NDA is dedicated to welfare of poor; our mantra is all round development of Bihar: PM #ParivatanRally
Don't let the 'Jungle Raj' & 'Jantar Mantar Raj' come into power, they will ruin Bihar: PM
Bihar's youth is extremely talented. They can do wonders: PM Modi #ParivatanRally
BIHAR stands for: Brilliant, Innovative, Hardworking, Action-oriented & Resourceful: PM Modi
Bihar needs NDA's engine of development to drive out the state of all the problems it faces today: PM
Elect NDA Govt with 2/3rd majority for Bihar's uninterrupted progress: PM Modi
Lack of proper educational institutes & other amenities a proof that 'Mahaswarthbandhan' has done nothing for Bihar: PM Modi
Bihar will touch skies of development because of its hardworking people: PM Modi

पावन मिथिला भूमि के नमन करै छी। मिथिला की ई धरती कविराज विद्यापति सन विद्वान भूमि छै यहाँ के मिथिला पेंटिंग विश्व भर में ख्याति प्राप्त कैलक। अहाँ सब के अपार स्नेह देखकर मन भाव-विभोर भे गेल। अहाँ सब के ह्रदय से अभिनंदन करै छी। मंच पर विराजमान एनडीए के सभी वरिष्ठ नेतागण और उम्मीदवार।

चुनाव में बेनीपट्टी से भाजपा के उम्मीदवार विनोद नारायण झा, खजौली से भाजपा के उम्मीदवार अरुण शंकर प्रसाद, मधुबनी से भाजपा के उम्मीदवार रामदेव महतो, राजनगर से भाजपा के उम्मीदवार रामप्रीत पासवान, जनजारपुर से भाजपा के उम्मीदवार श्री नीतीश मित्र, बुलपरा से भाजपा के उम्मीदवार श्रीमान राम सुंदर यादव जी, लोकहा से भाजपा के उम्मीदवार श्रीमान प्रमोद कुमार प्रियदर्शी, बाबू बरही से लोजपा के उम्मीदवार श्री विनोद कुमार सिंह, बिसफ़ी से रालोसपा के उम्मीदवार मनोज कुमार यादव, हरलाखी से रालोसपा के उम्मीदवार वसन कुमार, ये हैं जो बिहार का भाग्य बदलने के लिए एड़ी-चोटी का जोड़ लगाने वाले हैं।

इस सभा में यहाँ कर्पूरी गाँव की कुछ बहनों ने मुझे मेमोरेंडम भेजा है। अब देखिये, बिहार का हाल, गाँव के गरीब लोगों को बिहार सरकार में कोई सुनने को तैयार नहीं है, उनको प्रधानमंत्री के पास पहुंचना पड़ा, इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है। उनकी शिकायत है कि सरकार उनको उनकी जमीन से हटाने पर तुली हुई है, कोई हमें रहने के लिए जगह दे, ये कहने के लिए यहाँ तक आये हैं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि 8 तारीख को भाजपा, एनडीए की सरकार बनेगी और यहाँ के मुलाज़िम ख़ुद आकर आपकी शिकायत सुनेंगे और आपकी समस्या का समाधान करेंगे। मुझे दुःख इस बात का है कि इस मेमोरेंडम में नीचे जिन लोगों ने अपनी वेदना प्रकट की है, ये 21वीं सदी का हिन्दुस्तान, बिहार जिसमें 20-30 साल की महिलाएं बैठी हैं, लेकिन किसी को भी हस्ताक्षर करना नहीं सिखाया। उनको अंगूठा करना सिखाया। लालू जी, नीतीश बाबू, ये चिट्ठा आपके कुकर्मों का सबूत है। मुझे ख़ुशी होती कि गरीब से गरीब मेरी माताएं-बहनें अपने हाथ से लिखकर मुझे चिट्ठी देते। उन्हें अंगूठा के निशान के माध्यम से अपनी वेदना प्रकट करनी पड़ रही है, इससे बुरा कोई हाल नहीं हो सकता।

भाईयों-बहनों, जिस धरती से नालंदा की गूँज उठती थी, जिस धरती पर दुनिया के लोग पढ़ाई के लिए आते थे, उस धरती पर आजाद हिन्दुस्तान में जन्म लेनी वाली हमारी माताएं-बहनें अपनी वेदना प्रकट करने के लिए अंगूठा के निशान लगाने के लिए मजबूर हैं। मैडम सोनिया जी, आपने 35 साल सरकार चलाई और आपने बिहार को ये दिया। लालू जी, नीतीश जी, आपने 25 साल सरकार चलाई और आपने बिहार को ये दिया। ये दस्तावेज़ आपकी विफ़लता, आपकी सरकार की समाज और गरीब के प्रति क्रिमिनल नेग्लिजिएन्स का सबूत है।

इस चुनाव में हम विकास का मुद्दा लेकर आए हैं मैं हैरान हूँ कि मीलों दूर लोग मुझे देख नहीं पाते होंगे, उसके बावजूद ऐसी धूप में लाखों लोग आशीर्वाद देने आये हैं। इससे बड़ा नसीब क्या हो सकता है। मैं आपको नमन करता हूँ और ये प्यार कभी मैं भूल नहीं सकता। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि आप इस ताप में जो तपस्या कर रहे हैं, मैं उसे कभी बेकार नहीं होने दूंगा। मैं लोकसभा के चुनाव में भी आया था और उस समय भी यहीं पर मेरी सभा हुई थी लेकिन इतनी भीड़ नहीं आयी थी। आपका प्यार बढ़ता ही जा रहा है। लोकसभा चुनाव की मेरी रैलियों में 5-50 महिलाएं होती थीं लेकिन इस बार सभी रैलियों में हज़ारों महिलाओं को देखकर पता चलता है कि हवा का रूख किस तरफ़ है।

आज बिहार में चौथे चरण का मतदान चल रहा है। जो लोग पराजय से कांप रहे हैं, उन्हें दो-दो इंजन की ज़रुरत है। दो इंजन लगेंगे तब यह बिहार गड्ढ़े में से बाहर आएगा, एक इंजन पटना में एनडीए की सरकार और दूसरा इंजन दिल्ली में मेरी सरकार। मैं आपसे चाहता हूँ कि दिल्ली में तो आपने एक इंजन लगा दिया है, यहाँ भी आप एक इंजन बिठा दीजिए ताकि बिहार में एनडीए, भाजपा की सरकार बने जो बिहार को गड्ढ़े में से निकाल सके।

भाईयों-बहनों, मैं तहे दिल से बिहार का आदर करता हूँ क्योंकि मैं जब गुजरात में था या हिन्दुस्तान के कोने-कोने में पार्टी का काम करता था, तब भी जहाँ-जहाँ बिहार के लोग पहुंचे हैं, उस धरती को नंदनवन बना दिया है। आप मॉरिशस को देखिये, कहाँ से कहाँ पहुँच गया है, 150 साल पहले बिहार के लोग मजदूरी के लिए मॉरिशस गये और आज वहां की आन-बान-शान बिहार के लोगों की वजह से है। झारखंड भी तो बिहारियों की पहचान है और जैसे वहां भाजपा की सरकार बन गई, आज झारखंड चौथे नंबर पर है और ये बिहार वहीँ का वहीँ है क्योंकि यहाँ के नेता ऐसे कुंडली मार कर बैठे हैं कि बिहार को उठने ही नहीं दे रहे। ये नेता ही बिहार पर बोझ बन गए हैं और इन्होंने बिहार को तबाह कर दिया है। मेरा भरोसा बिहार के किसानों पर है, माताओं पर है, गरीबों पर है, मजदूरों पर है, विकास के लिए मेहनत करने वाले और पसीना बहाने वाले सभी भाईयों-बहनों पर है कि उनकी बदौलत बिहार आगे बढ़ने वाला है।

मेरे लिए बिहार का मतलब है, अंग्रेज़ी में स्पेलिंग को विस्तृत करें तो ‘बी’ से ब्रिलियंट, ‘आई’ से इनोवेटिव, ‘एच’ से हार्ड वर्किंग, ‘ए’ से एक्शन ओरिएंटेड और ‘आर’ से रिसॉर्सफुल। ये ताक़त है बिहार की और इसी ताक़त के भरोसे मैं बिहार को हिन्दुस्तान में नई ऊंचाईयों तक पहुँचाने का सपना देखता हूँ और उन सपनों को पूरा करने के लिए विकास का मंत्र लेकर आया हूँ।

जब मैं प्रधानमंत्री नहीं था तो एक बार हवाई सफ़र के दौरान एक सज्जन मेरे पास बैठे थे, वो मेरी तरफ़ देख रहे थे और मुझसे उन्होंने पूछा कि आप कोई अंगूठी या तावीज़ नहीं पहनते हो। मैंने कहा कि मैं जंतर-मंतर पर भरोसा नहीं करता। मैं लोकतंत्र पर भरोसा करता हूँ, किसी जंतर-मंतर पर नहीं। सवा सौ करोड़ देशवासी ही मेरे लिए सब कुछ हैं, मुझे और किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं है। जिन्हें लोकतंत्र में श्रद्धा न हो, जिनके पास जनता-जनार्दन का विश्वास न हो, उनके लिए जंतर-मंतर के सिवा कोई चारा नहीं होता है। आपके परिवार में भी कभी कोई बीमार हो जाए, आप हर प्रकार की दवाई करवा ले, बड़े से बड़े डॉक्टर या दिल्ली के अच्छे से अच्छे अस्पताल में जाकर ईलाज करवा ले लेकिन बीमारी जब ठीक न हो तो परिवार वाले कितने भी पढ़े-लिखे क्यों हों, वो भी थक-हार कर किसी जंतर-मंतर वाले के पास चले जाते हैं। ये नीतीश जी भी ऐसे थक गए हैं, मन से ऐसे हार गए हैं, अब बचना मुश्किल है तो बाबा के पास चले जाते हैं। लोकतंत्र का मज़ाक बना दिया है।

आप बताईये कि आपके घर में बिजली न हो तो क्या जंतर-मंतर से बिजली आ जाएगी क्या? अगर पानी न हो तो क्या जंतर-मंतर से पानी आएगा क्या? अगर रोजगार न हो तो क्या जंतर-मंतर से रोजगार मिलेगा क्या? स्कूल में मास्टर जी न हो तो क्या जंतर-मंतर से मास्टर जी आ जाएंगे क्या? पहले बिहार ने जंगलराज झेला और क्या-क्या झेला, ये आपको अच्छे से पता है। यहाँ की महिलाएं गहने पहन कर बाहर नहीं जा सकती थी क्योंकि उन्हें लूट लिया जाता था। सरेआम अपहरण होता था, लूट चलती थी। पहले जंगलराज था और अब जंतर-मंतर का राज, ये दोनों जुड़वाँ भाई इकट्ठे हो गए। इन दोनों को इकठ्ठा मत होने दो, नहीं तो बिहार की बर्बादी के सिवा आपके नसीब में कुछ नहीं आएगा।

एक बात साफ़ है कि ये मधुबनी ज़िला हमारे अटल बिहारी वाजपेयी का सबसे प्रिय ज़िला है। उनका इस धरती पर इतना प्यार था जिसकी हम कल्पना नहीं कर सकते। वे स्वयं कविराज रहे हैं। ये मंडन मिश्र की धरती है जहाँ शंकराचार्य जी के साथ उनका संवाद हुआ। लोकतंत्र में संवाद की क्या ताक़त होती है, ये उनके संवाद ने दिखा दिया।

आज बिहार का हाल क्या है।।। प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से बिहार हिन्दुस्तान में 29वें नंबर पर पड़ा है; शिक्षा की दृष्टि से बिहार हिन्दुस्तान में 29वें नंबर पर है; प्रति व्यक्ति विद्युत् की खपत में बिहार हिन्दुस्तान में 29वें नंबर पर पड़ा है; शुद्ध पीने का पानी मुहैया कराने की दृष्टि से बिहार हिन्दुस्तान में 32वें नंबर पर पड़ा है; ग्रामीण क्षेत्रों में टेली डेंसिटी के स्तर से बिहार हिन्दुस्तान में 28वें नंबर पर पड़ा है; रोजगार निर्माण की दृष्टि से बिहार हिन्दुस्तान में 20वें नंबर पर पड़ा है; मैं क्या-क्या गिनाऊं, झारखंड आप ही का हिस्सा था और अलग होने के बाद इतना आगे निकाल गया। अभी वर्ल्ड बैंक ने एक रिपोर्ट निकाली थी कि किस राज्य में लोग निवेश करना चाहते हैं, ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस कहाँ है। आपको जानकर दुःख होगा कि झारखंड, जो कभी बिहार की हिस्सा था, वो आज चौथे नंबर पर है और ये बिहार 21वें – 22वें नंबर पर खड़ा है। इस बर्बादी का करण ये सरकार है।

मैं विकास की बात करता हूँ क्योंकि मुझे बिहार के जीवन को बदलना है। गंगा घाट का विकास, कोसी को तो मैं कभी भूल नहीं सकता, जब यहाँ कोसी संकट था तो मैं यहाँ के लोगों की सेवा करना चाहता था लेकिन उनके अहंकार ने मुझे रोक दिया। बिहार में हमने 20 घाटों के विकास को करने का प्रोजेक्ट आरंभ कर दिया, 16 घाटों पर कार्य प्रगति में हैं और 4 घाट, जब आप छठ पूजा करने जाएंगे तब तक उनका भी काम पूरा कर दिया जाएगा। इसके लिए 262 करोड़ रूपया दिया गया, ये कोई छोटी रकम नहीं है। करीब-करीब 300 करोड़ रूपया हम गंगा घाटों के पुनर्निर्माण के लिए हम लगा चुके हैं।

बिहार का भाग्य बदल सकता है – बिहार का पानी और बिहार की जवानी। कोसी का पानी आता है और बिहार को तबाह करके चला जाता है और किसान के कोई काम नहीं आता है। इसके साथ-साथ इसी इलाक़े में दूसरी तरफ़ सूखा होता है। नरेगा के लिए 100 प्रतिशत पैसा केंद्र देता है और अगर इन्होंने नाले ठीक कर दिए होते और पानी को खेतों तक पहुंचा दिया होता तो मेरा किसान मिट्टी में से सोना पैदा कर देता। हिन्दुस्तान का 80 प्रतिशत मखाना यहाँ बनता है और देशभर के लोगों का व्रत तब तक पूरा नहीं होता जब तक मखाना खाने का सौभाग्य न मिले लेकिन उनको विकास से कोई लेना-देना नहीं है।

बिहार में पर्यटन के इतने अवसर हैं, हम पर्यटन को इतना बढ़ावा देना चाहते हैं ताकि गरीबों को रोजगार मिले। टूरिज्म में इतनी ताक़त होती है कि ये गरीब से गरीब को रोजगार देने में सक्षम है। फल और फूल बेचने वाला, खिलौने बेचने वाला, हर कोई कमा सकता है और कोई ज्यादा पूँजी की भी जरुरत नहीं है। महात्मा गाँधी सर्किट, पटना साहिब, रामायण सर्किट, बुद्ध के लिए पावापुरी, ढ़ेरों ऐसे उदाहरण हैं पर्यटन के क्षेत्र में। टूरिज्म सेक्टर के विकास के लिए हमने 600 करोड़ रुपये देने का फैसला किया है ताकि यहाँ के गरीबों को रोजगार मिले।

बिहार के विकास के लिए 1 लाख 25 हज़ार करोड़ का पैकेज और 40 हज़ार करोड़ पुराना वाला जो कागज़ पर पड़ा था लेकिन जिसे कोई देने का नाम नहीं लेता था, हमने निर्णय लिया इसे देने का। हमने सब मिलाकर 1 लाख 65 हज़ार करोड़ का पैकेज दिया जो बिहार का भाग्य बदलने का ताकत रखता है। एनएच – 104, शिवहर, सीतामढ़ी, जयनगर, नरैया सेक्शन के 180 किमी अपग्रेडेशन के लिए 700 करोड़ रूपया, एनएच – 106, वीरपुर सेक्शन के 105 किमी के लिए पौने 600 करोड़ रूपया, गंगा सेतु पर मौजूदा लेन को 4 लेन करने के लिए 5,000 करोड़ रूपया, अनगिनत कह सकता हूँ।

मेरा मकसद है, तीन सूत्रीय कार्यक्रम – परिवारों का भाग्य बदलने के लिए पढ़ाई, कमाई और बुजुर्गों को दवाई। अगर बिहार के नौजवानों को सस्ती एवं अच्छी शिक्षा मिल जाए तो क्या उसे रोजगार के लिए भटकना पड़ेगा क्या। मेरा पहला संकल्प है, बिहार के नौजवानों के लिए पढ़ाई। दूसरी बात है, कमाई; नौजवान के लिए रोजगार। बिहार में पलायन रूकना चाहिए। ये पलायन रूकना चाहिए और बिहार के नौजवान को यहीं पर रोजगार का अवसर मिलना चाहिए। तीसरा कार्यक्रम है, दवाई; बुजुर्गों के लिए सस्ती दवाई, डॉक्टर और दवाखाना होना चाहिए। इंसान अगर बीमार हो तो कहाँ जाएगा। इसलिए आपके लिए मेरे तीन मंत्र हैं - पढ़ाई, कमाई और बुजुर्गों को दवाई। बिहार राज्य की भलाई के लिए तीन सूत्र है, बिजली, पानी एवं सड़क।  

एक बार मैंने ये छह चीज़ें कर लीन तो बिहार के नौजवानों का कभी पलायन नहीं होगा। बिहार हिन्दुस्तान के नक़्शे पर बहुत आगे बढ़ जाएगा और इसके लिए मैं आपका आशीर्वाद चाहता हूँ। चौथे चरण का मतदान अभी रिकॉर्ड ब्रेक चल रहा है, कतारें लगी हुई हैं, सुबह में भी वोटरों का प्रतिशत बढ़ रहा है। ये आंधी है, दो-तिहाई बहुमत से भाजपा, एनडीए की सरकार बनेगी, आपका यह आशीर्वाद मैं देख रहा हूँ। मैं आप सभी बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूँ। दोनों मुट्ठी बंद कर मेरे साथ ज़ोर से बोलिये –

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!       

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!