मेरे प्‍यारे देशवासियो,

दुनिया भर के वैज्ञानिक जगत की fraternity आज MOM का मंगल से मिलन हो गया। आज मंगल को MOM मिल गई है। जिस समय इस मिशन का नाम, उसका Short form जब MOM बन गया तो मुझे पूरा विश्‍वास था कि MOM कभी निराश नहीं करती है। India has successfully reached Mars. आप सबको बधाई, देशवासियों को बधाई। और विश्‍व में भारत देश, और ये हमारे भारत के वैज्ञानिक वो पहले प्रयास में सफल होने वाला हिंदुस्‍तान, हिंदुस्‍तान के वैज्ञानिक, ये सफलता प्राप्‍त कर रहे हैं।

History has been created today. We have dared to reach out into the unknown. And have achieved the near impossible. I congratulate all ISRO scientists, as well as all my fellow Indians, on this historic occasion.

और मैंने पहले ही कहा कि साधन बहुत कम, अनेक मर्यादाएं और उसके बावजूद भी इतनी बड़ी सिद्धि प्राप्‍त होती है, वो वैज्ञानिकों के विश्‍वास के कारण उनके पुरूषार्थ के कारण, उनकी प्रतिबद्धता के कारण और इसलिए, हमारे देश के वैज्ञानिक अनके-अनेक अभिनंदन के अधिकारी हैं। और आज मुझे इनके बीच आ करके अभिनंदन देने का अवसर मिला है और अब देखिए इसकी, क्‍या कमाल है?

Travelling a mind-boggling distance of more than 650 million, or 65 crore kilometres.

यानी कि करीब-करीब 65 करोड़ किलोमीटर की यात्रा।

we have gone beyond the boundaries of human enterprise and imagination. We have, accurately navigated our spacecraft, through a route known to very few.

And, we have done so, from a distance so large; that it took even a command signal from Earth, more time to reach it, than it takes sunlight to reach us.

यानी कि सूरज की किरण को हमारे पास पहुंचने में जितना समय लगता है, उससे भी ज्‍यादा समय, यहां से हमारे वैज्ञानिक, उसे कुछ कहते हैं कि करो, उससे भी ज्‍यादा समय लग जाता है। यानी कि कितनी धीरज के साथ कमांड देने के 12-15 मिनट तक इंतजार करना पड़ता है कि गया, कि ठीक, नहीं गया है। कुछ हुआ कि नहीं हुआ। ये बड़ा कठिन होता है। अरे हम, भोजन की थाली पर बैठते हैं, खाना परोसने में देरी होती है, तो भी इधर उधर हो जाते हैं। तो इतने आप में इतना distance, उसके बावजूद भी, जिस धैर्य के साथ

The odds were stacked against us. Of the 51 missions attempted across the world so far, a mere 21 had succeeded.

But we have prevailed!

दुनिया में सबको सफलता नहीं मिली। बहुत कम मिली। और पहली बार में तो किसी देश को नहीं मिली। भारत के वैज्ञानिकों को, भारत को ये पहली बार सफलता मिली है।

With today’s spectacular success, ISRO joins an elite group of only three other agencies worldwide, to have successfully reached the red planet.

India, in fact, is the only country to have succeeded in its very first attempt. We put together the spacecraft in record time, within a mere 3 years of first studying its feasibility.

सिर्फ तीन साल में,यह छोटी बात नहीं है। हर हिंदुस्‍तानी आप लोगों के लिए गर्व करता है। नाज होता है। वैज्ञानिक के लिए नाज होता है।

Built it indigenously, in a pan-Indian effort stretching from Bangalore to Bhubhaneshwar, and Faridabad to Rajkot.

हमारे यहां के गवर्नर Vajubhai vala राजकोट के हैं। और इस Mars का एक instrument राजकोट में बना था और मैं अहमदाबाद इसरों में बार-बार जाता था। बड़ा मन करता था, क्‍या कर रहे हैं वैज्ञानिक बेचारे, एक लैब से बाहर नहीं निकलते हैं, तो कोई तो जाए मिलने के लिए। तो मैं जाता था और तब मुझे पता चला कि मिथेन गैस का sensor वहां बन रहा था और दूसरा, वहां कैमरा बन रहा था और शायद वह दोनों काम, उस समय मुझे बताया गया था, और शायद दुनिया में मिथेन गैस की जानकारी देने का पहला काम ये आपके प्रयत्‍नों से होगा। तो मैं जब ये, अहमदाबाद के इसरो में देखने के लिए जाता था, तो मुझे वहां के वैज्ञानिक हमारे गोस्‍वामी जी यहां है, मुझे सब समझते थे। क्‍या हो रहा है, कैसे हो रहा है।

Used a smaller rocket and payload to reduce the cost, even while increasing the complexity of an already challenging mission. मैंने पिछली बार जब गया था, श्रीहरिकोटा में, तब मैंने कहा था कि अमेरिका के हालीवुड में, जो फिल्‍में बनती हैं, मूवी, उससे भी कम खर्चे में हमारे वैज्ञानिकों ने काम किया है। यानी कि इससे ज्‍यादा खर्चा तो हालीवुड की मूवी बनाने में होता है। यानी कि कितनी बारीकि से Indigenes चीजों जोड़कर के छोटे-छोटे लोगों की मदद ले करके इतना बड़ा मिशन पार किया गया।

And launched it on our very own PSLV launch vehicle. These are all accomplishments that will go down as landmarks in history. Uncertainty is a part of the journey of every explorer who seeks to push boundaries.

The hunger of exploration and the thrill of discovery are not for the faint-hearted.

मेरे सामने दो प्रस्‍ताव थे। मैं आज ये रहस्‍य खोल दूं। जब ये आज सुबह मैं कहां रहूं? तो मुझे बताया गया, सब साइंटिस्‍टों ने कहा कि साहब, दुनिया में ये बहुत कठिन काम है। सफल होंगे, नहीं होंगे। आपको बुलाना, नहीं बुलाना, हमें दुविधा है। मैंने कहा, चिंता मत कीजिए। अगर विफलता आती है तो मेरी पहली जिम्‍मेवारी बनती है, इन वैज्ञानिकों के बीच आने की। और यश तो लेने के लिए सब आते हैं। लेकिन काम भी तो मंगल था। और जब काम मंगल होता है, इरादे मंगल होते हैं, तो मंगल की यात्रा भी तो मंगल होती है।

मुझे पहले कविताएं लिखने का शौक भी था, और समय भी मिलता था। तो मैंने एक बार लिखा था। वैसे लिखा तो गुजराती में है। लेकिन थोड़ा बहुत हिन्‍दी में बता देता हूं । मैंने लिखा था – कि अगर विफल होते हैं, तो आलोचना के शिकार होते हैं। और सफल होते हैं तो ईष्‍या के शिकार होते हैं।

आज हम सफल हुए हैं और इसलिए सफलता के साथ नई challenges भी आती है और वितवाद में, भारत के वैज्ञानिक में, भारत के यूथ में, भारत के talent में, कि हर चुनौतियों को चुनौती देने की ताकत, इन हमारी फौज में है। इन वैज्ञानिकों में है।

Innovation, after all, by its very nature involves risk; as you are trying to do something which has not been done before. It`s a leap into the dark. Humanity would not have progressed, if we had not taken such leaps into the unknown. And space is indeed the biggest unknown out there.

कभी कभी लोग सोचते हैं, risk क्‍यों लें, पानी में गए बिना तैरना सीखते हैं क्‍या, risk तो लेना ही पड़ता है। और सफलता बड़ी ताकत होती है, Risk लेने के निर्णय की moment क्‍योंकि एक अंधेरे में पैर रखना होता है और वो निर्णय करने का सामर्थ्‍य और मुझे तो अटल जी ने जब कहा था, हमें चन्‍द्र पर जाना है, ये हिम्‍मत होती है और तब जाकर लोग लग जाते हैं।

No one represents this zeal for exploring the unknown more, than our space scientists here at ISRO.

Through your brilliance and hard work, you have made it a habit of achieving the impossible.

अब मेरे इसरो के वैज्ञानिकों को impossible को possible करने की जैसे आदत ही लग गई है।

You have developed self-reliance across critical domains, often in the face of hostile circumstances.

Every generation of your scientists, has groomed the next home-grown lot

मुझे सबसे बड़ी खुशी इस बात की होती है, मैं जितनी बार आप लोगों के बीच आया हूं, हर पीढ़ी एक नई पीढ़ी को तैयार करती है। यह अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है।

मैं देख रहा हूं, कितने यंग साइंटिस्‍ट मेरे सामने खड़े हैं। पुरानी पीढ़ी ने इनको तैयार किया है और ये नई पीढ़ी को तैयार करेंगे। यही परंपरा, गुरू शिष्‍य परंपरा एक प्रकार से हमारे देश की विशेषता रही है, जो मुझे आज ISRO में महसूस होती है। इन सीनियर मोस्‍ट वैज्ञानिकों ने जो परंपरा बनाई है, 50-60 साल में, वो आज भी आगे बढ़ रही है। इस कल्‍चर के लिए भी, इस परंपरा के लिए भी, आप सभी वैज्ञानिक बहुत-बहुत, इस उत्‍तम परंपरा को निर्मित करने के लिए अभिनंदन के अधिकारी हैं।

Through your achievements, you have honoured our fore-fathers, and inspired our future generations! You truly deserve all the love and respect you get from a grateful nation!

We Indians are a proud people!

Despite our many limitations, we aspire for the best.

The success of our space program is a shining example of what we are capable of as a nation.

Our space program has been an example of achievement, which inspires the rest of us to strive for excellence ourselves.

Moreover, space exploration requires cutting-edge expertise across diverse disciplines. A successful space program thus generates applications across multiple domains.

Our efforts in particular, have historically focussed on the ultimate objective of nation-building. Of translating space technology into space applications.

मैं जब गुजरात का मुख्‍यमंत्री था, मेरा अनुभव है। आप वैज्ञानिकों ने जो काम किया है, उसको अगर हम रोजमर्रा की जिंदगी में application करें, उसको apply करें, तो हम जीवन बदल सकते हैं। पूरा गवर्नेंस बदल सकते हैं। पूरी व्‍यवस्‍था बदल सकते हैं। पूरी व्‍यवस्‍था बदल सकते हैं। हमारी गति बदल सकते हैं। इतना बड़ा contribution स्‍पेस टेक्‍नोलोजी के द्वारा हो रहा है। space science के द्वारा हो रहा है और इसलिए मैं मानता हूं कि हमारे प्रयास, हमारे देश की क्‍वालिटी आफ गवर्नेंस, क्‍वालिटी ऑफ लाइफ, स्‍पीड ऑफ अचीवमेंट्स इन सबमें एक बहुत बड़ा बदलाव लाने का सामर्थ्‍य रखते हैं।

Delivering the fruits of this farthest frontier to the remotest corners of the country. Deepening our governance, strengthening our economy, and improving our lives.

We also have a great legacy and responsibility to live up to. Our ancestors had helped the world understand the mysteries of the heavens.

Grasp the idea of Shunya or nothingness.

Map spatial knowledge; such as the rotation of the Earth, motion of planets and occurrence of eclipses.

सदियों पहले आर्यभट्ट जैसे अनेक महापुरूषों ने हमें शास्‍त्र का ज्ञान दिया। हमें शून्‍य दिया। सारे जगत को आज, यही तो शून्‍य है, जो गति देने का कारण बन गया है। विज्ञान की खोज का अवसर, आधार बन गया है। यानी कोई ऐसा विषय नहीं, जिसे हमारे पूर्वजों ने रास्ता बनाकर न रखा हो।

एक प्रकार से ये प्रयास हमारे उन महान ऋषियों को, जो एक वैज्ञानिक थे, उनको एक बहुत बड़ी, उनके सम्मान में दी गई ये भेंट-सौगात है। और ये काम हजारों साल के बाद इस पीढ़ी ने दी है। इसलिए इस परंपरा को निभाने के लिए हम स्वंय अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते हैं। ये महान काम लैब में बैठे हुए दिन-रात अपने सुख छोड़कर के, कुछ कर दिखाने की तमन्ना वाले वैज्ञानिकों के द्वारा होता है।

Modern India must continue playing this leading role of ‘Jagad-guru Bharat’.

स्वामी विवेकानंद ने कहा था – मैं देख रहां हूं, मेरी भारत माता फिर एक बार विश्व-गुरू का स्थान प्राप्त करेगी। ये कैसे करेगी, आप ही के लोगों के पुरुषार्थ से तो यह होने वाला है। हमारे देश की युवा पीढ़ी के पुरुषार्थ से होने वाला है। चाहे खेत में काम करने वाला किसान हो, चाहे मजदूरी करने वाला गरीब व्यक्ति हो या वैज्ञानिक इतना लैब में बैठकर के तपस्या करने वाला ऋषितुल्य जीवन हो, यही तो है जो भारत माता को जगत गुरू के स्थान पर विराजमान करेगी।

My dear friends!

Let me conclude by saying that in contrast with the linear nature of Western philosophy; there is no absolute ‘beginning’ or ‘end’ in our Eastern understanding of the cosmos.

There is only a continuous, unending cycle of dispassionate, detached perseverance.

Atal ji’s vision had inspired us to reach for the moon.

The successful Chandrayan mission, in turn led to the Mars Orbiter Mission.

This too, must become but a base for challenging the next frontier - of an inter-planetary mission.

Let today’s success, only drive us with even greater vigour and conviction. Let’s set ourselves even more challenging goals. And strive even harder to achieve them.

Let us push our boundaries. And then, push some more!

यही मिजाज, इसी उमंग के साथ हम आगे बढ़ें। गुरूदेव रविंद्रनाथ टैगोर ने जो कहा था-

“Where the mind is led forward by thee into ever-widening thought and action ... Into that heaven of freedom, my Father, let my country awake.”

मैं फिर एक बार रविंद्र टैगोर की इस वाणी को श्रद्धा करते हुए, भारत जगेगा, भारत जगाएगा और हम सब इस जागरुक भारत को अपनी आंखों से देख पाएंगे। इसी विश्वास के साथ आप सब वैज्ञानिकों को आपके पुरुषार्थ और परिश्रम के लिए, आपकी प्रतिबद्धता के लिए, बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। मेरे प्यारे देशवासियों, हम सब गर्व करें, हमारे इन वैज्ञानिकों की सिद्धी के लिए, हमारी क्रिकेट टीम अगर एक टूर्नामेंट जीत कर आती है, पूरा देश नाच उठता है।

ये वैज्ञानिकों की सिद्धि उससे भी हजारों गुणा बहुत बड़ी है। सालों की तपस्या के बाद पाई हुई सिद्धि है। सवा सौ करोड़ देशवासियों के आशीर्वाद से जुड़ी हुई, ये सिद्धि है। आइए, मेरे देशवासी, कल से नवरात्री का प्रारंभ हो रहा है, शुभ शुरूआत हो रही है। मंगल, मंगल, मंगल होना तय है और जब मंगल, मंगल, मंगल होना तय है, तो इस मंगल की यात्रा हमें और मंगल करने की प्रेरणा देती रहेगी। आज पूरा हिंदुस्तान उन वैज्ञानिकों के सम्मान में आनंद उत्सव मनाएं। हर स्कूल, कॉलेज के अंदर पांच मिनट भी इकट्ठे होकर, तालियों के नाद के साथ, हमारे इन वैज्ञानिकों को याद करें, उनका गौरव करें। सवा सौ करोड़ देशवासी इस सिद्धि को अपनी बनाएं, आनंद उत्सव मनाएं। मंगलमय वातावरण बनाएं। यही एक अपेक्षा के साथ फिर एक बार आप सबको बहुत-बहुत शुभकामना। बहुत-बहुत बधाई। धन्यवाद

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The inauguration of mega infrastructure projects today marks a turning point in Jammu and Kashmir's development journey: PM Modi in Katra
June 06, 2025
QuotePM inaugurates Chenab bridge - world’s highest railway arch bridge and Anji bridge - India’s first cable-stayed rail bridge
QuoteThe inauguration of mega infrastructure projects today marks a turning point in Jammu and Kashmir's development journey: PM
QuoteWe have always invoked Maa Bharati with deep reverence, saying 'from Kashmir to Kanyakumari,’ Today, this has become a reality even in our railway network: PM
QuoteThe USBRL project is a symbol of a new, empowered Jammu & Kashmir and a resounding proclamation of India's growing strength: PM
QuoteThe Chenab and Anji Bridges will serve as gateways to prosperity for Jammu and Kashmir: PM
QuoteJammu and Kashmir is the crown jewel of India: PM
QuoteIndia won't bow to terrorism,the youth of Jammu and Kashmir have now made up their mind to give a befitting reply to terrorism: PM
QuoteWhenever Pakistan hears the name Operation Sindoor, it will be reminded of its shameful defeat: PM

ॐ.. माता वैष्णो देवी दे चरने च मत्था टेकना जय माता दी!

जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा जी, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी अश्विनी वैष्णव जी, जितेंद्र सिंह, वी सोमन्ना जी, डिप्टी सीएम सुरेंद्र कुमार जी, जम्मू कश्मीर विधानसभा में नेता विपक्ष सुनील जी, संसद में मेरे साथी जुगल किशोर जी, अन्य जनप्रतिनिधिगण और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों। वीर जोरावर सिंह जी की यह भूमि है, मैं इस धरती को प्रणाम करता हूं।

साथियों,

आज का ये कार्यक्रम भारत की एकता और भारत की इच्छाशक्ति का विराट उत्सव है। माता वैष्णो देवी के आशीर्वाद से आज वादी-ए-कश्मीर भारत के रेल नेटवर्क से जुड़ गई है। मां भारती का वर्णन करते हुए हम श्रद्धाभाव से कहते आए हैं- कश्मीर से कन्याकुमारी। ये अब रेलवे नेटवर्क के लिए भी हकीकत बन गया है। उधमपुर, श्रीनगर, बारामुला, ये रेल लाइन प्रोजेक्ट, ये सिर्फ नाम नहीं है। ये जम्मू कश्मीर के नए सामर्थ्य की पहचान है। भारत के नए सामर्थ्य का जयघोष है। थोड़ी देर पहले मुझे चिनाब ब्रिज और अंजी ब्रिज का लोकार्पण करने का अवसर मिला है। आज ही दो नई वंदे भारत ट्रेनें जम्मू कश्मीर को मिली हैं। यहां जम्मू में नए मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास हुआ है। 46 हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्टस जम्मू और कश्मीर के विकास को नई गति देंगे। मैं आप सभी लोगों को विकास के नए दौर के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

जम्मू कश्मीर की अनेक पीढ़ियां रेल कनेक्टिविटी का सपना देखते देखते गुजर गई। मैं कल सीएम उमर अब्दुल्ला जी का एक बयान देख रहा था और अभी भाषण में भी बताया, वो भी बोले थे कि जब वो सातवीं-आठवीं में पढ़ते थे, तब से इस प्रोजेक्ट के पूरा होने का इंतजार कर रहे थे। आज जम्मू कश्मीर के लाखों लोगों का सपना पूरा हुआ है। और ये भी हकीकत है, जितने अच्छे काम हैं ना, वो मेरे लिए ही बाकी रहे हैं।

साथियों,

ये हमारी सरकार का सौभाग्य है कि इस प्रोजेक्ट ने हमारे कार्यकाल में गति पकड़ी और हमने इसे पूरा करके दिखाया। बीच में कोविड के कालखंड के कारण भी अनेक मुसीबतें आई, लेकिन हम डटे रहे।

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साथियों,

रास्ते में आने जाने की मुश्किलें, मौसम की परेशानी, लगातार पहाड़ों से गिरते पत्थर, ये प्रोजेक्ट पूरा करना मुश्किल था, चुनौतीपूर्ण था। लेकिन हमारी सरकार ने चुनौती को ही चुनौती देने का रास्ता चुना है। आज जम्मू कश्मीर में बन रहे अनेकों ऑल वेदर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट इसका उदाहरण हैं। कुछ महीने पहले ही सोनमर्ग टनल शुरू हुई है। अभी कुछ देर पहले ही मैं चिनाब और अंजी ब्रिज से होकर आपके बीच आया हूं। इन पुलों पर चलते हुए मैंने भारत के बुलंद इरादों को, हमारे इंजीनियर्स, हमारे श्रमिकों के हुनर और हौसलों को जीया है। चिनाब ब्रिज, दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज है। लोग फ्रांस में, पैरिस में एफिल टावर देखने के लिए जाते हैं। औऱ ये ब्रिज एफिल टावर से भी बहुत ऊंचा है। अब लोग चिनाब ब्रिज के ज़रिए कश्मीर देखने तो जाएंगे ही, ये ब्रिज भी अपने आप में एक आकर्षक टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनेगा। सब लोग सेल्फी प्वाइंट पर जाकर के सेल्फी निकालेंगे। हमारा अंजी ब्रिज भी इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना है। ये भारत का पहला केबल सपोर्टेड रेलवे ब्रिज है। ये दोनों ब्रिज सिर्फ ईंट, सीमेंट, स्टील और लोहे के ढांचे नहीं हैं, ये पीर पंजाल की दुर्गम पहाड़ियों पर खड़ी, भारत की शक्ति का जीवंत प्रतीक है। ये भारत के उज्ज्वल भविष्य की सिंहगर्जना है। ये दिखाता है, विकसित भारत का सपना जितना बड़ा है, उतना ही बुलंद हमारा हौसला है, हमारा सामर्थ्य है। और सबसे बड़ी बात नेक इरादा है, अपार पुरुषार्थ है।

