Quoteਅੰਤਰ-ਅਨੁਸ਼ਾਸਨੀ, ਅੰਤਰ-ਖੇਤਰੀ ਅਤੇ ਬਹੁ-ਅਧਿਕਾਰਿਤ ਢਾਂਚਾ ਬਣਾ ਕੇ ਲੌਜਿਸਟਿਕਸ ਲਾਗਤ ਨੂੰ ਘਟਾਉਣ ਦੀ ਪਾਲਿਸੀ
Quoteਸੰਪੂਰਨ ਯੋਜਨਾਬੰਦੀ ਅਤੇ ਲਾਗੂ ਕਰਨ ਲਈ ਸਾਰੇ ਹਿੱਸੇਦਾਰਾਂ ਨੂੰ ਇਕੱਠੇ ਲਿਆ ਕੇ ਕੁਸ਼ਲਤਾ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਦੇ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀਕੋਣ ਅਨੁਸਾਰ
Quoteਕਾਰੋਬਾਰ ਕਰਨ ਦੀ ਸੌਖ (ਈਜ਼ ਆਵ੍ ਡੂਇੰਗ ਬਿਜ਼ਨਸ) ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਰਹਿਣ ਦੀ ਸੌਖ (ਈਜ਼ ਆਵ੍ ਲਿਵਿੰਗ) ਦੋਵਾਂ ਨੂੰ ਹੁਲਾਰਾ ਦੇਣ ਵਾਲੀ ਨੀਤੀ
Quoteਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਗਤੀ ਸ਼ਕਤੀ ਦੇ ਪੂਰਕ ਲਈ ਨੀਤੀ

ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਸ਼੍ਰੀ ਨਰੇਂਦਰ ਮੋਦੀ 17 ਸਤੰਬਰ, 2022 ਨੂੰ ਸ਼ਾਮ 5:30 ਵਜੇ ਵਿਗਿਆਨ ਭਵਨ, ਨਵੀਂ ਦਿੱਲੀ ਵਿਖੇ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਲੌਜਿਸਟਿਕਸ ਪਾਲਿਸੀ (ਐੱਨਐੱਲਪੀ) ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਕਰਨਗੇ।

ਇੱਕ ਨੈਸ਼ਨਲ ਲੌਜਿਸਟਿਕਸ ਪਾਲਿਸੀ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਮਹਿਸੂਸ ਕੀਤੀ ਗਈ ਕਿਉਂਕਿ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਲੌਜਿਸਟਿਕਸ ਲਾਗਤ ਹੋਰ ਵਿਕਸਤ ਅਰਥਵਿਵਸਥਾਵਾਂ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲੇ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੈ। ਘਰੇਲੂ ਅਤੇ ਬਰਾਮਦ ਬਜ਼ਾਰਾਂ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤੀ ਵਸਤਾਂ ਦੀ ਮੁਕਾਬਲੇਬਾਜ਼ੀ ਵਿੱਚ ਸੁਧਾਰ ਲਈ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਲੌਜਿਸਟਿਕਸ ਲਾਗਤ ਨੂੰ ਘਟਾਉਣਾ ਲਾਜ਼ਮੀ ਹੈ। ਘਟੀ ਹੋਈ ਲੌਜਿਸਟਿਕਸ ਲਾਗਤ ਅਰਥਵਿਵਸਥਾ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਕੁਸ਼ਲਤਾ ਵਿੱਚ ਕਟੌਤੀ ਵਿੱਚ ਸੁਧਾਰ ਕਰਦੀ ਹੈ, ਮੁੱਲ ਜੋੜਨ ਅਤੇ ਉੱਦਮ ਨੂੰ ਉਤਸ਼ਾਹਿਤ ਕਰਦੀ ਹੈ।

2014 ਤੋਂ, ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਕਾਰੋਬਾਰ ਕਰਨ ਦੀ ਸੌਖ (ਈਜ਼ ਆਵ੍ ਡੂਇੰਗ ਬਿਜ਼ਨਸ) ਅਤੇ ਰਹਿਣ ਦੀ ਸੌਖ (ਈਜ਼ ਆਵ੍ ਲਿਵਿੰਗ) ਦੋਹਾਂ ਨੂੰ ਬਿਹਤਰ ਬਣਾਉਣ 'ਤੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਜ਼ੋਰ ਦਿੱਤਾ ਹੈ। ਨੈਸ਼ਨਲ ਲੌਜਿਸਟਿਕਸ ਪਾਲਿਸੀ, ਸਮੁੱਚੇ ਲੌਜਿਸਟਿਕ ਈਕੋਸਿਸਟਮ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਇੱਕ ਵਿਆਪਕ ਅੰਤਰ-ਅਨੁਸ਼ਾਸਨੀ, ਅੰਤਰ-ਖੇਤਰੀ ਅਤੇ ਬਹੁ-ਅਧਿਕਾਰਿਤ ਢਾਂਚੇ ਨੂੰ ਤਿਆਰ ਕਰਕੇ ਉੱਚ ਲਾਗਤ ਅਤੇ ਅਯੋਗਤਾ ਦੇ ਮੁੱਦਿਆਂ ਨੂੰ ਹੱਲ ਕਰਨ ਦਾ ਇੱਕ ਵਿਆਪਕ ਪ੍ਰਯਤਨ, ਇਸ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਹੋਰ ਕਦਮ ਹੈ। ਇਹ ਪਾਲਿਸੀ ਭਾਰਤੀ ਵਸਤਾਂ ਦੀ ਮੁਕਾਬਲੇਬਾਜ਼ੀ ਨੂੰ ਬਿਹਤਰ ਬਣਾਉਣ, ਆਰਥਿਕ ਵਿਕਾਸ ਨੂੰ ਵਧਾਉਣ ਅਤੇ ਰੋਜ਼ਗਾਰ ਦੇ ਮੌਕੇ ਵਧਾਉਣ ਦਾ ਇੱਕ ਪ੍ਰਯਤਨ ਹੈ।

ਸੰਪੂਰਨ ਯੋਜਨਾਬੰਦੀ ਅਤੇ ਲਾਗੂ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਸਾਰੇ ਹਿਤਧਾਰਕਾਂ ਦੇ ਏਕੀਕਰਣ ਦੁਆਰਾ ਵਿਸ਼ਵ ਪੱਧਰੀ ਆਧੁਨਿਕ ਬੁਨਿਆਦੀ ਢਾਂਚੇ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਕਰਨਾ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਦਾ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀਕੋਣ ਰਿਹਾ ਹੈ ਤਾਂ ਜੋ ਪ੍ਰੋਜੈਕਟ ਨੂੰ ਲਾਗੂ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਕੁਸ਼ਲਤਾ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕੇ। ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਗਤੀ–ਸ਼ਕਤੀ - ਮਲਟੀ-ਮੋਡਲ ਕਨੈਕਟੀਵਿਟੀ ਲਈ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਮਾਸਟਰ ਪਲਾਨ - ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਦੁਆਰਾ ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਲਾਂਚ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ, ਇਸ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਇਹ ਇੱਕ ਮੋਹਰੀ ਕਦਮ ਸੀ। ਨੈਸ਼ਨਲ ਲੌਜਿਸਟਿਕਸ ਪਾਲਿਸੀ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਨਾਲ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਗਤੀ ਸ਼ਕਤੀ ਨੂੰ ਹੋਰ ਹੁਲਾਰਾ ਅਤੇ ਪੂਰਕਤਾ ਮਿਲੇਗੀ।

 

  • Gulshan Kumar October 13, 2024

    Jai sri ram
  • Chowkidar Margang Tapo September 25, 2022

    Jai hind jai BJP.
  • SRS RSS SwayamSewak September 23, 2022

    हमारे धर्म का रहस्य... क्या हमारे ऋषि मुनि पागल थे? जो कौवों के लिए खीर बनाने को कहते थे? और कहते थे कि कौवों को खिलाएंगे तो हमारे पूर्वजों को मिल जाएगा? नहीं, हमारे ऋषि मुनि क्रांतिकारी विचारों के थे। *यह है सही कारण।* तुमने किसी भी दिन पीपल और बरगद के पौधे लगाए हैं? या किसी को लगाते हुए देखा है? क्या पीपल या बड़ के बीज मिलते हैं? इसका जवाब है ना.. नहीं.... बरगद या पीपल की कलम जितनी चाहे उतनी रोपने की कोशिश करो परंतु नहीं लगेगी। कारण प्रकृति/कुदरत ने यह दोनों उपयोगी वृक्षों को लगाने के लिए अलग ही व्यवस्था कर रखी है। यह दोनों वृक्षों के टेटे कौवे खाते हैं और उनके पेट में ही बीज की प्रोसेसीग होती है और तब जाकर बीज उगने लायक होते हैं। उसके पश्चात कौवे जहां-जहां बीट करते हैं, वहां वहां पर यह दोनों वृक्ष उगते हैं। पीपल जगत का एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो round-the-clock ऑक्सीजन छोड़ता है और बरगद के औषधि गुण अपरम्पार है। देखो अगर यह दोनों वृक्षों को उगाना है तो बिना कौवे की मदद से संभव नहीं है इसलिए कौवे को बचाना पड़ेगा। और यह होगा कैसे? मादा कौआ भादो महीने में अंडा देती है और नवजात बच्चा पैदा होता है। तो इस नयी पीढ़ी के उपयोगी पक्षी को पौष्टिक और भरपूर आहार मिलना जरूरी है इसलिए ऋषि मुनियों ने कौवों के नवजात बच्चों के लिए हर छत पर श्राघ्द के रूप मे पौष्टिक आहार की व्यवस्था कर दी। जिससे कि कौवों की नई जनरेशन का पालन पोषण हो जाये...... इसलिए श्राघ्द करना प्रकृति के रक्षण के लिए नितांत आवश्यक है। घ्यान रखना जब भी बरगद और पीपल के पेड़ को देखो तो अपने पूर्वज तो याद आएंगे ही क्योंकि उन्होंने श्राद्ध दिया था इसीलिए यह दोनों उपयोगी पेड़ हम देख रहे हैं। 🏵सनातन धर्म🏵 पर उंगली उठाने वालों, पहले सनातन धर्म को जानो फिर उस पर ऊँगली उठाओ। जब आपके विज्ञान का (वि) भी नही था तब हमारे सनातन धर्म को पता था कि किस बीमारी का इलाज क्या है, कौन सी चीज खाने लायक है कौन सी नहीं...? अथाह ज्ञान का भंडार है हमारा सनातन धर्म और उनके नियम, मैकाले के शिक्षा पद्धति में पढ़ के केवल अपने पूर्वजों, ऋषि मुनियों के नियमों पर ऊँगली उठाने के बजाय , उसकी गहराई को जानिये। 🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉
  • Ranjeet Kumar September 20, 2022

    jay sri ram🙏
  • Sujit KumarNath September 20, 2022

    sujit
  • Raj kumar Das September 19, 2022

    शुभकामनाएं साहेब🙏🏻💐💐
  • Chowkidar Margang Tapo September 18, 2022

    Jai jai jai shree ram 🐏
  • SRS SwayamSewak of RSS September 18, 2022

    सनातन धर्म संस्कृति को जीवित रखने वाले महाराज भारत को सोने की चिड़िया बनाने वाला असली राजा कौन था ? कौन था वह राजा जिसके राजगद्दी पर बैठने के बाद उनके श्रीमुख से देववाणी ही निकलती थी और देववाणी से ही न्याय होता था ? कौन था वह राजा जिसके राज्य में अधर्म का संपूर्ण नाश हो गया था ? *महाराजा वीर विक्रमादित्य* बड़े ही दुख की बात है कि महाराजा विक्रमादित्य के बारे में देश को लगभग शून्य बराबर ज्ञान है। जिन्होंने भारत को सोने की चिड़िया बनाया था और स्वर्णिम काल लाया था। उज्जैन के राजा थे गन्धर्वसैन। उनके तीन संताने थी, सबसे बड़ी लड़की थी मैनावती, उससे छोटा लड़का भृतहरि और सबसे छोटा वीर विक्रमादित्य... बहन मैनावती की शादी धारानगरी के राजा पदमसैन के साथ कर दी, जिनके एक लड़का हुआ गोपीचन्द, आगे चलकर गोपीचन्द ने श्री ज्वालेन्दर नाथ जी से योग दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए।फिर मैनावती ने भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग दीक्षा ले ली। आज ये देश और यहाँ की संस्कृति केवल विक्रमादित्य के कारण अस्तित्व में है। सम्राट अशोक ने बोद्ध धर्म अपना लिया था और बोद्ध बनकर 25 साल राज किया था। भारत में तब सनातन धर्म लगभग समाप्ति पर आ गया था, देश में बौद्ध और अन्य हो गए थे। रामायण और महाभारत जैसे धर्म ग्रन्थ खो गए थे, महाराजा विक्रम ने ही पुनः उनकी खोज करवा कर स्थापित किया। विष्णु और शिव जी के मंदिर बनवाये और सनातन धर्म को बचाया। विक्रमादित्य के 9 रत्नों में से एक कालिदास ने "अभिज्ञान शाकुन्तलम्" लिखा। जिसमे भारत का इतिहास है। अन्यथा भारत का इतिहास क्या हम भगवान् श्री कृष्ण और प्रभु श्री राम को भी खो चुके थे। हमारे ग्रन्थ ही भारत में खोने के कगार पर आ गए थे। उस समय उज्जैन के राजा भृतहरि ने राज छोड़कर श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग की दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए, राज पाठ अपने छोटे भाई विक्रमादित्य को दे दिया। वीर विक्रमादित्य भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से गुरू दीक्षा लेकर राजपाट सम्भालने लगे और आज उन्ही के कारण सनातन धर्म बचा हुआ है, हमारी संस्कृति बची हुई है। महाराजा विक्रमादित्य ने केवल धर्म ही नही बचाया, उन्होंने देश को आर्थिक तौर पर सोने की चिड़िया बनाई, उनके राज को ही भारत का स्वर्णिम राज कहा जाता है। विक्रमादित्य के काल में भारत का कपडा विदेशी व्यपारी सोने के वजन से खरीदते थे। भारत में इतना सोना आ गया था कि विक्रमादित्य काल में सोने के सिक्के चलते थे। कैलंडर जो विक्रम संवत लिखा जाता है वह भी विक्रमादित्य का स्थापित किया हुआ है। आज जो भी ज्योतिष गणना है जैसे हिन्दी सम्वंत, वार, तिथियां, राशि, नक्षत्र, गोचर आदि वह उन्ही के काल की रचना है। वे बहुत ही पराक्रमी, बलशाली और बुद्धिमान राजा थे। कहा जाता है कि कई बार तो देवता भी उनसे न्याय करवाने आते थे। विक्रमादित्य के काल में हर नियम धर्मशास्त्र के हिसाब से बने होते थे। न्याय और राज सब धर्मशास्त्र के नियमो पर चलता था। विक्रमादित्य का काल प्रभु श्रीराम के राज के बाद सर्वश्रेष्ठ माना गया है, जहाँ प्रजा धनी थी और धर्म पर चलने वाली थी। बड़े दुःख की बात है कि भारत के सबसे महानतम राजा विक्रमादित्य के बारे में हमारे स्कूल कालेजों मे कोई स्थान नही है। देश को अकबर, बाबर, औरंगजेब जैसै खूनी दरिन्दो का इतिहास पढाया जा रहा है। ऐसे महान सम्राट को कोटि-कोटि नमन।
  • Jayantilal Parejiya September 17, 2022

    Jay Hind
  • adv shalini singh September 17, 2022

    आपको जन्मदिन की बहुत सारी शुभ कामनाएँ…. पूरे दिन व्यस्त होने की वजह से अभी संदेश भेज रही हूँ… मातारानी आपको हमेशा ख़ुश रखे 💐💐💐💐जय हिंद 🙏
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