The Congress and its ‘Mahamilawati’ allies spent decades ruling the country but could not eradicate poverty from the country: PM Modi
The reason that people do not trust the false promises made by the Congress anymore is because they have seen its past track-record: PM Modi in M.P.
In the past months, thepeople of M.P. have witnessed how the state government of Congress has totally failed to meet the expectations of the people: Prime Minister Modi

भारत माता की जय, भारत माता की जय।

राम-राम, जै माई की। जिस धरती ने अटल बिहारी वाजपेयी जी, विजिया राजे सिंधिया जी, कुशाभाऊ ठाकरे जी जैसे देश को दिशा देने वाले महान व्यक्तित्व दिए, उस धरती को मैं प्रणाम करता हूं। आज ग्वालियर-चंबल की इस धरती पर ऐसे समय पर आया हूं जब देश में चार चरणों का चुनाव हो चुका है और इसमें कांग्रेस और उसके साथी चारों खाने चित हो चुके हैं। ये मेरा सौभाग्य है की आप लोगों का इतना स्नेह, आशीर्वाद मुझे और मेरे सभी साथियों को मिल रहा है। आज यहां मैं अपना प्रचार नहीं, आपका आभार व्यक्त करने आया हूं। 2014 से 2019, मैं जो कुछ भी कर पाया हूं, वो आपके साथ और सहयोग के कारण कर पाया हूं, आपके समर्थन के कारण कर पाया हूं और इसके लिए मैं आप सब का, पूरे मध्यप्रदेश का आदरपूर्वक धन्यवाद करता हूं।

साथियो, ये तो पूरी दुनिया ही पहली बार देख रही है की कैसे देश के लोगों ने अपने इस सेवक के प्रचार की कमान लोगों ने खुद ही संभाल ली है। मैं कहीं पर भी जाता हूं, कार्यकर्ताओं से पूछता हूं कि क्या हाल है भाई चुनाव का। वो कहते हैं साहब, हम कहां चुनाव लड़ रहे हैं, चुनाव तो जनता लड़ रही है, आपके लिए लड़ रही है। शायद 77 के बाद इमरजेंसी के बाद ये पहला चुनाव है जो देश की जनता लड़ रही है और सरकार को दोबारा बनाने के लिए लड़ रही है। जब देश का नवजवान दिन-रात फिर एक बार मोदी सरकार कह के दौड़ रहा हो। जब देश की माताएं-बहने-बेटियां, मेरा प्रचार कर रही हों, जब देश के छोटे-छोटे उद्यमी मेरा प्रचार कर रहे हों तो इससे बड़ा सौभाग्य मेरे लिए और क्या हो सकता है।

साथियो, 2019 के इस चुनाव में एक तरफ महामिलावट करने वालों की गाली-गलौज, झूठ और प्रपंच है और दूसरी तरफ अपने इस सेवक पर जनता जनार्दन का विश्वास है। ये कांग्रेस और उनके सब महामिलावटी, ये कहते हैं मोदी हटाओ लेकिन जिस गरीब को पक्का घर मिला है वो कह रहा है, फिर एक बार… मोदी सरकार। महामिलावटी कहते हैं, मोदी हटाओ लेकिन जिस बहन को शौचालय मिला है, इज्जतघर मिला है वो कह रही है। फिर एक बार… मोदी सरकार। महामिलावटी कहते हैं, मोदी हटाओ लेकिन जिस गरीब बहने को मुफ्त में गैस कनेक्शन मिला है, धुएं से मुक्ति मिली है वो कह रही है, फिर एक बार… मोदी सरकार। महामिलावटी कहते हैं, मोदी हटाओ लेकिन जिस गरीब परिवार को पांच लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त सुनिश्चित हुआ है, आयुष्मान योजना उसके दरवाजे पहुंच गई है वो कह रहा है, फिर एक बार… मोदी सरकार। महामिलावटी कहते हैं, मोदी हटाओ लेकिन जिन किसानों के खाते में साधी सहायता पहुंच रही है, जिन्हें छोटे खर्चो के लिए अब उधार नहीं लेना पड़ रहा है वो कह रहे हैं, फिर एक बार… मोदी सरकार। महामिलावटी कहते हैं, मोदी हटाओ लेकिन जिस मिडिल क्लास के लिए पांच लाख रुपए तक की इनकम पर हमने टैक्स जीरो किया है, जो देख रहा है की हमने महंगाई नियंत्रण में रखी है वो कह रहा है, फिर एक बार… मोदी सरकार।

साथियो, एक तरफ जातिवादियों और वंशवादियों की जिद्द है मोदी को हटाने की, दूसरी तरफ जनता की भी जिद्द है, जनता भी अपनी जिद्द पर अड़ी हुई है। जनता ने महामिलावटी नेताओं को कह दिया है, आएगा तो मोदी ही। भाइयो-बहनो, अब जो बात मैं कहने जा रहा हूं। अब इतना प्यार करोगे तो मुझे ग्वालियर में ही रहना पड़ेगा।

भाइयो-बहनो, मैं आज देश के भविष्य के साथ कुछ बात करना चाहता हूं। वो नवजवान, युवा और युवती जो इक्कीसवीं सदी में लोकसभा के लिए पहली बार वोट देने वाले हैं। जो नवजवान इक्कीसवीं सदी का भविष्य, उंगली दबा कर के, कमल के निशान पर बटन दबा कर के देश का भविष्य सुनिश्चित करने वाले हैं। जो फर्स्ट टाइम वोटर है, जो पहली बार लोकसभा में मतदान करने वाले हैं। उनके लिए ये बात सामान्य नहीं है, जिनके पहली बार वोट करने का, देश का भविष्य तय करने का अवसर मिला है, ऐसे सभी मतदाताओं को, युवक और युवतियों को मैं हृदयपूर्वक बहुत-बहुत बधाई देता हूं। लेकिन मैं आज उनके सामने देश की राजनीति का एक चित्र रखना चाहता हूं और मुझे विश्वास है की मेरी ये नई पीढ़ी देश के लिए सोचेगी, देश के लिए मतदान करेगी। और नई पीढ़ी का मत, पांच साल के लिए नहीं है क्योंकि जो पहली बार वोट देने जा रहा है वो 18-19-20 साल का नवजवान, उसे तो 21वीं सदी में अपना पूरा जीवन गुजारना है। इसलिए उसका वोट 21वी सदी की उसकी जिंदगी के लिए है।

भाइयो-बहनो, भारत की राजनीति का एक चित्र, भारत की राजनीति में चार-चार अलग-अलग तरह की राजनीतिक परंपराएं रही हैं। ये चार दलीय व्यवस्थाएं ही देश की स्थिति, देश के विकास की गति इन्हीं के हाथ में रही है, ये चार हैं कौन। मैं चाहूंगा की देश की नई पीढ़ी इस बात को समझे और ग्वालियर ऐसे बुद्धिजीवियों की ऐसी जगह है तो मेरा मन भी करता है की राजनीति की बात करते-करते कुछ एकेडेमिक चर्चा भी उनके साथ कर लूं। इसलिए राजनीतिक मंच होने के बावजूद भी कुछ मैं उन बातों को भी करना चाहता हूं जो आने वाले दिनों में, यूनीवर्सिटीज में, टीवी डिबेट में चुनाव नतीजों के बाद भी इसकी गूंज सुनाई देनी चाहिए। ये चार कौन है, इसमें पहला है नामपंथी, दूसरा है वामपंथी, तीसरा है दाम और दमनपंथी और चौथा है विकासपंथी। आपको ऐसी बात सुनना ठीक लगेगा ना? नामपंथी, जो दिन-रात अपने वंशवादी नेता का नाम जपे, पार्टी में किसी सामान्य कार्यकर्ता को आगे ना बढ़ने दे, ये है नामपंथी जमात, हमारे देश में वो जमात आप जानते हैं। दूसरी है वामपंथी, वामपंथी यानी जिन्होंने बंगाल को बर्बाद किया, जिन्होंने त्रिपुरा को बर्बाद किया, जिन्होंने केरल को बर्बाद किया और ये वामपंथी यानी जो मरी पड़ी विदेशी विचारधारा को भारत में जिंदा करने की कोशिश करें, हिंसा का सहारा लें, वे हैं वामपंथी। तीसरा है दाम और दमनपंथी, यानी जो धन और गन से सत्ता पर कब्जा करना चाहे। आज फिर बंगाल दाम और दमन से कुचला जा रहा है। भाइयो-बहनो, और चौथी है विकासपंथी यानी भारतीय जनता पार्टी जैसे दल जिनके लिए देश का विकास सर्वोच्च प्राथमिकता है, जो सत्ता को सेवा मानते हैं।

साथियो, इस लोकसभा चुनाव में आप अपने जीवन का पहला वोट करने जा रहे हैं। आपका एक-एक वोट तय करेगा की देश में किसी तरह की राजनीतिक परंपरा, राजनीतिक संस्कृति, राजनीतिक दल मजबूत होने चाहिए। एक तरफ नामपंथी, वामपंथा, दाम और दमनपंथी दल हैं तो दूसरी तरफ हमारे जैसे विकासपंथी हैं। आपका एक वोट देश को दिशा देने का काम करेगा।

भाइयो-बहनो, नामपंथी, वामपंथा, दाम और दमनपंथी रीजनीति ने हमेशा देश में विकास की गति को रोका है। युवाओं का आशाओं, आकाक्षाओं को रौंदा है, कांग्रेस के नेता मध्यप्रदेश में हो या दिल्ली में इनका एक ही एजेंडा है। अपने बच्चों के लिए तिजोरियां भर लो, उन्हें मध्यप्रदेश और देश के युवाओं की चिंता नहीं है, सिर्फ अपने परिवार की चिंता है।

साथियो, अपने परिवार के लिए ये देश की साख को भी दांव पर लगा देते हैं। आप जरा 2014 से पहले की तस्वीरें याद कीजिए। कांग्रेस जब सत्ता में थी तो वो दुनिया के बड़े-बड़े नेताओं को भारत बुलाते थे, भारत आते थे लेकिन वो भारत को किस तरह पेश करते थे। ये नामदार ने दुनिया के नेताओं को भारत की गरीबी दिखाने के लिए उनकी हर मुलाकात का उपयोग किया। इन लोगों ने भारत की गरीबी को दुनिया में ब्रांड की तरह बेचा है। इन्होंने भारत की छवि सांप-सपेरे वाले देश की बनाई थी और आज भी सांप-सपेरों से आगे वो नहीं बढ़ पाते हैं। भाइयो-बहनो, वहीं जब राष्ट्र के गौरव को सर्वोच्च रखने वाली सरकार आती है तब क्या स्थिति होती है ये आपने बीते पांच वर्षों में देखा है। आज विदेशी मेहमान आते हैं गंगा आरती की तस्वीर देखने, आज विदेशी मेहमान आते हैं कुंभ की दिव्यता और भव्यता देखने, आज विदेशी मेहमान आते हैं भारत की सोरल एनर्जी को, उसकी शक्ति देखने के लिए, आज विदेशी मेहमान आते हैं तो दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति, स्टेचू ऑफ यूनिटी, सरदार वल्लभाई पटेल को श्रद्धांजलि देने के लिए। कांग्रेस के नामदारों ने दुनिया को भारत की गरीबी दिखाई और हमने भारत का गौरव दिखाया।

साथियो, इनके गरीबी दर्शन कार्यक्रम का एक उदाहरण तो कुछ दिन पहले ही मीडिया में आया है। यहीं पड़ोस में टीकमगढ़ की आदिवासी बहन की एक झोंपड़ी को भी अपने इस पर्यटन के लिए नामदार ने 2008 में चुना था और उस आदिवासी बहन के घर गए, पूरा कैमरे का ताम-झाम लेकर के गए। फोटो निकलवाए, उस आदिवासी की झोंपड़ी में खाना खाया और खाना खा कर जैसे उस गरीब मां पर एहसान किया हो, वो भी किया। उसके बाद, ये घटना 2008 की है और अभी मीडिया ने निकाला है की उसके बाद 2014 तक रिमोट कंट्रोल सरकार रही दिल्ली में, नामदार की सरकार रही लेकिन नामदार ने उस गरीब मां का, उसके नमक का कर्ज नहीं चुकाया, उस नमक को भी भूल गए। मैं मीडिया में देख रहा था की अब जाकर मोदी के आने के बाद, नमक तो वो खा गए लेकिन नमक का हक मोदी ने चुकाया। मोदी ने आ कर के प्रधानमंत्री योजना के तहत, अपना पक्का घर अब उस बहन को मिल पाया है और खुद पक्के घर में रहने गई है।

भाइयो-बहनो, गरीब को लेकर ये कितने संवेदनशील रहे हैं, इसका एक और उदाहरण आज मीडिया में छाया हुआ है। साथियो, यूपी के अमेठी में एक अस्पताल है। इस अस्पताल के ट्रस्टी नामदार परिवार के सदस्य हैं। कुछ दिन पहले इस अस्पताल में एक गरीब, आयुष्मान कार्ड लेकर अपना इलाज कराने के लिए गया। वो मौत के साथ लड़ाई लड़ रहा था, वो जीने के लिए तड़प रहा था, उसके हाथ में मोदी का दिया हुआ आयुष्मान योजना का कार्ड था, वो अस्पताल गया। आप जानकर के हैरान हो जाएंगे, अमेठी का वो अस्पताल, जिसका काम ये नामदार परिवार चलाता है उस अस्पताल ने मरीज को इसलिए मना कर दिया की उसके हाथ में मोदी का दिया हुआ आयुष्मान भारत का कार्ड था। जानते हैं नामदार परिवार के अस्पताल ने उस गरीब को क्या कहा। मीडिया की अगर बात मानें तो उस गरीब को कहा गया की ये मोदी का अस्पताल नहीं जहां आयुष्मान कार्ड चल जाए। सोचिए, भाइयो-बहनो, गरीब की बीमारी को लेकर, उसकी मुश्किल परिस्थिति को लेकर कांग्रेस से जुड़े लोगों का ये कितना भयंकर रवैया है। भाइयो-बहनो, दुख की बात तो ये है की इलाज से इनकार करने पर अमेठी का वो गरीब अब इस दुनिया में नहीं है, उसकी मृत्यु हो चुकी है। अमेठी में उस मृत्यु के गुनहगारों को सजा मिलनी चाहिए। 

भाइयो-बहनो, गरीब की भलाई में भी कांग्रेस पहले अपनी राजनीति देखती है। ये हाल सिर्फ अमेठी के अस्पताल का ही नहीं है, राजस्थान में जहां कांग्रेस की सरकार है, वहां आयुष्मान योजना लागू नहीं की जा रही है। छत्तीसगढ़ में जहां कांग्रेस की सरकार है, वहां आयुष्मान योजना का लाभ गरीबों को नहीं मिल रहा है। साथियो, इन नामदारों को सजा दिए जाने का समय आ गया है, देश की जनता ने नामदारों के परिवारों को दशकों तक स्नेह दिया था, उन पर विश्वास किया था लेकिन इतने लंबे शासनकाल में सिवाय धोखेबाजी इन्होंने कुछ नहीं किया। याद है आपको, नामदार ने यहां ग्वालियर में ही 1,2,3,4,5 दस की गिनती सिखाई थी कि नहीं सिखाई थी और उन्होंने कहा थी की दस दिन में किसान का कर्ज माफ नहीं तो मुख्यमंत्री साफ। ये कहा था कि नहीं कहा था, ये वादा किया था कि नहीं किया था? अब पता चल रहा है की किसानों को बैंकों के नोटिस आ रहे हैं लेकिन नामदार के दस दिन नहीं आ रहे हैं। हां, एक काम जरूर हो गया, सीएम तो साफ नहीं हुए बल्कि एक नहीं, दो नहीं, ढाई-ढाई मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश में थोप दिए गए हैं।

भाइयो-बहनो, इन्होंने गरीबों के साथ-साथ हमारी आदिवासी बहनों को, गरीब बच्चों तक को नहीं छोड़ा। प्रसूता माताओं को पोषक आहार मिले, मध्यप्रदेश से भुखमरी और कुपोषण समाप्त हो, इसके लिए राष्ट्रीय पोषण अभियान ये चौकीदार चला रहा है, इसका पैसा भी कांग्रेस के रागदरबारी डकार गए। आज मध्यप्रदेश में नामदारों के जो बड़े-बड़े पोस्टर लगे हैं, जो टीवी में न्याय-न्याय का राग ये सुनाते हैं उसके लिए पैसा गरीब बच्चों के मुंह से निवाला छीन कर जुटाया गया है। साथियो, अब उन्होंने ठगी का एक और तरीका ढूंढा है। गरीबों से फर्जी फार्म भरवाए जा रहे हैं, नकली चेक दिए जा रहे हैं और यहां कर्मचारियों के ट्रांसफर के नाम पर, बिल्कुल पश्चिम बंगाल की तरह सिंडिकेट राज इन्होंने शुरू कर दिया है, ट्रांसफर उद्योग शुरू हो गया है। अभी तो चार महीने हुए हैं, कहीं से भी रुपए लाओ, बस। साथियो, अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए जो छल प्रपंच ये करते हैं उसका ही परिणाम आज देश को भुगतना पड़ रहा है। आज जो आतंकवाद और नक्सलवाद की समस्या है वो कैसे पैदा हुई। ये कांग्रेस सरकार की लापरवाही उसकी नाकामी की ही देन है।

साथियो, भाजपा के लिए सामान्य मानवी का जीवन सर्वोच्च प्राथमिकता है और राष्ट्र रक्षा ये सबसे बड़ा मुद्दा है। ग्वालियर-चंबल का ये पूरा क्षेत्र तो वीर-वीरांगनाओं और वीर माताओं का क्षेत्र है। उन्हीं के आशीर्वाद से यहां के सपूत आतंकियों और नक्सलियों के साथ लोहा ले रहे हैं लेकिन मैं उन्हें कांग्रेस के ढकोसलापत्र की याद दिलाना चाहता हूं, उनका मेनिफेस्टो, ये बस ढकोसलापत्र है और कुछ नहीं है। कांग्रेस ने वादा किया है की सत्ता में आए तो सैनिकों को मिला विशेष अधिकार हटा देंगे। देशद्रोह का कानून हटा देंगे। साथियो, सैनिकों के मान-सम्मान के लिए हमारी पुलिस और अन्य सुरक्षाबलों के सम्मान के लिए इन लोगों के मन में कोई भावना नहीं है। दशकों से हमारे देश में सेना के जवान मांग कर रहे थे की आजाद हिंदुस्तान में जान देने वाले वीर-सुपूतों के सम्मान में एक नेशनल वॉर मेमोरियल बनना चाहिए। हमारे देश के पुलिस के जवान जो सामान्य मानवी की सेवा में लगे रहते हैं, ये हमारे पुलिस के जवान गर्मी हो, सर्दी हो, बारिश हो खड़े मिलते हैं। राखी का त्योहार हो, होली हो, दीवाली हो, वो सड़क पर खड़े रह कर के आपकी हिफाजत करते हैं और आप जानकर के हैरान होंगे भाइयो, देश आजाद होने के बाद, पुलिस की छवि जो लोगों ने बनाई होगी, मैं उनके प्रति बड़ा आदर करता हूं। आजाद हिंदुस्तान में 33 हजार पुलिस सामान्य मानवी की सेवा करते-करते शहीद हुए हैं। ये पुलिस वाले कह रहे थे की नेशनल पुलिस मेमोरियल बनना चाहिए।

भाइयो-बहनो, 70 साल परिवार के लिए तो बांति-भांति मेमोरियल बने लेकिन देश के लिए मर मिटने वाले सेना के जवान का सम्मान करने के लिए मेमोरियल नहीं बना। पुलिस के जवानों के लिए मेमोरियल नहीं बना, ये चौकीदार जब आया, ये सौभाग्य भी इस चौकीदार को मिला और हमने दिल्ली में बना दिया। और मैं ग्वालियर के लोगों को, मध्यप्रदेश के लोगों को कहूंगा की जब भी दिल्ली जाने का मौका मिले इन दोनों तीर्थों पर जा कर के जरूर सर झुका के आना दोस्तों, वो मरे हैं हमारे लिए, वो जिये हैं हमारे लिए, उनका सम्मान करना चाहिए। क्या देश के किसान को, देश के जवान को धोखा देने वाली कांग्रेस को सजा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? साथियो, कांग्रेस के कमजोर रवैये से अलग भाजपा नए हिंदुस्तान के लिए नई नीति और नई रीति पर काम कर रही है। किसी को छेड़ेंगे नहीं लेकिन छेड़ोगे तो छोड़ेंगे भी नहीं। ये नया हिंदुस्तान है ये नए हिंदुस्तान की नीति है, हम घर में घुसकर मारेंगे।

भाइयो-बहनो, बलिदानी और पानी बुंदेलखंड की कहानी की दो धुरियां हैं। यहां बलिदानियों की कमी नहीं है लेकिन पानी के लिए बहुत संघर्ष भी रहा है। भाजपा सरकार ने इस चुनौती से निपटने के लिए सार्थक प्रयास किए हैं। कांग्रेस ने जिन 14 बड़ी सिंचाई परियोजनाओं को अधर में लटका दिया था उनमें से 10 को हम पूरा कर चुके हैं। आने वाले पांच वर्षों में पानी के लिए हम समर्पित भाव से काम करने वाले हैं। अलग से एक जल शक्ति मंत्रालय बनाकर, आधुनिक तकनीक से पानी को बचाने और नदियों, समंदर से पानी देश के कोने-कोने में कैसे उपयोगी हो, इसके लिए व्यापक रूप से काम करने वाले हैं। भाइयो-बहनो, बीते पांच वर्ष माताओं-बहनों को धुएं से, खुले में शौच से और अंधेरे से मुक्ति दिलाने के लिए हमने बहुत कुछ किया। आने वाले पांच वर्ष माताओं-बहनों के पानी के संघर्ष को खत्म करने के लिए समर्पित करना मैंने तय किया है। साथियो, इन संकल्पों को पूरा करने के लिए इस बार पिछली बार से भी ज्यादा शक्ति से कमल खिलाना है। बूथ-बूथ पर कमल खिलाना है, आपका हर वोट मोदी के खाते में जाएगा।

भइयो-बहनो, इतनी विशाल संख्या में आप हम सब को आशीर्वाद देने के लिए आए, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। मेरे साथ बोलिए, भारत माता की…जय, भारत माता की…जय, भारत माता की…जय, बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!