Shri Narendra Modi addressing Valedictory Function of Vibrant Gujarat 2013

Published By : Admin | January 13, 2013 | 15:41 IST

मुझे लगता है कि मैं सबसे पहले एक महत्वपूर्ण कार्य पूरा कर दूँ और बाद में सारी बातें बताऊँ। मैं यहाँ खड़ा हुआ हूँ आपको इन्वीटेशन देने के लिए। आप लिख लीजिए, 11 जनवरी 2015, सातवीं वाइब्रेंट समिट के लिए मैं आपको निमंत्रण देता हूँ। ऐसा ही निमंत्रण जब मैंने 2011 में दिया था तो दूसरे दिन हमारे मीडिया के मित्रों ने मेरी पिटाई की थी कि अभी चुनाव बाकी हैं और मोदी 2013 का इन्वीटेशन कैसे दे रहे हैं..! इस बार ऐसा संकट नहीं है, तो मैं आप सबको बड़े उमंग और उत्साह के साथ, नए सपनों के साथ, नई उम्मीदों के साथ फिर एक बार वाइब्रेंट गुजरात समिट में आने का निमंत्रण देता हूँ और मुझे विश्वास है कि आप आवश्य आएंगे।

मित्रों, ये जो वाइब्रेंट समिट का आपने अनुभव किया, देखा, सुना... विश्व भर के जितने भी लोग आते हैं उन सब के लिए एक अजूबा है। मित्रों, इन्टरनेशनल कॉन्फरेंसिस में मैं भी गया हूँ, सेमिनार्स में मैं भी गया हूँ, लेकिन इतने बड़े स्केल पर, इतनी माइन्यूट डिटेल के साथ, इतनी विविधताओं के साथ, इतनी सारी मल्टीपल एक्टीविटीस् को जोड़ कर के शायद ही विश्व में कोइ इवेंट आयोजित होता होगा। इस काम को सफल करने में अनेक लोगों ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मदद की है, जिम्मेवारी उठाई है, परिश्रम किया है। मैं इस मंच से इसे सफल बनाने वाले सभी लोगों का हृदय से धन्यवाद करता हूँ, गुजरात की जनता की तरफ से इस कार्य को सफल बनाने में जुड़े हुए सभी का अभिनंदन करता हूँ..! भाइयों-बहनों, इस इवेंट में अनेक पहलुओं पर लोगों का ध्यान जाता है, लेकिन एक बात की और भी नजर करने की आवश्यकता है। करीब 121 देशों के लोग यहां आए, ये पूरा नजरिया उन्होंने देखा। पल भर के लिए कल्पना कीजिए मित्रों, ये 121 देशों के 2100-2200 लोग जब अपने देश जाएंगे, अपने लोगों से बात करेंगे तो क्या कहेंगे..? यही कहेंगे कि मैं हिन्दुस्तान गया था, मैं इन्डिया गया था, मैं भारत गया था..! इसका मतलब सीधा-सीधा है मित्रों, ये इवेंट से दुनिया के 121 से अधिक देशों में हम एक संदेश पहुंचाने में सफल हुए हैं कि ये भी एक हिन्दुस्तान है, हिन्दुस्तान का यह भी एक सामर्थ्य है..! मित्रों, हिन्दुस्तान के हमारे एक इवेंट ने 121 देशों में नए एम्बेसेडर्स को जन्म दिया है और ये हमारे देश के नए एम्बेसेडर्स, इनकी चमड़ी का रंग कोई भी क्यों ना हो, उनकी भाषा कोई भी क्यों ना हो, लेकिन जब कभी हिन्दुस्तान का जिक्र आएगा, मैं विश्वास से कहता हूँ ये 121 देशों के लोग हमारे लिए कुछ ना कुछ अच्छा बोलेंगे, बोलेंगे और बोलेंगे..! एक देश के नागरिक के लिए इससे बड़े गर्व की बात क्या हो सकती है मित्रों कि इतने देशों में इतने गौरवपूर्ण रूप से हमारे देश की चर्चा हो, हमारे देश की तारीफ हो, हमारे देश की अच्छाइयों की बात हो..! मित्रों, हर हिन्दुस्तानी के लिए ये सीना तान कर के याद करने वाली घटना घटती है और इसलिए, परिश्रम भले ही गुजरात के लोगों ने किया होगा, धरती भले ही गुजरात की होगी, इवेंट के साथ भले ही गुजरात का नाम जुड़ा होगा, लेकिन ये भारत की आन, बान, शान को बढ़ाने वाली घटना है, इस बात को हमें स्वीकृत करना होगा।

भाइयों-बहनों, मैं देख रहा था कि जो जीवन में कुछ करना चाहते हैं, जिनके अपने कुछ सपने हैं, साधन भले ही सीमित होंगे लेकिन ऊंची उडान का जिनका इरादा है, कुछ नया करके दिखाने की जिनकी इच्छा है, ऐसे हजारों नौजवान इस समिट के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं। इन सबको कभी दुनिया के हर देशों में जाने का अवसर नहीं मिलने वाला है और जब तक अवसर मिले तब तक इन्हें एक्सपोजर नहीं मिलने वाला है। मित्रों, इस इवेंट के कारण, इस एक्जीबिशन के कारण, दुनिया के इतने देशों के लोगों से बात करने के कारण, हमारे देश के, हमारे गुजरात के, जो उभरते हुए एन्ट्रप्रेनर्स हैं, जो उभरती हुई पीढ़ी है, उस पीढ़ी का एक विश्वास पैदा होता है कि हाँ यार, दुनिया इतनी बड़ी है, इतना सारा है तो चलिए हम भी किसी छोर को हाथ लगा लें, हम भी उस दिशा में आगे बढ़ जाएं, ये विश्वास पैदा करता है। मित्रों, कभी हम स्वीकार करें या ना करें, हम मानें या ना मानें, लेकिन हर व्यक्ति के अंदर एक फियर हमेशा अस्तित्व रखता है। मैं हूँ, आप हो, यहां बैठे हुए हर एक के मन में होता है। और वो फियर क्या होता है..? अपने आप में एक अननोन फियर होता है। आप अगर पहली बार मुंबई जाते हैं तो आपके मन में एक फियर रहता है। आपके लिए मुंबई अननोन है तो फियर रहता है कि कैसा होगा, कहाँ जाऊँगा, किसको मिलूँगा, कैसे शुरू करुँगा... आप के मन के अंदर एक छुपा हुआ भय रहता है। यह बहुत स्वाभाविक है। मित्रों, इस इवेंट के कारण दुनिया के इतने देशों को देखना, मिलना, समझना, सुनना... इसके कारण मेरे देश की, मेरे राज्य की जो नई पीढ़ी है उनके लिए अननोन फियर के जो सेन्टीमेंट्स हैं वो अपने आप खत्म हो जाता है और उनके अंदर विश्वास का बीज बो देता है। अगर वो यहाँ किसी न्यूजीलैंड के व्यक्ति को मिला है तो न्यूजीलैंड जाने से पहले उसको न्यूजीलैंड के विषय में विश्वास पैदा हो जाता है, अननेान फियर उसके दिल में होता नहीं है। मित्रों, एक मनोवैज्ञानिक परिणाम होता है और उस मनोवैज्ञानिक परिणाम की अपनी एक ताकत होती है। मैं नहीं मानता कि जो रुपयों-पैसों के तराजू को लेकर बैठे हैं उनके लिए इन बातों को समझना संभव होगा..! शायद मेरी दस समिट होने के बाद कई लोग ऐसे होंगे जिनको समझदारी शुरू हो जाएगी।

मित्रों, कोई कंपनी, कोई राज्य अरबों-खरबों रूपया खर्च करके पी.आर. एजेंसी हायर कर लें, दुनिया के अंदर वो कंपनी या कोई स्टेट अपनी ब्रांडिंग के लिए कोशिश करें, मैं दावे से कहता हूँ मित्रों, इतने कम समय में गुजरात ने जो अपना ब्रांडिंग किया है, शायद दुनिया की दसों ऐसी कंपनियां इक्कठी हों, ये स्थिति पैदा नहीं कर सकती है। और कैसे हुआ है..? वो इसलिए हुआ है कि हमने प्रारंभ से एक मंत्र लिया। लोग भिन्न-भिन्न माध्यम से गुजरात के विषय में जानते थे। मैँ पहली बार जब 2003 में लंदन गया था, समिट को सफल करने के लिए मैं लोगों से मिलने गया था। उधर आस्ट्रेलिया की तरफ भी गया था। लोगों को मैं बता रहा था कि आप गुजरात आइए। तब लोगों के मन एक जिज्ञासा थी और पूछते थे कि गुजरात कहाँ है..? मुझे कहना पड़ता था कि मुंबई से नार्थ में एक घंटे का फ्लाईट है। आज लोग कहते हैं कि मुंबई जाना है तो बस गुजरात के पास ही है। मित्रों, ये चीजें सामान्य नहीं है। इसके लिए सोच समझ करके हमने पुरूषार्थ किया है। और तब, मैं जब पहली बार गया था, उस समय हिन्दुस्तान की परंपरा क्या थी..? परंपरा ये थी कि हिन्दुस्तान के राजनेता विदेशों में जाते थे, निकलने से पहले अपने स्टेट में प्रेस कान्फ्रेंस करते थे, मुख्यमंत्री जाते थे और कहते थे कि हम इन्वेस्टमेंट के लिए जा रहे हैं। दुनिया के किसी देश में जाते थे, दो-चार एम.ओ.यू. करते थे, फिर वापिस आते थे और दुनिया को बताते थे कि हम इतने एम.ओ.यू. करके आएं हैं और उस टूर को सफल माना जाता था। और फिर कभी मीडिया उनको पूछता नहीं था कि भाई, आप वो जा कर आए थे उसका क्या हुआ..? उस समय का जमाना वैसा था। मित्रों, 2003 के पहले ईश्वर ने हमें क्या समझ दी होगी, क्या हमें ऐसा विचार दिया होगा, मैं ईश्वर का आभारी हूँ कि मैंने डे वन से काम किया। मैंने कहा कि हम दुनिया के देशों में जा कर के लोगों को समझाएंगे और बात करेंगे, लेकिन हम वो काम नहीं करेंगे जो आम तौर पर हिन्दुस्तान की सरकारें करती हैं। मित्रों, यहाँ मैं किसी की आलोचना नहीं कर रहा हूँ। मैं एक दृष्टिकोण में बदलाव कैसे आता है वो दिखाना चाहता हूँ। और मैं जब विदेशों में गया तो लोग मुझे कहते थे कि आप क्या चाहते हैं..? मैं कहता था कि मैं कुछ नहीं चाहता हूँ, मैं बस इतना ही चाहता हूँ कि सिर्फ एक बार गुजरात आईए। और मैं कहता था, फील गुजरात..! इतनी छोटी सी बात मैं कह कर आया हूँ दुनिया को, “फील गुजरात”..! आज मित्रों, जो लोग मेरे गुजरात की धरती पर आते हैं और मैं मेरी मिट्टी की कसम खा कर के कहता हूँ, इस मिट्टी ताकत इतनी जबर्दस्त है, हमारे पुरखों ने इतना परिश्रम करके संजाई हुई ये ऐसी मिट्टी है कि यहां आने वाला वाला हर व्यक्ति उसकी सुगंध से अभिभूत हो करके दुनिया के देशों में जाकर के अपनी बात बताता है। मित्रों, कल मंच पर से पूछा गया था कि पता नहीं गुजरात की मिट्टी में ऐसा क्या है..! ये सवाल बहुत स्वाभाविक है, हर किसी के मन में उठता है। पहले नहीं उठता था, अब तो उठता ही है। भाइयों-बहनों, इस मिट्टी में एक पवित्रता है और इस मिट्टी में हमारे पुरखों का पसीना है, इस धरती को हमारे पुरखों ने अपने खुद के पसीने से सींचा है और तब जा कर के ये धरती उर्वरा बनी है। और इस धरती के अन्न को खाने वाला भी उसी उर्वरा और शक्ति का भरा हुआ होता है जो दुनिया के साथ आंख से आंख मिला कर बात करने का सामर्थ्य रखता है।

भाइयों-बहनों, हम विकास की नई ऊंचाइयों को पार करना चाहते हैं। अगर हम जगत को जानेंगे नहीं, जगत को समझेंगे नहीं, बदलती हुई दुनिया को पहचानेंगे नहीं, हम उनसे बात नहीं करेंगे तो हम एक कुंए के मेंढक की तरह अपनी दुनिया में मस्त रहेंगे और हो सकता है हमारी जिंदगी पूरी हो जाए तो भी हमें आनंद ही आनंद रहेगा कि बहुत कुछ हुआ। लेकिन जब बदलते हुए विश्व को देखेंगे, जहां समृद्घि पहुंच चुकी है उस विश्व को देखेंगे तो हमारे भीतर भी होगा कि अरे यार, ये तो यहाँ पहुंच गए, हमें तो पहुंचना अभी बहुत बाकी है..! और तब जाकर के दौड़ने की इच्छा जगती है, चलने का मन करता है, नए सपने जगते हैं और परिश्रम करने की पराकाष्ठा होती है और इसलिए परिवर्तन आने की संभावना पैदा होती है। और इसलिए भाइयों-बहनों, समय की माँग है कि हम बदले हुए युग में किसी भी विषय में विश्व से अलग नहीं रह सकते। अपने आप को दुनिया से अलग थलग करके, एक कोने में बैठ कर के हम अपनी दुनिया को आगे बढ़ाने के सपनों को कभी पूरा नहीं कर सकते। और इसलिए, बदलते हुए विश्व को समझने का अवसर इस प्रकार की समिट से मिलता है। मित्रों, मुझे खुशी है, गुजरात के सामान्य परिवार के लोग लाखों की तादात में ये एक्जीबिशन देखने के लिए पिछले पाँच दिन से कतार में खड़े हैं। क्यों..? उनको तो कुछ लेना-बेचना नहीं है, वो यहां जो देखेंगे उससे तो उनकी दुनिया बदल जाने वाली नहीं है। लेकिन हमने एक अर्ज पैदा की है। और ये हमारी सबसे बड़ी सफलता है कि मेरे राज्य के सामान्य से सामान्य नागरिक के भीतर हमने एक अर्ज पैदा की है, उसका भी मन करता है कि चलो यार, क्या अच्छा है, जरा देखें तो सही..! उसको लगता है कि हो सकता है आज देखेंगे तो कल पाएंगे भी सही..! मित्रों, एक ट्रांसफोर्मेशन है, एक बदलाव है, उस बदलाव को हमें समझने की आवश्यकता है। और इस समिट के माध्यम से मैं मेरे गुजरात की एक बहुत बड़ी शख्सियत और शक्ति, चाहे गाँव हो, तहसील हो, जिला हो, वहाँ पर समाज जीवन को संचालन करने वाली एक शक्ति रहती है, उस शक्ति के अंदर समिट के माध्यम से मैं नए सपनों को संजोने का, नई दिशा को पकड़ने का, एक नया आयामों की ओर जाने का एक नया अनफोल्डमेंट कर रहा हूँ। ये समिट उस अनफोल्डमेंट का कारण बन रही है। ये बहुत बड़ा बदलाव आ रहा है। मित्रों, किसी भी गुजराती को गर्व होता है। आगरा में 200 देशों के लोग ताजमहल देख कर जाएंगे तो भी आगरा का आदमी वो गौरव अनुभव नहीं करता है, क्योंकि ताजमहल ने बनाने वाले ने बनाया, ईश्वर की इच्छा थी कि उस महाशय का आगरा में जन्म हुआ और आने वाले को ये पता चला की ये दुनिया की एक अजायबी है तो चलो मैं भी एक फोटो खिचवां कर आ जाऊँ..! अपनापन महसूस नहीं होता है। लेकिन इस धरती पर अपने पसीने से कोशिश कर कर के दुनिया के 121 देशों के लोग आएं तो हमारे सब लोगों को लगता है कि यार, मेरे मेहमान हैं, ये मेरे अपने हैं..!

मित्रों, मैं एक और बात बताना चाहता हूँ। ये बात भी जो मैं कह रहा हूँ ये बहुत लोगों की समझ के बाहर की चीज है, वो समझेंगे उनके लिए मैं समझ छोड़ कर रखता हूँ। मित्रों, ये 121 देशों के लोगों का यहाँ आना, हर वाइब्रेंट समिट में आने वाले लोगों की संख्या भी काफी है। अनेक देश के लोग हैं जो हर वाईब्रेंट समिट में आते हैं। मित्रों, बार-बार यहाँ आने से इस धरती के प्रति उनको भी लगाव हो रहा है, उनको भी अपनापन महसूस हो रहा है। आपने देखा होगा, इतने सारे देशों के लोग, हर किसी की कोशिश है ‘नमस्ते’ बोलने की, हर किसी की कोशिश है ‘केम छो’ बोलने की..! वो अपने आप को इस मिट्टी के साथ जोड़ने की कोशिश कर रहा है। यहाँ की परंपरा और यहाँ की संस्कृति से अपने आप को जोड़ने का उसमें उमंग है। इसका मतलब ये हुआ मित्रों, जिसको हम किसी थर्मामीटर से नाप नहीं सकते, किसी पैरामीटर से नाप नहीं सकते ऐसी एक घटना आकार ले रही है। और वो घटना क्या है? दुनिया के अनेक लोगों का गुजरात के साथ बॉन्डिंग हो रहा है। ये मेरी बात आने वाले दिनों में सत्य हो कर के सिद्घ होगी और मैं साफ मानता हूँ कि ये जो बॉन्डिंग है, वो अमूल्य है। इसका कोई हिसाब-किताब नहीं लगा सकते। और मैं विश्वास से कहता हूँ कि दिस बॉन्डिंग इज़ स्ट्रॉंगर दैन ब्रान्डिंग..! गुजरात के ब्रांड की जितनी ताकत है मित्रों, उससे ज्यादा गुजरात के साथ जो बॉन्डिंग हो रहा है, वो पिढ़ियां तक रहने वाला काम इस धरती पर हो रहा है। गुजरात में कोई भी घटना घटेगी, अच्छी हो या बुरी, आप विश्वास किजीए मित्रों, इन सब के देशों में गुजरात की चर्चा आवश्य होगी। अच्छी-बुरी घटना के साथ उनका भी मन जुड़ा होगा। मित्रों, एक अर्थ में गुजरात का एक विश्वरूप खड़ा हो रहा है। ऍक्स्पैन्शन ऑफ गुजरात, एक नया विश्व रूप गुजरात का खड़ा हो रहा है। मित्रों, इतने कम समय में एक राज्य का विश्वरूप बनना ये अपने आप में बहुत बड़ी सिद्घि है। और इस सिद्घि को नापने के लिए आज की प्रचलिए जो परंपराएं हैं, मान्यताएं हैं वो कभी काम नहीं आएंगी। एक दूसरे नजरिए से देखना पड़ेगा। भाइयों-बहनों, दुनिया के इतने सारे देश के लोग, हमारे उत्तर प्रदेश के व्यक्ति को भी गुजराती खाना खाना हो तो पूछता है कि यार, उसमें गुड़ तो नहीं डाला है ना..! दाल मीठी तो नहीं होगी ना..! उसके मन में सवाल रहता है। मित्रों, जिनको एक घंटा नॉन-वेज के बिना चलता नहीं है ऐसे 121 देश के नागरिक दो दिन अपनी परंपराएं छोड़ कर के हमारी गुजरात की जो भी वेजिटेरियन डिश है उसका मजा ले रहे हैं। मित्रों, ये छोटी चीज है क्या..?

मित्रों, इस समिट में मैंने कहा था कि मेरे दिमाग में हमारे देश की युवा शक्ति है, मेरे राज्य का युवा धन है। हम लंबे अर्से तक इंतजार नहीं कर सकते मित्रों, हमें हमारे राज्य के युवकों को सज्ज करना होगा। बदलते हुए विश्व के अंदर अपनी ताकत से सिर ऊंचा करके निकल पाएं ये स्थिति हमारे नौजवानों के लिए पैदा करनी होगी। और ये हम सबका दायित्व है, सरकार के नाते दायित्व है, समाज के नाते दायित्व है, शिक्षा संस्थाओं के नाते दायित्व है, हमें उन्हें सज्ज करना होगा। लेकिन एक-दो एक-दो प्रयासों से ड्रैस्टिक चेंज नहीं आता है, मित्रों। छुट-पुट प्रयासों से इम्पेक्ट क्रियेट नहीं होता है। इसके लिए तो सामूहिक रूप से, बड़े फलक पर और बड़े एग्रेसिव मूड में उस विराटता के दर्शन करवाने होंगे, तब जाकर के बदलाव आता है। मित्रों, कभी-कभी हमारे शास्त्रों से हम भी कुछ सीख सकते हैं। छोटे से कृष्ण ने मिट्टी खाई। मैं नहीं मानता हूँ कि मक्खन खाने वाले व्यक्ति को मिट्टी खाने का शौक होगा..! लेकिन कोई ना कोई तो रहस्य होगा, तभी तो मिट्टी खाई होगी। और मिट्टी छुप कर के नहीं खाई थी, माँ यशोदा देख ले उस प्रकार से खाई थी, माँ यशोदा को गुस्सा आए उस प्रकार से मिट्टी खाई थी और तब जाकर के माँ यशोदा ने मुंह खोला और पूरे विश्वरूप का दर्शन हुआ और तब जा कर के यशेादा ने कृष्ण की ताकत को स्वीकार किया था। मित्रों, मनुष्य का स्वाभाव है..! यशोदा को भी शक्ति का साक्षात्कार नहीं हुआ तब तक उसे शक्ति की अनुभूति नहीं हुई थी, इसलिए हमारी इस नई पीढ़ी को भी हमें शक्ति का साक्षात्कार करवाना होगा। और उस मूल विचार को लेकर के हमने इस बार नॉलेज को केन्द्र में रखते हुए विश्व के अनेक देशों से गणमान्य यूनिवर्सिटीज को बुलाया। मित्रों, मैं पूरे विश्वास के साथ कहता हूँ, आज तक पूरी दुनिया में कहीं पर भी दुनिया के अलग-अलग देशों की 145 यूनिवर्सिटीज एक रूफ के नीचे इक्कठी हुई हो और उस राज्य के लोग उस 145 लीडिंग यूनिवर्सिटीज के साथ बैठ कर के, दो दिन संवाद करके अपने राज्य के युवा जगत को कहाँ ले जाना उसकी ब्लू प्रिंट तैयार करते हो, ये घटना दुनिया में कहीं नहीं हुई है, दोस्तों। मुझे गर्व है वो घटना मेरे गुजरात में घट गई, इस वाइब्रेंट गुजरात के साथ घटी..! मित्रों, 145 युनिवर्सिटीज का एक साथ आना और गुजरात आज जहाँ है उसको ध्यान में रख के चर्चा कर के आगे बढ़ने के सपने संजोना और रोड मैप तैयार करना, ये अपने आप में एक बहुत बड़ी शुभ शुरूआत है।

मित्रों, हम इस बात को मान कर के चलते हैं कि भारत 21 वीं सदी का नेतृत्व करेगा। ये सदइच्छा हम सब के दिलों में पड़ी है। और विश्वास भी इसलिए पैदा होता है कि 21 वीं सदी ज्ञान की सदी है और जब-जब मानव जात ने ज्ञान युग में प्रवेश किया है, हमेशा-हमेशा हिन्दुस्तान ने विश्व का नेतृत्व किया है। ये सदभाग्य है कि हमारे रहते हुए हमने उस ज्ञान युग में प्रवेश किया है और 21 वीं सदी हिन्दुस्तान की होने की संभावना है। अगर ये पिठीका तैयार है तो हम लोगों का दायित्व बनता है कि विश्व ने ज्ञान की जिस ऊंचाइयों को प्राप्त किया है, उस ज्ञान कि ऊँचाइयों को छूने का सामर्थ्य हमारी युवा पीढ़ी में आना चाहिए, हमारे एज्यूकेशन इंस्टीट्यूशन में आना चाहिए, हमारी संस्थाओं में उस प्रकार का नेचर बनना चाहिए। और उसके लिए एक प्रयास इस वाइब्रेंट समिट के साथ किया। मित्रों, पूरे विश्व को हम बूढ़ा होता हुआ देखते हैं। अपनी आँखों से देख रहे हैं कि विश्व बहुत तेजी से बुढ़ापे की ओर जा रहा है। दुनिया के कई देश हैं जहां अगर चौराहे पर खड़े हो कर घंटे भर लोगों को आते-जाते हुए देखोगे तो बड़ी मुश्किल से 2-5% नौजवान दिखेंगे, ज्यादातर बूढ़े लोग जा रहे होंगे..! आज विश्व में एक अकेला हिन्दुस्तान है जो विश्व का सबसे युवा देश है। 65 प्रतिशत, मेरे देश के 65% नागरिक 35 वर्ष से कम आयु के हैं..! जिस देश के पास इतनी बड़ी युवा शक्ति हो, ज्ञान का युग हो और जब हम स्वामी विवेकानंद की 150 वीं जयंती मना रहे हैं और आज जब स्वामी विवेकानंद का 150 वां जन्म दिन है, उस पल जब हम बात कर रहे हैं तब, क्या हम लोगों का दायित्व नहीं है कि हम सब लोग मिल कर के 150 साल जिस व्यक्ति के जन्म को हुए हैं और जिसने आज से 125 साल पहले सपना देखा था। 125 साल बीत गए, क्या कभी हमने सोचा है कि विवेकानंद जैसे महापुरुष के सपने क्यों अधूरे रहे..? क्या कमी रह गई..? उन्होंने सपना देखा था और विश्वास से कहा था कि मैं मेरी आंखों के सामने देख रहा हूँ कि मेरी भारत माता जगदगुरू के स्थान पर विराजमान है, दैविप्यमान तस्वीर मैं मेरी भारत माँ की देख रहा हूँ, ये स्वामी विवेकानंद ने कहा था। मित्रों, क्या समय की माँग नहीं है कि जब हम स्वामी विवेकानंद जी के 150 साल मना रहे हैं, तो उनके सपनों को साकार करने के लिए हम अपने आप को सज्ज करें, प्रतिबद्घ करें, प्रतिज्ञित करें और पुरूषार्थ की पराकाष्ठा कर-कर के इस भारत माता को जगदगुरू के स्थान पर विराजमान करने का सपना लेकर के आगे बढ़ें। जिस देश के पास इतनी बड़ी युवा शक्ति हो वो देश क्या कुछ नहीं कर सकता है..! उसकी भुजाओं में सामर्थ्य हो तो जगत की सारी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए हम अपने आप को सज्ज क्यों नहीं कर सकते हैं?

मित्रों, इतने बड़े सपने को पूरा करना भी बहुत छोटी सी शुरूआत से संभव होता है। और हमने बल दिया है स्किल डेवलपमेंट पर। इस पूरे समिट में हम उस बात पर बल दे रहे हैं कि सारी दुनिया को वर्क-फोर्स की जरूरत है, स्किल्ड मैन पावर की जरूरत है। आज मैं यू.के. के लोगों के साथ बात कर रहा था, ब्रिटिश डेलिगेशन के साथ। वो मुझे पूछ रहे थे कि आपको क्या आवश्यकता है। मैंने उनको अलग पूछा, मैंने कहा कि आप बताइए, आपको दस साल के बाद किन चीजों की जरूरत पड़ेगी इसका हिसाब लगाया है क्या..? मैंने कहा हिसाब लगाइए और हमें बताइए, हम उसकी पूर्ति के लिए अभी से अपने आप को तैयार करेंगे। दुनिया को नर्सिस चाहिए, दुनिया को टीचर्स चाहिए, दुनिया को लेबरर्स चाहिए... और मित्रों, मेरा सपना है। अभी भी मैं कहता हूँ कि कुछ बातें हैं जो कुछ लोगों के पल्ले पड़ना संभव नहीं है, दोस्तों..! लोगों को लगता होगा कि यहां से मारूति एक्सपोर्ट हो, लोगों को लगता होगा कि यहाँ से फोर्ड एक्सपोर्ट हो, लोगों को लगता होगा यहाँ से उनकी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट हो... मित्रों, मेरा तो सपना ये है कि मेरे यहाँ से टीचर्स एक्सपोर्ट हों..! मित्रों, एक व्यापारी जब दुनिया में जाता है तो डॉलर और पाऊंड जमा करता है, लेकिन एक टीचर जाता है तो पूरी एक पीढ़ी पर कब्जा करता है..! ये ताकत होती है टीचर की..! और जब विश्व में माँग है और हमारे पास नौजवान हैं, तो क्यों ना इन दोनों का मेल करके हम दुनिया में हमारे टीचर्स को पहुँचाएं..! विश्व की आवश्यकता भी पूरी होगी और हमारे नौजवानों का भाग्य भी बदलेगा। मित्रों, पूरी सोच बदलने की आवश्यकता है और उस सोच को बदलने की दिशा में इस समिट के माध्यम से समाज और राष्ट्र के अंदर किस प्रकार के बदलाव आने चाहिए वो दुनिया के साथ मिल बैठ कर के हम सोच कर के आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। और मित्रों, इसी अर्थ में मैं इस इवेंट को सबसे सफल इवेंट मैं मानता हूँ।

2003 में हमने जब पहली बार वाइब्रेंट समिट की तो गुजरात के व्यापारी और उद्योगकार, हिन्दुस्तान के व्यापारी और उद्योगकार ये सब मिल के जितनी संख्या आई थी, 2013 में उससे चार गुना ज्यादा विदेश की संख्या आई है। उस समय सब मिला कर के जितने थे... हमने छोटे से टागोर हॉल में किया था और कहीं मीडिया की नजर में हमारी बुराई ना हो इसलिए मैंने कहा था कि पीछे यार, कुछ लोग बैठ जाना ताकि भरा हुआ दिखाई दे..! क्योंकि पहली बार प्रयोग करता था, लोग सवाल उठा रहे थे कि लोग गुजरात क्यों आएंगे..? उस नकारात्मक चीज में से ये रास्ता खोजने की कोशिश की और आज 2013 हम देख रहे हैं मित्रों, क्या हाल है..! मैं तो कहता हूँ मित्रों, कि मेरा ये वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट, ये कन्सेप्ट डेवलप न हुआ होता तो शायद ये महात्मा मंदिर भी ना बनता। इतनी बड़ी व्यवस्थाएं खड़ी क्यों हो रही हैं..? ये व्यवस्थाएं इसलिए खड़ी हो रही हैं क्योंकि हमें लग रहा है कि हम विश्व के साथ कदम से कदम मिला कर चलने के लिए अपने आप को सज्ज कर रहें हैं। मित्रों, यहाँ जो व्यवस्था में नौजवान लगे हैं वे कॉलेज स्टूडेंस हैं, स्कूल स्टूडेंटस हैं, एक हफ्ते के लिए यहां उनकी स्पेशल ट्रेनिंग भी हो रही है, देख रहे हैं। मित्रों, उनकी आंखों में कॉन्फिडेंस देखिए आप, इतना बड़ा इवेंट उन्होंने सिर्फ देखा है। किसी को कहा इधर जाइए, किसी को कहा यहां बैठिए... यही काम किया होगा। इतने मात्र से व्यवस्था से जुड़े हुए लोगों की आँखों में इतनी चमक आई है, तो मित्रों, मेरे पूरे गुजरात में जो लोग इस निर्णय प्रक्रिया में शामिल होतें हैं उनके जीवन में कितना बड़ा बदलाव आएगा वो हम सीधा-सीधा देख सकते हैं, बाहर कुछ खोजने की जरूरत नहीं है, मित्रों।

भाइयों-बहनों, हमें गुजरात को नई-नई ऊंचाइयों पर ले जाना है। हमने पिछले वर्ष एक छोटा सा प्रयोग किया। वो प्रयोग था एग्रीकल्चर सैक्टर के लिए। कभी मैंने देखा था कि इजराइल के अंदर जब एग्रीकल्चर फेयर होता है, तो मेरे गुजरात से कम से कम दो हजार किसान हजारों रुपया खर्च करके इजराइल के एग्रीकल्चर फेयर को देखने के लिए जाते हैं। कुछ कॉ-आपरेटिव वाले भी जाते हैं, लेकिन उनको तो खर्च का प्रबंध वहाँ से हो जाता है, लेकिन सामान्य किसान भी जाता है..! और तब मैंने सोचा कि मेरे किसानों के लिए भी मुझे कुछ करना चाहिए। हमने 2012 में पहली बार दुनिया के देश के लोगों को, एग्रो टेक्नोलॉजी क्षेत्र के लोगों को यहाँ बुलाया। इसी महात्मा मंदिर में ऐसा ही बड़ा मैंने किसानों का कार्यक्रम किया था और इतनी ही शान से किया था। प्रारंभ था, हिन्दुस्तान के करीब 14 राज्य उसमें शरीक होने के लिए आए थे। और उसकी सफलता को देख कर मित्रों, हमने निर्णय किया है कि हम जैसे वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट करते हैं, वैसे ही 2014 में, फिर ’16 में फिर ’18 में एग्रीकल्चर सेक्टर में टेक्नोलॉजी कैसे आए, फूड प्रोसेसिंग कैसे हो, वैल्यू एडिशन कैसे हो... इन सारे विषयों को मैं मेरे गाँव तक ले जाना चाहता हूँ, किसानों तक ले जाना चाहता हूँ और सारी दुनिया को मैं यहाँ लाना चाहता हूँ, मित्रों। मेरा किसान देखे, उसको समझे..! हम उस दिशा में प्रयास करना चाहते हैं। मित्रों, हमने विकास की नई ऊचाइयों को पार किया है उसमें आज मैं एस.एम.ईज के साथ बैठा था। और एक बात हमारे एस.एम.ई. सैक्टर में आज ध्यान में आई है कि हम अपनी कंपनी में जो भी उत्पादन करते हैं, घरेलू बाजार तक सोच कर के ना करें, हम दुनिया के बाजार में कदम रखना चाहते हैं, उस दिशा में हमारी छोटी-छोटी कंपनियाँ भी जाएँ। और मित्रों, सब संभव है। ये कोई चीन का ही ठेका नहीं है कि वो माल पैदा करे और हमारे बाजार में डाल दे। हम में भी दम है, हम दुनिया के बाजार में जा करके, सीना तान के माल बेच सकते हैं। मित्रों, ये मिजाज होना चाहिए। वरना कभी कभी मैंने देखा है कि जब व्यापारी मिलते हैं तो साब, क्या करें, व्यापार ही खत्म हो गया है। मैंने कहा, क्यों..? अरे छोड़ों साहब, पहले तो अम्ब्रेला बेचता था, लेकिन अब तो चाइना से इतनी बड़ी मात्रा में अम्ब्रेला आता है कि मेरा अम्ब्रेला बिकता नहीं है। अरे, रोते क्यों रहते हो, भाई..? हम चाइना के बाजार में जाकर अम्ब्रेला बेचने का मूड बनाएं, हम पूरी दुनिया को बेच सकते हैं, मित्रों..! मैं ये वातावरण बदलना चाहता हूँ और इसलिए मैं कोशिश कर रहा हूँ। हम एग्रीकल्चर सेक्टर में भी उसी प्रकार से जाना चाहते हैं।

मित्रों, आज अभी देखा, कनाडा से एक्सीलेंसी मिनीस्टर यहाँ आए हुए हैं, उन्होंने कहा कि वो यहाँ कनेडा का जो ऑफिस है उसको और अपग्रेड कर रहे हैं, उनको लगता है कि उनके रेग्यूलर काम के लिए जरूरी हो गया है। मुझे आज यू.के. के हाई कमीश्नर बता रहे थे कि यहाँ का जो ब्रिटिश एम्बेसी का यहाँ का जो चैप्टर है उसको वो इक्विवेलन्ट टू मुंबई बनाने जा रहे हैं। अब कितनी सुविधाएं बढ़ेंगी, मित्रों..! मित्रों, गुजरातीज आर बेस्ट टूरिस्ट्स..! इन्होंने हफ्ते में एक दिन थाईलैंड से विमान की सेवा शुरू करने के लिए कहा है। देखना, तीन महीने में हफ्ते में तीन दिन ना करें तो मुझे कहना..! मित्रों, ये जो छोटी-छोटी चीजें हैं जिसकी अपनी एक ताकत है, मित्रों। आप देखिए मित्रों, गुजरात को एशिया में अपनी एक पहचान बनानी चाहिए, एशिया के देशों में अपनी जगह बनानी चाहिए और जगह बनाने के लिए एक रास्ता है, भगवान बुद्घ..! बहुत कम लोगों का समझ आता होगा ये..! और मित्रों, थाइलैंड और गुजरात का ये नाता सिर्फ एक विमान की सेवा का नहीं है, थाइलैंड और गुजरात के बीच सीधी विमान की सेवा गुजरात की धरती पर जो बुद्घ की अनुभूति है और थाइलैंड जो बुद्घ का भक्त है। इस बुद्घ के माध्यम से थाइलैंड और गुजरात का जुड़ना, जापान और गुजरात का जुड़ना, श्रीलंका और गुजरात का जुड़ना, एश्यिन कंट्रीज के बुद्घिज़म का गुजरात के बुद्घिज़म का जुड़ना... और हम भाग्यवान हैं कि हमारे पास भगवान बुद्घ के रेलिक्स हैं। सारी दुनिया हमारे भगवान बुद्घ के रेलिक्स को हाथ लगा कर देख सकती है। हम इसके माध्यम से पूरे एशिया को गुजरात के साथ जोड़ना चाहते हैं। सिर्फ टीचर्स भेज कर के काम अटकने वाला नहीं है मेरा..!

मित्रों, बहुत सारे सपने मन में पड़े हुए हैं। और ये समय नहीं है कि सब बातें पूरी कर दूँ आज ही। लेकिन भाइयों-बहनों, ये राज्य सफलता की नई ऊंचाइयों को छूने के लिए संकल्पबद्घ है। हम गुजरात के सामान्य से सामान्य जीवन की भलाई के लिए कोशिश करने वाले लोग हैं। मैंने देखा है कि इस बार एक सेमीनार पूरा अफोर्डएबल हाऊसिंग के लिए था और दुनिया की टॉपमोस्ट कंपनियाँ जल्दी से जल्दी मकान कैसे बने, सस्ते से सस्ता मकान कैसे बने, अच्छे से अच्छी टेक्नोलॉजी से मकान कैसे बने, कम से कम जगह में बड़े टॉवर कैसे खड़े किये जाएं... उन सारे विषयों पर आज चर्चा कर रहे थे। ये चर्चा क्या गरीब की भलाई के काम आने वाली नहीं है..? लेकिन ये कौन समझाए..! मित्रों, यहाँ कृषि के क्षेत्र में जो बदलाव आए हैं उसकी चर्चा करने के लिए डेलिगेशन्स यहाँ हैं और कृषि के क्षेत्र में क्या नई टेक्नोलॉजी ले कर के आएँ हैं उसकी चर्चा कर रहे हैं। मित्रों, हमने कनाडा के साथ एक एम.ओ.यू. किया और पहली बार हमारे गुजरात की एक कंपनी मल्टीनेशनल के रूप में कनाडा में जा कर के उद्योग शुरू कर रही है। उद्योग शब्द आते ही कई लोगों के कान भड़क जाते हैं..! उद्योग यानि पता नहीं कोई बड़ा पाप हो, ऐसा एक माहौल देश में बना दिया गया है..! मेरी ये कंपनी कनाडा में जा कर के क्या करेगी..? कनाडा में जा करके वहाँ की सरकार से मिल कर के वहाँ हम पोटाश का कारखाना लगाएंगे और वो पोटाश मेरे गुजरात के किसानों के खेत में काम आए इसके लिए मेहनत कर रहे हैं। उद्योग शब्द सुनते ही कुछ लोग को भड़क जाते हैं जैसे कि कोई पाप हो रहा हो..! मित्रों, जीवन के हर क्षेत्र में बदलाव कैसे आए, क्वालिटी ऑफ लाइफ में कैसे परिवर्तन आए, विश्व की बराबरी करने का सामर्थ्य हमारे में कैसे पैदा हो... इस समिट के माध्यम से जीवन के सभी क्षेत्रों को स्पर्श करने का हमने प्रयास किया है। ये हमारी टैक्सटाइल इन्डस्ट्री के संबंध में हमारे बहुत बड़े सेमिनार हुए। ये जो इन्वेस्टमेंट के लिए काफी लोग आए हैं, वो टैक्सटाइल क्षेत्र में ज्यादा आए हैं। जो लोग उद्योग को गाली देने के लिए दिन-रात लगे रहते हैं मैं उनको पूछना चाहता हूँ, मेरा किसान जो कॉटन पैदा करता है, उस किसान का पेट कैसे भरेगा अगर मेरी भारत सरकार कॉटन एक्सपोर्ट नहीं करने देती। मेरे किसान का कॉटन पैदा हुआ है और हजारों, लाखों, करोड़ों का नुकसान मेरे किसान को पड़ता है। तो क्यों ना मैं मेरे किसान के इस कॉटन पे वैल्यू एडिशन करूँ, क्यों ना मैं टैक्सटाइल इन्डस्ट्री लगा कर के मेरे किसान का कॉटन उठा करके रेडिमेड गारमेंट बना करके दुनिया के बाजार में बेचूँ..? क्या ये किसान की भलाई के लिए नहीं है? लेकिन पता नहीं क्यों एक एसा माहौल बना दिया गया है। ये विकृतियाँ और नकारात्मकता से गुजरात काफी बाहर निकल चूका है।

मित्रों, इस समिट का सबसे बड़ा संदेश ये है कि दुनिया के समृद्घ देश भी रिसेशन की चर्चा में डूबे हुए हैं, बाजार की मंदी का प्रभाव विश्व के समृद्घ देश अनुभव कर रहे हैं, पूरा विश्व इकॉनामी लड़खड़ा रही है इस चिंता में लगा हूआ है... मित्रों, ऐसे माहोल में, धुंधली सी अवस्था में, कन्फूजन की अवस्था में, उजाला कब होगा इसके इंतजार की अवस्था में, मैं दावे से कहता हूँ मित्रों, ये समिट पूरे विश्व को आर्थिक जगत के अंदर एक पॉजिटिव मैसेज देने का सामर्थ्य रखती है, दुनिया के हर समृद्घ देश को गुजरात की ये घटना एक पॉजिटिव मैसेज देने की ताकत रखती है। अनेक विषयों में हमने सिद्घि पाई है। ये सिद्घि परिवर्तन की एक नई आशा लेकर के आई है। मित्रों, इस गुजरात को महान बनाना है, भव्य बनाना है, समृद्घ बनाना है और स्वामी विवेकानंद जी के सपने पूरे हों, उन सपनों को पूरा करने के लिए गुजरात की जितनी जिम्मेवारी है उनको बखूबी निभाने का हमारा प्रयास है।

मैं फिर एक बार इस समिट के लिए विश्व के जितने देशों ने सहयोग किया उनका मैं आभारी हूँ। मैं विशेष रूप से कनाडा के प्राइम मिनिस्टर का आभारी हूँ, जिन्होंने विशेष रूप से कल अपने एक एम.पी. को भेज कर एक चिट्ठी मेरे लिए भेजी और हमें शुभकामनाएं दी और इसलिए मैं कनाडा के प्रधानमंत्रीजी का बहुत आभारी हूँ कि उन्होंने गुजरात पर इतना विश्वास रखा है। दुनिया का समृद्घ देश भारत जैसे देश के एक छोटे से राज्य के प्रति इतने आदर के साथ जुड़ने का प्रयास करे वो अपने आप में बेमिसाल है। मैं विश्व के सभी जो राजनेता यहाँ आए, राजदूत आए, विश्व के सभी देशों ने हिस्सेदारी की मैं उन सभी का हृदय से अभिनंदन करता हूँ, धन्यवाद करता हूँ और फिर एक बार आप सब आए, आपका बहुत-बहुत आभार..! और फिर एक बार 11 जनवरी, 2015 के लिए आपको मैं फिर से निमंत्रण देता हूँ, यू आर मोस्ट वेलकम, 11 जनवरी, 2015..! थैंक यू वेरी मच दोस्तों, थैंक्स अ लोट..!

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There is only one mantra to fight cancer - Awareness, Action and Assurance: PM Modi
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           எனதருமை நாட்டுமக்களே, வணக்கம்.   இன்று மனதின் குரலில், 2025ஆம் ஆண்டு…… இதோ வந்தே விட்டது, வாயிற்கதவுகளைத் தட்டிக் கொண்டிருக்கிறது.  2025ஆம் ஆண்டு, ஜனவரி மாதம் 26ஆம் தேதியன்று நமது அரசியலமைப்புச்சட்டத்தின் 75ஆம் ஆண்டு நிறைவடைய இருக்கின்றது.  நம்மனைவருக்கும் இது மிகவும் கௌரவம்மிகு தருணமாகும்.  நமது அரசியலமைப்புச்சட்ட பிதாமகர்கள் நம்மிடத்தில் ஒப்படைத்திருக்கும் அரசியல்சட்டம், காலத்தின் அனைத்துக் காலகட்டங்களிலும் வெற்றிகரமாக வழிகாட்டியிருக்கிறது.  அரசியல் சட்டமானது நம்மனைவருக்கும் பாதை துலக்கும் ஒளிவிளக்காய், வழிகாட்டியாய் விளங்குகிறது.  பாரத நாட்டின் அரசியல் சட்டம் காரணமாகவே இன்றிருக்கும் இடத்தில் நான் இருக்கிறேன், உங்களோடு உரையாடிக் கொண்டிருக்கிறேன்.  இந்த ஆண்டும் நவம்பர் மாதம் 26ஆம் தேதியன்று அரசியல்சட்ட தினம் தொடங்கி ஓராண்டுக்காலம் வரை நடைபெறக்கூடிய செயல்பாடுகள் தொடங்கப்பட்டிருக்கின்றன.  தேசத்தின் குடிமக்களை அரசியல் சட்டத்தின் மரபோடு இணைக்க வேண்டி, constitution75.com என்ற பெயரில் ஒரு சிறப்பான இணையத்தளம் உருவாக்கப்பட்டிருக்கிறது.   அரசியல் சட்டத்தின் முன்மொழிவினை வாசிக்கும் வகையில் உங்களுடைய காணொளியை இதிலே தரவேற்றம் செய்யலாம்.  பல்வேறு மொழிகளில் அரசியல்சட்டத்தை வாசிக்கலாம், அரசியல் சட்டம் தொடர்பான வினாக்களை எழுப்பலாம்.  மனதின் குரலின் நேயர்கள் தொடங்கி, பள்ளிகளில் படிக்கும் குழந்தைகள், கல்லூரிப்படிப்பு படிக்கும் இளைஞர்கள் ஆகியோரிடம் நான் விடுக்கும் வேண்டுகோள் – இந்த இணையத்தளத்தை அணுகுங்கள், இதோடு உங்களை இணைத்துக் கொள்ளுங்கள் என்பதே.

     நண்பர்களே, அடுத்த மாதம் 13ஆம் தேதி முதல் பிரயாக்ராஜில் மகாகும்பமேளா நடைபெற இருக்கிறது.  இந்த வேளையில், அங்கே சங்கமத்தின் கரையில் தடபுடலாக ஏற்பாடுகள் நடந்தேறி வருகின்றன.  சில நாட்கள் முன்பாக நான் பிரயாக்ராஜ் சென்றிருந்த வேளையில், ஹெலிகாப்டர் மூலமாக மொத்த கும்பமேளாவும் நடைபெறவுள்ள இடத்தையும் பார்வையிட்ட போது மனதில் பெரும் நிறைவு உண்டானது.  என்னவொரு விசாலம்!!  என்னவொரு அழகு!!  எத்தனை பிரும்மாண்டம்!!  அடேயப்பா!!

     நண்பர்களே, மகாகும்பமேளாவின் விசேஷம் இதன் விசாலமான தன்மை மட்டுமல்ல; மாறாக இதன் சிறப்பே இதன் பன்முகத்தன்மையில் தான் அடங்கியிருக்கிறது.  இந்த ஏற்பாட்டிலே கோடிக்கணக்கானோர் ஒரே நேரத்தில் சங்கமிக்கிறார்கள்.  இலட்சக்கணக்கான புனிதர்கள், ஆயிரக்கணக்கான பாரம்பரியங்கள், பல்லாயிரம் சம்பிரதாயங்கள், பல்வேறு பிரிவுகள் என அனைவரும் இந்த ஏற்பாட்டின் அங்கமாக ஆகின்றார்கள்.  எங்கும் எந்த வேறுபாடும் காணப்படாது, பெரியவர்-சிறியோர் என்று ஒன்றும் கிடையாது.  வேற்றுமையில் ஒற்றுமையின் இந்தக் காட்சியை உலகில் வேறு எங்குமே காண இயலாது.  ஆகையால் தான் நமது கும்பமேளா என்பது ஒற்றுமையின் மகாகும்பமேளாவாகவும் திகழ்கிறது.  இந்த முறை வரும் மகாகும்பமேளாவும் கூட ஒற்றுமையின் மகாகும்ப மேளாவின் மந்திரத்திற்கு சக்தியூட்டும்.  நாம் கும்பமேளாவில் பங்கேற்றுத் திரும்பும் போது, ஒற்றுமையின் இந்த உறுதிப்பாட்டை மனதில் ஏந்தி வீடு வருவோம்.  சமுதாயத்தில் பிரிவினை மற்றும் வெறுப்புணர்வுக்கு முடிவுகட்டும் உறுதிப்பாட்டையும் ஏற்போம்.  சொற்களில் இதை வடிக்க வேண்டும் என்று சொன்னால்……

மகாகும்பமளிக்கும் செய்தி, நாட்டில் ஒற்றுமை மலரட்டும்.

மகாகும்பமளிக்கும் செய்தி, நாட்டில் ஒற்றுமை மலரட்டும்.

 

இதை வேறுவகையில் கூற வேண்டுமென்றால்…..

கங்கையின் இடைவிடாப் பெருக்கு, நமது சமூகம் பிளவுபடக்கூடாது.

கங்கையின் இடைவிடாப் பெருக்கு, நமது சமூகம் பிளவுபடக்கூடாது.

     நண்பர்களே, இந்த முறை பிரயாக்ராஜில் உள்நாட்டிலிருந்தும், அயல்நாடுகளிருந்தும் பக்தர்கள் டிஜிட்டல் வழிமுறையில் மகாகும்பமேளாவைக் காண இருக்கிறார்கள்.  டிஜிட்டல்முறை வழிகாட்டல் வாயிலாக பல்வேறு படித்துறைகள், ஆலயங்கள், புனிதர்களின் மடங்கள் வரை சென்றடைய பாதை துலக்கிக் காட்டப்படும்.  இதே வழிகாட்டும் முறையே வாகன நிறுத்துமிடத்திற்கு நீங்கள் செல்வதற்கும் உதவிகரமாக இருக்கும்.  முதன்முறையாக கும்பமேளாவுக்கான ஏற்பாடுகளில் செயற்கை நுண்ணறிவு chatbot, உரையாடல் பயன்படுத்தப்படும்.  இந்த செயற்கை நுண்ணறிவு chatbot வாயிலாக, கும்பமேளாவோடு தொடர்புடைய அனைத்துவிதமான தகவல்களும் 11 இந்திய மொழிகளில் பெற முடியும்.  இந்த chatbot வாயிலாக, தட்டச்சு செய்தோ, குரல்வழி பேசியோ, யாராலும் எந்தவொரு உதவியையும் கோர முடியும்.   செயற்கை நுண்ணறிவால் இயங்கும் காமிராக்கள் மொத்த திருவிழாப்பகுதியையும் கண்காணித்துவரும்.  கும்பமேளா நெரிசலில் யாராவது தங்களுடைய சொந்தங்களைப் பிரிய நேர்ந்தால், இந்தக் கேமிராக்கள் மூலமாக அவர்களைத் தேடிப் பிடிக்கவும் உதவிகள் கிடைக்கும்.  திருவிழா நடைபெறும் எந்த ஒரு பகுதியிலும் தொலைந்தவர்களை டிஜிட்டல்வழியே கண்டுபிடிக்கும் மையத்தின் வசதியும் பக்தர்களுக்கு கிடைக்கும்.  அரசு அங்கீகாரம் பெற்ற சுற்றுலாத் திட்டங்கள், தங்குவசதிகள், இல்லங்களில் தங்குவசதிகள் ஆகியன பற்றியும் பக்தர்களுக்கு செல்பேசி வாயிலாக தகவல்கள் அளிக்கப்படும்.  நீங்களும் கும்பமேளா செல்லுங்கள், இந்த வசதிகளை அனுபவியுங்கள், அப்புறம் ஒரு விஷயம்….. #ஏக்தா கா மகாகும்ப் என்பதில் உங்களுடைய சுயபுகைப்படத்தையும் மறக்காமல் தரவேற்றம் செய்யுங்கள்.

     நண்பர்களே, மனதின் குரல் அதாவது மன் கீ பாத் MKBயில் இப்போது KTB பற்றி….. மிக மூத்தோர் இருக்கிறார்களே, அவர்களில் பலருக்கு KTB பற்றித் தெரிந்திருக்கும்.   ஆனால் சின்னக் குழந்தைகளிடம் வினவிப் பாருங்கள், அவர்கள் மத்தியிலோ KTB சூப்பர்ஹிட் என்றே சொல்லலாம்.  அதாவது, க்ருஷ், த்ருஷ், பால்டிபாய் ஆகியோர்.  உங்களுக்கு ஒரு வேளை தெரிந்திருக்கலாம், குழந்தைகளின் விருப்பமான அனிமேஷன் தொடரின் பெயர் தான் KTB – பாரதத்தில் நாம், இப்போது இதன் இரண்டாவது தொடரும் வந்து விட்டது.   இந்த மூன்று அனிமேஷன் பாத்திரங்களும் நமக்கும் பாரதநாட்டின் அதிகம் அறியப்படாத, அதிகம் பேசப்படாத சுதந்திரப் போராட்ட நாயகர்கள்-வீராங்கனைகள் பற்றித் தெரிவிக்கும்.  தற்போது தான் இதன் இரண்டாவது தொடர் மிகவும் சிறப்பான பொலிவோடு கோவாவில் நடந்த இந்தியாவின் சர்வதேச திரைப்படத் திருவிழாவில் அறிமுகப்படுத்தப்பட்டது.  மிகவும் அருமையான விஷயம் என்னவென்றால் இந்தத் தொடரானது பாரத நாட்டின் பல மொழிகளில் மட்டுமல்ல, அயல்நாட்டு மொழிகளிலும் கூட ஒளிபரப்பப்பட்டு வருகிறது.  இதை தூர்தர்ஷனோடு கூடவே இன்னபிற ஓடிடி தளங்களிலும் கண்டுகளிக்க முடியும்.

     நண்பர்களே, நமது அனிமேஷன் படங்களின், வாடிக்கையான படங்களின், டிவி தொடர்களின் பிரபலத்தன்மை பாரத நாட்டின் படைப்புத் திறன் துறையிடம் இருக்கும் திறமைகளைப் படம்பிடித்துக் காட்டுகிறது.  இந்தத் துறையானது தேசத்தின் முன்னேற்றத்திற்கு மட்டும் பெரும் பங்களிப்பு அளிக்கவில்லை, மாறாக நமது பொருளாதாரத்தையும் கூட புதிய சிகரங்களுக்கு இட்டுச் செல்கிறது.  நமது திரைப்படம் மற்றும் கேளிக்கைத் துறை மிகவும் விசாலமானது.  தேசத்தின் பல மொழிகளிலும் திரைப்படங்கள் தயாராகின்றன, படைப்புத்திறன்மிக்க உள்ளடக்கம் உருவாக்கப்படுகிறது.  ஒரே பாரதம் உன்னத பாரதம் என்ற உணர்வுக்கு வலுவூட்டுவதன் காரணத்தால் நான்நமது திரைப்பட மற்றும் கேளிக்கைத் தொழில்துறைக்கு என் பாராட்டுக்களைத் தெரிவித்துக் கொள்கிறேன்.

     நண்பர்களே, 2024ஆம் ஆண்டிலே நாம் திரைத்துறையின் பல மகத்தான நபர்களின் 100ஆம் ஆண்டு விழாவைக் கொண்டாடினோம்.  இந்த நபர்கள் பாரதநாட்டுத் திரைத்துறையை உலகளாவிய வகையில் அடையாளப்படுத்தினார்கள்.  ராஜ் கபூர் அவர்களின் படங்கள் வாயிலாக உலகம் பாரத நாட்டின் soft power மென்மையான சக்தியை இனம் கண்டு கொண்டது.  ரஃபி ஐயாவின் குரலில் இருந்த மாயாஜாலம், அனைவரின் இதயங்களையும் தொட்டுவருட வல்லது.  அவருடைய குரல் அலாதியானது.  பக்திப்பாடல்களாக இருந்தாலும் சரி, காதல் பாடல்களாக இருந்தாலும் சரி, துயரம்-வலி நிறைந்த பாடல்களாக இருந்தாலும் சரி, அனைத்து உணர்வுகளையும் அவர் தனது குரலில் உயிர்ப்படையச் செய்து விடுவார்.  ஒரு கலைஞன் என்ற முறையில் பார்க்கும் போது, இன்றும் கூட இளைய தலைமுறையினர் அவருடைய பாடல்களை அதே பேரார்வத்தோடு கேட்கிறார்கள் என்பதிலிருந்தே அவருடைய மாட்சிமையை நம்மால் புரிந்து கொள்ள முடிகிறது, காலத்தைக் கடந்த கலைக்கான அடையாளம் இது தானே.  அக்கினேனி நாகேஷ்வர் ராவ் காரு, தெலுகு திரைப்படத்துறையை புதிய உயரங்களுக்கு இட்டுச் சென்றவர்.  அவருடைய படங்கள் பாரதநாட்டுப் பாரம்பரியங்களையும், நன்மதிப்புக்களையும் மிகச் சிறப்பாகப் படம்பிடித்துக் காட்டுவன.  தபன் சின்ஹா அவர்களின் படங்கள், சமூகத்திற்கு ஒரு புதிய பார்வையை அளித்தன.  அவருடைய படங்களில் சமூக விழிப்புணர்வு மற்றும் தேசத்தின் ஒற்றுமை தொடர்பான செய்தி எப்போதும் இருக்கும்.  நமது ஒட்டுமொத்தத் திரைப்படத்துறைக்கும் இந்த மாமனிதர்களின் வாழ்க்கை கருத்தூக்கம் அளிப்பது.

     நண்பர்களே, நான் மேலும் ஒரு சந்தோஷமான செய்தியை உங்களுக்கு அளிக்க விரும்புகிறேன்.  பாரதநாட்டின் படைப்புத்திறனை உலகின் முன்பாக வைக்க ஒரு மிகப்பெரிய சந்தர்ப்பம் வந்து கொண்டிருக்கிறது.  அடுத்த ஆண்டு நமது தேசத்தில் முதன்முறையாக உலக ஒலிஒளி கேளிக்கை உச்சிமாநாடு அதாவது வேவ்ஸ் உச்சிமாநாடு நடைபெறவிருக்கிறது.  நீங்கள் அனைவரும் தாவோஸ் பற்றிக் கேள்விப்பட்டிருப்பீர்கள்; அங்கே உலகின் பொருளாதாரவுலகின் ஜாம்பவான்கள் ஒன்று கூடுவார்கள்.  இதைப் போலவே வேவ்ஸ் உச்சிமாநாட்டிலே உலகெங்கிலுமிருந்தும் ஊடகங்களும், திரைத்துறையின் ஜாம்பவான்களும், படைப்புலகத்தினரும் பாரத நாட்டிற்கு வருவார்கள்.   இந்த உச்சிமாநாடு, பாரத நாடு உலகம் தழுவிய உள்ளடக்க உருவாக்க மையமாக ஆகும் திசையில் ஒரு மகத்துவம் வாய்ந்த அடியெடுப்பாகும்.  இந்த உச்சிமாநாட்டின் தயாரிப்பு முஸ்தீபுகளிலே நமது தேசத்தின் இளம் படைப்பாளிகள் முழு உற்சாகத்தோடு இணைந்து பணியாற்றி வருகிறார்கள் என்று என்னிடம் கூறப்பட்டிருக்கிறது.  நாம் 5 ட்ரில்லியன் டாலர் பொருளாதாரம் என்ற திசையை நோக்கி முன்னேறும் வேளையில் நமது படைப்பாற்றல் பொருளாதாரமும் ஒரு புதிய ஆற்றலைக் கொண்டுவந்து சேர்க்கிறது.   நான் பாரத நாட்டின் மொத்த கேளிக்கை மற்றும் படைப்பாற்றல் துறையிடமும் என்ன வேண்டிக் கொள்கிறேன் என்றால், நீங்கள் இளம் படைப்பாளியோ, புகழ்மிக்க கலைஞரோ, பாலிவுட்டோடு இணைந்தவரோ அல்லது பிராந்திய திரைத்துறையைச் சேர்ந்தவரோ, தொலைக்காட்சித் துறையின் தொழில்வல்லுநரோ அல்லது அனிமேஷன் வல்லுநரோ, கேமிங்கோடு தொடர்புடையவரோ கேளிக்கைத் தொழில்நுட்பத் துறையில் கண்டுபிடிப்பாளரோ…. நீங்கள் அனைவரும் வேவ்ஸ் உச்சிமாநாட்டில் பங்கு பெறுங்கள். 

     எனதருமை நாட்டுமக்களே, பாரதநாட்டுக் கலாச்சாரம் பொழியும் ஒளியானது இன்று எப்படி உலகின் அனைத்து மூலைகளுக்கும் பரவி வருகிறது என்பதை நீங்கள் அனைவரும் நன்கறிவீர்கள்.  மூன்று கண்டங்களின் முயற்சிகளைப் பற்றி இன்று நான் உங்களிடம் பரிமாறிக் கொள்ள இருக்கிறேன், இவை நமது கலாச்சார மரபின் உலகளாவிய பரவலின் சான்றுகளாக இருக்கின்றன.  இவையனைத்தும் ஒன்றுக்கொன்று பல கி.மீ. தொலைவால் வேறுபட்டவை.  ஆனால் பாரத நாட்டைப் பற்றித் தெரிந்து கொள்ளவும், நமது கலாச்சாரத்தைக் கற்றுக் கொள்ளவும் அவர்களிடம் இருக்கும் தாகம் ஒன்று போலவே இருக்கிறது.

     நண்பர்களே, ஓவியங்களின் உலகம் எத்தனை வண்ணமயமாக இருக்குமோ, அந்த அளவுக்கு அழகாக இருக்கும்.  தொலைக்காட்சி வாயிலாக உங்களில் யாரெல்லாம் மனதின் குரலோடு இணைந்து வருகிறீர்களோ, சில ஓவியங்களை தொலைக்காட்சியில் உங்களால் காண முடியும்.  இந்தச் சித்திரங்களில் நமது தெய்வங்கள், நடனக்கலைகள் மற்றும் மாமனிதர்களைக் கண்டு உங்கள் உள்ளங்கள் உவப்பெய்தும்.  இவற்றிலே பாரதநாட்டில் இருக்கும் உயிரினங்கள் தொடங்கி நிறைய விஷயங்களை உங்களால் காணமுடியும்.   இவற்றில் தாஜ்மஹலின் ஒரு அற்புதமான ஓவியமும் அடங்கும், இதை 13 வயதேயான ஒரு குட்டிப் பெண் வரைந்திருக்கிறாள்.  இந்த மாற்றுத்திறனாளிக் குழந்தை தனதுவாயால் இந்த ஓவியத்தை வரைந்திருக்கிறாள் என்பதறிந்தால் நீங்கள் திகைத்துப் போவீர்கள்.   மிகவும் சுவாரசியமான விஷயம் என்னவென்றால் இந்த ஓவியங்களை வரைந்தவர்கள் பாரத நாட்டினர் அல்ல, எகிப்து தேசத்தைச் சேர்ந்த மாணவர்கள்.  சில வாரங்கள் முன்பு எகிப்து நாட்டில் சுமார் 23,000 மாணவர்கள் ஒரு ஓவியப் போட்டியில் பங்கெடுத்தார்கள்.  அங்கே அவர்கள் பாரத நாட்டின் கலாச்சாரம் மற்றும் இந்த இருநாடுகளின் சரித்திரப்பூர்வமான தொடர்புகளை வெளிப்படுத்தும் வகையிலான ஓவியங்களை வரைந்திருந்தார்கள்.  நான் இந்தப் போட்டியில் பங்கெடுத்துக் கொண்ட அனைத்து இளைஞர்களுக்கும் பாராட்டுக்களைத் தெரிவித்துக் கொள்கிறேன்.  அவர்களின் படைப்பாற்றலை எத்தனைப் பாராட்டினாலும் தகும்.

     நண்பர்களே, தென்னமெரிக்காவின் ஒரு தேசம் பராகுவே.  அங்கேயிருக்கும் பாரதநாட்டவரின் எண்ணிக்கை ஓராயிரத்தை மிகாது.  பராகுவேயில் ஒரு அற்புதமான முயற்சி நடைபெற்று வருகிறது.  அங்கே பாரதநாட்டு தூதரகத்தில் எரிகா ஹ்யூபர் என்பவர் இலவசமாக ஆயுர்வேத ஆலோசனை அளிக்கிறார்.  ஆயுர்வேத ஆலோசனை பெற, அந்நாட்டவர் அதிக எண்ணிக்கையில் வருகிறார்கள்.  எரிகா ஹ்யுபர் பொறியியல் படிப்பு படித்திருந்தாலும் கூட, அவருடைய மனம் ஆயுர்வேதத்திலேயே நிலை கொள்கிறது.  அவர் ஆயுர்வேதம் தொடர்பான படிப்புக்களை மேற்கொண்டார், காலப்போக்கில் இதில் வல்லுநராகவும் ஆகி விட்டார்.

     நண்பர்களே, உலகின் மிகத் தொன்மையான மொழி தமிழ்மொழி, இந்தியர்கள் அனைவருக்கும் இது பெருமை சேர்க்கும் விஷயமாகும்.  உலகெங்கிலும் இருக்கும் நாடுகளில் இதைக் கற்போரின் எண்ணிக்கை தொடர்ந்து அதிகரித்து வருகிறது.   கடந்த மாத இறுதியில், ஃபிஜியில் பாரத அரசின் உதவியோடு தமிழ் பயில்விக்கும் நிகழ்ச்சி தொடங்கப்பட்டது.  கடந்த 80 ஆண்டுகளில், ஃபிஜியில் தமிழில் பயிற்சி பெற்ற ஆசிரியர்கள் தமிழ் பயிற்றுவிப்பது என்பது இதுவே முதல் முறை.  இன்று ஃபிஜியின் மாணவர்கள் தமிழ்மொழியையும், சம்ஸ்கிருதத்தையும் கற்றுக் கொள்ள நிறைய ஆர்வம் காட்டுகிறார்கள் என்பது எனக்கு உவப்பைத் தருகிறது.

     நண்பர்களே, இந்த விஷயங்கள், இந்தச் சம்பவங்கள், வெறும் வெற்றிக்கதைகள் அல்ல.   இவை நமது கலாச்சார மரபின் காதைகளும் கூட.  இந்த எடுத்துக்காட்டுகள் நம் உள்ளங்களைப் பெருமிதத்தால் நிரப்பி விடுகின்றன.  கலை முதல் ஆயுர்வேதம், மொழி, இசை என அனைத்தும் பாரதத்திடம் கொட்டிக் கிடக்கிறது, இதுவே உலகை மயக்குகிறது.

     நண்பர்களே, குளிர்காலத்தில் நாடெங்கிலும் விளையாட்டு மற்றும் உடலுறுதி தொடர்பாக பல செயல்பாடுகள் நடைபெற்று வருகின்றன.  மக்கள் உடலுறுதியைத் தங்களுடைய தினசரி வாடிக்கையாக்கி வருகிறார்கள் என்பது மகிழ்ச்சியை அளிக்கிறது.  கஷ்மீரில் பனிச்சறுக்கு முதல் குஜராத்தில் காற்றாடிவிடுதல் வரை அனைத்து இடங்களிலும் விளையாட்டுக்களின் உற்சாகத்தைக் காண முடிகிறது.   #SundayOnCycle மற்றும்  #CyclingTuesday போன்ற இயக்கங்கள் சைக்கிள்விடுதலுக்கு ஊக்கமளித்து வருகின்றன.

     நண்பர்களே, இப்போது நான் உங்களோடு ஒரு வித்தியாசமான விஷயத்தைப் பகிர்ந்து கொள்ள விரும்புகிறேன், இது நமது தேசத்தில் ஏற்பட்டும்வரும் மாற்றங்கள் மற்றும் இளைய நண்பர்களின் உற்சாகத்தையும், ஊக்கத்தையும் அடையாளப்படுத்துகிறது.  நமது பஸ்தர் பகுதியில் ஒரு வித்தியாசமான ஒலிம்பிக் போட்டி தொடங்கப்பட்டிருப்பது பற்றிக் கேள்விப்பட்டிருக்கிறீர்களா?  ஆமாம்….. முதன்முறையாக பஸ்தர் ஒலிம்பிக்ஸ் வாயிலாக பஸ்தரில் ஒரு புதிய புரட்சி பிறப்பெடுத்து வருகிறது.  என்னைப் பொறுத்தமட்டில் மிக சந்தோஷமான விஷயம் என்னவென்றால், பஸ்தர் ஒலிம்பிக்ஸ் என்ற கனவு மெய்ப்பட்டிருக்கிறது என்பது தான்.  ஒருகாலத்தில் மாவோவாதிகளின் பயங்கரவாதம் பாதிக்கப்பட்ட பகுதியாக இருந்த பகுதியில் இது நடக்கிறது என்பது உங்களுக்கும் மகிழ்ச்சியை ஏற்படுத்தலாம்.  பஸ்தர் ஒலிம்பிக்ஸின் சின்னம், வன் பைன்ஸா ஔர் பஹாடி மைனா, அதாவது காட்டெருமையும், மலைப்பகுதி மைனாவும்.   இதிலே பஸ்தரின் நிறைவான கலாச்சாரம் பளிச்சிடுவதைக் காண முடிகிறது.  இந்த பஸ்தர் விளையாட்டு மகாகும்பமேளாவின் மூல மந்திரம் என்ன தெரியுமா? 

கர்ஸாய் தா பஸ்தர் பர்ஸாயே தா பஸ்தர்

அதாவது, விளையாடும் பஸ்தர் – வெல்லும் பஸ்தர்.

     முதன்முறையாக பஸ்தர் ஒலிம்பிக்ஸில் 7 மாவட்டங்களைச் சேர்ந்த ஒரு இலட்சத்துஅறுபத்து ஐயாயிரம் விளையாட்டு வீரர்கள் பங்கெடுத்துக் கொண்டார்கள்.  இது வெறும் எண்ணிக்கையல்ல.  இது நமது இளைய சமூகத்தின் உறுதிப்பாட்டின் கௌரவக்காதை.  தடகளப் போட்டிகள், கயிறு இழுத்தல், பூப்பந்தாட்டம், கால்பந்தாட்டம், ஹாக்கி, பளுதூக்குதல், கராட்டே, கபடி, கோகோ, கைப்பந்தாட்டம் என அனைத்து விளையாட்டுக்களிலும் நமது இளைஞர்கள் தங்களுடைய திறன்கள்-திறமைகளை வெளிப்படுத்தினார்கள்.  காரி கஷ்யப் அவர்களின் கதை எனக்கு மிகவும் உத்வேகம் அளித்தது.  ஒரு சின்னஞ்சிறிய கிராமத்திலிருந்து வரும் காரி அவர்கள் அம்பு எய்தல் போட்டியில் வெள்ளிப்பதக்கம் வென்றார்.  “பஸ்தர் ஒலிம்பிக்ஸ் போட்டியானது எங்களுக்கு விளையாட்டு மைதானத்தை மட்டுமல்ல, வாழ்க்கையில் முன்னேற ஒரு சந்தர்ப்பத்தை அளித்திருக்கிறது” என்று கூறியிருக்கிறார் இவர்.  சுக்மாவைச் சேர்ந்த பாயல் கவாசி அவர்களின் கூற்று ஒன்றும் குறைந்த ஊக்கத்தை அளிக்கவில்லை.  ஈட்டி எறிதல் போட்டியில் தங்கப்பதக்கம் வென்ற பாயல், “ஒழுக்கம் மற்றும் கடும் உழைப்பு வாயிலாக யாராலும் எதையும் சாதிக்க முடியும்” என்றார் இவர்.   சுக்மாவின் தோர்நாபாலைச் சேர்ந்த புனேம் ஸன்னா அவர்களின் கதை, புதிய பாரதத்துக்கே உத்வேகம் அளிப்பதாகும்.  ஒரு காலத்தில் நக்ஸல் தாக்கத்தால் கவரப்பட்ட புனேம் அவர்கள் இன்று சக்கர நாற்காலியில் விரைந்து பதக்கங்களை வென்று வருகிறார்.  இவருடைய சாகஸமும், தன்னம்பிக்கையும், அனைவருக்கும் கருத்தூக்கம் அளிக்க வல்லவை.  கோடாகாவின் அம்பெறிதல் போட்டியாளரான ரஞ்ஜூ ஸோரி அவர்கள், பஸ்தரின் இளைஞர்களின் சின்னமாகத் தேர்ந்தெடுக்கப்பட்டிருக்கிறார்.  நெடுந்தலைவுகளில் இருக்கும் இளைஞர்களை தேசிய அளவில் கொண்டு சேர்க்கும் சந்தர்ப்பத்தை பஸ்தர் ஒலிம்பிக்ஸ் அளித்து வருகிறது என்று கருதுகிறார்.

     நண்பர்களே, பஸ்தர் ஒலிம்பிக்ஸ் என்பது ஒரு விளையாட்டு நிகழ்ச்சி மட்டுமல்ல.  இங்கே வளர்ச்சி மற்றும் விளையாட்டுக்களின் சங்கமம் நடக்கிறது.  இங்கே நமது இளைஞர்களின் திறமைகள் ஒளி உமிழ்கின்றன, ஒரு புதிய பாரதத்தை அவர்கள் படைக்கிறார்கள்.  நான் உங்கள் அனைவரிடத்திலும் வேண்டிக் கொள்கிறேன் –

  • உங்கள் பகுதிகளில் இப்படிப்பட்ட விளையாட்டு நிகழ்ச்சிகளுக்கு ஊக்கம் தாருங்கள்.
  • #खेलेगा भारत – जीतेगा भारत என்பதிலே உங்களுடைய பகுதிகளில் விளையாட்டுத் திறமைகளைப் பற்றிய கதைகளைப் பகிர்ந்து கொள்ளுங்கள்.
  • விளையாட்டில் திறமைகள் உள்ளவர்கள் வட்டாரத்தில் இருந்தால் அவர்கள் முன்னேற வாய்ப்பளியுங்கள்.

நினைவில் கொள்ளுங்கள், விளையாட்டுக்கள் நமது உடல் வளர்ச்சியை மட்டுமல்லாமல், ஆரோக்கியமான மனநிலையையும் ஏற்படுத்தி, சமூகத்தின் இணைப்புக்களை-உறவுகளை மேலும் வலுவாக்க வல்லது.  ஆகையால் விளையாடுங்கள், நன்றாக விளையாடுங்கள்.

     எனதருமை நாட்டுமக்களே, பாரதத்தின் இருபெரும் சாதனைகள் இன்று உலகத்தின் கவனத்தை ஈர்த்திருக்கின்றன.  இதைக் கேட்டு நீங்கள் பெருமைப்படுவீர்கள்.  இந்த இருபெரும் வெற்றிகளும் ஆரோக்கியத் துறையில் கிடைத்திருக்கின்றன.  முதல் சாதனை என்னவென்றால், அது மலேரியாவுடனான போராட்டத்தில்.  மலேரியா என்ற நோய் 4000 ஆண்டுகளாக மனித சமூகத்திற்கே ஒரு பெரும் சவாலாக இருந்து வருகிறது.  சுதந்திரமடைந்த காலகட்டத்தில், இது நமது மிகப்பெரிய சுகாதாரச் சவால்களில் ஒன்றாக இருந்தது.  ஒரு மாதம் முதல் ஐந்து ஆண்டுகள் வரையிலான குழந்தைகளின் உயிர்குடிக்கும் அனைத்துத் தொற்றுநோய்களில் மலேரியாவுக்கு மூன்றாவது இடம்.   இன்று, நாட்டுமக்களை அனைவரும் இந்தச் சவாலை தீவிரத்தோடு எதிர்கொண்டார்கள், முன்னேற்றமும் கண்டார்கள் என்பதைப் பகிர்ந்து கொள்வதில் எனக்கு பேருவகை ஏற்படுகிறது.  உலக சுகாதார நிறுவனத்தின் அறிக்கை என்ன கூறுகிறது தெரியுமா?  பாரத நாட்டில் 2015ஆம் ஆண்டு தொடங்கி 2023ஆம் ஆண்டிற்குள்ளாக மலேரியா பாதிப்பு விஷயங்கள் மற்றும் இதனால் ஏற்படும் இறப்புக்களில் 80 சதவீத வீழ்ச்சி காணப்பட்டிருக்கிறது.   இது ஒன்றும் சிறிய சாதனையே அல்ல.  மேலும் மிகவும் மகிழ்ச்சிதரும் செய்தி என்னவென்றால் இந்த வெற்றி, நாட்டுமக்கள் அனைவரின் பங்களிப்புக் காரணமாகவே கிடைத்திருக்கிறது.  பாரத நாட்டின் அனைத்து இடங்களிலும், அனைத்து மாவட்டங்களிலும் அனைவரும் இந்த இயக்கத்தில் பங்கெடுத்தார்கள்.  அஸாமின் ஜோர்ஹாட்டில் தேயிலைத் தோட்டங்களில் நான்காண்டுகள் முன்புவரை மக்களின் கவலைக்குக் காரணமாக மலேரியா இருந்துவந்தது.  ஆனால் இதை வேரடி மண்ணோடு கெல்லி எறிய தேயிலைத் தோட்டத்தில் வசிப்பவர்கள் ஒன்று திரண்ட போது, இதில் கணிசமான அளவுக்கு வெற்றியை ஈட்ட முடிந்தது.  தங்களுடைய இந்த முயற்சியில் அவர்கள் தொழில்நுட்பத்தோடு கூட, சமூக ஊடகங்களையும் முழுமையாகப் பயன்படுத்தினார்கள்.   இதைப் போலவே ஹரியாணாவின் குருக்ஷேத்திரம் மாவட்டவாசிகளும் கூட மலேரியாவைக் கட்டுப்படுத்த மிக நேர்த்தியான மாதிரி ஒன்றினை முன்வைத்தார்கள்.  இங்கே மலேரியாவைக் கண்காணிப்பதில் மக்களின் பங்களிப்பு கணிசமாக வெற்றி பெற்றிருக்கிறது.  தெருமுனை நாடகங்கள், வானொலி ஆகியவை வாயிலாக செய்திகள் ஓங்கி ஒலிக்கப்பட்டன, இதன் காரணமாக கொசுக்களின் இனப்பெருக்கம் குறைய கணிசமாக உதவியது.  நாடெங்கிலும் இப்படிப்பட்ட முயற்சிகளால் தான் நம்மால் மலேரியாவுக்கு எதிரான போராட்டத்தை முன்னேற்ற முடிந்தது.

 

     நண்பர்களே, நம்முடைய மனவுறுதிப்பாடு மற்றும் விழிப்புணர்வு காரணமாக நம்மால் எந்த அளவுக்கு சாதிக்க முடியும் என்பதற்கான இரண்டாவது எடுத்துக்காட்டுத் தான் புற்றுநோயோடு போர்.  உலகின் பிரபலமான மருத்துவ சஞ்சிகையான Lancetஇன் ஆய்வு, உள்ளபடியே நம்பிக்கை அளிக்கவல்லது.  இந்த சஞ்சிகைப்படி இப்போது பாரதத்தில், சரியான காலத்தில் புற்றுநோய்க்கான சிகிச்சையைத் தொடங்குவதற்கான சாத்தியக்கூறு கணிசமாக அதிகரித்து விட்டது.  குறித்த காலத்தில் என்றால், புற்றுநோயால் பாதிக்கப்பட்டவர்களுக்கான சிகிச்சை 30 நாட்களுக்கு உள்ளாகத் தொடங்குவது என்பது தான்.  மேலும் இதில் பெரிய பங்களிப்பை அளித்துவருவது ஆயுஷ்மான் பாரத் திட்டம் தான்.  இந்தத் திட்டத்தின் காரணமாக, புற்றுநோயாளிகளில் 90 சதவீதம் பேரால், குறித்த காலத்தில் சிகிச்சையை மேற்கொள்ள முடிகிறது.  இது எப்படி நடந்தது என்றால், முன்பெல்லாம் பணத்தட்டுப்பாடு காரணமாக ஏழை நோயாளிகளால் புற்றுநோய்ப் பரிசோதனையில், சிகிச்சை மேற்கொள்ளத் தயக்கம் காட்டினார்கள்.  இப்போதோ ஆயுஷ்மான் பாரத் திட்டம் அவர்களுக்கு வரப்பிரசாதமாக ஆகியிருக்கிறது.  இப்போது அவர்கள் முன்வந்து சிகிச்சை மேற்கொள்ள வருகிறார்கள்.  ஆயுஷ்மான் பாரதம் திட்டம் புற்றுநோய் சிகிச்சையில் ஏற்படும் பணப்பற்றாக்குறை என்ற பிரச்சனையைக் கணிசமாகக் குறைத்திருக்கிறது.  மேலும் ஒரு நல்ல விஷயம் என்னவென்றால் இன்றைய காலத்தில், புற்றுநோய்க்கான சிகிச்சை தொடர்பாக மக்கள் முன்பை விட அதிக விழிப்புணர்வோடு இருக்கிறார்கள் என்பது தான்.  இந்தச் சாதனைக்கான பாராட்டுக்கள் நமது உடல்பராமரிப்பு முறை, மருத்துவர்கள், செவிலியர்கள், தொழில்நுட்ப பணியாளர்கள், குடிமக்களான சகோதர சகோதரிகள் அனைவருக்கும் சொந்தமானது.  அனைவரின் முயற்சியால் மட்டுமே புற்றுநோயை முறியடிக்கும் உறுதிப்பாடு மேலும் பலப்பட்டிருக்கிறது.  விழிப்புணர்வை உண்டாக்குவதில் தங்களுடைய முதன்மையான பங்களிப்பை அளித்த அனைவருக்கும் கூட இந்த வெற்றிக்கான பாராட்டுக்கள் சேரும்.

 

     புற்றுநோயோடுடனான போராட்டத்தில் ஒரே மந்திரம் – விழிப்புணர்வு, செயல்பாடு, உத்திரவாதம்.  விழிப்புணர்வு அதாவது புற்றுநோய் மற்றும் அதன் அறிகுறிகள் தொடர்பான விழிப்புணர்வு, செயல்பாடு அதாவது காலத்தில் ஆய்வு மற்றும் சிகிச்சை, உத்திரவாதம் அதாவது நோயாளிகளுக்கு அனைத்து உதவிகளும் கிடைக்கும் என்ற நம்பிக்கை.  வாருங்கள், நாமனைவரும் இணைந்து, புற்றுநோய்க்கு எதிரான இந்தப் போரை இன்னும் விரைவாக முன்னெடுத்துச் செல்வோம், அதிக அளவு நோயாளிகளுக்கு உதவுவோம்.

 

     என் மனம்நிறை நாட்டுமக்களே, ஒடிஷாவின் காலாஹாண்டியின் ஒரு முயற்சி குறித்து இன்று நான் உங்களோடு பரிமாறிக்கொள்ள விரும்புகிறேன், குறைந்த நீரில் குறைந்த ஆதாரங்களைத் தாண்டி, எப்படி ஒரு புதிய வெற்றிக்கதை எழுதப்படுகிறது என்பது தான் இது.  இது தான் காலாஹாண்டியின் காய்கறிப் புரட்சி.  இந்த இடத்திலிருந்து, ஒரு காலத்தில் விவசாயிகள் வெளியேறும் நிலைக்குத் தள்ளப்பட்டார்கள்; ஆனால் இங்கே இன்றோ, காலாஹாண்டியின் கோலாமுண்டா தொகுதியே கூட காய்கறி மையமாக ஆகி வருகிறது.  எப்படி நிகழ்ந்தது இந்த மாற்றம்?  இதன் தொடக்கம் வெறும் பத்து விவசாயிகளின் ஒரு சின்ன சமூகத்தில் நடந்தது.  இந்தச் சமூகம் இணைந்து, FPO உற்பத்தியாளர் விவசாயிகள் அமைப்பு ஒன்றை நிறுவினார்கள், விவசாயத்தின் நவீன உத்திகளைப் பயன்படுத்தி இன்று இவர்களின் இந்த உற்பத்தியாளர் விவசாயிகள் அமைப்பு, கோடிக்கணக்கான ரூபாய் அளவுக்கு வியாபாரம் செய்து வருகிறது.  இன்று 200க்கும் மேற்பட்ட விவசாயிகள் இந்த அமைப்போடு இணைந்திருக்கிறார்கள், இதிலே 45 பெண் விவசாயிகளும் அடங்குவார்கள்.  இவர்கள் இணைந்து 200 ஏக்கரில் தக்காளி சாகுபடியை மேற்கொண்டு வருகிறார்கள், 150 ஏக்கர்பரப்பில் பாகற்காயை சாகுபடி செய்கிறார்கள்.   இந்த அமைப்பின் ஆண்டுவருவாயும் கூட ஒண்ணரை கோடியையும் தாண்டி விட்டது.  இன்று காலாஹாண்டியின் காய்கறிகள், ஒடிஷாவின் பல்வேறு மாவட்டங்களில் மட்டுமல்ல, மேலும் பிற மாநிலங்களுக்கும் அனுப்பி வைக்கப்படுகின்றன.  அடுத்து அந்தப்பகுதி விவசாயிகள் இப்போது உருளை, வெங்காயம் ஆகியவற்றை விளைவிக்கும் புதிய உத்திகளைக் கற்கத் தொடங்கி விட்டார்கள்.

    

     நண்பர்களே, காலாஹாண்டியின் இந்த வெற்றி நமக்கெல்லாம் உறுதிப்பாட்டின் சக்தி மற்றும் சமூகமாக இணைந்துபுரியும் முயற்சியால் சாதிக்கக்கூடியவற்றை விளக்குகிறது.  இப்போது நான் உங்களிடம் வேண்டிக் கொள்வதெல்லாம் –

  • உங்களுடைய பகுதியில் விவசாயிகள் உற்பத்தியாளர் அமைப்பை ஊக்கப்படுத்துங்கள்.
  • விவசாயிகள் உற்பத்தியாளர்கள் அமைப்புக்களோடு இணையுங்கள், அவற்றைப் பலப்படுத்துங்கள்.

 

நினைவில் கொள்ளுங்கள், ஒரு சிறிய தொடக்கம் கூட பெரியதொரு மாற்றத்தை ஏற்படுத்த முடியும்.  மனவுறுதியும், கூட்டுமுயற்சியும் மட்டுமே போதுமானது.

 

     நண்பர்களே, இன்றைய மனதின் குரலில் எப்படி நமது பாரதம் பன்முகத்தன்மையில் ஒற்றுமையோடு முன்னேறி வருகிறது என்பதைக் கண்டோம்.  அது விளையாட்டு மைதானமாகட்டும், அறிவியல் களமாகட்டும், உடல்நலம் அல்லது கல்வித் துறையாகட்டும் – அனைத்துத் துறைகளிலும் பாரதம் புதிய சிகரங்களைத் தொட்டு வருகிறது.  நாம் ஓர் குடும்பத்தவரைப் போல இணைந்து, அனைத்துச் சவால்களையும் எதிர்கொண்டு, புதிய வெற்றிகளை ஈட்டியிருக்கிறோம்.   2014ஆம் ஆண்டு தொடங்கப்பட்ட மனதின் குரலின் 116 பகுதிகளைக் காணும் போது, தேசத்தின் சமூகசக்தியின் ஒரு உயிர்ப்புடைய ஆவணமாக மனதின் குரல் ஆகியிருக்கிறது என்பதை என்னால் உணர முடிந்தது.  நீங்கள் அனைவரும்தான் இந்த நிகழ்ச்சியை ஏற்றுக்கொண்டு, உங்களுடையதாக ஆக்கிக் கொண்டீர்கள்.  ஒவ்வொரு மாதமும் நீங்கள் உங்களுடைய கருத்துக்களையும், சிந்தனைகளையும், முயற்சிகளையும் பகிர்ந்து கொண்டீர்கள்.  ஒரு சமயம் ஒரு இளம் படைப்பாளியின் கருத்து நம்மைக் கவர்ந்தது, இன்னொரு சமயத்தில் ஒரு பெண் குழந்தையின் சாதனைகள் நம்மைப் பெருமைப்படச் செய்தன.  உங்களனைவரின் பங்களிப்புதான் தேசத்தின் மூலாமூலைகளெங்கும் இருக்கும் ஆக்கப்பூர்வமான சக்தியை ஒருங்கிணைக்கிறது.  மனதின் குரல் இந்த ஆக்கப்பூர்வமான ஆற்றலை மிகப்படுத்தும் அல்லது மிகுவிக்கும் மேடையாக ஆகியிருக்கிறது.  இப்போது 2025 கதவைத் தட்டிக் கொண்டிருக்கிறது.  வரும் ஆண்டில் மனதின் குரல் வாயிலாக நாம் மேலும் உத்வேகம் அளிக்கும் முயற்சிகளைப் பரிமாறிக் கொள்வோம்.  நாட்டுமக்களின் ஆக்கப்பூர்வமான சிந்தனையும், புதுமைகள் கண்டுபிடிக்கும் உணர்வும் நம் நாட்டை மாபெரும் உயரங்களுக்குக் கொண்டு போகும் என்பதில் எனக்கு நம்பிக்கை உள்ளது.  நீங்கள் உங்களுக்கருகே இருக்கும் தனித்தன்மை வாய்ந்த முயற்சிகளை #Mannkibaat என்பதில் பகிர்ந்து வாருங்கள்.  அடுத்த மாதம் மனதின் குரலில் ஒருவருக்கு ஒருவர் பகிர்ந்து கொள்ள ஏராளமான விஷயங்கள் இருக்கும் என்பதை நான் நன்கறிவேன்.  உங்கள் அனைவருக்கும் 2025ஆம் ஆண்டுக்கான பலப்பல நல்வாழ்த்துக்கள்.  உடல்நலத்தோடு இருங்கள், சந்தோஷமாக இருங்கள், உடலுறுதி இந்தியா இயக்கத்தில் நீங்களனைவரும் உங்களை இணைத்துக் கொள்ளுங்கள், நீங்களும் உடலுறுதியோடு இருங்கள்.  வாழ்க்கையில் தொடர்ந்து முன்னேற்றம் காணுங்கள்.  பலப்பல நன்றிகள்.