Along with Shraddhanjali, we have to dedicate Karyanjali to Mahatma Gandhi & Swachhagraha is the biggest means to do that: PM 
The dream of Mahatma Gandhi's clean, healthy and prosperous India should be the dream of every Indian: PM 
Mahatma Gandhi attached more importance to cleanliness than freedom. He made Swachhta an integral part of his life: PM Modi 
The aim of Satyagraha was independence and the aim of Swachhagraha is to create a clean India, says PM Modi

आज हम 20वीं सदी के एक महान घटनाक्रम का समारोह का शुभांरभ करने के लिए एकत्र हुए हैं। 100 वर्ष पहले आज का ही दिन था, जब गांधीजी पटना पहुंचे थे, और चंपारण के अपने सफर की शुरूआत की थी। चंपारण की जिस धरती को भगवान बुद्ध के प्रवचन का आशीर्वाद मिला था, जो धरती सीता माता के पिता, जनक के राज्‍य का हिस्‍सा रही थी; वहां के किसान कठोरत्‍तम स्थिति का सामना कर रहे थे। न सिर्फ चंपारण कि किसानों को, शोषितों को, पीडि़तों को गांधीजी ने एक रास्‍ता दिखाया, बल्कि पूरे देश को ये एहसास कराया कि शांतिपूर्ण सत्याग्रह की क्‍या शक्ति होती है।

दोस्‍तों, हमारे देश का इतिहास सिर्फ कुछ व्‍यक्तियों तक सिमटा नहीं रहा, सिर्फ कुछ परिवारों तक सिमटा नहीं रहा। हमारा देश का इतिहास वृहद, व्‍यापक; एक ऐसा इतिहास, जो नये रूप और संदर्भों में बार-बार लौटता है और हमें मजबूर करता है कि हम अपनी आंखें खोलें और अपने राष्‍ट्र की गौरवशाली संस्‍कृतिक परम्‍परा को पहचानें। इतिहास के कुछ पन्‍ने ऐसे होते हैं, कि वे जब भी आपको या आप उनको छूते हैं, खोलते हैं तो आपको कुछ नया बनाकर जाते हैं। इसे पारस स्‍पर्श कहते हैं, इतिहास का पारस स्‍पर्श। चंपारण का सत्‍याग्रह ऐसा ही पारस है। इसलिए बहुत आवश्‍यक है कि हम ऐसे ऐतिहासिक अवसरों को जानें, उनसे जुड़ें, हो सकें तो उन्‍हें जीने का प्रयास करें।

अब यहां एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया, online interactive quiz का आरंभ हुआ है, नृत्‍य-नाटिका भी प्रस्‍तुत की गई है। चंपारण सत्‍याग्रह के 100 साल पूरे होने पर होने वाले ऐसे कार्यक्रम सिर्फ औपचारिकता नहीं हैं। ये हमारे लिए एक पवित्र अवसर है। बापू के आदर्शों से प्रेरित होकर देश-हित के लिए खुद को संकल्पित करने का, समर्पित करने का।

साथियो, हमें अब महात्‍मा गांधी को श्रद्धांजलि के साथ-साथ कार्यांजलि भी अर्पित करनी है। अपने कार्यों को उन्‍हें अर्पित करना है। और उसके सबसे बड़ा माध्‍यम है स्‍वच्‍छाग्रह। सत्‍य के प्रति आग्रह की तरह ही स्‍वच्‍छता के प्रति भी आग्रह।

दोस्‍तों, 1917 में, nineteen seventeen में, जब गांधीजी चंपारण गए तो उनका इरादा वहां बहुत लम्‍बे समय तक रुकने का नहीं था। वे चंपारण की स्थिति के बारे में बहुत जानते भी नहीं थे। लेकिन जब गांधीजी वहां पहुंचे तो कुछ हफ्ते नहीं बल्कि कई महीनों तक वहां रुके। चंपारण ने ही उन्‍हें मोहनदास कर्मचंद गांधी से महात्‍मा गांधी बनाया था। चंपारण पहुंचने से पहले वो सत्‍याग्रह की ताकत से खुद अवगत थे, वो उसे जानते थे। लेकिन उन्‍हें पता था कि सिर्फ उनके सत्‍याग्रही बनने से इच्छित परिणाम प्राप्‍त नहीं होंगे। वो देश के जनमानस को सत्‍याग्रह की ताकत का एहसास कराना चाहते थे।

जब Magistrate ने उन्‍हें चंपारण से जाने का आदेश दिया तो उन्‍होंने कहा था, इस आदेश से इंकार वो अदालत की अवमानना के लिए नहीं कर रहे हैं, बल्कि वो ऐसा अपनी अतंरात्‍मा की आवाज और अपने अस्तित्‍व के सम्‍मान के लिए कर रहे हैं। पूरा अंग्रेजी शासन गांधी के उस निर्णय से back-foot पर चला गया। जब गांधीजी ने कहा था कि मैं जेल जाने के लिए तैयार हूं, अंग्रेजों ने सोचा नहीं था। जनता देख रही थी कि दक्षिण अफ्रीका से लौटा एक बैरिस्‍टर यहां चंपारण में आकर किस तरह जेल जाने के लिए तैयार हो गया। इतनी गर्मी में पूरे इलाके की धूल खा रहा है। तपती धूप में कभी बैलगाड़ी में, कभी इक्‍के और कभी पैदल ही एक जगह से दूसरी जगह गांधी चला जा रहा था।

आप ध्‍यान दीजिए गांधी जी इस वक्‍त लोगों के thought process को जगा रहे थे। नील की खेती करने वाले किसानों से उनके बयान लिए जा रहे थे, जांच की जा रही थी। लेकिन इस प्रक्रिया में गांधीजी खुद को लोगों से जोड़़ करके, खुद को खपा करके, खुद का उदाहरण प्रस्‍तुत करके, जन-जन का- उसकी शक्ति को आपस में जोड़ रहे थे।

गांधीजी कहते थे, ''मेरा जीवन ही मेरा दर्शन है।'' और यही हमने चंपारण में देखा है। गांधीजी ने अपनी आत्‍मकथा में लिखा है कि कैसे लोगों को अपनी शक्ति का एहसास हुआ और ये भी समय आया कि परिवर्तन हो सकता है, बदलाव हो सकता है। उन्‍होंने लिखा है 100 साल से चले आने वाले तीन कठिया कानून के रद्द होने ही नील की खेती करवाने वाले अंग्रेजों का राज अस्‍त हुआ। जनता का जो समुदाय बराबर दबा ही रहता था, उसे अपनी शक्ति का कुछ और भान हुआ। और लोगों का ये वहम हुआ कि नील का दाग होने पर धुल नहीं सकता।

यानि ऐसी स्थिति जब लोग ये मानने लगें कि कुछ हो ही नहीं सकता, कुछ परिवर्तन आ ही नहींसकता, उसे गांधी जी ने लोगों का भ्रम कहा है। इस भ्रम को उन्होंने तोड़ा, और लोगों को अपनी शक्ति का एहसास कराया।

भाइयों और बहनों, गांधी जी मूलरूप से स्वच्छाग्रही थे। वो कहते थे- “स्वच्छता आजादी से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है”। वे यह देखकर व्यथित हो जाते थे कि गांवों में लोग अज्ञानता और बेपरवाही के कारण गंदगी और अस्वच्छ स्थितियों में रहते हैं। 1917 में ही एक कार्यक्रम के दरम्‍यान पूज्‍य बापू ने कहा था कहा था, “जब तक हम अपने गांवों और शहरों की स्थितियों को नहीं बदलते, अपने आप को बुरी आदतों से मुक्त नहीं करते और बेहतर शौचालय नहीं बनाते तब तक स्वराज का हमारे लिए कोई महत्व नहीं है।"

एक तरह से कहें तो देश में स्वच्छता आंदोलन का मूल स्थान भी चंपारण को माना जा सकता है। उन्होंने साफ-सफाई और स्वच्छता को गांधीवादी जीवन-शैली का एक अभिन्न हिस्सा बनाया। उनका सपना था सभी के लिए संपूर्ण स्वच्छता।

दोस्तों, चंपारण से वहां जो कुछ भी मंथन हुआ, जो प्रयास हुए, उसमें से हमें पंचामृत मिला। जन-सामान्‍य को जोड़ करके, मंथन करके, कार्य करके, संघर्ष करके इस पंचामृत से देश के स्वतंत्रता आंदोलन को नई धार मिली।

अगर हम बारीकी से देखें तो पांएगे कि चंपारण में गांधीजी ने जो कुछ किया, उससे पांच अलग-अलग अमृत देश के समक्ष प्रस्‍तुत हुए। ये पंचामृत आज भी देश के लिए उतना ही महत्‍वपूर्ण है-

पहला अमृत - सत्‍याग्रह की ताकत से लोग परिचित हुए,

दूसरा अमृत - जनशक्ति की ताकत से लोग परिचित हुए,

तीसरा अमृत - स्‍वच्‍छता और शिक्षा को लेकर भारतीय जनमानस में नई जागृति आई,

चौथा अमृत - महिलाओं की स्थिति सुधारने का प्रयास हुआ,

और पांचवां अमृत - अपने हाथों से काते गए वस्‍त्र पहनने की सोच पैदा हुई। ये पंचामृत चंपारण आंदोलन का सार हैं।

साथियों, जब मैं चपांरण की बात करता हूं, तो मुझे बालमोहन यानी बाल कृष्‍ण की याद आती है। मोहन से मोहन तक कैसी यात्रा चली है; एक सुदर्शन चक्रधानी मोहन और दूसरा चरखाधारी मोहन। हम सबको पता है कि जब माता यशोदा बहुत परेशान थीं कि उनके बालक ने मिट्टी खा ली है। इसी चिंता में जब उन्‍होंने बाल मोहन से मुंह खोलने के लिए कहा, तो उन्‍होंने माता यशोदा को पूरे ब्रह्मांड के दर्शन करा दिए थे। ऐसा करके बाल मोहन ने अपनी माता को चिंता से मुक्ति दिलाई।

जब मैं चंपारण की बात करता हूं तो मुझे किशोर मोहन की भी याद आती है। वो चक्रधारी मोहन जब किशोर था, जिसे हम कृष्‍ण के रूप में जानते हैं; जो रासलीला करता था, बांसुरी बजाता था। किशोर मोहन ने जब घनघोर बारिश से गांववालों की रक्षा के लिए गोवर्धन उठाया तो बाकी गांव वालों से भी कहा कि आप भी अपनी लाठी ले करके खड़े हो जाइए, तब जा करके गोवर्धन उठेगा। जब गोवर्धन पर्वत उठा तो हर एक को लग रहा था कि वो मेरी ताकत से उठा हैृ; मेरी लाठी से उठा है। और ऐसा करके किशोर मोहन ने जन-जन के खुद की ताकत और सामूहिक ताकत से परिचित कराया था।

ठीक इसी तरह हमारे मोहन, महात्‍मा गांधी ने लोगों को गुलामी की चिंता से मुक्‍त किया, उनहें वो रास्‍ता दिखाया जिस पर चलकर आजादी मिल सकती थी। हमारे मोहन ने लोगों की जनशक्ति को जगाया और उन्‍हें सत्‍याग्रह से स्‍वरूछाग्रह की शक्ति से परिचित कराया।

जनशक्ति जागरण के इस अभियान में बापू ने महिलाओं को भी बराबर का सहभागी बनाया। चंपारण में भी महिलाओं की स्थिति को देखकर वो सोचने पर मजबूर हुए कि क्‍यों ना लोग अपने ही हाथ से धागा बुनें और खुद वस्‍त्र बनाएं। वो इसे सशक्तिकरण का भी एक जरिया मानते थे। खादी के विकसित होने के पीछे महात्‍मा गांधीजी का चंपारण प्रवास भी बहुत बड़ी वजह रही है।

सा‍थियों, सत्‍याग्रह ने गांधी जी के नेतृत्‍व में हमें आजादी दिलाई, किंतु स्‍वतंत्रता के बाद गांधी जी का स्‍वच्‍छ भारत का सपना अधूरा ही रह गया था। सात दशक बाद भी हम इस बुराई से मुक्‍त नहीं हो पाए। इसलिए जब 2014 में मैंने लालकिले से हर घर में शौचालय की बात की, तो लोग हैरान थे कि इस तरह बात मैं क्‍यों कर रहा हूं।

दोस्‍तों, स्‍वच्‍छ भारत मिशन बापू के अधूरे सपनों को पूरा करने का अभियान हे। ये सपना लगभग 100 वर्षों से अधूरा है और हमें इसे मिल करके पूरा करना है। मुझे खुशी है कि आज स्‍वच्‍छ भारत मिशन के जरिए देश के लोग बापू के सपने को पूरा करने के लिए उठ खड़़े हुए हैं। स्‍वच्‍छ भारत अभियान सच्‍चे अर्थों में एक जन-आंदोलन बनता चला जा रहा है। समाज का हर वर्ग इस स्‍वच्‍छाग्रह से जुड़ रहा है। जब स्‍वच्‍छ भारत किशन शुरू हुआ था तो उस समय केवल 42 प्रतिशत ग्रामीण आबादी ही शौचालयों का उपयोग करती थी। आज ये बढ़ करके 63 प्रतिशत पर पहुंचे हैं।

पिछले ढ़ाई सालों में एक लाख 80 हजार से ज्यादा गांव और 130 जिले खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर चुके हैं। अब राज्यों में भी एक होड़ सी शुरू हुई है, एक प्रतिस्पर्धा शुरू हुयी है कि कौन पहले खुद को खुले में शौच से मुक्त या Open Defecation Free राज्य घोषित करता है।

आज की स्थिति है कि सिक्किम, हिमाचल प्रदेश और केरल पूरी तरह ODF उन्होंने घोषित किया हैं। गुजरात, हरियाणा, उत्तराखंड और कुछ अन्य राज्य भी खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित करने की ओर बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। बहुत जल्द हमें उसके भी समाचार पहुंचेंगे।

गंगा तट के किनारे बने गांवों को प्राथमिकता के आधार पर Open Defecation Free बनाया जा रहा है। मुझे आपको ये बताते हुए खुशी है कि उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल, जिन पाँच राज्यों से गंगा जी होकर गुजरती हैं, वहां गंगा किनारे के 75 प्रतिशत गांवों ने खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया है। गंगा किनारे बसे गांवों में कचरे के प्रबंधन की योजनाएं लागू की जा रही हैं ताकि गांव का कचरा भी नदी में ना बहाया जाए। मुझे उम्मीद है कि जल्द ही गंगा तट पूरी तरह खुले में शौच से मुक्त हो जाएगा।

भाइयों और बहनें, आज सभी सरकारी स्कूलों में लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय हैं। अब बच्चों के syllabus में स्वच्छता से जुड़े chapter शामिल किए जा रहे हैं ताकि उन्हें शुरू से ही इसके फायदों और नुकसान के बारे में पता चले, और वो स्वच्छता को अपनी जिंदगी का, अपनी आदत का हिस्सा बनाएं।

दोस्तों, स्वच्छ भारत मिशन ने ही हमें कार्यांजलि का एक और नया मंत्र दिया है। ये मंत्र है Waste से Wealth. घरों से जो गंदगी निकलती है, बिल्डिंग बनाने के दौरान जो कचरा निकलता है, वो भी कमाई का एक जरिया हो सकता है। इससे बिजली बनाई जा सकती है, खाद बनाई जा सकती है, इसे Recycle करके construction से जुड़े कामों में उन्हें re-use किया जा सकता है। और इसलिए Waste से Wealth पर भी जोर दिया जा रहा है और इसके लिए हमें प्रयास करना चाहिए।

सरकार के अलग-अलग विभाग भी स्वच्छता को बढ़ाने के लिए, लोगों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए नए-नए initiative ले रहे हैं। इसमें टेक्नोलॉजी का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। आपने देखा होगा कि कैसे रेलवे में गंदगी से जुड़ा एक भी ट्वीट होने पर कितनी तेजी से उसको respond किया जाता है। वरना आप लोग याद करिए, पहले कैसे रेल के डिब्बों में, प्लेटफॉर्म पर गंदगी को व्यवस्था का हिस्सा मान लिया गया था।

अभी हाल ही में पेट्रोलियम मंत्रालय ने swachhta @ petrol pump के नाम से एक मोबाइल app लॉन्च किया है। अगर पेट्रोल पंप पर बने शौचालयों में गंदगी है, वो साफ नहीं हैं तो इसकी शिकायत तुरंत इस app के माध्यम से की जा सकती है। देश के लगभग 55 हजार पेट्रोल पंपों पर ये सुविधा उलब्ध होगी।

इसी कड़ी में दिल्ली में एक राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र की भी स्थापना की जा रही है। ये केंद्र स्वच्छता अभियान से जुड़ी सभी जानकारियां, आधुनिक तकनीकें लोगों तक पहुंचाने में मददगार साबित होगा।

दोस्तों, अलग-अलग स्तर पर, गवर्नमेंट से लेकर गांव तक स्वच्छाग्रह का अभियान इस समय देश में छिड़ा हुआ है, वो अभूतपूर्व है। अब लोगों के thought-process में आ रहा है कि गंदगी नहीं फैलानी है, बच्चे बड़ों को टोक रहे हैं, शिकायत कर रहे हैं। और इसलिए स्वच्छता, स्वच्छाग्रह इस अभियान को आगे बढ़ने के लिए शिकायत के साथ ही एक भाव ये भी तो आ रहा है कि हमें गंदगी नहीं करनी है, अपने आसपास घर, दफ्तर, सड़क-शहर को साफ रखना है। स्वच्छता के प्रति ये भाव ही स्वच्छाग्रह है, स्वच्छता के लिए किया गया कार्य ही बापू को कार्यांजलि है।

दोस्तों, गांधी जी सिर्फ व्यवस्था परिवर्तन ही नहीं मूल्य परिवर्तन भी चाहते थे। उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा है- “मैं चाहता हूं कि भारत इस बात को पहचान ले कि वह शरीर नहीं बल्कि अमर आत्मा है, जो हर एक शारीरिक कमजोरी के ऊपर उठ सकती है और सारी दुनिया के सम्मिलित शारीरिक बल को चुनौती दे सकती है”।

हमें देश की आत्मा को पहचानना होगा। बदलाव आ सकता है, इस सोच के साथ आगे बढ़ना होगा। जितनी ये सोच मजबूत होगी, उतना ही NEW INDIA की नीव मजबूत होगी। हमें स्वच्छता से जुड़े अपने लक्ष्य तय करने होंगे और उन्हें प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयास करना होगा। कोई वजह नहीं कि भारत की पहचान एक अस्वच्छ देश के तौर पर रहे। कोई कारण नहीं कि हमारा देश स्वच्छ नहीं हो पाए। कोई कारण नहीं के हम स्वच्छाग्रह के इस अभियान को पूरा ना कर पाएं। महात्मा गांधी के एक स्वच्छ, स्वस्थ और खुशहाल भारत का सपना प्रत्येक भारतीय का सपना होना चाहिए। इस मिशन की सफलता ही, बापू को सच्ची श्रद्धांजलि होगी, सच्ची कार्यांजलि होगी।

मैं सच में आग्रह करता हूं देशवासियों, 2019 जब गांधी के 150 साल होंगे, 1915 में जब गांधी भारत लौटे थे, दो साल के भीतर-भीतर 1917 में, चंपारण में मोहनदास कर्मचंद गांधी महात्‍मा गांधी बन गए। बारदौली के सत्‍याग्रह में वल्‍लभ भाई पटेल, सरदार पटेल बन गए थे। देश उनके पीछे चल पड़ा था। हमारे लिए चंपारण सत्‍याग्रह आजादी के आंदोलन की एक नई धारा को सशक्‍त बनाने का प्रारंभ बिन्‍दु था। आज उसकी जब शताब्‍दी मना रहे हैं तब स्‍वच्‍छाग्रह का हमारा संकल्‍प भी सत्‍याग्रह से स्‍वच्‍छाग्रह की यात्रा; और ये दोनों चीजें गांधी की देन हैं। उस समय सत्‍याग्रह आजादी के लिए आवश्‍यक था, इस समय स्‍वच्‍छाग्रह देश को गंदगी से मुक्ति के लिए आवश्‍यक है। और गंदगी से मुक्ति मतलब गरीबों का कल्‍याण। अगर सचमुच में गरीबों की सेवा करनी है, उनको बीमारियों से बचाना है, उनको जिंदगी में कोई बदलाव लाना है तो गंदगी से मुक्ति के इस मंत्र को ले करके देशवासियों हम को चलना है।

मैं फिर से एक बार चंपारण की सत्‍याग्रह की शताब्‍दी के प्रारब्‍ध में ही, सालभर चंपारण सत्‍याग्रह की शताब्‍दी हो, साबरमती आश्रम को सौ वर्ष होने जा रहे हैं, जहां महात्‍मा गांधी ने तपस्‍या की मेरे हिसाब से। और 150 गांधी के 2019 में हमारे सामने हैं। ये ऐसा कालखंड है, जो हम 20वीं सदी के गांधी को 21वीं सदी में जीने का, आधुनिक रूप-रंग के साथ जीने का, नई सोच के साथ जीने का, नये संकल्‍प के साथ जीने का, नई उम्‍मीदों को जगाने के लिए जीने का एक नया अवसर के रूप में ले करके चलने का अगर हम करके चलेंगे, मुझे विश्‍वास है कि वही सच्‍चे अर्थ में कार्यांजलि होगी। श्रद्धांजलि हमने बहुत दी है, श्रद्धांजलि देंगे भी, लेकिन अब आवश्‍यकता है कार्यांजलि की। हमारा संकल्‍प, हमारा परिश्रम उन सपनों को साकार करने के लिए है। हमारी नित्‍य-निरंतर कोशिश है उस कार्यांजलि के द्वारा बापू के सपनों के भारत को हम आंखों के सामने देख सकते हैं। इसी एक भावना के साथ, इस महान अवसर को देशवासी जी करके दिखाएं; इसी एक अपेक्षा मैं सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं।

वंदे मातरम। भारत माता की जय।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।