Himachal Pradesh is the land of spirituality and bravery: PM Modi

Published By : Admin | December 27, 2018 | 13:00 IST
Himachal Pradesh is the land of spirituality and bravery: PM Modi
Government is focusing on next-generation infrastructure in Himachal Pradesh. Projects related to highways, railways, power, solar energy and petroleum sector, are underway in the state: PM Modi
Those in habit of looting money now afraid of 'Chowkidar': PM Modi

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

विशाल संख्‍या में पधारे हुए देवभूमि के मेरे प्‍यारे भाइयो और बहनों।

जब भी हिमाचल आने का मौका मिलता है और जैसे ही आप लोगों के बीच में आता हूं तो ऐसा लगता है कि अपने घर आ गया हूं; अपनों के बीच आ गया हूं। बहुत लम्‍बे अर्से तक यहां के कोने-कोने में जा करके संगठन का काम करने का सौभाग्‍य मिला था, बहुत कुछ सीखने को मिला था और मुझे खुशी है कि उस समय जो तहसील स्‍तर पर, जिले स्‍तर पर संगठन के काम में मेरा साथ दे रहे थे; ऐसे सब आज दो दशक के भीतर-भीतर हिमाचल की प्रथम पंक्ति के सारे लीडर बन गए हैं। और ये दृश्‍य मुझे कितना आनंद देता होगा शायद इसकी कल्‍पना कोई और नहीं कर सकता है।

छोटे स्‍तर पर जिन सा‍थियों को देखा हो, उनके सामर्थ्‍य को अनुभव किया हो और वे फलें, फूलें, खिलें, अपने कार्य की महक सब दूर पहुंचा दें; तब इतना संतोष होता है, ऐसा लग रहा है जैसे जीवन का वो कालखंड धन्‍य हो गया। और इसके लिए मैं हिमाचल के उन सभी साथियों को भी आज हृदय से बधाई देता हूं, जिनके साथ कंधे से कंधा मिला करके कई वर्षों तक मुझे काम करने का मौका मिला और आज वो प्रगति की नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहे हैं और अपने पुरुषार्थ से हमारे प्‍यारे हिमाचल को भी नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं।

ये पवित्र भूमि है, ये देवी-देवताओं की भूमि है, ये देवभूमि है। मां ज्‍वाला जी हो, चामुण्‍डा जी हो, चिंतपुरणी मां हो, भीमाकाली हो, हिडम्‍बा देवी हो, कितनी यादें, किस-किस कोने में कैसी-कैसी चेतना; सब कुछ यहां की विरासत है। हर गांव- देवी-देवताओं के स्‍थान वाला गांव, ऐसा जनजीवन जहां शांति- ये सहज स्‍वभाव है।

कोई कल्‍पना कर सकता है कि यहीं की वीर माताओं की संतान देश की रक्षा में कंधे पर बंदूक लेकर खड़े होते हैं तो दुश्‍मन उसको देख करके कांप जाता है। वीरता, शौर्य, सामर्थ्‍य इस धरती के वीरों की रगों में है। लेकिन ये भी बड़ी खुशकिस्‍मती है कि सीमा पर मरने-मारने का सामर्थ्‍य रखने वाले ये वीर पुत्र और ये वीर माताएं हिमाचल में हर घर यहां शांति का दूत होता है। ये अपने-आप में बहुत बड़ी बात है। ऐसा शांतिपूर्ण जीवन, इतना भाईचारा, इतना प्‍यार, मैंने तो इतना अनुभव किया है कि आज उसी को बोलता चलूं ये मेरा मन करता है। शांति की कोख से वीरता पैदा होती है यहां और वो वीरता अक्षुण्‍ण होती है। ये अपने-आप में शायद हिमाचल की विशेष पहचान है।

मैं फिर एक बार आज- और ये धरती, मैं हेलीपेड से जब आया तो शांता जी ने तुरंत पुरानी यादें ताजा कर दीं कि आओ भई अब अपना पुराना कांगड़ा। यही धौलाधार- आज तो साफ नजर नहीं आ रहा है। और अब ये हमारा धर्मशाला; हिन्‍दुस्‍तान के खेल जगत में उसने अपनी जगह बनाई है। देशभर के खेल जगत के लोगों के लिए ये आकर्षण का केन्‍द्र बना है। और इतने कम समय में इस क्षेत्र का जो विकास हुआ है, वो देखते ही बनता है, और मैं इसके लिए आप सबको साधुवाद देता हूं, आपको बधाई देता हूं।

इस बार तो मैं यहां से चला जाऊंगा तुरंत क्‍योंकि कार्यक्रम, पार्लियामेंट भी चल रही है, तुरंत निकलना भी पड़ेगा। लेकिन फिर भी, कभी-कभी याद करके भी तो मन में मजा आता है। हम यहां आएं और कांगड़ी धाम को याद न करें। अक्‍सर शादी-ब्‍याह समारोह में कांगड़ी धाम- इसका आनंद कौन नहीं लेता है। चने और मास की दाल, जिमीकंद की सब्‍जी, रंगीन चावल और जब मदरा परोसा जाता है। चलिए आज तो ऐसे ही जाना पड़ेगा।

मैं जो फिल्‍म दिखाई गई, मैं सचमुच में बहुत प्रभावित हुआ। एक राज्‍य के अंदर एक साल कोई ज्‍यादा समय नहीं होता है, बहुत कम समय होता है। शुरू में तो नई सरकार को दफ्तर ठीक करना, पुरानी चीजें साफ करना; उसी में समय लग जाता है। लेकिन फिल्‍म में मैंने देखा कि एक साल के भीतर-भीतर इतना काम किया है आपने, इतने initiative लिए हैं, जन-सामान्‍य तक पहुंचने का जो प्रयास किया है, सरकार को गांव-गाव, घर-घर ले जाने का जो प्रयास किया है; मैं जयराम जी को, उनकी पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। ये अपने-आप में बहुत बड़ा काम है। अब आप सबने तो काम किया है लेकिन मेरा एक काम करोगे आप लोग? करोगे? जरा जोर से बताओगे तो पता चलेगा।

करेंगे?

पक्‍का?

वैसे हिमाचल के लोग जो बोलते हैं वो करके दिखाते हैं जी। कभी पीछे नहीं रहते। आज जरूर एक काम कीजिए। ये जो फिल्‍म यहां दिखाई गई, आप कोशिश कीजिए कि हिमाचल के किसी भी व्‍यक्ति का मोबाइल ऐसा न हो कि जिस मोबाइल में इसकी connectivity न पहुंची हो, इसकी clip न पहुंची हो, और वो अपने मोबाइल पर देखे।

कर लेंगे आप लोग काम?

पक्‍का करेंगे?

देखिए, फिर लोगों को लगेगा कि यहां कितना बड़ा काम होता है।

साथियो, हिमाचल और अटलजी, एक अटूट नाता रहा और उनके लिए तो ये उनका दूसरा घर हुआ करता था। और हमेशा कुछ न कुछ समय वो हिमाचल वासियों के बीच बिताते थे। आज हिमाचल में औद्योगिक विकास की जो संभावनाएं पैदा हुई हैं, इसकी अगर मजबूत नींव डालने का काम किया है तो अटल बिहारी वाजपेयी जी ने किया है। और उसी डोर को पकड़ते हुए भारतीय जनता पार्टी की सरकार हिमाचल में सिर्फ टूरिज्‍म नहीं, सिर्फ खेती नहीं औद्योगिक दृष्टि से भी ये कैसे आगे बढ़े, उसके लिए काम का जिम्‍मा उठाया है।

आमतौर पर एक कहावत पुरानी कही जाती थी- उस कहावत को पूरी तरह गलत सिद्ध करने का काम आज भारतीय जनता पार्टी की जयराम जी की सरकार कर रही है। पुरानी कहावत हम लोग भली-भांति परिचित हैं- कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी कभी पहाड़ के काम नहीं आती है- ऐसा कहा जाता है। पहाड़ का पानी बह करके चला जाता है, पहाड़ की जवानी रोजी-रोटी कमाने के लिए कहीं दूर चली जाती है।

लेकिन आज हिमाचल की सरकार ने ये सिद्ध कर दिया है कि पहाड़ का पानी भी पहाड़ के काम आ रहा है और पहाड़ की जवानी भी पहाड़ के काम आएगी, हिमाचल के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के लिए काम आएगी। और इसके लिए वोकेशनल ट्रेनिंग, स्किल डेवलपमेंट; अभी जब मैं प्रदर्शनी देख रहा था- human resource development पर इतना बल दिया गया है।

खास करके नई पीढ़ी के भविष्‍य को बनाने के लिए जिस प्रकार से बारीकी से योजनाएं बनाई गई हैं, सचमुच में किसी को भी प्रभावित करने वाली हैं और ये आज नहीं, आने वाले कुछ वर्षों में ये ऐसी ताकत बनके उभरेगा, ऐसी ताकत बनके उभरेगा, शायद पहाड़ी राज्‍यों में या छोटे राज्‍यों में कोई हिमाचल की स्‍पर्धा नहीं कर पाएगा, ये मैं अपनी आंखों से साफ देख रहा हूं। और इसलिए इन योजनाओं के लिए भी, औद्योगिक विकास की दिशा में जाने के प्रयासों के लिए मैं सचमुच में एक साल के भीतर-भीतर इतनी बड़ी, इतनी व्‍यापक और इतनी और इतनी दीर्घदृष्‍टा वाली योजनाएं, हिमाचल का भाग्‍य कितना मजबूत हो दिशा में आगे बढ़ेगा, इसका संकेत करते हैं।

अब जब कोई ज्‍यादा काम करता है, अच्‍छा काम करता है और अच्‍छे ढंग से करता है तो फिर हमारा भी तो मन करता है, हम भी तो उसके लिए कुछ करें। हमारा भी मन करता है- आप देखिए, जब दिल्‍ली में पुराने वाली सरकार थी- पता है ना? तब हिमाचल को 21 हजार करोड़ रुपया मिलता था, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी, आपने मुझे सेवा करने का मौका दिया, तो आज हिमाचल को 21 हजार के सामने अब 72 हजार करोड़ रुपया दिया जा रहा है।

यानि पहले वाली सरकार से 50 हजार करोड़ रुपया ज्‍यादा। और ये इसलिए संभव होता है क्‍योंकि भारत‍ सरकार को भरोसा है कि यहां की पाई-पाई का सही उपयोग होगा। यहां की पाई-पाई में से नया हिमाचल बनेगा, उज्‍ज्‍वल हिमाचल बनेगा, समृद्ध हिमाचल बनेगा, प्रगति की नई ऊंचाइयों को पार करने वाला हिमाचल बनेगा- ये पूरा भरोसा भारत सरकार को हिमाचल पर है। यहां की जनता पर भी है और आपने जिन नुमाइंदों को बिठाया है, उन नुमाइंदों पर भी भरोसा है। और इसलिए मैं देख रहा हूं कि किस प्रकार से पाई-पाई का अच्‍छा उपयोग हो रहा है। स्‍थाई रूप से विकास के लिए हो रहा है।

मुझे बराबर याद है जब मैं यहां संगठन का काम करता था तो मेरा आग्रह रहता था शक्ति केंद्र तक जाऊं और आधे से अधिक शक्ति केंद्र ऐसे होते थे कि जहां पर पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं‍ मिलती थी; छोटी-मोटी पहाड़ी चढ़ करके पहुंचना पड़ता था। लेकिन इन दिनों प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के साथ connectivity को जो दायरा बढ़ाया जा रहा है- यहां के जीवन को जो कठिनाइयों से गुजरना पड़ा है- उसमें जो सुविधाएं देने के लिए सारी व्‍यवस्‍थाएं और उसके लिए infrastructure बहुत बड़ी आवश्‍यकता होती है।

मुझे बराबर याद है हमारे ला-स्‍पीति में वहां के आलू, ये अपने-आप में किसी को भी जो उससे परिचित हैं- उसको पता है, लेकिन मैं जब यहां काम करता था मेरे मन में हमेशा रहता था कि इतनी समृद्ध पैदावार यहां की- लेकिन infrastructure के अभाव में ये बाजार तक पहुंचने से पहले ही खराब हो जाती है और यहां के किसानों को जो मिलना चाहिए नहीं मिल पाता है, ये मुझे उस समय लगा करता था। और अब value addition की दिशा में काम चल रहा है, सोचा जा रहा है। यानि दूर-दराज क्षेत्रों में भी किस प्रकार से जीवन बदलेगा, इसका अंदाज है।

पिछले दिनों में एक बड़ा महत्‍वपूर्ण निर्णय किया, किसानो के लाभदायक और खास करके हिमाचल के किसानों को बहुत लाभ करने वाला है, कि जितने कोका-कोला, पेप्‍सी, फेंटा; ये जितनी बोतलों में पानी बिकता है- aerated water हमने कंपनियों को बुलाया कि भाई आप का जो टेस्‍ट है, आपकी क्‍वालिटी है, आप चलाइए- बहुत बड़ा मार्केट है आपका। लेकिन एक छोटी सी हमारी बात मान लीजिए। उसमें 5 प्रतिशत जो natural fruit है, उस फलों का रस मिक्‍स कीजिए। ताकि मेरे किसानों का फलों का एक बहुत बड़ा बाजार मिल जाए और जो ये आपकी बोतल का पानी पीते हैं उनको कुछ शरीर को लाभ करने वाले तत्‍व भी मिल जाएं।

और मुझे खुशी है कि आज धीरे-धीरे ऐसी कंपनियां आगे आ रही हैं और वो अपने जो aerated water हैं उसमें natural fruit juice, उसको उपयोग कर रहे हैं, करना शुरू कर रहे हैं, कुछ लोग नए आगे आ रहे हैं। ये आने वाले दिनों में फलों की खेती करने वाले हमारे किसानों के लिए एक बहुत बड़ा मार्केट पैदा करेंगे, ऐसा मेरा पूरा विश्‍वास है।

जहां तक infrastructure का सवाल है हम next generation infrastructure पर बल दे रहे हैं। आज highway हो, railway हो, बिजली हो, सोलार सिस्‍टम हो, पेट्रोलियम की व्‍यवस्‍था हो- करीब-करीब 26 हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्‍टस इस क्षेत्र में भारत सरकार की योजना से आज हिमाचल के इस छोटे से राज्‍य में अलग-अलग कोने में चल रहे हैं। 26 हजार करोड़ के प्रोजेक्‍ट- आप कल्‍पना कर सकते हैं जब ये काम पूर्ण होंगे तब वो हिमाचल के जीवन को कैसे नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।

रेलवे की बात- अब कालका-शिमला रेलवे- जो भी टूरिस्‍ट आता है, उसके मन में ये तो रहता है चलो इस ट्रेन में भी जरा यात्रा करके देखें तो सही- उस जमाने की ट्रेन क्‍या हुआ करती थी। आपने देखा होगा अब उसमें बदलाव किया है। उन डिब्‍बों को पूरी तरह transparency से बनाया गया है- प्‍ल‍ास्टिक का, ताकि उसमें यात्रा करने वाला पूरी यात्रा के दरम्‍यान भी प्रकृति का दर्शन कर सके, प्रकृति का आनंद लूट सके। टूरिज्‍म के लिए कैसे बदलाव लाया जा सकता है- छोटा सा प्रयास है लेकिन इरादों का उसमें सीधा-सीधा संदेश भी है। इस काम को करने का हमने प्रयास किया।

रेलवे से जुड़ना- ये भी अपने-आप में एक बहुत बड़ी बात होती है। करीब 15 हजार करोड़ रुपये के खर्च से चार बड़ी रेल लाइन- इन पर काम चल रहा है। नांगल बांध-कलवारा परियोजना, चंढीगढ़-भद्दी, भानुपल्‍ली-बिलासपुर बेरी रूट और ऊना-हमीरपुर रूट- 15 हजार करोड़ रुपये से रेल नेटवर्क- ये भी आने वाले दिनों में आधुनिक हिमाचल की दिशा में एक नई गति देनेवाला काम। मैं समझ सकता हूं, आज सामान्‍य मानवी में मेरा एक सपना रहा है कि जो हवाई चप्‍पल पहनता है उसको भी हवाई जहाज में जाने का अवसर होना चाहिए। हिमाचल में टूरिज्‍म बढ़ाने के लिए हवाई यात्रा का महत्‍व बहुत है। और भारत सरकार ने उड़ान नाम की योजना बनाई- बहुत ही सस्‍ते में यात्रियों को लाना-ले जाना। उसकी शुरूआत भी मैंने शिमला आ करके की थी। अब आने वाले दिनों में इसका विस्‍तार भी होने वाला है। हेलीकॉप्‍टर सेवा भी प्रारंभ हुई है, और भी सेवाएं प्रारंभ होने वाली हैं। और इससे सीधा लाभ हिमाचल के टूरिज्‍म को मिलने वाला है।

Connectivity का एक नया- यानी जल हो, थल हो, नभ हो, जिस प्रकार से connectivity को बढ़ाया जा सके- उसको बढ़ाने की दिशा में हम काम कर रहे हैं। और हिमाचल का उज्‍ज्‍वल भविष्‍य, transformation हिमाचल का अगर करना है तो दो पटरी की गाड़ी है, उस दो पटरी की गाड़ी- एक है transportation और दूसरा है टूरिज्‍म। ये transformation को सबसे बड़ी तेज गति से चलाने वाली ये दो पटरी हैं। हम उसी पर बल दे रहे हैं।

अब टूरिज्‍म को बढ़ावा देने की दिशा में हम आगे काम कर रहे हैं। National highway projects- नौ हजार करोड़ से अधिक की लागत से National highway projects, इसका भी काम यहां पर चल रहा है। बहुत सारे प्रोजेक्‍ट अब पूर्णता पर पहुंचे हैं और उसका लाभ भी आने वाले दिनों में आने वाले दिनों में होने वाला है।

मैंने पहले ही कहा कि हिमाचल के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य में टूरिज्‍म की एक बहुत बड़ी ताकत है। टूरिज्‍म वो क्षेत्र हैं जहां कम से कम लागत से अधिकतम लोगों को रोजगार मिलता है। और भारत दुनिया के टूरिज्‍म के आकर्षण का केंद्र अब बनता चला जा रहा है। पहले लोग ताजमहल से अधिक कुछ ज्‍यादा परिचित नहीं थे। अब हिन्‍दुस्‍तान को जानने-समझने का विश्‍व में एक आकर्षण पैदा हो रहा है।

आप देखिए- 2013 में हमारे देश में विदेश के जो टूरिस्‍ट आए उसकी संख्‍या थी 70 लाख- 2013 में। और 2017 में ये संख्‍या बढ़ करके एक करोड़ हो गई। यानी अब करीब-करीब 45 प्रतिशत की वृद्धि इसमें हो गई। अब टूरिज्‍म आता है बाहर का तो पैसे भी खर्च करता है और उसी से वहां रोजी-रोटी की संभावनाएं बनती हैं। एक अनुमान है 2013 में जो टूरिस्‍ट आए- करीब 18 बिलियन डॉलर उन्‍होंने खर्च किए जबकि चार साल के भीतर-भीतर ये टूरिस्‍टों का खर्च करने का दायरा है- वो 18 बिलियन से बढ़ करके 27 बिलियन डॉलर हो गया- करीब-करीब 50 प्रतिशत वृद्धि। यानी ये पैसे भी सामान्‍य-मध्‍यम वर्गीय परिवारों के पास पहुंचते हैं और उसका लाभ होता है।

2013 में भारत में approved hotels 1200 थे- चार साल के भीतर-भीतर ये approved hotels की संख्‍या 1200 से बढ़ करके 1800 हो गई। सिर्फ चार साल के अंदर इसमें भी इतनी बड़ी वृद्धि देखी गई है। ये टूरिज्‍म का सफलता की दिशा में आगे बढ़ने वाला क्षेत्र है। एक world economy forum है जो travel और tourism का ranking करता है, competitive race का ranking करता है।

आपको जान करके खुशी होगी कि हमारी सरकार आने के पहले हम 65वें नंबर पर पड़े थे। चार साल के भीतर-भीतर टूरिस्‍ट के मानदंड की दृष्टि से जो सुधार करने चाहिए, infrastructure में जो सुधार करना चाहिए, connectivity में बदलाव करना चाहिए, होटलों की व्‍यवस्‍थाओं में बदलाव करना चाहिए, नागरिकों की सुरक्षा का विश्‍वास पैदा होना चाहिए- ये सारे मानदंड के आधार पर दुनिया मूल्‍यांकन करती है। हमारी सरकार आने के पहले जहां हम 65 नंबर पर खड़े थे, आज मुझे खुशी है कि अब हम 40वें स्‍थान पर पहुंच गए हैं और 25 के नीचे लाने की कोशिश है हमारी।

और इसके दुनिया के टूरिस्‍टों को इन मानदंडों के आधार पर टूरिज्‍म के अंदर हमने ई-वीजा भी शुरू किया। ई-वीजा के कारण भी विदेशी पर्यटकों को वीजा की कठिनाइयों से मुक्‍त हो करके बड़ी सरलता से भारत में आने का अवसर प्राप्‍त हो रहा है और उसका लाभ मिल रहा है। टूरिज्‍म का जैसे यहां महात्‍मय है वैसा ही यहां हमारे फौजी भाई रहते हैं। कोई परिवार ऐसा नहीं होगा जहां मेरा फौज का कोई जवान न रहता हो। One rank-One pension- 40 साल से इस देश का सेना का जवान मांग रहा था। सरकार सुनने को तैयार नहीं थी। और जब चुनाव में दबाव पैदा हुआ 2013-14 में, तो जैसे इनकी आदत है- झूठमूठ आंख में धूल झोंको, और अपना उल्‍लू सीधा कर लो, यही चलता है।

उस समय भी वन रैंक-वन पेंशन- आप हैरान हो जाएंगे ये वन रैंक-वन पेंशन क्‍या requirement है, इसकी क्‍या मांगे हैं, इसका solution क्‍या होगा, कितने लोग हैं लाभार्थी- कोई हिसाब-किताब नहीं, कोई कागजी काम नहीं- नारेबाजी चल रही थी और हमारे फौज के वीरों को मूर्ख बनाने का काम उस समय की सरकार ने किया। सिर्फ 500 करोड़ रुपया- वन रैंक-वन पेंशन के लिए बजट में 500 करोड़ दे करके उन्‍होंने चुनाव के पहले बड़़े गाजे-बाजे बजाए कि हमने वन रैंक-वन पेंशन दे दिया। अभी जैसा किसान के लिए झूठ बोल रहे हैं ना- उस समय जवान के लिए झूठ बोला था।

जब हम आए तो हमें लगा चलो भाई ये 500 करोड़ तो इन्‍होंने रख करके गए हैं- हम वन रैंक-वन पेंशन लागू कर देंगे। मैंने कहा लाओ भाई फाइल लाओ-कागज लाओ। आप हैरान हो जाएंगे सारी सूची बना करके व्‍यवस्‍था करते-करते डिपार्टमेंट की आंखों दम आ गया- कुछ नहीं था। और जब पूरा हिसाब-किताब लगाया, सारी तैयारी कर ली और‍ हिसाब लगाया भई कितना रुपया लगेगा- 12 हजार करोड़ रुपया की जरूरत थी- वन रैंक-वन पेंशन के लिए।

ये 500 करोड़ के नाटक कर-करके हमारे देश के जवानों की आंखों में धूल झोंकने का पाप, ऐसी सरकार। न कह सकते थे- देश का जवान in-discipline कभी नहीं करता है। 40 साल तक उसने in-discipline नहीं किया। वो सिस्‍टम-मर्यादा में रहा। वो अपनी बात बता रहा था लेकिन आपने देश के लिए शहीद होने की तैयारी रखने वाला, मौत को मुट्ठी में लेकर, सिर्फ भारत मां की जय के‍ लिए जिंदा ये मेरा जवान- उसकी आंख में आंख मिलाकर आप बात नहीं कर पाए और झूठा काम किया। 500 करोड़ रुपया- मजाक उड़ाया उसका।

 

हम आए- हमने काम को पूरा करना है। 12 हजार करोड़ रुपए का बोझ आया। अब सरकार के लिए एक साथ 12 हजार करोड़ निकालना मुश्किल होता है। मैंने सेना के लोगों को बुलाया। मैंने कहा भई देखो मेरी मदद करिए, मुझे करना है ये। एकमुश्‍त नहीं दे पाऊंगा, तीन-चार टुकड़ों में दूंगा। तो जवानों ने कहा साहब- आपके शब्‍द, ये हमारे लिए सब कुछ होता है, अगर आपको लगता है कि पांच साल के बाद देना है तो पांच साल के बाद देना, लेकिन आपने कह दिया- हमें भरोसा है। मैंने कहा- जी नहीं, मुझे अभी देना है, और आज मुझे खुशी है कि चार किश्‍त में वो पैसे दिए और हमने ये सारा भुगतान कर दिया, मेरे देश के जवानों के पास पैसा पहुंच गया। 12 हजार करोड़ रुपया लगा।

भाइयो, बहनों- ये लोग किसानों के लिए भी यही कर रहे हैं। 2008 में- चुनाव के पहले सही-झूठ बोल करके किसानों के कर्ज माफी की बात कही थी। किसानों का कर्ज था 6 लाख करोड़ रुपया, माफ कितना किया- 60 हजार करोड़, दिया कितना- 52 हजार करोड़। 52 हजार करोड़ में से कहा गया- 35 लाख लोग ऐसे पैसे ले गए, जिनका कोई खेत नहीं था, न खेती में कोई फसल का पैसा था, कुछ नहीं था। 35 लाख- ऐसे ही चले गए पैसे।

लेकिन उस समय अरबों-खरबों के घोटाले इतने तेज हवा में चलते थे कि किसानों से लूटी गई बात कभी अखबारों में छपी भी नहीं। सीएजी ने रिपोर्ट किया- देश का किसान, भोला-भाला किसान जो देश के लोगों का पेट भरने के लिए कड़ी मेहनत करता है- अगर आप उसको कुछ नहीं दे सकते हैं तो उसको कहिए- वो आपकी बात मानेगा, लेकिन कृपा करके झूठी बातें बता करके उसके जीवन के साथ खिलवाड़ मत कीजिए। उस सम‍य किया- 6 लाख करोड़ का कर्ज था, 60 हजार की बातें की और 52 हजार से ऊपर दिया नहीं। पंजाब- चुनाव के पहले पता नहीं कितने-कितने वादे किए थे कर्ज माफी के, अब तक पंजाब के किसानों को कुछ नहीं दिया गया। थोड़े दिन पहले कर्नाटक का चुनाव था, वहां कर्ज माफी का वादा कर दिया और अब सिर्फ 800 किसानों को टोकन रुपया दे करके हाथ ऊपर कर दिए।

भाइयो-बहनों, जो काम कर नहीं सकते हो, आपको भी पता है- सिर्फ चुनाव जीतने के लिए देश के जवान की आंख में धूल झोंको, चुनाव जीतने के लिए देश के किसान की पीठ में छुरा घोंपो- ये खेल कब तक चलता रहेगा? और इसलिए भाइयो-बहनों सच्‍चाई के धरातल पर देश चलना चाहिए। जो कर सकते हैं उसको ईमानदारी से करने का प्रयास करना चाहिए। और मुझे जयराम जी का इस वर्ष को मनाने का जो नाम दिया है मुझे अच्‍छा लगा कि वो हमने ईमानदारी से प्रयास किया है। देश की जनता इस पर भरोसा करती है, हिमाचल की जनता भरोसा करती है कि भई हमने ईमानदारी से प्रयास किया है।

हमने कभी ये नहीं कहा कि हम बस- अब तो एक स्‍वर्ण युग आ गया, हरेक के घर की छत सोने की बन जाएगी, हरेक के घर के बाहर गाड़ी खड़ी जो जाएगी। ऐसी बातें न हमने की हैं न हम ऐसे झूठे सपने दिखाते हैं। हम ईमानदारी से कोशिश करते हैं। हिमाचल ने करके दिखाया है और उसका लाभ आज हिमाचल को मिल रहा है।

भाइयो-बहनों, मैंने देखा है कि हिमाचली लोगों का प्‍यार कैसा होता है। कभी-कभी अंदाज नहीं आता है‍ कि क्‍या होता है। एक ऐसी घटना घटी जिसने मेरे मन को छू लिया है। मैं इजरायल गया था- तो इजरायल में एक स्‍थान पर जाना होता है तो वहां पर एक परम्‍परा है‍ कि सिर को ढांकना पड़ता है, जैसे हमारे यहां गुरुद्वारे में जाते हैं तो सिर को ढांकना होता है, तो मुझे भी सिर ढांकना था। तो मैं मेरे साथ हिमाचल की कैप रखता हूं तो मैंने अपनी हिमाचली टोपी पहन ली और वो पहन करके इजरायल में मैं घूम रहा था।

टीवी पर हिमाचल के लोगों ने इसको देखा, मुझे सैंकड़ों चिट्ठियां आई इस एक बात के लिए। हिमाचली टोपी पहनी मैंने इजरायल में, यानी मेरे हिमाचल का भाई कितना भावुक, कितना हृदय को आनंद देता है उसको, और जब- मुझे भी अंदाज नहीं था इसका ये असर होता है। मुझे तो सिर ढांकना था इसलिए टोपी पहननी थी और मेरे बैग में रहती है तो मैंने पहन ली। लेकिन उसको जब यहां के लोगों ने देखा, कोई व्‍यक्ति ऐसा नहीं होगा जो मुझे मिला हो और मेरे इजरायल में हिमाचली टोपी पहनने वाली बात का उसने जिक्र न‍ किया हो। ऐसे अपनापन, इतना प्‍यार, जिन भाई-बहनों ने मुझे दिया है- उनके प्रति मैं आज बड़े गर्व के साथ मैं काम कर रहा हूं।

भाइयो-बहनों, मैं जब भी जाता हूं, हिमाचल-टूरिज्‍म- इसकी बात जहां भी मौका मिलता है करता रहता हूं। क्‍योंकि मैं यहां के चप्‍पे-चप्‍पे से परिचित हूं, यहां की प्रगति का मुझे एक विशेष आनंद होता है। तो मैं भी आपका एक सेवक बन करके इस काम को कर रहा हूं। टूरिज्‍म को बल देने में बहुत बड़ा काम होता है स्‍वच्‍छता और आज मैं हिमाचल वासियों को बधाई देता हूं। हिमाचल के नागरिकों को विशेष रूप से बधाई देता हूं कि उन्‍होंने स्‍वच्‍छता की बात को एक संस्‍कार में परिवर्तित करने का बीड़ा उठाया है। आज देशभर के टूरिस्‍ट हिमाचल आते हैं, यहां की स्‍वच्‍छता की चर्चा करते हैं।

हिमाचल open defecation free बनाने का काम आप लोगों ने किया। प्‍लास्टिक पर प्रतिबंध लगा करके हिमाचल को साफ-सुथरा रखने का काम किया है। और ये सिर्फ स्‍वच्‍छता आरोग्‍य के लिए ही नहीं, हिमाचल के टूरिज्‍म की सबसे बड़ी ताकत है- स्‍वच्‍छता। उस काम को भी हिमाचल ने किया है और इसके लिए भी मैं हिमाचल के लोगों को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

टूरिज्‍म को बल देने में आपने जो home stay का अभियान चलाया है- जब धूमल जी थे तब उसका प्रारंभ हुआ। मैं भी कुछ ऐसे home stay में विशेष करके जाता था- देखने, रहने। कुछ तो हमारे कार्यकर्ता भी home stay चलाते थे। लेकिन आज हिमाचल में home stay एक बहुत बड़ा आकर्षण का केन्‍द्र बना है और दुनिया के टूरिस्‍ट भी बड़े-बड़े होटलों के बजाय home stay पसंद करते हैं। इतने छोटे से राज्‍य में 80 हजार से ज्‍यादा ऑनलाइन home stay की रजिस्‍ट्री मिले, ये अपने-आप में बहुत बड़ा काम आपने किया है, और ये नागरिकों ने किया है। हिमाचल के विकास में टूरिज्‍म को अपनत्‍व देने काम home stay से होता है और वो आपके द्वारा हुआ है। और इसके लिए भी मैं आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं और बहुत आपका साधुवाद करता हूं।

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PM to participate in ‘Odisha Parba 2024’ on 24 November
November 24, 2024

Prime Minister Shri Narendra Modi will participate in the ‘Odisha Parba 2024’ programme on 24 November at around 5:30 PM at Jawaharlal Nehru Stadium, New Delhi. He will also address the gathering on the occasion.

Odisha Parba is a flagship event conducted by Odia Samaj, a trust in New Delhi. Through it, they have been engaged in providing valuable support towards preservation and promotion of Odia heritage. Continuing with the tradition, this year Odisha Parba is being organised from 22nd to 24th November. It will showcase the rich heritage of Odisha displaying colourful cultural forms and will exhibit the vibrant social, cultural and political ethos of the State. A National Seminar or Conclave led by prominent experts and distinguished professionals across various domains will also be conducted.