Quote“Today, from this land of Gujarat and from the banks of Maa Narmada I pay my respectful homage to respected Mulayam Singh Ji”
Quote“Bharuch has a critical role to play in the development of Gujarat and India”
Quote“It is a result of the double-engine government of Narendra-Bhupendra that strives to bring the tasks to completion at meteoric pace”
Quote“Both policy and intention (Niti and Niyat) are needed for realizing the dreams of an enabling environment”
Quote“Indian economy has reached the 5th position from 10th place in 2014”
Quote“Gujarat helped the country a great deal in the war against Corona. Gujarat accounts for 25 per cent share of the country’s pharma export”
Quote“Adivasi community has contributed immensely to the journey of the development”
Quote“Development of Bharuch and Ankleshwar is being carried out along the lines of twin city model of development”

भारत माता की – जय,

भारत माता की – जय,

मंच पर विराजमान गुजरात के मृदू एवं मक्कम हमारे लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल। 2019 के चुनाव में देश में सबसे अधिक वोटों से जीतने वाले और एक नया रेकार्ड प्रस्थापित करने वाले संसद के मेरे साथी सी.आर. पाटिल, केंद्र में मंत्रीपरिषद के मेरे साथी और गुजरात के ही संतान श्री मनसुख भाई मांडविया, मंच पर विराजमान गुजरात सरकार के सभी मंत्री महोदय, सांसदगण, विधायकगण और विशाल संख्या में मुझे आर्शीवाद देने के लिए आए हुए मेरे प्यारे भाईयों और बहनों,

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साथियों,

आज सुबह मैं यहां आ रहा था तो एक दुखद खबर भी मिली। आज मुलायम सिंह यादव जी का निधन हो गया है। मुलायम सिंह यादव जी, उनका जाना देश के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है। मुलायम सिंह जी के साथ मेरा नाता बड़ा विशेष प्रकार का रहा है। जब हम दोनों मुख्यमंत्री के रूप में मिला करते थे। वे भी और मैं भी दोनों के प्रति एक अपनत्व का भाव अनुभव करते थे, और 2014 में जब भारतीय जनता पार्टी ने 2014 चुनाव के लिए मुझे प्रधानमंत्री पद के लिए आर्शीवाद दिए तो मैंने विपक्ष में भी जो लोग थे। जिनसे मेरा पहले से परिचय था। ऐसे कुछ महानुभावों को जो देश के वरिष्ठ राजनेता थे, राजनीतिक रूप से हमारे विरोधी थे। लेकिन उन सबको फोन करके आर्शीवाद लेने का मैंने एक उपक्रम किया था और मुझे याद है उस दिन मुलायम सिंह जी का वो आर्शीवाद, कुछ सलाह के दो शब्द वो आज भी मेरी अमानत हैं, और मुलायम सिंह जी की विशेषता रही कि 2013 में मुझे उन्होंने जो आर्शीवाद दिया था। उसमें कभी भी उतार चढ़ाव नहीं आने दिया। घोर राजनीतिक विरोधी बातें के बीच भी जब 2019 में पार्लियामेंट का आखिरी सत्र था पिछली लोकसभा का और संसद के अंदर मुलायम सिंह जी जैसे वरिष्ठ नेता उन्होंने खड़े होकर के पार्लियामेंट में जो बात बताई थी। वो इस देश के किसी भी राजनीतिक कार्यकर्ता के जीवन में बहुत बड़ा आर्शीवाद होता है। उन्होंने संसद में खड़े होकर के कहा था। कोई लाग लगेट के बिना कहा था। राजनीतिक आटा पाटा के खेल के बिना कहा था। उन्होंने कहा था मोदी जी सबको साथ लेकर के चलते हैं और इसलिए मुझे पक्का विश्वास है कि वो 2019 में फिर से चुनकर के देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। कितना बड़ा दिल होगा, जो मुझे जब तक जीवीत रहे, जब भी मौका मिला उनके आर्शीवाद मिलते रहे। मैं आज आदरणीय मुलायम सिंह जी को गुजरात की इस धरती से मां नर्मदा के तट से उनको आदरपूवर्क भावभिनि श्रद्धांजलि देता हूं। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं उनके परिवार, उनके समर्थकों को ये दुख सहने की शक्ति दे।

साथियों,

इस बार मैं ऐसे समय में भरूच आया हूं, जब देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। जब भी हम भारत के इतिहास को पढ़ते हैं और भविष्य की बात करते हैं, तो भरूच की चर्चा हमेशा गर्व के साथ होती है। इस धरती ने ऐसी अनेकों संतानों को जन्म दिया है, जिन्होंने अपने काम से देश का गौरव बढ़ाया है। जैसे हमारे धरतीपुत्र कन्हैयालाल मानेकलाल मुंशी जी। संविधान निर्माण में देश उनके योगदान को, उनको कभी भी भूल नहीं सकता है। सोमनाथ के मंदिर के भव्य निर्माण में सरदार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर के चलने वाले मुंशी साहब की भूमिका को कोई भूल नहीं सकता है। इतना ही नहीं भारतीय संगीत के सिरमोहर उसको बुलंदी देने वाले पंडित ओंकारनाथ ठाकुर, उनका नाता भी तो इसी मिट्टी से रहा है। ऐसे महान व्यक्तित्वों के काम से प्रेरणा लेकर हम गुजरात का गौरव बढ़ाने और गुजरात को विकसित बनाने के लिए काम कर रहे हैं।

भाइयों और बहनों,

गुजरात की, देश की प्रगति में चाहे वो गुजरात की प्रगति हो, चाहे देश की प्रगति हो, भरूच का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। भरुच की भागीदारी, एक जमाना था अपना भरुच केवल सिंगदाने के कारण पहचाना जाता था। आज मेरा भरुच उधोग, धंधा, व्यापार, बंदरगाह अनेक बातों में उसका जय जयकार हो रहा है। और आज मेरे इस प्रवास के दौरान गुजरात में जो शिलान्यास और लोकार्पण के काम हो रहे है, भूतकाल में किसी एक सरकार के यानी की गुजरात के भूतकाल के बजट से भी, पुरानी सरकारों में गुजरात का जो कुल बजट था, ना एक साल का उससे भी ज्यादा मैंने एक प्रवास में लोकार्पण और शिलान्यास के कार्यक्रम कर दिये है।

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भाइयों,

यह गुजरात कहां से कहां पहुंच गया और अब तो हमारा भरुच जिला भी कोस्मोपोलिटिन जिला बन गया है। यहां पर हिंदुस्तान के लगभग सभी राज्यों के भाई बेठै होंगे। और संपूर्ण भरुच जिले में जाओ तो आपको कोई केरला का आदमी मिलेगा, कोई बंगाल का मिलेगा, कोई बिहार का मिलेगा। पूरे देश के लोग, एक जमाना था कलकत्ता, दिल्ली, मुंबई इसको कोस्मोपोलिटिन कहे जाते थे। आज गुजरात ने इतना सारा विकास किया है, की गुजरात के अनेक जिले कोस्मोपोलिटिन बन गये है। और पुरे देश को खुद के साथ प्रेम से समावेश करके रहने लगे। यह गुजरात के विकास यात्रा की उंचाई है।

भाईयों-बहनों

आज पहला बल्क ड्रग पार्क, गुजरात को मिला है और वो भी मेरे भरूच को मिला है। केमिकल सेक्टर से जुड़े अनेक प्लांट्स का भी लोकार्पण हुआ है। इसी के साथ-साथ कनेक्टिविटी से जुड़े दो बड़े प्रोजेक्ट्स, अंकलेश्वर, राजपिपला और स्टेच्यू ऑफ यूनिटी एकतानगर को जोड़ने वाली सड़क और सबसे बड़ी बात कितने सालों से बात हो रही थी। जब मैं मुख्यमंत्री था तब भी होती थी और यहां से बड़े-बड़े नेता दिल्ली में बैठे थे तब भी होती थी। लेकिन कोई हमारी बात सुनता नहीं था। जिस प्रकार से भरूच जिले का विकास हो रहा था। अब भरुच बडौदा या सूरत के एयापोर्ट पर निर्भर नहीं रह सकता, भरूच का अपन एयरपोर्ट होना चाहिए और इसलिए अंकलेश्वर में नया एयरपोर्ट बनाने का आज शिलान्यास हो रहा है।

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साथियों,

उद्योगों के हिसाब से देखें तो भरूच ऐसा जिला है, जहां देश के कई छोटे राज्यों की तुलना में ज्यादा उद्योग हैं। एक राज्य में जितने उधोग होते है, उससे ज्यादा उधोग मात्र अपने भरुच जिले में है। और यह एक जिले के उधोग जितनी संख्या में रोजगार दे रहे हैं, यह भी अपने आपमें एक बहुत बडा रेकोर्ड है भाइयों। देश-विदेश से इतना व्यापार-कारोबार होने के बाद अब जब एयरपोर्ट मिल रहा है तो विकास को एक नई उड़ान एक नई गति मिलने वाली है और जब नरेंद्र भूपेंद्र की डबल इंजन की सरकार होती है ना तो एयरपोर्ट का काम भी बहुत तेजी से पूरा हो जाएगा। एयरपोर्ट बनने से उद्योगकारों का आना जाना, बड़े-बड़े अफसरों का आना जाना तेज हो जाएगा, विकास भी तेज हो जाएगा। Export को और बढ़ावा मिलेगा।

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भाइयों और बहनों,

आज हमें गुजरात की एक अलग ही तस्वीर दिखती है। गुजरात नया है, बदला हुआ है, और जबरदस्त उंचाई पर छलांग लगाने के लिये थनगना रहा हो ऐसा अपना गुजरात है भाइयों। और इतनी सारी चीजें हम देखते है, अपने सामने लेकिन दो दशक पहले वह दिन याद करो तो कैसा लगता है भाई। दो दशक पहले अपने गुजरात की पहचान क्यां थी, व्यापारी, एक जगह से माल लेते और दुसरी जगह पर बेचते और बीच में जो दलाली मिले उससे अपना गुजारा चलाते थे। यह अपनी पहचान थी कृषि में पीछे, उधोग में पीछे। क्योंकि, अपने पास रो- मटिरियल्स नहीं था। ऐसी परिस्थिति में दो दशक के अंदर जबरदस्त मेहनत करके आज गुजरात ने औधोगिक क्षेत्र में विकास की उंचाई हांसिल कि है। स्पेयर पार्टस बनाने के छोटे-छोटे उधोगो के जाल, ऐसे ही अपने यह पोर्ट, अपनी कोस्टलाइन और विकास की गति हम सबने भर दी। और हमारे आदिवासी भाई-बहन, हमारे माछुआरे भाई-बहन उनकी तो कैसी खराब परिस्थिति थी। कोई पुछने वाला भी नहीं था। आज जो 20, 22, 25 वर्ष के नौजवान है, उनको तो पता भी नहीं होगा की यहां पर जीने के लिये कितनी कडी मेहनत करनी पडती थी। यह हमारा भरुच खाली हो जाता था। उनको तो पता भी नहीं की गुजरात के किसी एक जमाने में ऐसी स्थिति थी। और बहुत मेहनत करके गुजरात की जनता के साथ सहयोग से आज यह जगह पर पहुंचे है। और उंची छलांग लगाने के लिये सब तैयार होकर बैठे हैं और इसलिये आने वाले दिनो मे ऊंची छलांग लगानी है। आजादी के 75 साल अमृत महोत्सव के साथ अमृत काल की शरुआत हुई है, उसी प्रकार गुजरात के युवाओं के लिये यह स्वर्णिम काल की शुरुआत हुई है। यह स्वर्णिम काल का मौका जाने नहीं देना है भाइयों। किसी भी जगह पर विकास कब होता है भाइयों? विकास करना हो तो एक जैसा वातावरण होना चाहिए, सानुकुल वातावरण चाहिए, प्रोत्साहक वातावरण चाहिए, रुकावट लाने वाला वातावरण नहीं चलता भाइयों। और इसमें सबजे ज्यादा आवश्यकता होती है कायदे- व्यवस्था की। अच्छे से अच्छा इन्फ्रास्ट्रक्चर, और इन सब के साथ-साथ चाहिए नीति और नियत भी। अकेली नीति से कुछ नहीं निकलता, नीति जीतनी भी अच्छी हो लेकीन नियत खड्डे में गई हो तो यह सब खड्डें में ही जाता है। यह भरुच को कौन नहीं पहचानता भाइयों। शाम होने पर पांचबत्ती विस्तार जाना हो तो कैसी दिक्कत होती थी। कानून व्यवस्था की कैसी स्थिति थी भाइयों, होता था की नहीं? कब किसी का अपहरण होता, कब किसी को घर खाली करने की धमकी मिले,ऐसे दिन थे। आज कानून व्यवस्था यह भरुच के लोगों को सुख शांति से रहते हुए किये की नहीं किये? सुख-शांति से रहते हुए की नहीं हुए? और इसका लाभ सबको मिला की नहीं मिला? इसको मिला, इसको नहीं मिला,ऐसा नहीं सबको मिला। शांति हो कानून व्यवस्था हो तो इसमे हमारे आदिवासी भाइयों, गरीब भाइयों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिलता है। वरना तो यहां भरुच मे आदिवासी लड़की को काम देकर उनके साथ कैसे व्यवहार होते थे, और आदिवासी उनके साथ रोष व्यक्त करते थे। लेकिन जब मुझे हमारे आदिवासी भाई-बहन का साथ मिला, तो मेरे आदिवासी भाई-बहन के भरपूर आशीर्वाद मुझे मिलते रहे। एक जमाना था, आरोग्य की सुविधा नहीं थी, हॉस्पिटल जाना हो तो सूरत तक, बरोड़ा तक भागना पडता था। कृषि, मां नर्मदा के तट पर रहने के बावजूद भी हमें पानी के लिए तरसना पडता था। ऐसे दिन देखे हैं। मुझे याद है सालों पहले भरुच में पीने का पानी का संकट था, ऐसे संकट का सामना भरुच कर रहा था। पूरा खारा पट अंदर आता जाता था, इतना हीं नहीं अपने भरुच जिले में कितने सारे धार्मिक स्थल है, पुरा नर्मदा तट तो भरा पड़ा है। लेकिन उसका विकास करने मे उनको संकोच होता था। भारत की आत्मा को तोड़ने का प्रयास होता था। भाइयों-बहनों यह सब तो 20 साल पहले की बात है। 25-25 साल के युवाओं को पता ना हो यह स्वाभाविक बात है। लेकिन आपने जब मुझे सेवा करने का मौका दिया, एक-एक समस्या को पकड़ते गये, उलझने सुलझाते गये, रास्ता ढुंढते गये और स्थिति बदलते गये। कानून व्यवस्था की बात हो, बड़े-बड़े बाहुबलीयों को जेल के हवाले कर दिया भाइयों। उनको भी हुआ की अब हमको ठीक से चलना पडेगा, और इसके कारण गुजरात के बच्चों को आज कर्फ्यू शब्द पता नहीं है कर्फ्यू। नहीं तो अपने भरुच मे थोड़े-थोड़े समय में कर्फ्यू लगता। और आज जो माता-बहनें, बेटियां है ना उनको पता भी नहीं होगा की आपके घर में जो वृद्ध है उनको भूतकाल में गरबा खेलना हो तो कितनी तकलीफ पड़ती थी। आज गुजरात के स्कूल, कॉलेज जाने वाली लड़कियां, बरोड़ा अभ्यास के लिये जाना हो तो निश्चिंत होकर जाती है, कॉलेज मे पढें, अप-डाउन भी करती है, और अब तो भरुच जिले ने भी शिक्षण के क्षेत्र मे जबरदस्त विकास किया है। किसी युवती को देर रात तक काम करना हो, रेलवे स्टेशन से घर जाना हो, बस स्टेशन से घर जाना हो, तो उसको कभी भी मन में डर का नामो-निशान ना रहे यह स्थिति हम सबने पैदा की है। और जब बाहर के लोग आते है ना यहां पर, अभी जब यहां पर नेशनल स्पोर्ट्स का कार्यक्रम चल रहा है, खेल-कूद का। देशभर के हजारों की संख्या मे खिलाडी अभी गुजरात मे मौजूद है। तब खेल समाप्त करके शाम को गरबा देखने जाते थे। पूरी रात उनको देखके अचरज होता था, की ऐसा दृश्य जैसा की यहां पर तो रात होती ही ना हो। भाइयों-बहनों भरुच का विकास करना हो तो औधोगिक विकास जरुरी था। और इस समय बरोडा-वापी एक मुख्य हाइवे, एक आस-पास थोडी फैक्ट्रियां देखते और लोग जय जयकार करते थे, की हमारे यहां औधोगिक विकास हो गया। हमने देखा की यहां अविकसित क्षेत्र है, वहां पर भी विकास हमें करना है, और आदिवासी विस्तार में झगडीया जैसे विस्तार को उधोग लेकर गये। सुखे इलाकों में उधोगो को लेकर गए, जिसके कारण खेती की जमीन सुरक्षित रही और औधोगिक विकास भी हुआ। और आज मेन्युफेक्चरिंग का हब बन गया अपना गुजरात। एक्सपोर्ट हब बन गया, दो दशक पहले इसका नामो-निशान नहीं था भाइयों। आज दहेज-2, दहेज-3, सायखा, विलायत यह विकास के अपने नये- नये समृद्धि के द्वार बन गए है भाइयों-बहनों। आधुनिक हाइवे की बात हो, रो-रोफेरी सर्विस, यह रो-रो फेरी सर्विस विकास की बहुत बड़ी ताकत बनके उभरी है। दहेज को स्पेशियल इन्वेस्टमेन्ट रिजन, कितनी बड़ी उसकी ताकात बढ़ने लगी है भाइयों। इसके कारण गुजरात सरकार की उदार नीतियों का लाभ मिलने लगा है। और विशेष प्रकार से पेट्रोलियम केमिकल और पेट्रो-केमिकल उसके क्षेत्र में जो काम चल रहा था, उसका भी लाभ यहां हम सब को मिलता रहा है। और देखते-देखते हीं दुनिया में से हजारो-करोड़ रुपये की मुद्रा इन्वेस्टमेन्ट अपने दहेज और भरुच जिले में आ गया भाइयों। और 80 प्रतिशत उत्पादन जो यहां पर होता है ना वह दुनिया के देशों में जाता है। हम महेनत करते है और रुपया अपना डॉलर लेकर वापस आता है भाइयों। यह ताकत मेरा दहेज और भरुच जिला दे रहा है। आज देश मे केमिकल और पेट्रोलियम के साथ जुडे हुए पुरे क्षेत्र के लिये देशभर के लिये दहेज मॉडल बन चुका है।

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भाइयों-बहनों,

आज जो नए प्रोजेक्ट का लोकार्पण हुआ है, उससे अपने गुजरात की शक्ति तो बढ़ ही रही है, साथ ही मेरा भरुच जिला भी वाइब्रन्ट बन रहा है। और यहां जो नए प्लान्ट डेवलप हुए है, यह डबल ईंजन सरकार डबल बेनिफिट का उत्तम उदाहरण बन चुकीं है भाईयों। केमिकल के प्लान्ट गुजरात और केन्द्र सरकार की कंपनीयों की भी इसमे भागीदारी है। यहां बनने वाले केमिकल, मेन्युफेक्चरिंग उधोग इसका लाभ टेक्सटाइल्स इन्डस्ट्री को भी मिलने वाला है। आप जानते है की, टेक्सटाइल्स इन्डस्ट्री को लाभ होता है तो कोटन पैदा करने वाले किसान को भी लाभ होता है। सबसे ज्यादा मजदूरी, रोजगारी देनेवाला क्षेत्र है। हमारे बूनकर भाइयों-बहनो को हाथसाल चलाने वाले भाइयों-बहनो को उनको भी बडा लाभ होता है। इसी प्रकार फर्टिलाइजर, और हमारा तो यहां का फर्टिलाइजर का नाम रोशन हुआ है भाइयों। और जरुरी केमिकल्स,फर्टिलाइजर हमारे भरुच में बने और देशभर में उसकी पहुंच बनती है। जी.ए.सी.एल का केमिकल प्लान्ट, इसके कारण 2500 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का नय़ा टर्नओवर आयेगा। इसके कारण 700 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा,यह देश की सेवा होने वाली है, यह भी देशभक्ति का काम है। और यह भरुच कर रहा है भाइयों। और मैं जब भरुच आया हुं तब मैं आपको याद कराता हुं की, मैं तो हर रोज कहता हुं की देश को जल्दी से आगे ले जाना हो तो हर एक नागरिक भी बडा काम कर सकता है। सामान्य नागरिक भी देश को आगे बढ़ा सकता है। आपको ऐसा लगता होगा की खुद के लिए ही महेनत करता हो वह कैसे देश को आगे ले जायेगा। अरे आप वोकल फोर लोकल का मंत्र पकड़ लीजिए, किसी प्रकार की विदेशी प्रोडक्ट से में दूर रहुंगा, दिवाली आने वाली है, बाजार मे ऐसे-ऐसे पटाखे आएंगे, दो मिनट आकाश में जाकर रोशनी कर देगें, लेकिन हमको पता नहीं होता की, कितने ही गरीबो के मेहनत पर पानी फेर देते है। भले ही हम भारत में बने हुए पटाखे ले, शायद उजाला कम दे, शायद चमक, आवाज कम हो परंतु भाईयों, मेरे गरीब भाईयों के घर में चमक आयेगी। दो मिनट आकाश में चमक आये कि ना आये, परंतु 12 महीने उसके जिंदगी में चमक आ जायेगी। तो किस कारण हम अपने देश का ना ले, यहाँ का एक कारखाना 700 करोड रुपया बचा सकता हो, मेरे भरुच जिले के नागरिक निर्णय लें, वह भी इतना रुपया बचाकर मेरे देश की पूंजी बचा सकते है।

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भाईयो-बहनों,

आपको जानकर आनंद होगा कि, 2014 में आपने मुझे आर्शीवाद देकर दिल्ली भेजा, पहले जो काम गुजरात में किया उसका अनुभव था, आपका आर्शीवाद था, आपके संस्कार थे। आपको पता है, 2014 में दिल्ली गया तब पूरी दुनिया में भारत अर्थवस्वस्था में 10वें क्रमांक पर था। आज भारत 5वें नंबर पर पहुँच गया है। और इतना ही नहीं, 6 से 5 पर गये तो इस देश का गर्व अनेक गुना बढ़ा, क्योंकि पहले पांच नंबर पर वो लोग थे, जो 250 साल तक हम पर राज करके गये, हम गुलाम थे। अब उन्हें पीछे छोड़कर यह मेरे देश उत्साहित युवा मेरे देश को आगे लेकर गये है। और इसके लिए युवा पीढ़ी, किसान, मजदूर, छोटा व्यापारी, छोटा साहसिक यह सभी आज इनके अधिकारी है। और जब देश 10 से 5 नंबर पर पहुंचा है, तब उसका अधिकार और हक आपकी मेहनत को भी जाता है। और आपकी तरफ से देशवासियों के एसे पुरुषार्थी लोगों को प्रणाम करता हुँ।

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भाईयों-बहनों,

भरुच के अंदर एक गर्व हो ऐसा काम हो रहा है, हमें पता है, भूतकाल में कोई प्याउ बनायें तो पीढ़ी तक लोग याद करते थे, प्याउ में से एक लोटा पानी पीकर जाए तो भी लोग आर्शीवाद देकर जाता था, क्योंकि वह जीवन के लिए जरुरी है। तब आज भारत सरकार दवाओं के उत्पादन का इतना बड़ा मथक बनायें, जीवनरक्षा का काम करे, तब मेरे यह भरुचवासी कितने बड़े मानवता का काम कर रहे है। और कितना गौरव हो कि अनगिनत जीवन बचने वाला है, आपके कारण भाईयों। और उसके कारण हजारों नयें रोजगार आने वाले है। हमने देखा कि कोरोना ने सारी दुनिया को अपनी झड़प में ले लिया था। कितना बडा संकट आया, सबको लगता था कैसे बचे, उसमें हमें पता चला कि इस फार्मा सेक्टर का कितना महत्व है। दवा उधोग का कितना महत्व है। और गुजरात ने बीते दो दशकों में जो छलांग लगाई है, कोरोना के सामने गुजरात लड़ाई लड़ने में इस व्यवस्था ने बडी छलांग लगाई है भाईयों। गुजरात में बनी दवा, बनी हुई वेक्सिन ने लाखों लोगों के जीवन को बचाया है। आनंद कि बात है कि आज देश फार्मा कंपनीयों का 25 प्रतिशत हिस्सा गुजरात का है। आज आपसे बात करते हुए मुझे वो दिन भी याद आ रहे हैं जब कुछ लोगों ने भरूच का विकास रोकने के लिए पूरी शक्ति लगा दी थी। भरूच-अंकलेश्वर में उद्योगों की स्थापना में, उद्योगों के विस्तार पर बड़े-बड़े रोड़े अटकाए गए थे। जब केंद्र में हमारी सरकार बनी, गुजरात को नरेन्द्र भूपेंद्र की डबल इंजन की शक्ति मिली तो ये सारे अवरोध हमने खत्म कर दिए भाईयों। आप लोगों के पसीने की ताकत देखिये भाईयों, अपने भाडभूत की बेरेज उसको रोकने के लिए, पानी का काम था भाई। मेरे भरुच को शुद्ध 24 घंटे पीने का पानी मिले, भरुच जिले के खेतों को पानी मिले, उसके लिए काम हुआ। उसमें भी अडंगा डाला गया, यह नक्सलवादी मानसिक लोगो ने पहले सरदार सरोवर डेम को रोकने के लिए भरपूर कोशिश कि, और यह अर्बन नक्सल अब नये रंगरुप के साथ प्रवेश करने की कोशिश कर रहे है. उन्होंने वस्त्र बदले है, उत्साही-उमंग वाले युवाओं को फसा रहे हैं। मेरे आदिवासी भाईयों को मुझे खास कहना है कि, बंगाल में नक्सलवाद शुरु हुआ, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ, मध्यप्रदेश का थोड़ा भाग, ओडीशा, आंध्र, तेलंगाना और महाराष्ट्र में गढ़चिरौली हमारे आदिवासी युवाओं कि जिदंगी नक्सलवाद ने तबाह कर दी। उनके हाथ में बंदूक थमा दी, मोत का खेल खेलने के लिए उन्हें भड़काया, चारों तरफ संकट बढ़ा। उस समय मेरे सामने प्रश्न था, कि मेरा पूरा पूर्व विस्तार उमरगाम से अंबाजी, मैं गुजरात में नक्सलवाद को नहीं घुसने देना चाहता, मुझे मेरे आदिवासी भाई-बहनों को बचाना है, मुझे उनके जीवन में इस प्रकार की बिमारी ना घुसे, इसलिए उमरगाम से अंबाजी तक विकास किया। और मुझे संतोष के साथ कहना है, कि मेरी बात को आदिवासी भाई-बहनों ने मानी, अच्छे दिन आयेंगे ऐसा विश्वास रखा, और परिणाम यह आया कि गुजरात में नक्सलवाद उस रास्ते से घुस नहीं सका। उसके लिए मैं मेरे आदिवासी भाई-बहनों का आभार व्यक्त करता हुँ। परंतु अब उपर से उडकर अर्बन नक्सल घुस रहे है, गुजरात की युवा पीढ़ी को मुझे तबाह नहीं होने देना, हम अपने संतानों को सचेत करे कि अर्बन नक्सलों ने देश को बरबाद करने का बीड़ा उठाया है, वह विदेशी ताकतों के एजेन्ट बनकर आये है, उसके सामने गुजरात कभी भी झुकेगा नहीं, गुजरात उन्हें जमीनदोस्त करके रहेगा, यह विश्वास के साथ आगे बढ़ना है भाईयों। ऐसे दिन थे, हमारे यहां आदिवासी मुख्यमंत्री भी रह चुके है, फिर भी उमरगाम से अंबाजी में उंगली से गिन सके उतनी साइंस स्ट्रीम की स्कूल नहीं थी, अब आप मुझे बताएं 10वी और 12वी में साइंस न हो और चाहे जितने भी आरक्षण की बातें करे, और वह लड़का या लड़की डॉक्टर बन सकेगा?, अरे उसे डॉक्टर या इंजीनियर बनाना हो पहले 10वी और 12वी में साइंस की स्कूल चाहिए.. वह भी नहीं हुआ था। अपने यहाँ आदिवासी मुख्यमंत्री रहे, गिन सके उतना भी स्कुलें उमरगाम से अंबाजी तक नहीं थी। मैं आया उसके बाद पूरे विस्तार में 10 से 12 तक की स्कुलें बनाई। और आज मेरे आदिवासी भाई-बहन केनेडा में प्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग लेने जाते है। डॉक्टर बन रहे है, वकील बन रहे है, और मैं गर्व से कह रहा हुं कि मेरे आदिवासी संतान गुजरात का नाम रोशन कर रहे है। कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि आदिवासी के नाम पर युनिवर्सिटी हो, अपने गुजरात में बिरसा मुंडा युनिवर्सिटी, गुरु गोबिंद युनिवर्सिटी आदिवासी युवाओं के लिए नया आत्मविश्वास और नया अवसर प्राप्त हुआ है।

भाईयों-बहनों,

गुजरात मे वन बंधु योजना ने आदिवासी समाज के सशक्तिरण में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। मेरा आदिवासी समुदाय पशुपालन करे, किसान आधुनिक खेती करे, और उनके जीवन में बदलाव आए, पहले केसा चलता था, आदिवासियों के नाम पर योजना चले। भूतकाल की सरकारों में योजना ऐसी चलती थी कि ऐसा कहते थे पांच मुर्गीयों के लिए लोन मिलेगा। और आदिवासी लोगों को लगता था कि ओह औह..औह.. इतनी मुर्गी.. और उसके बाद उतने अंडे होंगे.. उसमें से वापिस उतनी मुर्गी होगीं, थोडे दिनों में घर पक्का हो जायेगा. ऐसा लगता ना, पांच मुर्गी के लिए लॉन दें, और योजना लेने के बाद मुर्गी घर पर पहुंचे उसी दिन लाल लाईट वाले साहब गाँव आये और गाँव में ही रुक जाता था, और मेरा आदिवासी भाई महेमानगीरी में पीछे ना रहे, और पांच में से एक मुर्गी उसे खिला देता था। हमारा आदिवासी भाई महेमानगीरी में पीछे नही होते.. पेट पर पाटा बांध कर सामने वालो को खिलाए। यह पांच मे से एक मुर्गी उसी दिन खिला दी। ऐसा 2-4 महीने चले तब तक उनके अंडे भी बाजु में रहे जाएं और उनकी मुर्गी भी बाजु में रह जाएं और देवादार बन जाए। हमने आकर हमारे आदिवासी भाईयों-बहनों की जिदंगी बदल डाली।

भाईयों-बहनों,

यह विकास यात्रा में हमारे आदिवासी लोगों का योगदान उन्होंने जो सम्मान दिया है। भगवान बिरसा मुंडा का जन्मदिन, हमारे आदिवासी भगवान की रूप में पूजे जाए। हमने आदिवासी दिन घोषित किया। गुजरात सहित पुरे देश में जो आदिवासी आजादी के जंग मे लड़े थे उनकी स्मृति में स्मारक बनाए। आज भी आदिवासी विस्तार में जो उत्पादन होता है उस की चिंता, मेरे आदिवासी भाईयों की बात हो या मेरे मछुवारे भाईयों की, दोनो दिशा मे गति तेज हो। उनका प्रयास ओर आने वाले समय मे भरूच अंकलेश्वर भी अहमदाबाद-गांधीनगर की तरह विकसित हो रहा है। लोग न्यूयोर्क-न्यूजर्सी की तरह भरूच अंकलेश्वर की भी बाते करेगें। यही हमारे सामर्थ्य को परिचय कराने वाली व्यवस्था है। और युवाओ को कहुंगा आने वाले 25 साल आपके हैं। यहां विकास यात्रा में आएं, कंधे से कंधा मिलाकर निकल पडे़ं। आज इतनी बडी संख्या मे आप लोग आए, गुजरात की विकास यात्रा में नया प्रण पूरा करने का हमने संकल्प लिया हैं। इसलिए नर्मदा के तट पर बसे हुए मेरे भाईयों-बहनों आपको अनेक अनेक शुभकामना देता हुँ, और हम सब भरुच जिले को नई उंचाई पर ले जाये, इसी विश्वास के साथ मेरे साथ बोलिए, भारत माता की – जय, भारत माता की – जय, भारत माता की – जय।

 

  • दिग्विजय सिंह राना September 20, 2024

    हर हर महादेव
  • JBL SRIVASTAVA May 30, 2024

    मोदी जी 400 पार
  • MLA Devyani Pharande February 17, 2024

    जय हो
  • Vaishali Tangsale February 14, 2024

    🙏🏻🙏🏻🙏🏻
  • ज्योती चंद्रकांत मारकडे February 12, 2024

    जय हो
  • Babla sengupta December 23, 2023

    Babla sengupta
  • S Mukherjee November 23, 2022

    jai Hind 🙏 🙏 🙏
  • PRATAP SINGH October 16, 2022

    🙏🙏🙏 मनो नमो।
  • DR HEMRAJ RANA October 16, 2022

    संपूर्ण विश्व में एक स्वस्थ और कुपोषण रहित समाज का निर्माण हो सके इस उद्देश्य के साथ मनाए जाने वाले विश्व खाद्य दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयाँ। #InternationalFoodDay
  • अनन्त राम मिश्र October 13, 2022

    मोदी हैं तो मुमकिन है जय हो
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ਹਰ ਭਾਰਤੀ ਦਾ ਖੂਨ ਖੌਲ ਰਿਹਾ ਹੈ: ਮਨ ਕੀ ਬਾਤ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਮੋਦੀ

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ਹਰ ਭਾਰਤੀ ਦਾ ਖੂਨ ਖੌਲ ਰਿਹਾ ਹੈ: ਮਨ ਕੀ ਬਾਤ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਮੋਦੀ
After Operation Sindoor, a diminished terror landscape

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After Operation Sindoor, a diminished terror landscape
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PM Modi's address to the nation
May 12, 2025
QuoteToday, every terrorist knows the consequences of wiping Sindoor from the foreheads of our sisters and daughters: PM
QuoteOperation Sindoor is an unwavering pledge for justice: PM
QuoteTerrorists dared to wipe the Sindoor from the foreheads of our sisters; that's why India destroyed the very headquarters of terror: PM
QuotePakistan had prepared to strike at our borders,but India hit them right at their core: PM
QuoteOperation Sindoor has redefined the fight against terror, setting a new benchmark, a new normal: PM
QuoteThis is not an era of war, but it is not an era of terrorism either: PM
QuoteZero tolerance against terrorism is the guarantee of a better world: PM
QuoteAny talks with Pakistan will focus on terrorism and PoK: PM

ਪਿਆਰੇ ਦੇਸ਼ਵਾਸੀਓ,

ਨਮਸਕਾਰ!

ਅਸੀਂ ਸਾਰਿਆਂ ਨੇ ਬੀਤੇ ਦਿਨਾਂ ਵਿੱਚ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਅਤੇ ਉਸ ਦਾ ਸੰਜਮ ਦੋਵੇਂ ਦੇਖੇ ਹਨ। ਮੈਂ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਭਾਰਤ ਦੀ ਪਰਾਕ੍ਰਮੀ ਸੈਨਾਵਾਂ ਨੂੰ, ਹਥਿਆਰਬੰਦ ਬਲਾਂ ਨੂੰ, ਸਾਡੀਆਂ ਖੁਫੀਆਂ ਏਜੰਸੀਆਂ ਨੂੰ, ਸਾਡੇ ਵਿਗਿਆਨੀਆਂ ਨੂੰ, ਹਰ ਭਾਰਤਵਾਸੀ ਵੱਲੋਂ ਸੈਲਿਊਟ ਕਰਦਾ ਹਾਂ। ਸਾਡੇ ਵੀਰ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੇ ‘ਓਪ੍ਰੇਸ਼ਨ ਸਿੰਦੂਰ’ ਦੇ ਟੀਚਿਆਂ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਲਈ ਅਸੀਮ ਸ਼ੌਰਯ ਦਾ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਨ ਕੀਤਾ। ਮੈਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਵੀਰਤਾ ਨੂੰ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਾਹਸ ਨੂੰ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਰਾਕ੍ਰਮ ਨੂੰ, ਅੱਜ ਸਮਰਪਿਤ ਕਰਦਾ ਹਾਂ- ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਹਰ ਮਾਤਾ ਨੂੰ, ਦੇਸ਼ ਦੀ ਹਰ ਭੈਣ ਨੂੰ, ਅਤੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਹਰ ਬੇਟੀ ਨੂੰ, ਇਹ ਪਰਾਕ੍ਰਮ ਸਮਰਪਿਤ ਕਰਦਾ ਹਾਂ।

ਸਾਥੀਓ,

22 ਅਪ੍ਰੈਲ ਨੂੰ ਪਹਿਲਗਾਮ ਵਿੱਚ ਅੱਤਵਾਦੀਆਂ ਨੇ ਜੋ ਬਰਬਰਤਾ ਦਿਖਾਈ ਸੀ, ਉਸ ਨੇ ਦੇਸ਼ ਅਤੇ ਦੁਨੀਆ ਨੂੰ ਝੰਜੋੜ ਕੇ ਰੱਖ ਦਿੱਤਾ ਸੀ। ਛੁੱਟੀਆਂ ਮਨਾ ਰਹੇ ਨਿਰਦੋਸ਼- ਮਾਸੂਮ ਨਾਗਰਿਕਾਂ ਨੂੰ ਧਰਮ ਪੁੱਛ ਕੇ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਬੱਚਿਆਂ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ, ਬੇਰਹਮੀ ਨਾਲ ਮਾਰ ਦੇਣਾ, ਇਹ ਅੱਤਵਾਦ ਦਾ ਬਹੁਤ ਡਰਾਉਣਾ ਚਿਹਰਾ ਸੀ , ਕਰੂਰਤਾ ਸੀ। ਇਹ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਸਦਭਾਵਨਾ ਨੂੰ ਤੋੜਨ ਦਾ ਘਿਣਾਉਣਾ ਯਤਨ ਵੀ ਸੀ। ਮੇਰੇ ਲਈ ਨਿਜੀ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਇਹ ਪੀੜਾ ਬਹੁਤ ਵੱਡੀ ਸੀ। ਇਸ ਅੱਤਵਾਦੀ ਹਮਲੇ ਦੇ ਬਾਅਦ ਸਾਰਾ ਰਾਸ਼ਟਰ, ਹਰ ਨਾਗਰਿਕ, ਹਰ ਸਮਾਜ, ਹਰ ਵਰਗ, ਹਰ ਰਾਜਨੀਤਕ ਦਲ, ਇੱਕ ਸੁਰ ਵਿੱਚ, ਅੱਤਵਾਦ ਦੇ ਖਿਲਾਫ ਸਖਤ ਕਾਰਵਾਈ ਲਈ ਉੱਠ ਖੜ੍ਹਾ ਹੋਇਆ। ਅਸੀਂ ਅੱਤਵਾਦੀਆਂ ਨੂੰ ਮਿੱਟੀ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾਉਣ ਲਈ ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਸੈਨਾਵਾਂ ਨੂੰ ਪੂਰੀ ਛੂਟ ਦੇ ਦਿੱਤੀ। ਅਤੇ ਅੱਜ ਹਰ ਅੱਤਵਾਦੀ, ਅੱਤਵਾਦ ਦਾ ਹਰ ਸੰਗਠਨ ਜਾਣ ਚੁੱਕਾ ਹੈ ਕਿ ਸਾਡੀਆਂ ਭੈਣਾਂ-ਬੇਟੀਆਂ ਦੇ ਮੱਥੇ ਤੋਂ ਸਿੰਦੂਰ ਹਟਾਉਣ ਦਾ ਅੰਜਾਮ ਕੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।

ਸਾਥੀਓ,

‘ਓਪ੍ਰੇਸ਼ਨ ਸਿੰਦੂਰ’ ਇਹ ਸਿਰਫ਼ ਨਾਮ ਨਹੀਂ ਹੈ, ਇਹ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਕੋਟਿ-ਕੋਟਿ ਲੋਕਾਂ ਦੀਆਂ ਭਾਵਨਾਵਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਤੀਬਿੰਬ ਹੈ। ‘ਓਪ੍ਰੇਸ਼ਨ ਸਿੰਦੂਰ‘ ਨਿਆਂ ਦੀ ਅਖੰਡ ਪ੍ਰਤਿੱਗਿਆ ਹੈ। 6 ਮਈ ਦੀ ਦੇਰ ਰਾਤ, 7 ਮਈ ਦੀ ਸਵੇਰ, ਪੂਰੀ ਦੁਨੀਆ ਨੇ ਇਸ ਪ੍ਰਤਿੱਗਿਆ ਨੂੰ ਅੰਜਾਮ ਵਿੱਚ ਬਦਲਦੇ ਦੇਖਿਆ ਹੈ। ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਸੈਨਾਵਾਂ ਨੇ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਵਿੱਚ ਅੱਤਵਾਦ ਦੇ ਠਿਕਾਣਿਆਂ ‘ਤੇ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਟ੍ਰੇਨਿੰਗ ਸੈਂਟਰਸ ‘ਤੇ ਸਟੀਕ ਪ੍ਰਹਾਰ ਕੀਤਾ। ਅੱਤਵਾਦੀਆਂ ਨੇ ਸੁਪਨੇ ਵਿੱਚ ਵੀ ਨਹੀਂ ਸੋਚਿਆ ਸੀ ਕਿ ਭਾਰਤ ਇੰਨਾ ਵੱਡਾ ਫੈਸਲਾ ਲੈ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਲੇਕਿਨ ਜਦੋਂ ਦੇਸ਼ ਇਕਜੁੱਟ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, Nation First ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਰਾਸ਼ਟਰ ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਪਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਫੌਲਾਦੀ ਫੈਸਲੇ ਲਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਨਤੀਜੇ ਲੈ ਕੇ ਦਿਖਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ।

ਜਦੋਂ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਵਿੱਚ ਅੱਤਵਾਦ ਦੇ ਅੱਡਿਆਂ ‘ਤੇ ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਮਿਜ਼ਾਇਲਾਂ ਨੇ ਹਮਲਾ ਬੋਲਿਆ, ਭਾਰਤ ਦੇ ਡ੍ਰੋਨਸ ਨੇ ਹਮਲਾ ਬੋਲਿਆ, ਤਾਂ ਅੱਤਵਾਦੀ ਸੰਗਠਨਾਂ ਦੀਆਂ ਇਮਾਰਤਾਂ ਹੀ ਨਹੀਂ ਸਗੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਹੌਸਲਾ ਵੀ ਕੰਬ ਗਿਆ। ਬਹਾਵਲਪੁਰ ਅਤੇ ਮੁਰੀਦਕੇ ਜਿਹੇ ਅੱਤਵਾਦੀ ਠਿਕਾਣੇ, ਇੱਕ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਗਲੋਬਲ ਟੈਰਰਿਜ਼ਮ ਦੀ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀਜ਼ ਰਹੀਆਂ ਹਨ। ਦੁਨੀਆ ਵਿੱਚ ਕਿਤੇ ਵੀ ਜੋ ਵੱਡੇ ਅੱਤਵਾਦੀ ਹਮਲੇ ਹੋਏ ਹਨ, ਭਾਵੇਂ ਨਾਈਨ ਇਲੈਵਨ ਹੋਵੇ, ਭਾਵੇਂ ਲੰਦਨ ਟਿਊਬ ਬੌਂਬਿੰਗਸ ਹੋਣ, ਜਾਂ ਫਿਰ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਦਹਾਕਿਆਂ ਵਿੱਚ ਜੋ ਵੱਡੇ-ਵੱਡੇ ਅੱਤਵਾਦੀ ਹਮਲੇ ਹੋਏ ਹਨ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਤਾਰ ਕਿਤੇ ਨਾ ਕਿਤੇ ਅੱਤਵਾਦ ਦੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਠਿਕਾਣਿਆਂ ਨਾਲ ਜੁੜਦੇ ਰਹੇ ਹਨ। ਅੱਤਵਾਦੀਆਂ ਨੇ ਸਾਡੀਆਂ ਭੈਣਾਂ ਦਾ ਸਿੰਦੂਰ ਉਜਾੜਿਆ ਸੀ, ਇਸ ਲਈ ਭਾਰਤ ਨੇ ਅੱਤਵਾਦ ਦੇ ਇਹ ਹੈੱਡਕੁਆਰਟਰਸ ਉਜਾੜ ਦਿੱਤੇ। ਭਾਰਤ ਦੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਹਮਲਿਆਂ ਵਿੱਚ 100 ਤੋਂ ਵੱਧ ਖੂੰਖਾਰ ਅੱਤਵਾਦੀਆਂ ਨੂੰ ਮੌਤ ਦੇ ਘਾਟ ਉਤਾਰਿਆ ਗਿਆ ਹੈ। ਅੱਤਵਾਦ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਆਕਾ, ਬੀਤੇ ਢਾਈ-ਤਿੰਨ ਦਹਾਕਿਆਂ ਤੋਂ ਖੁੱਲ੍ਹੇਆਮ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਵਿੱਚ ਘੁੰਮ ਰਹੇ ਸੀ, ਜੋ ਭਾਰਤ ਦੇ ਖਿਲਾਫ ਸਾਜਿਸ਼ਾਂ ਕਰਦੇ ਸੀ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਨੇ ਇੱਕ ਝਟਕੇ ਵਿੱਚ ਖਤਮ ਕਰ ਦਿੱਤਾ।

ਸਾਥੀਓ,

ਭਾਰਤ ਦੀ ਇਸ ਕਾਰਵਾਈ ਨਾਲ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਘੋਰ ਨਿਰਾਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਘਿਰ ਗਿਆ ਸੀ, ਹਤਾਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਘਿਰ ਗਿਆ ਸੀ, ਘਬਰਾ ਗਿਆ ਸੀ, ਅਤੇ ਇਸੇ ਘਬਰਾਹਟ ਵਿੱਚ ਉਸ ਨੇ ਇੱਕ ਹੋਰ ਗਲਤੀ ਕੀਤੀ। ਅੱਤਵਾਦ ‘ਤੇ ਭਾਰਤ ਦੀ ਕਾਰਵਾਈ ਦਾ ਸਾਥ ਦੇਣ ਦੀ ਬਜਾਏ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਨੇ ਭਾਰਤ ‘ਤੇ ਹੀ ਹਮਲਾ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਨੇ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲਾਂ-ਕਾਲਜਾਂ ਨੂੰ, ਗੁਰਦੁਆਰਿਆਂ ਨੂੰ, ਮੰਦਿਰਾਂ, ਆਮ ਨਾਗਰਿਕਾਂ ਦੇ ਘਰਾਂ ਨੂੰ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਬਣਾਇਆ, ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਨੇ ਸਾਡੇ ਸੈਨਾ ਠਿਕਾਣਿਆਂ ਨੂੰ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਬਣਾਇਆ, ਲੇਕਿਨ ਇਸ ਵਿੱਚ ਵੀ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਖੁਦ ਬੇਨਕਾਬ ਹੋ ਗਿਆ।

ਦੁਨੀਆ ਨੇ ਦੇਖਿਆ ਕਿ ਕਿਵੇਂ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦੇ ਡ੍ਰੋਨਸ ਅਤੇ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦੀਆਂ ਮਿਜ਼ਾਇਲਾਂ, ਭਾਰਤ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਤਿਨਕੇ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਬਿਖਰ ਗਈਆਂ। ਭਾਰਤ ਦੇ ਸਸ਼ਕਤ ਏਅਰ ਡਿਫੈਂਸ ਸਿਸਟਮ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਅਸਮਾਨ ਵਿੱਚ ਹੀ ਨਸ਼ਟ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦੀ ਤਿਆਰੀ ਸੀਮਾ ‘ਤੇ ਹਮਲੇ ਦੀ ਸੀ, ਲੇਕਿਨ ਭਾਰਤ ਨੇ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦੇ ਸਿੰਨੇ ‘ਤੇ ਵਾਰ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਭਾਰਤ ਦੇ ਡ੍ਰੋਨਸ, ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਮਿਜ਼ਾਇਲਾਂ ਨੇ ਸਟੀਕਤਾ ਦੇ ਨਾਲ ਹਮਲਾ ਕੀਤਾ। ਪਾਕਿਸਤਾਨੀ ਵਾਯੂਸੈਨਾ ਦੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਏਅਰਬੇਸ ਨੂੰ ਨੁਕਸਾਨ ਪਹੁੰਚਾਇਆ, ਜਿਸ ‘ਤੇ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਹੰਕਾਰ ਸੀ। ਭਾਰਤ ਨੇ ਪਹਿਲੇ ਤਿੰਨ ਦਿਨਾਂ ਵਿੱਚ ਹੀ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਨੂੰ ਇੰਨਾ ਤਬਾਹ ਕਰ ਦਿੱਤਾ, ਜਿਸ ਦਾ ਉਸ ਨੂੰ ਅੰਦਾਜ਼ਾ ਵੀ ਨਹੀਂ ਸੀ।

ਇਸ ਲਈ, ਭਾਰਤ ਦੀ ਆਕ੍ਰਾਮਕ ਕਾਰਵਾਈ ਦੇ ਬਾਅਦ, ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਬਚਣ ਦੇ ਰਸਤੇ ਖੋਜਨ ਲੱਗਿਆ। ਪਾਕਿਸਤਾਨ, ਦੁਨੀਆ ਭਰ ਵਿੱਚ ਤਣਾਅ ਘੱਟ ਕਰਨ ਦੀ ਗੁਹਾਰ ਲਗਾ ਰਿਹਾ ਸੀ। ਅਤੇ ਬੁਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪਿਟਣ ਦੇ ਬਾਅਦ ਇਸੇ ਮਜਬੂਰੀ ਵਿੱਚ 10 ਮਈ ਦੀ ਦੁਪਹਿਰ ਨੂੰ ਪਾਕਿਸਤਾਨੀ ਸੈਨਾ ਨੇ ਸਾਡੇ DGMO ਨੂੰ ਸੰਪਰਕ ਕੀਤਾ। ਤਦ ਤੱਕ ਅਸੀਂ ਅੱਤਵਾਦ ਦੇ ਇਨਫ੍ਰਾਸਟ੍ਰਕਚਰ ਨੂੰ ਵੱਡੇ ਪੈਮਾਨੇ ‘ਤੇ ਤਬਾਹ ਕਰ ਚੁੱਕੇ ਸੀ, ਅੱਤਵਾਦੀਆਂ ਨੂੰ ਮੌਤ ਦੇ ਘਾਟ ਉਤਾਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਸੀ, ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦੇ ਸਿੰਨੇ ਵਿੱਚ ਵਸਾਏ ਗਏ ਅੱਤਵਾਦ ਦੇ ਅੱਡਿਆਂ ਨੂੰ ਅਸੀਂ ਖੰਡਰ ਬਣਾ ਦਿੱਤਾ ਸੀ, ਇਸ ਲਈ, ਜਦੋਂ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦੀ ਤਰਫ ਤੋਂ ਗੁਹਾਰ ਲਗਾਈ ਗਈ, ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦੀ ਤਰਫ ਤੋਂ ਜਦੋਂ ਇਹ ਕਿਹਾ ਗਿਆ, ਕਿ ਉਸ ਦੇ ਵੱਲੋਂ ਅੱਗੇ ਕੋਈ ਅੱਤਵਾਦੀ ਗਤੀਵਿਧੀ ਅਤੇ ਸੈਨਾ ਦੀ ਗਲਤੀ ਨਹੀਂ ਦਿਖਾਈ ਜਾਵੇਗੀ। ਤਾਂ ਭਾਰਤ ਨੇ ਵੀ ਉਸ ‘ਤੇ ਵਿਚਾਰ ਕੀਤਾ। ਅਤੇ ਮੈਂ ਫਿਰ ਦੋਹਰਾ ਰਿਹਾ ਹਾਂ, ਅਸੀਂ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦੇ ਅੱਤਵਾਦੀ ਅਤੇ ਸੈਨਾ ਠਿਕਾਣਿਆਂ ‘ਤੇ ਆਪਣੀ ਜਵਾਬੀ ਕਾਰਵਾਈ ਨੂੰ ਹੁਣ ਸਿਰਫ ਮੁਲਤਵੀ ਕੀਤਾ ਹੈ। ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਦਿਨਾਂ ਵਿੱਚ, ਅਸੀਂ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦੇ ਹਰ ਕਦਮ ਨੂੰ ਇਸ ਕਸੌਟੀ ‘ਤੇ ਮਾਪਣਗੇ, ਕਿ ਉਹ ਕੀ ਰਵੱਈਆ ਅਪਣਾਉਂਦਾ ਹੈ।

ਸਾਥੀਓ,

ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਤਿੰਨੋਂ ਸੈਨਾਵਾਂ, ਸਾਡੀ ਏਅਰਫੋਰਸ, ਸਾਡੀ ਆਰਮੀ, ਅਤੇ ਸਾਡੀ ਨੇਵੀ, ਸਾਡੀ ਬੌਰਡਰ ਸਕਿਓਰਿਟੀ ਫੋਰਸ -BSF, ਭਾਰਤ ਦੇ ਅਰਧਸੈਨਿਕ ਬਲ, ਲਗਾਤਾਰ ਐਲਰਟ ‘ਤੇ ਹਨ, ਸਰਜੀਕਲ ਸਟ੍ਰਾਇਕ ਅਤੇ ਏਅਰ ਸਟ੍ਰਾਇਕ ਦੇ ਬਾਅਦ, ਹੁਣ ਓਪ੍ਰੇਸ਼ਨ ਸਿੰਦੂਰ ਅੱਤਵਾਦ ਦੇ ਖਿਲਾਫ ਭਾਰਤ ਦੀ ਨੀਤੀ ਹੈ। ਓਪ੍ਰੇਸ਼ਨ ਸਿੰਦੂਰ ਨੇ ਅੱਤਵਾਦ ਦੇ ਖਿਲਾਫ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਨਵੀਂ ਲਕੀਰ ਖਿੱਚ ਦਿੱਤੀ ਹੈ, ਇੱਕ ਨਵਾਂ ਪੈਮਾਨਾ, ਨਵਾਂ ਮਿਆਰ ਤੈਅ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਹੈ।

ਪਹਿਲਾਂ-ਭਾਰਤ ‘ਤੇ ਅੱਤਵਾਦੀ ਹਮਲਾ ਹੋਇਆ ਤਾਂ ਮੂੰਹ ਤੋੜ ਜਵਾਬ ਦਿੱਤਾ ਜਾਵੇਗਾ। ਅਸੀਂ ਆਪਣੇ ਤਰੀਕੇ ਨਾਲ, ਆਪਣੀਆਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ‘ਤੇ ਜਵਾਬ ਦੇ ਕੇ ਰਹਾਂਗੇ। ਹਰ ਉਸ ਜਗ੍ਹਾ ਜਾ ਕੇ ਸਖਤ ਕਾਰਵਾਈ ਕਰਾਂਗੇ, ਜਿੱਥੋਂ ਤੋਂ ਅੱਤਵਾਦ ਦੀਆਂ ਜੜ੍ਹਾਂ ਨਿਕਲਦੀਆਂ ਹਨ। ਦੂਸਰਾ- ਕੋਈ ਵੀ ਨਿਊਕਲੀਅਰ ਬਲੈਕਮੇਲ ਭਾਰਤ ਨਹੀਂ ਸਹੇਗਾ। ਨਿਊਕਲੀਅਰ ਬਲੈਕਮੇਲ ਦੀ ਆੜ ਵਿੱਚ ਪਨਪ ਰਹੇ ਅੱਤਵਾਦੀ ਠਿਕਾਣਿਆਂ ‘ਤੇ ਭਾਰਤ ਸਟੀਕ ਅਤੇ ਨਿਰਣਾਇਕ ਪ੍ਰਹਾਰ ਕਰੇਗਾ।

ਤੀਸਰਾ- ਅਸੀਂ ਅੱਤਵਾਦ ਦੀ ਸਰਪ੍ਰਸਤ ਸਰਕਾਰ ਅਤੇ ਅੱਤਵਾਦ ਦੇ ਆਕਾਵਾਂ (ਹੁਕਮਰਾਨਾਂ) ਨੂੰ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਨਹੀਂ ਦੇਖਾਂਗੇ। ਓਪ੍ਰੇਸ਼ਨ ਸਿੰਦੂਰ ਦੇ ਦੌਰਾਨ, ਦੁਨੀਆ ਨੇ, ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦਾ ਉਹ ਘਿਣਾਉਣਾ ਸੱਚ ਫਿਰ ਦੇਖਿਆ ਹੈ, ਜਦੋਂ ਮਾਰੇ ਗਏ ਅੱਤਵਾਦੀਆਂ ਨੂੰ ਵਿਦਾਈ ਦੇਣ, ਪਾਕਿਸਤਾਨੀ ਸੈਨਾ ਦੇ ਵੱਡੇ –ਵੱਡੇ ਅਫ਼ਸਰ ਉਮੜ ਪਏ। ਸਟੇਟ ਸਪਾਂਸਰਡ ਟੈਰੇਰਿਜ਼ਮ ਦਾ ਇਹ ਬਹੁਤ ਵੱਡਾ ਸਬੂਤ ਹੈ। ਅਸੀਂ ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਨਾਗਰਿਕਾਂ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਵੀ ਖਤਰੇ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਦੇ ਲਈ ਲਗਾਤਾਰ ਨਿਰਣਾਇਕ ਕਦਮ ਚੁੱਕਦੇ ਰਹਾਂਗੇ।

ਸਾਥੀਓ,

ਯੁੱਧ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ‘ਤੇ ਅਸੀਂ ਹਰ ਵਾਰ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਨੂੰ ਧੂੜ ਚਟਾਈ ਹੈ। ਅਤੇ ਇਸ ਵਾਰ ਓਪ੍ਰੇਸ਼ਨ ਸਿੰਦੂਰ ਨੇ ਨਵਾਂ ਆਯਾਮ ਜੋੜਿਆ ਹੈ। ਅਸੀਂ ਰੇਗਿਸਤਾਨਾਂ ਅਤੇ ਪਹਾੜਾਂ ਵਿੱਚ ਆਪਣਾ ਸਮਰੱਥਾ ਦਾ ਸ਼ਾਨਦਾਰ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਨ ਕੀਤਾ , ਅਤੇ ਨਾਲ ਹੀ, ਨਿਊ ਐਜ਼ ਵੌਰਫੇਅਰ ਵਿੱਚ ਵੀ ਆਪਣੀ ਸ਼੍ਰੇਸ਼ਠਤਾ ਸਿੱਧ ਕੀਤੀ। ਇਸ ਓਪ੍ਰੇਸ਼ਨ ਦੇ ਦੌਰਾਨ, ਸਾਡੇ ਮੇਡ ਇਨ ਇੰਡੀਆ ਹਥਿਆਰਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਮਾਣਿਕਤਾ ਸਿੱਧ ਹੋਈ। ਅੱਜ ਦੁਨੀਆ ਦੇਖ ਰਹੀ ਹੈ, 21ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਵੌਰਫੇਅਰ ਵਿੱਚ ਮੇਡ ਇਨ ਇੰਡੀਆ ਡਿਫੈਂਸ ਇਕਵਿਪਮੈਂਟਸ, ਇਸ ਦਾ ਸਮਾਂ ਆ ਚੁੱਕਿਆ ਹੈ।

ਸਾਥੀਓ,

ਹਰ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅੱਤਵਾਦ ਦੇ ਖਿਲਾਫ ਸਾਡਾ ਸਾਰਿਆਂ ਦਾ ਇਕਜੁੱਟ ਰਹਿਣਾ, ਸਾਡੀ ਏਕਤਾ, ਸਾਡੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਸ਼ਕਤੀ ਹੈ। ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਇਹ ਯੁੱਗ ਯੁੱਧ ਦਾ ਨਹੀਂ ਹੈ, ਲੇਕਿਨ ਇਹ ਯੁੱਗ ਅੱਤਵਾਦ ਦਾ ਵੀ ਨਹੀਂ ਹੈ। ਟੈਰੇਰਿਜ਼ਮ ਦੇ ਖਿਲਾਫ ਜ਼ੀਰੋ ਟੌਲਰੈਂਸ, ਇਹ ਇੱਕ ਬਿਹਤਰ ਦੁਨੀਆ ਦੀ ਗਰੰਟੀ ਹੈ।

ਸਾਥੀਓ,

ਪਾਕਿਸਤਾਨੀ ਫੌਜ, ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦੀ ਸਰਕਾਰ, ਜਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅੱਤਵਾਦਾ ਨੂੰ ਖਾਦ-ਪਾਣੀ ਦੇ ਰਹੇ ਹਨ, ਉਹ ਇੱਕ ਦਿਨ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਨੂੰ ਹੀ ਖਤਮ ਕਰ ਦੇਵੇਗਾ। ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਨੂੰ ਜੇਕਰ ਬਚਾਉਣਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਟੈਰਰ ਇਨਫ੍ਰਾਸਟ੍ਰਕਚਰ ਦਾ ਸਫਾਇਆ ਕਰਨਾ ਹੀ ਹੋਵੇਗਾ। ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਸ਼ਾਂਤੀ ਦਾ ਕੋਈ ਰਸਤਾ ਨਹੀਂ ਹੈ। ਭਾਰਤ ਦਾ ਮਤ ਇਕਦਮ ਸਪਸ਼ਟ ਹੈ, ਟੈਰਰ ਅਤੇ ਟੌਕ, ਇੱਕਠੇ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਦੇ, ਟੈਰਰ ਅਤੇ ਟ੍ਰੇਡ, ਇਕੱਠੇ ਨਹੀਂ ਚੱਲ ਸਕਦੇ। ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਖੂਨ ਵੀ ਇਕੱਠੇ ਨਹੀਂ ਵਹਿ ਸਕਦੇ।

ਮੈਂ ਅੱਜ ਵਿਸ਼ਵ ਭਾਈਚਾਰੇ ਨੂੰ ਵੀ ਕਹਾਂਗਾ, ਸਾਡੀ ਐਲਾਨ ਨੀਤੀ ਰਹੀ ਹੈ, ਜੇਕਰ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਨਾਲ ਗੱਲ ਹੋਵੇਗੀ, ਤਾਂ ਟੈਰੇਰਿਜ਼ਮ ‘ਤੇ ਹੀ ਹੋਵੇਗੀ, ਜੇਕਰ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਨਾਲ ਗੱਲ ਹੋਵੇਗੀ, ਤਾਂ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਔਕਿਯੂਪਾਇਡ ਕਸ਼ਮੀਰ PoK ਉਸ ‘ਤੇ ਹੀ ਹੋਵੇਗੀ।

ਪਿਆਰੇ ਦੇਸ਼ਵਾਸੀਓ,

ਅੱਜ ਬੁੱਧ ਪੂਰਨਿਮਾ ਹੈ। ਭਗਵਾਨ ਬੁੱਧ ਨੇ ਸਾਨੂੰ ਸ਼ਾਂਤੀ ਦਾ ਰਸਤਾ ਦਿਖਾਇਆ ਹੈ। ਸ਼ਾਂਤੀ ਦਾ ਮਾਰਗ ਵੀ ਸ਼ਕਤੀ ਤੋਂ ਹੋ ਕੇ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਮਾਨਵਤਾ, ਸ਼ਾਂਤੀ ਅਤੇ ਸਮ੍ਰਿੱਧੀ ਵੱਲ ਵਧੇ, ਹਰ ਭਾਰਤੀ ਸ਼ਾਂਤੀ ਨਾਲ ਜੀ ਸਕੇ, ਵਿਕਸਿਤ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸੁਪਨੇ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਸਕੇ, ਇਸ ਲਈ ਭਾਰਤ ਦਾ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਹੋਣਾ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ, ਅਤੇ ਜ਼ਰੂਰਤ ਪੈਣ ‘ਤੇ ਇਸ ਸ਼ਕਤੀ ਦਾ ਇਸਤੇਮਾਲ ਵੀ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ। ਅਤੇ ਪਿਛਲੇ ਕੁਝ ਦਿਨਾਂ ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤ ਨੇ ਇਹੀ ਕੀਤਾ ਹੈ।

ਮੈਂ ਇੱਕ ਵਾਰ ਫਿਰ ਭਾਰਤ ਦੀ ਸੈਨਾ ਅਤੇ ਹਥਿਆਰਬੰਦ ਬਲਾਂ ਨੂੰ ਸੈਲਿਊਟ ਕਰਦਾ ਹਾਂ। ਅਸੀਂ ਭਾਰਤਵਾਸੀ ਦੇ ਹੌਂਸਲੇ, ਹਰ ਭਾਰਤਵਾਸੀ ਦੀ ਇਕਜੁੱਟਤਾ ਦੀ ਸ਼ਪਥ, ਸੰਕਲਪ, ਮੈਂ ਉਸ ਨੂੰ ਨਮਨ ਕਰਦਾ ਹਾਂ।

ਬਹੁਤ-ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦ

ਭਾਰਤ ਮਾਤਾ ਕੀ ਜੈ!!!

ਭਾਰਤ ਮਾਤਾ ਕੀ ਜੈ!!!

ਭਾਰਤ ਮਾਤਾ ਕੀ ਜੈ!!!