साथियों,

चिनाब ब्रिज हो या फिर अंजी ब्रिज, ये जम्मू की और कश्मीर की, दोनों क्षेत्रों की समृद्धि का ज़रिया बनेंगे। इससे टूरिज्म तो बढ़ेगा ही, इकॉनॉमी के दूसरे सेक्टर्स को भी लाभ होगा। जम्मू और कश्मीर की रेल कनेक्टिविटी, दोनों क्षेत्रों के कारोबारियों के लिए नए अवसर बनाएगी। इससे यहां की इंडस्ट्री को गति मिलेगी, अब कश्मीर के सेब कम लागत में देश के बड़े बाजारों तक पहुंच पाएंगे और समय पर पहुंच पाएंगे। सूखे मेवे हों या पश्मीना शॉल, यहां का हस्तशिल्प अब आसानी से देश के किसी भी हिस्से तक पहुंच पाएगा। इससे जम्मू कश्मीर के लोगों को देश के दूसरे हिस्सों में आना-जाना भी बहुत आसान होगा।

साथियों,

मैं यहां संगलदान के एक स्टूडेंट का अखबार में कमेंट पढ़ रहा था। उस स्टूडेंट ने कहा कि उसके गांव के उन्हीं लोगों ने अब तक ट्रेन देखी थी, जो गांव से बाहर गए थे। गांव के ज्यादातर लोगों ने ट्रेन का सिर्फ वीडियो ही देखा था। उन्हें अब तक यकीन ही नहीं हो रहा, कि असली ट्रेन उनकी आंखों के सामने से गुजरेगी। मैंने ये भी पढ़ा कि बहुत से लोग ट्रेनों के आने-जाने का टाइम याद कर रहे हैं। एक और बिटिया ने बड़ी अच्छी बात कही, उस बिटिया ने कहा- अब मौसम नहीं तय करेगा कि रास्ते खुलेंगे या बंद रहेंगे, अब ये नई ट्रेन सेवा, हर मौसम में लोगों की मदद करती रहेगी।

साथियों,

जम्मू-कश्मीर, मां भारती का मुकुट है। ये मुकुट एक से बढ़कर एक खूबसूरत रत्नों से जड़ा हुआ है। ये अलग-अलग रत्न जम्मू-कश्मीर का सामर्थ्य हैं। यहां की पुरातन संस्कृति, यहां के संस्कार, यहां की आध्यात्मिक चेतना, प्रकृति का सौंदर्य, यहां की जड़ी-बूटियों का संसार, फलों और फूलों का विस्तार, यहां के युवाओं में, आप लोगों में जो टैलेंट है, वो मुकुट मणि की तरह चमकता है।

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साथियों,

आप भलीभाँति जानते हैं, मैं दशकों से जम्मू औऱ कश्मीर आता जाता रहा हूं, interior इलाकों में मुझे जाने का, रहने का अवसर मिला है। मैंने इस सामर्थ्य को लगातार देखा है, महसूस किया है और इसलिए मैं पूरे समर्पण भाव के साथ जम्मू-कश्मीर के विकास में जुटा हूं।

साथियों,

जम्मू-कश्मीर, भारत की शिक्षा और संस्कृति का गौरव रहा है। आज भारत, दुनिया के बड़े नॉलेज हब्स में से एक, हमारा जम्मू कश्मीर बन रहा है, तो इसमें जम्मू कश्मीर की भागीदारी भी भविष्य में भी बढ़ने वाली है। यहां IIT, IIM, AIIMS और NIT जैसे संस्थान हैं। जम्मू और श्रीनगर में सेंट्रल यूनिवर्सिटीज हैं। जम्मू और कश्मीर में रिसर्च इकोसिस्टम का भी विस्तार हो रहा है।

साथियों,

यहां पढ़ाई के साथ-साथ दवाई के लिए भी अभूतपूर्व काम हो रहे हैं। बीते कुछ सालों में ही, दो स्टेट लेवल के कैंसर संस्थान बने हैं। पिछले पाँच वर्षों में यहां सात नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं। आप भी जानते हैं, जब मेडिकल कॉलेज खुलता है तो उससे मरीजों के साथ ही उस क्षेत्र के युवाओँ को भी सबसे ज्यादा फायदा मिलता है। जम्मू-कश्मीर में अब MBBS सीटों की संख्या 500 से बढ़कर 1300 तक पहुंच गई है। मुझे खुशी है कि अब रियासी जिले को भी नया मेडिकल कॉलेज मिलने जा रहा है। श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस, ये आधुनिक अस्पताल तो है, ये दान-पुण्य करने की हमारी जो संस्कृति है, उसका भी उदाहरण है। इस मेडिकल कॉलेज को बनाने में जो राशि लगी है, उसके लिए भारत के कोने-कोने से, माता वैष्णों देवी के चरणों में आने वाले लोगों ने दान दिया हुआ है। मैं श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड को, उनके अध्यक्ष मनोज जी को इस पवित्र कार्य के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। इस अस्पताल की क्षमता भी 300 बेड से बढ़ाकर 500 बेड की जा रही है। कटरा में माता वैष्णो देवी के दर्शन करने आने वाले लोगों को भी इससे बहुत सहूलियत रहने वाली है।

साथियों,

केंद्र में भाजपा-एनडीए की सरकार को अब 11 साल हो रहे हैं। ये 11 साल, गरीब कल्याण के नाम समर्पित रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना से 4 करोड़ गरीबों का पक्के घर का सपना पूरा हुआ है। उज्ज्वला योजना से 10 करोड़ रसोइयों, उसमें धुएं का अंत हुआ है, हमारी बहनों को, बेटियों को, उनकी सेहत की रक्षा हुई है। आयुष्मान भारत योजना से 50 करोड़ गरीबों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिला है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना से हर थाली में भरपेट अनाज सुनिश्चित हुआ है। जनधन योजना से पहली बार 50 करोड़ से ज्यादा गरीबों के लिए बैंक का दरवाज़ा खुला है। सौभाग्य योजना से अंधेरे में जी रहे ढाई करोड़ परिवारों में बिजली की रोशनी पहुंची है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने 12 करोड़ शौचालयों ने खुले में शौच की मजबूरी से मुक्ति दिलाई है। जल जीवन मिशन से 12 करोड़ नए घरों में नल से जल पहुंचने लगा है, महिलाओं का जीवन आसान हुआ है। पीएम किसान सम्मान निधि से 10 करोड़ छोटे किसानों को सीधी आर्थिक सहायता मिली है।

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साथियों,

सरकार के ऐसे अनेक प्रयासों से पिछले 11 साल में 25 करोड़ से ज्यादा गरीबों ने, गरीबी को हमारे ही गरीब भाई-बहनों ने, गरीबी के खिलाफ जंग लड़ी और 25 करोड़ गरीब, गरीबी को परास्त करकर के, वियजी होकर के, गरीबी से बाहर निकले हैं। अब वो नए मध्यम वर्ग का हिस्सा बने हैं। जो लोग अपने आप को समाज व्यवस्था के एक्सपर्ट मानते हैं, बड़े एक्सपर्ट मानते हैं, जो लोग अगले पिछले की राजनीति में डूबे रहते हैं, जो लोग दलितों के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेकते रहे हैं, जरा जिन योजनाओं का मैंने सिर्फ उल्लेख किया है, उसकी तरफ नजर कर लीजिए। कौन लोग हैं जिनको ये सुविधाएं मिली हैं, वो कौन लोग हैं जो आजादी के 7-7 दशक तक इन प्राथमिक सुविधाओं से वंचित रहे थे। ये मेरे दलित भाई-बहन हैं, ये मेरे आदिवासी भाई-बहन हैं, ये मेरे पिछड़े भाई-बहन हैं, ये पहाड़ों पर गुजारा करने वाले, ये जंगलों में बसने वाले, झुग्गी-झोपड़ी में जिंदगी पूरी करने वाले, ये वो परिवार हैं, जिनके लिए मोदी ने अपने 11 साल खपा दिए हैं। केंद्र सरकार का प्रयास है कि गरीबों को, नए मध्यम वर्ग को ज्यादा से ज्यादा ताकत दे। वन रैंक वन पेंशन हो, 12 लाख रुपए तक की सैलरी को टैक्स फ्री करना हो, घर खरीदने के लिए आर्थिक सहायता देना हो, सस्ती हवाई यात्रा के लिए मदद देनी हो, हर तरह से सरकार, गरीब और मध्यम वर्ग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है।

साथियों,

गरीबों को गरीबी से मुक्ति पाने के लिए उनकी मदद करना, लेकिन ईमानदारी से जीने वाले, देश के लिए समय-समय पर टैक्स देने वाले, मध्यम वर्ग की ताकत बढ़ाना, इसके लिए भी आजादी में पहली बार इतना काम हुआ है, जो हमने करके दिखाया है।

साथियों,

हम अपने यहां नौजवानों के लिए लगातार रोजगार के नए अवसर बढ़ा रहे हैं। और इसका एक अहम जरिया है- टूरिज्म। टूरिज्म से रोजगार मिलता है, टूरिज्म लोगों को जोड़ता है। लेकिन दुर्भाग्य से हमारे पड़ोस का देश, मानवता का विरोधी, मेलजोल का विरोधी, टूरिज्म का विरोधी, इतना ही नहीं वो ऐसा देश है, गरीब की रोज़ी-रोटी का भी विरोधी है। 22 अप्रैल को पहलगाम में जो कुछ हुआ, वो इसी का उदाहरण है। पाकिस्तान ने पहलगाम में इन्सानियत और कश्मीरियत, दोनों पर वार किया। उसका इरादा भारत में दंगे कराने का था। उसका इरादा कश्मीर के मेहनतकश लोगों की कमाई को रोकना था। इसलिए पाकिस्तान ने टूरिस्ट्स पर हमला किया। वो टूरिज्म, जो बीते 4-5 साल में लगातार बढ़ रहा था, हर साल यहां रिकॉर्ड संख्या में टूरिस्ट आ रहे थे। जिस टूरिज्म से, जम्मू कश्मीर के गरीबों के घर चलते हैं, उसको पाकिस्तान ने निशाना बनाया। कोई घोड़े चलाने वाला, कोई पोर्टर, कोई गाइड, कोई गेस्ट हाउस वाला, कोई दुकान-ढाबा चलाने वाला, पाकिस्तान की साजिश इन सबको तबाह करने की थी। आतंकियों को चुनौती देने वाला नौजवान आदिल, वो भी तो वहां मेहनत-मजदूरी करने गया था, लेकिन अपने परिवार की देख रेख कर सके, इसलिए मेहनत कर रहा था। आतंकियों ने उस आदिल को भी मार दिया।

साथियों,

पाकिस्तान की इस साजिश के खिलाफ जिस प्रकार जम्मू-कश्मीर के लोग उठ खड़े हुए हैं, जम्मू कश्मीर की आवाम ने इस बार जो ताकत दिखाई है, ये सिर्फ पाकिस्तान नहीं, दुनियाभर की आतंकवादी मानसिकता को, जम्मू कश्मीर के लोगों ने कड़ा संदेश दिया है। जम्मू-कश्मीर का नौजवान अब आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब देने का मन बना चुका है। ये वो आतंकवाद है, जिसने घाटी में स्कूल जलाए, और सिर्फ स्कूल यानी इमारत नहीं जलाई थी, दो-दो पीढ़ी का भविष्य जला दिया था। अस्पताल तबाह किए। जिसने कई पीढ़ियों को बर्बाद किया। यहां जनता अपनी पसंद के नुमाइंदे चुन सके, यहां चुनाव हो सकें, ये भी आतंकवाद के चलते बड़ी चुनौती बन गया था।

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साथियों,

बरसों तक आतंक सहने के बाद जैसे जम्मू-कश्मीर ने इतनी बर्बादी देखी थी कि जम्मू कश्मीर के लोगों ने सपने देखना ही छोड़ दिया था, आतंकवाद को ही अपना भाग्य मान लिया था। जम्मू-कश्मीर को इस स्थिति से निकालना जरूरी था, और हमने ये करके दिखाया है। आज जम्मू-कश्मीर का नौजवान नए सपने भी देख रहा है और उन्हें पूरे भी कर रहा है। अब कश्मीर का नौजवान बाज़ारों को, शॉपिंग मॉल्स को, सिनेमा हॉल को गुलज़ार देखकर के खुश है। यहां के लोग जम्मू कश्मीर को फिर से फिल्मों की शूटिंग का प्रमुख केंद्र बनते देखना चाहते हैं, इस क्षेत्र को स्पोर्ट्स का हब बनते देखना चाहते हैं। यही भाव हमने अभी माता खीर भवानी के मेले में भी देखा है। जिस तरह हजारों लोग माता के दर पर पहुंचे, वो नए जम्मू कश्मीर की तस्वीर दिखाता है। अब 3 तारीख से अमरनाथ यात्रा भी शुरू होने वाली है। ईद की उमंग भी हम चारों तरफ देख रहे हैं। विकास का जो वातावरण जम्मू-कश्मीर में बना था, वो पहलगाम के हमले से डिगने वाला नहीं है। जम्मू-कश्मीर के आप सभी लोगों को, और आप सबसे नरेंद्र मोदी का वायदा है, मैं यहां विकास को रुकने नहीं दूंगा, यहां के नौजवानों को सपने पूरा करने से कोई भी बाधा अगर रूकावट बनती है, तो उस बाधा को पहले मोदी का सामना करना पड़ेगा।

साथियों,

आज 6 जून है, याद कीजिए एक महीने पहले, ठीक एक महीने पहले, 6 मई की वो रात, पाकिस्तान के आतंकियों पर कयामत बरसी थी। अब पाकिस्तान कभी भी ऑपरेशन सिंदूर का नाम सुनेगा, तो उसे अपनी शर्मनाक शिकस्त याद आएगी। पाकिस्तानी फौज और आतंकियों ने कभी सोचा भी नहीं था कि भारत, पाकिस्तान में सैंकड़ों किलोमीटर अंदर जाकर के आतंकवादियों पर इस तरह वार करेगा। बरसों की मेहनत से उन्होंने आतंक की जो इमारतें बनाईं थीं, वो कुछ मिनटों में ही खंडहर में बदल गईं हैं। और ये देख पाकिस्तान बुरी तरह बौखला गया था, और उसने अपना गुस्सा जम्मू के, पूंछ के, दूसरे जिलों के लोगों पर भी निकाला। पूरी दुनिया ने देखा कि पाकिस्तान ने कैसे यहां घर उजाड़े, बच्चों पर गोले फेंके, स्कूल-अस्पताल तबाह किए, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों पर शेलिंग की। आपने जिस तरह पाकिस्तान के हमलों का मुकाबला किया, वो हर देशवासी ने देखा है। इसलिए अपने परिवारजनों, उनके साथ हर देशवासी पूरी शक्ति से खड़ा है।

साथियों,

जिन लोगों की क्रॉस बॉर्डर फायरिंग में मृत्यु हुई है, उनके परिवार के सदस्य को कुछ दिन पहले ही नियुक्ति पत्र सौंपे गए हैं। शेलिंग से प्रभावित 2 हजार से ज्यादा परिवारों की तकलीफ भी हमारी अपनी तकलीफ है। इन परिवारों को शेलिंग के बाद अपने घर की मरम्मत के लिए आर्थिक मदद दी गई थी। अब केंद्र सरकार ने ये तय किया है, कि इस मदद को और बढ़ाया जाए। आज के इस कार्यक्रम में, मैं इसकी भी जानकारी आपको देना चाहता हूं।

साथियों,

जिन घरों में बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है, उन्हें अब 2 लाख रुपए और जो घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें 1 लाख रुपए की सहायता अलग से दी जाएगी, अतिरिक्त दी जाएगी। यानी अब उन्हें पहली बार की मदद के बाद ये एक्सट्रा धनराशि मिलेगी।

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साथियों,

हमारी सरकार बॉर्डर किनारे बसे लोगों को देश का प्रथम प्रहरी मानती है। बीते दशक में सरकार ने बॉर्डर के जिलों में विकास और सुरक्षा के लिए अभूतपूर्व काम किया है, इस दौरान करीब दस हज़ार नए बंकर्स बनाए गए हैं। इन बंकरों ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद बने हालात में लोगों का जीवन बचाने में बड़ी मदद की है। मुझे ये बताते हुए खुशी है, कि जम्मू औऱ कश्मीर डिविजन के लिए दो बॉर्डर बटालियन बनाई गई है। दो वूमन बटालियन बनाने का भी काम पूरा कर लिया गया है।

साथियों,

हमारा जो इंटरनेशनल बॉर्डर है, उसके पास जो बहुत दुर्गम इलाके हैं, वहां भी सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च करके नया इंफ्रा बनाया जा रहा है। कठुआ से जम्मू हाईवे को सिक्स लेन का एक्सप्रेसवे बनाया जा रहा है, अखनूर से पूंछ हाईवे का भी चौड़ीकरण किया जा रहा है। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत भी बॉर्डर के गांवों में विकास के काम को और गति दी जा रही है। जम्मू-कश्मीर के 400 ऐसे गांव जहां ऑल वेदर कनेक्टिविटी नहीं थी, उन्हें 1800 किलोमीटर की नई सड़कें बिछाकर जोड़ा जा रहा है। इस पर भी सरकार 4200 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने जा रही है।

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साथियों,

आज मैं जम्मू-कश्मीर के आप लोगों से, खासकर यहां के नौजवानों से एक विशेष आग्रह भी करने आया हूं और जम्मू कश्मीर की धरती से मैं देश को भी आग्रह करना चाहता हूं। आपने देखा है कि कैसे ऑपरेशन सिंदूर ने आत्मनिर्भर भारत की ताकत दिखाई है। आज दुनिया भारत के डिफेंस इकोसिस्टम की चर्चा कर रही है। और इसके पीछे एक ही कारण है, हमारी सेनाओं का ‘Make in India’ पर भरोसा। सेनाओं ने जो कर दिखाया, अब वही हर भारतवासी को दोहराना है। इस साल के बजट में हमने मिशन मैन्युफैक्चरिंग की घोषणा की है। इस मिशन के तहत सरकार मैन्युफैक्चरिंग को नई उड़ान देने का काम कर रही है। मैं जम्मू-कश्मीर के युवाओं से कहूंगा, आइए, इस मिशन का हिस्सा बनिए। देश को आपकी आधुनिक सोच चाहिए, देश को आपके इनोवेशन की जरूरत है। आपके आइडिया, आपकी स्किल, भारत की सुरक्षा को, भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाई देंगे। पिछले दस वर्षों में भारत एक बड़ा डिफेंस एक्सपोर्टर बना है। अब हमारा लक्ष्य है, दुनिया के टॉप डिफेंस एक्सपोर्टर्स में भारत का नाम भी शामिल हो। इस लक्ष्य की ओर हम जितना तेजी से बढ़ेंगे, उतनी ही तेजी से भारत में रोजगार के लाखों नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हमें एक और संकल्प लेना है, जो सामान भारत में बना हो, जिसमें हमारे देशवासियों का पसीना लगा हो, हम सबसे पहले उसे ही खरीदें और यही राष्ट्रभक्ति है, यही राष्ट्र की सेवा है। सीमा पर हमें हमारी सेनाओं का मान बढ़ाना है और बाजार में हमें मेड इन इंडिया का गौरव बढ़ाना है।

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साथियों,

एक सुनहरा और उज्ज्वल भविष्य जम्मू-कश्मीर का इंतजार कर रहा है। केंद्र सरकार और यहां की सरकार मिलकर, विकास के कार्यों में जुटी हैं, एक दूसरे का सहयोग कर रही हैं। शांति और खुशहाली के जिस रास्ते पर हम आगे बढ़ रहे हैं, हमें उसे लगातार मजबूत करना है। मां वैष्णो के आशीर्वाद से विकसित भारत, विकसित जम्मू-कश्मीर का ये संकल्प सिद्धि तक पहुंचे, इसी कामना के साथ आप सभी को फिर से ये ढेर सारे विकास के प्रोजेक्ट्स के लिए और एक से बढ़कर इतने शानदार प्रोजेक्ट्स के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। दोनों मुट्ठी बंद करके पूरी ताकत से मेरे साथ बोलिये -

भारत माता की जय! आवाज हिन्दुस्तान के हर कोने में गूँजनी चाहिए।

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद!