In an interview to DD News, Prime Minister Narendra Modi spoke in depth about the Lok Sabha Elections 2024. He said that all his energy is directed towards a Viksit Bharat. He added that India's unprecedented growth and development over the last decade is also to empower the deprived.

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का सबसे बड़ा चुनाव यानी 2024 का लोकसभा चुनाव। सात चरणों का ये चुनाव अब अपने अंतिम चरण में है। और पूरा चुनाव अगर हम कुल मिलाकर देखें तो 2014 और 2019 की तरह ये चुनाव भी एक व्यक्ति और उसकी नीतियों यानी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी नीतियों के इर्द-गिर्द घूमता रहा। और आज डीडी न्यूज़ से विशेष बातचीत करने के लिए दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हमारे साथ हैं। और हम विशेष एक्सक्लूसिव उनसे बातचीत करेंगे। डीडी न्यूज़ से बात करने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया, आभार प्रधानमंत्री जी।

पीएम मोदी: डीडी के दर्शकों को मेरा नमस्कार।

सवाल: सर, मैं सबसे पहले प्रधानमंत्री जी मेरा जो सवाल है वो ये कि अगर ये चुनाव की अगर मैं बात करूं पिछले कुछ समय में सिर्फ अगर इन चुनाव के समय में जो प्रचार शुरू हुआ उसकी बात करूं तो आप 150 से ज्यादा रैलियां कर चुके हैं। अभी जो चर्चा चल रही थी मुझे जो जानकारी मिली कि 2024 में आप 350 से ज्यादा रैलियां कर चुके हैं लोगों से मिल चुके हैं। पूरे जो विपक्ष के नेता हैं इन सबके नेताओं को अगर कैलकुलेट कर ले तो मिलाकर भी सबके सबका मिलाकर गिनती भी इतनी नहीं होती मैं आपसे जानना चाहता हूं आप सर लगातार जनता से संवाद कर रहे हैं, कोई एक मुद्दा आपको क्या लगता है जो जनता को सबसे ज्यादा टच कर रहा है, जिस पर सबसे ज्यादा जनता रिस्पॉन्ड कर रही है क्योंकि मुद्दे तो बहुत उठते हैं?

पीएम मोदी: मैं इसको दो हिस्सों में जवाब देना चाहूंगा लोकतंत्र में चुनाव एक बहुत बड़ा उत्सव होता है और उत्सव की सबसे बड़ी विशेषता है कि जिसमें मतदाताओं को एजुकेट करने का एक मास स्केल पर मूवमेंट शुरू हो जाता है मीडिया के द्वारा, इनफ्लुएंसर के द्वारा, ओपिनियन के द्वारा, पॉलिटिकल पार्टी के द्वारा, लीडर्स के द्वारा तो एक प्रकार से पीढ़ी दर पीढ़ी डेमोक्रेसी के संस्कारों को आने वाली पीढ़ियों में उनके जहन में उतारने का एक उत्तम अवसर होता है। मुझे अभी भी समझ नहीं आता है कि कभी कभार कुछ लोग विवाद खड़ा कर देते हैं कि बच्चे क्यों ऐसे कार्यक्रमों में आते हैं आने चाहिए कि नहीं आने चाहिए जब हम छोटे थे तो एक मन में रहता था देश के नेताओं को देखें, सुनें और एक क्यूरियोसिटी रहती थी पर आजकल पता नहीं किस कारण से एक विवाद में वो सारे विषय चले गए हैं। मैंने अपना मन अभी बनाया नहीं कि उसमें मुझे ओपिनियन क्या देना चाहिए? दूसरा जो सरकार है या राजनीतिक दल है वो जनता को अकाउंटेबल होने चाहिए उन्होंने अपने काम का हिसाब देना चाहिए और चुनाव में उन्होंने जिस भी फॉर्म में जाए ये उनका काम है, दूसरा काम है भविष्य में वो क्या करेंगे, कैसे करेंगे, किसके लिए करेंगे, कब तक करेंगे, ये काम करने के लिए उनके पास क्या रोड मैप है, क्या रिसोर्सेस है, किस प्रकार का मैकेनिज्म है, ये सारी बातें उन्होंने देश के सामने रखनी चाहिए। एक- एक वाक्य में चार- छह चीजें बोल करके लोगों को गुमराह करते रहना ये उचित नहीं है तो ये सारी बातें एक तो इलेक्शन में है। इन सबके परिपेक्ष में देखो तो जो दूसरा पहलू है मेरे मन में, मैं चुनावों को एक प्रकार से जनता- जनार्दन के दर्शन का अभियान मानता हूं, मैं हिंदुस्तान के कोने- कोने में जाता हूं, देशवासियों के दर्शन करता हूं और मैं बिना संकोच कहता हूं कि मेरे लिए ईश्वर के दो रूप है एक साकार, एक निराकार जो साकार रूप है वो 140 करोड़ मेरे देशवासी हैं वो मेरा ईश्वर का साकार रूप है, जो निराकार रूप है वो ना मैंने देखा है ना किसी ने देखा हो उसको मैं मिला हूं और इसलिए मेरे लिए ये ईश्वर आराधना जैसा कार्यक्रम होता है, जनता- जनार्दन के दर्शन करना, उनके मनोभावों को समझने का प्रयास करना, कहीं- कहीं पर संवाद करने का अवसर मिलता है और ये मेरी निरंतर प्रक्रिया चलती है चुनाव में जरा ज्यादा चलती है जहां तक क्या अनुभव मैं कर रहा हूं मैंने लंबे अरसे तक चुनाव लड़वाए भी हैं और लड़े भी हैं लेकिन एक जमाना ऐसा था चुनाव में ज्यादातर जाति, बिरादरी और उसकी खुलकर के चर्चा करने की एक फैशन भी था और उन चीजों पर अपील करने का प्रयास भी होता था। गुजरात से मेरा अनुभव है कि अब धीरे-धीरे देश, मैं गुजरात के समय की बात कर रहा हूं 10 साल पहले की, विकास के एजेंड़ों को पॉलिटिकल पार्टियां छूती ही नहीं थी लेकिन गुजरात में मैंने सभी दलों को मजबूर कर दिया था विकास पर ही बात होगी, करनी पड़ेगी। अब मेरे लिए खुशी की बात है कि जनता विकास के मुद्दों पर ही बात करती है पॉलिटिकल पार्टी अगर विकास की बात नहीं करती है तो इरेलीवेंट हो जा रही है और लोगों का एस्पिरेशन बहुत हाई है। मुझे याद है कि एक जमाना ऐसा था कि गांव वाले क्या चाहते हैं भाई कम से कम इस बार अगर अकाल का समय आ जाए और मिट्टी का काम हो तो हमारे यहां रोड बनवा दीजिए, मिट्टी हमारे यहां डाल दीजिए। आज गांव का व्यक्ति भी कहता है साहब फोर लेन रोड बनाइए ना फ्लाईओवर बनाइए ना एस्पिरेशन बहुत ही तेजी से बढ़ रही है और इसलिए मैं देख रहा हूं विकास यही एक मुद्दा है, विकास यही एक अकांक्षा है और विकास के लिए ही देश का मतदाता कमिटेड है।

सवाल: यानी आपको लग रहा है कि डेवलपमेंट के मुद्दे पर जब आप लोगों से संवाद करते हैं तो उस पर लोगों का रिस्पांस जो है ज्यादा बेहतर होता है?

पीएम मोदी: बहुत, लोगों को यही चीजें ज्यादा अच्छी लगती है लेकिन गोल-गोल बातें अगर करते हो तो नहीं लगता है, आपको उनको स्पेसिफिक कहना पड़ता है कि देखिए ये होने से ऐसे- ऐसे होगा तो बिल्कुल उसका इवॉल्वमेंट होता है और फिर 6-8 घंटे के बाद गांव में जाएंगे तो गांव के अंदर चौराहे पर इसी विषय की चर्चा होती रहती है।

सवाल: ये आपको फीडबैक कैसे मिलती है?

पीएम मोदी: मैं एक तो खुद बहुत ग्रासरूट लेवल पर जुड़ा हुआ हूं फिर मैं हर चीज का एनालिसिस करता भी हूं, करवाता भी हूं और मैं सब प्रकार के मेरे इंफॉर्मेशन चैनल बहुत हैं मैं कोई अखबार पढ़कर पता नहीं लगता मुझे कि क्या चल रहा है और लाइव रहता है मेरा सब चीजों से और उसके कारण मुझे जानकारियां सही ढंग की मिलती है। दूसरा, मुझे अच्छा लगे ऐसा बताने का मेरे यहां कोई परंपरा नहीं है जो अच्छा है, जो सही है उसी को बताना यहां तक सीमित हो ऐसा नहीं बुरा है तो भी बताना, उतने ही अच्छे ढंग से बताना यानी हर प्रकार की इंफॉर्मेशन मेरे यहां फिल्टर हुए बिना आती है।

सवाल: आपने प्रधानमंत्री जी जो संसद में पहला भाषण दिया था 2014 में जब पहली बार आप संसद आएं मुझे अभी भी याद है आपने कहा था कि जो डेमोक्रेसी में जो सबसे मजबूत जड़ी बूटी है वो आलोचना है तो जब आप कह रहे हैं आपको फीडबैक मिलती है अच्छी-बुरी हर तरह की फीडबैक मिलती है तो जब अलग-अलग क्वार्टर से आपकी नीतियों को लेकर आर्थिक नीतियों को लेकर कोरोना को लेकर जब आपके पास आलोचना आती है तो उसको आप कैसे रिएक्ट करते हैं?

पीएम मोदी: मैं एक अनुभव बताता हूं बड़ा इंटरेस्टिंग है। सीएजी का रिपोर्ट आता है ना, एक दिन पॉजिटिव- नेगेटिव जो भी पब्लिसिटी होती है और फिर वो चला जाता है, अलमारी में पहुंच जाता है। ना मीडिया को फुर्सत होती है, ना अपोजिशन को फुर्सत होती है, ना रूलिंग पार्टी को मैं जब गुजरात में था तो सीएजी रिपोर्ट आने के बाद जो अखबारों में जो भी टिप्पणी होनी हो, हो जाती थी लेकिन मैं डिपार्टमेंट को फिर से काम देता था कि मुझे बताइए सीएजी का ये रिपोर्ट है मुझे उसको ठीक करके लाओ जहां कमियां हैं उसकी पूरी करो, गलतियां हुई है उसको ठीक करो, दोषी है उनको जरा नोटिस करो तो मैं उसका फॉलो- अप करता था। मैं सीएजी रिपोर्ट को मेरी अपना एक आलोचना (9.30) मानता था, मैं सामने दर्पण के रूप में देखता था मैं सीएजी की आलोचना नहीं करता था। दूसरा, मेरे यहां हाउस में जब डिबेट होती थी, प्रश्न पूछते थे अपोजिशन कुछ कहता था..

सवाल: गुजरात में..

पीएम मोदी: गुजरात में विधानसभा में तो पॉलिटिकल जो जवाब देने होते वो तो हम देते थे क्योंकि आज के मीडिया के युग में दूसरे दिन क्या छपेगा वो डिपेंड करता है लेकिन मेरा काम बाद में शुरू होता था मैं सभी एमएलए किसी भी दल का क्यों ना उसने जितने मुद्दे उठाए हैं उसको डिपार्टमेंट वाइज उसको मैं सेग्रेगेट करता था और मैं एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगता था किसी मानो एमएलए ने कहा मेरे यहां फलानी जगह फलानी प्रॉब्लम है तो हाउस में तो जवाब दे देते थे ताकि हमारी सरकार की इज्जत को जो जरूरी होता कर लेते थे लेकिन मैं उसको लाइट नहीं लेता था और मेरे यहां तो स्थिति ऐसी आ जाती थी कि 5 साल का सरकार का टेन्योर तीन साल के बाद अपोजिशन के पास कुछ शिकायत करने के कुछ बचता ही नहीं था क्योंकि उसकी शिकायत को भी मैं एड्रेस करता था तो ऐसा मेरा आलोचना के संदर्भ में है, मैं कोई भी आलोचना को बड़ी गंभीर लेता हूं, सीरियस लेता हूं। देश का दुर्भाग्य ये है कि मीडिया में कंपटीशन इतनी है कि उसके पास उतना रिसर्च करने का टाइम नहीं बचा है, मीडिया पूरी की तरह 80 परसेंट मीडिया सूत्रों के भरोसे जीता है, सूत्रों के हवाले से उनकी गाड़ी चलती है तो रिसर्च करनी वाली जो काम चाहिए उसकी कमी है। अपोजिशन के पास भी जरा चटाकेदार चीजें हो तो मजा आएगा तो वो भी एक आध शब्द सुन लिया तो उसमें से स्टोरी बना कर के भड़ास मार देते हैं, कभी- कभार ये पब्लिसिटी के लिए करना ये जो परंपरा बनती गई उसका आरोप का एलिमेंट करीब- करीब 100 परसेंट आरोप ही चलता है जब आरोप होते हैं तो फिर इंसान एक सीढ़ी आ जाती है वो आरोप प्रूफ बन जाता है फिर उस पर उनका कोई इंपैक्ट नहीं होता है लोकतंत्र का भला इसमें है कि आलोचना हो, लेकिन आलोचना के लिए मेहनत करनी पड़ती है मानो अगर मोदी ने कहा मैंने चार करोड़ घर बनाए तो आलोचना करनी है तो भाई सचमुच में चार करोड़ बने क्या? इस गांव में इतने कहे थे तो बने क्या? बने वो जो क्वालिटी बताते थे वो क्वालिटी वाले बने कि नहीं बने? जिसको पैसा देना था उसको उतना पैसा मिला कि नहीं मिला? क्या बीच में कोई बिचौलिया खा गया? सारा स्टडी करना पड़ता है वो नहीं होता है और इसलिए लोकतंत्र को जो ताकत मिलनी चाहिए आलोचना से दुर्भाग्य से इन दिनों वो सौभाग्य हम लोगों को नहीं मिलता है तो मैं ये कमी महसूस करता हूं कि अच्छी सरकार चलाने के लिए अच्छी आलोचना बहुत जरूरी है और मैं तो ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि सदन में भी ऐसे लोग चुनकर के आएं जो विपक्ष में हो मेहनत करें अच्छा स्टडी करें सरकार की कमियों को निकाले तो देश का भला होगा, बुरा नहीं है इसमें।

सवाल: अच्छा प्रधानमंत्री जी जैसा आपने कहा कि आप तो लोगों से संवाद करते हैं इस बार जब लोग वोट डाल रहे हैं क्योंकि जब 2014 में आपकी सरकार आई थी तीन दशक के बाद ऐसा हुआ था कि एक पार्टी को बहुमत की सरकार मिली थी और कहीं ना कहीं लोग शायद चाहते थे एक स्थाई एक मजबूत सरकार हो लेकिन इस बार जब लोग वोट डालने जा रहे हैं तो कोई एक पार्टी ऐसी नहीं है बीजेपी को छोड़कर जिसने 272 सीटों पर जो है बहुमत के आंकड़े के करीब अपने उम्मीदवार भी उतारे हो तो क्या लोगों के जहन में ये बात है कि हम एक ऐसी सरकार चाहते हैं जो 2014 की तरह 2019 की तरह स्थाई हो या गठबंधन की सरकार से गुजारा हो जाएगा?

पीएम मोदी: देखिए, गठबंधन की सरकारों के भी रूपरंग अलग रहे हैं अटल जी की भी सरकार की तो गठबंधन वाली थी लेकिन उसमें एक डिसिप्लिन थी साथी दलों के लिए रिस्पांसिबिलिटी थी जो मुख्य पार्टी थी भाजपा उसकी भी रिस्पांसिबिलिटी थी और एक कंप्रिहेंसिव एक इंटरकनेक्टेड ऐसी अच्छे से सरकार चलती थी। मनमोहन सिंह जी की भी सरकार थी गठबंधन की थी लेकिन उसमें एक तो एक सुपर सीएम थे जो रिमोट कंट्रोल से सरकार चलाते थे दूसरा, हर मिनिस्ट्री अपने आप को स्वतंत्र सरकार मानती थी, हर मिनिस्टर अपने आप को प्रधानमंत्री मानता था तो ये जो 10 साल बाद में गए अटल जी का भी गठबंधन का था लेकिन वो कैरेक्टर एक डिसिप्लिन कैरेक्टर वाला गठबंधन था, अटल जी का व्यक्तित्व भी इतना ऊंचा था कि लोग उनको हर चीज में स्वीकार करते थे लेकिन बाद में ये सुपर पीएम वाला मामला आ गया और एक सरकार सेपरेट चलने लग गई पैरेलल चलने लग गई तो स्थितियां बहुत बिगड़ गईं तो फिर कोई किसी को पूछने वाला नहीं था उसके कारण उसी की बीमारी आज भी आई है। अभी देखिए इनका इंडी गठबंधन के अंदर चर्चा क्या है कि भाई पांच साल, पांच प्रधानमंत्री एक्चुअली वो ये प्रयोग अलग से हो चुका है बोले बिना हर डिपार्टमेंट अगर वो साथी दल का था तो अपने आप को एक सरकार मानता था वो किसी को पूछता नहीं था तो एक प्रकार से बिखरी हुई व्यवस्था थी अभी भी ये उसी दिशा में जाना चाहते हैं पांच साल, पांच प्रधानमंत्री ये अगर सोच होगी तो देश कैसे चलेगा? देश ने 30 साल के बाद जब 2014 में एक सरकार चुनी तो वो पुरानी सरकार के प्रति गुस्सा भी था, मेरे पास गुजरात का एक ट्रैक रिकॉर्ड भी था और भारतीय जनता पार्टी बहुत स्पष्ट रूप से आई थी कि मोदी जी के नेतृत्व में हम सरकार बनाएंगे तो देश ने भरोसा किया लेकिन 19 में देश ने काम पर भरोसा किया और 14 से 19 में ज्यादा सीटें देकर के हमें फिर से बिठाया तो देश को लगा कि भाई ये पूर्ण बहुमत वाली स्थिर सरकार जवाबदेह होती है, ज्यादा जवाबदेह होती है गठबंधन में कोई जवाबदेह नहीं होता है कोई इस पर टोपी पहनाएगा कोई उस पर टोपी पहनाएगा फिर बहाना बनाए भाई क्या करें गठबंधन सरकार की मजबूरियां हैं यहां तो कोई बहानेबाजी चलती नहीं है काम करना पड़ता है तो इस कारण देशवासियों को भी पूर्ण बहुमत वाली मजबूत सरकार सूट करती है और ये मैं देख रहा हूं कि इसका बहुत बड़ा बेनिफिट है आपने देखा होगा हर चुनाव में ये जो खान मार्केट गैंग टाइप लोग होते हैं वे चुनाव के आखिर- आखिर में एक शगूफा छोड़ते हैं कि हंग बनेगी, किसी को बहुमत नहीं मिलेगा कम से कम इस बार ये हिम्मत कोई कर नहीं रहा है वरना मैं सोच रहा था कि शायद जब 20 दिन बाकी होंगे तो ये मैदान में आ जाएंगे सब हंग होगा फिर चर्चा यही हफ्ते भर चलेगी इस बार उन्होंने इलेक्शन कमीशन को विवादों में रख कर के अपनी रोजी- रोटी कमाने की कोशिश की है।

सवाल: इस बार आपने उन्हें 400 की फिरकी में भी उलझा दिया ना..

पीएम मोदी: हमने उलझाया नहीं है देश की जनता का निर्णय हम समझते हैं, हम देश की जनता की आंखों में वो ताकत देखते हैं और उसको जनता ही अपने शब्दों में कहती है हम तो इको- इफेक्ट देते हैं ये है तो आवाज जनता की।

सवाल: प्रधानमंत्री जी अभी आपने खान मार्केट गैंग का जिक्र किया पिछले कुछ समय से आप लगातार जिक्र कर रहे हैं खान मार्केट गैंग का क्या वजह मतलब ये जो आपने 2019 में इस टर्मिनोलॉजी को शुरू किया था, 2024 में भी आई है क्या आपको लगता है ये सुधरे नहीं हैं इतने सालों में?

पीएम मोदी: ऐसा नहीं है जी वो बिगड़े हुए हैं ऐसा भी मैं नहीं कहता चाहता उनका एक एजेंडा है और इस परिवार के ये सब दरबारी लोग हैं इन्होंने क्या किया और ये व्यक्ति बदलते गए, पीढ़ियां बदलती गई लेकिन वो उसका जो एलिमेंट है वो वैसे के वैसा फलता- फूलता रहा सरदार पटेल के लिए क्या- क्या बोलते थे लोग? कैसी भद्दे भाषा में उनका वर्णन करते थे? उनके कपड़ों के लिए, उनके बैठने- उठने के तरीके के लिए ये वही लोग महात्मा गांधी के लिए कुछ भी उटपटांग बोलते थे। ये वो लोग है बाबा साहेब अंबेडकर को भी ऐसा ही कहते थे। लाल बहादुर शास्त्री जी का भी वही हाल कर देते युद्ध के कारण और उनके बहुत ही अचानक मृत्यु के कारण वो बच गए बाकी मोरार जी भाई तो ऐसी छवि बना दी कि पेशाब पीता है.. पेशाब पीता है.. पेशाब पीता है दुनिया भर में यही छवि बना दी जबकि मोरार जी भाई सबसे उत्तम तरीके से फाइनेंस को मैनेज किया था, महंगाई को कंट्रोल करने में सबसे सफल प्रधानमंत्री रहे थे लेकिन बदनाम करके रख दिया, देवगौड़ा जी आए तो कैसी छवि बना दी ये तो सोते रहते हैं, ये तो सोते रहते हैं, ये तो सोते रहते हैं तो इन्होंने इस देश में एक भी व्यक्ति के व्यक्तित्व को बड़ा नहीं होने दिया उस परिवार से कोई बड़ा होना नहीं चाहिए ये लगातार उनके षडयंत्र का हिस्सा है मुझे भी जूझना पड़ रहा है लेकिन मैं अपने काम में समर्पित हूं तो मैंने सब कुछ जनता- जनार्दन के ऊपर छोड़ दिया है।

सवाल: अच्छा, प्रधानमंत्री जी आपने चुनाव के अंतिम चरण में अभी दो इंपॉर्टेंट चीजें करप्शन को लेकर कही एक तो आपने ये कहा कि जो करप्ट लोग हैं इनकी संपत्ति का एक्सरे जो है मोदी करवाएगा और आपने ये भी कहा कि जिन लोगों से पैसा लिया जो बहुत सारा करोड़ों रुपए बरामद हो रहा है आप उसका एक वे आउट देखेंगे कि क्या अगर मनी ट्रेल पता चल जाती है तो जिनसे पैसा लिया गया उनको लौटाए जा सके पर कानूनी रूप से इसमें बहुत पेचीदगियां नहीं लगती?

पीएम मोदी: अब देखिए, मैं बताता हूं पहली बात है कि देश को गर्व होना चाहिए कि एक सरकार ऐसी है कि जिसका करप्शन के प्रति जीरो टॉलरेंस है, दूसरा- ये सरकार ऐसी है कि जिस डिपार्टमेंट के पास जो काम है उसको करना पड़ता है अगर किसी को सफाई का जिम्मा है तो सफाई करनी पड़ेगी भाई तुम घर पर सो नहीं सकते हो तुम्हें समय पर बस चलानी है तो चलानी पड़ेगी तो एक गवर्नेंस में हर एक को अपना- अपना काम ढंग से करना चाहिए ये डिसिप्लिन लाने का मेरा प्रयास है, उसमें ईडी डिपार्टमेंट भी आता है, उसमें सीबीआई भी आता है, उसमें विजिलेंस भी आता है। सारे डिपार्टमेंट हर एक को काम करना होता है यही सरकारें थीं पहले, यही स्ट्रक्चर था, यही अफसर थे, यही पद थे, यही तनख्वाह थी, यही फाइलें थीं, यही प्रक्रिया थी, 10 साल में 2004 से 2014 प्रधानमंत्री भी थे और सुपर पीएम भी थे रिमोट से सरकार चलती थी 34 लाख रुपये उन्होंने जब्त किए थे इसका मतलब डिपार्टमेंट सोया पड़ा था कुछ करता नहीं था, देश चिल्लाता था और सरकार भी वो गई तो करप्शन के मुद्दे पर गई, हम आए हमने कहा भाई ये कुछ नहीं चलेगा आपको काम करना पड़ेगा 2200 करोड़ रुपये पकड़े कैश अब इसमें तो कोई आप कह नहीं सकते झूठ है, गलत है..

सवाल: नोट की गड्डियां हम देख रहे हैं..

पीएम मोदी: दिखता है नोटे गिनने में मशीनें थक जाते हैं। 2200 करोड़ रुपये और करीब सवा लाख करोड़ रुपए से ज्यादा प्रॉपर्टी को सीज किया हुआ है अब जैसे केरल में कम्युनिस्टों के द्वारा कोऑपरेटिव बैंक का बहुत बड़ा स्कैम चल रहा है काफी कुछ हाथ लगा है और उसमें सामान्य मानवी के पैसे हैं और ये सारे पॉलिटिशियन लेफ्ट वाले उसको कब्जा करके अपने मनमानी से उसका दुरुपयोग किया है अब ये सब संपत्ति जब्त हो रही है तो मैंने कहा भाई जरा ढूंढो ये जो बैंक में डिपॉजिट दिया गरीब आदमी है मध्यम वर्ग का आदमी है ये जिनकी प्रॉपर्टी उसको ऑक्शन करके इनको वापस दे सकते हैं क्या चल रहा है, अब तक हम 17000 करोड़ रुपये संबंधित लोगों को वापस दे चुके हैं जो हमने..

सवाल: 17000 करोड़ रुपये दिया जा चुका है..

पीएम मोदी: दिया जा चुका है और अभी मैंने बंगाल में कहा बंगाल में जो रेट कार्ड चल रहा है नौकरी के तो उसका तो फिक्स रेट है किसी को अगर उसके पास कुछ नहीं और वो बता सकता है मैंने उस दिन बैंक से उठाया मैंने दिया मिलेगा तो मैंने कहा कानूनी- व्यवस्था बताओ मुझे कि 3000 करोड़ रुपये हमारे पास वहां के हैं, क्या इन लोगों को मैं पैसे दे सकता हूं क्योंकि गरीब का पैसा है उसको वापस मिलना चाहिए ये सरकार के खजाने में क्यों जाना चाहिए तो उस दिशा में मैं काम कर रहा हूं..

सवाल: और एक्सरे कैसे करवाएंगे सर?

पीएम मोदी: जहां तक एक्सरे का सवाल है सरकार उनसे पूछेगी भाई कि बताइए भाई आप कुछ कमाते- धमाते हो नहीं तो इतने रुपए आए कहां से? सिर्फ आप उनके चुनाव की जो नामांकन पत्र है उसकी अमाउंट का एनालिसिस करो ना..

सवाल: बहुत सारे नेता लपेटे में आएंगे सर..

पीएम मोदी: नेता ही पहले आने चाहिए ये देश के सामान्य मानवीयों को परेशान करने के जमाने चले गए। सबसे पहले ऊपर से ही होना चाहिए, सबसे पहले मोदी जवाबदेह होना चाहिए ये मेरा मत है।

सवाल: अच्छा प्रधानमंत्री जी आप ना कॉरपोरेटिव फेडरलिज्म की आपने बहुत बात की 10 सालों में क्या आपको लगता है करप्शन के मुद्दे के कारण इसको जमीन पर उतारने में कहीं-कहीं दिक्कतें आती हैं उस भावना को क्योंकि दिल्ली जैसा राज्य है, पश्चिम बंगाल जैसा राज्य है करप्शन के इशू पर वहां के मुख्यमंत्रियों की केंद्र के साथ टकराव होता है तो ये भावना में आपको लगता है कि दिक्कत आती है?

पीएम मोदी: पहली बात है मैं कॉम्पिटेटिव कोऑपरेटिव फेडरलिज्म के फिलोसोफी को लेकर के आगे बढ़ रहा हूं। मैं चाहता हूं फेडरलिज्म में केंद्र के द्वारा राज्य- राज्यों के बीच अन्याय नहीं होना चाहिए, केंद्र के द्वारा केंद्र और राज्य के बीच बहुत ही सीमलेस संकलन होना चाहिए, मेरा उस दिशा में प्रयास होता है कोविड में आपने देखा मैं हर हफ्ते वीडियो कॉन्फ्रेंस करके सबको साथ लेकर के चलाने की कोशिश कर रहा था। जी- 20 में आपने देखा सभी राज्यों को अवसर दिया, मैंने सभी राज्यों को जोड़ा, कुछ राज्यों ने मदद की कुछ राज्यों ने नहीं की लेकिन हमने कोशिश पूरी की कुछ राज्यों ने कहा हम खर्चा नहीं करेंगे फिर भी हमने कहा भाई तुम्हारी फोटो लगाओ तुम जाकर बैठो तुम्हारी फोटो निकले क्योंकि दुनिया में एक अच्छी छवि गई हमारी तो हमारी कोशिश रहती सबको साथ लेकर चले, जहां तक भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई ये मेरी पार्टी का एजेंडा है जीरो टॉलरेंस बहुत सी पार्टियां ऐसी हैं जिनको लगता है ये तो स्वाभाविक है इसमें क्या बुरा है अब देखिए हमारे देश में पहले स्कूल में भी अगर कोई कॉपी करता था मैं जिस जमाने में पढ़ता था और किसी को पता चल जाए कि कॉपी करता था तो हफ्ते तक किसी को मुंह नहीं दिखाता था एग्जाम में चोरी करता है ये बहुत बड़ा उसको कलंक लगता था उसके परिवार के लोग भी पता चले कि बेटा उनका इसमें है तो परिवार आज दुर्भाग्य देखिए जिनको सजा हो चुकी है, भ्रष्टाचार में सजा हो चुकी है, शासन का दुरुपयोग करते हुए भ्रष्टाचार किया है, पद का दुरुपयोग करते हुए किया है उनको कंधे पर बिठा कर के लोग महिमामंडन कर रहे हैं ये जो वैल्यूज में चेंज आया है ये खतरनाक है अगर भ्रष्टाचार को इस प्रकार से महिमामंडन होता रहेगा तो अच्छा सामान्य मानवी चोरी करे जेल जाए जमानत ना मिले तो चलता है लेकिन कोई बड़ा नेता सारी दुनिया कहती नेता भ्रष्ट है, नेता जेल जाए तो बोलते भेजने वाला गलत है ये खान मार्केट गैंग का कृत्य है इस प्रकार का नैरेटिव सेट करना ये खान मार्केट है। सबने एक स्वर से कहना चाहिए भ्रष्टाचार के खिलाफ अब कोर्ट जब कहे जाओ भाई अंदर जाओ भाई क्या जाता है तुम्हारा दो- साल तीन साल अगर जेल में गए तो क्या जाता है न्याय की लड़ाई लड़ के निकलो ना बाहर।

सवाल: अच्छा प्रधानमंत्री जी एससी- एसटी- ओबीसी आरक्षण को लेकर आपने कई बार कहा है कि मैं मुसलमानों को नहीं देने दूंगा लेकिन कल ही जो है एसटी हसन समाजवादी पार्टी के नेता है उन्होंने कहा कि इंडी गठबंधन की सरकार आएगी तो हम उनको आरक्षण देंगे क्योंकि बहुत सारी पिछड़ी जातियां हैं, दूसरी तरफ ममता बनर्जी हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद कहती हैं कि मैं आरक्षण दूंगी.. दूंगी.. दूंगी, हाईकोर्ट का फैसला नहीं मानूंगी। तीन-तीन बार वो ऐसा कहती हैं कैसे इसको आप देखते हैं?

पीएम मोदी: मैं समझाता हूं ये जो गलती होती है ना कि भाई मोदी मुसलमानों को आरक्षण का विरोध करता है, मैं कहता हूं कि भारत का संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है। संविधान निर्माताओं ने इस मुद्दे पर बहुत गहरी चर्चा की है, चर्चा कर- करके संविधान सभा ने जो संविधान बनाया वो कहता है कि भारत जैसे देश में धर्म के आधार पर एक बार टुकड़े हो चुके हैं अब इस देश को ज्यादा टुकड़े नहीं होने देना चाहिए, धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं देना चाहिए डॉक्टर बाबा साहेब अंबेडकर ने भी यही कहा, जवाहरलाल नेहरू ने भी यही कहा, बाकी भी संविधान सभा के सभी सदस्यों ने कहा, मेरा कहना है कि हमें संविधान का लेटर एंड स्पिरिट में आरक्षण करना चाहिए। हमें इस देश में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं देना चाहिए, मेरा मुद्दा है धर्म को आधार बनाने की जो प्रवृत्ति चली है उसके खिलाफ है भारत का संविधान हर एक नागरिक को समान रूप से देखता है लेकिन फलाने धर्म के हो इसलिए मिलेगा ये इस देश में नहीं चल सकता।

सवाल: तो ममता जी की रिएक्शन पर..

पीएम मोदी: जहां तक मैं कोलकाता हाईकोर्ट ने जो जजमेंट दिया है वो आंख खोलने वाला है कि आप कैसे ओबीसी के अधिकारों को छीन रहे हो? ओबीसी समाज को वैसे तो ये परिवार दिल्ली का शाही परिवार राजीव गांधी के जमाने से वैसे तो कहे तो नेहरू जी के जमाने से बहुत पहले एक कमीशन बैठा था उसने भी रिपोर्ट दी थी, इन्होंने कभी ओबीसी को स्वीकार ही नहीं किया और वो ये ओबीसी से नफरत करते रहे हैं। इवन बीपी सिंह के आने पहले तक उन्होंने खुलेआम विरोध किया था तो ये तो ओबीसी के दुश्मन तो रहे हैं अब ओबीसी आ गया, ओबीसी को आरक्षण मिल गया अब क्या किया उसमें से लूट करो और कर्नाटक मोडल डेवलप किया कि मुसलमान जातियों को ही ओबीसी घोषित कर दो और ओबीसी का सारा हक उनको दे दो ये खेल ममता जी ने किया, सारा पकड़ा गया कोर्ट ने मना कर दिया।

सवाल: मैं जानता हूं आप बहुत व्यस्त हैं एक आखिरी सवाल आपसे पूछ रहा हूं सर आपने अपने लंबे राजनीतिक जीवन में बड़े चुनाव लड़े हैं, लड़वाए हैं अभी भी आप हैं पर इस लंबे करियर में ये आपकी जिंदगी का पहला चुनाव है जब आप चुनाव की रैलियों से धूप में तप कर आते हैं कोई मां पूछने वाली नहीं होती कि भाई बेटा तुम अपना ख्याल तो रख रहे हो विजय का आशीर्वाद देने वाली मां जो है वो आज तो पहला चुनाव आपका है कैसे आप इसको कॉप अप कर पा रहे हैं?

पीएम मोदी: देखिए, मैं एक विरक्त व्यक्ति हूं, मेरा व्यक्तित्व में विरक्त भाव है। मां का ना होना अपने आप में हर किसी के जीवन में बहुत बड़ी कमी होती है, मेरे जीवन में जरा ज्यादा कमी है लेकिन मैंने मेरी मां ने मुझे जो संस्कार दिए हैं वो संस्कार भी तो मुझे देश के लिए समर्पण कर दिया है तो आज देश की कोटि- कोटि माताएं हैं उन्हीं के प्रति उसी श्रद्धा भाव से आशीर्वाद लेकर के चलता हूं और अब तो मैं फील करता हूं मां गंगा ने मुझे गोद लिया है तो वो भी मेरी एक मां है वो मेरी चिंता करती है..

सवाल: बिल्कुल, मां गंगा और लोग कह रहे हैं इस बार नए रिकॉर्ड के साथ वाराणसी में आप चुनाव जीतेंगे आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं सर..

पीएम मोदी: मेरा भी आपके सभी दर्शकों को बहुत- बहुत धन्यवाद और मेरा उनसे आग्रह है कि आने वाले दिनों में दो चरण बाकी है मतदान अवश्य करें और लोकतंत्र के उत्सव को एक लेटर एंड स्पिरिट में मनाएं बिना कटुता मनाएं और मैं तो कहूंगा कि एक जून के बाद हर कोई जिसने जो बोलना था बोल दिया जो कहना था कह दिया प्यार से साथ मिलकर के कंधे से कंधा मिला करके चलें, देश की सेवा करें।

सवाल: बहुत बढ़िया सर, डीडी न्यूज़ से बात करने के लिए बहुत शुक्रिया, बहुत आभार

पीएम मोदी: बहुत-बहुत धन्यवाद।

  • Jitendra Kumar April 26, 2025

    ❤️🇮🇳🙏🙏
  • KANODI GANGADHAR April 25, 2025

    JAI Sriram
  • Shubhendra Singh Gaur March 31, 2025

    जय श्री राम ।
  • Shubhendra Singh Gaur March 31, 2025

    जय श्री राम
  • Siddharth Purohit February 08, 2025

    ram ram
  • PawanJatasra January 21, 2025

    🌹🌹
  • krishangopal sharma Bjp December 20, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
  • krishangopal sharma Bjp December 20, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
  • krishangopal sharma Bjp December 20, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
  • Rahul Naik December 07, 2024

    🙏🙏
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PM to participate in International Air Transport Association's 81st Annual General Meeting on 2nd June in New Delhi
June 01, 2025
QuoteIATA AGM being held in India after a gap of 42 years
QuotePM to address Global Aviation CEOs

In line with his commitment to developing world-class air infrastructure and enhancing connectivity, Prime Minister Shri Narendra Modi will participate in the International Air Transport Association's (IATA) 81st Annual General Meeting (AGM) on 2nd June, at around 5 PM at Bharat Mandapam in New Delhi. He will also address the gathering on the occasion.

The IATA 81st Annual General Meeting and World Air Transport Summit (WATS) will be held from 1st to 3rd June. The last AGM in India was held 42 years ago in 1983. It brings together more than 1,600 participants including top global aviation industry leaders, government officials and international media representatives.

The World Air Transport Summit will focus on key issues facing the aviation industry including Economics of the Airline industry, Air Connectivity, Energy Security, Sustainable Aviation Fuel Production, Financing Decarbonisation, Innovations among others. The aviation leaders and media representatives from around the world will also get to witness India's remarkable transformation in the aviation landscape and its contribution to the country's socio - economic development.