Prime Minister Modi's Interview with 'NDTV India'

Published By : Admin | May 24, 2024 | 19:30 IST

In an interview with 'NDTV India', PM Modi discussed several important topics in detail. Regarding his vision for governance, he stated, "I don't run the government to form the government again; I run the government to build the country." Speaking about women's inclination towards the BJP, the PM said that, unlike the vote bank mentality, the party has placed special emphasis on the power of women.

एंकर- 2024 का लोकसभा चुनाव इस समय लगभग आखिरी चरण में है और इस दौरान क्या मुद्दा है जमीन पर इसको लेकर चर्चा है क्या मोदी ही मुद्दा हैं या मुद्दा ही मोदी है। और क्या यह चुनाव मुद्दाविहीन हो गया है यह सब कुछ पता चलेगा 4 जून को। लेकिन इन सारे मसले पर बातचीत करने के लिए हमारे साथ देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी साहब हैं। आपका एनडीटीवी में बहुत-बहुत स्वागत है।

पीएम मोदी- धन्यवाद भैया।

एंकर- प्रधानमंत्री जी पहला सवाल ये कि 22 साल की नवयौवन वाली ऊर्जा आप कैसे लाते हैं। आप तीन से चार घंटे सो रहे हैं, दिन में चार से पांच रैलियां कर रहे हैं, उसके बाद आप सरकारी कामकाज भी कर रहे हैं इतनी ऊर्जा का स्रोत...

पीएम मोदी- मैं समझता हूं कि सबसे बड़ी गलती यह है आपकी रिसर्च टीम की कि वह 22 साल पर अटक गया। क्योंकि मैं किसी पद पर बैठा और कैमरा के सामने मेरा चेहरा आने लगा। मेरी जिंदगी में, मैं कह सकता हूं कि 15 साल की उम्र के बाद का समय जो है ऐसे ही परिश्रम से गुजरा है। और कठिनाइयों में जीने की आदत से गुजरा है। सुख-सुविधा से मेरा कोई लेना देना नहीं रहा है क्योंकि मैंने जब भी जो काम मुझे मिला तो उसको एक कर्तव्य के भाव से और कुछ सीखने के इरादे से मैं करता रहा हूं। तो जब आप जीवन भर एक विद्यार्थी अवस्था में होते हैं तो मन से आप हमेशा फ्रेश रहते हैं क्योंकि आपको हर बार नई सीखने की वृत्ति रहती है और आखिर का शरीर वगैरह की सबकी रचना के भीतर एक मन की अवस्था बहुत बड़ी होती है। मेरे केस में मेरे भीतर का विद्यार्थी जीता रहता है बिल्कुल ही जीवंत है। तो हर बार कुछ नया सीखना समझना मेरी इच्छा रहती है। और उसी का परिणाम है कि इंसान, अब आप देखिए दो उदाहरण में देता हूं, मैं नहीं जानता हूं टीवी वालों को इसमें मजा आएगा। एक होता है कंप्यूटर ऑपरेटर वो उंगली का खेल खेलता है दिन भर वो, लेकिन शाम को जब नौकरी से घर जाता होगा तब देखेंगे ऐसा ही मरा-पड़ा बड़ी मुश्किल से घर में जाता है, जाते ही अपना बैग फेंक देता है, आयु 50 साल भी नहीं होती है लेकिन वो भी कंप्यूटर ऑपरेटर है। एक सितार वादक होता है वह भी उंगली का खेल करता है, 80 साल के बाद भी देखेंगे व एकदम फ्रेश लगता है। यह दोनों में फर्क क्या है फर्क मन की रचना का है। और इसलिए अगर आप जीने का विज्ञान जानते हैं और दुनिया जैसे जीती वैसे जीने की आदतों से बचते हैं तो मैं नहीं मानता हूं कि कोई संकटों से गुजरना पड़ता है।

एंकर- मतलब आप ये कह रहे हैं कि काम को अगर एंजॉय करने लगे तो फिर आपको थकान नहीं होगी।

पीएम मोदी- जब काम पूरा होता है तब थकान उतर जाती है। काम पड़ा रहता है तब थकान लगती है। यार ये करना है, ये करना है, जब हो जाता अरे वाह अब तो हो गया। काम करने से थकान दूर होती है। काम ना करने से काम जब सामने रहता है तो थकान लगती है।

एंकर- अभी जो काम चल रहा है चुनाव का। आप लगातार दिन में रैलियां करते हैं। अभी जो मतदान के आंकड़े आए सर, इसमें पिछले पांचवें चरण के, महिलाओं ने ज्यादा वोट डाले हैं पुरुषों की तुलना में करीब डेढ़ प्रतिशत अधिक डाले हैं। तो देश की 50 प्रतिशत आबादी महिलाओं की आपकी तरफ बहुत उम्मीद से देखती है। इसके पीछे बड़ा कारण क्या मानते हैं जो भरोसा है महिलाओं का आपके ऊप।

पीएम मोदी- इसको दो रूप में देखना चाहिए। जहां तक भारतीय जनता पार्टी का सवाल है, हम हिंदुस्तान के सभी भूभाग में, समाज के सभी वर्गों में, चाहे गांव हो शहर हो, शिक्षित हो अशिक्षित हो, हर एक में भारतीय जनता पार्टी ने अपना एक स्थान बनाया है। और एक लंबी तपस्या का परिणाम है आज देश में भारतीय जनता पार्टी के प्रति एक श्रद्धा भाव बना है। दूसरा भारतीय जनता पार्टी के पास एक संगठन की ताकत है यानी एक प्रकार से 30 वोटर्स के ऊपर एक कोई न कोई बीजेपी का कार्यकर्ता रहे इतनी बारीकी से प्लानिंग है। तो वह एक संगठन की शक्ति है जो सारी चीजों को चैनलाइज करती है। दूसरी बात है नेतृत्व रहता है, मुझे काफी लंबे समय से पार्टी के लीडरशिप का अवसर मिला है तो एक पहचान बनी है मेरी। और जब एक व्यक्ति की पहचान बनती है और उसका ट्रैक रिकॉर्ड एक भरोसा पैदा करता है, हवा बजी नहीं लगती उनको। सिर्फ बीजेपी का संगठन होता है तो इतना नहीं, लेकिन जब उसको लगता है हर स्तर पर उसके पास एक लीडरशिप है जिसपर भरोसा कर सकते हैं, संकट होगा तो जरूर दौड़ के आ जाएगा, तकलीफ होगी उसको बता देंगे। डिस्ट्रिक्ट लेवल का मेरा कार्यकर्ता होगा तो भी एक भाव बना हुआ है तो यह पूरा हमारा विश्वास का, भरोसा का हर लेयर पर एक नेतृत्व पैदा हुआ है। और जिसका बेनिफिट बीजेपी को मिल रहा है। जहां तक महिलाओं का सवाल है समाज के सभी वर्गों का सहयोग है। महिलाओं की सक्रियता बढ़ी है। इसमें दो चीज आप देख सकते हैं अब महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है सिर्फ चुनाव में नहीं हर क्षेत्र में बढ़ रही है। वे सक्रिय हैं, उनको लगता है कि वो कंट्रीब्यूट कर रही हैं। पहले समय लगता था भाई कुछ भी होता है भाई वो तो उन्होंने किया होगा। दरअसल महिला को लगने लगा है कि मैं भी कुछ कंट्रीब्यूट कर रही हूं। उसका विश्वास बन रहा है। खेल के मैदान में जब महिलाएं जीत करके आती हैं तो जीतने वाली बेटी तो एक है लेकिन देश भर की महिलाएं आइडेंटिफाई करती है अपने आप को। मैं देख रहा हूं इस चुनाव में भी उसका प्रतिबिंब नजर आ रहा है। भारतीय जनता पार्टी के प्रति जो झुकाव है, जो रुझान है उसका कारण है कि भारतीय जनता पार्टी ने मातृशक्ति पर विशेष बल दिया हुआ है। हमारी सरकार के कार्यक्रमों में भी महिलाओं को उतना ही प्राधान्य है और उसके पीछे वोट बैंक नहीं है। उसके पीछे इरादा है कि भारत की विकास यात्रा में अगर यह 50 प्रतिशत शक्ति जुड़ जाती है तो एकदम से तेजी से देश आगे बढ़ेगा। अब जैसे मैं लखपति दीदी बनाने का कार्यक्रम लेकर चल रहा। तीन करोड़ लखपति दीदी बनने का मतलब होता है कि वो इकोनॉमी का नेतृत्व करेगी गांव का। और वो बहुत बड़े बदलाव के बहुत बड़ी कैटेलिक एजेंट बनेगी। ये जो बदलाव है, इन चीजों का फर्क पड़ता ही पड़ता है।

एंकर- प्रधानमंत्री जी जब हम वाराणसी के आपके रोड शो में थे तो एक बुजुर्ग महिला आपकी आरती उतारने के लिए वहां पर खड़ी हुई थी। जब हमने उनसे बात की कि आप आरती उतारने क्यों आए तो उन्होंने कहा कि आप पहचानते हैं उनको कौन हैं। उलटा उन्होंने मुझसे सवाल पूछा तो मैंने कहा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। तो उन्होंने कहा नरेंद्र मोदी नहीं है यह महात्मा मोदी है। तो यह नरेंद्र मोदी से महात्मा मोदी की छवि गढ़ने तक का जो सफर है। ये आपको इस तरह की जो उपाधियां मिलती हैं तो जिम्मेदारी का एहसास और ज्यादा बढ़ जाता है।

पीएम मोदी- ऐसा है कि हर एक की अपनी-अपनी भावना होती है आपको 10 लोग गंदी से गंदी मेरे लिए गाली बोलने वाले भी मिल जाएंगे। 50 लोग अच्छी भावना भी व्यक्त करने वाले के बोल मिल जाएंगे। लेकिन मैं जो अच्छी भावना अभिव्यक्त होती है उसको ठेस ना पहुंचे, उसको कभी निराशा ना हो, वो मेरा कर्तव्य बन जाता है और मैं उस कर्तव्य को निभाने का प्रयास करता हूं। मैं नहीं जानता हूं कि जो वो शब्दों का प्रयोग करते हैं वह मेरे जीवन में है या नहीं। मैं नहीं जानता हूं। हो सकता है मेरे से उनसे अपेक्षा हो मेरे लिए कोई शब्द। लेकिन मैं इतना जरूर कविंस हूं यानी कोई मुझे मूर्ख कह सकता है, कोई मुझे पागल कह सकता है, मैं कविंस हूं कि परमात्मा ने किसी परपज के लिए मुझे भेजा है। और वह परपज पूरा होगा तो परमात्मा मेरा काम भी पूरा कर देगा। और इसलिए मैं पूर्णत परमात्मा को समर्पित हूं।

एंकर- क्या परपज है सर?

पीएम मोदी- परमात्मा पत्ते खोलता नहीं है। वो मुझसे करवाता रहता है और मेरी वो डायरेक्ट डायलिंग नहीं है कि मैं उसको पूछ लूं भाई जरा बताओ आगे मुझे क्या करना है।

एंकर- एक पॉलिटिकल सवाल यह आ रहा है चुनाव के बीच में, जिस तरह से कलकत्ता हाई कोर्ट का फैसला आया यह कहा गया कि ओबीसी में जिस तरह से मुसलमानों को आरक्षण दे दिया गया ममता बनर्जी सरकार से उसको पूरा उन्होंने कहा कि ये कैटेगरी आपको हटानी होगी। आपको ये नहीं करना होगा। आप भी अपने भाषणों में इस बात को बार-बार कहते हैं कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए। मुझे यह भी याद है मोदी जी कि आप हैदराबाद में जो बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी उसमें आपने पार्टी नेताओं से कहा था कि जो पसमांदा समाज है उस तक अपनी बात बीजेपी को पहुंचानी चाहिए। तीन तलाक उसको खत्म किया आपकी सरकार ने तो आपको लगता है कि एक तरफ आरक्षण ना देने की बात करना और दूसरी तरफ यह कदम उठाना ये संतुलन बनाएगा मुसलमानों को बीजेपी की तरफ लाने के लिए।

पीएम मोदी- हमारे देश का दुर्भाग्य हुआ है कि सरकारें जो चलाते हैं उसके दिमाग में, फिराक में रहता है कि अगला चुनाव जीतने के लिए कुछ खेल खेले। मेरे दिमाग में ये नहीं रहता है। मैं सरकार दोबारा बनाने के लिए सरकार नहीं चलाता। मैं देश बनाने के लिए सरकार चलाता हूं। ये सरकार देश का भविष्य बनाने के लिए, ये सरकार देश की भावी पीढ़ी का भविष्य बनाने के लिए। वोट बैंक के हिसाब से ना मैं सोचता हूं ना मैं करता हूं और भगवान बचाए मैं नहीं करना चाहता। पसमांदा समाज मुसलमान समाज, हमारे देश का दुर्भाग्य देखिए, आप लोग टीवी में एनालिसिस करते हैं, और एनडीटीवी वाले भी करते हैं। क्या करेंगे, बनिये कितने, क्षत्रिय कितने, ब्राह्मण कितने, फलाने कितने आप ये नहीं कहते हिंदू इतने परसेंट मुसलमान में भी जातियां हैं लेकिन आपको मालूम तक नहीं होगा, ना कभी जाति का उल्लेख करते हैं। और उसका कारण क्या है कि वहां जो एक अगड़ा वर्ग है उसने ऐसा कब्जा जमाया है। कुछ ही परिवार है जिनका ठेका है ना नीचे शिक्षा है अब देश का इतना बड़ा वर्ग देश की विकास यात्रा में अगर भागीदार नहीं बनता है तो देश का नुकसान है। तो मेरे मन रहता है कि मेरे देश की विकास यात्रा में समाज का आखिरी व्यक्ति तक... इसलिए वो मुसलमान है तो उस पर ध्यान देना चाहिए और हिंदू पर नहीं देना चाहिए। हिंदू पर देना चाहिए मुसलमान पर नहीं, ये मेरा तरीका नहीं है। समाज में अनटैप्ड जो पोटेंशियल पड़ा हुआ है उन सबको हमने सामर्थ्य देना चाहिए। हैंड होल्डिंग करना चाहिए। पसमांदा समाज के प्रति मेरा यह भाव है कि उसमें सचमुच में, मैं तो मेरा गांव, मेरा घर परिवार है मेरे अगल-बगल में जो मुस्लिम परिवार है, मैं मुस्लिम बस्ती में बड़ा पला हूं। मेरा घर वही हैं वो ज्यादातर य भाड़ भूजा वगैरह जिसको कहते हैं, उस प्रकार के समाज के लोग हैं। जो रुई करने वाले वगैरह। अब वो अलग-अलग राज्यों में उनके लिए नेम अलग है। लेकिन अब उनकी हालत मैं देख चुका हूं और तब मैं कहता हूं कि पसमांदा समाज में शिक्षा बढ़नी चाहिए। पसमांदा समाज के लोगों को एक अवसर मिलना चाहिए। तो मेरा भारत की विकास यात्रा में इतना बड़ा वर्ग भागीदार कैसे बने यह मेरा विषय है।

एंकर- लेकिन कांग्रेस की तरफ से अक्सर प्रधानमंत्री जी ये कोशिश होती है कि पाकिस्तान को इलेक्शन में ले आया जाया जाता है और एक खास तबके के वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए उसका इस्तेमाल होता है। इस बार मणिशंकर अय्यर साहब कह रहे हैं जो आपको हर चुनाव में कुछ ना कुछ एक अपशब्द का इस्तेमाल करते हैं और कुल मिला के अब तक कांग्रेस 100 से ज्यादा शब्दों का इस्तेमाल आपके लिए कर चुकी है, लेकिन इस बार धमकी अलग है इस बार कह रहे हैं कि पाकिस्तान का सम्मान करो नहीं तो एटम बम है उसके पास।

पीएम मोदी- मैं समझता हूं इस पर तवज्जो देने वाले विषय नहीं है क्योंकि उनकी पार्टी भी उनको तवज्जो देती नहीं है, लेकिन कभी-कभी मुझे लगता है वो पार्टी योजना से ऐसे लोगों के माध्यम से कुछ शगूफे छोड़ती है। वह अकेले अपनी मर्जी से करते होंगे ऐसा मुझे नहीं लगता है। क्योंकि वो फिर हो-हल्ला होता है तो कुछ दिन के लिए पार्टी से निकालते हैं फिर पार्टी की मुख्य धारा में वो रहते हैं। जैसे अभी उन्होंने अमेरिका में जो उनके गुरु है, उनको अभी इस्तीफा दिलवा दिया, अब कुछ दिन के बाद उनको ले लेंगे। तो ये उनकी एक सोची समझी रणनीति है। देश में भ्रम पैदा करना, वातावरण बदलना, नए नए मुद्दे जोड़ते रहना और विपक्ष को ऐसे मुद्दों पर रिएक्ट करने के लिए मजबूर कर देना। तो ऐसी अलग-अलग चालाकियां वो करते रहते हैं। लेकिन देश के मतदाताओं पर इसका कोई प्रभाव होगा, ऐसा मैं नहीं मानता हूं, टीवी मीडिया में शायद स्पेस मिल जाती होगी उनको।

एंकर- तो ये पाकिस्तान का मुद्दा तो फारूक अब्दुल्ला भी बीच-बीच में काफी उठाते हैं। कहते हैं पाकिस्तान से बात होनी चाहिए।

पीएम मोदी- ऐसा है कि सब लोग यही करते हैं। आतंकवाद के साथ लड़ाई लड़ने का, उनको लगता था कि पाकिस्तान को संभालो तो आतंकवाद संभल जाएगा। हकीकत ये नहीं है जी। आप अगर सामर्थ्यवान होंगे तो बुराइयां चली जाएंगी। अगर आप खुद फिजिकली वीक हैं तो थोड़ी सी भी बारिश हो गई आप बीमार हो जाएंगे, थोड़ी भी गर्मी आ गई आप बीमार हो जाएंगे। और अगर आप खुद मजबूत हैं तो बीमारियां हो सकता है आएंगी, लेकिन अटक जाएगी वैसा भारत को भी सशक्त होना पड़ता है। और सशक्त का मतलब सेना और बंदूक के पिस्तौल वो नहीं होता है। अनेक क्षेत्रों में आपके अंदर सामर्थ्य बढ़ाना होता है।

एंकर- अब जो पाकिस्तान से अक्सर खबरें आती हैं कि कोई अज्ञात व्यक्ति किसी आतंकी को गोली मारकर चला गया। अक्सर ये खबरें आती हैं और वो जो व्यक्ति मारा जाता है वो कहीं ना कहीं भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए जिम्मेदार रहा होता है। तो क्या ये भीतर भी उनकी लड़ाई शुरू हो गई।

पीएम मोदी- मैं हैरान हूं कि कभी आप लोगों ने ऐसा विश्लेषण किया कि भाई बिहार का मेरा एक भाई कश्मीर में मेहनत कर रहा था कोई गोली मार के भाग गया। कभी आपने विचार किया कि अमरनाथ की यात्रा में कोई यात्री गया था, किसी ने उसको मार दिया। फलानी जगह पर कोई जा रहा था किसी ने चाकू मार दिया। यह कौन है अज्ञात लोग। उनकी चर्चा नहीं कर रहे आप लोग। पाकिस्तान के अज्ञात और ज्ञात पाकिस्तान को करने दो न भाई। हम अपना टाइम क्यों खराब करें। हम अपने देश में ध्यान केंद्रित करें।

एंकर- सर इनसे बातचीत का कोई है पाकिस्तान से और चीन के साथ रिश्ते हमारे कैसे हों इन सब को लेकर।

पीएम मोदी- भारत का हमेशा मत रहा है विश्व बंधु का हमारा भाव रहा है। और विश्व बंधु के रूप में जिसको जो जरूरत हो उससे जुड़ना ही हमारा काम रहा है। तो हम तो पूरी दुनिया के साथ जुड़ना चाहते हैं और हम जुड़ते भी रहते हैं और जुड़े हुए भी हैं।

एंकर- ममता बनर्जी कह रही हैं कि मोदी जी जो चाहे कर लें, लेकिन 4 जून को इस सरकार की एक्सपायरी हो जाएगी। और ये कह रहे हैं कि सरकार की जो एक्सपायरी उसकी चिंता लगता है कि विपक्ष को बहुत लंबे समय से 10 साल से।

पीएम मोदी- और वो सच बोल रही हैं जी। ये सरकार तो 4 जून को समाप्त होना ही होना है। नई सरकार बननी है ना। वो तो कांस्टीट्यूशनली है भाई। इसका कार्यकाल पूरा हो रहा है। उसमें पॉलिटिकल कुछ है ही नहीं जी। कार्यकाल इसका चुनाव तक ही है, चुनाव होने के बाद नई सरकार बनेगी। तो हम नई ताजा सरकार बना करके आएंगे।

एंकर- आप नई एक्सपायरी दे देंगे तब?

पीएम मोदी- अरे ऐसा है कि एक्सपायरी डेट, मैं तो अविनाशी हूं जी। मैं काशी का हूं काशी तो अविनाशी है।

एंकर- प्रधानमंत्री जी आप हैं ना गुजरात के समय से देखा जा रहा है कि बड़े काम करते हैं, बड़ी योजनाएं बनाते हैं, उनको इंप्लीमेंट करते हैं, साबरमती नदी मृतप्राय हो गई थी उसको पुनर्जीवित किया। दुनिया की सबसे ऊंची स्टैचू बना दी आपने। पूरा जो ये सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट है उसको नए सिरे से आप गढ़ रहे हैं, नई पार्लियामेंट आपने खड़ी कर दी और जब ये बड़े काम करते हैं तो आप साथ में विपक्ष को चैलेंज करते हैं कि हिम्मत है तो मोदी को टक्कर देके दिखाओ, कैसे टक्कर देंगे वो।

पीएम मोदी- मैं कभी चैलेंज नहीं करता भाई, मैं तो उनको साथ लेना चाहता हूं। मैं किसी को कम नहीं आंकता हूं, उनके पास भी अनुभव है। वह 60-70 साल तक सरकार में रहे हुए हैं। उनकी अच्छी चीजें मैं तो सीखना चाहता हूं। मैं विरोध पक्ष को दुश्मन नहीं मानता हूं। अगर उनके पास कोई अनुभवी लोग हैं और मुझे कोई एडवाइस देना चाहते तो मैं तो सुनने को तैयार हूं जी। उनको मीडिया अखबार में जो भी अच्छा बुरा कहना है वो कहते रहें। देश के हित में अगर अच्छे सुझाव है तो जरूर स्वागत है उनका। मैं किसी का बुरा नहीं चाहता। उनको लगता है कि नहीं, पार्लियामेंट हाउस इतना भव्य बन रहा है, एक पौधा यह लग जाए तो अच्छा होगा, मुझे तो खुशी होगी। कोई मेरी पर्सनल प्रॉपर्टी थोड़ी है जी। ये देश है, 140 करोड़ लोगों को अधिकार है। इसमें कुछ ना कुछ आगे बढ़ाने के लिए और इसलिए मैं कोई टक्कर-वक्कर और चुनौती देता नहीं हूं। हां मैं विकास को उस पुरानी सोच से बाहर लाना चाहता हूं। मैं शासन, कानून व्यवस्था को 18वीं शताब्दी में रख कर के 21वी शताब्दी का भविष्य नहीं बना सकता हूं। तो मैं बदलाव करना चाहता हूं। और मेरा रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म और जब मैं रिफॉर्म कहता हूं तो पोलिटिकल विल चाहिए रिफॉर्म करने के लिए। परफॉर्म करने के लिए, मैं चाहता हूं तो उस विजन के साथ अलाइन आपके पास ब्यूरोक्रेसी चाहिए। एबिलिटी वाली ब्यूरोक्रेसी चाहिए। टाइम बाउंड काम करने वाली ब्यूरोक्रेसी चाहिए। तो पॉलिटिकल लीडरशिप का विजन रिफॉर्म करता है। सिस्टम का सामर्थ्य ट्रांसफॉर्म करता है। और भागीदारी परफॉर्म करती है। तो रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म। परफॉर्म करने का काम सिस्टम का है। ट्रांसफॉर्म करने का काम जन भागीदारी से होता है। तो रिफॉर्म पॉलिटिकल लीडरशिप के विजन से। परफॉर्म ब्यूरोक्रेटिक और गवर्नेंस सिस्टम के परफॉर्मेंस से और ट्रांसफॉर्मेशन जन भागीदारी जुड़ती है। जैसे स्वच्छता, स्वच्छता कब आएगी जन भागीदारी जुड़ेगी तो आएगी।

एंकर- सर एक बात विपक्ष ये भी कहता है कि जो सरकार की उपलब्धियां हैं उन्हें आप निजी उपलब्धियां बता देते हैं। जैसे मंगलयान है, चंद्रयान है कि ये जब आप आए तो ये सब हुआ बल्कि वो कहते ये तो लंबे समय से इस पर काम चल रहा था। ये भी एक आलोचना इस पर आपकी की जाती है।

पीएम मोदी- ऐसा है भाई, पहला विषय तो यह है कि क्या भारत की उपलब्धियों पर हम गर्व करते हैं कि नहीं करते। करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए। आपको भारत की उपलब्धि पर गर्व करने में पता नहीं क्या मुसीबत है। और इसलिए क्या कहते हैं मोदी क्यों क्रेडिट लेता है। मतलब आप गर्व लेने की बजाय आप यह क्रेडिट लेने की कोशिश करते हैं। मुझे याद है जब अटल जी सरकार थी और अणु विस्फोट का हम लोगों ने जो अटल जी की सरकार ने प्रयोग किया। तो ये कहते हैं कि ये तो वैज्ञानिकों ने किया। अब मजा यह है कि अटल जी ने जिस दिन ये अणु विस्फोट की घोषणा की तो दुनिया भर के सैंक्शन लग गए, आर्थिक संकट का आ गया। लेकिन 13 दिन के बाद दोबारा उन्होंने किया। इसके लिए पोलिटिकल विल लगता है। चंद्रयान एक विफल हुआ तो एक पॉलिटिकल लीडरशिप में दम था, वो साइंटिस्टों के बीच विफलता की जिम्मेवारी लेता है। जो आदमी विफलता की जिम्मेवारी लेता है तो दुनिया उसको सफलता का यश भी देती है। उस दिन मैं भाग सकता था कि मेरे साइंटिस्टों क्या कर दिया। मैं नहीं गया मैं वहीं रुका और सुबह सब साइंटिस्ट से मिला। उनका हसला मैंने बढ़ाया और मैंने कहा आप चिंता मत कीजिए अगर कुछ कमी है तो मेरी है तो मैं ओनरशिप लेता हूं।

एंकर- लेकिन आपकी आलोचना इस बात के लिए होती है जहां चंद्रयान लैंड किया उस जगह का नाम आपने शिवशक्ति रख दिया। कुछ और नाम रख सकते थे।

पीएम मोदी- हां रख सकते थे अगर वो लोग होते तो अपने परिवार का नाम रख लेते। हो सकता है भावी संतानों का नाम रख लेते वो हो सकता है दूसरा। मैं नहीं कर सकता हूं। मैं इस ब्रह्मांड के अंदर सामर्थ्य मान मेरे देश ने दुनिया को एक फिलोसोफी दी है। और उसके नियंताओं का नाम रखना मैं गर्व करता हूं। और यह किसी परिवार का आइडेंटिफाई नहीं है। जब मैं शिवशक्ति कहता हूं तो 140 करोड़ लोग उसके साथ अपने आप को जोड़ लेते हैं। कोई एक नाम मैं रख लेता तो एक परिवार जुड़ता, एक कुनबा जुड़ता या एक संगठन जुड़ जाता। जब मैं शिवशक्ति कहता हूं, दूसरा शिवशक्ति प्रेरक नाम है, सामर्थ्यवान नाम है, कोटि-कोटि जनों को गाइड करने वाला नाम है।

एंकर- सर इंटरव्यू समाप्त कर रहे हैं आखिर में जाते-जाते 4 जून को तो परिणाम आएंगे। एक इतिहास बनाने के मोड़ पर आप हैं क्योंकि देश के इतिहास में केवल पंडित नेहरू जिन्होंने लगातार तीन बार सत्ता में वापसी की थी। आप इस रिकॉर्ड की बराबरी कर सकते हैं। इस बात की संभावना तमाम सर्वेक्षण वगैरह में बताई जा रही है। इसको किस तरह से देखते हैं, बहुत बड़ी जिम्मेदारी बहुत बड़ी चुनौती आपके लिए तीसरा टर्म होगी?

पीएम मोदी- देखिए गुजरात में मेरे लिए लिखा जाता था Longest serving Chief Minister of the State अब ये एनालिसिस करने वाले लोगों का काम है। मेरा काम मोदी ने क्या पाया, कहां पहुंचा वो है ही नहीं जी। मेरी कंपैरिजन करनी है तो यह करिए कि मोदी के कालखंड में देश कहां पहुंचा। चर्चा देश की करिए जी। मोदी तो तीन बार भी जीतेगा, पांच बार भी जीतेगा, सात बार भी जीतेगा। 140 करोड़ देशवासियों के आशीर्वाद हैं तो वो तो चलता रहेगा। वो तो एक यात्रा है मोदी की।

एंकर- बहुत-बहुत धन्यवाद मोदी जी।

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Text Of Prime Minister Narendra Modi addresses BJP Karyakartas at Party Headquarters
November 23, 2024
Today, Maharashtra has witnessed the triumph of development, good governance, and genuine social justice: PM Modi to BJP Karyakartas
The people of Maharashtra have given the BJP many more seats than the Congress and its allies combined, says PM Modi at BJP HQ
Maharashtra has broken all records. It is the biggest win for any party or pre-poll alliance in the last 50 years, says PM Modi
‘Ek Hain Toh Safe Hain’ has become the 'maha-mantra' of the country, says PM Modi while addressing the BJP Karyakartas at party HQ
Maharashtra has become sixth state in the country that has given mandate to BJP for third consecutive time: PM Modi

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।