बाबा डूंगरदेव की जय!
बदा भाई-बहन ने राम राम!!
केम छो ?
देवाझिरी महादेव के चरणों में प्रणाम करते हुए सबसे पहले मैं झाबुआ की पावन मिट्टी को नमन करता हूं।
आप सब इतनी बड़ी संख्या में मुझे आशीर्वाद देने के लिए पधारे हैं!
मैं आप सबको, विशेषकर हमारी माताओं बहनों को, और इस क्षेत्र के जनजातीय समाज को भी आदरपूर्वक नमन करता हूँ।
आप सबको देखकर मन में वैसी ही खुशी हो रही है, जैसी अपने परिजनों से मिलकर होती है।
झाबुआ जितना मध्य प्रदेश से जुड़ा है, उतना ही गुजरात से भी जुड़ा है।
झाबुआ और इस पूरे इलाके की गुजरात से केवल सीमा ही नहीं लगती है, बल्कि दोनों तरफ के लोगों के दिल भी मजबूती से जुड़े हुए हैं।
गुजरात में रहते हुए मुझे यहाँ के जनजीवन से, यहाँ की परम्पराओं से करीब से जुडने का अवसर मिला था।
इसलिए जब भी मैं आपके बीच आता हूं, वो भाव ताजा हो जाता हैं।
इन दिनों हमारे इस इलाके में तो भगोरिया की तैयारियां चल रही होंगी। चल रही हैं न?
मैं आप सबको भगोरिया की बहुत बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ।
साथियों,
भगोरिया से पहले मुझे आप सबके बीच आकर ढेर सारी सौगात, विकास की योजनाएं, आपके चरणों में समर्पित करने का भी सौभाग्य मिला है।
कुछ देर पहले मैंने झाबुआ, खरगोन, खंडवा, बड़वानी, धार, अलीराजपुर सेमत पूरे एमपी के लिए हजारों करोड़ रुपए की योजनाओं का लोकार्पण भी किया है।
झाबुआ के किसानों के गांव भी समृद्ध हों इसके लिए आज आदर्श ग्राम योजना की विकास राशि भी जारी हुई है।
इस क्षेत्र की कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए आज मध्य प्रदेश में कई बड़ी रेल परियोजनाओं को भी शुरू किया गया है।
आज से रतलाम और मेघनगर रेलवे स्टेशन को आधुनिक बनाने का काम भी शुरू हो रहा है
जनजातीय समाज की मेरी करीब 2 लाख बहनों-बेटियों के खातों में 15-15 सौ रुपए भी आज भेजे गए हैं।
एक साथ विकास के इतने सारे काम ये बता रहे हैं मध्य प्रदेश में फिर से एक बार बनाई हुई, डबल इंजन की सरकार डबल तेजी से काम कर रही है।
विकास के इस महाअभियान का श्रेय मध्यप्रदेश की जनता को जाता है। मैं आप सबको इसके लिए बधाई देता हूँ।
साथियों,
यहाँ आपके बीच आने से पहले मैंने देखा कि मेरी इस यात्रा को लेकर खूब चर्चाएँ भी हो रही हैं। भांति-भांति की बातें लिखी जा रही हैं, भांति-भांति की बातें बोली जी रही हैं।
कुछ लोग कह रहे हैं कि मोदी मध्य प्रदेश में झाबुआ से लोकसभा की लड़ाई का आगाज करेगा।
मैं बताना चाहता हूँ कि, मोदी लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए नहीं आया है।
मोदी तो सेवक के तौर पर ईश्वर रूपी एमपी की जनता जनार्दन का आभार मानने आया है।
मध्य प्रदेश में विधानसभा के नतीजों से आप पहले ही बता चुके हैं लोकसभा के लिए आपका मूड क्या रहने वाला है।
एमपी ने ये भी बता दिया है कि भाजपा सरकार की डबल इंजन सरकारों के प्रति जन समर्थन लगातार बढ़ रहा है।
इसीलिए, इस बार विपक्ष के बड़े-बड़े नेता पहले से ही संसद में बोलने लगे हैं- 24 में 400 पार!
24 में फिर एक बार- मोदी सरकार।
24 में फिर एक बार- मोदी सरकार।
लेकिन इसके पहले मध्य प्रदेश की जनता ने जो हमें भारी जनसमर्थन किया है, हमारे इतने सारे साथियों को विजयी बनाया है, हमारे पर जो विश्वास रखा है, उसके लिए मैं गारंटी देता हूं कि हम दिन रात काम करेंगे।
साथियो,
कुछ दिन पहले जब विपक्ष में से आवाज आई 400 पार तो मैंने भी कहा एनडीए की 400 पार की बात तो मैं भी सुन रहा हूं। लेकिन मैं ये भी सुन रहा हूं कि अकेला बीजेपी, अकेला कमल का निशान 370 पार करेगा।
370 पार करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए, 370 से ज्यादा सीट आनी चाहिए की नहीं आनी चाहिए, लेकिन लाओगे कैसे मैं आपको एक जड़ी-बूटी देता हूं, दे दूं। मैं पब्लिकली जड़ी-बूटी दे रहा हूं, आपको यहां से जाकर एक ही काम करना है।
पिछले तीन चुनाव में आपके यहां पोलिंग बूथ में क्या रिजल्ट आया था, वो निकालो, पोलिंग बूथ में कमल पर कितने वोट पड़े थे, उसका हिसाब निकालो, निकालोगे, तीन चुनाव का निकालोगे? फिर उसमें जिस समय सबसे ज्यादा वोट मिले हैं, उसको लिख लो कि इस पोलिंग बूथ में पिछले चुनाव में इतने वोट मिले थे, लिख लोगे। जरा जवाब दीजिए, लिख लोगे, फिर आप तय करना कि अब जो ज्यादा से ज्यादा वोट बूथ में मिले थे, उसमें इस बार 370 नए वोट जुड़ने चाहिए, यानि आपके पोलिंग बूथ में जितने ज्यादा वोट मिले थे, उसमें 370 वोट और ज्यादा लाना है। लाएंगे, एक एक मतदाता की सूची बनाएंगे, सरकार के काम उसको बताएंगे। कौन-कौन सी योजना का लाभ उसको मिला है, बताएंगे उसको और जिसको पहुंचा नहीं है, उसको विश्वास देंगे कि मोदी जी फिर से आकर इस काम को पूरा करेंगे, बताओगे।
एक पोलिंग बूथ में नए 370 वोट अतिरिक्त होने चाहिए, अगर ये मेरे हर बूथ में हो गया तो 370 पार पक्का करेंगे। विपक्ष के लोगों को जमीनी हकीकत का ये आईना, मध्य प्रदेश ने पिछले चुनाव में जनता का मिजाज क्या है, वो दिखा दिया है। मध्य प्रदेश के लोगों को मौका मिला तो उन्होंने दिखा दिया की ऐसा ही मिजाज देश के कोने-कोने में है।
मैं अभी दक्षिण में गया था राम मंदिर को लेकर मेरा एक अनुष्ठान चलता था और मैंने वहां जो भावना देखी, माताएं, बहनें, बुजुर्ग, बच्चे, मेरा वहां कोई कार्यक्रम नहीं था, मैं तो वहां पूजा-पाठ के लिए गया था , लेकिन हजारों-हजार की संख्या में लोग मुझे आशीर्वाद देने के लिए आ रहे थे। मैंने देश के आशीर्वाद की ताकत को माताओं-बहनों की आशीर्वाद की ताकत को महसूस किया है। मैं कल्पना नहीं कर सकता हूं कि आप अपने इस सेवक को इतना प्यार करते हैं, इतना आशीर्वाद देते हैं। शायद कितने जन्मों का पुण्य होगा कि आपके आशीर्वाद को प्राप्त करने का अवसर आता है।
मेरे प्यारे जनजातीय समुदाय के भाई-बहनों,
23 में काँग्रेस की छुट्टी हुई थी, विधानसभा चुनाव में, 24 में पूरा सफाया होना तय है।
साथियों,
डबल इंजन की सरकार कैसे काम करती है, मध्य प्रदेश एक उत्तम उदाहरण आज पूरे देश के सामने है।
बीते वर्षों में मध्य प्रदेश ने दो अलग-अलग दौर देखे हैं।
एक डबल इंजन सरकार का ये दौर,
और दूसरा, काँग्रेस के जमाने का काला काल!
कम उम्र के युवाओं को शायद याद भी नहीं होगा,
आज विकास के रास्ते पर तेजी से दौड़ रहा मध्य प्रदेश, भाजपा सरकार से पहले देश के सबसे बीमारू राज्यों में गिना जाता था।
मध्य प्रदेश को बीमारू बनाने के पीछे सबसे बड़ी वजह थी- गाँव, गरीब और आदिवासी इलाकों को लेकर काँग्रेस का नफरत भरा रवैया! नफरत, नफरत, नफरत।
इन लोगों ने न कभी आदिवासी समाज के विकास की चिंता की, न उसके सम्मान के बारे में सोचा।
इनके लिए तो जनजातीय लोगों का मतलब केवल कुछ वोट होता था। सिर्फ वोट होता था।
इन्हें गाँव, गरीब, पिछड़ा की याद तब आती थी जब चुनाव की घोषणा होती थी।
साथियों,
ये अटल जी की बीजेपी सरकार थी जिसने पहली बार आदिवासी हितों के लिए नया मंत्रालय बनाया, अलग मंत्रालय बनाया, अलग बजट निकाला और आदिवासी इलाकों का विकास, आदिवासी लोगों का विकास और आदिवासी बेटे-बेटियों के लिए पूरी व्यावस्था की।
ये हमारी बीजेपी की सरकार है जिसने वन उपज पर MSP में रिकॉर्ड वृद्धि की।
ये बीजेपी की सरकार है जिसने MSP में दायरे में वन उपज की संख्या को करीब 10 से बढ़ाकर 90 के आसपास पहुंचा दिया।
ये बीजेपी की सरकार है जिसने देश के आदिवासी इलाकों में वन धन केंद्र खोले हैं ताकि आदिवासी उत्पादों को नए हाट-बाजार मिलें।
भाइयों बहनों,
हमारे लिए जनजातीय समाज वोट बैंक नहीं है, हमारे लिए तो जनजातीय समाज देश का गौरव है। हमारे देश के उज्जवल भविष्य की गारंटी जनजातीय समाज है।
आपका सम्मान भी, और आपका विकास भी, ये मोदी की गारंटी है। आपके सपने, आपके बच्चों के सपने, नौजवानों के सपने ये मोदी का संकल्प है।
इसीलिए,
भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के तौर पर मनाने का फैसला मोदी सरकार ने किया।
टंट्या मामा के बलिदान को याद कर आज बलिदान दिवस मनाया जाता है।
उन्हीं के नाम पर आज मैं युवाओं के लिए क्रांतिसूर्य टंट्या भील विश्वविद्यालय की घोषणा कर रहा हूं।
आज एक और भी महत्वपूर्ण दिवस है, आज तिलक मांझी, हमारे तिलका मांझी जी, हमारे आदिवासी समाज का गौरव, उन्होंने बिहार के भागलपुर में 1784 में, भागलपुर के कमिश्नर क्लीवलैंड को तीर मार कर मार दिया था। आज ऐसे वीर पुरूष की जयंती भी है, आज जब मेरा आदिवासी समुदाय मेरे सामने बैठा है।
आज जिन कार्यक्रमों की रचना हुई है उससे झाबुआ, रतलाम, खरगोन, धार और आसपास के युवाओं को, आदिवासी बच्चों को, उच्च शिक्षा के लिए न तो गुजरात जाना पड़ेगा, ना इंदौर, उज्जैन के चक्कर काटने पड़ेंगे।
साथियों,
गुजरात में मैंने देखा था कि आदिवासी पट्टों में स्कूलों की कमी के कारण बच्चों को स्कूल जाने के लिए कई किलोमीटर चलना पड़ता था।
मैं मुख्यमंत्री बना तो इन पट्टों में मैंने स्कूल खुलवाए। मैं बगल में यानि पता ही नहीं चलता था कि मध्य प्रदेश है कि गुजरात है, मैं यहां के गांव गांव जाता था, भिक्षा मांगता था और घर-घर जाकर कहता था कि मुझे भिक्षा में वादा दो, वचन दो कि आप अपनी बेटी को पढ़ाओगे। मैं मुख्यमंत्री था 13,14,15 जून 40-45 डिग्री तापमान रहता था, चारो तरफ गर्म हवाएं चलती थीं, तब मैं झाबुआ के बगल में दाहोद के जंगलों में छोटे-छोटे गांवों में जाकर बेटियों को उंगली पकड़कर स्कूल ले जाने का काम करता था।
अब आदिवासी बच्चों के लिए मैं देश भर में एकलव्य आवासीय स्कूल खुलवा रहा हूँ।
कांग्रेस ने इतने वर्षों में, इतने साल उनको काम करने का अवसर मिला था, सिर्फ 100 एकलव्य स्कूल खोले थे। वो भी वहां जहां उनके बड़े-बड़े बाबू बैठे थे।
जबकि भाजपा की सरकार ने अपने 10 साल में ही इससे चार गुना ज्यादा एकलव्य स्कूल खोल दिए हैं।
एक भी आदिवासी बच्चा शिक्षा के अभाव में पीछे रह जाए, ये मोदी को मंजूर नहीं है।
साथियों,
हमारा आदिवासी समाज हजारों वर्षों से वन सम्पदा से अपनी रोजी रोटी चलाता है।
कांग्रेस के समय आदिवासियों के उस अधिकार पर क़ानूनी पहरे लगा दिये गए थे।
वन संपदा कानून में बदलाव करके हमारी सरकार द्वारा आदिवासी समाज को वन भूमि से जुड़े अधिकार लौटाए गए हैं।
इतने वर्षों से आदिवासी परिवारों में सिकल सेल एनीमिया हर वर्ष सैकड़ों लोगों की जान ले रही थी।
केंद्र और राज्यों में, दोनों जगह काँग्रेस ने इतने वर्ष सरकार चलाई।
लेकिन, उन्होंने असमय मृत्यु को प्राप्त होते जनजातीय युवाओं की, बच्चों की चिंता नहीं की।
उन्हें पता था कि भोले-भाले आदिवासी लोग बीमारी के लिए उनकी सरकार को जिम्मेदार नहीं मानेंगे।
ये चुनाव का मुद्दा नहीं होता था।
लेकिन साथियों, हमारे लिए वोट नहीं आपकी जिंदगी मायने रखती है।
हमने वोट बैंक के लिए नहीं, आदिवासी समाज के स्वास्थ्य के लिए सिकल सेल एनीमिया के खिलाफ अभियान शुरू किया।
ये कांग्रेस और हमारी नीयत में फर्क बताता है।
ये नीयत का फर्क ही है कि आज हमारा आदिवासी समाज सम्मान के साथ विकास की दौड़ में आगे बढ़ रहा है।
ये नीयत का ही फर्क है कि हमने मध्य प्रदेश को बीमारू राज्य से विकासशील राज्य बना दिया है।
साथियों,
आज स्वामित्व योजना के माध्यम से लोगों को उनकी जमीन के कागजात दिए जा रहे हैं।
कुछ देर पहले यहां भी 1 लाख 75 हजार लोगों को स्वामित्व अधिकार पत्र दिए गए हैं।
ये अधिकार पत्र नहीं, ये आपकी जिंदगी में सुरक्षा पत्र हैं। ये सिक्योरिटी की गारंटी का पर्चा है।
वो सुरक्षा पत्र जिनसे हमारे परिवारों को भूमि विवादों से सुरक्षा मिलती है।
वो सुरक्षा पत्र जो हमारे परिवारों को सूदखोरों के कर्ज से सुरक्षा देते हैं।
आप पहले की उस स्थिति की परिकल्पना करिए,
जब किसी व्यक्ति को अपनी ही संपत्ति के किसी विवाद के लिए कोर्ट के चक्कर काटने पड़ते थे।
जब किसी लोन के लिए सूदखोरों से मिन्नत करनी पड़ती थी।
जब पढ़ाई के लिए किसान को जमीन बेचनी पड़ती थी।
आज एक स्वामित्व योजना मेरे देश के गांव-गरीब को इन सब मुश्किलों से बचाती है।
साथियों,
आज जो सबसे वंचित है, सबसे पिछड़ा है, हमारी सरकार में वो सबसे पहली प्राथमिकता है।
समाज में जो सबसे आखिरी वर्ग होता था, हमने विकास में उसे सबसे पहला दर्जा दिया है।
जो सबसे गरीब थे, आज सबसे पहले सरकार उनके लिए योजनाएँ बनाती है।
सबसे आखिरी गाँव, सबसे आखिरी वर्ग, ये कौन लोग थे?
इनमें से ज्यादातर हमारे दलित, आदिवासी, पिछड़ा ऐसे वंचित समाज के लोग थे।
इसीलिए, सबसे पिछड़े जनजातीय समूहों के लिए हमने पीएम-जनमन योजना शुरू की।
जो जनजातीय समाज अब तक विकास की मुख्य धारा से कटा हुआ था, जनमन योजना के तहत उनका तेज विकास शुरू किया गया है।
इसका लाभ यहां इस क्षेत्र की बैरा, भारिया और सहरिया जैसे जनजातीय समूहों को होने वाला है।
मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिलों में हजारों करोड़ रुपए के कार्य पीएम-जनमन योजना के तहत कराये जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना के जरिए झाबुआ के भी साढ़े 5 सौ गाँवों में विकास के काम हो रहे हैं।
भाइयों बहनों,
हमारी सरकार, एमपी में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी उतना ही ध्यान दे रही है।
काँग्रेस सरकार के दस वर्षों में एमपी को रेलवे के विकास के लिए जितना पैसा मिला, आज हम उससे 24 गुना ज्यादा पैसा एमपी के लिए भेज रहे हैं।
आज भी मैंने करीब साढ़े 3 हजार करोड़ रुपए की रेल परियोजनाओं का लोकार्पण किया है।
साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए की लागत के नेशनल हाइवेज़ का भी आज लोकार्पण हुआ है।
आप सोचिए,
आज एक-एक सेक्टर में एमपी के विकास के लिए हम इतना ज्यादा पैसा भेज रहे हैं।
वो कौन से इलाके थे जहां रेल की, सड़क की, बिजली की, रोजगार की सुविधाएं नहीं पहुँचती थीं?
इनमें से अधिकांश जनजातीय और ग्रामीण इलाके ही थे।
क्योंकि, काँग्रेस को आपके गाँव की नहीं, उनको तो अपने महलों की चिंता थी।
काँग्रेस ने इन इलाकों की जो उपेक्षा की, उनके बनाए गड्ढे भरने के लिए आज हम पूरी मेहनत से काम कर रहे हैं।
इसीलिए, काँग्रेस के लोकल नेता भी अपने आलाकमान से कहने लगे हैं कि हम मोदी के खिलाफ वोट मांगने जाएँ तो किस मुंह से जाएँ!
जो नेता पार्टी में बचे हैं, उनमें भी कोई ज़िम्मेदारी नहीं उठाना चाहता।
सुना है कि इन दिनों मध्य प्रदेश काँग्रेस में अंदरखाने खूब भगदड़ भी मची हुई है।
जनता की उपेक्षा करने वालों का यही हश्र होता है।
काँग्रेस अब अपने पापों के दलदल में फंस चुकी है।
वो उससे निकलने की जितनी कोशिश करेगी उतना ही और धँसेगी।
साथियों,
आज इस अवसर पर मुझे आपको कांग्रेस की साजिशों से आगाह भी करना है।
अपनी हार सामने देखकर काँग्रेस और उसके साथी अब अपने आखिरी दांव-पेंच इस्तेमाल करने में लग गए हैं।
काँग्रेस और उसके दोस्तों की दो ही ताकत हैं।
जब ये सत्ता में रहते हैं- तब लूटते हैं।
जब सत्ता से बाहर जाते हैं, तो लोगों को लड़वाते हैं।
यानी, लूट और फूट- यही काँग्रेस की ऑक्सीजन हैं।
इनको बंद करते ही काँग्रेस पार्टी का सियासी दम टूटने लगता है।
ज़्यादातर राज्यों में सरकार से बेदखल करके जनता जनार्दन ने इनकी लूट के रास्ते बंद कर दिये हैं।
अब ये वापस कुर्सी पाने के लिए जाति के नाम पर, भाषा के नाम पर, इलाके के नाम पर टूट करवाने पर, फूट करवाने में लग गए हैं।
लेकिन देश इनकी हरकतें देख रहा है।
देश इनके मंसूबे सफल नहीं होने देगा।
साथियों,
कांग्रेस के भीतर आदिवासी समाज के लिए नफरत कूट-कूट कर भरी पड़ी है।
ये लोग आदिवासी समाज के वोट मांगने तो आपके पास आते हैं।
लेकिन जब आदिवासी समाज से पहली बार एक महिला राष्ट्रपति का चुनाव लड़ती है, तो कांग्रेस उन्हें रोकने के लिए दीवार बनकर खड़ी हो जाती है।
देश को कांग्रेस की वो करतूत याद है।
चुनाव आने पर ये लोग बड़ी बड़ी घोषणाएँ तो करते हैं।
लेकिन, मोदी जब हर गरीब के लिए, दलित, पिछड़ा आदिवासी के लिए पक्के घर बनवाता है तो ये मोदी को गालियां देते हैं।
मध्य प्रदेश में डबल इंजन सरकार ने करीब 45 लाख परिवारों को पक्का घर दिया है।
65 लाख से ज्यादा परिवारों को पानी के लिए नल के कनैक्शन मिले हैं।
बीच में जितने दिन इनकी सरकार रही, इन्होंने गरीबों तक ये लाभ पहुँचने से रोकने के लिए हर संभव कोशिश की थी।
एमपी के लोग उनके वो पाप भूले नहीं हैं।
तलवाड़ा बांध परियोजना के पूरे होने के बाद झाबुआ, रतलाम और धार के हजारों गांवों को पानी पहुंचेगा।
इन कामों के लिए इस क्षेत्र के लोगों को, यहाँ के आदिवासियों को दशकों तक इंतज़ार करना पड़ा।
लोग ये बातें भूलते नहीं है, कांग्रेस के लोग समझ लें, ये मेरे आदिवासी भाई-बहन समय आने पर हिसाब चुकता कर देते हैं और पक्का चुकता कर देते हैं। जनता ने कांग्रेस को जो जवाब अब तक दिया है, वो अभी केवल ब्याज का जवाब है।
कांग्रेस का पूरा हिसाब तो अभी बाकी है।
साथियों,
डबल इंजन सरकार की मेहनत से एमपी के युवाओं की, किसानों की, महिलाओं की अपनी एक पहचान बन रही है।
यहाँ की पिथोरा पेंटिंग, गल्शन माला, बाग प्रिंट साड़ी-सूट और जैकेट इन सबके लिए बड़ा बाज़ार तैयार होने लगा है।
मुझे पता चला है कि यहाँ की बहनों ने स्वयं सहायता समूह बनाकर शहद, पापड़, अचार और श्रीअन्न का अपना ब्रांड भी शुरू किया है।
सब जगह यहाँ के उत्पादों को खूब पसंद किया जा रहा है।
इस बजट में हमारी सरकार ने लखपति दीदी बनाने के लक्ष्य को बढ़ाकर 3 करोड़ कर दिया है। गावों में स्वयं सहायता समूह में काम करने वाली तीन करोड़ लखपति दीदी बनेगी, ये मोदी की गारंटी है।
लखपति दीदी अभियान का बहुत बड़ा फायदा महिला स्वयं सहायता समूह की बहनों को भी हो रहा है।
केंद्र सरकार नमो ड्रोन दीदी अभियान के तहत देश के 15 हजार स्वयं सहायता समूहों को आधुनिक ड्रोन भी देने जा रही है।
बहुत ही जल्द नमो ड्रोन दीदी, झाबुआ में भी कृषि क्रांति करती हुई दिखाई देने लगेंगी।
साथियों,
आदिवासी शिल्प, कला और उत्पादों की तो अब देश और दुनिया में पहचान बन गई है।
आदिवासी समाज के पारंपरिक हुनर को रोजगार के अवसरों में बदलने के लिए हमने जो प्रयास किए हैं, उनके परिणाम भी आने लगे हैं।
आदिवासी कला और उत्पादों के लिए दिल्ली में इन दिनों आदि महोत्सव भी चल रहा है।
आदि महोत्सव में पूरे देश और दुनिया से लोग आते हैं।
जिस समाज को पिछली सरकारों ने पिछड़ा बताकर जंगल तक सीमित कर दिया था, आज उसका गौरव पूरा विश्व जान रहा है।
मुझे विश्वास है, आप सबके आशीर्वाद से ये मध्यप्रदेश के विकास की जो संकल्प यात्रा शुरू हुई है, वो और गति से आगे बढ़ेगी।
आप सब इतनी बड़ी संख्या में यहाँ आए और आज पूरे देश में आदिवासी क्षेत्रों में टीवी के माध्यम से स्थानीय लोग इकट्ठा होकर इस कार्यक्रम में हमारे साथ जुड़े हुए है। जो लोग दूर से हमारे साथ जुड़े हुए हैं उनके साथ और जो इतनी बड़ी तादाद में आए हैं, उन सबका मैं हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं।
मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए
भारत माता की...
आपकी आवाज हिंदुस्तान के कोने-कोने में पहुंच सकती है।
भारत माता की...
भारत माता की...
भारत माता की...
बहुत-बहुत धन्यवाद।