अभी सर्बानंद काफी विस्‍तार से खेल जगत में क्‍या हो रहा है, उसके विषय में बता रहे थे। मेरा मुख्‍य काम है आप लोगों को बधाई देना। वैसे मैं आज डेढ़-दो घंटे आप लोगों के साथ बिताना चाहता था। मैंने जो पहले schedule बनाया था, लेकिन फिर मुझे Vizag जाना जरूरी हो गया, cyclone के कारण। इसलिए आपसे मिलने के बाद तुरंत मुझे निकलना पड़ेगा।

इस भेंट के पीछे मेरा मुख्‍य मकसद था - आप लोगों को सुनना। क्‍योंकि हर एक के पास अपनी एक History है। हर एक का अपना एक प्रयास है। कितनी कठिनाइयों से आप घिरे होंगे। प्रारंभिक दिनों में घर से भी कहते होंगे- नहीं, पढ़ाई करो, खेलने कहां जाते हो? यही करो। यही कठिनाइयां रहती हैं। एक स्‍टेज के बाद तो फिर परिवार को लगता है, वाह वाह, हमारा बेटा, हमारी बेटी कुछ कर रही है। लेकिन पहले तो सब लोग रोकते रहते है।

उसके बाद भी हमारे देश में खिलाड़ी को दो चीजों पर ध्‍यान केन्द्रित करना पड़ता है। एक तो खेल पर, दूसरा ये खिलवाड़ पर। दोनों hassles को पार करना पड़ता है। खेलकूद, हमारे देश में बहुत पुरानी परंपरा रही है। आप लोगों ने, अगर Archeological Sites देखने का अगर आपका शौक हो, हमारे देश में धौलावीरा करके एक स्‍थान है, दुनिया का सबसे पुरातन नगर। 5000 year old वो Town है। और कभी वहां जाएंगे, कच्‍छ के रेगिस्‍तान के पास है, तो वहां पर एक बहुत बड़ा स्‍टेडियम है 5000 साल पहले का। करीब 5000 लोग उसमें बैठ सके, इतना बड़ा स्‍टेडियम है। इसका मतलब यह है कि उस समय भी Sports एक प्राथमिक व्‍यवस्‍था का विषय रहा होगा, तभी जाकर इतना बड़ा स्‍टेडियम हजारों साल पहले बना होगा।

हमारे जितने रामायण-महाभारत की कथायें पढ़ते हैं, उसमें भी गुरू के पास बाकी शिक्षा के बजाए ये शिक्षा प्रमुख रहती थी। शस्‍त्रों की भी ट्रेनिंग रहती थी और ये मल्‍लयुद्ध वगैरह सब उस जमाने में उसका वर्णन रहता है। यानी ये विरासत तो हमारी पुरानी है। लेकिन बीच के कार्यकाल में हमने globally जो अपने-आप को तैयार करना चाहिए, हम काफी कम रहे हैं।

उसमें कोई खिलाडि़यों का दोष नहीं है। वो तो, उसको भी लगता है कि मैं विजेता बनकर के वापस आऊं। वह हारने के लिए थोड़े जाता है। लेकिन उसको जिस प्रकार का एक्‍सपोजर मिलना चाहिए, जिस प्रकार की ट्रेनिंग मिलनी चाहिए, जिस प्रकार का Infrastructure और Environment available होना चाहिए, उसकी कमी महसूस होती है। लेकिन अच्‍छा ये हुआ है कि पिछले कुछ समय से राज्‍यों का भी इस तरफ ध्‍यान गया है। कई राज्‍य अलग Sports University बना रहे हैं। भारत सरकार कई देशों के साथ Sports के expertise के लिए MOU कर रही है।

अभी ऑस्‍ट्रेलिया Prime Minister आए थे तो मैंने उनके साथ विस्‍तार से बात की थी कि आप भारत में sports के संबंध में हमारे साथ जुड़कर के कैसे Infrastructure में, और चीज में क्‍या मदद कर सकते हैं। काफी मेरी विस्‍तार से बातचीत हुई है। मैं और भी कई देशों से इस विषय में बात कर रहा हूं। उसी प्रकार से कोशिश अपनी ऐसी है कि हम देश में sports की mapping करे। कुछ राज्‍य हैं, जिसकी कुछ खेलों में काफी अच्‍छी स्थिति है। कुछ राज्‍य हैं, जैसे हरियाणा में देखो तो बहादुर लोग मिल जाएंगे आपको। उनकी वहां expertise है तो वहां इस प्रकार का focus हो। हैदराबाद ने अपना अलग नाम निकाला है तो उनके लिए इस प्रकार से facility develop हो। अगर ये चीजें हम करते हैं तो शायद हम बहुत ही focused activity पर ध्‍यान दें पाएंगे। मेरी उमंग है और आप लोगों का हौसला है। ये दोनों मिलकर के जरूर कुछ न कुछ अच्‍छा होगा, ऐसा मेरा विश्‍वास है।

कोई भी देश आत्‍मसम्‍मान के बिना आगे बढ़ ही नहीं सकता है। आत्‍मगौरव के बिना आगे नहीं बढ़ सकता है। और जब छोटे-छोटे recognisation मिलते जाते हैं recognise होते जाते हैं तो इसका total बढ़ता जाता है जो ये ultimately हर पीढ़ी को प्रेरणा देता है। जैसे हमारे वैज्ञानिकों ने मंगलयान में सफलता प्राप्‍त की। दुनिया में हम पहले देश बने जिन्‍होंने orbit में पहले ही प्रयास में सफलता प्राप्‍त की। हम पहले देश बने हैं। अब ये कोई प्रधानमंत्री ने काम नहीं किया है, और न ही मंत्रिपरिषद के लोगों ने किया है। किया है वैज्ञानिकों ने। लेकिन सीना सारे हिंदुस्‍तानियों का तन जाता है, गर्व हो जाता है। सारी दुनिया को स्‍वीकार करना पड़ रहा है कि अच्‍छा भाई....जिस प्रकार से हम लोगों ने ये Mars में सफलता पाई है....!

अगर आप हैदराबाद में ऑटो रिक्‍शा में जाएं, एक किलोमीटर, तो कम से कम 10-12 रुपया लगता होगा। हम लोगों का Mars पर जाने का खर्चा एक किलोमीटर का 7 रुपये आया है। यानी हॉलीवुड की फिल्‍म से भी कम खर्चें में ये Mars Mission हमारा सफल हुआ है। ये घटना स्‍वाभिमान में जोड़ती है।

वैसे ही हमारा एक खिलाड़ी विजय प्राप्‍त करता है, तो वो तो वहां एक कोने में होता है, पसीना पौंछ रहा है, उसे तो मालूम ही नहीं है कि दुनिया क्‍या देख रही है। लेकिन अभी तो आपका पसीना शरीर से सूखा नहीं है, और पूरे हिंदुस्‍तान में एकदम से गर्व महसूस होता है। सबको आनंद होता है, वाह, चलिए, कुछ कर दिखाया। इसका Electrified Effect होता है इन चीजों का और ऐसी चीजें जब निरंतर बनती है, तो हर पीढ़ी के लोग प्रेरणा का कारण बन जाते हैं। इसलिए हमारे लिए आप लोगों की सफलता सिर्फ व्‍यक्तिगत सफलता का मुद्दा नहीं है। ये हर भारतवासी के हृदय में आत्‍मगौरव पैदा करता है, आपका प्रयास सम्‍मान पैदा करता है। उस पर जितनी आपने मेहनत की, पसीना आपने बहाया, सुबह नींद खराब करके आप मैदान में चले गए, लेकिन कूदते वो लोग हैं, और वही आपकी सफलता है। ये पूरा हिंदुस्‍तान इस बात को लेकर के खड़ा हो जाता है, आपकी सफलता के लिए उसको आनंद होता है। यही सबसे बड़ा Achievement होता है।

मैं जानता हूं, कितनी कठिनाइयों से निकलना पड़ता है। दुनिया के और देश जब आते हैं, उनकी एक-एक चीज जब आप देखते होंगे तो आपको लगता होगा कि देखिए, इनके पास तो ये चीज ऐसी है, मेरे पास कैसी है। हम सामान्‍य साधनों से आज जा रहे हैं। ये मुझे विश्‍वास है, इन चीजों में जरूर बदलाव आएगा, professionalism आएगा।

एक अच्‍छा प्रारंभ यह हुआ है कि हमारा जो corporate world है, ये भी अपने-आप को किसी sports के साथ identify करने लगे हैं। आने वाले दिनों में इसका बहुत बड़ा लाभ होने वाला है, क्‍योंकि इस प्रकार का एक Public-Private Partnership Model develop होता है। तो Sportsman की भी गरिमा बढ़ती है। उसको कभी अपनी निजी आर्थिक जीवन की चिंता नहीं रहती है। उसके लिए भी सुविधा रहती है। तो मेरी कोशिश ये है कि Sports में हम खिलाडि़यों को जितनी सहायता कर सकते हैं, करें। जितना प्रोत्‍साहन दे सकते हैं, दें। Expertise के लिए जो भी बन पड़ता है, करें। ऐसा तो नहीं है कि भारत के लोगों में कोई क्षमता नहीं है। अगर मौका मिले तो भारत के लोग भी अपना पराक्रम जरूर दिखा सकते हैं।

मैं देख रहा हूं कि इन दिनों, पहले के समय में थोड़ा कम खाते थे, मगर इन दिनों Sports के field के लोग भी, उनकी हर गतिविधि समाज के लिए प्रेरक बनती जा रही है। यह अच्‍छी स्थिति है। अभी मैरी कॉम ने सफाई का काम किया। मैं देख रहा था न्‍यूज में मोदी सफाई कर रहा था, उससे ज्‍यादा, मैरी कॉम सफाई कर रही थी, इसका असर ज्‍यादा था। उसने और नौ लोगों को बोला कि नहीं, आप भी करिये। मैं देख रहा था, सचिन तेंदुलकर भी इन दिनों करीब करीब रोज जाते हैं सफाई करने के लिए सुबह। एक माहौल बनाने में आपको जो स्‍थान मिला है, वह समाज जीवन में कितनी मदद करता है।

मैं हमारे HRD Ministry को कहने वाला हूं कि हमारे जो खिलाड़ी विजयी हो के जाते हैं, और जिनको थोड़ा स्‍वभाव भी बोलने का बातचीत करने का होता है, सबका नहीं होता है, ऐसे लोगों को University ले जाना चाहिए। University में उनके talks, students के साथ होने चाहिए। इससे बहुत फायदा होता है। जब एक खिलाड़ी अपनी कथा खुद students के साथ share करता है। बच्‍चों के मुंह में इतने सवाल होते हैं। आप ये कैसे करते थे, आपके माता जी-पिता जी डांटते तो नहीं थे ना, आपको sufficient time मिलता था ? पढ़ाई में क्‍या होता था। Home-work नहीं करते थे तो क्‍या होता था? सब पूछते हैं बच्‍चे।

मैं समझता हूं, ये बात कोई राजनेता करने जाए तो यह उनके गले नहीं उतरेगी, लेकिन एक खिलाड़ी खुद जो Success है, वो जाता है तो उसके मन को बहुत छू जाता है और हम भी तय करे हां, वैसे Sports वालों का schedule भी इतना tight रहता है, कि शायद, साल में 20-25 Week तो वो बाहर ही जाते होंगे। एक position पर पहुंच के, उनका तो ऐसे ही रहता है। लेकिन फिर भी जब समय मिले, सीधी बातचीत, अगर ये माहौल बनाएंगे तो उसका फायदा होगा।

Sports में जिसमें हम लोग आगे काम करना चाहते हैं। आखिरकार Sportsman का Career का समय काफी कम होता है। Age हो जाती है, Physically भी उसका, उतना संभव नहीं होता है। एक सीमित कार्यकाल तक...। हमारे जैसा Field नहीं है आपका, हमारे यहां 90 साल तक भी गाड़ी चलती है। आप लोगों का एक सीमित समय तक होता है। लेकिन Sports Related Activity आज बहुत बढ़ गई है। खिलाड़ी को उसके साथ एक और expertise खेल की ही लानी चाहिए। आने वाले दिनों में, आपने देखा होगा, कि क्रिकेट में कई खिलाड़ी ऐसे थे, खेलकूद से निकले तो वे Statistics पर, कुछ लोग चले गए Special Commentator में रूप में। कोई अच्‍छी भाषा develop किया, तो commentator ही बन गए। कुछ तो अंपायर बन गए। लेकिन बाद में भी कई areas होते है, उनकी भी Institution चलती हैं।

अभी सानिया से मेरा मिलना हुआ था, बहुत अच्‍छी Institution खड़ी की है। ऐसी चीजें, जब आप मैदान से बाहर निकलें, तब भी खेल जगत का एक बहुत बड़ा विश्‍व है, जो पूरा एक आपका आर्थिक जीवन उस पर आगे बढ़ सकता है। उसको भी हमको वैज्ञानिक तरीके से develop करना है ताकि कभी Sportsman की नौकरी-वौकरी तलाशने की जरूरत ना पड़े, क्‍योंकि स्‍वयं उसकी expertise बन जाती है, expertise की requirement रहती है। लोग even आज अच्‍छे ढंग के मैदान बनाना है, इसके लिए भी expertise हो गई। तो ये जितने हमारे यहां Institutional work खड़ा हुआ, तो खिलाडि़यों के लिए इसके बाद भी एक बहुत बड़ी Career की बड़ी संभावना है sports university के माध्‍यम से हम इसको बढ़ाना चाहते हैं। Sports University के माध्‍यम से Academic Field का भी बहुत बड़ा काम खड़ा होगा। Teaching का ये, लगता है कि चलिये मैं Teaching करके भी Sports को बढ़ावा दे सकता है, Sports universities में उसके लिए भी अवसर रहेगा।

जब तक हम पूरे जीवन की chain नहीं बनाते हैं, खिलाड़ी को एक Career के रूप में भी अवसर नहीं मिलेगी। तो इस प्रकार की दिशा में भी मैं काम कर रहा हूं। लेकिन आप लोगों के सुझाव उसमें ज्‍यादा काम आएंगे। एक तो आपको Global Exposure हुआ है। आप दुनिया के खिलाड़ियों से बातें करते हो, दुनिया के खेल जगत के environment को जानते हो, वहां के experts से आपका dialogue होता है, वहां की कठिनाइयों का आपको पता है। इतना ज्‍यादा आप लोगों का involvement होगा, शायद हम इस चीज में बहुत ही अच्‍छा कर पाएंगे।

खिलाड़ी की discipline, खेल में विजय जितना गौरव दिलाता है, लेकिन एकाध छोटी सी गलती, दुनियाभर में देश का नाम बदनाम कर देती है। हमारे देश का तो दुर्भाग्‍य ये है कि 15 लोग Gold Medal लाए तो उसकी खबर 8वें नंबर पे होती है, लेकिन अगर किसी खिलाड़ी ने गलती कर दी तो वह नंबर ब्रेकिंग न्‍यूज हो जाती है और खेल का मौसम हो, सब हो लेकिन, वैसे ही कोई मामूली राजनेता उटपटांग बोल दे तो Headline News होता है और जो बेचारा 15 साल से पसीना बहा करके Gold Medal लाया है, उसका News 11 नंबर पर चला जाता है। तो ये हमारे देश की कुछ कठिनाइयां हैं। किस समय, किस बात को बल देना चाहिए, उन कठिनाइयों से गुजरना है। हम लोग तो आदी हो गए हैं, क्‍योंकि हमारा रोज का कारोबार है, ऐसी कठिनाइयों का। आप लोगों के लिए ज्‍यादा दिक्‍कत होती है।

लेकिन आप लोगों ने देश का गौरव बढ़ाया है, आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं। और मैं, आपका एक मित्र हूं, आपका एक साथी हूं। आप खुले मन से मुझे अपनी बात बताते रहें। मुझे लिख सकते हैं, हक से लिख सकते हैं। क्‍योंकि जितना काम एक राजनेता करता है, खिलाड़ी उससे कम नहीं करता है।

मेरी तरफ से भारत का सम्‍मान बढ़ाने के लिए आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं। कभी आप अलग से भी मिलना चाहें तो मेरे यहां समय मांग सकते हैं। मैं समय जरूर दूंगा। क्‍योंकि मुझे इस क्षेत्र में कुछ न कुछ हो, यह मेरी इच्‍छा है। लेकिन मैं जितना सोचूंगा, उतना आप लोग अनुभवी होने के कारण ज्‍यादा अच्‍छा सुझाव दे सकते हैं।

फिर एक बार आप सबको बहुत-बहुत बधाई।

Congratulations

Thank You, Thanks.

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भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरी सहयोगी अन्नपूर्णा देवी जी, सावित्री ठाकुर जी, सुकांता मजूमदार जी, अन्य महानुभाव, देश के कोने-कोने से यहां आए सभी अतिथि, और सभी प्यारे बच्चों,

आज हम तीसरे ‘वीर बाल दिवस’ के आयोजन का हिस्सा बन रहे हैं। तीन साल पहले हमारी सरकार ने वीर साहिबजादों के बलिदान की अमर स्मृति में वीर बाल दिवस मनाने की शुरुआत की थी। अब ये दिन करोड़ों देशवासियों के लिए, पूरे देश के लिए राष्ट्रीय प्रेरणा का पर्व बन गया है। इस दिन ने भारत के कितने ही बच्चों और युवाओं को अदम्य साहस से भरने का काम किया है! आज देश के 17 बच्चों को वीरता, इनोवेशन, साइंस और टेक्नोलॉजी, स्पोर्ट्स और आर्ट्स जैसे क्षेत्रों में सम्मानित किया गया है। इन सबने ये दिखाया है कि भारत के बच्चे, भारत के युवा क्या कुछ करने की क्षमता रखते हैं। मैं इस अवसर पर हमारे गुरुओं के चरणों में, वीर साहबजादों के चरणों में श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ। मैं अवार्ड जीतने वाले सभी बच्चों को बधाई भी देता हूँ, उनके परिवारजनों को भी बधाई देता हूं और उन्हें देश की तरफ से शुभकामनाएं भी देता हूं।

साथियों,

आज आप सभी से बात करते हुए मैं उन परिस्थितियों को भी याद करूंगा, जब वीर साहिबजादों ने अपना बलिदान दिया था। ये आज की युवा पीढ़ी के लिए भी जानना उतना ही जरूरी है। और इसलिए उन घटनाओं को बार-बार याद किया जाना ये भी जरूरी है। सवा तीन सौ साल पहले के वो हालात 26 दिसंबर का वो दिन जब छोटी सी उम्र में हमारे साहिबजादों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह की आयु कम थी, आयु कम थी लेकिन उनका हौसला आसमान से भी ऊंचा था। साहिबजादों ने मुगल सल्तनत के हर लालच को ठुकराया, हर अत्याचार को सहा, जब वजीर खान ने उन्हें दीवार में चुनवाने का आदेश दिया, तो साहिबजादों ने उसे पूरी वीरता से स्वीकार किया। साहिबजादों ने उन्हें गुरु अर्जन देव, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह की वीरता याद दिलाई। ये वीरता हमारी आस्था का आत्मबल था। साहिबजादों ने प्राण देना स्वीकार किया, लेकिन आस्था के पथ से वो कभी विचलित नहीं हुए। वीर बाल दिवस का ये दिन, हमें ये सिखाता है कि चाहे कितनी भी विकट स्थितियां आएं। कितना भी विपरीत समय क्यों ना हो, देश और देशहित से बड़ा कुछ नहीं होता। इसलिए देश के लिए किया गया हर काम वीरता है, देश के लिए जीने वाला हर बच्चा, हर युवा, वीर बालक है।

साथियों,

वीर बाल दिवस का ये वर्ष और भी खास है। ये वर्ष भारतीय गणतंत्र की स्थापना का, हमारे संविधान का 75वां वर्ष है। इस 75वें वर्ष में देश का हर नागरिक, वीर साहबजादों से राष्ट्र की एकता, अखंडता के लिए काम करने की प्रेरणा ले रहा है। आज भारत जिस सशक्त लोकतंत्र पर गर्व करता है, उसकी नींव में साहबजादों की वीरता है, उनका बलिदान है। हमारा लोकतंत्र हमें अंत्योदय की प्रेरणा देता है। संविधान हमें सिखाता है कि देश में कोई भी छोटा बड़ा नहीं है। और ये नीति, ये प्रेरणा हमारे गुरुओं के सरबत दा भला के उस मंत्र को भी सिखाती हैं, जिसमें सभी के समान कल्याण की बात कही गई है। गुरु परंपरा ने हमें सभी को एक समान भाव से देखना सिखाया है और संविधान भी हमें इसी विचार की प्रेरणा देता है। वीर साहिबजादों का जीवन हमें देश की अखंडता और विचारों से कोई समझौता न करने की सीख देता है। और संविधान भी हमें भारत की प्रभुता और अखंडता को सर्वोपरि रखने का सिद्धांत देता है। एक तरह से हमारे लोकतंत्र की विराटता में गुरुओं की सीख है, साहिबजादों का त्याग है और देश की एकता का मूल मंत्र है।

साथियों,

इतिहास ने और इतिहास से वर्तमान तक, भारत की प्रगति में हमेशा युवा ऊर्जा की बड़ी भूमिका रही है। आजादी की लड़ाई से लेकर के 21वीं सदी के जनांदोलनों तक, भारत के युवा ने हर क्रांति में अपना योगदान दिया है। आप जैसे युवाओं की शक्ति के कारण ही आज पूरा विश्व भारत को आशा और अपेक्षाओं के साथ देख रहा है। आज भारत में startups से science तक, sports से entrepreneurship तक, युवा शक्ति नई क्रांति कर रही है। और इसलिए हमारी पॉलिसी में भी, युवाओं को शक्ति देना सरकार का सबसे बड़ा फोकस है। स्टार्टअप का इकोसिस्टम हो, स्पेस इकॉनमी का भविष्य हो, स्पोर्ट्स और फिटनेस सेक्टर हो, फिनटेक और मैन्युफैक्चरिंग की इंडस्ट्री हो, स्किल डेवलपमेंट और इंटर्नशिप की योजना हो, सारी नीतियां यूथ सेंट्रिक हैं, युवा केंद्रिय हैं, नौजवानों के हित से जुड़ी हुई हैं। आज देश के विकास से जुड़े हर सेक्टर में नौजवानों को नए मौके मिल रहे हैं। उनकी प्रतिभा को, उनके आत्मबल को सरकार का साथ मिल रहा है।

मेरे युवा दोस्तों,

आज तेजी से बदलते विश्व में आवश्यकताएँ भी नई हैं, अपेक्षाएँ भी नई हैं, और भविष्य की दिशाएँ भी नई हैं। ये युग अब मशीनों से आगे बढ़कर मशीन लर्निंग की दिशा में बढ़ चुका है। सामान्य सॉफ्टवेयर की जगह AI का उपयोग बढ़ रहा है। हम हर फ़ील्ड नए changes और challenges को महसूस कर सकते हैं। इसलिए, हमें हमारे युवाओं को futuristic बनाना होगा। आप देख रहे हैं, देश ने इसकी तैयारी कितनी पहले से शुरू कर दी है। हम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, national education policy लाये। हमने शिक्षा को आधुनिक कलेवर में ढाला, उसे खुला आसमान बनाया। हमारे युवा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रहें, इसके लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। छोटे बच्चों को इनोवेटिव बनाने के लिए देश में 10 हजार से ज्यादा अटल टिंकरिंग लैब शुरू की गई हैं। हमारे युवाओं को पढ़ाई के साथ-साथ अलग-अलग क्षेत्रों में व्यावहारिक अवसर मिले, युवाओं में समाज के प्रति अपने दायित्वों को निभाने की भावना बढ़े, इसके लिए ‘मेरा युवा भारत’ अभियान शुरू किया गया है।

भाइयों बहनों,

आज देश की एक और बड़ी प्राथमिकता है- फिट रहना! देश का युवा स्वस्थ होगा, तभी देश सक्षम बनेगा। इसीलिए, हम फिट इंडिया और खेलो इंडिया जैसे मूवमेंट चला रहे हैं। इन सभी से देश की युवा पीढ़ी में फिटनेस के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। एक स्वस्थ युवा पीढ़ी ही, स्वस्थ भारत का निर्माण करेगी। इसी सोच के साथ आज सुपोषित ग्राम पंचायत अभियान की शुरुआत की जा रही है। ये अभियान पूरी तरह से जनभागीदारी से आगे बढ़ेगा। कुपोषण मुक्त भारत के लिए ग्राम पंचायतों के बीच एक healthy competition, एक तंदुरुस्त स्पर्धा हो, सुपोषित ग्राम पंचायत, विकसित भारत का आधार बने, ये हमारा लक्ष्य है।

साथियों,

वीर बाल दिवस, हमें प्रेरणाओं से भरता है और नए संकल्पों के लिए प्रेरित करता है। मैंने लाल किले से कहा है- अब बेस्ट ही हमारा स्टैंडर्ड होना चाहिए, मैं अपनी युवा शक्ति से कहूंगा, कि वो जिस सेक्टर में हों उसे बेस्ट बनाने के लिए काम करें। अगर हम इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम करें तो ऐसे करें कि हमारी सड़कें, हमारा रेल नेटवर्क, हमारा एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर दुनिया में बेस्ट हो। अगर हम मैन्युफैक्चरिंग पर काम करें तो ऐसे करें कि हमारे सेमीकंडक्टर, हमारे इलेक्ट्रॉनिक्स, हमारे ऑटो व्हीकल दुनिया में बेस्ट हों। अगर हम टूरिज्म में काम करें, तो ऐसे करें कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशन, हमारी ट्रैवल अमेनिटी, हमारी Hospitality दुनिया में बेस्ट हो। अगर हम स्पेस सेक्टर में काम करें, तो ऐसे करें कि हमारी सैटलाइट्स, हमारी नैविगेशन टेक्नॉलजी, हमारी Astronomy Research दुनिया में बेस्ट हो। इतने बड़े लक्ष्य तय करने के लिए जो मनोबल चाहिए होता है, उसकी प्रेरणा भी हमें वीर साहिबजादों से ही मिलती है। अब बड़े लक्ष्य ही हमारे संकल्प हैं। देश को आपकी क्षमता पर पूरा भरोसा है। मैं जानता हूँ, भारत का जो युवा दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों की कमान संभाल सकता है, भारत का जो युवा अपने इनोवेशन्स से आधुनिक विश्व को दिशा दे सकता है, जो युवा दुनिया के हर बड़े देश में, हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा सकता है, वो युवा, जब उसे आज नए अवसर मिल रहे हैं, तो वो अपने देश के लिए क्या कुछ नहीं कर सकता! इसलिए, विकसित भारत का लक्ष्य सुनिश्चित है। आत्मनिर्भर भारत की सफलता सुनिश्चित है।

साथियों,

समय, हर देश के युवा को, अपने देश का भाग्य बदलने का मौका देता है। एक ऐसा कालखंड जब देश के युवा अपने साहस से, अपने सामर्थ्य से देश का कायाकल्प कर सकते हैं। देश ने आजादी की लड़ाई के समय ये देखा है। भारत के युवाओं ने तब विदेशी सत्ता का घमंड तोड़ दिया था। जो लक्ष्य तब के युवाओं ने तय किया, वो उसे प्राप्त करके ही रहे। अब आज के युवाओं के सामने भी विकसित भारत का लक्ष्य है। इस दशक में हमें अगले 25 वर्षों के तेज विकास की नींव रखनी है। इसलिए भारत के युवाओं को ज्यादा से ज्यादा इस समय का लाभ उठाना है, हर सेक्टर में खुद भी आगे बढ़ना है, देश को भी आगे बढ़ाना है। मैंने इसी साल लालकिले की प्राचीर से कहा है, मैं देश में एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिसके परिवार का कोई भी सक्रिय राजनीति में ना रहा हो। अगले 25 साल के लिए ये शुरुआत बहुत महत्वपूर्ण है। मैं हमारे युवाओं से कहूंगा, कि वो इस अभियान का हिस्सा बनें ताकि देश की राजनीति में एक नवीन पीढ़ी का उदय हो। इसी सोच के साथ अगले साल की शुरुआत में, माने 2025 में, स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर, 'विकसित भारत यंग लीडर्स डॉयलॉग’ का आयोजन भी हो रहा है। पूरे देश, गाँव-गाँव से, शहर और कस्बों से लाखों युवा इसका हिस्सा बन रहे हैं। इसमें विकसित भारत के विज़न पर चर्चा होगी, उसके रोडमैप पर बात होगी।

साथियों,

अमृतकाल के 25 वर्षों के संकल्पों को पूरा करने के लिए ये दशक, अगले 5 वर्ष बहुत अहम होने वाले हैं। इसमें हमें देश की सम्पूर्ण युवा शक्ति का प्रयोग करना है। मुझे विश्वास है, आप सब दोस्तों का साथ, आपका सहयोग और आपकी ऊर्जा भारत को असीम ऊंचाइयों पर लेकर जाएगी। इसी संकल्प के साथ, मैं एक बार फिर हमारे गुरुओं को, वीर साहबजादों को, माता गुजरी को श्रद्धापूर्वक सिर झुकाकर के प्रणाम करता हूँ।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद !