QuoteOur aim is to double farmers' income by 2022: PM Modi at Krishi Unnati Mela
QuoteIndia will transform with the growth of agriculture, the prosperity of its farmers and its villages: PM
QuoteImportant to modernise agriculture practices and use more technology: PM Modi
QuoteSecond Green Revolution must be built on technology and modernization: PM Modi
QuoteThe eastern part of India had maximum potential for Second Green Revolution: PM Modi
QuoteSoil Health Card scheme, Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana important steps towards reducing input costs: PM
QuoteAlong with crop growing, farmers could opt for timber plantation along the edges of their fields: PM
QuoteDiversification in farming activity will reduce the risk associated with agriculture: PM Modi
QuotePradhan Mantri Fasal Bima Yojana characterized by minimum premium, and maximum security: PM Modi

मेरे प्यारे किसना भाइयों और बहनों

यह किसान मेला भारत के भाग्‍य का मेला है, अगर भारत का भाग्‍य बदलना है, तो गांव से बदलने वाला है, किसान से बदलने वाला है और कृषि क्रांति से बदलने वाला है। हम लोग सालों से पीढ़ी दर पीढ़ी से एक ही प्रकार से किसानी करते आए हैं। बहुत कम किसान हैं जो नया प्रयोग करते हैं या कुछ नया करने का साहस करते हैं। हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती  यही है कि हम हमारी किसानी को आधुनिक कैसे बनाएं, टेक्‍नोलॉजी युक्‍त कैसे बनाएं, हमारी युवा पीढ़ी जो आधुनिक आविष्‍कार हो रहे हैं, उन आधुनिक आविष्कारों को खेत तक कैसे पहुंचाएं। किसान के घर तक कैसे पहुंचाएं। इस किसान मेले के माध्‍यम से एक प्रशिक्षण का प्रयास है। और मुझे खुशी है कि आज कृषि विभाग ने यह कार्यक्रम ऐसा बनाया है कि न सिर्फ यहां बैठे हुए लोग लेकिन पूरे हिंदुस्‍तान के हर गांव में किसान इस कार्यक्रम को देख रहे हैं।

और सिर्फ प्रधानमंत्री का भाषण सुनना है इसलिए देख रहे हैं ऐसा नहीं है। तीन दिन तक यहां जितनी चर्चाएं होने वाली हैं वो सारी चर्चाएं गांव में बैठा हुआ किसान भी उसको देख सकता है, सुन सकता है, समझ सकता है। क्‍योंकि जब तक हम इन बातों को किसान तक पहुंचाएंगे नहीं, किसान में विश्‍वास पैदा नहीं करेंगे तो वो अगल-बगल में जो देखता है वो ही करता रहता है। और किसान का स्‍वभाव है अगर पड़ोसी ने अपने खेत में लाल डिब्‍बे वाली दवाई डाली तो यह भी जा करके लाल डिब्‍बे वाली दवाई लाकर डाल देगा। बगल वाले ने पीली दवाई डाल दी तो यह भी पीली दवाई डाल देगा। उसको ऐसा लगता है उसने किया तो मैं भी कर लूं। और जो बेचने वाले हैं उनको तो इसकी चिंता ही नहीं है कोई भी माल जाओ बेच दो, एक बार बिक्री हो जाए। बाद में कौन पूछने वाला है किसान का क्‍या हुआ।

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और इसलिए कृषि क्षेत्र को एक अलग नजरिये से develop करने की दिशा में यह सरकार प्रयास कर रही है। हमारे देश में पहली कृषि क्रांति हुई वो पहली कृषि क्रांति अधिकतम जहां पानी था उस पानी के भरोसे हुई। लेकिन दूसरी कृषि क्रांति सिर्फ पानी के भरोसे करने से बात पूरी तरह संतोष नहीं देगी। और इसलिए दूसरी कृषि क्रांति विज्ञान के आधार पर, टेक्‍नोलॉजी के आधार पर, आधुनिक आविष्‍कारों के आधार पर करना आवश्‍यक हो गया है। पहली कृषि क्रांति हिंदुस्‍तान के पश्चिमी छोर पर, पश्चिमी उत्‍तर भाग में हुई। पंजाब, हरियाणा इसने नेतृत्‍व किया दूसरी कृषि क्रांति उन प्रदेशों में संभावनाएं पड़ी  है। जिस पर अगर हमने थोड़ा सा भी ध्‍यान दिया तो बहुत बड़ा बदलाव आ सकता है और वो है पूर्वी उत्‍तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, नॉर्थ ईस्‍ट, ओडि़शा ये सारे हिंदुस्‍तान का पूर्वी इलाका, जहां पानी भरपूर है, जमीन की विपुलता है, जमीन ऊपजाऊ है, लेकिन वो पुराने ढर्रे से वो सब जुड़ा हुआ है और इसलिए इस सरकार का प्रयास है कि भारत के पूर्वी इलाके से एक दूसरी कृषि क्रांति कैसे हो, उस दिशा में हम कदम बढ़ा रहे हैं।

भारत की आर्थिक धारा भी गांव की धुरा से जुड़ी हुई है। अगर गांव में गांव के गरीब व्‍यक्ति के द्वारा अगर आज वो पांच हजार रुपया का माल बाजार से खरीदता है साल में और अगली बार दस हजार का खरीदता है, तो economy को वो ताकत  देता है। देश आगे बढ़ता है। और  यह अगर करना  है तो गांव के लोगों  की खरीद शक्ति बढ़ानी पड़ेगी, उनका purchasing power बढ़ाना पड़ेगा। और वो purchasing power तब तक नहीं बढता है जब तक कि गांव आर्थिक रूप से गतिशील न हो। गांव में आर्थिक गतिविधि का कारोबार न हो तो यह संभव नहीं है।

और इसलिए आपने इस बार देखा होगा चारों तरफ इस सरकार के बजट की तारीफ ही तारीफ हो रही है। कुछ लोग मौन हैं क्‍योंकि उनके लिए तारीफ करना मुश्किल है, लेकिन विरोध में बोलने के लिए कुछ है नहीं। पहली बार जिन जिन लोगों ने इस विषय के ज्ञाता है, उन्‍होंने लिखा है कि एक बड़े लम्‍बे अरसे के बाद एक ऐसा बजट आया है जो पूरी तरह गांव, गरीब और किसान को समर्पित किया गया है।और यह काम इसलिए किया है अगर भारत को आर्थिक संपन्न बनना है, आने वाले 25-30 साल तक लगातार आगे बढ़ना है, रूकना ही नहीं है, तो वो जगह सिर्फ गांव है, गरीब है, किसान है।

हमारा एक सपना है, लेकिन वो सपना मेरा होगा उससे बात बनेगी नहीं। वो सपना सिर्फ दिल्‍ली  सरकार का होगा तो बात बनेगी नहीं। चाहे केंद्र सरकार हो,  चाहे राज्‍य  सरकार हो,  चाहे हमारे किसान भाई-बहन हो, हम सबका मिला-जुला सपना होना चाहिए, हम सबकी जिम्‍मेदारी वाला सपना होना चाहिए। और  वो सपना है 2022 छह साल बाकी है, जब भारत की आजादी के 75 साल होंगे, क्‍या हम हमारे देश के किसानों की आय दोगुना कर सकते हैं क्‍या? किसानों की आय डबल कर सकते हैं क्‍या? अगर एक बार किसान, राज्‍य सरकार, केंद्र सरकार यह मिल करके तय कर लें तो काम मुश्किल नहीं है, मेरे भाईयों-बहनों। कुछ लोगों को लगता है कि यह मुश्किल काम है। मैं इस विभाग में जाना नहीं चाहता। लेकिन यह करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए इसमें कोई दुविधा नहीं हो सकती, कोशिश जरूर करनी चाहिए।

अब तक हमने देश को आगे बढाने में कृषि उत्‍पादन के growth को ही केंद्र में रखा है। हम कृषि उत्‍पादन के growth तक सीमित रह करके किसान का कल्‍याण नहीं कर सकते हैं। हमने किसान का कल्‍याण  करना है तो हमने और पचासों चीजें उसके साथ जोड़नी होगी, और तब जा करके 2022 का सपना हम पूरा कर सकते हैं। अब हम यह सोचे कि हमारी धरती माता बेचारी बोलती नहीं है, पीड़ा है तो रोती नहीं है, आप उस पर जितने जुल्‍म करो वो सहती रहती है। अगर हम धरती मां  की आवाज़ नहीं सुनेंगे, तो धरती मां भी हमारी आवाज़ नहीं सुनेगी। अगर हम धरती माता की पीड़ा महसूस नहीं करेंगे तो धरती मां भी हमारी पीड़ा कभी महसूस नहीं करेगी। और इसलिए हम सबका सबसे पहला दायित्‍व है कि हम हमारी धरती माता की पीड़ा को समझे। हमने कितने जुल्‍म किये हैं उस पर, न जाने कैसे कैसे कैमिकलों से उसको  नहला दिया। न जाने कैसी-कैसी दवाईंया पिलाई उसको, न जाने कितने-कितने जुल्‍म किये हैं उस पर अगर हम भी बीमार हो जाते हैं न तो अड़ोस-पड़ोस के लोग कहते हैं कि बेटा बहुत दवाइयां मत खाओं और ज्‍यादा बीमार हो जाओगे। डॉक्‍टर भी कहते है कि भई ठीक है बीमार हो दवा की जरूरत है लेकिन ऐसा नहीं कि एक गोली की बजाए 10 गोली खा जाओगे, ठीक  हो जाओगे। जो हमारे शरीर का हाल है, वो ही हाल यह हमारी धरती माता का भी है। और इसलिए हम कभी कम से कम देखे तो सही कि हमारी धरती माता की तबीयत कैसे है, कोई  बीमारी तो नहीं है? क्‍या कारण है कि हम फसल बोते हैं लेकिन जितनी मेहनत करते हैं उतना मिलता नहीं है, मां रूठी क्‍यों है।

और इसलिए आपकी मदद से एक बड़ा अभियान पूरा करना है वो Soil health card. हमारी जमीन की तबीयत कैसी है, उसकी परत  कैसी है, उसके अंदर ताकत कौन सी  है, उसके अंदर कमियां कौन सी है, उसके अंदर बीमारियां कौन सही है। यह हमने जांच करवानी चाहिए और यह regular करवानी चाहिए। यह कोई  महंगा काम नहीं है, सरकार आपकी मदद कर रही है। और जांच करवा ली, लेकिन हम उस रिपोर्ट को एक खाते में डालकर कागज पड़ा है, पड़ा रहे, फायदा नहीं होगा। अगर कोई  इंसान बीमार रहता है, laboratory में जाकर टेस्‍ट  करवाया और पता चला  कि diabetes है वो आ करके कागज घर  में रख दे और खाता है जैसे ही मिठाई मिले खाता रहे, जितना मिले उतना खाता रहे तो क्‍या diabetes उसको जाएगा क्‍या? बीमारी बढ़ेगी कि नहीं बढ़ेगी। मौत निश्चित हो जाएगी कि नहीं हो जाएगी।

