Aviation sector's growth will add to economic opportunities of India: PM Modi

Published By : Admin | October 22, 2016 | 15:09 IST
PM Modi inaugurates new terminal at Vadodara airport
Better air connectivity means more tourists and this means better economic growth: PM
A new aviation policy has been released under this Government. It will boost the aviation sector in the country: PM

मंच पर विराजमान गुजरात के गवर्नर श्रीमान ओम प्रकाश कोहली जी, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी जी, उप-मुख्यमंत्री श्री नितिन भाई पटेल, केंद्र में मंत्रीपरिषद् के मेरे साथी श्रीमान अशोक गणपति राजू जी, जयंत सिन्हा जी, यहां की सांसद श्रीमति रंजनबेन, इस क्षेत्र से विधायिका मनीषा बेन, राज्य सरकार के मंत्री श्रीमान राजेंद्र जी, विभाग के सचिव श्रीमान आर. एन. चौबे जी, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. गुरुप्रसाद महापात्र, उपस्थित सभी भाइयों और बहनों..

2014 के मई महीने में प्रधानमंत्री के रूप में आप सब ने मुझे कार्य का जिम्मा सौंपा था। तब कुछ ही समय में दो ऐसे महत्वपूर्ण काम थे जो हमने किए। उनमें एक ऐसा काम था जिसके लिए गुजरात पांच दशक से इंतजार कर रहा था, संघर्ष कर रहा था और कठिनाइयां झेल रहा था। वह था सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने का काम।

सरकार में आते ही, शुरू के दिनों में जो पहले काम हमने किए उनमें से एक था सरदार पटेल के नाम पर बनी सरदार सरोवर योजना की ऊंचाई बढ़ाने के काम की अनुमति देना, और मैं गुजरात सरकार का अभिनंदन करता हूं क्योंकि जिस तेज गति से इस काम को आगे बढ़ा रही है, मुझे विश्वास है कि समय सीमा से कुछ पहले ही गुजरात सरकार इस काम को पूरा कर देगी।

दूसरा, इस एयरपोर्ट के निर्माण का काम. इसका कार्य भी वर्ष 2014 के जून-जुलाई में आरंभ कर दिया गया और आज हिंदुस्तान के जो गणमान्य एयरपोर्ट गिने जाएंगे उनमें एक एयरपोर्ट वडोदरा का भी माना जाएगा।

इन दिनों भारत सरकार स्थापत्य के क्षेत्र में जो कुछ भी काम करती है, उसमें एक बात पर बल दिया जाता है कि पर्यावरण के अनुकूल हो और इको-सिस्टम का ख़याल रखा गया हो। मुझे खुशी है कि भारत में नई सरकार बनने के बाद दो एयरपोर्ट एक प्रकार से हरित आंदोलन का हिस्सा बने हैं। एक एयरपोर्ट का उद्घाटन केरल के कोच्ची में किया और दूसरा आज वडोदरा एयरपोर्ट, जो राष्ट्र को समर्पित हो रहा है।

यह टर्मिनल कचरे से संपदा निर्माण पर आधारित, ऊर्जा बचाने वाला और पर्यावरण अनुकूल है। जब इस प्रकार की प्रतिष्ठित इमारतें तैयार होती हैं तो सामान्य जनता का उत्साह भी इस प्रकार के काम को देखकर बढ़ता है। प्रारंभ में चीजें ज्यादा महंगी होती हैं लेकिन एक बार सरकार हस्तक्षेप करे और शुरुआत कर दे तो तो सामान्य नागरिक के लिए भी वे आर्थिक रूप से कम दाम पर तैयार होती हैं।

एक समय था जब कोयले से चलने वाले बिजली के कारखाने के अगल-बगल में कोयले की राख का ढेर लगा रहता था। बिजली के कारखाने से बड़ा ढेर कोयले की राख का होता था। और कायले की राख उठाने के लिए पैसे देने पड़ते थे। आस-पास रहने वाले लोग चिल्लाते थे कि भई ये हटाओ, हम तो मर जाएंगे। इस टर्मिनल की बिल्डिंग में जिन ईटों का जो उपयोग हुआ है वो कोयले की राख से बनी ईटों का उपयोग हुआ है। उससे मजबूती भी मिलती है और जिस कचरे को हटाने में खर्चा करना पड़ता था वही यहां काम में लाया गया है और पर्यावरण की रक्षा की गई है।

भारत में विमानन क्षेत्र बहुत तेज गति से आगे बढ़ रहा है। उसका विकास बहुत तेज है। अब मध्यमवर्गीय परिवार का हवाई यात्रा का मन करता है, उसे ट्रेन से जाना अच्छा नहीं लगता। रिश्तेदार पूछेंगे, अरे ट्रेन में आए? तो उन्हें लगता है कि नहीं, हमें हवाई जहाज में जाना चाहिए। ये हमारे देश में अब प्रतिष्ठा से जुड़ने लग गया है।

एक अनुमान है कि भारत के हवाई अड्डों पर पांच साल के भीतर ये स्थिति होगी कि अमेरिका की जितनी जनसंख्या है उतने लोग हमारे देश में साल भर में हवाई अड्डों पर होंगे। यानि आप कल्पना कर सकते हैं कि विमानन क्षेत्र कितना आगे बढ़ने वाला है। भारत शायद बहुत ही निकट भविष्य में दुनिया का तीसरे नंबर का देश बनेगा जो एयरपोर्ट एक्टिविटी के मानकों को पार कर जाएगा. इससे रोजगार की संभावनाएं बढ़ने वाली हैं. इसके कारण आर्थिकी और कारोबार को गति मिलती है।

देश आजाद होने के बाद पहली बार इस सरकार ने अलग से विमानन नीति बनाई है. हमारे देश में विमान उड़ते थे, हवाई अड्डे बनते थे, विमान की खरीद-बिक्री होती थी लेकिन देश की कोई विमानन नीति नहीं थी. इसलिए पांच साल में इसे कहां पहुंचाना है, दस साल में कहां पहुंचाना है, देश के सामान्य नागरिक की जरूरतों के लिए क्या करना है इसका कोई दृष्टिकोण नहीं था। चलता था तो चलता था, दौड़ता था तो दौड़ता था, रुकता था तो रुकता था। ये था।

ये देश बहु़त विशाल है। 80 या 100 हवाई अड्डों से हम देश चलाने के बारे में सोचते हैं तो हम देश की विकास यात्रा में रुकावट पैदा करते हैं। टायर-2, टायर-3 श्रेणी के शहरों में भी उतनी ही संभावना होती है जितनी ऊपर की श्रेणी के शहरों में। अगर उनको विमानन क्षेत्र का लाभ मिले तो देश की विकास यात्रा के नए आयाम खुल सकते हैं। और इसलिए इसे प्रमोट करने के लिए 500 किलोमीटर के हिसाब से 2500 रुपये जैसी टिकट है ताकि किसी दूर-सुदूर नगालैंड जाना है या किसी को अरुणाचल जाना है या किसी को मिजोरम जाना है, किसी को अंडमान-निकोबार जाना हा, लक्षद्वीप जाना है, किसी को कच्छ जाना है, किसी को भावनगर, जूनागढ़ जाना है.. ऐसे क्षेत्र हैं जहां आज ट्रैफिक नहीं मिलता है, जहां पुराने वक्त से हवाई पटि्टयां बनी पड़ी हैं। तो एक बहुत बड़े पैमाने पर विस्तार के मिशन पर काम चल रहा है। और ये निजी-सार्वजनिक भागीदारी के मॉडल पर काम होने वाला है।

आज दुनिया जिस प्रकार की है उसमें कनेक्टिविटी का बहुत महत्व है। फिजिकल कनेक्टिविटी भी चाहिए, डिजिटल कनेक्टिविटी भी चाहिए। अगर हाइवे चाहिए तो आई-वे भी चाहिए। सूचना तरंगों की भी जरूरत है। उसी प्रकार से हवाई यातायात की भी उतनी ही आवश्यकता है। पर्यटन क्षेत्र में आज हवाई सेवा की बहुत बड़ी जरूरत है।

भारत में पर्यटन की तरक्की तेज गति से हो रही है। संभावनाएं अपार हैं। अगर हम लोगों को स्थलों पर जाने की सुविधा देते हैं तो वे दो-तीन दिन ज्यादा रहते हैं। ज्यादा रहते हैं और ज्यादा खर्च करते हैं तो वहां की अर्थव्यवस्था को बहुत ताकत मिलती है। तो इस लिहाज से हवाई यातायात से बहु-आयामी आर्थिक असर पैदा होते हैं। उन चीजों को ध्यान में रखते हुए विमानन क्षेत्र को बढ़ावा देने का प्रयास वर्तमान सरकार ने किया है।

वडोदरा वासियों को ये नया नजराना आज मिल रहा है। मुझे विश्वास है कि वडोदरा की अपनी एक पहचान तो है ही, उस पहचान में चार चांद लगाने का काम ये व्यवस्था करेगी।

वडोदरा एक संस्कारी नगरी के रूप में जाना जाता है, लेकिन साथ-साथ वडोदरा शिक्षा का भी हब है। तकनीकी शिक्षा में वडोदरा ने अपनी एक जगह बनाई है. वडोदरा और विद्यानगर ने उस दिशा में काफी काम किया है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने एक बहुत अहम फैसला लिया है। जिसका असर आने वाली पूरी शताब्दी पर रहने वाला है। सौ साल तक जिसका प्रभाव रहने वाला है ऐसा एक महत्वपूर्ण निर्णय किया है। वो निर्णय है कि वडोदरा में देश की पहली रेलवे यूनिवर्सिटी बनेगी।

पूरा विश्व रेलवे के क्षेत्र में अगर 100 नंबर पर पहुंच रहा है तो हिंदुस्तान 10 नंबर पर खड़ा है। आज भी हमारे डिब्बे, उनकी गति, वो झंडी फहराने वाला वो सब ऐसा ही है। दुनिया बदल चुकी है। बहुत अभिनव प्रयोग हुए हैं। पुरानी रेल है लेकिन उसको आधुनिक तकनीकी और अभिनव प्रयोगों के द्वारा भारत की जरूरतों के अनुसार बदला जा सकता है। उस काम को प्राथमिकता देने के लिए भारत सरकार ने, भारतीय रेलवे ने वडोदरा को चुना है।

इस वर्ष रेलवे यूनिवर्सिटी, जो हिंदुस्तान की पहली ऐसी यूनिवर्सिटी है, वो आपके यहां वडोदरा नगरी में बनने वाली है। उससे आप कल्पना कर सकते हैं कि कितना बड़ा योगदान वडोदरा देश के लिए करने वाला है।

आज मुझे आपसे मिलने का अवसर मिला। मैं आप सबका बहुत-बहुत आभारी हूं कि इतनी बड़ी संख्या में आप आए, मुझे आशीर्वाद दिया।

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Under Rozgar Mela, PM to distribute more than 71,000 appointment letters to newly appointed recruits
December 22, 2024

Prime Minister Shri Narendra Modi will distribute more than 71,000 appointment letters to newly appointed recruits on 23rd December at around 10:30 AM through video conferencing. He will also address the gathering on the occasion.

Rozgar Mela is a step towards fulfilment of the commitment of the Prime Minister to accord highest priority to employment generation. It will provide meaningful opportunities to the youth for their participation in nation building and self empowerment.

Rozgar Mela will be held at 45 locations across the country. The recruitments are taking place for various Ministries and Departments of the Central Government. The new recruits, selected from across the country will be joining various Ministries/Departments including Ministry of Home Affairs, Department of Posts, Department of Higher Education, Ministry of Health and Family Welfare, Department of Financial Services, among others.