PMs remarks at the closing function of the Manipur Sangai Festival

Published By : Admin | November 30, 2014 | 18:04 IST

In his remarks at the closing function of the Manipur Sangai Festival in Imphal today, the Prime Minister said sports was the fulcrum of tremendous economic activity. Several allied disciplines such as nutrition and physiotherapy were associated with sports, and this could boost employment prospects for the youth of Manipur. 

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The Prime Minister made an impassioned plea to free the youth of the state from the menace of drugs. He said the youth of this state, that has the potential to inspire the entire nation through excellence in sports, should not fall prey to drugs. 

On the subject of employment, the Prime Minister said the entire northeast region had the potential to emerge as a hub for call centres. 

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The Prime Minister referred to the requests made by the Chief Minister for improving infrastructure such as roads and hospitals. He said he was happy that the Chief Minister looked forward to this Union Government delivering infrastructure. He said Rs. 60,000 crore had been earmarked in the Union Budget this year for infrastructure in the North-East. He said he would look into each of the requests made and see what could be done about them. He said the Union Government wishes to take the entire Northeast region to new heights of development. The Prime Minister also said that during his recent visit to Myanmar, a lot of attention had been given to improving connectivity between Imphal and Southeast Asia. He said a lot of initiatives had been taken for infrastructure, and the results of these initiatives would be visible in the coming days. 

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The Prime Minister said that by participating in the closing function of the Manipur Sangai Festival, he wants to give a message to the rest of the country about the immense tourism potential of the state. He said tourism and infrastructure went hand in hand, and tourism was a big generator of employment. 

The Prime Minister said he wanted youth from the Northeast to be recruited in the Delhi Police. He also referred to a proposal made by him when he was Chief Minister of Gujarat, for 200 women police personnel from each of the Northeast states to be deployed in Gujarat for 2 years. He said such steps could boost national integration. 

Text of Prime Minister Shri Narendra Modi’s Speech at the closing function of the Manipur Sangai Festival

अभी मुख्यमंत्री जी बहुत सारे विषयों की चर्चा कर रहे थे। रोड नहीं हैं, अस्पताल नहीं हैं, फिल्म डिवीज़न का कुछ नहीं है। ये जब सारी बातें बता रहे थे, तो मुझे मन में बड़ा संतोष हो रहा था कि कम से कम इस मुख्यमंत्री को भरोसा है कि ये सरकार तो कुछ करेगी। और अगर मुख्यमंत्री का मुझ पर इतना भरोसा हो तो फिर मेरा भी मन करता है कि कुछ करना चाहिए। 

इन्होंने जो पोरबंदर सिल्चर रोड की बात कही। जब अटल जी की सरकार थी तो पोरबंदर में उस रोड के प्रारंभ का शिलान्यास मैंने ही किया था, मुख्यमंत्री के नाते। हो सकता है वैसा उद्घाटन करने के लिए मुझे ही यहां आना पड़ेगा। लेकिन, जितनी बातें मुख्यमंत्री जी ने बताई हैं, बहुत महत्वपूर्ण हैं और हम भी चाहते हैं कि पूरा North East ये हमारा अष्टलक्ष्मी का प्रदेश, विकास की नई ऊंचाईयों को पार करे और इसलिए इस बजट में North East के करीब 60,000 करोड़ रूपए से ज्यादा बजट, इस बजट में हमने रखा था क्योंकि हम चाहते हैं कि यहां infrastructure पर बल दें। 

अभी मैं म्यांमार गया तो म्यांमार में जो हमारी bilateral बातचीत हुई, वहां की सरकार के साथ, उसमें अधिकतम चर्चा, इंफाल के साथ कैसे जुड़ना, उसी की हुई है। रोड connectivity हो, air connectivity हो, i-ways का लाभ मिले और म्यांमार सरकार भी सकारात्मक रूप से भारत के साथ infrastructure के काम में, इस इलाके के साथ जुड़ने में बहुत महत्वपूर्ण निर्णय किए हैं। आने वाले दिनों में इसका परिणाम आपको ज़रूर नज़र आएगा। 

आज संगई festival में मुझे आने का इधर सौभाग्य मिला। हमारे देश में tourism के विकास के लिए बहुत संभावना है। विश्व के अंदर किसी देश में कोई tourist जाए और पूरा उस देश में उसको जितना देखने को मिले, जानने को मिले, उससे ज्यादा tourist को हमारे यहां एक एक state में मिल सकता है। एक राज्य में ही महीने भर वो चीज़े देख सकता है, गुन सकता, जान सकता है। और हर राज्य की विशेषता अलग है। यानी कभी-कभी एक tourist अगर हर वर्ष यहां आता है और हर वर्ष एक महीना बिताता है, तो भी एक जनम के अंदर पूरा हिंदुस्तान नहीं देख पाएगा, इतनी विविधताओं से भरा ये हमारा देश है। 

North-East में tourism की बहुत संभावनाएं हैं, मणिपुर में अनेक संभावनाएं हैं। अभी मुख्यमंत्री जी ने याद कराया था पोरबंदर और मैं गुजरात का हूं, याद कराया था। तो गुजरात में द्वारका भी है। जहां द्वारका है वहां कृष्ण हैं। और जहां मणिपुर है, वहां भी कृष्ण हैं। अभी मैंने कृष्ण को जिस रूप में यहां देखा, तो मैं उसी माहौल में पैदा हुआ, पला-बढ़ा हूं तो मुझे तो मणिपुर अपनापन सा महसूस होता है। 

दुनिया में 3 ट्रिलियन डालर की tourism business की संभावना नज़र आ रही है। दुनिया में सबसे तेज़ गति से अगर किसी क्षेत्र का विकास हो रहा है, तो tourism का हो रहा है। कुछ स्थानों पर 40 परसेंट ग्रोथ है tourism की। भारत के पास दूनिया को देने के लिए बहुत कुछ है, दिखाने के लिए बहुत कुछ है, उसको प्रभावित करने के लिए बहुत कुछ है, प्रेरित करने के लिए बहुत कुछ है। लेकिन ये सारा हमारा क्षेत्र untapped पढ़ा हुआ है। हमारी कोशिश है कि भारत की जो विरासत है, विरासत के माध्यम से हम दूनिया को tourism के क्षेत्र में आकर्षित करें।

अब मणिपुर, जिसने पोलो को जन्म दिया! कल आपका यहां पोलो का कार्यक्रम था, मैंने सुना यहां 8 देश के लोग उसमें थे। अब ये, ये आपकी विरासत है। ये दुनिया को कैसे पता चले, दुनिया उसे देखने कैसे आए? ये खेल यहाँ प्रारंभ हुआ, वो क्या था, दुनिया जाने तो! इसलिए मणिपुर का जो सामर्थ है, उस सामर्थ को देश भी जाने, दुनिया भी जाने। और उसमें मैं आपके साथ कंधे से कंधा मिला करके काम करना चाहता हूं। 

मुझे अभी यहाँ के एचआरडी के विभाग के लोग मिले थे, तो मैंने उनसे कहा कि हिंदुस्तान में इतनी universities हैं, क्या हर university से साल में एक बार सौ नौजवान, ज्यादा नहीं कह रहा, सौ नौजवान North East में tourist के नाते जा सकते हैं क्या? आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर हिंदुस्तान की एक university के सौ युवक अगर यहां पर tourist के नाते आएं, North East के इन इलाकों में जाएं, सिर्फ university के स्टूडेंट के कारण यहां का tourism इतना बढ़ सकता है कि जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते। 

उन्होंने इस दिशा में काम शुरू किया है, आने वाले दिनों में नज़र आएगा। यहां पर विविधता इतनी है और मणिपुर तो एक प्रकार से पूरे North East की सांस्कृतिक राजधानी के जैसा है ये प्रदेश। क्या नहीं है आपके पास! नृत्य है, नाट्य है, गीत है, संगीत है, कास्ट्यूम हैं, क्या नहीं है! यानी एक प्रकार से कला की अप्रतिम विरासत की यह धरती है। उस धरती को दुनिया देखे। मेरा आज इस संगई festival से जुड़ने के पीछे, देश को मुझे एक संदेश देना है, कि एक जगह है जहां प्रधानमंत्री जाने को लालयित है, आप भी जाइए। 

कभी-कभी लोग सोचते हैं कि infrastructure होगा तो tourist आएंगे। कोई कहता है कि tourist आएंगे तो infrastructure होगा। दानों बातों में वजन है। लोग आना शुरू करेंगे तो व्यवस्थाएँ विकसित होने लगेंगीं। व्यवस्थाएं विकसित होने लगेंगी, तो लोग आने वाले बढ़ते जाएंगे। और धीरे-धीरे समाज के अंदर अपनेआप एक ताकत होती है वो progressively इन चीज़ों का develop करते हैं, हमने थोड़ा बस friendly environment create करना होता है। 

अगर उचित connectivity मिल जाए तो यहां टूरिस्टों का तांता लग रहेगा। मुझे विश्वास है कि tourism ऐसा क्षेत्र है जो कम से कम पूंजी से ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोज़गार देता है। बहुत पूंजी नहीं लगानी पड़ती। Tourism ऐसा है- चना-सेव बेचने वाला भी कमाता है, पापड़ बेचने वाला भी कमाता है, आटो रिक्शा वाला भी कमाएगा, फूल पौधे बेचने वाला भी कमाएगा, सब्जी बेचने वाला भी कमाएगा, टैक्सी वाला भी कमाएगा, छोटे-छोटे guest-house लेकर के बैठे होंगे वो भी कमाएँगे, home stay की जो व्यवस्था करते होंगे वो भी कमाएंगे, चाय वाला भी कमाएगा। चाय वाला कमाए तो मुझे जरा ज्यादा आनंद होता है। 

कहने का तात्पर्य यह है कि गरीब से गरीब को रोज़गार मिलता है। भारत सरकार ने तय किया है, मणिपुर की ताकत का परिचय करते हुए, हमने निर्णय किया है कि मणिपुर में sports university बनेगी। एक प्रकार से विश्व में खेल-कूद की दुनिया में भारत का नाम कमाने में मणिपुर का बहुत बड़ा योगदान है। मणिपुर के पास ये जो ताकत है, उस ताकत के लिए भारत सरकार जो भी कर सकती है करना चाहती है। क्योंकि यहां inherent यहां के डीएनए में खेल कूद है। मणिपुर में sports है, इतना ही नहीं, मणिपुर में sportsmen spirit भी उतना ही ज्यादा है। पूरे मणिपुर में sportsmen spirit है। और इसलिए, यह पूरे भारत के लिए प्रेरणा बने, ये हमारा प्रयास है। 

कुछ लोगों के दिमाग में ये सोच होती है कि sports university बनती है, मतलब कि अच्छे खिलाड़ी तैयार होते हैं। ऐसा नहीं है। Sports एक बहुत बड़ी economy है। मैदान तैयार करने से ले करके, score board लिखने वाले लोग, उसके data collection करने वाले लोग, food habits की चिंता करने वाले लोग, physiotherapy की चिंता करने वाले लोग, sports के आवश्यक costume बनाने वाले लोग, यानी खेल-खिलाड़ी के पीछे हज़ारों प्रकार के अलग व्यवसाय होते हैं। मुझे मणिपुर के नौजवान - जो खुद शायद खिलाड़ी नहीं बन पाए होंगे, लेकिन वो खेल की दुनिया में पले-बढ़े इसलिए sports university में उनकी प्रोपर ट्रेनिंग से वे कहीं umpire बन सकते हैं, कहीं scorer बन सकते हैं, कहीं बढ़िया sportsman के physiotherapist बन सकते है, कहीं बढ़िया sportsman के dietitian बन सकते हैं, मैदानों की रचना करने वाले बन सकते हैं, मैदान के आर्किटेक्ट बन सकते हैं। एक प्रकार से सर्वांगीण विकास की संभावनाएं स्पोट्र्स युनिवर्सिटी के साथ जुड़ी हुई हैं। वरना कुछ लोगों को लगता है, sports university यानी कि अच्छा चलो यहां खिलाड़ियों की ट्रेनिंग होगी। ऐसा नहीं है। एक पूरा विज्ञान है। एक पूरा अर्थशास्त्र है। एक पूरी रचना - और उसमें technology है, arithmetic है, सब चीज़ है। आप कल्पना कर सकते हैं कि मणिपुर के जीवन में एक university कितना बड़ा बदलाव लाएगी। 

मैं अभी आस्ट्रेलिया गया था, मैंने आस्ट्रेलिया से कहा है कि हमारे मणिपुर में हम जो sports university बना रहे हैं, आस्ट्रेलिया हमारे साथ जुड़े। दुनिया के देशों को मैं यहां जोड़ना चाहता हूं, और उसका लाभ आने वाले दिनों में मिलेगा। 

मणिपुर में यहां के नौजवान को रोज़गार चाहिए और रोज़गार के लिए skill development का महात्मय होना चाहिए। अगर skill development होता है तो उसको अपने आप रोज़गार मिल जाता है। हम skill development पर बल देना चाहते हैं। मैं अभी IT professional से मिला था। मैंने उनको कहा कि आपके call center वगैरह हैदराबाद और बैंगलोर में क्यों चलाते हो? ये मणिपुर में भी चल सकता है, ये नागालैंड में चल सकता है, मेघालय में, मिजोरम में चल सकता है। यहां तो मौसम ऐसा है, कि एयरकंडीशन की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी और यहां के बच्चे English speaking हैं सब, अंग्रेज़ी भाषा जानते हैं। कम से कम खर्च से आप दुनिया के अंदर बढ़िया से बढ़िया call center यहां खड़े कर सकते हो। मैं इसके पीछे लगा हूं, दोस्तों! मैं देखूंगा, किसी न किसी को यहां खींच लाउंगा। इसके कारण यहां के नौजवानों के लिए रोज़गार की संभावनाएं बहुत बढ़ेंगी, उसको मणिपुर छोड़कर जाना नहीं पड़ेगा। 

मैंने एक ये भी सोचा है कि दिल्ली पुलिस में विशेष रूप से North East के बच्चों को पुलीस के रूप में भर्ती किया जाए, उनको अवसर दिया जाए। देश की राजधानी में North East के बच्चे पुलिसिंग करते हों तो पूरी दूनिया को पता चले कि North East के नौजवान हमारी पूरी दिल्ली को कैसे संभालते हैं, उस दिशा में मैं काम करना चाहता हूं। 

मैं जब गुजरात में मुख्यमंत्री था तो इच्छा थी मेरी, जो अधूरी रह गई। अब शायद मैं फिर से कोशिश करूंगा, पूरी हो जाए। मैंने एक इच्छा व्यक्त की थी कि North East के सभी मुख्यमंत्रियों के सामने, जब मैं मुख्यमंत्री था। मैंने कहा था कि North East के हर राज्य से 200 women पुलिस, सब states से 200 women पुलिस, 8 state हैं तो 1600 women पुलिस, दो साल के लिए मैंने कहा, गुजरात में मुझे दीजिए और हर दो साल नई बैच देते रहिए। यानी एक प्रकार से यहां की 1600 बच्चियां दो-दो साल के लिए वहां आएं, पुलिस में काम करें। आप बताइए, कितना बड़ा national integration होगा। 

मैंने ये भी कहा था उस समय कि “Gujaratis are the best tourists”. आप दुनिया में कहीं पर भी जाओ, ‘केम छो’ मिल ही जाएगा। वो ऐसे ही इधर-उधर दुनिया भर में घूमते रहते हैं। पैसे बहुत हैं, खर्च करते रहते हैं। मैंने कहा, ये 1600 बच्चियां गुजरात में पुलिस से नाते रहेंगी, दो साल तो उसको 15-20 परिवारों से तो परिचय हो ही जाएगा। और पक्का! वो 15-20 परिवार यहां पर टूरिस्ट के नाते आएंगे। क्या इन सब चीज़ों को बढ़ावा दिया जा सकता है? मैंने गुजरात के मुख्यमंत्री को कहा है कि मेरा ये प्रस्ताव है कि अगर अभी भी North East से लोग आना चाहते हैं तो गुजरात इनको सलामी के लिए तैयार है। आप कल्पना करिए, कितना बड़ा परिवर्तन आएगा। एक समृद्ध राज्य के साथ, यहां के लोग जुड़ें, कितना परिवर्तन आएगा। 

इसलिए मणिपुर के मेरे भाईयों बहनों! ये संगई समारोह के समापन पर मुख्यमंत्री जी ने जितने विषय रखे हैं, और स्वाभाविक है, मुझ पर भरोसा करके रखे हैं, तो मैं इस भरोसे को निभाने का पूरी तरह प्रयास करने वाले इंसानों में से हूं। उन्होंने जितनी बातें रखी हैं, मैं वहां जा करके डिपार्टमेंट को कहूंगा कि “ज़रा देखिये क्या है इसमें, क्या हो सकता है।“ उसी प्रकार, और जो बातें मैंने बताई हैं, उनको पूरा करने का मेरा प्रयास रहेगा, और मैं चाहूंगा, मणिपुर ने खेल के मैदान में जिस प्रकार से हिंदुस्तान का नाम रौशन किया है, वो विकास के क्षेत्र में भी हिंदुस्तान का सिरमौर बने। 

एक बात की चिंता मुझे सता रही है। वो चिंता मैं व्यक्त करना चाहता हूं। जब मैं सुनता हूं कि मणिपुर का नवयुवा, ड्रग्स का शिकार हुआ है, ये बात मुझे बहुत पीड़ा देती है। उन मां-बापों के प्रति मुझे मन में भारी संवेदना है। ये हम सब का दायित्व है कि हमारी आने वाली पीढ़ी को हम बरबाद न होने दें। हमारे युवकों को तबाह न होने दें। ये रास्ता खतरनाक है। कोई इंसान बरबाद होता है, ऐसा नहीं है, पूरा परिवार तबाह हो जाता है, पूरा परिवार तबाह होता है, ऐसा नहीं है, पूरा समाज और राज्य तबाह हो जाता है। 

इसलिए हम एक सामूहिक जिम्मेवारी उठाएं। ये मणिपुर, जहां भगवान कृष्ण की धरती रही है, जहां कृष्ण की लीला होती है, मणिपुर, जहां हिंदुस्तान को उत्तम से उत्तम खिलाड़ी मिलते हैं, उस मणिपुर में ये बिमारी नहीं होनी चाहिए। ये बिमारी से मणिपुर मुक्त होना चाहिए। यहां का नौजवान मुक्त होना चाहिए। भारत के नाम को अब रौशन करने की ताकत मणिपुर के नौजवान में है। ड्रग्स उसको तबाह कर जाएगा और इसलिए मैं आज जब संगई जैसे एक पवित्र माहौल में आया हूं तब मैं मणिपुर के युवकों से आग्रह कर रहा हूं। मैं जानता हूं, इस आदत में फंसे हुए लागों को निकलना मुश्किल है, लेकिन एक बार फैसला कीजिए, निकल जाओगे दोस्तों! एक बार अपने आपको बचा लीजिए, आपका और आपके परिवार का भला हो जाएगा। 

इतनी अपेक्षा के साथ, मैं फिर एक बार, मणिपुर में मुझे आने का अवसर मिला, आप सबने मेरा स्वागत किया, सम्मान किया, मैं आप सबका बहुत बहुत आभारी हूं। धन्यवाद। 

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।