प्रधानमंत्री पद का दायित्व दिया हो, लेकिन मैं एक सांसद के नाते भी आपको मेरे काम का हिसाब देने के लिए जिम्मेवार हूं। और आज मैंने आपको चार साल में एक सांसद के रूप में काम किया, इसकी एक छोटी सी झलक दिखाई है। और मैं मानता हूं जन-प्रतिनिधि के नाते, आपके सेवक के नाते, आप मेरे मालिक हैं, आप मेरे high command हैं। और इसलिए पाई-पाई का हिसाब देना, पल-पल का हिसाब देना, ये मेरा दायित्व बनता है।
और एक सांसद के रूप में आज मुझे खुशी है कि आपके बीच में इन विकास की बातों को तो आपके सामने प्रस्तुत करने का मुझे सौभाग्य मिला। मैं फिर एक बार आपके स्नेह के लिए, आपके आशीर्वाद के लिए, आपके अप्रतिम प्यार के लिए हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद व्यक्त करता हूं।
मेरे साथ बोलिए- भारत माता की - जय
भारत माता की - जय
भारत माता की - जय
बहुत-बहुत धन्यवाद।