NDA is dedicated to welfare of poor; our mantra is all round development of Bihar: PM #ParivatanRally
Don't let the 'Jungle Raj' & 'Jantar Mantar Raj' come into power, they will ruin Bihar: PM
Bihar's youth is extremely talented. They can do wonders: PM Modi #ParivatanRally
BIHAR stands for: Brilliant, Innovative, Hardworking, Action-oriented & Resourceful: PM Modi
Bihar needs NDA's engine of development to drive out the state of all the problems it faces today: PM
Elect NDA Govt with 2/3rd majority for Bihar's uninterrupted progress: PM Modi
Lack of proper educational institutes & other amenities a proof that 'Mahaswarthbandhan' has done nothing for Bihar: PM Modi
Bihar will touch skies of development because of its hardworking people: PM Modi

पावन मिथिला भूमि के नमन करै छी। मिथिला की ई धरती कविराज विद्यापति सन विद्वान भूमि छै यहाँ के मिथिला पेंटिंग विश्व भर में ख्याति प्राप्त कैलक। अहाँ सब के अपार स्नेह देखकर मन भाव-विभोर भे गेल। अहाँ सब के ह्रदय से अभिनंदन करै छी। मंच पर विराजमान एनडीए के सभी वरिष्ठ नेतागण और उम्मीदवार।

चुनाव में बेनीपट्टी से भाजपा के उम्मीदवार विनोद नारायण झा, खजौली से भाजपा के उम्मीदवार अरुण शंकर प्रसाद, मधुबनी से भाजपा के उम्मीदवार रामदेव महतो, राजनगर से भाजपा के उम्मीदवार रामप्रीत पासवान, जनजारपुर से भाजपा के उम्मीदवार श्री नीतीश मित्र, बुलपरा से भाजपा के उम्मीदवार श्रीमान राम सुंदर यादव जी, लोकहा से भाजपा के उम्मीदवार श्रीमान प्रमोद कुमार प्रियदर्शी, बाबू बरही से लोजपा के उम्मीदवार श्री विनोद कुमार सिंह, बिसफ़ी से रालोसपा के उम्मीदवार मनोज कुमार यादव, हरलाखी से रालोसपा के उम्मीदवार वसन कुमार, ये हैं जो बिहार का भाग्य बदलने के लिए एड़ी-चोटी का जोड़ लगाने वाले हैं।

इस सभा में यहाँ कर्पूरी गाँव की कुछ बहनों ने मुझे मेमोरेंडम भेजा है। अब देखिये, बिहार का हाल, गाँव के गरीब लोगों को बिहार सरकार में कोई सुनने को तैयार नहीं है, उनको प्रधानमंत्री के पास पहुंचना पड़ा, इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है। उनकी शिकायत है कि सरकार उनको उनकी जमीन से हटाने पर तुली हुई है, कोई हमें रहने के लिए जगह दे, ये कहने के लिए यहाँ तक आये हैं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि 8 तारीख को भाजपा, एनडीए की सरकार बनेगी और यहाँ के मुलाज़िम ख़ुद आकर आपकी शिकायत सुनेंगे और आपकी समस्या का समाधान करेंगे। मुझे दुःख इस बात का है कि इस मेमोरेंडम में नीचे जिन लोगों ने अपनी वेदना प्रकट की है, ये 21वीं सदी का हिन्दुस्तान, बिहार जिसमें 20-30 साल की महिलाएं बैठी हैं, लेकिन किसी को भी हस्ताक्षर करना नहीं सिखाया। उनको अंगूठा करना सिखाया। लालू जी, नीतीश बाबू, ये चिट्ठा आपके कुकर्मों का सबूत है। मुझे ख़ुशी होती कि गरीब से गरीब मेरी माताएं-बहनें अपने हाथ से लिखकर मुझे चिट्ठी देते। उन्हें अंगूठा के निशान के माध्यम से अपनी वेदना प्रकट करनी पड़ रही है, इससे बुरा कोई हाल नहीं हो सकता।

भाईयों-बहनों, जिस धरती से नालंदा की गूँज उठती थी, जिस धरती पर दुनिया के लोग पढ़ाई के लिए आते थे, उस धरती पर आजाद हिन्दुस्तान में जन्म लेनी वाली हमारी माताएं-बहनें अपनी वेदना प्रकट करने के लिए अंगूठा के निशान लगाने के लिए मजबूर हैं। मैडम सोनिया जी, आपने 35 साल सरकार चलाई और आपने बिहार को ये दिया। लालू जी, नीतीश जी, आपने 25 साल सरकार चलाई और आपने बिहार को ये दिया। ये दस्तावेज़ आपकी विफ़लता, आपकी सरकार की समाज और गरीब के प्रति क्रिमिनल नेग्लिजिएन्स का सबूत है।

इस चुनाव में हम विकास का मुद्दा लेकर आए हैं मैं हैरान हूँ कि मीलों दूर लोग मुझे देख नहीं पाते होंगे, उसके बावजूद ऐसी धूप में लाखों लोग आशीर्वाद देने आये हैं। इससे बड़ा नसीब क्या हो सकता है। मैं आपको नमन करता हूँ और ये प्यार कभी मैं भूल नहीं सकता। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि आप इस ताप में जो तपस्या कर रहे हैं, मैं उसे कभी बेकार नहीं होने दूंगा। मैं लोकसभा के चुनाव में भी आया था और उस समय भी यहीं पर मेरी सभा हुई थी लेकिन इतनी भीड़ नहीं आयी थी। आपका प्यार बढ़ता ही जा रहा है। लोकसभा चुनाव की मेरी रैलियों में 5-50 महिलाएं होती थीं लेकिन इस बार सभी रैलियों में हज़ारों महिलाओं को देखकर पता चलता है कि हवा का रूख किस तरफ़ है।

आज बिहार में चौथे चरण का मतदान चल रहा है। जो लोग पराजय से कांप रहे हैं, उन्हें दो-दो इंजन की ज़रुरत है। दो इंजन लगेंगे तब यह बिहार गड्ढ़े में से बाहर आएगा, एक इंजन पटना में एनडीए की सरकार और दूसरा इंजन दिल्ली में मेरी सरकार। मैं आपसे चाहता हूँ कि दिल्ली में तो आपने एक इंजन लगा दिया है, यहाँ भी आप एक इंजन बिठा दीजिए ताकि बिहार में एनडीए, भाजपा की सरकार बने जो बिहार को गड्ढ़े में से निकाल सके।

भाईयों-बहनों, मैं तहे दिल से बिहार का आदर करता हूँ क्योंकि मैं जब गुजरात में था या हिन्दुस्तान के कोने-कोने में पार्टी का काम करता था, तब भी जहाँ-जहाँ बिहार के लोग पहुंचे हैं, उस धरती को नंदनवन बना दिया है। आप मॉरिशस को देखिये, कहाँ से कहाँ पहुँच गया है, 150 साल पहले बिहार के लोग मजदूरी के लिए मॉरिशस गये और आज वहां की आन-बान-शान बिहार के लोगों की वजह से है। झारखंड भी तो बिहारियों की पहचान है और जैसे वहां भाजपा की सरकार बन गई, आज झारखंड चौथे नंबर पर है और ये बिहार वहीँ का वहीँ है क्योंकि यहाँ के नेता ऐसे कुंडली मार कर बैठे हैं कि बिहार को उठने ही नहीं दे रहे। ये नेता ही बिहार पर बोझ बन गए हैं और इन्होंने बिहार को तबाह कर दिया है। मेरा भरोसा बिहार के किसानों पर है, माताओं पर है, गरीबों पर है, मजदूरों पर है, विकास के लिए मेहनत करने वाले और पसीना बहाने वाले सभी भाईयों-बहनों पर है कि उनकी बदौलत बिहार आगे बढ़ने वाला है।

मेरे लिए बिहार का मतलब है, अंग्रेज़ी में स्पेलिंग को विस्तृत करें तो ‘बी’ से ब्रिलियंट, ‘आई’ से इनोवेटिव, ‘एच’ से हार्ड वर्किंग, ‘ए’ से एक्शन ओरिएंटेड और ‘आर’ से रिसॉर्सफुल। ये ताक़त है बिहार की और इसी ताक़त के भरोसे मैं बिहार को हिन्दुस्तान में नई ऊंचाईयों तक पहुँचाने का सपना देखता हूँ और उन सपनों को पूरा करने के लिए विकास का मंत्र लेकर आया हूँ।

जब मैं प्रधानमंत्री नहीं था तो एक बार हवाई सफ़र के दौरान एक सज्जन मेरे पास बैठे थे, वो मेरी तरफ़ देख रहे थे और मुझसे उन्होंने पूछा कि आप कोई अंगूठी या तावीज़ नहीं पहनते हो। मैंने कहा कि मैं जंतर-मंतर पर भरोसा नहीं करता। मैं लोकतंत्र पर भरोसा करता हूँ, किसी जंतर-मंतर पर नहीं। सवा सौ करोड़ देशवासी ही मेरे लिए सब कुछ हैं, मुझे और किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं है। जिन्हें लोकतंत्र में श्रद्धा न हो, जिनके पास जनता-जनार्दन का विश्वास न हो, उनके लिए जंतर-मंतर के सिवा कोई चारा नहीं होता है। आपके परिवार में भी कभी कोई बीमार हो जाए, आप हर प्रकार की दवाई करवा ले, बड़े से बड़े डॉक्टर या दिल्ली के अच्छे से अच्छे अस्पताल में जाकर ईलाज करवा ले लेकिन बीमारी जब ठीक न हो तो परिवार वाले कितने भी पढ़े-लिखे क्यों हों, वो भी थक-हार कर किसी जंतर-मंतर वाले के पास चले जाते हैं। ये नीतीश जी भी ऐसे थक गए हैं, मन से ऐसे हार गए हैं, अब बचना मुश्किल है तो बाबा के पास चले जाते हैं। लोकतंत्र का मज़ाक बना दिया है।

आप बताईये कि आपके घर में बिजली न हो तो क्या जंतर-मंतर से बिजली आ जाएगी क्या? अगर पानी न हो तो क्या जंतर-मंतर से पानी आएगा क्या? अगर रोजगार न हो तो क्या जंतर-मंतर से रोजगार मिलेगा क्या? स्कूल में मास्टर जी न हो तो क्या जंतर-मंतर से मास्टर जी आ जाएंगे क्या? पहले बिहार ने जंगलराज झेला और क्या-क्या झेला, ये आपको अच्छे से पता है। यहाँ की महिलाएं गहने पहन कर बाहर नहीं जा सकती थी क्योंकि उन्हें लूट लिया जाता था। सरेआम अपहरण होता था, लूट चलती थी। पहले जंगलराज था और अब जंतर-मंतर का राज, ये दोनों जुड़वाँ भाई इकट्ठे हो गए। इन दोनों को इकठ्ठा मत होने दो, नहीं तो बिहार की बर्बादी के सिवा आपके नसीब में कुछ नहीं आएगा।

एक बात साफ़ है कि ये मधुबनी ज़िला हमारे अटल बिहारी वाजपेयी का सबसे प्रिय ज़िला है। उनका इस धरती पर इतना प्यार था जिसकी हम कल्पना नहीं कर सकते। वे स्वयं कविराज रहे हैं। ये मंडन मिश्र की धरती है जहाँ शंकराचार्य जी के साथ उनका संवाद हुआ। लोकतंत्र में संवाद की क्या ताक़त होती है, ये उनके संवाद ने दिखा दिया।

आज बिहार का हाल क्या है।।। प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से बिहार हिन्दुस्तान में 29वें नंबर पर पड़ा है; शिक्षा की दृष्टि से बिहार हिन्दुस्तान में 29वें नंबर पर है; प्रति व्यक्ति विद्युत् की खपत में बिहार हिन्दुस्तान में 29वें नंबर पर पड़ा है; शुद्ध पीने का पानी मुहैया कराने की दृष्टि से बिहार हिन्दुस्तान में 32वें नंबर पर पड़ा है; ग्रामीण क्षेत्रों में टेली डेंसिटी के स्तर से बिहार हिन्दुस्तान में 28वें नंबर पर पड़ा है; रोजगार निर्माण की दृष्टि से बिहार हिन्दुस्तान में 20वें नंबर पर पड़ा है; मैं क्या-क्या गिनाऊं, झारखंड आप ही का हिस्सा था और अलग होने के बाद इतना आगे निकाल गया। अभी वर्ल्ड बैंक ने एक रिपोर्ट निकाली थी कि किस राज्य में लोग निवेश करना चाहते हैं, ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस कहाँ है। आपको जानकर दुःख होगा कि झारखंड, जो कभी बिहार की हिस्सा था, वो आज चौथे नंबर पर है और ये बिहार 21वें – 22वें नंबर पर खड़ा है। इस बर्बादी का करण ये सरकार है।

मैं विकास की बात करता हूँ क्योंकि मुझे बिहार के जीवन को बदलना है। गंगा घाट का विकास, कोसी को तो मैं कभी भूल नहीं सकता, जब यहाँ कोसी संकट था तो मैं यहाँ के लोगों की सेवा करना चाहता था लेकिन उनके अहंकार ने मुझे रोक दिया। बिहार में हमने 20 घाटों के विकास को करने का प्रोजेक्ट आरंभ कर दिया, 16 घाटों पर कार्य प्रगति में हैं और 4 घाट, जब आप छठ पूजा करने जाएंगे तब तक उनका भी काम पूरा कर दिया जाएगा। इसके लिए 262 करोड़ रूपया दिया गया, ये कोई छोटी रकम नहीं है। करीब-करीब 300 करोड़ रूपया हम गंगा घाटों के पुनर्निर्माण के लिए हम लगा चुके हैं।

बिहार का भाग्य बदल सकता है – बिहार का पानी और बिहार की जवानी। कोसी का पानी आता है और बिहार को तबाह करके चला जाता है और किसान के कोई काम नहीं आता है। इसके साथ-साथ इसी इलाक़े में दूसरी तरफ़ सूखा होता है। नरेगा के लिए 100 प्रतिशत पैसा केंद्र देता है और अगर इन्होंने नाले ठीक कर दिए होते और पानी को खेतों तक पहुंचा दिया होता तो मेरा किसान मिट्टी में से सोना पैदा कर देता। हिन्दुस्तान का 80 प्रतिशत मखाना यहाँ बनता है और देशभर के लोगों का व्रत तब तक पूरा नहीं होता जब तक मखाना खाने का सौभाग्य न मिले लेकिन उनको विकास से कोई लेना-देना नहीं है।

बिहार में पर्यटन के इतने अवसर हैं, हम पर्यटन को इतना बढ़ावा देना चाहते हैं ताकि गरीबों को रोजगार मिले। टूरिज्म में इतनी ताक़त होती है कि ये गरीब से गरीब को रोजगार देने में सक्षम है। फल और फूल बेचने वाला, खिलौने बेचने वाला, हर कोई कमा सकता है और कोई ज्यादा पूँजी की भी जरुरत नहीं है। महात्मा गाँधी सर्किट, पटना साहिब, रामायण सर्किट, बुद्ध के लिए पावापुरी, ढ़ेरों ऐसे उदाहरण हैं पर्यटन के क्षेत्र में। टूरिज्म सेक्टर के विकास के लिए हमने 600 करोड़ रुपये देने का फैसला किया है ताकि यहाँ के गरीबों को रोजगार मिले।

बिहार के विकास के लिए 1 लाख 25 हज़ार करोड़ का पैकेज और 40 हज़ार करोड़ पुराना वाला जो कागज़ पर पड़ा था लेकिन जिसे कोई देने का नाम नहीं लेता था, हमने निर्णय लिया इसे देने का। हमने सब मिलाकर 1 लाख 65 हज़ार करोड़ का पैकेज दिया जो बिहार का भाग्य बदलने का ताकत रखता है। एनएच – 104, शिवहर, सीतामढ़ी, जयनगर, नरैया सेक्शन के 180 किमी अपग्रेडेशन के लिए 700 करोड़ रूपया, एनएच – 106, वीरपुर सेक्शन के 105 किमी के लिए पौने 600 करोड़ रूपया, गंगा सेतु पर मौजूदा लेन को 4 लेन करने के लिए 5,000 करोड़ रूपया, अनगिनत कह सकता हूँ।

मेरा मकसद है, तीन सूत्रीय कार्यक्रम – परिवारों का भाग्य बदलने के लिए पढ़ाई, कमाई और बुजुर्गों को दवाई। अगर बिहार के नौजवानों को सस्ती एवं अच्छी शिक्षा मिल जाए तो क्या उसे रोजगार के लिए भटकना पड़ेगा क्या। मेरा पहला संकल्प है, बिहार के नौजवानों के लिए पढ़ाई। दूसरी बात है, कमाई; नौजवान के लिए रोजगार। बिहार में पलायन रूकना चाहिए। ये पलायन रूकना चाहिए और बिहार के नौजवान को यहीं पर रोजगार का अवसर मिलना चाहिए। तीसरा कार्यक्रम है, दवाई; बुजुर्गों के लिए सस्ती दवाई, डॉक्टर और दवाखाना होना चाहिए। इंसान अगर बीमार हो तो कहाँ जाएगा। इसलिए आपके लिए मेरे तीन मंत्र हैं - पढ़ाई, कमाई और बुजुर्गों को दवाई। बिहार राज्य की भलाई के लिए तीन सूत्र है, बिजली, पानी एवं सड़क।  

एक बार मैंने ये छह चीज़ें कर लीन तो बिहार के नौजवानों का कभी पलायन नहीं होगा। बिहार हिन्दुस्तान के नक़्शे पर बहुत आगे बढ़ जाएगा और इसके लिए मैं आपका आशीर्वाद चाहता हूँ। चौथे चरण का मतदान अभी रिकॉर्ड ब्रेक चल रहा है, कतारें लगी हुई हैं, सुबह में भी वोटरों का प्रतिशत बढ़ रहा है। ये आंधी है, दो-तिहाई बहुमत से भाजपा, एनडीए की सरकार बनेगी, आपका यह आशीर्वाद मैं देख रहा हूँ। मैं आप सभी बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूँ। दोनों मुट्ठी बंद कर मेरे साथ ज़ोर से बोलिये –

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!       

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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February 15, 2025
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श्री विनीत जैन जी, Industry Leaders, CEOs, अन्य सभी वरिष्ठ महानुभाव, देवियों और सज्जनों ! आप सबको नमस्कार…

 Last time जब मैं ET समिट में आया था तो चुनाव होने ही वाले थे। और उस समय मैंने आपके बीच पूरी विनम्रता से कहा था कि हमारे तीसरे टर्म में भारत एक नई स्पीड से काम करेगा। मुझे संतोष है कि ये स्पीड आज दिख भी रही है और देश इसको समर्थन भी दे रहा है। नई सरकार बनने के बाद, देश के अनेक राज्यों में बीजेपी-NDA को जनता का आशीर्वाद लगातार मिल रहा है! जून में ओडिशा के लोगों ने विकसित भारत के संकल्प को गति दी, फिर हरियाणा के लोगों ने समर्थन किया और अब दिल्ली के लोगों ने हमें भरपूर समर्थन दिया है। ये एक एक्नॉलेजमेंट है कि देश की जनता आज किस तरह विकसित भारत के लक्ष्य के लिए कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है।

साथियों,

जैसा आपने भी उल्लेख किया मैं अभी कल रात ही अमेरिका और फ्रांस की अपनी यात्रा से लौटा हूं। आज दुनिया के बड़े देश हों, दुनिया के बड़े मंच हों, भारत को लेकर जिस विश्वास से भरे हुए हैं, ये पहले कभी नहीं था। ये पेरिस में AI एक्शन समिट के दौरान हुए डिशकशंस में भी रिफ्लेक्ट हुआ है। आज भारत ग्लोबल फ्यूचर से जुड़े विमर्श के सेंटर में है, और कुछ चीजों में उसे लीड भी कर रहा है। मैं कभी-कभी सोचता हूं, अगर 2014 में देशवासियों ने हमें आशीर्वाद नहीं दिए होते, आप भी सोचिये, भारत में reforms की एक नई क्रांति नहीं शुरू हुई होती, यानी मुझे नहीं लगता है कि हो सकता है ये कतई नहीं होता, आप भी इस बात को यानी सिर्फ कहने को नहीं convince होंगे। क्या इतने सारे बदलाव होते क्या? आपमें से जो हिन्दी समझते होंगे उनको मेरी बात तुरंत समझ में आई होगी। देश तो पहले भी चल रहा था। Congress speed of development...और congress speed of corruption,ये दोनों चीज़ें देश देख रहा था। अगर वही जारी रहता, तो क्या होता? देश का एक अहम Time Period बर्बाद हो जाता। 2014 में तो कांग्रेस सरकार ये लक्ष्य लेकर चल रही थी कि 2044, यानी 2014 में वो सोचते थे और उनका डिक्लेयर टारगेट था कि 2044 तक भारत को Eleventh से Third Largest Economy बनाएंगे। 2044, यानी तीस साल का टाइम पीरियड था। ये था...congress का speed of development और विकसित भारत का स्पीड ऑफ डेवलपमेंट क्या होता है, ये भी आप देख रहे हैं। सिर्फ एक दशक में भारत, टॉप फाइव इकॉनॉमी में आ गया। और साथियों मैं पूरी जिम्मेदारी से कह रहा हूं अब अगले कुछ सालों में ही, आप भारत को दुनिया की third largest economy बनते देखेंगे। आप हिसाब लगाइए 2044… एक युवा देश को, यही स्पीड चाहिए और आज इसी स्पीड से भारत चल रहा है।

साथियों,

पहले की सरकारें Reforms से बचती रहीं, और ये बात भूलनी नहीं चाहिए ये ईटी वाले भूला देते हैं, ये मैं याद कराता हूं। जिस रिफार्म के गाजे बाजे हो रहे हैं ना वो because of compulsion था conviction से नहीं था। आज हिन्दुस्तान जो रिफार्म कर रहा है वो conviction से कर रहा है। उनमें एक सोच रही, अब कौन इतनी मेहनत करे, रिफार्म की क्या जरूरत है, अब लोगों ने बिठाया है, मौज करो यार, 5 साल निकाल दो, चुनाव आएगा तब देखेंगे। अक्सर, इस बात की चर्चा ही नहीं होती थी कि बड़े reforms से देश में कितना कुछ बदल सकता है। आप व्यापार जगत के लोग हैं सिर्फ हिसाब किताब आंकड़े नहीं लगाते, आप अपनी strategy को रिव्यु करते हैं। पुरानी पद्यतियों को छोड़ते हैं। एक समय में कितनी ही लाभकारक रही हो उसको भी छोड़ते हैं आप, जो कालवाहय हो जाता है उसका बोझ उठाकर कोई उद्योग चलता नहीं है जी, उसे छोड़ता ही है। आमतौर पर भारत में जहां तक सरकारों की बात है, गुलामी के बोझ में जीने की एक आदत पड़ चुकी थी। इसलिए, आज़ादी के बाद भी अंग्रेज़ों के जमाने की चीज़ों को ढोया जाता रहा। अब हम लोग आमतौर पर बोलते भी हैं, सुनते भी हैं और कभी कभी तो लगता है कि जैसे कोई बड़ा महत्वपूर्ण मंत्र है, बड़ा श्रद्धापूर्ण मंत्र है ऐसे बोलते हैं, justice delayed is justice denied, ऐसी बातें हम लंबे समय तक सुनते रहे, लेकिन इसको ठीक कैसे किया जाए, इस पर काम नहीं हुआ। समय के साथ हम इन चीजों के इतने आदी हो गए कि बदलाव को नोटिस ही नहीं कर पाते। और हमारे यहां तो एक ऐसा इकोसिस्टम भी है, कुछ साथी यहां भी बैठे होंगे जो अच्छी चीज़ों के बारे में चर्चा होने ही नहीं देते। वो उसको रोकने में ही ऊर्जा लगाए रखते हैं। जबकि लोकतंत्र में अच्छी चीज़ों पर भी चर्चा होना, मंथन होते रहना, ये भी लोकतंत्र की मजबूती के लिए उतना ही जरूरी है। लेकिन एक धारणा बना दी गई है कि कुछ नेगेटिव कहो, नेगेटिविटी फैलाओ, वही डेमोक्रेटिक है। अगर पॉजिटिव बातें होती हैं, तो डेमोक्रेसी को कमज़ोर करार कर दिया जाता है। इस मानसिकता से बाहर आना बहुत ज़रूरी है। मैं आपको कुछ उदाहरण दूंगा।

साथियों,

भारत में कुछ समय पहले तक जो पीनल कोड चल रहे थे, वो 1860 के बने थे। 1860 के, देश आजाद हुआ लेकिन हमें याद नहीं आया, क्योंकि गुलामी की मानसिकता में जीने की आदत हो गई थी। इनका मकसद, 1860 में जो कानून बने, मकसद क्या था, उसका मकसद था भारत में गुलामी को मजबूत करना, भारत के नागरिकों को दंड देना। जिस सिस्टम के मूल में ही दंड है, वहां न्याय कैसे मिल सकता था। इसलिए इस सिस्टम के कारण न्याय मिलने में कई-कई साल लग जाते थे। अब देखिए, हमने परिवर्तन किया बहुत बड़ा, बड़ी मेहनत करनी पड़ी ऐसे नहीं हुआ है, लाखों ह्यूनम आवर्स लगे है इसमें और भारतीय न्याय संहिता को लेकर के हम आए, भारतीय संसद ने इसको मान्यता दी, अब ये न्याय संहिता को लागू हुए अभी 7-8 महीने ही हुए हैं, लेकिन बदलाव साफ-साफ नज़र आ रहा है। अखबार में नहीं, आप लोगों में जाएंगे तो बदलाव नजर आएगा। न्याय संहिता लागू होने के बाद क्या बदलाव आया है, मैं बताता हूं, एक ट्रिपल मर्डर केस में FIR से लेकर फैसला आने तक सिर्फ 14 दिन लगे, इसमें उम्रकैद की सजा हो गई। एक स्थान पर एक नाबालिग की हत्या के केस को 20 दिन में अंतिम परिणाम तक पहुंचाया गया। गुजरात में गैंगरेप के एक मामले में 9 अक्टूबर को केस दर्ज हुआ, 26 अक्टूबर को चार्जशीट भी दाखिल हो गई। और आज 15 फरवरी को ही कोर्ट ने आरोपियों को दोषी करार दे दिया। आंध्र प्रदेश में 5 महीने के एक बच्चे से अपराध के मामले में अदालत ने दोषी को 25 वर्ष की सजा सुनाई है। इस केस में डिजिटल सबूतों ने बड़ी भूमिका निभाई। एक और मामले में रेप और मर्डर के आरोपी की तलाश में e-prison मॉड्यूल से बड़ी मदद मिली। इसी तरह एक राज्य में रेप और मर्डर का केस हुआ और तुरंत ही ये पता चल गया कि संदिग्ध दूसरे राज्य में एक क्राइम में पहले जेल जा चुका है। इसके बाद उसकी गिरफ्तारी में भी समय नहीं लगा। ऐसे अनेक मामले मैं गिना सकता हूं, जिसमें आज लोगों को तेज़ी से न्याय मिलने लगा है।

साथियों,

ऐसा ही एक बड़ा Reform प्रॉपर्टी राइट्स को लेकर हुआ है। यूएन की एक स्टडी में किसी देश के लोगों के पास प्रॉपर्टी राइट्स का ना होना एक बहुत बड़ा चैलेंज माना गया है। दुनिया के अनेक देशों में करोड़ों लोगों के पास प्रॉपर्टी के कानूनी दस्तावेज नहीं हैं। जबकि लोगों के पास प्रॉपर्टी राइट्स होने से गरीबी कम करने में मदद मिलती है। ये बारीकियां पहले की सरकारों को पता भी नहीं था, और कौन इतना सिरदर्द उठाए जी, कौन मेहनत करे, एैसे काम को ईटी की हेडलाइन तो बनने वाली नहीं है, तो करेगा कौन, ऐसी अप्रोच से न देश चला करते हैं, न देश बना करते हैं और इसलिए हमने स्वामित्व योजना की शुरुआत की। स्वामित्व योजना के तहत देश के 3 लाख से ज्यादा गांवों का ड्रोन सर्वे किया गया। सवा 2 करोड़ से ज्यादा लोगों को प्रॉपर्टी कार्ड दिए गए। और मैं ET को एक हेडलाइन आज दे रहा हूं, स्वामित्व लिखना जरा ईटी के लिए तकलीफ वाला है, लेकिन फिर भी वो तो आदत से हो जाएगा।

स्वामित्व योजना की वजह से देश के ग्रामीण क्षेत्र में अब तक सौ लाख करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी की वैल्यू अनलॉक हुई है। यानी 100 लाख करोड़ रुपए की ये प्रॉपर्टी पहले भी गांवों में मौजूद थी, गरीब के पास मौजूद थी। लेकिन इसका उपयोग आर्थिक विकास में नहीं हो पाता था। प्रॉपर्टी के राइट्स ना होने से गांव के लोगों को बैंक से लोन नहीं मिल पाता था। अब ये दिक्कत हमेशा-हमेशा के लिए दूर हो गई है। आज पूरे देश से ऐसी खबरें आती हैं कि कैसे स्वामित्व योजना के प्रॉपर्टी कार्ड्स से लोगों का फायदा हो रहा है। अभी कुछ दिन पहले राजस्थान की एक बहन से मेरी बातचीत हुई, उस बहन को स्वामित्व योजना के तहत प्रॉपर्टी कार्ड मिला हुआ है। इनका परिवार 20 साल से एक छोटे से मकान में रह रहा था। जैसे ही प्रॉपर्टी कार्ड मिला, तो उनको बैंक से करीब 8 लाख का लोन मिला, 8 लाख रूपये का लोन मिला, कागज मिलने से। इस पैसे से उस बहन ने एक दुकान शुरु की, अब उससे हुई कमाई से वो परिवार अब अपने बच्चों की हायर एजुकेशन के लिए सपोर्ट कर पा रहा है। यानी देखिए कैसे बदलाव आता है। एक और राज्य में, एक गांव में एक व्यक्ति ने प्रॉपर्टी कार्ड दिखाकर बैंक से साढ़े चार लाख का लोन लिया। उस लोन से उसने एक गाड़ी खरीदी औऱ ट्रांसपोर्टेशन का काम उसने शुरू कर दिया। एक और गांव में एक व्यक्ति ने प्रॉपर्टी कार्ड पर लोन लेकर अपने खेत में मॉडर्न इरिगेशन फेसिलिटीज तैयार करवाईं। ऐसे ही कई उदाहरण हैं, जिनसे गांवों में, गरीबों को कमाई के नए रास्ते बन रहे हैं। ये रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म की असली स्टोरीज़ हैं, जो अखबारों और टीवी चैनल्स की हेडलाइन्स में नहीं आती है।

साथियों,

आजादी के बाद हमारे देश में अनेकों ऐसे जिले थे, जहां सरकारें विकास नहीं पहुंचा पाईं। और ये उनके गवर्नेंस की कमी थी, बजट तो होता था, डिक्लेयर भी होता था, सेंसेक्स के रिपोर्ट भी छपते थे, ऊपर गया की नीचे गया। करना ये चाहिए था कि इन जिलों पर खास फोकस करते। लेकिन इन जिलों को पिछड़े जिले, बैकवर्ड डिस्ट्रिक्ट इसका लेबल लगाकर उन जिलों को अपने हाल पर छोड़ दिया। इन जिलों को कोई हाथ लगाने को तैयार नहीं होता था। यहां सरकारी अफसर भी अगर ट्रांसफर भी होती थी, तो ये मान लिया जाता था, कि punishment posting पर भेजा गया है।

साथियों,

इतना नेगेटिव एनवायरमेंट उस स्थिति को मैंने एक चुनौती के रूप में लिया और पूरे अप्रोच को ही बदला डाला। हमने ऐसे देश के करीब सौ से ज्यादा जिलों को identify किया, जिसको कभी backward जिला कहते थे मैंने कहा ये एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स है। ये backward नहीं है। हमने यहां देश के युवा अफसरों को वहां पर ड्यूटी देना शुरू कर दिया। माइक्रो लेवल पर गवर्नेंस को सुधारने का प्रयास शुरू किया। हमने उन इंडीकेटर्स पर काम किया, जिसमें ये सबसे पीछे थे। फिर मिशन मोड पर, कैंप लगाकर, सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं को यहां लागू किया। आज इनमें से कई aspirational districts, देश के inspirational districts बन चुके हैं।

साल 2018 में असम के मैं उन जो aspirational districts जिसको मैं कहता हूं, जिसको पहले की सरकार backward कहती थी, मैं उनका ही जिक्र करना चाहता हूं। असम के बारपेटा जिले में सिर्फ 26 परसेंट एलीमेंट्री स्कूलों में ही सही student to teacher ratio था, only 26 परसेंट। आज उस डिस्ट्रिक्ट में 100 पर्सेंट स्कूलों में student to teacher ratio आवश्यकता के अनुसार हो गया। बिहार के बेगुसराय जिले में सप्लीमेंट्री न्यूट्रिशन लेने वाली गर्भवती महिलाओं की संख्या, only 21 परसेंट थी, बजट नहीं था ऐसा नहीं था, बजट तो था, only 21 परसेंट। उसी प्रकार से यूपी के चंदौली जिले में ये 14 परसेंट थी। आज दोनों जिलों में ये 100 परसेंट हो चुकी है। इसी तरह बच्चों के शत-प्रतिशत टीकाकरण के अभियान में भी कई जिले बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं। यूपी के श्रावस्ती में 49 परसेंट से बढ़कर 86 परसेंट, तो तमिलनाडु के रामनाथपुरम में 67 परसेंट से बढ़कर 93 परसेंट हम पहुंचे हैं। ऐसी ही सफलताओं को देखते हुए ही अब देश के हम फिर ये प्रयोग बहुत सफल रहा, ग्रास रूट लेवल पर परिवर्तन लाने का ये प्रयास सफल रहा, तो जैसे पहले हमने 100 करीब करीब aspirational districts identify किए, अब हम एक स्टेज नीचे जाकर के 500 ब्लॉक्स उसको हमने aspirational blocks घोषित किया गया है, और वहां हम बिल्कुल फ़ोकस वे में तेजी से काम कर रहे हैं। अब आप कल्पना कर सकते हैं हिन्दुस्तान के 500 ब्लॉक्स उसके बेसिक बदलाव आएगा, मतलब देश के सारे पैरामीटर बदल जाते हैं।

साथियों,

यहां बहुत बड़ी संख्या में इंडस्ट्री लीडर्स बैठे हैं। आपने कई-कई दशक देखे हैं, दशकों से आप बिजनेस में हैं। भारत में बिजनेस का माहौल कैसा होना चाहिए, ये अक्सर आपकी Wish list का हिस्सा हुआ करता था। सोचिए कि हम 10 साल पहले कहां थे और आज कहां है? एक दशक पहले भारत के बैंक भारी संकट से गुजर रहे थे। हमारा बैंकिंग सिस्टम fragile था। करोड़ों भारतीय बैंकिंग सिस्टम से बाहर थे। और अभी विनीत जी ने जन धन एकाउंट की चर्चा भी की, भारत दुनिया के उन देशों में से एक था जहां, access to credit सबसे मुश्किल था।

साथियों,

हमने बैंकिंग सेक्टर को मजबूत करने के लिए अलग-अलग स्तर पर एक साथ काम किया। Banking the unbanked, Securing the unsecured, Funding the unfunded, ये हमारी स्ट्रैटजी रही है। 10 साल पहले ये तर्क दिया जाता था कि देश में बैंक ब्रांच नहीं है, तो कैसे फाइनेंशल इंक्लूजन होगा? आज देश के करीब-करीब हर गांव के 5 किलोमीटर के दायरे में कोई बैंक ब्रांच या बैंकिंग कॉरसपॉन्डेंट मौजूद है। एक्सेस टू क्रेडिट कैसे बढ़ा इसका एक उदाहरण, मुद्रा योजना है। करीब 32 लाख करोड़ रुपए, उन लोगों तक पहुंचे हैं, जिनको बैंकों की पुरानी व्यवस्था के तहत लोन मिल ही नहीं सकता था। ये कितना बड़ा परिवर्तन हुआ है। MSMEs के लिए लोन मिलना आज बहुत आसान हुआ है। आज रेहड़ी-पटरी ठेले वालों तक को हमने आसान लोन से जोड़ा है। किसानों को मिलने वाला लोन भी दोगुने से अधिक किया है। हम बहुत बड़ी संख्या में लोन दे रहे हैं, बड़े अमाउंट में लोन दे रहे हैं औऱ साथ ही हमारे बैंकों का प्रॉफिट भी बढ़ रहा है। 10 साल पहले तक इकोनॉमिक्स टाइम्स ही, बैंकों के रिकॉर्ड घोटाले की खबरें छापता था। रिकॉर्ड NPAs पर चिंता जताने वाले editorials छपते थे। आज आपके अखबार में क्या छप रहा है? अप्रैल से दिसंबर तक सरकारी बैंकों ने सवा लाख करोड़ रुपए से अधिक का रिकॉर्ड प्रॉफिट दर्ज किया है। साथियों, ये सिर्फ हेडलाइन्स नहीं बदली हैं। ये सिस्टम बदला है, जिसके मूल में हमारे बैंकिंग रिफॉर्म्स हैं। ये दिखाता है कि हमारी इकॉनॉमी के पिलर्स कितने मजबूत हो रहे हैं।

साथियों,

बीते दशक में हमने Fear of business को ease of doing businessमें बदला है। GST के कारण, देश में जो Single Large Market की व्यवस्था बनी है उससे भी इंडस्ट्री को बहुत फायदा मिल रहा है। बीते दशक में इंफ्रास्ट्रक्चर में भी अभूतपूर्व विकास हुआ है। इससे देश में Logistics Cost घट रही है, Efficiency बढ़ रही है। हमने सैकड़ों Compliances खत्म किए और अब जन विश्वास 2.0 से और भी Compliances को कम कर रहे हैं। समाज में, और ये मेरा conviction है, सरकार का दखल और कम हो, इसके लिए सरकार एक Deregulation Commission भी बनाने जा रही है।

Friends,

आज के भारत में एक और बहुत बड़ा परिवर्तन हम देख रहे हैं। ये परिवर्तन, फ्यूचर की तैयारी से जुड़ा है। जब दुनिया में पहली औद्योगिक क्रांति शुरु हुई, तो भारत में गुलामी की जकड़न मज़बूत होती जा रही थी। दूसरी औद्योगिक क्रांति के दौरान जहां दुनिया में नए-नए इन्वेंशन्स, नई फैक्ट्रियां लग रही थीं, तब भारत में लोकल इंडस्ट्री को नष्ट किया जा रहा था। भारत से रॉ मटीरियल बाहर ले जाया जा रहा था। आजादी के बाद भी स्थितियां ज्यादा नहीं बदलीं। जब दुनिया, कंप्यूटर क्रांति की तरफ बढ़ रही थी, तब भारत में कंप्यूटर खरीदने के लिए भी लाइसेंस लेना पड़ता था। पहली तीन औद्योगिक क्रांतियों का उतना लाभ भले ही भारत नहीं ले पाया, लेकिन चौथी औद्योगिक क्रांति में भारत दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाने के लिए तैयार है।

साथियों,

विकसित भारत की यात्रा में हमारी सरकार, प्राइवेट सेक्टर को बहुत अहम सहभागी मानती है। सरकार ने बहुत सारे नए सेक्टर्स को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोल दिया है, जैसे स्पेस सेक्टर। आज बहुत सारे नौजवान, बहुत सारे स्टार्टअप्स इस स्पेस सेक्टर में बड़ा योगदान दे रहे हैं। ऐसे ही ड्रोन सेक्टर कुछ समय पहले तक, लोगों के लिए closed था। आज इस सेक्टर में यूथ के लिए बहुत सारा स्कोप दिख रहा है। प्राइवेट फर्म्स के लिए Commercial Coal Mining का क्षेत्र खोला गया है। Auctions को प्राइवेट कंपनियों के लिए Liberalised किया गया है। देश के Renewable Energy Achievements में, हमारे Private Sector की बहुत बड़ी भूमिका है। और अब Power Distribution Sector में भी हम Private Sector को आगे बढ़ा रहे हैं, ताकि इसमें और Efficiency आए। हमारे इस बार के बजट में भी, एक बहुत बड़ा बदलाव हुआ है। हमने, यानी पहले कोई ये बोलने की हिम्मत नहीं करता था। हमने न्यूक्लियर सेक्टर को भी private participation के लिए खोल दिया है।

साथियों,

आज हमारी पॉलिटिक्स भी परफॉर्मेंस oriented हो चुकी है। अब भारत की जनता ने दो टूक कह दिया है- टिकेगा वही, जो जमीन से जुड़ा रहेगा, जमीन पर रिजल्ट लाकर दिखाएगा। सरकार को लोगों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील होना बहुत ज़रूरी है, उसकी पहली आवश्यकता है। हमसे पहले जिन पर पॉलिसी मेकिंग का ज़िम्मा था, उनमें संवेदनशीलता शायद बहुत आखिर में नजर आती थी। इच्छाशक्ति भी बहुत आखिर में नजर आती थी। हमारी सरकार ने संवेदनशीलता के साथ लोगों की समस्याओं को समझा, जोश और जुनून के साथ उन्हें सुलझाने के लिए ज़रूरी कदम उठाए। आज दुनिया की तमाम स्टडीज़ बताती हैं कि बीते दशक में जो बेसिक सुविधाएं देशवासियों को मिली हैं, जिस तरह वो Empower हुए हैं, उसके कारण ही, सिर्फ 10 साल में 25 करोड़ भारतीय गरीबी से बाहर निकलकर के आए हैं। इतना बड़ा वर्ग निओ-मिडिल क्लास का हिस्सा बन गया। ये निओ-मिडिल क्लास अब अपनी पहला टू-व्हीलर, अपनी पहली कार, अपना पहला घर खरीदने का सपना देख रहा है। मिडिल क्लास को सपोर्ट करने के लिए इस वर्ष के बजट में भी हमने ज़ीरो टैक्स की सीमा को 7 लाख से बढ़ाकर 12 लाख किया है। इस फैसले से पूरा मिडिल क्लास मजबूत होगा, देश में इकॉनॉमिक एक्टीविटी भी और बढ़ेगी। ये pro-active सरकार के साथ ही एक Sensitive सरकार की वजह से ही संभव हो पाया।

साथियों,

विकसित भारत की असली नींव विश्वास है, ट्रस्ट है। हर देशवासी, हर सरकार, हर बिजनेस लीडर में ये element होना बहुत ज़रूरी है। सरकार अपनी तरफ से देशवासियों में विश्वास बढ़ाने के लिए पूरी शक्ति से काम कर रही है। हम इनोवेटर्स को भी एक ऐसे माहौल का विश्वास दे रहे हैं, जिस पर वो अपने ideas को incubate कर सकते हैं। हम बिजनेस को भी पॉलिसीज़ के स्टेबल और सपोर्टिव रहने का विश्वास दे रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि ET की ये समिट, इस विश्वास को और मज़बूती देगी। इन्हीं शब्दों के साथ, मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, एक बार फिर आप सभी को अपनी शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।