Shri Modi's address to NRIs across 20 USA cities

Published By : Admin | May 13, 2013 | 13:45 IST

 

नेक शहरों में उपस्थित सभी मेरे भाइयों और बहनों..! मैं देख रहा हूँ कि आप खड़े हो कर के, तालियों की गड़गड़ाहट और गूंज के साथ मुझे सम्मानित कर रहे हैं..! ये आपका प्यार किसी भी इंसान को बहुत बड़ी नई ताकत देता है, मन को आनंद भी होता है, लेकिन भाइयो-बहनों, ये गौरव, ये प्यार, ये आपका सम्मान नरेन्द्र मोदी का नहीं है, किसी एक व्यक्ति का नहीं है। ये प्यार, ये सम्मान, ये गौरव, छह करोड़ गुजरातियों का है, उन्हीं की बदौलत है, उन्हीं के पुरूषार्थ का परिणाम है, उनके परिश्रम के कारण आज गुजरात ने विश्व में नाम कमाया है, उसके कारण है..! और इसलिए भाइयों-बहनों, मैं सभी मेरे गुजरात के भाइयों-बहनों की तरफ से इस सम्मान के लिए आप सब का अभिनंदन करता हूँ, अभिवादन करता हूँ और ये सम्मान गुजरात को प्रेम करने वाले विश्व के सभी भाई-बहनों को मैं समर्पित करता हूँ..!

ज विश्व में ‘मातृ दिवस’ मनाया जा रहा है, ‘मदर्स डे’ मनाया जा रहा है..! हो सकता है जब समाज में कुछ ना कुछ ऐसी चीजों की आवश्कता रहती है, तब नई-नई व्यवस्थाओं के विकास करने की भी जरूरत खड़ी होती है। मैं इस ‘मदर्स डे’ पर मातृ-शक्ति को प्रणाम करता हूँ, मातृ-शक्ति का सम्मान करता हूँ, उनका गौरव गाता हूँ..! लेकिन मैं आप सबको हमारी उन सांस्कृतिक विरासत की ओर ले जाना भी उचित मानता हूँ। हम वो लोग हैं, हम उन पूर्वजों की संतान हैं, हम आज जो कुछ भी हैं वो उस महान विरासत की बदौलत हैं और हमारे पूर्वजों ने ऋषियों ने, मुनियों ने हमें एक मंत्र दिया था और आज जब दुनिया ‘मदर्स डे’ मना रही है तब उसका महत्व और बढ़ जाता है। तब शायद विज्ञान तो इतना विकसित नहीं हुआ था..! पृथ्वी क्या है, जगत क्या है, मानव जात क्या है, कौन कहाँ है... शायद इतना भी ज्ञान कैसे प्राप्त किया होगा..! लेकिन उस समय इसी हिन्दुस्तान की धरती पर से एक आवाज हमेशा सुनाई देती थी और वो आवाज थी, वो मंत्र था, ‘माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः’..! माता भूमि:, भूमि मेरी माता है; पुत्रो अहं पृथिव्याः, मैं पृथ्वी का पुत्र हूँ..! यानि हम वो लोग हैं जिन्होंने पृथ्वी को माँ माना है और माँ को बच्चों का लालन-पालन, बच्चों को माँ की सुरक्षा, ये एक अजोड़ नाता जुड़ा हुआ है। मैं आज ये दु:खद बात भी बाताना चाहता हूँ। मैं नहीं जानता हूँ कि बाल की खाल उखाड़ने में लगे पॉलिटिकल पंडित इन चीजों के क्या अर्थ निकालेंगे, क्या कहेंगे, वो तो हमें मालूम नहीं है। लेकिन मैं ये कहता हूँ कि माता नाम का जो एक भाव विश्व है, माँ नाम का जो हमारे यहाँ भाव जगत है, उसकी कितनी बड़ी ताकत रही है..! और जब-जब पूरे ब्रह्मांड की व्यवस्था में ये माँ तत्व, ये माँ भाव विश्व सशक्त रहा, सामर्थ्यवान रहा, पूजनीय रहा, हम संकटों से बचते चले गए। वहीं से हमें संकटों से बाहर निकलने की ताकत भी मिलती रही। लेकिन जब-जब उस सारे भाव विश्व में कुछ बदलाव आया, स्थितियाँ बदलती गई..! दुनिया कभी-कभी हमें पूछती है कि क्या कारण है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी..! ये हमारी हस्ती मिटती नहीं का सवाल विश्व की, दुनिया की कई संस्कृतियाँ समाप्त हो गई और हम समाप्त नहीं हुए, तब स्वाभाविक पूछा जाता है। कई कारण होंगे, लेकिन आज जब ‘मातृ दिवस’ मना रहे हैं तब मैँ कहूँगा कि हमारी हस्ती मिटती नहीं उसका एक कारण हमारी परिवार व्यवस्था है। पारिवारिक बाइडिंक के जो संस्कार हमें मिले हैं वो इसकी सबसे बड़ी ताकत है..! और मैंने तो देखा है, अमरिका के हर चुनाव में हर पॉलिटिकल पार्टी, हर पॉलिटिकल लीडर एक बात आवश्य बोलता है कि जब हम सरकार में आएंगे तो परिवार व्यवस्था को फिर से एक बार ताकतवर बनाने का प्रयास करेंगे, परिवार सुरक्षित रहे इसकी हम चिंता करेंगे..! ये आज अमेरिका में भी चर्चा का, एजेंडा का एक विषय होता है। भाइयों-बहनों, क्या बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी..? मैं कहूँगा कि उसका कारण है, हजारों साल पहले हमारे पूर्वजों ने जो परिवार व्यवस्था विकसित की, उस परिवार व्यवस्था की ताकत है जिसने आज भी हम लोगों को नित्य नूतन रूप धारण करने की ताकत दी है और अपने आप को आगे बढाने का भी सामर्थ्य दिया है। वह पूरी परिवार व्यवस्था टिकी हुई थी, पनपती रही थी उसका कारण क्या..? कारण यह था कि उसके केन्द्र बिंदु में माँ का त्याग, माँ की तपस्या, हर दिन शिवजी की तरह जहर पीते जाना और परिवार के भीतर अमृत बांटते जाना..! यही तो कारण था कि आज हमारी परिवार व्यवस्था बनी रही है। ये सिर्फ एक लग्न-संस्था नहीं थी, वो उससे भी बहुत कुछ आगे थी..! और इसलिए माता का महात्म क्या होता है वो हम परिवार की जिंदगी जीने वाले, संयुक्त परिवार की जिंदगी जीने वाले, बृहद परिवार की जिंदगी जीने वाले भली-भांति समझते हैं और जानते हैं..!

भाइयों-बहनों, हमारी संस्कृति की एक और विशेषता है। जिन-जिन चीजों को हमने सर्वोच्च माना है, जिन-जिन बातों को हमने बहुमूल्य माना है, अनमोल माना है, उन सब बातों को हमने माँ से जोड़ कर गौरवान्वित किया है और तभी तो हमारे पूर्वजों ने पृथ्वी को माँ के रूप में और हमें पृथ्वी के पुत्र के रूप में कहा। ‘माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः’..! भूमि मेरी माता है, मैं पृथ्वी का पुत्र हूँ..! लेकिन जब वो माँ का भाव कम हुआ, डिटीरीओरेशन आया, पुत्र को अपनी चिंता ज्यादा जरूरी लगी, माँ की चिंता कम हुई और तब हमने ग्लोबल वार्मिंग को निमत्रंण दिया। आज पूरा विश्व छटपटा रहा है ग्लोबल वार्मिंग से..! लेकिन अगर ‘माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः’, ये मंत्र घर-घर पहुंचाने में हम सफल हुए होते और आज भी उसको जीने का अगर सामर्थ्य रखते होते, तो मैं कत्तई नहीं मानता हूँ कि आज ग्लोबल वार्मिंग के कारण मानव जात इतनी चिंता में होती..! भाइयों-बहनों, हम हिंदुस्तान के वासी हैं। गंगा में डूबकी लगा कर के पवित्र होने का सपना हर किसी का होता है। जो गंगा हमें पवित्र करती थी, उसी गंगा की पवित्रता के लिए आज हम लोग परेशान हैं, क्यों..? गंगा तब तक पवित्र रही थी, गंगा तब तक शुद्घ रही थी, जब तक हमारे भीतर गंगा एक माँ का रूप थी..! लेकिन जिस दिन दुनिया ने हमको सिखाया कि अरे पानी तो पानी होता है, हर नदी सिर्फ एक नदी ही होती है, पानी-पानी में फर्क क्या होता है, गंगा का पानी भी तो ‘एच2ओ’ ही है..! ये विज्ञान के तराजू से जब हमें पानी की व्याख्याएं दिखाई गई, हमारा माँ का भाव कम होता गया, हम रेशनलाइज होते गए, हमारे भाव विश्व पर सवाल उठते गए और फिर ऐसा लगने लगा कि हम नदी को भी गंदा कर सकते हैं, हमारा कोई दायित्व नहीं है और माँ जिसको गंगा कहते थे उसको हमी ने बर्बाद कर दिया..! और इसलिए भाइयों-बहनों, हम जिस भूमि से बोल रहे हैं, ये भारत माता को हमने माँ के रूप में देखा है..! हम ‘मदर-लैंड’ बोलते हैं, दुनिया के कई देश हैं जो ‘फादर-लैंड’ बोलते हैं, फर्क तुरंत ध्यान में आता है..! भाइयों-बहनों, आज हमारी अपनी जननी माँ, हमारी गुरूजर माँ, हमारी भारत माँ, हमारी पृथ्वी माँ..! आइए, समय है, हम इन सभी माँ के रूप को प्रणाम करें, प्रेरणा लें, पुरूषार्थ का संकल्प करें और माँ जिस रूप में भी हो, उसका सम्मान, उसका आदर, उसकी रक्षा, उसका गौरवगान, ये हमारी ना सिर्फ जिम्मेवारी हो, लेकिन ये हमारा डी.एन.ए. होना चहिए, और तभी तो व्यवस्थाएं चलेंगी..!

प सब ‘गुजरात दिवस’ मना रहे हैं, लेकिन मुझे खुशी इस बात की है कि आप गुजरात इवेंट भी ग्लोबली मना रहे हैं..! मैं देख रहा था, शिकागो के मेयर इसमें पार्टिसिपेट कर रहे हैं। मैं देख रहा था, जो कभी गुजरात आए भी नहीं हैं, गुजरात कभी देखा भी नहीं है ऐसे कई भिन्न-भिन्न भाषा-भाषी वाले हिन्दुस्तान के मेरे भाई-बहन इस समारोह में हैं..! और जब मैं यहाँ बोलने के लिए खड़ा हुआ तो मुझे पहली सूचना ये मिली की साहब, सिर्फ गुजराती लोग नहीं, वहाँ तो सब लोग हैं तो आप जरा हिन्दी में बोलिए..! भाइयों-बहनों, यही दिखाता है कि हम सीमाओं में बंध कर के सोचने वाले लोग नहीं हैं। गुजराती इज अ ग्लोबल कम्यूनिटी, वो जहाँ गया है, सबको अपना बनाया है, सबको अपने साथ जोड़ा है और इसलिए विश्व भर में फैले हुए मेरे सभी भारतीयों का, मेरे सभी गुजराती भाइयों और बहनों का मैं अंतकरणपूर्वक अभिनंदन करता हूँ कि दुनिया ने आपके माध्यम से हम लोगों को जाना। विश्व ने पहले आपको जाना, फिर पूछा कि आप कहाँ से हैं, तब उसे पता चला कि वो महान विरासत जिसके पास है वो आप लोग हैं..! आपने वहाँ रहते हुए, उन परंपराओं के बीच जीने के बावजुद भी, वहीं की भाषा, वहाँ का खान-पान, जिंदगी को जीने के लिए संजोगों ने आपको वहाँ रखा तो भी आप लोगों ने किसी भी व्यवहार से, आचरण से हिन्दुस्तान का नाम बुरा नहीं होने दिया है, गुजरात का नाम बुरा नहीं होने दिया है, उसी का कारण है कि आज सब लोग आपको प्रेम करते हैं, आपके माध्यम से गुजरात को प्रेम करते हैं, देश को प्रेम करते हैं। एक प्रकार से आप सभी वहाँ बैठे हुए और टीवी के माध्यम से सुन रहे आप सभी भाई लोग सच्चे अर्थ में हमारे कल्चरल एम्बेसेडर हैं..! और आज का ये अवसर इसमें एक सामूहिकता की ताकत देता है, एक नई शक्ति देता है और इस अर्थ में भी, आप इंडिया परेड करते हैं, तो कितना गौरव होता है..! आप गुजरात दिवस करते हैं, तो कितना गौरव होता है..! आप अनेक उत्सव वहाँ मना करके वहाँ के समाजों को जोड़ते हैं, तो कितना आनंद, उत्साह और उमंग होता है..! और इसलिए आप सभी बहुत-बहुत अभिनंदन के अधिकारी हैं..!

भाइयों-बहनों, मुझे और भी एक जानकारी मिली। वहाँ जो एलिस आइलैंड का एक बहुत महत्वपूर्ण एवार्ड होता है, इस बार हमारे तीन गुजरात के भाइयों को भी वो अवार्ड मिला है। डॉ. भरत भाई बाराई हैं, श्री महेन्द्र भाई हैं, श्री रमेश भाई हैं... मैं आप सबका अभिनंदन करता हूँ..! हो सकता है और भी होंगे, लेकिन मुझे जो जानकारी मिली, कोई रह जाए तो क्षमा करना, लेकिन जिन्होंने अपने जीवन में कुछ ना कुछ अचीव किया है उन सबको मुझे अभिनंदन करने पर गर्व होता है। मैं उन सबका अभिनंदन करता हूँ, स्वागत करता हूँ..!

भाइयों-बहनों, इन दिनों सब दूर गुजरात की चर्चा हो रही है, गुजरात के विकास की चर्चा हो रही है। दरअसल ये चर्चा सिर्फ गुजरात की नहीं है। चर्चा क्यों हो रही है..? हम पिछले तीस साल की तरफ नजर करें, बीसवीं सदी के आखिरी दशक को देखें, इक्कीस्वीं सदी के प्रथम दशक को देखें, तो सारे विश्व में एक चर्चा केन्द्रित है कि 21 वीं सदी किसकी सदी..? कोई कहता है 21 वीं सदी एशिया की सदी है, कोई कहता है 21 वीं सदी हिन्दुस्तान की सदी है, कोई कहता है 21 वीं सदी चाइना की सदी है..! ये चर्चा बहुत बड़ी मात्रा में हो रही है। और उसके कारण क्या हुआ..? सारा विश्व 21 वीं सदी के अनुकूल एशिया में कौन देश किस प्रकार से करवट बदल रहा है, किसका विजन क्या है, किसकी दृष्टि क्या है, कौन किस दिशा में कदम उठा रहे हैं, इस पर चर्चा करते रहते हैं और जब इतनी बारीकियों से चर्चा रहती है, इतनी बारीकियों से फोकस होता है तो बहुत स्वाभाविक है कि हिन्दुस्तान की हर छोटी-मोटी घटना पर विश्व का ध्यान जाए। आज अगर हमारे यहाँ किसी एक बेटी पर बलात्कार हो जाए तो सिर्फ हिन्दुस्तान नहीं, विश्व भर के अंदर एक आह और आंसू टपकने लगते हैं। क्यों..? क्योंकि पूरे विश्व को हिन्दुस्तान से बहुत अपेक्षाएं हैं और उसमें कोई खरोच भी आ जाए तो विश्व की मानव जात बहुत बेचैन हो जाती है..! हमारे देश में कोई भी दुर्घटना घट जाए, चमड़ी का रंग कोई भी हो, पासपोर्ट का कलर कोई भी हो, हर एक को जैसे कंसर्न लगता है..! तो जैसे बुरी घटनाओं के साथ भी विश्व अपने आप को जोड़ कर के देखता है... पूणे का बम ब्लास्ट हुआ हो, हैदराबाद का बम ब्लास्ट हुआ हो, कश्मीर में हमारे देश के जवानों के सिर काट कर कोई ले गया हो, मेरे ही देश के एक बेटे को दुनिया के किसी देश की जेल में मार दिया जाता हो... घटना कोई भी हो, इन दिनों हिन्दुस्तान की हर घटना के साथ विश्व को लगता है कि भाई, ऐसा क्यों हो रहा है..! जैसे ध्यान इन घटनाओं की तरफ जाता है, उसी प्रकार से अच्छी घटनाओं का भी आज पूरे विश्व में बारीकि से एनालिसिस हो रहा है। और जब बारीकि से हमारे देश की ओर लोग देखने लगे हैं तब लोगों का गुजरात की तरफ भी ध्यान गया है। क्या कारण है कि जो राज्य में रेगिस्तान ही रेगिस्तान की चर्चा रही हो, जिस राज में 1600 किलोमीटर का समुद्री तट एक प्रकार से बिन उपजाऊ माना गया हो, लोगों को कच्छ और सौराष्ट्र को छोड़ कर के रोजी-रोटी के लिए बाहर जाना पड़ता हो, जिसके पास नदियाँ ना हो, बारिश ना हो, पानी का संकट हो... क्या कारण है कि वो राज्य आज कृषि के क्षेत्र में अपना नाम रोशन कर रहा है..! क्या कारण है..? क्या कारण है कि गुजरात का किसान जो कॉटन पैदा करता है, जो पहले भी करता था, लेकिन दुनिया के बाजार में गुजरात का कॉटन खरीदने के लिए साल भर पहले से सौदे लग जाते हैं..! क्या कारण है..? हर बारीक चीजों को आज दुनिया बड़ी गहराई से देखती है। एक विश्व मन तैयार हुआ है, सिर्फ आर्थिक व्यवस्थाओं के कारण हुआ है ऐसा नहीं है, हमारे पूर्वजों ने जो ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की कल्पना की थी, आज किसी ना किसी रूप में, कभी खेल के रूप में विश्व की एकता की बात, कभी पर्यावरण के रूप में विश्व की एकता की बात, कभी ग्लोबल इकोनॉमी के नाम पर विश्व की एकता की बात, कभी निशस्त्रीकरण की बात पर ग्लोबल एकता की बात... पहलू, मार्ग, शब्द रचना अलग-अलग हो सकती है, लेकिन मूल मंत्र हमारे पूर्वजों ने दिया था, ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’, उसी को किसी ना किसी रूप में आज दुनिया चरितार्थ होते देखने के लिए लालायित हुई है। विश्व तड़प रहा है कि हम सब मिल कर के जहाँ अधिक शक्ति है और जहाँ कम शक्ति है, उन दोनों को जोड़ कर के, दोनों को समान रूप से आगे कैसे बढ़ाया जाए। ये समय की मांग खड़ी हुई है, तब जा कर के हर बारीक बातों का एनालिसिस होना स्वाभाविक हुआ है और जब सब बारीक बातों का एनालिसिस होता है तो सौभाग्य हमारा कि गुजरात हर एक के सामने आता है, गुजरात हर एक की नजर में आता है..! और इसलिए भाइयों-बहनों, आज के इस गुर्जर दिवस पर, गुजरात की स्थापना के दिवस पर मैं आप सब भाइयों-बहनों को बहुत-बहुत बधाई भी देता हूँ..!

स बार गुजरात ने अपना स्थापना दिवस, एक मई को नवसारी में मनाया था। आज कुछ समय वहाँ जो हमारे वक्ता बोल रहे थे, किसी ने यह भी कह दिया कि कितनों को पता होगा कि एक मई ये गुजरात की स्थापना का दिवस है..! आपका सवाल बहुत स्वाभाविक था, क्योंकि सालों तक राजनीतिक कारणों से गुजरात में इस बात को भुला दिया गया था कि एक मई को गुजरात का स्थापना दिवस है..! ये भुला दिया गया था कि इंदुचाचा के नेतृत्व में महागुजरात का एक बहुत बड़ा आंदोलन चला था..! ये भुला दिया गया था कि हमारे विद्यार्थियों ने गुजरात को जब अलग भाषावार प्रांत रचना के रूप में, अधिकार के रूप में जब माँगा तो उनको गोलियों से भून दिया गया था..! कुछ लोग झूठ बोल कर के सत्य को नकारने की कोशिश करते हैं, लेकिन उन्हें इस बात को स्वीकार करना होगा कि वो एक जमाना था जब आज जो भद्र है, आज जहाँ लाल दरवाजा बोलते हैं, जहाँ से हमारी लाल बसें चलती हैं, वहीं पर कांग्रेस का एक बड़ा हैड क्वार्टर हुआ करता था, और उसी कांग्रेस के हैड क्वार्टर से गोलियाँ चली थीं और हमारे कई विद्यार्थियों को मौत के घाट उतार दिया गया था और उसी में से महागुजरात के आंदोलन में एक नई ताकत आ गई थी। आखिरकर गुजरात मिला था..! मैं आज उन सभी शहीदों को भी नमन करता हूँ, इंदुचाचा को प्रणाम करता हूँ, गुजरात बनाने में जिन-जिन लोगों ने अपना जीवन लगाया, खपाया, समय दिया, उन सबका भी मैं अभिनंदन करता हूँ..! और मैं उन सबकों विश्वास दिलाता हूँ कि आपने जो त्याग और तपस्या करके इस गुजरात नाम के राज्य की जो रचना की है, हम कभी भी आपके सपनों को चूर-चूर नहीं होने देंगे, हम कभी भी आपकी आशा-आकांक्षाओं पर खरोच नहीं आने देंगे। ईश्वर ने हमें जितनी बुद्घि दी है, जितनी शक्ति दी है, आपने जो भी दायित्व दिया है, उस दायित्व को भली-भांति पूरा करने का प्रयास करेंगे..!

भाइयों-बहनों, हम एक ऐसे विकास के सपने को देखते हैं जो सर्वांगीण हो। विकास वो हो जो सर्व समावेशक हो, विकास वो हो जो सर्व स्पर्शी हो, विकास वो हो जो सर्व दूर हो, ऐसा ना हो कि गुजरात के एक कोने में विकास हो रहा है और बाकी सब जगह पर हम वैसे के वैसे रहें। अगर साइकिल की टयूब में हम हवा भरवाने के लिए जाते थे, जो लोग आज वहाँ हैं, 60 के कालखंड में हम लोगों को मालूम हैं कि हम साइकिल रखते थे और रोड पर जो साइकिल की दुकानें रहती थी, उस पर हम हवा भरवाने जाते थे। तो हवा कितनी भरी उसका एक मीटर रहता था और हवा भरने वाला मीटर देखके बताता था कि इतना काफी है, इतनी गर्मी में इतनी हवा काफी है..! लेकिन मान लो, उस साइकिल की टयूब में एक कोने में हवा भर जाए और एक ही तरफ फुग्गा हो जाए तो मीटर तो ठीक बताएगा कि हाँ भई जितनी हवा भरनी थी उतनी भर गई, लेकिन वो साइकिल चलेगी क्या..? नहीं चलेगी। वो साइकिल तो तब चलेगी कि जब साइकिल में भरी हुई जो हवा है वो हवा पूरी टयूब में समान रूप से फैली हो। अगर उस टयूब के अंदर एक कोने में फुग्गा हो गया, गुब्बारा हो गया, तो वो एक प्रकार से साइकिल को रोकने का कारण बन जाता है..! विकास का भी ऐसा ही है। एक कोने में विकास का गुब्बारा हो जाए तो उससे विकास नहीं होता। हमारे यहाँ कभी-कभी कहा जाता था कि वापी से मुंबई की ओर जाएं तो गोल्डन कोरिडोर है, और बड़े गर्व से पुरानी सरकारें सीना तान-तान के कह रही थी कि इतना डेवलपमेंट हुआ, गोल्डन कोरिडोर तैयार हुआ..! मैं कभी-कभी सोचता हूँ कि भाई, एक सौ किलोमीटर के रोड पर की पट्टी के दोनों तरफ यदि उद्योग लग गए हैं और गोल्डन कोरिडोर बना कर के हम नाचते रहेंगे तो विकास होगा..? विकास कच्छ में भी चाहिए, विकास बनासकाँठा में भी चाहिए, राधनपुर में भी चाहिए, विकास हमारे गुजरात की पूर्व पट्टी के आदिवासियों के बीच में भी होना चाहिए, विकास हमारे 1600 किलोमीटर लंबे समुद्र तट पर रहने वाले मेरे मछुआरों का भी चाहिए... विकास सर्व स्पर्शी होना चाहिए..! बिजली आ गई, अहमदाबाद तो जगमगा रहा हो, लेकिन अगर गाँव अंधेरे में डूबा हो तो उस विकास से क्या होगा..! और तब जा कर के हमने एक आमूलचूल परिवर्तन किया, विकास के रूप को ही बदल दिया..!

मैं जानता हूँ मित्रों, राजनीतिक विरोध के कारण आज लोग कुछ भी कहते होंगे। मैंने कहा था ना, बाल की खाल उधेड़ने में लगे हुए हैं। मेरे आज के इस भाषण के बाद भी फैको इंडस्ट्री वाले लग पड़ेंगे, पता नहीं क्या-क्या गालियाँ देंगे। वो अपना काम करेंगे..! लेकिन इतिहास को इस सच्चाई को स्वीकार करने की नौबत आएगी, इस विश्वास के साथ भाइयों-बहनों, मैं आपको कहना चाहता हूँ कि जिस रास्ते पर हम विकास को ले गए हैं वो एक ऐसा रास्ता है जो आने वाली सदियों तक गुजरात को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की एक भीतर की ताकत को जन्म देने वाला है। मैं एक छोटा उदाहरण देता हूँ, हम कहते हैं ना कि विकास में इन्फ्रास्ट्रक्वर का बहुत बड़ा महत्व है, केाई इंकार नहीं कर सकता..! आप भी मानते हो कि भाई, इन्फ्रास्ट्रक्चर अच्छा होना चाहिए। लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर की बात करते हैं तो क्या होता है..? रोडस हों, एयरपोर्ट हो, बस स्टेशन हो, रेलवे स्टेशन हो... यही बातें करते हैं ना..! लेकिन कभी बारीकि से देखा है? आपको मैं एक बात बताता हूँ, आप सब विदेश में रहते हैं तो आपको बराबर ध्यान में आएगा। हमारे गुजरात के अंदर रोडस का इन्फ्रास्ट्रक्चर क्या था? नॉर्थ टू साउथ, राजस्थान से आओ, गुजरात से गुजरना और महाराष्ट्र की ओर चले जाना..! और फिर भी कोई अच्छे इन्फ्रास्ट्रक्चर का दावा कर सकता है, मैं उससे इंकार नहीं करता हूँ..! लेकिन अगर गुजरात का विकास करना हो तो हमने इसमें मूलभूत परिवर्तन किया। हमने कहा ये होरिज़ॉंटल रास्ते हैं उसको हमें वर्टिकल रास्तों से भी जोड़ना होगा। जब तक वर्टिकल रास्ते और होरिज़ॉंटल रास्तों का नेटवर्क नहीं बनाते हैं, हम पूरे गुजरात को इन्फ्रास्ट्रक्चर के रूप में नहीं ला सकते हैं। और इसलिए भाइयों-बहनों, जो वर्टिकल रास्ते थे, दो या तीन, जो राजस्थान से आते थे और दक्षिण को जाते थे, उसमें हमने नौ के करीब होरिज़ॉंटल रोड बना दिए। कोई आदिवासी बेल्ट से निकलते थे, पूरब की तरफ से, कोई अंबाजी से निकलता है और पोरबंदर जा कर मिलता है, कोई दाहोद से निकलता है और द्वारका जा के मिलता है, तो ये जो हम पूरा बदलाव लाए उसका परिणाम ये आया कि विकास के फल के लिए एक नई विधा खड़ी हो गई। भाइयों-बहनों, अमेरिका के एक प्रेजीडेंट मि. केनेडी कहा करते थे कि पैसे नहीं है जो रास्ते बनाते हैं, लेकिन ये रास्ते हैं जो संपत्ति बनाते हैं..! भाइयों-बहनों, हमने इन्फ्रास्ट्रक्चर का जो ये नया मॉडल खड़ा किया है, उसका लाभ दिखाई दे रहा है।

सी प्रकार से आपने दो-चार जगह पर अच्छी कॉलेज बना दी, इंस्टीट्यूशन्स चालू कर दी। आप गर्व कर सकते हो कि बच्चे आएंगे, पढ़ेंगे..! आप दिखा भी सकते हो, दुनिया के समाने विकास दिखेगा, लेकिन क्या कभी सोचा था कि हमारे पंचमहाल के अंदर, दाहोद के अंदर, साबरकांठा के अंदर, डांग है जहाँ ट्राइबल बस्ती रहती है, ऐसी जगह पर भी कोई यूनिवर्सिटी हो सकती है, ऐसी जगह पर भी कोई इंजीनियरिंग कॉलेज हो सकती है, ऐसी जगह पर कोई मेडीकल कॉलेज हो सकती है..! भाइयों-बहनों, हमने उस पर बल दिया। हमने वो एक-एक ढूंढा कि वो कौन सा तहसील है जहाँ विज्ञान की स्कूल नहीं है, तो पहले वो करो। अच्छी लेबोरेट्री नहीं है, तो वो करो..! फिर धीरे-धीरे इंजीनिरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, फार्मेसी की कॉलेज, नर्सिंग की कॉलेज... यानि इतना दायरा हमने बढ़ाया और उसी का तो परिणाम है, पहले हमारे यहाँ 11 यूनिवर्सिटी थी, कोई भी कहेगा कि भाई, कौन कहता है कि पहले गुजरात में शिक्षा नहीं थी..? थी, 11 यूनिवर्सिटी थी, कौन मना करता है..! लेकिन आज, आज दस साल के भीतर-भीतर 44 यूनिवर्सिटी हैं, क्या आप इससे इंकार कर सकते हो..? लेकिन ये कहने से बात बनती नहीं है कि यूनिवर्सिटी पहले थी। थी, कौन मना करता है भाई, यूनिवर्सिटी पहले भी थी..! लेकिन हमारी सारी यूनिवर्सिटी क्या थीं? सब बंदर का व्यापार था, यूनिवर्सिटी में जाओ, जो भी अवेलेबल कोर्सेज हैं, उसको देखते रहो..! हम उसमें बदलाव लाए। हमने ‘सेंटर फॉर एक्सीलेंसी’ को बढ़ावा दिया। अगर गैस, पैट्रोलियम और एनर्जी विश्व के भविष्य के साथ जुड़ा हुआ है, तो हमारे पास ‘एनर्जी यूनिवर्सिटी’ होनी चाहिए, ‘पैट्रोलियम यूनिवर्सिटी’ होनी चाहिए, हमने वो काम किया..! आज जगत के अंदर जितना रूपयों का महत्व है उतना ही महत्व खेल-कूद का बन गया है, इस बात को स्वीकार करना होगा। कोई भी समाज स्पोर्ट्स के बिना स्पोर्ट्समैन स्पिरिट वाला नहीं बन सकता है..! यदि समाज में, परिवार में, व्यक्ति के जीवन में हम स्पोर्टसमैन स्पिरिट को अनिवार्य मानते हैं, तो समाज जीवन में स्पोर्टस का भी उतना ही महत्व होना चाहिए..! वो बच्चे-बच्चे क्या हैं, जिनके जीवन में पसीने का पता तक ना हो..! मैं चाहता हूँ मेरे गुजरात के बच्चे खुले मैदान में खेलें, पसीने से तरबतर हो जाएं..! भविष्य उससे बनने वाला है और इसलिए हमने ‘स्पोर्टस यूनिवर्सिटी’ बनाई..! क्राइम की दुनिया बदलती जा रही है। क्राइम की दुनिया कह रही है कि आज विश्व के किसी कोने में बैठा हुआ एक छोटा सा बच्चा भी साइबर क्राइम के माध्यम से किसी देश की बैंक को लूट सकता है। इसका मतलब, अगर लुटेरों के रास्ते बदले हैं तो चोर-लुटेरों को पकड़ने के रास्ते भी बदलने होंगे..! और इसके कारण आज साइबर क्राइम की दुनिया में, इकॉनोमिकल आफेंस की दुनिया में फॉरेंसिक साइंस का महत्व बढ़ गया है। और मेरे अमेरिका में रहने वाले पढ़े-लिखे विद्वान लोग वहाँ बैठे हैं, आप को जानकर के गर्व होगा मेरे भाइयों-बहनों, आज गुजरात दुनिया का पहला ऐसा प्रदेश है जहाँ पर ‘फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी’ है। जो हमारे बाल की खाल उधेड़ने में लगे हुए लोग हैं, वो क्या कहते हैं..? मोदी झूठ बोलते हैं, फॉरेंसिक सांइस डिपार्टमेंट तो पहले भी था..! फिर से मैं बोल रहा हूँ कि मैं फॉरेंसिक सांइस डिपार्टमेंट की बात नहीं कर रहा हूँ, फॉरेंसिक साइंस डिपार्टमेंट था, किसी ने मना नहीं किया, हम कहते हैं कि हमारा कॉन्ट्रीब्यूशन है, ‘फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी’..!

झूठ बोलने वाले लोग ऐसे ही झूठ फैलाते रहेंगे, हो सकता है आज कुछ नया झूठ छोड़ दे..! वो उनका काम है, वो करते रहें, क्योंकि उनके पास इसके सिवा कोई सहारा नहीं है, उसी के भरोसे उनको चलना है..! लेकिन भाइयों-बहनों, मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि हम ये तो कभी नहीं कहते कि मोदी जब तक नहीं थे तब तक यहाँ कुछ नहीं था..! मोदी के पहले भी बहुत कुछ था, क्योंकि गुजरात एक पुरूषार्थी समाज है, संकटों के बीच जीने वाला समाज है, नए रास्ते खोजने की कोशिश करने वाला समाज है..! लेकिन गुजरात के पिछले 40 साल और गुजरात के वर्तमान 12 साल, इन दोनों की अगर हम तुलना करेंगे तो हमें पता चलेगा कि हमने विकास की गति को तेज किया है, हमने विकास के व्याप को फैलाया है, हमने विकास को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है, हमने विकास को सामान्य मानवी के कल्याण की दिशा में ले जाने की भरपूर कोशिश की है..! और ये काम बार-बार, बार-बार, ठोक-ठोक कर मैं आपको कहना चाहता हूँ कि ये नरेन्द्र मोदी ने नहीं किया है, ये गुजरात ने किया है, छह करोड़ गुजरातियों ने किया है। उसका यश, उसका गौरव, गुजरात को प्रेम करने वाले, उनकी भाषा कोई भी क्यों ना रही हो, उन सबके कारण हुआ है..! और इसलिए भाइयेां-बहनों, हम जब गुजरात स्थापना दिवस मना रहे हैं तब इसका महात्म बढ़ जाता है। कोई मुझे बताए, क्या पंतग की खोज मोदी ने की..? क्या पंतग को नरेन्द्र मोदी ले आया था..? क्या उसके पहले पंतग नहीं था..? पतंग पहले भी था, छत पर पतंग पहले भी चड़ते थे, हो-हल्ला पहले भी होता था, मौज पहले भी होता था, आनंद पहले भी होता था..! लेकिन क्या कभी सोचा था कि कागज के टुकड़ों से बना हुआ रूपये-दो रूपये का पतंग विश्व भर में गुजरात की ताकत का परिचय दिलाने का माध्यम बन सकता है..! हमने बना दिया। हमारे गरीब लोग झोंपड़पट्टी में पतंग इंडस्ट्री चलाते थे। एन्वायरनमेंट फ्रेन्डली इंडस्ट्री है, कॉटेज इंडस्ट्री है। गरीब लोग दो-तीन महीना पतंग बनाने का काम करते थे, रोजी-रोटी चलती थी। दो करोड़, पाँच करोड़, सात करोड़, द्स करोड़, पन्द्रह करोड़ के आस-पास हमारा पतंग का बिजनेस चलता था। इसमें भी हमने जान भर दी, मित्रों..! और पतंग को भी हवा लग जाए तो पंतग कितना आसमान में जाता है, वो ताकत हमने दी उसका परिणाम ये आया है आज कि इतना छोटा बिजनेस आज अरबों-खरबों रूपयों के बिजनेस में कन्वर्ट हो गया है। कितने गरीब लोगों को रोजी-रोटी मिली है। बदलाव जो कहते हैं ना, इसको कहते हैं..! भाईयों, कोई मुझे कहे कि क्या मोदी के आने से पहले गिर के शेर नहीं थे..? थे..! कोई मुझे कहे, 1600 किलोमीटर का समुद्री किनारा पहले नहीं था क्या..? था..! कोई मुझे कहे, श्री कृष्ण की द्वारका पहले नहीं थी क्या..? थी..! कोई मुझे कहे, आदिशंकर का बनाया हुआ सोमनाथ का तीर्थक्षेत्र पहले नहीं था क्या..? था..! सब था मेरे भाइयों-बहनों, लेकिन फिर भी टूरिज्म नहीं था..! क्यों..? जगन्नाथ को देखने के लिए तो दुनिया जुट जाती है लेकिन सोमनाथ की ओर किसी की नजर नहीं जाती..! क्यों..? हमने कोशिश की और हमने कहा कि ये हमारी अमानत है, इसे दुनिया के सामने ले जाओ..! और श्रीमान अमिताभ बच्चन गुजरात के एम्बेसेडर बन कर आज दुनिया के हर कोने में जाकर के कह रहे हैं, ‘गुजरात नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा, कुछ दिन तो बिताओ गुजरात में..’ और लोग आते हैं, देखते हैं..! सबकुछ था, लेकिन दिशा नहीं थी, दृष्टि नहीं थी और इसलिए आज जो गुजरात के विकास को नकारने के लिए राजनीतिक कारणों से लगे हुए हैं, वो यही कहते हैं कि पहले भी था और इसलिए मैं आज इस मंच पर से उनको आह्वाहन करता हूँ कि 1600 किलोमीटर समुद्री किनारा था, वो माना लेकिन मछली पकड़ने के सिवाय आपने उसका विकास के लिए कोई उपयोग किया था..? नहीं किया था..! आज हिन्दुस्तान का 35% कार्गो गुजरात के समुद्री तट पर से चल रहा था, 41 मेजर और माइनर पोर्ट बनाने की दिशा में हमने काम किया है। कब तक नकारते रहोगे..! भाइयों-बहनों, रेगिस्तान पहले भी था, लेकिन वो रेगिस्तान आपको संकट लगता था..! सिर पर हाथ मारते रहते थे कि रेगिस्तान है, क्या करेंगे... गुजरात क्या करेगा..? अरे, उसी रेगिस्तान में हमने नई जान फूंक दी, दोस्तों..! आज मेरे वही कच्छ के सफेद रण को देखने के लिए दुनिया उमड़ पड़ती है..! लोगों को लगता है कि ताज महल तो देखा, लेकिन जब तक कच्छ का रण नहीं देखा तो ताज महल देखना भी अधूरा रह जाएगा, ऐसा लोग मानने लगे हैं..! क्या कभी सोचा है व्हाइट रण, दुनिया की अजोड़ ताकत हमारे पास है..! पहले भी था, मोदी ने आकर के उस पर कोई चूना नहीं लगाया है कि रण सफेद हो गया, वो पहले भी था..! लेकिन पता नहीं क्यों..! और आज लाखों लोग हमारे कच्छ के रण में आते हैं और आते हैं इतना ही नहीं, करोड़ों रूपयों के हैन्डीक्राफ्ट की बिक्री होती है। और हैंडीक्राफ्ट में कौन हैं..? गरीब माताएं-बहनें हैं, वो कपड़े पर कढ़ाई का काम करती हैं, पेन्टिग करती हैं, नई-नई चीजें करती हैं..! ये हमारे गुजरात का वार्ली पेंटिंग आज दुनिया में फैल रहा है। टूरिज्म आते ही गरीब से गरीब आदमी को रोजी-रोटी मिलती है। मेरे गिर के शेर... किसी को पता तक नहीं था और मित्रों, आज मैं बड़े गर्व के साथ कहता हूँ कि सारी दुनिया में वाइल्ड लाइफ के संकट के समाचार सब दूर से आते हैं, हमारे यहाँ टाइगर को बचाने के लिए भारत सरकार अरबों-खरबों रूपया खर्चकर रही है, कहाँ खर्च होता है वो तो पता नहीं, आने वाले समय में सुप्रीम कोर्ट एक और डंडा उस पर भी मार दे, पता नहीं कब कौन सा डंडा पड़ेगा..! लायन की तरफ देखा नहीं किसी ने, लेकिन उसके बाद भी गुजरात के अपने प्रयासों का परिणाम है कि लायन की संख्या बढ़ रही है। टूरिज्म बढ़ रहा है। और दुनिया को देखना होगा कि एक परिवार के नाते लायन की रक्षा कैसे होती है, ये गुजरात के अंदर गिर के जंगलों में रहने वाले मेरे किसान परिवारों ने कर के दिखाया है। एक अजोड़ नमूना है जो विश्व को स्टडी करने जैसा है, अध्ययन करने जैसा है। कैसे वाइल्ड लाइफ के साथ मानव जीवन एक रूप हो कर के रह सकता है, ये स्टडी करने जैसा विषय है, भाइयों..! आप कल्पना कर सकते हो, गुजरात में आज 24 घंटे बिजली होने के कारण कितना बड़ा परिवर्तन आया है, कितना बड़ा लाभ हुआ है। गाँव के जीवन को बदला है, गाँव की इकोनॉमी को बदला है..! छोटी-छोटी चीजों पर हमने ध्यान दिया है। 2001 का सेन्सस रिपोर्ट आया और मालन्यूट्रीशन की बड़ी गंभीर चर्चा हमारे सामने आई। तो उस चर्चा के समय हमने सारे देश में देखा था और अभी तो प्रधानमंत्री जी भी कह रहे हैं, आपने अगर हिन्दुस्तान के टी.वी. ऐड्वर्टाइज़्मेन्ट देखी हो तो भारत सरकार भी कुपोषण कि चर्चा करती है। लेकिन मजा ये है कि बाल की खाल उधेडने वाली ये जो टोली ये है, गुजरात के खिलाफ लगातार झूठ फैलाने वाली, वो जब कुपोषण की चर्चा आती है तो हिन्दुस्तान के कुपोषण की चर्चा नहीं करती, अकेले गुजरात को गाली देते हैं..! खैर, हम उसमें से भी अच्छा करने की कोशिश करेंगे। हम गालियों का भी गुलदस्ता बना कर के सुवास फैलाने की कोशिश करेंगे..! और हमने तो पहले ही 2004 से मिशन उठाया, अरबो-खरबों का बजट खर्च करना शुरू किया, जनजागृति का प्रयास किया और अभी लेटेस्ट सी.ए.जी. का रिपोर्ट है, वो रिपोर्ट कहता है कि पूरे हिन्दुस्तान में कुपोषण से मुक्ति के लिए जो प्रयास हो रहे हैं, उसमें सबसे अधिक सफल कोई हुआ है तो गुजरात का मॉडल हुआ है। 33% इम्प्रूवमेंट, इतनी सफलता पाने का हमें यश मिला है..! लेकिन वहीं पर अटकने की बात नहीं है, मुझे आगे भी बढ़ना है। मेरा ये विश्वास है कि हमारी माँ तंदुरुस्त हो, हमारे बच्चे तंदुरुस्त हो..! अगर हमारी बेटियाँ तदंरूस्त नहीं होगी तो वो जब माँ बनेगी तो वो संतान भी तंदुरुस्त पैदा नहीं कर सकती। और अगर बच्चा तंदुरुस्त नहीं है तो हिन्दुस्तान की आने वाली नस्ल तंदुरुस्त नहीं हो सकती, मानव जात तंदुरुस्त नहीं हो सकती, स्वस्थ्य नही हो सकती..! हमारी ये भावात्मक बात है, हम इस पर भी बल दे रहे हैं..! विकास की नई ऊंचाइयों को पार करने के लिए भिन्न-भिन्न अनेक प्रयास किये..! भाइयों-बहनों, आज मैं गर्व से कह सकता हूँ कि दुनिया का सबसे बड़ा, ये शब्द लिख लिजिए भाइयों-बहनों, नर्मदा का पानी पहुंचाने का दुनिया का सबसे बड़ा पाइप का नेटवर्क इसी दस साल में खड़ा हुआ है, दुनिया का सबसे बड़ा..! 9000 गांवों में नर्मदा का शुद्घ पानी पाइप लाइन से पहुंचाने में हमें सफलता मिली है। 18,000 गांवो में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी है, आप वीडियो फ़ोन से अपने परिवार के साथ गांव में बात कर सकते हैं। ये स्थिती हमने पैदा की है..! हम गुजरात को आधुनिक बनाने के पक्षकार हैं। हम चाहते हैं कि टैक्नोलॉजी का उपयोग गाँव-गाँव, घर-घर तक कैसे पहुँचे..! हम चाहते हैं कि टैक्नोलॉजी हमारी शिक्षा के लिए कैसे एक बहुत महत्वपूर्ण रोल अदा करें..! हम चाहते हैं कि टैक्नोलॉजी से कैसे आरोग्य में परिवर्तन आए..! एफिशियंसी कैसे आए, ट्रांसपेरेंसी कैसे आए..! उसमें भी हमने पहल की। मित्रों, हमारी तो हालत ये है... मैं आपको एक छोटी बात बताता हूँ। कभी भी आपको शक हो जाए, झूठ इतना सुनते हो तो कभी भी आपको शक हो जाए कि यार ऐसा होता होगा..? क्योंकि झूठ चौबीसों घंटे चलता है और अब हम सच बोलेंगे तो एक आद बार बोलेंगे, महीने में या साल में एक बार बोलेंगे, क्या करें, हमें तो कोई रोज अवसर होता नहीं है बोलते रहने का..! लेकिन इन झूठ वालों का तो रहता है, कभी इस कोने से झूठ आएगा, तो कभी दूसरे कोने से झूठ आएगा तो कभी तीसरे कोने से झूठ आएगा... कभी एक चेहरा झूठ बोलेगा तो कभी दस चेहरे झूठ बोलेंगे, ये चलता रहेता है..! लेकिन कभी आपके मन में भी दुविधा हो जाए, कि सच क्या है..! मेरी आपसे प्रार्थना है, पिछले दस साल में भारत सरकार ने भिन्न-भिन्न चीजों के लिए कई अवार्ड्स दिये हैं। ये सब हिन्दुस्तान सरकार के नेट पर भी उपलब्ध है, जरा देख लीजिएगा..! और आप उसको देखोगे तो पता चलेगा कि जिस मुद्दे पर गुजरात के बाल की खाल उधेड़ी जा रही है, उसी मुद्दे पर अच्छे से अच्छे काम के लिए दिल्ली में बैठी हुई कांग्रेस की यू.पी.ए. की सरकार ने अवार्ड दिया है, तो आपको विश्वास हो जाएगा कि कितना झूठ उछाला जा रहा है..!

भाइयों-बहनों, आज देश एक नए संकट की ओर गुजरता जा रहा है। मैं जानता हूँ, गुजरात दिवस है। लेकिन मैं भारत माँ का बेटा भी हूँ और आप जो वहाँ बैठे हैं, मैं जानता हूँ आप लोगों को भारत माँ की कितनी चिंता है, उसको मैं कम नहीं आंकता हूँ..! भाइयों-बहनों, देश में जब शासन दुर्बल होता है तो कितना नुकसान होता है, ये पिछले एक महीने की घटनाएं देखिए। आपने कभी सोचा है, मेरे देश का विदेश मंत्री इंटरनेशनल फोरम में भाषण करता हो और किसी दूसरे देश के कागज को हाथ में लेकर पढ़ना शुरू कर दे..! कितनी बेइज्जती मेरे देश की हो रही होगी..! और ये कोई पॉलिटिकल मुद्दा नहीं है, ये कोई अपने साथी पक्षों के दबाव का मुद्दा भी नहीं है, एक्स्प्लॉइटैशन का मुद्दा नहीं है... लेकिन पता नहीं, कोई परवाह ही नहीं है..! आप कल्पना करो, हमारे देश के जवानों के सिर काट कर ले जाए और कुछ दिनों के बाद उसी देश के प्रधानमंत्री को चिकन-बिरयानी का भोजन दिया जाए..! तब सवाल उठता है..! चाइना आ कर हमारे दरवाजे पर दस्तक दे दे..! और मैं हैरान हूँ, चाइना तो हिन्दुस्तान की धरती पर से अपनी फौज को वापस ले जाए, लेकिन ये नहीं समझ पा रहा हूँ कि हिन्दुस्तान की सेना हिन्दुस्तान की धरती पर से अपनी सेना को वापस क्यों हटा रही है..! दिल्ली की सरकार जवाब नहीं दे पा रही है। सिंपल सा सवाल है कि चाइना हिन्दुस्तान में घुस कर आया, वापस गया, ठीक है... लेकिन क्या कारण है कि हमारी धरती पर से हम भी पीछे गए..! और तब जाकर के सामान्य मानवी के मन में सवाल खड़े होते हैं..! दिल्ली में इतनी मजबूत ताकतवर सरकार होने के दावे हो रहे हैं, लेकिन हमारी माताओं-बहनों की सुरक्षा को लेकर के हमें चिंता हो रही है। भाइयों-बहनों, करप्शन का ये घिनौना रूप शायद ही दुनिया के किसी समाज को देखने को मिला होगा, जो आज हम लोगों को देखने को मिल रहा है..! और कोई परवाह भी नहीं है, क्या स्थिति बनी है..! कोयले तक को नहीं छोड़ा गया, अब क्या बचा है..! और इसलिए भाइयों-बहनों, इस घर को आग लग गई घर के चिराग से..! हम ही लोग हमें बर्बाद करने पर तुले हुए हैं..!

भाइयों-बहनों, इसी मंच से मैं दिल्ली सरकार की आलोचना करने के लिए कुछ कहना नहीं चाहता हूँ, लेकिन भारत माँ को जब याद करने का हम अवसर मना रहे हैं तब सहज रूप से ये पीड़ा, ये दर्द, ये वेदना कभी-कभी शब्दों में फूट पड़ती है..! काश, 21 वीं सदी को हिन्दुस्तान की सदी बनाने के लिए हमारी युवा शक्ति को जोड़ने में सफल होते, हमारी मातृ-शक्ति को जोड़ने में सफल होते तो 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में जो उत्साह, आनंद और उमंग का माहोल था, 21 वीं शताब्दी के प्रथम दशक में वो रियालीटी के रूप में दिखाई देता..! लेकिन हुआ उल्टा..! पिछले छह-आठ साल के कार्यकाल के घटनाक्रमों ने निराश कर दिया है। भाइयों-बहनों, लोग मुझे पूछते हैं, आपके मन में भी होगा, आप कहिए कि आज देश में सबसे बड़ा सकंट क्या है..? भाइयों-बहनों, मैं मानता हूँ सबसे बड़ा संकट है कि भरोसा नहीं रहा..! किसी को, किसी पर भरोसा नहीं है..! भरोसा करने वाली हर इंस्टिट्यूट में गिरावट आई है। ये भरोसा हमें पुन: स्थापित करना होगा। व्यवस्था पर भरोसा हो, प्रक्रियाओं पर भरोसा हो, इरादों पर भरोसा हो, नीतियों पर भरोसा हो, नीयत पर भरोसा हो, नैतिकता पर भरोसा हो..! भाइयों-बहनों, देश के सामने भरोसा कैसे पुन: स्थापित करें ये बहुत बड़ा सवाल है और ये शब्दों से भरे जाने वाला भरोसा नहीं होता..! रास्ते चलता हुआ कोई भी व्यक्ति अगर बच्चे से कहे कि बेटा कूद पड़ो, मैं तुम्हें कैच कर लूंगा, तो कोई बच्चा नहीं कूदेगा। लेकिन माँ कहती है कि बेटे कूदो, मैं हूँ..! माँ पर बच्चे को भरोसा होता है, वो पी.एच.डी. डिग्री किया हुआ नहीं होता है, लेकिन कूदने में उसको डर नहीं लगता, क्यों..? भरोसा है। कितना ही ताकतवर आदमी आकर के बोले कि बेटा कूदो, मैं उठा लूंगा..! लेकिन वो जंप नहीं लगाता है, क्यों..? उसको उसकी ताकत से लेना-देना नहीं है, उसका संबंध भरोसे से है..! माँ पर भरोसा है तो बच्चा कूद पड़ता है, उसके हाथों में गिरने को तैयार हो जाता है..! आज हिन्दुस्तान के सामने सबसे बड़ी नीड है, भरोसा..! अमेरिका ने अभी-अभी चुनाव के अंदर अपना रूतबा दिखाया। किस बात पर..? होप..! आशा जगाई..! नौजवान बेरोजगार हुए थे तो आशा जगाने की कोशिश की गई..! भाइयों-बहनों, हिन्दुस्तान में भरोसा एक बहुत बड़ी अनिवार्यता बन गया है। नेता पर भरोसा हो, नीतियों पर भरोसा हो, दलों पर भरोसा हो, व्यवस्थाओं पर भरोसा हो, समाज पर भरोसा हो..! हर बेटी को किसी भी पुरूष पर भरोसा होना चाहिए..! अगर उसमें गिरावट आई तो बेटियाँ भरोसा कैसे करेंगी..! ये भरोसे के संकट से देश गुजर रहा है। और एकबार भरोसा टूट जाता है तो लोग गलत रास्ते अपना लेते हैं। टिकने के लिए, झूझने के लिए, जीने के लिए..! और ये भरोसा तोड़ने का काम कुछ व्यक्तियों के आचरण से हुआ है। उच्च पदों पर बैठे हुए लोगों के आचरण ने, उनके व्यवहार ने, उनकी रीतियों ने, नीतियों ने देश के भरोसे को तोड़ दिया है। 120 करोड़ लोगों का भरोसा टूट चुका है..!

भाइयों-बहनों, आज जब माँ गुर्जरी का स्मरण कर रहे हैं तब, आप गुजरात के गौरव का गान करने बैठे हैं तब, मैं विश्वास से कहता हूँ कि आज गुजरात के अंदर अगर कहा जाए कि भाई, पानी का संकट है, हमको हमारे पुराने चैकडेम को खाली करके उसकी मिट्टी निकालनी होगी..! मैं विश्वास से कहता हूँ, सरकार की जरूरत नहीं पड़ती, मेरे गाँव के किसान खुद चैकडेम को ठीक करने लग जाते हैं। क्यों..? भरोसा है..! भाइयो-बहनों, ये भरोसा बहुत बड़ी ताकत होती है। आज गुजरात ने जो विकास किया है, आज गुजरात जो प्रगति कर रहा है वो किसी व्यक्ति के कारण नहीं कर रहा है। विकास इसलिए हो रहा है कि हर एक को हर एक पर भरोसा है..! हर कोई भरोसे के आधार पर हिम्मत के साथ निर्णय कर पा रहा है। हर कोई को भरोसा है कि हाँ भाई, आगे बढ़ेगे तो कोई तो होगा, कोई तो व्यवस्था होगी ही..! आइए भाइयों-बहनों, आज इस भरोसे का संकल्प करें। हम भी लोगों को भरोसा दें, हम भी अपने आचरण और व्यवहार से ये खाई को भरें और एक बार भरोसे के दम पर हम आगे बढ़ें..! आप लोग में जो बड़ी उम्र के लोग हैं, जो साठ, सत्तर, पचहत्तर के लोग बैठे होंगे, क्या आपने कभी अपने बचपन में बाजार में ‘शुद्घ घी की दुकान’ ऐसा बोर्ड देखा था..? हंसो मत भाई, मुझे बताइए कि क्या कभी आपने ‘शुद्घ घी की दुकान’ ऐसा बोर्ड कभी देखा था..? नहीं..! ऐसा ही लिखा जाता था ‘घी की दुकान’। और ‘घी की दुकान’ लिखा हो तो आदमी को भरोसा था कि वो शुद्घ घी ही होगा, लेकिन भरोसा टूट गया तो बोर्ड लगाना पड़ता है ‘शुद्घ घी की दुकान’..! मैं छोटी-छोटी बातों के आधार पर बताना चाहता हूँ कि ये जो भरोसा टूट रहा है, उच्च पदों का तो भरेासा टूट चुका है... और तब जा कर के मेरे भाइयो-बहनों, आओ फिर से एक बार महात्मा गांधी, सरदार पटेल का स्मरण करते हुए इस भरोसे का बाइंडिंग कैसे बढ़ें, हम सब इस दायित्व को कैसे निभाएं, हमारे शब्दों की ताकत कैसे बढ़े, हमारे आचरण से उसमें कैसे ताकत भरें, उसका संकल्प करें..!

भाइयों-बहनों, मैंने काफी समय लिया है आपका, अभी आपका शायद रात्रीभोज भी बाकी होगा..! और मैं देख रहा था कि आप लोग तो एक-एक दो-दो मिनट बोल कर अपना पूरा करके जा रहे थे और मैं घंटे भर से बोल रहा हूँ। आपके मन में सवाल भी रहते होंगे। एक छोटी सी बात बता दूँ। विश्व भर में बैठे मेरे गुजरात के भाइयों से मेरी प्रार्थना है, गुजरात को प्रेम करने वाले भाइयों से मेरी प्रार्थना है, हिन्दुस्तान को प्रेम करने वाले मेरे सभी भारतीय भाइयों-बहनों को प्रार्थना है। गुजरात में हम लोगों ने एक सपना संजोया है और वो सपना है, हम विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति बनाना चाहते हैं और दुनिया के सामने हम अपना एक रूतबा खड़ा करना चाहते हैं। हमारा यानि मोदी का नहीं, बीजेपी का नहीं, गुजरात सरकार का नहीं, सवा सौ करोड़ देश वासियों का..! और जिस महापुरूष ने हिन्दुस्तान को एकता के बंधन में बांधा, छोटे-छोटे रजवाड़ों को मिला कर के ये देश बनाया, एक किया..! इतिहास का एक स्वर्णिम पृष्ठ है, लेकिन उसको भुला दिया गया है। उसका पुन: स्मरण होना चाहिए। वो हमें एक नई ताकत देगा, देश को जोड़ने की ताकत देगा, देश को तोड़ने वाले हर प्रयासों का वो जवाब होगा..! और इसलिए हमने एक संकल्प किया हुआ है, ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’..! और ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ है भारत के लौह पुरूष सरदार पटेल की दुनिया की सबसे बड़ी और ऊंची प्रतिमा, जो हमें बनानी है..! और उसकी साइज का जो सपना है वो सपना है, ‘स्टूच्यू ऑफ यूनिटी’ की साइज ‘स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी’ से डबल होगी..! नर्मदा नदी पर सरदार साहब के नाम पर बना हुआ जो ‘सरदार सरोवर डैम’ है, उसी जगह पर हम ये बनाने जा रहे हैं। काम काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। रिसर्च हो रहा है, डिजाइनिंग हो रहा है, धरती पर भी हम काम बहुत जल्दी शुरू करना चाहते हैं..! लेकिन जैसे हमने जब महात्मा मंदिर बनाया था और आप लोगों ने योगदान दिया था, वैसे ही हम जनता जनार्दन को जोड़ कर के जन-भागीदारी के साथ विश्व का अजोड़, सरदार पटेल का ये विराट रूप, ‘स्टेच्यू ऑफ युनिटी’ के रूप में प्रस्तुत करने वाले  हैं। विश्व भर फैले हुए मेरे भाइयों-बहनों, मेरी आप सबसे प्रार्थना है, कुछ समय बाद हम विधिवत् रूप से आपके पास कुछ मांगने के लिए आएंगे, आपका कान्ट्र्रीब्यूशन चाहेंगे। क्योंकि हर एक को लगना चाहिए कि ये जो ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ बना है, उस यूनिटी का मैं भी एक हिस्सा हूँ, मैं भी एक पार्टीकल हूँ, ये भाव हमें लाना है..! और उसका लाभ होता है। हमने गांधीनगर में जो महात्मा मंदिर बनाया, तो गुजरात के 18,000 गांवों को कहा था कि आपके गाँव का पानी और मिट्टी ले आइए। दुनिया के हर देश में रह रहे गुजरातियों से मैंने कहा था कि वहाँ का पवित्र जल और मिट्टी ले आइए। हिन्दुस्तान के हर राज्य को कहा था कि वहाँ का पवित्र जल और मिट्टी लाइए और हमने विश्व भर से पवित्र जल और पवित्र मिट्टी इक्कठी कर कर के महात्मा मंदिर की नींव रखी है। ये एक भावात्मक ताकत होती है और महात्मा गांधी, उनका जो विश्व रूप था उसकी प्रतिकात्मक रूप से अनुभूति करने का हमने प्रयास किया था। ऐसे ही सरदार साहब की ये प्रतिमा एकता की प्रतिमा है, जिस व्यक्ति में एक करने का सामर्थ्य, हर संकटों से बाहर निकल कर के बहुत कम समय में इतने बड़े देश को जोड़ने का महान काम, विश्व के सभी समाजों को सीखने और समझने जैसा काम, इसको हमें उजागर करना है, उस महान रूप को उजागर करना है..! और विश्व को गौरव से कहना है कि मेरे देश में इसी कालखंड में ऐसा भी एक वीर पुरूष, महापुरूष पैदा हुआ था..! बड़े गौरव के साथ काम करना है, भाईयों..!

इए, हम सब अपने-अपने सपनों को पूरा करें ही करें, अपने संकल्पों को पूरा करें, लेकिन राष्ट्र के नाते, समाज के नाते भी हर संकल्पों को पूरा करके समग्र मानवजात के कल्याण के लिए भारत कैसे काम आए और ‘माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः’..! भूमि मेरी माता है, मैं पृथ्वी का पुत्र हूँ... ये समग्र पृथ्वी को माँ मानने वाले हम संतान, मानव जात के कल्याण का मार्ग को लेकर के चलें, ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के मंत्र को लेकर के चलें, इसी एक भाव के साथ, आप सबके बीच आने का, आप सब से बात करने का मुझे अवसर मिला, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूँ, मैं आपको बहुत शुभ कामनाएं देता हूँ और मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि ये गुजरात आपका है, आपकी भाषा कोई भी हो, पहनाव कोई भी हो, हम तो पृथ्वी के पुत्र हैं..! आइए, इसका गौरवगान करें, इसको अपना करें... यही एक प्रार्थना है। फिर एक बार मैं सभी का अभिनंदन करता हूँ, बधाई देता हूँ..! कई मेहमान वहाँ बैठे हैं, सबका नाम नहीं ले पा रहा हूँ, मुझे क्षमा करें। अमेरिका के कई राजनीतिक नेता भी वहाँ बैठे हैं, मैंने हिन्दी में बोलना पंसद किया, हो सकता है अगल-बगल में बैठे हुए लोग उनको भाषान्तर करके मेरी भावनाएं उन तक पहुंचाते होंगे..! आइए भाइयों-बहनों, हम सब मिल कर के, आज जब ‘मदर्स डे’ भी मना रहे हैं, ‘गुर्जर दिवस’ भी मना रहे हैं, तब पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ें। आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं..!

य जय गरवी गुजरात..!

य जय गरवी गुजरात..!

भारत माता की जय..!

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78-வது சுதந்திர தின விழாவையொட்டி செங்கோட்டை கொத்தளத்தில் இருந்து பிரதமர் திரு நரேந்திர மோடி நிகழ்த்திய உரையின் தமிழாக்கம்

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78-வது சுதந்திர தின விழாவையொட்டி செங்கோட்டை கொத்தளத்தில் இருந்து பிரதமர் திரு நரேந்திர மோடி நிகழ்த்திய உரையின் தமிழாக்கம்
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The Constitution is our guiding light: PM Modi
A special website named constitution75.com has been created to connect the citizens of the country with the legacy of the Constitution: PM
Mahakumbh Ka Sandesh, Ek Ho Poora Desh: PM Modi in Mann Ki Baat
Our film and entertainment industry has strengthened the sentiment of 'Ek Bharat - Shreshtha Bharat': PM
Raj Kapoor ji introduced the world to the soft power of India through films: PM Modi
Rafi Sahab’s voice had that magic which touched every heart: PM Modi remembers the legendary singer during Mann Ki Baat
There is only one mantra to fight cancer - Awareness, Action and Assurance: PM Modi
The Ayushman Bharat Yojana has reduced the financial problems in cancer treatment to a great extent: PM Modi

           எனதருமை நாட்டுமக்களே, வணக்கம்.   இன்று மனதின் குரலில், 2025ஆம் ஆண்டு…… இதோ வந்தே விட்டது, வாயிற்கதவுகளைத் தட்டிக் கொண்டிருக்கிறது.  2025ஆம் ஆண்டு, ஜனவரி மாதம் 26ஆம் தேதியன்று நமது அரசியலமைப்புச்சட்டத்தின் 75ஆம் ஆண்டு நிறைவடைய இருக்கின்றது.  நம்மனைவருக்கும் இது மிகவும் கௌரவம்மிகு தருணமாகும்.  நமது அரசியலமைப்புச்சட்ட பிதாமகர்கள் நம்மிடத்தில் ஒப்படைத்திருக்கும் அரசியல்சட்டம், காலத்தின் அனைத்துக் காலகட்டங்களிலும் வெற்றிகரமாக வழிகாட்டியிருக்கிறது.  அரசியல் சட்டமானது நம்மனைவருக்கும் பாதை துலக்கும் ஒளிவிளக்காய், வழிகாட்டியாய் விளங்குகிறது.  பாரத நாட்டின் அரசியல் சட்டம் காரணமாகவே இன்றிருக்கும் இடத்தில் நான் இருக்கிறேன், உங்களோடு உரையாடிக் கொண்டிருக்கிறேன்.  இந்த ஆண்டும் நவம்பர் மாதம் 26ஆம் தேதியன்று அரசியல்சட்ட தினம் தொடங்கி ஓராண்டுக்காலம் வரை நடைபெறக்கூடிய செயல்பாடுகள் தொடங்கப்பட்டிருக்கின்றன.  தேசத்தின் குடிமக்களை அரசியல் சட்டத்தின் மரபோடு இணைக்க வேண்டி, constitution75.com என்ற பெயரில் ஒரு சிறப்பான இணையத்தளம் உருவாக்கப்பட்டிருக்கிறது.   அரசியல் சட்டத்தின் முன்மொழிவினை வாசிக்கும் வகையில் உங்களுடைய காணொளியை இதிலே தரவேற்றம் செய்யலாம்.  பல்வேறு மொழிகளில் அரசியல்சட்டத்தை வாசிக்கலாம், அரசியல் சட்டம் தொடர்பான வினாக்களை எழுப்பலாம்.  மனதின் குரலின் நேயர்கள் தொடங்கி, பள்ளிகளில் படிக்கும் குழந்தைகள், கல்லூரிப்படிப்பு படிக்கும் இளைஞர்கள் ஆகியோரிடம் நான் விடுக்கும் வேண்டுகோள் – இந்த இணையத்தளத்தை அணுகுங்கள், இதோடு உங்களை இணைத்துக் கொள்ளுங்கள் என்பதே.

     நண்பர்களே, அடுத்த மாதம் 13ஆம் தேதி முதல் பிரயாக்ராஜில் மகாகும்பமேளா நடைபெற இருக்கிறது.  இந்த வேளையில், அங்கே சங்கமத்தின் கரையில் தடபுடலாக ஏற்பாடுகள் நடந்தேறி வருகின்றன.  சில நாட்கள் முன்பாக நான் பிரயாக்ராஜ் சென்றிருந்த வேளையில், ஹெலிகாப்டர் மூலமாக மொத்த கும்பமேளாவும் நடைபெறவுள்ள இடத்தையும் பார்வையிட்ட போது மனதில் பெரும் நிறைவு உண்டானது.  என்னவொரு விசாலம்!!  என்னவொரு அழகு!!  எத்தனை பிரும்மாண்டம்!!  அடேயப்பா!!

     நண்பர்களே, மகாகும்பமேளாவின் விசேஷம் இதன் விசாலமான தன்மை மட்டுமல்ல; மாறாக இதன் சிறப்பே இதன் பன்முகத்தன்மையில் தான் அடங்கியிருக்கிறது.  இந்த ஏற்பாட்டிலே கோடிக்கணக்கானோர் ஒரே நேரத்தில் சங்கமிக்கிறார்கள்.  இலட்சக்கணக்கான புனிதர்கள், ஆயிரக்கணக்கான பாரம்பரியங்கள், பல்லாயிரம் சம்பிரதாயங்கள், பல்வேறு பிரிவுகள் என அனைவரும் இந்த ஏற்பாட்டின் அங்கமாக ஆகின்றார்கள்.  எங்கும் எந்த வேறுபாடும் காணப்படாது, பெரியவர்-சிறியோர் என்று ஒன்றும் கிடையாது.  வேற்றுமையில் ஒற்றுமையின் இந்தக் காட்சியை உலகில் வேறு எங்குமே காண இயலாது.  ஆகையால் தான் நமது கும்பமேளா என்பது ஒற்றுமையின் மகாகும்பமேளாவாகவும் திகழ்கிறது.  இந்த முறை வரும் மகாகும்பமேளாவும் கூட ஒற்றுமையின் மகாகும்ப மேளாவின் மந்திரத்திற்கு சக்தியூட்டும்.  நாம் கும்பமேளாவில் பங்கேற்றுத் திரும்பும் போது, ஒற்றுமையின் இந்த உறுதிப்பாட்டை மனதில் ஏந்தி வீடு வருவோம்.  சமுதாயத்தில் பிரிவினை மற்றும் வெறுப்புணர்வுக்கு முடிவுகட்டும் உறுதிப்பாட்டையும் ஏற்போம்.  சொற்களில் இதை வடிக்க வேண்டும் என்று சொன்னால்……

மகாகும்பமளிக்கும் செய்தி, நாட்டில் ஒற்றுமை மலரட்டும்.

மகாகும்பமளிக்கும் செய்தி, நாட்டில் ஒற்றுமை மலரட்டும்.

 

இதை வேறுவகையில் கூற வேண்டுமென்றால்…..

கங்கையின் இடைவிடாப் பெருக்கு, நமது சமூகம் பிளவுபடக்கூடாது.

கங்கையின் இடைவிடாப் பெருக்கு, நமது சமூகம் பிளவுபடக்கூடாது.

     நண்பர்களே, இந்த முறை பிரயாக்ராஜில் உள்நாட்டிலிருந்தும், அயல்நாடுகளிருந்தும் பக்தர்கள் டிஜிட்டல் வழிமுறையில் மகாகும்பமேளாவைக் காண இருக்கிறார்கள்.  டிஜிட்டல்முறை வழிகாட்டல் வாயிலாக பல்வேறு படித்துறைகள், ஆலயங்கள், புனிதர்களின் மடங்கள் வரை சென்றடைய பாதை துலக்கிக் காட்டப்படும்.  இதே வழிகாட்டும் முறையே வாகன நிறுத்துமிடத்திற்கு நீங்கள் செல்வதற்கும் உதவிகரமாக இருக்கும்.  முதன்முறையாக கும்பமேளாவுக்கான ஏற்பாடுகளில் செயற்கை நுண்ணறிவு chatbot, உரையாடல் பயன்படுத்தப்படும்.  இந்த செயற்கை நுண்ணறிவு chatbot வாயிலாக, கும்பமேளாவோடு தொடர்புடைய அனைத்துவிதமான தகவல்களும் 11 இந்திய மொழிகளில் பெற முடியும்.  இந்த chatbot வாயிலாக, தட்டச்சு செய்தோ, குரல்வழி பேசியோ, யாராலும் எந்தவொரு உதவியையும் கோர முடியும்.   செயற்கை நுண்ணறிவால் இயங்கும் காமிராக்கள் மொத்த திருவிழாப்பகுதியையும் கண்காணித்துவரும்.  கும்பமேளா நெரிசலில் யாராவது தங்களுடைய சொந்தங்களைப் பிரிய நேர்ந்தால், இந்தக் கேமிராக்கள் மூலமாக அவர்களைத் தேடிப் பிடிக்கவும் உதவிகள் கிடைக்கும்.  திருவிழா நடைபெறும் எந்த ஒரு பகுதியிலும் தொலைந்தவர்களை டிஜிட்டல்வழியே கண்டுபிடிக்கும் மையத்தின் வசதியும் பக்தர்களுக்கு கிடைக்கும்.  அரசு அங்கீகாரம் பெற்ற சுற்றுலாத் திட்டங்கள், தங்குவசதிகள், இல்லங்களில் தங்குவசதிகள் ஆகியன பற்றியும் பக்தர்களுக்கு செல்பேசி வாயிலாக தகவல்கள் அளிக்கப்படும்.  நீங்களும் கும்பமேளா செல்லுங்கள், இந்த வசதிகளை அனுபவியுங்கள், அப்புறம் ஒரு விஷயம்….. #ஏக்தா கா மகாகும்ப் என்பதில் உங்களுடைய சுயபுகைப்படத்தையும் மறக்காமல் தரவேற்றம் செய்யுங்கள்.

     நண்பர்களே, மனதின் குரல் அதாவது மன் கீ பாத் MKBயில் இப்போது KTB பற்றி….. மிக மூத்தோர் இருக்கிறார்களே, அவர்களில் பலருக்கு KTB பற்றித் தெரிந்திருக்கும்.   ஆனால் சின்னக் குழந்தைகளிடம் வினவிப் பாருங்கள், அவர்கள் மத்தியிலோ KTB சூப்பர்ஹிட் என்றே சொல்லலாம்.  அதாவது, க்ருஷ், த்ருஷ், பால்டிபாய் ஆகியோர்.  உங்களுக்கு ஒரு வேளை தெரிந்திருக்கலாம், குழந்தைகளின் விருப்பமான அனிமேஷன் தொடரின் பெயர் தான் KTB – பாரதத்தில் நாம், இப்போது இதன் இரண்டாவது தொடரும் வந்து விட்டது.   இந்த மூன்று அனிமேஷன் பாத்திரங்களும் நமக்கும் பாரதநாட்டின் அதிகம் அறியப்படாத, அதிகம் பேசப்படாத சுதந்திரப் போராட்ட நாயகர்கள்-வீராங்கனைகள் பற்றித் தெரிவிக்கும்.  தற்போது தான் இதன் இரண்டாவது தொடர் மிகவும் சிறப்பான பொலிவோடு கோவாவில் நடந்த இந்தியாவின் சர்வதேச திரைப்படத் திருவிழாவில் அறிமுகப்படுத்தப்பட்டது.  மிகவும் அருமையான விஷயம் என்னவென்றால் இந்தத் தொடரானது பாரத நாட்டின் பல மொழிகளில் மட்டுமல்ல, அயல்நாட்டு மொழிகளிலும் கூட ஒளிபரப்பப்பட்டு வருகிறது.  இதை தூர்தர்ஷனோடு கூடவே இன்னபிற ஓடிடி தளங்களிலும் கண்டுகளிக்க முடியும்.

     நண்பர்களே, நமது அனிமேஷன் படங்களின், வாடிக்கையான படங்களின், டிவி தொடர்களின் பிரபலத்தன்மை பாரத நாட்டின் படைப்புத் திறன் துறையிடம் இருக்கும் திறமைகளைப் படம்பிடித்துக் காட்டுகிறது.  இந்தத் துறையானது தேசத்தின் முன்னேற்றத்திற்கு மட்டும் பெரும் பங்களிப்பு அளிக்கவில்லை, மாறாக நமது பொருளாதாரத்தையும் கூட புதிய சிகரங்களுக்கு இட்டுச் செல்கிறது.  நமது திரைப்படம் மற்றும் கேளிக்கைத் துறை மிகவும் விசாலமானது.  தேசத்தின் பல மொழிகளிலும் திரைப்படங்கள் தயாராகின்றன, படைப்புத்திறன்மிக்க உள்ளடக்கம் உருவாக்கப்படுகிறது.  ஒரே பாரதம் உன்னத பாரதம் என்ற உணர்வுக்கு வலுவூட்டுவதன் காரணத்தால் நான்நமது திரைப்பட மற்றும் கேளிக்கைத் தொழில்துறைக்கு என் பாராட்டுக்களைத் தெரிவித்துக் கொள்கிறேன்.

     நண்பர்களே, 2024ஆம் ஆண்டிலே நாம் திரைத்துறையின் பல மகத்தான நபர்களின் 100ஆம் ஆண்டு விழாவைக் கொண்டாடினோம்.  இந்த நபர்கள் பாரதநாட்டுத் திரைத்துறையை உலகளாவிய வகையில் அடையாளப்படுத்தினார்கள்.  ராஜ் கபூர் அவர்களின் படங்கள் வாயிலாக உலகம் பாரத நாட்டின் soft power மென்மையான சக்தியை இனம் கண்டு கொண்டது.  ரஃபி ஐயாவின் குரலில் இருந்த மாயாஜாலம், அனைவரின் இதயங்களையும் தொட்டுவருட வல்லது.  அவருடைய குரல் அலாதியானது.  பக்திப்பாடல்களாக இருந்தாலும் சரி, காதல் பாடல்களாக இருந்தாலும் சரி, துயரம்-வலி நிறைந்த பாடல்களாக இருந்தாலும் சரி, அனைத்து உணர்வுகளையும் அவர் தனது குரலில் உயிர்ப்படையச் செய்து விடுவார்.  ஒரு கலைஞன் என்ற முறையில் பார்க்கும் போது, இன்றும் கூட இளைய தலைமுறையினர் அவருடைய பாடல்களை அதே பேரார்வத்தோடு கேட்கிறார்கள் என்பதிலிருந்தே அவருடைய மாட்சிமையை நம்மால் புரிந்து கொள்ள முடிகிறது, காலத்தைக் கடந்த கலைக்கான அடையாளம் இது தானே.  அக்கினேனி நாகேஷ்வர் ராவ் காரு, தெலுகு திரைப்படத்துறையை புதிய உயரங்களுக்கு இட்டுச் சென்றவர்.  அவருடைய படங்கள் பாரதநாட்டுப் பாரம்பரியங்களையும், நன்மதிப்புக்களையும் மிகச் சிறப்பாகப் படம்பிடித்துக் காட்டுவன.  தபன் சின்ஹா அவர்களின் படங்கள், சமூகத்திற்கு ஒரு புதிய பார்வையை அளித்தன.  அவருடைய படங்களில் சமூக விழிப்புணர்வு மற்றும் தேசத்தின் ஒற்றுமை தொடர்பான செய்தி எப்போதும் இருக்கும்.  நமது ஒட்டுமொத்தத் திரைப்படத்துறைக்கும் இந்த மாமனிதர்களின் வாழ்க்கை கருத்தூக்கம் அளிப்பது.

     நண்பர்களே, நான் மேலும் ஒரு சந்தோஷமான செய்தியை உங்களுக்கு அளிக்க விரும்புகிறேன்.  பாரதநாட்டின் படைப்புத்திறனை உலகின் முன்பாக வைக்க ஒரு மிகப்பெரிய சந்தர்ப்பம் வந்து கொண்டிருக்கிறது.  அடுத்த ஆண்டு நமது தேசத்தில் முதன்முறையாக உலக ஒலிஒளி கேளிக்கை உச்சிமாநாடு அதாவது வேவ்ஸ் உச்சிமாநாடு நடைபெறவிருக்கிறது.  நீங்கள் அனைவரும் தாவோஸ் பற்றிக் கேள்விப்பட்டிருப்பீர்கள்; அங்கே உலகின் பொருளாதாரவுலகின் ஜாம்பவான்கள் ஒன்று கூடுவார்கள்.  இதைப் போலவே வேவ்ஸ் உச்சிமாநாட்டிலே உலகெங்கிலுமிருந்தும் ஊடகங்களும், திரைத்துறையின் ஜாம்பவான்களும், படைப்புலகத்தினரும் பாரத நாட்டிற்கு வருவார்கள்.   இந்த உச்சிமாநாடு, பாரத நாடு உலகம் தழுவிய உள்ளடக்க உருவாக்க மையமாக ஆகும் திசையில் ஒரு மகத்துவம் வாய்ந்த அடியெடுப்பாகும்.  இந்த உச்சிமாநாட்டின் தயாரிப்பு முஸ்தீபுகளிலே நமது தேசத்தின் இளம் படைப்பாளிகள் முழு உற்சாகத்தோடு இணைந்து பணியாற்றி வருகிறார்கள் என்று என்னிடம் கூறப்பட்டிருக்கிறது.  நாம் 5 ட்ரில்லியன் டாலர் பொருளாதாரம் என்ற திசையை நோக்கி முன்னேறும் வேளையில் நமது படைப்பாற்றல் பொருளாதாரமும் ஒரு புதிய ஆற்றலைக் கொண்டுவந்து சேர்க்கிறது.   நான் பாரத நாட்டின் மொத்த கேளிக்கை மற்றும் படைப்பாற்றல் துறையிடமும் என்ன வேண்டிக் கொள்கிறேன் என்றால், நீங்கள் இளம் படைப்பாளியோ, புகழ்மிக்க கலைஞரோ, பாலிவுட்டோடு இணைந்தவரோ அல்லது பிராந்திய திரைத்துறையைச் சேர்ந்தவரோ, தொலைக்காட்சித் துறையின் தொழில்வல்லுநரோ அல்லது அனிமேஷன் வல்லுநரோ, கேமிங்கோடு தொடர்புடையவரோ கேளிக்கைத் தொழில்நுட்பத் துறையில் கண்டுபிடிப்பாளரோ…. நீங்கள் அனைவரும் வேவ்ஸ் உச்சிமாநாட்டில் பங்கு பெறுங்கள். 

     எனதருமை நாட்டுமக்களே, பாரதநாட்டுக் கலாச்சாரம் பொழியும் ஒளியானது இன்று எப்படி உலகின் அனைத்து மூலைகளுக்கும் பரவி வருகிறது என்பதை நீங்கள் அனைவரும் நன்கறிவீர்கள்.  மூன்று கண்டங்களின் முயற்சிகளைப் பற்றி இன்று நான் உங்களிடம் பரிமாறிக் கொள்ள இருக்கிறேன், இவை நமது கலாச்சார மரபின் உலகளாவிய பரவலின் சான்றுகளாக இருக்கின்றன.  இவையனைத்தும் ஒன்றுக்கொன்று பல கி.மீ. தொலைவால் வேறுபட்டவை.  ஆனால் பாரத நாட்டைப் பற்றித் தெரிந்து கொள்ளவும், நமது கலாச்சாரத்தைக் கற்றுக் கொள்ளவும் அவர்களிடம் இருக்கும் தாகம் ஒன்று போலவே இருக்கிறது.

     நண்பர்களே, ஓவியங்களின் உலகம் எத்தனை வண்ணமயமாக இருக்குமோ, அந்த அளவுக்கு அழகாக இருக்கும்.  தொலைக்காட்சி வாயிலாக உங்களில் யாரெல்லாம் மனதின் குரலோடு இணைந்து வருகிறீர்களோ, சில ஓவியங்களை தொலைக்காட்சியில் உங்களால் காண முடியும்.  இந்தச் சித்திரங்களில் நமது தெய்வங்கள், நடனக்கலைகள் மற்றும் மாமனிதர்களைக் கண்டு உங்கள் உள்ளங்கள் உவப்பெய்தும்.  இவற்றிலே பாரதநாட்டில் இருக்கும் உயிரினங்கள் தொடங்கி நிறைய விஷயங்களை உங்களால் காணமுடியும்.   இவற்றில் தாஜ்மஹலின் ஒரு அற்புதமான ஓவியமும் அடங்கும், இதை 13 வயதேயான ஒரு குட்டிப் பெண் வரைந்திருக்கிறாள்.  இந்த மாற்றுத்திறனாளிக் குழந்தை தனதுவாயால் இந்த ஓவியத்தை வரைந்திருக்கிறாள் என்பதறிந்தால் நீங்கள் திகைத்துப் போவீர்கள்.   மிகவும் சுவாரசியமான விஷயம் என்னவென்றால் இந்த ஓவியங்களை வரைந்தவர்கள் பாரத நாட்டினர் அல்ல, எகிப்து தேசத்தைச் சேர்ந்த மாணவர்கள்.  சில வாரங்கள் முன்பு எகிப்து நாட்டில் சுமார் 23,000 மாணவர்கள் ஒரு ஓவியப் போட்டியில் பங்கெடுத்தார்கள்.  அங்கே அவர்கள் பாரத நாட்டின் கலாச்சாரம் மற்றும் இந்த இருநாடுகளின் சரித்திரப்பூர்வமான தொடர்புகளை வெளிப்படுத்தும் வகையிலான ஓவியங்களை வரைந்திருந்தார்கள்.  நான் இந்தப் போட்டியில் பங்கெடுத்துக் கொண்ட அனைத்து இளைஞர்களுக்கும் பாராட்டுக்களைத் தெரிவித்துக் கொள்கிறேன்.  அவர்களின் படைப்பாற்றலை எத்தனைப் பாராட்டினாலும் தகும்.

     நண்பர்களே, தென்னமெரிக்காவின் ஒரு தேசம் பராகுவே.  அங்கேயிருக்கும் பாரதநாட்டவரின் எண்ணிக்கை ஓராயிரத்தை மிகாது.  பராகுவேயில் ஒரு அற்புதமான முயற்சி நடைபெற்று வருகிறது.  அங்கே பாரதநாட்டு தூதரகத்தில் எரிகா ஹ்யூபர் என்பவர் இலவசமாக ஆயுர்வேத ஆலோசனை அளிக்கிறார்.  ஆயுர்வேத ஆலோசனை பெற, அந்நாட்டவர் அதிக எண்ணிக்கையில் வருகிறார்கள்.  எரிகா ஹ்யுபர் பொறியியல் படிப்பு படித்திருந்தாலும் கூட, அவருடைய மனம் ஆயுர்வேதத்திலேயே நிலை கொள்கிறது.  அவர் ஆயுர்வேதம் தொடர்பான படிப்புக்களை மேற்கொண்டார், காலப்போக்கில் இதில் வல்லுநராகவும் ஆகி விட்டார்.

     நண்பர்களே, உலகின் மிகத் தொன்மையான மொழி தமிழ்மொழி, இந்தியர்கள் அனைவருக்கும் இது பெருமை சேர்க்கும் விஷயமாகும்.  உலகெங்கிலும் இருக்கும் நாடுகளில் இதைக் கற்போரின் எண்ணிக்கை தொடர்ந்து அதிகரித்து வருகிறது.   கடந்த மாத இறுதியில், ஃபிஜியில் பாரத அரசின் உதவியோடு தமிழ் பயில்விக்கும் நிகழ்ச்சி தொடங்கப்பட்டது.  கடந்த 80 ஆண்டுகளில், ஃபிஜியில் தமிழில் பயிற்சி பெற்ற ஆசிரியர்கள் தமிழ் பயிற்றுவிப்பது என்பது இதுவே முதல் முறை.  இன்று ஃபிஜியின் மாணவர்கள் தமிழ்மொழியையும், சம்ஸ்கிருதத்தையும் கற்றுக் கொள்ள நிறைய ஆர்வம் காட்டுகிறார்கள் என்பது எனக்கு உவப்பைத் தருகிறது.

     நண்பர்களே, இந்த விஷயங்கள், இந்தச் சம்பவங்கள், வெறும் வெற்றிக்கதைகள் அல்ல.   இவை நமது கலாச்சார மரபின் காதைகளும் கூட.  இந்த எடுத்துக்காட்டுகள் நம் உள்ளங்களைப் பெருமிதத்தால் நிரப்பி விடுகின்றன.  கலை முதல் ஆயுர்வேதம், மொழி, இசை என அனைத்தும் பாரதத்திடம் கொட்டிக் கிடக்கிறது, இதுவே உலகை மயக்குகிறது.

     நண்பர்களே, குளிர்காலத்தில் நாடெங்கிலும் விளையாட்டு மற்றும் உடலுறுதி தொடர்பாக பல செயல்பாடுகள் நடைபெற்று வருகின்றன.  மக்கள் உடலுறுதியைத் தங்களுடைய தினசரி வாடிக்கையாக்கி வருகிறார்கள் என்பது மகிழ்ச்சியை அளிக்கிறது.  கஷ்மீரில் பனிச்சறுக்கு முதல் குஜராத்தில் காற்றாடிவிடுதல் வரை அனைத்து இடங்களிலும் விளையாட்டுக்களின் உற்சாகத்தைக் காண முடிகிறது.   #SundayOnCycle மற்றும்  #CyclingTuesday போன்ற இயக்கங்கள் சைக்கிள்விடுதலுக்கு ஊக்கமளித்து வருகின்றன.

     நண்பர்களே, இப்போது நான் உங்களோடு ஒரு வித்தியாசமான விஷயத்தைப் பகிர்ந்து கொள்ள விரும்புகிறேன், இது நமது தேசத்தில் ஏற்பட்டும்வரும் மாற்றங்கள் மற்றும் இளைய நண்பர்களின் உற்சாகத்தையும், ஊக்கத்தையும் அடையாளப்படுத்துகிறது.  நமது பஸ்தர் பகுதியில் ஒரு வித்தியாசமான ஒலிம்பிக் போட்டி தொடங்கப்பட்டிருப்பது பற்றிக் கேள்விப்பட்டிருக்கிறீர்களா?  ஆமாம்….. முதன்முறையாக பஸ்தர் ஒலிம்பிக்ஸ் வாயிலாக பஸ்தரில் ஒரு புதிய புரட்சி பிறப்பெடுத்து வருகிறது.  என்னைப் பொறுத்தமட்டில் மிக சந்தோஷமான விஷயம் என்னவென்றால், பஸ்தர் ஒலிம்பிக்ஸ் என்ற கனவு மெய்ப்பட்டிருக்கிறது என்பது தான்.  ஒருகாலத்தில் மாவோவாதிகளின் பயங்கரவாதம் பாதிக்கப்பட்ட பகுதியாக இருந்த பகுதியில் இது நடக்கிறது என்பது உங்களுக்கும் மகிழ்ச்சியை ஏற்படுத்தலாம்.  பஸ்தர் ஒலிம்பிக்ஸின் சின்னம், வன் பைன்ஸா ஔர் பஹாடி மைனா, அதாவது காட்டெருமையும், மலைப்பகுதி மைனாவும்.   இதிலே பஸ்தரின் நிறைவான கலாச்சாரம் பளிச்சிடுவதைக் காண முடிகிறது.  இந்த பஸ்தர் விளையாட்டு மகாகும்பமேளாவின் மூல மந்திரம் என்ன தெரியுமா? 

கர்ஸாய் தா பஸ்தர் பர்ஸாயே தா பஸ்தர்

அதாவது, விளையாடும் பஸ்தர் – வெல்லும் பஸ்தர்.

     முதன்முறையாக பஸ்தர் ஒலிம்பிக்ஸில் 7 மாவட்டங்களைச் சேர்ந்த ஒரு இலட்சத்துஅறுபத்து ஐயாயிரம் விளையாட்டு வீரர்கள் பங்கெடுத்துக் கொண்டார்கள்.  இது வெறும் எண்ணிக்கையல்ல.  இது நமது இளைய சமூகத்தின் உறுதிப்பாட்டின் கௌரவக்காதை.  தடகளப் போட்டிகள், கயிறு இழுத்தல், பூப்பந்தாட்டம், கால்பந்தாட்டம், ஹாக்கி, பளுதூக்குதல், கராட்டே, கபடி, கோகோ, கைப்பந்தாட்டம் என அனைத்து விளையாட்டுக்களிலும் நமது இளைஞர்கள் தங்களுடைய திறன்கள்-திறமைகளை வெளிப்படுத்தினார்கள்.  காரி கஷ்யப் அவர்களின் கதை எனக்கு மிகவும் உத்வேகம் அளித்தது.  ஒரு சின்னஞ்சிறிய கிராமத்திலிருந்து வரும் காரி அவர்கள் அம்பு எய்தல் போட்டியில் வெள்ளிப்பதக்கம் வென்றார்.  “பஸ்தர் ஒலிம்பிக்ஸ் போட்டியானது எங்களுக்கு விளையாட்டு மைதானத்தை மட்டுமல்ல, வாழ்க்கையில் முன்னேற ஒரு சந்தர்ப்பத்தை அளித்திருக்கிறது” என்று கூறியிருக்கிறார் இவர்.  சுக்மாவைச் சேர்ந்த பாயல் கவாசி அவர்களின் கூற்று ஒன்றும் குறைந்த ஊக்கத்தை அளிக்கவில்லை.  ஈட்டி எறிதல் போட்டியில் தங்கப்பதக்கம் வென்ற பாயல், “ஒழுக்கம் மற்றும் கடும் உழைப்பு வாயிலாக யாராலும் எதையும் சாதிக்க முடியும்” என்றார் இவர்.   சுக்மாவின் தோர்நாபாலைச் சேர்ந்த புனேம் ஸன்னா அவர்களின் கதை, புதிய பாரதத்துக்கே உத்வேகம் அளிப்பதாகும்.  ஒரு காலத்தில் நக்ஸல் தாக்கத்தால் கவரப்பட்ட புனேம் அவர்கள் இன்று சக்கர நாற்காலியில் விரைந்து பதக்கங்களை வென்று வருகிறார்.  இவருடைய சாகஸமும், தன்னம்பிக்கையும், அனைவருக்கும் கருத்தூக்கம் அளிக்க வல்லவை.  கோடாகாவின் அம்பெறிதல் போட்டியாளரான ரஞ்ஜூ ஸோரி அவர்கள், பஸ்தரின் இளைஞர்களின் சின்னமாகத் தேர்ந்தெடுக்கப்பட்டிருக்கிறார்.  நெடுந்தலைவுகளில் இருக்கும் இளைஞர்களை தேசிய அளவில் கொண்டு சேர்க்கும் சந்தர்ப்பத்தை பஸ்தர் ஒலிம்பிக்ஸ் அளித்து வருகிறது என்று கருதுகிறார்.

     நண்பர்களே, பஸ்தர் ஒலிம்பிக்ஸ் என்பது ஒரு விளையாட்டு நிகழ்ச்சி மட்டுமல்ல.  இங்கே வளர்ச்சி மற்றும் விளையாட்டுக்களின் சங்கமம் நடக்கிறது.  இங்கே நமது இளைஞர்களின் திறமைகள் ஒளி உமிழ்கின்றன, ஒரு புதிய பாரதத்தை அவர்கள் படைக்கிறார்கள்.  நான் உங்கள் அனைவரிடத்திலும் வேண்டிக் கொள்கிறேன் –

  • உங்கள் பகுதிகளில் இப்படிப்பட்ட விளையாட்டு நிகழ்ச்சிகளுக்கு ஊக்கம் தாருங்கள்.
  • #खेलेगा भारत – जीतेगा भारत என்பதிலே உங்களுடைய பகுதிகளில் விளையாட்டுத் திறமைகளைப் பற்றிய கதைகளைப் பகிர்ந்து கொள்ளுங்கள்.
  • விளையாட்டில் திறமைகள் உள்ளவர்கள் வட்டாரத்தில் இருந்தால் அவர்கள் முன்னேற வாய்ப்பளியுங்கள்.

நினைவில் கொள்ளுங்கள், விளையாட்டுக்கள் நமது உடல் வளர்ச்சியை மட்டுமல்லாமல், ஆரோக்கியமான மனநிலையையும் ஏற்படுத்தி, சமூகத்தின் இணைப்புக்களை-உறவுகளை மேலும் வலுவாக்க வல்லது.  ஆகையால் விளையாடுங்கள், நன்றாக விளையாடுங்கள்.

     எனதருமை நாட்டுமக்களே, பாரதத்தின் இருபெரும் சாதனைகள் இன்று உலகத்தின் கவனத்தை ஈர்த்திருக்கின்றன.  இதைக் கேட்டு நீங்கள் பெருமைப்படுவீர்கள்.  இந்த இருபெரும் வெற்றிகளும் ஆரோக்கியத் துறையில் கிடைத்திருக்கின்றன.  முதல் சாதனை என்னவென்றால், அது மலேரியாவுடனான போராட்டத்தில்.  மலேரியா என்ற நோய் 4000 ஆண்டுகளாக மனித சமூகத்திற்கே ஒரு பெரும் சவாலாக இருந்து வருகிறது.  சுதந்திரமடைந்த காலகட்டத்தில், இது நமது மிகப்பெரிய சுகாதாரச் சவால்களில் ஒன்றாக இருந்தது.  ஒரு மாதம் முதல் ஐந்து ஆண்டுகள் வரையிலான குழந்தைகளின் உயிர்குடிக்கும் அனைத்துத் தொற்றுநோய்களில் மலேரியாவுக்கு மூன்றாவது இடம்.   இன்று, நாட்டுமக்களை அனைவரும் இந்தச் சவாலை தீவிரத்தோடு எதிர்கொண்டார்கள், முன்னேற்றமும் கண்டார்கள் என்பதைப் பகிர்ந்து கொள்வதில் எனக்கு பேருவகை ஏற்படுகிறது.  உலக சுகாதார நிறுவனத்தின் அறிக்கை என்ன கூறுகிறது தெரியுமா?  பாரத நாட்டில் 2015ஆம் ஆண்டு தொடங்கி 2023ஆம் ஆண்டிற்குள்ளாக மலேரியா பாதிப்பு விஷயங்கள் மற்றும் இதனால் ஏற்படும் இறப்புக்களில் 80 சதவீத வீழ்ச்சி காணப்பட்டிருக்கிறது.   இது ஒன்றும் சிறிய சாதனையே அல்ல.  மேலும் மிகவும் மகிழ்ச்சிதரும் செய்தி என்னவென்றால் இந்த வெற்றி, நாட்டுமக்கள் அனைவரின் பங்களிப்புக் காரணமாகவே கிடைத்திருக்கிறது.  பாரத நாட்டின் அனைத்து இடங்களிலும், அனைத்து மாவட்டங்களிலும் அனைவரும் இந்த இயக்கத்தில் பங்கெடுத்தார்கள்.  அஸாமின் ஜோர்ஹாட்டில் தேயிலைத் தோட்டங்களில் நான்காண்டுகள் முன்புவரை மக்களின் கவலைக்குக் காரணமாக மலேரியா இருந்துவந்தது.  ஆனால் இதை வேரடி மண்ணோடு கெல்லி எறிய தேயிலைத் தோட்டத்தில் வசிப்பவர்கள் ஒன்று திரண்ட போது, இதில் கணிசமான அளவுக்கு வெற்றியை ஈட்ட முடிந்தது.  தங்களுடைய இந்த முயற்சியில் அவர்கள் தொழில்நுட்பத்தோடு கூட, சமூக ஊடகங்களையும் முழுமையாகப் பயன்படுத்தினார்கள்.   இதைப் போலவே ஹரியாணாவின் குருக்ஷேத்திரம் மாவட்டவாசிகளும் கூட மலேரியாவைக் கட்டுப்படுத்த மிக நேர்த்தியான மாதிரி ஒன்றினை முன்வைத்தார்கள்.  இங்கே மலேரியாவைக் கண்காணிப்பதில் மக்களின் பங்களிப்பு கணிசமாக வெற்றி பெற்றிருக்கிறது.  தெருமுனை நாடகங்கள், வானொலி ஆகியவை வாயிலாக செய்திகள் ஓங்கி ஒலிக்கப்பட்டன, இதன் காரணமாக கொசுக்களின் இனப்பெருக்கம் குறைய கணிசமாக உதவியது.  நாடெங்கிலும் இப்படிப்பட்ட முயற்சிகளால் தான் நம்மால் மலேரியாவுக்கு எதிரான போராட்டத்தை முன்னேற்ற முடிந்தது.

 

     நண்பர்களே, நம்முடைய மனவுறுதிப்பாடு மற்றும் விழிப்புணர்வு காரணமாக நம்மால் எந்த அளவுக்கு சாதிக்க முடியும் என்பதற்கான இரண்டாவது எடுத்துக்காட்டுத் தான் புற்றுநோயோடு போர்.  உலகின் பிரபலமான மருத்துவ சஞ்சிகையான Lancetஇன் ஆய்வு, உள்ளபடியே நம்பிக்கை அளிக்கவல்லது.  இந்த சஞ்சிகைப்படி இப்போது பாரதத்தில், சரியான காலத்தில் புற்றுநோய்க்கான சிகிச்சையைத் தொடங்குவதற்கான சாத்தியக்கூறு கணிசமாக அதிகரித்து விட்டது.  குறித்த காலத்தில் என்றால், புற்றுநோயால் பாதிக்கப்பட்டவர்களுக்கான சிகிச்சை 30 நாட்களுக்கு உள்ளாகத் தொடங்குவது என்பது தான்.  மேலும் இதில் பெரிய பங்களிப்பை அளித்துவருவது ஆயுஷ்மான் பாரத் திட்டம் தான்.  இந்தத் திட்டத்தின் காரணமாக, புற்றுநோயாளிகளில் 90 சதவீதம் பேரால், குறித்த காலத்தில் சிகிச்சையை மேற்கொள்ள முடிகிறது.  இது எப்படி நடந்தது என்றால், முன்பெல்லாம் பணத்தட்டுப்பாடு காரணமாக ஏழை நோயாளிகளால் புற்றுநோய்ப் பரிசோதனையில், சிகிச்சை மேற்கொள்ளத் தயக்கம் காட்டினார்கள்.  இப்போதோ ஆயுஷ்மான் பாரத் திட்டம் அவர்களுக்கு வரப்பிரசாதமாக ஆகியிருக்கிறது.  இப்போது அவர்கள் முன்வந்து சிகிச்சை மேற்கொள்ள வருகிறார்கள்.  ஆயுஷ்மான் பாரதம் திட்டம் புற்றுநோய் சிகிச்சையில் ஏற்படும் பணப்பற்றாக்குறை என்ற பிரச்சனையைக் கணிசமாகக் குறைத்திருக்கிறது.  மேலும் ஒரு நல்ல விஷயம் என்னவென்றால் இன்றைய காலத்தில், புற்றுநோய்க்கான சிகிச்சை தொடர்பாக மக்கள் முன்பை விட அதிக விழிப்புணர்வோடு இருக்கிறார்கள் என்பது தான்.  இந்தச் சாதனைக்கான பாராட்டுக்கள் நமது உடல்பராமரிப்பு முறை, மருத்துவர்கள், செவிலியர்கள், தொழில்நுட்ப பணியாளர்கள், குடிமக்களான சகோதர சகோதரிகள் அனைவருக்கும் சொந்தமானது.  அனைவரின் முயற்சியால் மட்டுமே புற்றுநோயை முறியடிக்கும் உறுதிப்பாடு மேலும் பலப்பட்டிருக்கிறது.  விழிப்புணர்வை உண்டாக்குவதில் தங்களுடைய முதன்மையான பங்களிப்பை அளித்த அனைவருக்கும் கூட இந்த வெற்றிக்கான பாராட்டுக்கள் சேரும்.

 

     புற்றுநோயோடுடனான போராட்டத்தில் ஒரே மந்திரம் – விழிப்புணர்வு, செயல்பாடு, உத்திரவாதம்.  விழிப்புணர்வு அதாவது புற்றுநோய் மற்றும் அதன் அறிகுறிகள் தொடர்பான விழிப்புணர்வு, செயல்பாடு அதாவது காலத்தில் ஆய்வு மற்றும் சிகிச்சை, உத்திரவாதம் அதாவது நோயாளிகளுக்கு அனைத்து உதவிகளும் கிடைக்கும் என்ற நம்பிக்கை.  வாருங்கள், நாமனைவரும் இணைந்து, புற்றுநோய்க்கு எதிரான இந்தப் போரை இன்னும் விரைவாக முன்னெடுத்துச் செல்வோம், அதிக அளவு நோயாளிகளுக்கு உதவுவோம்.

 

     என் மனம்நிறை நாட்டுமக்களே, ஒடிஷாவின் காலாஹாண்டியின் ஒரு முயற்சி குறித்து இன்று நான் உங்களோடு பரிமாறிக்கொள்ள விரும்புகிறேன், குறைந்த நீரில் குறைந்த ஆதாரங்களைத் தாண்டி, எப்படி ஒரு புதிய வெற்றிக்கதை எழுதப்படுகிறது என்பது தான் இது.  இது தான் காலாஹாண்டியின் காய்கறிப் புரட்சி.  இந்த இடத்திலிருந்து, ஒரு காலத்தில் விவசாயிகள் வெளியேறும் நிலைக்குத் தள்ளப்பட்டார்கள்; ஆனால் இங்கே இன்றோ, காலாஹாண்டியின் கோலாமுண்டா தொகுதியே கூட காய்கறி மையமாக ஆகி வருகிறது.  எப்படி நிகழ்ந்தது இந்த மாற்றம்?  இதன் தொடக்கம் வெறும் பத்து விவசாயிகளின் ஒரு சின்ன சமூகத்தில் நடந்தது.  இந்தச் சமூகம் இணைந்து, FPO உற்பத்தியாளர் விவசாயிகள் அமைப்பு ஒன்றை நிறுவினார்கள், விவசாயத்தின் நவீன உத்திகளைப் பயன்படுத்தி இன்று இவர்களின் இந்த உற்பத்தியாளர் விவசாயிகள் அமைப்பு, கோடிக்கணக்கான ரூபாய் அளவுக்கு வியாபாரம் செய்து வருகிறது.  இன்று 200க்கும் மேற்பட்ட விவசாயிகள் இந்த அமைப்போடு இணைந்திருக்கிறார்கள், இதிலே 45 பெண் விவசாயிகளும் அடங்குவார்கள்.  இவர்கள் இணைந்து 200 ஏக்கரில் தக்காளி சாகுபடியை மேற்கொண்டு வருகிறார்கள், 150 ஏக்கர்பரப்பில் பாகற்காயை சாகுபடி செய்கிறார்கள்.   இந்த அமைப்பின் ஆண்டுவருவாயும் கூட ஒண்ணரை கோடியையும் தாண்டி விட்டது.  இன்று காலாஹாண்டியின் காய்கறிகள், ஒடிஷாவின் பல்வேறு மாவட்டங்களில் மட்டுமல்ல, மேலும் பிற மாநிலங்களுக்கும் அனுப்பி வைக்கப்படுகின்றன.  அடுத்து அந்தப்பகுதி விவசாயிகள் இப்போது உருளை, வெங்காயம் ஆகியவற்றை விளைவிக்கும் புதிய உத்திகளைக் கற்கத் தொடங்கி விட்டார்கள்.

    

     நண்பர்களே, காலாஹாண்டியின் இந்த வெற்றி நமக்கெல்லாம் உறுதிப்பாட்டின் சக்தி மற்றும் சமூகமாக இணைந்துபுரியும் முயற்சியால் சாதிக்கக்கூடியவற்றை விளக்குகிறது.  இப்போது நான் உங்களிடம் வேண்டிக் கொள்வதெல்லாம் –

  • உங்களுடைய பகுதியில் விவசாயிகள் உற்பத்தியாளர் அமைப்பை ஊக்கப்படுத்துங்கள்.
  • விவசாயிகள் உற்பத்தியாளர்கள் அமைப்புக்களோடு இணையுங்கள், அவற்றைப் பலப்படுத்துங்கள்.

 

நினைவில் கொள்ளுங்கள், ஒரு சிறிய தொடக்கம் கூட பெரியதொரு மாற்றத்தை ஏற்படுத்த முடியும்.  மனவுறுதியும், கூட்டுமுயற்சியும் மட்டுமே போதுமானது.

 

     நண்பர்களே, இன்றைய மனதின் குரலில் எப்படி நமது பாரதம் பன்முகத்தன்மையில் ஒற்றுமையோடு முன்னேறி வருகிறது என்பதைக் கண்டோம்.  அது விளையாட்டு மைதானமாகட்டும், அறிவியல் களமாகட்டும், உடல்நலம் அல்லது கல்வித் துறையாகட்டும் – அனைத்துத் துறைகளிலும் பாரதம் புதிய சிகரங்களைத் தொட்டு வருகிறது.  நாம் ஓர் குடும்பத்தவரைப் போல இணைந்து, அனைத்துச் சவால்களையும் எதிர்கொண்டு, புதிய வெற்றிகளை ஈட்டியிருக்கிறோம்.   2014ஆம் ஆண்டு தொடங்கப்பட்ட மனதின் குரலின் 116 பகுதிகளைக் காணும் போது, தேசத்தின் சமூகசக்தியின் ஒரு உயிர்ப்புடைய ஆவணமாக மனதின் குரல் ஆகியிருக்கிறது என்பதை என்னால் உணர முடிந்தது.  நீங்கள் அனைவரும்தான் இந்த நிகழ்ச்சியை ஏற்றுக்கொண்டு, உங்களுடையதாக ஆக்கிக் கொண்டீர்கள்.  ஒவ்வொரு மாதமும் நீங்கள் உங்களுடைய கருத்துக்களையும், சிந்தனைகளையும், முயற்சிகளையும் பகிர்ந்து கொண்டீர்கள்.  ஒரு சமயம் ஒரு இளம் படைப்பாளியின் கருத்து நம்மைக் கவர்ந்தது, இன்னொரு சமயத்தில் ஒரு பெண் குழந்தையின் சாதனைகள் நம்மைப் பெருமைப்படச் செய்தன.  உங்களனைவரின் பங்களிப்புதான் தேசத்தின் மூலாமூலைகளெங்கும் இருக்கும் ஆக்கப்பூர்வமான சக்தியை ஒருங்கிணைக்கிறது.  மனதின் குரல் இந்த ஆக்கப்பூர்வமான ஆற்றலை மிகப்படுத்தும் அல்லது மிகுவிக்கும் மேடையாக ஆகியிருக்கிறது.  இப்போது 2025 கதவைத் தட்டிக் கொண்டிருக்கிறது.  வரும் ஆண்டில் மனதின் குரல் வாயிலாக நாம் மேலும் உத்வேகம் அளிக்கும் முயற்சிகளைப் பரிமாறிக் கொள்வோம்.  நாட்டுமக்களின் ஆக்கப்பூர்வமான சிந்தனையும், புதுமைகள் கண்டுபிடிக்கும் உணர்வும் நம் நாட்டை மாபெரும் உயரங்களுக்குக் கொண்டு போகும் என்பதில் எனக்கு நம்பிக்கை உள்ளது.  நீங்கள் உங்களுக்கருகே இருக்கும் தனித்தன்மை வாய்ந்த முயற்சிகளை #Mannkibaat என்பதில் பகிர்ந்து வாருங்கள்.  அடுத்த மாதம் மனதின் குரலில் ஒருவருக்கு ஒருவர் பகிர்ந்து கொள்ள ஏராளமான விஷயங்கள் இருக்கும் என்பதை நான் நன்கறிவேன்.  உங்கள் அனைவருக்கும் 2025ஆம் ஆண்டுக்கான பலப்பல நல்வாழ்த்துக்கள்.  உடல்நலத்தோடு இருங்கள், சந்தோஷமாக இருங்கள், உடலுறுதி இந்தியா இயக்கத்தில் நீங்களனைவரும் உங்களை இணைத்துக் கொள்ளுங்கள், நீங்களும் உடலுறுதியோடு இருங்கள்.  வாழ்க்கையில் தொடர்ந்து முன்னேற்றம் காணுங்கள்.  பலப்பல நன்றிகள்.