और इसलिए soil health card के द्वारा हमें जमीन की जो कमियां नजर आई है। जमीन की जो ताकत ध्‍यान में आई है। जमीन की जो बीमारियां ध्‍यान  में आई  है, उसके अनुसार हमें खेती करनी चाहिए तो आपकी आधी समस्‍याएं तो वहीं सुलझ जाएगी। मैं दावे से कहता हूं मेरे किसान भाईयों-बहनों आपकी आधी समस्यायें, अगर जमीन की ठीक देखभाल कर दी, तो आपकी आधी समस्‍या वहीं सुलझ जाएगी। और एक बार धरती माता का ख्‍याल रखोगे न तो धरती माता तो आपका चार गुना ज्‍यादा ख्‍याल रखेगी। कभी आपको पीछे मुड़ करके देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। 

दूसरी बात है पानी, किसान का स्‍वभाव है अगर उसको पानी मिल जाए तो वो मिट्टी में से सोना पैदा कर सकता है। उसे और कुछ नहीं चाहिए। और इसलिए हमने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पर बल दिया है। किसानों को पानी कैसे पहुंचे? और कम से कम पानी बर्बाद हो, उस रूप में कैसे पड़े, इस पर काम चल रहा है। आपको हैरानी होगी मैं जरा हिसाब लगा रहा था कि हमारे किसान को पानी पहुंचाने की इतनी योजनाएं बनी  हाल क्‍या है। मेरे किसान भाईयों-बहनों आपको हैरानी होगी कि हम कुछ भी करते हैं तो हमारे विरोधी यह कहते हैं कि यह तो हमारे समय का है। यह तो हमारे जमाने का है। उनके जमाने का हाल क्‍या है मैं बताता हूं किसानों का मैंने करीब 90 प्रोजेक्‍ट ऐसे खोज कर निकालें कि जहां पानी तो भरा पड़ा लेकिन किसान को पानी पहुंचाने के लिए कोई व्‍यवस्‍था ही नहीं है। अब मुझे बताइये भइया अगर कहीं डैम भरा पड़ा है। हजारों, लाखों, करोड़ों रुपया खर्च कर दिया गया है, लेकिन अगर किसान के खेत तक पानी ले जाने का प्रबंध नहीं है वो सिर्फ दर्शन करने के सिवा किसी काम आएगा क्‍या? हमने 90 ऐसे प्रोजेक्‍ट हाथ में लिए है। और उस पर बड़ा जोर लगाया है कि वो पानी किसान तक पहुंचे। जितनी उसकी capacity है पानी कैसे पहुंचे, काम लगाया है। जब यह काम पूरा कर लेंगे करीब 80 लाख हेक्‍टेयर भूमि को पानी पहुंचना शुरू हो जाएगा भाईयों-बहनो। और पानी पहुंचेगा तो वो जमीन कितना कुछ देगी आप अंदाज कर सकते हैं।

20 हजार करोड़ रुपया, इस काम के लिए लगाने की दिशा में काम कर रहा हूं मैं। इतना ही नहीं मनरेगा, बड़ी चर्चा होती है,  लेकिन कहीं asset create नहीं होता है। इस सरकार ने बल दिया है। और मैं चाहूंगा इन गर्मी के दिनों में गांव-गांव मनरेगा से एक ही काम होना चाहिए, एक ही काम और सिर्फ तालाब है तो तालाब गहरे करना, मिट्टी निकालना, जहां पर  पानी रोक सकते हैं रोकना। इस बजट में पांच लाख तालाब बनाने का सपना है, पांच लाख  तालाब।

जहां हमारे छोटे-छोटे पर्वतीय इलाके होते हैं, पहाड़ी इलाके होते हैं, जहां तीन या चार पहाड़ इकट्ठे  होते हैं, वहां अगर थोड़ी सी खुदाई कर दें तो बहुत बड़े तालाब बनने की संभावना हो जाती है। मैंने forest department को भी कहा है जंगलों को बचाना है तो वहां छोटे-छोटे तालाब का काम किया जाए, ताकि पानी होगा तो हमारे जंगल भी बचेंगे। जंगल होंगे तो वर्षा बढ़ेगी, वर्षा बढेगी तो हमारी ज़मीन में पानी ऊपर आएगा। जो 12 महीने मेरे किसान को फायदा करेगा। हम गांव-गांव इस गर्मी के दिनों में पानी बचाने के साधन कैसे तैयार करें और जितना ज्‍यादा पानी बचाने का प्रयास करेंगे, पहली बारिश में यह सब भर जाएगा। और फिर कभी बारिश इधर-उधर हो गई तो भी वो पानी हमारी खेती को बचा लेगा। उसी प्रकार से जितना महात्‍मय जल संचय का है, उतना ही महात्‍मय जल सिंचन का है।

पानी यह परमात्‍मा ने दिया हुआ प्रसाद है। इसको बर्बाद करने का हमें कोई  अधिकार नहीं है। एक-एक बूंद पानी का उपयोग होना चाहिए। और इसलिए per drop more crop एक-एक बूंद से फसल कैसे ज्‍यादा पैदा हो, उस पर काम करना है। हम micro irrigation में जाए, हम drip irrigation में जाए छोटे-छोटे पम्‍प लगा करके पानी पहुंचाने के लिए प्रबंध करे। liquid fertilizer दें। आप देखिए मेहनत कम हो जाएगी। खर्चा कम हो जाएगा और उत्‍पादन बढ़ जाएगा। कुछ लोगों की गलतफहमी है कि sugar में भी बहुत पानी चाहिए, जमाना चला गया। अब तो micro irrigation से sugar भी हो सकता है, paddy भी हो सकता है।

और इसलिए जो हमारी पुरानी मान्‍यता है कि अगर पूरा लबालब पानी से खेत भरा होगा तभी फसल होगी, ऐसी जरूरत नहीं है। अब विज्ञान बदल गया, टेक्‍नोलॉजी बदल गई। आप आराम  से बदलाव करके कर सकते हैं। और इसलिए मेरे किसान भाईयों-बहनों, यह हमारी रोजमर्रा के काम है, इस पर अगर हम ध्‍यान देंगे। हम हमारे खर्च को कम कर पाएंगे। और हमारी आय को बढ़ा पांएगे। और उसी से किसान का कल्‍याण होने वाला है।

हमारे यहां फसल के लिए मार्केट, यह 14 अप्रैल को बाबा साहेब अम्‍बेडकर की जन्‍म जयंती पर भारत सरकार एक ई प्‍लेटफॉर्म शुरू कर रही है, ताकि किसान को अपना माल कहां बेचना, सबसे ज्‍यादा दाम कहां मिलते हैं वो अपने मोबाइल फोन पर देख सकता है कि मुझे मेरा माल किस मंडी में कैसे बेचना और उसके कारण उसको दाम ज्‍यादा मिले। आज किसान बेचारा अगर गाँव से निकला, दो बजे अगर मंडी में पहुंचा, मंडी वाले अगर चले गए वो अपना माल बेच नहीं पाता है अगर वो सब्‍जी वगैरह लाया है तो वहीं छोड़कर चला जाता है, क्‍योंकि कोई खरीददार नहीं होता है। अगर हम इस प्रकार की व्‍यवस्‍था का उपयोग करेंगे, और आज मैंने अभी एक किसान सुविधा लॉन्च किया है। किसान अपने मोबाइल फोन पर आज के आधुनिक विज्ञान डिजिटल के माध्‍यम से अपनी आवश्‍यकताओं की जानकारी वो पा सकता है। weather का रिपोर्ट ले सकता है,  मार्केट का रिपोर्ट ले सकता है। बाजार में कहां पर अच्‍छा  बीच मिल  सकता है ले सकता है। कृषि के कौन वैज्ञानिक है किसका संपर्क करना चाहिए, यह सारी जानकारियां आपकी हथेली में देने का प्रयास किया है।

अगर हम उसका प्रयोग करेंगे तो मेरे किसान को आज जो अकेलापन महसूस होता है, उसको लगता है कि मेरा कोई नहीं है। यह सरकार कंधे से कंधा मिला करके किसान के सुख-दुख का साथी है और हम आपके साथ मिल करके काम करना चाहते हैं, क्‍योंकि हमें बदलाव लाना है उस दिशा में हम काम करना चाहते हैं। उसी प्रकार से अब समय की मांग है कि हम मूल्‍य वृद्धि करे। value addition करे, processing करे। जितना ज्‍यादा food processing होगा, उतना ही ज्‍यादा हमारे किसान की आय बढ़ने वाली है। जितना ज्‍यादा value addition करेंगे, उतनी कमाई बढ़ने वाली है। अगर आप दूध बेचते हैं, कम पैसा मिलता है, लेकिन अगर दूध का मावां बना करके बेचते हैं, तो ज्‍यादा पैसा मिलता होगा। दूध  में से घी बना करके बेचते हैं ज्‍यादा पैसा मिलता है। अगर आप कच्‍चा आम बेचते हैं कम पैसा मिलता है, लेकिन अगर कच्‍चे आम का अचार बना करके बेचे तो ज्‍यादा पैसा मिलता है। आप हरी मिर्ची बेचे, कम पैसा मिलता है। लेकिन लाल हो करके पाऊडर बना करके पैकिंग करके बेचे तो ज्‍यादा पैसा मिलता है। हमारे किसान की आय बढ़ाने का यह एक उत्‍तम से उत्‍तम से मार्ग है कि हम food processing को बल दें और food processing के लिए भारत जैसे देश में दुनिया की बहुत बड़ी टेक्‍नोलॉजी की जरूरत है, ऐसा नहीं है, हमारे यहां आमतौर पर इन चीजों को करने का स्‍वभाव बना हुआ है। उसको बल देने की जरूरत है। और गांव मिल करके करेगा। तो बहुत बड़ी ऊंचाईयों पर चला जा सकता है गांव। और आज हमने देखा है कि ऐसी चीजों ने अपने जगह बना ली है।

आज दुनिया के अंदर.. मुझे अभी गल्‍फ कंट्रीज के अमीरात के क्राउन प्रिंस यहां आए थे UAE के । उन्‍होंने एक बड़ी महत्‍वपूर्ण बात बताई। उन्‍होंने कहा हमारा जो गल्‍फ कंट्रीज है प्रट्रोलियम के पैसे तो बहुत है हमारे पास, लेकिन हमारे पास पेट भरने के लिए खेती के लिए कोई संभावना नहीं है हमारी जमीन रेगिस्‍तान है। हमारी जनसंख्‍या बढ़ रही है। हमें आने वाले दिनों में जैसे-जैसे जनसंख्‍या बढ़ेगी, हमारा पेट भरने के लिए भारत से ही अन्‍न मंगवाना पड़ेगा। इसका मतलब यह हुआ कि हिंदुस्‍तान का किसान जो पैदा करेगा दुनिया के बाजार में जाने की संभावनाएं बढ़ रही है। एक बहुत बड़ा ग्‍लोबल मार्केट हमारा इंतजार कर रहा है हम अगर अपनी व्‍यवस्‍थाओं को उस स्‍टेंडर्ड की बना दें तो दुनिया हमारी चीजों को स्‍वीकार करने के लिए तैयार हो जाएगी।

इन दिनों holistic health care. हर किसी को लगता है आप भले तो जग भला। और इसलिए लोग organic खाना खाना पसंद करते हैं। कैमिकल से आया हुआ उनको खाना नहीं है। आम भी बिकता है तो पूछते हैं organic है। चावल भी लाए तो पूछते हैं organic है, गेंहू लाए तो पूछते हैं organic है। वो कहता है साहब पैसा डबल होगा, वो बोले डबल ले लो भाई दवाई खाने से ज्‍यादा अच्‍छा है कि महंगा चावल खा लूं, लेकिन दवाई खाने के लिए मुझे केमिकल वाला नहीं खाना। लोग सोच रहे हैं कि दवाई में जो पैसे जाते हैं उसके बजाय अगर वो पैसे organic चीजों को खाने में जाते हैं तो स्‍वास्‍थ्‍य भी अच्‍छा रहेगा और खर्चा भी कम होने लगेगा। लेकिन यह तब संभव होगा, जब हम organic farming की तरफ प्रयास करें। हम कोशिश करें।

आज मैं सिक्‍कम प्रदेश को बधाई देता हूं| पहाड़ों में 2003 से उन्‍होंने मेहनत चालू की, 2003 से और दस साल के भीतर-भीतर सिक्किम के पूरे प्रदेश को उन्‍होंने organic state बना दिया। आज वहां chemical fertilizer का नामो-निशान नहीं है। और उनका उत्‍पादन बड़ा है, दवाईयां डालनी नही पड़ती है। जमीन में सुधार आया, पहले जो जमीन जितना देती थी। वो जमीन आज दोगुना, तीनगुना देने लग गई है। और उनका बहुत बड़ा ग्‍लोबल मार्केर्टिंग हो रहा है। क्‍या हमारे देश में हम organic farming को बल दे सकते हैं? ये तरीके हैं जो हमने आधुनिक कृषि की तरफ जाना है।

मैं किसानों से एक और आग्रह करना चाहता हूं। हमारी किसानी को तीन हिस्‍सों में बांटना यह अनिवार्य हो गया है। आज हम हमारी किसानी एक ही खम्‍बे पर चलाते हैं और उसका कारण जिस समय आंधी आ जाए वो खम्‍बा हिल जाए, ओले गिर जाए वो खम्‍बा गिर जाए, बहुत बड़ी बारिश आ जाए, वो खम्‍बा गया तो पूरी साल बर्बाद हो जाती है, पूरा परिवार बर्बाद हो जाता है। लेकिन अगर तीन खम्‍बों पर हमारी किसानी खड़ी होगी तो आफत आएगी तो एक-आध खम्‍बा गिरेगा। दो खम्‍बे पर तो हमारी जिंदगी टिक पाएगी भाई।

और इसलिए तीन खम्‍बे कौन से हैं जिस पर हमें किसानी करनी चाहिए एक तिहाई हम जो regular खेती करते हो वो, जो भी करते हो, मक्‍का हो, धान हो, फल हो, फूल हो, सब्‍जी हो जो करते है वो करें। एक तिहाई ताकत जहां आपके खेत की सीमा पूरी होती है। जहां boundary पर आप बाढ़ लगाते हैं बड़ी-बड़ी, एक-एक, दो-दो मीटर जमीन बर्बाद करते हैं। इधर  वाला भी जमीन बर्बाद करता हैं, उधर वाला भी जमीन बर्बाद करता है, दोनों पड़ोसी बीच में जमीन बर्बाद करते हैं। क्‍या हम वहाँ पर टिम्‍बर की खेती कर सकते हैं क्‍या? ऐसे पेड़ उगाए जिससे फर्नीचर बनता है, मकान बनाने में काम आता है। ऐसे वृक्षों की खेती करे। ऐसे पेड़ लगाए। 15-20 साल में घर में बेटी शादी हो करने योग्‍य जाएगी, यह एक पेड़ काट दोगे, बेटी की शादी हो जाएगी। आज हिंदुस्‍तान बहुत बड़ी मात्रा में टिम्‍बर import करता है। विदेशों में पैसा जाता है हमारा। अगर हमारा किसान तय कर ले कि खेत के किनारे पर जो जमीन आज बर्बाद हो करके पड़ी है, सिर्फ demarcation के लिए पड़ोसी ले न जाए इसलिए बाढ़ लगा करके बैठे हैं दो-दो, तीन-तीन मीटर खराब हो रही है, जमीन। आप देखिए कितनी बड़ी income हो सकती है।

और तीसरा, तीसरा महत्‍वपूर्ण पहलू है animal husbandry. दूध के लिए कुछ करे, अण्‍डों के लिए पॉल्‍ट्री फार्म करे। मधुमक्‍खी का पालन करे, मधु का निर्माण करे, शहद का निर्माण करे। इसके लिए अलग ताकत नहीं लगती है। सहज रूप से साथ-साथ चलता है। और यह भी बहुत बड़ा ताकत देने वाला काम है।

और मैं चाहूंगा कि भारत जो कि दुनिया में सबसे ज्‍यादा दूध उत्‍पादन करता है, लेकिन यह दुर्भाग्‍य है कि प्रति पशु जितना दूध उत्‍पादन होना चाहिए वो अभी हमें पार करना बाकी है। और इसलिए हमारे पशु की दूध की productivity कैसे बढ़े, उस पर हमने बल देना है। पशु  को आहार मिले, उस आहार के लिए अलग से प्रबंध करना है। पशु को आरोग्‍य की सुविधाएं मिलें उस पर ध्‍यान केंद्रित करना है। हमारे पशु की नस्‍ल बदलें इसके लिए सरकार बड़ा मिशन ले करके काम कर रही है। ऐसे अनेक प्रयास है जिन-जिन प्रयासों के परिणामस्‍वरूप हम हमारे पशुधन की ताकत को बढ़ा सकते हैं। उससे हम अपनी आय बढ़ा सकते हैं।

आज शहद दुनिया में शहद का बहुत बड़ा मार्केट है। भारत का किसान शहद के उत्‍पादन में बहुत कम संख्‍या में है। और शहद ऐसा है कभी खराब नहीं होता। सालों तक घर में रहे, घर में भी काम आता है बेचने के भी काम आता है। दवाईयों में भी बिकता है और एक खेत के कोने में हमारे घर के ही कोई व्‍यक्ति उसको संभाले तो काम चल जाता है।

इन तीनों खम्‍बों पर अगर हम हमारी किसानी को आगे बढ़ांएगे, तो किसान को प्राकृतिक आपदा के कारण संकट आने के बावजूद भी बचने का रास्‍ता निकल आ सकता है, बर्बाद होने से बच सकता है। और इसके लिए सरकार की योजनाएं हैं। इस बार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मेरे किसान भाईयों-बहनों के चरणों में मैंने रखी है। यह प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना यह सिर्फ कागज़ी योजना नहीं है, यह किसान की जिंदगी से जुड़ा हुआ काम है। और मैंने बड़ी भक्ति के साथ मेरे किसानों की भक्ति करने के लिए यह प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ले करके मैं आपके पास आया हूं। बड़ा विचार-विमर्श किया है मैंने किसानों से सलाह-मश्‍विरा किया है, अर्थशास्त्रियों से किया है, सरकारों से किया है, बीमा कंपनियों से किया है और तब जा करके योजना बनी  है।

हमारे देश में अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार ने फसल बीमा योजना चालू की। बाद में दूसरी सरकार आई उसने उसमें थोड़ा इधर-उधर कर दिया। मुसीबत यह आई कि किसान का फसल बीमा में से विश्‍वास ही उठ गया। उसको लगता है कि पैसे ले तो जाते हैं लेकिन मुसीबत के समय आते ही नहीं है। किसान की शिकायत सच्‍ची है। मैंने उन सारी शिकायतों को ध्‍यान  में रख करके योजना बनाई है। और यह पहली प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ऐसी है कि जिसमें प्रीमियम कम से कम है। और सुरक्षा ज्‍यादा से ज्‍यादा है। यह पहली बार ऐसा हुआ है।

अब तक हमारे देश में सौ किसान हो, तो 20 किसान से ज्‍यादा फसल बीमा कोई लेता ही नहीं है। और धीरे-धीरे वो भी कम हो रहे थे। कम से कम इतना तो तय करे कि एक-दो साल में गांव के आधे किसान फसल बीमा योजना ले लें। इतना हम कर सकते हैं क्‍या? अब टेक्‍नोलॉजी का उपयोग होने वाला कि प्राकृतिक आपदा आई तो क्‍या नुकसान हुआ, कहां नुकसान हुआ? तुरंत हिसाब लगाया जाएगा। और तुरंत पैसे मुहैया कराने की व्‍यवस्‍था यह प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में है। अब दो-दो, तीन-तीन साल इंतजार करने की जरूरत नहीं।

और एक महत्‍वपूर्ण काम है, पहले ओले गिर गए, आंधी आ गई, नुकसान हो गया, उसका भी हिसाब रहता था। लेकिन फसल काटने के बाद खेत में अगर उसका ढेर पड़ा है, और अचानक आंधी आई, बारिश आई, ओले गिरे, बर्बाद हो गया तो सरकार कहती थी कि भई नहीं यह फसल बीमा में नहीं आता, क्‍यों? क्‍योंकि यह तो तुम्‍हारी कटाई हो गई है, तुम घर नहीं ले गए इसलिए खराब हुआ तुमको ले जाना था। इस सरकार ने एक ऐसी फसल बीमा योजना लाई है कि कटाई के बाद अगर 14 दिन तक खेत के अंदर अगर पड़ा है सामान और अगर बारिश आ गई तो उसका भी बीमा मिलेगा, यहां तक निर्णय किया गया है।

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और एक निर्णय किया है कि मान लीजिए आपने सोचा कि जून महीने में बारिश आने वाली  है, सारा खेत तैयार करके रखा, बीज ला करके रखे, मेहनत करने के लिए जो भी करना पड़े सब करके रखा, लेकिन जून महीने में बारिश आई नहीं, जुलाई महीने में बारिश आई नहीं, अगस्‍त महीने में बारिश आई नहीं। अब आपका क्‍या होगा भई, जब बारिश ही नहीं आई, तो फसल खराब होने का सवाल ही नहीं होता है, क्‍यों, क्‍योंकि आपने बोया ही नहीं है। अब जब बोया ही नहीं है तो फसल हुई ही नहीं। फसल हुई नहीं तो फसल बर्बाद हुई नहीं और फिर बीमा वाले कह देते हैं अब तुम्‍हारी छुट्टी, कुछ नहीं मिलेगा। इस सरकार ने एक ऐसी योजना बनाई है कि अगर आपके इलाके में बारिश नहीं आई, आपका बोना संभव ही नहीं हुआ तो भी आपको 25 प्रतिशत पैसे मिल जाएंगे, ताकि आपका साल बर्बाद न हो जाए, यह काम हमने सोचा है।

भाईयों-बहनों किसान के लिए क्‍या किया जा सकता है इसकी एक-एक बारीक चीज पर हमने ध्‍यान दिया है। अगर हमारे यहां पहले कोई प्राकृतिक आपदा आ जाए, तो 50 प्रतिशत अगर नुकसान होता था तब पैसे मिलते थे और वो भी एक पूरे इलाके में 50 प्रतिशत हिसाब बैठना चाहिए। हमने यह सब निकाल दिया और हमने कहा अगर 33 percent भी हुआ तो भी उसको मुआवजा दिया जाएगा। आजादी से अब तक सभी सरकारों में इस विषय की चर्चा हुई। हर किसानों ने इसकी मांग की, लेकिन किसी सरकार ने इसको किया नहीं था। हमने इसको कर दिया।

भाईयों-बहनों प्राकृतिक आपदा में किसान को मदद कैसे मिले? इसके सारे norms बदल दिये। सारी परंपराएं निकाल दी है। और किसान को विश्‍वास  दिलाया है और दूसरा यह भी किया है कि जनधन अकाउंट खोलो, मदद सीधी आपके खाते में जाएगी। कोई बिचौलिए के पैर आपको पकड़ने नहीं पड़ेंगे। हम सब जानते हैं यूरिया के लिए क्‍या-क्‍या होता था। रात-रात कतार में किसान खड़ा रहता था। कल यूरिया आने वाला है। और यूरिया की काला-बाजारी होती थी। कहीं-कहीं पर यूरिया लेने के लिए लोग किसान आते थे, लाठी चार्ज होता था। और मेरा तो अनुभव है मैं प्रधानमंत्री बन करके बैठा तो पहले तीन, चार, पांच महीने सारे मुख्‍यमंत्रियों की एक ही चिट्ठी आती थी कि हमारे प्रदेश में यूरिया कम है यूरिया भेजो, यूरिया भेजो, यूरिया भेजो। भारत सरकार यूरिया क्‍यों देती नहीं है। जो हमारे विरोधी लोग थे वो बयान देते थे अखबारों में भी छपता था कि मोदी सरकार यूरिया नहीं देती। पिछले दिनों यूरिया पर इतना काम किया, इतना काम किया कि गत वर्ष मुझे एक भी मुख्‍यमंत्री ने यूरिया की कमी है ऐसी  चिट्टी नहीं लिखी। पूरे देश में कहीं पर भी यूरिया को ले करके लाठी चार्ज नहीं हुआ है। कहीं पर किसान को मुसीबत झेलनी पड़ी।

और अब तो और कुछ किया है हमने यूरिया को नीम कोटिंग किया है। यह नीम कोटिंग क्‍या है? यह जो नीम के पेड़ होते हैं, उसकी जो फली होती है उसका तेल यूरिया पर लगाया गया है, उसके  कारण जमीन को ताकत मिलेगी। अगर आज आप दस किलो यूरिया उपयोग करते हैं, नीम कोटिंग है, तो छह किलो, सात किलो में चल जाएगा, तीन किलो, चार किलो का पैसा बच जाएगा। यह किसान की income में काम आएगा। किसान की income डबल कैसे होगी, ऐसे होगी। नीम कोटिंग का यूरिया। और इससे एक और फायदा है जहां-जहां नीम के पेड़ हैं वहां अगर लोग फली इकट्ठी करेंगे तो उस फली का बहुत बड़ा बाजार खड़ा हो जाएगा, क्‍योंकि यूरिया बनाने वालों को नीम कोटिंग के लिए चाहिए, क्‍योंकि भारत सरकार ने hundred percent यूरिया नीम कोटिंग का कर दिया है। इसका दूसरा परिणाम यह होगा पहले क्‍या होता था यूरिया सारा लिखा जाता था तो किसान के नाम पर। सरकार के दफ्तर में लिखा जाता था कि किसान को यूरिया की सब्सिडी में इतने हजार करोड़ गए। लेकिन क्‍या सचमुच में वो किसान के लिए जाते थे क्‍या? सब्सिडी जाती थी, यूरिया के लिए जाती थी, लेकिन यूरिया किसान तक नहीं पहुंचता था वो केमिकल के कारखाने में पहुंच जाता था। क्‍योंकि उसको सस्‍ता माल मिलता था, वो उस पर काम करता था और उसमें से वो चीजें बना करके बाजार में बेचता था और हजारों-लाखों रुपये की कमाई हो जाती थी। अब नीम कोटिंग के कारण एक ग्राम यूरिया भी किसी केमिकल फैक्‍ट्री को काम नहीं आएगा। चोरी गई, बेईमानी गई और किसान को जो चाहिए था वो किसान को पहुंच गया।

मेरे कहना का तात्‍पर्य यह है मेरे किसान भाईयों-बहनों कि अब हमें आधुनिक विज्ञान का उपयोग करते हुए कृषि के क्षेत्र में आगे बढ़ना है। हमने प्रयोग करने की हिम्‍मत दिखानी है। आज सब कुछ विज्ञान मौजूद है। आज जो सरकार ने initiative लिए हैं, वो आपके दरवाजें पर दस्‍तक दे रहे हैं। मैं खास करके युवा किसानों को निमंत्रण देता हूं आप आइये, मेरी बात पर गौर कीजिए, भारत सरकार की नई योजनाओं को ले करके आगे बढि़ए। और मैं विश्‍वास दिलाता हूं भारत का ग्रामीण जीवन, भारत के ग्रामीण गरीब का जीवन, भारत के किसान का जीवन हम बदल सकते हैं और उस काम के लिए मुझे आपका साथ और सहयोग चाहिए। मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं। राधामोहन जी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं है। यह कृषि मेला के द्वारा आने वाले दिनों में सभी किसान उसका फायदा

उठाए। यही शुभकामनाओं के साथ बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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The World This Week On India
February 25, 2025

This week, India reinforced its position as a formidable force on the world stage, making headway in artificial intelligence, energy security, space exploration, and defence. From shaping global AI ethics to securing strategic partnerships, every move reflects India's growing influence in global affairs.

And when it comes to diplomacy and negotiation, even world leaders acknowledge India's strength. Former U.S. President Donald Trump, known for his tough negotiating style, put it simply:

“[Narendra Modi] is a much tougher negotiator than me, and he is a much better negotiator than me. There’s not even a contest.”

With India actively shaping global conversations, let’s take a look at some of the biggest developments this week.

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AI for All: India and France Lead a Global Movement

The future of AI isn’t just about technology—it’s about ethics and inclusivity. India and France co-hosted the Summit for Action on AI in Paris, where 60 countries backed a declaration calling for AI that is "open," "inclusive," and "ethical." As artificial intelligence becomes a geopolitical battleground, India is endorsing a balanced approach—one that ensures technological progress without compromising human values.

A Nuclear Future: India and France Strengthen Energy Security

In a world increasingly focused on clean energy, India is stepping up its nuclear power game. Prime Minister Narendra Modi and French President Emmanuel Macron affirmed their commitment to developing small modular nuclear reactors (SMRs), a paradigm shift in the transition to a low-carbon economy. With energy security at the heart of India’s strategy, this collaboration is a step toward long-term sustainability.

Gaganyaan: India’s Space Dream Inches Closer

India’s ambitions to send astronauts into space took a major leap forward as the budget for the Gaganyaan mission was raised to $2.32 billion. This is more than just a scientific milestone—it’s about proving that India is ready to stand alongside the world’s leading space powers. A successful human spaceflight will set the stage for future interplanetary missions, pushing India's space program to new frontiers.

India’s Semiconductor Push: Lam Research Bets Big

The semiconductor industry is the backbone of modern technology, and India wants a bigger share of the pie. US chip toolmaker Lam Research announced a $1 billion investment in India, signalling confidence in the country’s potential to become a global chip manufacturing hub. As major companies seek alternatives to traditional semiconductor strongholds like Taiwan, India is positioning itself as a serious contender in the global supply chain.

Defence Partnerships: A New Era in US-India Military Ties

The US and India are expanding their defence cooperation, with discussions of a future F-35 fighter jet deal on the horizon. The latest agreements also include increased US military sales to India, strengthening the strategic partnership between the two nations. Meanwhile, India is also deepening its energy cooperation with the US, securing new oil and gas import agreements that reinforce economic and security ties.

Energy Security: India Locks in LNG Supply from the UAE

With global energy markets facing volatility, India is taking steps to secure long-term energy stability. New multi-billion-dollar LNG agreements with ADNOC will provide India with a steady and reliable supply of natural gas, reducing its exposure to price fluctuations. As India moves toward a cleaner energy future, such partnerships are critical to maintaining energy security while keeping costs in check.

UAE Visa Waiver: A Boon for Indian Travelers

For Indians residing in Singapore, Japan, South Korea, Australia, New Zealand, and Canada, visiting the UAE just became a lot simpler. A new visa waiver, effective February 13, will save Dh750 per person and eliminate lengthy approval processes. This move makes travel to the UAE more accessible and strengthens business and cultural ties between the two countries.

A Gift of Friendship: Trump’s Gesture to Modi

During his visit to India, Donald Trump presented Prime Minister Modi with a personalized book chronicling their long-standing friendship. Beyond the usual diplomatic formalities, this exchange reflects the personal bonds that sometimes shape international relations as much as policies do.

Memory League Champion: India’s New Star of Mental Speed

India is making its mark in unexpected ways, too. Vishvaa Rajakumar, a 20-year-old Indian college student, stunned the world by memorizing 80 random numbers in just 13.5 seconds, winning the Memory League World Championship. His incredible feat underscores India’s growing reputation for mental agility and cognitive

excellence on the global stage.

India isn’t just participating in global affairs—it’s shaping them. Whether it’s setting ethical AI standards, securing energy independence, leading in space exploration, or expanding defence partnerships, the country is making bold, strategic moves that solidify its role as a global leader.

As the world takes note of India’s rise, one thing is clear: this journey is just getting started.