QuoteCongressmen want to make the steel plant a medium to fill the coffers of their children and relatives: PM Modi in Jagdalpur
QuoteAt Bastar's Jagdalpur PM Modi says, Congress has made 'Loktantra' as 'loottantra' and 'prajatantra' as 'Parivartantra'
QuoteCongress is now being run by people who are in league with anti-national forces. Congress wants to destroy India by dividing the Hindus of the country at any cost: PM Modi
QuotePoor have first priority to resource, says PM Modi while slamming Congress party over caste reservation dema

जय माँ दंतेश्वरी!
अब से कुछ देर पहले मुझे दंतेश्वरी माता मंदिर में देवी दर्शन का सौभाग्य मिला है। मैं महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव जी को भी पुन: अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं।
मैं जब भी बस्तर आया हूं, जगदलपुर आया हूं, आप सभी साथियों ने हर बार इतना प्यार दिया है इतना प्यार दिया है, इतने आशीर्वाद दिए हैं, मैं इसका शब्दों में वर्णन नहीं कर सकता हूं। और जब भी बस्तर की धरती पर आना हो जाए और बलिराम कश्यप जी की याद न आए ये कभी हो नहीं सकता है। अगर सच्चे अर्थ में बस्तर को समझना, क्योंकि मैं यहां संगठन का काम करता था, हर इलाके में जाता था। बहुत समय मैंने यहां बिताया और मुझे पूरे बस्तर को समझना, आदिवासी समाज को समझना और यहां की समस्याओं को समझना बलिराम जी कश्यप जी एक तरह से मेरे गुरु की तरह काम करते थे। साथियों, मेरा निरंतर प्रयास है कि आपके इस आशीर्वाद को यहां का विकास करके लौटाऊं, दिनरात परिश्रम करके लौटाऊं आपकी सेवा करके ये कर्ज मैं चुका सकूं।

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मेरे परिवारजनों,
कांग्रेस ने सिर्फ 5 वर्ष में छत्तीसगढ़ की जो हालत कर दी है, उसे पूरा देश देख रहा है। कांग्रेस के विधायकों और मंत्रियों ने जो कारनामे यहां किए हैं, उससे हर कोई त्रस्त है। चारों तरफ भ्रष्टाचार का बोलबाला है। छत्तीसगढ़ में अपराध चरम पर है। हत्याओं के मामले में छत्तीसगढ़ अग्रणी राज्यों में पहुंच चुका है। कभी-कभी तो लगता है कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ के बीच प्रतिस्पर्धा चल रही है कि कहां सबसे ज्यादा हत्याएं होती है, कहां सबसे ज्यादा लूट होती है, कहां सबसे ज्यादा महिलाओं पर अत्याचार होते हैं। राजस्थान और छत्तीसगढ़ आज-कल एक-दूसरे के स्पर्धा में लगे हुए हैं। छत्तीसगढ़ में विकास या तो पोस्टर और बैनरों में दिखता है, या फिर कांग्रेस के नेताओं की तिजोरियों में दिखता है। कांग्रेस ने छतीसगढ़ को अगर दिया है, तो वो है- झूठा प्रचार और घोटालेबाज सरकार! झूठे प्रचार की आड़ में ये लोगों की आंख में धूल झोंकते हैं और आकंठ भ्रष्टाचार करते हैं। इसलिए आज छत्तीसगढ़ के कोने-कोने से एक ही आवाज़ आ रही है- हर कोने से एक ही आवाज आ रही है, छत्तीसगढ़ का हर व्यक्ति आज एक ही बात कह रहा है। छत्तीसगढ़ कह रहा है…
अउ नइ सहिबो, बदल के रहिबो !
अउ नइ सहिबो, बदल के रहिबो !
अउ नइ सहिबो, बदल के रहिबो !

मेरे परिवारजनों,
ये बस्तर, ये दण्डकारण्य आज बना हो, ऐसा नहीं है। यहां आदिवासी मेरे भाई-बहन मोदी प्रधानमंत्री बना उसके बाद आकर के नहीं बसे हैं। भाजपा सरकार बनने के बाद ये मेरे आदिवासी भाई-बहन नहीं आए हैं। अरे यहां के लोग तो तब भी थे, जब प्रभु श्रीराम यहां आए थे मेरे आदिवासी भाई-बहन चाहते थे, इसलिए ही अटल जी की सरकार ने अलग छत्तीसगढ़ का निर्माण किया। भाजपा सरकार ही थी, अटल जी की सरकार थी जिसने केंद्र में अलग जनजातीय कार्य मंत्रालय बनाया। जनजातीय विकास के लिए अलग बचट बनाया और जनजातीय विकास के लिए पूरी सरकार के अंदर एक विभाग खड़ा कर दिया और कांग्रेस ने इतने दशकों तक क्या किया भाई। कांग्रेस ने बस्तर को भी दशकों तक नजरअंदाज किया, आप लोगों की परवाह नहीं की। उनके दो चार ठेकेदारों को संभालते थे और वही आपलोगों के वोट लेकर उन्हें दे देते थे और उनकी गाड़ी चल जाती थी, उनको आपकी परवाह ही नहीं थी। ये भाजपा सरकार है यहां मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज बनाए। भाजपा सरकार ने दंतेवाड़ा में एजुकेशन सिटी बनाई। और मैं तो उसे देखने गया था।

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साथियों,
मैंने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा, ये मेरा सौभाग्य रहा है कि राजनीति में आने से पहले मेरे जीवन के बहुत वर्ष मैंने आदिवासी क्षेत्रों में ही गुजारा है। मेरा तो आपसे सीधा नाता है, दिल का नाता है। मुझे गर्व है कि देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनाने का गौरव भी भाजपा को मिला है। आप जानते हैं कांग्रेस की तुलना में भाजपा सरकार आदिवासी समाज के लिए 5 गुना ज्यादा बजट देती है? अगर वे एक रुपया देते थे तो मैं पांच रुपया देते हूं अगर वे सौ रुपया देते थे तो मैं पांच सौ रुपये देते हैं। भाजपा सरकार ने ही 15 नवंबर यानि भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को जनजातीय गौरव दिवस घोषित किया। हमारी सरकार, आदिवासी सेनानियों और क्रांतिवीरों को समर्पित स्वतंत्रता सेनानी म्यूजियम बनवा रही है। हमने जनजाति वर्ग के छात्रों को दी जा रही छात्रवृति को भी ढाई गुना कर दिया है। बीते 9 वर्ष में 300 से अधिक एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय मेरे जनजातीय बच्चों के लिए मैंने खोले हैं ।

साथियों,
भाजपा सरकार, देश में आकांक्षी जिला कार्यक्रम चला रही है। बस्तर संभाग के भी अनेक जिले येआकांक्षी जिलों में शामिल हैं। अब तो हम उससे भी आगे बढ़ कर के आकांक्षी जिले से निकल कर के आकांक्षी ब्लॉक्स की पहचान कर रहे हैं। इस अभियान के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार से जुड़े बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स यहां शुरू होने वाले हैं। इसके अलावा भी हम छत्तीसगढ़ में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रहे हैं। आज भी यहां 26-27 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट्स बस्तर को मिले हैं, छत्तीसगढ़ को मिले हैं।

मेरे परिवारजनों,
आज यहां बहुत बड़े और देश के आधुनिकतम स्टील कारखाने का लोकार्पण हुआ है। आप मुझे बताइए, आपको गर्व हो रहा है कि नहीं हो रहा है? इतना बड़ा स्टील का कारखाना आपको मिला है आपको गर्व हो रहा है कि नहीं हो रहा है? ये छत्तीसगढ़ वाले कांग्रेस को नहीं हो रहा है। इतना बड़ा कार्यक्रम अभी सरकार का था, छत्तीसगढ़ सरकार का एक मंत्री भी नहीं आया, मुख्यमंत्री भी नहीं, उपमुख्यमंत्री भी नहीं। आप कहिए भइया, आपकी भलाई के काम में इस सरकार को आना चाहिए कि नहीं आना चाहिए? आना चाहिए कि नहीं आना चाहिए? ये अगर आपका भला चाहते हैं तो उन्हें यहां आकर बैठना चाहिए कि नहीं बैठना चाहिए? नहीं आते हैं. इसके दो कारण है। एक उनको सरकार जाने की इतनी चिंता है इतनी चिंता है कि यहां आने के लिए उनके पास समय ही नहीं है, वे सरकार बचाने में लगे हैं। और दूसरा कारण है कि ये मोदी है, अगर मोदी के सामने जाना है तो आकंठ भ्रष्टाचारी मोदी से आंख नहीं मिला सकता है और इसलिए वे आने से डरते हैं भाग जाते हैं।

