Q. This is a question on trade, which, as you know, is often cited as one of the principal engines of economic growth. India, since you became Prime Minister, has decided not to go ahead and ratify the so-called Trade Facilitation Agreement. Also, India is, for the moment, outside both – APEC and TPP negotiations. So could you speak about your view of trade? And whether the domestic politics of India will allow you to pursue a liberal trade agenda?

A. जहां तक Trade facilitation का सवाल है, हम 101% agreed हैं। उसमें कोई दुविधा का विषय नहीं है, कयोंकि हम भी यह चाहते हैं। आज global economy का युग है। अगर global economy का युग है तो हमें हमारे infrastructure, हमारी facilities global standard की बनानी पड़ेगी। इसलिए हम भी मानते हैं कि विश्‍व के साथ हमको काम करना है। मेरे लिए Politics is not an issue at all. मैं लोकरंजक राजनीति वाला इंसान नहीं हूं। और नही लोकरंजक अर्थनीति वाला इंसान हूं। लेकिन मेरे देश में गरीब लोग हैं। गरीबों को भूखा रखकर हम नहीं चल सकते। और इसलिए food security और Trade facilitation - दोनों चीजें एक साथ चलनी चाहिए। ये मेरे देश का आग्रह है। ये पहले कर लो तो देखा जाएगा तो गरीबों के साथ अन्‍याय होगा। दुनिया को कोई तकलीफ नहीं है कि हम food security के लिए positive stand ले लें।

Q. This question deals with electricity. As I understand it, several hundred million Indians do not have adequate access to electricity. And the question a lot of people are asking is, how can these people come to enjoy a middle class life, and in the process, not set in motion economics that have a clearly negative impact on climate change given the amount of carbon that would be emitted?

A. यह बात सही है कि हमारे लिए आज बिजली जीवन में एक बड़ा महत्‍पूर्ण हिस्‍सा बन चुकी है। बिजली Luxury नहीं है। ये जीवन की Requirement बन गई है। और हम 24x7 बिजली पहुंचाने के लिए संकल्‍पबद्ध हैं। मेरी सरकार ने अपने Manifesto में कहा है, अपने Agenda में कहा है कि next 5 years में हिंदुस्‍तान के हर गांव में 24x7 power supply करेंगे। यह संभव है। हमने जिस प्रकार से energy sector में काम किया है, उसमें भी clean energy पर बल दे रहे हैं। हम solar के लिए Roof top policy लेकर के आ रहे हैं। और इसलिए हिंदुस्‍तान में अब बिजली का संकट रहेगा, ऐसी संभावनाएं बहुत कम हैं।

जहां तक Climate Change का सवाल है, शायद आप लोगों को जान के आश्‍चर्य होगा, मैंने पहले भी कहा, मैं गुजरात में जब था – Al Gore ने एक किताब लिखी है Inconvenient truth - मैंने एक किताब लिखी है, Convenient Action और वह मैंने Environment पर लिखी है। और जो किया जा सकता है, यानी political will से Environment friendly काम कैसे किया जा सकता है, वो मैंने उसमें सिद्ध करके दिखाया है। इसलिए Development and climate दुश्‍मन हैं, जो सोचा जा रहा है, गलत है। हम दोनों को Carefully Streamline करके आगे बढ़ा सकते हैं।

Q. Sir, India is, by many counts, the second largest Muslim country in the world in terms of population. Only Indonesia is larger. And as you know from your time here, America is seized by the challenge posed by the group ISIS. One of the questions that has been raised is whether you’re worried that the unrest sweeping large parts of the Arab and Muslim world might spread to India. And to the extent that you are, what are your plans to reduce your country’s susceptibility to radicalization and even violence?

A. जहां तक भारत का सवाल है, भारत में किसी भी संप्रदाय के व्‍यक्ति क्‍यों न हो, लेकिन एक मूल philosophy से वह drive करता है और भारत के philosophy के प्रतीक हैं भगवान बुद्ध, महात्‍मा गांधी। जहां अहिंसा, यह हमारे लोगों के स्‍वभाव में है। आपने देखा होगा, इतनी Terrorist Activity हमारे देश में चली। Terrorism के कारण हम परेशान हैं। लेकिन सारे Terrorist Activity हमारे यहां exported है। किसी ने हमारे यहां export किया है। Home grown नहीं है इसलिए हिंदुस्‍तान का जो मुसलमान है, उसके विषय में, मुझसे कभी एक बार CNN ने पूछा था, कि अल कायदा का ये जो चल रहा है, तो आपको क्‍या होगा, तो मैंने कहा था कि हिंदुस्‍तान का मुसलमान अलकायदा को फेल कर देगा।

Q. We hope so. Let me turn to foreign policy for a minute. For much of the Cold War, India’s articulated foreign policy was one of Non Alignment. And there was always the rhetoric of the five principles of co-existence. But as you know, and as everybody knows, the world is no longer aligned with the end of the Cold War. So what is India’s compass? What is India’s intellectual approach to this post-Cold War world when it comes to its foreign policy?

A. देखिए, हम 18th और 19th century की तरफ जाएं तो वह युग पूरा संघर्ष का युग था। हर शासक जो भी उसका दायरा होगा, वह अपने विस्‍तार के लिए लड़ाई लड़ता था। पूरे दो शताब्‍दी का इतिहास संघर्ष का इतिहास है, लड़ने का इतिहास है। बाद में आया इतिहास, समय जो आया, वह गुट का इतिहास आया। एक गुट ये, तो दूसरा गुट ये। ये आया। अब वक्‍त बड़ी तेजी से बदला है। 21वीं सदी गुट से चलने वाली नहीं है। और एक प्रकार से Irrelevant हुआ यह गुट। आज हर देश Inter dependent है। विश्‍व के सब देश को सब देशों की जरूरत हो, ऐसे युग में हम प्रवेश कर चके हैं। और इसलिए गुट या समूहों के द्वारा नहीं, सह-अस्तित्‍व के विश्‍वास को लेकर आगे बढ़ना पड़ेगा। इसलिए एक नई philosophy, हम चाहे या न चाहें, already, practically जगह ले चुकी है। सभी देश मान लीजिए जो लोग G-20 में होंगे, वही G-4 में भी होंगे। जो G-7 में होंगे वही G-9 में होंगे। यानी आप देख सकते हैं कि कोई ऐसा समूह नहीं बन पा रहा है। हर कोई हर जगह पे भी जगह बना रहा है तो जगत पूरा बदल चुका है। हम ये पुराने समूहों की कल्‍पना लेकर के चलते थे, उसमें से बाहर निकल जाएं और हम Inter-dependent world है, उसको accept करें। ये जगत तेजी से जुड़ा रह है। Technology ने जोड़ा है, हमारी अपनी आवश्‍यकताओं से जुड़ रहे है, और हमारी युवा पीढ़ी ने एक नए बदलाव को स्वीकार कर लिया है, इसलिए पुराने सारे parameters अब काम नहीं आएंगे।

Q. After this meeting here in New York, you are heading for Washington. You’ll meet with the President tonight, you’ve got meetings tomorrow. I expect one word you’re going to hear again and again and again is the word “partnership”. To describe the US-Indian relationship. So my question for you is whether you are comfortable with that word and to the extent you are or are not, what is your definition of the word “partnership” when it comes to India and the United States?

A. पहली बात यह है कि हर चीज में comfort नहीं होने की जरूरत होती भी है। अब पति-पत्‍नी में भी 100% comfort नहीं होता है। लेकिन उसके बावजूद भी एक लंबे समय तक Binding रहता है। कुछ चीजे हैं, जो भारत और अमेरिका को जोड़ती हैं। और वो है:

सबसे बड़ी चीज लोकतंत्र। Openness, सोसाइटी में जो openness है, वह दोनों के संस्‍कारों में है। तीसरी बात, आप देखिए अमेरिका - सारी दुनिया अमेरिका में आके बसी है, यह अमेरिका के character का हिस्‍सा है कि सबको assimilate करती है। और Indian, दूसरी दुनिया में बसा हुआ है। तो सारी दुनिया को assimilate करने की ताकत Indian में है। ये दोनों ऐसे character हैं, जो एक-दूसरे को जोड़ते हैं। और तीसरी बात है, आर्थिक। आर्थिक बात वो लेन देन का विषय रहता है। व्‍यापारिक संबंध रहते हैं कभी आपके फायदे में, कभी हमारे फायदे में। वह give & take formula के आधार पर चलते हैं। लेकिन दोनों देशों के लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा दोनों देशों को जोड़कर रखती है।

Q. You’ve described what features India and US have in common. But another word you’re going to hear a lot tomorrow is “strategic partnership”. Do you have a vision for that partnership and how the US and India can work together on global and regional issues?

A. देखिए, अभी भारत और अमेरिका ने मिलकर के - शांति की दिशा में प्रयास करना, एक विषय है, लेकिन आर्थिक विकास को लेकर के - अभी हम मिलने वाले हैं तो उस विषय को भी जोड़ने वाले हैं। यहां पर जो रिसर्च होता है, उस रिसर्च का उपयोग, हो सकता है कि अन्‍य देशों के साथ मिलकर विशेषकर भारत के साथ मिलकर के, जहां पर उस रिसर्च के धरती पर उतरने में utility ज्‍यादा है, तो हम उन क्षेत्रों में भी काम कर सकते हैं। दुनिया की तरफ देखने का हमारा दृष्टिकोण, वो सिर्फ उपयोगितावाद पर नहीं है। मैं आज भी मानता हूं, कि भारत और अमेरिका के संबंध, अमेरिका के हित के लिए अमेरिका के संबंध और भारत के हित के लिए भारत के संबंध, उसके बजाय, अमेरिका और भारत मिलकर के दुनिया के हित में हम क्‍या कर सकते हैं अगर ये Base line बनती है तो हम दोनों की ताकत विश्‍व को बहुत काम आ सकती है। और मैं जब Mr. Kerry मुझसे मिले थे, तो मैंने इस विषय को बड़े विस्‍तार से उनके सामने मैंने प्रस्‍तुत किया था।

Q. Is Afghanistan one of the areas where you think we can work together in a productive way?

A. अफगानिस्‍तान, ये तो बड़ा example है। अफगानिस्‍तान, actually एक example है। भारत के बहुत लोग अफगानिस्‍तान में रहते हैं। और एक प्रकार से अमेरिका और India के Partnership ने अफगानिस्‍तान में बहुत बड़ा Role play किया है। हम भी चाहते हैं कि अफगानिस्‍तान स्थिर, लोकतांत्रिक तरीके से विकास की यात्रा को आगे बढाए। ये हम भी चाहते हैं। अमेरिका ने वहां जो security measures में मदद की, उसके कारण वहां एक stability मिली। आज भी हमारी कोशिश ये है। और जो अभी चुनाव होने के बाद नई सरकार वहां प्रस्‍थापित हुई है, उस सरकार में भी तालमेल करने में भारत और अमेरिका ने, दोनों ने मिलकर के बहुत ही सद्भावना अपनी प्रकट करते रहे हैं। और एक अच्‍छे नतीजे की तरफ अफगानिस्‍तान गया है। लेकिन हमने अमेरिका से यही Request की है कि आप जो, withdrawal वाला, defence के withdrawal का विषय है - इराक जैसी गलती नहीं करनी चाहिए। क्‍योंकि इसके बाद इतना तेजी से withdraw करने के बाद इराक का जो हाल हुआ, अफगानिस्‍तान में withdrawal की process बहुत slow होनी चाहिए। अफगानिस्‍तान को अपने बल पर खड़े होने देना चाहिए। तभी जाकर के तालिबान को उभरने से वह रोक पाएगा। और इसलिए अमेरिका और भारत दोनों ने मिलकर के अफगानिस्‍तान में पूरी तरह कंधे से कंधा मिलाकर के काम किया है।

Q. Mr Prime Minister, you set an admirable example for the world in June when you accepted the arbitration decision of a Law of the Sea Tribunal, even though it awarded most of the Bay of Bengal that was under dispute to Bangladesh. Would you be willing to submit your land border problems with China to arbitration or adjudication? The Chinese government has thus far rejected the use of arbitration or adjudication. The Philippines is now putting China to the test. Would India be willing to do something similar?

A. चीन और भारत दोनों सक्षम हैं, बातचीत के द्वारा अपनी समस्‍या का समाधान करने के लिए। चीन और भारत Direct बातचीत कर रहे हैं। इसलिए कोई अलग arbitration की आवश्‍यकता नहीं रहती है। अभी भी, चीन के साथ मेरे व्‍यक्तिगत संबंध भी अच्‍छे रहे हैं। चीन के राष्‍ट्रपति अभी-अभी आए थे। और Border dispute को हम मानते हैं, Border dispute है और कई बातों में हमने चर्चा की है। उस चर्चा को हम और आगे बढ़ाएंगे। लेकिन हम दोनों इस बात से सहमत हैं, कि हम मिलकर के बहुत ही जल्‍द इन समाधानों को करेंगे। इसलिए हमें arbitration की जरूरत नहीं पड़ेगी।

Q. You’ve often said that there is no compromise on the dignity of women. So given the enormous potential of Indian women, and the challenges they face everyday, what is your vision for a Made in India approach for ending gender-based violence and inequality? Is your government exploring the establishment of a Prime Ministerial task force or any other concrete milestones to be a global leader on this issue that is so fundamental to the lives of so many?

A. मैं आपका बहुत आभारी हूं कि आपने, जो मैंने initiative लिए, उसके विषय में अच्‍छे शब्‍द सुनाए। दुनिया के कई भाग ऐसे है, जहां देश का प्रमुख महिला नहीं बन पाती है। Prime Minister या President किसी महिला को बनना है, आज भी कई देशों में दिक्‍कत है, लेकिन भारत और एशिया के देश ऐसे हैं, जहां महिलाएं प्रधानमंत्री रही हैं। और आज मेरी Foreign Minister भी महिला हैं, सुषमा स्‍वराज यहां बैठी हैं। मेरी Foreign Secretary भी महिला हैं, सुजाता सिंह। और मेरी Cabinet में 25% women हैं, Cabinet Ministers. लेकिन इस बात से बात पूरी नहीं होती है। Women empowerment के लिए सबसे पहली बात है girl child education. हम लोग dedicated हैं, girl child education के लिए। और I would like to share my experience in Gujarat. मैं जब गुजरात में मुख्‍यमंत्री था तो मेरे यहां girl child education को जब मैंने जाना, पहली बार जब मैं मुख्‍यमंत्री बना। It was Painful for me कि गुजरात जैसे राज्‍य में girl child education का ये हाल है? फिर मैंने, मेरे यहां school शुरू होती है 15th June को। जबकि हमारे यहां temperature होता है 45 डिग्री। यहां पर 24 डिग्री में भी गर्मी लगती है। हम 45 डिग्री में वहां रहते है। तो 13, 14, 15 जून, मैं खुद गांव जाता था। मेरे पूरे मंत्रिपरिषद के लोग गांव जाते थे। सारे मेरे MLA, MP जाते थे। मैं घर-घर जाकर भिक्षा मांगता था और लोगों को मैं कहता था कि भिक्षा में आप मुझे वचन दीजिए कि आप अपनी बेटी को पढ़ाओगे। मैं खुद बच्चियों को स्‍कूल लेकर जाता था। और मैं 100% enrolment में सफल हुआ। When I was a Chief Minister, 100% मैं सफल हुआ। वहां पर मैं अटका नहीं।

मैं कहीं पर भी जाता था, Public function में, तो मुझे gift कुछ न कुछ देते रहते हैं लोग, वह gift देते थे। उस gift को मैं auction करता था। जब मैं मुख्य मंत्री पद से गुजरात से वापिस निकला, तो उस auction में मुझे 78 करोड़ रुपये Total मिले। 78 करोड़ रुपये मैंने girl child education के लिए दान दे दिया सरकार को। ये commitment है हम लोगों का। तो girl child education और मेरी सरकार का Agenda है ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ और उस दिशा में हम काम कर रहे हैं। दुनिया के कई देश हैं, जहां महिलाओं को Voting right पाने के लिए सालों तक संघर्ष करने पड़े। आंदोलन चलाने पड़े। Develop countries में भी women को voting right के लिए लड़ाई लड़नी पड़ी। भारत में women को election में भी 30% Reservation है। कोई भी Body होगी, 30% महिलाएं compulsory है। इतना हम forward looking देश हैं।

Q. You mentioned about the Jammu and Kashmir floods. I was originally born in Srinagar. Our families have obviously been tremendously affected. So my question, or rather request, is that Government of India should allow international organization to come in. Currently, there is a tremendous amount of bureaucracy in allowing international organization to come in.

A. पहली बात है कि दुनिया के कई देशों ने अपने आप कश्‍मीर को मदद पहुंचाई है। जब गुजरात में भूकंप हुआ था, गुजरात में भी अंतर्राष्‍ट्रीय community ने काफी मदद पहुंचाई थी। और ये तो बात सही है कि दुनिया भर में एक अच्‍छी चीज बनी है कि कहीं पर भी Natural Calamity होती तो सभी देश मदद करते ही हैं। जब पाकिस्‍तान में भूकंप हुआ था, तो मैं सबसे पहले, क्‍योंकि गुजरात उसके पड़ोस में ही है, तो हमने सबसे ज्‍यादा पाकिस्‍तान में मदद पहुंचाई थी। तो यह मानवता का काम है। सब लोग मानवता का काम करते रहते हैं।

Q. You’ve now been in office for 4 months. Is there any leader – whether in India or another country – about whom you say, “That’s someone who set a model that I would like to follow in my position as Prime Minister”?

A. मैं मानता हूं, ऐसा मैं कहूंगा तो कइयों के साथ अन्‍याय होगा, क्‍योंकि इतने सारे लोग हैं, हरेक से मुझे कुछ सीखना है। अगर मैं एक का नाम लूंगा तो 50 लोग नाराज हो जाएंगे। इसलिए मुझे दुनिया में जो भी अनुभवी लोग हैं, सबसे कुछ न कुछ सीखना है। और सबसे सीख करके मेरे देश के लिए मुझे अच्‍छा करना है। इसलिए मैं कहता हूं, दुनिया में जो श्रेष्‍ठ है, वो मुझे मेरे देश में लाना है।

Thank You.

Explore More
78ਵੇਂ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਦਿਵਸ ਦੇ ਅਵਸਰ ‘ਤੇ ਲਾਲ ਕਿਲੇ ਦੀ ਫਸੀਲ ਤੋਂ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ, ਸ਼੍ਰੀ ਨਰੇਂਦਰ ਮੋਦੀ ਦੇ ਸੰਬੋਧਨ ਦਾ ਮੂਲ-ਪਾਠ

Popular Speeches

78ਵੇਂ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਦਿਵਸ ਦੇ ਅਵਸਰ ‘ਤੇ ਲਾਲ ਕਿਲੇ ਦੀ ਫਸੀਲ ਤੋਂ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ, ਸ਼੍ਰੀ ਨਰੇਂਦਰ ਮੋਦੀ ਦੇ ਸੰਬੋਧਨ ਦਾ ਮੂਲ-ਪਾਠ
Cabinet extends One-Time Special Package for DAP fertilisers to farmers

Media Coverage

Cabinet extends One-Time Special Package for DAP fertilisers to farmers
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
The Constitution is our guiding light: PM Modi
A special website named constitution75.com has been created to connect the citizens of the country with the legacy of the Constitution: PM
Mahakumbh Ka Sandesh, Ek Ho Poora Desh: PM Modi in Mann Ki Baat
Our film and entertainment industry has strengthened the sentiment of 'Ek Bharat - Shreshtha Bharat': PM
Raj Kapoor ji introduced the world to the soft power of India through films: PM Modi
Rafi Sahab’s voice had that magic which touched every heart: PM Modi remembers the legendary singer during Mann Ki Baat
There is only one mantra to fight cancer - Awareness, Action and Assurance: PM Modi
The Ayushman Bharat Yojana has reduced the financial problems in cancer treatment to a great extent: PM Modi

ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਦੇਸ਼ਵਾਸੀਓ,

ਨਮਸਕਾਰ। 2025 ਬਸ ਹੁਣ ਤਾਂ ਆ ਹੀ ਗਿਆ ਹੈ, ਦਰਵਾਜ਼ੇ ’ਤੇ ਦਸਤਕ ਦੇ ਹੀ ਰਿਹਾ ਹੈ। 2025 ਵਿੱਚ 26 ਜਨਵਰੀ ਨੂੰ ਸਾਡੇ ਸੰਵਿਧਾਨ ਨੂੰ ਲਾਗੂ ਹੋਇਆਂ 75 ਸਾਲ ਪੂਰੇ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਹਨ, ਸਾਡੇ ਸਾਰਿਆਂ ਲਈ ਬਹੁਤ ਮਾਣ ਦੀ ਗੱਲ ਹੈ। ਸਾਡੇ ਸੰਵਿਧਾਨ ਨਿਰਮਾਤਾਵਾਂ ਨੇ ਸਾਨੂੰ ਜੋ ਸੰਵਿਧਾਨ ਸੌਂਪਿਆ ਹੈ, ਉਹ ਸਮੇਂ ਦੀ ਹਰ ਕਸੌਟੀ ’ਤੇ ਖ਼ਤਰਾ ਉਤਰਿਆ ਹੈ। ਸੰਵਿਧਾਨ ਸਾਡੇ ਲਈ guiding light ਹੈ, ਸਾਡਾ ਮਾਰਗ ਦਰਸ਼ਕ ਹੈ। ਇਹ ਭਾਰਤ ਦਾ ਸੰਵਿਧਾਨ ਹੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਦੀ ਵਜ੍ਹਾ ਨਾਲ ਮੈਂ ਅੱਜ ਇੱਥੇ ਹਾਂ, ਤੁਹਾਡੇ ਨਾਲ ਗੱਲ ਕਰ ਪਾ ਰਿਹਾ ਹਾਂ। ਇਸ ਸਾਲ 26 ਨਵੰਬਰ ਨੂੰ ਸੰਵਿਧਾਨ ਦਿਵਸ ਤੋਂ ਇੱਕ  ਸਾਲ ਤੱਕ ਚੱਲਣ ਵਾਲੀਆਂ ਕਈ ਗਤੀਵਿਧੀਆਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਈਆਂ ਹਨ। ਦੇਸ਼ ਦੇ ਨਾਗਰਿਕਾਂ ਨੂੰ ਸੰਵਿਧਾਨ ਦੀ ਵਿਰਾਸਤ ਨਾਲ ਜੋੜਨ ਦੇ ਲਈ constitution75.com ਨਾਂ ਨਾਲ ਇੱਕ  ਖਾਸ ਵੈੱਬਸਾਈਟ ਵੀ ਬਣਾਈ ਗਈ ਹੈ। ਇਸ ਵਿੱਚ ਤੁਸੀਂ ਸੰਵਿਧਾਨ ਦੀ ਪ੍ਰਸਤਾਵਨਾ ਪੜ੍ਹ ਕੇ ਆਪਣਾ ਵੀਡੀਓ ਅੱਪਲੋਡ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹੋ। ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਸੰਵਿਧਾਨ ਪੜ੍ਹ ਸਕਦੇ ਹੋ, ਸੰਵਿਧਾਨ ਦੇ ਬਾਰੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਵੀ ਪੁੱਛ ਸਕਦੇ ਹੋ। ‘ਮਨ ਕੀ ਬਾਤ’ ਦੇ ਸਰੋਤਿਆਂ, ਸਕੂਲ ਵਿੱਚ ਪੜ੍ਹਨ ਵਾਲੇ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ, ਕਾਲਜ ਵਿੱਚ ਜਾਣ ਵਾਲੇ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਨੂੰ ਮੇਰੀ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਵੈੱਬਸਾਈਟ ’ਤੇ ਜ਼ਰੂਰ ਜਾ ਕੇ ਵੇਖੋ, ਇਸ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਬਣੋ।


ਸਾਥੀਓ, ਅਗਲੇ ਮਹੀਨੇ 13 ਤਾਰੀਖ ਤੋਂ ਪ੍ਰਯਾਗਰਾਜ ਵਿੱਚ ਮਹਾਕੁੰਭ ਵੀ ਹੋਣ ਵਾਲਾ ਹੈ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਉੱਥੇ ਸੰਗਮ ਤਟ ’ਤੇ ਜ਼ਬਰਦਸਤ ਤਿਆਰੀਆਂ ਚੱਲ ਰਹੀਆਂ ਹਨ। ਮੈਨੂੰ ਯਾਦ ਹੈ ਕਿ ਅਜੇ ਕੁਝ ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਜਦੋਂ ਮੈਂ ਪ੍ਰਯਾਗਰਾਜ ਗਿਆ ਸੀ ਤਾਂ ਹੈਲੀਕੌਪਟਰ ਨਾਲ ਪੂਰਾ ਕੁੰਭ ਖੇਤਰ ਵੇਖ ਕੇ ਦਿਲ ਪ੍ਰਸੰਨ ਹੋ ਗਿਆ ਸੀ। ਏਨਾ ਵਿਸ਼ਾਲ! ਏਨਾ ਸੁੰਦਰ! ਏਨਾ ਸ਼ਾਨਦਾਰ!


ਸਾਥੀਓ, ਮਹਾਕੁੰਭ ਦੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਸਿਰਫ ਇਸ ਦੀ ਵਿਸ਼ਾਲਤਾ ਵਿੱਚ ਹੀ ਨਹੀਂ ਹੈ, ਕੁੰਭ ਦੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਇਸ ਦੀ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਵਿੱਚ ਵੀ ਹੈ। ਇਸ ਆਯੋਜਨ ਵਿੱਚ ਕਰੋੜਾਂ ਲੋਕ ਇਕੱਠੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਲੱਖਾਂ ਸੰਤ, ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ, ਸੈਂਕੜੇ ਸੰਪ੍ਰਦਾਇ, ਅਨੇਕਾਂ ਅਖਾੜੇ ਹਰ ਕੋਈ ਇਸ ਆਯੋਜਨ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਬਣਦੇ ਹਨ। ਕਿਤੇ ਕੋਈ ਭੇਦਭਾਵ ਨਹੀਂ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦਾ, ਕੋਈ ਵੱਡਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਕੋਈ ਛੋਟਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਅਨੇਕਤਾ ਵਿੱਚ ਏਕਤਾ ਦਾ ਅਜਿਹਾ ਦ੍ਰਿਸ਼ ਵਿਸ਼ਵ ਵਿੱਚ ਕਿਤੇ ਹੋਰ ਵੇਖਣ ਨੂੰ ਨਹੀਂ ਮਿਲੇਗਾ। ਇਸ ਲਈ ਸਾਡਾ ਕੁੰਭ ਏਕਤਾ ਦਾ ਮਹਾਕੁੰਭ ਵੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਵਾਰ ਦਾ ਮਹਾਕੁੰਭ ਵੀ ਏਕਤਾ ਦੇ ਮਹਾਕੁੰਭ ਦੇ ਮੰਤਰ ਨੂੰ ਮਜ਼ਬੂਤ ਕਰੇਗਾ। ਮੈਂ ਤੁਹਾਨੂੰ ਸਾਰਿਆਂ ਨੂੰ ਕਹਾਂਗਾ ਕਿ ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਕੁੰਭ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਈਏ ਤਾਂ ਏਕਤਾ ਦੇ ਸੰਕਲਪ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਨਾਲ ਲੈ ਕੇ ਵਾਪਸ ਆਈਏ। ਇਸ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਵੰਡ ਅਤੇ ਦਵੈਸ਼ ਦੇ ਭਾਵ ਨੂੰ ਨਸ਼ਟ ਕਰਨ ਦਾ ਸੰਕਲਪ ਵੀ ਲਈਏ। ਜੇਕਰ ਘੱਟ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਮੈਂ ਕਹਿਣਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਮੈਂ ਕਹਾਂਗਾ:-


ਮਹਾਕੁੰਭ ਕਾ ਸੰਦੇਸ਼, ਏਕ ਹੋ ਪੂਰਾ ਦੇਸ਼।

ਮਹਾਕੁੰਭ ਕਾ ਸੰਦੇਸ਼, ਏਕ ਹੋ ਪੂਰਾ ਦੇਸ਼।


ਅਤੇ ਜੇਕਰ ਦੂਸਰੇ ਤਰੀਕੇ ਨਾਲ ਕਹਿਣਾ ਹੈ ਤਾਂ ਮੈਂ ਕਹਾਂਗਾ...

ਗੰਗਾ ਕੀ ਅਵਿਰਲ ਧਾਰਾ, ਨਾ ਬੰਟੇ ਸਮਾਜ ਹਮਾਰਾ।

ਗੰਗਾ ਕੀ ਅਵਿਰਲ ਧਾਰਾ, ਨਾ ਬੰਟੇ ਸਮਾਜ ਹਮਾਰਾ।


ਸਾਥੀਓ, ਇਸ ਵਾਰੀ ਪ੍ਰਯਾਗਰਾਜ ਵਿੱਚ ਦੇਸ਼ ਅਤੇ ਦੁਨੀਆ ਦੇ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਡਿਜੀਟਲ ਮਹਾਕੁੰਭ ਦੇ ਵੀ ਗਵਾਹ ਬਣਨਗੇ। ਡਿਜੀਟਲ ਨੈਵੀਗੇਸ਼ਨ ਦੀ ਮਦਦ ਨਾਲ ਤੁਹਾਨੂੰ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਘਾਟ, ਮੰਦਿਰ, ਸਾਧੂਆਂ ਦੇ ਅਖਾੜਿਆਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਣ ਦਾ ਰਸਤਾ ਮਿਲੇਗਾ। ਇਹੀ ਨੈਵੀਗੇਸ਼ਨ ਸਿਸਟਮ ਤੁਹਾਡੀ ਪਾਰਕਿੰਗ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਣ ਵਿੱਚ ਵੀ ਮਦਦ ਕਰੇਗਾ। ਪਹਿਲੀ ਵਾਰੀ ਕੁੰਭ ਆਯੋਜਨ ਵਿੱਚ 19 chatbot ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਹੋਵੇਗਾ। 19 chatbot ਦੇ ਮਾਧਿਅਮ ਨਾਲ 11 ਭਾਰਤੀ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਕੁੰਭ ਨਾਲ ਜੁੜੀ ਹਰ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਹਾਸਲ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕੇਗੀ। ਇਸ 19 chatbot ਨਾਲ ਕੋਈ ਵੀ text type ਕਰਕੇ ਜਾਂ ਬੋਲ ਕੇ ਕਿਸੇ ਵੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀ ਮਦਦ ਮੰਗ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਪੂਰੇ ਮੇਲੇ ਖੇਤਰ ਨੂੰ 19-Powered cameras ਨਾਲ ਕਵਰ ਕੀਤਾ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਕੁੰਭ ਵਿੱਚ ਜੇਕਰ ਕੋਈ ਆਪਣੇ ਜਾਣਕਾਰਾਂ ਤੋਂ ਵਿਛੜ ਜਾਵੇਗਾ ਤਾਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਕੈਮਰਿਆਂ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਲੱਭਣ ਵਿੱਚ ਮਦਦ ਮਿਲੇਗੀ। ਸ਼ਰਧਾਲੂਆਂ ਨੂੰ digital lost & found center ਦੀ ਸੁਵਿਧਾ ਵੀ ਮਿਲੇਗੀ। ਸ਼ਰਧਾਲੂਆਂ ਨੂੰ ਮੋਬਾਈਲ ’ਤੇ government-approved tour packages, ਠਹਿਣ ਦੀ ਜਗ੍ਹਾ ਅਤੇ homestay ਦੇ ਬਾਰੇ ਵੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇਗੀ। ਤੁਸੀਂ ਵੀ ਮਹਾਕੁੰਭ ਵਿੱਚ ਜਾਓ ਤਾਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਹੂਲਤਾਂ ਦਾ ਲਾਭ ਉਠਾਓ ਅਤੇ ਹਾਂ #ਏਕਤਾ ਦਾ ਮਹਾਕੁੰਭ ਦੇ ਨਾਲ ਆਪਣੀ ਸੈਲਫੀ ਜ਼ਰੂਰ ਅੱਪਲੋਡ ਕਰੋ।


ਸਾਥੀਓ, ‘ਮਨ ਕੀ ਬਾਤ’ ਯਾਨੀ MK2 ਵਿੱਚ ਹੁਣ ਗੱਲ K“2 ਦੀ, ਜੋ ਵੱਡੇ ਬਜ਼ੁਰਗ ਹਨ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ K“2 ਦੇ ਬਾਰੇ ਪਤਾ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇਗਾ, ਲੇਕਿਨ ਜ਼ਰਾ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਪੁੱਛੋ K“2 ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਹੀ ਸੁਪਰਹਿੱਟ ਹੈ। K“2 ਯਾਨੀ ਕ੍ਰਿਸ਼, ਤ੍ਰਿਸ਼ ਅਤੇ ਬਾਲਟੀਬਾਏ। ਤੁਹਾਨੂੰ ਸ਼ਾਇਦ ਪਤਾ ਹੋਵੇਗਾ ਕਿ ਬੱਚਿਆਂ ਦੇ ਮਨਪਸੰਦ animation series ਅਤੇ ਉਸ ਦਾ ਨਾਮ ਹੈ K“2 - ਭਾਰਤ ਹੈਂ ਹਮ ਅਤੇ ਹੁਣ ਇਸ ਦਾ ਦੂਸਰਾ ਸੀਜ਼ਨ ਵੀ ਆ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਹ ਤਿੰਨ ਐਮੀਨੇਸ਼ਨ ਕਰੈਕਟਰ ਸਾਨੂੰ ਭਾਰਤੀ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਸੰਗ੍ਰਾਮ ਦੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨਾਇੱਕ -ਨਾਇਕਾਵਾਂ ਦੇ ਬਾਰੇ ਦੱਸਦੇ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਚਰਚਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ। ਹੁਣੇ ਜਿਹੇ ਹੀ ਇਸ ਦਾ ਸੀਜ਼ਨ-2 ਬੜੇ ਹੀ ਖਾਸ ਅੰਦਾਜ਼ ਵਿੱਚ International Film Festival of India, Goa ਵਿੱਚ launch ਹੋਇਆ। ਸਭ ਤੋਂ ਸ਼ਾਨਦਾਰ ਗੱਲ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਸੀਰੀਜ਼ ਨਾ ਸਿਰਫ ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਕਈ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਵਿੱਚ, ਸਗੋਂ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਪ੍ਰਸਾਰਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਨੂੰ ਦੂਰਦਰਸ਼ਨ ਦੇ ਇਲਾਵਾ ਹੋਰ OTT platform ’ਤੇ ਵੀ ਵੇਖਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ।


ਸਾਥੀਓ, ਸਾਡੀਆਂ ਐਮੀਨੇਸ਼ਨ ਫਿਲਮਾਂ ਦੀ, ਰੈਗੂਲਰ ਫਿਲਮਾਂ, ਟੀ. ਵੀ. ਸੀਰੀਅਲ ਦੀ, ਮਸ਼ਹੂਰੀ ਦਿਖਾਉਂਦੀ ਹੈ ਕਿ ਭਾਰਤ ਦੀ ਕ੍ਰਿਏਟਿਵ ਇੰਡਸਟਰੀ ਵਿੱਚ ਕਿੰਨੀ ਸਮਰੱਥਾ ਹੈ। ਇਹ ਇੰਡਸਟਰੀ ਨਾ ਸਿਰਫ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਪ੍ਰਗਤੀ ਵਿੱਚ ਵੱਡਾ ਯੋਗਦਾਨ ਦੇ ਰਹੀ ਹੈ, ਸਗੋਂ ਸਾਡੀ ਅਰਥਵਿਵਸਥਾ ਨੂੰ ਵੀ ਨਵੀਆਂ ਉਚਾਈਆਂ ’ਤੇ ਲਿਜਾ ਰਹੀ ਹੈ। ਸਾਡੀ ਫਿਲਮ ਅਤੇ ਐਂਟਰਟੇਨਮੈਂਟ ਇੰਡਸਟਰੀ ਬਹੁਤ ਵਿਸ਼ਾਲ ਹੈ। ਦੇਸ਼ ਦੀਆਂ ਕਿੰਨੀਆਂ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਫਿਲਮਾਂ ਬਣਦੀਆਂ ਹਨ, creative content ਬਣਦਾ ਹੈ। ਮੈਂ ਆਪਣੀ ਫਿਲਮ ਅਤੇ ਐਂਟਰਟੇਨਮੈਂਟ ਇੰਡਸਟਰੀ ਨੂੰ ਇਸ ਲਈ ਵੀ ਵਧਾਈ ਦਿੰਦਾ ਹਾਂ, ਕਿਉਂਕਿ ਉਸ ਨੇ ‘ਏਕ ਭਾਰਤ - ਸ੍ਰੇਸ਼ਠ ਭਾਰਤ’ ਦੇ ਭਾਵ ਨੂੰ ਸਸ਼ਕਤ ਕੀਤਾ ਹੈ।


ਸਾਥੀਓ, ਸਾਲ 2024 ਵਿੱਚ ਅਸੀਂ ਫਿਲਮ ਜਗਤ ਦੀਆਂ ਕਈ ਮਹਾਨ ਸ਼ਖਸੀਅਤਾਂ ਦੀ 100ਵੀਂ ਜਯੰਤੀ ਮਨਾ ਰਹੇ ਹਾਂ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਮਸ਼ਹੂਰ ਹਸਤੀਆਂ ਨੇ ਭਾਰਤੀ ਸਿਨੇਮਾ ਨੂੰ ਵਿਸ਼ਵ ਪੱਧਰ ’ਤੇ ਪਹਿਚਾਣ ਦਿਲਵਾਈ। ਰਾਜ ਕਪੂਰ ਜੀ ਨੇ ਫਿਲਮਾਂ ਦੇ ਮਾਧਿਅਮ ਨਾਲ ਦੁਨੀਆ  ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦੀ soft power ਨਾਲ ਜਾਣੂ ਕਰਵਾਇਆ। ਰਫੀ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਆਵਾਜ਼ ਵਿੱਚ ਉਹ ਜਾਦੂ ਸੀ ਜੋ ਹਰ ਦਿਲ ਨੂੰ ਛੂਹ ਲੈਂਦਾ ਸੀ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਆਵਾਜ਼ ਅਨੋਖੀ ਸੀ। ਭਗਤੀ ਗੀਤ ਹੋਣ ਜਾਂ ਰੋਮਾਂਟਿਕ ਗੀਤ, ਦਰਦ ਭਰੇ ਗਾਣੇ ਹੋਣ ਹਰ ਭਾਵਨਾ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੀ ਆਵਾਜ਼ ਨਾਲ ਜਿਉਂਦਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਇੱਕ  ਕਲਾਕਾਰ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਮਹਾਨਤਾ ਦਾ ਅੰਦਾਜ਼ਾ ਇਸੇ ਤੋਂ ਲਗਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ਕਿ ਅੱਜ ਵੀ ਨੌਜਵਾਨ ਪੀੜ੍ਹੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਗਾਣਿਆਂ ਨੂੰ ਓਨੀ ਹੀ ਸ਼ਿੱਦਤ ਨਾਲ ਸੁਣਦੀ ਹੈ - ਇਹੀ ਤਾਂ ਟਾਈਮਲੈੱਸ ਆਰਟ ਦੀ ਪਹਿਚਾਣ ਹੈ। ਅੱਕੀਨੈਨੀ ਨਾਗੇਸ਼ਵਰ ਰਾਓ ਗਾਰੂ ਨੇ ਤੇਲਗੂ ਸਿਨੇਮਾ ਨੂੰ ਨਵੀਆਂ ਉਚਾਈਆਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਇਆ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਫਿਲਮਾਂ ਨੇ ਭਾਰਤੀ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਅਤੇ ਕਦਰਾਂ-ਕੀਮਤਾਂ ਨੂੰ ਬਾਖੂਬੀ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ ਹੈ। ਤਪਨ ਸਿਨਹਾ ਜੀ ਦੀਆਂ ਫਿਲਮਾਂ ਨੇ ਸਮਾਜ ਨੂੰ ਇੱਕ  ਨਵੀਂ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਦਿੱਤੀ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਫਿਲਮਾਂ ਵਿੱਚ ਸਮਾਜਿਕ ਚੇਤਨਾ ਅਤੇ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਏਕਤਾ ਦਾ ਸੰਦੇਸ਼ ਹੁੰਦਾ ਸੀ। ਸਾਡੀ ਪੂਰੀ ਫਿਲਮ ਇੰਡਸਟਰੀ ਦੇ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਹਸਤੀਆਂ ਦਾ ਜੀਵਨ ਪ੍ਰੇਰਣਾ ਵਾਂਗ ਹੈ।


ਸਾਥੀਓ, ਮੈਂ ਤੁਹਾਨੂੰ ਇੱਕ  ਹੋਰ ਖੁਸ਼ਖਬਰੀ ਦੇਣਾ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹਾਂ। ਭਾਰਤ ਦੇ ਕ੍ਰਿਏਟਿਵ ਟੈਲੰਟ ਨੂੰ ਦੁਨੀਆ  ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਰੱਖਣ ਦਾ ਇੱਕ  ਬਹੁਤ ਵੱਡਾ ਮੌਕਾ ਆ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਅਗਲੇ ਸਾਲ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੀ ਵਾਰ World Audio Visual Entertainment Summit ਯਾਨੀ WAVES summit ਦਾ ਆਯੋਜਨ ਹੋਣ ਵਾਲਾ ਹੈ। ਤੁਸੀਂ ਸਾਰਿਆਂ ਨੇ ਦਾਵੋਸ ਦੇ ਬਾਰੇ ਸੁਣਿਆ ਹੋਵੇਗਾ, ਜਿੱਥੇ ਦੁਨੀਆ  ਦੇ ਅਰਥਜਗਤ ਦੇ ਮਹਾਰਥੀ ਇਕੱਠੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਉਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ WAVES summit ਦੁਨੀਆ  ਭਰ ਦੇ ਮੀਡੀਆ ਅਤੇ entertainment industry ਦੇ ਦਿੱਗਜ, ਕ੍ਰਿਏਟਿਵ ਵਰਲਡ ਦੇ ਲੋਕ ਭਾਰਤ ਆਉਣਗੇ। ਇਹ summit ਭਾਰਤ ਨੂੰ global content creation ਦਾ ਹੱਬ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਇੱਕ  ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਕਦਮ ਹੈ। ਮੈਨੂੰ ਇਹ ਦੱਸਦਿਆਂ ਮਾਣ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ ਕਿ ਇਸ summit ਦੀ ਤਿਆਰੀ ਵਿੱਚ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਦੇ young creator ਵੀ ਪੂਰੇ ਜੋਸ਼ ਨਾਲ ਜੁੜ ਰਹੇ ਹਨ। ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ 5 ਟ੍ਰਿਲੀਅਨ ਡਾਲਰ ਇਕੌਨਮੀ ਵੱਲ ਵਧ ਰਹੇ ਹਾਂ ਤਾਂ ਸਾਡੀ ਕ੍ਰਿਏਟਰ ਇਕੌਨਮੀ ਇੱਕ  ਨਵੀਂ ਊਰਜਾ ਲਿਆ ਰਹੀ ਹੈ। ਮੈਂ ਭਾਰਤ ਦੀ ਪੂਰੀ ਐਂਟਰਟੇਨਮੈਂਟ ਅਤੇ ਕ੍ਰਿਏਟਿਵ ਇੰਡਸਟਰੀ ਨੂੰ ਬੇਨਤੀ ਕਰਾਂਗਾ - ਚਾਹੇ ਤੁਸੀਂ ਯੰਗ ਕ੍ਰਿਏਟਰ ਹੋ ਜਾਂ ਸਥਾਪਿਤ ਕਲਾਕਾਰ, ਬਾਲੀਵੁੱਡ ਨਾਲ ਜੁੜੇ ਹੋ ਜਾਂ ਖੇਤਰੀ ਸਿਨੇਮਾ ਨਾਲ, ਟੀ. ਵੀ. ਇੰਡਸਟਰੀ ਦੇ ਕਲਾਕਾਰ ਹੋ ਜਾਂ ਐਮੀਨੇਸ਼ਨ ਦੇ ਐਕਸਪਰਟ, ਖੇਡਾਂ ਨਾਲ ਜੁੜੇ ਹੋ ਜਾਂ ਐਂਟਰਟੇਨਮੈਂਟ ਟੈਕਨੋਲੋਜੀ ਦੇ ਇਨੋਵੇਟਰ, ਤੁਸੀਂ ਸਾਰੇ WAVES summit ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਬਣੋ।  


ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਦੇਸ਼ਵਾਸੀਓ, ਤੁਸੀਂ ਸਾਰੇ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ਕਿ ਭਾਰਤੀ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤੀ ਦੀ ਰੌਸ਼ਨੀ ਅੱਜ ਕਿਵੇਂ ਦੁਨੀਆ  ਦੇ ਕੋਨੇ-ਕੋਨੇ ਵਿੱਚ ਫੈਲ ਰਹੀ ਹੈ। ਅੱਜ ਮੈਂ ਤੁਹਾਨੂੰ 3 ਮਹਾਦੀਪਾਂ ਤੋਂ ਅਜਿਹੇ ਯਤਨਾਂ ਦੇ ਬਾਰੇ ਦੱਸਾਂਗਾ ਜੋ ਸਾਡੀ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤਕ ਵਿਰਾਸਤ ਦੇ ਆਲਮੀ ਵਿਸਥਾਰ ਦੇ ਗਵਾਹ ਹਨ। ਇਹ ਸਾਰੇ ਇੱਕ -ਦੂਸਰੇ ਤੋਂ ਮੀਲਾਂ ਦੂਰ ਹਨ। ਲੇਕਿਨ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਜਾਨਣ ਅਤੇ ਸਾਡੀ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤੀ ਨੂੰ ਸਿੱਖਣ ਦੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਤਾਂਘ ਇੱਕੋ ਜਿਹੀ ਹੈ।
ਸਾਥੀਓ, ਪੇਂਟਿੰਗ ਦਾ ਸੰਸਾਰ ਜਿੰਨਾ ਰੰਗਾਂ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਓਨਾ ਹੀ ਖੂਬਸੂਰਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਤੁਹਾਡੇ ਵਿੱਚੋਂ ਜੋ ਲੋਕ ਟੀ. ਵੀ. ਦੇ ਮਾਧਿਅਮ ਨਾਲ ‘ਮਨ ਕੀ ਬਾਤ’ ਨਾਲ ਜੁੜੇ ਹਨ, ਉਹ ਹੁਣ ਕੁਝ ਪੇਂਟਿੰਗ ਟੀ. ਵੀ. ’ਤੇ ਵੇਖ ਵੀ ਸਕਦੇ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਪੇਂਟਿੰਗਸ ਵਿੱਚ ਸਾਡੇ ਦੇਵੀ-ਦੇਵਤਾ, ਨਾਚ ਦੀਆਂ ਕਲਾਵਾਂ ਅਤੇ ਮਹਾਨ ਹਸਤੀਆਂ ਨੂੰ ਵੇਖ ਕੇ ਤੁਹਾਨੂੰ ਬਹੁਤ ਚੰਗਾ ਲੱਗੇਗਾ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਤੁਹਾਨੂੰ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਪਾਏ ਜਾਣ ਵਾਲੇ ਜੀਵ-ਜੰਤੂਆਂ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਹੋਰ ਵੀ ਬਹੁਤ ਕੁਝ ਵੇਖਣ ਨੂੰ ਮਿਲੇਗਾ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਤਾਜਮਹਿਲ ਦੀ ਇੱਕ  ਸ਼ਾਨਦਾਰ ਪੇਂਟਿੰਗ ਵੀ ਸ਼ਾਮਲ ਹੈ, ਜਿਸ ਨੂੰ 13 ਸਾਲ ਦੀ ਇੱਕ  ਬੱਚੀ ਨੇ ਬਣਾਇਆ ਹੈ। ਤੁਹਾਨੂੰ ਇਹ ਜਾਣ ਕੇ ਹੈਰਾਨੀ ਹੋਵੇਗੀ ਕਿ ਇਸ ਦਿਵਿਯਾਂਗ ਬੱਚੀ ਨੇ ਆਪਣੇ ਮੂੰਹ ਨਾਲ ਇਸ ਪੇਂਟਿੰਗ ਨੂੰ ਤਿਆਰ ਕੀਤਾ ਹੈ। ਸਭ ਤੋਂ ਦਿਲਚਸਪ ਗੱਲ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਪੇਂਟਿੰਗਸ ਨੂੰ ਬਣਾਉਣ ਵਾਲੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਨਹੀਂ, ਬਲਕਿ Egypt  ਦੇ ਸਟੂਡੈਂਟ ਹਨ, ਉੱਥੋਂ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਹਨ। ਕੁਝ ਹੀ ਹਫਤੇ ਪਹਿਲਾਂ Egypt  ਦੇ ਲਗਭਗ 23 ਹਜ਼ਾਰ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੇ ਇੱਕ  ਪੇਂਟਿੰਗ ਮੁਕਾਬਲੇ ਵਿੱਚ ਹਿੱਸਾ ਲਿਆ ਸੀ। ਉੱਥੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਭਾਰਤ ਦੀ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤੀ ਅਤੇ ਦੋਹਾਂ ਦੇਸ਼ਾਂ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਕ ਸਬੰਧਾਂ ਨੂੰ ਵਿਖਾਉਣ ਵਾਲੀਆਂ ਪੇਂਟਿੰਗਸ ਤਿਆਰ ਕਰਨੀਆਂ ਸਨ, ਮੈਂ ਇਸ ਮੁਕਾਬਲੇ ਵਿੱਚ ਹਿੱਸਾ ਲੈਣ ਵਾਲੇ ਸਾਰੇ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਦੀ ਸ਼ਲਾਘਾ ਕਰਦਾ ਹਾਂ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾਤਮਕਤਾ ਦੀ ਜਿੰਨੀ ਵੀ ਸ਼ਲਾਘਾ ਕੀਤੀ ਜਾਵੇ, ਘੱਟ ਹੈ।
ਸਾਥੀਓ, ਦੱਖਣੀ ਅਮਰੀਕਾ ਦਾ ਇੱਕ  ਦੇਸ਼ ਹੈ ਪਰਾਗਵੇ। ਉੱਥੇ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਭਾਰਤੀਆਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਇੱਕ  ਹਜ਼ਾਰ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇਗੀ। ਪਰਾਗਵੇ ਵਿੱਚ ਇੱਕ  ਅਨੋਖਾ ਯਤਨ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ, ਉੱਥੇ ਭਾਰਤੀ ਦੂਤਾਵਾਸ ਵਿੱਚ ਏਰਿਕਾ ਹਿਊਬਰ ਫਰੀ ਆਯੁਰਵੇਦ ਸਲਾਹ ਦਿੰਦੀ ਹੈ। ਆਯੁਰਵੇਦ ਦੀ ਸਲਾਹ ਲੈਣ ਦੇ ਲਈ ਅੱਜ ਉਨ੍ਹਾਂ ਕੋਲ ਸਥਾਨਕ ਲੋਕ ਵੀ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਪਹੁੰਚ ਰਹੇ ਹਨ। ਏਰਿਕਾ ਹਿਊਬਰ ਨੇ ਭਾਵੇਂ ਇੰਜੀਨੀਅਰਿੰਗ ਦੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਕੀਤੀ ਹੋਵੇ, ਲੇਕਿਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਮਨ ਤਾਂ ਆਯੁਰਵੇਦ ਵਿੱਚ ਹੀ ਵਸਦਾ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਯੁਰਵੇਦ ਨਾਲ ਜੁੜੇ ਕੋਰਸ ਕੀਤੇ ਸਨ ਅਤੇ ਸਮੇਂ ਦੇ ਨਾਲ ਉਹ ਇਸ ਵਿੱਚ ਮਾਹਿਰ ਹੁੰਦੀ ਚਲੀ ਗਈ।


ਸਾਥੀਓ, ਇਹ ਸਾਡੇ ਲਈ ਬਹੁਤ ਮਾਣ ਦੀ ਗੱਲ ਹੈ ਕਿ ਦੁਨੀਆ  ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣੀ ਭਾਸ਼ਾ ਤਮਿਲ ਹੈ ਅਤੇ ਹਰ ਹਿੰਦੁਸਤਾਨੀ ਨੂੰ ਇਸ ’ਤੇ ਮਾਣ ਹੈ। ਦੁਨੀਆ  ਭਰ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਵਿੱਚ ਇਸ ਨੂੰ ਸਿੱਖਣ ਵਾਲਿਆਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਲਗਾਤਾਰ ਵਧ ਰਹੀ ਹੈ। ਪਿਛਲੇ ਮਹੀਨੇ ਦੇ ਅਖੀਰ ਵਿੱਚ ਫਿਜ਼ੀ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਸਹਿਯੋਗ ਨਾਲ Tamil Teaching Programme ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ। ਬੀਤੇ 80 ਸਾਲਾਂ ਵਿੱਚ ਇਹ ਪਹਿਲਾ ਮੌਕਾ ਹੈ, ਜਦੋਂ ਫਿਜ਼ੀ ਵਿੱਚ ਤਮਿਲ ਦੇ ਟ੍ਰੇਂਡ ਟੀਚਰ ਇਸ ਭਾਸ਼ਾ ਨੂੰ ਸਿਖਾ ਰਹੇ ਹਨ। ਮੈਨੂੰ ਇਹ ਜਾਣ ਕੇ ਚੰਗਾ ਲੱਗਾ ਕਿ ਅੱਜ ਫਿਜ਼ੀ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਤਮਿਲ ਭਾਸ਼ਾ ਅਤੇ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤੀ ਨੂੰ ਸਿੱਖਣ ਵਿੱਚ ਕਾਫੀ ਦਿਲਚਸਪੀ ਲੈ ਰਹੇ ਹਨ।


ਸਾਥੀਓ, ਇਹ ਗੱਲਾਂ, ਇਹ ਘਟਨਾਵਾਂ ਸਿਰਫ ਸਫਲਤਾਵਾਂ ਦੀਆਂ ਕਹਾਣੀਆਂ ਨਹੀਂ ਹਨ, ਇਹ ਸਾਡੀਆਂ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤਕ ਵਿਰਾਸਤ ਦੀਆਂ ਵੀ ਕਹਾਣੀਆਂ ਹਨ। ਇਹ ਉਦਾਹਰਣਾਂ ਸਾਨੂੰ ਮਾਣ ਨਾਲ ਭਰ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ। ਆਰਟ ਤੋਂ ਆਯੁਰਵੇਦ ਤੱਕ ਅਤੇ ਲੈਂਗਵੇਜ਼ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਮਿਊਜ਼ਿਕ ਤੱਕ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਇੰਨਾ ਕੁਝ ਹੈ ਜੋ ਦੁਨੀਆ  ਵਿੱਚ ਛਾ ਰਿਹਾ ਹੈ।


ਸਾਥੀਓ, ਸਰਦੀ ਦੇ ਇਸ ਮੌਸਮ ਵਿੱਚ ਦੇਸ਼ ਭਰ ਵਿੱਚ ਖੇਡ ਅਤੇ ਫਿਟਨੈੱਸ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਕਈ ਗਤੀਵਿਧੀਆਂ ਹੋ ਰਹੀਆਂ ਹਨ। ਮੈਨੂੰ ਖੁਸ਼ੀ ਹੈ ਕਿ ਲੋਕ ਫਿਟਨੈੱਸ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਦੈਨਿਕ ਜੀਵਨ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਬਣਾ ਰਹੇ ਹਨ। ਕਸ਼ਮੀਰ ਵਿੱਚ Skiing ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਗੁਜਰਾਤ ਵਿੱਚ ਪਤੰਗਬਾਜ਼ੀ ਤੱਕ, ਹਰ ਪਾਸੇ ਖੇਡਾਂ ਦਾ ਉਤਸ਼ਾਹ ਵੇਖਣ ਨੂੰ ਮਿਲ ਰਿਹਾ ਹੈ। # SundayOnCycle ਅਤੇ #CyclingTuesday ਵਰਗੀਆਂ ਮੁਹਿੰਮਾਂ ਨਾਲ ਸਾਈਕਲਿੰਗ ਨੂੰ ਹੁਲਾਰਾ ਮਿਲ ਰਿਹਾ ਹੈ।


ਸਾਥੀਓ, ਹੁਣ ਮੈਂ ਤੁਹਾਨੂੰ ਇੱਕ  ਅਜਿਹੀ ਅਨੋਖੀ ਗੱਲ ਦੱਸਣਾ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹਾਂ ਜੋ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਆ ਰਹੇ ਬਦਲਾਓ ਅਤੇ ਨੌਜਵਾਨ ਸਾਥੀਆਂ ਦੇ ਜੋਸ਼ ਅਤੇ ਜਜ਼ਬੇ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਕ ਹੈ। ਕੀ ਤੁਸੀਂ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ਕਿ ਸਾਡੇ ਬਸਤਰ ਵਿੱਚ ਇੱਕ  ਅਨੋਖਾ ਓਲੰਪਿਕ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਜੀ ਹਾਂ ਪਹਿਲੀ ਵਾਰ ਹੋਏ ਬਸਤਰ ਓਲੰਪਿਕ ਨਾਲ ਬਸਤਰ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਨਵੀਂ ਕ੍ਰਾਂਤੀ ਜਨਮ ਲੈ ਰਹੀ ਹੈ। ਮੇਰੇ ਲਈ ਇਹ ਬਹੁਤ ਹੀ ਖੁਸ਼ੀ ਦੀ ਗੱਲ ਹੈ ਕਿ ਬਸਤਰ ਓਲੰਪਿਕ ਦਾ ਸੁਪਨਾ ਸਾਕਾਰ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਤੁਹਾਨੂੰ ਇਹ ਜਾਣ ਕੇ ਚੰਗਾ ਲੱਗੇਗਾ ਕਿ ਇਹ ਉਸ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ ਜੋ ਕਦੇ ਮਾਓਵਾਦੀ ਹਿੰਸਾ ਦਾ ਗਵਾਹ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਬਸਤਰ ਓਲੰਪਿਕ ਦਾ ਮਾਸਕੌਟ ਹੈ - ‘ਵਨ ਭੈਂਸਾ’ ਅਤੇ ‘ਪਹਾੜੀ ਮੈਨਾ’। ਇਸ ਵਿੱਚ ਬਸਤਰ ਦੀ ਸਮ੍ਰਿੱਧ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤੀ ਦੀ ਝਲਕ ਵਿਖਾਈ ਦਿੰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਬਸਤਰ ਖੇਡ ਮਹਾਕੁੰਭ ਦਾ ਮੂਲਮੰਤਰ ਹੈ –


‘ਕਰਸਾਯ ਤਾ ਬਸਤਰ ਬਰਸਾਯ ਤਾ ਬਸਤਰ’

ਯਾਨੀ ‘ਖੇਡੇਗਾ ਬਸਤਰ’ - ਜਿੱਤੇਗਾ ਬਸਤਰ’।


ਪਹਿਲੀ ਹੀ ਵਾਰ ਵਿੱਚ ਬਸਤਰ ਓਲੰਪਿਕ ਵਿੱਚ 7 ਜ਼ਿਲ੍ਹਿਆਂ ਦੇ ਇੱਕ  ਲੱਖ 65 ਹਜ਼ਾਰ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਨੇ ਹਿੱਸਾ ਲਿਆ ਹੈ। ਇਹ ਸਿਰਫ ਇੱਕ  ਅੰਕੜਾ ਨਹੀਂ ਹੈ - ਇਹ ਸਾਡੇ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਦੇ ਸੰਕਲਪ ਦੀ ਗੌਰਵਗਾਥਾ ਹੈ। ਐਥਲੈਟਿਕਸ, ਤੀਰਅੰਦਾਜ਼ੀ, ਬੈਡਮਿੰਟਨ, ਫੁੱਟਬਾਲ, ਹਾਕੀ, ਵੇਟ ਲਿਫਟਿੰਗ, ਕਰਾਟੇ, ਕਬੱਡੀ, ਖੋ-ਖੋ ਅਤੇ ਵਾਲੀਬਾਲ - ਹਰ ਖੇਡ ਵਿੱਚ ਸਾਡੇ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਨੇ ਆਪਣੀ ਪ੍ਰਤਿਭਾ ਦਾ ਝੰਡਾ ਲਹਿਰਾਇਆ ਹੈ। ਕਾਰੀ ਕਸ਼ਯਪ ਜੀ ਦੀ ਕਹਾਣੀ ਮੈਨੂੰ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਕਰਦੀ ਹੈ। ਇੱਕ  ਛੋਟੇ ਜਿਹੇ ਪਿੰਡ ਦੇ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਕਾਰੀ ਜੀ ਨੇ ਤੀਰਅੰਦਾਜ਼ੀ ਵਿੱਚ ਚਾਂਦੀ ਦਾ ਤਗਮਾ ਜਿੱਤਿਆ ਹੈ। ਉਹ ਕਹਿੰਦੀ ਹੈ - ਬਸਤਰ ਓਲੰਪਿਕ ਨੇ ਸਾਨੂੰ ਸਿਰਫ ਖੇਡ ਦਾ ਮੈਦਾਨ ਹੀ ਨਹੀਂ, ਜੀਵਨ ਵਿੱਚ ਅੱਗੇ ਵਧਣ ਦਾ ਮੌਕਾ ਦਿੱਤਾ ਹੈ। ਸੁਕਮਾ ਦੀ ਪਾਇਲ ਕਵਾਸੀ ਜੀ ਦੀ ਗੱਲ ਵੀ ਘੱਟ ਪ੍ਰੇਰਣਾਦਾਇਕ  ਨਹੀਂ ਹੈ। ਜੈਵਲਿਨ ਥ੍ਰੋਅ ਵਿੱਚ ਤਗਮਾ ਜਿੱਤਣ ਵਾਲੀ ਪਾਇਲ ਜੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਕਿ ਅਨੁਸ਼ਾਸਨ ਅਤੇ ਸਖਤ ਮਿਹਨਤ ਨਾਲ ਕੋਈ ਵੀ ਟੀਚਾ ਅਸੰਭਵ ਨਹੀਂ ਹੈ। ਸੁਕਮਾ ਦੇ ਦੋਰਨਾਪਾਲ ਦੇ ਪੁਨੇਮ ਸੰਨਾ ਜੀ ਦੀ ਕਹਾਣੀ ਤਾਂ ਨਵੇਂ ਭਾਰਤ ਦੀ ਪ੍ਰੇਰਕ ਕਥਾ ਹੈ। ਇੱਕ  ਸਮੇਂ ਨਕਸਲੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਵਿੱਚ ਆਏ ਪੁਨੇਮ ਜੀ ਅੱਜ ਵੀਲ੍ਹਚੇਅਰ ’ਤੇ ਦੌੜ ਕੇ ਮੈਡਲ ਜਿੱਤ ਰਹੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸਾਹਸ ਅਤੇ ਹੌਂਸਲਾ ਹਰ ਕਿਸੇ ਦੇ ਲਈ ਪ੍ਰੇਰਣਾ ਹੈ। ਕੋਡਾਗਾਂਵ ਦੇ ਤੀਰਅੰਦਾਜ਼ ਰੰਜੂ ਸੋਰੀ ਜੀ ਨੂੰ ‘ਬਸਤਰ ਯੂਥ ਆਈਕਨ’ ਚੁਣਿਆ ਗਿਆ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਮੰਨਣਾ ਹੈ - ਬਸਤਰ ਓਲੰਪਿਕ ਦੂਰ-ਦੁਰਾਡੇ ਦੇ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਨੂੰ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਮੰਚ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਦਾ ਮੌਕਾ ਦੇ ਰਿਹਾ ਹੈ।
ਸਾਥੀਓ, ਬਸਤਰ ਓਲੰਪਿਕ ਸਿਰਫ ਇੱਕ  ਖੇਡ ਆਯੋਜਨ ਨਹੀਂ ਹੈ। ਇਹ ਇੱਕ  ਅਜਿਹਾ ਮੰਚ ਹੈ, ਜਿੱਥੇ ਵਿਕਾਸ ਅਤੇ ਖੇਡ ਦਾ ਸੰਗਮ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ, ਜਿੱਥੇ ਸਾਡੇ ਨੌਜਵਾਨ ਆਪਣੀ ਪ੍ਰਤਿਭਾ ਨੂੰ ਦਿਖਾ ਰਹੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇੱਕ  ਨਵੇਂ ਭਾਰਤ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ। ਮੈਂ ਤੁਹਾਨੂੰ ਸਾਰਿਆਂ ਨੂੰ ਬੇਨਤੀ ਕਰਦਾ ਹਾਂ -  ਆਪਣੇ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਅਜਿਹੇ ਖੇਡ ਆਯੋਜਨਾਂ ਨੂੰ ਉਤਸ਼ਾਹਿਤ ਕਰੋ।


- #ਖੇਲੇਗਾ ਭਾਰਤ, ਜੀਤੇਗਾ ਭਾਰਤ ਦੇ ਨਾਲ ਆਪਣੇ ਖੇਤਰ ਦੀਆਂ ਖੇਡ ਸ਼ਖਸੀਅਤਾਂ ਦੀਆਂ ਕਹਾਣੀਆਂ ਸਾਂਝੀਆਂ ਕਰੋ।

- ਸਥਾਨਕ ਖੇਡ ਸ਼ਖਸੀਅਤਾਂ ਨੂੰ ਅੱਗੇ ਵਧਣ ਦਾ ਮੌਕਾ ਦਿਓ।

ਯਾਦ ਰੱਖੋ, ਖੇਡ ਨਾਲ ਨਾ ਸਿਰਫ ਸਰੀਰਕ ਵਿਕਾਸ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਸਗੋਂ ਇਹ ਸਪੋਰਟਸਮੈਨ ਸਪੀਰਿਟ ਨਾਲ ਸਮਾਜ ਨੂੰ ਜੋੜਨ ਦਾ ਇੱਕ  ਸਸ਼ਕਤ ਮਾਧਿਅਮ ਹੈ ਤਾਂ ਖੂਬ ਖੇਡੋ - ਖੂਬ ਖਿੜ੍ਹੋ।


ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਦੇਸ਼ਵਾਸੀਓ, ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਦੋ ਵੱਡੀਆਂ ਪ੍ਰਾਪਤੀਆਂ ਅੱਜ ਵਿਸ਼ਵ ਦਾ ਧਿਆਨ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰ ਰਹੀਆਂ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸੁਣ ਕੇ ਤੁਹਾਨੂੰ ਵੀ ਮਾਣ ਮਹਿਸੂਸ ਹੋਵੇਗਾ। ਇਹ ਦੋਵੇਂ ਸਫਲਤਾਵਾਂ ਸਿਹਤ ਦੇ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਮਿਲੀਆਂ ਹਨ। ਪਹਿਲੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਹੈ - ਮਲੇਰੀਆ ਨਾਲ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ। ਮਲੇਰੀਆ ਦੀ ਬਿਮਾਰੀ 4 ਹਜ਼ਾਰ ਸਾਲਾਂ ਤੋਂ ਮਨੁੱਖਤਾ ਦੇ ਲਈ ਇੱਕ  ਵੱਡੀ ਚੁਣੌਤੀ ਰਹੀ ਹੈ। ਆਜ਼ਾਦੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਵੀ ਇਹ ਸਾਡੀਆਂ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀਆਂ ਸਿਹਤ ਚੁਣੌਤੀਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇੱਕ  ਸੀ। ਇੱਕ  ਮਹੀਨੇ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਪੰਜ ਸਾਲ ਤੱਕ ਦੇ ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਜਾਨ ਲਾਣ ਵਾਲੀਆਂ ਸਾਰੀਆਂ ਅਛੂਤ ਦੀਆਂ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਵਿੱਚ ਮਲੇਰੀਏ ਦਾ ਤੀਸਰਾ ਸਥਾਨ ਹੈ। ਅੱਜ ਮੈਂ ਤਸੱਲੀ ਨਾਲ ਕਹਿ ਸਕਦਾ ਹਾਂ ਕਿ ਦੇਸ਼ਵਾਸੀਆਂ ਨੇ ਮਿਲ ਕੇ ਇਸ ਚੁਣੌਤੀ ਦਾ ਮਜ਼ਬੂਤੀ ਨਾਲ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕੀਤਾ ਹੈ। ਵਿਸ਼ਵ ਸਿਹਤ ਸੰਗਠਨ - WHO  ਦੀ ਰਿਪੋਰਟ ਕਹਿੰਦੀ ਹੈ - ‘ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ 2015 ਤੋਂ 2023 ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਮਲੇਰੀਆ ਦੇ ਮਾਮਲਿਆਂ ਅਤੇ ਇਸ ਨਾਲ ਹੋਣ ਵਾਲੀਆਂ ਮੌਤਾਂ ਵਿੱਚ 80 ਫੀਸਦੀ ਦੀ ਕਮੀ ਆਈ ਹੈ।’ ਇਹ ਕੋਈ ਛੋਟੀ ਉਪਲਬਧੀ ਨਹੀਂ ਹੈ। ਸਭ ਤੋਂ ਚੰਗੀ ਗੱਲ ਇਹ ਹੈ, ਇਹ ਸਫਲਤਾ ਜਨ-ਜਨ ਦੀ ਭਾਗੀਦਾਰੀ ਨਾਲ ਮਿਲੀ ਹੈ। ਭਾਰਤ ਦੇ ਕੋਨੇ-ਕੋਨੇ ਤੋਂ, ਹਰ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਤੋਂ ਹਰ ਕੋਈ ਇਸ ਮੁਹਿੰਮ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਬਣਿਆ ਹੈ। ਅਸਮ ਵਿੱਚ ਜੋਰਹਾਟ ਦੇ ਚਾਹ ਦੇ ਬਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਮਲੇਰੀਆ 4 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਤੱਕ ਲੋਕਾਂ ਵਿੱਚ ਚਿੰਤਾ ਦੀ ਇੱਕ  ਵੱਡੀ ਵਜ੍ਹਾ ਬਣਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ। ਲੇਕਿਨ ਜਦੋਂ ਇਸ ਦੇ ਨਿਵਾਰਨ ਦੇ ਲਈ ਚਾਹ ਦੇ ਬਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਇਕਜੁੱਟ ਹੋਏ ਤਾਂ ਇਸ ਵਿੱਚ ਕਾਫੀ ਹੱਦ ਤੱਕ ਸਫਲਤਾ ਮਿਲਣ ਲਗੀ। ਆਪਣੇ ਇਸ ਯਤਨ ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਟੈਕਨੋਲੋਜੀ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਸੋਸ਼ਲ ਮੀਡੀਆ ਦਾ ਵੀ ਭਰਪੂਰ ਇਸਤੇਮਾਲ ਕੀਤਾ ਹੈ। ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹਰਿਆਣਾ ਦੇ ਕੁਰੂਕਸ਼ੇਤਰ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਨੇ ਮਲੇਰੀਆ ’ਤੇ ਕਾਬੂ ਪਾਉਣ ਦੇ ਲਈ ਬੜਾ ਚੰਗਾ ਮਾਡਲ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ। ਉੱਥੇ ਮਲੇਰੀਆ ਦੀ ਨਿਗਰਾਨੀ ਦੇ ਲਈ ਜਨਭਾਗੀਦਾਰੀ ਕਾਫੀ ਸਫਲ ਰਹੀ। ਨੁੱਕੜ ਨਾਟਕ ਅਤੇ ਰੇਡੀਓ ਦੇ ਜ਼ਰੀਏ ਅਜਿਹੇ ਸੰਦੇਸ਼ਾਂ ’ਤੇ ਜ਼ੋਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਮੱਛਰਾਂ ਦੀ ਬ੍ਰੀਡਿੰਗ ਘੱਟ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਕਾਫੀ ਮਦਦ ਮਿਲੀ। ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਅਜਿਹੇ ਯਤਨਾਂ ਨਾਲ ਹੀ ਅਸੀਂ ਮਲੇਰੀਆ ਦੇ ਖਿਲਾਫ ਜੰਗ ਨੂੰ ਹੋਰ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਅੱਗੇ ਵਧਾ ਸਕੇ ਹਾਂ।


ਸਾਥੀਓ, ਆਪਣੀ ਜਾਗਰੂਕਤਾ ਅਤੇ ਸੰਕਲਪ ਸ਼ਕਤੀ ਨਾਲ ਅਸੀਂ ਕੀ ਕੁਝ ਹਾਸਲ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਾਂ, ਇਸ ਦੀ ਦੂਸਰਾ ਉਦਾਹਰਣ ਹੈ ਕੈਂਸਰ ਨਾਲ ਲੜਾਈ। ਦੁਨੀਆ  ਦੇ ਮਸ਼ਹੂਰ Medical Journal Lancet ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਵਾਕਿਆ ਹੀ ਬਹੁਤ ਉਮੀਦ ਵਧਾਉਣ ਵਾਲਾ ਹੈ। ਇਸ ਜਨਰਲ ਦੇ ਮੁਤਾਬਕ ਹੁਣ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਸਮੇਂ ’ਤੇ ਕੈਂਸਰ ਦਾ ਇਲਾਜ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਣ ਦੀ ਸੰਭਾਵਨਾ ਕਾਫੀ ਵਧ ਗਈ ਹੈ। ਸਮੇਂ ’ਤੇ ਇਲਾਜ ਦਾ ਮਤਲਬ ਹੈ - ਕੈਂਸਰ ਦੇ ਮਰੀਜ਼ ਦਾ ਇਲਾਜ 30 ਦਿਨਾਂ ਦੇ ਅੰਦਰ ਹੀ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਜਾਣਾ ਅਤੇ ਇਸ ਵਿੱਚ ਵੱਡੀ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਈ ਹੈ - ‘ਆਯੁਸ਼ਮਾਨ ਭਾਰਤ ਯੋਜਨਾ’ ਨੇ। ਇਸ ਯੋਜਨਾ ਦੀ ਵਜ੍ਹਾ ਨਾਲ ਕੈਂਸਰ ਦੇ 90 ਫੀਸਦੀ ਮਰੀਜ਼ ਸਮੇਂ ’ਤੇ ਆਪਣਾ ਇਲਾਜ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਵਾ ਸਕੇ ਹਨ। ਅਜਿਹਾ ਇਸ ਲਈ ਹੋਇਆ, ਕਿਉਂਕਿ ਪਹਿਲਾਂ ਪੈਸਿਆਂ ਦੀ ਕਮੀ ਨਾਲ ਗਰੀਬ ਮਰੀਜ਼ ਕੈਂਸਰ ਦੀ ਜਾਂਚ ਵਿੱਚ, ਉਸ ਦੇ ਇਲਾਜ ਤੋਂ ਬਚਦੇ ਸਨ। ਹੁਣ ‘ਆਯੁਸ਼ਮਾਨ ਭਾਰਤ ਯੋਜਨਾ’ ਉਨਾਂ ਦੇ ਲਈ ਇੱਕ  ਵੱਡਾ ਸਹਾਰਾ ਬਣੀ ਹੈ। ਹੁਣ ਉਹ ਅੱਗੇ ਵਧ ਕੇ ਆਪਣਾ ਇਲਾਜ ਕਰਵਾਉਣ ਦੇ ਲਈ ਆ ਰਹੇ ਹਨ। ‘ਆਯੁਸ਼ਮਾਨ ਭਾਰਤ ਯੋਜਨਾ’ ਨੇ ਕੈਂਸਰ ਦੇ ਇਲਾਜ ਵਿੱਚ ਆਉਣ ਵਾਲੀ ਪੈਸਿਆਂ ਦੀ ਪ੍ਰੇਸ਼ਾਨੀ ਨੂੰ ਕਾਫੀ ਹੱਦ ਤੱਕ ਘੱਟ ਕੀਤਾ ਹੈ। ਚੰਗਾ ਇਹ ਵੀ ਹੈ ਕਿ ਅੱਜ ਸਮੇਂ ’ਤੇ ਕੈਂਸਰ ਦੇ ਇਲਾਜ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਲੋਕ ਪਹਿਲਾਂ ਤੋਂ ਕਿਤੇ ਜ਼ਿਆਦਾ ਜਾਗਰੂਕ ਹੋਏ ਹਨ। ਇਹ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਜਿੰਨੀ ਸਾਡੇ ਹੈਲਥ ਕੇਅਰ ਸਿਸਟਮ ਦੀ ਹੈ, ਡਾਕਟਰਾਂ-ਨਰਸਾਂ ਅਤੇ ਟੈਕਨੀਕਲ ਸਟਾਫ ਦੀ ਹੈ, ਓਨੀ ਹੀ ਤੁਹਾਡੀ, ਸਾਰੇ ਮੇਰੇ ਨਾਗਰਿਕ ਭੈਣ-ਭਰਾਵਾਂ ਦੀ ਵੀ ਹੈ। ਸਭ ਦੇ ਯਤਨਾਂ ਨਾਲ ਕੈਂਸਰ ਨੂੰ ਹਰਾਉਣ ਦਾ ਸੰਕਲਪ ਹੋਰ ਮਜਬੂਤ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਇਸ ਸਫਲਤਾ ਦਾ ਸਿਹਰਾ ਉਨ੍ਹਾਂ ਸਾਰਿਆਂ ਨੂੰ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਜਾਗਰੂਕਤਾ ਫੈਲਾਉਣ ਵਿੱਚ ਆਪਣਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ਹੈ। 

ਕੈਂਸਰ ਨਾਲ ਮੁਕਾਬਲੇ ਲਈ ਇੱਕ  ਹੀ ਮੰਤਰ ਹੈ - Awareness, Action ਅਤੇ Assurance. Awareness ਯਾਨੀ ਕੈਂਸਰ ਅਤੇ ਇਸ ਦੇ ਲੱਛਣਾਂ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀ ਜਾਗਰੂਕਤਾ, Action  ਯਾਨੀ ਸਮੇਂ ’ਤੇ ਜਾਂਚ ਅਤੇ ਇਲਾਜ। Assurance ਯਾਨੀ ਮਰੀਜ਼ਾਂ ਦੇ ਲਈ ਹਰ ਮਦਦ ਉਪਲਬਧ ਹੋਣ ਦਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ। ਆਓ, ਅਸੀਂ ਸਾਰੇ ਮਿਲ ਕੇ ਕੈਂਸਰ ਦੇ ਖਿਲਾਫ ਲੜਾਈ ਨੂੰ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਅੱਗੇ ਲੈ ਜਾਈਏ ਅਤੇ ਜ਼ਿਆਦਾ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਮਰੀਜ਼ਾਂ ਦੀ ਮਦਦ ਕਰੀਏ।


ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਦੇਸ਼ਵਾਸੀਓ, ਅੱਜ ਮੈਂ ਤੁਹਾਨੂੰ ਓਡੀਸ਼ਾ ਦੇ ਕਾਲਾਹਾਂਡੀ ਦੇ ਇੱਕ  ਅਜਿਹੇ ਯਤਨ ਦੀ ਗੱਲ ਦੱਸਣਾ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਘੱਟ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਘੱਟ ਸਾਧਨਾਂ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਸਫਲਤਾ ਦੀ ਨਵੀਂ ਗਾਥਾ ਲਿਖ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਇਹ ਹੈ ਕਾਲਾਹਾਂਡੀ ਦੀ ‘ਸਬਜੀ ਕ੍ਰਾਂਤੀ’। ਜਿੱਥੇ, ਕਦੇ ਕਿਸਾਨ ਪਲਾਇਨ ਕਰਨ ਨੂੰ ਮਜਬੂਰ ਸਨ, ਉੱਥੇ ਅੱਜ ਕਾਲਾਹਾਂਡੀ ਦਾ ਗੋਲਾਮੁੰਡਾ ਬਲਾਕ ਇੱਕ  ਵੈਜੀਟੇਬਲ ਹੱਬ ਬਣ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਹ ਬਦਲਾਓ ਕਿਵੇਂ ਆਇਆ? ਇਸ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਸਿਰਫ 10 ਕਿਸਾਨਾਂ ਦੇ ਇੱਕ  ਛੋਟੇ ਜਿਹੇ ਸਮੂਹ ਤੋਂ ਹੋਈ। ਇਸ ਸਮੂਹ ਨੇ ਮਿਲ ਕੇ ਇੱਕ  FPO  - ‘ਕਿਸਾਨ ਉਤਪਾਦ ਸੰਘ’ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ। ਖੇਤੀ ਵਿੱਚ ਆਧੁਨਿਕ ਤਕਨੀਕ ਦਾ ਇਸਤੇਮਾਲ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ ਅਤੇ ਅੱਜ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਇਹ FPO  ਕਰੋੜਾਂ ਦਾ ਕਾਰੋਬਾਰ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਅੱਜ 200 ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਕਿਸਾਨ ਇਸ FPO  ਨਾਲ ਜੁੜੇ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ 45 ਮਹਿਲਾ ਕਿਸਾਨ ਵੀ ਹਨ। ਇਹ ਲੋਕ ਮਿਲ ਕੇ 200 ਏਕੜ ਵਿੱਚ ਟਮਾਟਰ ਦੀ ਖੇਤੀ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ। 150 ਏਕੜ ਵਿੱਚ ਕਰੇਲੇ ਦਾ ਉਤਪਾਦਨ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ। ਹੁਣ ਇਸ FPO  ਦਾ ਸਲਾਨਾ ਟਰਨਓਵਰ ਵੀ ਵਧ ਕੇ ਡੇਢ ਕਰੋੜ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ। ਅੱਜ ਕਾਲਾਹਾਂਡੀ ਦੀਆਂ ਸਬਜ਼ੀਆਂ ਨਾ ਸਿਰਫ ਓਡੀਸ਼ਾ ਦੇ ਵਿਭਿੰਨ ਜ਼ਿਲ੍ਹਿਆਂ ਵਿੱਚ, ਸਗੋਂ ਦੂਸਰੇ ਰਾਜਾਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਪਹੁੰਚ ਰਹੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਉੱਥੋਂ ਦਾ ਕਿਸਾਨ ਹੁਣ ਆਲੂ ਅਤੇ ਪਿਆਜ਼ ਦੀ ਖੇਤੀ ਦੀਆਂ ਨਵੀਆਂ ਤਕਨੀਕਾਂ ਸਿੱਖ ਰਿਹਾ ਹੈ।


ਸਾਥੀਓ, ਕਾਲਾਹਾਂਡੀ ਦੀ ਇਹ ਸਫਲਤਾ ਸਾਨੂੰ ਸਿਖਾਉਂਦੀ ਹੈ ਕਿ ਸੰਕਲਪ ਸ਼ਕਤੀ ਅਤੇ ਸਮੂਹਿਕ ਯਤਨ ਨਾਲ ਕੀ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ। ਮੈਂ ਤੁਹਾਨੂੰ ਸਾਰਿਆਂ ਨੂੰ ਬੇਨਤੀ ਕਰਦਾ ਹਾਂ ਕਿ –


* ਆਪਣੇ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ FPO  ਨੂੰ ਉਤਸ਼ਾਹਿਤ ਕਰੋ।

* ਕਿਸਾਨ ਉਤਪਾਦਕ ਸੰਗਠਨਾਂ ਨਾਲ ਜੁੜੋ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮਜ਼ਬੂਤ ਬਣਾਓ।


ਯਾਦ ਰੱਖੋ - ਛੋਟੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਤੋਂ ਹੀ ਵੱਡੇ ਬਦਲਾਓ ਸੰਭਵ ਹਨ। ਸਾਨੂੰ ਬਸ ਦ੍ਰਿੜ ਸੰਕਲਪ ਅਤੇ ਟੀਮ ਭਾਵਨਾ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੈ।


ਸਾਥੀਓ, ਅੱਜ ਦੀ ‘ਮਨ ਕੀ ਬਾਤ’ ਵਿੱਚ ਅਸੀਂ ਸੁਣਿਆ ਕਿ ਕਿਵੇਂ ਸਾਡਾ ਭਾਰਤ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਵਿੱਚ ਏਕਤਾ ਦੇ ਨਾਲ ਅੱਗੇ ਵਧ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਭਾਵੇਂ ਉਹ ਖੇਡ ਦਾ ਮੈਦਾਨ ਹੋਵੇ ਜਾਂ ਵਿਗਿਆਨ ਦਾ ਖੇਤਰ, ਸਿਹਤ ਹੋਵੇ ਜਾਂ ਸਿੱਖਿਆ ਹਰ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਨਵੀਆਂ ਉਚਾਈਆਂ ਨੂੰ ਛੂਹ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਅਸੀਂ ਇੱਕ  ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਵਾਂਗ ਮਿਲ ਕੇ ਹਰ ਚੁਣੌਤੀ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕੀਤਾ ਅਤੇ ਨਵੀਆਂ ਸਫਲਤਾਵਾਂ ਹਾਸਲ ਕੀਤੀਆਂ। 2014 ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਏ ‘ਮਨ ਕੀ ਬਾਤ’ ਦੇ 116 episodes ਵਿੱਚ ਮੈਂ ਵੇਖਿਆ ਹੈ ਕਿ ‘ਮਨ ਕੀ ਬਾਤ’ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਸਮੂਹਿਕ ਸ਼ਕਤੀ ਦਾ ਇੱਕ  ਜਿਉਂਦਾ-ਜਾਗਦਾ ਦਸਤਾਵੇਜ਼ ਬਣ ਗਿਆ ਹੈ। ਤੁਸੀਂ ਸਾਰਿਆਂ ਨੇ ਇਸ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਨੂੰ ਅਪਣਾਇਆ, ਆਪਣਾ ਬਣਾਇਆ। ਹਰ ਮਹੀਨੇ ਤੁਸੀਂ ਆਪਣੇ ਵਿਚਾਰਾਂ ਅਤੇ ਯਤਨਾਂ ਨੂੰ ਸਾਂਝਾ ਕੀਤਾ। ਕਦੇ ਕਿਸੇ ਯੰਗ ਇਨੋਵੇਟਰ ਦੇ ਆਈਡੀਆ ਨੇ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤਾ ਤਾਂ ਕਿਸੇ ਬੇਟੀ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਨੇ ਮਾਣ ਨਾਲ ਭਰ ਦਿੱਤਾ। ਇਹ ਤੁਹਾਡੇ ਸਾਰਿਆਂ ਦੀ ਭਾਗੀਦਾਰੀ ਹੈ ਜੋ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਕੋਨੇ-ਕੋਨੇ ਤੋਂ positive energy ਨੂੰ ਇਕੱਠਿਆਂ ਲਿਆਉਂਦੀ ਹੈ। ‘ਮਨ ਕੀ ਬਾਤ’ ਇਸੇ positive energy ਦੇ ਵਾਧੇ ਦਾ ਮੰਚ ਬਣ ਗਿਆ ਹੈ ਅਤੇ ਹੁਣ 2025 ਦਸਤਕ ਦੇ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਸਾਲ ਵਿੱਚ ‘ਮਨ ਕੀ ਬਾਤ’ ਦੇ ਮਾਧਿਅਮ ਨਾਲ ਅਸੀਂ ਹੋਰ ਵੀ ਪ੍ਰੇਰਕ ਯਤਨਾਂ ਨੂੰ ਸਾਂਝਾ ਕਰਾਂਗੇ। ਮੈਨੂੰ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਹੈ ਕਿ ਦੇਸ਼ਵਾਸੀਆਂ ਦੀ positive ਸੋਚ ਅਤੇ innovation ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਨਾਲ ਭਾਰਤ ਨਵੀਆਂ ਉਚਾਈਆਂ ਨੂੰ ਛੂਹੇਗਾ। ਤੁਸੀਂ ਆਪਣੇ ਆਸ-ਪਾਸ ਦੇ ਅਨੋਖੇ ਯਤਨਾਂ ਨੂੰ #Mannkibaat ਦੇ ਨਾਲ ਸਾਂਝਾ ਕਰਦੇ ਰਹੋ। ਮੈਂ ਜਾਣਦਾ ਹਾਂ ਕਿ ਅਗਲੇ ਸਾਲ ਦੀ ਹਰ ‘ਮਨ ਕੀ ਬਾਤ’ ਵਿੱਚ ਸਾਡੇ ਕੋਲ ਇੱਕ -ਦੂਸਰੇ ਨਾਲ ਸਾਂਝਾ ਕਰਨ ਦੇ ਲਈ ਬਹੁਤ ਕੁਝ ਹੋਵੇਗਾ। ਤੁਹਾਨੂੰ ਸਾਰਿਆਂ ਨੂੰ 2025 ਦੀਆਂ ਢੇਰ ਸਾਰੀਆਂ ਸ਼ੁਭਕਾਮਨਾਵਾਂ। ਤੰਦਰੁਸਤ ਰਹੋ। ਖੁਸ਼ ਰਹੋ। ਫਿੱਟ ਇੰਡੀਆ ਮੂਵਮੈਂਟ ਵਿੱਚ ਤੁਸੀਂ ਵੀ ਜੁੜ ਜਾਓ, ਖੁਦ ਨੂੰ ਵੀ ਫਿੱਟ ਰੱਖੋ। ਜੀਵਨ ਵਿੱਚ ਤਰੱਕੀ ਕਰਦੇ ਰਹੋ। ਬਹੁਤ-ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦ।