Development is the solution to all the troubles: PM Modi

Published By : Admin | March 5, 2017 | 20:23 IST
QuoteUttar Pradesh must be rid of corruption, says PM Modi
QuoteIt is sad that driven by politics, some people wanted proof of surgical strikes and were asking did any Indian soldier die: PM
QuoteEvery Indian should have his or her own home by 2022. We have undertaken measures so that everyone has their homes: PM

भारत माता की जय। हर हर महादेव। मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हमारे युवा साथी श्रीमान केशव प्रसाद मौर्य, लोकसभा के पालक श्रीमान राकेश वशिष्ठ जी, भाजपा के महानगर अध्यक्ष श्रीमान प्रदीप अग्रहरि जी, वाराणसी कैंट से विधायक श्रीमति ज्योत्सना श्रीवास्तव जी, वाराणसी कैंट विधानसभा संयोजक श्रीमान विद्या सागर राय, वाराणसी कैंट  विधानसभा प्रभारी श्रीमान जेपी सिंह, वाराणसी कैंट विधानसभा चुनाव समन्वय श्रीमान प्रकाश यादव जी, भाजपा के प्रदेश सचिव श्रीमान महेंद्र चंद्र श्रीवास्तव जी और इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार उत्तर से उम्मीदवार रविन्द्र जायसवाल जी, वाराणसी कैंट से उम्मीदवार श्रीमान सौरभ श्रीवास्तव जी। हर हर महादेव।

सबसे पहले तो मैं वाराणस के लोगों का जितना अभिवादन करूं, जितना वंदन करूं, नमन करूं, प्रणाम करूं कम पड़ जाएगा। काशीवासियों ने अपना कल का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। भाइयों बहनों। ये आपका प्यार, आपके आशीर्वाद, मुझे आपकी सेवा करने के लिए बहुत बड़ी ताकत देते हैं। आपके लिए जितना करूं, कम है। आपकी दी हुई ये शक्ति आपके आशीर्वाद, मुझे काशी की पूर्वांचल की, उत्तर प्रदेश की हिन्दुस्तान की सेवा करने की अद्भूत ताकत आप मुझे दे रहे हैं। और इसके लिए मैं आपका ह्रदय से बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं।

ऐसा जनसैलाब भाइयों बहनों।

यात्राएं निकालने का भी और यात्रा में शरीक होने का भी मुझे बहुत सद्भाग्य मिला है। कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर की यात्रा लेके चला था, डा. मुरली मनोहर जोशी जी के नेतृत्व में। भाइयों बहनों। उसके बाद भी कई यात्राओं में नेतृत्व करने का भी अवसर मिला लेकिन आज काशीवासियों के दर्शन करने का जो दृश्य था। ऐसा दृश्य जीवन में कभी नहीं देखा, कभी नहीं अनुभव किया। भाइयों बहनों। आपने कमाल कर दिया है।

भाइयों बहनों।

हमारा ये बनारस सारी दुनिया के आकर्षण का केंद्र बन सकता था। विश्व के हर व्यक्ति को ये इच्छा जग सकती थी कि जीवन में एक बार तो बनारस जाना है। भाइयों बहनों। बनारस के लिए कहा गया है विदेशी लेखकों ने भी कहा है मार्क ट्वीन ने कहा था कि हमारा बनारस इतिहास से भी पुराना है। परम्पराओं से भी पुराना है। कहावतें और किवंदतियों से भी पुराना है। एक जीवंत शहर, अपने भीतर इतनी सदियों को संजोये हुए हैं। भाइयों बहनों। ये दुनिया का अजोड़ नगर है, अजोड़ नगर है। ये सिर्फ शहर नहीं है। ये जीती जागती सांस्कृतिक की विरासत है। और बनारस सिर्फ बनारस वासियों का नहीं है। हर हिन्दुस्तानी बनारस को अपना मानता है, इतना बनारस घर-घर, हर दिल में उसने जगह बना ली है, वो बनारस कैसा होना चाहिए। उसका विकास कैसा होना चाहिए। यहां के लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति कैसे हो। और इसलिए भाइयों बहनों। बनारस एक असीम इच्छाशक्ति का शहर है। सामर्थ्य से भरा हुआ शहर है। संस्कार धारा से पुल्कित शहर है। थोड़ा सा भी ध्यान दिया जाए तो सिर्फ रूकावटें हटा दी जाए तो मेरे बनारस के लोग दुनिया जैसा बनारस सोचती है, वैसा बनारस बनाकर के रख सकते हैं भाइयों। ये ताकत है।

...लेकिन भाइयों बहनों।

इतनी सरकारें आई और गई ज्यादा से ज्यादा उन्होंने चुनाव का ध्यान रखते हुए छोटे मोटे कामों के तरफ नजर रखी। बनारस को छुटपुट छुटपुट काम करने से नहीं चलेगा। इसका पूरा काया कल्प करने की जरूरत है। बनारस की आत्मा बनी रहे और सुविधाएं आधुनिक बनती चले, ऐसा बनारस बनाने का मेरा सपना है। लेकिन भाइयों बहनों। मैं उत्तर प्रदेश में जब से घूम रहा हूं, खासकरके सांसद बनने के बाद, हमारे एमपी लोग भी मिलने आते हैं तो वो भी कहते हैं। बड़ी मजेदार बात करने की उनकी शैली होती है। बोले साहब, उत्तर प्रदेश के बारे में आपको कहां पता है। बताइए। बोले हमारे उत्तर प्रदेश तो ऐसा है कि यहां भी खुदा, वहां भी खुदा, इधर भी खुदा, उधर भी खुदा, जहां नहीं खुदा है, वहां कल खुदेगा। अब ये हाल जिन्होंने बनाकर रखा है। जब ये बनारस में ये जो तारों का झाल है, जो लटकते रहते हैं तार। उसके कारण बिजली का इतना नुकसान होता है, लोगों को इतना नुकसान होता है, शहर का इतना नुकसान होता है, लाइन लॉस इतना होता है। जब मैंने इसको देखा तो पहली मीटिंग में मैंने कहा कि ये मैं ठीक करूंगा। अब तक मैं 100 किलोमीटर तक केबल मैं डाल चुका हूं। कुल 300 किमी तक डालना है। एक-तिहाई काम हुआ है, दो-तिहाई काम होना बाकी है। लेकिन ये सरकार ऐसी है, उसको खुशी होनी चाहिए थी कि चलो भाई प्रधानमंत्री इतनी रूचि लेकरके उनके सांसद के नाते केबल के लिए दिल्ली से इतना पैसा दे रहे हैं, इतना अच्छा काम हो रहा है। लेकिन केबल डालने के बाद वहां जो रोड ठीक करना चाहिए वो नहीं करते थे, कहीं मोदी को क्रेडिट मिल जाए तो। मैंने एक बार कहा कि भई आपका बिजली का 42 प्रतिशत जो लाइन लॉस है, वो बच जाता है, आपको मुनाफा हो रहा है, जरा रोड के गड्ढे तो ठीक कर दीजिए।

भाइयों बहनों।

सारा हिसाब किताब ये करने से वोट मिलेगा कि नहीं मिलेगा तो करना। भाइयों बहनों। हम लोगों का मंत्र है सबका साथ सबका विकास। सबका साथ ...। लेकिन सपा हो, बसपा हो या कांग्रेस हो, उन्होंने राजनीति का जो कल्चर पैदा किया है, परंपरा पैदा किया है इसलिए उनकी रगों में यही विचार दौड़ता है कुछ का साथ, कुछ का विकास। कुछ ही लोगों का साथ लेना, चुनाव जीतने के लिए जितना झेमला काम आता है, उतना संभालना और बाकी लोगों की परवाह नहीं करना। भाइयों बहनों। लोकतंत्र में सबका साथ सबका विकास दोनों अनिवार्य होते हैं। अगर साथ नहीं है तो भी नहीं चलता है लेकिन विकास में भेदभाव है तो भी नहीं चलता है। आप देखिए पूरे हिन्दुस्तान का मानचित्र, हिन्दुस्तान का नक्शा अपनी नजर के सामने लाइए। और आप देखेंगे कि हिन्दुस्तान में दो सीधे-सीधे फर्क नजर आते हैं। पश्चिम का जो किनारा जो हिन्दुस्तान का है, वहां की हालत और पूर्वी हिन्दुस्तान जो है वहां की हालत। ये स्थिति क्यों? पश्चिम में आप देख लीजिए हरियाणा हो, राजस्थान हो, गुजरात हो, महाराष्ट्र हो, गोवा हो, कनार्टक हो, केरल हो, सभी राज्य में कोई न कोई आर्थिक गतिविधि दिखती है, आर्थिक प्रगति दिखती है। लेकिन इधर हमारा पूर्वी भारत देखिए, पूर्वांचल देखिए, पश्चिम बंगाल देखिए, असम देखिए, नागालैंड देखिए, उड़ीसा देखिए। सारा हिस्सा वहां जितना विकास होना चाहिए था नहीं हुआ। आप मुझे बताइए भाइयों। अगर ये संतुलन रहेगा तो देश का भला होगा क्या ...? भला होगा क्या ...? इंसान का शरीर भी देख लीजिए। वजन ठीक हो, ऊंचाई ठीक हो, आंख कान नाक सब बहुत बढ़िया हो लेकिन एक हाथ लकवा मार गया हो तो उस शरीर को कोई तंदुरुस्त शरीर कहता है क्या ...? कहता  है क्या ...? नहीं कहता है ना!