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मेरे साथियों,
ये स्टील का कारखाना, मुझे याद है बलिराम कश्यप जी उस जमाने से कहते थे। इस कारखाने की मांग आप सभी दशकों से कर रहे थे। हमारी मुख्यमंत्रियों की मीटिंग होती थी, गुजरात के मुख्यमंत्री होने के नाते मैं भी मीटिंग में आता था दिल्ली में, रमण सिंह जी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री होने के नाते आते थे। और हर मीटिंग में रमण सिंह जी इस स्टील के कारखाने के लिए जोर से आवाज उठाते थे, आपकी आवाज वे वहां पहुंचाते थे। लेकिन आप जानते हैं कांग्रेस ने आपकी ये मांग क्यों नहीं मानी? इसके पीछे कांग्रेस के कट, कमीशन और करप्शन की सोच रही है। लंबे समय तक कांग्रेस की नीति रही है, क्या करते थे? कच्चा माल विदेश भेजो और फिर उसी कच्चे माल से बना महंगा सामान महंगे पैसे देकर के आयात करो। वो कहते हैं ना कि गेहूं बाहर भेजो और फिर ब्रेड बना कर के लाओ, क्या ऐसा कोई करता है भाई, ऐसा कोई करता है क्या? आप मुझे बताइए, आप जो घर में चावल खाते हैं, तो क्या ऐसा करते हैं कि पहले उसका धान विदेश भेजा जाता है...फिर वहां वो धान धुला जाता है..फिर वो धान विदेश में साफ किया जाता है....फिर धान को वहीं विदेश में पकाया भी जाता है...और फिर वो पका-पकाया चावल आपको खाने के लिए मिल जाता है? ऐसा कभी होता है क्या? आप अपना धान और चावल खुद ही करते हैं कि नहीं करते हैं? आप धान भी यहीं उगाते हैं, उसे साफ भी यहीं करते हैं, यहीं पकाते हैं औऱ यहीं अपने घर में खाते भी हैं। लेकिन कांग्रेस को ये करने में कटकी कट हो जाती है, कमीशन नहीं मिलता है, इसलिए क्या किया उन्होंने, ये हमारे इलाके आयरन ओर जो है ना ये दुनिया का उत्तम से उत्तम आयरन ओर है, दुनिया का, ये हमारे बस्तर में है। लेकिन ये क्या करते थे आयरन ओर में से स्टील यहां बनाने की बजाए, जिसका कोई हिसाब किताब न हो, कितना माल निकाला पता ना चले, जितना उठा सकते हो उठाओ विदेश भेज दो और बीच में मलाई खा लो। कोई भी सरकार होती तो उसकी प्राथमिकता होती कि यहां बस्तर में ही स्टील का कारखाना लगाए। लेकिन कांग्रेस ने यहां से कच्चा माल निकाला और फिर कच्चा माल ही विदेश भेज दिया।

इसमें कांग्रेस के नेताओं ने कमाया, यहां को नौजवानों को कुछ नहीं मिला। बस्तर के नौजवान मज़दूरी करने के लिए दूसरे राज्यों में जाने के लिए मजबूर हो गए। लेकिन भाइयों और बहनों, ये मोदी है, आपके बीच में पला-बढ़ा है इसलिए आपकी सोचता है, गरीब की चिंता गरीब के हित, यही मोदी के दिमाग में भरा-पड़ा रहता है। इसलिए हमने, दिल्ली में आपने सेवा करने का मौका दिया, हमने बस्तर में स्टील कारखाने का काम तेजी से पूरा करवाया। भाजपा सरकार ने लगभग 24 हज़ार करोड़ रुपए इस स्टील कारखाने पर लगाए। इससे इस क्षेत्र के 50-55 हज़ार साथियों को रोजगार मिलना तय हुआ है। सरकार ने ये भी तय किया है कि इस स्टील प्लांट की क्षमता को और ज्यादा बढ़ाना है मुझे, और पूंजी लगानी है, ताकि ज्यादा लोगों को काम मिल सके। यानि इस स्टील प्लांट पर अभी हज़ारों करोड़ रुपए का और निवेश होने वाला है। और जब ज्यादा निवेश होगा, और बड़ा कारखाना होगा, तो पूरे बस्तर की किस्मत और तेजी से बदलने वली है। मैं आपको बताता हूं, मेरे यहां गुजरात में स्टील बनाने का कारखाना है, हमारे यहां तो आयरन ओर भी नहीं है हम तो बाहर से लाते हैं। लेकिन स्टील कारखाना होने के कारण कार बनाने के अनेक कारखाने वहां लग गए, गाड़ियां बनाने के लिए, क्योंकि स्टील की उन्हें जरूरत थी, पास में ही मिल जाता था, अब यहां स्टील बन रहा है ना और भी कारखाने लगने वाले हैं। और यहां पर करीब डेढ़ लाख साथियों के लिए नौकरियों की, रोज़गार की संभावनाएं बनेंगी। और मेरे शब्ल लिखिए भैया, आज छत्तीसगढ़ का नौजवार रोजगार के लिए बाहर जाता है, एक दिन ऐसा आएगा हिंदुस्तान के नौजवान रोजगार के लिए बस्तर आना चाहेंगे बस्तर आना चाहेंगे। आप कल्पना कर सकते हैं....मोदी अगर ये काम कर देगा तो कांग्रेस के लोगों के लिए भ्रष्टाचार के रास्ते रुक जाएंगे। खदान में से जो माल खाते थे उस पर मोदी ने ताला लगा दिया। और इसलिए ये छटपटा रहे हैं। आज भी कितनी झूठी बातें फैलाई, लेकिन आपने उन पर तमाचा मारा, इतनी पब्लिक आकर आपने उनको तमाचा मारा है। झूठी बातें फैलाकर, इनका इरादा समझिए, बस्तर के नौजवानों इनका इरादा समझिए ये झूठी बातें फैलाकर इस स्टील प्लांट को भी हड़पना चाहते हैं। इस स्टील प्लांट को भी कांग्रेसी, अपने बच्चों, अपने रिश्तेदारों की तिजोरी भरने का माध्यम बनाना चाहते हैं।

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मेरे बस्तर के भाइयों बहनों ये मोदी की गारंटी है ये मोदी नहीं होने देगा। ये बस्तर का स्टील प्लांट आपका है बस्तर के लोगों का है। इस स्टील प्लांट के मालिक मेरे बस्तर के लोग है, मेरे छत्तीसगढ़ के लोग है। मोदी इसका मालिक नहीं है और ना ही कोई दूसरा नेता, कोई कांग्रेसी को मैं इसका मालिक बनने देने वाला हूं है। इस स्टील प्लांट के मालिक सिर्फ और सिर्फ बस्तर के मेरे भाई-बहन है। इस पर कांग्रेस के नेताओं को कब्जा नहीं करने दिया जाएगा। उनको कटकी कंपनी, कमीशन कंपनी भ्रष्टाचार, बेईमानी करने का मौका नहीं दिया जाएगा। आप मेरे साथ सहमत हैं तो एक काम करिए, अपना मोबाइल फोन निकालिए और उसकी फ्लैश लाइट चालू कीजिए, मेरी इस बात के समर्थन में अपनी फ्लैश लाइट चालू कीजिए, शाबाश… देखिए वहां दूर-दूर तक, शाबाश.. ये रहा ये ताकत है, वहां देखिए.. ये मीडिया वाले आपके फोटो निकाल रहे हैं देखिए, ये समर्थन है। ये स्टील प्लांट के लिए समर्थन है। कैसा झूठ बोलते थे और ईमानदारी देखिए, ये सच्चाई यहां देखिए, बहुत-बहुत धन्यवाद मेरे बस्तर के भाइयों-बहनों।

मेरे परिवारजनों,
कांग्रेस का ट्रैक रिकॉर्ड दिखाता है कि उसे छत्तीसगढ़ के लोगों की परवाह नहीं है। उसकी प्राथमिकता सिर्फ और सिर्फ छत्तीसगढ़ की संपदा को लूटना है। छत्तीसगढ़ की खनिज संपदा को लूटने में भी कांग्रेस ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। यहां से जो भी खनिज निकलता था, उसका लाभ कांग्रेस के राज में, लेकिन इसमें मैंने बड़ा बदलाव किया। हमने डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड बनाने का फैसला किया। इसलिए दिल्ली में भाजपा सरकार बनने के बाद खनिज से जुड़ी नीति में हमने बड़ा बदलाव किया। हमने डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड बनाने का फैसला किया, यानि जो भी खनिज यहां से निकलेगा उसका एक हिस्सा आपके मालिका का होगा.आपके विकास के लिए होगा। ये खनिज मोदी की मालिका की नहीं है। ये खनिजा कांग्रेस की छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार की नहीं है। ये आपकी है, इसका हक आपको देने का काम ये मोदी ने किया है। भाजपा ने आपको विकास का साझेदार बनाया, आपको पार्टनर बनाया। इसके तहत छत्तीसगढ़ को 8 हज़ार करोड़ रुपए मिले हैं। लेकिन जानते हैं कांग्रेस ने इस पैसे का क्या किया? यहां की कांग्रेस सरकार ने इसमें भी घोटाला कर दिया है।

साथियों,
आपकी वन-उपज के साथ कांग्रेस ने क्या किया, ये भी आपने देखा है। वन-उपज तो हमारे जनजातीय समाज के आर्थिक जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा रहा है। लेकिन जबतक दिल्ली में कांग्रेस सरकार थी, तब तक ये लोग सिर्फ 10-12 वन उपजों पर ही एमएसपी देते थे। आज जो नौजवान हैं, उन्हें ये पता होना चाहिए कि उनके माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी को कांग्रेस ने नमक से ठगा है। ये आज के नौजवानों को मैं बताता हूं.. चिरौंजी जैसे बहुमूल्य वन उत्पाद, हमारे आदिवासी परिवार इकट्ठा करते थे। बोरा-बोरा लेकर हाट-बाज़ार पहुंचते थे। वहां उन्हें 2-4 किलो नमक देकर ही ठगा जाता था। आपके दादा-दादी के साथ ये किया है इन्होंने। ये तो भाजपा सरकार है जिसने राशन की दुकानों में मुफ्त में नमक देना शुरु किया। तब जाकर कांग्रेस का ये शोषण बंद हुआ। जो उत्पाद MSP के दायरे में नहीं थे, उन्हें कांग्रेस के ठेकेदार ऐसे ही औने-पौने दाम पर खरीदते थे। फिर ज्यादा मुनाफा पर बेच देते थे। आज भाजपा सरकार करीब-करीब 90 वन-उपज को एमएसपी के दायरे में लेकर आ चुकी है। कितनी? कितनी? 90, कितनी? पहले कितनी थो.. दस-बारह, कांग्रेस के जमाने में कितनी थी? मोदी ने कितना पहुंचाया... मोदी ने कितना पहुंचाया... ये आपके प्रति जो प्यार है ना ये उसके कारण होता है। भाजपा सरकार ने वनधन केंद्र बनाकर, वन उपज के बेहतर दाम देने का रास्ता खोला है। आज छत्तीसगढ़ के हज़ारों आदिवासी बहन-भाइयों को वनधन केंद्रों में रोजगार मिला है।

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साथियों,
कांग्रेस की सरकार ने यहां तेंदुपत्ता संग्राहकों के साथ क्या किया, ये भी आप अच्छी तरह जानते हैं। भाजपा सरकार ने तेंदुपत्ता के काम से जुड़े परिवारों के लिए जो भी कल्याणकारी कार्यक्रम बनाए थे, वो कांग्रेस ने बंद कर दिए। बोनस कभी मिलता है, कभी नहीं मिलता। मिलता है तो कम मिलता है। और पाना है तो कांग्रेस वालों का कुर्ता पकड़कर जाना पड़ता है। उसकी जेब में कुछ डालना पड़ता है। तेंदुपत्ता की खरीदी कभी होती है, कभी नहीं होती है। आदिवासियों का ऐसा शोषण अब छत्तीसगढ़ में नहीं चलेगा। जैसे ही यहां भाजपा सरकार बनेगी, वैसे ही तेंदुपत्ता संग्राहकों के लिए पहले की तरह ही, बेहतर व्यवस्था बनाई जाएगी।

साथियों,
मैं आज छत्तीसगढ़ के धान किसानों को भी मेरे दिन की एक बात बताना चाहता हूं। कांग्रेस आपको धान की कीमतों के नाम पर धोखा दे रही है, झूठ बोल रही है। सच्चाई ये है कि छत्तीसगढ़ के धान किसानों का दाना-दाना, याद रखेंगे.. मैं जो कह रहा हूं उसे याद रखेंगे? याद रखेंगे कि भूल जाएंगे? गांव-गांव जाकर बताएंगे। छत्तीसगढ़ के धान किसानों के दाना-दाना केंद्र सरकार खरीदती है, मोदी सरकार खरीदती है। भाजपा सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपए छत्तीसगढ़ के धान किसानों को दिए हैं। यहां पर जब भाजपा सरकार बनेगी तो धान किसानों का पूरा ध्यान रखने की गारंटी, ये मोदी की गारंटी है। मेरे बस्तर के भाइयों-बहनों, मेरे छत्तीसगढ़ के भाइयों-बहनों, मेरे छत्तीसगढ़ के नौजवान, मेरे बस्तर के नौजवान मोदी आज कहने आया है। आप मेरे शब्द लिखकर के रखिए आपका सपना ही मेरा संकल्प है। यही मोदी की गारंटी है। आज बस्तर सहित पूरे देश में आयुष्मान भारत योजना के तहत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बने हैं। मकसद ये है कि दूर-सुदूर की मेरी आदिवासी बहनों को इलाज के लिए नजदीक ही सुविधा मिले। पूरे छत्तीसगढ़ में ऐसे लगभग 6 हज़ार अस्पताल बनाए जा चुके हैं। इनमें से एक हज़ार से अधिक आयुष्मान हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर तो सिर्फ बस्तर संभाग में है। मोदी ने ही आपके 5 लाख रुपए तक मुफ्त इलाज का प्रबंध किया, गरीब को मुफ्त राशन की व्यवस्था की, पक्के घर का इंतजाम किया। बिजली और पाइप से पानी का प्रबंध किया। आदिवासी परिवारों के बेटे-बेटियों के स्वरोजगार के लिए सरकार विशेष स्टैंड अप इंडिया योजना चला रही है।

साथियों,
आज मैं बस्तर के, छत्तीसगढ़ के उन युवा साथियों को भी एक बात बताना चाहता हूं, जो पहली बार अपना वोट डालने जा रहे हैं। वो नौजवान मेरी बात सुनिए आपको 2014 से पहले की घटनाओं के बारे में जानना ज़रूरी है। 2014 से पहले दिल्ली में जो सरकार थी न वो अखबारों में सिर्फ बड़े-बडे घोटाले ही छाए रहते थे। लाखो-करोड़ों के घोटाले यही खबरें होती थी और पूरी दुनिया में हमारे देश का नाम पूरी तरह बदनाम कर के रखा था। 2014 में देश ने कांग्रेस की सरकार को उखाड़ फेंका। और पूर्ण बहुमत की भाजपा सरकार दिल्ली में बनाई। आज घोटालों के बजाय दुनिया में भारत के गौरव की चर्चा होती है, भारत के सामर्थ्य की चर्चा होती है। आप मुझे बताइये आज दुनिया में हिंदुस्तान का डंका बज रहा है कि नहीं बज रहा है। ऐसे नहीं पूरी ताकत से बताइये कि हिंदुस्तान का डंगा बज रहा है कि नहीं बज रहा है? अमेरिका में हिंदुस्तान का डंका बज रहा है कि नहीं बज रहा है? यूरोप में हिंदुस्तान का डंका बज रहा है कि नहीं बज रहा है? जापान में हिंदुस्तान का डंका बज रहा है कि नहीं बज रहा है? सिंगापुर में हिंदुस्तान का डंका बज रहा है कि नहीं बज रहा है? आपको गौरव होता है कि नहीं होता है। आपका माथा ऊंचा होता है कि नहीं होता है? इसलिए मेरे युवा साथियों, आपको एक बात जरूर ध्यान ऱखनी है। आज देश के बहुत कम राज्यों में कांग्रेस की सरकारें बची हैं। और एक बार जाती है ना 25-25 साल तक वापस नहीं आती है।

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और इसलिए जब इनके पास सरकारें ही कम है, तो लूट का माल कुछ ही जगह से लूटना पड़ता है। इसलिए जहां भी इनकी सरकार बनती है, उसको जमकर के लूटते हैं। पूरे हिंदुस्तान में उन्होंने राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य को लूट का सबसे बड़ा खजाना बना दिया है। छत्तीसगढ़ के लोग मुझे बताते हैं कि कांग्रेस के छोटे-बड़े हर नेता ने 15 साल तक सरकार नहीं थी ना, वो जो खाद पड़ गई थी ना, वो भी जमा करने में लग गए इन पांच सालों में। यानि 15 साल तक इनको छत्तीसगढ़ ने लूटने का मौका नहीं दिया, अब वो सारी कसर भी निकालना शुरू कर दिया है। इन्होंने तो गौमाता के नाम पर भी भ्रष्टाचार किया है। जिन्होंने गोबर तक को नहीं छोड़ा, उन्होंने क्या-क्या नहीं किया होगा? इनके भ्रष्टाचार के सबसे बड़े भुगतभोगी तो मेरे नौजवान है मेरे बस्तर के लोग है। कांग्रेस ने युवाओं को नौकरियों का वादा किया था। लेकिन नौजवानों की नौकरियों में ही घोटाला कर दिया। कांग्रेस के नेताओं ने PCS भर्तियों में अपने बच्चों, अपने रिश्तेदारों को सेट कर दिया। किया कि नहीं किया? चारों तरफ लूट मचाई कि नहीं मचाई? इनकी पार्टी तो राजनीति में भी अपने ही बच्चों को सेट करती है और नौकरियों में भी यही करती है। छत्तीसगढ़ के लाखों परिवारों, आदिवासी-पिछड़े परिवारों के बच्चों से कांग्रेस ने नौकरियां छीन ली है, आपका अधिकार छीन लिया है। नौकरियां तो दी नहीं, जो पहले से सरकारी नौकरी में हैं, उनको भी कांग्रेस के लोगों ने लूटा है, परेशान किया है। ट्रांस्फर-पोस्टिंग को लेकर यहां सरेआम भ्रष्टाचार हो रहा है। बोली बोली जाती है, पैसे की उगाही की जा रही है। इसलिए छत्तीसगढ़ कह रहा है- अउ नइ सहिबो, बदल के रहिबो ! अउ नइ सहिबो, बदल के रहिबो ! अउ नइ सहिबो, बदल के रहिबो !

साथियों,
आप आश्वस्त रहिए, आप कांग्रेस की सरकार बदलिए, भाजपा इस पूरे लूटतंत्र को बदल देगी। ये कांग्रेस ने लोकतंत्र को लूटतंत्र बनाया है और प्रजातंत्र को परिवारतंत्र बना दिया है। भाजपा सरकार बनते ही PCS घोटाले की जांच होगी। गुनहगार कितना भी ताकतवर हो, मोदी उसको जेल में डालकर के रहेगा। हर नौजवान, हर सरकारी कर्मचारी को पूरा न्याय मिलेगा।

मेरे परिवारजनों,
कांग्रेस ने एक अलग राग अलापना शुरू कर दिया है। ये कांग्रेस के नेता कहते हैं - जितनी आबादी उतना हक। मैं कहता हूं कि इस देश में अगर सबसे बड़ी कोई आबादी है तो वो गरीब है, और इसलिेए मेरे लिए गरीब ही सबसे बड़ी आबादी है और गरीब का कल्याण यही मेरा मकसद है। मैं सोच रहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी क्या सोच रहे होंगे? भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी तो कहा करते थे कि देश के संसाधनों पर पहला हक माइनॉरिटी का है अल्पसंख्यकों का है, और उसमें भी मुसलमानों का है। अब कांग्रेस कह रही है कि आबादी तय करेगी कि पहला हक किसका होगा। यानि क्या अब अल्पसंख्यकों का हक कांग्रेस कम करना चाहती है क्या?
और आबादी के ही हिसाब से अब तय होने वाला है तो पहला हक किसका होगा भाई.. किसका होगा… आबादी किसकी ज्यादा है? किसका हक होगा? जरा कांग्रेस वाले स्पष्ट करें। क्या आबादी के हिसाब से हक मिलेगा क्या? तो अल्पसंख्यकों को कांग्रेस हटाना चाहती है क्या? तो क्या सबसे बड़ी आबादी वाले हिंदू अब आगे बढ़कर अपने सारे हक ले लें क्या?

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मेरे परिवारजनों,
मैं पिछले काफी समय से कह रहा हूं और फिर आज दोहरा रहा हूं कि कांग्रेस पार्टी को अब कांग्रेस के लोग नहीं चला रहे हैं। कांग्रेस के ब़ड़े-बड़े नेता मुंह पर ताला लगा कर के बैठे हैं। न उनसे पूछा जाता है ना ही वो इस सब को देखकर के बोलने की हिम्मत कर रहे हैं। अब तो कांग्रेस को आउटसोर्स कर दिया गया है। कांग्रेस को अब ऐसे लोग चला रहे हैं, परदे के पीछे लोग ऐसे कमाल कर रहे हैं, ऐसे खेल खेल रहे हैं जो देश-विरोधी ताकतों से मिले हुए हैं। कांग्रेस किसी भी कीमत पर देश के हिंदुओं को बांटकर, भारत को तबाह कर देना चाहती है। कांग्रेस गरीबों को बांटना चाहती है। मोदी ने पिछले 10 साल में सारी योजनाएं ऐसी बनाई, ताकि गरीबों में एक आत्मविश्वास पैदा हुआ है और मेरे लिए तो इस देश का गरीब ही सबसे बड़ी जाति है, यही सबसे बड़ी बिरादरी है, अगर गरीब का भला हो गया देश का भला अपनेआप हो जाएगा। आज तक कांग्रेस ने ये खुलासा नहीं किया है कि कांग्रेस ने एक दूसरे देश के साथ क्या गुप्त समझौता किया है? लेकिन देश देख रहा है कि इस समझौते के बाद कांग्रेस को और ज्यादा भारत की बुराई करने में मजा आने लगी है। भारत की अच्छी बातों को बुरी तरह पेश करने में मजा आ रही है। ऐसा लगता है जैसे उनका भारत का प्रेम ही कम होता जा रहा है। मैं सभी देशवासियों आपको आगाह करता हूं। कांग्रेस और उसके सहयोगियों की इस नई साजिश से हमें सतर्क रहना चाहिए। और अगर हक की बात करनी है, तो मैं कहूंगा कि इस देश के संसाधनों पर पहला हक....भारत के गरीब का है। गरीब चाहे वो दलित हो, गरीब चाहे वो पिछड़ा हो, गरीब चाहे आदिवासी हो, गरीब चाहे सामान्य वर्ग से हो....हमें सबसे बडी जाति मेरे लिए गरीब है हमें गरीब की चिंता करनी है, हमें गरीब का जीवन बदलना है। कांग्रेस, देश के लोगों में आपसी खाई बढ़ाना चाहती है, वैर-भाव बढ़ाना चाहती है। इसलिए कांग्रेस अब पूरी नई भाषा बोलने लगी है।


मेरे परिवारजनों,
कांग्रेस के दशकों के शासन ने देश को सिर्फ गरीबी दी। कांग्रेस ने समाज में जाति के आधार पर बांटने का ही काम किया, ताकि इनका वोटबैंक सुरक्षित रहे। कांग्रेस आज भी इसी काम में जुटी है। आज भी यहां छत्तीसगढ़ में अलग-अलग समाज अपने हक के लिए आवाज़ उठा रहे हैं। लेकिन कांग्रेस की सरकार साजिश के तहत उन्हें जेल में डाल देती है। उनकी आवाज़ को दबाने में जुटी है। दूसरी तरफ, भाजपा सरकार सामाजिक न्याय के लिए पूरी तरह से समर्पित है। हाल में ही संसद से महरा-माहरा समाज को एससी का दर्जा दिया गया है। इस समाज की ये मांग भाजपा सरकार ने पूरी की है। वर्षों तक अपने अधिकारों से वंचित रहे 12 आदिवासी वर्गों को ST का दर्जा देकर, भाजपा सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यानि जिनकी सुध कांग्रेस ने कभी नहीं ली, उनको हक देने में भाजपा हमेशा आगे रही है। मोदी की गारंटी मतलब- हर गारंटी पूरा होने की गारंटी। कांग्रेस ने महिलाओं के साथ भी दशकों तक आरक्षण के नाम पर धोखा दिया। नारी शक्ति वंदन अधिनियम, आदिवासी बेटी, हमारी माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी के हस्ताक्षर से कानून बन गया है। अब यहां के SC/ST समाज सहित सभी बहनों के लिए विधानसभा और लोकसभा में 33 प्रतिशत सीटे आरक्षित हो गई हैं। इसलिए कांग्रेस के कुशासन को हटाना है और भाजपा के सुशासन को लाना है। इसलिए, पूरे बस्तर को, जगदलपुर को, छत्तीसगढ़ को आज एक संकल्प लेना है। यहां कांग्रेस के कुशासन को हटाएंगे और भाजपा के सुशासन को लाएंगे। जब विकास का डबल इंजन यहां फिर लगेगा, यहां भाजपा का मुख्यमंत्री बनेगा, तो फिर से छत्तीसगढ़ विकास की नई रफ्तार पकड़ेगा।


एक बार फिर इतनी बड़ी तादाद में आए, आपने आशीर्वाद भी दिए मैं आपका ह़दय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं.. बहुत-बहुत धन्यवाद... दोनों हाथ ऊपर करके बोलिए.. भारत माता की.. भारत माता की.. भारत माता की.. बहुत-बहुत धन्यवाद।

  • Jitendra Kumar May 14, 2025

    ❤️🇮🇳🇮🇳
  • कृष्ण सिंह राजपुरोहित भाजपा विधान सभा गुड़ामा लानी November 21, 2024

    जय श्री राम 🚩 वन्दे मातरम् जय भाजपा विजय भाजपा
  • Devendra Kunwar October 08, 2024

    BJP
  • दिग्विजय सिंह राना September 20, 2024

    हर हर महादेव
  • ANKUR SHARMA September 07, 2024

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May 27, 2025
QuoteTerrorist activities are no longer proxy war but well thought out strategy, so the response will also be in a similar way: PM
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QuoteIndia must be developed nation by 2047,no compromise, we will celebrate 100 years of independence in such a way that whole world will acclaim ‘Viksit Bharat’: PM
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QuoteToday we have around two lakh Start-Ups ,most of them are in Tier2-Tier 3 cities and being led by our daughters: PM
QuoteOur country has immense potential to bring about a big change, Operation sindoor is now responsibility of 140 crore citizens: PM
QuoteWe should be proud of our brand “Made in India”: PM

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

क्यों ये सब तिरंगे नीचे हो गए हैं?

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

मंच पर विराजमान गुजरात के गवर्नर आचार्य देवव्रत जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्र में मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी मनोहर लाल जी, सी आर पाटिल जी, गुजरात सरकार के अन्य मंत्री गण, सांसदगण, विधायक गण और गुजरात के कोने-कोने से यहां उपस्थित मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

मैं दो दिन से गुजरात में हूं। कल मुझे वडोदरा, दाहोद, भुज, अहमदाबाद और आज सुबह-सुबह गांधी नगर, मैं जहां-जहां गया, ऐसा लग रहा है, देशभक्ति का जवाब गर्जना करता सिंदुरिया सागर, सिंदुरिया सागर की गर्जना और लहराता तिरंगा, जन-मन के हृदय में मातृभूमि के प्रति अपार प्रेम, एक ऐसा नजारा था, एक ऐसा दृश्य था और ये सिर्फ गुजरात में नहीं, हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने में है। हर हिन्दुस्तानी के दिल में है। शरीर कितना ही स्वस्थ क्यों न हो, लेकिन अगर एक कांटा चुभता है, तो पूरा शरीर परेशान रहता है। अब हमने तय कर लिया है, उस कांटे को निकाल के रहेंगे।

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साथियों,

1947 में जब मां भारती के टुकड़े हुए, कटनी चाहिए तो ये तो जंजीरे लेकिन कांट दी गई भुजाएं। देश के तीन टुकड़े कर दिए गए। और उसी रात पहला आतंकवादी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ। मां भारती का एक हिस्सा आतंकवादियों के बलबूते पर, मुजाहिदों के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया। अगर उसी दिन इन मुजाहिदों को मौत के घाट उतार दिया गया होता और सरदार पटेल की इच्छा थी कि पीओके वापस नहीं आता है, तब तक सेना रूकनी नहीं चाहिए। लेकिन सरदार साहब की बात मानी नहीं गई और ये मुजाहिदीन जो लहू चख गए थे, वो सिलसिला 75 साल से चला है। पहलगाम में भी उसी का विकृत रूप था। 75 साल तक हम झेलते रहे हैं और पाकिस्तान के साथ जब युद्ध की नौबत आई, तीनों बार भारत की सैन्य शक्ति ने पाकिस्तान को धूल चटा दी। और पाकिस्तान समझ गया कि लड़ाई में वो भारत से जीत नहीं सकते हैं और इसलिए उसने प्रॉक्सी वार चालू किया। सैन्‍य प्रशिक्षण होता है, सैन्‍य प्रशिक्षित आतंकवादी भारत भेजे जाते हैं और निर्दोष-निहत्थे लोग कोई यात्रा करने गया है, कोई बस में जा रहा है, कोई होटल में बैठा है, कोई टूरिस्‍ट बन कर जा रहा है। जहां मौका मिला, वह मारते रहे, मारते रहे, मारते रहे और हम सहते रहे। आप मुझे बताइए, क्या यह अब सहना चाहिए? क्या गोली का जवाब गोले से देना चाहिए? ईट का जवाब पत्थर से देना चाहिए? इस कांटे को जड़ से उखाड़ देना चाहिए?

साथियों,

यह देश उस महान संस्कृति-परंपरा को लेकर चला है, वसुधैव कुटुंबकम, ये हमारे संस्कार हैं, ये हमारा चरित्र है, सदियों से हमने इसे जिया है। हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। हम अपने पड़ोसियों का भी सुख चाहते हैं। वह भी सुख-चैन से जिये, हमें भी सुख-चैन से जीने दें। ये हमारा हजारों साल से चिंतन रहा है। लेकिन जब बार-बार हमारे सामर्थ्य को ललकारा जाए, तो यह देश वीरों की भी भूमि है। आज तक जिसे हम प्रॉक्सी वॉर कहते थे, 6 मई के बाद जो दृश्य देखे गए, उसके बाद हम इसे प्रॉक्सी वॉर कहने की गलती नहीं कर सकते हैं। और इसका कारण है, जब आतंकवाद के 9 ठिकाने तय करके 22 मिनट में साथियों, 22 मिनट में, उनको ध्वस्त कर दिया। और इस बार तो सब कैमरा के सामने किया, सारी व्यवस्था रखी थी। ताकि हमारे घर में कोई सबूत ना मांगे। अब हमें सबूत नहीं देना पड़ रहा है, वो उस तरफ वाला दे रहा है। और मैं इसलिए कहता हूं, अब यह प्रॉक्सी वॉर नहीं कह सकते इसको क्योंकि जो आतंकवादियों के जनाजे निकले, 6 मई के बाद जिन का कत्ल हुआ, उस जनाजे को स्टेट ऑनर दिया गया पाकिस्तान में, उनके कॉफिन पर पाकिस्तान के झंडे लगाए गए, उनकी सेना ने उनको सैल्यूट दी, यह सिद्ध करता है कि आतंकवादी गतिविधियां, ये प्रॉक्सी वॉर नहीं है। यह आप की सोची समझी युद्ध की रणनीति है। आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा। हम अपने काम में लगे थे, प्रगति की राह पर चले थे। हम सबका भला चाहते हैं और मुसीबत में मदद भी करते हैं। लेकिन बदले में खून की नदियां बहती हैं। मैं नई पीढ़ी को कहना चाहता हूं, देश को कैसे बर्बाद किया गया है? 1960 में जो इंडस वॉटर ट्रीटी हुई है। अगर उसकी बारीकी में जाएंगे, तो आप चौक जाएंगे। यहाँ तक तय हुआ है उसमें, कि जो जम्मू कश्मीर की अन्‍य नदियों पर डैम बने हैं, उन डैम का सफाई का काम नहीं किया जाएगा। डिसिल्टिंग नहीं किया जाएगा। सफाई के लिए जो नीचे की तरफ गेट हैं, वह नहीं खोले जाएंगे। 60 साल तक यह गेट नहीं खोले गए और जिसमें शत प्रतिशत पानी भरना चाहिए था, धीरे-धीरे इसकी कैपेसिटी काम हो गई, 2 परसेंट 3 परसेंट रह गया। क्या मेरे देशवासियों को पानी पर अधिकार नहीं है क्या? उनको उनके हक का पानी मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए क्या? और अभी तो मैंने कुछ ज्यादा किया नहीं है। अभी तो हमने कहा है कि हमने इसको abeyance में रखा है। वहां पसीना छूट रहा है और हमने डैम थोड़े खोल करके सफाई शुरू की, जो कूड़ा कचरा था, वह निकाल रहे हैं। इतने से वहां flood आ जाता है।

साथियों,

हम किसी से दुश्मनी नहीं चाहते हैं। हम सुख-चैन की जिंदगी जीना चाहते हैं। हम प्रगति भी इसलिए करना चाहते हैं कि विश्व की भलाई में हम भी कुछ योगदान कर सकें। और इसलिए हम एकनिष्ठ भाव से कोटि-कोटि भारतीयों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं। कल 26 मई था, 2014 में 26 मई, मुझे पहली बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने का अवसर मिला। और तब भारत की इकोनॉमी, दुनिया में 11 नंबर पर थी। हमने कोरोना से लड़ाई लड़ी, हमने पड़ोसियों से भी मुसीबतें झेली, हमने प्राकृतिक आपदा भी झेली। इन सब के बावजूद भी इतने कम समय में हम 11 नंबर की इकोनॉमी से चार 4 नंबर की इकोनॉमी पर पहुंच गए क्योंकि हमारा ये लक्ष्य है, हम विकास चाहते हैं, हम प्रगति चाहते हैं।

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और साथियों,

मैं गुजरात का ऋणी हूं। इस मिट्टी ने मुझे बड़ा किया है। यहां से मुझे जो शिक्षा मिली, दीक्षा मिली, यहां से जो मैं आप सबके बीच रहकर के सीख पाया, जो मंत्र आपने मुझे दिए, जो सपने आपने मेरे में संजोए, मैं उसे देशवासियों के काम आए, इसके लिए कोशिश कर रहा हूं। मुझे खुशी है कि आज गुजरात सरकार ने शहरी विकास वर्ष, 2005 में इस कार्यक्रम को किया था। 20 वर्ष मनाने का और मुझे खुशी इस बात की हुई कि यह 20 साल के शहरी विकास की यात्रा का जय गान करने का कार्यक्रम नहीं बनाया। गुजरात सरकार ने उन 20 वर्ष में से जो हमने पाया है, जो सीखा है, उसके आधार पर आने वाले शहरी विकास को next generation के लिए उन्होंने उसका रोडमैप बनाया और आज वो रोड मैप गुजरात के लोगों के सामने रखा है। मैं इसके लिए गुजरात सरकार को, मुख्यमंत्री जी को, उनकी टीम को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

हम आज दुनिया की चौथी इकोनॉमी बने हैं। किसी को भी संतोष होगा कि अब जापान को भी पीछे छोड़ कर के हम आगे निकल गए हैं और मुझे याद है, हम जब 6 से 5 बने थे, तो देश में एक और ही उमंग था, बड़ा उत्साह था, खासकर के नौजवानों में और उसका कारण यह था कि ढाई सौ सालों तक जिन्होंने हम पर राज किया था ना, उस यूके को पीछे छोड़ करके हम 5 बने थे। लेकिन अब चार बनने का आनंद जितना होना चाहिए उससे ज्यादा तीन कब बनोगे, उसका दबाव बढ़ रहा है। अब देश इंतजार करने को तैयार नहीं है और अगर किसी ने इंतजार करने के लिए कहा, तो पीछे से नारा आता है, मोदी है तो मुमकिन है।

और इसलिए साथियों,

एक तो हमारा लक्ष्य है 2047, हिंदुस्तान विकसित होना ही चाहिए, no compromise… आजादी के 100 साल हम ऐसे ही नहीं बिताएंगे, आजादी के 100 साल ऐसे मनाएंगे, ऐसे मनाएंगे कि दुनिया में विकसित भारत का झंडा फहरता होगा। आप कल्पना कीजिए, 1920, 1925, 1930, 1940, 1942, उस कालखंड में चाहे भगत सिंह हो, सुखदेव हो, राजगुरु हो, नेताजी सुभाष बाबू हो, वीर सावरकर हो, श्यामजी कृष्ण वर्मा हो, महात्मा गांधी हो, सरदार पटेल हो, इन सबने जो भाव पैदा किया था और देश की जन-मन में आजादी की ललक ना होती, आजादी के लिए जीने-मरने की प्रतिबद्धता ना होती, आजादी के लिए सहन करने की इच्छा शक्ति ना होती, तो शायद 1947 में आजादी नहीं मिलती। यह इसलिए मिली कि उस समय जो 25-30 करोड़ आबादी थी, वह बलिदान के लिए तैयार हो चुकी थी। अगर 25-30 करोड़ लोग संकल्पबद्ध हो करके 20 साल, 25 साल के भीतर-भीतर अंग्रेजों को यहां से निकाल सकते हैं, तो आने वाले 25 साल में 140 करोड़ लोग विकसित भारत बना भी सकते हैं दोस्तों। और इसलिए 2030 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, मैं समझता हूं कि हमने अभी से 30 में होंगे, 35… 35 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, हमने अभी से नेक्स्ट 10 ईयर का पहले एक प्लान बनाना चाहिए कि जब गुजरात के 75 होंगे, तब गुजरात यहां पहुंचेगा। उद्योग में यहां होगा, खेती में यहां होगा, शिक्षा में यहां होगा, खेलकूद में यहां होगा, हमें एक संकल्प ले लेना चाहिए और जब गुजरात 75 का हो, उसके 1 साल के बाद जो ओलंपिक होने वाला है, देश चाहता है कि वो ओलंपिक हिंदुस्तान में हो।

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और इसलिए साथियों,

जिस प्रकार से हमारा यह एक लक्ष्य है कि हम जब गुजरात के 75 साल हो जाए। और आप देखिए कि जब गुजरात बना, उस समय के अखबार निकाल दीजिए, उस समय की चर्चाएं निकाल लीजिए। क्या चर्चाएं होती थी कि गुजरात महाराष्ट्र से अलग होकर क्या करेगा? गुजरात के पास क्या है? समंदर है, खारा पाठ है, इधर रेगिस्तान है, उधर पाकिस्तान है, क्या करेगा? गुजरात के पास कोई मिनरल्स नहीं, गुजरात कैसे प्रगति करेगा? यह ट्रेडर हैं सारे… इधर से माल लेते हैं, उधर बेचते हैं। बीच में दलाली से रोजी-रोटी कमा करके गुजारा करते हैं। क्‍या करेंगे ऐसी चर्चा थी। वही गुजरात जिसके पास एक जमाने में नमक से ऊपर कुछ नहीं था, आज दुनिया को हीरे के लिए गुजरात जाना जाता है। कहां नमक, कहां हीरे! यह यात्रा हमने काटी है। और इसके पीछे सुविचारित रूप से प्रयास हुआ है। योजनाबद्ध तरीके से कदम उठाएं हैं। हमारे यहां आमतौर पर गवर्नमेंट के मॉडल की चर्चा होती है कि सरकार में साइलोज, यह सबसे बड़ा संकट है। एक डिपार्टमेंट दूसरे से बात नहीं करता है। एक टेबल वाला दूसरे टेबल वाले से बात नहीं करता है, ऐसी चर्चा होती है। कुछ बातों में सही भी होगा, लेकिन उसका कोई सॉल्यूशन है क्या? मैं आज आपको बैकग्राउंड बताता हूं, यह शहरी विकास वर्ष अकेला नहीं, हमने उस समय हर वर्ष को किसी न किसी एक विशेष काम के लिए डेडिकेट करते थे, जैसे 2005 में शहरी विकास वर्ष माना गया। एक साल ऐसा था, जब हमने कन्या शिक्षा के लिए डेडिकेट किया था, एक वर्ष ऐसा था, जब हमने पूरा टूरिज्म के लिए डेडिकेट किया था। इसका मतलब ये नहीं कि बाकी सब काम बंद करते थे, लेकिन सरकार के सभी विभागों को उस वर्ष अगर forest department है, तो उसको भी अर्बन डेवलपमेंट में वो contribute क्या कर सकता है? हेल्थ विभाग है, तो अर्बन डेवलपमेंट ईयर में वो contribute क्या कर सकता है? जल संरक्षण मंत्रालय है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? टूरिज्म डिपार्टमेंट है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? यानी एक प्रकार से whole of the government approach, इस भूमिका से ये वर्ष मनाया और आपको याद होगा, जब हमने टूरिज्म ईयर मनाया, तो पूरे राज्य में उसके पहले गुजरात में टूरिज्म की कल्पना ही कोई नहीं कर सकता था। विशेष प्रयास किया गया, उसी समय ऐड कैंपेन चलाया, कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में, एक-एक चीज उसमें से निकली। उसी में से रण उत्‍सव निकला, उसी में से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बना। उसी में से आज सोमनाथ का विकास हो रहा है, गिर का विकास हो रहा है, अंबाजी जी का विकास हो रहा है। एडवेंचर स्पोर्ट्स आ रही हैं। यानी एक के बाद एक चीजें डेवलप होने लगीं। वैसे ही जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया।

और मुझे याद है, मैं राजनीति में नया-नया आया था। और कुछ समय के बाद हम अहमदाबाद municipal कॉरपोरेशन सबसे पहले जीते, तब तक हमारे पास एक राजकोट municipality हुआ करती थी, तब वो कारपोरेशन नहीं थी। और हमारे एक प्रहलादभाई पटेल थे, पार्टी के बड़े वरिष्ठ नेता थे। बहुत ही इनोवेटिव थे, नई-नई चीजें सोचना उनका स्वभाव था। मैं नया राजनीति में आया था, तो प्रहलाद भाई एक दिन आए मिलने के लिए, उन्होंने कहा ये हमें जरा, उस समय चिमनभाई पटेल की सरकार थी, तो हमने चिमनभाई और भाजपा के लोग छोटे पार्टनर थे। तो हमें चिमनभाई को मिलकर के समझना चाहिए कि यह जो लाल बस अहमदाबाद की है, उसको जरा अहमदाबाद के बाहर जाने दिया जाए। तो उन्होंने मुझे समझाया कि मैं और प्रहलाद भाई चिमनभाई को मिलने गए। हमने बहुत माथापच्ची की, हमने कहा यह सोचने जैसा है कि लाल बस अहमदाबाद के बाहर गोरा, गुम्‍मा, लांबा, उधर नरोरा की तरफ आगे दहेगाम की तरफ, उधर कलोल की तरफ आगे उसको जाने देना चाहिए। ट्रांसपोर्टेशन का विस्तार करना चाहिए, तो सरकार के जैसे सचिवों का स्वभाव रहता है, यहां बैठे हैं सारे, उस समय वाले तो रिटायर हो गए। एक बार एक कांग्रेसी नेता को पूछा गया था कि देश की समस्याओं का समाधान करना है तो दो वाक्य में बताइए। कांग्रेस के एक नेता ने जवाब दिया था, वो मुझे आज भी अच्छा लगता है। यह कोई 40 साल पहले की बात है। उन्होंने कहा, देश में दो चीजें होनी चाहिए। एक पॉलीटिशियंस ना कहना सीखें और ब्यूरोक्रेट हां कहना सीखे! तो उससे सारी समस्या का समाधान हो जाएगा। पॉलीटिशियंस किसी को ना नहीं कहता और ब्यूरोक्रेट किसी को हां नहीं कहता। तो उस समय चिमनभाई के पास गए, तो उन्‍होंने पूछा सबसे, हम दोबारा गए, तीसरी बार गए, नहीं-नहीं एसटी को नुकसान हो जाएगा, एसटी को कमाई बंद हो जाएगी, एसटी बंद पड़ जाएगी, एसटी घाटे में चल रही है। लाल बस वहां नहीं भेज सकते हैं, यह बहुत दिन चला। तीन-चार महीने तक हमारी माथापच्ची चली। खैर, हमारा दबाव इतना था कि आखिर लाल बस को लांबा, गोरा, गुम्‍मा, ऐसा एक्सटेंशन मिला, उसका परिणाम है कि अहमदाबाद का विस्तार तेजी से उधर सारण की तरफ हुआ, इधर दहेगाम की तरफ हुआ, उधर कलोल की तरह हुआ, उधर अहमदाबाद की तरह हुआ, तो अहमदाबाद की तरफ जो प्रेशर, एकदम तेजी से बढ़ने वाला था, उसमें तेजी आई, बच गए छोटी सी बात थी, तब जाकर के, मैं तो उस समय राजनीति में नया था। मुझे कोई ज्यादा इन चीजों को मैं जानता भी नहीं था। लेकिन तब समझ में आता था कि हम तत्कालीन लाभ से ऊपर उठ करके सचमुच में राज्य की और राज्य के लोगों की भलाई के लिए हिम्मत के साथ लंबी सोच के साथ चलेंगे, तो बहुत लाभ होगा। और मुझे याद है जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया, तो पहला काम आया, यह एंक्रोचमेंट हटाने का, अब जब एंक्रोचमेंट हटाने की बात आती हे, तो सबसे पहले रुकावट बनता है पॉलिटिकल आदमी, किसी भी दल का हो, वो आकर खड़ा हो जाता है क्योंकि उसको लगता है, मेरे वोटर है, तुम तोड़ रहे हो। और अफसर लोग भी बड़े चतुर होते हैं। जब उनको कहते हैं कि भई यह सब तोड़ना है, तो पहले जाकर वो हनुमान जी का मंदिर तोड़ते हैं। तो ऐसा तूफान खड़ा हो जाता है कि कोई भी पॉलिटिशयन डर जाता है, उसको लगता है कि हनुमान जी का मंदिर तोड़ दिया तो हो… हमने बड़ी हिम्मत दिखाई। उस समय हमारे …..(नाम स्पष्ट नहीं) अर्बन मिनिस्टर थे। और उसका परिणाम यह आया कि रास्ते चौड़े होने लगे, तो जिसका 2 फुट 4 फुट कटता था, वह चिल्लाता था, लेकिन पूरा शहर खुश हो जाता था। इसमें एक स्थिति ऐसी बनी, बड़ी interesting है। अब मैंने तो 2005 अर्बन डेवलपमेंट ईयर घोषित कर दिया। उसके लिए कोई 80-90 पॉइंट निकाले थे, बडे interesting पॉइंट थे। तो पार्टी से ऐसी मेरी बात हुई थी कि भाई ऐसा एक अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा, जरा सफाई वगैरह के कामों में सब को जोड़ना पड़ेगा ऐसा, लेकिन जब ये तोड़ना शुरू हुआ, तो मेरी पार्टी के लोग आए, ये बड़ा सीक्रेट बता रहा हूं मैं, उन्होंने कहा साहब ये 2005 में तो अर्बन बॉडी के चुनाव है, हमारी हालत खराब हो जाएगी। यह सब तो चारों तरफ तोड़-फोड़ चल रही है। मैंने कहा यार भई यह तो मेरे ध्यान में नहीं रहा और सच में मेरे ध्यान में वो चुनाव था ही नहीं। अब मैंने कार्यक्रम बना दिया, अब साहब मेरा भी एक स्वभाव है। हम तो बचपन से पढ़ते आए हैं- कदम उठाया है तो पीछे नहीं हटना है। तो मैंने मैंने कहा देखो भाई आपकी चिंता सही है, लेकिन अब पीछे नहीं हट सकते। अब तो ये अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा। हार जाएंगे, चुनाव क्या है? जो भी होगा हम किसी का बुरा करना नहीं चाहते, लेकिन गुजरात में शहरों का रूप रंग बदलना बहुत जरूरी है।

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साथियों,

हम लोग लगे रहे। काफी विरोध भी हुआ, काफी आंदोलन हुए बहुत परेशानी हुई। यहां मीडिया वालों को भी बड़ा मजा आ गया कि मोदी अब शिकार आ गया हाथ में, तो वह भी बड़ी पूरी ताकत से लग गए थे। और उसके बाद जब चुनाव हुआ, देखिए मैं राजनेताओं को कहता हूं, मैं देश भर के राजनेता मुझे सुनते हैं, तो देखना कहता हूं, अगर आपने सत्यनिष्ठा से, ईमानदारी से लोगों की भलाई के लिए निर्णय करते हैं, तत्कालीन भले ही बुरा लगे, लोग साथ चलते हैं। और उस समय जो चुनाव हुआ 90 परसेंट विक्ट्री बीजेपी की हुई थी, 90 परसेंट यानी लोग जो मानते हैं कि जनता ये नहीं और मुझे याद है। अब यह जो यहां अटल ब्रिज बना है ना तो मुझे, यह साबरमती रिवर फ्रंट पर, तो पता नहीं क्यों मुझे उद्घाटन के लिए बुलाया था। कई कार्यक्रम थे, तो मैंने कहा चलो भई हम भी देखने जाते हैं, तो मैं जरा वो अटल ब्रिज पर टहलने गया, तो वहां मैंने देखा कुछ लोगों ने पान की पिचकारियां लगाई हुई थी। अभी तो उद्घाटन होना था, लेकिन कार्यक्रम हो गया था। तो मेरा दिमाग, मैंने कहा इस पर टिकट लगाओ। तो ये सारे लोग आ गए साहब चुनाव है, उसी के बाद चुनाव था, बोले टिकट नहीं लगा सकते मैंने कहा टिकट लगाओ वरना यह तुम्हारा अटल ब्रिज बेकार हो जाएगा। फिर मैं दिल्ली गया, मैंने दूसरे दिन फोन करके पूछा, मैंने कहा क्या हुआ टिकट लगाने का एक दिन भी बिना टिकट नहीं चलना चाहिए।

साथियों,

खैर मेरा मान-सम्मान रखते हैं सब लोग, आखिर के हमारे लोगों ने ब्रिज पर टिकट लगा दिया। आज टिकट भी हुआ, चुनाव भी जीते दोस्तों और वो अटल ब्रिज चल रहा है। मैंने कांकरिया का पुनर्निर्माण का कार्यक्रम लिया, उस पर टिकट लगाया तो कांग्रेस ने बड़ा आंदोलन किया। कोर्ट में चले गए, लेकिन वह छोटा सा प्रयास पूरे कांकरिया को बचा कर रखा हुआ है और आज समाज का हर वर्ग बड़ी सुख-चैन से वहां जाता है। कभी-कभी राजनेताओं को बहुत छोटी चीजें डर जाते हैं। समाज विरोधी नहीं होता है, उसको समझाना होता है। वह सहयोग करता है और अच्छे परिणाम भी मिलते हैं। देखिए शहरी शहरी विकास की एक-एक चीज इतनी बारीकी से बनाई गई और उसी का परिणाम था और मैं आपको बताता हूं। यह जो अब मुझ पर दबाव बढ़ने वाला है, वो already शुरू हो गया कि मोदी ठीक है, 4 नंबर तो पहुंच गए, बताओ 3 कब पहुंचोगे? इसकी एक जड़ी-बूटी आपके पास है। अब जो हमारे ग्रोथ सेंटर हैं, वो अर्बन एरिया हैं। हमें अर्बन बॉडीज को इकोनॉमिक के ग्रोथ सेंटर बनाने का प्लान करना होगा। अपने आप जनसंख्या के कारण वृद्धि होती चले, ऐसे शहर नहीं हो सकते हैं। शहर आर्थिक गतिविधि के तेजतर्रार केंद्र होने चाहिए और अब तो हमने टीयर 2, टीयर 3 सीटीज पर भी बल देना चाहिए और वह इकोनॉमिक एक्टिविटी के सेंटर बनने चाहिए और मैं तो पूरे देश की नगरपालिका, महानगरपालिका के लोगों को कहना चाहूंगा। अर्बन बॉडी से जुड़े हुए सब लोगों से कहना चाहूंगा कि वे टारगेट करें कि 1 साल में उस नगर की इकोनॉमी कहां से कहां पहुंचाएंगे? वहां की अर्थव्यवस्था का कद कैसे बढ़ाएंगे? वहां जो चीजें मैन्युफैक्चर हो रही हैं, उसमें क्वालिटी इंप्रूव कैसे करेंगे? वहां नए-नए इकोनॉमिक एक्टिविटी के रास्ते कौन से खोलेंगे। ज्यादातर मैंने देखा नगर पालिका की जो नई-नई बनती हैं, तो क्या करते हैं, एक बड़ा शॉपिंग सेंटर बना देते हैं। पॉलिटिशनों को भी जरा सूट करता है वह, 30-40 दुकानें बना देंगे और 10 साल तक लेने वाला नहीं आता है। इतने से काम नहीं चलेगा। स्टडी करके और खास करके जो एग्रो प्रोडक्ट हैं। मैं तो टीयर 2, टीयर 3 सीटी के लिए कहूंगा, जो किसान पैदावार करता है, उसका वैल्यू एडिशन, यह नगर पालिकाओं में शुरू हो, आस-पास से खेती की चीजें आएं, उसमें से कुछ वैल्यू एडिशन हो, गांव का भी भला होगा, शहर का भी भला होगा।

उसी प्रकार से आपने देखा होगा इन दिनों स्टार्टअप, स्टार्टअप में भी आपके ध्यान में आया होगा कि पहले स्‍टार्टअप बड़े शहर के बड़े उद्योग घरानों के आसपास चलते थे, आज देश में करीब दो लाख स्टार्टअप हैं। और ज्यादातर टीयर 2, टीयर 3 सीटीज में है और इसमें भी गर्व की बात है कि उसमें काफी नेतृत्व हमारी बेटियों के पास है। स्‍टार्टअप की लीडरशिप बेटियों के पास है। ये बहुत बड़ी क्रांति की संभावनाओं को जन्म देता है और इसलिए मैं चाहूंगा कि अर्बन डेवलपमेंट ईयर के जब 20 साल मना रहे हैं और एक सफल प्रयोग को हम याद करके आगे की दिशा तय करते हैं तब हम टीयर 2, टीयर 3 सीटीज को बल दें। शिक्षा में भी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज काफी आगे रहा, इस साल देख लीजिए। पहले एक जमाना था कि 10 और 12 के रिजल्ट आते थे, तो जो नामी स्कूल रहते थे बड़े, उसी के बच्चे फर्स्ट 10 में रहते थे। इन दिनों शहरों की बड़ी-बड़ी स्कूलों का नामोनिशान नहीं होता है, टीयर 2, टीयर 3 सीटीज के स्कूल के बच्चे पहले 10 में आते हैं। देखा होगा आपने गुजरात में भी यही हो रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि हमारे छोटे शहरों के पोटेंशियल, उसकी ताकत बढ़ रही है। खेल का देखिए, पहले क्रिकेट देखिए आप, क्रिकेट तो हिंदुस्तान में हम गली-मोहल्ले में खेला जाता है। लेकिन बड़े शहर के बड़े रहीसी परिवारों से ही खेलकूद क्रिकेट अटका हुआ था। आज सारे खिलाड़ी में से आधे से ज्यादा खिलाड़ी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज गांव के बच्चे हैं जो खेल में इंटरनेशनल खेल खेल कर कमाल करते हैं। यानी हम समझें कि हमारे शहरों में बहुत पोटेंशियल है। और जैसा मनोहर जी ने भी कहां और यहां वीडियो में भी दिखाया गया, यह हमारे लिए बहुत बड़ी opportunity है जी, 4 में से 3 नंबर की इकोनॉमी पहुंचने के लिए हम हिंदुस्तान के शहरों की अर्थव्यवस्था पर अगर फोकस करेंगे, तो हम बहुत तेजी से वहां भी पहुंच पाएंगे।

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साथियों,

ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। दुर्भाग्य से हमारे देश में एक ऐसे ही इकोसिस्टम ने जमीनों में अपनी जड़े ऐसी जमा हुई हैं कि भारत के सामर्थ्य को हमेशा नीचा दिखाने में लगी हैं। वैचारिक विरोध के कारण व्यवस्थाओं के विकास का अस्वीकार करने का उनका स्वभाव बन गया है। व्यक्ति के प्रति पसंद-नापसंद के कारण उसके द्वारा किये गए हर काम को बुरा बता देना एक फैशन का तरीका चल पड़ा है और उसके कारण देश की अच्‍छी चीजों का नुकसान हुआ है। ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। अब आप देखिए, हमने शहरी विकास पर तो बल दिया, लेकिन वैसा ही जब आपने दिल्‍ली भेजा, तो हमने एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट, एस्पिरेशनल ब्लॉक पर विचार किया कि हर राज्य में एकाध जिला, एकाध तहसील ऐसी होती है, जो इतना पीछे होता है, कि वो स्‍टेट की सारी एवरेज को पीछे खींच ले जाता है। आप जंप लगा ही नहीं सकते, वो बेड़ियों की तरह होता है। मैंने कहा, पहले इन बेड़ियों को तोड़ना है और देश में 100 के करीब एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट उनको identify किया गया। 40 पैरामीटर से देखा गया कि यहां क्या जरूरत है। अब 500 ब्‍लॉक्‍स identify किए हैं, whole of the government approach के साथ फोकस किया गया। यंग अफसरों को लगाया गया, फुल टैन्‍यूर के साथ काम करें, ऐसा लगाया। आज दुनिया के लिए एक मॉडल बन चुका है और जो डेवलपिंग कंट्रीज हैं उनको भी लग रहा है कि हमारे यहां विकास के इस मॉडल की ओर हमें चलना चाहिए। हमारा academic world भारत के इन प्रयासों और सफल प्रयासों के विषय में सोचे और जब academic world इस पर सोचता है तो दुनिया के लिए भी वो एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में काम आता है।

साथियों,

आने वाले दिनों में टूरिज्म पर हमें बल देना चाहिए। गुजरात ने कमाल कर दिया है जी, कोई सोच सकता है। कच्छ के रेगिस्तान में जहां कोई जाने का नाम नहीं लेता था, वहां आज जाने के लिए बुकिंग नहीं मिलती है। चीजों को बदला जा सकता है, दुनिया का सबसे बड़ा ऊंचा स्टैच्यू, ये अपने आप में अद्भुत है। मुझे बताया गया कि वडनगर में जो म्यूजियम बना है। कल मुझे एक यूके के एक सज्‍जन मिले थे। उन्होंने कहा, मैं वडनगर का म्यूजियम देखने जा रहा हूं। यह इंटरनेशनल लेवल में इतने global standard का कोई म्यूजियम बना है और भारत में काशी जैसे बहुत कम जगह है कि जो अविनाशी हैं। जो कभी भी मृतप्राय नहीं हुए, जहां हर पल जीवन रहा है, उसमें एक वडनगर हैं, जिसमें 2800 साल तक के सबूत मिले हैं। अभी हमारा काम है कि वह इंटरनेशनल टूरिस्ट मैप पर कैसे आए? हमारा लोथल जहां हम एक म्यूजियम बना रहे हैं, मैरीटाइम म्यूजियम, 5 हजार साल पहले मैरीटाइम में दुनिया में हमारा डंका बजता था। धीरे-धीरे हम भूल गए, लोथल उसका जीता-जागता उदाहरण है। लोथल में दुनिया का सबसे बड़ा मैरीटाइम म्यूजियम बन रहा है। आप कल्पना कर सकते हैं कि इन चीजों का कितना लाभ होने वाला है और इसलिए मैं कहता हूं दोस्तों, 2005 का वो समय था, जब पहली बार गिफ्ट सिटी के आईडिया को कंसीव किया गया और मुझे याद है, शायद हमने इसका launching Tagore Hall में किया था। तो उसके बड़े-बड़े जो हमारे मन में डिजाइन थे, उसके चित्र लगाए थे, तो मेरे अपने ही लोग पूछ रहे थे। यह होगा, इतने बड़े बिल्डिंग टावर बनेंगे? मुझे बराबर याद है, यानी जब मैं उसका मैप वगैरह और उसका प्रेजेंटेशन दिखाता था केंद्र के कुछ नेताओं को, तो वह भी मुझे कह रहे थे अरे भारत जैसे देश में ये क्या कर रहे हो तुम? मैं सुनता था आज वो गिफ्ट सिटी हिंदुस्तान का हर राज्य कह रहा है कि हमारे यहां भी एक गिफ्ट सिटी होना चाहिए।

साथियों,

एक बार कल्पना करते हुए उसको जमीन पर, धरातल पर उतारने का अगर हम प्रयास करें, तो कितने बड़े अच्छे परिणाम मिल सकते हैं, ये हम भली भांति देख रहे हैं। वही काल खंड था, रिवरफ्रंट को कंसीव किया, वहीं कालखंड था जब दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम बनाने का सपना देखा, पूरा किया। वही कालखंड था, दुनिया का सबसे ऊंचा स्टैच्यू बनाने के लिए सोचा, पूरा किया।

भाइयों और बहनों,

एक बार हम मान के चले, हमारे देश में potential बहुत हैं, बहुत सामर्थ्‍य है।

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साथियों,

मुझे पता नहीं क्यों, निराशा जैसी चीज मेरे मन में आती ही नहीं है। मैं इतना आशावादी हूं और मैं उस सामर्थ्य को देख पाता हूं, मैं दीवारों के उस पार देख सकता हूं। मेरे देश के सामर्थ्य को देख सकता हूं। मेरे देशवासियों के सामर्थ्य को देख सकता हूं और इसी के भरोसे हम बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं और इसलिए आज मैं गुजरात सरकार का बहुत आभारी हूं कि आपने मुझे यहां आने का मौका दिया है। कुछ ऐसी पुरानी-पुरानी बातें ज्यादातर ताजा करने का मौका मिल गया। लेकिन आप विश्वास करिए दोस्तों, गुजरात की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हम देने वाले लोग हैं, हमें देश को हमेशा देना चाहिए। और हम इतनी ऊंचाई पर गुजरात को ले जाए, इतनी ऊंचाई पर ले जाएं कि देशवासियों के लिए गुजरात काम आना चाहिए दोस्तों, इस महान परंपरा को हमें आगे बढ़ाना चाहिए। मुझे विश्वास है, गुजरात एक नए सामर्थ्य के साथ अनेक विद नई कल्पनाओं के साथ, अनेक विद नए इनीशिएटिव्स के साथ आगे बढ़ेगा मुझे मालूम है। मेरा भाषण शायद कितना लंबा हो गया होगा, पता नहीं क्या हुआ? लेकिन कल मीडिया में दो-तीन चीजें आएंगी। वो भी मैं बता देता हूं, मोदी ने अफसरों को डांटा, मोदी ने अफसरों की धुलाई की, वगैरह-वगैरह-वगैरह, खैर वो तो कभी-कभी चटनी होती है ना इतना ही समझ लेना चाहिए, लेकिन जो बाकी बातें मैंने याद की है, उसको याद कर करके जाइए और ये सिंदुरिया मिजाज! ये सिंदुरिया स्पिरिट, दोस्‍तों 6 मई को, 6 मई की रात। ऑपरेशन सिंदूर सैन्य बल से प्रारंभ हुआ था। लेकिन अब ये ऑपरेशन सिंदूर जन-बल से आगे बढ़ेगा और जब मैं सैन्य बल और जन-बल की बात करता हूं तब, ऑपरेशन सिंदूर जन बल का मतलब मेरा होता है जन-जन देश के विकास के लिए भागीदार बने, दायित्‍व संभाले।

हम इतना तय कर लें कि 2047, जब भारत के आजादी के 100 साल होंगे। विकसित भारत बनाने के लिए तत्काल भारत की इकोनॉमी को 4 नंबर से 3 नंबर पर ले जाने के लिए अब हम कोई विदेशी चीज का उपयोग नहीं करेंगे। हम गांव-गांव व्यापारियों को शपथ दिलवाएं, व्यापारियों को कितना ही मुनाफा क्यों ना हो, आप विदेशी माल नहीं बेचोगे। लेकिन दुर्भाग्य देखिए, गणेश जी भी विदेशी आ जाते हैं। छोटी आंख वाले गणेश जी आएंगे। गणेश जी की आंख भी नहीं खुल रही है। होली, होली रंग छिड़कना है, बोले विदेशी, हमें पता था आप भी अपने घर जाकर के सूची बनाना। सचमुच में ऑपरेशन सिंदूर के लिए एक नागरिक के नाते मुझे एक काम करना है। आप घर में जाकर सूची बनाइए कि आपके घर में 24 घंटे में सुबह से दूसरे दिन सुबह तक कितनी विदेशी चीजों का उपयोग होता है। आपको पता ही नहीं होता है, आप hairpin भी विदेशी उपयोग कर लेते हैं, कंघा भी विदेशी होता है, दांत में लगाने वाली जो पिन होती है, वो भी विदेशी घुस गई है, हमें मालूम तक नहीं है। पता ही नहीं है दोस्‍तों। देश को अगर बचाना है, देश को बनाना है, देश को बढ़ाना है, तो ऑपरेशन सिंदूर यह सिर्फ सैनिकों के जिम्‍मे नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर 140 करोड़ नागरिकों की जिम्‍मे है। देश सशक्त होना चाहिए, देश सामर्थ्‍य होना चाहिए, देश का नागरिक सामर्थ्यवान होना चाहिए और इसके लिए हमने वोकल फॉर लोकल, वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट, मैं मेरे यहां, जो आपके पास है फेंक देने के लिए मैं नहीं कह रहा हूं। लेकिन अब नया नहीं लेंगे और शायद एकाध दो परसेंट चीजें ऐसी हैं, जो शायद आपको बाहर की लेनी पड़े, जो हमारे यहां उपलब्ध ना हो, बाकि आज हिंदुस्तान में ऐसा कुछ नहीं। आपने देखा होगा, आज से पहले 25 साल 30 साल पहले विदेश से कोई आता था, तो लोग लिस्ट भेजते थे कि ये ले आना, ये ले आना। आज विदेश से आते हैं, वो पूछते हैं कि कुछ लाना है, तो यहां वाले कहते हैं कि नहीं-नहीं यहां सब है, मत लाओ। सब कुछ है, हमें अपनी ब्रांड पर गर्व होना चाहिए। मेड इन इंडिया पर गर्व होना चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर सैन्‍य बल से नहीं, जन बल से जीतना है दोस्तों और जन बल आता है मातृभूमि की मिट्टी में पैदा हुई हर पैदावार से आता है। इस मिट्टी की जिसमें सुगंध हो, इस देश के नागरिक के पसीने की जिसमें सुगंध हो, उन चीजों का मैं इस्तेमाल करूंगा, अगर मैं ऑपरेशन सिंदूर को जन-जन तक, घर-घर तक लेकर जाता हूं। आप देखिए हिंदुस्तान को 2047 के पहले विकसित राष्ट्र बनाकर रहेंगे और अपनी आंखों के सामने देखकर जाएंगे दोस्तों, इसी इसी अपेक्षा के साथ मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए,

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

भारत माता की जय! जरा तिरंगे ऊपर लहराने चाहिए।

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

धन्यवाद!