PM dedicates IIIT Una to the nation
“Bulk Drug Park and Vande Bharat Train are symbols of our affection and dedication to Himachal Pradesh”
“The Double engine government is committed to improving railway connectivity across Himachal Pradesh”
“New India is overcoming challenges of the past and growing rapidly”
“Our government is fulfilling the aspirations of 21st century India”
“Earlier Himachal was valued less for its strength and more on the basis of the number of its Parliamentary seats”
“We are not only filling the gulf of development left by the previous governments but also building strong pillars of foundation for the state”
“The entire world has witnessed the strength of the medicines manufactured in Himachal Pradesh”
“ Himachal had to wait for the Double Engine government to get IIT, IIIT IIM, and AIIMS”
“I believe that the golden period of Himachal's development is about to begin in the Azadi Ka Amrit Mahotsav”

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

होर भई ऊने आलियो ! केमे हाल-चाल त्वाडा? ठीक-ठाक हो? मां चिंतपूर्णी, ते गुरू नानक देव जी, दे वंशजां दी, इश तरती नूँ, मेरा प्रणाम।

साथियों,

गुरु नानक जी को स्मरण करते हुए, गुरुओं का स्‍मरण करते हुए, आज मां चिंतपूर्णी के चरणों में नमन करते हुए, धनतेरस और दीपावली से पहले हिमाचल को हज़ारों करोड़ रुपए का उपहार देते हुए मुझे खुशी हो रही है। आज ऊना में, हिमाचल में दिवाली समय से भी पहले आ गई। यहां इतनी बड़ी संख्या में देवी स्वरूपा हमारी माताएं-बहनें हमें आशीर्वाद देने आई हैं। आप सभी का ये आशीर्वाद हम सबके लिए एक बहुत बड़ी अमानत है, बहुत बड़ी ताकत है।

भाइयो-बहनों,

मैंने इतना यहां लंबा समय बिताया है कि जब भी ऊना आता हूं, पिछली यादें आंखों के सामने आ ही जाती हैं। ये मेरा सौभाग्‍य रहा कई बार देवी माँ चिंतपूर्णी देवी के सामने माथा टेकने और आर्शीवाद प्राप्त करने का सौभाग्य मिला है। यहां के गन्ने और गंडयाली का स्वाद, ये कौन भूल सकता है।

साथियों,

हिमाचल में रहते हुए मैं हमेशा सोचता था, कि इस देवभूमि को प्रकृति ने इतना सुंदर वरदान दिया है। नदियां, झरने, उपजाऊ जमीन, खेत, पहाड़, पर्यटन की यहां इतनी ताकत है, लेकिन कुछ चुनौतियों को देखकर उस जमाने में मुझे बहुत अफसोस हुआ करता था, मन अफसोस से भर जाता था। मैं सोचता था कि, इस हिमाचल धरती की जिस दिन कनेक्टिविटी बढ़ जाएगी, हिमाचल में जिस दिन उद्योगों का लगना बढ़ जाएगा, जिस दिन हिमाचल के बच्चों को पढ़ने के लिए अपने मां-बाप, गांव, यार-दोस्‍त छोड़ करके बाहर नहीं जाना पड़ेगा, उस दिन हिमाचल का कायाकल्प हो जाएगा।

और आज देखिए, आज मैं यहां आया हूं तो कनेक्टिविटी से जुड़ा भी आयोजन है, शिक्षा संस्थान का काम और औद्योगीकरण के लिए भी बहुत बड़ी सेवाभाव से सौगात लेकर आया हूं। आज यहां ऊना में देश के दूसरे बल्क ड्रग पार्क पर काम शुरू हुआ है। अब जरा हिमाचल के लोग सोचिए, कठिनाइयों से भरा हिमाचल, प्राकृतिक विविधताओं से भरा हिमाचल और हिंदुस्‍तान में तीन बल्‍क ड्रग पार्क बनते हों और उसमें एक हिमाचल के नसीब आ जाए, इससे बड़ी कोई भेंट-सौगात हो सकती है दोस्‍तों? इससे बड़ा कोई निर्णय हो सकता है? ये हिमाचल के प्रति जो प्‍यार है, जो समर्पण है, उसी का परिणाम है भाईयो।

कुछ देर पहले ही मुझे अंब-अंदौरा से लेकर दिल्ली तक भारत की चौथी वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाने का सौभाग्य मिला है। ये भी सोचिए, देश में चौथी वंदे भारत ट्रेन, इतना बड़ा हिंदुस्‍तान, इतने बड़े-बड़े शहर, लेकिन चौथी ट्रेन अगर मिली तो मेरे हिमाचल को मिल गई भाइयो। और मैं जानता हूं साथियो, आज अगर कई परिवार आपको मिलेंगे, हिंदुस्‍तान के हर कोने में मिलेंगे, जिनका मन करेगा एयरपोर्ट जाकर हवाई जहाज देंखें, बैठने का विचार तो बाद में है। वैसे हिमाचल में पहाड़ों में रहने वाले लोगों के लिए अगर आप पूछोगे तो दो-दो, तीन-तीन, चार-चार पीढ़ियां जीवित जो होंगे, उन्‍होंने न कभी ट्रेन देखी होगी, न कभी ट्रेन के अंदर सवारी की होगी। आजादी के 75 साल के बाद भी ऐसी स्थितियां रही हैं। आज हिमाचल में सिर्फ ट्रेन नहीं, हिंदुस्‍तान की सबसे आधुनिक ट्रेन आकर खड़ी हो गई भाइयो, और यहां तक चल पड़ी।

आज ही हिमाचल की अपनी ट्रिपल आईटी (IIIT) की स्थाई बिल्डिंग, इसका भी लोकार्पण हुआ है। ये प्रोजेक्टस इस बात की झांकी है कि डबल इंजन की सरकार हिमाचल को किस बुलंदी पर देखना चाहती है। ये प्रोजेक्ट्स विशेष रूप से हिमाचल की नई पीढ़ी, युवा पीढ़ी के सपनों को नए पंख देने वाले हैं। ऊना को, हिमाचल प्रदेश को इन प्रोजेक्ट्स के लिए आपको लख-लख बधाईयां।

साथियों,

हम सभी जानते हैं जरूरतों और आशा-आकांक्षाओं में फर्क होता है। हिमाचल में पहले जो सरकारें रहीं, और दिल्‍ली में भी जो लोग बैठे थे, वो आप लोगों की जरूरतों को पूरा करने में भी उदासीन रहे और आपकी आशाओं-आकांक्षाओं को वो कभी समझ ही नहीं पाए उन्‍होंने कभी उसकी परवाह ही नहीं की। इसका बहुत बड़ा नुकसान ये मेरे हिमाचल ने उठाया है, यहां की युवा पीढ़ी ने उठाया है, यहां की माताओं-बहनों ने उठाया है।

लेकिन अब, अब समय बदल गया है। हमारी सरकार ना सिर्फ लोगों की जरूरतें पूरी कर रही है, लेकिन जनता-जनार्दन की आशाएं-अपेक्षाएं, उसे पूरा करने के लिए पूरी शक्ति से काम में जुट गई है। इसके लिए मुझे याद है हिमाचल का हाल क्‍या था, कहीं विकास का काम नजर नहीं आता था, जब मैं यहां रहता था। चारों तरफ अविश्‍वास की खाई, निराशा के पहाड़, आगे जा पाएंगे, नहीं जाएंगे, विकास की अपेक्षाओं के बीच में बहुत बड़ी खाई, एक प्रकार से गड्ढे ही गड्ढे। उन्‍होंने कभी ये विकास की आवयकताओं के गड्ढे भरने के लिए सोचा नहीं, छोड़ दिया गया था। हमने उसको तो भरा, लेकिन अब मजबूती से नई इमारतें हिमाचल में हम बना रहे हैं।

साथियों,

दुनिया के कितने ही ऐसे देश हैं जिन्होंने 20वीं सदी में ही, पिछली शताब्‍दी में ही अपने नागरिकों को, भारत में भी गुजरात जैसे कई राज्‍य हैं, ग्रामीण सड़कें, पीने का साफ पानी, शौचालय, आधुनिक अस्‍पताल, ये सुविधाएं मुहैया करा दी थीं। लेकिन भारत में कुछ सरकारें ऐसी रहीं जिन्होंने सामान्य मानवी के लिए इन सुविधाओं को पाना भी मुश्किल बना दिया। हमारे पहाड़ी इलाकों ने तो इसका बहुत खामियाजा भुगता है। मैंने तो यहां रहते हुए सब करीब से देखा है कि कैसे हमारी गर्भवती माताओं-बहनों को सड़क के अभाव में अस्पताल जाने तक में कितनी दिक्कत होती थी, कितने ही हमारे बुजुर्ग अस्‍पताल पहुंचने के पहले ही दम तोड़ देते थे।

भाइयो-बहनों,

पहाड़ के रहने वाले लोग जानते हैं कि रेल कनेक्टिविटी ना होने का, उसका न होने का, उस वजह से वो एक प्रकार से दुनिया से कट जाते हैं। जिस क्षेत्र में अनेकों झरने हों, नदियां बहती हों, वहां पीने के पानी के लिए तरसना पड़ता हो, वहां पर नल से जल आना कितनी बड़ी चुनौती रहा है, इसका अंदाजा बाहर के लोगों को कभी नहीं हो सकता है।

जिन लोगों ने बरसों तक यहां सरकारें चलाईं, उन्हें हिमाचल के लोगों की तकलीफ से जैसे मानो कोई फर्क ही नहीं पड़ता था। अब आज का नया भारत, इन पुरानी सारी चुनौतियों पर तेजी से काम कर रहा है। जो सुविधाएं पिछली शताब्दी में ही लोगों तक पहुंच जानी चाहिए थीं, वो अब लोगों तक पहुंच रही हैं।

लेकिन क्या हम इतने पर ही रुक जाएंगे? आप बताइए साथियों, क्या इतना कर लिया, बहुत अच्‍छा कर लिया, इतने से रुक जाना चलेगा क्‍या? और आगे बढ़ना है कि नहीं बढ़ना है? और तेजी से बढ़ना है कि नहीं बढ़ना है? ये काम कौन करेगा भाइयो? हम और आप मिलकर करेंगे भाइयो। हम 20वीं सदी की सुविधाओं को भी पहुंचाएंगे और 21वीं सदी की आधुनिकता से भी मेरे हिमाचल को जोड़ेंगे।

इसलिए आज हिमाचल में विकास के अभूतपूर्व काम हो रहे हैं। आज एक तरफ जहां हिमाचल में दोगुनी गति से ग्रामीण सड़कें बनाई जा रही हैं तो वहीं तेजी से ग्राम पंचायतों तक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी भी पहुंचाई जा रही है। आज एक तरफ जहां हिमाचल में हजारों शौचालय बनाए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ गांव-गांव में बिजली व्यवस्था सुधारी जा रही है। आज एक तरफ हिमाचल में ड्रोन से जरूरी सामान को दुर्गम क्षेत्रों में पहुंचाने पर काम हो रहा है तो दूसरी तरफ वंदे भारत जैसी ट्रेनों से दिल्‍ली तक तेज गति से पहुंचने का रास्‍ता बनाया जाता है।

आज एक तरफ हिमाचल में नल से जल पहुंचाने का अभियान चल रहा है तो दूसरी तरफ कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए सरकार की तमाम सेवाएं गांव-गांव पहुंचाई जा रही हैं। हम सिर्फ लोगों की 20वीं सदी की जरूरतें ही पूरी नहीं कर रहे हैं बल्कि 21वीं सदी की आधुनिक सुविधाएं भी हिमाचल के घर-घर पहुंचा रहे हैं।

साथियों,

अभी यहां हरोली में बहुत बड़े बल्क ड्रग पार्क का शिलान्यास हुआ है। कुछ दिन पहले जैसे जयराम जी बता रहे थे, नालागढ़-बद्दी में मेडिकल डिवाइस पार्क पर भी काम शुरु हो चुका है। ये दोनों प्रोजेक्ट्स देश के साथ-साथ दुनिया भर में हिमाचल का नाम रोशन करने वाले हैं। अभी डबल इंजन की सरकार इस बल्क ड्रग पार्क पर करीब 2 हजार करोड़ रुपए का निवेश कर रही हैं। हिमाचल जैसे छोटे राज्‍य में दो हजार करोड़ रुपया एक प्रोजेक्‍ट के लिए, आने वाले वर्षों में यहां 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा निवेश यहीं पर होने वाला है, इसी काम में होने वाला है। हजारों करोड़ रुपए का ये निवेश ऊना का, हिमाचल का कायाकल्प कर देगा। इससे रोजगार के हजारों ऐसे अवसर पैदा होंगे, स्‍वरोजगार के हजारों अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

कोरोना काल में पूरी दुनिया ने हिमाचल में बनी दवाओं की ताकत देखी है। दवा उत्पादन में भारत को दुनिया में सबसे अव्वल बनाने में हिमाचल की भूमिका और अधिक बढ़ने वाली है। अभी तक हमें दवाओं के लिए ज़रूरी अधिकतर कच्चे माल के लिए, रॉ मटीरियल के लिए विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता था। अब जब हिमाचल में ही रॉ मटीरियल बनेगा, हिमाचल में ही दवा बनेगी, तो दवा उद्योग भी फलेंगे-फूलेंगे और दवाएं भी और सस्ती हो जाएंगी।

आज जन औषधि केंद्रों के जरिए, आय़ुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज देकर, हमारी सरकार गरीब की चिंता को कम करने का काम कर रही है। ये बल्क ड्रग पार्क, गरीब को, मध्यम वर्ग को सस्ता और अच्छा इलाज देने के अभियान को और मज़बूती देगा।

साथियो,

हिमाचल के आप सभी लोग गवाह हैं कि खेती हो या उद्योग, जब तक अच्छी कनेक्टिविटी नहीं होती, तब तक विकास की रफ्तार तेज नहीं हो पाती। पहले की सरकारें कैसे काम करती थीं, उसका एक उदाहरण हमारा नांगल डैम तलवाड़ी रेल लाइन भी है। इस रेल लाइन को चालीस साल पहले, आप सोचिए, 40 साल पहले एक छोटी सी रेल लाइन को दिल्‍ली में बैठी हुई सरकार ने मोहर लगा दी, फाइल बना दी, सिग्‍नेचर कर लिए, और सामने चुनाव आते थे तो लोगों की आंखों पर धूल झोंक करके वोट भी बटोर लिए। 40 साल से ज्‍यादा समय हो गया, जमीन पर एक रत्‍ती भर काम नहीं हुआ। लेकिन इतने वर्षों बाद अधूरा ही अधूरा छुटपुट कुछ नजर आने लगा। केंद्र में हमारी सरकार बनने के बाद अब इस रेल लाइन का काम तेजी से चल रहा है। सोचिए, अगर ये काम पहले हो गया होता तो ऊना के लोगों को भी कितना लाभ होता।

साथियों,

हिमाचल में रेलसेवा के विस्तार और उसको आधुनिक बनाने के लिए डबल इंजन सरकार लगातार काम कर रही है। आज हिमाचल में तीन नई रेल परियोजनाओं पर काम चल रहा है। आज जब देश को मेड इन इंडिया वंदे भारत ट्रेनों से जोड़ा जा रहा है, तब भी हिमाचल देश के अग्रणी राज्यों में है। वंदेभारत एक्सप्रेस ये नैनादेवी, ये चिंतपूर्णी, ये ज्‍वालादेवी, ये कांगड़ादेवी जैसे हमारे पवित्र स्‍थान, हमारे शक्ति पीठों के साथ-साथ हमारा आनंदपुर साहिब, यहां आना-जाना भी बहुत आसान हो जाएगा। ऊना जैसे पवित्र शहर में, जहां गुरू नानक देव जी के वंशज रहते हों, उसके लिए ये दोहरी सौगात है।

करतारपुर कॉरिडोर के माध्यम से हमारी सरकार ने जो सेवा कारज किया है, उसे ये वंदेभारत ट्रेन और आगे बढ़ाएगी। मां वैष्णो देवी के दर्शन के लिए पहले ही वंदे भारत एक्सप्रेस की सुविधा थी, अब यहां के शक्तिपीठ भी इस आधुनिक सेवा से जुड़ रहे हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस से दूसरे शहरों में काम करने वाले साथियों को भी लाभ होगा।

साथियों,

हिमाचल के युवाओं का हमेशा से सपना रहा है कि उन्हें पढ़ने के लिए उच्च शिक्षा संस्थान हिमाचल में ही मिलें। आपकी इस आकांक्षा का भी पहले से ही जरा ध्‍यान दिया गया है। हम पहले की तरह जो रिवाज रहे, बदल रहे हैं। अटकना, लटकना, भटकना, भूल जाना, ये हमारा रास्‍ता नहीं है। हम निर्णय करते हैं, संकल्‍प करते हैं, पूर्ति करते हैं और परिणाम भी ला करके दिखाते हैं। आखिर क्या वजह थी कि हिमाचल के युवा लंबे समय तक उच्च शिक्षा के प्रतिष्ठित संस्थानों से वंचित रखे गए? क्यों मेडिकल, इंजीनियरिंग, बिजनेस मैनेजमेंट, यहां तक कि फार्मेसी तक की पढ़ाई के लिए यहां के युवाओं को पड़ोस के राज्यों में जाना पड़ता था?

साथियों,

पहले की सरकारों ने इस पर ध्यान इसलिए नहीं दिया क्योंकि वे हिमाचल को सामर्थ्य से नहीं बल्कि उसकी संसद की सीटें कितनी हैं, उस पर आंका करते थे। इसलिए हिमाचल को, IIT के लिए, ट्रिपल आईटी के लिए, IIM के लिए, AIIMS के लिए डबल इंजन की सरकार का इंतज़ार करना पड़ा। आज ऊना में ट्रिपल आईटी की परमानेंट बिल्डिंग बन जाने से विद्यार्थियों को और ज्यादा सुविधा होगी। यहां से पढ़ करके निकले हिमाचल के बेटे-बेटियां, हिमाचल में डिजिटल क्रांति को भी मजबूती देंगे।

और मुझे याद है, इस ट्रिपल आईटी की बिल्डिंग का शिलान्यास का आपने मुझे अवसर दिया था। शिलान्‍यास मैंने किया था और आज लोकार्पण के लिए भी आपने मुझे मौका दे दिया, यही तो कायाकल्‍प है। शिलान्‍यास भी हम करते हैं, लोकार्पण भी हम कर रहे हैं भाईयो। और यही, यही डबल इंजन सरकार के काम करने का तरीका है। हमारी सरकार जो संकल्प लेती है उसे पूरा भी करके दिखाती हैं। मैं ट्रिपल आईटी के निर्माण से जुड़े सभी साथियों को भी बधाई दूंगा कि उन्होंने कोविड की रुकावटों के बावजूद भी तेज़ गति से इस पर काम को पूर्ण कर दिया।

साथियों,

युवाओं के कौशल को, युवाओं के सामर्थ्य को निखारना आज हमारी बहुत बड़ी प्राथमिकता है। इसलिए पूरे देश में इनोवेशन और स्किल से जुड़े संस्थानों का विस्तार किया जा रहा है। हिमाचल के लिए तो ये शुरुआत भर है। हिमाचल के युवाओं ने फौज में रहते हुए देश की सुरक्षा में नए आयाम बनाए हैं। अब अलग-अलग तरह की स्किल उन्हें फौज में भी और ज्यादा ऊंचे पदों पर ले जाने में मदद करेगी। विकसित हिमाचल के लिए डबल इंजन की सरकार निरंतर आपके साथ है।

साथियों,

जब सपने बड़े होते हैं, संकल्प विराट होते हैं तो प्रयास भी उतने ही बड़े किए जाते हैं। आज डबल इंजन की सरकार में हर तरफ यही प्रयास नजर आता है। इसलिए मैं जानता हूं कि हिमाचल के लोगों ने भी पुराना रिवाज बदलने की ठान ली है। ठान लिया है ना? ठान लिया है ना? अब डबल इंजन की सरकार नया इतिहास रचेगी, और हिमाचल की जनता नया रिवाज बनाएगी।

मैं मानता हूं कि आजादी के अमृतकाल में अब हिमाचल के विकास का स्वर्णिम काल शुरु होने जा रहा है। ये स्वर्णिम काल, हिमाचल को विकास की उस ऊंचाई पर ले जाएगा, जिसके लिए आप सभी लोगों ने दशकों तक इंतजार किया है। मैं एक बार फिर इन सभी प्रोजेक्ट्स के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आप सबके लिए मंगलकामनाएं करता हूं। और आने वाले अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण सभी त्‍योहारों के लिए भी आप सबको हृदय से बहुत-ब‍हुत शुभकामनाएं देता हूं।

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

धन्यवाद

 

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December 26, 2024
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भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरी सहयोगी अन्नपूर्णा देवी जी, सावित्री ठाकुर जी, सुकांता मजूमदार जी, अन्य महानुभाव, देश के कोने-कोने से यहां आए सभी अतिथि, और सभी प्यारे बच्चों,

आज हम तीसरे ‘वीर बाल दिवस’ के आयोजन का हिस्सा बन रहे हैं। तीन साल पहले हमारी सरकार ने वीर साहिबजादों के बलिदान की अमर स्मृति में वीर बाल दिवस मनाने की शुरुआत की थी। अब ये दिन करोड़ों देशवासियों के लिए, पूरे देश के लिए राष्ट्रीय प्रेरणा का पर्व बन गया है। इस दिन ने भारत के कितने ही बच्चों और युवाओं को अदम्य साहस से भरने का काम किया है! आज देश के 17 बच्चों को वीरता, इनोवेशन, साइंस और टेक्नोलॉजी, स्पोर्ट्स और आर्ट्स जैसे क्षेत्रों में सम्मानित किया गया है। इन सबने ये दिखाया है कि भारत के बच्चे, भारत के युवा क्या कुछ करने की क्षमता रखते हैं। मैं इस अवसर पर हमारे गुरुओं के चरणों में, वीर साहबजादों के चरणों में श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ। मैं अवार्ड जीतने वाले सभी बच्चों को बधाई भी देता हूँ, उनके परिवारजनों को भी बधाई देता हूं और उन्हें देश की तरफ से शुभकामनाएं भी देता हूं।

साथियों,

आज आप सभी से बात करते हुए मैं उन परिस्थितियों को भी याद करूंगा, जब वीर साहिबजादों ने अपना बलिदान दिया था। ये आज की युवा पीढ़ी के लिए भी जानना उतना ही जरूरी है। और इसलिए उन घटनाओं को बार-बार याद किया जाना ये भी जरूरी है। सवा तीन सौ साल पहले के वो हालात 26 दिसंबर का वो दिन जब छोटी सी उम्र में हमारे साहिबजादों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह की आयु कम थी, आयु कम थी लेकिन उनका हौसला आसमान से भी ऊंचा था। साहिबजादों ने मुगल सल्तनत के हर लालच को ठुकराया, हर अत्याचार को सहा, जब वजीर खान ने उन्हें दीवार में चुनवाने का आदेश दिया, तो साहिबजादों ने उसे पूरी वीरता से स्वीकार किया। साहिबजादों ने उन्हें गुरु अर्जन देव, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह की वीरता याद दिलाई। ये वीरता हमारी आस्था का आत्मबल था। साहिबजादों ने प्राण देना स्वीकार किया, लेकिन आस्था के पथ से वो कभी विचलित नहीं हुए। वीर बाल दिवस का ये दिन, हमें ये सिखाता है कि चाहे कितनी भी विकट स्थितियां आएं। कितना भी विपरीत समय क्यों ना हो, देश और देशहित से बड़ा कुछ नहीं होता। इसलिए देश के लिए किया गया हर काम वीरता है, देश के लिए जीने वाला हर बच्चा, हर युवा, वीर बालक है।

साथियों,

वीर बाल दिवस का ये वर्ष और भी खास है। ये वर्ष भारतीय गणतंत्र की स्थापना का, हमारे संविधान का 75वां वर्ष है। इस 75वें वर्ष में देश का हर नागरिक, वीर साहबजादों से राष्ट्र की एकता, अखंडता के लिए काम करने की प्रेरणा ले रहा है। आज भारत जिस सशक्त लोकतंत्र पर गर्व करता है, उसकी नींव में साहबजादों की वीरता है, उनका बलिदान है। हमारा लोकतंत्र हमें अंत्योदय की प्रेरणा देता है। संविधान हमें सिखाता है कि देश में कोई भी छोटा बड़ा नहीं है। और ये नीति, ये प्रेरणा हमारे गुरुओं के सरबत दा भला के उस मंत्र को भी सिखाती हैं, जिसमें सभी के समान कल्याण की बात कही गई है। गुरु परंपरा ने हमें सभी को एक समान भाव से देखना सिखाया है और संविधान भी हमें इसी विचार की प्रेरणा देता है। वीर साहिबजादों का जीवन हमें देश की अखंडता और विचारों से कोई समझौता न करने की सीख देता है। और संविधान भी हमें भारत की प्रभुता और अखंडता को सर्वोपरि रखने का सिद्धांत देता है। एक तरह से हमारे लोकतंत्र की विराटता में गुरुओं की सीख है, साहिबजादों का त्याग है और देश की एकता का मूल मंत्र है।

साथियों,

इतिहास ने और इतिहास से वर्तमान तक, भारत की प्रगति में हमेशा युवा ऊर्जा की बड़ी भूमिका रही है। आजादी की लड़ाई से लेकर के 21वीं सदी के जनांदोलनों तक, भारत के युवा ने हर क्रांति में अपना योगदान दिया है। आप जैसे युवाओं की शक्ति के कारण ही आज पूरा विश्व भारत को आशा और अपेक्षाओं के साथ देख रहा है। आज भारत में startups से science तक, sports से entrepreneurship तक, युवा शक्ति नई क्रांति कर रही है। और इसलिए हमारी पॉलिसी में भी, युवाओं को शक्ति देना सरकार का सबसे बड़ा फोकस है। स्टार्टअप का इकोसिस्टम हो, स्पेस इकॉनमी का भविष्य हो, स्पोर्ट्स और फिटनेस सेक्टर हो, फिनटेक और मैन्युफैक्चरिंग की इंडस्ट्री हो, स्किल डेवलपमेंट और इंटर्नशिप की योजना हो, सारी नीतियां यूथ सेंट्रिक हैं, युवा केंद्रिय हैं, नौजवानों के हित से जुड़ी हुई हैं। आज देश के विकास से जुड़े हर सेक्टर में नौजवानों को नए मौके मिल रहे हैं। उनकी प्रतिभा को, उनके आत्मबल को सरकार का साथ मिल रहा है।

मेरे युवा दोस्तों,

आज तेजी से बदलते विश्व में आवश्यकताएँ भी नई हैं, अपेक्षाएँ भी नई हैं, और भविष्य की दिशाएँ भी नई हैं। ये युग अब मशीनों से आगे बढ़कर मशीन लर्निंग की दिशा में बढ़ चुका है। सामान्य सॉफ्टवेयर की जगह AI का उपयोग बढ़ रहा है। हम हर फ़ील्ड नए changes और challenges को महसूस कर सकते हैं। इसलिए, हमें हमारे युवाओं को futuristic बनाना होगा। आप देख रहे हैं, देश ने इसकी तैयारी कितनी पहले से शुरू कर दी है। हम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, national education policy लाये। हमने शिक्षा को आधुनिक कलेवर में ढाला, उसे खुला आसमान बनाया। हमारे युवा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रहें, इसके लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। छोटे बच्चों को इनोवेटिव बनाने के लिए देश में 10 हजार से ज्यादा अटल टिंकरिंग लैब शुरू की गई हैं। हमारे युवाओं को पढ़ाई के साथ-साथ अलग-अलग क्षेत्रों में व्यावहारिक अवसर मिले, युवाओं में समाज के प्रति अपने दायित्वों को निभाने की भावना बढ़े, इसके लिए ‘मेरा युवा भारत’ अभियान शुरू किया गया है।

भाइयों बहनों,

आज देश की एक और बड़ी प्राथमिकता है- फिट रहना! देश का युवा स्वस्थ होगा, तभी देश सक्षम बनेगा। इसीलिए, हम फिट इंडिया और खेलो इंडिया जैसे मूवमेंट चला रहे हैं। इन सभी से देश की युवा पीढ़ी में फिटनेस के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। एक स्वस्थ युवा पीढ़ी ही, स्वस्थ भारत का निर्माण करेगी। इसी सोच के साथ आज सुपोषित ग्राम पंचायत अभियान की शुरुआत की जा रही है। ये अभियान पूरी तरह से जनभागीदारी से आगे बढ़ेगा। कुपोषण मुक्त भारत के लिए ग्राम पंचायतों के बीच एक healthy competition, एक तंदुरुस्त स्पर्धा हो, सुपोषित ग्राम पंचायत, विकसित भारत का आधार बने, ये हमारा लक्ष्य है।

साथियों,

वीर बाल दिवस, हमें प्रेरणाओं से भरता है और नए संकल्पों के लिए प्रेरित करता है। मैंने लाल किले से कहा है- अब बेस्ट ही हमारा स्टैंडर्ड होना चाहिए, मैं अपनी युवा शक्ति से कहूंगा, कि वो जिस सेक्टर में हों उसे बेस्ट बनाने के लिए काम करें। अगर हम इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम करें तो ऐसे करें कि हमारी सड़कें, हमारा रेल नेटवर्क, हमारा एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर दुनिया में बेस्ट हो। अगर हम मैन्युफैक्चरिंग पर काम करें तो ऐसे करें कि हमारे सेमीकंडक्टर, हमारे इलेक्ट्रॉनिक्स, हमारे ऑटो व्हीकल दुनिया में बेस्ट हों। अगर हम टूरिज्म में काम करें, तो ऐसे करें कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशन, हमारी ट्रैवल अमेनिटी, हमारी Hospitality दुनिया में बेस्ट हो। अगर हम स्पेस सेक्टर में काम करें, तो ऐसे करें कि हमारी सैटलाइट्स, हमारी नैविगेशन टेक्नॉलजी, हमारी Astronomy Research दुनिया में बेस्ट हो। इतने बड़े लक्ष्य तय करने के लिए जो मनोबल चाहिए होता है, उसकी प्रेरणा भी हमें वीर साहिबजादों से ही मिलती है। अब बड़े लक्ष्य ही हमारे संकल्प हैं। देश को आपकी क्षमता पर पूरा भरोसा है। मैं जानता हूँ, भारत का जो युवा दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों की कमान संभाल सकता है, भारत का जो युवा अपने इनोवेशन्स से आधुनिक विश्व को दिशा दे सकता है, जो युवा दुनिया के हर बड़े देश में, हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा सकता है, वो युवा, जब उसे आज नए अवसर मिल रहे हैं, तो वो अपने देश के लिए क्या कुछ नहीं कर सकता! इसलिए, विकसित भारत का लक्ष्य सुनिश्चित है। आत्मनिर्भर भारत की सफलता सुनिश्चित है।

साथियों,

समय, हर देश के युवा को, अपने देश का भाग्य बदलने का मौका देता है। एक ऐसा कालखंड जब देश के युवा अपने साहस से, अपने सामर्थ्य से देश का कायाकल्प कर सकते हैं। देश ने आजादी की लड़ाई के समय ये देखा है। भारत के युवाओं ने तब विदेशी सत्ता का घमंड तोड़ दिया था। जो लक्ष्य तब के युवाओं ने तय किया, वो उसे प्राप्त करके ही रहे। अब आज के युवाओं के सामने भी विकसित भारत का लक्ष्य है। इस दशक में हमें अगले 25 वर्षों के तेज विकास की नींव रखनी है। इसलिए भारत के युवाओं को ज्यादा से ज्यादा इस समय का लाभ उठाना है, हर सेक्टर में खुद भी आगे बढ़ना है, देश को भी आगे बढ़ाना है। मैंने इसी साल लालकिले की प्राचीर से कहा है, मैं देश में एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिसके परिवार का कोई भी सक्रिय राजनीति में ना रहा हो। अगले 25 साल के लिए ये शुरुआत बहुत महत्वपूर्ण है। मैं हमारे युवाओं से कहूंगा, कि वो इस अभियान का हिस्सा बनें ताकि देश की राजनीति में एक नवीन पीढ़ी का उदय हो। इसी सोच के साथ अगले साल की शुरुआत में, माने 2025 में, स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर, 'विकसित भारत यंग लीडर्स डॉयलॉग’ का आयोजन भी हो रहा है। पूरे देश, गाँव-गाँव से, शहर और कस्बों से लाखों युवा इसका हिस्सा बन रहे हैं। इसमें विकसित भारत के विज़न पर चर्चा होगी, उसके रोडमैप पर बात होगी।

साथियों,

अमृतकाल के 25 वर्षों के संकल्पों को पूरा करने के लिए ये दशक, अगले 5 वर्ष बहुत अहम होने वाले हैं। इसमें हमें देश की सम्पूर्ण युवा शक्ति का प्रयोग करना है। मुझे विश्वास है, आप सब दोस्तों का साथ, आपका सहयोग और आपकी ऊर्जा भारत को असीम ऊंचाइयों पर लेकर जाएगी। इसी संकल्प के साथ, मैं एक बार फिर हमारे गुरुओं को, वीर साहबजादों को, माता गुजरी को श्रद्धापूर्वक सिर झुकाकर के प्रणाम करता हूँ।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद !