गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी, मुख्यमंत्री श्री विजय रूपाणी जी, केंद्र और राज्य सरकार के अन्य सहयोगी, नाईजीरिया, इंडोनेशिया और माली सरकार के प्रतिनिधिगण, दुनिया के अलग-अलग देशों के Heads of mission, देशभर से यहां पहुंचे हजारों स्वच्छाग्रही, मेरे सभी सरपंच साथी, भाइयो और बहनों।
मैं आज अपनी बात प्रारंभ करने से पहले साबरमती के इस तट पर यहां उपस्थित सभी सरपंचों के माध्यम से देश के सभी सरपंचों, नगर पालिका, महानगर पालिका के सभी संचालक बंधुगण, भगिनीगण; आप सबने पांच साल लगातार जो अविरत पुरुषार्थ किया है, जिस समर्पण भाव से मेहनत की है, जिस त्याग भावना से पूज्य बापू का सपना साकार किया है; इसलिए आज मैं अपनी बात शुरू करने से पहले आप सबको आदरपूर्वक नमन करना चाहता हूं।
साबरमती के इस पावन तट से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और सादगी के, सदाचार के प्रतीक पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी को मैं नमन करता हूं, उनके चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं।
साथियो, पूज्य बापू की 150वीं जयंती का पावन अवसर हो, स्वच्छ भारत अभियान का इतना बड़ा पड़ाव हो, शक्ति का पर्व नवरात्र भी चल रहा हो, हर तरफ गरबा की गूंज हो; ऐसा अद्भुत संयोग कम ही देखने को मिल पाता है। और देशभर से जो हमारे सरपंच भाई-बहन आए हैं, आप लोगों को गरबा देखने का अवसर मिला कि नहीं मिला? गए थे गरबा देखने?
बापू की जयंती का उत्सव तो पूरी दुनिया मना रही है। कुछ दिन पहले संयुक्त राष्ट्र ने डाक टिकट जारी कर इस विशेष अवसर को यादगार बनाया। और आज यहां भी डाक टिकट और सिक्का जारी किया गया है।मैं आज बापू की धरती से उनकी प्रेरणा स्थली, संकल्प स्थली से पूरे विश्व को बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं।
भाइयो और बहनों, यहां आने से पहले मैं साबरमती आश्रम गया था। अपने जीवनकाल में मुझे वहां अनेक बार जाने का अवसर मिला है। हर बार मुझे वहां पूज्य बापू के सानिध्य का एहसास हुआ, लेकिन आज मुझे वहां एक नई ऊर्जा भी मिली। साबरमती आश्रम में ही उन्होंने स्वच्छाग्रह और सत्याग्रह को व्यापक स्वरूप दिया था। इसी साबरमती के किनारे महात्मा गांधीजी ने सत्य के प्रयोग किए थे।
भाइयो और बहनों, आज साबरमती की ये प्रेरक स्थली स्वच्छाग्रह की एक बड़ी सफलता की साक्षी बन रही है। ये हम सभी के लिए खुशी और गौरव का अवसर है। और साबरमती रिवर फ्रंट पर इस कार्यक्रम का आयोजन होना मेरे लिए तो दोहरी खुशी का विषय है।
साथियो, आज ग्रामीण भारत ने, वहां के लोगों ने खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया है। स्वेच्छा से, स्व-प्रेरणा से और जन-भागीदारी से चल रहे स्वच्छ भारत अभियान की ये शक्ति भी है और सफलता का स्रोत भी है। मैं हर देशवासी को, विशेषकर गांवों में रहने वालों को, हमारे सरपंचों को, तमाम स्वच्छाग्रहियों को आज हृदयपूर्वक बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आज जिन स्वच्छाग्रहियों को यहां स्वच्छ भारत पुरस्कार मिले हैं, उनका भी बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं।
साथियो, आज मुझे वाकई ऐसा लगा जैसे इतिहास अपने-आप को दोहरा रहा है। जिस तरह देश की आजादी के लिए बापू के एक आह्वान पर लाखों भारतवासी सत्याग्रह के रास्ते पर निकल पड़े थे, उसी तरह स्वच्छाग्रह के लिए भी करोड़ों देशवासियों ने खुले दिल से अपना सहयोग दिया। पांच वर्ष पहले जब लाल किले से मैंने स्वच्छ भारत के लिए देशवासियों को पुकारा था तब हमारे पास सिर्फ और सिर्फ जन-विश्वास था और बापू का अमर संदेश था। बापू कहते थे कि दुनिया में जो बदलाव आप देखना चाहते हैं, पहले वो स्वयं में लाना होगा।
इसी मंत्र पर चलते हुए हम सभी ने झाड़ू उठाई और निकल पड़े। उम्र कुछ भी हो, सामाजिक और आर्थिक स्थिति कैसी भी हो, स्वच्छता, गरिमा और सम्मान के इस यज्ञ में हर किसी ने अपना योगदान दिया है।
किसी बेटी ने शादी के लिए शौचालय की शर्त रख दी, तो कहीं शौचालय को इज्जतघर का दर्जा मिला। जिस शौचालय की बात करने में कभी झिझक होती थी, वो शौचालय आजदेश की सोच का अहम हिस्सा हो गया है। वॉलीवुड से लेकर खेल के मैदान तक स्वच्छता के इस विराट अभियान ने हर किसी को जोड़ा है, हर किसी को प्रेरित और प्रोत्साहित किया।
साथियो, आज हमारी सफलता से दुनिया चकित है। आज पूरा विश्व हमें इसके लिए पुरस्कृत कर रहा है, सम्मान दे रहा है। 60 महीने में 60 करोड़ से अधिक आबादी को टॉयलेट की सुविधा देना, 11 करोड़ से ज्यादा शौचालयों का निर्माण, ये सुनकर विश्व अचंभित है। लेकिन मेरे लिए किसी भी आंकड़े, किसी भी प्रशंसा, किसी भी सम्मान से बड़ा संतोष तब होता है, जब मैं बच्चियों को बिना किसी चिंता के स्कूल जाते देखता हूं।
मुझे संतोष इस बात का है कि करोड़ों माताएं, बहनें अब एक असहनीय पीड़ा से, अंधेरे के इंतजार से मुक्त हुई हैं। मुझे संतोष इस बात का है कि उन लाखों मासूमों का जीवन अब बच रहा है, जो भीषण बीमारियों की चपेट में आकर हमें छोड़ जाते थे। मुझे संतोष इस बात का है कि स्वच्छता की वजह से गरीब का इलाज पर होने वाला खर्च अब कम हुआ है। मुझे संतोष इस बात का है कि इस अभियान ने ग्रामीण इलाकों, आदिवासी अंचलों में लोगों को रोजगार के नए अवसर दिए हैं। बहनों को भी, पहले हमारे यहां शब्द हुआ करता था राजमिस्त्री; बहनों को भी रानीमिस्त्री बनाकर काम करने के मौके दिए।
भाइयो और बहनों, स्वच्छ भारत अभियान जीवनरक्षक भी सिद्ध हो रहा है और जीवन स्तर को ऊपर उठाने का काम भी कर रहा है। यूनीसेफ के एक अनुमान के अनुसार बीते पांच वर्षों में स्वच्छ भारत से भारत की अर्थव्यवस्था पर 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इससे 75 लाख से अधिक रोजगार के अवसर भारत में बने हैं, जिनमें से अधिकतर गांवों के बहन-भाइयों को मिले हैं।
इतना ही नहीं, इससे बच्चों की शिक्षा के स्तर पर, हमारी productivity पर, उद्यमशीलता पर सकारात्मक असर पड़ा है। इससे देश में बेटियों और बहनों की सुरक्षा और सशक्तिकरण की स्थिति में अद्भुत बदलाव आया है। गांव, गरीब और महिलाओं के स्वाबलंबन और सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करने वाला ऐसा ही मॉडल तो पूज्य महात्मा गांधी चाहते थे। यही महात्मागांधीजी के स्वराज के मूल में था। इसी के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया।
साथियो, लेकिन अब सवाल ये है- क्या हमने जो हासिल कर लिया है, वो काफी है क्या? इसका जवाब सीधा और स्पष्ट है, आज जो हमने हासिल किया है, वो सिर्फ और सिर्फ एक पड़ाव मात्र है, सिर्फ पड़ाव भर है। स्वच्छ भारत के लिए हमारा सफर निरंतर जारी है।
अभी हमने शौचालयों का निर्माण किया है, शौचालय के उपयोग की आदत की तरफ लोगों को प्रोत्साहित किया है। अब हमें देश के एक बड़े वर्ग के व्यवहार में आए इस परिवर्तन को स्थाई बनाना है। सरकारें हों, स्थानीय प्रशासन हो, ग्राम पंचायतें हों; हमें सुनिश्चित करना है कि शौचालय का उचित उपयोग हो। जो लोग अब भी इससे छूटे हुए हैं, उन्हें भी इस सुविधा से जोड़ना है।
भाइयो और बहनों, सरकार ने अभी जो जल-जीवन मिशन शुरू किया है, उससे भी इसमें मदद मिलने वाली है। अपने घर में, अपने गांव में, अपनी कॉलोनी में Water recharge के लिए, Water recycling के लिए हम जो भी प्रयास कर सकते हैं, वो करने चाहिए। अगर हम ये कर पाएं तो टॉयलेट के नियमित और स्थाई उपयोग के लिए इससे बहुत मदद मिलेगी। सरकार ने जल-जीवन मिशन पर साढ़े तीन लाख करोड़ खर्च करने का फैसला किया है। लेकिन देशवासियों की सक्रिय भागीदारी के बिना इस विराट कार्य को पूरा करना मुश्किल है।
साथियो, स्वच्छता, पर्यावरण सुरक्षा और जीव सुरक्षा- ये तीनों विषय महात्मा गांधी के प्रिय विषय थे। प्लास्टिक इन तीनों के लिए बहुत बड़ा खतरा है। लिहाजा, साल 2022 तक देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने का लक्ष्य हमें हासिल करना है। बीते तीन हफ्ते में स्वच्छता ही सेवा के माध्यम से पूरे देश ने इस अभियान को बहुत गति दी है। मुझे बताया गया है कि करीब 20 हजार टन प्लास्टिक का कचरा इस दौरान इक्ट्ठा किया गया है। इस दौरान ये भी देखने को मिल रहा है कि प्लास्टिक के carry bag का उपयोग बहुत तेजी से घट रहा है।
मुझे ये भी जानकारी है कि आज देशभर में करोड़ों लोगों ने सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने का संकल्प लिया है। यानी वो प्लास्टिक जिसका हम एक बार उपयोग करते हैं और फिर फेंक देते हैं, ऐसे प्लास्टिक से हमें देश को मुक्त करना है। इससे पर्यावरण का भी भला होगा, हमारे शहरों की सड़कों और sewage को ब्लॉक करने वाली बड़ी समस्या का समाधान भी होगा और हमारे पशुधन की, समुद्री जीवन की भी रक्षा होगी।
भाइयो और बहनों, मैं फिर कह रहा हूं, हमारे इस आंदोलन के मूल में सबसे बड़ी बात व्यवहार परिवर्तन है। ये परिवर्तन पहले स्वयं से होता है, संवेदना से होता है। यही सीख हमें महात्मागांधीजी और लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन से मिलती है।
देश जब गंभीर खाद्य संकट से जूझ रहा था तो शास्त्रीजी ने देशवासियों से अपने खाने की आदतों में बदलाव का आह्वान किया, लेकिन शुरूआत खुद के परिवार से की। स्वच्छता के इस सफर में भी हमारे लिए भी यही एकमात्र रास्ता है, जिस पर चलते हुए हमें मंजिल तक पहुंचना है।
भाइयो और बहनों, आज पूरी दुनिया स्वच्छ भारत अभियान के हमारे इस मॉडल से सीखना चाहती है, उसको अपनाना चाहती है। कुछ दिन पहले ही अमेरिका में जब भारत कोGlobal Goal Keeper Award से सम्मानित किया गया तो भारत की कामयाब से पूरा विश्व परिचित हुआ।
मैंने संयुक्त राष्ट्र में भी ये कहा था कि भारत अपने अनुभवों को दूसरे देशों से साझा करने के लिए हमेशा तैयार है। आज नाईजीरिया, इंडोनेशिया, और माली सरकार के प्रतिनिधि हमारे बीच में हैं। भारत को आपके साथ स्वच्छता के लिए, sanitation के लिए सहयोग करते हुए बहुत खुशी होगी।
साथियो, महात्मा गांधीजी ने सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह, स्वाबलंबन के विचारों से देश को रास्तादिखाया था। आज हम उसी रास्ते पर चलकर स्वच्छ, स्वस्थ, समृद्ध और सशक्त New India के निर्माण में लगे हैं। पूज्य बापू स्वच्छता को सर्वोपरि मानते थे। सच्चे साधक के तौर पर देश का ग्रामीण क्षेत्र आज उन्हें स्वच्छ भारत की कार्यांजलि दे रहा है। गांधीजी सेहत को सच्चा धन मानते थे और चाहते थे कि देश का हर नागरिक स्वस्थ हो। हम योग दिवस, आयुष्मान भारत, फिट इंडिया मूवमेंट के जरिए इस विचार को देश के व्यवहार में लाने का प्रयास कर रहे हैं। गांधीजी वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास रखते थे।
अब भारत अपनी नई योजनाओं और पर्यावरण के लिए प्रतिबद्धता के माध्यम से दुनिया को कई चुनौतियों से लड़ने में मदद कर रहा है। बापू का सपना आत्मनिर्भर, आत्मविश्वास से भरे भारत का था। आज हम Make in India, Startup India, Stand up Indiaसे इन सपनों कोसाकार करने में लगे हैं।
गांधीजी का संकल्प था एक ऐसा भारत, जहां हर गांव स्वाबलंबी हो। हम राष्ट्रीय ग्राम स्वराज माध्यम से इस संकल्प को सिद्धि की तरफ ले जा रहे हैं।
गांधीजी समाज में खड़े आखिरी व्यक्ति के लिए हर फैसला लेने की बात करते थे। हमने आज उज्ज्वला, प्रधानमंत्री आवास योजना, जन-धन योजना, सौभाग्य योजना, स्वच्छ भारत जैसी योजना; इन सबसे उनके इस मंत्र को व्यवस्था का हिस्सा बना दिया है।
पूज्य बापू को उन्होंने तकनीक का इस्तेमाल करते हुए लोगों के जीवन को आसान बनाने की बात की थी। हम आधार, Direct benefit transfer, Digital India, Bhim app, Digi Locker के जरिए देशवासियों का जीवन आसान बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
साथियो, महात्मा गांधी कहा करते थे कि वो भारत का उत्थान इसलिए चाहते हैं, ताकि सारी दुनिया उसका लाभ उठा सके। गांधीजी का स्पष्ट मत था कि राष्ट्रवादी हुए बिना अंतरराष्ट्रीयवादी नहीं हुआ जा सकता। यानी हमें पहले अपनी समस्याओं का समाधान खुद ढूंढना होगा, तब जाकर हम पूरे विश्व की मदद कर सकते हैं। इसी राष्ट्रवाद की भावना को लेकर आज भारत आगे बढ़ रहा है।
बापू के सपनों का भारत- नया भारत बन रहा है। बापू के सपनों का भारत- जो स्वच्छ होगा, पर्यावरण सुरक्षित होगा।
बापू के सपनों का भारत- जहां हर व्यक्ति स्वस्थ होगा, फिट होगा। बापू के सपनों का भारत- जहां हर मां, हर बच्चा पोषित होगा।
बापू के सपनों का भारत- जहां हर नागरिक सुरक्षित महसूस करेगा। बापू के सपनों का भारत- जो भेदभाव से मुक्त, सद्भावयुक्तहोगा।
बापू के सपनों का भारत- जो सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, इस आदर्श पर चलेगा। बापू के राष्ट्रवाद के ये तमाम तत्वपूरी दुनिया के लिए आदर्श सिद्ध होंगे, प्रेरणा के स्रोत बनेंगे।
आइए, राष्ट्रपिता के मूल्यों को प्रतिस्थापित करने के लिए, मानवता के भले के लिए हर भारतवासी, राष्ट्रवाद के हर संकल्प को सिद्ध करने का संकल्प लें।
मैं आज देश से एक व्यक्ति, एक संकल्प, इसका आग्रह करता हूं। देश के लिए कोई भी संकल्पलीजिए, जो देश के काम आने वाला संकल्प हो। देश की, समाज की, गरीब की भलाई करने वाला संकल्प हो। आपसे मेरा आग्रह है एक संकल्प जरूर लीजिए और अपने कर्तव्यों के बारे में सोचिए, राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों के बारे में सोचिए।
कर्तव्य पथ पर चलते हुए 130 करोड़ प्रयास, 130 करोड़ संकल्पों की ताकत देश में कितना कुछ कर सकती है। आज से शुरू करके अगले एक साल तक हमें निरंतर इस दिशा में काम करना है। एक साल काम किया, तो फिर यदि यही हमारे जीवन की दिशा बन जाएगी, यही हमारी जीवन शैली बन जाएगी, यही एक कृतज्ञ राष्ट्र की बापू को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
इसी आग्रह और इन्हीं शब्दों के साथ मैं एक बात और भी कहना चाहता हूं- ये जो सफलता मिली है, ये किसी सरकार की सफलता नहीं है।
ये जो सफलता मिली है, वो किसी प्रधानमंत्री की सफलता नहीं है। ये जो सफलता मिली है, वो किसी मुख्यमंत्री की सफलता नहीं है।
ये जो सफलता मिली है, वो 130 करोड़ नागरिकों के पुरुषार्थ के कारण मिली है। समाज के वरिष्ठ लोगों ने समय-समय पर नेतृत्वकिया, मार्गदर्शन किया, उसके कारण मिली है। और मैंने देखा है, पांच साल लगातार सभी मीडिया हाउस ने इस बात को लगातार आगे बढ़ाया, positive मदद की, देश में वातावरण बनाने में मीडिया ने अहम भूमिका निभाई है।
आज मैं उन सबका, जिन-जिन लोगों ने इस काम को किया है, 130 करोड़ देशवासियों को आदरपूर्वक नमन करता हूं, मैं उनका धन्यवाद करता हूं, मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं।
इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। मेरे साथ आप सब बोलेंगे-
मैं कहूंगा- महात्मा गांधी, आप सब दोनों हाथ ऊपर करके बोलेंगे- अमर रहे, अमर रहे।
महात्मा गांधी – अमर रहे
महात्मा गांधी – अमर रहे
महात्मा गांधी – अमर रहे
एक बार फिर संपूर्ण राष्ट्र को एक बहुत बड़े संकल्प की सिद्धि के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
मेरे साथ बोलिए-
भारत माता की – जय
भारत माता की – जय
भारत माता की – जय
बहुत-बहुत धन्यवाद।