Our aim is to transform lives of people in the North-East: PM Modi in Assam

Published By : Admin | February 5, 2016 | 13:24 IST
Assam has made a special presence in the world with its hard working people: PM Modi
Assam needs a Govt that cares for its people: PM Modi
Our prime focus is to make opportunities available to Assam's youth, welfare of women & children: PM Modi
Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana: A boon for farmers in the face of adversity
PM Modi urges farmers to join Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana in large numbers
Be it education or infrastructure, our Govt is focussed on all-round development of Assam: PM Modi

मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महानुभाव और विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे भाईयों और बहनों।

आज मैं डिब्रूगढ़ में पेट्रोलियम से जुड़े हुए एक बहुत बड़े कार्यक्रम का उद्घाटन करके आ रहा हूँ और यहाँ से फिर श्रीमत शंकरदेव के सम्मान में जो समारोह चल रहा है, उसमें शरीक होने का मुझे सौभाग्य मिलेगा और इस बीच मैं चाय बागान के हमारे साथियों से मिलने आ गया हूँ। आज अगर दुनिया में असम की अगर कोई विशेष पहचान है तो उसका एक कारण आप लोगों की मेहनत और आपकी परिश्रम है। इस बागान में 100 साल से भी ज्यादा समय से चार-पांच पीढ़ियाँ खप गई हैं और इस चाय में यहाँ की मिट्टी की महक और आपकी मेहनत ने ऐसा रंग भर दिया कि आज पूरी दुनिया में असम की चाय मशहूर है। हिन्दुस्तान के अलग-अलग भूभाग से आकर इस बागान में परिश्रम करके हिन्दुस्तान का नाम रौशन किया है।

दुनिया को तो आपने असम की पहचान दे दी लेकिन असम के चाय के मजदूरों को क्या मिला; मुझे ये स्थिति बदलनी है। असम में एक ऐसी सरकार चाहिए जो असम के गरीबों की सुने, यहाँ के गरीबों के लिए जिये और यहाँ के सामान्य मानविकी के जीवन में बदलाव लाए। आपके जीवन में आनंद और असम में सर्वानंद लाना है। सारी सरकारें वादें करके चली गई लेकिन एक भी सरकार ने असम के गरीबों को किए वादे पूरे नहीं किये। हम वो वादे पूरा करना चाहते हैं और आप हमें अवसर दीजिए। आपने सब प्रकार की सरकारें देख ली हैं और आपको पता है क्या अच्छा है, क्या बुरा है। एक मौका भाजपा को दीजिए, हम असम को नंबर 1 बनाएंगे। हमें अपनी सेवा करने का एक मौका दीजिए। 

भारत सरकार का एक कानून है जिसे हम यहाँ लागू करना चाहते हैं और इसके लिए असम में एक ऐसी सरकार होनी चाहए जो दिल्ली की केंद्र सरकार को सुने। यहाँ की सरकार केंद्र सरकार से मदद तो लेती है लेकिन बाद में मीडिया के सामने केंद्र सरकार को कोसती है। मैं मानता हूँ कि कोई भी सरकार हो, केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर काम करना चाहिए। लोगों की भलाई करने में राजनीति बीच में नहीं आनी चाहिए। दिल्ली सरकार जो दे रही है, वो असम के हक का है और हम हमारी जिम्मवारी ईमानदारी से पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं।

हमारे असम के नागरिकों का गौरव, उनका भविष्य, असम के माताओं और बहनों की सुरक्षा, ये हमारी प्राथमिकता है। हम असम को विकास की नई ऊंचाईयों पर ले जाना चाहते हैं। हमने देश में मजदूरों के लिए अनेक नए कानून बनाए हैं। आपको सुनकर हैरानी होगी कि जब मैं आया था तो देश के मजदूरों के 27 हज़ार करोड़ रुपये सरकार के खजाने में ऐसे ही पड़े थे और जब मैंने पूछा कि ये पैसे क्यों पड़े हैं तो उन्होंने कहा कि उनके पैसे नौकरी के समय कटते हैं लेकिन जब वे नौकरी छोड़ कर जाते हैं तो वो पैसे वापस नहीं ले जाते क्योंकि उनके आने-जाने का खर्च ही उतना हो जाता है। इस वजह से मजदूरों के वो पैसे (27 हज़ार करोड़ रुपये) पड़े हुए हैं। मैंने कहा कि दिल्ली सरकार को ये पैसे रखने का हक नहीं और इसलिए हमने आकर निर्णय किया कि ऐसे सभी मजदूरों को खोजकर उनके पैसे वापस लौटाए जाने चाहिए। हमने उनके लिए एक नंबर निकाला। असंगठित क्षेत्रों के मजदूरों को एक नंबर दिया जा रहा है जिससे वो किसी भी शहर में काम करे, उसके सारे पैसे उस नंबर की मदद से उसके पास रहेंगे।  

हमारे यहाँ 30 साल पहले मजदूरों को बोनस देने का कानून बना था। हम संसद में कानून लेकर आए कि मजदूरों को बोनस का कानून बदलना चाहिए और जिन गरीब मजदूरों को बोनस नहीं मिलता है, उन्हें बोनस मिलना चाहिए। आपने हमें दो-तिहाई बहुमत देकर लोकसभा भेजा लेकिन जो लोग चुनाव हार गए हैं और 400 में से 40 हो गए हैं, उन्हें लगता है कि मोदी को काम ही नहीं करने देंगे। विरोधी दल इसी षड़यंत्र में हैं कि परेशानी पैदा करो। बहुत दल हैं, बहुत नेता हैं जो सरकार, भाजपा और नरेन्द्र मोदी का विरोध करते हैं लेकिन वो भी कहते हैं कि संसद चलनी चलनी चाहिए, चर्चा होनी चाहिए और संसद में जो भी फैसला हो, वो सबकी सर आँखों पर होना चाहिए। लेकिन एक परिवार अड़ा हुआ है कि हम देश का कोई काम होने नहीं देंगे क्योंकि देश की जनता ने हमें हराया है और हम उसका बदला लेंगे।

ये बोनस का कानून लोकसभा में पास हो गया और राज्यसभा में आगे बढ़ाना है लेकिन वो राज्यसभा चलने ही नहीं दे रहे हैं। 60 साल से यहाँ लोकतंत्र है लेकिन कभी भी गरीबों और मजदूरों के लिए संसद में कभी अड़ंगे नहीं डाले लेकिन आज देश के गरीबों के लिए काम करने नहीं दिया जाता है। हमारी सरकार ने जल परिवहन का कानून बनाया और इसका सबसे बड़ा फायदा असम और नार्थ-ईस्ट को होने वाला है। ब्रह्मपुत्र नदी में व्यापार के, रोजगार के नाव चले, हम इसके लिए कानून लेकर आए हैं। हमारे देश की नदियों में सस्ते से सस्ता माल पहुँचाने का रास्ता है। हम इसे गति देना चाहते हैं और लोकसभा में कानून पास भी हो गया लेकिन एक परिवार ने राज्यसभा नहीं चलने दी और उसके कारण ब्रह्मपुत्र में जल परिवहन का जो काम हम करना चाहते थे, वो काम अटक गया। राजनीति करने वाले कोई भी लोग अगर इस तरह का नकारात्मक विरोध करते हैं तो इससे न उनका भला होने वाला है और न ही देश का भला होने वाला है। नकारात्मकता, अहंकार और अवरोध की राजनीति करने वाले परिवार ने ये तबाही लाकर रख दी है। विपक्ष में कई लोग है जो विरोध तो करते हैं लेकिन देशहित के लिए निर्णय करने में अवरोध पैदा नहीं करते लेकिन एक परिवार है जो निर्णय करने में भी अवरोध पैदा करता है।

किसान पर राजनीति करने वाले तो बहुत लोग हैं लेकिन किसान को सुरक्षा कौन देगा, संकट के समय में उनकी मदद कौन करेगा। प्राकृतिक आपदा आती थी तो किसानों को कुछ मिलता ही नहीं था। उसके नियम ऐसे थे कि किसान उसके बाहर ही रह जाता था ऐसे ही कुछ दिन बीतते थे और नया सीजन शुरू हो जाता था और किसान भी बेचारा फ़िर से मेहनत करने में लग जाता था। हमने इस स्थिति को बदला। प्राकृतिक आपदा में किसानों को मिलने वाली मदद के सारे नियम हमने बदल दिए। पहले से अनेक गुना ज्यादा मदद मिले, जमीन का दायरा भी छोटा स्वीकार कर लिया ताकि किसान के हितों की रक्षा हो।

हम किसानों के लिए प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना लेकर आए। पहले भी फ़सल बीमा योजनाएं थीं लेकिन वो किसानों के लिए नहीं थीं। वो बैंकों से जो लोन लेते थे, वो लोन डूब न जाए, इतनी ही मात्रा में बीमा मिलता था। कहने के लिए तो वो किसानों के लिए फ़सल बीमा था लेकिन हक़ीकत में वो बैंक के ऋण को सुरक्षित करने का तरीका था और वो भी किसान के पैसों से। इस सबके बाद केवल 20 प्रतिशत किसानों के पास ये बीमा था क्योंकि उन्हें पता था कि पैसे जाने वाले हैं लेकिन आने वाले नहीं हैं। पहले 50% तक बीमा का पैसा देना पड़ता था, हमने उसे 2% कर दिया। हमने इसे टेक्नोलॉजी से जोड़ा ताकि बीमा का भुगतान तुरंत हो। मैं चाहूँगा कि असम के छोटे-छोटे किसान प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना का लाभ उठाएं।

इस योजना में बहुत कम पैसे लगेंगे और चाहे कोई भी प्राकृतिक आपदा आ जाए तो आप उसमें सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं। पहले फ़सल काटने के बाद कुछ हो जाए तो बीमा नहीं मिलता था लेकिन हमने इसे बदल दिया। अब अगर फ़सल काटने के 15 दिन तक कोई आपत्ति आ जाए तो भी उसको बीमा मिलेगा।

हमारे देश के नौजवान हमारे देश का भविष्य बनाने वाले हैं। रोजगार के अवसर उपलब्ध हों, हम इसके लिए नई-नई योजनाएं बना रहे हैं। आज पूँजी लगाने के लिए विदेशों से एक से बढ़कर एक लोग भारत आ रहे हैं। इसके कई कारण हैं - पहला तो उन्हें भारत सरकार पर भरोसा है और दूसरा कि वे हिन्दुस्तान के नौजवानों के प्रति आशावान हैं। वे सोचते हैं कि वे पूँजी लगाएंगे और यहाँ का नौजवान काम करेगा और उनका कारखाना चल पड़ेगा और दुनिया में उनका माल बिकेगा, ये विश्वास पैदा हुआ है। ये ताकत देश के साथ-साथ असम के नौजवानों का भी है। असम के नौजवानों को बल मिले, उस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं।

हमने इंफ्रास्ट्रक्चर पर बल दिया है। असम में नए रास्ते बनें, नई रेल लाइन बिछे, रेल लाइन को चौड़ा किया जा सके और पूरे नार्थ-ईस्ट में एक ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हो कि हिन्दुस्तान के लोगों के आना-जाना और व्यापार करना सरल हो जाए और यहाँ के किसान जो पैदा करते हैं, वो बाज़ार में जाए ताकि यहाँ के किसानों को पैसा मिले। हम यहाँ की शिक्षा पर भी बल देना चाहते हैं। हिन्दुस्तान की उत्तम से उत्तम शिक्षा व्यवस्था को हम नार्थ-ईस्ट में लाना चाहते हैं। इस पूरे क्षेत्र के लोगों को उत्तम शिक्षा मिले, इस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं। चाहे हेल्थ हो या शिक्षा, चाहे किसान हो या नौजवान, चाहे हमारी माताएं-बहनें हों, हम हर किसी के जीवन में बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं।

मैं चाय बागान के अपने मजदूरों से कहना चाहता हूँ कि भारत सरकार के जिस कानून को यहाँ की सरकार ने अभी तक लागू नहीं किया है, जो कानून यहाँ के मजदूरों की भलाई के लिए है, जिसमें उन्हें मकान, पानी, शिक्षा, दवाई आदि सभी चीजें उपलब्ध कराने की व्यवस्था है; जब हमारी सरकार बनेगी तो हम इन सारी चीज़ों को यहाँ लागू करेंगे। हमारा संकल्प यहाँ के जीवन में बदलाव लाने का है। आप सब इतनी भारी संख्या में यहाँ आए और अपने मुझे अपना आशीर्वाद दिया, इसके लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूँ और इस विशाल जनसागर को नमन करता हूँ। असम के उज्जवल भविष्य और आनंद की कामना करता हूँ।

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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‘Ek Hain Toh Safe Hain’ has become the 'maha-mantra' of the country, says PM Modi while addressing the BJP Karyakartas at party HQ
Maharashtra has become sixth state in the country that has given mandate to BJP for third consecutive time: PM Modi

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।