QuoteA new ray of hope has emerged and an atmosphere of trust has been created: PM Modi
QuoteWhenever someone watched TV two years back, there was news of scams, corruption and frauds but now it has changed: PM Modi
QuoteCongress party has always played politics in the name of poor: PM Modi
QuoteParty that was reduced to merely 40 seats are not letting the Parliament function. Key bills are stuck in Rajya Sabha: PM
QuoteEkta, Shanti and Sadbhavana would take the country to newer heights of progress: PM Modi
Quote#JanDhan Accounts, #MUDRA Yojana strengthening lives of poor at the grassroots: PM Modi
QuoteGovt's decision of MSP on pulses have given much needed strength to farmers in just six months: PM Modi
QuoteIndia’s real strength is in the personal sector: PM Modi
QuoteWe have initiated the #StartupIndia movement to power the dreams of millions of youngsters in the country: PM
QuoteOur aim is to reduce 'job seekers' and promote 'job creators': PM Modi

मंच पर वि‍राजमान सभी वरि‍ष्‍ठ महानुभाव और वि‍शाल संख्‍या में पधारे हुए मेरे प्‍यारे भाइयों और बहनों,

मैं कल्‍पना नहीं कर सकता हूं कि‍ इतना बड़ा वि‍शाल जनसागर! मेरी नज़र जहां तक पहुंचती है, मुझे सि‍र्फ सि‍र ही सि‍र नज़र आते हैं। कोयम्बटूर हो, इरोड हो, ति‍रपुर हो, इन सभी जगहों पर कई वर्षों से मेरा आना-जाना रहा है। कार्यकर्ताओं के साथ, यहां के लोगों के साथ, यहां के सामाजि‍क जीवन में सक्रि‍य के लोगों के साथ कई बार मि‍ल-बैठकर के यहां की समस्‍याओं को जानने का, समझने का प्रयास मैंने कि‍या है। जब मैं गुजरात में मुख्‍यमंत्री भी नहीं था, तब भी मैं यहां आया करता था और आज तमि‍लनाडु में प्रधानमंत्री बनने के बाद आया तो मैं कई बार, लेकि‍न सार्वजनि‍क सभा में बोलने का यह पहला अवसर है। आपने जो स्‍वागत कि‍या है, सम्‍मान कि‍या है, आपने जो प्‍यार दि‍या है, उसके लि‍ए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं।

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मैं आज जब तमि‍लनाडु आया हूं तो कोयम्बटूर की धरती से देशवासि‍यों से प्रार्थना करना चाहता हूं कि‍ पल भर के लि‍ए आप दो साल पुराने उन दि‍नों को ज़रा याद कर लीजि‍ए कि‍ देश की क्‍या हालत उस समय बन गई थी। सुबह टीवी चालू करो, अखबार देखो तो हर दि‍न एक नया घोटाला, एक नया भ्रष्‍टाचार, scam हो, scandal हो, न-जाने अनगि‍नत ऐसी घटनाओं का दौर चल रहा था कि‍ देश नि‍राशा की गर्त में डूब चुका था। यहां के नौजवान उम्‍मीद खो चुके थे और देश का आम नागरि‍क सोच रहा था कि‍ हालात बद से बदतर होते जाएंगे, परेशानि‍यां बढ़ती जाएगी, जि‍न्‍दगी में कुछ करने लायक बचेगा ही नहीं। ऐसी नि‍राशा का माहौल दो साल पहले हमारे सामने था जो आपको याद होगा। अगर नहीं तो ज़रा पुराने अखबार नि‍कालकर के देख लीजि‍ए आपको सब चीजें याद आ जाएंगी।

आज डेढ़ साल के भीतर दि‍ल्‍ली में सरकार बनने के बाद पूरे देश में एक नया वि‍श्‍वास पैदा हुआ है, नई आशा का संचार हुआ है और समाज के हर तबके के लोगों को चाहे गांव में रहते हो, शहर में रहते हो, चाहे पढ़ते हो या नौकरी खोजते हो, चाहे कारखाने में काम करते हो, चाहे खेत में काम करते हो, माताएं-बहने हो, घर में बुजुर्ग हो, हर कि‍सी में यह वि‍श्‍वास पैदा हुआ है कि‍ अब यह देश आगे बढ़कर ही रहेगा और नई ऊंचाइयों को पार करके ही रहेगा।

कुछ लोग बहुत परेशान हैं। उनको बहुत तकलीफ हो रही है। पहले तो तकलीफ यह हो गई कि‍ यह चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री कैसे बन गया और वो भी पूर्ण बहुमत से सरकार कैसे बना ली? 18 महीने हो गए लेकि‍न ये लोग लोकतंत्र की भावनाओं को स्‍वीकार करने के लि‍ए तैयार नहीं है। जनता-जनार्दन के आदेश को स्‍वीकार करने के लि‍ए तैयार नहीं है, अपनी पराजय को स्‍वीकार करने का मन नहीं बना पा रहे और इसलि‍ए उनको दि‍न-रात यह सरकार चुभती है और उनके सि‍पह-सलारों को भी सरकार चुभती है।

गरीबों के नाम पर राजनीति‍ करने वाले, पि‍छड़ों के नाम पर राजनीति‍ करने वाले, वंचि‍तों के नाम पर राजनीति‍ करने वाले, इस बात को सहन नहीं कर पा रहे है कि‍ कोई गरीब मां का बेटा, कोई पि‍छड़ा, कोई वंचि‍त, ये इस देश की बागडोर संभाले, यह बात उनके गले नहीं उतर रही है क्‍योंकि‍ उनको तो गरीबों के नाम पर राजनीति‍ करने के सि‍वाए कुछ करना नहीं है।

पि‍छले डेढ़ साल में एक भी scandal नहीं हुआ है, एक भी scam नहीं हुआ, कहीं ऐसे कोई आरोप नहीं लगे तो इन लोगों को परेशानी है कि‍ करे क्‍या इस मोदी का? लोकसभा के अंदर तो हम काम कर पाते हैं, हो-हल्‍ले के बीच कर पाते हैं, वि‍रोधों के बीच कर पाते हैं लेकि‍न राज्‍यसभा में ऐसे गुस्‍सा नि‍काल रहे हैं, ऐसे गुस्‍सा नि‍काल रहे हैं - मोदी तुझे दि‍खा देंगे, तू प्रधानमंत्री बन गया, अब देखते है तुम्‍हारा क्‍या होता है। ये कोई लोकतंत्र का तरीका है क्‍या? गरीबों की भलाई के नि‍र्णय राज्‍यसभा में अटके पड़े हुए है। क्‍या ये नकारात्‍मकता, ये वि‍रोधवाद, आप की राजनीति‍ कुछ भी हो लेकि‍न कम से कम देश के गरीबों का तो ख्‍याल करो।

आपको हैरानी होगी, जब मैं लोकसभा का चुनाव लड़ रहा था तब मैंने कहा था कि‍ इस देश में कानूनों का इतना जंगल खड़ा कर दि‍या गया है, कानूनों का इतना जंजाल खड़ा कर दि‍या है कि‍ आम आदमी, अनपढ़ आदमी, गरीब आदमी, गांव का आदमी, वो बेचारा उन कानूनों में ऐसा फंसा रहता है कि‍ जहां पहुंचना है वहां पहुंच भी नहीं पाता है। गरीबों के लि‍ए तकलीफ पैदा करने वाले, मुश्‍कि‍ल पैदा करने वाले, कठि‍नाइयां पैदा करने वाले, 1800 कानून मैंने ऐसे खोजकर नि‍काले‍ जि‍नकी कोई जरूरत नहीं है। वो कानून मुझे खत्‍म करने हैं। 700 ऐसे कानूनों को खत्‍म करने का प्रस्‍ताव लोकसभा में पारि‍त हो गया, लेकि‍न राज्‍यसभा में इन्‍हें खत्‍म करने नहीं दि‍या जाता है। राज्‍यसभा चलने नहीं दी जाती है, गरीब के हक को रोकने का पाप हो रहा है वहां पर।

हमारे यहां जो मजदूर काम करता है, जि‍न फैक्‍टरि‍यों में उसको बोनस मि‍लता है, वहां बोनस देने के नि‍यम इतने पुराने हैं, उसके मानदंड इतने पुराने हैं कि‍ आज बेचारे गरीब मजदूर को बोनस में कुछ हाथ नहीं लगता है। बच्‍चों के लि‍ए मि‍ठाई तक खरीद नहीं पाता है। हमने तय कि‍या कानून बदलेंगे और मजदूरों को ज्‍यादा बोनस मि‍ले, उसकी income का standard भी बढ़ाया जाएगा ताकि‍ ज्‍यादा मजदूरों को इसका फायदा मि‍ले। हमने लोकसभा में कानून पारि‍त कि‍या लेकि‍न मजदूरों को बोनस देने वाला यह कानून राज्‍यसभा में अटक गया। मेरे मजदूरों के साथ ऐसा घोर अन्‍याय कि‍या गया।

कुछ लोगों ने तय कि‍या है, हो सके तो इतना झूठ बोलो, जि‍तने झूठे आरोप इस सरकार पर लगा सकते हैं लगाओ। बार-बार झूठ बोलो, जोर-जोर से झूठ बोलो। जहां जाओ वहां झूठ बोलो, हर बात पर झूठ बोलो। एक ऐसा अभि‍यान चला दि‍या है देश के अलग-अलग लोगों को गुमराह करने का, समाज में बि‍खराव पैदा करने का, समाज में भाई-भाई के बीच दीवार पैदा करने का, एक बहुत ही सोची-समझी चाल के तहत देश के टुकड़े-टुकड़े करने का पाप कुछ लोग कर रहे हैं क्‍योंकि‍ उनको लोग सत्‍ता में लाते रहे हैं और यहीं लोग देश तोड़ने पर लगे हुए हैं। पहले कि‍सानों को भड़काने के लि‍ए कोशि‍श की गई, लेकि‍न जब कि‍सानों ने देखा कि‍ यह सरकार एक के बाद एक ऐसे नि‍र्णय यह सरकार ऐसे कर रही है जि‍नसे कि‍सानों का भला होने वाला है।

2014 में मेरी सरकार नई-नई बनी थी। मुझे ढेर सारे मुख्‍यमंत्रि‍यों की चि‍ट्ठि‍यां आती थी। कुछ मुख्‍यमंत्रि‍यों की दो-दो, चार-चार, पांच-पांच चि‍ट्ठि‍यां आती थी और मैं नया-नया प्रधानमंत्री बना था और चि‍ट्ठी कि‍स बात की आती थी? मुख्‍यमंत्री मांग करते थे कि‍ हमारे राज्‍य में कि‍सानों को यूरि‍या चाहि‍ए, भारत सरकार हमें यूरि‍या देने का प्रबंध करे और मुख्‍यमंत्री गुस्‍सा व्‍यक्‍त करते थे भारत सरकार के प्रति‍। दूसरी तरफ, यूरि‍या आता था तो कालेबाजारी में बि‍कता था। यूरि‍या होता था तो कई राज्‍यों में कि‍सानों को कतार लगानी पड़ती थी और पुलि‍स को लाठीचार्ज करना पड़ता था। यह जब मैं प्रधानमंत्री बना, उसके शुरूआत के दि‍नों में ये पुरानी सारी जो वि‍रासत थी वो हमारे नसीब में आई थी।

मेरे कि‍सान भाइयों-बहनों ये 2015 का वर्ष ऐसा गया, कि‍सी मुख्‍यमंत्री को भारत सरकार से यूरि‍या मांगने के लि‍ए चि‍ट्ठी नहीं लि‍खनी पड़ी। इस देश में कहीं पर भी यूरि‍या लेने के लि‍ए गए हुए कि‍सानों पर लाठी चार्ज नहीं हुआ। इस देश के कि‍सी कि‍सान को यूरि‍या कालेबाजारी में खरीदना नहीं पड़ा क्‍योंकि‍ हि‍न्‍दुस्‍तान आजाद होने के बाद पहली बार सबसे ज्‍यादा यूरि‍या फर्टि‍लाइजर का उत्‍पादन 2015 में हुआ।

गन्‍ना कि‍सान, यहां पर भी गन्‍ना के कि‍सान है अगल-बगल में। चीनी की मि‍ले गन्‍ना कि‍सान को पैसे देते नहीं। देशभर में गन्‍ना कि‍सान के पैसे बकाया है। चीनी का उत्‍पादन ज्‍यादा हो गया। दुनि‍या के बाजार में चीनी कोई लेने वाला नहीं है। चीनी का दाम गि‍र गि‍या। फैक्‍टरी वाले कि‍सान को पैसे नहीं दे रहे, ये दृश्‍य कई वर्षों से चलता रहा है। गन्‍ना कि‍सान अपने पैसों के लि‍ए बेचारे तरसते रहते है। इन गन्‍ना कि‍सानों की मदद करने के लि‍ए भारत सरकार ने 6,000 करोड़ रुपए का पैकेज दि‍या, लेकि‍न हमने तय किया कि‍ हम चीनी मालि‍कों को ये पैसे नहीं देंगे। हम जनधन account में, कि‍सान के खाते में सीधे पैसा जमा करवाएंगे और इस देश में पहली बार कि‍सानों को direct पैसा देने की हमने व्‍यवस्‍था करवाई।

इतना ही नहीं, हमने Export policy में बदलाव कि‍या। हमने raw sugar के लि‍ए नए नि‍यम बनाए। हमने import के ऊपर कड़े प्रति‍बंध लगाने की व्‍यवस्‍था की। इन सब का परि‍णाम यह आया कि‍ आज हम कि‍सान को मदद कर सके, इस स्‍थि‍ति‍ में पहुंच गए।

सबसे बड़ा नि‍र्णय कि‍या bio fuel बनाने का। इथनॉल बनाने का नि‍र्णय कि‍या और वो पेट्रोल के अंदर, डीजल में mix करने की दि‍शा में आगे बढ़े और आज sugar फैक्‍टरि‍यों में से इथनॉल बनता है, उसके कारण जो कि‍सान बेचारा sugarcane पैदा करता था, उसको जो कठि‍नाई होती थी, उसको मुक्‍ति‍ मि‍ल जाए, ऐसा एक लंबे अरसे के लि‍ए फायदा होने वाला फैसला  सरकार ने लि‍‍या।

इस देश में Pulses, दाल वगैरह उसकी खेती कि‍सान कम कर रहा था। ज्‍यादा से ज्‍यादा गेहूं और चावल तक जाता था क्‍योंकि‍ MSP में उसको पैसा मि‍लना तय होता था। देश को दाल की जरूरत थी, pulses की जरूरत थी। गरीब आदमी को खाने के लि‍ए दाल चाहि‍ए। अगर उसके शरीर में प्रोटीन चाहि‍ए तो उसके लि‍ए दाल खाना जरूरी है। सरकार ने एक बहुत बड़ा नि‍र्णय कि‍या, गरीबों के लि‍ए कि‍या, कि‍सानों के लि‍ए कि‍या कि‍ अब pulses में भी MSP रहेगी, minimum support price रहेगी, इतना ही नहीं उसको purchase करने का काम सरकार ने कि‍या और इसके कारण पहली बार देश का कि‍सान अब pulses की खेती में आगे बढ़ रहा है और आने वाले दि‍नों में देश को जि‍स प्रकार की pulses की जरूरत है उस pulses की requirement मेरे देश का कि‍सान पूरी करने के लि‍ए तैयारी कर रहा है।  

पहले कोई प्राकृति‍क आपदा होती थी तो कि‍सान को मुआवजा मि‍लने में दि‍क्‍कत होती थी। नि‍यम इतने पुराने थे कि‍ कि‍सान के हाथ कुछ लगता नहीं था। हमारी सरकार आने के बाद प्राकृति‍क आपदा में कि‍सानों को मदद करने के सारे नि‍यम बदल दि‍ए और पूरे हि‍न्‍दुस्‍तान के कि‍सानों ने दि‍ल्‍ली में बैठी हुई सरकार की तारीफ की कि‍ इस प्राकृति‍क आपदा से नि‍पटने की ताकत हम को सरकार ने दी है। अब मुसीबतों से झेल जाने के लि‍ए हम तैयार हो गए है।

हमारे देश का कि‍सान, Crop Insurance में कभी जुड़ना नहीं चाहता था। इतनी सरकारें आई, इतनी Crop Insurance की योजनाएं आई, 20 percent से ज्‍यादा देश का‍ कि‍सान Crop Insurance नहीं करवाता था क्‍योंकि‍ Insurance के नि‍यमों में गड़बड़ थी। कि‍सान को पैसा बहुत लेना पड़ता था। हमने इस बार इतना महत्‍वपूर्ण नि‍र्णय कि‍या है कि‍ कि‍सान सि‍र्फ डेढ percent में अपना Insurance ले सकता है। मैं चाहता हूं कि‍ जो भी मेरी बात सुनते हैं, कि‍सानों की मदद करने के लि‍ए, कि‍सानों को Insurance लेने के लि‍ए प्रेरि‍त कीजि‍ए, उसकी जि‍न्‍दगी में कभी कोई संकट आएगा तो सरकार उसके साथ पूरी तरह खड़ी रहेगी।

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60 साल में जो कि‍सानों को नहीं मि‍ला था वो 16 महीने के भीतर-भीतर कि‍सानों को मि‍ल गया और उसके कारण कुछ लोगों की नींद उड़ गई है, उनको लग रहा है ये मोदी का क्‍या करे, ये तो कि‍सानों की सेवा में लग गया, इसके कारण उनको नींद नहीं आती है। पि‍छले दि‍नों हमने बाबा साहेब डॉ. अम्‍बेडकर की 125वीं जयंती मनाई। भारत रत्‍न बाबा साहेब डॉ. अम्‍बेडकर का हमने गौरवगान कि‍या। पहली बार डॉ. बाबा साहेब अम्‍बेडकर के सम्‍मान में हमने सि‍क्‍के नि‍काले, postal stamp नि‍काला, पार्लि‍यामेंट में दो दि‍न के लि‍ए संवि‍धान और बाबा साहेब डॉ. अम्‍बेडकर की 125वीं जयंती पर debate की। लंदन के बाबा साहेब अम्‍बेडकर जहां पढ़ते थे, वो मकान सरकार ने लि‍या, स्‍मारक बनाया, मुंबई में Indu mill जहां बाबा साहेब ने आखि‍री सांस ली, अंति‍म क्रि‍या हुई थी, उस चैत्‍य भूमि‍ को बनाने के लि‍ए Indu mill हमने बाबा साहेब अम्‍बेडकर की स्‍मृति‍ में दे दी। हमने दि‍ल्‍ली में बाबा साहेब अम्‍बेडकर के लि‍ए दो भव्‍य स्‍मारक बनाने की दि‍शा में कदम उठाए। बाबा साहेब अम्‍बेडकर, जि‍नको पूरी तरह भुला दि‍या गया था। बाबा साहेब अम्‍बेडकर जि‍नके वि‍चारों को दबोच दि‍या गया था। उस बाबा साहेब अम्‍बेडकर के लि‍ए एक के बाद एक जब हम काम करने लगे दलि‍त, पीड़ि‍त, शोषि‍त, वंचि‍तों के लि‍ए काम करने लगे तो ये भड़क गए। उनको लगता था ये तो हमारा ठेका था, ये तो हमारे वोट है। अब मोदी बाबा साहेब अम्‍बेडकर की पूजा करने लग गया है। मोदी बाबा साहेब अम्‍बेडकर के 125 साल मना रहा है। मोदी बाबा साहेब अम्‍बेडकर के सि‍क्‍के नि‍काल रहा है। मोदी बाबा साहेब अम्‍बेडकर के नाम पर पार्लि‍यामेंट चला रहा है, चर्चाएं कर रहा है। अब मोदी से दलि‍तों को जाने से रोकना पड़ेगा, दलि‍तों को पीछे लेना पड़ेगा और इसलि‍ए दलि‍तों के नाम पर झूठ फैलाया जा रहा है। लोगों की आंख में धूल झोंकी जा रही है और मेरे दलि‍त, पीड़ि‍त, शोषि‍त, वंचि‍त भाइयों को भड़काने का पाप कि‍या जा रहा है।

दलि‍तों, पीड़ि‍तों, शोषि‍तों, वंचि‍तों, उनको भड़काने के लि‍ए झूठ फैलाया जा रहा है कि‍ मोदी reservation खत्‍म कर देने वाला है। ऐसे झूठ फैलाने वाले लोगों को मैं कहना चाहता हूं। हमारे तत्‍व ज्ञान को समझने की कोशि‍श कीजि‍ए। शरीर कि‍तना मजबूत क्‍यों न हो, ऊंचाई अच्‍छी हो, वजन अच्‍छा हो, जेब में पैसे भरपूर हो, सब कुछ हो, खाना बढ़ि‍या खाता हो, सब कुछ हो, लेकि‍न अगर एक हाथ दुर्बल हो तो उस शरीर को कभी स्‍वस्‍थ नहीं कहा जाता। एक आंख अगर दुर्बल हो तो उस शरीर को भी स्‍वस्‍थ नहीं कहा जाता। संपूर्ण भारत माता तब स्‍वस्‍थ होती है जब मेरे सवा सौ करोड़ देशवासी स्‍वस्‍थ होते हैं। मेरे दलि‍त ताकतवर होते हैं, मेरे पीड़ि‍त ताकतवर होते हैं, मेरे वंचि‍त ताकतवर होते हैं। समाज का दबा हुआ वर्ग 60 साल से जो वि‍कास की प्रतीक्षा कर रहा है, उसको अगर अवसर नहीं मि‍लेगा तो देश कभी आगे नहीं बढ़ेगा और इसलि‍ए हमारी प्राथमि‍कता है गरीबों का भला, दलि‍तों का भला, वंचि‍तों का भला, शोषि‍तों का भला। इसी को लेकर के हम काम कर रहे हैं।

जो लोग आरक्षण के नाम पर झूठ फैला रहे हैं, भ्रम फैला रहे हैं। सरकार को कठघरे में खड़ा करने के लि‍ए समाज को बहका रहे है, मैं उन लोगों को कह रहा हूं कान खोलकर सुन लीजि‍ए। जब तक बाबा साहेब अम्‍बेडकर का नाम रहेगा, इस देश में कोई कि‍सी की अमानत नहीं हटा सकता, कोई reservation नहीं हटा सकता। बाबा साहेब अम्‍बेडकर की अमरता से जुड़ा हुआ है और इस पर कोई हाथ नहीं लगा पाएगा, ये मैं देशवासि‍यों को वि‍श्‍वास दि‍लाना चाहता हूं।

भाइयों-बहनों देश को आगे बढ़ना है तो देश में एकता चाहि‍ए, सद्भावना चाहि‍ए, शांति‍ चाहि‍ए, यही राजमार्ग है जो वि‍कास की नई ऊंचाइयों को पार करने के लि‍ए इसकी पहली शर्त होती है। आज दुनि‍या की कोई भी रि‍पोर्ट देख लीजि‍ए, World bank रि‍पोर्ट हो, IMF की रि‍पोर्ट हो, credit agencies की रि‍पोर्ट हो, सारी दुनि‍या एक स्‍वर से कह रही है कि‍ दुनि‍या की जि‍तनी भी बड़ी economy है, उसमें कोई तेज गति‍ से आगे बढ़ने वाली economy है जि‍सकी GDP तेज गति‍ से आगे बढ़ रही है तो उस देश का नाम है हि‍न्‍दुस्‍तान मेरे प्‍यारों, हि‍न्‍दुस्‍तान।

मेरे नौजवान मि‍त्रों, इस देश का सौभाग्‍य है कि‍ आज हमारे देश में 65 प्रति‍शत जनसंख्‍या 35 से कम आयु की है। हमारा देश जवान है, हमारे जवानों के सपने भी जवान है और इसलि‍ए देश की दौड़ने की ताकत भी जवानों जैसी है। हमने ‘मेक इन इंडि‍या’ का अभि‍यान चलाया है। ‘मेक इन इंडि‍या’ का अभि‍यान इसलि‍ए चलाया है ताकि‍ हि‍न्‍दुस्‍तान में पूंजी आए, कारखाने लगे और मेरे नौजवानों को रोजगार मि‍ले और उस दि‍शा में बहुत तेजी से काम आगे बढ़ रहा है। मुझे खुशी होती है कि‍ पि‍छले दि‍नों मेरे पास जानकारी आई कि‍ Foreign Direct Investment में 39% इजाफा हुआ, 39% increase हुआ है।

देश में जब भी economy की बात होती है, दो ही वि‍षयों की चर्चा होती है – प्राइवेट सेक्‍टर, पब्‍लि‍क सेक्‍टर। मैंने उसे एक कदम और आगे बढ़ा दि‍या है। यह देश प्राइवेट सेक्‍टर अपना काम करेंगे, पब्‍लि‍क सेक्‍टर अपना काम करेंगे, देश की ताकत तो पर्सनल सेक्‍टर में है और मेरी सरकार पर्सनल सेक्‍टर को बढ़ावा देना चाहती है। एक-एक व्‍यक्‍ति‍ को entrepreneur बनाना चाहती है। Job seeker नहीं Job-creator बने, ऐसे नौजवान करना चाहता हूं मैं तैयार।

और इसलि‍ए सरकार ने मुद्रा योजना चालू की है। पहले हमने जन-धन account खोले। अब मुद्रा योजना चालू की है। उस मुद्रा योजना के तहत सामान्‍य आदमी – सब्‍जी बेचने वाला हो, कपड़ों की इस्‍त्री करने वाला धोबी हो, बाल काटने वाला नाई हो, अखबार बेचने वाला हो, दूध बेचने वाला हो, चाय बेचने वाला हो, पकौड़े बेचने वाला हो। सामान्‍य मानवि‍की, उनको पैसे चाहि‍ए पैसे मि‍लते नहीं है, साहूकार ब्‍याज लेता है और उनकी जि‍न्‍दगी में कभी अच्‍छे दि‍न नहीं आते हैं।

भाइयों-बहनों मुद्रा योजना के तहत हमने ऐसे गरीबों को कि‍सी भी प्रकार की गारंटी के बि‍ना रुपए देना शुरू कर दि‍या और उसका परि‍णाम यह आया कि‍ दो करोड़ से ज्‍यादा परि‍वारों को पैसा मि‍ला। 95,000 करोड़ रुपए से ज्‍यादा पैसा मि‍ला और वे अपने पैरों पर खड़े हुए, खुद का तो पेट भरते हैं और भी दो-तीन लोगों को काम पर लगाकर के उनका भी पेट भरना शुरू कि‍या है।

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इतना ही नहीं, देश के नौजवानों को हुनर सि‍खाने के लि‍ए अलग skill department बनाया। Skill development के लि‍ए अभि‍यान चलाया। दुनि‍या के जि‍न देशों में Skill development में ताकत है उनको भी जोड़ने का प्रयास कि‍या। देश के करोड़ों-करोड़ों नौजवानों के हाथ में skill देना, हुनर देना, उसका एक बहुत बड़ा अभि‍यान चलाया है ताकि‍ कभी इस नौजवान को रोजगार के लि‍ए तड़पना न पड़े।

उसी प्रकार से, सरकारी नौकरि‍यों में अगर पहचान नहीं है, रि‍श्‍तेदारी नहीं है, कोई जानकार नहीं है, कोई दलाल नहीं है, कोई corruption के पैसे नहीं है तो नौजवान इंटरव्‍यू में फेल हो जाते थे, उनको नौकरी नहीं मि‍लती थी। दि‍ल्‍ली में बैठी हुई सरकार ने महत्‍वपूर्ण नि‍र्णय कि‍या, तीसरे और चौथे वर्ग के कर्मचारि‍यों का कोई इंटरव्‍यू नहीं होगा। उसके exam के merit के आधार पर उसको नौकरी दे दी जाएगी। भारत सरकार ने बहुत बड़ा फैसला कि‍या। भ्रष्‍टाचार भी गया और हमारे नौजवानों को कि‍सी के पीछे-पीछे जो लगना पड़ता था और अपने रुपए जाते थे, सम्‍मान जाता था, उनको बचाने का एक बहुत बड़ा काम इस नि‍र्णय से हमने कर दि‍या।

हमने एक अभि‍यान चलाया ‘स्‍टार्ट-अप इंडि‍या, स्‍टैंड-अप इंडि‍या’। हमारे देश के नौजवानों के पास बुद्धि‍ है, क्षमता है। वे अपने पैरों पर नई चीज करने को तैयार है और इन दि‍नों भारत में वो ताकत है, वो दुनि‍या का स्‍टार्ट-अप capital बन सकता है। हमारे नौजवान हि‍म्‍मत के साथ नए प्रयोग करने के लि‍ए तैयार है, innovation करने के लि‍ए तैयार है, नए तरीके ढूंढने के लि‍ए तैयार है और इन दि‍नों जीवन के हर क्षेत्र में innovation करके नौजवान नए-नए स्‍टार्ट अप्‍स शुरू कर रहे है और बड़े-बड़े सपने लेकर के सही दि‍शा में मजबूत कदम रख रहे हैं।

मेरे प्‍यारे नौवान दोस्‍तों, भारत की जो युवा शक्‍ति‍ है उसके लि‍ए नए-नए अवसर पैदा करना, उनकी शक्‍ति‍ को लेकर के आगे बढ़ाना। चाहे देश का कि‍सान हो, चाहे दलि‍त, पीड़ि‍त, शोषि‍त, वंचि‍त समाज हो, हमारी माताएं-बहनें हो, हमारी खेती हो, हमारा पशुधन हो, हमारे नौजवान हो, सबको साथ लेकर के एक नई ताकत के साथ भारत आगे बढ़ना चाहता है, आपके सपनों को पूरा करना चाहता है और हमारी तरफ से मेहनत करने में कोई कमी नहीं रहती, दि‍न-रात लगे रहते हैं। इस देश को आगे ले जाने के लि‍ए मुझे आपका साथ और सहकार चाहि‍ए।

मैंने तो बहुत थोड़ी चीजें बताई हैं, लेकि‍न पि‍छले डेढ़ साल में कभी एक दि‍न ऐसा नहीं गया कि‍ कोई न कोई अच्‍छा काम न कि‍या हो, कोई अच्‍छा initiative न लि‍या हो, सारी बातें मैं बताऊं तो मुझे महीनों तक कभी रोडों में रहकर के बताने के लि‍ए बैठे रहना पड़ेगा, इतने सारे काम करने का हमें सौभाग्‍य मि‍ला है। मैं फि‍र एक बार आपके समर्थन के लि‍ए, आपके आशीर्वाद के लि‍ए आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। फि‍र एक बार इस वि‍राट जनसभा के लि‍ए आप लोगों को कोटि‍-कोटि‍ धन्‍यवाद। वणक्‍कम। दोनों मुट्ठी बंद करके मेरे साथ बोलि‍ए भारत माता की जय। ताकत इतनी चाहि‍ए कि‍ पूरे तमि‍लनाडु में सुनाई दे, बगल में केरल में भी सुनाई दे।

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय। बहुत-बहुत धन्‍यवाद। वणक्‍कम।

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Urban areas are our growth centres, we will have to make urban bodies growth centres of economy: PM Modi in Gandhinagar
May 27, 2025
QuoteTerrorist activities are no longer proxy war but well thought out strategy, so the response will also be in a similar way: PM
QuoteWe believe in ‘Vasudhaiva Kutumbakam’, we don’t want enemity with anyone, we want to progress so that we can also contribute to global well being: PM
QuoteIndia must be developed nation by 2047,no compromise, we will celebrate 100 years of independence in such a way that whole world will acclaim ‘Viksit Bharat’: PM
QuoteUrban areas are our growth centres, we will have to make urban bodies growth centres of economy: PM
QuoteToday we have around two lakh Start-Ups ,most of them are in Tier2-Tier 3 cities and being led by our daughters: PM
QuoteOur country has immense potential to bring about a big change, Operation sindoor is now responsibility of 140 crore citizens: PM
QuoteWe should be proud of our brand “Made in India”: PM

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

क्यों ये सब तिरंगे नीचे हो गए हैं?

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

मंच पर विराजमान गुजरात के गवर्नर आचार्य देवव्रत जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्र में मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी मनोहर लाल जी, सी आर पाटिल जी, गुजरात सरकार के अन्य मंत्री गण, सांसदगण, विधायक गण और गुजरात के कोने-कोने से यहां उपस्थित मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

मैं दो दिन से गुजरात में हूं। कल मुझे वडोदरा, दाहोद, भुज, अहमदाबाद और आज सुबह-सुबह गांधी नगर, मैं जहां-जहां गया, ऐसा लग रहा है, देशभक्ति का जवाब गर्जना करता सिंदुरिया सागर, सिंदुरिया सागर की गर्जना और लहराता तिरंगा, जन-मन के हृदय में मातृभूमि के प्रति अपार प्रेम, एक ऐसा नजारा था, एक ऐसा दृश्य था और ये सिर्फ गुजरात में नहीं, हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने में है। हर हिन्दुस्तानी के दिल में है। शरीर कितना ही स्वस्थ क्यों न हो, लेकिन अगर एक कांटा चुभता है, तो पूरा शरीर परेशान रहता है। अब हमने तय कर लिया है, उस कांटे को निकाल के रहेंगे।

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साथियों,

1947 में जब मां भारती के टुकड़े हुए, कटनी चाहिए तो ये तो जंजीरे लेकिन कांट दी गई भुजाएं। देश के तीन टुकड़े कर दिए गए। और उसी रात पहला आतंकवादी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ। मां भारती का एक हिस्सा आतंकवादियों के बलबूते पर, मुजाहिदों के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया। अगर उसी दिन इन मुजाहिदों को मौत के घाट उतार दिया गया होता और सरदार पटेल की इच्छा थी कि पीओके वापस नहीं आता है, तब तक सेना रूकनी नहीं चाहिए। लेकिन सरदार साहब की बात मानी नहीं गई और ये मुजाहिदीन जो लहू चख गए थे, वो सिलसिला 75 साल से चला है। पहलगाम में भी उसी का विकृत रूप था। 75 साल तक हम झेलते रहे हैं और पाकिस्तान के साथ जब युद्ध की नौबत आई, तीनों बार भारत की सैन्य शक्ति ने पाकिस्तान को धूल चटा दी। और पाकिस्तान समझ गया कि लड़ाई में वो भारत से जीत नहीं सकते हैं और इसलिए उसने प्रॉक्सी वार चालू किया। सैन्‍य प्रशिक्षण होता है, सैन्‍य प्रशिक्षित आतंकवादी भारत भेजे जाते हैं और निर्दोष-निहत्थे लोग कोई यात्रा करने गया है, कोई बस में जा रहा है, कोई होटल में बैठा है, कोई टूरिस्‍ट बन कर जा रहा है। जहां मौका मिला, वह मारते रहे, मारते रहे, मारते रहे और हम सहते रहे। आप मुझे बताइए, क्या यह अब सहना चाहिए? क्या गोली का जवाब गोले से देना चाहिए? ईट का जवाब पत्थर से देना चाहिए? इस कांटे को जड़ से उखाड़ देना चाहिए?

साथियों,

यह देश उस महान संस्कृति-परंपरा को लेकर चला है, वसुधैव कुटुंबकम, ये हमारे संस्कार हैं, ये हमारा चरित्र है, सदियों से हमने इसे जिया है। हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। हम अपने पड़ोसियों का भी सुख चाहते हैं। वह भी सुख-चैन से जिये, हमें भी सुख-चैन से जीने दें। ये हमारा हजारों साल से चिंतन रहा है। लेकिन जब बार-बार हमारे सामर्थ्य को ललकारा जाए, तो यह देश वीरों की भी भूमि है। आज तक जिसे हम प्रॉक्सी वॉर कहते थे, 6 मई के बाद जो दृश्य देखे गए, उसके बाद हम इसे प्रॉक्सी वॉर कहने की गलती नहीं कर सकते हैं। और इसका कारण है, जब आतंकवाद के 9 ठिकाने तय करके 22 मिनट में साथियों, 22 मिनट में, उनको ध्वस्त कर दिया। और इस बार तो सब कैमरा के सामने किया, सारी व्यवस्था रखी थी। ताकि हमारे घर में कोई सबूत ना मांगे। अब हमें सबूत नहीं देना पड़ रहा है, वो उस तरफ वाला दे रहा है। और मैं इसलिए कहता हूं, अब यह प्रॉक्सी वॉर नहीं कह सकते इसको क्योंकि जो आतंकवादियों के जनाजे निकले, 6 मई के बाद जिन का कत्ल हुआ, उस जनाजे को स्टेट ऑनर दिया गया पाकिस्तान में, उनके कॉफिन पर पाकिस्तान के झंडे लगाए गए, उनकी सेना ने उनको सैल्यूट दी, यह सिद्ध करता है कि आतंकवादी गतिविधियां, ये प्रॉक्सी वॉर नहीं है। यह आप की सोची समझी युद्ध की रणनीति है। आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा। हम अपने काम में लगे थे, प्रगति की राह पर चले थे। हम सबका भला चाहते हैं और मुसीबत में मदद भी करते हैं। लेकिन बदले में खून की नदियां बहती हैं। मैं नई पीढ़ी को कहना चाहता हूं, देश को कैसे बर्बाद किया गया है? 1960 में जो इंडस वॉटर ट्रीटी हुई है। अगर उसकी बारीकी में जाएंगे, तो आप चौक जाएंगे। यहाँ तक तय हुआ है उसमें, कि जो जम्मू कश्मीर की अन्‍य नदियों पर डैम बने हैं, उन डैम का सफाई का काम नहीं किया जाएगा। डिसिल्टिंग नहीं किया जाएगा। सफाई के लिए जो नीचे की तरफ गेट हैं, वह नहीं खोले जाएंगे। 60 साल तक यह गेट नहीं खोले गए और जिसमें शत प्रतिशत पानी भरना चाहिए था, धीरे-धीरे इसकी कैपेसिटी काम हो गई, 2 परसेंट 3 परसेंट रह गया। क्या मेरे देशवासियों को पानी पर अधिकार नहीं है क्या? उनको उनके हक का पानी मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए क्या? और अभी तो मैंने कुछ ज्यादा किया नहीं है। अभी तो हमने कहा है कि हमने इसको abeyance में रखा है। वहां पसीना छूट रहा है और हमने डैम थोड़े खोल करके सफाई शुरू की, जो कूड़ा कचरा था, वह निकाल रहे हैं। इतने से वहां flood आ जाता है।

साथियों,

हम किसी से दुश्मनी नहीं चाहते हैं। हम सुख-चैन की जिंदगी जीना चाहते हैं। हम प्रगति भी इसलिए करना चाहते हैं कि विश्व की भलाई में हम भी कुछ योगदान कर सकें। और इसलिए हम एकनिष्ठ भाव से कोटि-कोटि भारतीयों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं। कल 26 मई था, 2014 में 26 मई, मुझे पहली बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने का अवसर मिला। और तब भारत की इकोनॉमी, दुनिया में 11 नंबर पर थी। हमने कोरोना से लड़ाई लड़ी, हमने पड़ोसियों से भी मुसीबतें झेली, हमने प्राकृतिक आपदा भी झेली। इन सब के बावजूद भी इतने कम समय में हम 11 नंबर की इकोनॉमी से चार 4 नंबर की इकोनॉमी पर पहुंच गए क्योंकि हमारा ये लक्ष्य है, हम विकास चाहते हैं, हम प्रगति चाहते हैं।

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और साथियों,

मैं गुजरात का ऋणी हूं। इस मिट्टी ने मुझे बड़ा किया है। यहां से मुझे जो शिक्षा मिली, दीक्षा मिली, यहां से जो मैं आप सबके बीच रहकर के सीख पाया, जो मंत्र आपने मुझे दिए, जो सपने आपने मेरे में संजोए, मैं उसे देशवासियों के काम आए, इसके लिए कोशिश कर रहा हूं। मुझे खुशी है कि आज गुजरात सरकार ने शहरी विकास वर्ष, 2005 में इस कार्यक्रम को किया था। 20 वर्ष मनाने का और मुझे खुशी इस बात की हुई कि यह 20 साल के शहरी विकास की यात्रा का जय गान करने का कार्यक्रम नहीं बनाया। गुजरात सरकार ने उन 20 वर्ष में से जो हमने पाया है, जो सीखा है, उसके आधार पर आने वाले शहरी विकास को next generation के लिए उन्होंने उसका रोडमैप बनाया और आज वो रोड मैप गुजरात के लोगों के सामने रखा है। मैं इसके लिए गुजरात सरकार को, मुख्यमंत्री जी को, उनकी टीम को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

हम आज दुनिया की चौथी इकोनॉमी बने हैं। किसी को भी संतोष होगा कि अब जापान को भी पीछे छोड़ कर के हम आगे निकल गए हैं और मुझे याद है, हम जब 6 से 5 बने थे, तो देश में एक और ही उमंग था, बड़ा उत्साह था, खासकर के नौजवानों में और उसका कारण यह था कि ढाई सौ सालों तक जिन्होंने हम पर राज किया था ना, उस यूके को पीछे छोड़ करके हम 5 बने थे। लेकिन अब चार बनने का आनंद जितना होना चाहिए उससे ज्यादा तीन कब बनोगे, उसका दबाव बढ़ रहा है। अब देश इंतजार करने को तैयार नहीं है और अगर किसी ने इंतजार करने के लिए कहा, तो पीछे से नारा आता है, मोदी है तो मुमकिन है।

और इसलिए साथियों,

एक तो हमारा लक्ष्य है 2047, हिंदुस्तान विकसित होना ही चाहिए, no compromise… आजादी के 100 साल हम ऐसे ही नहीं बिताएंगे, आजादी के 100 साल ऐसे मनाएंगे, ऐसे मनाएंगे कि दुनिया में विकसित भारत का झंडा फहरता होगा। आप कल्पना कीजिए, 1920, 1925, 1930, 1940, 1942, उस कालखंड में चाहे भगत सिंह हो, सुखदेव हो, राजगुरु हो, नेताजी सुभाष बाबू हो, वीर सावरकर हो, श्यामजी कृष्ण वर्मा हो, महात्मा गांधी हो, सरदार पटेल हो, इन सबने जो भाव पैदा किया था और देश की जन-मन में आजादी की ललक ना होती, आजादी के लिए जीने-मरने की प्रतिबद्धता ना होती, आजादी के लिए सहन करने की इच्छा शक्ति ना होती, तो शायद 1947 में आजादी नहीं मिलती। यह इसलिए मिली कि उस समय जो 25-30 करोड़ आबादी थी, वह बलिदान के लिए तैयार हो चुकी थी। अगर 25-30 करोड़ लोग संकल्पबद्ध हो करके 20 साल, 25 साल के भीतर-भीतर अंग्रेजों को यहां से निकाल सकते हैं, तो आने वाले 25 साल में 140 करोड़ लोग विकसित भारत बना भी सकते हैं दोस्तों। और इसलिए 2030 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, मैं समझता हूं कि हमने अभी से 30 में होंगे, 35… 35 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, हमने अभी से नेक्स्ट 10 ईयर का पहले एक प्लान बनाना चाहिए कि जब गुजरात के 75 होंगे, तब गुजरात यहां पहुंचेगा। उद्योग में यहां होगा, खेती में यहां होगा, शिक्षा में यहां होगा, खेलकूद में यहां होगा, हमें एक संकल्प ले लेना चाहिए और जब गुजरात 75 का हो, उसके 1 साल के बाद जो ओलंपिक होने वाला है, देश चाहता है कि वो ओलंपिक हिंदुस्तान में हो।

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और इसलिए साथियों,

जिस प्रकार से हमारा यह एक लक्ष्य है कि हम जब गुजरात के 75 साल हो जाए। और आप देखिए कि जब गुजरात बना, उस समय के अखबार निकाल दीजिए, उस समय की चर्चाएं निकाल लीजिए। क्या चर्चाएं होती थी कि गुजरात महाराष्ट्र से अलग होकर क्या करेगा? गुजरात के पास क्या है? समंदर है, खारा पाठ है, इधर रेगिस्तान है, उधर पाकिस्तान है, क्या करेगा? गुजरात के पास कोई मिनरल्स नहीं, गुजरात कैसे प्रगति करेगा? यह ट्रेडर हैं सारे… इधर से माल लेते हैं, उधर बेचते हैं। बीच में दलाली से रोजी-रोटी कमा करके गुजारा करते हैं। क्‍या करेंगे ऐसी चर्चा थी। वही गुजरात जिसके पास एक जमाने में नमक से ऊपर कुछ नहीं था, आज दुनिया को हीरे के लिए गुजरात जाना जाता है। कहां नमक, कहां हीरे! यह यात्रा हमने काटी है। और इसके पीछे सुविचारित रूप से प्रयास हुआ है। योजनाबद्ध तरीके से कदम उठाएं हैं। हमारे यहां आमतौर पर गवर्नमेंट के मॉडल की चर्चा होती है कि सरकार में साइलोज, यह सबसे बड़ा संकट है। एक डिपार्टमेंट दूसरे से बात नहीं करता है। एक टेबल वाला दूसरे टेबल वाले से बात नहीं करता है, ऐसी चर्चा होती है। कुछ बातों में सही भी होगा, लेकिन उसका कोई सॉल्यूशन है क्या? मैं आज आपको बैकग्राउंड बताता हूं, यह शहरी विकास वर्ष अकेला नहीं, हमने उस समय हर वर्ष को किसी न किसी एक विशेष काम के लिए डेडिकेट करते थे, जैसे 2005 में शहरी विकास वर्ष माना गया। एक साल ऐसा था, जब हमने कन्या शिक्षा के लिए डेडिकेट किया था, एक वर्ष ऐसा था, जब हमने पूरा टूरिज्म के लिए डेडिकेट किया था। इसका मतलब ये नहीं कि बाकी सब काम बंद करते थे, लेकिन सरकार के सभी विभागों को उस वर्ष अगर forest department है, तो उसको भी अर्बन डेवलपमेंट में वो contribute क्या कर सकता है? हेल्थ विभाग है, तो अर्बन डेवलपमेंट ईयर में वो contribute क्या कर सकता है? जल संरक्षण मंत्रालय है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? टूरिज्म डिपार्टमेंट है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? यानी एक प्रकार से whole of the government approach, इस भूमिका से ये वर्ष मनाया और आपको याद होगा, जब हमने टूरिज्म ईयर मनाया, तो पूरे राज्य में उसके पहले गुजरात में टूरिज्म की कल्पना ही कोई नहीं कर सकता था। विशेष प्रयास किया गया, उसी समय ऐड कैंपेन चलाया, कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में, एक-एक चीज उसमें से निकली। उसी में से रण उत्‍सव निकला, उसी में से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बना। उसी में से आज सोमनाथ का विकास हो रहा है, गिर का विकास हो रहा है, अंबाजी जी का विकास हो रहा है। एडवेंचर स्पोर्ट्स आ रही हैं। यानी एक के बाद एक चीजें डेवलप होने लगीं। वैसे ही जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया।

और मुझे याद है, मैं राजनीति में नया-नया आया था। और कुछ समय के बाद हम अहमदाबाद municipal कॉरपोरेशन सबसे पहले जीते, तब तक हमारे पास एक राजकोट municipality हुआ करती थी, तब वो कारपोरेशन नहीं थी। और हमारे एक प्रहलादभाई पटेल थे, पार्टी के बड़े वरिष्ठ नेता थे। बहुत ही इनोवेटिव थे, नई-नई चीजें सोचना उनका स्वभाव था। मैं नया राजनीति में आया था, तो प्रहलाद भाई एक दिन आए मिलने के लिए, उन्होंने कहा ये हमें जरा, उस समय चिमनभाई पटेल की सरकार थी, तो हमने चिमनभाई और भाजपा के लोग छोटे पार्टनर थे। तो हमें चिमनभाई को मिलकर के समझना चाहिए कि यह जो लाल बस अहमदाबाद की है, उसको जरा अहमदाबाद के बाहर जाने दिया जाए। तो उन्होंने मुझे समझाया कि मैं और प्रहलाद भाई चिमनभाई को मिलने गए। हमने बहुत माथापच्ची की, हमने कहा यह सोचने जैसा है कि लाल बस अहमदाबाद के बाहर गोरा, गुम्‍मा, लांबा, उधर नरोरा की तरफ आगे दहेगाम की तरफ, उधर कलोल की तरफ आगे उसको जाने देना चाहिए। ट्रांसपोर्टेशन का विस्तार करना चाहिए, तो सरकार के जैसे सचिवों का स्वभाव रहता है, यहां बैठे हैं सारे, उस समय वाले तो रिटायर हो गए। एक बार एक कांग्रेसी नेता को पूछा गया था कि देश की समस्याओं का समाधान करना है तो दो वाक्य में बताइए। कांग्रेस के एक नेता ने जवाब दिया था, वो मुझे आज भी अच्छा लगता है। यह कोई 40 साल पहले की बात है। उन्होंने कहा, देश में दो चीजें होनी चाहिए। एक पॉलीटिशियंस ना कहना सीखें और ब्यूरोक्रेट हां कहना सीखे! तो उससे सारी समस्या का समाधान हो जाएगा। पॉलीटिशियंस किसी को ना नहीं कहता और ब्यूरोक्रेट किसी को हां नहीं कहता। तो उस समय चिमनभाई के पास गए, तो उन्‍होंने पूछा सबसे, हम दोबारा गए, तीसरी बार गए, नहीं-नहीं एसटी को नुकसान हो जाएगा, एसटी को कमाई बंद हो जाएगी, एसटी बंद पड़ जाएगी, एसटी घाटे में चल रही है। लाल बस वहां नहीं भेज सकते हैं, यह बहुत दिन चला। तीन-चार महीने तक हमारी माथापच्ची चली। खैर, हमारा दबाव इतना था कि आखिर लाल बस को लांबा, गोरा, गुम्‍मा, ऐसा एक्सटेंशन मिला, उसका परिणाम है कि अहमदाबाद का विस्तार तेजी से उधर सारण की तरफ हुआ, इधर दहेगाम की तरफ हुआ, उधर कलोल की तरह हुआ, उधर अहमदाबाद की तरह हुआ, तो अहमदाबाद की तरफ जो प्रेशर, एकदम तेजी से बढ़ने वाला था, उसमें तेजी आई, बच गए छोटी सी बात थी, तब जाकर के, मैं तो उस समय राजनीति में नया था। मुझे कोई ज्यादा इन चीजों को मैं जानता भी नहीं था। लेकिन तब समझ में आता था कि हम तत्कालीन लाभ से ऊपर उठ करके सचमुच में राज्य की और राज्य के लोगों की भलाई के लिए हिम्मत के साथ लंबी सोच के साथ चलेंगे, तो बहुत लाभ होगा। और मुझे याद है जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया, तो पहला काम आया, यह एंक्रोचमेंट हटाने का, अब जब एंक्रोचमेंट हटाने की बात आती हे, तो सबसे पहले रुकावट बनता है पॉलिटिकल आदमी, किसी भी दल का हो, वो आकर खड़ा हो जाता है क्योंकि उसको लगता है, मेरे वोटर है, तुम तोड़ रहे हो। और अफसर लोग भी बड़े चतुर होते हैं। जब उनको कहते हैं कि भई यह सब तोड़ना है, तो पहले जाकर वो हनुमान जी का मंदिर तोड़ते हैं। तो ऐसा तूफान खड़ा हो जाता है कि कोई भी पॉलिटिशयन डर जाता है, उसको लगता है कि हनुमान जी का मंदिर तोड़ दिया तो हो… हमने बड़ी हिम्मत दिखाई। उस समय हमारे …..(नाम स्पष्ट नहीं) अर्बन मिनिस्टर थे। और उसका परिणाम यह आया कि रास्ते चौड़े होने लगे, तो जिसका 2 फुट 4 फुट कटता था, वह चिल्लाता था, लेकिन पूरा शहर खुश हो जाता था। इसमें एक स्थिति ऐसी बनी, बड़ी interesting है। अब मैंने तो 2005 अर्बन डेवलपमेंट ईयर घोषित कर दिया। उसके लिए कोई 80-90 पॉइंट निकाले थे, बडे interesting पॉइंट थे। तो पार्टी से ऐसी मेरी बात हुई थी कि भाई ऐसा एक अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा, जरा सफाई वगैरह के कामों में सब को जोड़ना पड़ेगा ऐसा, लेकिन जब ये तोड़ना शुरू हुआ, तो मेरी पार्टी के लोग आए, ये बड़ा सीक्रेट बता रहा हूं मैं, उन्होंने कहा साहब ये 2005 में तो अर्बन बॉडी के चुनाव है, हमारी हालत खराब हो जाएगी। यह सब तो चारों तरफ तोड़-फोड़ चल रही है। मैंने कहा यार भई यह तो मेरे ध्यान में नहीं रहा और सच में मेरे ध्यान में वो चुनाव था ही नहीं। अब मैंने कार्यक्रम बना दिया, अब साहब मेरा भी एक स्वभाव है। हम तो बचपन से पढ़ते आए हैं- कदम उठाया है तो पीछे नहीं हटना है। तो मैंने मैंने कहा देखो भाई आपकी चिंता सही है, लेकिन अब पीछे नहीं हट सकते। अब तो ये अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा। हार जाएंगे, चुनाव क्या है? जो भी होगा हम किसी का बुरा करना नहीं चाहते, लेकिन गुजरात में शहरों का रूप रंग बदलना बहुत जरूरी है।

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साथियों,

हम लोग लगे रहे। काफी विरोध भी हुआ, काफी आंदोलन हुए बहुत परेशानी हुई। यहां मीडिया वालों को भी बड़ा मजा आ गया कि मोदी अब शिकार आ गया हाथ में, तो वह भी बड़ी पूरी ताकत से लग गए थे। और उसके बाद जब चुनाव हुआ, देखिए मैं राजनेताओं को कहता हूं, मैं देश भर के राजनेता मुझे सुनते हैं, तो देखना कहता हूं, अगर आपने सत्यनिष्ठा से, ईमानदारी से लोगों की भलाई के लिए निर्णय करते हैं, तत्कालीन भले ही बुरा लगे, लोग साथ चलते हैं। और उस समय जो चुनाव हुआ 90 परसेंट विक्ट्री बीजेपी की हुई थी, 90 परसेंट यानी लोग जो मानते हैं कि जनता ये नहीं और मुझे याद है। अब यह जो यहां अटल ब्रिज बना है ना तो मुझे, यह साबरमती रिवर फ्रंट पर, तो पता नहीं क्यों मुझे उद्घाटन के लिए बुलाया था। कई कार्यक्रम थे, तो मैंने कहा चलो भई हम भी देखने जाते हैं, तो मैं जरा वो अटल ब्रिज पर टहलने गया, तो वहां मैंने देखा कुछ लोगों ने पान की पिचकारियां लगाई हुई थी। अभी तो उद्घाटन होना था, लेकिन कार्यक्रम हो गया था। तो मेरा दिमाग, मैंने कहा इस पर टिकट लगाओ। तो ये सारे लोग आ गए साहब चुनाव है, उसी के बाद चुनाव था, बोले टिकट नहीं लगा सकते मैंने कहा टिकट लगाओ वरना यह तुम्हारा अटल ब्रिज बेकार हो जाएगा। फिर मैं दिल्ली गया, मैंने दूसरे दिन फोन करके पूछा, मैंने कहा क्या हुआ टिकट लगाने का एक दिन भी बिना टिकट नहीं चलना चाहिए।

साथियों,

खैर मेरा मान-सम्मान रखते हैं सब लोग, आखिर के हमारे लोगों ने ब्रिज पर टिकट लगा दिया। आज टिकट भी हुआ, चुनाव भी जीते दोस्तों और वो अटल ब्रिज चल रहा है। मैंने कांकरिया का पुनर्निर्माण का कार्यक्रम लिया, उस पर टिकट लगाया तो कांग्रेस ने बड़ा आंदोलन किया। कोर्ट में चले गए, लेकिन वह छोटा सा प्रयास पूरे कांकरिया को बचा कर रखा हुआ है और आज समाज का हर वर्ग बड़ी सुख-चैन से वहां जाता है। कभी-कभी राजनेताओं को बहुत छोटी चीजें डर जाते हैं। समाज विरोधी नहीं होता है, उसको समझाना होता है। वह सहयोग करता है और अच्छे परिणाम भी मिलते हैं। देखिए शहरी शहरी विकास की एक-एक चीज इतनी बारीकी से बनाई गई और उसी का परिणाम था और मैं आपको बताता हूं। यह जो अब मुझ पर दबाव बढ़ने वाला है, वो already शुरू हो गया कि मोदी ठीक है, 4 नंबर तो पहुंच गए, बताओ 3 कब पहुंचोगे? इसकी एक जड़ी-बूटी आपके पास है। अब जो हमारे ग्रोथ सेंटर हैं, वो अर्बन एरिया हैं। हमें अर्बन बॉडीज को इकोनॉमिक के ग्रोथ सेंटर बनाने का प्लान करना होगा। अपने आप जनसंख्या के कारण वृद्धि होती चले, ऐसे शहर नहीं हो सकते हैं। शहर आर्थिक गतिविधि के तेजतर्रार केंद्र होने चाहिए और अब तो हमने टीयर 2, टीयर 3 सीटीज पर भी बल देना चाहिए और वह इकोनॉमिक एक्टिविटी के सेंटर बनने चाहिए और मैं तो पूरे देश की नगरपालिका, महानगरपालिका के लोगों को कहना चाहूंगा। अर्बन बॉडी से जुड़े हुए सब लोगों से कहना चाहूंगा कि वे टारगेट करें कि 1 साल में उस नगर की इकोनॉमी कहां से कहां पहुंचाएंगे? वहां की अर्थव्यवस्था का कद कैसे बढ़ाएंगे? वहां जो चीजें मैन्युफैक्चर हो रही हैं, उसमें क्वालिटी इंप्रूव कैसे करेंगे? वहां नए-नए इकोनॉमिक एक्टिविटी के रास्ते कौन से खोलेंगे। ज्यादातर मैंने देखा नगर पालिका की जो नई-नई बनती हैं, तो क्या करते हैं, एक बड़ा शॉपिंग सेंटर बना देते हैं। पॉलिटिशनों को भी जरा सूट करता है वह, 30-40 दुकानें बना देंगे और 10 साल तक लेने वाला नहीं आता है। इतने से काम नहीं चलेगा। स्टडी करके और खास करके जो एग्रो प्रोडक्ट हैं। मैं तो टीयर 2, टीयर 3 सीटी के लिए कहूंगा, जो किसान पैदावार करता है, उसका वैल्यू एडिशन, यह नगर पालिकाओं में शुरू हो, आस-पास से खेती की चीजें आएं, उसमें से कुछ वैल्यू एडिशन हो, गांव का भी भला होगा, शहर का भी भला होगा।

उसी प्रकार से आपने देखा होगा इन दिनों स्टार्टअप, स्टार्टअप में भी आपके ध्यान में आया होगा कि पहले स्‍टार्टअप बड़े शहर के बड़े उद्योग घरानों के आसपास चलते थे, आज देश में करीब दो लाख स्टार्टअप हैं। और ज्यादातर टीयर 2, टीयर 3 सीटीज में है और इसमें भी गर्व की बात है कि उसमें काफी नेतृत्व हमारी बेटियों के पास है। स्‍टार्टअप की लीडरशिप बेटियों के पास है। ये बहुत बड़ी क्रांति की संभावनाओं को जन्म देता है और इसलिए मैं चाहूंगा कि अर्बन डेवलपमेंट ईयर के जब 20 साल मना रहे हैं और एक सफल प्रयोग को हम याद करके आगे की दिशा तय करते हैं तब हम टीयर 2, टीयर 3 सीटीज को बल दें। शिक्षा में भी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज काफी आगे रहा, इस साल देख लीजिए। पहले एक जमाना था कि 10 और 12 के रिजल्ट आते थे, तो जो नामी स्कूल रहते थे बड़े, उसी के बच्चे फर्स्ट 10 में रहते थे। इन दिनों शहरों की बड़ी-बड़ी स्कूलों का नामोनिशान नहीं होता है, टीयर 2, टीयर 3 सीटीज के स्कूल के बच्चे पहले 10 में आते हैं। देखा होगा आपने गुजरात में भी यही हो रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि हमारे छोटे शहरों के पोटेंशियल, उसकी ताकत बढ़ रही है। खेल का देखिए, पहले क्रिकेट देखिए आप, क्रिकेट तो हिंदुस्तान में हम गली-मोहल्ले में खेला जाता है। लेकिन बड़े शहर के बड़े रहीसी परिवारों से ही खेलकूद क्रिकेट अटका हुआ था। आज सारे खिलाड़ी में से आधे से ज्यादा खिलाड़ी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज गांव के बच्चे हैं जो खेल में इंटरनेशनल खेल खेल कर कमाल करते हैं। यानी हम समझें कि हमारे शहरों में बहुत पोटेंशियल है। और जैसा मनोहर जी ने भी कहां और यहां वीडियो में भी दिखाया गया, यह हमारे लिए बहुत बड़ी opportunity है जी, 4 में से 3 नंबर की इकोनॉमी पहुंचने के लिए हम हिंदुस्तान के शहरों की अर्थव्यवस्था पर अगर फोकस करेंगे, तो हम बहुत तेजी से वहां भी पहुंच पाएंगे।

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साथियों,

ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। दुर्भाग्य से हमारे देश में एक ऐसे ही इकोसिस्टम ने जमीनों में अपनी जड़े ऐसी जमा हुई हैं कि भारत के सामर्थ्य को हमेशा नीचा दिखाने में लगी हैं। वैचारिक विरोध के कारण व्यवस्थाओं के विकास का अस्वीकार करने का उनका स्वभाव बन गया है। व्यक्ति के प्रति पसंद-नापसंद के कारण उसके द्वारा किये गए हर काम को बुरा बता देना एक फैशन का तरीका चल पड़ा है और उसके कारण देश की अच्‍छी चीजों का नुकसान हुआ है। ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। अब आप देखिए, हमने शहरी विकास पर तो बल दिया, लेकिन वैसा ही जब आपने दिल्‍ली भेजा, तो हमने एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट, एस्पिरेशनल ब्लॉक पर विचार किया कि हर राज्य में एकाध जिला, एकाध तहसील ऐसी होती है, जो इतना पीछे होता है, कि वो स्‍टेट की सारी एवरेज को पीछे खींच ले जाता है। आप जंप लगा ही नहीं सकते, वो बेड़ियों की तरह होता है। मैंने कहा, पहले इन बेड़ियों को तोड़ना है और देश में 100 के करीब एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट उनको identify किया गया। 40 पैरामीटर से देखा गया कि यहां क्या जरूरत है। अब 500 ब्‍लॉक्‍स identify किए हैं, whole of the government approach के साथ फोकस किया गया। यंग अफसरों को लगाया गया, फुल टैन्‍यूर के साथ काम करें, ऐसा लगाया। आज दुनिया के लिए एक मॉडल बन चुका है और जो डेवलपिंग कंट्रीज हैं उनको भी लग रहा है कि हमारे यहां विकास के इस मॉडल की ओर हमें चलना चाहिए। हमारा academic world भारत के इन प्रयासों और सफल प्रयासों के विषय में सोचे और जब academic world इस पर सोचता है तो दुनिया के लिए भी वो एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में काम आता है।

साथियों,

आने वाले दिनों में टूरिज्म पर हमें बल देना चाहिए। गुजरात ने कमाल कर दिया है जी, कोई सोच सकता है। कच्छ के रेगिस्तान में जहां कोई जाने का नाम नहीं लेता था, वहां आज जाने के लिए बुकिंग नहीं मिलती है। चीजों को बदला जा सकता है, दुनिया का सबसे बड़ा ऊंचा स्टैच्यू, ये अपने आप में अद्भुत है। मुझे बताया गया कि वडनगर में जो म्यूजियम बना है। कल मुझे एक यूके के एक सज्‍जन मिले थे। उन्होंने कहा, मैं वडनगर का म्यूजियम देखने जा रहा हूं। यह इंटरनेशनल लेवल में इतने global standard का कोई म्यूजियम बना है और भारत में काशी जैसे बहुत कम जगह है कि जो अविनाशी हैं। जो कभी भी मृतप्राय नहीं हुए, जहां हर पल जीवन रहा है, उसमें एक वडनगर हैं, जिसमें 2800 साल तक के सबूत मिले हैं। अभी हमारा काम है कि वह इंटरनेशनल टूरिस्ट मैप पर कैसे आए? हमारा लोथल जहां हम एक म्यूजियम बना रहे हैं, मैरीटाइम म्यूजियम, 5 हजार साल पहले मैरीटाइम में दुनिया में हमारा डंका बजता था। धीरे-धीरे हम भूल गए, लोथल उसका जीता-जागता उदाहरण है। लोथल में दुनिया का सबसे बड़ा मैरीटाइम म्यूजियम बन रहा है। आप कल्पना कर सकते हैं कि इन चीजों का कितना लाभ होने वाला है और इसलिए मैं कहता हूं दोस्तों, 2005 का वो समय था, जब पहली बार गिफ्ट सिटी के आईडिया को कंसीव किया गया और मुझे याद है, शायद हमने इसका launching Tagore Hall में किया था। तो उसके बड़े-बड़े जो हमारे मन में डिजाइन थे, उसके चित्र लगाए थे, तो मेरे अपने ही लोग पूछ रहे थे। यह होगा, इतने बड़े बिल्डिंग टावर बनेंगे? मुझे बराबर याद है, यानी जब मैं उसका मैप वगैरह और उसका प्रेजेंटेशन दिखाता था केंद्र के कुछ नेताओं को, तो वह भी मुझे कह रहे थे अरे भारत जैसे देश में ये क्या कर रहे हो तुम? मैं सुनता था आज वो गिफ्ट सिटी हिंदुस्तान का हर राज्य कह रहा है कि हमारे यहां भी एक गिफ्ट सिटी होना चाहिए।

साथियों,

एक बार कल्पना करते हुए उसको जमीन पर, धरातल पर उतारने का अगर हम प्रयास करें, तो कितने बड़े अच्छे परिणाम मिल सकते हैं, ये हम भली भांति देख रहे हैं। वही काल खंड था, रिवरफ्रंट को कंसीव किया, वहीं कालखंड था जब दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम बनाने का सपना देखा, पूरा किया। वही कालखंड था, दुनिया का सबसे ऊंचा स्टैच्यू बनाने के लिए सोचा, पूरा किया।

भाइयों और बहनों,

एक बार हम मान के चले, हमारे देश में potential बहुत हैं, बहुत सामर्थ्‍य है।

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साथियों,

मुझे पता नहीं क्यों, निराशा जैसी चीज मेरे मन में आती ही नहीं है। मैं इतना आशावादी हूं और मैं उस सामर्थ्य को देख पाता हूं, मैं दीवारों के उस पार देख सकता हूं। मेरे देश के सामर्थ्य को देख सकता हूं। मेरे देशवासियों के सामर्थ्य को देख सकता हूं और इसी के भरोसे हम बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं और इसलिए आज मैं गुजरात सरकार का बहुत आभारी हूं कि आपने मुझे यहां आने का मौका दिया है। कुछ ऐसी पुरानी-पुरानी बातें ज्यादातर ताजा करने का मौका मिल गया। लेकिन आप विश्वास करिए दोस्तों, गुजरात की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हम देने वाले लोग हैं, हमें देश को हमेशा देना चाहिए। और हम इतनी ऊंचाई पर गुजरात को ले जाए, इतनी ऊंचाई पर ले जाएं कि देशवासियों के लिए गुजरात काम आना चाहिए दोस्तों, इस महान परंपरा को हमें आगे बढ़ाना चाहिए। मुझे विश्वास है, गुजरात एक नए सामर्थ्य के साथ अनेक विद नई कल्पनाओं के साथ, अनेक विद नए इनीशिएटिव्स के साथ आगे बढ़ेगा मुझे मालूम है। मेरा भाषण शायद कितना लंबा हो गया होगा, पता नहीं क्या हुआ? लेकिन कल मीडिया में दो-तीन चीजें आएंगी। वो भी मैं बता देता हूं, मोदी ने अफसरों को डांटा, मोदी ने अफसरों की धुलाई की, वगैरह-वगैरह-वगैरह, खैर वो तो कभी-कभी चटनी होती है ना इतना ही समझ लेना चाहिए, लेकिन जो बाकी बातें मैंने याद की है, उसको याद कर करके जाइए और ये सिंदुरिया मिजाज! ये सिंदुरिया स्पिरिट, दोस्‍तों 6 मई को, 6 मई की रात। ऑपरेशन सिंदूर सैन्य बल से प्रारंभ हुआ था। लेकिन अब ये ऑपरेशन सिंदूर जन-बल से आगे बढ़ेगा और जब मैं सैन्य बल और जन-बल की बात करता हूं तब, ऑपरेशन सिंदूर जन बल का मतलब मेरा होता है जन-जन देश के विकास के लिए भागीदार बने, दायित्‍व संभाले।

हम इतना तय कर लें कि 2047, जब भारत के आजादी के 100 साल होंगे। विकसित भारत बनाने के लिए तत्काल भारत की इकोनॉमी को 4 नंबर से 3 नंबर पर ले जाने के लिए अब हम कोई विदेशी चीज का उपयोग नहीं करेंगे। हम गांव-गांव व्यापारियों को शपथ दिलवाएं, व्यापारियों को कितना ही मुनाफा क्यों ना हो, आप विदेशी माल नहीं बेचोगे। लेकिन दुर्भाग्य देखिए, गणेश जी भी विदेशी आ जाते हैं। छोटी आंख वाले गणेश जी आएंगे। गणेश जी की आंख भी नहीं खुल रही है। होली, होली रंग छिड़कना है, बोले विदेशी, हमें पता था आप भी अपने घर जाकर के सूची बनाना। सचमुच में ऑपरेशन सिंदूर के लिए एक नागरिक के नाते मुझे एक काम करना है। आप घर में जाकर सूची बनाइए कि आपके घर में 24 घंटे में सुबह से दूसरे दिन सुबह तक कितनी विदेशी चीजों का उपयोग होता है। आपको पता ही नहीं होता है, आप hairpin भी विदेशी उपयोग कर लेते हैं, कंघा भी विदेशी होता है, दांत में लगाने वाली जो पिन होती है, वो भी विदेशी घुस गई है, हमें मालूम तक नहीं है। पता ही नहीं है दोस्‍तों। देश को अगर बचाना है, देश को बनाना है, देश को बढ़ाना है, तो ऑपरेशन सिंदूर यह सिर्फ सैनिकों के जिम्‍मे नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर 140 करोड़ नागरिकों की जिम्‍मे है। देश सशक्त होना चाहिए, देश सामर्थ्‍य होना चाहिए, देश का नागरिक सामर्थ्यवान होना चाहिए और इसके लिए हमने वोकल फॉर लोकल, वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट, मैं मेरे यहां, जो आपके पास है फेंक देने के लिए मैं नहीं कह रहा हूं। लेकिन अब नया नहीं लेंगे और शायद एकाध दो परसेंट चीजें ऐसी हैं, जो शायद आपको बाहर की लेनी पड़े, जो हमारे यहां उपलब्ध ना हो, बाकि आज हिंदुस्तान में ऐसा कुछ नहीं। आपने देखा होगा, आज से पहले 25 साल 30 साल पहले विदेश से कोई आता था, तो लोग लिस्ट भेजते थे कि ये ले आना, ये ले आना। आज विदेश से आते हैं, वो पूछते हैं कि कुछ लाना है, तो यहां वाले कहते हैं कि नहीं-नहीं यहां सब है, मत लाओ। सब कुछ है, हमें अपनी ब्रांड पर गर्व होना चाहिए। मेड इन इंडिया पर गर्व होना चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर सैन्‍य बल से नहीं, जन बल से जीतना है दोस्तों और जन बल आता है मातृभूमि की मिट्टी में पैदा हुई हर पैदावार से आता है। इस मिट्टी की जिसमें सुगंध हो, इस देश के नागरिक के पसीने की जिसमें सुगंध हो, उन चीजों का मैं इस्तेमाल करूंगा, अगर मैं ऑपरेशन सिंदूर को जन-जन तक, घर-घर तक लेकर जाता हूं। आप देखिए हिंदुस्तान को 2047 के पहले विकसित राष्ट्र बनाकर रहेंगे और अपनी आंखों के सामने देखकर जाएंगे दोस्तों, इसी इसी अपेक्षा के साथ मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए,

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

भारत माता की जय! जरा तिरंगे ऊपर लहराने चाहिए।

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

धन्यवाद!