QuoteWe are focussing on 3Ts for Tripura - Trade, Tourism, Training of the youth: PM Modi
QuoteScams like the 'Rose Valley' have ruined the poor in Tripura. Those who looted the poor must be brought to book: PM Modi in Sonamura
QuotePeople in Tripura aspire for more and better employment opportunities: PM Modi in Sonamura
QuoteEveryone guilty for stealing from the poor will be punished. Voters will teach them a lesson, says PM Modi
QuoteWhy have the recommendations of 7th Pay Commission not been implemented in Tripura? asks PM Modi
QuoteWe want to ensure affordable and quality healthcare for all through #AyushmanBharat Yojana: PM Modi
QuoteCentre sends money for Tripura's development but it remains unused, says PM Modi in Tripura
QuoteVeer Bikram's dream of modern Tripura has been destroyed by CPI government: PM Modi

गुरुमथा, छिवाय अहम वे तोमवाए विपासारो त्रिपुरा हास्तेनी यो तो लोको रोको नो आनी हम जगमातयी खा अहाम या भारो।

मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महानुभाव और इस चुनाव में सोनामुरा से उम्मीदवार श्रीमान सुबल भौमिक जी, तकलजाला से उम्मीदवार श्रीमान एन सी देवबर्मा जी, बागमा से उम्मीदवार श्री रामपद जमातिया जी, चारीलाम से श्रीमान जिश्नु देब बर्मा जी, आर के पुर से श्रीमान प्रणजीत सिंह रॉय, धनपुर से सुश्री प्रतिमा भौमिक, राजनगर से श्रीमान विभीषण चंद्र दास, गोलाघाटी से श्रीमान वीरेंद्र किशोर देब बर्मा, बिलौनिया से श्रीमान अरुणचंद्र भौमिक, हृश्यमुख से श्रीमान अशीष वैद्य, जोलाईबारी से श्रीमान अंकिय मोग चौधरी, सबरूम से श्रीमान शंकर रॉय, काकराबन से श्रीमान जीतेन मजूमदार, माताबारी से भाजपा उम्मीदवार श्रीमान विप्लव कुमार घोष, शां तिबाजार से श्रीमान प्रमोद रियांग, बोक्सानगर से बाहरुल इस्लाम, नलचर से सुभाष चंद्र दास।

मेरे साथ सब बोलिए,

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय

बहुत-बहुत धन्यवाद

शायद हिंदुस्तान में और खासकर के दिल्ली में किसी को अंदाज भी नहीं होगा कि त्रिपुरा में कैसी क्रांति आ रही है। एक प्रकार से त्रिपुरा सच्चे अर्थ में अपने हकों के लिए ये चुनाव लड़ रहा है। ये चुनाव भाजपा या भाजपा के साथी दल नहीं ये त्रिपुरा की जनता चुनाव लड़ रही है। अपने हकों के लिए चुनाव लड़ रही है। यहां का नौजवान रोजगार के लिए चुनाव के मैदान में आया है। यहां के सरकारी मुलाजिम 7वां पगार पंच, 7th पे कमीशन की मांग को लेकर के आज उठ खड़ा हुआ है। पूरा त्रिपुरा विकास की नई ऊंचाइयों पर जाना चाहता है और इसलिये मैदान में उतरा है। और ये चुनाव एक तरफ सरकार है, नाम भी सरकार,  हाथ में भी सरकार और दूसरी तरफ जनता जनार्दन है। और इतिहास गवाह है जब जनसामान्य मैदान में उतरता है, जब जनता का मिजाज बदलता है, तब अच्छे-अच्छे सरकारों को उखाड़ कर फेंक देता है। और इसलिए मैं साफ देख रहा हूं कि अब त्रिपुरा में विकास का युग आने वाला है, और इसीलिए आप लोगों ने हमें सिखाया है, आपने हमें सिखाया है चलो पलटोई..., चलो पलटोई..., चलो पलटोई...।

भाइयो बहनों

हमारे देश में 51 शक्तिपीठों  का हर कोई पुण्य स्मरण करता है। एक श्रीयंत्र अधिष्ट्रात्री देवी, देवी त्रिपुरा सुंदरी, ये उसी का स्थान है, मैं इस धरती को नमन करता हूं।

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भाइयो बहनों

जब हम त्रिपुरा की बात करते हैं, तो त्रिपुरा के हर नागरिक के हृदय में यहां के भूतपूर्व महाराजा वीर बिक्रम किशोर माणिक्य, वीर बिक्रम किशोर माणिक्य जी, जिन्होंने त्रिपुरा के कल्याण के लिए, देश की एकता के लिए, यहां के लोगों के विकास के लिए, बंटवारे से बचने के लिए जिस प्रकार से दीर्घदृष्टि से काम लिया। यह हम सब का दुर्भाग्य रहा कि आजादी आने से कुछ ही दिन पहले महाराजा हमें छोड़ कर चले गए। लेकिन महारानी जी ने सरदार पटेल के साथ बात कर के, गांधी जी से बात कर के त्रिपुरा को बचाने का बीड़ा उठा लिया। और इसलिए मैं ऐसी महान परंपरा, देश के लिए कुछ कर दिखाने वाली महान प्रभा, उसको भी आज मैं नमन करना पसंद करूंगा।  

भाइयो बहनों

पिछले 20-25 साल से एक ऐसी मायाजाल की रचना की है, हम बंगाल में तो एक जादूगर सरकार का नाम सुनते थे, लेकिन यहां जो एक छुपा हुआ जो जादूगर सरकार है, ऐसी मायाजाल बना कर रखी है, ऐसी मायाजाल, देश में किसी कोने में यहां की बर्बादी, बुरे हाल का पता तक नहीं पहुंचने दिया जाता। लोगों को उनका बैंक अकाउंट और सफेद कुर्ता यही दिखाया गया लेकिन अंदर कितने काले कारनामे पड़े हैं इससे देश को अंधेरे में रखा गया। और इसलिए यह समय की मांग है कि त्रिपुरा को इस अंधकार युग से बाहर लाना है, त्रिपुरा को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाना है। ये कम्युनिस्ट पार्टी के लोग हिंदुस्तान के किसी भी कोने में एक लाल झंडा हो एक और अगर उस कारखाने में अगर मजदूर को रुपया थोड़ा कम मिलता है, दो-पांच रुपया भी, तो उस पूरे कारखाने को ताला लगा देते हैं हड़ताल कर देते हैं, जीना मुश्किल कर देते हैं। आप मुझे बताइए क्या आज त्रिपुरा में मिनिमम वेजेज मिलते हैं क्या, मिलते हैं क्या...। देश के नागरिकों को जो मिलता है, वो आपको मिलता है क्या...। ये बोलना और दिखाना और करने में अंतर है कि नहीं, अंतर है कि नहीं है...। इन्होंने आपके साथ धोखा किया है कि नहीं किया है...। क्या देश में और लोगों को जो मिनिमम वेजेज मिलता है, वो त्रिपुरा के लोगों को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए ...। यहां के मजदूर को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए...। यहां खेत में काम करने वालों को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए...। यहां दुकानदार के यहां काम करने वाले को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए...। क्यों नहीं मिलता है भाई? देशवासियों ये त्रिपुरा में कम्युनिस्ट पच्चीस साल से बैठे हुए हैं, लेकिन यहां के नागरिकों के एक भी मान्य अधिकार को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। बातें देश में बड़ी-बड़ी कर रहे हैं। आप मुझे बताइए मंहगाई बढ़ी थी कि नहीं बढ़ी थी...। महंगाई के हिसाब से ये जो हमारे सरकारी मुलाजिम हैं उनको तनख्वाह मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए...। आईएएस को मिले,आईपीएस को मिले क्योंकि वो भारत सरकार की योजना में आता है। लेकिन क्या कारण है कि त्रिपुरा में पैदा हुआ , त्रिपुरा में सरकार में काम करने वाला, 15-20 साल से काम करने वाला, सरकार कहे बाएं जाओ तो बाएं जाए, सरकार जो कहे वो करे उसके वाबजूद भी उसको हक के पैसे नहीं दिए जाना, यह अपराध है कि नहीं है...। ऐसी सरकार को अपराध की सजा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए...। क्या इस चुनाव में  कमल निशान पर बटन दबाकर इसके अपराधियों को सजा दोगे कि नहीं दोगे...। इनको बिस्तरा बोरिया लेकर उखाड़ फेंक दोगे कि नहीं फेंक दोगे...। और तब जाकर के चलो पलटोई होगा कि नहीं होगा..., तब जाकर के चलो पलटोई होगा कि नहीं होगा...।

भाइयो बहनों

मैं हैरान हूं कि 96 के बाद मुझे बताया गया कि कोई नया वेतन में सुधार ही नहीं हुआ है। ये दिल्ली में  इनके जो जुड़े लोग हैं न, वो इन चीजों को बाहर नहीं आने देते। और आप, आपके साथ ये अन्याय चलता रहेगा। 7th पे कमीशन लागू क्यों नहीं किया जा रहा? देश के किसी कोने में सरकार ने लागू नहीं किया होता, तो ये लाल झंडा लेकर निकल पड़ते और वहां पर आग लगा देते ये लोग। लेकिन बीस-बीस, पच्चीस-पच्सीस साल से सरकार में बैठे हैं। और यहां का मुलाजिम भी इतना डरा हुआ है, इतना दबा हुआ है कि 96 के बाद पे रिवीजन नहीं मिलने के बाद भी, बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पा रहा तो भी, बूढे मां-बाप की बीमारी में दवाई कराने की सुविधा नहीं है तो भी चुपचाप बैठा है। क्योंकि उसे मालुम है कि अगर वो कुछ भी बोलने जाएगा तो उसको जीवनभर से नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा, ऐसा भय बना कर रखा है।

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भाइयो बहनों

आप मुझे बताइए कि क्या भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने आ कर के यहां के सभी सरकार के मुलाजिमों को 7th पे कमीशन देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए...। आप बताइए देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए...। उनको हक मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए...। भाइयो बहनों, भारतीय जनता पार्टी ने आपको वादा किया है कि यहां पर सभी मुलाजिम, देश में मजदूरों के लिए जो मिनिमम वेजेज है, वो त्रिपुरा के लोगों को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए..., मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए...। मिनिमम वेजेज हर गरीब को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए...। भाइयो बहनों भारतीय जनता पार्टी वादा करती है देश में जो मिलता है वो त्रिपुरा के मजदूर को भी मिलकर रहेगा।

भाइयो बहनों

यहां पर लोकतंत्र शब्द सिर्फ चुनाव में बटन दबाने के लिए काम में आता है। और उसमें भी जैसा जुल्म किया जाता है चुनावों में  चाहे केरल हो, चाहे पश्चिम बंगाल हो चाहे त्रिपुरा हो, जहां-जहां ये लाल झंडा पहुंचा है, उसने लोकतंत्र को अपने लिए उपयोग करना, अपने तरीके से तोड़ना मरोड़ना और लाठी से ही लोकतंत्र को चलाना ये परंपरा खड़ी की है और त्रिपुरा में भी। आप मुझे  बताइए त्रिपुरा सरकार के खिलाफ बोलने वालों को जान हथेली पर लेकर निकलना पड़ता है कि नहीं निकलना पड़ता है...। ये लोग जुल्म करते हैं कि नहीं करते हैं...। अरे गरीब आदमी को डांटते हैं कि देखो तुम्हारे गांव में जो वोट नहीं मिला तो तेरा राशन कार्ड गया। ऐसा करते हैं कि नहीं  करते हैं...। मैं आपको बताता हूं कि मैंने कंप्यूटर पर सब लिखकर रखा है, इनकी कोई ताकत नहीं है कि आपसे कोई छीन सके।

भाइयो बहनों

आज भी त्रिपुरा में अगर 100 रुपये का खर्चा होता है तो 100 रुपये में से 80 रुपया दिल्ली सरकार से आता है, भारत सरकार से आता है। लेकिन यहां पैसे मिलने के वाबजूद भी, या तो पैसों का खर्च नहीं होता है, या तो पैसों का हिसाब नहीं मिलता है।

भाइयों बहनों

आप मुझे बताइए, ये रोजवैली क्या था भाई, क्या था भाई रोजवैली? त्रिपुरा के गरीबों को लूटा गया कि नहीं लूटा गया...। लाखों परिवारों को तबाह कर दिया गया कि नहीं कर दिया गया...। रोलवैली के कारण यहां के लोगों को आत्महत्या करनी पड़ी या नहीं करनी पड़ी...। और रोजवैली से कमाई किसकी हुई, इनको सजा देनी है कि नहीं देनी है...। अरे रोजवैली में आप जो गरीबों को लूटा गया है, जिन्होंने मिलीभगत कर के लूटा है उनको भाइयो बहनों ऐसी सजा दो, ऐसी सजा दो ताकि फिर से किसी गरीब का कोई एक रुपया छीनने की हिम्मत नहीं कर पाएं।

भाइयो बहनों

आज देश के नौजवानों को रोजगार देना है, मां-बहनों को सम्मान की जिंदगी देनी है, बुजुर्गों का ख्याल करना है तो त्रिपुरा का विकास किए बगैर होने वाला नहीं है। और इनके रहते हुए, क्यों कि इन्होंने पार्टी सरकार सब एक कर दिया है। किसी की हत्या हो जाए तो पुलिस थाने में जाने से पहले ये लाल सलाम वालों के घर जाना पड़ता है, उनको चढ़ावा देना पड़ता है, तब जाकर एफआईआर लॉज होती है। पुलिस वाला कहता है कि आपकी शिकायत सही है, लेकिन पहले वहां से जरा परमीशन लाइए, वहां से मैसेज करवा दीजिए तब काम होगा। आपका राशन कार्ड का हक है, लेकिन जबतक कम्युनिस्ट पार्टी उस पर सिक्का नहीं मारती है आपको राशन कार्ड नहीं मिल सकता। क्या ये लोकतंत्र है क्या? ये गुलामी का नया रूप है कि नहीं है...। ये लोगों को गुलामी में रखने का कांड है कि नहीं है...।

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भाइयो बहनों

हम विकास की चर्चा लेकर आए हैं। हमारा मंत्र रहा है, ट्रांसफोर्मेंशन बाइ ट्रांसपोर्टेशन। अच्छी सड़कें हो, रेल हो, एयरपोर्ट हो, यहां के लोगों को अपने सपने पूरा करने के लिए सुविधाएं हों और इसीलिए हमारी सरकार ने जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, तभी बहुत बड़ा फैसला लिया था। और वही फैसला एक है, जो हमारे उत्तर पूर्व के राज्य, नॉर्थ ईस्ट के राज्य इनके कल्याण करने का आधार बना है। उन्होंने अलग डोनर मंत्रालय बनाया, और हर भारत सरकार के मंत्रालय को कहा कि आपका जो बजट है उसमें से 10 प्रतिशत आपको नॉर्थईस्ट के विकास के लिए खर्च करना पड़ेगा। ऐसा महत्वपूर्ण फैसला किया। हमारी सरकार ने आकर के ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी बनाया, क्योंकि हमारा मत है कि जब तक भारत का पूर्वी क्षेत्र, उत्तर पूर्वी क्षेत्र इनका विकास अगर नहीं होगा तो देश का विकास असंतुलित होगा, देश का भाग्य नहीं बदल सकता। देश का भाग्य तब बदलता है जब त्रिपुरा का भाग्य बदले तब जाकर के देश का भाग्य बदलता है। और इसलिए हमने त्रिपुरा के विकास के लिए अनेक योजनाएं बनाईं। ये लोग यह भी झूठ फैला रहे हैं कि बीजेपी की सरकार आएगी तो ये बंद हो जाएगा, ढींकना बंद हो जाएगा, फलाना बंद हो जाएगा। बीजेपी की सरकार तो चार साल से दिल्ली में बैठी है आपका कोई  हक छीना गया क्या?, आपकी कोई योजना बंद की क्या?, ये झूठ क्यों फैला रहे हो भाई, क्यों फैला रहे हो। और ये झूठ का भी जवाब देना पड़ेगा। भाइयों बहनों, उनके मंत्रियों पर कैसे-कैसे आरोप लगे हुए हैं, और बीजेपी सरकार आएगी तो उनको डर है कि बचने के लिए जाएं तो जाएं कहां।

भाइयो बहनों

कहते हैं कि जब कोई ग्रहयोग खराब होते हैं, तो जो उस पर विश्वास करते हैं तो वो अलग रंगों के पत्थरों की अंगूठियां पहनते हैं, पहनते हैं न...। लेकिन अगर गलत पत्थर वाली अंगूठी पहन ली तो फिर हालत और बुरा हो जाते हैं, जो होते हैं वो भी बुरे हो जाते हैं। इसलिए त्रिपुरा ने गलत माणिक पहन लिया है। जब तक आप यह गलत माणिक नहीं उतारोगे आपका भाग्य नहीं बदलेगा। और इसलिए यह माणिक, यह ऐसी अंगूठी आपने लगा दी, ऐसा पत्थर आपने जड़ दिया और पच्चीस साल से जड़ कर रखा है। दिल्ली में कितनी सरकार बदल जाएं, तारे आसमान में बदल जाएं, ग्रह बदल जाएं, सूरज इधर चले, चंद्र इधर चले, सब हो, लेकिन यह ऐसा पत्थर चिपका हुआ है कि आपको उसके अच्छे दिन का फायदा भी नहीं पहुंच सकता। और इसलिए अब आपको माणिक नहीं चाहिए, माणिक से मुक्ति ले लो। अब आपको जरूरत है हीरे की। हीरा चाहिए हीरा। हीरा चाहिए कि नहीं चाहिए...। हीरा चाहिए कि नहीं चाहिए...। हीरा चाहिए कि नहीं चाहिए...। और जब मैं हीरा कहता हूं तो मेरा सीधा-सीधा अर्थ है हीरे का एच मतलब हाईवे, आई मतलब आईवे (डिजिटल कनेक्टिविटी), आर मतलब रोड, ए मतलब एयर।  हाईवे, आईवे, रोडवे, एयरवे ये हीरा चाहिए त्रिपुरा को, जो त्रिपुरा को नई ऊंचाई पर ले जाए। और हम आपको, आपका माणिक जाएगा और हीरा आएगा, जो आपका हीरा होगा।

भाइयो बहनों

पूरे इस इलाके की कनेक्टिविटी के लिए हम काम करने के लिए तैयार हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में सरकार ने हाल ही में नॉर्थ ईस्ट स्पेशल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम को मंजूरी दी है। और इसके तहत इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए अब सौ के सौ प्रतिशत, 100 परसेंट भारत सरकार की तिजोरी से पैसा मिलेगा। और इसके लिए सरकार ने करीब-करीब 5,300 करोड़ रुपया लगाने का फैसला किया है भाइयो। आपकी ये सूरत बदलेगी कि नहीं...। भाइयो बहनों और इसमें वाटर सप्लाई, पावर सप्लाई, कनेक्टिविटी जिसके कारण त्रिपुरा के जो सामान्य जीवन हैं, ईज ऑफ लिविंग की बात है, उसको बल मिलेगा। भाइयो बहनों, त्रिपुरा में हम हीरा लेकर आए हैं और साथ-साथ त्रिपुरा का टी, ये त्रिपुरा के टी के साथ और तीन पर हम बल देना चाहते हैं। और वो तीन हैं  ट्रेड, टूरिज्म और नौजवानों को ट्रेनिंग।  ये थ्री टी, एक तरफ हीरा इन्फ्रास्ट्रक्चर और ये थ्री टी जो जीवन में आपके बदलाव लाने का बहुत बड़ा काम करेंगे। उस काम को लेकर के हम आए हैं।

भाइयो  बहनों

पिछले तीन वर्षो में पूर्वोत्तर क्षेत्र में रेल नेटवर्क के विकास के लिए वार्षिक तौर पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं। त्रिपुरा में सभी मीटर गेज को हमने ब्रॉड गेज में परिवर्तित कर दिया है। अगरतला अब देश की राजधानी नई दिल्ली के साथ रेलमार्ग से जुड़ गया है। एक नई राजधानी त्रिपुरा की आवश्यकताओं को पूरा कर रही है और दिल्ली के साथ सीधी कनेक्टिविटी दे रही है। अब त्रिपुरा के लिए दिल्ली दूर नहीं है।

भाइयो बहनों

त्रिपुरा के अंदर सड़कों के विकास के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई में हमारे आने के बाद त्रिपुरा को न्याय मिले इसका हमने बीड़ा उठाया और 80 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी हमारी दिल्ली में सरकार बनने के बाद राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुई है। सरकार ने 1,700 करोड़ रुपये की लागत से करीब-करीब सवा सौ किलोमीटर रोड के तीन प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है। 128 करोड़ की लागत से सबरूम में फेरी नदी पर पुल का निर्माण भी हमारी योजना में शामिल है भाइयो बहनों। हमने आने वाले 3 वर्षो में 11 हजार करोड़ रुपये नार्थ ईस्ट के लिए, कनेक्टिविटी फिजिकल कनेक्टिवी के लिए लगाने की दिशा में हमने काम किया है। अगरतला का एयरपोर्ट 450 करोड़ की लागत लगाकर के अगरतला का टर्मिनल बिल्डिंग उसके निर्माण की हमने मंजूरी दे दी है। आप कल्पना कर सकते हो, त्रिपुरा की शान कितनी बढ़ने वाली है।

भाइयो बहनों

हम एक उड़ान योजना लेकर आए हैं। उड़ान योजना के तहत हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज में जा सकता है इतना सस्ता कर दिया है। ढाई हजार रुपये में यात्रा की व्यवस्था, और जिसका सबसे ज्यादा लाभ नॉर्थ ईस्ट को मिलने वाला है, त्रिपुरा के दूर दराज के लोगों को मिलने वाला है, त्रिपुरा के नौजवान के मिल रहा है। भाइयो बहनों, भारत के अंदर नए-नए एयरपोर्ट बनाना और सीधी कनेक्टिविटी नॉर्थ ईस्ट के लोगों को आसानी से मिल जाए उस दिशा में हमने काम किया है।

भाइयो बहनों

आजकल की दुनिया ऐसी है कि एक बार अगर टेलिफोन की कनेक्टिवटी छूट गई तो ऐसा लगता है दिन चला गया, जैसा सब खो गया, मोबाइल फोन की कनेक्टिविटी के लिए वो बेचैन हो जाता है। ये चलता क्यों नहीं है, ऐसा होता है कि नहीं होता है...। भाइयो बहनों, हमारा नौजवान तो आजकल सबकुछ उसी में देखता है, दुनिया की खबरें भी उसमें देखता है, अपनी आवश्यकता भी उसी से ढूंढता है,पढ़ाई के लिए पेपर्स भी उसी से मिल जाते हैं, जो भी उसको सजेशन चहिए वो भी उसको मिल जाते हैं। और इसलिए पिछले साल फरवरी में अगरतला भी इंटरनेशनल इंटरनेट गेटवे, आईआईजी और बीएसएनएल के लिंक पर हमने ट्रैफिक आरंभ कर दिया है। कॉस बाजार बांग्लादेश, उस रास्ते से, हमारे पड़ोसी देशों से दोस्ती बड़ाकर के काम होता है। इंटरनेशनल इंटरनेट गेटवे पर आने वाला ये त्रिपुरा, यह हमारा अगरतला देश का तीसरा शहर है। यह सौभाग्य मुंबई को मिला, चेन्नई को मिला अगर तीसरा किसी को मिला तो ये आपके अगरतला को मिला है। कोई कल्पना कर सकता है कि दिल्ली में ऐसी सरकार बैठी है कि जिसको सिर्फ मुंबई और चेन्नई नहीं अगरतला भी याद आता है। और यहां पर वो सुविधा देता है जो मुंबई और चेन्नई को देता है।

भाइयो बहनों

हमारी सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला किया है। आप हैरान होंगे दिल्ली में बैठकर जो सरकार चलाते थे, इनको हमारे उत्तरपूर्व के राज्यों का थोड़ा भी ज्ञान होता, थोड़ी भी संवेदना होती, त्रिपुरा की जिंदगी में क्या चहिए , क्या नहीं चहिए इसकी समझ होती, तो मेरे देश में आजादी के 70 साल बाद भी बांस बंबू, बंबू काटने पर रोक। मेरा गरीब आदिवासी त्रिपुरा के जंगलों में बांस उगाता है, खुद का घर बांस काटकर बनाना है तो, वो भी नहीं कर सकता है। कारण, दिल्ली में बैठे हुए लोगों ने त्रिपुरा को क्या चहिए क्या नहीं, नार्थ ईस्ट को क्या चहिए, क्या नहीं, समझ नहीं। और इसलिए उन्होंने जो बंबू ग्रास की श्रेणी में आता है उसको पेड़ की श्रेणी में डाल दिया और सारे जंगलों के कानून उस पर लगा दिए। सरकार ने आपकी अर्थव्यवस्था का जो आधार बंबू है हमने उसको पेड़ की केटेगरी से निकाल कर के  ग्रास की श्रेणी में डाल दिया, अब आप बंबू का उपयोग, काट सकते हैं, बेच सकते हैं। और दूसरी तरफ देश अगरबत्ती बनाने के लिए बंबू बाहर से लाता है। बताइए क्या ये हम हमारे त्रिपुरा के लोगों को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए...। यहां की रोजीरोटी में काम आना चाहिए कि नहीं आना चाहिए...। लेकिन उनको पता ही नहीं है कि देश के किस कोने में कौन सी चीजों की जरूरत है और इसलिए गलत निर्णय करते हैं। हम इस बात को बढ़ाना चहते हैं, हम तो चाहते हैं खेत के कोने पर भी लोग बंबू उगाएं, देश की आवश्यकता के अनुसार बंबू हो और इसलिए हमने इस बार बजट में नेशनल बंबू मिशन की रचना की है और 1,300 करोड़ का बजट इस बंबू के लिए लगाने का काम किया है। अभी मुझे इतनी सुंदर बेंत भेंट दी गई, कितना उत्तम काम त्रिपुरा के लोगों ने बंबू के ऊपर किया है, ये ताकत है, दुनिया के अंदर हम नाम रौशन कर सकते हैं, हमारी इस कला के द्वारा। और इसलिए हमलोग उसकी दिशा में काम करना चाहते हैं।

 

भाइयो  बहनों

त्रिपुरा की सरकार, उस पर जो दाग लगे हैं उस दाग से कभी बचने वाली नहीं है। हमारा देश विविधिताओं से भरा हुआ देश है, और उन विविधिताओं को बचाना, उन विविधताओं का सम्मान करना, उन विविधिताओं का विकास करना, ये देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए बहुत आवश्यक है। जंगलों में रहने वालों की अलग विविधिताएं हैं विशेषताएं हैं, आदिवासियों की अलग विविधाएं-विशेषताएं हैं, समाज की भिन्न-भिन्न भाषा बोलने वालों की अलग अलग विविधिता-विशेषता है। हमारा प्रयास है कि त्रिपुरा में भी परंपरागत रूप से जो विविधिता-विशेषता वाले समूह हैं, उनकी परंपराओं की रक्षा हो, उनका गौरव बढ़े और देश को उसकी पहचान हो। उसके लिए विशेष रूप से प्रयास करने का निर्णय भी हमारी सरकार करेगी और दिल्ली सरकार पूरी मदद करेगी, ये मैं आपको विश्वास दिलाने आया हूं।

 

भाइयों बहनों  

ये लोग अगर आपको धमकी देते हैं कि अगर आप वोट नहीं दोगे तो राशन कार्ड चला जाएगा, आप अगर वोट नहीं दोगे तो आधार कार्ड चला जाएगा। आप लिख कर रख लो, आपका कुछ नहीं चला जाएगा, ये धमकी देने वाले चले जाएंगे, ये धमकी देने वाले चले जाएंगे। और इसलिए मैं आप सबसे आग्रह करने आया हूं कि इस चुनाव में आपके दिल की जो आवाज है, जो आपके रगों में दौड़ रही है, जिस बात ने आपके दिलो दिमाग को गर्म करके रखा है, जो आपका मंत्र बन गया है, जो आपका नारा बन गया है। वो सिर्फ जनसभाओं में नहीं वो पोलिंग बूथ के अंदर जाकर के वोटिंग मशीन में से निकलना चाहिए। बटन दबाकर के निकलना चाहिए। चलो पलटोई, वो उस मशीन में से आवाज आना चाहिए। चलो पलटोई, जैसे ही बटन दबाओगे तो आपकी आत्मा सुनेगी हां अब मशीन भी बोल रहा है चलो पलटोई। और इसलिए मेरे भाइयो बहनों त्रिपुरा के उज्ज्वल भविष्य के लिए ये जो माणिक जड़ा हुआ है, उसे निकाल कर हीरा धारण कर लो और थ्री टी के द्वारा ट्रेड, टूरिज्म और ट्रेनिंग के आधार पर हमारे त्रिपुरा को नए विकास की ऊंचाई पर ले जाओ। इसी अपेक्षा के साथ दोनों मुट्ठी बंद कर मेरे साथ बोलिए और पूरी ताकत से बोलिए पच्चीस साल पुरानी सल्तनत को उखाड़ फेंक देना है भाइयों, लोकतांत्रिक तरीकों से फेंक देना है। जुल्म करने वालों को जाना पड़ेगा, इस विश्वास के साथ चलो पलटोई का नारा साथ लेकर के चलना है। और इसलिए मैं आपसे नारा बुलवाता हूं, पूरी ताकत से बोलिए।

 

भारत माता की जय, चलो पलटोई…, चलो पलटोई…, चलो पलटोई…, बहुत-बहुत धन्यवाद

 

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We are moving towards an India where energy is cheap, clean and easily available: PM Modi in Alipurduar, West Bengal
May 29, 2025
QuoteToday when India is moving towards becoming a developed nation, the participation of Bengal is both expected and essential: PM
QuoteWith this intention, the Central Government is continuously giving new impetus to infrastructure, innovation and investment here: PM
QuoteBengal's development is the foundation of India's future: PM
QuoteThis city gas distribution project is not just a pipeline project, it is an example of doorstep delivery of government schemes: PM
QuoteWe are moving towards an India where energy is cheap, clean and easily available: PM


केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी सुकांता मजूमदार जी, पश्चिम बंगाल विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष, सुवेंदु अधिकारी जी, अलीपुरद्वार के लोकप्रिय सांसद भाई मनोज तिग्गा जी, अन्य सांसद, विधायक, और बंगाल के मेरे भाइयों और बहनों!

अलीपुरद्वार की इस ऐतिहासिक भूमि से बंगाल के सभी लोगों को मेरा नमस्कार!

अलीपुरद्वार की ये भूमि सिर्फ सीमाओं से नहीं, संस्कृतियों से जुड़ी है। एक ओर भूटान की सीमा है, दूसरी ओर असम का अभिनंदन है। एक ओर जलपाईगुड़ी का सौंदर्य है, दूसरी ओर कूचबिहार का गौरव है। आज इसी समृद्ध भू-भाग पर मुझे आप सबके दर्शन करने का सौभाग्य मिला है।

साथियों,

आज जब भारत विकसित राष्ट्र की ओर बढ़ रहा है, तो बंगाल की भागीदारी अपेक्षित भी है और अनिवार्य भी है। इसी इरादे के साथ, केंद्र सरकार यहां लगातार इंफ्रास्ट्रक्चर, इनोवेशन और इन्वेस्टमेंट को नई गति दे रही है। बंगाल का विकास, भारत के भविष्य की नींव है। और आज का दिन उसी नींव में एक और मजबूत ईंट जोड़ने का दिन है। कुछ देर पहले, हमने इस मंच से अलीपुरद्वार और कूचबिहार में सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया है। इस प्रोजेक्ट से ढाई लाख से अधिक घरों तक, साफ, सुरक्षित और सस्ती गैस पाइपलाइन से पहुंचाई जाएगी। इससे ना सिर्फ रसोई के लिए सिलेंडर खरीदने की चिंता खत्म होगी, बल्कि परिवारों को सुरक्षित गैस सप्लाई भी मिल पाएगी। इसके साथ-साथ, सीएनजी स्टेशंस के निर्माण से ग्रीन फ्यूल की सुविधाओं का भी विस्तार होगा। इससे पैसे की भी बचत होगी, समय की भी बचत होगी, और पर्यावरण को भी राहत मिलेगी। मैं अलीपुरद्वार और कूचबिहार के नागरिकों को इस नई शुरुआत के लिए बधाई देता हूं। सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन का ये प्रोजेक्ट, सिर्फ एक पाइपलाइन प्रोजेक्ट नहीं है, ये सरकार की योजनाओं की, डोर स्टेप डिलिवरी का भी एक उदाहरण है।

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साथियों,

बीते कुछ वर्षों में भारत ने ऊर्जा के क्षेत्र में जो प्रगति की है, वो अभूतपूर्व है। आज हमारा देश गैस आधारित इकोनॉमी की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। 2014 से पहले, देश के 66 ज़िलों में सिटी गैस की सुविधा थी। आज 550 से ज्यादा ज़िलों में सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क पहुँच चुका है। ये नेटवर्क अब हमारे गांवों और छोटे शहरों तक पहुँच रहा है। लाखों घरों को पाइप से गैस मिल रही है। CNG की वजह से पब्लिक ट्रांसपोर्ट में भी बदलाव आया है। इससे प्रदूषण कम हो रहा है। यानि, देशवासियों की सेहत भी बेहतर हो रही है और जेब पर भी बोझ कम पड़ रहा है।

साथियों,
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से इस परिवर्तन में और गति आई है। हमारी सरकार ने वर्ष 2016 में ये योजना शुरू की थी। इस योजना ने करोड़ों गरीब बहनों का जीवन आसान बनाया है। इससे महिलाओं को धुएं से मुक्ति मिली है, उनका स्वास्थ्य सुधरा है, और सबसे बड़ी बात, घर की रसोई में सम्मान का माहौल बना है। 2014 में, हमारे देश में 14 करोड़ से कम LPG के कनेक्शन थे। आज ये संख्या 31 करोड़ से भी ज्यादा है। यानी हर घर तक गैस पहुँचाने का जो सपना था, वो अब साकार हो रहा है। हमारी सरकार ने इसके लिए देश के कोने-कोने में गैस डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क को मजबूत किया है। इसलिए, देशभर में LPG डिस्ट्रीब्यूटरों की संख्या भी दोगुनी से ज्यादा हो चुकी है। 2014 से पहले देश में 14 हजार से भी कम LPG डिस्ट्रीब्यूटर थे। अब इनकी संख्या भी बढ़कर 25 हजार से ज्यादा हो गई है। गाँव-गाँव में अब आसानी से गैस सिलेंडर मिल जाते हैं

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साथियों,

आप सभी ऊर्जा गंगा परियोजना से भी परिचित हैं। ये प्रोजेक्ट गैस आधारित अर्थव्यवस्था की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। इस योजना के तहत गैस पाइपलाइन को पूर्वी भारत के राज्यों से जोड़ने का काम हो रहा है। अब पश्चिम बंगाल समेत पूर्वी भारत के अनेक राज्यों में गैस पाइप से पहुंच रही है। भारत सरकार के इन सारे प्रयासों से शहर हो या गांव, रोज़गार के नए अवसर भी बने हैं। पाइपलाइन बिछाने से लेकर गैस की सप्लाई तक, हर स्तर पर रोज़गार बढ़ा है। गैस आधारित इंडस्ट्रीज़ को भी इससे बल मिला है। अब हम एक ऐसे भारत की ओर बढ़ रहे हैं, जहाँ ऊर्जा सस्ती भी हो, स्वच्छ हो, और सर्वसुलभ हो।

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साथियों,

पश्चिम बंगाल, भारत की संस्कृति का, ज्ञान विज्ञान का एक बड़ा केंद्र रहा है। विकसित भारत का स्वप्न, बंगाल के विकास के बिना पूरा नहीं हो सकता है। और इसी बात को ध्यान में रखते हुए, केंद्र सरकार ने बीते 10 वर्षों में यहां हजारों करोड़ के विकास कार्य शुरू करवाए हैं। पूर्वा एक्सप्रेसवे हो या दुर्गापुर एक्सप्रेसवे, श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट का आधुनिकीकरण हो या कोलकाता मेट्रो का विस्तार हो, न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन का कायाकल्प हो या डुआर्स रूट पर नई ट्रेनों का संचालन हो, केंद्र सरकार ने बंगाल के विकास का हर संभव प्रयास किया है। आज जो ये प्रोजेक्ट शुरू हुआ है, वो भी सिर्फ एक पाइपलाइन नहीं, प्रगति की जीवन रेखा है। आपका जीवन आसान हो, आपका भविष्य उज्ज्वल हो, यही हमारा प्रयास है। हमारा बंगाल विकसित होने की दिशा में तेजी से आगे बढ़े, इसी कामना के साथ एक बार फिर, इन सारी सुविधाओं के लिए मैं ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूं। अभी 5 मिनट के बाद, मैं यहां से एक खुले मंच पर जा रहा हूं, बहुत सी बातें आप मुझसे सुनना चाहते होंगे, वो मंच ज्यादा उपयुक्त है, इसलिए बाकी बातें मैं वही बताऊंगा 5 मिनट के बाद। इस कार्यक्रम में इतना ही काफी है, विकास के इस यात्रा को उमंग और उत्साह के साथ आप आगे बढा़एं।

बहुत-बहुत शुभकामनाएं, बहुत-बहुत धन्यवाद।