On one side there is Congress and BRS and on the other side is BJP. They have the mentality to rule the people while BJP is dedicated to serving the people: PM Modi
Only BJP can guarantee social justice to the people of Telangana. Only BJP can take Telangana on the golden path of development: PM Modi in Secunderabad
The BJP made the laws, about the atrocities on SC and ST, stricter. We ensured that the poor got a bank account, gas connection, toilet, homes: PM Modi
BRS government allied with Delhi's AAP govt in corruption. They are involved in the Liquor Scam. They cooperate not in work but in corruption: PM Modi

भारत माता की जय, भारत माता की जय
देवी सम्मक्का सरलअम्मा की जय
यदाद्री लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी की जय
अनगरिना वर्गाला विश्वरूप महासभा कि वच्चिना ना बंधुवुलकु ना सुभाकांक्षलु
जी किशन रेड्डी जी, मेरा छोटा भाई मन्दा कृष्ण मादिगा जी, दूर-दूर से आए मादिगा समुदाय के मेरे भाइयों और बहनों, अन्य महानुभाव।

देवियों और सज्जनों,
तेलंगाना के मेहनती और प्रतिभाशाली लोगों के बीच आना, हमेशा ही एक सुखद अनुभव होता है। और त्योहार के इस माहौल में, जब हम अपने परिवार के बीच होते हैं, तो खुशी दोगुनी हो जाती है। मैं तेलंगाना के दलित समुदाय का, तेलंगाना के मादिगा समुदाय का इस विशेष आयोजन में अभिनंदन करता हूं। मैं मेरे छोटे भाई कृष्णा का आभारी हूं। मैं आप सबका भी आभारी हूं क्योंकि आपने मुझे इतनी आत्मीयता से इस कार्यक्रम में आने का निमंत्रण दिया।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
आजादी के बाद आपने देश में बहुत सी सरकारें देखी हैं। हमारी सरकार ऐसी है जिसकी सर्वोच्च प्राथमिकता गरीब कल्याण है, वंचितों को वरीयता देना है। बीजेपी जिस मंत्र पर चलती है, वो सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास है। हम सोशल जस्टिस-सामाजिक न्याय सुनिश्चित कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम तेलंगाना की धरती के महान सपूत, श्री गुर्रम जशुवा जी और उनके सामाजिक न्याय के कार्यों को अपनी प्रेरणा मानते हैं। मुझे बताया गया है कि अपने लिखे साहित्य में उन्होंने एक दलित भाई का वर्णन किया था जिन्होंने काशी में विराजमान बाबा विश्वनाथ को अपनी दुर्दशा बताई थी। काशी का सांसद होने के नाते इसे मैं अपना सौभाग्य समझता हूं कि आज मुझे आपके बीच आने, आपसे सुख-दुख साझा करने का अवसर मिला है। मुझे लगता है कि आज बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से ही मैं आप सबके बीच यहां उपस्थित हूं।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
मैं आज इस अवसर पर मादिगा समुदाय के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाली टीएन सदालक्ष्मी जी और टीवी नारायणा जी को श्रद्धापूर्वक याद कर रहा हूं। इन महान व्यक्तित्वों ने मादिगा समुदाय के हितों के लिए अपना जीवन खपाया है। मैं उन्हें नमन करता हूं। और मेरा छोटा भाई कृष्णा 30 साल से वन लाइफ वन मिशन, आपके हक के लिए लड़ाई लड़ रहा है। कृष्णा आपको बहुत साथी मिले, लड़ने के लिए। आज एक साथी और जोड़ दो। मादिगा समुदाय के मेरे भाइयों-बहनों और कृष्णा, मैं आज आपसे कुछ मांगने के लिए नहीं आया हूं। मैं आज आया हूं आपके बीच आजादी के बाद जितनी भी पोलिटिकल पार्टियों, जितने भी पोलिटिकल लीडर्स ने आपको वादा किया, आपसे धोखा किया, मैं आज एक पोलिटिकल बिरादरी का होने के नाते उनके पापों की क्षमा मांगने के लिए और उनके लिए पापों का प्रायश्चित करने आया हूं।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
तेलंगाना आज इतिहास के एक बेहद अहम मोड़ पर खड़ा है। दशकों के आंदोलन के बाद 10 साल पहले जो सरकार यहां बनी, वो तेलंगाना के गौरव की, तेलंगाना के सम्मान की रक्षा नहीं कर पाई। तेलंगाना के लोगों के सामर्थ्य की पूरी दुनिया प्रशंसा करती है लेकिन जब बात यहां की गवर्नमेंट की आती है, गवर्नेंस की आती है, तो हर कोई निराश हो जाता है। इन 10 वर्षों में तेलंगाना सरकार ने हर किसी के साथ, मादिगा समुदाय के साथ सिर्फ विश्वासघात किया है। कौन भूल सकता है कि कांग्रेस ने किस तरह तेलंगाना के निर्माण में बाधाएं खड़ी की थीं। लेकिन जब अनेक बलिदानों के बाद तेलंगाना बना, तो BRS के नेता आपको भूलकर सबसे पहले कांग्रेस के नेताओं को धन्यवाद करने गए। आंदोलन के दिनों में आपसे ये वादा किया गया था कि किसी दलित को ही तेलंगाना का पहला सीएम बनाया जाएगा। लेकिन राज्य के निर्माण के बाद, हर दलित आकांक्षा को कुचलते हुए सीएम की कुर्सी पर KCR ने कब्जा कर लिया। BRS ने दलितों को जमीन देने का भी वादा किया था। क्या उन्होंने ये वादा पूरा किया? BRS ने आपको दलित बंधु स्कीम के जरिए हजारों करोड़ रुपये देने की बात कही थी। क्या आपको इसका लाभ हुआ? सच्चाई ये है कि ये स्कीम BRS विधायकों के रिश्तेदारों की स्कीम बन गई है। कोर्ट तक को ये कहना पड़ा कि दलित बंधु स्कीम के लाभार्थियों का चयन निष्पक्ष होना चाहिए। यहां की सरकार ने किसानों के लोन माफ करने का भी वादा किया था। लेकिन किसानों को इसका भी लाभ नहीं मिला। यहां की सरकार ने Irrigation Schemes के बदले आप लोगों को Irrigation Scams दिए हैं।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
मैं मादिगा समुदाय के आप सभी भाई-बहनों को, ये स्पष्ट रूप से कहूंगा। आपको जितना BRS से सतर्क रहना है उतना ही कांग्रेस से भी सावधान रहना है। BRS दलित विरोधी है और कांग्रेस भी उससे कम नहीं है। BRS ने नए संविधान की मांग करके बाबा साहेब आंबेडकर का अपमान किया तो कांग्रेस का इतिहास भी कुछ ऐसा ही है। ये कांग्रेस ही है जिसने बाबा साहेब का विरोध करके उन्हें दो बार चुनाव नहीं जीतने दिया। कांग्रेस ने दशकों तक पुरानी संसद भवन के सेंट्रल हॉल में बाबा साहब की फोटो नहीं लगने दी। कांग्रेस की वजह से ही दशकों तक बाबा साहेब को भारत रत्न तक नहीं दिया गया। सेंट्रल हॉल में बाबा साहेब की तस्वीर हो या फिर भारत रत्न, ये तब संभव हुआ, जब केंद्र में बीजेपी के समर्थन से सरकार बनी।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
बीआरएस की तरह ही कांग्रेस का इतिहास भी, दलितों से, पिछड़ों से नफरत का रहा है। इसका एक बड़ा उदाहरण बाबू जगजीवन राम थे, जिन्हें कांग्रेस के अपमान का सामना करना पड़ा। जब बीजेपी ने रामनाथ कोविंद जी को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया तो कांग्रेस ने उन्हें हराने के लिए पूरी ताकत लगा दी। दलित समाज से आने वाले कोविंद जी जब राष्ट्रपति बन गए, तो पूरे देश के राष्ट्रपति थे, हम सबके राष्ट्रपति थे, लेकिन तब भी कांग्रेस ने उनका तिरस्कार किया। (जरा बिजली के लोग वहां देख लें, शायद वहां शार्ट सर्किट न हो, और वहां सब साथियों से रिक्वेस्ट है थोड़ा दूर रहें वहां से...प्लीज) जब बीजेपी ने एक महिला को भारत का पहला आदिवासी राष्ट्रपति बनाने का प्रस्ताव रखा, तो कांग्रेस ने द्रौपदी मुर्मू जी का भी विरोध किया। उन्हें भी अपमानित करने का कांग्रेस कोई मौका नहीं छोड़ती। साथियों, राजस्थान में जन्मे हुए और राजस्थान से आकर तेलंगाना को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले दलित अफसर हीरालाल सामरिया को कुछ दिन पहले ही Chief Information Commissioner बनाया गया है। पहला दलित अफसर, जो देश का पहला Chief Information Commissioner बना। कांग्रेस नहीं चाहती थी कि एक दलित अफसर इतना बड़ा दायित्व संभाले, इसलिए जिस बैठक में ये अहम निर्णय लिया गया, कांग्रेस ने उसका भी बहिष्कार किया। उनका शपथ समारोह हुआ, उसका भी बहिष्कार किया।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
कांग्रेस ने इन दिनों जिस इंडी अलायंस का छाता खोल रखा है, उसमें बिहार के मुख्यमंत्री भी हैं जो जातिवादी राजनीति का झंडा लेकर घूमते हैं। मुझे याद है, उन्होंने मेरे करीबी दोस्त और दलित नेता राम विलास पासवान जी का लगातार अपमान किया था। यहां तक कि जब राम विलास पासवान जी को राज्यसभा सीट की बात आई थी, तो भी वो समर्थन देने में आनाकानी कर रहे थे। मैंने राम विलास पासवान जी के बेटे चिराग पासवान में इस दुख को हमेशा महसूस किया है। अभी हमने दो दिन पहले ही देखा है कि बिहार के उन्हीं सीएम ने सदन के फ्लोर पर एक और दलित नेता का, वहां के पूर्व सीएम का अपमान किया है। वहां के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी, जो दलितों में भी अति दलित हैं, जिन्होंने अपने जीवन में बहुत ही संघर्ष किया है, उनको बिहार के सीएम ने भरे सदन में बुरी तरह अपमानित किया। बहुत ही निर्लज्जता के साथ जीतन बाबू को ये जताने की कोशिश की गई कि वो सीएम पद के योग्य नहीं थे। ये अहंकार की भावना, दलितों का अपमान करने की भावना कांग्रेस और उसके सहयोगियों की पहचान है।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
भ्रष्टाचार के मामले में भी कांग्रेस और बीआरएस, एक दूसरे से अलग नहीं हैं। भारत में सामान्य तौर पर अलग-अलग राज्य, विकास योजनाओं के लिए दूसरे राज्यों के साथ cooperation करते हैं। लेकिन बीआरएस की सरकार ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर हजारों करोड़ रुपए का शराब घोटाला कर दिया है। ये लोग काम में नहीं, corruption में cooperation करते हैं। और मैं तेलंगाना के लोगों को ये स्पष्ट तस्वीर भी देखने को कहूंगा। दिल्ली में कांग्रेस की कट्टर सहयोगी आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर तेलंगाना की बीआरएस पार्टी कट्टर भ्रष्टाचार करती है। और फिर यहां वही बीआरएस, कांग्रेस के खिलाफ लड़ने का ड्रामा भी कर रही है। तेलंगाना के लोगों को इस दोहरेपन से भी बहुत सावधान रहना है।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
कांग्रेस और बीआरएस दोनों मिले हुए, पर्दे के पीछे उनके खेल अलग हैं। कांग्रेस और बीआरएस एक तरफ हैं और दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी है। उनमें राज करने की मानसिकता है, बीजेपी में सेवा करने का संकल्प है। हमने एससी और एसटी लोगों पर अत्याचार से जुड़े कानून को और सख्त किया। हमने ये सुनिश्चित किया कि गरीबों को Bank Account, गरीबों को Toilets, गरीबों को Gas Connections, गरीबों को Loans, गरीबों को पक्के घर, गरीबों को किसी चीज की दिक्कत ना हो। इन सारी योजनाओं में एससी, एसटी, ओबीसी समाज के लोगों को सबसे अधिक लाभ दिया गया है।

 

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
आज Standup इंडिया जैसी स्कीम्स SC-ST को करोड़ों रुपये का लोन देकर उन्हें Entrepreneur बना रही हैं। मुद्रा लोन का सबसे अधिक लाभ, एससी एसटी और ओबीसी समुदाय के मेरे भाइयों और बहनों को ही हुआ है। पीएम आवास योजना के तहत करोड़ों घर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आवंटित किए गए हैं। पिछले 9 वर्षों में तेलंगाना में ही 13 लाख से ज्यादा SC छात्रों को करीब 1,000 करोड़ रुपये की scholarship दी गई है।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
अभी कुछ महीनों पहले ही बीजेपी सरकार ने पीएम विश्वकर्मा योजना भी शुरू की है। हमारे कुम्हार हों, सुनार हों, सुथार हों, मूर्तिकार हों, ऐसे 18 प्रोफेशन से जुड़े लोगों पर केंद्र सरकार 13 हजार करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है। चाहे राज्य में हो या राष्ट्र के स्तर पर, बीजेपी निरंतर वंचितों के विकास के लिए काम कर रही है।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
अपने गरीब भाई-बहनों का ध्यान रखते हुए बीजेपी सरकार ने पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को भी, गरीबों को जो मुफ्त राशन देते हैं, 80 करोड़ लोगों को, उनका घर का चूल्हा जलता रहे, गरीब के घर बच्चा भूखा सो न जाए, इसलिए गरीब कल्याण अन्न योजना चल रही है। यही दिसंबर में उसका काम पूरा हो रहा था। लेकिन गरीब मां की गोद से पैदा हुआ ये बेटा अब गरीबों को ऐसे छोड़ नहीं सकता और इसीलिए मैंने संकल्प किया है कि अगले 5 साल के लिए ये योजना को आगे बढ़ा दिया जाएगा। अब यहां तेलंगाना में भी लाखों साथियों को 5 साल तक मुफ्त राशन मिलता रहेगा। केंद्र सरकार, तेलंगाना के किसानों का हित देखते हुए पैडी की सरकारी ख़रीद को भी लगातार बढ़ा रही है। बीते वर्षों में यहां पैडी की 1 लाख 30 हजार करोड़ रुपए से ज़्यादा की ख़रीद हुई है। केंद्र सरकार किसानों से boiled राइस भी लेती है। अब हमारी सरकार ने ये निश्चय किया है इस ख़रीफ़ सीज़न में तेलंगाना के किसानों से 20 लाख मीट्रिक टन boiled राइस अतिरिक्त खरीदा जाएगा। इससे MSP का और ज़्यादा लाभ हमारे किसान को मिलेगा। मेरा यहां की राज्य सरकार को भी कहना है कि इस काम में ढिलाई ना बरतें, ये किसानों के हक का काम है, उनके फायदे का निर्णय है...इसमें कोई चुनाव की आचार संहिता बीच में नहीं आनी चाहिए।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
तेलंगाना की इस विकास यात्रा में मादिगा समुदाय के साथ जो अन्याय हुआ है, उसे बीजेपी भली-भांति समझती है। मेरा सौभाग्य रहा, आप मुझे प्रधानमंत्री के रूप में, प्रधान सेवक के रूप में जानते हो, लेकिन आप में से बहुत कम लोगों को पता होगा कि बंगारू लक्ष्मण जी मेरे नेता थे। वो मेरी पार्टी के अध्यक्ष थे और मैं उनके अंडर में काम करता था। वो मेरा मार्गदर्शन करते थे, उन्होंने मुझे ट्रेन किया, एक कार्यकर्ता के रूप में संगठन का काम सिखाया। मेरे लिए गर्व की बात है कि मैं बंगारू लक्ष्मण के साथ उनके हाथ के नीचे काम करने वाला कार्यकर्ता रहा हूं। इसीलिए आपको भलीभांति जानता हूं।

मेरे परिवारजनों,
मैं आज बहुत भावुक हूं। आप कल्पना करिए, कृष्णा ने 30 साल अपनी जवानी पूरी खपा दी, इतना बड़ा आंदोलन अनवरत रूप से चलाया, कृष्णा मेरा छोटा भाई है। भारतीय जनता पार्टी में जैसे बंगारू लक्ष्मण के नेतृत्व में जैसे मुझे काम करने का सौभाग्य मिला, वैसा ही मैं आज इतने बड़े सामने समाज के साथ खड़े होकर कहना चाहता हूं, कि अब मुझे कृष्णा भले मेरा छोटा भाई है, लेकिन उसके नेतृत्व में आपके लिए काम करने का सौभाग्य मिला है। मैं आज कृष्णा के माता-पिता को भी आज आदरपूर्वक, श्रद्धापूर्वक प्रणाम करता हूं जिन्होंने ऐसे बेटे को जन्म दिया, जो समाज के हित के लिए 30 साल तक जूझता रहा, लड़ता रहा, हर किसी के पास पहुंचता रहा, मैं उस कृष्णा का आदर करता हूं, उसको जन्म देने वाले माता-पिता को भी श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। मैं आज जैसा मैंने कहा मेरे लिए बहुत भावुक पल है। मैं आज मादिगा समाज के हर व्यक्ति को बहुत आदर के साथ प्रणाम करता हूं। जिन्होंने 30 साल अपने न्याय के लिए लड़ाई लड़ी और पूरी तरह अहिंसक लड़ाई रही। इतना बड़ा आंदोलन, इतना लंबा समय, पूरी तरह अहिंसा, आपने जग्गू बाबू को भी बचाया, आपने बाबा साहेब अंबेडकर को भी बचाया और आपने बंगारू लक्ष्मण जी को भी बचाया और इसलिए मैं विशेष रूप से आप सबके इस आंदोलन की पवित्रता के लिए श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं।

भारतीय जनता पार्टी पिछले तीन दशक से हर संघर्ष में आपके साथ खड़ी रही है। हम जल्द से जल्द इस अन्याय का अंत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मैं जानता हूं कि यहां पर ऐसे कई लोग हैं, जिन्होंने अपने अधिकारों के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया है। ये हमारा वादा है कि हम जल्द ही एक कमिटी का गठन करेंगे, जो आपके सशक्तिकरण के हर रास्ते को अपनाएगी। हम और आप ये भी जानते हैं कि एक बड़ी न्यायिक प्रक्रिया, सुप्रीम कोर्ट में भी चल रही है। आपकी इस लड़ाई को हम न्याय की लड़ाई मानते हैं। बाबा साहेब आंबेडकर ने हमें जो संविधान बनाया, उस संविधान ने न्य़ाय की जिम्मेदारी मुझपर दी है। हम उस न्याय को सुनिश्चित करा करके ही रहेंगे। अदालत में भी आपको न्याय मिले, ये भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। पूरी मजबूती के साथ भारत सरकार न्याय के पक्ष में आपके साथी बनकर के खड़ी रहेगी।

(बेटे, बेटी, बेटा आप नीचे आओ बेटा... बेटा नीचे आओ...बेटा नीचे आओ...देखिए बेटा आपको चोट पहुंचेगी...बेटा ये अच्छा नहीं है। बेटा ये तार इसका बिगड़ा हुआ है बेटा...हम आपके साथ हैं बेटा, प्लीज। आप नीचे आइए बेटा...बेटा आप नीचे आइए...देखिए बेटा...ये तार की स्थिति अच्छी नहीं है बेटा। प्लीज बेटा नीचे आइए...बेटा मैं आपकी बात सुनूंगा...बैठिए बेटा...बेटा नीचे आइए...ये वहां पर शार्ट सर्किट है, बेटा नीचे आइए...नहीं बेटा ये ठीक नहीं है...बेटा यहां ऐसा करने से लाभ नहीं होगा। मैं यहां आपके लिए आया हूं। प्लीज...आप कृष्णा जी की बात मानिए बेटा...आप कृष्णा जी की बात मानिए...आप कृष्णा जी की बात मानिए बेटा....थैंक्यू बेटा।)

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
बीजेपी ही तेलंगाना के लोगों को सामाजिक न्याय की गारंटी दे सकती है। बीजेपी ही तेलंगाना को विकास के स्वर्णिम रास्ते पर ले जा सकती है। मुझे विश्वास है, बीजेपी और आपका सहयोग, आपका साथ, तेलंगाना डबल इंजन सरकार के गठन में अहम भूमिका निभाएगा।

मेरे भाइयों-बहनों,
मैं एक महत्वपूर्ण बात यहां से बताकर जाना चाहता हूं। अगर मेरी बात आपको अच्छी लगे, सही लगे, तो आप सब अपने मोबाइल फोन निकाल करके उसकी फ्लैश लाइट चालू करके मुझे आशीर्वाद देना। आज से इस आंदोलन में कृष्णा मेरा नेता है। मैं उसका असिस्टेंट हूं। और मैं आपके लिए पूरे दायित्व के साथ इस न्याय की लड़ाई में साथ रहूंगा। आप सभी यहां आए, हमें आशीर्वाद दिया, इसके लिए आप सबका फिर एक बार बहुत-बहुत धन्यवाद। और इस आंदोलन में मेरे नेता कृष्णा है। मैं कृष्णा का साथी हूं। और मैं कृष्णा के नेतृत्व में आपके साथ खड़ा हूं।

बोलिए,
भारत माता की...जय
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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!