CM launches ‘Saurashtra Narmada Avtaran Irrigation (SAUNI) Yojana’ for Saurashtra

115 irrigation dams of all the seven districts of Saurashtra will be filled with surplus Naramda water at the cost of Rs.10,000 crore

CM calls upon to undertake disilting of irrigation dams, use drip irrigation

On the birth anniversary of Pandit Dindayal Upadhyaya Gujarat will actualize his dream of ‘har khetar ko pani, har hath ko kam’ ~ CM

 

Chief Minister Narendra Modi today announced the ambitious ‘Saurashtra Narmada Avtaran Irrigation (SAUNI) Yojana’ for Saurashtra region under which the irrigation dams of all the seven districts of Saurashtra will be filled with one million acre feet of surplus Naramda water at the cost of Rs.10,000 crore. Mr.Modi was speaking at a huge Kisan Vikas Sammelan held on the occasion of the birth anniversary of Pandit Dindayal Upadhyay.

Giving details of the scheme the chief minister said that initially the geographical and water conservation capacity review of the irrigation dams will be carried out by international experts. As per their report the Saurashtra region will be divided into four link zones - east, west, central and south zones. Narmada water will be filled through gravity in 115 dams of seven districts by 1115 km. long link canals of all the four zones. He exuded faith that the scheme will add new strength to economy of Saurashtra.

The four links include, Link-1: Matchu-2 to Sani; East Saurashtra, Link-2: Kalubhar to Raydi, Link-3: Dholidhaja-Venu; central Saurashtra, Link-4: Bhogavo to Hiran-2, south Saurashtra. The dams which will see replenishment include 30 dams in Rajkot, 28 dams in Jamnagar, 13 dams in Junagadh, 09 dams in Amreli, 05 dams in Surendranagar and 04 dams in Porbandar district.

The chief minister said that he will have personal commitment for executing the SAUNI Yojana during next five years and that the scheme will end the water-scarcity problems of Saurashtra.

Mr.Modi expressed happiness that he got opportunity to launch this scheme on the birth anniversary of Pandit Dindayalji. “‘Har khetar ko pani, har hath ko kam’ (water to every farm, employment to every individual) was pandit dindayal’s dream, and that is the right path to strengthen Indian economy. Farmers of India are capable enough to provide food to entire Europe. But the rulers at Centre neglected the might of farmers. Gujarat has initiated in this direction”, he said. The Narmada water coming to Saurashtra herald the beginning of golden period for Gujarat, Mr.Modi said. “Earlier when we undertook Sujalam Sufalam Yojana, some elements raised doubts against it. But Rs.6,000 crore Sujalam Sufalam project has freed this land from the issue of dark zone”, he added.

Chief Minister called upon to undertake disilting work of all the irrigation dam of Saurashtra. He also asked people to adopt drip irrigation method.

MP Purshottam Rupala thanked the chief minister on behalf of the farmers and people of Saurashtra for launching of the scheme which will be instrumental in fertilizing the arid land of Saurashtra. On the occasion, the chief minister also released a booklet prepared by Narmada and Water Resources Department.

Finance Minister Vajubhai Vala, Agriculture Minister Dilip Sanghani, Minister of State for Energy Saurabh Patel, Minister of State for Forest and Environment Kiritsinh Rana, Minister of State for Higher Education Vasuben Trivedi, Minister of State for Rural Development Mohan Kundariya, Minister of State for Water Resources Kanubhai Bhalala, Chairman of Gauseva Ayog Dr.Vallabh Kathiriya, Parliamentary Secretary L.T.Rajani, BJP’s Gujarat unit president R C Faldu, Principal Secretary K Kailasnathan, Principal Secretary to Water Resources S J Desai, Chairman of state planning commission Bhupendrasinh Chudasama, Rajkot Mayor Janak Kotak, president of district panchayat Hansaben Paredhi and senior officials of district were present on the occasion.

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भूटान के प्रधानमंत्री मेरे छोटे भाई, फिजी के डिप्टी पीएम, भारत के सहकारिता मंत्री अमित शाह, International Cooperative Alliance के President, United Nations के सभी प्रतिनिधिगण, दुनियाभर से यहां आए Co-Operative World से जुडे सभी साथी, देवियों और सज्जनों।

आज आप सबका जब मैं स्वागत कर रहा हूं, तो ये स्वागत मैं अकेला नहीं करता और ना ही मैं अकेला कर सकता हूं। मैं भारत के करोड़ों किसानों, भारत के करोड़ों पशुपालकों, भारत के पशुपालकों, मछुआरों, भारत के Eight Hundred Thousand यानि 8 लाख से ज्यादा सहकारी संस्थानों, सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी Hundred Million यानि 10 करोड़ महिलाओं, और सहकारिता को टेक्नोलॉजी से जोड़ने वाले भारत के नौजवानों, सभी की तरफ से आपका भारत में स्वागत करता हूं।

Global Conference of The International Cooperative Alliance का आयोजन भारत में पहली बार हो रहा है। भारत में इस समय हम Co-Operative मूवमेंट का नया विस्तार दे रहे हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि इस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से भारत की फ्यूचर Co-Operative Journey के लिए ज़रूरी इनसाइट मिलेगी, और साथ ही भारत के अनुभवों से Global Co-Operative मूवमेंट को भी 21st सेंचुरी के नए Tools मिलेंगे, नई स्पिरिट मिलेगी। मैं यूनाइटेड नेशन्स को भी, साल 2025 को International Year of Cooperatives घोषित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

दुनिया के लिए Co-Operatives एक मॉडल है, लेकिन भारत के लिए Co-Operatives संस्कृति का आधार है, जीवन शैली है। हमारे वेदों ने कहा है- सं गच्छध्वं सं वदध्वं यानि हम सब एक साथ चलें, एक जैसे बोल बोलें। हमारे उपनिषदों ने कहा- सर्वे संतु सुखिन: यानि सभी सुखी रहें। हमारी प्रार्थनाओं में भी सह-अस्तित्व ही रहा है। संघ और सह, ये भारतीय जीवन के मूल तत्व हैं। हमारे यहां फैमिली सिस्टम का भी यही आधार है। और यही तो Co-Operatives का भी मूल है। सहकार के इसी भाव के साथ भारतीय सभ्यता फली-फूली है।

साथियों,

हमारे आज़ादी के आंदोलन को भी सहकारिता ने प्रेरित किया है। इससे आर्थिक सशक्तिकरण में तो मदद मिली, स्वतंत्रता सेनानियों को एक सामूहिक मंच भी मिला। महात्मा गांधी जी के ग्राम स्वराज ने सामुदायिक भागीदारी को फिर से नई ऊर्जा दी। उन्होंने खादी और ग्रामोद्योग जैसे क्षेत्रों में सहकारिता के माध्यम से एक नया आंदोलन खड़ा किया। और आज खादी और ग्रामोद्योग को हमारी Co-Operatives ने बड़े-बड़े ब्रांड्स से भी आगे पहुंचा दिया है। आजादी के इसी दौर में सरदार पटेल ने भी किसानों को एकजुट किया, मिल्क को-ऑपरेटिव्स के माध्यम से आज़ादी के आंदोलन को नई दिशा दी। आज़ादी की क्रांति से पैदा हुआ अमूल आज टॉप ग्लोबल फूड ब्रांड्स में से एक है। हम कह सकते हैं, भारत में सहकारिता ने...विचार से आंदोलन, आंदोलन से क्रांति और क्रांति से सशक्तिकरण तक का सफर किया है।

साथियों,

आज भारत में हम सरकार और सहकार की शक्ति को एक साथ जोड़कर भारत को विकसित बनाने में जुटे हैं। हम सहकार से समृद्धि के मंत्र पर चल रहे हैं। भारत में आज 8 लाख यानि Eight Hundred Thousand सहकारी समितियां हैं। यानि दुनिया की हर चौथी सहकारी समिति आज भारत में है। और संख्या ही नहीं, इनका दायरा भी उतना ही विविध है, उतना ही व्यापक है। ग्रामीण भारत के करीब Ninety Eight Percent हिस्से को Co-Operatives कवर करती हैं। करीब 30 करोड़-Three Hundred Million लोग…यानि दुनिया में हर पांच में से और भारत में हर पांच में एक भारतीय सहकारिता सेक्टर से जुड़ा है। शुगर हो, फर्टिलाइजर्स हों, फिशरीज हों, मिल्क प्रॉडक्शन हो...ऐसे अनेक सेक्टर्स में Co-Operatives की बहुत बड़ी भूमिका है।

बीते दशकों में भारत में Urban Cooperative Banking और Housing Cooperatives का भी बहुत विस्तार हुआ है। आज भारत में लगभग Two Hundred Thousand यानि 2 लाख, हाउसिंग को-ऑपरेटिव सोसायटीज़ हैं। बीते सालों में हमने को-ऑपरेटिव बैंकिंग सेक्टर को भी मजबूत बनाया है, उनमें रिफॉर्म्स लाए हैं। आज देशभर में करीब 12 लाख करोड़ रुपए...Twelve Trillion Rupees को-ऑपरेटिव बैंकों में जमा हैं। को-ऑपरेटिव बैंकों को मज़बूत करने के लिए, उन पर भरोसा बढ़ाने के लिए हमारी सरकार ने अनेक रिफॉर्म्स किए हैं। पहले ये बैंक, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया-RBI के दायरे से बाहर थे, हम इनको RBI के दायरे में लेकर आए। इन बैंकों में डिपॉजिट पर कवर के इंश्योरेंस को भी हमने प्रति डिपॉजिटर 5 लाख रुपए तक बढ़ाया। Co-Operative बैंकों में भी डिजिटल बैंकिंग को विस्तार दिया गया। इन प्रयासों से भारत सहकारी बैंक पहले से कहीं ज्यादा अधिक Competitive और Transparent हुए हैं।

साथियों,

भारत अपनी फ्यूचर ग्रोथ में, Co-Operatives का बहुत बड़ा रोल देखता है। इसलिए, बीते सालों में हमने को-ऑपरेटिव्स से जुड़े पूरे इकोसिस्टम को, और उसे ट्रांसफॉर्म करने का काम किया है, भारत ने अनेक रिफॉर्म्स किए हैं। हमारा प्रयास है कि Co-Operative Societies को Multipurpose बनाया जाए। इसी लक्ष्य के साथ भारत सरकार ने अलग से Co-Operative Ministry बनाई...सहकारी समितियों को मल्टीपरपज बनाने के लिए नए मॉडल bylaws बनाए गए। हमने सहकारी समितियों को IT Enabled Eco System से जोड़ा है। इनको डिस्ट्रिक्ट और स्टेट लेवल पर Cooperative Banking Institutions से कनेक्ट किया गया है। आज ये समितियां भारत में किसानों को लोकल सोल्यूशन देने वाले सेंटर चला रहे हैं। ये सहकारी समितियां पेट्रोल और डीजल के रिटेल आउटलेट चला रही हैं। कई गाँवों में ये Co-Operative Societies, Water Management का काम भी देख रही हैं। कई गावों में Co-Operative Societies सोलर पैनल लगाने का काम कर रही हैं। Waste To Energy के मंत्र के साथ आज Co-Operative Societies गोबरधन स्कीम में भी मदद कर रही है। इतना ही नहीं, सहकारी समितियां अब कॉमन सर्विस सेंटर के तौर पर गांवों में डिजिटल सर्विसेज़ भी दे रही हैं। हमारी कोशिश यही है कि ये Co-Operative Societies ज्यादा से ज्यादा मजबूत बनें, इनके मेंबर्स की आय भी बढ़े।

साथियों,

अब हम 2 लाख ऐसे गांवों में Multipurpose सहकारी समितियों का गठन कर रहे हैं, जहां अभी कोई समिति नहीं है। हम मैन्युफैक्चरिंग से लेकर सर्विस सेक्टर में Co-Operatives का विस्तार कर रहे हैं। भारत आज कॉपरेटिव सेक्टर में दुनिया की सबसे बड़ी ग्रेन स्टोरेज स्कीम पर काम कर रहा है। इस स्कीम को भी हमारे Co-Operatives ही Execute कर रहे हैं। इसके तहत पूरे भारत में ऐसे वेयर हाउस बनाए जा रहे हैं जिसमें किसान अपनी फसल रख सकेंगे। इसका फायदा भी सबसे ज्यादा छोटे किसानों को होगा।

साथियों,

हम अपने छोटे किसानों को FPO’s यानि फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइज़ेशन के रूप में संगठित कर रहे हैं। छोटे किसानों के इन FPO’s को सरकार, ज़रूरी फाइनेंशियल सपोर्ट भी दे रही है। ऐसे करीब 9 हज़ार FPO’s काम करना शुरु कर चुके हैं। हमारा प्रयास है कि हमारे जो फार्म को-ऑपरेटिव्स हैं, उनके लिए फार्म से लेकर किचन तक, फार्म से लेकर मार्केट तक, एक सशक्त सप्लाई और वैल्यू चेन बने। इसके लिए हम आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं। हम Open Network for Digital Commerce- ONDC जैसे पब्लिक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से Co-Operatives को अपने प्रोडक्ट बेचने का नया माध्यम दे रहे हैं। इसके माध्यम से हमारे Co-Operatives सीधे, कम से कम कीमत में Consumer को प्रोडक्ट डिलीवर करते हैं। सरकार ने जो GeM यानि गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस नाम का डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया है...उससे भी कॉपरेटिव सोसायटीज को काफी मदद मिली है।

साथियों,

इस सदी में Global Growth में एक बहुत बड़ा Factor, महिलाओं की भागीदारी का होने वाला है। जो देश, जो समाज जितनी अधिक भागीदारी महिलाओं को देगा, उतना ही तेज़ी से ग्रो करेगा। भारत में आज Women Led Development का दौर है, हम इस पर बहुत फोकस कर रहे हैं और Co-Operative Sector में भी महिलाओं को बड़ी भूमिका है। आज भारत के Co-Operative सेक्टर में 60 परसेंट से ज्यादा भागीदारी महिलाओं की है। महिलाओं के कितने ही कॉपरेटिव्स आज इस सेक्टर की ताकत बने हुए हैं।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि Co-Operatives की मैनेजमेंट भी महिलाओं की भागीदारी उसमें बढ़े। इसके लिए हमने मल्टी स्टेट को-आपरेटिव सोसायटी ऐक्ट में संशोधन किया है। अब मल्टी स्टेट को-आपरेटिव सोसायटी के बोर्ड में Women Directors का होना ज़रूरी कर दिया गया है। इतना ही नहीं, सोसायटीज़ को और इंक्लूसिव बनाने के लिए वंचित वर्गों के लिए भी रिजर्वेशन की व्यवस्था की गई है।

साथियों,

आपने सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के रूप में भारत के एक बहुत बड़े Movement के बारे में भी ज़रूर सुना होगा। Women Participation से Women Empowerment का ये बहुत बड़ा आंदोलन है। आज भारत की 10 करोड़ यानि 100 मिलियन महिलाएं... सेल्फ हेल्प ग्रुप्स की मेंबर्स हैं। बीते एक दशक में इन सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को सरकार ने 9 लाख करोड़ रुपए यानि Nine Trillion Rupees का सस्ता लोन दिया है। इससे इन सेल्फ हेल्प ग्रुप्स ने गांवों में बड़ी वेल्थ जेनरेट की है। आज दुनिया के कितने ही देशों के लिए ये महिला सशक्तिकरण का बड़ा मॉडल बन सकता है।

साथियों,

21वीं सदी में अब समय है कि हम सभी मिलकर अब ग्लोबल Co-Operative Movement की दिशा तय करें। हमें एक ऐसे Collaborative Financial Model के बारे में सोचना होगा, जो Cooperatives की Financing को आसान बनाए और ट्रांसपेरेंट बनाए। छोटे और आर्थिक रूप से कमजोर Cooperatives को आगे बढ़ाने के लिए, Financial Resources की Pooling बहुत जरूरी है। ऐसे Shared Financial Platforms, बड़े प्रोजेक्ट्स की फंडिंग और को-ऑपरेटिव्स को लोन देने का माध्यम बन सकते हैं। हमारे Cooperatives भी Procurement, Production और Distribution में भागीदारी करके सप्लाई चेन को बेहतर कर सकते हैं।

साथियों,

आज एक और विषय पर मंथन की आवश्यकता है। क्या Globally हम ऐसे बड़े Financial Institutions बना सकते हैं, जो पूरी दुनिया में Co-Operatives को Finance कर सकें? ICA अपनी जगह पर अपना रोल बखूबी निभा रहा है, लेकिन भविष्य में इससे भी आगे बढ़ना ज़रूरी है। दुनिया में इस वक्त के हालात Co-Operative Movement के लिए एक बड़ा अवसर हो सकते हैं। Co-Operatives को हमें दुनिया में Integrity और Mutual Respect का Flag Bearer भी बनाना होगा। इसके लिए हमें अपनी Policies को Innovate करना होगा और Strategize करना होगा। Cooperatives को Climate Resilient बनाने के लिए उन्हें Circular Economy से जोड़ा जाना चाहिए। Co-Operatives में स्टार्ट अप्स को हम कैसे बढ़ावा दे सकते हैं, इस पर भी चर्चा जरूरी है, चर्चा की आवश्यकता लगती है।

साथियों,

भारत का ये मानना है कि co-operative से global co-operation को नई ऊर्जा मिल सकती है। विशेष रूप से ग्लोबल साउथ के देशों को जिस प्रकार की ग्रोथ की ज़रूरत है, उसमें co-operatives मदद कर सकती हैं। इसलिए आज co-operatives के इंटरनेशनल collaboration के लिए हमें नए रास्ते बनाने होंगे, innovations करने होंगे। और इसमें इस कॉन्फ्रेंस की बहुत बड़ी भूमिका मैं देख रहा हूं।

साथियों,

भारत आज सबसे तेज़ी से विकसित होने वाली Economy है। हमारा मकसद, High GDP ग्रोथ के साथ-साथ, इसका लाभ गरीब से गरीब तक पहुंचाने का भी है। दुनिया के लिए भी ये ज़रूरी है कि ग्रोथ को ह्यूमेन सेंट्रिक नजरिए से देखे। भारत का ये लक्ष्य रहा है कि देश में हो या फिर ग्लोबली, हमारे हर काम में ह्यूमेन सेंट्रिक भाव ही प्रबल हो। ये हमने तब भी देखा जब पूरी मानवता पर कोविड का इतना बड़ा संकट आया। तब हम दुनिया की उस आबादी के साथ खड़े रहे, उन देशों के साथ खड़े रहे, जिनके पास रिसोर्स नहीं थे। इनमें से अनेक देश ग्लोबल साउथ के थे, जिनके साथ भारत ने दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। तब Economic Sense कहती थी कि उस स्थिति का फायदा उठाया जाए। लेकिन मानवता का भाव कहता था...जी नहीं...वो रास्ता सही नहीं है। सेवा का ही मार्ग होना चाहिए। और हमने, हमने मुनाफा का नहीं मानवता का रास्ता चुना।

साथियों,

Co-Operatives का महत्व सिर्फ स्ट्रक्चर से, नियमों-कानूनों भर से ही नहीं है। इनसे संस्थाएं बन सकती हैं, कानून, नियम, स्ट्रक्चर संस्थाएं बन सकती है, उनका विकास और विस्तार भी शायद हो सकता है। लेकिन Co-Operatives की स्पिरिट ये सबसे महत्वपूर्ण है। यही Co-Operative Spirit ही, इस मूवमेंट की प्राणशक्ति है। ये सहकार की संस्कृति से आती है। महात्मा गांधी कहते थे कि Cooperatives की सफलता उनकी संख्या से नहीं, उनके सदस्यों के नैतिक विकास से होती है। जब नैतिकता होगी, तो मानवता के हित में ही सही फैसले होंगे। मुझे विश्वास है कि International Year Of Co-Operatives में इसी भाव को सशक्त करने के लिए हम निरंतर काम करेंगे। एक बार फिर मैं आप सभी का अभिनंदन और बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। ये पांच दिन का समिट अनेक विषयों पर चर्चा करके इस मंथन से वो अमृत निकलेगा जो समाज के हर वर्ग को, दुनिया के हर देश को Co-Operative के स्पिरिट के साथ आगे बढ़ाने में सशक्त करेगा, समृद्धि देगा। इसी एक भावना के साथ मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।

धन्यवाद।