CM speaks at the launch of series of health schemes for the state

Published By : Admin | September 4, 2012 | 20:58 IST

अगर ये चुनाव का वर्ष नहीं होता और सामान्य दिन होते तो आज का यह कार्यक्रम, यह घटना समग्र देश में और ख़ासकर गुजरात में अत्यंत सकारात्मक रूप में एक उत्तम पहल के रूप में सराही गई होती, परंतु चुनाव के वर्ष में कोई भी सत्कार्य करो, अच्छे से अच्छा कार्य करो पर जो लोग सरकार में नहीं हैं उनके लिए ये बड़ी राजनीति होती है और इसके कारण प्रत्येक घटना को राजनीति के तराजू में तोला जाता है और परिणाम स्वरूप बहुत अच्छे प्रकार के इनिशियेटिव्स भी ऐसी राजनैतिक खींचातानी में फंस जाते हैं और जन साधारण को इसकी जानकारी नहीं होती है। कल मैंने देखा कि इसी सभागृह के अंदर गुजरात के इतिहास की बेजोड़ घटना घटी, यह हॉल किसानों से ठसा-ठस भरा था और विश्व के आठ देशों, और इस देश के 11 राज्यों के किसान मिल कर कृषि क्रांति की दिशा में मंथन कर रहे थे। एक अदभुत नजारा था, पर इस समय चुनाव का साल है..!

आज की यह घटना भी अनेक रूप से पूरे देश के लिए अनोखी है। आधुनिक टैक्नोलॉजी का उपयोग करके, स्मार्ट कार्ड की व्यवस्था करके इस राज्य का गरीब नागरिक कैशलेस, जेब में एक पैसा ना हो, सिर्फ उसके पास ये कार्ड हो तो गंभीर से गंभीर बीमारी में भी इलाज के लिए सरकार सज्ज हो, तैयार हो, इस प्रकार की व्यवस्था पश्चिमी देशों में होने की बात हम सुनते हैं, देखते हैं पर भारत में कल्पना तक नहीं कर सकते, ऐसा एक अभिनव कार्य, जिसकी आज शुरूआत हो रही हे।

47 जितनी हॉस्पिटलों में ऐसी गंभीर प्रकार की बीमारियों के लिए गरीब आदमी को परेशान नहीं होना पड़ेगा। मित्रों, सरकार गरीबों के लिए है इसका मतलब क्या? अमीर आदमी बीमार होगा तो डॉक्टरों की उसके घर लाईन लग जाएगी, सुखी आदमी को सुख खरीदने के लिए पैसों की कभी कमी नहीं होती। गरीब इंसान के सपने में भी दूर-दूर तक यह बात नहीं होती। एक जमाना था, गरीब इंसान बीमार हो, हॉस्पिटल जाना हो... गाँव में इंसान बीमार हो, हॉस्पिटल जाना हो... गर्भवती बहन हो, प्रसव की पीड़ा हो रही हो, हॉस्पिटल जाना हो... रिक्शावाला एडवांस पैसा मांगे और पैसा नहीं हो तो रिक्शावाला मना कर दे। किसी अड़ौसी-पड़ौसी का ट्रेक्टर मांगो, टैम्पो मांगों तो वह मना कर देता है, बैलगाड़ी करनी हो तो बैलगाड़ी नहीं मिले, पास के गाँव में जाना हो तो जाने की व्यवस्था नहीं मिले, बस का ठिकाना नहीं हो... जेब में पैसा नहीं हो तो दवाखाने तक नहीं पहुंचा जा सकता था, ऐसे दिन हमने देखे हैं। यह ‘108’ की सेवा, फोन किया कि गाड़ी हाजिर हो गई। वे पूछते नहीं हैं कि तुम हिंदु हो कि मुस्लमान हो, वे पूछते नहीं हैं कि तुम शहर में रहते हो या गाँव में रहते हो, वे पूछते नहीं हैं कि तुम अमीर हो कि गरीब हो, वे पूछते नहीं हैं कि तुम ऊंची जात के हो कि पिछड़ी जात के हो, तुम सवर्ण हो या दलित हो... नहीं, तुम इंसान हो और तुम्हारी सेवा करने के लिए हम बंधे हैं, यह गुजरात तुम्हारी सेवा करने के लिए बाध्य है, और जेब में एक कौड़ी ना हो, तो उसे भी पूरी-पूरी सेवा मिलती है।

आज 200 करोड रूपये की इतनी बड़ी योजना लॉन्च की जा रही है और यह आजकल का आया हुआ विचार नहीं है; वरना आप अखबार पढ़ो तो आपको ऐसा लगे कि जैसे कल सवेरे ही यह विचार हमें आया होगा..! मुद्दा तो यह है कि लोग हमारे विचार चुरा ले जाते हैं, क्योंकि इतनी सारी बैंक्रप्ट्सी है कि उन्हें ऑरिजनल विचार ही नहीं आते। पिछले साल मार्च महीने के बजट में जो चीज़ रखी गई हो और बजट में रखी गई हो यानि 2011 के नवंबर-दिसबंर में इसके लिए चर्चा शुरु हुई हो। एक बार इस योजना ने आकार लिया हो, लंबा विचार-विमर्श हुआ हो, तब जाकर 2012 के मार्च के इस बजट के अंदर प्रस्तुत किया गया हो, पैसा अलाट हुआ हो, उस योजना का आज विधिवत् रूप से अमलीकरण का यह कार्यक्रम है। योजना की घोषणा का यह कार्यक्रम नहीं है, यह अमलीकरण का कार्यक्रम है। और गुजरात के प्रत्येक गरीब को ऐसी कोई भी गंभीर प्रकार की बीमारी उसके परिवार में आ पड़े, तो उसकी जिम्मेदारी आज से गांधीनगर में बैठी यह सरकार ले रही है। यह छोटा स्टेटमेंट नहीं है, मित्रों। इस राज्य के गरीब इंसान की गंभीर बीमारियों की जिम्मेदारी सरकार उठा रही है। ये संकल्प घोषित करना और उस पर अमल करना, इसके अमलीकरण की प्रक्रिया पूरे देश का ध्यान खींचने वाली है।

भाइयों और बहनों, आज से एक और नया प्रयोग हम कर रहे हैं। ‘108’ की सेवा, इमरजेंसी में दौड़ना, पेशेंट को बचाना, इस सेवा का एक भाग तो हमने अनुभव किया है और हम सब गौरव करते हैं। मुझे यहाँ जब ‘108’ के सभी साथी बैठे हैं तब उनकी छाती गज-गज फूल जाए ऐसी बात करनी है। मुझे प्रति सप्ताह जो अनेक फोन आते हैं, उसमें हर सप्ताह में एक-दो फोन ऐसे होते हैं जो किसी अनजान व्यक्ति - किसी बहन का होता है, किसी नौजवान का होता है, किसी वृद्ध मां का होता है... हमें यह लगता है कि यह किसी गरीब इंसान का फोन आया है तो जरूर कोई फरियाद करने, काम के लिए फोन किया होगा। लगभग हर सप्ताह एकाध फोन मुझे ऐसे आता हैं, और फोन में फरियाद नहीं होती है, अपेक्षा नहीं होती है, लेकिन बहुत ही भावुक स्वर में कोई बहन या कोई मां या फिर कोई बेटा मुझे कहता है कि साहब, ये आपकी ‘108’ सेवा के कारण मेरा बेटा बच गया, कोई कहता है कि आपकी इस ‘108’ के कारण मेरा पति बच गया, इसके लिए सरकार का जितना आभार मानें उतना कम है..! ये बात इस समाज के सामान्य नागरिकों के टेलिफोन से मेरे तक पहुंचती है, और जब ऐसा फोन आता है तो पूरा दिन ऐसे दौडऩे का मन करता है कि वाह, जनता की सेवा करने में क्या आनंद आता है..! टेलिफोन तो मुझे मिलता है, छाती मेरी फूलती है, पर इस छाती के फूलने की घटना के पीछे के कारक जो यहाँ बैठे हैं, ये ‘108’ के मित्रों को मुझे अभिनंदन देना है, इस यश के सच्चे अधिकारी आप हों। आप इनका टेलिफोन देर से उठाओ और पांच मिनट देरी से जाओ तो आपको कौन पूछने वाला है, भाई? पर नहीं, ‘108’ में स्पर्धा है, जल्द से जल्द कौन पहुँचे? जल्दी से जल्दी इलाज कैसे मिले? ये जो पूरा वर्क कल्चर हम खड़ा कर पाए हैं, इस वर्क कल्चर का असर हरएक क्षेत्र में होने वाला है। नहीं तो पहले, एम्बूलेंस वैन और डैडबॉडी वैन में असमंजस रहती थी, बुलाई गई हो एम्बूलेंस और आती डेडबॉडी वैन थी, ऐसी दशा थी। उसमें से एक गुणात्मक परिवर्तन..! और गुड गवर्नेंस किसे कहते हैं? गुड गवर्नेंस के ये एक के बाद एक उदाहरण हैं। और अब इसमें एक नया नजारा, यह नया नजारा यानि ‘खिलखिलाट’। पूरा गुजरात वैसे भी खिलखिला रहा है, और गुजरात खिलिखिला रहा है इसलिए कुछ लोग कराह रहे हैं, इस कराह का जवाब है ‘खिलखिलाट’..! गरीब मां हॉस्पिटल तो पहुंचा गई पर 40, 42, 48, 50 घंटे की आयु वाले बच्चे को लेकर कष्ट भुगतते हुए घर जाती है, तो उस बच्चे पर सबसे ज्यादा विपरीत प्रभाव पड़ता है। उस बालक की जिंदगी बच जाए, उसे कोई तकलीफ नहीं हो, इसके लिए एक दूर दृष्टि की समझ के साथ इस ‘खिलखिलाट’ योजना को जन्म दिया गया है। और ऐसा भी नहीं चाहते हैं कि ‘108’ की तरह साइरन बजाती-बजाती फिर घर जाए, नहीं तो पूरे परिवार, मुहल्ले को बेचैनी हो कि ये फिर क्या हुआ, भाई..? अभी कल तो इसको हॉस्पिटल ले गए थे, फिर आज रोता-रोता कौन आ गया? अंदर से उतरे तब तक तो किसी बेचारे को आंखों से आंसू आ जाए, ऐसी भूल ना हो इसके लिए इसका पूरा रंग-रूप बदल दिया है, उसकी सायरन भी बदल दी है, इस प्रकार की सायरन भी हो सकती है ये लोगों को शायद पहली बार पता चलेगा। यह मेरा कार्यक्रम पूरा होने के बाद हम सभी यहाँ से बाहर जाएंगे, फ्लैग-ऑफ के लिए। आप भी देखना, तो आपको भी लगेगा..!

आज एक कॉर्पोरेशन की रचना की भी हम घोषणा करते हैं, मेडिकल सर्विसेज के लिए। यह भी 2012 के मार्च महिने के बजट में विधिवत् रूप से घोषित की गई योजना है। और इसके लिए कुछ लोग ऐसा कहते हैं कि हम करेंगे। अरे, गुजरात सरकार ने तो इसे बजट में पहले ही कर दिया था। भाइयों-बहनों, गुजरात, विकास की नई ऊंचाइयों को पार कर रहा है। अभी हमने गुटखे पर प्रतिबंध घोषित किया है। 11 तारीख से इस पर अमल शुरू हो जाएगा। माताएं-बहनें गुटखा बंद होने पर सबसे ज्यादा प्रसन्न हुई हैं, क्योंकि घर में बच्चे के लिए दूध नहीं आए, पर गुटखा आए ऐसा था। इस गुटखे पर प्रतिबंध के समर्थन के लिए हमने एक टेलिफोन नम्बर दिया है। आप कॉल करके गुटखा प्रतिबंध पर आपका समर्थन दें। आप में से कितने हैं जिन्होंने मिस्ड कॉल किया है, भाई..? बहुत कम हैं। यहाँ बैठे हुए कितने लोग हैं जिनके पास मोबाइल फोन है? हाथ ऊपर करो, मोबाइल फोन वाले कितने? पूरा सभागृह भरा हुआ है। एक काम करो, अपना मोबाइल निकालो और चालू करो। मोबाइल चालू करो, एक नंबर लिखवाता हूँ, उस नंबर पर मिस्ड कॉल करो और गुटखा प्रतिबंध को समर्थन दो, मेरी सभी से प्रार्थना है। आपके पास मोबाइल होगा प्लीज़, 80009-80009 नंबर है। आपने मुझे समर्थन दिया इसके लिए आपको मेरा मैसेज थोड़ी देर में मिल जाएगा। मेरी बिनती है कि इस काम में मेरी मदद करें। आपके मित्रों, परिचितों, ऑफिस में जो कोई हो, जिसके भी पास मोबाइल फोन हो, उन सभी से अनुरोध करें कि हमारी युवा पीढ़ी को कैंसर से बचाने के अभियान में मिस्ड कॉल करके भागीदार बनें। 80009-80009, कितनों ने किया..? पक्का..? तो थोड़ी देर में मैसेज आने शुरू हो जाएंगे, जन भागीदारी के बिना, जन सहयोग के बिना कभी कोई कार्य सफल नहीं होता। गुजरात की सफलता सरकार से जनता जो दो कदम आगे रहती है इस कारण से है, जनता की जो सक्रिय भागीदारी है, इस सक्रीय भागीदारी के कारण है।

आप सभी को, खास कर के स्वास्थ्य विभाग को, जिन्होंने अनेकविध लक्ष्य प्राप्त किये हैं, उनका मैं अभिनंदन करता हूँ।

धन्यवाद...!

जय जय गरवी गुजरात...!!

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I reaffirm India’s commitment to strong bilateral relations with Mauritius: PM at banquet hosted by Mauritius President
March 11, 2025

Your Excellency राष्ट्रपति धरमबीर गोकुल जी,

First Lady श्रीमती बृंदा गोकुल जी,
उप राष्ट्रपति रोबर्ट हंगली जी,
प्रधान मंत्री रामगुलाम जी,
विशिष्ट अतिथिगण,

मॉरिशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में एक बार फिर शामिल होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।

इस आतिथ्य सत्कार और सम्मान के लिए मैं राष्ट्रपति जी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ।
यह केवल भोजन का अवसर नहीं है, बल्कि भारत और मॉरीशस के जीवंत और घनिष्ठ संबंधों का प्रतीक है।

मॉरीशस की थाली में न केवल स्वाद है, बल्कि मॉरीशस की समृद्ध सामाजिक विविधता की झलक भी है।

इसमें भारत और मॉरीशस की साझी विरासत भी समाहित है।

मॉरीशस की मेज़बानी में हमारी मित्रता की मिठास घुली हुई है।

इस अवसर पर, मैं - His Excellency राष्ट्रपति धरमबीर गोकुल जी और श्रीमती बृंदा गोकुल जी के उत्तम स्वास्थ्य और कल्याण; मॉरीशस के लोगों की निरंतर प्रगति, समृद्धि और खुशहाली की कामना करता हूँ; और, हमारे संबंधों के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराता हूँ

जय हिन्द !
विवे मॉरीस !