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भाइयों बहनों।

इस तरह हमारी भारत माता अगर एक अंग विकसित नहीं हुआ है तो मेरी भारत माता विकसित नहीं मानी जाएगी। और इसलिए भाइयों बहनों। मेरा सपना है, हमारे पूर्वी हिन्दुस्तान को, हमारे पूर्वी उत्तर प्रदेश को, हमारे पूर्वांचल को विकास की उस ऊंचाई पर जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी लाना ताकि वो पश्चिम की बराबरी में आकरके खड़ा हो जाए फिर पूरा देश आगे बढ़ने लगे, ये मेरा सपना है। उत्तर प्रदेश को भी अगर पूर्वांचल का विकास सही ढंग से होगा तो उत्तर प्रदेश को भी विकास की यात्रा में नंबर एक बनने में कभी देर नहीं लगेगी भाइयों। इसलिए हम जितनी योजनाएं बना रहे हैं, वो सारी योजनाएं बना रहे हैं। पूर्वी हिन्दुस्तान को ताकत देनी वाली, ये पूर्वी हिन्दुस्तान, ये हमारा पूर्वांचल, ये हमारा पूर्वी उत्तर प्रदेश, ऐसे सामर्थ्यवान लोग हैं, ऐसे संकल्पवान लोग हैं, परिश्रम की पराकाष्ठा करने वाले लोग हैं। यहां पर विपुल मात्रा में प्राकृतिक संपदा है। उपजाऊ भूमि है। ओद्यौगिक विकास के लिए संभावनाएं हैं, टूरिस्ट के लिए संभावनाएं हैं, कृषि के लिए संभावनाएं हैं, सब कुछ है। सिर्फ एक कमी है, सही सरकार नहीं है। अगर सही सरकार होती तो इतनी प्राकृतिक संपदा से भरा हुआ मेरा पूर्वांचल कितना आगे बढ़ जाता भाइयों।

अब आप बताइए।

एक वो जापानी बुखार, पूरे पूर्वांचल के कितने बच्चों को मौत के घाट उतार चुका है। भारत सरकार उत्तर प्रदेश की सरकार को बीमार लोगों की सेवा करने के लिए पैसे देती है। लेकिन दुख के साथ कहना चाहिए भाइयों बहनों। कि सरकार जो पैसे दे रही है, उसका उपयोग करने की भी हैसियत उनमें नहीं है। हां, एक तकलीफ जरूर है कि मैं हिसाब मांगता हूं। इतना ले गए, इतना हिसाब ले आओ और दूसरा ले जाओ। दिक्कत है ये कि ना हिसाब रखते हैं, ना हिसाब देते हैं। रखने जैसा होगा तो रखेंगे न। कुछ इधर-उधर की बात होगी तो कैसे रखेंगे।

भाइयों बहनों।

ये भ्रष्टाचार ये बेईमानी ये सब बंद होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए ...। होना चाहिए कि नहीं चाहिए ...। इस भ्रष्टाचार ने देश को तबाह किया है कि नहीं किया है ...। इस देश को ... बर्बाद किया है कि नहीं किया है। 70 साल हो गए देश को आजाद हुए, मुट्ठीभर लोग पद को दुरुपयोग करते हुए गरीब से गरीब को लूटते चले गए। एक पुलिस थाने में बैठा हुआ हवलदार अगर किसी से 100 रुपए लेता है तो लेने वालों को क्या कहता है, मुझे ऊपर देना पड़ता है। ये ऊपर है कौन भाई। ये कौन सा कारोबार चला है। ऊपर देना पड़ता है। ये जो ऊपर देना, ऊपर देना है ना, अब ऊपर वाले ने हिसाब मांगना शुरू किया है।  आप मुझे बताइए। ये हमारे समाजवादी बहुजन समाज और कांग्रेस सपा, बसपा और कांग्रेस ये हमेशा एक-दूसरे के खिलाफ बोलते हैं  कि नहीं बोलते हैं ...। एक-दूसरे की धज्जियां उड़ा देते हैं कि नहीं उड़ा देते हैं। 27 साल यूपी बेहाल कहते थे कि नहीं कहते थे ...। बहन जी भतीजे को जितना सुना सकती है उतना सुनाती है कि नहीं सुनाती है ...। भतीजा बुआ को सुनाता  है कि नहीं सुनाता है ...। रोज तू-तू, मैं-मैं चलती है कि नहीं चलती है ...। लेकिन एक बात पर तीनों इकट्ठे हो गए, तीनों इकट्ठे हो गए। जब 8 नवंबर रात को 8 बजे मोदी ने टीवी पर आकरके कहा, मेरे प्यारे देशवासियों। उसमें ऐसी ताकत थी, ऐसी ताकत थी कि ये सब इकट्ठे हो गए।

भाइयों बहनों।

सबकी नइया डूबने पर आई, इसलिए इकट्ठे हो गए। हर किसी का डूब रहा था। अंदर-अंदर पूछते थे कि तेरा कितना गया। यार कोई रास्ता बताओ। सारे देश में लोग रास्ता खोज रहे थे भाइयों बहनों। पांच सौ और हजार के नोट बंद कर दिया। 70 साल तक जिन्होंने लूटा है, उन्हें लौटाना ही पड़ेगा मेरे प्यारे देशवासियों। ये गरीब का है, गरीब को लौटाना पड़ेगा। ये तीनों इकट्ठे होकरके क्या कह रहे थे। बहनजी ने कहा, मुलायम सिंह ने कहा, मोदी जी बीच में सात-आठ दिन दे देते। क्यों, क्या जरूरत है। एक मुद्दे पर सब इकट्ठे हो गए। भाइयों बहनों। देश की जनता एक तरफ और जिनके पैरों के नीचे पानी आया था वो दूसरी तरफ। ये देश ने देख लिया है। ईमानदारी के रास्ते पर कौन चलना चाहता है और बेईमानी को कौन बचाना चाहता है, ये देश ने देख लिया है। ये दूध का दूध, पानी का पानी, ये आठ नवंबर को देख लिया है।

भाइयों बहनों।

कुछ लोग भ्रम फैलाते हैं। छोटे-छोटे व्यापारियों को तकलीफ होगी। इनकम टैक्स वाले अब परेशान करेंगे। मैं सब ईमानदार लोगों को कहना चाहता हूं। अब इस सरकार में ईमानदार को परेशान करने की हिम्मत नहीं करेगा, ये मैं आपको कहने आया हूं। अब देश में ईमानदार का सम्मान होगा। इस देश में ईमानदार का स्वागत होगा। इस देश में ईमानदार लोगों का जय-जयकार होगा। ये वक्त आ चुका है भाइयों बहनों। और व्यापारियों से भी मेरा कोई झगड़ा नहीं है। मान लीजिए कोई व्यापारी होगा तो ज्यादा से ज्यादा क्या करता होगा। सौ रुपए का माल 110 में बेच देता होगा, कभी मौका पड़ गया तो 120 में बेच देता होगा। सरकार में उसको टैक्स जमा करना होगा 10 रुपए देना होगा, हो सकता है वो नहीं देता होगा। 10 रुपए की जगह पर दो रुपए ही देता होगा। इतना ही करता होगा ना। अगर एक बार सरकार ईमानदारी से व्यवहार करे, बाबू लोग ईमानदार हो जाए तो मेरा व्यापारी एक रुपए की चोरी नहीं करेगा, ये मुझे विश्वास है।

भाइयों बहनों।

देश को लूटा किसने है, इन लोगों ने नहीं लूटा है। जो पद पर बैठे हैं, जिनको कागजों पे, फाइलों पर, हस्ताक्षर करने का हक मिला है ना। उन्हीं लोगों ने लूटा है देश को। नेताओं ने लूटा है, बाबूओं ने लूटा है। मुझे उसको निकालना है भाइयों बहनों। और इसलिए छोटे लोगों को परेशानी नहीं होने दूंगा लेकिन लुटेरों को नहीं छोडूंगा, ये पक्का है। और आप लोगों ने मुझे जो चलता था, वैसा ही चलाने के लिए भेजा है क्या ...। वैसा ही चलाने के लिए भेजा है क्या ...। ठीक ठाक करने के लिए भेजा है ना ...। अरे मां गंगा ने भेजा है, तो कुछ दम देकर भेजा ना। और इसलिए भाइयों बहनों। इस धरती ने जो मुझे ताकत दी है, जिसमें ईमानदारी भरी पड़ी है, मैं उसे करके रहूंगा। ये मैं कहना चाहता हूं। 2014 में जब मैं यहां बनारस आया चुनाव लड़ने। आपमें से लोग शायद नाम जानते होंगे, कभी टीवी पर चेहरा देखा होगा लेकिन आपने लोगों ने जो प्यार दिया, एक बार भी मैं चुनाव प्रचार नहीं कर पाया था। सिर्फ नामांकन भरने आया था। उसके बावजूद भी बनारस के लोगों ने जितना प्यार दिया मैं कभी भूल नहीं सकता भाइयों। और बनारस चुनाव के लिए जब मैं आया था। उस समय के जरा अखबार याद कर लीजिए। 2012, 2013, 2014 का अखबार देख लीजिए। अखबार में क्या आता था। हर रोज एक हेडलाइन आती थी। आज कॉमनवेल्थ का घोटाला, इतने गए। आज टूजी का घोटाला, इतने रुपए गए। आज कोयले का घोटाला, इतने रुपए गए। आज पनडुब्बी का घोटाला, इतने रुपए ...। आज हेलिकाप्टर का घोटाला, इतने रुपए ...। कितने गए, यही आता था। कोई कहता था, एक लाख करोड़, कोई कहता था दो लाख करोड़, कोई कहता था तीन लाख करोड़। रोज खबर आती थी गए, गए, गए। आज मोदी को लोग क्या पूछते हैं ...। मोदी जी ये तो बताओ कितने आए। हर बनारस वासी को गर्व होगा की नहीं होगा ...। आपके सांसद पर कोई दाग नहीं लगा है भाइयों बहनों। और लोग हिसाब मांगते थे, मांग रहे हैं। मोदी जी गया वो जमाना, जब जाता ही जाता था। अब आप आए हैं अरे जरा बताओ कितना वापस आया। भाइयों बहनों। देश में पहली सरकार ऐसी आई है जिस पर लोग भरोसा करते हैं कि हां ये लाके रहेगा।

भाइयों बहनों।

हिन्दुस्तान क्या है। हिन्दुस्तान किस दिशा में जाना चाहता है। सवा सौ करोड़ देशवासियों की ताकत क्या होती है वो दुनिया को भली भांति समझ आ गया है। कुछ लोगों को नहीं आता है। कुछ लोगों को समझना ही नहीं है, देखना ही नहीं है। आपने देखा होगा। मनुष्य का जो जीव है। कुछ समय बाद आंख में मोतियाबिंद हो जाता है। जब आंख में मोतिया बिंद हो जाता है ना। तो देखने में फिर तकलीफ हो जाती है। तो मोतिया बिंद का ऑपरेशन करना पड़ता है कि नहीं करना पड़ता है। कुछ राजनेता ऐसे हैं, उनको भी मत बिंद लग जाता है, मत बिंद। वोट बिंद लग जाता है। ये उनको जब तक दिमाग में से वोट और मत नहीं खिसकता है ना, तब तक उनको कुछ नजर नहीं आता है। ...और इसलिए भाइयों बहनों। अब देखिए जब सर्जिकल स्ट्राइक हुई। मेरे काशीवासियों ने, जब हमारे देश के फौजियों ने सर्जिकल स्ट्राइक की, सीमा पार जाकरके, दिन के तारे दिखा दिये। दुश्मन के कैंप में जाकरके हमारे फौज उनको मार करके लौट आए। और सूरज उगने से पहले आकरके खबर दी कि ऑपरेशन सफल हुआ है।

भाइयों बहनों।

देश की सेना के जवान, मौत को मुट्ठी में लेकरके दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए गए थे। उनके दिल दिमाग में यही विश्वास था कि मां भारती को तबाह करने वाले लोगों को हम तबाह करके रहेंगे, हम रहें या ना रहें, इस मिजाज से गए थे। लेकिन फौज का प्लानिंग इतना परफेक्ट था, हमला इतना तेज था कि दुश्मन जग ही नहीं पाया, खात्मा हो गया। लेकिन लेकिन देश का दुर्भाग्य देखिए। हमारे देश में ऐसी राजनीतिक पार्टियां, ऐसे राजनीतिक दल, वो कह रहे थे कि मोदी जी, सबूत तो दो। फौज ने सर्जिकल स्ट्राइक किया है और मेरे देश में सत्ता गंवाए हुए लोग, सिर्फ राजनीति में डूबे हुए लोग, चौबीसो घंटे विरोधवाद चलाने वाले लोग, सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगने लगे। मेरे देश के फौज से मांगने लगे। उनको ये तकलीफ हुई, मोदीजी इतना बड़ा ऑपरेशन हुआ, इतने लोग मारे गए, हमारा एक भी नहीं मरा क्या ...। मैं हैरान हूं जी। ऐसा सवाल शोभा देता है क्या ...। शोभा देता है क्या ...।

भाइयों बहनों।

इनके दिन दिमाग में देश के फौज के प्रति, देश के लिए मरने मिटने वाले सैनानियों के लिए जो भाव होना चाहिए ना, उसका अभाव है। इसी कारण वन रैंक, वन पैंशन 40 साल से मेरे देश के फौजप मांग रहे थे, 40 साल। वो कहते हैं, हमारा हक है। हमें मिलना चाहिए। हर चुनाव में, हर दल, गोल-मोल गोल मोल बोलते रहते थे। अब आपने मुझे प्रधानमंत्री बना दिया। हमने कहा कि मैं ये फौजियों की सेवा करूंगा। काम हाथ में लिया। मेरा इरादा था कि सरकार बनने के छह महीने के भीतर-भीतर ये काम कर लूं। लेकिन जब अंदर उतरा तो पता चला कि सरकार के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। कितने लोग रिटार्यड हैं, कहां है, कोई रजिस्टर नहीं, सब बिखरा पड़ा था। कोई इधर पड़ा था, कोई उधर पड़ा था, सब ऐसे ही था। मैंने कहा पहले इकट्ठा करो सारा। और कांग्रेस वालों ने कहा था कि वन रैंक, वन पैंशन में हम 500 करोड़ देंगे तो मुझे भी लगता था कि चलो भाई 500 करोड़ है तो 700, 800, 1000 करोड़ होगा और कितना होगा। जब मैं हिसाब किताब करने बैठा तो मामला 12 हजार करोड़ तक जा पहुंचा। इसका मतलब ये हुआ कि कांग्रेस सरकार को कभी भी ये विषय गंभीर है, कम से कम कागज पर तो खोज करके रखो, कितनी जिम्मेदारी है, क्या प्रोब्लम है, कुछ नहीं किया था। मेरा एक साल लग गया चीजें समेटते-समेटते। और बाद में मैंने घोषित कर दिया, वन रैंक वन पैंशन मिलेगा, 12 हजार करोड़ रुपए फौजियों को मिलेगा, चार किश्त में मिलेगा, दो किश्त दे चुका हूं। 6 हजार करोड़ रुपए ज्यादा रुपए दे चुका हूं। बाकी का इस बजट में मिल जाएगा भाइयों। मेरे कहने का मतलब ये है कि अगर देश को आगे बढ़ाना है तो सरकार निर्णायक होनी चाहिए, फैसले करने वाली होनी चाहिए। और फैसले कठोर से कठोर हो तो भी करने पड़ते हैं।

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...लेकिन भाइयों बहनों।

जो मिट्टी से निकलकर के आया होता है ना, जिसने जीवन में कष्ट झेले होते हैं, मेहनत करके निकला होता है, उसमें निर्णय करने की हिम्मत भी होती है लेकिन जो गलुआ होते हैं, हैं बनारस में गलुआ शब्द चलता है, चलता है ना। जिनको सब विरासत में मिला हुआ होता है। इसके लिए यहां पर शब्द है गलुआ। यहां जो मुख्यमंत्री हैं, उनको भी पिताश्री की तरफ से मिल गया। उनके जो नये यार हैं उनको को दादी, नाना, पिता सबसे मिला हुआ है। और इसलिए ये ऐसे नाजुक होते हैं, नाजुक लोग होते हैं। कष्ट नहीं उठा सकते हैं, डरते हैं, कहीं चला जाएगा तो। मुझे क्या है, हमको तो विरासत से मिला नहीं है जी। हमें तो जो मिला है काशीवासियों के प्यार में से निकला हुआ है। और इसलिए फैसले लेने में हमारी हिम्मत होती है और हम निर्णय करते हैं क्योंकि हमें देश को कठिनाइयों से मुक्त कराना है, देश को मुसीबतों से बाहर लाना है और इसलिए भाइयों बहनों। हम फैसले करने की हिम्मत रखते हैं भाइयों।

भाइयों बहनों।

ये हमारा पूर्वांचल। उसके विकास के लिए आर्थिक विकास के लिए, सबसे पहली बात मान लीजिए टूरिज्म। काशी के पास टूरिज्म की इतनी बड़ी ताकत है बहनों भाइयों। दुनिया में जैसे किसी को मक्का जाने का मन करता है, किसी को रोम जाने का मन करता है, वैसे हिन्दुस्तान के सवा सौ करोड़ देशवासियों को बनारस आने का मन करता है। और ये स्थिति मुझे लानी है बहनों भाइयों। और इसलिए, यहां के रास्ते अच्छे हो, यहां एकदम साफ सफाई हो, यहां पर हर घर में टॉयलेट हो, यहां पर गरीब से गरीब को भी अपना घर हो, रहने के लिए छत हो। झुग्गी-झोपड़ी में गुजारा न करना पड़े। हर घर में बिजली हो और 24 घंटे बिजली हो। 24 घंटे आती है क्या ...। आती है क्या ...। पक्का ना ...। हां, कुछ लोग कहते है कि नहीं आती है ...। मैं आपका मानूं कि उनका मानूं ...। आप सच बोलते हैं ना ...। सच बोलते हैं ना ...। सच बोलते हैं ना ...। देश की जनता जनार्धन जब बोलती है तो भगवान की आवाज होती है। इसलिए आपकी सच्चाई में दम होता है।

भाइयों बहनों।

टूरिज्म के विकास के लिए हवाई अड्डे से उतरकर के कोई भी टूरिस्ट आएगा। क्या हाल बनाकरके रखा था रस्ते का। भाइयों बहनों। हवाई अड्डे से काशी तक आने का रास्ता काफी मात्रा में सुधरा है नहीं सुधरा है ...। और सुधर रहा है कि नहीं सुधर रहा है ...। आपको दिखता है क्या ...। आपको दिखता है क्या ...। सपा वालों को नहीं दिखता है और आपको दिखता है। जिनको रोड नहीं दिखता है, उनको देश के जीवन में आ रहे बदलाव कहां से दिखेगा भाइयों।

भाइयों बहनों।

हमने रिंग रोड बनाने का काम किया। रिंग रोड बनाना हम चाहते थे। लेकिन राज्य सरकार की रूकावटें, काम धीमा, हम वाराणसी गोरखपुर रोड बनवा रहे थे लेकिन काम धीमा, सरकार का सहयोग नहीं। हम वाराणसी-सुल्तानपुर रोड बनवाना चाहते हैं काम शुरू हो रहा है, काम आगे नहीं बढ़ रहा है। धीरे चल रहा है। …और भाइयों बहनों। इन सब कामों के लिए भारत सरकार ने 11 हजार करोड़ रुपए दिया, 11 हजार करोड़। लेकिन ये ऐसी सरकार है कि अभी तक किसानों को जमीन का पैसा देना चाहिए, वहां पर थोड़ा रोड चौड़ा करना है तो उनको पैसा देना चाहिए। उनको देने के काम में भी रूकावटें डाली। 4500 करोड़ रुपए वैसी वैसी ही थप्पी पड़ी हुई है। लोगों को पैसे नहीं दिए जा रहे हैं।

भाइयों बहनों।

गंगा घाट का काम हो, सफाई का काम हो, बिजली के तार को अंडरग्राउंड करने का काम हो, ये सारी चीजें टूरिज्म को बढ़ावा देने वाली है। और टूरिज्म से रोजगार मिलने वाला है। कोई बड़ा उद्योग लगाने में जितना पैसा लगाते हैं, उससे जितने लोगों को रोजगार मिलता है, उससे अनेक गुणा ज्यादा रोजगार टूरिज्म में मिलता है और गरीब से गरीब, टूरिज्म से कमाता है। यात्री जब आते हैं तो फूल बेचने वाला कमाएगा, नाव वाला भी कमाएगा, रिक्शा वाला भी कमाएगा, बिस्कुट बेचने वाला कमाएगा, प्रसाद बेचने वाला कमाएगा, पूजा पाठ का सामान बेचने वाला कमाएंगे, छोटे-छोटे गेस्ट हाउस के लोग कमाएंगे, चाय बेचने वाला भी कमाएगा।

भाइयों बहनों।

हम टूरिज्म को बढ़ावा देना चाहते हैं। दूसरी बात है, यहां क्वालिटी ऑफ लाइफ में चेंज आना चाहिए। हर घर में शौचालय बनना चाहिए। भाइयों बहनों। हमने योजना बनाई है 2022 तक हिन्दुस्तान में कोई परिवार ऐसा न हो, जिसके पास रहने के लिए अपना घर न हो। गरीब से गरीब को भी रहने के लिए घर मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए ...। इतना काम तो सरकार को करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए ...। और घर ऐसा हो जिसमें पानी आता हो कि न हो ...। घर ऐसा हो जिसमें बिजली भी हो या न हो ...। घर जहां हो वहां बच्चों के लिए स्कूल हो कि न हो ...। हम ऐसा काम करना चाहते हैं। हमने उत्तर प्रदेश की सरकार को कहा कि आपके यहां शहरों में 30 लाख परिवारों को घर की जरूरत है, घर नहीं है। भारत सरकार पैसा देने को तैयार है। आप हमें लिस्ट बनाकर दे दीजिए, अर्जियां दे दीजिए हमारे शहरी विकास मंत्री को बार-बार चिट्ठी लिखनी पड़ी। सचिव को चिट्ठी लिखनी पड़ी लेकिन ये ऐसी सोई पड़ी सरकार थी, ऐसी सोई पड़ी सरकार थी। कौन गरीब है जिसको घर नहीं है, भारत सरकार जो घर देने वाली है, उसको मिलना चाहिए। ये लोग सूची बना पाए, सूची बना पाए। जो सूची बना नहीं पाते, वो घर कैसे बना पाएंगे। आप कल्पना कर सकते हो। आखिरकार हमने रास्ता खोजा। हमने पब्लिक को कह दिया कि हमारी सरकार जो कॉमन सर्विस सेंटर है, कम्प्यूटर वाले जो लड़के हमने बिठाए हैं। आप उनको अर्जी दे दीजिए। हम उनसे अर्जी मंगवा लेंगे। डेढ़ दो लाख अर्जियां आ गई तब उत्तर प्रदेश सरकार की नींद टूटी। अरे यार ये मोदी तो कर गया, उसने तो रास्ता खोज लिया। तब उत्तर प्रदेश की सरकार जगी।

भाइयों बहनों।

कोई सरकार ऐसे नहीं हो सकती है। हम ये तो समझ सकते हैं चलो भाई, इतने घर बनाने थे, थोड़े कम बन गए। हम इतना तो समझ सकते हैं कि चलो तीन महीना लेट हो गए लेकिन कागज पर नाम तक न लिख पाओ। क्या चला रहे हो आप लोग। भाइयों बहनों। हम चाहते हैं हर घर में 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिए। आज का जमाना, गरीब आदमी भी बिजली के बिना गुजारा कर सकता है क्या ...। कर सकता है क्या ...। बिजली चाहिए कि नहीं चाहिए ...। हमने एक योजना बनाई। हिन्दुस्तान के सभी राज्य, सब के सब उस योजना में शरीक हो गए। भारत सरकार के साथ एमओयू कर लिया। पैसे भारत सरकार दे रही है। कैसे करना, क्या करना है, भारत सरकार बता रही है। एक अकेला उत्तर प्रदेश, सपा सरकार पर मेरा गंभीर आरोप है। उन्होंने इस योजना का लाभ लेने से मना कर दिया। कोई ऐसा सोच नहीं सकता है भाइयों। कितना फायदा होने वाला था उत्तर प्रदेश को। बिजली सरकार दिल्ली से दे रही है। पैसे दिल्ली सरकार दे रही है। वे इस योजना से जुड़ना नहीं चाहते। क्या कारण है कि वे उत्तर प्रदेश के लोगों को अंधेरे में जीने के लिए मजबूर करना चाहते हैं।

भाइयों बहनों।

ये हमारा पूर्वांचल, यहां औद्योगिक विकास की संभावनाएं है। हमने तय किया, गुजरात से हम पाइप लाइन डाल रहे हैं, यहां तक पाइप लाइन आएगी, जिसमें एलपीजी गैस आएगा, पाइप लाइन में। और यहां घर में भी नल से गैस मिलेगा, गैस सिलेंडर की जरूरत नहीं पड़ेगी। इतना ही नहीं गैस के आधार पर कारखाने भी चलेंगे। गैस के आधार पर आपकी गाड़ियां चलेगी। प्रदूषण नहीं होगा। खर्चा कम होगा, बनारस की शक्ल सूरत बदलेगी नहीं बदलेगी ...। तीन हजार किमी लंबी पाइप लाइन लगा रहे हैं गुजरात से यहां तक, हजारों करोड़ रुपया खर्च कर रहे हैं। मेरे बनारस वालों के लिए कर रहे हैं भाइयों बहनों। विकास करना है इसलिए कर रहे हैं।

और इसलिए भाइयों बहनों।

हमने पूर्वांचल में गोरखपुर में फर्टिलाइजर कारखाना, एम्स की रचना, ट्रामा सेंटर की रचना, कैंसर सेंटर की रचना, एक के बाद एक ...। पूर्वांचल में अब कोई बीमार हो तो उसे लखनऊ और दिल्ली दौड़ना न पड़े, उसको नजदीक में ही बीमार को व्यवस्था मिल जाए। एक के बाद एक कदम उठा रहे हैं। और इसका परिणाम आपको नजर आने वाला है।

भाइयों बहनों।

मेरे मन में एक चित्र साफ है। इस पूरे पूर्वांचल में कैसे करना, इसका चित्र मेरे मन में साफ है। रेल का कनेक्टीविटी बढ़ा रहे हैं, रेल की लाइन बढ़ा रहे हैं, रेल का नेटवर्क ऐसा बनाना चाहते हैं कि उद्योग धंधे वालों को भी यहां आना है तो उनको लगेगा कि उनका यहां जो माल बनेगा, उसको तुरंत पहुंचाया जाएगा, सस्ते में पहुंचाया जाएगा। वो यहां आने के लिए तैयार हो जाएगा। काशी, बनारसी साड़ी, यहां के मेरे बुनकर भाई, दुनियां में हमारे हस्तकरघा चीजों का मार्केट खड़ा हो सकता है। बुनकरों को क्या सुविधा मिले, हजारों करोड़ रुपया हम मुद्रा योजना से हम दे रहे हैं ताकि गरीब से गरीब व्यक्ति भी रोजी रोटी कमा सके। हम घर-घर गैस का सिलेंडर दे रहे है, गैस का कनेक्शन दे रहे हैं। 2014 में जब चुनाव हुआ तो चर्चा ये थी। कांग्रेस पार्टी ने घोषणा की थी कि अगर हम दोबारा सरकार बनाएंगे तो 9 सिलेंडर की जगह 12 सिलेंडर देंगे। भाइयों बहनों। ये उनकी सोच की सीमा देखिए और हमने कहा कि हम तीन साल में 5 करोड़ परिवारों के अंदर गैस का सिलेंडर देंगे। और 5 करोड़ परिवारों को, जो गरीब मां लकड़ी का चूल्हा जलाकरके धुआं में जिंदगी में काटती है, 400 सिगरेट का धुआं जिसके शरीर में जाता है, उस मां को बीमारी से बचाने के लिए उसके घर में गैस का सिलेंडर देंगे। अकेले उत्तर प्रदेश में अब तक 55 लाख गैस कनेक्शन गरीब परिवारों में दे चुके हैं। काशी में भी हजारों परिवारों को कनेक्शन दे चुके हैं भाइयों। मेरा कहने का मतलब ये है कि विकास ही हमारी समस्या का समाधान है। विकास ही हमारे नौजवानों की गारंटी है। विकास ही गरीब से गरीब मां-बाप को अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए अवसर देता है।

भाइयों बहनों।

मेरा विजन साफ है। हम चाहते हैं कि किसान को सिंचाई, बच्चों को पढ़ाई, युवा को कमाई और बुजुर्गों को दवाई, इसमें कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। इस बात को लेकरके चल रही है। भाइयों बहनों। आज काशीवासियों ने कमाल कर दिया है। आप देखिए ये सपा हो या बसपा हो, कोई फर्क नहीं है। एक ए सपा है, दूसरी बी सपा है। ए सपा अखिलेश समाजवादी पार्टी है, बी सपा बहुजन समाजवादी पार्टी है।

भाइयों बहनों।

एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं। ये कांग्रेस पार्टी तो पता नहीं साहब भविष्य में शायद पुरातत्व विभाग खोलना पड़ेगा कि इस देश में कोई कांग्रेस पार्टी थी क्या। अभी महाराष्ट्र में चुनाव हुआ साफ हो गए, उड़ीसा में चुनाव हुआ साफ हो गए। कुछ बचा नहीं है। भाइयों बहनों।

भारतीय जनता पार्टी को वोट दीजिए। कमल निशान पर वोट दीजिए। और मेरी बनारस वासियों से आग्रह है कि आप पुराने सारे अपने रिकॉर्ड टूट जाए, इतना मतदान कराओगे। ज्यादा मतदान कराओगे ...। कराओगे ...। देखिए मतदान ज्यादा से ज्यादा मतदान होना चाहिए। मतदान लोकतंत्र का पर्व है। हर इंसान को लोकतंत्र के पर्व में शरीक होना चाहिए। जितना ज्यादा मतदान कराओगे, उतना लोकतंत्र मजबूत होगा। लोकतंत्र को मजबूत बनाना, ये भी हमलोगों की जिम्मेदारी है। मजबूत सरकार बनाना हम सबका सपना है। भाजपा की सरकार बने, मजबूत बने। बनारस का, पूर्वांचल का, उत्तर प्रदेश का भाग्य बदले, ऐसा काम करने के लिए आप हमें काम दें। इसी एक अपेक्षा के साथ मेरे साथ बोलिए। भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Prime Minister condoles loss of lives due to fire tragedy in Hyderabad, Telangana
May 18, 2025
QuoteAnnounces ex-gratia from PMNRF

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has expressed deep grief over the loss of lives due to fire tragedy in Hyderabad, Telangana. Shri Modi also wished speedy recovery for those injured in the accident.

The Prime Minister announced an ex-gratia from PMNRF of Rs. 2 lakh to the next of kin of each deceased and Rs. 50,000 for those injured.

The Prime Minister’s Office posted on X;

"Deeply anguished by the loss of lives due to a fire tragedy in Hyderabad, Telangana. Condolences to those who have lost their loved ones. May the injured recover soon.

An ex-gratia of Rs. 2 lakh from PMNRF would be given to the next of kin of each deceased. The injured would be given Rs. 50,000: PM "

@narendramodi