UP elections are about giving opportunities to the state's youth, ensuring safety of people, all round progress of poor: PM 
From lodging FIRs to jobs, from pension schemes to ration card, termite of corruption has badly gripped Uttar Pradesh: PM 
Our aim is to double farmers' income by 2022 when India celebrates her 75th year of independence: PM Modi

विध्यांचल माइ की जय। विध्यांचल माइ की जय। माइ के सेवकों को प्रधान सेवक का प्रणाम। का हाल चाल बा, सब ठीक बा, इहा त सपा, बसपा बहुत दीन से बा, तबहु रोड बा कि नहीं बा। इहा से बालु, गिट्टी, बहुत कुछ बा, अउ भउ की नहीं। मंच पर विराजमान केद्र में मंत्री परिषद् के मेरी साथी और अपना दल के वरिष्ठ नेत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल जी, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्रीमान अरुण सिंह जी, सांसद में मेरे साथी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मेरे छोटे भाई श्रीमान बिरेन्द सिंह जी, सांसद श्रीमान छोटेलाल खारवार जी, मिर्जापुर जिलाध्यक्ष श्रीमान बालेन्द मणी त्रिपाठी जी, हमारे वरिष्ठ नेता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष मेरे मित्र श्रीमान ओमप्रकाश सिंह जी, सोनभद्र जिला अध्यक्ष श्रीमान अशोक मिश्रा जी, श्रीमान सुरेन्द्र सिंह, श्रीमान हेचला प्रसाद पाठक जी, श्रीमान गंगा सागर दुबे जी, डाक्टर सरजी सिंह डांग, श्रीमान रामसकल जी, श्रीमान जयप्रकाश चतुर्वेदी जी, श्रीमान रामचद्र मिश्रा जी, श्रीमान मोहीतोश नारायण जी, श्रीमती राजकुमारी खत्री जी, श्रीमान हरीशचन्द्र श्रीवास्तव जी, श्रीमान चंद्रमोल जी, श्रीमान रमाकांत जी पटेल और इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार राबटगंज से श्रीमान भुपेश चौबे जी, भुपेश जी यहा पधारीऐ मेरे पास, मिर्जापुर से श्रीमान रत्नाकर जी, मजवा से सुस्मिता मौर्य जी, औरीया दीनानाथ भास्कर जी, गोरावल से अनिल मौर्या जी, भदोही से श्रीमान रविन्द्र तिवारी जी, चुनार से श्रीमान अनुराग सिंह, औबरा से श्रीमान संजीव कुमार गौड जी, ज्ञानपुर से श्रीमान महेन्द्र बिन्द जी, मणीहान से श्रीमान रमाशंकर पटेल जी और हमारा साथी दल, अपना दल के वरिष्ठ नेता और उम्मीदवार श्रीमान राहुल प्रकाश कौल जी, दुधवी से श्रीमान हरीराम चेरो जी और विशाल जनसंख्या मे पधारे हुए। मिर्जापुर के मेरे प्यारे भाइयों एवं बहनों। मेरे साथ जोर से बोलिये। भारत माता की जय।

भाइयों एवं बहनों।

अपने तो कमाल ही कर दिया आज। उत्तर प्रदेश में जहां भी जाता हूं। एक से बढ़कर एक-एक से बढ़कर एक रैलियां हो रही है। आज अपने भी सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। मुझे लगता अपने खुद के भी सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और मतदान में भी आप अपने रिकॉर्ड तोड़ के रहोगे। यह मुझे साफ लग रहा है।

भाइयों और बहनों।

अब सवाल यह रहा नहीं है कि सरकार किसकी बनेगी। अखबार देख लीजिए, टीवी देख लीजिए, चुनाव सभाएं देख लीजिए, हर छोटे-मोटे नागरिक का इंटरव्यू देख लीजिए। हर कोई कह रहा है कि उत्तर प्रदेश का ये चुनाव एक उत्सव है उत्सव, और ये उत्सव है सपा, बसपा, कांग्रेस की मुक्ति का अवसर है भाइयों।

भाइयों-बहनों।

उत्तर प्रदेश हिन्दुस्तान का इतना बडा राज्य है अगर वो अलग देश होता तो जनसंख्या के हिसाब से दुनिया का पांचवां देश कहा जाता, इतना बड़ा हमारा उत्तर प्रदेश है। अगर उत्तर प्रदेश आगे बढ़ जाये, अगर उत्तर प्रदेश से गरीबी मिट जाये, अगर उत्तर प्रदेश से बेरोजगारी मिट जाये, अगर उत्तर प्रदेश से बीमारी मिट जाये।

भाइयों-बहनों।

हिन्दुस्तान के किसी कोने में गरीबी के लिए कुछ भी फिर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हिन्दुस्तान अपने आप आगे बढ़ जायेगा। अकेला उत्तर प्रदेश पुरे हिन्दुस्तान को आगे ले जाएं, इतनी ताकत रखता है। और इसलिए भाइयों-बहनों। ये चुनाव कौन विधायक बने और कौन न बने, कौन दल जीते, कौन दल न जीते। सरकार इसकी बने या उसकी बने इस मुद्दे पर चुनाव नहीं रहा है। आज तो चुनाव इस बात का है कि उत्तर प्रदेश के नौजवानों का भविष्य सुनिश्चित कौन करेगा। आज चुनाव इस बात पर है कि उत्तर प्रदेश की बहन-बेटियों की सुरक्षा की गारंटी कौन देगा। ये चुनाव इस बात पर है कि गरीबों को गरीबी से मुक्त कराने का ईमानदार प्रयास कौन करेगा। इसका फैसला करना है भाईयों। वादे बहुत हुए, जात-पात के भेद बहुत हुए, अपने-परायों के खेल बहुत हुए। अगर हमें उत्तर प्रदेश को बदलना है तो हमें उत्तर प्रदेश आगे बढ़ने के लिए तैयार है। इसी मंत्र को लेकर के सबका साथ - सबका का विकास।

भाइयों-बहनों।

जरा मिर्जापुर के लोगों से, मै जरा मिर्जापुर के लोगों से एक-दो सवाल पूछना चाहता हूं, पूछ लूं। आप सही बताओगे न, जो सही है वो बताना, गलत मत बताना। सिर्फ मुझे खुश करने के लिए मत बताना, बताओगे। जब यहां उत्तर प्रदेश में सपा सरकार थी, उसके पहले बसपा की सरकार थी, उसके पहले की सरकार थी मुलायम सिंह जी की। मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे 13 साल पहले। कितने ...। कितने ...। कितने भैया ...। 13 साल पहले श्रीमान मुलायम सिंह जी ने बरेली और मिर्जापुर के बीच गंगा जी पर भौटौली पुल के निर्माण की आधारशिला रखी थी। क्या रखी थी …? क्या …?  आधारशिला मुलायम सिंह जी ने रखी थी 13 साल हो गया। पुल तो बहुत अच्छा बना होगा। नहीं ...। नहीं बना होगा ...। नहीं-नहीं बना होगा। मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं, काम बोलता है तो कुछ तो होगा, नहीं हुआ। अब ये काम बोल रहा है कि कारनामा बोल रहा है ...। काम बोल रहा है कि कारनामा बोल रहा है ...।  

भाइयों और बहनों।

मुलायम सिंह जी ने एक और ब्रिज का भी शिलान्यास किया था। चुनाव पुल का हो गया क्या ...। हो गया क्या ...। अपने हमारे देश में गरीब से गरीब इंसान हो, गरीब से गरीब लेकिन अगर पिता जी ने कोई वादा किया हो, कोई काम किया हो तो बेटा पिता का काम पूरा करता है। करता है कि नहीं करता है ...। बेटा बाप के किये हुए कामों को कभी अधूरा छोड़ता है क्या ...? भाइयों-बहनों। ऐसे कैसे लोग हैं, जो बातें काम की करते हों लेकिन अपने पिता के इरादे को पूरा ना करते हो। वो जनता-जनार्दन का भला क्या करेंगे। भाइयों-बहनों। आज-कल। भाइयों बहनों। आपका ये प्यार कभी भूल नहीं सकता। ये आपका उमंग-उत्साह मेरे सलाखों पर भाइयों और जब आप इतना प्यार देते हो, तो आपके लिए जिदंगीभर, जिदंगीभर काम करना, इसकी प्रेरणा मिलती है।

भाइयों-बहनों।

जो खुद अपना काम नहीं बता पा रहे हैं, सिर्फ काम का ढोल पीटने का फैशन बना दी है। आज-कल अखिलेश जी मुझे भी काम बताते रहते हैं। अच्छी बात है, मुख्यमंत्री है, मैं यहां का सांसद हूं उत्तर प्रदेश का, तो उनका हक बनता है मुझे काम बताने का और अगर मुख्यमंत्री काम बताये तो हमें करना भी चाहिए। करना चाहिए ...। करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए ...। अभी उन्होंने कहा, मोदी जी जरा बिजली का तार को पकड़ के तो देखो बिजली आती है कि नहीं आती है।

भाइयों-बहनों।  

जरा अखिलेश जी। मुझे मालूम नहीं है खाट किसकी खड़ी होगी लेकिन आपके नये यार वो खाट सभा करने निकले थे और लोग खटिया उठाके ले गये थे। क्योंकि जनता को मालूम था उन्हीं का माल है। भाइयों-बहनों।  जब खाट लेकर ले गये 14 सितम्बर 2016 मणीहान में राहुल जी की खाट सभा थी और वहां पर उनका हाथ एक बिजली के तार से लग गया। तो गुलाम नबी आजाद परेशान हो गये कि कुछ गड़बड़ न हो जाये। एकदम चिल्लाए राहुल जी, राहुल जी।  ये तार पर हाथ लग जाएगा तो मुसीबत हो जाएगी। राहुल जी ने बताया था, उन्होंने कहा कि गुलाम नबी जी आप चिंता मत कीजिए। यह उत्तर प्रदेश है, तार है, उसमें बिजली नहीं होती है। यह 14 सितम्बर 2016 का समय था। आपके इस नये यार का इसी मिर्जापुर इलाके में इकरार किया गया बयान है। क्या अब मुझे तार छूने की जरूरत है क्या। मुझे छूने की जरूरत है कि नहीं है लेकिन अखिलेश जी अब उत्तर प्रदेश की जनता ने ऐसे तार बिछाया के रखा है, ऐसे तार बिछा के रखा है कि 11 मार्च को सपा, बसपा, कांग्रेस तीनों को करंट लगने वाला है। तीनों को, ये जनता की ताकत का तार है, ये जनता के ताकत की ऊर्जा है। आप लोगों ने 15 साल तक जो प्रजा को परेशान किया है, लूटा है, उसका जबाव 11 मार्च को मिलने वाला है। आप पक्का कर लीजिए।

भाइयों-बहनों।

अब यहां के लोग खाट सभा की खाट तो ले गये। अब खटिया भी खड़ी करोगे कि नहीं करोगे ...। करोगे कि नहीं करोगे ...। और जब यहां के लोग खाट ले गये। खटिया तो उसी दिन खड़ी कर दी थी तो अखिलेश जी ने कहा था, हम तो यहां कटिया डालने से भी नहीं रोकते। एक तरफ खटिया हो या कटिया हो अब तो आपकी बारी जाने की तय है। चुनाव में साफ-साफ नजर आ रहा है।

भाइयों-बहनों।

आप मुझे बताइये। अखिलेश जी का काम बोलता है कि मिर्जापुर का पत्थर बोलता है। ये बहन जी, मिर्जापुर के पत्थर में खड़ी है लेकिन ये कैसी शर्मिंदगी। ये मिर्जापुर से इतनी नफरत क्यों ...। मिर्जापुर के पत्थरों से आपका झगड़ा क्या था। पत्थर मिर्जापुर से उठा के ले गये। पिछले दरवाजे से ले गये। अपनी मूर्तियां बनवाने के लिए ले गये लेकिन जब जांच शुरू हुई तो क्या बताया। ये पत्थर तो राजस्थान से लाये है ये बताया गया। आप मुझे बताइये। क्या मिर्जापुर के पत्थरों से भी इतनी नफरत है, आप इतनी बताने की हिम्मत नहीं थी, पत्थर मिर्जापुर का है। इस पत्थर के लिए हमें गर्व है लेकिन आपने कहा नहीं। नहीं ये पत्थर मिर्जापुर का नहीं है, ये तो हम राजस्थान से पत्थर लाये हैं, महंगा पत्थर लाये हैं, दूर से लाये हैं।

भाइयों-बहनों।

जिनको मिर्जापुर के पत्थरों से नफरत हो, ऐसे लोग मिर्जापुर के लोगों के वोट के अधिकारी है क्या ...। ऐसे लोगों को वोट दे सकते हो क्या ...। और मैं हैरान हूं, 13 साल हो गये। पत्थरों को जड़ जड़कर के पुल बनाया होता तो शायद इन गांव वालों ने बढ़िया पुल बनाकर के 2 साल में खड़ा कर दिया होता। मुझे समझ में नहीं आ रहा है, ताजमहल रहे थे या पुल बना रहे थे। 13 साल हो गये।

भाइयों-बहनों।

सरकारी धन का व्यय, जन समान्य की आशा, अकांक्षाओं की पूर्ति का प्रवाह नहीं है। आप मुझे बताइये। यही पुल सैफई के आस-पास बनाना होता तो क्या होता 13 साल इंतजार करना पड़ता क्या। सैफई में कुछ करना होता तो 13 साल इंतजार करना पड़ता क्या। बहन जी को मूर्तियां बनवानी होती तो 13 महिना भी इंतजार करना पड़ता क्या ...। ये आपलोग है जिसके कारण 13 साल तक आपकी सुध नहीं ली जाती। ऐसे लोग गुनाहगार है आपके।

...और इसलिए भाइयों और बहनों।

इस चुनाव में, मैं आपके उत्तर प्रदेश खासकर के पूर्वांचल के भाइयों एवं बहनों को मैं आग्रह करने आया हूं। इन्हें इस चुनाव में चुन-चुन के साफ कर दीजिए। एक भी बचना नहीं चाहिए। यहां से लखनऊ एक भी जाना नहीं चाहिए ताकि भाइयों एवं बहनों। उनको पता चले कि पूर्वांचल का अपमान करने का बदला क्या होता है। मिर्जापुर को परेशान करने का परिणाम क्या होता है। मिर्जापुर के सपनों का रौंदने का परिणाम क्या होता है। ये इनको पता चलना चाहिए।

भाइयों-बहनों।

इसलिए आपसे कहने आया हूं। आप बताइये भाइयों, बहनों। यहां के पीतल के उद्योग को किसने तबाह किया। पूरी ताकत से बताइये। पीतल के उद्योग को किसने तबाह किया। पीतल के उद्योग को किसने तबाह किया। पीतल के उद्योग को किसने तबाह किया। अगर पीतल का उद्योग सवा सौ करोड़ का देश है। पूरे हिन्दुस्तान में मार्केट है। अगर पीतल का उद्योग यहां तेज गति से चलता, बिजली कि जरूरत पड़े, बिजली मिलती। ट्रांसपोर्टेशन की जरूरत हो ट्रांसपोर्टेशन मिलता। अच्छे रास्ता की जरूरत होती, अच्छे रास्ते मिल जाते।

तो भाइयों-बहनों।

यहां के नौजवान को गुजरात और महाराष्ट्र में रोजी-रोटी कमाने के लिए नहीं जाना पड़ता। यहां के नौजवान को बेरोजगारी का मार नहीं झेलनी पड़ती। अपने बुढ़े मां-बाप को छोड़ कर के, गांव खेत-खलिहान, यार-दोस्त छोड़ कर के मुंबई के गलियों में गुजारने के लिए उनको मजबूर नहीं होना पड़ता भाइयों। और इसलिए भाइयों और बहनों। आप मुझे बताइये यहां का होनहार नौजवान, उत्तम से उत्तम मार्क्स लाता हो, स्कूल-कालेज में अव्वल नंबर रहता हो। ऐसे होनहार नौजवान को भी उत्तर प्रदेश में ईमानदारी से नौकरी मिलने की गांरटी है क्या ...। नौजवान को नौकरी मिलने गांरटी है क्या ...। है क्या ...। कारण क्या है भाइयों ...। होनहार नौजवान बेरोजगार रह जाता है, उसका कारण है भ्रष्टाचार। उसका कारण है भाई भतीजावाद। उसका कारण है भर्ती में भी जातिवाद का जहर। उसी का परिणाम है होनहार नौजवान भी नौकरी नहीं पाता है।

भाइयों-बहनों।

न्यायालय ने, इलाहाबाद कोर्ट ने इनकी हरकतों को रोका, उनको डांटा, बार-बार डांटा लेकिन ये ऐसे नशे में डूबे हुए हैं कि इनको भ्रष्टाचार की, गलत कामों की, सरकार को ऐसी आदत लग गई है भाइयों। भाइयों-बहनों। उत्तर प्रदेश को हर चीज का रेट लगा है। अगर थाने में शिकायत दर्ज करानी है तो इतना देना पड़ेगा। शिकायत दर्ज नहीं होने देने हैं, इतना देना पड़ेगा। नौकरी चाहिए तो इतना देना पड़ेगा। सरकार की पेंशन स्कीम का लाभ लेना है तो इतना देना पड़ेगा। राशन कार्ड निकालना है तो इतना देना पड़ेगा। रेट चलता है कि नहीं ...। भाइयों, हर चीज का रेट चलता है कि नहीं चलता है ...। सारा काम पैसों से करने का रिवाज बन गया है कि नहीं बन गया। भ्रष्टाचार दीमक की तरह घुस गया है कि घुस गया है। उसके कारण मध्यम वर्ग और गरीब आदमी मरता है कि नहीं मरता है ...। मरता है कि नहीं मरता है ...। उसको बचाना चाहिए कि नहीं बचाना चाहिए ...। भ्रष्टाचार जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए।

भाइयों-बहनों।

उत्तर प्रदेश का भ्रष्टाचार का जब मैं सुनता हूं तो मुझे कवि अशोक चक्रधर के कविता में उन्होंने भ्रष्टाचार के भिन्न-भिन्न रूपों का वर्णन किया है। बड़ा मजेदार वर्णन किया है। उन्होंने कहा है कि चार प्रकार के भ्रष्टाचार होते हैं - एक नजराना, एक शुकराना, एक हकराना, एक जबराना। चार प्रकार के भ्रष्टाचार उत्तर प्रदेश में फले-फुले हैं। नजराना यानि काम कराने के पहले मुहुर्त का देना, मुहुर्त का। अच्छा ये रख लो काम देख लेंगे, मुहुर्त का। शुकराना यानि काम होने के बाद काम बहुत अच्छा किया धन्यवाद। ले लो। हकराना यानि क्या समझते हो? कुर्सी पर कौन बैठा है मालूम है! फाइल भी आगे नहीं बढ़ेगी, हक है हमारा दे दो। ये हकराना वाले हैं। और चौथा है काम भी नहीं है, करना भी कुछ नहीं है, और जबरन पैसे लेना यानि जबराना।

भाइयों-बहनों।

ये चार प्रकार के भ्रष्टाचार से उत्तर प्रदेश में लेने वालों की आदत लग गई है, देने वाले मजबूर हैं कि वो अगर देते नहीं है तो उनका जीना मुश्किल हो जाता है, ये हाल करके रखा है। ...और इसलिए भाइयों, बहनों। ये नजराना हो, हकराना हो, शुकराना हो , जबराना हो। इन सब की दवाई एक ही है। इन सबकी दवाई है भ्रष्टाचार। भ्रष्टाचार के नजराना वाला प्रकार हो, शुकराना वाला प्रकार हो, हकराना वाला प्रकार हो या जबराना वाला प्रकार हो इन सबकी मुक्ति का एक ही उपाय है हराना। शुकराना भी जायेगा हराने से, जबराना भी जायेगा हराने से और इसलिए अब तक उनके पास चार प्रकार थे, अब एक प्रकार आपके पास है भ्रष्टाचार से मुक्ति के। इसलिए हराना। सपा, बसपा, कांग्रेस को हराना।

भाइयों बहनों।

अगर हमारे देश में। ये हमारी विध्यांचल की भूमि, काशी के पास है, ये टूरिज्म का कितना बड़ा क्षेत्र बन सकता है। पर्यटन के कितना बड़ा अवसर यहां पैदा हो सकता है। लेकिन भाइयों बहनों। यहां एक ऐसी सरकार है जिसे ना टूरिज्म की चिंता है, ना विकास की चिंता है भाइयों। टूरिज्म तो ऐसा उद्योग है, ऐसा सरल उद्योग है कि आप कम से कम पैसों से ज्यादा से ज्यादा कमाई कर सकते हैं और चीजों में ज्यादा पूंजी लगती है, टूरिज्म में ज्यादा पूंजी नहीं लगती है। अगर टूरिस्ट आने लग जाये तो फूल बेचने वाला भी कमायेगा, प्रसाद बेचने वाला भी कमायेगा, बिस्कुट बेचने वाला भी कमायेगा, चॉकलेट बेचने वाला कमायेगा, ऑटो, रिक्शा वाला कमायेगा, टैक्सी वाला कमायेगा, चाय वाला भी कमायेगा।

भाइयों-बहनों।

काशी के पास इतना समृद्ध इलाका हो, यहां पर ऐडभेंचर टूरिज्म की संभावना है, यहां पानी का फोल देखने के लिए लोगों आकर्षित करने कि ताकत है। यहां की तीर्थ क्षेत्र का महात्मय है, जो काशी आयेगा। उसका मन विध्यांचल आने का हो जायेगा। यहां के नौजवान को रोजगार मिलेगा।

भाइयों बहनों।

विकास इस सोच के साथ किया जाये तो हमारा ये इलाका मिर्जापुर भी विकास की नई ऊंचाई पार कर सकता है भाइयों। हिन्दुस्तान का नक्शा जरा मन में विचार लीजिए। भारत का नक्शा सोचिए। हिन्दुस्तान का नक्शा देखोगे आपके ध्यान में आयेगा। भारत का जो पश्चिमी छोर है, ऊपर से नीचे तक चले जाइये। हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरला वहां कोई-कोई विकास नजर आता है। आर्थिक गतिविधि नजर आती है और हिन्दुस्तान का पूर्वी इलाका देखिए। हमारा पूर्वी उत्तर प्रदेश, हमारा पश्चिम बंगाल, हमारा असम, हमारा नोर्थ ईस्ट, हमारा उड़ीसा लोगों को रोजी-रोटी कमाने के लिए पश्चिम में जाना पड़ता है। यहां पानी बिलकुल मात्रा में है। यहां खनिज संपदा भी पूर्ण मात्रा में है। यहां मानव संपदा शक्तिशाली है लेकिन सरकार सही नहीं होने के कारण, यह सब कुछ तबाह हो गया है, बर्बाद हो गया है और इसलिए भाइयों बहनों। मेरे मन में चित्र बड़ा साफ है। अगर भारत को आगे बढ़ाना है तो पूर्वी हिन्दुस्तान को आगे बढ़ाना पड़ेगा। भारत को आगे बढ़ाना है तो पूर्वी उत्तर प्रदेश को आगे बढ़ाना पड़ेगा। पूर्वांचल को आगे बढ़ाना पड़ेगा। उसको पश्चिम के बराबरी में लाकर खड़ा करना पड़ेगा। तब जा के प्रगति होगी।

...और इसलिए भाइयों, बहनों।

आपने देखा होगा। हम गुजरात से गैस की पाइप लाइन गोरखपुर तक ला रहे हैं। करीब-करीब 27 सौ किलोमीटर लंबी पाइप लाइन हजारों करोड़ रुपए खर्च करके गैस वहां से उठाकर के पूर्वांचल में लाएंगे। ताकि गैस के अधार पर ऊर्जा की व्यवस्था हो। गैस के अधार पर उद्योग चले। हमारे यहां के कल-कारखाने लगे। यहां के नौजवानों को रोजगार मिले।

भाइयों-बहनों।

इतना ही नहीं, बड़े शहरों में, घरों में, जैसे नल से पानी आता है, वैसे नलके से गैस आ जाये किचन में। ऐसी भी व्यवस्था करना चाहिए। हजारों करोड़ की लागत से काम चल रहा है भाइयों। और मैं बताता हूं। यह हमारे प्रधानमंत्री काल में इसको पूरा करके दूंगा। यह 13 साल ताजमहल में खर्चा कर रहे थे। वैसे नहीं करूंगा जी। वादे नहीं करता हूं, काम करके दिखाता हूं भाइयों। जब हमारी सरकार बनी। हमने कहा, आजादी के 70 साल हो गये। क्या कारण था कि हमारी मां बहनों को शौच जाना हो, शौच तो भी वो चिंतित होती है या तो सुबह जल्दी उठके फिर अंधेरी रात में शौच के लिए घर से बाहर निकती है। डर लगा रहता है कहीं जंगल में, जाते समय कोई गड़बड़ न हो जाये। क्या हमारी मां बहनों के लिए, गरीब मां के लिए शौचालय नहीं होना चाहिए? क्या हमारी मां बहनें आजादी के 70 साल बाद सम्मान की जिंदगी ना जी सके।  

भाइयों बहनों।

लाल किले पर से बड़ी-बड़ी बातें तो 50 साल तक सुनते आये। मैंने कहा, मैं तो भाई, मेरी मां बहन, गरीब मां बहनों के लिए शौचालय बनाना चाहता हूं। लोग मेरी मजाक उड़ा रहे थे। लेकिन आज हिन्दुस्तान में करोड़ों परिवार में शौचालय बनाने का काम चला। शौचालय बने, शौचालय बनाने वालों को रोजगार मिला।

भाइयों बहनों।

काम अगर तय करे तो समाज भी हमारे साथ चलने को तैयार होता है और इसलिए मेरे भाइयों, बहनों। आपने देखा होगा। मैंने लाल किले से देश के वो लोग जिनका तनख्वाह अच्छा है, कमाई अच्छी है, घर में स्कूटर है, मोटरसाइकिल है और सब्सिडी नहीं मिले तो चलेगा। ऐसे लोग हैं तो मैंने ऐसे लोगों को कहा, मैंने कहा आप को गैस की सब्सिडी में क्या रखा है। ये 250-300 रुपया की सब्सिडी की क्या जरूरत है, छोड़ दीजिए। गरीब के काम आएंगे पैसे।

भाइयों बहनों।

इतना सा मैंने कहा, इतना सा, मेरे देश के सवा करोड़ परिवारों ने गैस सिलेंडर की सब्सिडी छोड़ दी भाइयों। जब समान्य इंसान को ईमानदारी का अहसास होता है तो हिन्दुस्तान का नागरिक सरकार से भी 10 कदम आगे जाने के लिए तैयार होता है। उसे एक बार ईमानदारी का अहसास होना चाहिए। और मुझे खुशी है ढाई साल हो गये भाइयों बहनों। इस सरकार की ईमानदारी के प्रति दिन दिन सामान्य मानवी का भरोसा बढ़ता चला जा रहा है और उसके कारण देश का नागरिक भी सरकार के साथ कदम से कदम मिला के चलने को तैयार है। तब मैंने लाल किले से कहा था कि आने वाले 3 साल में 5 करोड़ गरीब परिवार 5 करोड़ गरीब माताएं, जिनके घर में लकड़ी का चूल्हा जलता है लकड़ी के चूल्हे से खाना पकाती है।

भाइयों बहनों।

जब एक मां लकड़ी के चूल्हे से आग लगाकर के खाना पकाती है तो पूरा घर धुआं से भर जाता है। और उस मां के शरीर में प्रतिदिन चार सौ सिगरेट का धुआं उस मां के शरीर में जाता है भाइयों, बहनों। आप सोचिए अगर गरीब मां के शरीर में एक दिन में चार सौ सिगरेट का धुआं जायेगा तो उस मां की तबीयत का हाल क्या होगा। क्या इन हमारी माताओं को ऐसे ही मरने देंगे क्या ...? उनका गुनाह क्या है ...? क्या यह सुख सुविधा अमीरों के लिए है क्या ...? सरकार गरीबों के लिए होने चाहिए कि नहीं होने चाहिए ...। सरकार गरीबों के लिए काम करने चाहिए की नहीं करने चाहिए ...।

भाइयों बहनों।

गरीबों की बातें करने वाली सरकारें बहुत आ के गई है। ये सरकार है जो गरीबों के लिए है और इसलिए है कि मुझे गरीबी देखने के लिए किताबें नहीं पढ़नी पड़ती है। गरीबी समझने के मुझे किसी झुग्गी झोपड़ी में कैमरा ले के यात्रा नहीं करनी पड़ती है। मैं तो गरीबी में पैदा हुआ हूं, गरीबी में पला हूं। गरीबी मां के हाथों से खाना खाया है, इसलिए मुझे पता है गरीबी क्या होती है। भाइयों बहनों। हमने बीड़ा उठाया, समय पर काम कैसे होता है? अब तक करीब-करीब 1 करोड़ 80 लाख परिवार को 3 साल में मैंने 5 करोड़ परिवार कहा है, अभी तो योजना को 11 महीने भी नहीं हुए। 1 करोड़ 80 लाख गरीब परिवारों को घर में सामने से जा करके गैस का चूल्हा दे दिया। गैस का कनेक्शन दे दिया। मुफ्त में कनेक्शन दे दिया। भाइयों बहनों। गरीब के लिए काम कैसे होता है, ये हमने करके दिया है।

भाइयों बहनों।

मेरे किसान भाई, बहन। ये उत्तर प्रदेश, ये हमारा पूर्वांचल। यहां की धरा उपजाऊ धरा है। यहां का किसान मेहनतकश है। अच्छे से अच्छे पैदावार खेती में देने की ताकत इस मिट्टी में है लेकिन भाइयों बहनों। किसी ना किसी कारण से हमने हमारी धरती मां की प्रवाह नहीं की है। हमने धरती माता पर जुर्म किया, अत्याचार किया, भांति भांति की दवाई डाल दी। भांति-भांति की फर्टिलाइजर डाल दिये। भांति-भांति के केमिकल डाल दिए। और धरती मां को जितना चूसना है चूसते ही रहे। हमारी धरती मां बर्बाद हो गई।

भाइयों बहनों।

हमने सपना देखा है। 2022 जब हिन्दुस्तान की आजादी के 75 साल होंगे। तब 22 आने तक हम हिन्दुस्तान के किसानों की जो आय है, कमाई है, वो डबल करना चाहते हैं भाइयों। डबल करना चाहते हैं, यह हमारा सपना है। और इसलिए हमने एक योजनाबद्ध तरीके से कृषि को आगे बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

इसलिए भाइयों बहनों।

हमने पूरा विजन के साथ एक पूरा खाका तैयार किया है, रोड मैप बनाया है। बीज से लेकर बाजार तक किसान के पैदावार का क्या होगा। किसान की पैदावार कैसे बढ़ेगी। इसके लिए सरकार योजनाबद्ध तरीके से कंधे से कंधा मिला करके काम कर रही है अगर हम बीमार हो जाते हैं तो डॉक्टर कहता है कि ब्लड टेस्ट कराइए। यूरीन टेस्ट कराइए। थूक का टेस्ट कराइए। पेशाब टेस्ट कराइए। सब रिपोर्ट आने के बाद वो कहता है कि ये बीमारी है, ये दवाई लेनी है। ये नहीं लेनी है। ये खाना है, ये नहीं खाना है। जब तक टेस्ट नहीं होता है भाइयों। वो आजकल डॉक्टर दवाई नहीं देता है। जैसे शरीर का है, वैसे ही ये हमारी धरती माता का भी है। जैसे शरीर के टेस्ट होते हैं, वैसे धरती माता के इस मिट्टी के भी लैबोरेटरी में टेस्ट होता है और इसलिए हमनें स्वाइल हेल्थ कार्ड निकाला। हर किसान के खेत की मिट्टी का नमूना ले करके, उसका परीक्षण करना। उस खेत में बीमारी क्या है, धरती माता में कमी क्या है। किस फसल के लिए मिट्टी ज्यादा उपजाऊ है, कौन सी दवाई चलेगी। कौन सी नहीं चलेगी। कौन सा केमिकल फर्टिलाइजर चलेगा। कौन सा नहीं चलेगा। ये सारा रिपोर्ट उसमें आता है। फिर हम किसान को बताते हैं, देखो भाई तुम आज तक तो ये फसल करते थे लेकिन अच्छा होगा तुम्हारी जमीन में इस फसल के लिए ज्यादा ताकत है, अगर तुम ये फसल करोगे, तुम्हारी पैदावार बढ़ेगी। हमें बीज अच्छा मिले। जमीन का हिफाजत, बीज अच्छा मिले। इसके लिए सरकार निगरानी रखती है। छोटे से छोटे गांव तक सर्टीफाइड बीज मिले। इसके लिए सरकार व्यवस्था करती है। किसान को पानी मिल जाये तो किसान मिट्टी से सोना पैदा कर सकता है। यह ताकत होती है किसान में। नदियों में पानी है, बांध में पानी है लेकिन खेत तक पानी पहुंचता नहीं है। हमने हजारों करोड़ रुपए लगाकर के प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत खेतों तक पानी पहुंचाने का बडा अभियान चलाया है। पानी भी ज्यादा उपयोग होता है तो फसल बर्बाद होती है। इसलिए पानी भी तरीके से, सपीकलर, टपक सिंचाई, उस प्रकार से पानी लेने कि किसान को आदत लगे। लाखों हेक्टयर जमीन पर माइक्रो इरीगेशन से खेती करवाना। पानी बचाने का काम भी हो। जब फसल तैयार होती हो। समय पर उसको यूरिया मिले।

भाइयों बहनों।

यूरिया का क्या हाल था, रात-रात कतार में खड़ा रहना पड़ता था। फिर भी यूरिया नहीं मिलता था। काला बाजारी में यूरिया लाना पड़ता था और कभी यूरिया लेने जाते थे तो उत्तर प्रदेश सरकार के पुलिस डंडा मारती थी भाइयों। काले बाजार वाले काले बाजार में यूरिया बेचते थे, 2 साल हो गये। यूरिया की कतारे खत्म हो गई। काला बाजारी खत्म हो गई। किसान को जब चाहिए, जितना चाहिए, सरकारी दाम से सब्सिडी के साथ किसान को यूरिया मिलना चालू हो गया।

भाइयों बहनों।

पहली बार किसान के खाद में दाम कम करने का काम, 30 साल के बाद पहली बार इस सरकार ने करके दिखाया है भाइयों। हमने एक के बाद एक कदम उठाये अब फसल हो जाये। यूरिया भी मिल जाये। फिर भी कोई प्राकृतिक आपदा आ जाये। तो हमने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लाई। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना। अगर बुआई भी नहीं हुई। बारिश नहीं हुई, पानी नहीं आया। कोई प्राकृतिक आपदा आ गई। बुआई नहीं हुई तो भी बीमा मिलेगा ऐसे बीमा हम लाए। फसल पक गया हो लेकिन अभी तक बाजार में पहुंचा नहीं है। खेत-खलिहान में पड़ा हुआ है। अचानक ओले गिर गये फिर भाइयों बहनों। बनी बनाई पकी पकाई फसल बर्बाद हो जाये, ऐसे में किसान कहां जाएगा। हम ऐसी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लाये हैं कि अगर पाक तैयार होने के 15 दिन के भीतर- भीतर अगर खलिहान में उपज पड़ा हो और कोई प्राकृतिक आपदा आ गई, आंधी आ गयी, बारिश आ गई, ओले गिर गए तो उसका भी बीमा मिल जायेगा। मेरे किसान को तबाह नहीं होने दिया जायेगा। ये काम हमने किया है। लेकिन भाइयों बहनों। आपके पड़ोस में मध्य प्रदेश है। आपके पड़ोस में छत्तीसगढ़ है कि आपके पड़ोस में झारखंड है। उन राज्य में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ आधे से अधिक किसान ले चुके हैं लेकिन ये उत्तर प्रदेश में काम नहीं करनामे वाली सरकार का हाल देखिए। सिर्फ 14 प्रतिशत किसानों ने ये फसल बीमा योजना का फायदा उठाया। आप मुझे बताइए। भाइयों बहनों। ऐसे ही करोगे तो किसान की मदद कौन करेगा।  

...और इसलिए भाइयों बहनों।

मैं उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के भाइयों बहनों को बधाई देता हूं। मैं उत्तर प्रदेश भाजपा के नेतृत्व को बधाई देता हूं कि उन्होंने एक अहम फैसला किया है। उन्होंने कहा है कि जो छोटे किसान हैं, जिनका फसल का कर्ज है। भारतीय जनता पार्टी के सरकार बनने के बाद किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा भाइयों बहनों।

भाइयों, बहनों।

मैं उत्तर प्रदेश का सांसद हूं। आपके पड़ोस का ही सांसद हूं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं। मैं आपको वादा करता हूं। 11 मार्च को चुनाव के नतीजे आएंगे। । भारतीय जनता पार्टी का अभूतपूर्व भव्य विजय होगा। भाजपा अपना दल सभी हमारे साथी दल मिलकर के भव्य विजय उत्तर प्रदेश की जनता देने वाली है। 13 मार्च को विजय की होली उत्सव मनाया जायेगा। उत्तर प्रदेश रंग से रंग जायेगा। होली के बाद भारतीय जनता पार्टी और साथी दलों का नई सरकार बनेगी। सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट की मीटिंग होगी। उत्तर प्रदेश के सांसद के नाते मैं आपको विश्वास देता हूं कि नई सरकार की पहली मीटिंग में ही किसानों के कर्ज माफी का निर्णय कर लिया जायेगा।

भाइयों, बहनों।

आज किसान बाजार में जाता है, दाम जितने मिलने चाहिए, मिलते नहीं। सरकार जो समर्थन मूल्य तय करती है, उत्तर प्रदेश की सरकार खरीदती नहीं है। हमने योजना बनाई। e-NAM, e-मार्केट अब किसान अपने मोबाइल पर हिन्दुस्तान के किसी भी मंडी में अपना माल बेच सकता है, जो चाहे वो दाम से बेच सकता है, कोई बिचौलिया नहीं होगा। कोई किसान को तबाह नहीं करेगा। कहने का तात्पर्य यह है भाइयों। हम कृर्षि को इतनी ताकत देना चाहते है कि सबसे ज्यादा रोजगार कि संभावना कृर्षि में है, सबसे ज्यादा रोजगार की ताकत टैक्सटाइल में है। कालीन का उद्योग हमारे बुनकर भाई-बहन, हम उनको इतनी ताकत देना चाहते हैं, उनकी जो चीजें तैयार होती है, उसके लिए मार्केट खड़ा करना चाहते हैं कि मेरे बुनकर भाइयों को कभी किसी के पास हाथ फैलाने की नौबत ना आये। ऐसी हम विकास की यात्रा को ले जाना चाहते हैं।

और इसलिए भाइयों, बहनों।

मैं आज आपसे अनुरोध करने आया हूं कि आप भारतीय जनता पार्टी को भारी बहुमत से विजय बनाइए। अपना दल को भारी बहुमत से विजय बनाइए। भारतीय जनता पार्टी, अपना दल मिलकर के आपके सपनों को पूरा करने में कोई कसर नहीं रखेंगे, ये मैं आपको विश्वास दिलाता हूं। और जो काम, जो ये काम 15 साल में नहीं कर पाए हैं। हम 15 महीने में कर के दिखाएंगे भाइयों बहनों। और काम हो सकता है भाइयों बहनों। और मैंने भ्रष्टाचार के खिलाफ, कालाबाजारी के खिलाफ एक बहुत बड़ी लड़ाई छेड़ी है, आपने देखा होगा। अनाप-सनाप दवाई के पैसे लेते थे। मैंने उन लोगों को बुला के कहा, नहीं दूंगा। गरीब को लूटने नहीं दूंगा। दवाई का पैसा कम कीजिए। हार्ट में छल्ला लगवाना है 45 हजार रुपया, डेढ़ लाख रुपया, गरीब आदमी कहां से लायेगा। मैंने कहा कि अगर छल्ला लगवाना है 45 हजार रुपया वाला छल्ला 7 हजार में लगेगा। डेढ़ लाख रुपए वाला छल्ला 25 हजार में लगेगा। गरीब के काम आने वाली सरकार है।

भाइयों बहनों।

सपा, बसपा और कांग्रेस एक कहेगा सुबह है तो दूसरा कहेगा शाम है। एक कहेगा पूरब है तो दूसरा कहेगा पश्चिम है। एक-दूसरे के खिलाफ ऐसा करते रहते हैं कि नहीं करते रहते हैं। सपा, बसपा और कांग्रेस एक दूसरे के खिलाफ बात करते थे कि नहीं करते थे। एक दूसरे का विरोध करते थे कि नहीं करते थे। पहली बार एक मुद्दे पर तीनों इक्टठे हो गये। तीनों इक्टठे हो गये। किस बात पर मालूम है। नोटबंदी 8 तारीख रात को 8 बजे मेरे प्यारे देशवासियों क्या कह दिया, ये तीनों इक्टठे हो गये। और चिल्ला रहे है 15 दिन देते मोदी। क्यों भाई, क्या ठीक करना था। आप नोट छापने वाले थे क्या। वो बंडल ठिकाने लगाने थे क्या। आप बताइये भाइयों। 70 साल तक जिन्होंने लूटा है वो गरीबों को लौटाना पड़ेगा कि नहीं पड़ेगा। लौटाना चाहिए की नहीं लौटाना चाहिए। पाई-पाई उनको बैंकों में जमा करवानी पड़ी है। अब हिसाब देना पड़ रहा है, ये रुपया लाये कहां से थे। मारे थे किससे, किससे लूटा बताओ तो। वापस देना पड़ेगा।

भाइयों बहनों।

भ्रष्टाचार, काला धन, बेईमानी देश का तबाही का वही कारण है और उसके खिलाफ मैंने लड़ाई लड़ी है क्योंकि मै देश के गरीबों के लिए कुछ करना चाहता हूं। देश के मध्यम वर्ग के लोगों के लिए कुछ करना चाहता हूं। देश के नौजवानों के रोजगार के लिए कुछ करना चाहता हूं। हिन्दुस्तान को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए कुछ करना चाहता हूं। और इसलिए भाइयों बहनों। भ्रष्टाचार जाना चाहिए। कालाधन की बीमारी जानी चाहिए। बेईमान लोगों से मुक्ति मिलने चाहिए। और इसलिए भाइयों, बहनों। इस चुनाव में भारी मतदान कीजिए। भारतीय जनता पार्टी, अपना दल को विजय बनाइए। मेरे साथ दोनों मुट्ठी बंदकर के पूरी ताकत से बोलिये। भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!