QuotePM Modi hails new budget, says imperative to build new India on foundation of self-reliance
QuoteIn 2013-14, India's exports stood at Rs 2.85 lakh crore. Today, it has achieved Rs 4.7 lakh crore: PM Modi
QuoteReforms have expanded economy, says PM Modi about the Budget at Aatmanirbhar Arthvyavastha programme
QuoteKen-Betwa river interlinking project is set to change face of Bundelkhand spanning Madhya Pradesh & Uttar Pradesh: PM Modi
QuoteBudget 2022 focus is on providing basic necessities to poor, middle class, youth: PM Modi
QuotePM Modi calls Budget 2022 a bold move to turn a crisis into an opportunity
QuoteMigration from border villages not good for national security; budget has provisions to develop 'vibrant villages' on border: PM
QuoteBudget has envisioned 2,500-km long natural farming corridor along banks of River Ganga, will also help Clean Ganga mission: PM Modi

नमस्कार !

देशभर से जुड़े भारतीय जनता पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं का बहुत-बहुत अभिवादन! मैं सबसे पहले तो हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान नड्डा जी का बहुत आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने आज इस कार्यक्रम की रचना की और मुझे भी खास कर बजट के पीछे हमारी सोच क्या है, वो पार्टी के कार्यकर्ताओं के सामने प्रस्तुत करने का आवसर दिया है। वैसे कल निर्मला जी ने बहुत ही खूबसूरती से, बहुत ही अच्छे ढंग से और बड़ी कोशिश करके, कम समय में, बजट के कुछ पहलुओं को हमारे सामने रखा है। बजट स्पीच में पूरा बजट तो संभव नहीं होता, क्योंकि बजट अपने आप में बहुत बड़ा दस्तावेज होता है, बहुत बारिकियां होती हैं और सदन में उन सब चीजों पर बोलना संभव भी नहीं होता है। मैं भी आज आपसे जो बात करूंगा, वो भी शायद बजट का एक बहुत छोटा सा हिस्सा बोल पाऊंगा। क्योंकि इसमें इतने विषय होते हैं, लेकिन जब विभागवार चर्चाएं होती हैं और ये साल भर का काम है, उसको एक घंटे में बता देना बड़ा कठिन होता है। फिर भी जब अध्यक्ष जी ने कहा कि इसके पीछे सरकार की सोच क्या है, जरा आप बताएं तो अच्छा होगा, तो मैने कहा ठीक है, पार्टी के आदेश मेरे सर आंखों पर है और आज लोकसभा भी दोपहर के बाद है, तो मैने कहा ठीक है आज सुबह हम बात कर सकते हैं। तो फिर इसलिए आपके बीच मुझे आने का मौका मिला है।

साथियों,

आज देश आजादी के 75वें वर्ष में है और इस समय, 100 साल में आई सबसे बड़ी वैश्वीक महामारी से आज हिंदुस्तान लड़ रहा है। कोरोना का ये कालखंड पूरी दुनिया के लिए अनेक चुनौतियां लेकर आय है और एक प्रकार से दुनिया उस चौराहे पर आकर के खड़ी है, जहां पर Turning point निश्चित है। आगे जो दुनिया हम देखने वाले हैं, वो वैसी नहीं होगी जैसी कोरोना काल से पहले थी। जैसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पूरी दुनिया में बहुत बदलाव आए, पूरा World order बदल गया, वैसे ही कोरोना के बाद दुनिया में बहुत सारे बदलाव की संभावना है, एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की संभावना है। इसके प्रारंभिक संकेत नजर भी आने लगे हैं। हम सबने इस बात को मार्क किया होगा, अनेक कोने से सुना होगा बहुत सी चीजें पढ़ी होंगी और आप भी दुनिया में कहीं जाते होंगे मिलते होंगे तो आप भी अनुभव करते होंगे, आज भारत की तरफ देखने के विश्व के नजरिए में बहुत बड़ा बदलाव आ रहा है। भारत जैसे विशाल देश को, लोकतांत्रिक देश को, और इतने बड़े समाज में इतनी विविधताओं को संभालते हुए चल रहे देश को अब दुनिया, दुनिया के लोग, भारत को अधिक मजबूत रूप में देखना चाहते हैं और इसलिए पूरा विश्व भारत के लिए नए सिरे से जब देख रहा है, तो हमारे लिए भी आवश्यक है कि हम हमारे देश को तेज गति से आगे बढ़ाएं, अनेक विविध क्षेत्रों में बदलाव लाएं, मजबूती लाएं, ये समय नए अवसरों का, नए संकल्पों की सिद्धि का समय है। बहुत जरूरी है कि भारत आत्मनिर्भर बने और उस आत्मनिर्भर भारत की नींव पर एक आधुनिक भारत का निर्माण हो। कल निर्मला जी ने जो बजट पेश किया है, by and large हम देखें political angle अगर हम छोड़ दें। तो जो आर्थिक विषय के लोग हैं, सामाजिक जीवन के लोग हैं। अखबारों में भी देखेंगे, कल टीवी चैनलों की डीबेट में देखेंगे, बजट का बहुत स्वागत हुआ है, बहुत सराहना हुई है और आपने भी देखा होगा कि इस बजट में देश को आधुनिकता की तरफ ले जाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम हैं।

साथियों,
जब हम आज के बजट की चर्चा करेंगे तो सापेक्ष भी होती है। पुरानी बातों की तुलना करेंगे तब पता चलता है। बीते सात वर्षों में जो निर्णय लिए गए, जो नीतियां बनीं, पहले की जिन नीतियों में गलतियों को सुधारा गया। उस वजह से आज भारत की अर्थव्यवस्था का निरंतर विस्तार हो रहा है। 7 - 8 साल पहले भारत की GDP 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपए की थी। आज भारत की अर्थव्यवस्था 2 लाख 30 हजार करोड़ के आसपास की है। वर्ष 2013-14 में भारत का एक्सपोर्ट 2 लाख 85 हजार करोड़ रुपए होता था। आज भारत का एक्सपोर्ट 4 लाख 70 हजार करोड़ रुपए के आसपास पहुंच रहा है। सात साल पहले करीब 275 बिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा रिजर्व देश के पास था। आज देश का विदेशी मुद्रा रिजर्व 630 बिलियन डॉलर को पार कर गया है। वर्ष 2013 में देश में 36 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश - FDI था। पिछले साल ये 80 बिलियन डॉलर को पार कर चुका है। कोरोना के इस काल में भी भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था की मजबूती से दुनिया का एक विशेष रूप से ध्यान आकर्षित किया है। आज भारत दुनिया के उन देशों में है, जहां के इकोनॉमिक इंडिकेटर्स में बहुत तेजी से सुधार आ रहा है और fundamentals मज़बूत है। इस साल का बजट इसे और गति देने वाला है।

साथियों,

जब गरीब को मूलभूत सुविधाएं मिलती हैं तो वो अपनी ऊर्जा, अपने विकास, देश के विकास में लगाते है। इस बजट का भी फोकस गरीब, मिडिल क्लास और युवाओं को बुनियादी सुविधाएं देने और आय के स्थाई समाधानों से जोड़ने पर है। हमारी सरकार मूलभूत सुविधाओं के सैचुरेशन पर काम कर रही है और ये बात मैनें लालकिले पर से भी कही थी। अब मैं एक छोटा उदाहरण देता हूं। जैसे जल जीवन मिशन, अब हम हमेशा सुनते आए हैं। गांव में, घर में, समाज में, सरकार में, राजनेताओं में, सब में, क्या सुनते हैं। हर कोई कहत है जल ही जीवन है। सुनना तो बहत अच्छा लगता है। लेकिन ये भी सच्चाई है, पानी की दिक्कत, पानी की कमी, गरीब के जीवन की, महिलाओं के जीवन की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है और आजादी के 75 साल के बाद भी है। किसान को भी छोटे किसान को खास कर पानी के बिना बहुत दिक्कत हैं। हमारी सरकार के प्रयासों से आज देश में करीब-करीब 9 करोड़ ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंचने लगा है। इसमें से करीब-करीब पांच करोड़ से ज्यादा पानी के कनेक्शन, जल जीवन मिशन के तहत पिछले 2 वर्ष में दिए गए हैं। अब बजट में घोषणा की गई है कि इस साल करीब 4 करोड़ ग्रामीण घरों को पाइप से पानी का कनेक्शन दिया जाएगा। और जब ग्रामीण घर की बात आती है तो उसमें अधिकतम समाज किसानी से जुड़ा हुआ होता है, खेत के काम से जुड़ा हुआ होता है। उसका समय बचेगा, माताओं और बहनों का समय बचेगा, वो कृषि के समय में अपना योगदान दे पाएगी। इस पर पानी पहुंचाने के लिए घरों में पानी, मेरी माताओं और बहनों को कष्ट से मुक्ति दिलाने के लिए, पहले करीब 40 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च किया था। अभी 60 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए जाएंगे। कभी हमारे देश में हमारी माताओं और बहनों को, गांव को पानी के लिए एक लाख करोड़ रूपया खर्च कर आगे बढ़ना ये छोटे निर्णय नहीं हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में नदियों को लिंक करने के अऩेक प्रस्ताव इस बजट में है। विशेष रूप से केन-बेतबा को लिंक करने के लिए जो हज़ारों करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, उससे यूपी और एमपी के जो बुंदेलखंड क्षेत्र है, हम झांसी की रानी का गर्व करते हैं न, मैं उस बुंदेलखंड की बात कर रहा हूं। जिस खजुराहो की चर्चा करते हैं, उस बुंदेलखंड की बात करlता हूं। वहां की तस्वीर भी बदलने वाली है।पानी के अभाव में वहां के किसान के नौजवान बेटे रोजी रोटी के लिए कभी गुजरात कभी महाराष्ट्र केरल, तमिलनाडु तक जाना पड़ता था। ये केन-बेतवा योजना किसान के जीवन में, खेती में तो बदलाव लाएगी ही लाएगी, किसान के जीवन में बदलाव लाएगी। और इस योजना पर लगभग 44 (चवालीस) हजार करोड़ रूपय खर्च होंगे। मेरे किसान भाइयों और बहनों के खेत में पानी पहुंचाने के लिए ये आधुनिक युग का एक भगीरथ काम है। अब बुंदेलखंड के खेतों में और हरियाली आएगी, जवान बेटों को शहर में झुग्गी- झोंपड़ी में रह कर मजबूरी में जिंदगी गुजारनी है, वो खुले आसमान के नीचे अपने मां-बाप के साथ रह कर के एक नई जिंदगी का प्रकरण लिखना शुरू कर सकते हैं। घरों में पर्याप्त पीने का पानी आए, खेत में पानी आए।

साथियों,

गरीब का बहुत बड़ा सपना, उसका अपना घर भी होता है। इस साल के बजट में गरीबों के लिए 80 लाख पक्के घर बनाने की बात कही गई है। इस पर 48 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च होंगे।गरीबी से मुक्ति होनी है। गरीब गरीबी से बाहर आना चाहता है, जब घर मिलता है न उसका यह हौसला बन जाता है, हम कभी गरीबों की ताकत जानते नहीं थे, सिर्फ गरीबों का राजनीतिक उपयोग करने वाले लोग बहुत हुए इस देश में, एक छोटा सा प्रयास जनधन अकाउंट गरीब को जब जनधन अकाउंट मिला न तो उसका स्वाभिमान जग गया। और लाखों-करोड़ों रुपयों की बचत में गरीब भी आगे आया है। अगर एक जनधन अकाउंट उसकी जिंदगी बदल सकता है , तो घर को जब छत मिले, गरीब को जब घर मिले, तब उसका जीवन कितना बदल जाता है, इसको हम देख कर बता सकते हैं। जो भी उन परिवारों को देखेगा उसका विश्वास बढ़ेगा। इतना ही नहीं सरकार जो घर बनाकर इन्हें देती है, वो घर इन गरीबों को एक तरह से लखपति बना देता है। मैं जब छोटा था लखपति शब्द बहुत बड़ा लगता था। लखपति यानि कितनी बड़ी दुनिया है। सुनते ही कान खड़े हो जाते थे, लेकिन हमने जो गरीबों को घर दिया है न, उसकी कीमत के हिसाब से देखें तो, हमने पिछले सात साल में तीन करोड़ गरीबों को पक्के घर देकर उन्हें लखपति बनाया है। जो गरीब थे, जो झोपड़-पट्टी में रहते थे, अब उनके पास अपना घर है। पहले के मुकाबले, हमारी सरकार ने इन घरों के लिए राशि भी बढ़ाई और समय को ध्यान में रखते हुए घरों की साइज भी बढ़ाई है ताकि बच्चों की पढ़ाई न छूट जाए। बच्चों के लिए पढ़ाई के लिए जगह मिल जाए। बड़ी बात ये भी है कि इसमें से ज्यादातर घर, महिलाओं के नाम पर भी हैं, यानि हमने महिलाओं को घर की मालकिन भी बनाया है।

साथियों,

हम सामाजिक न्याय के लिए तो हमेशा काम करते हैं और इसे अपना दायित्व समझते हैं। जैसे समाज की भलाई के लिए सामाजिक न्याय बहुत जरूरी है, वैसे ही देश की भलाई के लिए भी देश का संतुलित विकास भी जरूरी है। भारत जैसे देश में कोई क्षेत्र पिछड़ा रहे, कोई इलाका अविकसित रह जाए। ये ठीक नहीं। और इसलिए हमने आकांक्षी जिला- Aspirational Districts अभियान शुरू किया था। इन जिलों में गरीब की शिक्षा के लिए, गरीब के स्वास्थ्य के लिए, गांव की सड़कों के लिए, बिजली-पानी के लिए जो काम हुए, उसकी प्रशंसा संयुक्त राष्ट्र ने भी की है। अब इस बजट में घोषणा की गई है कि आकांक्षी जिलों में राज्यों के साथ मिलकर आकांक्षी ब्लॉक प्रोग्राम चलाया जाएगा। यानि उसे और नीचे ले जाया जाएगा, यानि यह विकास का लाभ आखिरी छोर तक पहुंचाने का एक वैज्ञानिक तरीका है और धन का सदुपयोग करने का संसाधनों के optimum utilisation करने का और फोकस activity करने का ये रास्ता है। ग्रामीण क्षेत्रों में ब्लॉक स्तर पर जरूरी सुविधाएं पहुंचे, इस पर सरकार का जोर है।

साथियों,

राष्ट्र की सुरक्षा के लिए हमारी सेनाएं एयर फोर्स हो, नेवी हो, आर्मी हो हमारे जवान दिन-रात डटे रहते हैं। जान की बाजी लगा देते हैं, लेकिन ये भी सच्चाई है कि हमारे सेना के जवान जो सीमा पर तैनात हैं। हमारे सुरक्षा बल के जवान जो सीमा पर तैनात हैं। उनको उस सीमावर्ती जो गांव हैं न , वो भी एक प्रकार से किले का काम करते हैं। और उन सीमावर्ती गांवों का देशभक्ति का जज्बा अद्भुत होता है। अभावों के बीच, संकटों के बीच, मुसीबतों के बीच, सीमा पर रहने वाले छोटे-छोटे गांव के लोग दिन-रात देश की रक्षा के लिए सजग रहते हैं। अब समय आ गया है कि हमें हमारी राष्ट्र रक्षा की जो नीतियां हैं उसमें सीमावर्ती गांवों के नागरिकों की शक्ति को पहचानना होगा। उनके अहम रोल को जानना होगा और इसलिए हमने ध्यान आकर्षित किया है कि सीमावर्ती जो हमारेआखिरी गांव हैं, हिंदुस्तान के कोने-कोने में, उन गांवों को विकास की यात्रा में पीछे नहीं रहने देना है। इस वजह से हम वर्षों से सीमावर्ती गांवों से पलायन होते देख रहे हैं। किसी भी देश की रक्षा के लिए ये पहलू ठीक नहीं है। इस बात को समझते हुए सीमा पर मौजूद गांवों के विकास के बारे में नए सिरे से सोचा गया है। एक Holistic approach के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। ऐसे गावों में हर प्रकार की सुविधा हो, बिजली हो, पानी हो, सड़क का इंतजाम हो, इसके लिए बजट में विशेष वाइब्रेंट विलेज प्रोगाम का ऐलान किया गया है। हमारे अनेकों सीमावर्ती गांव टूरिस्ट स्पॉट बन सकते हैं, वहां हम अच्छे प्रकार से होम स्टे का एक बड़ा नेटवर्क खड़ा कर सकते हैं। जिससे हमारे लोगों को रोजी-रोटी मिले। प्रकृति प्रेमियों के लिए भी सीमावर्ती क्षेत्र आकर्षण का केंद्र बन सकते हैं । मैंने तो गुजरात में कच्छ में रणोत्सव करके देखा है। अगर उन आखिरी गांवों को हम वाइब्रेंट बना दें, तो सुरक्षा की दृष्टि से भी बहुत लाभ होता है। हमारा उत्तराखंड देखिए, हमारा लेह-लद्दाख देखिए, हमारा अरूणाचल देखिए, ये वाइब्रेंट विलेज प्रोगाम इन सभी गांवों को बहुत मदद करेगा। इसके साथ साथ Holistic approach होने के कारण , NCC का भी एक नया विचार हुआ है। NCC के लिए खर्च होता है, बड़े शहरों में NCC होती भी है। अब हमने तय किया है कि सीमावर्ती गांवों में, जो ब्लॉक होगा और वहां जो स्कूल होगा नजदीक, हम NCC का वहां केंद्र शुरू करेंगे। NCC की गतिविधि चलाएंगे, ताकि सीमा पर रहने वाले बच्चे NCC में ट्रेंड होकर आसानी से सुरक्षा बलों में जाकर राष्ट्र रक्षा का नेतृत्व कर सकें। इन पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले हमारे बच्चों की ताकत बहुत बड़ी होती है।

साथियों,

राष्ट्र रक्षा से जुड़े एक और बड़े अभियान की बजट में घोषणा की गई है। ये है- पर्वतमाला परियोजना।ये हिमालय के क्षेत्रों में आधुनिक कनेक्टिविटी और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर को विस्तार देने वाली है। इससे पहाड़ों में आवाजाही भी आसान होगी, टूरिस्टों के लिए जाने की सुविधा तो होगी ही होगी, वहां तीर्थ क्षेत्र है तो वहां जाने वाले तीर्थयात्रियों को सुविधा होगी, लेकिन साथ-साथ हमारी सेना को तो लगातार उन क्षेत्रों में जाना होता है। उनके लिए भी ये बहुत सुविधाजनक होगा, इसका बड़ा लाभ हमारे हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, लेह-लद्दाख, नॉर्थ ईस्ट के भाइयों और बहनों को मिलेगा। हमारे पहाड़ों के लोग बहुत प्रतिभावान होते हैं, बहुत परिश्रमी होते हैं। सेना से लेकर खेलों तक, व्यापार से लेकर कृषि तक, कितने ही क्षेत्रों में देश को उनकी क्षमता और प्रतिभा का लाभ मिलता है। ये हमारा सौभाग्य है कि हमें उनके लिए काम करने का मौका मिल रहा है। पर्वतमाला से पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, और साथ ही पर्यावरण की भी सुरक्षा बढ़ेगी। नॉर्थ ईस्ट को लेकर भी पीएम-डिवाइन नाम से एक बड़ी योजना की घोषणा बजट में की गई है।

साथियों,

आज समय की मांग है कि भारत की कृषि भी आधुनिक बने, नए तौर तरीके अपनाए। किसान पर बोझ कम हो, देश की कृषि को टेक्नोलॉजी आधारित और कैमिकल फ्री बनाने के लिए बड़े कदम इस बजट में उठाए गए हैं। बीते बजट में हमने किसान रेल और किसान उड़ान की सुविधा सुनिश्चित की, अब किसान ड्रोन किसान का नया साथी बनने वाला है। इसके लिए FPOs के माध्यम से किसानों को खेत में ही उचित किराए पर ड्रोन और दूसरी मशीनरी उपलब्ध कराई जाएगी। ड्रोन टेक्नोलॉजी से किसान को तो मदद मिलेगी ही, उत्पादन का Real-Time Data भी प्राप्त होगा। इससे जुड़े स्टार्टअप्स को फंड करने के लिए नाबार्ड के माध्यम से एक विशेष फंड की मदद भी दी जाएगी।

साथियों,
कृषि को हाइटेक करने के साथ-साथ देश की कृषि को नेचुरल बनाने पर भी अभूतपूर्व फोकस है। दोनों पहलू पर हम बल दे रहे हैं, आधुनिक हो, टेक्नोलॉजी हो, खर्च में बचत हो साथ-साथ बैक टू बेसिक हमारी ये धरती माता बर्बाद न हो। हमारी धरती माता की उपजाऊ शक्ति खत्म न हो और इसलिए केमिकल मुक्त खेती, प्राकृतिक खेती पर जोर दिया जा रहा है।

साथियों

इसके कारण किसानों का जो खेत में Investment खर्च होता है, लागत घटाने में बहुत बड़ी मदद मिलेगी। ये कृषि को अधिक लाभकारी बनाएगी, साथ-साथ ये बीमारियों से मुक्ति दिलाने का बहुत बड़ा अभियान भी है, जिसका सबसे अधिक लाभ हमारे छोटे किसानों को होगा। देश के अनेक हिस्सों में जीरो बजट प्राकृतिक खेती पर काम चल रहा है। छोटा किसान और हमें ये देखना होगा कि जब हम किसानों की बात करते हैं तो हमारी प्राथमिकता छोटे किसान ही रहनी चाहिए, 80-85 प्रतिशत हमारे छोटे किसान हैं। अगर एक बार हमारा छोटा किसान मजबूत बनता है, ताकतवर बनता है। तो देश का ग्रामीण जीवन बदल जाता है। इसलिए हमने इसपर बहुत ध्यान केंद्रीत किया है। हमने देखा देश में हम कौन सी बातें सुनते आए हैं, गरीबी हटाने की बातों तो हुई है, लेकिन होता क्या था। और वो गलत होता था मैं नहीं कहता, इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनते हैं, इकॉनॉमिक कॉरिडोर बनते हैं। हमने आकर देश में दो डिफेंस कॉरिडोर बनाए। अब हम देश में पहली बार एक और कॉरिडोर बना रहे हैं, जिसकी बजट में घोषणा की गई है। प्राकृतिक खेती का कॉरिडोर, नैचुरल फारर्मिंग का कॉरिडोर बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं। नैचुरल फार्मिंग का कॉरिडोर लगभग ढाई हजार किलोमीटर लंबा होगा, करीब 10 किलोमीटर चौड़ा होगा। और पहले चरण में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में मां गंगा के किनारे 5-5 किलोमीटर चौड़ा, दोनों तरफ 5-5 किलोमीटर, नेचुरल फार्मिंग का एक कॉरिडोर तैयार किया जाएगा। पूरी Ecosystem बनेगी, उसके प्रोडक्ट की वैश्विक वैल्यू बनने वाली है। खेती को बदलने का Epicentre बन जाएगा ये कॉरिडोर। पूरे हिंदुस्तान के किसानों के लिए प्रेरण का कारण बनने वाला है। और इन सारे कारणों से जो हमारा गंगा स्वच्छता अभियान चल रहा है, उसमें एक बड़ी मदद मिलेगी। क्योंकि खेत में जो केमिकल उपयोग होता है वो बारिश आती है तो केमिकल का काफी हिस्सा बहकर नदी में जाता है। 5-5 किलोमीटर प्राकृतिक खेती जब होगी, केमिकल फ्री खेती जब होगी तो वो जो केमिकल का प्रवाह गंगा जी में आता था वो भी बंद होगा। मां गंगा भी शुद्ध होगी और मां गंगा की बजट का कुछ हिस्सा भी किसानों के काम आएगा। ऑर्गैनिक उत्पाद की बाजार में कीमत बहुत बड़ी है। दुनिया में मांग है और भारत के विश्व के कृषि बाजार में बड़ी ताकत के साथ जाने का रास्ता ऑर्गैनिक खेती है।

साथियों,

सरकार द्वारा मोटे अनाज- मिलेट्स को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, न भूलें की हमारा जो छोटा किसान है, उनमें से अधिकतर किसान या हमारे आदिवासी भाई-बहन जो किसान है, अगर हमारे गांव में किसी दलित के पास जमीन है वो छोट किसान है, उनके पास मोटा अनाज पैदा किए बिना कोई चारा नहीं होता। क्योंकि उनके पास बाकि कोई सुविधाएं नहीं होती, दलित और आदिवासी किसान साथी, अगर एग्रो फोरेस्ट्री और प्राइवेट फोरेस्ट्री अपनाना चाहते हैं, तो उनके लिए भी विशेष मदद का प्रोवीजन किया गया है।

साथियों,

अनाज के साथ-साथ, देखिए हम कृषि प्रधान देश हैं, जय जवान-जय किसान ने हमें ताकत दी है, लेकिन ये भी सच्चाई है कि आज हमारे देश को 80 हजार से 1 लाख रूपये के खाने को तेल को बाहर से लाना पड़ रहा है। पुरानी सरकारों ने ऐसे निर्णय किए की हम आयातित तेल पर निर्भर हो गए। उसी प्रकार से पल्सेस हमारे यहां जो vegetarian Society है, उसे प्रोटीन के लिए कुपोषण के खिलाफ लड़ाई लड़ने में पल्सेस जैसे दाल, उड़द, मूंग, चना की बहुत जरूरत होती है। हमारे लिए आवश्यक है कि हम खाने के तेल के मामले में आत्मनिर्भर कैसे बनें। हम दाल, पल्सेस में आत्मनिर्भर कैसे बनें और इसके लिए खाने के तेल में आत्मनिर्भरता के लिए एक राष्ट्रीय मिशन देश अभी-अभी देश में प्रारंभ किया गया है। हर साल जो लाखों करोड़ रुपए हम खाद्य तेल खरीदने के लिए विदेश भेजते हैं, वो पैसे मेरे देश के किसानों को ही मिले, खेती में पसीना बहाने वाला जो हमारा किसान है उसके नसीब में आए। इसके लिए हम योजनाओं पर बल दे रहे हैं। अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने का भी एक बहुत बड़ा अभियान निरंतर चल रहा है, जिसके माध्यम से खेत में ही सोलर पैनल लगाने के लिए मदद दी जा रही है। आदिवासी किसानों को भी वनोपज से अधिक लाभ हो इसके लिए बड़े स्तर पर वनधन योजना सफलता के साथ चल रही है और बजट से उसे बल भी दिया जा रहा है।

साथियों,
सरकार ने हमेशा किसानों के हित में हर ज़रूरी कदम उठाए हैं। बजट में Renewable energy का खर्चा पड़ेगा। लेकिन उसमें एक महत्वपूर्ण खर्च है किसानों के लिए सोलर पंप, अगर सोलर पंप हम सबसे ज्यादा किसानों तक पहुंचाएंगे, सूर्य शक्ति से चलने वाला पंप किसानों को रात को जागना नहीं पड़ेगा। दिन में ही अपनी खेती कर लेगा, पानी पहुंचा देगा, परिवार के साथ अपना समय बिता पाएगा और उसका खर्च भी कम हो जाएगा, इसके लिए सोलर पंप का बहुत बड़ा बजट, हमारे किसानों तक हम पहुंचा रहे हैं।

साथियों,

पिछले बजट में फर्टिलाइज़र सब्सिडी 79 हज़ार करोड़ रुपए की रखी गई थी। लेकिन कोरोना के कारण , सप्लाई चेन में गड़बड़ी के कारण, अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में बहुत उछाल आया, पहले जहां करीब 80 हजार करोड़ का प्रावधान किया था, हमें 60 हज़ार करोड़ रुपए और लगाने पड़े, करीब-करीब 1 लाख 40 हजार करोड़ रूपया फर्टिलाइज़र के लिए, जो पहले कभी नहीं करना पड़ा था, ये इसलिए किया गया ताकि किसानों की लागत ना बढ़े, उनपर अतिरिक्त बोझ ना आए। इस बार इस सब्सिडी को 79 हज़ार करोड़ से बढ़ाकर सीधा 1 लाख 5 हज़ार करोड़ रुपए किया गया है। ताकि किसान भाई-बहनों को फर्टिलाइज़र के लिए संकट का सामना न करना पड़े। आनेवाले दिनों में हम एक नई योजना लेकर आ रहे हैं नैनो फर्टिलाइज़र, किसानों की मदद करने वाला एक बहुत बड़ा साधन, हमने वैज्ञानिकों की मदद से अनुसंधान किया है। इस बजट में हमने उसका सीधा उल्लेख नहीं किया है, लेकिन उस दिशा में हम काम करने वाले हैं। इसी प्रकार MSP को लेकर भी अनेक प्रकार की बातें फैलाई गईं हैं। लेकिन हमारी सरकार ने बीते सालों में MSP पर रिकॉर्ड खरीद है। सिर्फ धान की ही बात करें, धान जो सीधे-सीधे छोटे किसान की जिंदगी से जुड़ा हुआ है और छोटे किसान की खेती जेब के लिए नहीं, जीवन के लिए होती है। सिर्फ धान की ही बात करें तो इसी सीज़न में किसानों को MSP के रूप में डेढ़ लाख करोड़ रुपए से अधिक मिलने का अनुमान है। बजट में प्रावधान किया गया है कि 2 लाख 37 हज़ार करोड़ रुपए का MSP किसानों के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर किया जाएगा। इस साल के बजट में पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 68 हज़ार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। 68 हज़ार करोड़ रूपया डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के द्वारा सीधे किसान की जेब में पहुंचने वाला है। और ये राशि भी पिछले साल की अपेक्षा ज्यादा है। इसका लाभ भी देश के 11 करोड़ से अधिक किसानों को होगा और छोटे किसान के लिए तो ये रकम बहुत बड़ी होती है। उसको खेती में कुछ करने के लिए हिम्मत देती है। हमारे ग्रामीण क्षेत्रों को, हमारे किसानों को बेहतर सड़कों का भी विशेष लाभ मिलने वाला है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का बजट पिछले वर्ष की तुलना में 36 प्रतिशत बढ़ाया गया है। वहीं रेलवे भी छोटे किसानों की मदद के लिए विशेष प्रावधान करने वाली है।

साथियों,
नए संकल्प लेना, उन्हें पूरा करने के लिए जी-जान से जुट जाना युवाओं की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है।भाजपा युवा आकांक्षाओं और युवा सपनों को समझती है। ये इस बजट में भी स्पष्ट रूप से दिखता है।
इस बजट में स्टार्ट अप्स के लिए टैक्स बेनिफिट को आगे बढ़ाया गया है। युवा इनोवेशन, रिसर्च एंड डेवलपमेंट को लेकर जितने भी प्रावधान इस बजट में किए गए हैं, वो युवाओं को इनोवेट करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। मैंने खेती में जिस ड्रोन टेक्नोलॉजी की पहले चर्चा की, वो भी एग्रीटेक स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देगा। डिफेंस के क्षेत्र में स्टार्ट अप्स हों या फिर डिजिटल करेंसी जैसे प्रावधानों से फिनटेक से जुड़े स्टार्ट अप्स, ये युवाओं के लिए अनंत संभावनाएं बनाने वाले हैं। और स्टार्ट अप्स की एक विशेषता है, स्टार्ट अप जॉब क्रिएटर भी होते हैं।

साथियों,

युवाओं को शिक्षा और स्किल के बेहतर अवसर देने के लिए बीते सालों में टेक्नॉलॉजी का दायरा निरंतर बढ़ाया गया है। इस बजट में इसको विस्तार देते हुए पहली डिजिटल यूनिवर्सिटी बनाने का फैसला किया गया है। इससे गरीब के बच्चों को भी अपनी रोजी-रोटी कमाते हुए भी इस यूनिवर्सिटी से कोई छोटे मोटे कोर्सेज करने हैं, तो वो आराम से कर लेगा और उसको क्वालिटी एजुकेशन उपलब्ध होगा। सरकार ने इस बार के बजट में स्पोर्ट्स को भी बहुत तवज्जो दी है और काफी वृद्धि की है। और हम ये न भूलें की स्पोर्ट्स के क्षेत्र में अधिकतम हमारे किसान के बच्चे भी आते हैं, किसान के परिवार की वो आन बान शान बन रहे हैं। खेलो इंडिया अभियान के बजट को भी बढ़ाया गया है। स्पोर्ट्स का बजट पिछले सात सालों में तीन गुणा से भी ज्यादा बढ़ा है। इसका भी लाभ हमारे युवा साथियों को होगा।

साथियों,
आपने पोस्ट ऑफिस से जुड़ी अहम घोषणा भी बजट भाषण में सुनी होगी। अब पोस्ट ऑफिस के खातों में भी बैंकों की तरह ही मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, एटीएम और ऑनलाइन फंड ट्रांस्फर की सुविधा मिल पाएगी। अभी देश में डेढ़ लाख से अधिक पोस्ट ऑफिस हैं, जिसमें से अधिकतर गांवों में हैं। पोस्ट ऑफिस में जिनके सुकन्या समृद्धि अकाउंट और पीपीएफ अकाउंट हैं, उनको भी अब अपनी किश्त जमा करने पोस्ट ऑफिस जाने की ज़रूरत नहीं है। अब वो सीधे अपने बैंक अकाउंट से ऑनलाइन ट्रांसफर कर पाएंगे। इससे गांव में रहने वाले किसानों, मजदूरों, वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं को विशेष रूप से बहुत सुविधा होगी। हमने देश के किसानों के लिए डिजिटल मार्केट प्लेटफार्म खड़ा किया है e-Nam, e-Nam योजना के तहत जो किसान, कारोबार करता है उसे पोस्ट ऑफिस में बैंक की तरह व्यवस्था होने के कारण मेरा किसान बहुत आसानी से अपना कारोबार कर लेगा।

साथियों,

आज सस्ता और तेज़ इंटरनेट भारत की पहचान बन चुका है।बहुत जल्द सभी गांव तक ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी पूरी होगी। 5G सर्विस की लॉन्चिंग भारत में ईज़ ऑफ लिविंग और ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस को एक अलग ही आयाम देने वाली है। इससे सिर्फ इंटरनेट ही तेज़ नहीं होगा, डेटा स्पीड ही नहीं बढ़ेगी, बल्कि रिमोट सर्जरी से लेकर स्मार्ट ट्रांसपोर्टेशन तक, अगर ड्रोन से पहाड़ की कोई फल फूल हमें शहर के नजदीक लाना है, तो ड्रोन से उठा कर आराम से ले आ पाएंगे। यानि सारे स्मार्ट ट्रांसपोर्टेशन के लिए भी , ये सारी टोक्नोलॉजी गांव को, गरीब को, किसान को बहुत बड़ा अवसर देने वाली है। 5G सर्विस देश में रोज़गार के नए सेक्टर्स का सृजन करेगी, युवाओं को आकर्षक अवसर प्रदान करेगी, स्टार्ट अप्स को प्रोत्साहित करेगी।

साथियों,

आज देश में Animation, Visual Effects, Gaming और Comic (AVGC) सेक्टर भी तेज़ी से विकास कर रहा है। भारत मोबाइल गेमिंग को लेकर दुनिया के टॉप 5 मार्केट्स में से एक है। आकलन है कि आने वाले 2 सालों में ये सेक्टर 3 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा। अब मुझे बताइए ये गेमिंग हम बच्चों को रोक नहीं पाएंगे, परिवार में बच्चा मोबाइल फोन पर गेम खेल रहा है हम नहीं रोक पाएंगे। हमारे बच्चे विदेशों से आई हुई गेम से खेलेंगे या हिंदुस्तान भी कुछ करेगा। इसलिए हमारे देश की प्रतिभा को मोका मिले, इनोवेट करने का अवसर मिले। इस सेक्टर में ''Create in India'' और ''Brand India'' को सशक्त करने का भरपूर पोटेंशियल है। भारत को ग्लोबल गेम डेवलपर्स और गेमिंग सर्विस का हब बनाने के लिए इस बजट में एक टास्क फोर्स के गठन की बात कही गई है।

साथियों,

आज के अखबारों में Central Bank Digital Currency की भी काफी चर्चा है। इससे डिजिटल इकॉनॉमी को बहुत बल मिलेगा। ये डिजिटल रुपया अभी जो हमारी फिजिकल करेंसी है उसका ही डिजिटल स्वरूप होगा और इसे RBI द्वारा कंट्रोल, मॉनिटर और विस्तार किया जाएगा। ये ऐसी व्यवस्था होगी जिससे फिजिकल करेंसी से एक्सचेंज भी किया जा सकेगा। जैसे कोई आपको डिजिटल रुपी में Pay करेगा तो आप उसको कैश में बदल पाएंगे। डिजिटल पेमेंट, ऑनलाइन पेमेंट, रिटेल पेमेंट, ज्यादा सुरक्षित होगा, रिस्क फ्री होगा। इससे ग्लोबल डिजिटल पेमेंट सिस्टम के निर्माण में भी आसानी होगी। ये डिजिटल रुपया फिनटेक से जुड़े सेक्टर को अनेक अवसर देगा। इससे कैश को प्रिंट करने, हैंडल करने, डिस्ट्रीब्यूट करने में जो बोझ पड़ता है वो भी कम होगा।

साथियों,

भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे पुराना, मजबूत और भरोसेमंद स्तम्भ है हमारे छोटे उद्यमी और व्यापारी! हमारे small entrepreneur! हमारी सरकार MSMEs को मजबूत बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। कोरोना काल में हमने छोटे उद्यमियों को ध्यान में रखते हुए इमरजेंसी क्रेडिट गारंटी स्कीम शुरू की थी। SBI के अध्ययन में ये बात सामने आई है कि इस योजना से MSME सेक्टर में लगभग डेढ़ करोड़ नौकरियां सुरक्षित हुई हैं और करीब 6 करोड़ लोगों की जीविका सुरक्षित हुई है। इसी तरह, PLI स्कीम्स का उदाहरण भी हमारे सामने है। इसके परिणाम भी देश देख रहा है। भारत आज mobile manufacturing के क्षेत्र में दुनिया का उभरता हुआ केंद्र बन रहा है। ऑटोमोबाइल और बैटरी के क्षेत्र में भी PLI स्कीम के इसी तरह उत्साहवर्धक परिणाम मिल रहे हैं। जब देश में इतने बड़े स्तर पर manufacturing होगी, तो MSMEs का एक नया ecosystem खड़ा होगा। MSMEs को कई क्षेत्रों में नए ऑर्डर्स मिलेंगे, नए अवसर पैदा होंगे। मैं आपको रक्षा मंत्रालय का भी उदाहरण दूंगा। रक्षामंत्रालय आज यूपी और तमिलनाडू में डिफेंस कॉरिडॉर्स विकसित कर रहा है। इस बजट में हमने 68 प्रतिशत capital procurement खर्च को घरेलू खरीद के लिए निर्धारित किया है। हर साल हजारों करोड़ रुपए के रक्षा उपकरण देश के भीतर से ही खरीदे जाएंगे। मैं vocal for local जो बात करता हूं न उसे यहां भी ले आए हैं हम, इससे हमारी हजारों MSMEs को ही सबसे ज्यादा फायदा होगा।

साथियों,

इस बार बजट में एक बात जो सबसे खास, और सबसे अलग है तो वो है- Public Investment. ये कितना बड़ा कदम है, और इसका असर कितना बड़ा होगा, इस बात का अनुमान आप इससे लगा सकते हैं कि वर्ष 2013-14 में, हमारे आने से पहले 7 साल पहले, Public Investment सिर्फ 1 लाख 87 हजार करोड़ था। और इस बजट में ये 7 लाख 50 हजार करोड़ रुपए रखा गया है। यानी, यूपीए सरकार की तुलना में 4 गुना ज्यादा। सरकार जब इतना बड़ा खर्च करेगी, तो इस पैसे से क्या होगा? इससे देश में और ज्यादा निवेश आएगा, और ज्यादा आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार होगा, लोहा बेचने वाला, लोहा बाजार में काम करने वाला , सिमेंट बेचने वाला सिमेंट बजार में काम करने वाली, इस प्रकार के निर्माण कार्य की जिनकी Skill है, उस प्रकार के नौजवान, यानि इकोनॉमी में कितनी बड़ी एक दूसरे को पॉजिटिव इफेक्ट खड़ी होता है। नौकरियों के लिए तो अनेक दरवाजे खुल जाते हैं। साथियों इसके कारण देश के लिए पूंजी तैयार होगी। सामान्य मानवी का जीवन आसान और बेहतर होगा। ये सब कैसे होगा, ये समझने के लिए आप अपनी सरकार के 7 साल के काम को समझिए, 2014 में देश में 90 हजार किलोमीटर नेशनल हाइवेज थे। ये 90 हजार किलोमीटर हाइवे पिछले 70 सालों में बने थे। जबकि, हमने पिछले 7 सालों में ही 50 हजार किलोमीटर नेशनल हाइवेज बनाए हैं। पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान के तहत देश में हजारों किलोमीटर के नए हाइवे और बनाएँगे। इससे न केवल शहरों से लेकर गाँवों और कस्बों तक बेहतर connectivity होगी, बल्कि-इससे देश के हर कोने में इंडस्ट्री भी पहुंचेगी। इससे हर सेक्टर में लाखों नए रोजगार भी पैदा होंगे। हम जानते हैं एक जमाना था , जहां नदी जाति थी , जहां पानी होता था उसके नजदीक में गांव बसते थे। समय बदलता गया, अब जहां हाइवेज हैं, Infrastructure है, इंटरनेट है, वहां लोग बसते हैं। इस बदलते हुए युग को हमें समझना होगा। ये जो रचना हो रही है वो Logistic support के लिए बहुत बड़ी ताकत बन जाती है। आज अगर हमारे देश में कोई उत्पाद विदेश भेजनी है तो मानों फल सब्जी हमारा किसान भेजना चाह रहा है। लेकिन 6 दिनों तक वो ट्रैवलिंग करता रहेगा तो उसे कौन खरीदेगा। ये रोड रस्ते अच्छे बनेंगे तो किसान की पैदावर बहुत कम समय में अपने गणतव्य तक पहुंचेगी। इसके कारण उनको जो आर्थिक नुकसान होता है वो भी बच जाएगा। इतना ही नहीं गति शक्ति के प्रोजेक्ट के कारण रियल स्टेट सेक्टर में भी बहुत बड़ी गति मिलने वाली है। इसी तरह, देश में चार जगहों पर Multimodal Logistics Parks भी बनाए जाएंगे। Multimodal logistics facilities के लिए, 100 पीएम गतिशक्ति कार्गो टर्मिनल्स भी विकसित किए जाएंगे। इससे उद्योगों और व्यापार के लिए किसी भी चीज के लाने ले जाने में लगने वाला समय कम होगा, और भारत से निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी। और जब निर्यात बढ़ता है, तो उत्पादन और आमदनी बढ़ती है, रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।

साथियों,
ये एक ऐसा बजट है जो देश में शहरीकरण से जुड़ी चुनौतियों को भी सीधे एड्रेस करता है। ये हमारे शहर ही हैं जहां Neo-middle classes और middle classes बड़ी संख्या में रहता है और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। बिजनेस हो, स्पोर्ट्स हो, म्यूजिक हो, स्टार्ट अप्स हो, कोई भी क्षेत्र लीजिए Tier 2 और Tier 3 शहरों का टैलेंट आज निखर कर सामने आ रहा है। बाबा साहेब आंबेडकर भी, शहरीकरण के, शहरों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस के बहुत बड़े पक्षधर थे। बीते 7 सालों में देश के शहरों को आधुनिक बनाने पर जो ज़ोर हमने दिया है, उसको इस बजट में नया आयाम दिया गया है। इसमें टाउन प्लानिंग को री-इमेजिन किया गया है और पुराने पड़ गए urban bye-laws में सुधार करने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। शहरों के प्रदूषण के प्रति भी सरकार की संवेदनशीलता बजट में रिफ्लेक्ट होती है। इसके लिए शहरों में स्वच्छ और सुविधाजनक mass transit system को सपोर्ट करने पर बल दिया गया है। clean tech, special mobility zones और battery swapping policy भी ग्रीन ट्रांसपोर्टेशन को गति देगा। नेक्स्ट जेनरेशन अर्बन प्लानर्स के निर्माण के लिए भी बजट में विशेष प्रावधान किए गए हैं। बेहतर घर, बेहतर रोड, बेहतर मास ट्रांसपोर्ट सिस्टम, बेहतर स्कूल, शहरों में Ease of Living को बढ़ाएगा।

साथियों,

ये बजट ना सिर्फ ग्रीन ग्रोथ सुनिश्चित करेगा बल्कि ये ग्रीन जॉब्स भी जेनरेट करेगा। इसलिए इस बजट को भी ग्रीन बजट कहा जा रहा है। देश में ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर को फंड करने के लिए Sovereign Green Bonds जारी किए जाएंगे। इसी प्रकार high efficiency modules देश में ही तैयार करने के लिए PLI स्कीम में 20 हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्त फंडिंग की घोषणा की गई है।थर्मल पावर प्लांट्स में Biomass pellets का प्रयोग कार्बन-डाइ-ऑक्साइड एमीशन को तो कम करेगा ही, इससे किसानों, पशुपालकों को अतिरिक्त आय भी होगी। इससे पराली जलाने की घटनाओं में भी कमी आएगी

साथियों,

देश के नागरिकों पर भरोसा हमारी सरकार की बहुत बड़ी खूबी है। ये भरोसा हमारी नीतियों में भी साफ दिखता है, और बजट में भी साफ दिख रहा है।अब अगर किसी को इनकम टैक्स रिटर्न भरने में कोई गलती होती है, तो वो दो साल के भीतर अपना रिटर्न ठीक कर सकता है।इसी तरह, पहले अगर आपको अपनी कंपनी बंद करनी होती थी, तो वो भी आप दो साल से पहले नहीं कर सकते थे। अब इस समय को भी घटाकर 6 महीने कर दिया गया है। पैंडमिक के समय भी हमारी सरकार ने छोटे उद्यमियों के लोन की गंरटी खुद ली। यह भी हमारे भरोसे को दिखाता है।अब इस बजट में इस योजना को और मजबूत किया गया और विस्तार भी दिया गया है। इन 7 सालों में हमने 25 हजार गैर-जरूरी compliances को खत्म किया है। फलाना फार्म लाओ, फलाना सर्टिफिकेट लाओ , हर बार सरकार लोगों से मांगती रहती थी। 25 हजार हमने निकाले हैं और मैंने राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि वे भी खोजें, बिना कारण जनता को तकलीफ हो रही हो, तो हटाओ इन चीजों को, 15 सौ गैर-जरूरी और पुराने क़ानूनों को भी खत्म किया गया है। इसी भरोसे की बुनियाद पर सरकार 'Ease of Doing Business 2.0' अभियान भी शुरू करने जा रही है।

साथियों,

हम सभी ने बीते 2 सालों में 100 साल के इस सबसे बड़े संकट का बहुत बहादुरी से सामना किया है।जैसा मैने शुरू में कहा था कि सात-आठ साल पहले भारत की GDP जो 110 लाख करोड़ की थी उसे आज हम 230 लाख करोड़ के आस-पास ले आए हैं। हमारे फंडामेंटल्स मजबूत हैं, दिशा सही है, और गति तेज है। एक भारतीय होने के नाते, भाजपा का कार्यकर्ता होने के नाते, हमें इस बात का गर्व है कि हमने जनता-जनार्दन की सेवा में कोई कसर बाकी नहीं रखी है। देश की जनता हमारे ईमानदार प्रयासों को समझती है। सच्चे हृदय से जिस सेवाभाव में हम जुटे हैं, उसको भी देश समझता है। अब ये हम सभी
कार्यकर्ताओं का दायित्व है कि सरकार की योजनाओं के बारे में लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करें, बजट के बारे में भी लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करें। बजट का लाभ नीचे तक पहुंचे, उसमें भी स्थान-स्थान पर लोगों को जागरूक करने का प्रयास करें, मुझे जैसे देश की जनता पर भरोसा है, वैसे ही आप सब कार्यकर्ताओं पर भी भरपूर भरोसा है। सालों से आपसे कंधे से कंधा मिला कर काम करता आया हूं।

आपके बीच रह कर बड़ा हुआ, आपके सामर्थ्य को भली-भांति जानता हूं। आपके उत्सह, उमंग को भली-भांति जानता हूं। मुसीबतों के बीच भी आपके सेवा करने के भाव को आदरपूर्वक भली-भांति देखता रहता हूं। इसलिए मुझे विश्वास है कि प्रगति की हमारी जो कोशिश है। विकास की नई ऊंचाइयों को पाने का हमारा जो प्रयास है। उसमें सबका प्रयास बहुत महत्वपूर्ण है। इस सबके प्रयास के लिए आप एक catalyst agent बन कर के इस प्रयास को आगं बढ़ाएं, इस पूरे विश्वास के साथ आपको बहुत-बहुत
शुभकामनाएं !

बहुत-बहुत धन्यवाद !

  • krishangopal sharma Bjp January 01, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
  • krishangopal sharma Bjp January 01, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
  • krishangopal sharma Bjp January 01, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
  • Reena chaurasia September 05, 2024

    बीजेपी
  • Ramesh Fagna March 12, 2024

    अबकी बार400 पार
  • Sudeer Cp March 09, 2024

    🙏🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🧡🧡🧡
  • MLA Devyani Pharande February 17, 2024

    नमो नमो नमो नमो
  • Vaishali Tangsale February 16, 2024

    🙏🏻🙏🏻
  • yaarmohammad January 31, 2024

    YaarMohammad Yar PM Modi 🏠✍️👮📝🙏🌹(BaurX Abal SattarX
  • Babla sengupta December 28, 2023

    Babla sengupta
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Urban areas are our growth centres, we will have to make urban bodies growth centres of economy: PM Modi in Gandhinagar
May 27, 2025
QuoteTerrorist activities are no longer proxy war but well thought out strategy, so the response will also be in a similar way: PM
QuoteWe believe in ‘Vasudhaiva Kutumbakam’, we don’t want enemity with anyone, we want to progress so that we can also contribute to global well being: PM
QuoteIndia must be developed nation by 2047,no compromise, we will celebrate 100 years of independence in such a way that whole world will acclaim ‘Viksit Bharat’: PM
QuoteUrban areas are our growth centres, we will have to make urban bodies growth centres of economy: PM
QuoteToday we have around two lakh Start-Ups ,most of them are in Tier2-Tier 3 cities and being led by our daughters: PM
QuoteOur country has immense potential to bring about a big change, Operation sindoor is now responsibility of 140 crore citizens: PM
QuoteWe should be proud of our brand “Made in India”: PM

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

क्यों ये सब तिरंगे नीचे हो गए हैं?

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

मंच पर विराजमान गुजरात के गवर्नर आचार्य देवव्रत जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्र में मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी मनोहर लाल जी, सी आर पाटिल जी, गुजरात सरकार के अन्य मंत्री गण, सांसदगण, विधायक गण और गुजरात के कोने-कोने से यहां उपस्थित मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

मैं दो दिन से गुजरात में हूं। कल मुझे वडोदरा, दाहोद, भुज, अहमदाबाद और आज सुबह-सुबह गांधी नगर, मैं जहां-जहां गया, ऐसा लग रहा है, देशभक्ति का जवाब गर्जना करता सिंदुरिया सागर, सिंदुरिया सागर की गर्जना और लहराता तिरंगा, जन-मन के हृदय में मातृभूमि के प्रति अपार प्रेम, एक ऐसा नजारा था, एक ऐसा दृश्य था और ये सिर्फ गुजरात में नहीं, हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने में है। हर हिन्दुस्तानी के दिल में है। शरीर कितना ही स्वस्थ क्यों न हो, लेकिन अगर एक कांटा चुभता है, तो पूरा शरीर परेशान रहता है। अब हमने तय कर लिया है, उस कांटे को निकाल के रहेंगे।

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साथियों,

1947 में जब मां भारती के टुकड़े हुए, कटनी चाहिए तो ये तो जंजीरे लेकिन कांट दी गई भुजाएं। देश के तीन टुकड़े कर दिए गए। और उसी रात पहला आतंकवादी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ। मां भारती का एक हिस्सा आतंकवादियों के बलबूते पर, मुजाहिदों के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया। अगर उसी दिन इन मुजाहिदों को मौत के घाट उतार दिया गया होता और सरदार पटेल की इच्छा थी कि पीओके वापस नहीं आता है, तब तक सेना रूकनी नहीं चाहिए। लेकिन सरदार साहब की बात मानी नहीं गई और ये मुजाहिदीन जो लहू चख गए थे, वो सिलसिला 75 साल से चला है। पहलगाम में भी उसी का विकृत रूप था। 75 साल तक हम झेलते रहे हैं और पाकिस्तान के साथ जब युद्ध की नौबत आई, तीनों बार भारत की सैन्य शक्ति ने पाकिस्तान को धूल चटा दी। और पाकिस्तान समझ गया कि लड़ाई में वो भारत से जीत नहीं सकते हैं और इसलिए उसने प्रॉक्सी वार चालू किया। सैन्‍य प्रशिक्षण होता है, सैन्‍य प्रशिक्षित आतंकवादी भारत भेजे जाते हैं और निर्दोष-निहत्थे लोग कोई यात्रा करने गया है, कोई बस में जा रहा है, कोई होटल में बैठा है, कोई टूरिस्‍ट बन कर जा रहा है। जहां मौका मिला, वह मारते रहे, मारते रहे, मारते रहे और हम सहते रहे। आप मुझे बताइए, क्या यह अब सहना चाहिए? क्या गोली का जवाब गोले से देना चाहिए? ईट का जवाब पत्थर से देना चाहिए? इस कांटे को जड़ से उखाड़ देना चाहिए?

साथियों,

यह देश उस महान संस्कृति-परंपरा को लेकर चला है, वसुधैव कुटुंबकम, ये हमारे संस्कार हैं, ये हमारा चरित्र है, सदियों से हमने इसे जिया है। हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। हम अपने पड़ोसियों का भी सुख चाहते हैं। वह भी सुख-चैन से जिये, हमें भी सुख-चैन से जीने दें। ये हमारा हजारों साल से चिंतन रहा है। लेकिन जब बार-बार हमारे सामर्थ्य को ललकारा जाए, तो यह देश वीरों की भी भूमि है। आज तक जिसे हम प्रॉक्सी वॉर कहते थे, 6 मई के बाद जो दृश्य देखे गए, उसके बाद हम इसे प्रॉक्सी वॉर कहने की गलती नहीं कर सकते हैं। और इसका कारण है, जब आतंकवाद के 9 ठिकाने तय करके 22 मिनट में साथियों, 22 मिनट में, उनको ध्वस्त कर दिया। और इस बार तो सब कैमरा के सामने किया, सारी व्यवस्था रखी थी। ताकि हमारे घर में कोई सबूत ना मांगे। अब हमें सबूत नहीं देना पड़ रहा है, वो उस तरफ वाला दे रहा है। और मैं इसलिए कहता हूं, अब यह प्रॉक्सी वॉर नहीं कह सकते इसको क्योंकि जो आतंकवादियों के जनाजे निकले, 6 मई के बाद जिन का कत्ल हुआ, उस जनाजे को स्टेट ऑनर दिया गया पाकिस्तान में, उनके कॉफिन पर पाकिस्तान के झंडे लगाए गए, उनकी सेना ने उनको सैल्यूट दी, यह सिद्ध करता है कि आतंकवादी गतिविधियां, ये प्रॉक्सी वॉर नहीं है। यह आप की सोची समझी युद्ध की रणनीति है। आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा। हम अपने काम में लगे थे, प्रगति की राह पर चले थे। हम सबका भला चाहते हैं और मुसीबत में मदद भी करते हैं। लेकिन बदले में खून की नदियां बहती हैं। मैं नई पीढ़ी को कहना चाहता हूं, देश को कैसे बर्बाद किया गया है? 1960 में जो इंडस वॉटर ट्रीटी हुई है। अगर उसकी बारीकी में जाएंगे, तो आप चौक जाएंगे। यहाँ तक तय हुआ है उसमें, कि जो जम्मू कश्मीर की अन्‍य नदियों पर डैम बने हैं, उन डैम का सफाई का काम नहीं किया जाएगा। डिसिल्टिंग नहीं किया जाएगा। सफाई के लिए जो नीचे की तरफ गेट हैं, वह नहीं खोले जाएंगे। 60 साल तक यह गेट नहीं खोले गए और जिसमें शत प्रतिशत पानी भरना चाहिए था, धीरे-धीरे इसकी कैपेसिटी काम हो गई, 2 परसेंट 3 परसेंट रह गया। क्या मेरे देशवासियों को पानी पर अधिकार नहीं है क्या? उनको उनके हक का पानी मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए क्या? और अभी तो मैंने कुछ ज्यादा किया नहीं है। अभी तो हमने कहा है कि हमने इसको abeyance में रखा है। वहां पसीना छूट रहा है और हमने डैम थोड़े खोल करके सफाई शुरू की, जो कूड़ा कचरा था, वह निकाल रहे हैं। इतने से वहां flood आ जाता है।

साथियों,

हम किसी से दुश्मनी नहीं चाहते हैं। हम सुख-चैन की जिंदगी जीना चाहते हैं। हम प्रगति भी इसलिए करना चाहते हैं कि विश्व की भलाई में हम भी कुछ योगदान कर सकें। और इसलिए हम एकनिष्ठ भाव से कोटि-कोटि भारतीयों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं। कल 26 मई था, 2014 में 26 मई, मुझे पहली बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने का अवसर मिला। और तब भारत की इकोनॉमी, दुनिया में 11 नंबर पर थी। हमने कोरोना से लड़ाई लड़ी, हमने पड़ोसियों से भी मुसीबतें झेली, हमने प्राकृतिक आपदा भी झेली। इन सब के बावजूद भी इतने कम समय में हम 11 नंबर की इकोनॉमी से चार 4 नंबर की इकोनॉमी पर पहुंच गए क्योंकि हमारा ये लक्ष्य है, हम विकास चाहते हैं, हम प्रगति चाहते हैं।

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और साथियों,

मैं गुजरात का ऋणी हूं। इस मिट्टी ने मुझे बड़ा किया है। यहां से मुझे जो शिक्षा मिली, दीक्षा मिली, यहां से जो मैं आप सबके बीच रहकर के सीख पाया, जो मंत्र आपने मुझे दिए, जो सपने आपने मेरे में संजोए, मैं उसे देशवासियों के काम आए, इसके लिए कोशिश कर रहा हूं। मुझे खुशी है कि आज गुजरात सरकार ने शहरी विकास वर्ष, 2005 में इस कार्यक्रम को किया था। 20 वर्ष मनाने का और मुझे खुशी इस बात की हुई कि यह 20 साल के शहरी विकास की यात्रा का जय गान करने का कार्यक्रम नहीं बनाया। गुजरात सरकार ने उन 20 वर्ष में से जो हमने पाया है, जो सीखा है, उसके आधार पर आने वाले शहरी विकास को next generation के लिए उन्होंने उसका रोडमैप बनाया और आज वो रोड मैप गुजरात के लोगों के सामने रखा है। मैं इसके लिए गुजरात सरकार को, मुख्यमंत्री जी को, उनकी टीम को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

हम आज दुनिया की चौथी इकोनॉमी बने हैं। किसी को भी संतोष होगा कि अब जापान को भी पीछे छोड़ कर के हम आगे निकल गए हैं और मुझे याद है, हम जब 6 से 5 बने थे, तो देश में एक और ही उमंग था, बड़ा उत्साह था, खासकर के नौजवानों में और उसका कारण यह था कि ढाई सौ सालों तक जिन्होंने हम पर राज किया था ना, उस यूके को पीछे छोड़ करके हम 5 बने थे। लेकिन अब चार बनने का आनंद जितना होना चाहिए उससे ज्यादा तीन कब बनोगे, उसका दबाव बढ़ रहा है। अब देश इंतजार करने को तैयार नहीं है और अगर किसी ने इंतजार करने के लिए कहा, तो पीछे से नारा आता है, मोदी है तो मुमकिन है।

और इसलिए साथियों,

एक तो हमारा लक्ष्य है 2047, हिंदुस्तान विकसित होना ही चाहिए, no compromise… आजादी के 100 साल हम ऐसे ही नहीं बिताएंगे, आजादी के 100 साल ऐसे मनाएंगे, ऐसे मनाएंगे कि दुनिया में विकसित भारत का झंडा फहरता होगा। आप कल्पना कीजिए, 1920, 1925, 1930, 1940, 1942, उस कालखंड में चाहे भगत सिंह हो, सुखदेव हो, राजगुरु हो, नेताजी सुभाष बाबू हो, वीर सावरकर हो, श्यामजी कृष्ण वर्मा हो, महात्मा गांधी हो, सरदार पटेल हो, इन सबने जो भाव पैदा किया था और देश की जन-मन में आजादी की ललक ना होती, आजादी के लिए जीने-मरने की प्रतिबद्धता ना होती, आजादी के लिए सहन करने की इच्छा शक्ति ना होती, तो शायद 1947 में आजादी नहीं मिलती। यह इसलिए मिली कि उस समय जो 25-30 करोड़ आबादी थी, वह बलिदान के लिए तैयार हो चुकी थी। अगर 25-30 करोड़ लोग संकल्पबद्ध हो करके 20 साल, 25 साल के भीतर-भीतर अंग्रेजों को यहां से निकाल सकते हैं, तो आने वाले 25 साल में 140 करोड़ लोग विकसित भारत बना भी सकते हैं दोस्तों। और इसलिए 2030 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, मैं समझता हूं कि हमने अभी से 30 में होंगे, 35… 35 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, हमने अभी से नेक्स्ट 10 ईयर का पहले एक प्लान बनाना चाहिए कि जब गुजरात के 75 होंगे, तब गुजरात यहां पहुंचेगा। उद्योग में यहां होगा, खेती में यहां होगा, शिक्षा में यहां होगा, खेलकूद में यहां होगा, हमें एक संकल्प ले लेना चाहिए और जब गुजरात 75 का हो, उसके 1 साल के बाद जो ओलंपिक होने वाला है, देश चाहता है कि वो ओलंपिक हिंदुस्तान में हो।

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और इसलिए साथियों,

जिस प्रकार से हमारा यह एक लक्ष्य है कि हम जब गुजरात के 75 साल हो जाए। और आप देखिए कि जब गुजरात बना, उस समय के अखबार निकाल दीजिए, उस समय की चर्चाएं निकाल लीजिए। क्या चर्चाएं होती थी कि गुजरात महाराष्ट्र से अलग होकर क्या करेगा? गुजरात के पास क्या है? समंदर है, खारा पाठ है, इधर रेगिस्तान है, उधर पाकिस्तान है, क्या करेगा? गुजरात के पास कोई मिनरल्स नहीं, गुजरात कैसे प्रगति करेगा? यह ट्रेडर हैं सारे… इधर से माल लेते हैं, उधर बेचते हैं। बीच में दलाली से रोजी-रोटी कमा करके गुजारा करते हैं। क्‍या करेंगे ऐसी चर्चा थी। वही गुजरात जिसके पास एक जमाने में नमक से ऊपर कुछ नहीं था, आज दुनिया को हीरे के लिए गुजरात जाना जाता है। कहां नमक, कहां हीरे! यह यात्रा हमने काटी है। और इसके पीछे सुविचारित रूप से प्रयास हुआ है। योजनाबद्ध तरीके से कदम उठाएं हैं। हमारे यहां आमतौर पर गवर्नमेंट के मॉडल की चर्चा होती है कि सरकार में साइलोज, यह सबसे बड़ा संकट है। एक डिपार्टमेंट दूसरे से बात नहीं करता है। एक टेबल वाला दूसरे टेबल वाले से बात नहीं करता है, ऐसी चर्चा होती है। कुछ बातों में सही भी होगा, लेकिन उसका कोई सॉल्यूशन है क्या? मैं आज आपको बैकग्राउंड बताता हूं, यह शहरी विकास वर्ष अकेला नहीं, हमने उस समय हर वर्ष को किसी न किसी एक विशेष काम के लिए डेडिकेट करते थे, जैसे 2005 में शहरी विकास वर्ष माना गया। एक साल ऐसा था, जब हमने कन्या शिक्षा के लिए डेडिकेट किया था, एक वर्ष ऐसा था, जब हमने पूरा टूरिज्म के लिए डेडिकेट किया था। इसका मतलब ये नहीं कि बाकी सब काम बंद करते थे, लेकिन सरकार के सभी विभागों को उस वर्ष अगर forest department है, तो उसको भी अर्बन डेवलपमेंट में वो contribute क्या कर सकता है? हेल्थ विभाग है, तो अर्बन डेवलपमेंट ईयर में वो contribute क्या कर सकता है? जल संरक्षण मंत्रालय है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? टूरिज्म डिपार्टमेंट है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? यानी एक प्रकार से whole of the government approach, इस भूमिका से ये वर्ष मनाया और आपको याद होगा, जब हमने टूरिज्म ईयर मनाया, तो पूरे राज्य में उसके पहले गुजरात में टूरिज्म की कल्पना ही कोई नहीं कर सकता था। विशेष प्रयास किया गया, उसी समय ऐड कैंपेन चलाया, कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में, एक-एक चीज उसमें से निकली। उसी में से रण उत्‍सव निकला, उसी में से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बना। उसी में से आज सोमनाथ का विकास हो रहा है, गिर का विकास हो रहा है, अंबाजी जी का विकास हो रहा है। एडवेंचर स्पोर्ट्स आ रही हैं। यानी एक के बाद एक चीजें डेवलप होने लगीं। वैसे ही जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया।

और मुझे याद है, मैं राजनीति में नया-नया आया था। और कुछ समय के बाद हम अहमदाबाद municipal कॉरपोरेशन सबसे पहले जीते, तब तक हमारे पास एक राजकोट municipality हुआ करती थी, तब वो कारपोरेशन नहीं थी। और हमारे एक प्रहलादभाई पटेल थे, पार्टी के बड़े वरिष्ठ नेता थे। बहुत ही इनोवेटिव थे, नई-नई चीजें सोचना उनका स्वभाव था। मैं नया राजनीति में आया था, तो प्रहलाद भाई एक दिन आए मिलने के लिए, उन्होंने कहा ये हमें जरा, उस समय चिमनभाई पटेल की सरकार थी, तो हमने चिमनभाई और भाजपा के लोग छोटे पार्टनर थे। तो हमें चिमनभाई को मिलकर के समझना चाहिए कि यह जो लाल बस अहमदाबाद की है, उसको जरा अहमदाबाद के बाहर जाने दिया जाए। तो उन्होंने मुझे समझाया कि मैं और प्रहलाद भाई चिमनभाई को मिलने गए। हमने बहुत माथापच्ची की, हमने कहा यह सोचने जैसा है कि लाल बस अहमदाबाद के बाहर गोरा, गुम्‍मा, लांबा, उधर नरोरा की तरफ आगे दहेगाम की तरफ, उधर कलोल की तरफ आगे उसको जाने देना चाहिए। ट्रांसपोर्टेशन का विस्तार करना चाहिए, तो सरकार के जैसे सचिवों का स्वभाव रहता है, यहां बैठे हैं सारे, उस समय वाले तो रिटायर हो गए। एक बार एक कांग्रेसी नेता को पूछा गया था कि देश की समस्याओं का समाधान करना है तो दो वाक्य में बताइए। कांग्रेस के एक नेता ने जवाब दिया था, वो मुझे आज भी अच्छा लगता है। यह कोई 40 साल पहले की बात है। उन्होंने कहा, देश में दो चीजें होनी चाहिए। एक पॉलीटिशियंस ना कहना सीखें और ब्यूरोक्रेट हां कहना सीखे! तो उससे सारी समस्या का समाधान हो जाएगा। पॉलीटिशियंस किसी को ना नहीं कहता और ब्यूरोक्रेट किसी को हां नहीं कहता। तो उस समय चिमनभाई के पास गए, तो उन्‍होंने पूछा सबसे, हम दोबारा गए, तीसरी बार गए, नहीं-नहीं एसटी को नुकसान हो जाएगा, एसटी को कमाई बंद हो जाएगी, एसटी बंद पड़ जाएगी, एसटी घाटे में चल रही है। लाल बस वहां नहीं भेज सकते हैं, यह बहुत दिन चला। तीन-चार महीने तक हमारी माथापच्ची चली। खैर, हमारा दबाव इतना था कि आखिर लाल बस को लांबा, गोरा, गुम्‍मा, ऐसा एक्सटेंशन मिला, उसका परिणाम है कि अहमदाबाद का विस्तार तेजी से उधर सारण की तरफ हुआ, इधर दहेगाम की तरफ हुआ, उधर कलोल की तरह हुआ, उधर अहमदाबाद की तरह हुआ, तो अहमदाबाद की तरफ जो प्रेशर, एकदम तेजी से बढ़ने वाला था, उसमें तेजी आई, बच गए छोटी सी बात थी, तब जाकर के, मैं तो उस समय राजनीति में नया था। मुझे कोई ज्यादा इन चीजों को मैं जानता भी नहीं था। लेकिन तब समझ में आता था कि हम तत्कालीन लाभ से ऊपर उठ करके सचमुच में राज्य की और राज्य के लोगों की भलाई के लिए हिम्मत के साथ लंबी सोच के साथ चलेंगे, तो बहुत लाभ होगा। और मुझे याद है जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया, तो पहला काम आया, यह एंक्रोचमेंट हटाने का, अब जब एंक्रोचमेंट हटाने की बात आती हे, तो सबसे पहले रुकावट बनता है पॉलिटिकल आदमी, किसी भी दल का हो, वो आकर खड़ा हो जाता है क्योंकि उसको लगता है, मेरे वोटर है, तुम तोड़ रहे हो। और अफसर लोग भी बड़े चतुर होते हैं। जब उनको कहते हैं कि भई यह सब तोड़ना है, तो पहले जाकर वो हनुमान जी का मंदिर तोड़ते हैं। तो ऐसा तूफान खड़ा हो जाता है कि कोई भी पॉलिटिशयन डर जाता है, उसको लगता है कि हनुमान जी का मंदिर तोड़ दिया तो हो… हमने बड़ी हिम्मत दिखाई। उस समय हमारे …..(नाम स्पष्ट नहीं) अर्बन मिनिस्टर थे। और उसका परिणाम यह आया कि रास्ते चौड़े होने लगे, तो जिसका 2 फुट 4 फुट कटता था, वह चिल्लाता था, लेकिन पूरा शहर खुश हो जाता था। इसमें एक स्थिति ऐसी बनी, बड़ी interesting है। अब मैंने तो 2005 अर्बन डेवलपमेंट ईयर घोषित कर दिया। उसके लिए कोई 80-90 पॉइंट निकाले थे, बडे interesting पॉइंट थे। तो पार्टी से ऐसी मेरी बात हुई थी कि भाई ऐसा एक अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा, जरा सफाई वगैरह के कामों में सब को जोड़ना पड़ेगा ऐसा, लेकिन जब ये तोड़ना शुरू हुआ, तो मेरी पार्टी के लोग आए, ये बड़ा सीक्रेट बता रहा हूं मैं, उन्होंने कहा साहब ये 2005 में तो अर्बन बॉडी के चुनाव है, हमारी हालत खराब हो जाएगी। यह सब तो चारों तरफ तोड़-फोड़ चल रही है। मैंने कहा यार भई यह तो मेरे ध्यान में नहीं रहा और सच में मेरे ध्यान में वो चुनाव था ही नहीं। अब मैंने कार्यक्रम बना दिया, अब साहब मेरा भी एक स्वभाव है। हम तो बचपन से पढ़ते आए हैं- कदम उठाया है तो पीछे नहीं हटना है। तो मैंने मैंने कहा देखो भाई आपकी चिंता सही है, लेकिन अब पीछे नहीं हट सकते। अब तो ये अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा। हार जाएंगे, चुनाव क्या है? जो भी होगा हम किसी का बुरा करना नहीं चाहते, लेकिन गुजरात में शहरों का रूप रंग बदलना बहुत जरूरी है।

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साथियों,

हम लोग लगे रहे। काफी विरोध भी हुआ, काफी आंदोलन हुए बहुत परेशानी हुई। यहां मीडिया वालों को भी बड़ा मजा आ गया कि मोदी अब शिकार आ गया हाथ में, तो वह भी बड़ी पूरी ताकत से लग गए थे। और उसके बाद जब चुनाव हुआ, देखिए मैं राजनेताओं को कहता हूं, मैं देश भर के राजनेता मुझे सुनते हैं, तो देखना कहता हूं, अगर आपने सत्यनिष्ठा से, ईमानदारी से लोगों की भलाई के लिए निर्णय करते हैं, तत्कालीन भले ही बुरा लगे, लोग साथ चलते हैं। और उस समय जो चुनाव हुआ 90 परसेंट विक्ट्री बीजेपी की हुई थी, 90 परसेंट यानी लोग जो मानते हैं कि जनता ये नहीं और मुझे याद है। अब यह जो यहां अटल ब्रिज बना है ना तो मुझे, यह साबरमती रिवर फ्रंट पर, तो पता नहीं क्यों मुझे उद्घाटन के लिए बुलाया था। कई कार्यक्रम थे, तो मैंने कहा चलो भई हम भी देखने जाते हैं, तो मैं जरा वो अटल ब्रिज पर टहलने गया, तो वहां मैंने देखा कुछ लोगों ने पान की पिचकारियां लगाई हुई थी। अभी तो उद्घाटन होना था, लेकिन कार्यक्रम हो गया था। तो मेरा दिमाग, मैंने कहा इस पर टिकट लगाओ। तो ये सारे लोग आ गए साहब चुनाव है, उसी के बाद चुनाव था, बोले टिकट नहीं लगा सकते मैंने कहा टिकट लगाओ वरना यह तुम्हारा अटल ब्रिज बेकार हो जाएगा। फिर मैं दिल्ली गया, मैंने दूसरे दिन फोन करके पूछा, मैंने कहा क्या हुआ टिकट लगाने का एक दिन भी बिना टिकट नहीं चलना चाहिए।

साथियों,

खैर मेरा मान-सम्मान रखते हैं सब लोग, आखिर के हमारे लोगों ने ब्रिज पर टिकट लगा दिया। आज टिकट भी हुआ, चुनाव भी जीते दोस्तों और वो अटल ब्रिज चल रहा है। मैंने कांकरिया का पुनर्निर्माण का कार्यक्रम लिया, उस पर टिकट लगाया तो कांग्रेस ने बड़ा आंदोलन किया। कोर्ट में चले गए, लेकिन वह छोटा सा प्रयास पूरे कांकरिया को बचा कर रखा हुआ है और आज समाज का हर वर्ग बड़ी सुख-चैन से वहां जाता है। कभी-कभी राजनेताओं को बहुत छोटी चीजें डर जाते हैं। समाज विरोधी नहीं होता है, उसको समझाना होता है। वह सहयोग करता है और अच्छे परिणाम भी मिलते हैं। देखिए शहरी शहरी विकास की एक-एक चीज इतनी बारीकी से बनाई गई और उसी का परिणाम था और मैं आपको बताता हूं। यह जो अब मुझ पर दबाव बढ़ने वाला है, वो already शुरू हो गया कि मोदी ठीक है, 4 नंबर तो पहुंच गए, बताओ 3 कब पहुंचोगे? इसकी एक जड़ी-बूटी आपके पास है। अब जो हमारे ग्रोथ सेंटर हैं, वो अर्बन एरिया हैं। हमें अर्बन बॉडीज को इकोनॉमिक के ग्रोथ सेंटर बनाने का प्लान करना होगा। अपने आप जनसंख्या के कारण वृद्धि होती चले, ऐसे शहर नहीं हो सकते हैं। शहर आर्थिक गतिविधि के तेजतर्रार केंद्र होने चाहिए और अब तो हमने टीयर 2, टीयर 3 सीटीज पर भी बल देना चाहिए और वह इकोनॉमिक एक्टिविटी के सेंटर बनने चाहिए और मैं तो पूरे देश की नगरपालिका, महानगरपालिका के लोगों को कहना चाहूंगा। अर्बन बॉडी से जुड़े हुए सब लोगों से कहना चाहूंगा कि वे टारगेट करें कि 1 साल में उस नगर की इकोनॉमी कहां से कहां पहुंचाएंगे? वहां की अर्थव्यवस्था का कद कैसे बढ़ाएंगे? वहां जो चीजें मैन्युफैक्चर हो रही हैं, उसमें क्वालिटी इंप्रूव कैसे करेंगे? वहां नए-नए इकोनॉमिक एक्टिविटी के रास्ते कौन से खोलेंगे। ज्यादातर मैंने देखा नगर पालिका की जो नई-नई बनती हैं, तो क्या करते हैं, एक बड़ा शॉपिंग सेंटर बना देते हैं। पॉलिटिशनों को भी जरा सूट करता है वह, 30-40 दुकानें बना देंगे और 10 साल तक लेने वाला नहीं आता है। इतने से काम नहीं चलेगा। स्टडी करके और खास करके जो एग्रो प्रोडक्ट हैं। मैं तो टीयर 2, टीयर 3 सीटी के लिए कहूंगा, जो किसान पैदावार करता है, उसका वैल्यू एडिशन, यह नगर पालिकाओं में शुरू हो, आस-पास से खेती की चीजें आएं, उसमें से कुछ वैल्यू एडिशन हो, गांव का भी भला होगा, शहर का भी भला होगा।

उसी प्रकार से आपने देखा होगा इन दिनों स्टार्टअप, स्टार्टअप में भी आपके ध्यान में आया होगा कि पहले स्‍टार्टअप बड़े शहर के बड़े उद्योग घरानों के आसपास चलते थे, आज देश में करीब दो लाख स्टार्टअप हैं। और ज्यादातर टीयर 2, टीयर 3 सीटीज में है और इसमें भी गर्व की बात है कि उसमें काफी नेतृत्व हमारी बेटियों के पास है। स्‍टार्टअप की लीडरशिप बेटियों के पास है। ये बहुत बड़ी क्रांति की संभावनाओं को जन्म देता है और इसलिए मैं चाहूंगा कि अर्बन डेवलपमेंट ईयर के जब 20 साल मना रहे हैं और एक सफल प्रयोग को हम याद करके आगे की दिशा तय करते हैं तब हम टीयर 2, टीयर 3 सीटीज को बल दें। शिक्षा में भी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज काफी आगे रहा, इस साल देख लीजिए। पहले एक जमाना था कि 10 और 12 के रिजल्ट आते थे, तो जो नामी स्कूल रहते थे बड़े, उसी के बच्चे फर्स्ट 10 में रहते थे। इन दिनों शहरों की बड़ी-बड़ी स्कूलों का नामोनिशान नहीं होता है, टीयर 2, टीयर 3 सीटीज के स्कूल के बच्चे पहले 10 में आते हैं। देखा होगा आपने गुजरात में भी यही हो रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि हमारे छोटे शहरों के पोटेंशियल, उसकी ताकत बढ़ रही है। खेल का देखिए, पहले क्रिकेट देखिए आप, क्रिकेट तो हिंदुस्तान में हम गली-मोहल्ले में खेला जाता है। लेकिन बड़े शहर के बड़े रहीसी परिवारों से ही खेलकूद क्रिकेट अटका हुआ था। आज सारे खिलाड़ी में से आधे से ज्यादा खिलाड़ी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज गांव के बच्चे हैं जो खेल में इंटरनेशनल खेल खेल कर कमाल करते हैं। यानी हम समझें कि हमारे शहरों में बहुत पोटेंशियल है। और जैसा मनोहर जी ने भी कहां और यहां वीडियो में भी दिखाया गया, यह हमारे लिए बहुत बड़ी opportunity है जी, 4 में से 3 नंबर की इकोनॉमी पहुंचने के लिए हम हिंदुस्तान के शहरों की अर्थव्यवस्था पर अगर फोकस करेंगे, तो हम बहुत तेजी से वहां भी पहुंच पाएंगे।

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साथियों,

ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। दुर्भाग्य से हमारे देश में एक ऐसे ही इकोसिस्टम ने जमीनों में अपनी जड़े ऐसी जमा हुई हैं कि भारत के सामर्थ्य को हमेशा नीचा दिखाने में लगी हैं। वैचारिक विरोध के कारण व्यवस्थाओं के विकास का अस्वीकार करने का उनका स्वभाव बन गया है। व्यक्ति के प्रति पसंद-नापसंद के कारण उसके द्वारा किये गए हर काम को बुरा बता देना एक फैशन का तरीका चल पड़ा है और उसके कारण देश की अच्‍छी चीजों का नुकसान हुआ है। ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। अब आप देखिए, हमने शहरी विकास पर तो बल दिया, लेकिन वैसा ही जब आपने दिल्‍ली भेजा, तो हमने एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट, एस्पिरेशनल ब्लॉक पर विचार किया कि हर राज्य में एकाध जिला, एकाध तहसील ऐसी होती है, जो इतना पीछे होता है, कि वो स्‍टेट की सारी एवरेज को पीछे खींच ले जाता है। आप जंप लगा ही नहीं सकते, वो बेड़ियों की तरह होता है। मैंने कहा, पहले इन बेड़ियों को तोड़ना है और देश में 100 के करीब एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट उनको identify किया गया। 40 पैरामीटर से देखा गया कि यहां क्या जरूरत है। अब 500 ब्‍लॉक्‍स identify किए हैं, whole of the government approach के साथ फोकस किया गया। यंग अफसरों को लगाया गया, फुल टैन्‍यूर के साथ काम करें, ऐसा लगाया। आज दुनिया के लिए एक मॉडल बन चुका है और जो डेवलपिंग कंट्रीज हैं उनको भी लग रहा है कि हमारे यहां विकास के इस मॉडल की ओर हमें चलना चाहिए। हमारा academic world भारत के इन प्रयासों और सफल प्रयासों के विषय में सोचे और जब academic world इस पर सोचता है तो दुनिया के लिए भी वो एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में काम आता है।

साथियों,

आने वाले दिनों में टूरिज्म पर हमें बल देना चाहिए। गुजरात ने कमाल कर दिया है जी, कोई सोच सकता है। कच्छ के रेगिस्तान में जहां कोई जाने का नाम नहीं लेता था, वहां आज जाने के लिए बुकिंग नहीं मिलती है। चीजों को बदला जा सकता है, दुनिया का सबसे बड़ा ऊंचा स्टैच्यू, ये अपने आप में अद्भुत है। मुझे बताया गया कि वडनगर में जो म्यूजियम बना है। कल मुझे एक यूके के एक सज्‍जन मिले थे। उन्होंने कहा, मैं वडनगर का म्यूजियम देखने जा रहा हूं। यह इंटरनेशनल लेवल में इतने global standard का कोई म्यूजियम बना है और भारत में काशी जैसे बहुत कम जगह है कि जो अविनाशी हैं। जो कभी भी मृतप्राय नहीं हुए, जहां हर पल जीवन रहा है, उसमें एक वडनगर हैं, जिसमें 2800 साल तक के सबूत मिले हैं। अभी हमारा काम है कि वह इंटरनेशनल टूरिस्ट मैप पर कैसे आए? हमारा लोथल जहां हम एक म्यूजियम बना रहे हैं, मैरीटाइम म्यूजियम, 5 हजार साल पहले मैरीटाइम में दुनिया में हमारा डंका बजता था। धीरे-धीरे हम भूल गए, लोथल उसका जीता-जागता उदाहरण है। लोथल में दुनिया का सबसे बड़ा मैरीटाइम म्यूजियम बन रहा है। आप कल्पना कर सकते हैं कि इन चीजों का कितना लाभ होने वाला है और इसलिए मैं कहता हूं दोस्तों, 2005 का वो समय था, जब पहली बार गिफ्ट सिटी के आईडिया को कंसीव किया गया और मुझे याद है, शायद हमने इसका launching Tagore Hall में किया था। तो उसके बड़े-बड़े जो हमारे मन में डिजाइन थे, उसके चित्र लगाए थे, तो मेरे अपने ही लोग पूछ रहे थे। यह होगा, इतने बड़े बिल्डिंग टावर बनेंगे? मुझे बराबर याद है, यानी जब मैं उसका मैप वगैरह और उसका प्रेजेंटेशन दिखाता था केंद्र के कुछ नेताओं को, तो वह भी मुझे कह रहे थे अरे भारत जैसे देश में ये क्या कर रहे हो तुम? मैं सुनता था आज वो गिफ्ट सिटी हिंदुस्तान का हर राज्य कह रहा है कि हमारे यहां भी एक गिफ्ट सिटी होना चाहिए।

साथियों,

एक बार कल्पना करते हुए उसको जमीन पर, धरातल पर उतारने का अगर हम प्रयास करें, तो कितने बड़े अच्छे परिणाम मिल सकते हैं, ये हम भली भांति देख रहे हैं। वही काल खंड था, रिवरफ्रंट को कंसीव किया, वहीं कालखंड था जब दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम बनाने का सपना देखा, पूरा किया। वही कालखंड था, दुनिया का सबसे ऊंचा स्टैच्यू बनाने के लिए सोचा, पूरा किया।

भाइयों और बहनों,

एक बार हम मान के चले, हमारे देश में potential बहुत हैं, बहुत सामर्थ्‍य है।

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साथियों,

मुझे पता नहीं क्यों, निराशा जैसी चीज मेरे मन में आती ही नहीं है। मैं इतना आशावादी हूं और मैं उस सामर्थ्य को देख पाता हूं, मैं दीवारों के उस पार देख सकता हूं। मेरे देश के सामर्थ्य को देख सकता हूं। मेरे देशवासियों के सामर्थ्य को देख सकता हूं और इसी के भरोसे हम बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं और इसलिए आज मैं गुजरात सरकार का बहुत आभारी हूं कि आपने मुझे यहां आने का मौका दिया है। कुछ ऐसी पुरानी-पुरानी बातें ज्यादातर ताजा करने का मौका मिल गया। लेकिन आप विश्वास करिए दोस्तों, गुजरात की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हम देने वाले लोग हैं, हमें देश को हमेशा देना चाहिए। और हम इतनी ऊंचाई पर गुजरात को ले जाए, इतनी ऊंचाई पर ले जाएं कि देशवासियों के लिए गुजरात काम आना चाहिए दोस्तों, इस महान परंपरा को हमें आगे बढ़ाना चाहिए। मुझे विश्वास है, गुजरात एक नए सामर्थ्य के साथ अनेक विद नई कल्पनाओं के साथ, अनेक विद नए इनीशिएटिव्स के साथ आगे बढ़ेगा मुझे मालूम है। मेरा भाषण शायद कितना लंबा हो गया होगा, पता नहीं क्या हुआ? लेकिन कल मीडिया में दो-तीन चीजें आएंगी। वो भी मैं बता देता हूं, मोदी ने अफसरों को डांटा, मोदी ने अफसरों की धुलाई की, वगैरह-वगैरह-वगैरह, खैर वो तो कभी-कभी चटनी होती है ना इतना ही समझ लेना चाहिए, लेकिन जो बाकी बातें मैंने याद की है, उसको याद कर करके जाइए और ये सिंदुरिया मिजाज! ये सिंदुरिया स्पिरिट, दोस्‍तों 6 मई को, 6 मई की रात। ऑपरेशन सिंदूर सैन्य बल से प्रारंभ हुआ था। लेकिन अब ये ऑपरेशन सिंदूर जन-बल से आगे बढ़ेगा और जब मैं सैन्य बल और जन-बल की बात करता हूं तब, ऑपरेशन सिंदूर जन बल का मतलब मेरा होता है जन-जन देश के विकास के लिए भागीदार बने, दायित्‍व संभाले।

हम इतना तय कर लें कि 2047, जब भारत के आजादी के 100 साल होंगे। विकसित भारत बनाने के लिए तत्काल भारत की इकोनॉमी को 4 नंबर से 3 नंबर पर ले जाने के लिए अब हम कोई विदेशी चीज का उपयोग नहीं करेंगे। हम गांव-गांव व्यापारियों को शपथ दिलवाएं, व्यापारियों को कितना ही मुनाफा क्यों ना हो, आप विदेशी माल नहीं बेचोगे। लेकिन दुर्भाग्य देखिए, गणेश जी भी विदेशी आ जाते हैं। छोटी आंख वाले गणेश जी आएंगे। गणेश जी की आंख भी नहीं खुल रही है। होली, होली रंग छिड़कना है, बोले विदेशी, हमें पता था आप भी अपने घर जाकर के सूची बनाना। सचमुच में ऑपरेशन सिंदूर के लिए एक नागरिक के नाते मुझे एक काम करना है। आप घर में जाकर सूची बनाइए कि आपके घर में 24 घंटे में सुबह से दूसरे दिन सुबह तक कितनी विदेशी चीजों का उपयोग होता है। आपको पता ही नहीं होता है, आप hairpin भी विदेशी उपयोग कर लेते हैं, कंघा भी विदेशी होता है, दांत में लगाने वाली जो पिन होती है, वो भी विदेशी घुस गई है, हमें मालूम तक नहीं है। पता ही नहीं है दोस्‍तों। देश को अगर बचाना है, देश को बनाना है, देश को बढ़ाना है, तो ऑपरेशन सिंदूर यह सिर्फ सैनिकों के जिम्‍मे नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर 140 करोड़ नागरिकों की जिम्‍मे है। देश सशक्त होना चाहिए, देश सामर्थ्‍य होना चाहिए, देश का नागरिक सामर्थ्यवान होना चाहिए और इसके लिए हमने वोकल फॉर लोकल, वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट, मैं मेरे यहां, जो आपके पास है फेंक देने के लिए मैं नहीं कह रहा हूं। लेकिन अब नया नहीं लेंगे और शायद एकाध दो परसेंट चीजें ऐसी हैं, जो शायद आपको बाहर की लेनी पड़े, जो हमारे यहां उपलब्ध ना हो, बाकि आज हिंदुस्तान में ऐसा कुछ नहीं। आपने देखा होगा, आज से पहले 25 साल 30 साल पहले विदेश से कोई आता था, तो लोग लिस्ट भेजते थे कि ये ले आना, ये ले आना। आज विदेश से आते हैं, वो पूछते हैं कि कुछ लाना है, तो यहां वाले कहते हैं कि नहीं-नहीं यहां सब है, मत लाओ। सब कुछ है, हमें अपनी ब्रांड पर गर्व होना चाहिए। मेड इन इंडिया पर गर्व होना चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर सैन्‍य बल से नहीं, जन बल से जीतना है दोस्तों और जन बल आता है मातृभूमि की मिट्टी में पैदा हुई हर पैदावार से आता है। इस मिट्टी की जिसमें सुगंध हो, इस देश के नागरिक के पसीने की जिसमें सुगंध हो, उन चीजों का मैं इस्तेमाल करूंगा, अगर मैं ऑपरेशन सिंदूर को जन-जन तक, घर-घर तक लेकर जाता हूं। आप देखिए हिंदुस्तान को 2047 के पहले विकसित राष्ट्र बनाकर रहेंगे और अपनी आंखों के सामने देखकर जाएंगे दोस्तों, इसी इसी अपेक्षा के साथ मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए,

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

भारत माता की जय! जरा तिरंगे ऊपर लहराने चाहिए।

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

धन्यवाद!