It is wonderful how Daman has become a mini-India. People from all over the country live and work here: PM
I congratulate the people and local administration for making this place ODF. This is a big step: PM
The Government is taking several steps for the welfare of fishermen, says PM Modi
Our entire emphasis on the 'blue revolution' is inspired by the commitment to bring a positive difference in the lives of fishermen: PM

विशाल संख्‍या में पधारे हुए दमन के मेरे प्‍यारे भाइयो और बहनों।

शायद दमन के इतिहास में इसके पहले न कभी इतना बड़ा जन-सैलाब आया होगा और न ही कभी दमन के, दीव के विकास के लिए करीब-करीब एक हजार करोड़ रुपयों की योजनाएं कभी लागू की गई होंगी- वो शायद पहले कभी नहीं हुआ होगा।

भाइयो, बहनों जिस प्रकार से दमन-दीव, दादरा नगर हवेली- ये पूरे क्षेत्र में एक विकास का नया माहौल पैदा हुआ है। आज दमन एक प्रकार से लघु-भारत बन गया है। दमन में हिन्‍दुस्‍तान का कोई राज्‍य नहीं होगा जहां के दो-पांच, दो-पांच परिवार दमनमें रहते न हों। हर किसी ने दमन को अपना घर बना दिया है। और इसलिए जो बातें हम दिल्‍ली-मुम्‍बई में देख रहे हैं, वैसा ही सामाजिक जीवन हमें दमन में नजर आता है। एक अपनापन, एक भाईचारा, अनेक भाषाओं में बोलने वाले लोगों का समूह और आज जब मैं एयरपोर्ट से यहां आ रहा था, मैं पूरे रास्‍ते भर दोनों तरफ देख रहा था, जैसे हिन्‍दुस्‍तान का हर कोना उमंग और उत्‍साह से भरा हुआ है।

भाइयो, बहनों,

दमन में इतनी स्‍वच्‍छता के प्रति जागरूकता और दमन में इतना बड़ा सफाई का अभियान, दमन एक प्रकार से tourist destination बन गया है, और जब सफाई होती है तो लोगों को बाहर से आने का मन करता है। अगर टूरिज्‍म बढ़ता है तो यहां के लोगों को रोजी-रोटी मिलती है। और आज दमन, दीव से जुड़ गया है, हेलीकॉप्‍टर सेवा से जुड़ गया है और इसलिए दक्षिण भारत की तरफ से जो यात्रा करने के लिए आना चाहते होंगे, सोमनाथ जाना चाहते होंगे, गिर के सिंह देखने जाना चाहते होंगे, वे दमन आएंगे और हेलीकॉप्‍टर में चले जाएंगे; आप देखिए दमन का कितना विकास होगा।और अब दीव से भी अहमदाबाद के साथ जोड़ दिया गया है। यानी एक प्रकार से दीव और दमन विकास की मुख्‍य धारा से जुड़ गए हैं।

भाइयो, बहनों, मुझे बताया गया कि केंद्रशासित प्रदेशों में दमन ODF के रूप में अपने-आपको सज्‍य कर लिये है, open defecation free, खुले में शौच जाने से मुक्ति। यहां पर 2,000 से ज्‍यादा टॉयलेट बनाए गए। मैं अपने-आपमें इस काम के लिए प्रशासन को और यहां के जागरूक नागरिकों को बहुत हृदय से बधाई देता हूं कि आपने ये open defecation  free, सार्वजनिक स्‍थान पर शौच से मुक्ति। ये एक प्रकार से मातृ सम्‍मान का आंदोलन है, नारी सम्‍मान का आंदोलन है।

और मैं तो उत्तर प्रदेश जब गया था एक बार, मेरे ही लोकसभा क्षेत्र में टॉयलेट बनाने का अभियान था, तो मैंने देखा कि उत्‍तर प्रदेश सरकार ने एक बढ़िया काम किया है- उन्‍होंने टॉयलेट पर बोर्ड लगाया है और उसका नाम रखा है- इज्‍जतघर।और हकीकत है, शौचालय- ये इज्‍जतघर है। हमारी माताओं, बहनों की इज्‍जत के लिए शौचालय का होना बहुत जरूरी है। तो आज आपने उस काम को भी कर दिया है!

दमन में एक green movement चल पड़ा है- स्‍वच्‍छता का अभियान हो, ई-रिक्‍शा की बात हो, सीएनजी टैक्‍सी की बात हो। और मैं, अब आप भी दमन में एक नया रूप देखेंगे- यहां की बहन-बेटियां ई-रिक्‍शा ले करके दमन में चलती होंगी और दमन के पर्यावरण की भी रक्षा करेंगी। और जिस दमन में- एक प्रकार से ये शांतिप्रिय इलाका है, ये दंगा-फसाद वाला इलाका नहीं है। मिलजुल कर रहने वालों का इलाका है- इसमें जब माताएं, बहनें वो ही ई-रिक्‍शा चलाती होंगी तो स्‍वाभाविक रूप से उन पैसेंजर के रूप में जो आते होंगे उनके मन में भी माताओं-बहनों के प्रति अधिक सम्‍मान बढ़ेगा और दमन की एक नई पहचान बनेगी।

सीएनजी movement हो, ई-रिक्‍शा का मसला हो या यहां पर LED Bulb लगाने का अभियान हो- करीब एक लाख 40 हजार बल्‍ब इतने छोटे से क्षेत्र में बांटे गए हैं और इसके कारण जिनके घर में बिजली है, उन घरों में बिजली के बिल में जो कमी आई है, बिजली के बिल के पैसे बचे हैं। अकेले दमन में मध्‍यमवर्गीय परिवार के करीब-करीब सात करोड़रुपए की बचत LED Bulb लगाने से बिजली के बिल में हुई है। और ये हर वर्ष होने वाली है।

मैं समझता हूं कि यहां दीर्घदृष्टि से जो योजनाएं बनाई गई हैं, आज भी हमारे देश में कारखाने लगते हैं लेकिन मजदूरों को उनके नसीब पर छोड़ दिया जाता है। वो कारखाने में आते हैं, कामकरते हैं लेकिन कहां रहते हैं, कहां खाते हैं, उनकी कोईdignity है कि नहीं? उस पर कोई ध्‍यान नहीं देता है।

मैं श्रीमान प्रफुल्‍ल भाई पटेल को हृदयपूर्वक बहुत-बहुत बधाई देता हूं कि दमन एक औद्योगिक नगरी है। देशभर के लोग मजदूरी के लिए यहां आते हैं और एक-एक, छोटे-छोटे कमरे में 15-15, 20-20 लोग रहते हैं। वो जब नौकरी पर जाता है तो दूसरी टोली सो जाती है। वो नौकरी से वापस आता है, वो सो जाता है और पहले वाला नौकरी पर चला जाता है, सोने के लिए भी शिफ्ट सिस्‍टम चलता है।

Public-private partnership  का इतना उत्‍तम मॉडल बना करके दमन में मजदूरी करने के लिए आए हुए लोगों के लिए एक उत्‍तम प्रकार की रहने की व्‍यवस्‍था- उसका भी आज आरंभ हो रहा है। इसके कारण मजदूरों की जिंदगी में बदलाव आएगा। और सबसे बड़ा, जिन उद्योगकारों ने उसमें सरकार से पार्टन‍रशिप करने के लिए आगे आए हैं, मैं उनको विश्‍वास दिलाता हूं- इन मजदूरों को, इन हमारे श्रमिक भाइयो-बहनों को अगर रहने की अच्‍छी जगह मिल जाए, खाने की सुविधा मिल जाए तो वो अपनी जो ताकत है वो पूरी की पूरी आपकी फैक्‍टरी में उत्‍पादन के अंदर लगा देते हैं, आपकीproductivity बढ़ा देते हैं।आपने मकानों में जो धन लगाने वाले हो, उससे ज्‍यादा धन ये मजदूर हमारे, ज्‍यादा अच्‍छीproductivity करके एक साल में आपका मुनाफा बढ़ा देंगे, ये मेरा विश्‍वास है।

ये खुशी की बात है कि आज यहां ज्‍यादातर हमारे श्रमिक भाई-बहन अकेले रहते हैं, गांव में मां-बाप को छोड़कर यहां आए हैं और जो भी मिल जाए वो खा करके गुजारा कर लेते हैं। लेकिन आज इन श्रमिक भाइयों-बहनों के लिए अच्‍छा खाना मिले; एक श्रमिक खर्च कर सके-उतने पैसों में मिले; इसके लिए एक सार्वजनिक रूप से भोजन का प्रबंध करने का भी आज यहां प्रारंभ हो रहा है। इसका लाभ भी आने वाले दिनों में यहां के मजदूर भाइयों-बहनों को मिलने वाला है।अच्‍छा खाना मिले, अच्‍छी नींद के लिए जगह मिल जाए, सुबह प्रात-विधि स्‍नान करने के लिए व्‍यवस्‍था मिल जाए- मैं समझता हूं वो श्रमिक इस दमन और इस देश के विकास के लिए कभी पीछे नहीं हटेगा, ये मेरा पूरा विश्‍वास है।

Water treatment plant- आज भी हमारे देश में कई शहर होंगे जहां 100 percent treated water शायद पहुंचता होगा कि नहीं पहुंचता होगा- कहना कठिन है।लेकिन अभी मुझे यहां बताया गया कि दमन के अंदर Water treatment plantके कारण अब दमन के नागरिकों कोtreated water मिल जाता है, पीने योग्‍य शुद्ध पानी उनको प्राप्‍त हो जाता है, यानी सामान्‍य मानवी की सुखाकारी, उसकी चिंता आज यहां।

हमारे देश में माता मृत्‍युदर, शिशु मृत्‍युदर, ये कम करने के लिए, हमारे यहां कुपोषण से मुक्ति के लिए, भारत सरकार की तरफ से अरबों-खरबों रुपये खर्च किए जाते हैं। लेकिन आज दमन ने एक नई पहल की है। भारत सरकार की इस योजना को उस परिवार में- जहां 14-18 साल की बेटियां हैं, जहां प्रसूता माताएं हैं, जहां छोटे-छोटे बच्‍चे हैं, उनको पोषक आहार मिले- इसलिए एक आहार की kit हर महीने उनको देने का काम, और उसका आज मेरे हाथों से कुछ परिवारों को देने का सौभाग्‍य मिला।

मैं आशा करता हूं कि इन परिवारों में ये जो सरकार की तरफ से मदद मिली है, उसका उपयोग ऐसा नहीं होना चाहिए कि अब ये आ गया तो घर में पहले लाते थेवो बंद कर देंगे, ऐसा नहीं करना है। जो पहले खर्चा करते थे, उससे ये अतिरिक्‍त है- तभी जा करके आपकी 14-18 साल की बेटी के शरीर का विकास होगा।

अगर उस बेटी के शरीर का विकास होगा, वो अगर सशक्‍त होगी; जब मां बनेगी तो बच्‍चा भी सशक्‍त मिलेगा। और जिस देश का बच्‍चा सशक्‍त होगा, वो देश भी सशक्‍त बनेगा; ये काम इस योजना के तहत हो रहा है।

भाइयो, बहनों- दीव, अब स्‍मार्ट सिटी में उसका नंबर लग गया है। अनेकविद् योजनाएं दीव के साथ जुड़ी हैं। यहां पर आपका यूनिवर्सिटी का सपना था, था ना? आपको लगता था कि सूरत-नर्मदा यूनिवर्सिटी से कब तक रहेंगे? भारत सरकार ने आपको भी एक यूनिवर्सिटी देने का निर्णय किया है।

हमारे मछुआरे भाई-बहन, कैरासिन पर वैट, कैरोसिन पर वैट। मुझे खुशी है कि हमारे माछीमार भाइयों-बहनों को वैट की ड्यूटी जीरो continue कर दी जाएगी, ताकि...लेकिन इसके साथ-साथ मैं मेरे माछीमार भाइयों से कहना चाहता हूं और मैं श्रीमान प्रफुल्‍ल भाई और यहाँ के एमपी को भी कहना चाहता हूं- हमने सिर्फ यहां पर अटकना नहीं है। अब भारत सरकार ने blue revolution के तहत हमारे माछीमार भाइयों, बहनों के लिए एक long range की boat provide करने की दिशा में कदम उठाया है। अगर आप पांच-दस मछुआरे इक्‍ट्ठे हो करके मंडली बना देंगे- बैंक से आपको लोन दिया जाएगा, उसमें subsidy दी जाएगी और आप ये नई boat ले करके deep sea में जा सकेंगे और deep sea में आप सबसे ज्‍यादाcatch ले सकते हैं, उत्‍तम प्रकार की मछली ले सकते हैं। यहां नजदीक-नजदीक में आप भटकते रहते हैं और 12 घंटे काम करने के बाद जितनी मछली लेकर आते हैं, ये नई बोट के सहारे अंदर जा करके वे ही काम दो घंटे में कर-करके आ जाएंगे।

मैं चाहता हूं कि दमन के समुद्री तट पर, दीव के समुद्री तट पर एक special project हाथ लिया जाए और उस project के तहत यहां के माछीमार परिवारों के द्वारा sea bead की खेती की जाए, समंदर के अंदर खारे पानी में हो जाती है। और वो जो पैदाइश हो, वो हमारे खेतों में लोग डालें, उससे उत्‍तम कोई फर्टिलाइजर नहीं हो सकता है, उससे उत्‍तम कोई फसल नहीं हो सकती है, बहुत आराम से इस काम को किया जाता सकता है। और मैं चाहूंगा कि प्रफुल्ल भाई इसको imitative लें और इस काम को एक नया मॉडल, देश के सामने एक मॉडल प्रस्‍तुत करें। और मुझे विश्‍वास है कि दीव-दमन के क्षेत्र में ये काम बहुत आसानी से हो सकता है।

भाइयो, बहनों, चाहे connectivity हो, digital connectivity हो, घरों में LED Bulb लेने की बात हो, रास्‍ते बनाने हों,bridge बनाने हों; सामुद्रिक मार्ग से भी दीव को जोड़ने की दिशा में हम काम कर रहे हैं। आप कल्‍पना कर सकते हैं, 15-15 घंटे जहां लगते थे, आधा घंटा, एक घंटे में आप पहुंच जाएंगे- कितना समय बचेगा, कितने पैसे बचेंगे और यहां के लोगों को कितना लाभ होगा।

भाइयो, बहनों दमन एक विकास की नई ऊंचाइयों पर जाए। हमारा दीव-दमन, सिलवास से पूरा क्षेत्र देश के रूप में सामने एक मॉडल के रूप में खड़ा हो, ये पूरा मेरा विश्‍वास है और आज आपने इतनी बड़ी मात्रा में आ करके मुझे जो स्‍नेह दिया है, आशीर्वाद दिए हैं, इसके लिए मैं हृदय से आपका बहुत-बहुत आभारी हूं।

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