QuoteINDI alliance aims to play musical chairs with the Prime Minister's seat: PM Modi in Pataliputra, Bihar
QuoteThe RJD-Congress are conspiring to allocate SC/ST/OBC quotas to their vote bank: PM Modi in Bihar
QuoteCongress allowed grains to rot while refusing to feed the poor: PM Modi taking a jibe at the Opposition

महान पाटलिपुत्र के ई ज्ञान-विज्ञान, शौर्य-पराक्रमी, वैभवशाली भूमि के नमन करीत हियो ! रउआ सभन के हमर प्रणाम पहुंचे !

भाइयों और बहनों,

आज छठे चरण का मतदान हो रहा है। मतदाताओं का अभूतपूर्व उत्साह और उमंग हम लगातार देख रहे हैं। मैं देश के हर मतदाता का अभिनंदन करता हूं और भारी संख्या में मतदान का आग्रह करता हूं।

साथियों,

ये भूमि स्वर्गीय कैलाशपति मिश्र जी की विरासत है। उनकी तपस्या, हर बीजेपी कार्यकर्ता के लिए प्रेरणा है। बीजेपी कार्यकर्ताओं की मेहनत का परिणाम आज पूरा देश देख रहा है। ऐसा लग रहा है कि आप सब लोग मनेर के लड्डू खाकर आए हो। मनेर के लड्डू मशहूर तो है, लेकिन लग रहा है कि मनेर के लड्डू की ताकत भी बड़ी है। आप लोग भी 4 जून के लिए ये मनेर के लड्डू तैयार रखिए। चुनाव के नतीजे क्या आने वाले हैं, उसका एग्जिट पोल चालू हो गया है। आप समझ लीजिए, जब इंडी गठबंधन वाले सोते-उठते, जागते-बैठते EVM को गाली देना शुरू कर दें, मतलब की NDA की सफलता का एक्जिट पोल आ चुका है। 4 जून को पाटलिपुत्र में नया रिकॉर्ड बनेगा और देश में भी नया रिकॉर्ड बनेगा।

साथियों,

मैं हिंदुस्तान के कोने-कोने में गया हूं। जनता-जनार्दन के दर्शन करने गया हूं। देशवासियों के आशीर्वाद लेने गया हूं। माताओं-बहनों के सामने सर झुकाने के लिए गया हूं और चारो तरफ से एक ही मंत्र सुनाई देता है, एक ही गूंज सुनाई देती है और एक ही विश्वास झलक रहा है। फिर एक बार...मोदी सरकार। फिर एक बार...मोदी सरकार। फिर एक बार...मोदी सरकार।

साथियों,

चौबीस के इस चुनाव में, एक तरफ चौबीस घंटे आपके लिए मेहनत करने वाला मोदी है...तो दूसरी तरफ चौबीस घंटे आपसे झूठ बोलने वाला इंडी गठबंधन है। एक तरफ मोदी है...जो चौबिसो घंटे...सातों दिन 2047 में विकसित भारत बनाने में जुटा है। जो 24x7 आत्मनिर्भर भारत बनाने में जुटा है। जो 24x7 देश की सुरक्षा बढ़ाने में जुटा है। जो 24x7 अच्छी आधुनिक सड़कें, आधुनिक रेलवे देने में जुटा है। वहीं दूसरी तरफ इंडी-गठबंधन है...इंडी गठबंधन के पास काम नहीं है...समय ही समय है...खाली है। देशवासियों ने उनकी छुट्टी कर दी है। वे जेल में विश्राम करते रहते हैं...कभी बाहर रहते हैं और इसलिए ये इंडी गठबंधन...दिन हो या रात मोदी को गालियां देने में जुटा है। दिन हो या रात अपने वोट बैंक को खुश करने में जुटा है।

|

साथियों,

LED बल्ब के जमाने में...यहां बिहार में एक लालटेन लेकर घूम रहे हैं। ये एक ऐसी लालटेन जो सिर्फ एक ही घर में रोशनी करता है। एक ही घर में रोशनी करता है...30 साल का इतिहास देख लीजिए...सिर्फ एक ही घर में रोशनी करता है। चारो तरफ अंधेरा हो जाए तो हो जाए, उनके घर की रोशनी जलती रहे। इस लालटेन ने बिहार में अंधेरा ही अंधेरा फैलाया है। दूसरे के बेटे-बेटियों को ये लोग पूछते तक नहीं हैं। इंडी गठबंधन वालों का सूत्र है...अपना काम बनता, भाड़ में जाए जनता।

भाइयों और बहनों,

ये सिर्फ MP चुनने के लिए चुनाव नहीं है, ये देश का PM चुनने के लिए है। अब आपका वोट मामूली नहीं है, अब आपका वोट इतना वजनदार है इतना ताकतवर है कि आपका वोट देश का पीएम चुनने वाला है। भले ही आप पाटलिपुत्र में बैठे हों, लेकिन पीएम का फैसला आप मेरे भाई-बहन करने वाले हो और भारत को कैसा पीएम चाहिए?... भारत को कैसा पीएम चाहिए?... भारत को कैसा पीएम चाहिए? भारत को ऐसा पीएम चाहिए जो इस दमदार देश का दम दुनिया के सामने दमखम के साथ रख सके। वहीं दूसरी ओर ये इंडी वाले हैं। इंडी-गठबंधन की योजना, 5 साल में 5 पीएम देने की है। अब मुझे बताइए 5 साल में 5 पीएम क्या होगा इस देश का। इसके लिए दावेदार कौन-कौन है? गांधी परिवार का बेटा..सपा वाले परिवार का बेटा...नेशनल कॉन्फ्रेंस परिवार का बेटा...NCP वाले परिवार की बेटी...TMC वाले परिवार का भतीजा...आप पार्टी के आका की पत्नी...नकली शिवसेना परिवार का बेटा...और RJD परिवार के बेटे या फिर बेटियां...ये सारे परिवारवादी मिलकर, प्रधानमंत्री की कुर्सी पर म्यूजिकल चेयर खेलना चाहते हैं।

साथियों,

ये इंडी-गठबंधन के लोग...और मैं आग्रह करता हूं..मैं जो बता रहा हूं..आप भी जांच पड़ताल करके देख लेना। मेरा एक शब्द आपको गलत नहीं मिलेगा। ये लोग घोर सांप्रदायिक हैं। इनको संविधान से...बिन सांप्रदायिकता से...सर्वपंथ सम्भाव से कोई लेना देना नहीं है। ये घोर सांप्रदायिक हैं। ये घोर जातिवादी हैं और ये घोर परिवारवादी हैं। सबसे पहले वो अपने परिवार का ही सोचते हैं और बाकियों को पीछे रखते हैं। क्या ऐसे लोग बिहार का भला कर सकते हैं? पाटलिपुत्र का भला कर सकते हैं? आपके परिवार का भला कर सकते हैं?

साथियों,

बिहार की इस धरती ने सामाजिक न्याय को लेकर पूरे देश को दिशा दिखाई है। SC/ST/OBC के आरक्षण के अधिकार के लिए बिहार ने लंबी लड़ाई लड़ी है। लेकिन आज बिहार के जागरूक लोगों के सामने मैं बड़े दुख और पीड़ा के साथ एक कड़वा सच रख रहा हूं। क्योंकि मैं भी आपकी ही तरह अति पिछड़े लोगों के बीच में पल-बढ़ कर आपके बीच पहुंचा हूं। इसलिए मैं उस दर्द को जानता हूं। RJD-कांग्रेस और इंडी गठबंधन के दल मिलकर SC/ST/OBC के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात कर रहे हैं। हमारा संविधान कहता है कि भारत में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होगा...बाबासाहेब अम्बेडकर कहते थे कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होगा...लेकिन RJD-कांग्रेस SC/ST/OBC का कोटा खत्म करके, अपने वोट बैंक को..जो वोट जिहाद करते हैं...ऐसे लोगों को धर्म के आधार पर आरक्षण देना चाहती हैं। चौबीस के इस चुनाव में जब मैंने इन दलों की इस साजिश का पर्दाफास किया है...तो एक के बाद एक इनकी SC/ST/OBC आरक्षण विरोधी करतूतें सामने आ रही हैं। मैं बहुत जिम्मेदारी से बिहार के मेरे परिवारजनों के सामने ये पीड़ा बताना चाहता हूं। RJD-कांग्रेस ने मिलकर मेरे यादव परिवारों को, मेरे कुर्मी परिवारों को, मेरे कुशवाहा परिवारों को, मेरे कलवार परिवारों को, मेरे तेली परिवारों को, मेरे सूरी परिवारों को, मेरे कानू परिवारों को, मेरे निषाद परिवारों को, मेरे पासवान परिवारों को, मेरे रविदास परिवारों को, मेरे मुसहर परिवारों को...ऐसे हरेक का जो आरक्षण था ना उसपर डाका डाल दिया है। आपको अंधेरे में रख कर के जैसे चोर आकर चोरी कर जाए वैसे ही इन लुटेरों ने आपके हक को लूटा है। मैं बात कड़वी बता रहा हूं, लेकिन मेरे जेहन पर बड़े घाव लगे हैं, मेरे भाइयों और इन जातियों के आरक्षण का कोटा कम करके RJD-कांग्रेस-इंडी गठबंधन ने वोट जिहाद वाले अपने वोट बैंक को दे दिया है।

साथियों,

SC/ST/OBC के हमारे बच्चों को दाखिले में आरक्षण से बहुत मदद मिलती है। लेकिन RJD-कांग्रेस ने दलितों-पिछड़ों-आदिवासियों के बच्चों से ये अधिकार छीनकर इसे मुसलमानों को दे दिया है। ये संविधान के खिलाफ है। ये बाबासाहेब अम्बेडकर ने जो संविधान बनाया उसकी पीठ में छुरा भोंकने का पाप किया है। अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए कांग्रेस ने रातों-रात माइनॉरिटी इंस्टीट्यूशन्स से जुड़ा कानून बदल दिया...इसके बाद धड़ा-धड़ हजारों संस्थानों को माइनॉरिटी इंस्टीट्यूशन घोषित कर दिया। इन संस्थानों में पहले एडमिशन के दौरान SC/ST/OBC को पूरा आरक्षण मिलता था। RJD-कांग्रेस के चलते आज SC/ST/OBC को माइनॉरिटी इंस्टीट्यूशन में 1 परसेंट भी आरक्षण नहीं मिलता है। जो पहले मिलता था उसपर ताले लगा दिए, आपका जो हक था उसपर डाका डाल दिया। यानि लाखों SC/ST/OBC युवाओं की शिक्षा के अवसर इंडी गठबंधन वालों ने छीन लिए हैं। आप मुझे बताइए...क्या ये आपसे विश्वासघात है की नहीं है... ये आपसे विश्वासघात है की नहीं है...मैं आपसे पूछता हूं... क्या ये आपसे विश्वासघात है की नहीं है। क्या ये आपके बच्चों से विश्वासघात है की नहीं है।

|

साथियों,

इंडी-गठबंधन की एक और साजिश उसको अभी कोलकता हाईकोर्ट ने नकाब उतारकर खुला कर दिया है। इंडी वालों ने बंगाल में 77 मुस्लिम जातियों को खटाखट... खटाखट...एक झटके में OBC का दर्जा दे दिया। इसके बाद सरकारी नौकरियों में जो लाभ OBC को मिलना चाहिए था, वो इन 77 मुस्लिम जातियों को मिलने लगा। हक किसका मारा गया? हक मेरे OBC परिवारों का मारा गया, हक मेरे अति पिछड़ों का मारा गया, फायदा किसको हुआ? इंडी वालों के वोट जिहाद करने वालों को मिला। कांग्रेस के राज में कर्नाटक में रातों-रात सभी मुसलमानों को ओबीसी घोषित कर दिया।

साथियों,

RJD-कांग्रेस-इंडी गठबंधन इस सच्चाई से इनकार नहीं कर सकते। ये संविधान बदलकर पूरे देश में धर्म के आधार पर आरक्षण देना चाहते हैं। लेकिन मैं भी आज बिहार की इस धरती से..सामाजिक न्याय की पुण्य भूमि से देश को एक गारंटी दे रहा हूं..बिहार को गारंटी देता हूं...SC/ST/OBC परिवारों को गारंटी देता हूं...अति पिछड़े परिवारों को गारंटी देता हूं। जब तक मोदी जिंदा है, मैं SC/ST/OBC और अति पिछड़ों के हकों को छीनने नहीं दूंगा। ये मोदी की गारंटी है। मोदी के लिए संविधान सर्वोपरि है...मोदी के लिए बाबासाहेब अम्बेडकर की भावना सर्वोपरि है...इंडी अलायंस को अपने वोट बैंक की गुलामी करनी है, तो करे...उनको वहां जाकर मुजरा करना है तो भी करें। मैं SC/ST/OBC आरक्षण के साथ डटकर खड़ा हूं...खड़ा रहूंगा, जब तक जान है लड़ता रहूंगा।

साथियों,

गरीब का ये बेटा जानता है कि जब किसी का हक छिनता है...जब किसी को उसका हक नहीं मिलता...तो उस पर क्या बीतती है। इसलिए मोदी ने गरीब को उसका हक दिया है। तभी हिंदुस्तान के हर कोने में ...दुनिया के लोगों को आश्चर्य होता है कि आज हजारों-लाखों की तादाद में माताएं-बहनें आती हैं, बैठ करके आशीर्वाद देती हैं। अपने घर का काम छोड़ कर आती हैं। आप याद कीजिए..देश के गोदामों में आनाज सड़ जाता था, लेकिन कांग्रेस सरकार सुप्रीम कोर्ट में जाकर कहती थी कि वो गरीबों को अनाज नहीं दे सकती और सुप्रीम कोर्ट टांग अड़ाना बंद कर दे, यहां तक चले गए थे वो लोग। मोदी ने हर जरूरतमंद के लिए गोदाम के दरवाजे खोल दिए। आज भी गरीबों को मुफ्त राशन मिलता है और ये मोदी की गारंटी है कि आने वाले पांच साल भी जिन परिवारों को मुफ्त राशन मिलता रहा है, मिलता रहेगा। आज कोई मां इसलिए रात-रात भर नहीं जागती...कि उसके बच्चे के पास खाने को कुछ नहीं है। हर गरीब का पेट भरे, ये मोदी की गारंटी है। कोई बच्चा भूखा सो ना जाए, गरीब के घर का चूल्हा बुझ ना जाए, इसलिए आपने मोदी को बिठाया है।

माताओं-बहनों,

आप में से बहुतों को मोदी ने जो पक्का आवास की योजना बनाई है, वो मिल चुका होगा। मेरा एक काम करोगे आप लोग जरा यहां जो बैठे हैं, जरा हाथ ऊपर करके बताएं, तो मैं बताऊं। मेरा एक काम करेंगे। उधर से आवाज नहीं आई, मेरा एक काम करेंगे। उधर माताओं-बहनों से आवाज नहीं आई, मेरा एक काम करेंगे। उधर पीछे से आवाज नहीं आई मेरा एक काम करेंगे। देखिए अगर आप गांव में जाते हैं, अलग-अलग बस्तियों में जाते हैं...लोगों से मिलते हैं और कहीं पर भी आपकी नजर में आए की कोई झुग्गी-झोंपड़ी में रहता है। कोई मिट्टी के कच्चे घर में रहता है तो आप उसका नाम-पता लिख करके मुझे दे दीजिए। आप उसका नाम-पता लिख करके मुझे भेज दीजिए और उसको कह देना...उसको बिना संकोच कह देना की 4 जून के बाद मोदी की सरकार जब तीसरी बार बनेगी तो तुम्हारे लिए घर भी बनेगा ये बता देना, ये मोदी की गारंटी है...कहना उनको और उस गरीब परिवार को कहना। मेरे लिए तो आप सभी मोदी हैं। 3 करोड़ पक्के घर बनाउंगा, लेकिन एक भी परिवार कच्चे घर या झोंपड़ी में रहने के लिए मजबूर ना हो, ये मैं करके रहूंगा। जिनको नहीं मिला उनको भी पक्का घर मिलेगा। अभी तक इसमें शौचालय, बिजली कनेक्शन, सस्ता सिलेंडर, नल और नल से जल...ये सबकुछ मिलता था। अब मोदी एक और काम करने वाला है, वो सबके लिए है, जितना अमीर हो वो भी फायदा ले सकता है, जितना भी गरीब हो वो भी ले सकता है। गांव वाला भी फायदा ले सकता है, शहर वाला भी ले सकता है। ऐसी योजना है कि आपको जीवन भर तकलीफ ही ना हो। और मोदी ने तय किया है आपका बिजली का बिल जीरो। बिजली का बिल जीरो। हमने पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना शुरु की है। छत पर सोलर पैनल लगेगा, उससे बिजली पैदा होगी, ये बिजली आपकी जरूरत के हिसाब से आप मुफ्त में उपयोग करेंगे और जो अतिरिक्त बिजली होगी ना वो सरकार खरीदेगी उसका पैसा देगी आपको। अबतक बिजली का बिल देते थे, अब बिजली का पैसा सरकार आपको देगी और ये काम करने के लिए...आपको लगता होगा कि मोदी बिजली का बिल जीरो तो ले आया..सोलर पैनल की बात तो कर रहा है...लगाएगा कौन..उसके लिए भी मोदी हर परिवार को 75 हजार रूपए देगा। और ये ऑनलाइन जाकर के अभी भी आप रजिस्ट्रेशन करवा सकते हो। योजना शुरू है..ऐसे ही खप्पड़बाजी नहीं है कि ये होगा तो वो होगा...योजना चालू है। आप आपना नाम रजिस्टर करवा दीजिए। जैसे -जैसे आगे बढ़ेगा...आपका नंबर लग जाएगा। बेटा तुम थक जाओगे...आप मुझे देना चाहते हैं, आप मेरे लिए लाए हैं..अच्छा मैं ले लेता हूं। मुझे बहुत दया आती है..तुम कब से खड़े हो भैया...लेकिन मैं देख रहा हूं तुमने बढ़िया बनाया है...तुमने तो मोदी भी बनाया है...पार्लियामेंट भी बनाया है..कमल भी बनाया है। सुंदर बनाया है...जरा कैमरे वाले भी इन बच्चों के फोटो ले लो। अच्छा पीछे अपना नाम लिखा है बेटा...अच्छा अपना नाम लिखना और मैं आपको चिट्ठी जरूर लिखूंगा। ये सबसे जो भी हैं, ले लीजिए भाई..इतने प्यार से बच्चे लेकर आए हैं...मेरा सौभाग्य है...ये बेटी भी कुछ लेकर आई है...ले लीजिए इससे ..ऐसा लग रहा है....बच्चों का इतना प्यार...कभी-कभी सोचता हूं कि ये कर्ज मैं कैसे उतारूंगा। मैं सबका आभारी हूं। साथियों, जितनी बिजली चाहिए मुफ्त उपयोग करो और बाकी सरकार को बेच कर कमाई भी कर लो।

|

भाइयों और बहनों,

नीतीश जी के नेतृत्व में NDA सरकार...बिहार को विकास की पटरी पर ले आई है। आने वाले 5 सालों में हमें बिहार में और तेज विकास करना है। आज उत्तर और दक्षिण बिहार...गंगा जी पर बन रहे दीघा-सोनपुर रेल रोड ब्रिज से जुड़ चुका है। NDA सरकार की पहचान ऐसे ही विकास के लिए है। आने वाले 5 साल भारतीय रेल के आधुनिकीकरण के स्वर्णिम साल होने वाले हैं। इसका सीधा फायदा पाटलीपुत्र को होगा...मेरे बिहार को होगा... यहां नई इंडस्ट्री आएगी...रोजगार के नए अवसर आएंगे। इसलिए...मेरे अनन्य साथी और मैं कहूंगा कुछ लोगों को राम के नाम से ही झगड़ा है। और इसलिए वो रामकृपाल नाम भी सहन नहीं करेंगे, ऐसे लोग जो है जिनको राम से घोर विरोध है, वो रामकृपाल नाम से भी उनके माथे के बाल खड़े हो जाएंगे। ऐसे रामकृपाल बाबू को आप प्रतिनीधि बनाकर दिल्ली भेजिए, ये मेरे हाथ मजबूत करेंगे। इसलिए मैं आपके पास आशीर्वाद मांगने आया हूं। और कमल पर पड़ा आपका हर वोट सीधे-सीधे मोदी के खाते में जाएगा। आप ज्यादा से ज्यादा मतदान कराएंगे। हर पोलिंग बूथ जीत कर दिखाएंगे..घर-घर जाएंगे।

मेरा एक काम करेंगे...ऐसे नहीं...हाथ ऊपर करके बताओ तो बोलूं...आप लोग करेंगे की नहीं करेंगे मालूम नहीं..माताएं-बहनें तो जरूर करेंगी। ये माताएं-बहनें तो पक्का करेंगी। जरा हाथ ऊपर करके बताइए मेरा एक काम करेंगे। ये चुनाव का काम नहीं है...मेरा पर्सनल है करेंगे...करेंगे। आप अपने क्षेत्र में अपने गांव में मंदिर होंगे.. देवीस्थान होंगे...वहां मेरी तरफ से जाकर मत्था टेक देना और ईश्वर से विकसित भारत बनाने के लिए आशीर्वाद ले लेना। हर मंदिर में मेरी तरफ से जाकर के मत्था टेकेंगे....हर तीर्थ क्षेत्र में मेरी तरफ से जाकर मत्था टेकेंगे। मेरे लिए और देश के लिए आशीर्वाद मांगेंगे। विकसित भारत बनाने का काम पक्का करेंगे। बोलिए...
भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

बहुत-बहुत धन्यवाद!

  • Jitendra Kumar April 17, 2025

    🙏🇮🇳❤️
  • Dheeraj Thakur March 05, 2025

    जय श्री राम जय श्री राम
  • Dheeraj Thakur March 05, 2025

    जय श्री राम
  • कृष्ण सिंह राजपुरोहित भाजपा विधान सभा गुड़ामा लानी November 21, 2024

    जय श्री राम 🚩 वन्दे मातरम् जय भाजपा विजय भाजपा
  • Devendra Kunwar October 08, 2024

    BJP
  • Rahul Rukhad October 06, 2024

    bjp
  • Amrita Singh September 26, 2024

    हर हर महादेव
  • दिग्विजय सिंह राना September 18, 2024

    हर हर महादेव
  • shailesh dubey August 20, 2024

    भारत माता की जय
  • Vivek Kumar Gupta August 13, 2024

    नमो ............ 🙏🙏🙏🙏🙏
Explore More
ਹਰ ਭਾਰਤੀ ਦਾ ਖੂਨ ਖੌਲ ਰਿਹਾ ਹੈ: ਮਨ ਕੀ ਬਾਤ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਮੋਦੀ

Popular Speeches

ਹਰ ਭਾਰਤੀ ਦਾ ਖੂਨ ਖੌਲ ਰਿਹਾ ਹੈ: ਮਨ ਕੀ ਬਾਤ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਮੋਦੀ
Japan enters top five export markets for India-made cars

Media Coverage

Japan enters top five export markets for India-made cars
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Urban areas are our growth centres, we will have to make urban bodies growth centres of economy: PM Modi in Gandhinagar
May 27, 2025
QuoteTerrorist activities are no longer proxy war but well thought out strategy, so the response will also be in a similar way: PM
QuoteWe believe in ‘Vasudhaiva Kutumbakam’, we don’t want enemity with anyone, we want to progress so that we can also contribute to global well being: PM
QuoteIndia must be developed nation by 2047,no compromise, we will celebrate 100 years of independence in such a way that whole world will acclaim ‘Viksit Bharat’: PM
QuoteUrban areas are our growth centres, we will have to make urban bodies growth centres of economy: PM
QuoteToday we have around two lakh Start-Ups ,most of them are in Tier2-Tier 3 cities and being led by our daughters: PM
QuoteOur country has immense potential to bring about a big change, Operation sindoor is now responsibility of 140 crore citizens: PM
QuoteWe should be proud of our brand “Made in India”: PM

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

क्यों ये सब तिरंगे नीचे हो गए हैं?

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

मंच पर विराजमान गुजरात के गवर्नर आचार्य देवव्रत जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्र में मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी मनोहर लाल जी, सी आर पाटिल जी, गुजरात सरकार के अन्य मंत्री गण, सांसदगण, विधायक गण और गुजरात के कोने-कोने से यहां उपस्थित मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

मैं दो दिन से गुजरात में हूं। कल मुझे वडोदरा, दाहोद, भुज, अहमदाबाद और आज सुबह-सुबह गांधी नगर, मैं जहां-जहां गया, ऐसा लग रहा है, देशभक्ति का जवाब गर्जना करता सिंदुरिया सागर, सिंदुरिया सागर की गर्जना और लहराता तिरंगा, जन-मन के हृदय में मातृभूमि के प्रति अपार प्रेम, एक ऐसा नजारा था, एक ऐसा दृश्य था और ये सिर्फ गुजरात में नहीं, हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने में है। हर हिन्दुस्तानी के दिल में है। शरीर कितना ही स्वस्थ क्यों न हो, लेकिन अगर एक कांटा चुभता है, तो पूरा शरीर परेशान रहता है। अब हमने तय कर लिया है, उस कांटे को निकाल के रहेंगे।

|

साथियों,

1947 में जब मां भारती के टुकड़े हुए, कटनी चाहिए तो ये तो जंजीरे लेकिन कांट दी गई भुजाएं। देश के तीन टुकड़े कर दिए गए। और उसी रात पहला आतंकवादी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ। मां भारती का एक हिस्सा आतंकवादियों के बलबूते पर, मुजाहिदों के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया। अगर उसी दिन इन मुजाहिदों को मौत के घाट उतार दिया गया होता और सरदार पटेल की इच्छा थी कि पीओके वापस नहीं आता है, तब तक सेना रूकनी नहीं चाहिए। लेकिन सरदार साहब की बात मानी नहीं गई और ये मुजाहिदीन जो लहू चख गए थे, वो सिलसिला 75 साल से चला है। पहलगाम में भी उसी का विकृत रूप था। 75 साल तक हम झेलते रहे हैं और पाकिस्तान के साथ जब युद्ध की नौबत आई, तीनों बार भारत की सैन्य शक्ति ने पाकिस्तान को धूल चटा दी। और पाकिस्तान समझ गया कि लड़ाई में वो भारत से जीत नहीं सकते हैं और इसलिए उसने प्रॉक्सी वार चालू किया। सैन्‍य प्रशिक्षण होता है, सैन्‍य प्रशिक्षित आतंकवादी भारत भेजे जाते हैं और निर्दोष-निहत्थे लोग कोई यात्रा करने गया है, कोई बस में जा रहा है, कोई होटल में बैठा है, कोई टूरिस्‍ट बन कर जा रहा है। जहां मौका मिला, वह मारते रहे, मारते रहे, मारते रहे और हम सहते रहे। आप मुझे बताइए, क्या यह अब सहना चाहिए? क्या गोली का जवाब गोले से देना चाहिए? ईट का जवाब पत्थर से देना चाहिए? इस कांटे को जड़ से उखाड़ देना चाहिए?

साथियों,

यह देश उस महान संस्कृति-परंपरा को लेकर चला है, वसुधैव कुटुंबकम, ये हमारे संस्कार हैं, ये हमारा चरित्र है, सदियों से हमने इसे जिया है। हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। हम अपने पड़ोसियों का भी सुख चाहते हैं। वह भी सुख-चैन से जिये, हमें भी सुख-चैन से जीने दें। ये हमारा हजारों साल से चिंतन रहा है। लेकिन जब बार-बार हमारे सामर्थ्य को ललकारा जाए, तो यह देश वीरों की भी भूमि है। आज तक जिसे हम प्रॉक्सी वॉर कहते थे, 6 मई के बाद जो दृश्य देखे गए, उसके बाद हम इसे प्रॉक्सी वॉर कहने की गलती नहीं कर सकते हैं। और इसका कारण है, जब आतंकवाद के 9 ठिकाने तय करके 22 मिनट में साथियों, 22 मिनट में, उनको ध्वस्त कर दिया। और इस बार तो सब कैमरा के सामने किया, सारी व्यवस्था रखी थी। ताकि हमारे घर में कोई सबूत ना मांगे। अब हमें सबूत नहीं देना पड़ रहा है, वो उस तरफ वाला दे रहा है। और मैं इसलिए कहता हूं, अब यह प्रॉक्सी वॉर नहीं कह सकते इसको क्योंकि जो आतंकवादियों के जनाजे निकले, 6 मई के बाद जिन का कत्ल हुआ, उस जनाजे को स्टेट ऑनर दिया गया पाकिस्तान में, उनके कॉफिन पर पाकिस्तान के झंडे लगाए गए, उनकी सेना ने उनको सैल्यूट दी, यह सिद्ध करता है कि आतंकवादी गतिविधियां, ये प्रॉक्सी वॉर नहीं है। यह आप की सोची समझी युद्ध की रणनीति है। आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा। हम अपने काम में लगे थे, प्रगति की राह पर चले थे। हम सबका भला चाहते हैं और मुसीबत में मदद भी करते हैं। लेकिन बदले में खून की नदियां बहती हैं। मैं नई पीढ़ी को कहना चाहता हूं, देश को कैसे बर्बाद किया गया है? 1960 में जो इंडस वॉटर ट्रीटी हुई है। अगर उसकी बारीकी में जाएंगे, तो आप चौक जाएंगे। यहाँ तक तय हुआ है उसमें, कि जो जम्मू कश्मीर की अन्‍य नदियों पर डैम बने हैं, उन डैम का सफाई का काम नहीं किया जाएगा। डिसिल्टिंग नहीं किया जाएगा। सफाई के लिए जो नीचे की तरफ गेट हैं, वह नहीं खोले जाएंगे। 60 साल तक यह गेट नहीं खोले गए और जिसमें शत प्रतिशत पानी भरना चाहिए था, धीरे-धीरे इसकी कैपेसिटी काम हो गई, 2 परसेंट 3 परसेंट रह गया। क्या मेरे देशवासियों को पानी पर अधिकार नहीं है क्या? उनको उनके हक का पानी मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए क्या? और अभी तो मैंने कुछ ज्यादा किया नहीं है। अभी तो हमने कहा है कि हमने इसको abeyance में रखा है। वहां पसीना छूट रहा है और हमने डैम थोड़े खोल करके सफाई शुरू की, जो कूड़ा कचरा था, वह निकाल रहे हैं। इतने से वहां flood आ जाता है।

साथियों,

हम किसी से दुश्मनी नहीं चाहते हैं। हम सुख-चैन की जिंदगी जीना चाहते हैं। हम प्रगति भी इसलिए करना चाहते हैं कि विश्व की भलाई में हम भी कुछ योगदान कर सकें। और इसलिए हम एकनिष्ठ भाव से कोटि-कोटि भारतीयों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं। कल 26 मई था, 2014 में 26 मई, मुझे पहली बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने का अवसर मिला। और तब भारत की इकोनॉमी, दुनिया में 11 नंबर पर थी। हमने कोरोना से लड़ाई लड़ी, हमने पड़ोसियों से भी मुसीबतें झेली, हमने प्राकृतिक आपदा भी झेली। इन सब के बावजूद भी इतने कम समय में हम 11 नंबर की इकोनॉमी से चार 4 नंबर की इकोनॉमी पर पहुंच गए क्योंकि हमारा ये लक्ष्य है, हम विकास चाहते हैं, हम प्रगति चाहते हैं।

|

और साथियों,

मैं गुजरात का ऋणी हूं। इस मिट्टी ने मुझे बड़ा किया है। यहां से मुझे जो शिक्षा मिली, दीक्षा मिली, यहां से जो मैं आप सबके बीच रहकर के सीख पाया, जो मंत्र आपने मुझे दिए, जो सपने आपने मेरे में संजोए, मैं उसे देशवासियों के काम आए, इसके लिए कोशिश कर रहा हूं। मुझे खुशी है कि आज गुजरात सरकार ने शहरी विकास वर्ष, 2005 में इस कार्यक्रम को किया था। 20 वर्ष मनाने का और मुझे खुशी इस बात की हुई कि यह 20 साल के शहरी विकास की यात्रा का जय गान करने का कार्यक्रम नहीं बनाया। गुजरात सरकार ने उन 20 वर्ष में से जो हमने पाया है, जो सीखा है, उसके आधार पर आने वाले शहरी विकास को next generation के लिए उन्होंने उसका रोडमैप बनाया और आज वो रोड मैप गुजरात के लोगों के सामने रखा है। मैं इसके लिए गुजरात सरकार को, मुख्यमंत्री जी को, उनकी टीम को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

हम आज दुनिया की चौथी इकोनॉमी बने हैं। किसी को भी संतोष होगा कि अब जापान को भी पीछे छोड़ कर के हम आगे निकल गए हैं और मुझे याद है, हम जब 6 से 5 बने थे, तो देश में एक और ही उमंग था, बड़ा उत्साह था, खासकर के नौजवानों में और उसका कारण यह था कि ढाई सौ सालों तक जिन्होंने हम पर राज किया था ना, उस यूके को पीछे छोड़ करके हम 5 बने थे। लेकिन अब चार बनने का आनंद जितना होना चाहिए उससे ज्यादा तीन कब बनोगे, उसका दबाव बढ़ रहा है। अब देश इंतजार करने को तैयार नहीं है और अगर किसी ने इंतजार करने के लिए कहा, तो पीछे से नारा आता है, मोदी है तो मुमकिन है।

और इसलिए साथियों,

एक तो हमारा लक्ष्य है 2047, हिंदुस्तान विकसित होना ही चाहिए, no compromise… आजादी के 100 साल हम ऐसे ही नहीं बिताएंगे, आजादी के 100 साल ऐसे मनाएंगे, ऐसे मनाएंगे कि दुनिया में विकसित भारत का झंडा फहरता होगा। आप कल्पना कीजिए, 1920, 1925, 1930, 1940, 1942, उस कालखंड में चाहे भगत सिंह हो, सुखदेव हो, राजगुरु हो, नेताजी सुभाष बाबू हो, वीर सावरकर हो, श्यामजी कृष्ण वर्मा हो, महात्मा गांधी हो, सरदार पटेल हो, इन सबने जो भाव पैदा किया था और देश की जन-मन में आजादी की ललक ना होती, आजादी के लिए जीने-मरने की प्रतिबद्धता ना होती, आजादी के लिए सहन करने की इच्छा शक्ति ना होती, तो शायद 1947 में आजादी नहीं मिलती। यह इसलिए मिली कि उस समय जो 25-30 करोड़ आबादी थी, वह बलिदान के लिए तैयार हो चुकी थी। अगर 25-30 करोड़ लोग संकल्पबद्ध हो करके 20 साल, 25 साल के भीतर-भीतर अंग्रेजों को यहां से निकाल सकते हैं, तो आने वाले 25 साल में 140 करोड़ लोग विकसित भारत बना भी सकते हैं दोस्तों। और इसलिए 2030 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, मैं समझता हूं कि हमने अभी से 30 में होंगे, 35… 35 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, हमने अभी से नेक्स्ट 10 ईयर का पहले एक प्लान बनाना चाहिए कि जब गुजरात के 75 होंगे, तब गुजरात यहां पहुंचेगा। उद्योग में यहां होगा, खेती में यहां होगा, शिक्षा में यहां होगा, खेलकूद में यहां होगा, हमें एक संकल्प ले लेना चाहिए और जब गुजरात 75 का हो, उसके 1 साल के बाद जो ओलंपिक होने वाला है, देश चाहता है कि वो ओलंपिक हिंदुस्तान में हो।

|

और इसलिए साथियों,

जिस प्रकार से हमारा यह एक लक्ष्य है कि हम जब गुजरात के 75 साल हो जाए। और आप देखिए कि जब गुजरात बना, उस समय के अखबार निकाल दीजिए, उस समय की चर्चाएं निकाल लीजिए। क्या चर्चाएं होती थी कि गुजरात महाराष्ट्र से अलग होकर क्या करेगा? गुजरात के पास क्या है? समंदर है, खारा पाठ है, इधर रेगिस्तान है, उधर पाकिस्तान है, क्या करेगा? गुजरात के पास कोई मिनरल्स नहीं, गुजरात कैसे प्रगति करेगा? यह ट्रेडर हैं सारे… इधर से माल लेते हैं, उधर बेचते हैं। बीच में दलाली से रोजी-रोटी कमा करके गुजारा करते हैं। क्‍या करेंगे ऐसी चर्चा थी। वही गुजरात जिसके पास एक जमाने में नमक से ऊपर कुछ नहीं था, आज दुनिया को हीरे के लिए गुजरात जाना जाता है। कहां नमक, कहां हीरे! यह यात्रा हमने काटी है। और इसके पीछे सुविचारित रूप से प्रयास हुआ है। योजनाबद्ध तरीके से कदम उठाएं हैं। हमारे यहां आमतौर पर गवर्नमेंट के मॉडल की चर्चा होती है कि सरकार में साइलोज, यह सबसे बड़ा संकट है। एक डिपार्टमेंट दूसरे से बात नहीं करता है। एक टेबल वाला दूसरे टेबल वाले से बात नहीं करता है, ऐसी चर्चा होती है। कुछ बातों में सही भी होगा, लेकिन उसका कोई सॉल्यूशन है क्या? मैं आज आपको बैकग्राउंड बताता हूं, यह शहरी विकास वर्ष अकेला नहीं, हमने उस समय हर वर्ष को किसी न किसी एक विशेष काम के लिए डेडिकेट करते थे, जैसे 2005 में शहरी विकास वर्ष माना गया। एक साल ऐसा था, जब हमने कन्या शिक्षा के लिए डेडिकेट किया था, एक वर्ष ऐसा था, जब हमने पूरा टूरिज्म के लिए डेडिकेट किया था। इसका मतलब ये नहीं कि बाकी सब काम बंद करते थे, लेकिन सरकार के सभी विभागों को उस वर्ष अगर forest department है, तो उसको भी अर्बन डेवलपमेंट में वो contribute क्या कर सकता है? हेल्थ विभाग है, तो अर्बन डेवलपमेंट ईयर में वो contribute क्या कर सकता है? जल संरक्षण मंत्रालय है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? टूरिज्म डिपार्टमेंट है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? यानी एक प्रकार से whole of the government approach, इस भूमिका से ये वर्ष मनाया और आपको याद होगा, जब हमने टूरिज्म ईयर मनाया, तो पूरे राज्य में उसके पहले गुजरात में टूरिज्म की कल्पना ही कोई नहीं कर सकता था। विशेष प्रयास किया गया, उसी समय ऐड कैंपेन चलाया, कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में, एक-एक चीज उसमें से निकली। उसी में से रण उत्‍सव निकला, उसी में से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बना। उसी में से आज सोमनाथ का विकास हो रहा है, गिर का विकास हो रहा है, अंबाजी जी का विकास हो रहा है। एडवेंचर स्पोर्ट्स आ रही हैं। यानी एक के बाद एक चीजें डेवलप होने लगीं। वैसे ही जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया।

और मुझे याद है, मैं राजनीति में नया-नया आया था। और कुछ समय के बाद हम अहमदाबाद municipal कॉरपोरेशन सबसे पहले जीते, तब तक हमारे पास एक राजकोट municipality हुआ करती थी, तब वो कारपोरेशन नहीं थी। और हमारे एक प्रहलादभाई पटेल थे, पार्टी के बड़े वरिष्ठ नेता थे। बहुत ही इनोवेटिव थे, नई-नई चीजें सोचना उनका स्वभाव था। मैं नया राजनीति में आया था, तो प्रहलाद भाई एक दिन आए मिलने के लिए, उन्होंने कहा ये हमें जरा, उस समय चिमनभाई पटेल की सरकार थी, तो हमने चिमनभाई और भाजपा के लोग छोटे पार्टनर थे। तो हमें चिमनभाई को मिलकर के समझना चाहिए कि यह जो लाल बस अहमदाबाद की है, उसको जरा अहमदाबाद के बाहर जाने दिया जाए। तो उन्होंने मुझे समझाया कि मैं और प्रहलाद भाई चिमनभाई को मिलने गए। हमने बहुत माथापच्ची की, हमने कहा यह सोचने जैसा है कि लाल बस अहमदाबाद के बाहर गोरा, गुम्‍मा, लांबा, उधर नरोरा की तरफ आगे दहेगाम की तरफ, उधर कलोल की तरफ आगे उसको जाने देना चाहिए। ट्रांसपोर्टेशन का विस्तार करना चाहिए, तो सरकार के जैसे सचिवों का स्वभाव रहता है, यहां बैठे हैं सारे, उस समय वाले तो रिटायर हो गए। एक बार एक कांग्रेसी नेता को पूछा गया था कि देश की समस्याओं का समाधान करना है तो दो वाक्य में बताइए। कांग्रेस के एक नेता ने जवाब दिया था, वो मुझे आज भी अच्छा लगता है। यह कोई 40 साल पहले की बात है। उन्होंने कहा, देश में दो चीजें होनी चाहिए। एक पॉलीटिशियंस ना कहना सीखें और ब्यूरोक्रेट हां कहना सीखे! तो उससे सारी समस्या का समाधान हो जाएगा। पॉलीटिशियंस किसी को ना नहीं कहता और ब्यूरोक्रेट किसी को हां नहीं कहता। तो उस समय चिमनभाई के पास गए, तो उन्‍होंने पूछा सबसे, हम दोबारा गए, तीसरी बार गए, नहीं-नहीं एसटी को नुकसान हो जाएगा, एसटी को कमाई बंद हो जाएगी, एसटी बंद पड़ जाएगी, एसटी घाटे में चल रही है। लाल बस वहां नहीं भेज सकते हैं, यह बहुत दिन चला। तीन-चार महीने तक हमारी माथापच्ची चली। खैर, हमारा दबाव इतना था कि आखिर लाल बस को लांबा, गोरा, गुम्‍मा, ऐसा एक्सटेंशन मिला, उसका परिणाम है कि अहमदाबाद का विस्तार तेजी से उधर सारण की तरफ हुआ, इधर दहेगाम की तरफ हुआ, उधर कलोल की तरह हुआ, उधर अहमदाबाद की तरह हुआ, तो अहमदाबाद की तरफ जो प्रेशर, एकदम तेजी से बढ़ने वाला था, उसमें तेजी आई, बच गए छोटी सी बात थी, तब जाकर के, मैं तो उस समय राजनीति में नया था। मुझे कोई ज्यादा इन चीजों को मैं जानता भी नहीं था। लेकिन तब समझ में आता था कि हम तत्कालीन लाभ से ऊपर उठ करके सचमुच में राज्य की और राज्य के लोगों की भलाई के लिए हिम्मत के साथ लंबी सोच के साथ चलेंगे, तो बहुत लाभ होगा। और मुझे याद है जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया, तो पहला काम आया, यह एंक्रोचमेंट हटाने का, अब जब एंक्रोचमेंट हटाने की बात आती हे, तो सबसे पहले रुकावट बनता है पॉलिटिकल आदमी, किसी भी दल का हो, वो आकर खड़ा हो जाता है क्योंकि उसको लगता है, मेरे वोटर है, तुम तोड़ रहे हो। और अफसर लोग भी बड़े चतुर होते हैं। जब उनको कहते हैं कि भई यह सब तोड़ना है, तो पहले जाकर वो हनुमान जी का मंदिर तोड़ते हैं। तो ऐसा तूफान खड़ा हो जाता है कि कोई भी पॉलिटिशयन डर जाता है, उसको लगता है कि हनुमान जी का मंदिर तोड़ दिया तो हो… हमने बड़ी हिम्मत दिखाई। उस समय हमारे …..(नाम स्पष्ट नहीं) अर्बन मिनिस्टर थे। और उसका परिणाम यह आया कि रास्ते चौड़े होने लगे, तो जिसका 2 फुट 4 फुट कटता था, वह चिल्लाता था, लेकिन पूरा शहर खुश हो जाता था। इसमें एक स्थिति ऐसी बनी, बड़ी interesting है। अब मैंने तो 2005 अर्बन डेवलपमेंट ईयर घोषित कर दिया। उसके लिए कोई 80-90 पॉइंट निकाले थे, बडे interesting पॉइंट थे। तो पार्टी से ऐसी मेरी बात हुई थी कि भाई ऐसा एक अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा, जरा सफाई वगैरह के कामों में सब को जोड़ना पड़ेगा ऐसा, लेकिन जब ये तोड़ना शुरू हुआ, तो मेरी पार्टी के लोग आए, ये बड़ा सीक्रेट बता रहा हूं मैं, उन्होंने कहा साहब ये 2005 में तो अर्बन बॉडी के चुनाव है, हमारी हालत खराब हो जाएगी। यह सब तो चारों तरफ तोड़-फोड़ चल रही है। मैंने कहा यार भई यह तो मेरे ध्यान में नहीं रहा और सच में मेरे ध्यान में वो चुनाव था ही नहीं। अब मैंने कार्यक्रम बना दिया, अब साहब मेरा भी एक स्वभाव है। हम तो बचपन से पढ़ते आए हैं- कदम उठाया है तो पीछे नहीं हटना है। तो मैंने मैंने कहा देखो भाई आपकी चिंता सही है, लेकिन अब पीछे नहीं हट सकते। अब तो ये अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा। हार जाएंगे, चुनाव क्या है? जो भी होगा हम किसी का बुरा करना नहीं चाहते, लेकिन गुजरात में शहरों का रूप रंग बदलना बहुत जरूरी है।

|

साथियों,

हम लोग लगे रहे। काफी विरोध भी हुआ, काफी आंदोलन हुए बहुत परेशानी हुई। यहां मीडिया वालों को भी बड़ा मजा आ गया कि मोदी अब शिकार आ गया हाथ में, तो वह भी बड़ी पूरी ताकत से लग गए थे। और उसके बाद जब चुनाव हुआ, देखिए मैं राजनेताओं को कहता हूं, मैं देश भर के राजनेता मुझे सुनते हैं, तो देखना कहता हूं, अगर आपने सत्यनिष्ठा से, ईमानदारी से लोगों की भलाई के लिए निर्णय करते हैं, तत्कालीन भले ही बुरा लगे, लोग साथ चलते हैं। और उस समय जो चुनाव हुआ 90 परसेंट विक्ट्री बीजेपी की हुई थी, 90 परसेंट यानी लोग जो मानते हैं कि जनता ये नहीं और मुझे याद है। अब यह जो यहां अटल ब्रिज बना है ना तो मुझे, यह साबरमती रिवर फ्रंट पर, तो पता नहीं क्यों मुझे उद्घाटन के लिए बुलाया था। कई कार्यक्रम थे, तो मैंने कहा चलो भई हम भी देखने जाते हैं, तो मैं जरा वो अटल ब्रिज पर टहलने गया, तो वहां मैंने देखा कुछ लोगों ने पान की पिचकारियां लगाई हुई थी। अभी तो उद्घाटन होना था, लेकिन कार्यक्रम हो गया था। तो मेरा दिमाग, मैंने कहा इस पर टिकट लगाओ। तो ये सारे लोग आ गए साहब चुनाव है, उसी के बाद चुनाव था, बोले टिकट नहीं लगा सकते मैंने कहा टिकट लगाओ वरना यह तुम्हारा अटल ब्रिज बेकार हो जाएगा। फिर मैं दिल्ली गया, मैंने दूसरे दिन फोन करके पूछा, मैंने कहा क्या हुआ टिकट लगाने का एक दिन भी बिना टिकट नहीं चलना चाहिए।

साथियों,

खैर मेरा मान-सम्मान रखते हैं सब लोग, आखिर के हमारे लोगों ने ब्रिज पर टिकट लगा दिया। आज टिकट भी हुआ, चुनाव भी जीते दोस्तों और वो अटल ब्रिज चल रहा है। मैंने कांकरिया का पुनर्निर्माण का कार्यक्रम लिया, उस पर टिकट लगाया तो कांग्रेस ने बड़ा आंदोलन किया। कोर्ट में चले गए, लेकिन वह छोटा सा प्रयास पूरे कांकरिया को बचा कर रखा हुआ है और आज समाज का हर वर्ग बड़ी सुख-चैन से वहां जाता है। कभी-कभी राजनेताओं को बहुत छोटी चीजें डर जाते हैं। समाज विरोधी नहीं होता है, उसको समझाना होता है। वह सहयोग करता है और अच्छे परिणाम भी मिलते हैं। देखिए शहरी शहरी विकास की एक-एक चीज इतनी बारीकी से बनाई गई और उसी का परिणाम था और मैं आपको बताता हूं। यह जो अब मुझ पर दबाव बढ़ने वाला है, वो already शुरू हो गया कि मोदी ठीक है, 4 नंबर तो पहुंच गए, बताओ 3 कब पहुंचोगे? इसकी एक जड़ी-बूटी आपके पास है। अब जो हमारे ग्रोथ सेंटर हैं, वो अर्बन एरिया हैं। हमें अर्बन बॉडीज को इकोनॉमिक के ग्रोथ सेंटर बनाने का प्लान करना होगा। अपने आप जनसंख्या के कारण वृद्धि होती चले, ऐसे शहर नहीं हो सकते हैं। शहर आर्थिक गतिविधि के तेजतर्रार केंद्र होने चाहिए और अब तो हमने टीयर 2, टीयर 3 सीटीज पर भी बल देना चाहिए और वह इकोनॉमिक एक्टिविटी के सेंटर बनने चाहिए और मैं तो पूरे देश की नगरपालिका, महानगरपालिका के लोगों को कहना चाहूंगा। अर्बन बॉडी से जुड़े हुए सब लोगों से कहना चाहूंगा कि वे टारगेट करें कि 1 साल में उस नगर की इकोनॉमी कहां से कहां पहुंचाएंगे? वहां की अर्थव्यवस्था का कद कैसे बढ़ाएंगे? वहां जो चीजें मैन्युफैक्चर हो रही हैं, उसमें क्वालिटी इंप्रूव कैसे करेंगे? वहां नए-नए इकोनॉमिक एक्टिविटी के रास्ते कौन से खोलेंगे। ज्यादातर मैंने देखा नगर पालिका की जो नई-नई बनती हैं, तो क्या करते हैं, एक बड़ा शॉपिंग सेंटर बना देते हैं। पॉलिटिशनों को भी जरा सूट करता है वह, 30-40 दुकानें बना देंगे और 10 साल तक लेने वाला नहीं आता है। इतने से काम नहीं चलेगा। स्टडी करके और खास करके जो एग्रो प्रोडक्ट हैं। मैं तो टीयर 2, टीयर 3 सीटी के लिए कहूंगा, जो किसान पैदावार करता है, उसका वैल्यू एडिशन, यह नगर पालिकाओं में शुरू हो, आस-पास से खेती की चीजें आएं, उसमें से कुछ वैल्यू एडिशन हो, गांव का भी भला होगा, शहर का भी भला होगा।

उसी प्रकार से आपने देखा होगा इन दिनों स्टार्टअप, स्टार्टअप में भी आपके ध्यान में आया होगा कि पहले स्‍टार्टअप बड़े शहर के बड़े उद्योग घरानों के आसपास चलते थे, आज देश में करीब दो लाख स्टार्टअप हैं। और ज्यादातर टीयर 2, टीयर 3 सीटीज में है और इसमें भी गर्व की बात है कि उसमें काफी नेतृत्व हमारी बेटियों के पास है। स्‍टार्टअप की लीडरशिप बेटियों के पास है। ये बहुत बड़ी क्रांति की संभावनाओं को जन्म देता है और इसलिए मैं चाहूंगा कि अर्बन डेवलपमेंट ईयर के जब 20 साल मना रहे हैं और एक सफल प्रयोग को हम याद करके आगे की दिशा तय करते हैं तब हम टीयर 2, टीयर 3 सीटीज को बल दें। शिक्षा में भी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज काफी आगे रहा, इस साल देख लीजिए। पहले एक जमाना था कि 10 और 12 के रिजल्ट आते थे, तो जो नामी स्कूल रहते थे बड़े, उसी के बच्चे फर्स्ट 10 में रहते थे। इन दिनों शहरों की बड़ी-बड़ी स्कूलों का नामोनिशान नहीं होता है, टीयर 2, टीयर 3 सीटीज के स्कूल के बच्चे पहले 10 में आते हैं। देखा होगा आपने गुजरात में भी यही हो रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि हमारे छोटे शहरों के पोटेंशियल, उसकी ताकत बढ़ रही है। खेल का देखिए, पहले क्रिकेट देखिए आप, क्रिकेट तो हिंदुस्तान में हम गली-मोहल्ले में खेला जाता है। लेकिन बड़े शहर के बड़े रहीसी परिवारों से ही खेलकूद क्रिकेट अटका हुआ था। आज सारे खिलाड़ी में से आधे से ज्यादा खिलाड़ी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज गांव के बच्चे हैं जो खेल में इंटरनेशनल खेल खेल कर कमाल करते हैं। यानी हम समझें कि हमारे शहरों में बहुत पोटेंशियल है। और जैसा मनोहर जी ने भी कहां और यहां वीडियो में भी दिखाया गया, यह हमारे लिए बहुत बड़ी opportunity है जी, 4 में से 3 नंबर की इकोनॉमी पहुंचने के लिए हम हिंदुस्तान के शहरों की अर्थव्यवस्था पर अगर फोकस करेंगे, तो हम बहुत तेजी से वहां भी पहुंच पाएंगे।

|

साथियों,

ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। दुर्भाग्य से हमारे देश में एक ऐसे ही इकोसिस्टम ने जमीनों में अपनी जड़े ऐसी जमा हुई हैं कि भारत के सामर्थ्य को हमेशा नीचा दिखाने में लगी हैं। वैचारिक विरोध के कारण व्यवस्थाओं के विकास का अस्वीकार करने का उनका स्वभाव बन गया है। व्यक्ति के प्रति पसंद-नापसंद के कारण उसके द्वारा किये गए हर काम को बुरा बता देना एक फैशन का तरीका चल पड़ा है और उसके कारण देश की अच्‍छी चीजों का नुकसान हुआ है। ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। अब आप देखिए, हमने शहरी विकास पर तो बल दिया, लेकिन वैसा ही जब आपने दिल्‍ली भेजा, तो हमने एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट, एस्पिरेशनल ब्लॉक पर विचार किया कि हर राज्य में एकाध जिला, एकाध तहसील ऐसी होती है, जो इतना पीछे होता है, कि वो स्‍टेट की सारी एवरेज को पीछे खींच ले जाता है। आप जंप लगा ही नहीं सकते, वो बेड़ियों की तरह होता है। मैंने कहा, पहले इन बेड़ियों को तोड़ना है और देश में 100 के करीब एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट उनको identify किया गया। 40 पैरामीटर से देखा गया कि यहां क्या जरूरत है। अब 500 ब्‍लॉक्‍स identify किए हैं, whole of the government approach के साथ फोकस किया गया। यंग अफसरों को लगाया गया, फुल टैन्‍यूर के साथ काम करें, ऐसा लगाया। आज दुनिया के लिए एक मॉडल बन चुका है और जो डेवलपिंग कंट्रीज हैं उनको भी लग रहा है कि हमारे यहां विकास के इस मॉडल की ओर हमें चलना चाहिए। हमारा academic world भारत के इन प्रयासों और सफल प्रयासों के विषय में सोचे और जब academic world इस पर सोचता है तो दुनिया के लिए भी वो एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में काम आता है।

साथियों,

आने वाले दिनों में टूरिज्म पर हमें बल देना चाहिए। गुजरात ने कमाल कर दिया है जी, कोई सोच सकता है। कच्छ के रेगिस्तान में जहां कोई जाने का नाम नहीं लेता था, वहां आज जाने के लिए बुकिंग नहीं मिलती है। चीजों को बदला जा सकता है, दुनिया का सबसे बड़ा ऊंचा स्टैच्यू, ये अपने आप में अद्भुत है। मुझे बताया गया कि वडनगर में जो म्यूजियम बना है। कल मुझे एक यूके के एक सज्‍जन मिले थे। उन्होंने कहा, मैं वडनगर का म्यूजियम देखने जा रहा हूं। यह इंटरनेशनल लेवल में इतने global standard का कोई म्यूजियम बना है और भारत में काशी जैसे बहुत कम जगह है कि जो अविनाशी हैं। जो कभी भी मृतप्राय नहीं हुए, जहां हर पल जीवन रहा है, उसमें एक वडनगर हैं, जिसमें 2800 साल तक के सबूत मिले हैं। अभी हमारा काम है कि वह इंटरनेशनल टूरिस्ट मैप पर कैसे आए? हमारा लोथल जहां हम एक म्यूजियम बना रहे हैं, मैरीटाइम म्यूजियम, 5 हजार साल पहले मैरीटाइम में दुनिया में हमारा डंका बजता था। धीरे-धीरे हम भूल गए, लोथल उसका जीता-जागता उदाहरण है। लोथल में दुनिया का सबसे बड़ा मैरीटाइम म्यूजियम बन रहा है। आप कल्पना कर सकते हैं कि इन चीजों का कितना लाभ होने वाला है और इसलिए मैं कहता हूं दोस्तों, 2005 का वो समय था, जब पहली बार गिफ्ट सिटी के आईडिया को कंसीव किया गया और मुझे याद है, शायद हमने इसका launching Tagore Hall में किया था। तो उसके बड़े-बड़े जो हमारे मन में डिजाइन थे, उसके चित्र लगाए थे, तो मेरे अपने ही लोग पूछ रहे थे। यह होगा, इतने बड़े बिल्डिंग टावर बनेंगे? मुझे बराबर याद है, यानी जब मैं उसका मैप वगैरह और उसका प्रेजेंटेशन दिखाता था केंद्र के कुछ नेताओं को, तो वह भी मुझे कह रहे थे अरे भारत जैसे देश में ये क्या कर रहे हो तुम? मैं सुनता था आज वो गिफ्ट सिटी हिंदुस्तान का हर राज्य कह रहा है कि हमारे यहां भी एक गिफ्ट सिटी होना चाहिए।

साथियों,

एक बार कल्पना करते हुए उसको जमीन पर, धरातल पर उतारने का अगर हम प्रयास करें, तो कितने बड़े अच्छे परिणाम मिल सकते हैं, ये हम भली भांति देख रहे हैं। वही काल खंड था, रिवरफ्रंट को कंसीव किया, वहीं कालखंड था जब दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम बनाने का सपना देखा, पूरा किया। वही कालखंड था, दुनिया का सबसे ऊंचा स्टैच्यू बनाने के लिए सोचा, पूरा किया।

भाइयों और बहनों,

एक बार हम मान के चले, हमारे देश में potential बहुत हैं, बहुत सामर्थ्‍य है।

|

साथियों,

मुझे पता नहीं क्यों, निराशा जैसी चीज मेरे मन में आती ही नहीं है। मैं इतना आशावादी हूं और मैं उस सामर्थ्य को देख पाता हूं, मैं दीवारों के उस पार देख सकता हूं। मेरे देश के सामर्थ्य को देख सकता हूं। मेरे देशवासियों के सामर्थ्य को देख सकता हूं और इसी के भरोसे हम बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं और इसलिए आज मैं गुजरात सरकार का बहुत आभारी हूं कि आपने मुझे यहां आने का मौका दिया है। कुछ ऐसी पुरानी-पुरानी बातें ज्यादातर ताजा करने का मौका मिल गया। लेकिन आप विश्वास करिए दोस्तों, गुजरात की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हम देने वाले लोग हैं, हमें देश को हमेशा देना चाहिए। और हम इतनी ऊंचाई पर गुजरात को ले जाए, इतनी ऊंचाई पर ले जाएं कि देशवासियों के लिए गुजरात काम आना चाहिए दोस्तों, इस महान परंपरा को हमें आगे बढ़ाना चाहिए। मुझे विश्वास है, गुजरात एक नए सामर्थ्य के साथ अनेक विद नई कल्पनाओं के साथ, अनेक विद नए इनीशिएटिव्स के साथ आगे बढ़ेगा मुझे मालूम है। मेरा भाषण शायद कितना लंबा हो गया होगा, पता नहीं क्या हुआ? लेकिन कल मीडिया में दो-तीन चीजें आएंगी। वो भी मैं बता देता हूं, मोदी ने अफसरों को डांटा, मोदी ने अफसरों की धुलाई की, वगैरह-वगैरह-वगैरह, खैर वो तो कभी-कभी चटनी होती है ना इतना ही समझ लेना चाहिए, लेकिन जो बाकी बातें मैंने याद की है, उसको याद कर करके जाइए और ये सिंदुरिया मिजाज! ये सिंदुरिया स्पिरिट, दोस्‍तों 6 मई को, 6 मई की रात। ऑपरेशन सिंदूर सैन्य बल से प्रारंभ हुआ था। लेकिन अब ये ऑपरेशन सिंदूर जन-बल से आगे बढ़ेगा और जब मैं सैन्य बल और जन-बल की बात करता हूं तब, ऑपरेशन सिंदूर जन बल का मतलब मेरा होता है जन-जन देश के विकास के लिए भागीदार बने, दायित्‍व संभाले।

हम इतना तय कर लें कि 2047, जब भारत के आजादी के 100 साल होंगे। विकसित भारत बनाने के लिए तत्काल भारत की इकोनॉमी को 4 नंबर से 3 नंबर पर ले जाने के लिए अब हम कोई विदेशी चीज का उपयोग नहीं करेंगे। हम गांव-गांव व्यापारियों को शपथ दिलवाएं, व्यापारियों को कितना ही मुनाफा क्यों ना हो, आप विदेशी माल नहीं बेचोगे। लेकिन दुर्भाग्य देखिए, गणेश जी भी विदेशी आ जाते हैं। छोटी आंख वाले गणेश जी आएंगे। गणेश जी की आंख भी नहीं खुल रही है। होली, होली रंग छिड़कना है, बोले विदेशी, हमें पता था आप भी अपने घर जाकर के सूची बनाना। सचमुच में ऑपरेशन सिंदूर के लिए एक नागरिक के नाते मुझे एक काम करना है। आप घर में जाकर सूची बनाइए कि आपके घर में 24 घंटे में सुबह से दूसरे दिन सुबह तक कितनी विदेशी चीजों का उपयोग होता है। आपको पता ही नहीं होता है, आप hairpin भी विदेशी उपयोग कर लेते हैं, कंघा भी विदेशी होता है, दांत में लगाने वाली जो पिन होती है, वो भी विदेशी घुस गई है, हमें मालूम तक नहीं है। पता ही नहीं है दोस्‍तों। देश को अगर बचाना है, देश को बनाना है, देश को बढ़ाना है, तो ऑपरेशन सिंदूर यह सिर्फ सैनिकों के जिम्‍मे नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर 140 करोड़ नागरिकों की जिम्‍मे है। देश सशक्त होना चाहिए, देश सामर्थ्‍य होना चाहिए, देश का नागरिक सामर्थ्यवान होना चाहिए और इसके लिए हमने वोकल फॉर लोकल, वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट, मैं मेरे यहां, जो आपके पास है फेंक देने के लिए मैं नहीं कह रहा हूं। लेकिन अब नया नहीं लेंगे और शायद एकाध दो परसेंट चीजें ऐसी हैं, जो शायद आपको बाहर की लेनी पड़े, जो हमारे यहां उपलब्ध ना हो, बाकि आज हिंदुस्तान में ऐसा कुछ नहीं। आपने देखा होगा, आज से पहले 25 साल 30 साल पहले विदेश से कोई आता था, तो लोग लिस्ट भेजते थे कि ये ले आना, ये ले आना। आज विदेश से आते हैं, वो पूछते हैं कि कुछ लाना है, तो यहां वाले कहते हैं कि नहीं-नहीं यहां सब है, मत लाओ। सब कुछ है, हमें अपनी ब्रांड पर गर्व होना चाहिए। मेड इन इंडिया पर गर्व होना चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर सैन्‍य बल से नहीं, जन बल से जीतना है दोस्तों और जन बल आता है मातृभूमि की मिट्टी में पैदा हुई हर पैदावार से आता है। इस मिट्टी की जिसमें सुगंध हो, इस देश के नागरिक के पसीने की जिसमें सुगंध हो, उन चीजों का मैं इस्तेमाल करूंगा, अगर मैं ऑपरेशन सिंदूर को जन-जन तक, घर-घर तक लेकर जाता हूं। आप देखिए हिंदुस्तान को 2047 के पहले विकसित राष्ट्र बनाकर रहेंगे और अपनी आंखों के सामने देखकर जाएंगे दोस्तों, इसी इसी अपेक्षा के साथ मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए,

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

भारत माता की जय! जरा तिरंगे ऊपर लहराने चाहिए।

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

धन्यवाद!