PM Modi addresses public rally in Barabanki, Uttar Pradesh

Published By : Admin | February 16, 2017 | 14:22 IST

भारत माता की जय। भारत माता की जय। मंच पर विराजमान बाराबंकी जिलाध्यक्ष श्रीमान अवधेश कुमार श्रीवास्तव जी, केंद्र में मेरे मंत्री परिषद के मेरे साथी श्री पीपी चौधरी, संसद में मेरे साथी श्रीमति प्रियंका रावत जी, बाराबंकी जिला प्रभारी श्रीमान भिखारी सिंह जी, संसद में मेरे साथी श्रीमान लल्लू सिंह जी, पूर्व जिलाध्यक्ष श्रीमान संतोष सिंह जी, पूर्व जिलाध्यक्ष श्रीमान संतोष सिंह जी, लोकसभा के पालक श्रीमान केदार बख्श सिंह जी, सिंह जी, पूर्व विधायक श्रीमान सुंदर लाल जी, पूर्व जिलाध्यक्ष श्रीमान सुधीर कुमार सिंह सिद्धू, क्षेत्रीय महासचिव श्रीमान बृज बहादुर जी, श्रीमान हरसित वर्मा जी, श्रीमान राम प्रकाश श्रीवास्तव जी और इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के तेजस्वी और होनहार उम्मीदवार श्रीमान पंचरवां से रामनेश सिंह रावत, बाराबंकी से श्रीमान हरगोविन्द सिंह जी, दरियाबाद से श्रीमान सतीश शर्मा जी, कुरसी से श्रीमान सोकेंद्र वर्मा जी, हैदलगढ़ से श्रीमान बैद्यनाथ रावत जी, रामनगर से श्रीमान शरद कुमार अवस्थी जी, जैतपुर से श्रीमान उपेंद्र रावत जी और विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे भाइयों और बहनों। दोनों मुट्ठी बंद करके मेरे साथ बोलिए। भारत माता की जय। भारत माता की जय। बाबा लोदेश्वर की पवित्र भूमि को प्रणाम करता हूं।

भाइयों बहनों।

पिछले कुछ दिनों से, उत्तर प्रदेश के भिन्न-भिन्न इलाकों में जाने का, मुझे सौभाग्य मिला और लाखों की तादात में उत्तर प्रदेश के भाइयों बहनों ने आकरके भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों को, भारतीय जनता पार्टी को और मुझे जो भरपूर आशीर्वाद दिये और आज आपने भी इतनी विशाल संख्या में आकरके हमें आशीर्वाद दिये। मैं आप सबका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।

भाइयों बहनों।

दिल्ली में बैठकर के जो लोग उत्तर प्रदेश के चुनाव की चर्चा करते हैं। अगर एक बार बाराबंकी की चुनाव सभा देख लें तो उन्हें पता चल जाएगा कि आंधी कितनी तेज है। भाइयों बहनों। मैं देख रहा हूं, मैदान छोटा पड़ गया है। उधर रोड के ऊपर इतने लोग हैं।

भाइयों बहनों।

मै जहां-जहां गया हूं, समाजवादी पार्टी के प्रति, कांग्रेस के प्रति, बसपा के प्रति, उत्तर प्रदेश के हर कोने में एक भंयकर नफरत का माहौल नजर आ रहा है। अखिलेश जी। पांच साल पहले इस उत्तर प्रदेश ने पलक पावड़े बिछा करके आपका स्वागत किया था। अपने सर आंखों पर आपको बिठा दिया था। आपकी उमर छोटी थी। उत्तर प्रदेश के नौजवानों को लगता था कि आप उत्तर प्रदेश की भलाई के लिए कुछ करेंगे। अभी तो आपको फुर्सत नहीं होगी लेकिन 11 मार्च के बाद, जब उत्तर प्रदेश की जनता आपको घर भेज देगी तो जरा समय निकालकर के सोचिएगा कि पांच साल में ऐसा क्या किया आपने कि उत्तर प्रदेश में आपके प्रति इतनी नफरत पैदा हुई है, जरा हिसाब लगाइए।  

भाइयों बहनों।

चुनाव आते हैं, जाते हैं। सरकारें बनती है, बिगड़ती है। कोई विधायक बने, कोई मंत्री बने, ये लोकतंत्र की स्वभाविक प्रक्रिया है। लेकिन भाइयों बहनों। आखिर लोकतंत्र में लोगों के द्वारा चुनी गई, लोगों के लिए चुनी गई, आखिर ये सरकार किसके लिए होती है। भाइयों बहनों। आप मुझे बताइए। आप जवाब देंगे सब लोग। माताएं बहनें बहुत उत्साह में हैं। आप जवाब देंगे। आप मुझे बताइए। ये सरकार गरीबों के लिए होनी चाहिए कि नहीं चाहिए ...। सरकार दलित, पीड़ित, शोषित, वंचितों के लिए होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ...। सरकार किसानों के लिए होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ...। सरकार युवाओं के लिए होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ...। सरकार मजदूरों के लिए होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ...। सरकार माताओं बहनों की सुरक्षा के लिए होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ...।

भाइयों बहनों।

सरकार गरीब के लिए होती है। अमीरों को सरकार की जरूरत नहीं होती है। अगर गरीब के बच्चों को पढ़ाना है तो उसको सरकार के स्कूल में भेजना पड़ता है। लेकिन अगर सरकार के स्कूल में, अखिलेश जी का काम बोलता है कि 50 प्रतिशत टीचर की भर्ती ही नहीं हुई है तो गरीब का बच्चा पढ़ाई कहां करेगा। गरीब के बच्चे की शिक्षा कहां होगी। अगर गरीब बीमार हो जाता है तो उसको तो सरकारी अस्पताल, सरकारी डॉक्टर के बिना उसका कोई चारा नहीं होता है। लेकिन अगर सरकारी अस्पताल में ना डॉक्टर हो, न दवाई हो और न साफ-सफाई हो तो गरीब की बीमारी कैसे जाएगी भाइयों। अखिलेश जी आपका काम बोलता है। यहां के दवाखानों में दीवारें हैं दवाई नहीं है। दीवार है, डॉक्टर नहीं है। गरीबों की बीमारी की चिंता कौन करेगा।

भाइयों बहनों।

अमीर के बेटे को पढ़ना है। अगर स्कूल नहीं है, टीचर नहीं है तो अमीर तो टीचर को घर बुला लेगा। अमीर तो अपने बच्चे को पढ़ने के लिए कहीं बाहर भेज देगा। गरीब का कौन। अमीर बीमार हो जाए तो बढ़िया से बढ़िया अस्पताल में ले जाएंगे, हवाई जहाज में ले जाएंगे। जरूरत पड़ी तो डॉक्टर उनके घर के बाहर कतार लगा देंगे। गरीब बीमार होगा तो कहां जाएगा। और इसलिए भाइयों बहनों। सरकार गरीब के लिए होती है। गांव, गरीब, किसान, शोषित, वंचित, पीड़ित, दलित सरकार उनको जरूरत पड़ती है। उत्तर प्रदेश में ऐसी सरकार बैठी है जिसने इन्हीं लोगों का सबसे ज्यादा दमन किया है। आप मुझे बताइए। हिन्दुस्तान में अगर दलितों पर अगर अत्याचार सबसे ज्यादा कहीं होते हैं तो उसका नाम है उत्तर प्रदेश। अगर दलित थाने में जाकरके शिकायत दर्ज करना चाहेगा तो थानेदार उसका शिकायत लेता है क्या ...। लेता है क्या ...। जरा बताइए। आपकी फरियाद भी नोट करता है क्या ...।  

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भाइयों बहनों।

क्या दुर्भाग्य है कि उत्तर प्रदेश के दलितों को, उत्तर प्रदेश के दलितों को कोर्ट में जाना पड़ा। हम पर जुल्म हो रहे हैं लेकिन थाने में कोई हमारी रिपोर्ट लिखने को तैयार नहीं है। कोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ जो गुनाह हुआ था उसके केस रजिस्टर करने की नौबत आई। ऐसा क्यों होता है क्योंकि अखिलेश जी ने थाने को सपा का कार्यालय बना दिया है। थानेदार तो दो होते हैं, लेकिन सपा के वहां पांच गुंडे बैठे होते हैं। और जब तक सपा का सूबेदार हां ना कहे, थानेदार कागज पर एक शब्द लिखने की हिम्मत नहीं करता है। और किसी हवलदार ने ईमानदारी से काम कर दिया तो उसकी तो छुट्टी समझ लीजिए। ये स्थिति बदलनी है कि नहीं बदलनी है ...। भाइयों बहनों। ये स्थिति बदलनी है कि नहीं बदलनी है ...। ये स्थिति बदलनी है कि नहीं बदलनी है ...।

भाइयों बहनों।

जब तक ये सपा, बसपा और कांग्रेस को सजा नहीं करोगे। ये स्थिति नहीं बदलेगी। और इसलिए इस चुनाव में, आपकी अंगुली में ताकत है। आपकी अंगुली में ताकत है, इस सपा, बसपा, कांग्रेस को सजा करने की ताकत आपकी अंगुली में है भाइयों। इस बार मौका मत गंवाइए। पांच साल तक जो आपको झेलना पड़ा है, एक मिनट में, एक मिनट में वो ठिकाने पर लग जाएंगे। अगर ठिकाने पर अंगुली दबाई तो ...।

भाइयों बहनों।

हमारे देश के किसानों की ये हालत क्यों है। समर्थन मूल्य भारत सरकार घोषित करती है। समर्थन मूल्य पर किसान से अनाज खरीदने के लिए भारत सरकार पैसे देती है। यहां के बाराबंकी के किसान मुझे बताइए। यहां की सरकार समर्थन मूल्य पर आपकी पैदावार खरीद करती है क्या ...। करती है क्या ...। क्यों भई। और उसके कारण किसान को अपना धान रखने की जगह नहीं, गेहूं रखने की जगह नहीं, आलू रखने की जगह नहीं, लहसून प्याज रखने की जगह नहीं, वो किसान बेचारा पानी के मोल अपनी पैदावार बाजार में जाकर के बेचकर के आ जाता है। अगर सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदी करे तो कभी किसान का शोषण नहीं होगा। ये बिचौलिए लोग किसान का माल मुफ्त में नहीं छीन लेंगे। और इसलिए भाइयों बहनों। समर्थन मूल्य में खरीदी करनी चाहिए। मुझे दुख के साथ कहना है। दुख के साथ कहना है भाइयों बहनों। छत्तीसगढ़ भाजपा की सरकार है। करीब-करीब 60 प्रतिशत किसानों से पैदावार समर्थन मूल्य से सरकार खरीद लेती है। मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है। करीब-करीब 60 प्रतिशत से ज्यादा किसानों से पैदावार समर्थन मूल्य से खरीदती है। हरियाणा में भाजपा की सरकार है। समर्थन मूल्य से 70 प्रतिशत  खरीद लेती है। राजस्थान में भाजपा की सरकार है। 50 प्रतिशत  खरीद लेती है। लेकिन काम बोलता है। क्या बोलता है ...। क्या बोलता है ...। सिर्फ उत्तर प्रदेश में किसानों का पैदावार 3 प्रतिशत  खरीदी जाती है। 3 प्रतिशत । ये किसानों का भला करेंगे क्या ...। किसानों का भाग्य बदलेंगे क्या ...। किसानों को उनका हक देंगे क्या। ये किसानों के दुश्मन है कि नहीं हैं ...। ये किसानों के विरोधी हैं कि नहीं हैं ...। किसान को समर्थन मूल्य मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए ...। जो भी उसका माल बेचना चाहता है। सरकार को लेना चाहिए कि नहीं लेना चाहिए ...। ये  सरकार की जिम्मेदारी है कि नहीं है। पैसे भारत सरकार देती है। उसके बावजूद अपने-पराये, मेरा-तेरा उनको चिंता ही नहीं है। वोट बैंक है बस, जो करना है करते रहो।  

भाइयों बहनों।

मैं उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को ह्रदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। बहुत बधाई देता हूं। उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने एक बहुत बड़ा संकल्प किया है। और छोटा संकल्प नहीं है भाई। बहुत बड़ा संकल्प है। और मुझे खुशी है कि इस उत्तर प्रदेश ने मुझे सांसद भी बनाया और मुझे प्रधानमंत्री भी बनाया उत्तर प्रदेश ने। भाइयों बहनों। ये उत्तर प्रदेश ने मुझे गोद लिया है। ये उत्तर प्रदेश मेरा माई-बाप है। भाइयों बहनों। ये गोद लिया हुआ बेटा अपने माई-बाप को वादा करता है। मैं आपको छोडूंगा नहीं, पूरा आपके साथ रहूंगा। आपका समर्थन करूंगा। जो खुद का बेटा नहीं कर पाता, गोद लिया बेटा करके दिखाएगा। ये मैं उत्तर प्रदेश, मेरा माई-बाप को कहना चाहता हूं।

और इसलिए उत्तर प्रदेश के सांसद के नाते, मैं उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी को बधाई देता हूं। उन्होंने संकल्प पत्र में घोषित किया है, 11 मार्च को चुनाव के नतीजे आएंगे। 2-3 दिन में उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार की शपथ समारोह होगा। भाजपा की सरकार बनेगी। भाजपा की सरकार बनने की बाद पहली कैबिनेट की मीटिंग होगी। और गोद लिया हुआ बेटा आपको वादा करता है। पहली ही मीटींग में भारतीय जनता पार्टी ने संकल्प पत्र में कहा है, वो किसानो का कर्ज माफ कर दिया जायेगा।

भाइयों बहनों।

अगर हिन्दुस्तान के किसान का भला नहीं होगा तो हिन्दुस्तान का कभी भला नहीं होगा। ये मै भली भांति समझता हूं। भारतीय जनता पार्टी ने ये भी संकल्प किया है। आलू, लहसुन और प्याज से भी समर्थन मूल्य से खरीदे जाएंगे भाइयों बहनों।

भाइयों बहनों।

हमारा कोई भी देश का नागरिक आत्महत्या करे, हिन्दुस्तान के किसी भी कोने में करे, ये हमारे लिए पीड़ा का विषय है कि नहीं है ...। दुख का कारण है कि नहीं है ...। इसके लिए सिर्फ आंसू बहाएंगे या कुछ करेंगे ...। हमारे देश में किसान आत्महत्या कर रहा है। हमने एक बड़ी योजना बनाई। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना। इस प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान को कितना देना है। अगर 100 रुपया की बीमा है तो किसान को सिर्फ 2 रुपया देना है। कितना ...। सिर्फ 2 रुपया। अरे 2 रुपया तो कागज का खर्चा हो जाता है। तो भी भाइयों बहनों। भारत सरकार खर्चा अपने सर पर लिया। मेरे किसान को सिर्फ डेढ रुपया देना है। बाकि 98 रुपया भारत सरकार के तिजोरी से दिया जायेगा। और बीमा भी कैसा है। मै किसानों से कहता हूं, मौका जाने मत दीजिए भाइयों। ये मोदी आपके पास है, जितना उससे छीन सकते हो छीन लो। मौका आया है।   

भाइयों बहनों।  

ये प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना कैसी है। किसान भली भांति समझ जाएंगे। मान लीजिए आपने जून महीने में खेत जोत करके रखा है। बीज ला करके रखे। मजदूरों को लाना था, उनको भी तय कर लिया। सब हो गया। बस बारिश का इंतजार कर रहे हैं। पानी का इंतजार कर रहे हैं। सब तैयार है। लेकिन बारिश नहीं आई। बुआई नहीं हुई। फिर किसान सोचता है चलो जुलाई महीने में आएगी। जुलाई में भी नहीं आई। फिर किसान सोचेगा अगस्त में आएगी। अगस्त में भी नहीं आएगी। अब किसान की साल बर्बाद हुआ कि नहीं हुआ ...। बर्बाद हुआ कि नहीं हुआ ...। अब किसान कहां जायेगा। हमने ऐसी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लाए हैं कि अगर प्रकृति के कारणों से वो बुआई नहीं कर पाया तो भी उसको बीमा मिलेगा। और उसको पैसा मिलेगा। क्या कभी ऐसा सोचा था किसी ने। बोआई नहीं हुई है तो भी बीमा मिल सकता है। ऐसी योजना देखी है साहब।

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भाइयों बहनों।  

हमने दूसरा भी काम किया है। मान लीजिए बोआई बराबर अच्छी हो गयी, बारिश अच्छी हो गई। जब चाहिए जितनी चाहिए उतनी बारिश हो गई। सौ आनी फसल हो गई है, सोलह आनी फसल हो गई है। शत प्रतिशत फसल हो गई, कटाई हो गई। और खेत में धान का ढेर तैयार बैठा है। गेहूं का ढेर तैयार है। चावल का ढेर तैयार है। बस मंडी में जाने का तैयारी चल रही है। टैक्टर-ट्रक आने का इंतजार हो रहा है। बैल गाड़ी आने का इंतजार हो रहा है। और अचानक ओले गिर गये। आंधी आ गई। तुफान आ गया। वर्षा आ गयी। और पका पकाया फसल बर्बाद हो गया भाइयों बहनों। हम ऐसी फसल बीमा योजना लाये हैं कि कटाई के बाद खेत में अगर उसका धान पड़ा है। गेहूं-चावल जो बीमा का है पड़ा है। और 15 दिन के भीतर-भीतर अगर ऐसी कोई प्रकृति आपदा आ गई तो भी उसको बीमा दिया जायेगा।

भाइयों बहनों।

इसका लाभ किसान को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए ...। मुझे बताइये मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए ...। किसान को फायदा होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए ...। सरकार दिल्ली में बैठी हुई है, पैसा दे रही है। फायदा किसान को होने वाला है। लेकिन आपको जान करके दुख होगा। जहां भाजपा की सरकार है। चाहे गुजरात हो, महाराष्ट्र हो, हरियाणा हो, राजस्थान हो, छत्तीसगढ़ हो, झारखंड हो, जहां भाजपा की सरकार है, वहां 60-70 प्रतिशत  किसानों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा हा गया लेकिन ये उत्तर प्रदेश, अखिलेश जी समाजवादी काम बोलता है। क्या बोलता है। सिर्फ 3 प्रतिशत किसानों का बीमा हुआ। ये किसानों के साथ अन्याय है कि नहीं है ...। और राज्यों मे 50%, 60 %, 70% किसानों का फायदा मिले। क्या कारण है कि उत्तर प्रदेश में सिर्फ 3 प्रतिशत किसानों, 3 प्रतिशत किसानों को ही बीमा दिया जाये। पैसा दिल्ली की सरकार देती है। अखिलेश जी, आपके पेट मे क्या दर्द है। उनको तो, उनकी वोट बैक वाला अगर कोई किसान है। वो तो किसान है, बाकी सारे कोई किसान नहीं है। इसलिए ये करते नहीं है।

भाइयों बहनों।

एक ऐसी सरकार यहां बैठी है। जिसको कुछ करना नहीं है। आप मुझे बताइये। 2 महिने पहले कोई गांव-गांव जा करके कहता है, 27 साल यूपी बेहाल। अचानक क्या हो गया भाई। गले लग गये।  किसका डर लग रहा है। किसका डर लग रहा है। किसका डर लग रहा है भाई। जो राम मनोहर लोहिया जीवनभर कांग्रेस के खिलाफ लड़ते रहे। वही समाजवादी आ गले लग जा - आ गले लग जा। भाइयों बहनों। अखिलेश जी, ये तो ड़ूबी हुई नाव है। ड़ूबी हुई नाव है। लोकसभा मे हिन्दुस्तान की जनता ने उनको नकार दिया है। बचने के लिए तुम कुछ भी रास्ते खोजो मुख्यमंत्री जी, आपके 5 साल का अंधेर राज उत्तर प्रदेश की जनता माफ नहीं करने वाली है।

भाइयों बहनों।

हम विकास को ले करके चुनाव के मैदान में आए हैं। और विकास का मेरा मतलब है - वि से विद्युत यानि ऊर्जा, का से कानून और व्यवस्था, स से सड़क। यहां पर 15 सौ गांव ऐसे जहां आजादी के 70 साल के बाद भी बिजली नहीं पहुंची भाई। बिजली नहीं पहुंची। और ये काम करते हैं। कैसा करते हैं। जब मायावती की सरकार थी तो जिन गावों में बिजली नहीं थी। उसमें उन्होंने बिजली पहुंचाने का काम किया। और 2 साल में कितने गांव किए। मै बताऊं। बताऊं। याद रखोगे।  मायावती जी ने 2 साल में उत्तर प्रदेश के 23 गांवों में बिजली का काम किया। कितने ... 23, फिर काम बोलता है। अखिलेश जी आए। उनके कारनामे देखो ये काम नहीं। कारनामे है।  अखिलेश जी आए। उन्होंने 2 साल मे कितना काम किया। कितना किया होगा। मायावती जी ने 23 गांव किए। ये बुआ जी कहता है ना तो भतीजे ने कितना किया। भतीजे ने कितना किया। भतीजे ने सिर्फ 3 गांव किए। और उसके बाद यूपी का गोद लिया हुआ बेटा दिल्ली में प्रधानमंत्री बना। यूपी का गोद लिया बेटा प्रधानमंत्री बना। 2 साल में हमने कितने गांव किए उत्तर प्रदेश में 1350 से ज्यादा गांवों में बिजली कर दी। आप मुझे बताइये। 2 साल में कहां 23 गांव। 2 साल में कहां भतीजे के 3 गांव और 2 साल में कहां गोद के बेटे के 13 सौ से ज्यादा गांव, ये काम होता है भाइयों। लेकिन भाइयों बहनों। और इसलिए मैं कहने आया हूं कि इनको काम करना नहीं है। एक जमाना था। यूरिया के लिए किसानों को रात-रात जाग-जाग करके कतार में खड़ा रहना पड़ता था। और यूरिया पाने के लिए कालाबाजारी से ज्यादा पैसा दे करके यूरिया खरीदना पड़ता था। क्योंकि जिस समय चाहिए। अगर उस समय यूरिया नहीं मिलता है तो फसल को कोई फायदा नहीं होता है। और इसलिए किसान को बाजार से ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं। कालेबाजारी में देने पड़ते है। आप मुझे बताइये। यूरिया का कालेबाजारी होती थी नहीं होती थी ...। यूरिया के लिए कतार में खड़ा रहना पड़ता था कि नहीं पड़ता था ...। यूरिया लेने जाए तो पुलिस डंडा मारती थी कि नहीं मारती थी ...।

भाइयों बहनों।

दो साल हो गए। दो साल। दो साल में अब तो आप भूल गए होंगे। दो साल में न यूरिया के लिए कोई कतार लगी है और न यूरिया के लिए कोई लाठी चार्ज हुआ है। न यूरिया के लिए कोई कालाबाजारी हो रही है। ये कैसे हुआ? उत्तर प्रदेश का गोद लिया हुआ बेटा दिल्ली में प्रधानमंत्री बना तो उसने एक काम किया, छोटा सा काम। बहुत बड़ा काम नहीं किया जी। लेकिन मैं ऐसे काम करता हूं, छोटा सा स्क्रू ऐसे करता हूं कि कइयों की नींद उड़ जाती है। हमने क्या किया। यूरिया का नीम-कोटिंग कर दिया। ये नीम-कोटिंग है क्या। कोई बहुत बड़ा विज्ञान नहीं है भाई। ये जो नीम का पेड़ होता है। उसकी जो फली होती है। उस फली का तेल निकालना और यूरिया में मिक्स कर देना है। ये कोई बहुत बड़ा विज्ञान नहीं है। सामान्य काम है। कोई करता नहीं था। उत्तर प्रदेश के गोद लिए बेटे ने कर दिया। पहले क्या होता था। यूरिया कारखाने से निकलता था। किसान के नाम पर निकलता था, सब्सिडी के नाम पर। किसान के नाम पर बिल फटते थे लेकिन यूरिया सीधा-सीधा केमिकल के फैक्टरी में चला जाता था, कारखाने में चला जाता था। और वो फैक्टरी  वालों कि मिलीभगत रहती थी बाबुओं के साथ, सस्ते में यूरिया ले करके उस पर और केमिकल ड़ाल करके वो दूसरा कोई प्रोडक्ट बना देते थे। महंगी और बाजार में बेचते थे जो किसानों के लिए नहीं होती थी। उनके लिए वो रॉ मैटेरियल हो जाता था। किसान को यूरिया नहीं मिलता था। किसान को कालाबाजारी मे खरीदना पड़ता था।

भाइयों बहनों।

नीम-कोटिंग करने का बाद मुट्ठीभर यूरिया भी अब किसी भी कारखाने में काम नहीं आते। चोरी बंद हुई कि नहीं हुई ...। चोरी बंद हुई कि नहीं हुई ...। आज जो यूरिया नीम-कोटिंग वाला है, उसका सिर्फ एक ही उपयोग हो सकता है, फसल के लिए। खेत में ही उपयोग हो सकता है। और कोई काम में नहीं आ सकता है। बताइये किसानों को फायदा हुआ कि नहीं हुआ ...। लेकिन जो आज तक चोरी के यूरिया से नोट कमाते थे, वो तो मोदी पर नाराज होंगे कि नहीं होंगे ...। मोदी हाथ में आयेगा तो हिसाब चुकता कर देंगे कि नहीं कर देंगे ...। इनको गुस्सा आता होगा की नहीं आता होगा ...। लेकिन मेरे किसान भाइयों। आपको समय पर यूरिया मिले। आपके खेत में फसल बर्बाद न हो इसलिए मैंने बड़ों-बड़ों को नाराज किया है। उनको जो करना है कर लें। मेरे किसान का आशीर्वाद मेरे साथ रहेगा। भाइयों बहनों। सरकार गरीब के लिए होती है तो बड़ों-बड़ों से मुकाबला करने के लिए तैयार हो जाती है। और मैंने किया है। डरता नहीं हूं भाइयों। थकता भी नहीं हूं। रूकता भी नहीं हूं और झुकता हूं तो सिर्फ सवा सौ करोड़ देशवासियों के सामने झुकता हूं। भाइयों बहनों। किसान की भलाई और उसका परिणाम मिला। किसान की फसल में सुधार हुआ। किसी में 5%, किसी में 7%, किसी में 10%, नीम-कोटिंग यूरिया के कारण फसल ज्यादा हुई। मुनाफा किसान को हुआ। घर बैठे हो गया। एक निर्णय किसान के लिए करते हैं। ऐसा परिवर्तन आता है।

भाइयों बहनों।

मैं जब विकास की बात करता हूं तो मेरा साफ-साफ कहना है। किसान को सिंचाई, युवा को कमाई, बच्चों को पढ़ाई और बुजुर्गों को दवाई, ये मेरा मंत्र है। आप मुझे बताइये। आज बीमार होना भी, महंगा हो गया कि नहीं हो गया ...। घर में एक व्यक्ति बीमार हो जाये तो सारा कमाया हुआ बह जाता है कि नहीं बह जाता है ...। दवाइयां महंगी है। कोई देखने वाला नहीं था।

भाइयों बहनों।

जब मुझे आपलोगों ने काम दिया। मैंने तय किया। कैंसर, डायबिटीज और ह्रदय रोग, ये ऐसी बीमारियां हैं कि उसकी दवा इतनी महंगी होती है कि गरीब, मध्यम वर्ग का कोई इंसान अपना इलाज नहीं करवा सकता। और बड़े-बड़े उद्योगपति मनमर्जी दाम से दवाइयां बेचते थे और नेता लोग उनसे चंदा ले के चुप हो जाते थे। भाइयों बहनों। मैं गरीबी में पैदा हुआ हूं। मैंने गरीबी के देखा है। मैंने गरीबी को जीया है। गरीब अपनी जिंदगी कैसे गुजारता है। ये गुजारता-गुजारता आपने मुझे यहां पहुंचाया है। और इसलिए  भाइयों बहनों। गरीब का दर्द मुझे किताबों में नहीं पढ़ना पड़ता है। मेरी जेहन में वो दर्द पड़ा हुआ है।

और इसलिए भाइयों बहनों।

दो साल से मैं लगा था, ये दवाई बनाने वाली कंपनियों के पीछे। मैंने कहा, मै गरीबों को लुटने नहीं दुगा। करीब-करीब 700 दवाइयां कैंसर की, डायबिटीज की, ह्रदय रोग की, 700 दवाइयां मैंने तय किया। आप लोग मुनाफा करते हो, मैं नहीं करने दूंगा। आप गरीब के जिंदगी के साथ खेलते हो, मैं नहीं खेलने दूंगा। उसका दाम कम करना पड़ेगा। और 700 दवाइयां कैंसर में एक दवाई आती थी, इरेसा। ये इरेसा करीब-करीब 30 हजार रुपए की दवाई होती थी, 30 हजार रुपए की। मुझे बताइये यहां कोई व्यक्ति है वो 30 हजार रुपया की दवा ले पायेगा क्या ...। ले पायेगा क्या ...।

भाइयों बहनों।

मैंने डंडा चलाया। मैंने कहा तुम झुठ बोल रहे हो। बताओ कैसे बनती है। कितना खर्चा होता है। क्या होता है। चलो उसमें तुम्हरा 5% मुनाफा लगा दो। पीछे पड़ गया। जो दवाई 30 हजार में बिकती थी। आज भाइयों बहनों, वो करीब-करीब साढ़े तीन हजार में देने के लिए मजबूर कर दिया। ये गरीबों की सरकार है कि नहीं है ...।

भाइयों बहनों।

एक उनकी नेक्सक्लेकस्ड दवाई थी, उसकी कीमत 22-23 सौ रुपया था। हमने कहा भाई, कम करो, कीमत आधी कर दी। आधी कर दी भाइयों। इतना लुटते थे। अभी हमने अस्पतालों के अंदर प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना। इसके तहत जेनरिक दवा बेचने का काम शुरू किया। देशभर में करीब 7 सौ ऐसे स्टाल लगा चुके हैं। और आने वाले समय में हर बड़ी अस्पताल में लगाने वाला हूं। जो दवाई 100 रुपया में मिलती है, वो वहां 10-20 रुपया में मिल जायेगी। ये काम मैं करने वाला हूं।

भाइयों बहनों।

आपको हैरानी होगी। किसी ह्रदय रोग की बीमारी होती है तो जीवन मरण का सवाल होता है। जीवन मरण के सवाल के लिए डाक्टर के पास जाता है। डाक्टर कहता है, आपके ह्रदय का ऑपरेशन करना पड़ेगा। छल्ला लगाना पड़ेगा। उसमें छल्ला। स्टैंट लगाना पड़ेगा। उत्तर प्रदेश में छल्ला बोलते हैं। गरीब आदमी को वो डरा देता है। ये तो मर जायेगा। 40-50 साल की उम्र है। ह्रदय रोग की बीमारी। ह्रदय रोग की सुनते ही डर जाता है। पहले डाक्टर लोग क्या करते थे। देशी छल्ला लगाना है तो 45 हजार रुपया लेते थे। एक छोटा सा ट्यूब डालते हैं ह्रदय के अंदर, 45 हजार रुपया। अगर वो कहे नहीं-नहीं विदेशी लगाओगे तो जिंदगीभर जरूरत नहीं पड़ेगी तो बेचारा कहता है। चलो यार खर्च करेंगे, 2 बीघा जमीन बेच देंगे लेकिन विदेशी लगा दो। अंदर लगने के बाद, कौन देखता है देशी है कि विदेशी है। खोलकर के देखेंगे क्या ...। और उसका लगाता है डेढ़ लाख, पौने दो लाख। मुझे बताइये गरीब को ह्रदय रोग वो छल्ले का भाव सुनकर के ही हो जायेगा कि नहीं हो जायेगा ...। मै दो साल से लगा था। ये छल्ले वालों को बुलाया। मैंने कहा भाई। ये ह्रदय रोग वालों को तुम ऐसे ही मार दोगे। मैंने कहा बताओ कितना खर्चा होता है। ब्याज कितना लगता है। मुनाफा कितना लगता है। जरा निकालो हिसाब बाहर, हर चीज का बारीक, बारीक, बारीक हिसाब लगाया। और स्थिति ऐसी पैदा कर दी है। अगर छल्ले की कीमत सौ रुपया है तो अब उनको 15 रुपया में बेचना पड़ेगा। और विदेश वाला छल्ला उसका 100 रुपया लेते हैं तो उनको 20-22 रुपया में बेचना पड़ेगा।

भाइयों बहनों।

जो छल्ला 45 हजार में बेचते थे। अभी परसो ही मैंने नियम बना दिया। 7 हजार में देना पड़ेगा। जो डेढ़-डेढ़ दो-दो लाख रुपए लेते थे, वो 29 हजार रुपया में बेचना पड़ेगा। मुझे बताइये। ये सरकार गरीब के है कि नहीं है ...। गरीबों का भला करने के लिए है कि नहीं है ...। और इसलिए भाइयों बहनों। मुझे गरीबों का लड़ाई लड़ता हूं मैं। गरीबी से लड़ाई लड़ करके गरीबों को गरीबी से मुक्त कराना, ये मैंने बीड़ा उठाया है। मुझे आपके आशीर्वाद चाहिए।

भाइयों बहनों।

आप मुझे बताइये। भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार दीमक की तरह हमारे देश को तबाह कर रहा है कि नहीं कर रहा है ...। भ्रष्टाचार बर्बाद कर रहा है कि नहीं कर रहा है ...। भ्रष्टाचार जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए ...। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना चाहिए कि नहीं लड़ना चाहिए ...। अब भ्रष्टाचार और कालेधन कि जुगलबंदी हो गयी है। ये दोनों को खत्म किये बिना गरीब का भला नहीं होगा। और इसलिए भाइयों बहनों। मैंने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई छेड़ी है। आप मुझे कहिये। उत्तर प्रदेश में कितना ही होनहार नौजवान होगा। कितनी ही होनहार बेटी होगी। अच्छे से अच्छे मार्क्स लाये होंगे लेकिन कभी सरकारी नौकरी मिलेगी क्या ...। मिलेगी क्या ...। पहले पूछते हैं कि जाति कौन सी है। यहां के नौजवानों को रोजगार में अन्याय हुआ है कि नहीं हुआ है ...। हुआ है कि नहीं हुआ है ...।

भाइयों बहनों।

भारतीय जनता पार्टी कि सरकार बनते ही इनका कच्चा-चिट्ठा खोल दिया जायेगा। नौजवान जिनका हक बनता है, उनको न्याय दिलाया जायेगा। जो हकदार है नौकरी के, मैरिट में आते हैं, उनको उनका हक मिलना चाहिए। भाई-भतीजावाद नहीं चलेगा। जातिवाद नहीं चलेगा। मेरा-तेरा नहीं चलेगा। संप्रदायवाद नहीं चलेगा। कानून नियम से ईमानदारी से नौकरी दी जाएगी। ये काम हम करना चाहते हैं।

भाइयों बहनों।

आपने मुझे प्रधानमंत्री बनाया। फिर हमने एक निर्णय किया। आपको मालूम है। आपके अच्छे से अच्छे मार्क्स आए हो। आप नौकरी के लिए अर्जी करते हो। फिर वहां एक लिखित परीक्षा होती है। उसमें भी अच्छे मार्क्स आ जाते हैं। फिर आपको इंटरव्यू का कॉल आता है तो मां को लगता है कि चलो अच्छा है, बेटे को नौकरी मिल जाएगी। लेकिन इंटरव्यू मिलती है क्या ...। इंटरव्यू आने के बाद क्या करता है। वो ढूंढ़ने जाता है, किसी नेताजी की मदद मिल जाए। किसी की सिफारिश हो जाए। कोई इंटरव्यू में पास करवा दे ताकि नौकरी मिल जाए। इंटरव्यू का कागज घर आता है। हफ्तेभर के अंदर कोई झोला लेकरके आ जाता है  और कहता है बधाई हो, आपको इंटरव्यू का कॉल आया है। मैं नौकरी दिलवा दूंगा, बस दो लाख दे दीजिए, तीन लाख दे दीजिए, पांच लाख दे दीजिए। यही चलता है कि नहीं चलता है ...। और गरीब मां अपने गहने बेचकर के बेटे को पैसे दे देती है। करप्शन करो बेटा, जाओ कहीं से नौकरी ले आओ। मां के पैसे जाते हैं, गहना जाता है। जाता है कि नहीं जाता है ...। और इंटरव्यू होता क्या है भाई। इंटरव्यू होता क्या है। आप लोगों ने भी इंटरव्यू दिए होंगे। तीन बाबू बैठे होते हैं, कुर्सी पर आराम से। जिसका इंटरव्यू देना है, हजारों लोग बाहर खड़े होते हैं। एक कमरे से, दरवाजे से कोई धक्का मारता है तो वो अंदर जाता है। बेचारे को नौकरी चाहिए, पसीना छूट रहा होता है, डरा हुआ होता है। तीन बाबूओं के सामने खड़ा रहता है। बाबू देखते हैं, एकाध पूछ लेता है, कहां से आए हो, ठीक है, जाओ। 30 सेकेंड। 30 सेकेंड का इंटरव्यू होता है। होता है कि नहीं होता है ...। क्या दुनिया में ऐसा कोई विज्ञान है क्या ...। ऐसा कोई मशीन है क्या ...। 30 सेकेंड में पता चल जाए कि ये अच्छा है या ये बुरा है। ये बेईमानी है की नहीं है ...। ये बेईमानी है कि नहीं है ...।

भाइयों बहनों।

दिल्ली में आपने मुझे बिठाया। मैंने एक काम किया। जो वर्ग 3 और 4 के मुलाजिम होते हैं। 90 परसेंट मुलाजिम सरकार में वही होते हैं। क्लर्क होते हैं, टीचर होते हैं, ड्राइवर होते हैं, सब वही होते हैं। हवलदार होते हैं, सब होते हैं। 90 परसेंट। मैंने तय कर दिया। अब भारत सरकार में वर्ग तीन और चार के लिए कोई इंटरव्यू नहीं होगा। उसके पास जो मार्क्स सीट है, जो उसने परीक्षा दी है, कंप्यूटर में वो मार्क डाल दिए जाएंगे, कंप्यूटर तय करेगा सबसे ज्यादा मार्क वाले कौन लोग हैं, नौकरी का ऑर्डर उनके घर चला जाएगा। करप्शन भी गया, भ्रष्टाचार गया, नौजवान को उसके हक का मिला। ऐसी स्थिति में जिसको नौकरी नहीं मिलती, वह नाराज नहीं होता है। उसको लगता है कि चलो मेरे मार्क कम थे इसलिए मैं रह गया लेकिन सिफारिश के कारण नौकरी मिल जाए तो अच्छे  से अच्छे व्यक्ति को भी दुख होता है। मैंने अखिलेश जी से कहा। मैंने कहा, अरे यार। तुम तो नौजवान हो, तुम भी उत्तर प्रदेश में इंटरव्यू बंद करो। मैरिट के आधार पर नौकरी देना शुरू कर दो। भारत सरकार ने नियम बनाए, तुम भी बना दो। उन्होंने नहीं बनाया। क्योंकि मालूम था कि जिनको रखना चाहते हैं, जैसे रखना चाहते हैं, जितना ले करके रखना चाहते हैं, उस दुकान को ताला लग जाएगा। आप मुझे बताइए। ये बिचौलिए घूम रहे थे। इंटरव्यू पास करवा दूंगा, नौकरी दिलवा दूंगा, दो लाख देना, दस लाख देना। इन सबकी छुट्टी हो गई। हो गई कि नहीं हो गई ...। वो मोदी को प्यार करेंगे क्या ...। वो मोदी पर गुस्सा करेंगे कि नहीं करेंगे ...। देश को लूटने वाले लोग मुझ पर गुस्सा करेंगे कि नहीं करेंगे ...। छल्ला बनाने वाले गुस्सा करेंगे कि नहीं करेंगे ...। यूरिया से माल कमाने वाले गुस्सा करेंगे कि नहीं करेंगे ...। चोरी करने वाले गुस्सा करेंगे कि नहीं करेंगे ...। भाइयों बहनों। जिसको जो करना है कर लें। मैं गरीबों के लिए सरकार चलाता हूं। गांव, गरीब, किसान के लिए सरकार चलाता हूं। मां-बहन बेटियों की सुरक्षा के लिए सरकार चलाता हूं। कितनी भी बाधाएं आए, मैं अपने रास्ते से हटने वाला नहीं हूं।

भाइयों बहनों।

8 नवंबर रात को आठ बजे। टीवी पर आपने सुना था मेरे प्यारे देशवासियों। रातों रात जिन्होंने 70 साल थप्पे लगा लगाकर बैठे हुए थे। सब गया कि नहीं गया ...। जो लोग नोटों को बिस्तर बनाकरके सोते थे, उनकी नींद गई कि नहीं गई ...। भाइयों बहनों। 70 साल जो लुटा गया है, वो गरीबों को लौटाना ही पड़ेगा। ये काम मैंने उठाया है। आप मुझे बताइए। ये गरीबों से लूटा गया है तो लौटाना चाहिए कि नहीं लौटाना चाहिए ...। ये लूटने वालों से लूटना चाहिए कि नहीं लूटना चाहिए ...। सरकार के खजाने में आना चाहिए कि नहीं आना चाहिए ...। जनता का पैसा जनता को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए ...। अगर मैं लड़ाई लडूं कि नहीं लड़ना चाहिए। आपका आशीर्वाद मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए। दोनों मुट्ठी बंद करके भारत माता की जय बोल करके मुझे आशीर्वाद चाहिए। भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय।

भाइयों बहनों।

ये चुनाव उत्तर प्रदेश का भाग्य बदलने के लिए है। उत्तर प्रदेश में पहले दो चरण में भारतीय जनता पार्टी को अभूतपूर्व समर्थन मिला है। आने वाले सभी चरण में भी भारतीय जनता पार्टी को भारी समर्थन मिलेगा। पूर्ण बहुमत के साथ, भारतीय जनता पार्टी सरकार बनाएगी। आप सब अंगुली दबाकरके कमल के निशान का बटन दबाकरके ...। जिन्होंने उत्तर प्रदेश को बर्बाद किया है, उनको सजा दीजिए। हमारे उम्मीदवारों को विजयी बनाइए। भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय।

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On World Environment Day, PM to lead a special tree plantation drive under Ek Ped Maa Ke Naam initiative
June 04, 2025
QuoteTree plantation by PM to be part of ‘Aravalli Green Wall project’ to reforest the 700-km Aravalli range
QuotePM to also flag off 200 Electric buses under Delhi Government's sustainable transport initiative

On the occasion of World Environment Day, Prime Minister Shri Narendra Modi will lead a special tree plantation initiative at Bhagwan Mahavir Vanasthali Park, New Delhi, on June 5, 2025, at 10:15 AM, reaffirming India’s commitment to environmental stewardship and green mobility.

Prime Minister will plant a Banyan sapling under the Ek Ped Maa Ke Naam initiative. This will be part of the ‘Aravalli Green Wall project’ which aims to reforest the 700-km Aravalli range.

The project is a major initiative to spread green cover in the 5 km buffer area around the Aravalli Hill Range in 29 districts of four states including Delhi, Rajasthan, Haryana, and Gujarat. It aims to boost biodiversity of the Aravallis through afforestation, reforestation and restoration of water bodies. It also aims to improve the soil fertility, water availability and climate resilience of the region. The project will also be of benefit to the local communities by providing them with employment and income generation opportunities.

Prime Minister will also flag off 200 Electric Buses under Delhi Government's sustainable transport initiative, promoting clean urban mobility and symbolizing the nation’s collective responsibility towards ecological balance.