Only a strong government can ensure a nation’s security, which in turn is essential for its long-term development: PM Modi
The BJP-led NDA governments have always demonstrated their paramount commitments to strengthening national security: PM Modi in U.P.
The entire nation suffered greatly under ‘Mahamilawati’ governments of Congress-SP-BSP but still they say ‘Hua Toh Hua’: Prime Minister Modi

मंच पर विराजमान उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय और यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी। मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी और अपना दल के सभी वरिष्ठ नेतागण, इस चुनाव में अपना दल के हमारे साथी उम्मीदवार और विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे प्यारे भाइयो और बहनो। मैं देख रहा हूं, दूर-दूर तक लोग ही लोग हैं।

भाइयो-बहनो, थोड़ी देर पहले भयंकर धूप में आप तप रहे थे और अचानक ईश्वर ने भी हम पर कृपा की। सोनभद्र के सभी भाइयो बहनो को प्रणाम।

साथियो, कोई भी देश, कमजोर सरकारों के रहते कभी देश शक्तिशाली नहीं बन सकता है। जितनी ज्यादा मजबूत सरकार, उतना ही ज्यादा शक्तिशाली और सुरक्षित हिंदुस्तान। आपका एक वोट भारत में एक शक्तिशाली सरकार का गठन करेगा। एक ऐसी सरकार, जो देश का गौरव उस ऊंचाई पर ले जाएगी, जिसका हिंदुस्तान हमेशा से हकदार रहा है।

साथियो, विज्ञान की शक्ति और राजनीतिक इच्छाशक्ति के मेल से क्या कुछ हो सकता है, वैज्ञानिकों के सामर्थ्य और सरकार के साहसिक कदम के मेल का क्या प्रतिफल हो सकता है- आज का दिन यानी 11 मई इस बात का जीता-जागता सबूत है।

मैं राबर्ट्सगंज में ऐसे समय आया हूं जब देश का एक बहुत बड़ा हिस्सा फिर एक बार… मोदी सरकार, फिर एक बार...मोदी सरकार बनाने का फैसला ले चुका है। अब पूरे पूर्वांचल को शक्ति के क्षेत्र को अपने सेवक के लिए आगे आना है और पहले से मजबूत सरकार बनाने के लिए मतदान करना है।

 

साथियो, 21 साल पहले आज ही का वो दिन था, जब भारत ने परमाणु परीक्षण किया था, ऑपरेशन शक्ति को सफलतापूर्वक पूरा किया था। मैं उन सभी वैज्ञानिकों को नमन करता हूं, जिन्होंने अपनी मेहनत से देश को गौरव दिलाया था। भाइयो और बहनो, 1998 की ये ऐतिहासिक घटना बताती है की एक मजबूत राजनीति इच्छाशक्ति देश की सुरक्षा के लिए क्या कुछ कर सकती है। इसी परीक्षण से ये साफ हो गया है कि भारत के पास इतना बड़ा सामर्थ्य पहले भी था लेकिन वाजपेयी सरकार से ठीक पहले की सरकार में वो हिम्मत नहीं थी की वो ऐसा फैसला ले सके। ऐसी ऐतिहासिक उपलब्धि तब हासिल होती है, जब राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि हो। तभी आप में परमाणु परीक्षण जैसे बड़े फैसले करने की हिम्मत पैदा होती है। तभी आप अंतरिक्ष में भी मिशन शक्ति की हिम्मत दिखाते हैं, तभी आप आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब दे पाते हैं। भाजपा ने, एनडीए ने, हमेशा इसी मूलमंत्र को अपनाए रखा है लेकिन जब भी महामिलावटी सरकार होती है, तो वो राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरे में डाल देती है।

साथियो, याद कीजिए जब थर्ड फ्रंट की तीसरे मोर्चे की महामिलावटी सरकार थी, यही समाजवादी पार्टी मंत्रिमंडल में शामिल थी, तब इन्होंने देश का क्या हाल कर दिया था? हमारे खुफिया तथा सुरक्षा तंत्र से जुड़े कई लोगों ने इस बारे में बहुत कुछ लिखा है। आप पढ़ेंगे तो आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे, ये ऐसा काम कर के गए हैं।

इन लोगों ने बताया है किस प्रकार महामिलावटी सरकार ने हमारे पूरे खुफिया तंत्र को ही अंदर से दीमक लगा दी थी, खोखला कर दिया था, बर्बाद कर दिया था। इसका खामियाजा पूरे देश को लंबे समय तक भुगतना पड़ा था। थर्ड फ्रंट की सरकार ने उस समय जो कुछ किया, वह किसी बड़े अपराध से कम नहीं था। वो तो वाजपेयी जी की सरकार आई जो बाद में इस नुकसान की भरपाई करने में उन्होंने कदम उठाए और देश को बचा लिया। लेकिन दुर्भाग्य से, अटल जी की सरकार जाने के बाद, देश ने फिर ऐसी कमजोर सरकार देखी, रिमोट कंट्रोल वाली सरकार देखी, ऐसे महामिलावटी लोगों की सरकार देखी, जिसने देश की साख को ही दांव पर लगा दिया। इतना भ्रष्टाचार, लाखों करोड़ों के घोटाले, आसमान छूती महंगाई, हर तरफ जैसे त्राही-त्राही मची हुई थी। 21वीं सदी के इतने अहम समय में भारत के महत्वपूर्ण 10 साल इस रिमोट कंट्रोल सरकार ने बर्बाद कर दिए, तबाह कर दिए, दो पीढ़ी के सपनों को चूर-चूर कर दिया। लेकिन आपको पता है, कांग्रेस और उसके साथियों को इसका जरा भी मलाल नहीं है। कोई दुख नहीं है। उनके तो सोचने का ही तरीका है- हुआ तो हुआ। देश घोटालों से घिर गया, देश का नाम दुनिया भर में बदनाम हुआ, लेकिन वो कहते रहे- हुआ तो हुआ। सत्ता के गलियारों पर दलालों ने कब्जा कर लिया, रिमोट कंट्रोल से सरकार चलाने वाले देश को आगे बढ़ाने के लिए बड़े फैसले नहीं ले पाए और वो तो माला जपते रहे बेशर्मी के साथ कहते रहे, अहंकार से कहते रहे, हुआ तो हुआ। सिखों की कत्लेआम की और बोल दिया, हुआ तो हुआ। देश से उनको कोई लेना देना ही नहीं है। उन्होंने देश के लोगों के साथ विश्वासघात किया, देश की उम्मीदों को तोड़ा और ताल ठोक कर कहते रहे हुआ...तो हुआ।

साथियो, जब राष्ट्रहित के बजाय, सिर्फ अपने परिवार का हित सर्वोपरि होता है, तो यही अहंकार, यही घमंड बोलता है हुआ तो हुआ और जब जनता जाग जाती है, जनता की चेतना जग जाती है। जनता ईश्वर का रूप होती है जब वह इस अहंकार को पहचान लेती है तो हुआ तो हुआ कहने वालों को हवा हो जाओ, हवा हो जाओ, यह कहने की सरकार जनता जनार्दन में होती है। ऐसे अहंकारी लोग कभी देश का विकास नहीं कर सकते हैं। देश को शक्तिशाली नहीं बना सकते।

भाइयो और बहनो, चुनाव के पांच चरण बीत चुके हैं, कल छठे चरण का मतदान है। जहां-जहां कल छठे चरण का मतदान है उन सभी राज्यों के मतदाताओं को मेरा आग्रह है की गर्मी कितनी ही क्यों न हो भारी मात्रा में मतदान कीजिए, बहुत बड़ी मात्रा में मतदान कीजिए और ये जो अहंकार है, उस अहंकार को बटन दबा करके चूर-चूर कर दीजिए।
भाइयो-बहनो, इधर उत्तर प्रदेश को इन्होंने बर्बाद किया। ये सपा और बसपा के नेता आज पहले यूपी को बर्बाद किया, अब खुद को बर्बादी से बचाने के लिए गले मिल रहे हैं,गले मिल रहे हैं। जो एक दूसरे को जेल भेजना चाहते थे वो महल में भेजने के सपने देख रहे हैं। ऐसे लोगों पर विश्वास करोगे क्या? विश्वास करोगे क्या?

भाइयो और बहनो, यह सपा और बसपा वाले इनके नेता ये नहीं बताते कि राष्ट्र के लिए 130 करोड़ देशवासियों के लिए, पूरे हिंदुस्तान के लिए उनकी नीति क्या है। वो जो भी बात करते हैं, उसमें सबसे ऊपर होती है, मोदी को गाली देना, मोदी को गाली देना। रोज नई गाली, रोज नए तरीके से गाली। भाइयो और बहनो, देश को मजबूत बनाने का उनका तरीका क्या होगा, आतंकवाद से वो कैसे निपटेंगे, नामदार हो, बहन जी हो या बबुआ जी, यह आपको इस विषय में कुछ भी नहीं बताते हैं। और अभी-अभी शुरू किया है मोदी की जात कौन सी है? अरे कान खोल करके सुन लो, मोदी की एक ही जात है, इस देश के गरीबों की जो जात है वो मेरी जात है। जो भी अपने आप को गरीब मानता है मैं उसकी जात का हूं और इसीलिए जो सामान्य समाज है इनके गरीब बच्चों को कोई पूछने वाला नहीं था लेकिन मेरी जात गरीब की है इसीलिए उन गरीबों के लिए 10 % आरक्षण भी मैंने ही कर दिया। जिस गरीब के पास घर नहीं था, उसको घर दे दिया, क्योंकि मेरी जात गरीब की है। जिस घर के अंदर गैस का चूल्हा नहीं था, उस मां को गैस का चूल्हा दे दिया क्योंकि मेरी जात गरीब की है। जिस किसान के पास बारिश के पहले पैसे नहीं होते थे, बीज लाने के पैसे नहीं होते थे उस गरीब किसान के खाते में रुपए जमा कर दिए क्योंकि मेरी जात उस गरीब किसान की जात है।

भाइयो और बहनो, इन्होंने डरपोक, मजबूर सरकारें दिल्ली में चलाई हैं, जो आतंकवादियों और पाकिस्तान को जवाब ही नहीं दे सकती थीं। यही कारण है की इनके राज में यूपी समेत पूरे देश में बम धमाके होते थे और पाकिस्तान सिर पर चढ़ा रहता था। आज आपके इस चौकीदार ने चुपचाप बैठ कर मार खाने की नीति को बदल दिया है। अब हिंदुस्तान मार नहीं खाएगा, अब हिंदुस्तान नहीं गिड़गिड़ाएगा, अब हिंदुस्तान नहीं रोएगा, अब ये नया भारत है। अब भारत आतंकियों के घर में घुसकर के मारता है, घर में घुसकर के मारता है।

साथियो, यही स्थिति नक्सलवाद की थी। इस पूरे क्षेत्र में कैसे आपको नक्सलियों के खौफ में जीना पड़ता था। वो दिन भी याद रखने जरूरी हैं। बीते 5 वर्षों में नक्सलवाद को हमने देश के एक बहुत छोटे हिस्से तक समेट के रख दिया हैं।

साथियो, महामिलावटियों का एक ही सिद्धांत है- जहां वोट नहीं, वहां विकास नहीं। यही पाप किया है उन लोगों ने। क्या इस देश के गरीब का विकास में हक है कि नहीं है? घर बनता है तो गरीब को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए? क्या उसकी जाति देखी जाएगी क्या? बिजली देनी चाहिए कि नहीं देनी चाहिए? क्या गरीब के बच्चों की पढ़ाई होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? क्या कभी गरीब बीमार है तो दवाई मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? ये गरीब की जाति का आदमी आज बैठा है गरीबी से आया हुआ है और गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए आज मैं आपका सेवक बन के काम कर रहा हूं।

आपके इस सेवक ने भाइयो बहनो, चाहे आतंकवाद हो, नक्सलवाद हो आपके इस सेवक ने राजनीति की इस सोच को बदलने का भरपूर प्रयास किया है। सबका साथ-सबका विकास यानी हर व्यक्ति का और हर क्षेत्र का विकास, हर इलाके में विकास पहुंचे, गांव-गांव के भी दूर-दूर के इलाकों में भी विकास पहुंचे, इस निष्ठा के साथ मैं 24सों घंटे आपकी सेवा में लगा रहता हूं। विशेष तौर पर पूर्वांचल और पूर्वी भारत को हम भारत के विकास की चर्चा में हम पहली बार लाए हैं। इसके पहले 70 साल हो गए किसी ने पूछा नहीं है। आज पूर्वांचल के लिए एक्सप्रेस वे बन रहे हैं, रेल कनेक्टिविटी संस्तृत हुई है, आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं तैयार हो रही हैं, इंफ्रास्ट्रक्चर का यही काम यहां पर्यटन को बढ़ाने वाला है, यहां उद्योगों के लिए रास्ता खोलने वाला है।

साथियो, सपा-बसपा वालों ने हमेशा पूरे सोनभद्र को भ्रष्टाचार और अनदेखी का शिकार बनाया है। इन लोगों ने यहां की संपदा में लूट-खसोट को अपनी नीति का हिस्सा बनाया था। अब योगी जी की सरकार इस पर लगाम लगाने की पूरी कोशिश कर रही है। विकास के हर प्रयास का विरोध इन महामिलावटी लोगों की आदत है।

जन धन योजना हो, स्वच्छ भारत अभियान हो, स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाएं हो, घर बनाने से जुड़ी योजनाएं हो, गरीबों से जुड़े हर काम पर इन लोगों ने हमारा मजाक उड़ाया है या काम को रोकने की कोशिश की है। इसी सोच की वजह से ये लोग सरदार पटेल, इस देश में मैं आज भी कहता हूं सरदार वल्लभाई पटेल अगर देश के प्रधानमंत्री होते तो देश के किसानों की स्थिति कुछ और होती। जब मैंने गुजरात में सरदार वल्लभ भाई पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाई तो लोग उनका भी विरोध करने लग गए और भाइयो बहनो, यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा, सरदार पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण आज पूरे हिंदुस्तान के लिए गर्व की बात है। लेकिन ये महामिलावटी कहते हैं की हमने गलत काम किया है।

भाइयो बहनो, मुझे बताइए सरदार वल्लभ भाई पटेल का सम्मान होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए? मेरे आने से पहले होना चाहिए था कि नहीं होना चाहिए था? उन्होंने नहीं किया, उन्होंने गुनाह किया कि नहीं किया?

साथियो, इन लोगों से राष्ट्रीय गौरव की उम्मीद नहीं की जा सकती है। साथियो, यहां सोनभद्र में ओबरा और अनपरा में इतनी बिजली पैदा होती है लेकिन महामिलावटी लोगों के राज में सोनभद्र ही ज्यादातर अंधेरे में रहता था। बिजली भी वोट के हिसाब से दी जाती थी, जाति और वोट बैंक के हिसाब से काम होता था, बिजली में भी भेदभाव होता था। हमारी सरकार ने इस स्थिति को बदलने का प्रयास किया है। भाइयो और बहनो, आज छोटे किसानों के बैंक खाते में अगर सीधे पैसे आ रहे हैं तो वो भी बिना किसी भेदभाव के हो रहा है। अब 23 मई को 23 मई को चुनाव के नतीजे आएंगे। 23 मई को चुनाव के नतीजे आएंगे फिर एक बार...मोदी सरकार, फिर एक...बार मोदी सरकार आएगी तब 5 एकड़ वाला नियम भी हटा दिया जाएगा, सभी किसानों को उनके खाते में पैसा जमा होना शुरू हो जाएगा। भाइयो और बहनो, किसानों के साथ-साथ हमारे आदिवासियों परिवारों के लिए भी अभूतपूर्व काम हमारी सरकार ने किए है। पहले जहां सिर्फ 10 वन उपज MSP के दायरे में थीं आज 50 हो गई हैं। वन उपज में वैल्यू एडिसन और मार्केटिंग हो इसके लिए वन धन केंद्र बनाए जा रहे हैं। आदिवासी बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले, इसके लिए एकलव्य मॉडल स्कूल पूरे देश में खोले जा रहे हैं।
साथियो, पानी की समस्या को दूर करने के लिए भी हमने बहुत बड़ा संकल्प लिया है। बीते पांच वर्ष में जिस तरह हमने गांव-गांव, घर-घर बिजली पहुंचाने के लिए काम किया। उसी तरह अगले 5 वर्ष पानी के लिए समर्पित करेंगे। हमने इसके लिए हमने अलग से जल शक्ति मंत्रालय बनाने का भी फैसला किया है।

साथियो, आप सभी को पूरी शक्ति से यहां एनडीए के हमारे साथी श्रद्धेय सोनेलाल पटेल जी के सपनों को पूरा कर रहे अपना दल को जीतना है। और सोनेलाल जी मेरे बहुत अच्छे मित्र रहे हैं। मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, सोनेलाल जी को कोऑपरेटिव मूवमेंट में बड़ा इंटरेस्ट था वो अमूल को देखने के लिए आए थे। वह मुझे मिलने आए थे इतना उत्साह था गरीबों के किसानों के लिए काम करने के लिए और हमें सोनेलाल के उन सपनों को पूरा करना है। राबर्ट्सगंज में कप प्लेट के निशान पर बटन दबाना है और आपको मालूम है मेरा तो बचपन से नाता ही कप और प्लेट से रहा है। ये चाय वाले ने बचपन में लोगों के झूठे कप प्लेट ही धोए हैं, आज वो चौकीदार ये कप प्लेट को चमकाने आया है। बचपन में इस कप प्लेट को धोता था झूठे कप प्लेट को धोता था आज ये चौकीदार उस कप प्लेट को चमकाने के लिए काम कर रहा है। और इसीलिए भाइयो-बहनो, आप जब कप प्लेट पर बटन दबाएंगे तो आपका वोट सीधा-सीधा मोदी के खाते में जाएगा। आपके आशीर्वाद के लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं।

मेरे साथ बोलिए, भारत माता की...जय, भारत माता की...जय, भारत माता की...जय, बहुत बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!