In an interview to India TV under the 'Salaam India' programme with Rajat Sharma, Prime Minister Narendra Modi became candid and spoke at length about India's Lok Sabha Elections, 2024 at the Bharat Mandapam in New Delhi.

रजत शर्मा - नमस्कार, बहुत-बहुत स्वागत है आप सबका। तो सलाम इंडिया के इस स्पेशल शो में आपका बहुत-बहुत स्वागत है। चुनाव का महापर्व है, नारों का शोर है, वादे हैं, बहुत सारे दावे हैं और ऐसे समय में इस शोर में शायद हम यह भूल जाते हैं कि यह चुनाव प्रधानमंत्री के सरकार के 5 साल का अकाउंट लेने का चुनाव होता है। ये वक्त होता है जब प्रधानमंत्री देश की जनता के सामने अपने काम का हिसाब-किताब देते हैं, जनता फैसला करती है। हमें फैसला करना है कि पिछले 5 साल में प्रधानमंत्री मोदी ने देश के लिए जो किया वह अच्छा किया या बुरा किया। बहुत किया या कुछ कमी रह गई। हमको फैसला करना है कि इस देश को एक मजबूत सरकार चाहिए। हमें फैसला करना है कि इस देश को एक खिचड़ी सरकार चाहिए या एक ऐसी सरकार चाहिए, एक ऐसा प्रधानमंत्री चाहिए जो पूरी दुनिया में भारत का सिर गौरव से ऊंचा कर सके। मैं आमंत्रित कर रहा हूं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी। प्लीज वेलकम प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी। मैं आप सबकी तरफ से स्वागत करता हूं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का। मोदी जी बहुत बहुत स्वागत है आपका।

पीएम मोदी- धन्यवाद रजत जी, लंबे अरसे के बाद आपके यहां आने का अवसर मिला है।

रजत शर्मा- मोदी जी जब-जब चुनाव होता है...( शांत हो जाइए... भारत माता की जय)

पीएम मोदी- आपलोग जरा अपनी एनर्जी बचा के रखिए, आपको 4 तारीख को भी इस एनर्जी की जरूरत लगेगी।

रजत शर्मा - मोदी जी जब-जब चुनाव होता है और आप सामने आते हैं तो जनता में इसी तरह का जोश दिखाई देता है, उत्सव का माहौल बन जाता है। और आप जो नारा देते हैं उस नारे को लेकर के लोग बहुत मजा लेते हैं। इस बार आपने कहा अबकी बार 400 पार। तो मैं देख रहा हूं डिजिटल मीडिया पे किसी ने लिखा हौले हौले हो जाएगा प्यार अबकी बार 400 पार। किसी ने लिखा, दिल का भंवर करे पुकार अबकी बार 400 पार। और फिर ये भी लिख दिया कि चटनी के बिना ढोकला बेकार अबकी बार फिर से मोदी सरकार। और क्रिएटिविटी का उदाहरण देखिए, लिखा है साइकिल से जाएं हाथ से कमल का बटन दबाएं। और फिर लिखा बेईमानों के लिए मोदी जहर है, गद्दारों के लिए मोदी कहर है और देश में मोदी की लहर है। अब फिर कोई ये भी लिख देता है कि नतीजों के बाद राहुल होंगे फरार अबकी बार 400 पार। ये जो दीवानगी है हर चुनाव में दिखाई देती है।

पीएम मोदी- अच्छा हुआ कि मुझे आपके शो में आने का अवसर मिला। और आपने रिसर्च करके काफी कुछ कंपाइल किया है। मैं स्वयं इतना दौड़-धूप में रहता हूं कि इन चीजों की तरफ मेरा ध्यान बहुत कम होता है।

रजत शर्मा- सबसे इंटरेस्टिंग चीज मेरा रह गई बतानी, इन्होंने जैसे शादी का कार्ड छापते हैं, ऐसे शादी का प्रोग्राम छापा है। इन्होंने लिखा एक जून को मेहंदी और दो को केजरीवाल की विदाई, 4 जून को ब्रेकफास्ट और उसके बाद हल्दी और लंच पर रोना धोना शुरू, 3 बजे ईवीएम की डोली में वापसी, 5 बजे विपक्ष की विदाई, 6 बजे विदाई का रोना और 7:00 बजे पप्पू जाएंगे इटली।

पीएम मोदी- अगर आपके पास वो शादी का कार्ड हो तो लोगों को भी दिखा दीजिए ताकि पता चले क्या निकालते हैं लोग।

रजत शर्मा- ये देखिए, ये कार्ड है, ये आप सब लोग देख सकते हैं। कोशिश करें इसको स्क्रीन पर भी दिखा दें। अब यह शादी का कम विदाई का कार्ड ज्यादा लग रहा है।

पीएम मोदी- इतना तो पक्का है कि देश का जो युवा है उसका जो क्रिएटिव माइंड है वो इस चुनाव में काफी एक्टिव लगता है और उसके कारण वो हर चीज में नारा भी, व्यंग भी और बहुत ही कम शब्दों में विश्वास भी प्रकट करता है। और जब ये 400 पार की बात आई तो उसके दो पहलू हैं। एक तो ये बीजेपी ने गढ़ा हुआ नारा नहीं है ये जनता के दिलों से निकली हुई आवाज है। जहां तक मोदी का सवाल है, आप देखते हैं 19 से 24 तक हम करीब 360 जीत कर के आए थे एनडीए। और सदन में दो तीन दल ऐसे थे जो लगातार हमारे साथ रहते थे। इसलिए एनडीए प्लस देखूं तो हम ऑलरेडी 400 थे। 2019 से 2024 तक सदन में हम 400 थे। अगर आपका परिवार का बच्चा 90 मार्क्स लेकर के आया और उसके सारे विरोधी या उसके कंपीटीटर क्लास में जो भी बच्चे हैं, वो 30 लाए 40 लाए, फिर भी आप उसको नहीं कहोगे यार तेरे बाकी वाले 40 लाते तुम 50 लेकर बैठ जाओ कि बेकार में काहे 90 की मेहनत करते हो। आप उसको कहेंगे नहीं यार 90 आए लेकिन 95 के लिए अगली बार ट्राई करो ना। तो 400 होने के बाद मुझे तो मेरे साथियों को कहना ही होगा कि भैया हमें तो और आगे जाना चाहिए इसलिए 400 पार आया। दूसरा ऐसे ही किसी क्रिएटिव माइंड ने मुझे सुझाव दिया था कि 370 लोगों के जेहन में ऐसा फिट बैठ गया है और हिंदुस्तान की आजादी के इतिहास में देश की एकता के लिए जो प्रयास हुए हैं उसमें धारा 370 को लेकर जो काम हुआ है वह एक महत्त्वपूर्ण कदम है भारत के विकास यात्रा में। इसलिए किसी ने कहा कि अब तो बीजेपी ने टारगेट करना चाहिए बीजेपी के लिए 370, तो उस 370 धारा में से और ये मुझे कश्मीर के ही किसी साथी ने बताया था कि 370 सीट का कभी, इसलिए मैंने संसद में कहा भाई ऐसे भी लोग हैं जो मुझे कहते हैं बीजेपी ने 370 प्राप्त करनी चाहिए ताकि 370 का महात्म्य जनमानस में रजिस्टर हो जाए।

रजत शर्मा - मुझे याद है जब पांच साल पहले आप इसी तरह जनता के सामने आए थे अपने काम के बारे में बताने के लिए उससे कुछ ही दिन पहले डोनाल्ड ट्रंप आए थे। वो अहमदाबाद में बड़े स्टेडियम में गए थे और फिर वहां भी उन्होंने नारा लगाया अबकी बार ट्रंप सरकार वो हार गए फिर जो बाइडन आ गए तो जितने विरोधी थे यह कह रहे थे कि अब तो अमेरिका से मोदी के रिश्ते खराब हो जाएंगे। वह तो ट्रंप के साथ थे अब तो जो बाइडन आ गए और हम देख रहे हैं टर्म खत्म होते-होते जो बाइडन ने आपको बुलाया और वाइट हाउस में ऐसा सम्मान किया जो हमने पहले कभी नहीं देखा।

रजत शर्मा- मोदी जी पहले आपने प्रधानमंत्री देखे हैं, पहले भी हमारे प्रधानमंत्री विदेश में गए हैं लेकिन क्या वजह है कि दुनिया के ये लीडर जो अपने आप में ताकतवर हैं, जिनको किसी की तारीफ करने की जरूरत नहीं है। ये आपके बारे में इतने प्यार से, इतनी दीवानगी से बोलते हैं और पुतिन का यह कहना कि मोदी किसी के आगे झुकते नहीं।

पीएम मोदी- हमारे देश का दुर्भाग्य रहा कि पहले कोई प्रधानमंत्री जाते थे तो पता नहीं चलता था कि गए हैं। और वापस आते थे तब भी पता नहीं चलता था कि आ गए क्या। दूसरा इसमें मोदी नहीं है। ये हम भ्रम ना फैलाएं और ना हम भ्रम में रहे। मोदी शायद निमित्त हो सकता है और बोलने में शायद सरल है इसलिए सरलता से उपयोग हो जाता होगा, लेकिन यह जो कुछ भी करिश्मा है वो 140 करोड़ हिंदुस्तानियों, भारत के सामर्थ्य का है। और मोदी ने 2013 में जब चुनाव की तैयारियां चल रही थी। भारतीय जनता पार्टी ने मुझे प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में घोषित कर दिया था। तो फिर मुझे लोग उसी रूप में मेरे से हर चीज पूछने लगे, मेरा एनालिसिस करने लगे। तो मेरी एक जो आलोचना होती थी मीडिया में अगर आप लोग देखेंगे तो अरे यार ये तो स्टेट में से आ रहा है इसको न पूरे हिंदुस्तान की समझ है ये दुनिया से कैसे अपनी बात करेगा, ये दुनिया में कैसे अपनी बात ले जाएगा, दुनिया के साथ क्या करेगा। फिर जब टीवी मीडिया का दौर शुरू हुआ, चर्चा होने लगी मेरे इंटरव्यू होने लगे, तो घूम फिर के ये सवाल आता था भाई आपको तो कोई अनुभव नहीं, आप करेंगे क्या विदेश नीति में। अब चुनाव हिंदुस्तान का था लेकिन सबने इकोसिस्टम ने फोकस ग्लोबल बना दिया था ताकि मोदी उसी में फंस जाएगा, यहां तो अच्छी तरह खेल लेगा। तो मैंने तब एक वाक्य कहा था विदेश नीति के संबंध में मैंने कहा वो तो देश की एक कंटिन्यूटी होती है लेकिन जहां तक मोदी का सवाल है, अब देश ना आंख झुका के बात करेगा, ना देश आंख उठा कर के बात करेगा, लेकिन यह देश आंख मिलाकर बात करेगा। और मैं जब मुझे कोई इनफीरियॉरिटी कॉम्प्लेक्स नहीं होता है कि मैं तो कभी चाय बेचता था, ये देश-दुनिया के इतने बड़े आदमी हैं। चाय वाला क्या करेगा जाके चाय परोसेगा और क्या करेगा। लेकिन मेरे मन में, जब भी मैं दुनिया के बड़े-बड़े महारथियों को मिला। जरा वो हाइट बॉडी में भी ज्यादा होते हैं, कलर स्किन भी बड़ी उनकी प्रभाव पैदा करने वाली होती है। लेकिन जब मैं मिलता हूं तो मैं मोदी नहीं होता हूं। जब मैं हाथ मिलाता हूं तब मुझे पता होता है 140 करोड़ देशवासी मेरे साथ हैं। और जब मैं 140 के मिजाज में ही चलता हूं तब मुझे दुनिया बहुत छोटी लगती है। मुझे लगता है मेरे देश के पास कोई कमी नहीं है, सामर्थ्य की कोई कमी नहीं है। मैं इस विश्वास से भरा हुआ होता हूं। और उसका प्रभाव तो होता ही होता है। सामने वालों को लगता है यार ये कल तो ऐसी कोई बात नहीं करता था, पहले तो कोई ऐसे खड़ा भी नहीं रहता था, ये तो यूं खड़ा रहता है तो फिर उनका भी सोचना बदल जाता है जी ।

रजत शर्मा- हमें भी अजीब लगता है कि प्रेसिडेंट जो बाइडन जैसा ताकतवर व्यक्ति जी7 में आपको ढूंढते-ढूंढते आ रहा है कहां गए मोदी जी।

पीएम मोदी- ये बात सही है कि मैंने व्यक्तिगत रूप से मेरे संबंध बहुत नजदीकी हैं, खुलेपन के हैं। हर किसी से मेरी ऑफिशियल बातचीत के अलावा इनफॉर्मल बातचीत का दौरा बहुत होता है। मेरे टेलीफोन कॉल्स भी बहुत होते हैं। और मैं इफ एंड बट्स वाली बात नहीं करता जी। बादल होंगे तो बारिश होगा ऐसी बातें मैं नहीं करता जी। बारिश होगा तो मैं कहूंगा हां होगा, नहीं होगा तो मैं कहूंगा नहीं होगा। यानी ब्लैक एंड वाइट में मेरी बात रहती है और दुनिया इसे पसंद करती है। दुनिया गोलमोल चीजों के बजाय, उनको पता है जैसे मैं रशिया से इन दिनों पेट्रोलियम वगैरह लेता हूं। क्योंकि मुझे तो मेरे देश के लोगों को दुनिया में जो पेट्रोल की महंगाई आई है, मेरे देश के लोगों पर ना पड़े तो मुझे जहां से सस्ता मिलेगा मैं लूंगा क्योंकि मैं तो मेरे देश के लिए जी रहा हूं। कोई मेरी तारीफ करे इसके लिए मैं थोड़ा न पैदा हुआ हूं। लोगों ने मुझे कहा साब ये अमेरिका नाराज हो जाएगा, मैंने कहा किसी को खुश करना है तो मुझे 140 करोड़ लोगों को खुश करना है, मुझे और किसी को खुश नहीं करना। और हमने कारोबार चालू रखा। आज हम हमारे देश को हम बचा पाए हैं, लेकिन at the same time राष्ट्रपति पुतिन के साथ चेयर पर बैठ कर के टीवी के सामने मैं कह सकता हूं कि यह युद्ध का समय नहीं है और इसलिए दुनिया मेरे विषय में दुविधा में नहीं है और उसको लगता है ये हिंदुस्तान का मिजाज है जो मोदी बोल रहा है।

रजत शर्मा- लेकिन मोदी जी पहले भी हमारे नेता जाते थे और बड़े-बड़े नाम वाले नेता जाते थे या तो आप अमेरिका के साथ रहेंगे या रशिया के साथ रहेंगे। ये बोलोगे तो वो नाराज हो जाएगा वो बोलोगे तो ये नाराज हो जाएगा। यह बैलेंस आपने चेंज किया?

पीएम मोदी- मुझे लगता है कि उस समय जो मूलभूत सोच रही थी वो ये थी इक्वल डिस्टेंस वाली यानी हम सबसे इक्वल डिस्टेंस बना कर के रहते हैं दूरी बनाना ये मानदंड था। मैंने आकर के इसको बदला। हम दुनिया से जितनी हो सके उतनी नजदीकी करेंगे, डिस्टेंस वाला शब्द ही मैंने निकाल दिया। इससे क्या हुआ कि किसी को लगता है अच्छा वो मिस्टर ए आके गया तो बी को लगता है यार मैं रह गया तो वो भी आगे आता है फिर इधर से सी को लगा कि मोदी के पास वो तो पहुंच गया यार मैं रह गया तो इधर वाला डी आता है तो सब लोगों को अब लगता है कि हिंदुस्तान के पास जाना चाहिए। और ग्लोबली कंपटीशन है हिंदुस्तान के निकट आने की। विदेश विभाग ने पहले काम ऐसा किया कि दूरी बनाए रखो क्यों तो भाई हमारी चलेगी आज मेरी स्थिति ये है... अब देखिए एक घटना मैं बताता हूं मैं इजराइल जा रहा था तो सभी ये जो बुद्धिमान लोग होते हैं ना जो इस दुनिया में बड़े हुए हैं। मुझे एडवाइज करते थे साहब इजराइल जाते है तो पलेस्टाइन जाना ही चाहिए। भारत में सेक्युलरिज्म का अर्थ यही है कि अगर आप हनुमान जी के मंदिर गए तो शाम को इफ्तार पार्टी करनी पड़ेगी। ये ऐसी साइकी बनी हुई है। तो मैं मैंने सोचा भाई मैं स्टैंड अलोन यात्रा करूंगा। इजरायल अकेला जाऊंगा। इजरायल से वापस आऊंगा। मैं पलेस्टाइन नहीं जाऊंगा। लेकिन मैंने ये कहा था मैं पलेस्टाइन भी जाऊंगा सीधा पलेस्टाइन जाऊंगा और वापस आऊंगा। मैं ये क्लब करके हमारे देश के सेकुलरिज्म की जो विकृतियां हैं मैं उसका शिकार नहीं होने वाला हूं। और देश की आजादी के बाद मैं पहला प्रधानमंत्री था जो इजरायल गया, शान से कार्यक्रम किए और वापस आया। दो-तीन महीने के बाद मेरा पलेस्टाइन का कार्यक्रम बना। तो मैं सीधा पलेस्टाइन गया। तो वहां पर जाते समय लॉजिस्टिक प्रॉब्लम था, मुझे हेलिकॉप्टर की जरूरत थी। मैं जॉर्डन से जाने वाला था तो जॉर्डन के किंग जो मोहम्मद साहब के सीधे वारिस हैं, जॉर्डन के किंग मोहम्मद पैगंबर साहब के डायरेक्ट वारिस हैं, उनको पता चला कि मैं ऐसे ही वहां से पास हो रहा हूं। उन्होंने कहा जी नहीं, मैं अपना कार्यक्रम बदल कर के जॉर्डन वापस आऊंगा। आप मेरे यहां आइए हम बैठेंगे, और आपको हेलिकॉप्टर आपके देश से लाने की जरूरत नहीं, मेरे हेलिकॉप्टर में जाएंगे और पूरी यात्रा में मेरी व्यवस्था रहेगी। जॉर्डन के किंग, एक ऐसा प्रधानमंत्री जो कुछ दिन पहले इजरायल जाके आया हुआ है, इतना ही नहीं, मैं जॉर्डन के किंग के हेलिकॉप्टर में जब जा रहा था पलेस्टाइन तो इजराइल के छह विमान उनके एयरफोर्स के, वो उसको एस्कॉर्ट कर रहे थे और मुझे जॉर्डन सम्मान दे रहा है, मुझे इजराइल सम्मान और मैं जा रहा था पलेस्टाइन, इजराइल को मालूम था फिर भी वो मेरा सम्मान कर रहे थे। जब मैं मेरा कहता हूं मैं मोदी की बात नहीं करता हूं। मेरे देश की बात कर रहा हूं। और जब पलेस्टाइन गया तो उतना ही सम्मान दिया गया मुझे पलेस्टाइन में जितना की इजराइल में। इसका मतलब यह हुआ, अब देखिए, कुछ दिन पहले हमने चाबहार में बहुत बड़ा एग्रीमेंट किया है ईरान के साथ। और मैं बताता हूं सेंट्रल एशिया के लिए बहुत बड़ा गेम चेंजर बनने वाला है। आपने देखा होगा कल अफगानिस्तान के तालिबान लोगों ने बहुत तारीफ की है हमारे इस निर्णय की। अमेरिका ने ईरान पर सैंक्शन लगाए हुए हैं, इजराइल और अमेरिका ईरान के बीच में युद्ध होते होते बच गया है। ऐसी संकट की घड़ी में भी यह दुर्भाग्य है कि वहां के राष्ट्रपति जी वो भी मेरे अच्छे मित्र है उनको हमें खोना पड़ा और मिस्टर रईस जिनका अभी एक्सीडेंट में मृत्यु हुई, उनकी पत्नी हमारी अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के साथ उसका बहुत अच्छा निकट संबंध है, यानि जीवन संबंध है। तो मेरे एक प्रकार से अच्छे घरेलू इन लोगों से संबंध हैं तो एक अच्छे साथी को मैंने खोया इसका दुख भी है। लेकिन उनकी मृत्यु के कुछ ही समय पहले हमने चाबहार का एग्रीमेंट किया। मैं मानता हूं कि सेंट्रल एशिया में, लेकिन दुनिया में किसी ने मेरा विरोध नहीं किया। इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप अपने देश के हितों को ध्यान में रखते हुए काम करते हैं और दुनिया में, अच्छा मेरी एक बात साफ होती है मेरे देश की नीतियां किसी तीसरे के संदर्भ में मैं नहीं करता हूं। मेरी अपनी देश की आवश्यकता है, मेरे देश की प्रायोरिटी है, उसी के हिसाब से चलूंगा। वैसा ही प्रॉब्लम एक है कोरिया और जापान का। ज्यादातर नेता जाएंगे तो कोरिया जाएंगे जापान जाएंगे, जापान जाएंगे कोरिया जाएंगे, क्लब करते हैं। उनका कहना है ये हमारा इंसल्ट है, आप अकेले क्यों नहीं हमारे यहां आते हैं। मैंने कहा ठीक है मैं आता हूं। मैं कोरिया अकेला गया। बाकी जगह गया, जापान नहीं गया। जब जापान गया तो कोरिया नहीं गया। उनको मैसेज जाता है हां यार ये इंसान को समझ है। तो दुनिया जो खिंची रहती है और बड़ी बारीकी से इन चीजों का मैं अध्ययन करता हूं। मैं घिसी पीटी एडवाइज पर चलता नहीं हूं जी। और उसका परिणाम है कि आज दुनिया में भारत की जय जयकार हो रही है।

रजत शर्मा - एक उदाहरण हमने जय जयकार का देखा पाकिस्तान के छात्र यूक्रेन से भारत का तिरंगा लेकर उसकी आड़ में वो निकले।

पीएम मोदी- अब देखिए हमारे देश में भी कैसा चल रहा है मैं तो हैरान हूं। इस देश के प्रयत्नों से अगर कोई चीज अच्छी होती है, हो सकता है जिसको सहन नहीं होता है चुप रहे, यह तो हो सकता है तारीफ ना करे, यह भी मैं समझ सकता हूं लेकिन उसके विरुद्ध में मैं तो देखता हूं, इन दिनों भी पत्रकार मुझे पूछते हैं क्या सचमुच में आपने टेलीफोन किया था यूक्रेन को। सच में आपने पुतिन को फोन किया था। मैंने कहा कॉल डिटेल निकलवा दो। मैं तो क्या थक गया मैं जवाब देते। अब इन लोगों को क्या करूं।

रजत शर्मा- ऐसा पहले कभी हुआ नहीं दो राष्ट्र अध्यक्षों से बात करके अपने छात्रों के लिए रास्ता निकाल दें।

पीएम मोदी- इसलिए मुसीबत यही है कि इन्होंने कभी सोचा ही नहीं था कि हिंदुस्तान के तिरंगे की यह ताकत होती है। और मेरा पहला अनुभव मैं बता दूं। मैं चीजों को ऑब्जर्व करता हूं, स्टडी करता हूं, एनालिसिस करता हूं। पहली बार कब अनुभव हुआ। जब नेपाल में भूकंप आया तो हम जितनी मदद हो सकती थी हमारी तो जिम्मेवारी थी। और मुझे एक अनुभव था गुजरात के भूकंप के बाद काम का मुझे अच्छा अनुभव था। तो मैं खुद चीजों को लीड करता था, मोबिलाइज करता था, लेकिन मैंने वहां देखा दुनिया के करीब 40 देश के लोग होंगे जिनको हमने कोई न कोई मदद करके नेपाल से बाहर निकाला। तो उस दिन मैं समझ गया कि अब तक ह्यूमैनिटेरियन ग्राउंड पर हेल्प इसका ठेका पश्चिम का है, मैंने तय किया ये ठेका मेरा रहेगा। और इसलिए आपने देखा होगा कोविड में हम लोग चाइना से लोगों को वापस लाए तो बहुत सारे अन्य देशों के लोगों को ले आए। यमन में मुसीबत आई हम अन्य देशों के लोगों को ले आए और उनको बाद में उनके देश में भेजा। अभी सूडान में हुआ हमारे देश के साथ वहां भी अन्य देश के लोग फंसे थे उनको भी ले आए। तो आज दुनिया में जो कभी हमारा नाम नहीं था। वरना तो ये था कि यह पश्चिम की दुनिया का ही एक प्रकार का उस पर ओनरशिप थी कि भाई ये ह्यूमैनिटेरियन ग्राउंड पर काम होना तो यही लोग करते। ये लोग तो बिल्कुल कुछ नहीं करते। आज स्थिति ये है कि भारत, आप क्या करोगे मुझे पूछते हैं लोग, आप कैसे करोगे पूछते हैं और मैं करता भी हूं।

रजत शर्मा- अब जैसे आर्टिकल 370 जब वापस लिया तो आपको इस बात की चिंता नहीं थी कि ये मिडिल ईस्ट के देश नाराज हो जाएंगे। कोई अरब कंट्रीज हमसे नाराज हो जाएंगे। हमारे चार काम बंद कर देंगे।

पीएम मोदी- अब देखिए ये बहुत अच्छा सवाल है और जवाब मेरा शायद थोड़ा लंबा हो जाएगा। और शायद पहली बार मैं इस विषय को आपने मुझे ऐसी जगह छू लिया है कि मैं कोशिश कर रहा हूं इसको आर्टिकुलेट करने की क्योंकि एकदम से आपने पूछा है। हमारे देश में जब भी कश्मीर की बात आती थी तो 70 साल तक इसको इंटरनेशनलाइज किया गया। दुनिया का हर देश कश्मीर के मुद्दे पर भारत को कटघरे में खड़ा करता था। थोड़ी बहुत अटल जी ने कोशिश की थी कि टेररिज्म को सेंटर प्वाइंट लाएं। लेकिन कुल मिलाकर के दुनिया में और इसलिए 370 के संबंध में भी यह स्वाभाविक था कि दुनिया कोई बहुत बड़ी नाराजगी व्यक्त करेगी। हुआ उल्टा। दुनिया ने, जितने देशों को लोग मानते थे कि इन मुद्दों पर भारत पर वो नाराजगी व्यक्त कर सकते हैं, भारत को घेर सकते हैं, अधिकतम लोग मौन रहे। जिन्होंने कहा वो ये कहा कि ये उनका इंटरनल मामला है। दुर्भाग्य है कि अरब देश तो शांत रहे, दुनिया के सभी इस्लामिक देश शांत रहे। मेरे देश की कांग्रेस चू-चू करती रही। यह मेरे दिमाग में नहीं बैठ रहा है। इसका मतलब ये हुआ कि एक ऐसी मानसिक विकृतियों से भरी पड़ी इनकी सोच है। दुनिया ने और अच्छा 370 के बाद में दुनिया के कई इस्लामिक देशों में बहुत बड़ा सम्मान प्राप्त करके आया हूं। मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई। 370 के बाद मेरे आठ लोगों को, मेरे देशवासियों को फांसी हुई थी। 370 के बाद की घटना है, उनको जिंदा वापस लेके आ गए।

रजत शर्मा- उस समय मोदी जी, बहुत से जो हमारे अपोजिशन के लोग हैं, उनके बयान सुनता था, जब कतर में हमारे लोगों को फांसी की सजा हो गई, वे जेल में थे। ओवैसी ने कहा अरे मोदी जी तो कहते थे उनके बड़े संबंध है क्या हुआ? अरे यह तो विश्व गुरु बनते थे क्या हुआ? किसी ने कहा कि मोदी जी कहते थे Qatar is my second home अब कुछ नहीं कर पाए।

पीएम मोदी- या तो उन्होंने मोदी का पूरा स्टडी नहीं किया है या तो वो मोदी की बात आई उस समय मीडिया में जाएंगे तो थोड़ी जगह मिल जाएगी इसलिए जगह ले जाते हैं क्योंकि मोदी एक ऐसी ब्रांड है जिसके कारण गाली देने से भी उसको स्पेस मिल जाता है और इसलिए लोग मौका ढूंढते हैं यार गाली किसी को देने से क्या फायदा है, मोदी को देंगे। उनको पता होना चाहिए यार कुछ तो होगा, ये कुछ तो चलता होगा, बोलता नहीं है, कुछ करेगा, ये इनको समझ होनी चाहिए। अब इतने साल हो गए अब मेरा और मेरा सीक्रेट कुछ नहीं है, ओपन है जी। कोई ढंग से बराबर स्टडी करे, मीडिया के लोग भी नहीं करते माफ करना। ढंग से स्टडी करे तो वो कह सकता है ये हुआ है ना देखिए तीन दिन के बाद मोदी ये कदम उठाएगा। पांच दिन के बाद ये उठाएगा, सात दिन के बाद... आप तय कर सकते हैं लेकिन आपको तैयारी नहीं क्योंकि आप एक बनी बनाई परसेप्शन में जीना चाहते हो। उसी को फैलाओ और उसके अनुकूल कुछ एनेडोट मिल जाए तो ढूंढते रहते हो। इसके कारण सारे के सारे लोग फेल हो जाते हैं। इस बार भी उनको लगता था कि 400 पार। आखिर स्थिति क्या हुई। इन सबको कहना ये पड़ रहा है कि 400 पार नहीं हो सकती। अपोजिशन क्या कहता है, उनको समझ ही नहीं आया कि कहां ले जा रहा हूं मैं। तीन चरण के बाद किसी ने उनको कहा कि आप पूरा कैंपेन लड़ रहे हो कि मोदी 400 पार जाएगा कि नहीं जाएगा।

रजत शर्मा- अब एक नई सलाह आपको दी गई है कि भाई पाकिस्तान से जरा डर के रहो। उसके पास न्यूक्लियर बम है।

पीएम मोदी- ऐसा है वो ताकत को मैं खुद लाहौर जाकर के चेक करके आया हूं। और बिना कोई सिक्योरिटी चेक मैं सीधा चला गया था। और वहां पर एक रिपोर्टर रिपोर्ट कर रहा था हाय अल्ला तौबा हाय अल्ला तौबा यह बिना वीजा कैसे आ गए। यह चर्चा थी टीवी पे। ये बिना वीजा कैसे आ गए। अरे वो तो मेरा ही देश था यार किसी जमाने में।

रजत शर्मा- पहले मोदी जी हम लोग परेशान रहते थे पाकिस्तान से, यहां आए मार के चले गए, यहां आए मार के चले गए। फिर सर्जिकल स्ट्राइक हुआ, एयर स्ट्राइक हुआ वो पिछले टर्म की बात थी। इस टर्म में पाकिस्तान के लोग बड़ी लंबी लिस्ट दे रहे हैं अननोन आदमी आके मार जाता है।

पीएम मोदी- मुद्दा वो नहीं है पाकिस्तान के लोग परेशान है मैं जानता हूं उन परेशानी का कारण भी मैं हूं यह भी मैं जानता हूं। लेकिन दुख इस बात का है जब मेरे देश का ही एक व्यक्ति जिम्मेवार व्यक्ति जिम्मेवार पार्टी का व्यक्ति यह कहे कि कसाब ने हमारे देशवासियों को नहीं मारा था, हमारे देशवासियों ने हमारे देशवासियों को मारा था। पाकिस्तान की फेवर में, कसाब की फेवर में मेरे देश के एक पार्टी जो सालों तक सत्ता में रही है जब 26/11 हुई तब वो पावर में थे, उनकी तरफ से जब ये बयान आ जाए कि कोई पाकिस्तान के लोगों ने आतंकवाद नहीं किया था हिंदुस्तान के लोगों ने किया था। तब जाकर के माथा शर्म से झुक जाता है, बहुत दर्द होता है। वहां से खबर आई कि हमारा ये मारा, हमारा वो मारा, हमारा ढिकना मारा, अब वो रोते रहे वो तो मैं समझ सकता हूं जी। यहां वाले क्यों रोते हैं मैं समझ नहीं रहा हूं।

रजत शर्मा- यहां वालों ने एक और ऐसी बात कही थी जो बहुत शर्मनाक है जब राम मंदिर बनकर तैयार होने वाला था तो उद्धव ठाकरे की पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि ट्रेन में राम भक्तों को ले जाएंगे और पाकिस्तान की मदद से उस ट्रेन के ऊपर गोले बसाएंगे, लोग मर जाएंगे, दंगे होंगे और फिर मोदी जी चुनाव जीत जाएंगे।

पीएम मोदी- अब दंगे तो नहीं हुए, कोई ट्रेन भी नहीं जली अब जाकर उनको किसी ने पूछना चाहिए कि आप कोई दवाई-बवाई लेते हैं कि नहीं लेते। कोई मेडिकल चेकअप कराया कि नहीं कराया। कोई तो पूछो जाके भाई। चलिए आप ये सवाल नहीं पूछ सकते लेकिन उनकी हेल्थ का तो पूछो उनकी बीमारी क्या है यह तो पूछो क्योंकि ऐसी बातें ऐसे नहीं निकलती भाई। कोई स्वस्थ मनुष्य ये थोड़े करता है। तो सचमुच में आप जैसे लोग और आप लोगों की पहुंच हर जगह पे होती है जरा पूछो तो भाई अब तबीयत ठीक है ना। ये पूछना चाहिए उनको। कुछ नहीं हुआ फिर भी 400 पार।

रजत शर्मा - हम क्योंकि पाकिस्तान की चर्चा कर रहे थे वहां के लोग के इंटरेस्टिंग वीडियोस मैंने देखे। जब चंद्रयान उतरा चंद्रमा पर तो उन्होंने कहा कि हम तो ऑलरेडी चंद्रमा पर हैं। गड्ढे हैं, अंधेरा है, बिजली नहीं है, पानी नहीं है।

पीएम मोदी- ऐसा है उनके लिए झंडे पर चांद है तो बहुत कुछ है। मेरे लिए चांद पर झंडा हो वो सब कुछ।

रजत शर्मा - इसमें बात आई सेकुलरिज्म की आपने जहां पर हमारा चंद्रयान उतरा उसका नाम शिव शक्ति स्थल रख दिया।

पीएम मोदी- ये देश का दुर्भाग्य है कि हर चीज में वोट बैंक के नजरिए से देखा जाता है। कोई मुझे कहे कि शिव शक्ति से एतराज क्या है जी। इस सृष्टि के नियंता हैं और मेरा गुनाह ये है कि मैंने कहा कि चंद्रमा पर जहां पर मेरा चंद्रयान लैंड किया था उस पॉइंट का नाम मैं किसी भी बीजेपी के नेता का रख सकता था। कोई मुझे मना नहीं करता क्यों उन्होंने वो परंपरा बनाई थी। लेकिन मैंने वैसा नहीं नहीं किया। मैंने शिव शक्ति रखा तो वो इनके दिमाग पर ऐसा उसका असर था बोल तो पाए नहीं लेकिन बाद में कोई एक साल के बाद उन्होंने बयान दिया कि हिंदू में जो शक्ति है ना मैं उस शक्ति को नष्ट कर दूंगा। अब वो मुझे पता चला यार उस दिन का जहर वहां तक पड़ा हुआ है। लेकिन उनको मालूम नहीं है कि मैंने शिव और शक्ति दोनों बोला है और शिव में जहर पीने की ताकत भी तो बहुत होती है।

रजत शर्मा- अब राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का इतना समारोह हुआ, राम मंदिर बना, इस पर भी उनकी आपत्ति है उनका कहना है कि इसको आपने बीजेपी का समारोह बना दिया।

पीएम मोदी- पहले तो लगता था कि शायद सेकुलरिज्म की जो उनकी विकृत मानसिकता है, उसका परिणाम होगा कि वो 70 साल तक इस मामले को अटकाने के लिए जो भी कर सकते हैं करने की कोशिश की। उनको लगता था कि इस मुद्दे को इस प्रकार से रखेंगे तो उनकी वोट बैंक सुरक्षित रहेगी। लेकिन राम मंदिर बन जाने के बाद वोट बैंक सुरक्षित रहने का मुद्दा ही नहीं था। क्योंकि वो मुद्दा उस प्रकार से उनके काम आने वाला नहीं था। उसके बाद जब विरोध किया तो मुझे लगता है कि 70 साल तक उन्होंने जो किया वो सिर्फ वोट बैंक के लिए किया इतना ही नहीं है। वो मन से, वचन से, कर्म से राम विरोधी हैं। राम के प्रति इनके मन में घोर रोष है और इसका परिणाम है अभी भी। अब देखिए कोई बच्चा रास्ते में जय श्री राम बोले तो मैं शायद बोलूंगा जय श्री राम। कोई मुझे कोई ग्रीट करे नमस्ते तो मैं करूंगा नमस्ते। कोई मुझे कहे हेलो तो मैं कहूंगा हेलो। कोई कहेगा जय श्री राम तो मैं कहूंगा जय श्री राम। आपने देखा होगा साब, आपने देखा होगा जब वो जाते हैं कोई जय श्री राम बोलता है तो उनके चेहरे की सारी रेशा बदल जाती है, मुंह पर ताला लग जाता है, पता नहीं क्या-क्या करने लग जाते हैं। अब आप बोल दो यार जय श्री राम क्या जाता है आपका। दूसरा देखिए, मैं कहूंगा ये राम जन्म भूमि ट्रस्ट के जो ट्रस्टी हैं ना मैं उनको सच में बधाई दूंगा क्योंकि राम मंदिर तो न्यायालय के निर्णय के बाद हो रहा है। सारी दुनिया को मालूम है कि न्यायालय में भी रुकावट डालने का काम कौन करता था। 19 में तो यहां तक कह दिया था कि जजमेंट अभी मत लाओ वरना बीजेपी को फायदा होगा। न्यायालय में कहा गया था कांग्रेस की तरफ से कहा गया था। चलिए ये सब तो छोड़ें इसके बावजूद भी य राम जन्मभूमि ट्रस्ट के लोग उनके घर गए और जाकर के सम्मानपूर्वक निमंत्रण दिया कि भई जो हो गया हो भूल जाओ आइए, आप भी आइए। जैसे वो उनके यहां गए वैसे ही जो दो-दो तीन-तीन पीढ़ी से अदालत में लड़ाई लड़ रहे थे अंसारी परिवार, उनके बेटे इकबाल अंसारी जो अदालत में राम जन्मभूमि के खिलाफ केस लड़े थे। बाबरी मस्जिद के लिए लड़ाई लड़ रहे थे, उनको भी निमंत्रण दिया चलिए अब तो निर्णय हो चुका न्यायालय का आप आइए। आप देखिए साहब, निर्णय देश करे इकबाल अंसारी जो कि जीवनभर उनका परिवार बाबरी मस्जिद के लिए अदालतों में लड़ता रहा। राम जन्मभूमि के विरुद्ध में लड़ता रहा, लेकिन क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने न्याय दिया है वह स्वयं प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में आकर के बैठे और इन लोगों ने बहिष्कार किया। तब जाकर के चिंता होती है कि क्या सोच है, इतना ही नहीं, मुझे बाद में अभी पता चला कि श्रीमान इकबाल अंसारी वो कोई अमीर व्यक्ति नहीं हैं, सामान्य परिवार के व्यक्ति हैं। उन्होंने भगवान राम मंदिर का जो एक मॉड्यूल था लकड़े का वो कहीं से खरीद के लाए और उनका जो पीएसओ था वो हिंदू है उसको उन्होंने गिफ्ट किया। इकबाल अंसारी ने गिफ्ट किया उनको। इसका मतलब ये हुआ कि उनको लगता था कि ये मेरा हक है इसलिए मैं लड़ता हूं। लेकिन न्यायालय ने एक बार निर्णय किया उसको उन्होंने सिर आंखों पर चढ़ाया। तो इकबाल अंसारी का सेक्युलरिज्म सही है कि इनका सेक्युलरिज्म सही है। यह चिंता का विषय है देश के लिए।

रजत शर्मा- इसीलिए आजकल आपको सांप्रदायिक, कम्युनल, हिंदू-मुसलमान करने वाला कह रहे हैं।

पीएम मोदी- ऐसा है कि या तो किसी ने नई डिक्शनरी लिखनी पड़ेगी क्योंकि सारी डिक्शनरी खाली हो गई। मुझे गाली देते-देते सारी डिक्शनरी के शब्द खाली हो गए हैं। अब उनको गालियां ही नहीं बची है तो घूम फिर कर के वो हिंदू-मुसलमान बोले बिना उनकी वोट बैंक को जगा नहीं सकते। क्योंकि काम तो किया नहीं 60 साल तक। किसी मुसलमान बच्चे को पढ़ाया होता, उसको अच्छा रहने के लिए घर दिया होता, उसको टॉयलेट दिया होता, उसके घर में बिजली दी होती, बच्चों की अच्छी... वो तो किया नहीं तो उनको डराओ, मार देंगे, आएंगे तो काट देंगे। ये मोदी है अब फिर उसमें योगी जोड़ दिया। अब ये डराना डराना डराना साहब मुसलमान समाज में भी अब इन चीजों की तरफ देखने का दृष्टिकोण बदल रहा है। मैं मुल्ला-मौलवियों की बात नहीं करता जिनका वेस्टेड इंटरेस्ट होता है...हिंदुओं में भी ऐसे लोग होते हैं तो उनकी मैं बात नहीं करता, लेकिन जनरल मेरा तो काफी लोगों से इंटरेक्शन होता है और मेरा अनुभव है कि ये जो भड़काने वाली बातें हैं उससे तो वो प्रभावित नहीं हो रहे, वो समझते हैं कि इनका वोट का जमाना इसलिए कर रहे।

रजत शर्मा- मोदी जी आज तक किसी लीडर की हिम्मत नहीं हुई जो यह कहे कि मुसलमानों को आरक्षण नहीं देना चाहिए, मुसलमानों को आरक्षण देना गलत है, और आप तो चुनाव में खुलेआम कह रहे हैं।

पीएम मोदी- मैं कांग्रेस पार्टी को पिछले एक महीने से कहता हूं कि आप लिखित में देश को गारंटी दो। एक आप भारत के संविधान को नहीं बदलेंगे, दूसरा संविधान बदल करके धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं देंगे, तीसरा आप एससी, एसटी, ओबीसी का आरक्षण छीन करके आप धर्म के आधार पर वोट जिहाद वालों को आरक्षण नहीं देंगे। लिख कर के दो, नहीं देते हैं, देश को दो ना भाई, बयान तक देने की हिम्मत नहीं है। फिर क्या कहते हैं अरे हमारा मेनिफेस्टो देखो, मैं पूछता हूं क्या किसी कांग्रेस के मेनिफेस्टो में लिखा है वो करप्शन नहीं करेंगे या करेंगे। करप्शन करेंगे ऐसा उनके मेनिफेस्टो में कहीं पर है क्या। कांग्रेस के पिछले 50-60 साल के मेनिफेस्टो देख लो एक भी मेनिफेस्टो में उन्होंने करप्शन का कार्यक्रम लिखा है क्या। जरा बताइए ना करप्शन करते हैं कि नहीं करते हैं अब मैं पूछूंगा करप्शन क्यों करते हैं वो कहेंगे मेरा मेनिफेस्टो देखो कहीं लिखा है क्या। अरे ऐसे थोड़ा होता है जी। और आप देख लीजिए डॉक्टर मनमोहन सिंह जी का बयान देख लीजिए, ये शहजादे का बयान देख लीजिए उनके मेनिफेस्टो में ये कहते हैं कि अब ठेके धर्म के आधार पर दिए जाएंगे। मतलब कहीं ब्रिज बन रहा है तो आज ठेका कैसे मिलता है कि भाई उनके पास रिसोर्सेस कितने हैं, कैपेबिलिटी कितनी है, एक्सपीरियंस क्या है, ट्रैक रिकॉर्ड क्या है आर्थिक क्षमता कितनी है, टेक्नोलॉजिकल उनकी क्षमता कितनी है, सारी चीजें देख कर के टेंडर से कोई व्यक्ति प्राप्त करता है। अब ये क्या कहते हैं अब इसमें आरक्षण होगा। अब मुझे बताइए साहब वो ब्रिज बनाना है कि आपको अपने चुनाव जीतना है और कुछ काम है क्या... इतना ही नहीं इन्होंने यहां तक मेनिफेस्टो में कहा है कि खेल में भी अब वो धर्म के आधार पर आरक्षण लाएंगे। अरे भाई खिलाड़ी सुबह 4:00 बजे उठ कर के पसीना बहाता है जी तब जाकर के खिलाड़ी बनता है। जिंदगी के 15-20 साल वो खपा देता है। और आप कहोगे ठीक है भाई तुम उस मां की गोद से पैदा हुए, तुम नहीं हो सकते, उस मां की गोद से पैदा होके वो आ जाएगा, ये कैसे हो सकता है। और यह हिम्मत इनकी ऐसी चीज मेनिफेस्टो में लिखने की, क्या देश ऐसे चलाएंगे क्या? हमारा मंत्र है सबका साथ सबका विकास।

रजत शर्मा - लेकिन मोदी जी ऐसी बातें खान मार्केट गैंग का नाम लेकर के आज तक किसी की हिम्मत नहीं हुई कहने की, जो आप कह रहे इतने खुल के। ऐसा है मेरे आगे पीछे कोई रोने वाला नहीं है। मैं देश के लिए जीता हूं, मैं देश के लिए जूझता हूं और मेरा प्रत्येक पल देश के लिए है और वह बेकार नहीं जानी चाहिए। मैं मेरा हर पल देश को दे रहा हूं। लेकिन मैं वेस्टेज नहीं होने दूंगा मेरे एक भी पल को और इसलिए जो गलत हो रहा है, आप मुझे बताइए, कल किसी ने मुझे भेजा है, 9000 से ज्यादा ऐसी जगह है, इंस्टिट्यूशन जिसमें इन्होंने एससी, एसटी, ओबीसी का आरक्षण खत्म कर दिया। माइनॉरिटी का नाम दे दिया आरक्षण खत्म कर दिया। एक पीएसयू को अगर आप प्राइवेटाइज करो तो कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष हाउस में चिल्लाते हैं क्या प्राइवेटाइजेशन इसलिए कर रहे हो आप कि एससी एसटी कोटा हट जाएगा तो दलितों को नौकरी का क्या होगा। आपने 99000 इंस्टिट्यूशन में से एससी, एसटी, ओबीसी कोटा खत्म कर दिया है। अगर ये सवाल मैं पूछता हूं और ये जो खान मार्केट गैंग है वो मोदी ने बाएं पैर पहले रखा क्यों, दाहिना क्यों नहीं रखा इसके लिए एक-एक सप्ताह तक देश का समय बर्बाद करते हैं। उनको फुर्सत नहीं है कि एससी, एसटी, ओबीसी के आरक्षण की रक्षा के लिए उन्होंने भी तो आवाज उठानी चाहिए थी। क्यों चुप बैठे हैं। और तब जाकर के मैं खुल करके कहता हूं कि एक इकोसिस्टम जो उनके पापों को संवारने का ही काम करती है और दूसरों की अच्छाइयों को बुरे में कन्वर्ट करने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा देती है। और देश को उससे मैं सचेत करना चाहता हूं। और अब जब सब जगह पर फेल हो गए तो उन्होंने जुडिशरी का रास्ता पकड़ा है। अदालतों में जाकर के बैठ जाना, हो हल्ला करना और परिस्थितियों को बदलने की कोशिश करना, ये बहुत चिंता का विषय है देश के लिए। आपमें योग्यता है, क्षमता है, सही है लोकतंत्र है चुनाव लड़ो, पार्लियामेंट में आओ, अपनी बात रखो, सरकार गलत करती है तो उसको रोको, तरीके हैं, करने नहीं हैं, हवा बिगाड़नी है।

रजत शर्मा- अब ममता दी ने कह दिया कि हाई कोर्ट का फैसला है आरक्षण को लेकर के वो नहीं मानेंगी।

पीएम मोदी- अब ये कहते हैं कि मोदी संविधान बदल देगा। इंदिरा जी ने कहा हाई कोर्ट का फैसला मैं नहीं मानूंगी, इमरजेंसी लाई, ये इसी चट्टे बट्टे के लोग हैं। वे लोकतंत्र को नहीं मानते हैं उनके लिए चुनाव लोकतंत्र की श्रद्धा नहीं है। चुनाव सत्ता प्राप्त करने का एक जरिया है। उनकी श्रद्धा लोकतंत्र में, मतदाता में, संविधान में, भारत के रूल्स एंड रेगुलेशन में नहीं है और इसीलिए मैं जो परिवारवाद के खिलाफ बोलता हूं ना, क्यों बोलता हूं क्योंकि लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा जब समाप्त हो जाती है तब जाकर के आपको परिवारवाद के भरोसे चलना पड़ता है और ये सारे लोग कोई मुझे कहे, कोई किसी कोंस्टीटूएंसी में जाकर कहे कि मैं मेरा बेटा आपको सुपुर्द कर रहा हूं ये कौन सा लोकतंत्र है जी। ये कौन सा लोकतंत्र है, जनता जनार्दन तय करती है। (वो पापा की कोंस्टीटूएंसी है) सवाल वही है वो तो एल्बम तो दिखा रहे हैं दादी से शुरू होता है एल्बम।

रजत शर्मा- मोदी जी एक बड़ी शिकायत उन सब लोग की यह है कि लेवल प्लेइंग फील्ड नहीं है कोई बेल पर है कोई जेल में है लड़ें कैसे?

पीएम मोदी- जो लोग लेवल प्लेइंग फील्ड की बातें करते हैं। अब देखिए नाचना नहीं तो आंगन टेढ़ा। नाच ना जाने आंगन टेढा, हां ऐसी कहावत है। अब पराजय निश्चित है। अब सवाल यह है कि एक तो है मोरल विक्टरी घोषित करो, दूसरा है ईवीएम को गाली दो। अब आपने देखा होगा कि तीसरे चरण के बाद ईवीएम मैदान में आ गया है। ईवीएम के लिए रोना धोना, आंकड़े क्यों पहले नहीं आए बाद में क्यों नहीं आए। ड्यूरिंग इलेक्शन हर हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में विवाद खड़े कर दिए जाते हैं। मतलब बहुत सोची समझी रणनीति के तहत भारत के लोकतंत्र की दुनिया में प्रतिष्ठा ना बने। भारत का लोकतंत्र बहुत जीवंत है, भारत के मतदाता बहुत जागरूक है, भारत की चुनाव प्रक्रिया ट्रांसपेरेंट है। इस पर वो सवालिया निशान खड़ा करना चाहते ताकि दुनिया में... और यह हरकत छोटी नहीं है जी, इसको गंभीरता से लिया जाए और जो भी भारत को प्यार करते हैं उन सबको इस संकट को समझना होगा कि इस मामला सिर्फ ईवीएम-ईवीएम कह कर के चुनाव में पराजय का ठीकरा फोड़ने वाला है, इतना नहीं है। भारत की लोकतंत्रिक प्रक्रिया पर ही सवालिया निशान दुनिया में लग जाए, ये इनका इरादा है। भारत की दुनिया में बेइज्जती हो, इसका खेल है और मोदी जीत जाए तो आज दुनिया में जितने इलेक्टेड गवर्नमेंट हैं यानि ट्रू सेंस में डेमोक्रेटिक बॉडी है, इस चुनाव के बाद भारत का प्रधानमंत्री दुनिया की सीनियर कैटेगरी में आ जाएगा। हर ग्रुप में वो सीनियर मोस्ट होगा डेमोक्रेटिक वर्ल्ड में। इनको अभी से हिसाब-किताब लगाते, उनके भी तो एडवाइजर हैं ना, देख यार ये तो ऐसा होगा, ऐसा होगा, ऐसा होगा। उसी डर में सब हो रहा है। लेकिन इससे देश का बहुत... और लेवल प्लेइंग फील्ड ये लोग इलेक्शन कमीशन को गाली देते हैं। हमारे देश का चुनावी व्यवस्था कहती है कि अगर कोई पार्लियामेंट सीट में अगर किसी कैंडिडेट की मृत्यु हो जाए तो चुनाव स्थगित होता है। ठीक है। अगर कोई पार्लियामेंट का कैंडिडेट उसका स्वर्गवास हो जाए तो सीट चुनाव स्थगित हो जाता है उसकी डेट बाद में आती है। कोई मुझे बताए कि राजीव गांधी नाम का एक व्यक्ति जो पार्लियामेंट के चुनाव का कैंडिडेट था उनकी आतंकवाद में हत्या हो गई। उनकी सीट कैंसल होनी चाहिए थी, रुकनी चाहिए थी चुनाव। लेकिन उस समय के इलेक्शन कमीशन ने पूरे देश का चुनाव रोक दिया। कोई लॉजिक नहीं था और करीब 21-22 दिन दिए और उनकी अस्थि लेकर के पूरे देश में यात्राएं चलीं और फिर चुनाव की डेट दी गई। कौन सा लेवल प्लेइंग फील्ड था। देश का इलेक्शन कमीशन और बाद में वो खुद कांग्रेस के कैंडिडेट बनके अडवाणी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे। आप इलेक्शन कमीशन की बातें करते हो। और इसलिए जो न्यायिक हो रहा है वो उनको लेवल प्लेइंग फील्ड नहीं लगेगा बहुत स्वाभाविक है क्योंकि उन्होंने अब तक स्पेशल कैटेगरी स्पेशल फायदा उठाया है। मेरी पार्टी के अध्यक्ष दुनिया की सबसे बड़ी पॉलिटिकल पार्टी माननीय अपोजिशन पार्टी 26 जनवरी 15 अगस्त को मेरी पार्टी के उस समय के अध्यक्ष को सातवीं- आठवीं लाइन पर सीट मिलती थी। पार्टी के अध्यक्ष इस देश के किसी इकोसिस्टम को नोटिस करने का मूड नहीं था। राजनाथ जी अध्यक्ष थे। और मैंने देखा कि 15 अगस्त के अंदर उनका एक एमपी जो पार्टी का अध्यक्ष भी नहीं था उसको चौथी- पांचवीं रो में सीट थी। देश भर में तूफान मच गया, अपमान कर दिया। यानी कैसी आप लोग दरबारी करते हो। किसकी दरबारी करते हो आप लोग। मेरा सवाल है ऐसे लोगों पर। क्या ये लोकतंत्र है, लेवल प्लेइंग फील्ड है क्या। और जब सच बोलते हैं तो आप लोगों को बुरा लगता है। और अगर सच बोलने की कोई सजा होती है उससे भुगतने के लिए मोदी हमेशा तैयार है।

रजत शर्मा- उनको एक बात बहुत बुरी लगी है कि चुनाव से दो-दो मुख्यमंत्रियों को जेल में डाल दिया।

पीएम मोदी- कोई जेल में डालता है क्या मुझे बताइए। आपने नोटों के ढेर देखे कि नहीं देखे। नोटों के ढेर देख कर के आपको क्या लगता है। क्या ये मेहनत की कमाई के पैसे हैं क्या? नोटों के पहाड़ पकड़े जा रहे हैं। नोटों के पहाड़ पकड़े जाएं और सरकार कुछ करेगी नहीं तो आप कहेंगे यार कुछ एडजस्टमेंट हो चुका है पीछे से। आप यही कहेंगे। आप दिल्ली के बच्चों की जिंदगी बर्बाद करते हैं ,हर स्कूल के बगल में शराब के ठेके लगा दिए जस्ट करप्शन करने के लिए और न्यायिक प्रक्रिया से और अगर किसी को देखना है तो सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के सीएम के लिए कल क्या कहा है, दिल्ली के मंत्री के लिए दो दिन पहले हाई कोर्ट ने क्या कहा है, कोर्ट करती है निर्णय हम नहीं करते। ना हम किसी को जेल भेज सकते हैं ना हम किसी को जेल में रख सकते हैं। ये निर्णय अदालत करती है और मेरा मत है अगर रेलवे के टिकट चेकर को आप तनखा देते हो, उसका काम है ट्रेन में टिकट चेक करें और बिना टिकट वाले को जुर्माना करे उसका काम है। आप काम करने वाले की तारीफ करोगे कि नहीं करोगे। मान लीजिए कहीं से हेरोइन पकड़ा गया 1500 करोड़ का तो हेरोइन पकड़ने वाले को आप तारीफ करोगे कि नहीं करोगे। किसी गांव में किसी जगह पर चोरी हो गई और किसी पुलिस वाले ने हिम्मत करके चोरी पकड़ ली तो गांव वाले मिलकर के उसका सम्मान करते हैं कि नहीं करते। ईडी 2200 करोड़ रुपया कैश पकड़ के लाया है देश में पब्लिकली ईडी का सम्मान होना चाहिए। चिल्लाते क्यों हो, इसका मतलब है कि 2200 करोड़ आपका गया है। आप में से किसी को दर्द है क्या 2200 करोड़ गया उसका। आप में से किसी को दर्द है क्या। जिसको दर्द है वो रो रहा है वो चिल्ला रहा है। मतलब 2200 करोड़ में कहीं कहीं उनका हिस्सा है। अब उनके 10 साल में 34 लाख रुपया कब्जा हुआ, एक स्कूल बैग में बच्चा लेकर जाए इतना। हमने 2200 करोड़ रुपये पकड़ा मतलब 70 टेंपो चाहिए उसको भरने के लिए। ईडी काम करे और AS a Prime Minister मैं 2014 का चुनाव इसी मुद्दे पर लड़ के आया हूं। देश की जनता ने इसी काम के लिए मुझे बिठाया है।

रजत शर्मा - मोदी जी पहले ऐसा नहीं होता था। आपने ये नई चीजें शुरू की है कोई नेताओं को नहीं पकड़ता था। वो राजनीति में आते इसलिए थे कि करें और बचे रहें।

पीएम मोदी- देश की जनता यही कहती है कि आप छोटे-छोटे लोगों को तो जेल में डाल देते हो और बड़े-बड़े खिलाड़ी छूट जाते हैं। अब ये देश में होगा नहीं। कोई मेरा अच्छा मेरे लिए एडिटोरियल लिख दे इसलिए मैं सरकार नहीं चलाता हूं। किसी टीवी पर मेरी हेडलाइन अच्छी आ जाए इसके लिए मैं सरकार नहीं चलाता हूं। मेरे देश के लोगों की जिंदगी बने। मेरे देश से भ्रष्टाचार चला जाए इसलिए मैं सरकार चलाता हूं। मैं मालाएं पहनने के लिए नहीं निकला हूं।

रजत शर्मा - आपकी सरकार के काम को लेकर के एक छोटा सा वीडियो मेरे पास में है बहुत सारी बूढ़ी औरतें हैं उन्होंने आपके काम के बारे में अलग-अलग जगह और ये सोशल मीडिया पर सब अवेलेबल है, बहुत वायरल हुआ है, ये एक बार मैं आपको दिखाना चाहता हूं।

पीएम मोदी- एक तो मैं इन माताओं का बहुत आभारी हूं कि वो ऐसा खुल करके आशीर्वाद दे रही हैं। लेकिन मीडिया जगत के लोग जरा एनालिसिस करें कि बड़े-बड़े नेता भी इतनी बारीकी से इस स्पष्टता से नहीं बोलते जितना एक अनुभव किया हुआ व्यक्ति बोल रहा है। मतलब ये सच्चाई बोल रही है ये शब्दों का श्रृंगार नहीं है, ये भीतर से निकला हुआ एक आशीर्वाद का पत्र है और यही मेरी ताकत है। और मेरी सरकार की अगर कोई विशेषता है तो यही है लास्ट माइल डिलीवरी आखिरी व्यक्ति तक जो योजना है वह पहुंचनी चाहिए। और मुझे खुशी है जब मैं सुनता हूं, मुझे खुशी है कि मैं इस काम को कर पाया हूं। और मैं इसीलिए और मैं दोनों अगर ये मां आशीर्वाद दे रही तो वह भी काम इतनी ही लगन से करता हूं और चंद्रयान जाता है तो व भी काम उतनी ही लगन से करता हूं। मैं सभी सर्वांगीण विकास के पक्ष में हूं और मैं कोशिश करता हूं लेकिन माताओं का आशीर्वाद मुझे हमेशा रहा है ये मेरा सौभाग्य है।

रजत शर्मा- मोद जी आप हमेशा कहते हैं कि ये जो पैसा इन लोगों तक डायरेक्ट पहुंचता है। वो डिजिटल है इसलिए पहुंचता है। एस जयशंकर 'आपकी अदालत' में आए, उन्होंने बड़ा इंटरेस्टिंग किस्सा बताया। उन्होंने कहा जब वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट दिखाना था, वह अमेरिका में थे अपने बेटे को मिलने गए थे। रेस्टो में जाने लगे तो उन्होंने अपने मोबाइल से दिखाया और बेटे ने जेब से मुड़ा-तुड़ा कागज निकाला ।तो उनको लगा कि हां ये भारत है और ये अमेरिका है।

पीएम मोदी- ये समाचार सुनके के आनंद होता है लेकिन पार्लियामेंट में, देश के सुप्रीम कोर्ट में जिनकी धाक चलती है ऐसे व्यक्ति जो कभी देश के वित्त मंत्री रहे लंबे अरसे तक। वे पार्लियामेंट में इस युग में ये कहे कि देश में मोबाइल कौन जानता है, इंटरनेट कौन जानता है, ये फिनटेक का तो क्या लेना देना है और ये बहुत पुरानी बात नहीं कर रहा हूं मैं, कुछ ही वर्षों पहले की बात कर रहा। और दूसरी तरफ मेरा देश डिजिटल इंडिया की दिशा में है। जी 20 समूह में मैंने देखा दुनिया का हर देश मुझे पूछता था कि इतना बड़ी रिवोल्यूशन आई कैसे। और जब लोग, आज भी विदेश से मेहमान आते हैं तो उनकी एंबेसी उनको किसी रेहड़ी-पटरी वाले के यहां ले जाते हैं और दिखाते हैं कि देखो ये ऑनलाइन पैसे लेगा, बोले ऑनलाइन लेगा लैंग्वेज नहीं जानता है तो भी। और इसलिए हमारे देश में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, कोविड के समय दुनिया के कई देशों ने समृद्ध देशों ने अपने नागरिकों को पैसे देने की योजना बनाई लेकिन दे नहीं पाए, उनके पास मैकेनिज्म ही नहीं था। आज मैं जब किसान सम्मान निधि देता हूं ना, 2000 रुपये साल में तीन बार। मुझे 30 सेकंड लगता है 11 करोड़ के खाते में पैसा जमा हो जाता है। 30 सेकंड। मेरे लिए टेक्नोलॉजी जैसे मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ता हूं तो एक तो ये जो एजेंसी है वो अपना काम करती हैं लेकिन मैं भी टेक्नोलॉजी के माध्यम से ट्रांसपेरेंसी लाने का काम करता हूं। हमने करीब करीब 35-38 लाख करोड़ डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर किया है 10 साल में। राजीव गांधी कहते थे एक रुपया दिल्ली से निकलता है तो 15 पैसा पहुंचता है। अब वो कौन सा पंजा ये 85 पैसे मार लेता था क्योंकि उस समय तो पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक उन्हीं की सरकार थी। अब पंजे के हाथ में झाड़ू भी है तो पंजा 85 पैसे मारता था अब 95 पैसे मारेगा क्योंकि अब सफाई की सुविधा बढ़ गई उनकी। अब इसलिए आप देखिए, उस हिसाब से मैं देखूं तो 38 लाख करोड़ रुपये अगर उस जमाने की पद्धति से चलता तो करीब-करीब 28 लाख करोड़ रुपया किसी पंजे ने मार लिया होता। अब ये पैसा सीधा जाता है उसके खाते में जाता है तब जाकर के आवाज निकलती है। ये जो दिल की आवाज है ना उसके कारण निकलती है। और उसको लगता है कि दिल्ली में उसका बेटा बैठा है, उसका असर है।

रजत शर्मा- देखिए सरकारें तो पहली भी रही, ब्यूरोक्रेसी भी यही थी, सिस्टम भी यही थे तो आपने ऐसा क्या बदल दिया कि अब ये सीधा पैसा जाता है। ये बूढ़ी माताएं इस तरह की बात कहती हैं।

पीएम मोदी- एक तो सबसे बड़ी बात यह है हमारे देश में अब तक जो प्रधानमंत्री बने हैं वह ज्यादातर केंद्र की ही राजनीति का हिस्सा रहे हैं। बहुत कम प्रधानमंत्री हैं जो राज्य में काम करके आए हैं। और जो आए हैं वो भी बहुत कम समय के लिए उनको अवसर मिला है। मैं देश का पहला ऐसा प्रधानमंत्री बना जिसको लंबे अरसे तक लांगेस्ट टेन्योर है मेरा मेरे स्टेट का। और एक अच्छे राज्य का लंबे अरसे तक मुख्यमंत्री रह कर के आया। और वह भी एक ऐसा मुख्यमंत्री जो काम करने वाला मुख्यमंत्री यानी फाइलें खाली देखने वाला नहीं। बदलाव की विजन के साथ काम करने वाला। तो मेरे पास वो अनुभव है। जैसे मैंने छोटा सा काम किया, शायद मैं पहली मीडिया के सामने बताता हूं मैं जब थोड़ा लंबा समय जाएगा, तो जी आपके दर्शक बाद में तंग आ जाएंगे। मैं दो अनुभव सुनाना चाहता हूं इससे आपको पता चले कि काम कैसे होता है और कैसे करना चाहिए। अचानक मुझे मुख्यमंत्री बनना पड़ा था 7 अक्टूबर 2001 को। मैं कभी एमएलए नहीं बना, मैंने कभी पुलिस थाना नहीं देखा था। मुझे कुछ ये सरकार वरकार कुछ समझ ही नहीं थी। फैक्ट ऑफ माय लाइफ अचानक मुख्यमंत्री बना तो भूकंप था वहां। तो भूकंप के कुछ महीनों के बाद मुझे काम मिला तो मैं सफर लेने के तुरंत बाद भूकंपग्रस्त इलाके में चला गया क्योंकि उस शताब्दी का दुनिया का एक बड़ा भूकंप माना जाता है। तो मैंने देखा कि लोग को सात आठ महीने हो चुके भूकंप को शिकायत कर रहे थे। स्थितियां भी मुझे कोई नजर नहीं आई बदलती। तो मैंने देखा कि मैं वापस आया मैंने मेरे अफसरों की मीटिंग ली फिर मैंने उनको पूछा कि भाई कैसे हैं, क्या है, आगे कैसे करेंगे भूकंप का। तो उन्होंने मुझे बताया सारा कि मार्च महीने तक ये होगा, मार्च महीने तक ये होगा, मार्च महीने तक ये होगा। मैंने कहा तुम्हारे दिमाग में ये जो फाइनेंसियल ईयर घुस गया है। देश उससे नहीं चलता है। पहली लड़ाई मेरी वही हुई। मैंने कहा दिमाग में से फाइनेंशियल निकाल दीजिए, मार्च महीना निकाल दीजिए। 26 जनवरी जब एक साल होगा दुनिया भर का मीडिया कच्छ, भुज में आएगा उस दिन वो ये देखेगा। तब उसको ये तुम बर्ड लेकर मत खड़े रहना कि मार्च तक का हमारी योजना है। मुझे बताओ तुम दिसंबर एंड तक क्या करोगे सारा प्रोग्राम प्रीपोन करो तो अफसरों को लगा यार ये आदमी को कुछ समझ है। फिर मैंने कहा कोई शायद 43 ब्लॉक्स ऐसे थे जो भूकंपग्रस्त थे तो मैंने अफसरों को कहा सभी सचिव एक-एक ब्लॉक में जाएगा फ्राइडे सैटरडे संडे को वहीं रहेगा भूकंपग्रस्त इलाके मे। मंडे को शाम को मैं मीटिंग लूंगा रिव्यू की और जो ब्लॉक में आप जाएंगे आप मान के चलिए कि आप उस ब्लॉक के चीफ मिनिस्टर हैं। आप ही चीफ मिनिस्टर हैं करके आओ मैंने कहा। अब ये गए वापस आए, मैंने मीटिंग ली बोले साहब यह तो हो ही नहीं सकता। मैंने कहा क्यों? बोले हमारा नियम ही ऐसा है। मैंने कहा नियम किसने बनाया। वो बोले हमने बनाया । क्यों, एयर कंडीशन में बैठ के बनाया था, जमीन पर जाकर के आया उनको पता चला सरकार के बने हुए नियम जनता के खिलाफ थे। मैंने कहा आप ब्लॉक के सीएम हैं मुझे बताइए कैसा मेरा सीएम काम करता है,बताओ। उन्होंने फिर सारे नियम बदले, रेगुलेशन बदले और उनको लगा कि प्रैक्टिकल होना पड़ेगा और सचमुच में दिसंबर एंड तक इतना बढ़िया काम हो गया। और मैंने जनवरी में आकर के दिल्ली में प्रेस कान्फ्रेंस की थी। मैंने दिल्ली में दुनिया के सभी एंबेसी को बुलाया था क्योंकि सभी देशों ने मदद की थी गुजरात को और मैंने देखा कि 22 जनवरी से दुनिया भर का मीडिया वहां पहुंचा हुआ था। और आप मीडिया देख लेना सिवाय तारीफ कुछ नहीं है। सिवाय तारीफ कुछ नहीं। तो गवर्नेंस को कैसे वही ब्यूरोक्रेसी, वही नियम वही सारा कुछ। फिर मैं यहां आया तो क्या काम किया वो दूसरा बताता हूं। मैंने सारे सचिवों की मीटिंग की। ये सब बड़े बड़े लोग हैं मेरे जैसे तो सैकड़ों नेताओं को देख चुके हैं। कई लोग तो ऐसे दो-दो चार-चार प्रधानमंत्री देख चुके हैं। तो उनके लिए तोय सब चना-ममूरा होता है। ये हकीकत है तो मैंने मीटिंग की। मैंने कहा भाई एक काम करना है आप लोग जब मसूरी से निकले होंगे, पहली पोस्टिंग जो आपकी हुई होगी आईएस का। मैंने कहा पहली जहां नौकरी की थी जो छोटा सा एरिया रहा होगा जहां आपको भेजा गया था। मैंने कहा कि आप वहां वापस जाइए उसी गांव में जाइए, हो सके तो पूरे परिवार को लेकर जाइए और उस समय कहां रहते थे, दफ्तर कैसा था, उस समय गांव कैसा था। यह सारा अपने परिवार को दिखाइए। खर्चा सरकार करेगी और आके मुझे बताइए कि आप वहां से यहां पहुंच गए जिस गांव को आप छोड़ के आए थे वो कहां है। मुझे कोई क्लास नहीं लेना पड़ा। सबने आकर के कहा कि साब हमारी आंखें खुल गई। हम 30 साल पहले जहां गए थे वहां तो वैसा का वैसा हालत है। हमारी जिंदगी तो बदल गई हमारे बच्चे दुनिया में पहुंच गए वो वहीं है। मैंने कहा किसने बनाई नीतियां तो मैं उनको रियलाइज करवाता हूं, मैं उनको मोटिवेट करता हूं। इसलिए सरकार वही, दफ्तर वही, फाइल वही, कानून वही, नियम वही लेकिन अगर थोड़ा तरीका बदल दें तो स्थितियां बदली जा सकती है और वो मैं बदल रहा हूं। मेरा पहला अनुभव दिल्ली में ब्यूरोक्रेसी को तब आया जब मैं प्रधानमंत्री जनधन स्कीम लेकर के आया। और मैंने तय किया कि बैंकों का नेशनलाइजेशन हुआ था, गरीबों के लिए बैंक के दरवाजे खोलने के लिए। इंदिरा जी के भाषण सुन लीजिए। और सारी बैंकों को उन्होंने रातोंरात जब्त कर लिया था। मैंने यहां देखा कि 50 प्रतिशत देश के लोग ऐसे हैं कि जिन्होंने बैंक का दरवाजा ही देखा नहीं है। अब वो कौन हैं एससी, एसटी, ओबीसी वही समाज है। मैंने कहा हर एक का मुझे बैंक अकाउंट खोलना है तो सब बैंक वालो ने कहा साब कुछ तो उन्होंने पूंजी डालें...मैंने कहा उनके पास एक पैसा नहीं है, बिना पूंजी डाले...तो फिर बोले स्टेशनरी का खर्चा होगा। मैंने कहा स्टेशनरी का खर्चा हम सरकारी बजट से देंगे। लेकिन मुझे खाते खोलने हैं। बोले साहब हम घोषणा कर देते हैं जो भी आएगा, मैंने कहा कि आएगा नहीं ढूंढना है। किसका खाता नहीं है, उसके घर जाना है, ढूंढ के लाओ।खैर मैंने सब बताया। हमारे अरुण जेटली जी फाइनेंस मिनिस्टर थे। अब वो यहीं से पले-बढ़े थे आप के बीच में तो उनकी दुनिया तो अलग ही थी। तो उन्होंने कहा मोदी जी सब नीचे तक। मैंने कहा ऐसे नहीं, हर हफ्ते मीटिंग लूंगा मैं और आपको भी बैठना होगा। तो करीब 30-40 अफसर को हर हफ्ते मैं बुलाता था बताओ आज कितने अकाउंट खुले, कौन से बैंक का कितना। बोले प्राइम मिनिस्टर कैसे करता है, मैंने कहा कि ये प्राइम मिनिस्टर ऐसा ही है। और पहली बार भारत सरकार के अधिकारियों को पता चला कि काम करने वाली सरकार का मतलब यह होता है। और फिर मैंने बैंक के लोगों से बातें की। मैं एक-एक ब्रांच को फोन करता था कि भाई बताओ तुम्हारे यहां काम क्यों ढीला है। कोई अच्छा करता तो उसको फोन करता यार तुमने बड़ी मेहनत की तुम्हारे इलाके के तो सारे बैंक अकाउंट खुल गए, कैसे किया। मैं करीब तीन महीने उसमें लगा रहा और आज मुझे गर्व है मेरे देश के हर गरीब का बैंक में अकाउंट है। और उसके कारण ये डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर हुआ है। अगर वो ना होता, अच्छा जब मैं पहले खाते खुलवाता था तो लोगों को लगता था यार मोदी जी के दिमाग में किसी ने भर दिया है। उनको मालूम नहीं है कि मोदी की विजन बहुत लंबी होती है। उस समय सिर्फ खाते खुलता था। मैं आज उसकी जिंदगी बदल रहा हूं उसके माध्यम से और आज लाखों करोड़ रुपये बैंकों में उनके नाम पर जमा है जी। जो कभी बेचारे घर में अनाज के अंदर छुपा करके रखते थे पैसे। और कभी पति की आदत या दिल्ली जैसी सरकार हो किसी को शराब पिलाने की आदत डाल दी हो तो वहां से वो पैसे मार लेता था तो मैंने कईयों की जिंदगी बचाई है।

रजत शर्मा- उन्होंने तो अच्छा किया था एक के साथ एक बोतल फ्री।

पीएम मोदी- इसका कारण है उनको हर बोतल पर पैसा कमीशन मिलता है। भ्रष्टाचार उनका बॉटल पर है। और इसलिए वह फ्री देने में कमीशन उनका तो पक्का है।

रजत शर्मा- वो ये कहते हैं कि बाकी जगह तो नोटों की गड्डियां मिलती है मेरे यहां एक चबन्नी भी नहीं मिली।

पीएम मोदी- ऐसा है कि वो अफसर रहे हुए, इसको मालूम है सरकार किस प्रकार से करती है तो उन चीजों की वो तो घेराबंदी कर ही लेंगे। जो अनुभवी चोर रहता है ना उसको बड़ी सुविधा रहती है। जो सरकार में रहा हुआ अफसर होगा उसको मालूम होगा ईडी ऐसे जाएगी, सीबीआई ऐसे जाएगी। इतनी चीजों को चाक चौबंद कर लीजिए फिर प्रॉब्लम नहीं होगा। ये सोच के रखता है जैसे आप लोग हैं इतने सालों, कोई भी पॉलिटिकल लीडर आएगा तो आप आराम से तय कर सकते हैं कि ऐसा कहेगा।

रजत शर्मा- जनता में से दो तीन सवाल हमारे पास में है सुधीर सेठ का एक सवाल है। वो कह रहे कि जो दूसरे मुल्क हैं वहां जो लोग रहते हैं वह इनको कहते हैं कि भाई हमारे यहां तो इतनी महंगाई है यूरोप में, अमेरिका में। ये मोदी जी ने कैसे कंट्रोल करके रखा है।

पीएम मोदी- ऐसा है कि मैं जब कोविड के समय मैं बहुत लोगों को मिलता था। कोविड के समय वीडियो कॉन्फ्रेंस से बात करता था। तो दुनिया भर के मैं नोबल प्राइज विनर वगैरह ऐसे ऐसे लोगों से भी मैं पूछता था भाई स्थितियों में क्या लगता है आपको। और यहां आपने देखा होगा जो लोग आज उद्योगपतियों को गाली देते हैं उन लोगों ने कोविड के समय बयान है कि आप उद्योगों को पैसे दो उनके बयान है। उनके थियरी था नोट छापो और नोट बांटो वरना देश बचेगा नहीं। अब ये एकेडमिक वर्ल्ड के इकोनॉमिस्ट लोग थे, नोबेल प्राइज विनर लोग भी मुझे आ कर के मिलते थे। मैंने कहा मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगा। मैं ना नोटें छापूंगा ना मैं नोटें बाटूंगा। यह एक निर्णय में दूरी दुनिया में शायद मैं अकेला इंसान हूं जिसने इतना बड़ा कठोर निर्णय किया। मैंने कहा मैं बाटूंगा तो अनाज बाटूंगा। मेरे गरीब के घर का चूल्हा जलता रहे। वो भूखा नहीं रहना चाहिए बाकी सब संभालू और फिर मैंने MSMEs को कहा कि बैंक से आपको क्रेडिट देने की मैं व्यवस्था करता हूं आप बैंक से क्रेडिट लीजिए और अपनी ताकत बताइए तो उनको मैं अवसर दूंगा उन सारी नीतियों का कम्युलेटिव इफेक्ट ये हुआ कि मेरे यहां जो नोटों को बांटने के कारण जो इंफ्लेशन की स्थिति बनती है, मेरा देश उस चक्कर में नहीं फंसा। ये अचानक नहीं हुआ है एक के बाद एक कदम लिए हैं जिसका परिणाम है और इन कदमों के पीछे कोई एकेडमिक इकोनॉमिस्ट मुझे काम नहीं आ सकता है। मेरा 13-14 साल का मुख्यमंत्री के नाते जो अनुभव है वो मुझे काम आया है। मैं शायद मैं आपको हैरानी होगी जान कर के हिंदुस्तान में शायद नेशनल लेवल पर मैं अकेला एक ऐसा लीडर हूं शायद मैं शायद कह रहा हूं जिसने इस देश के कम से कम 90 परसेंट डिस्ट्रिक्ट में रात्रि मुकाम किया है। इस देश के 90 पर डिस्ट्रिक्ट में रात्रि मुकाम किया हुआ मैं इंसान हूं। दरी पर सो कर के निकला हुआ इंसान हू और इसलिए मुझे जमीनी चीजों की समझ है। और यहां मेरे पास इंफॉर्मेशन के रिसोर्सेस है इन सबको जब मिलाकर के मैं निकालता हूं, उसमें एक पॉलिसी बनती है और उसका परिणाम है कि आज, इंदिरा जी के समय सबसे ज्यादा इन्फ्लेशन था हमारे देश में। मनमोहन सिंह के समय आज से भी ज्यादा इंफ्लेशन था, इतना ही नहीं अगर लाल किले से पंडित नेहरू का एक भाषण आप यूट्यूब पर जाएंगे मैं चाहूंगा कि ये गूगल गुरु वाले जितने विद्यार्थी हैं वह जरा यूट्यूब पर जाकर के देखें पंडित नेहरू का लाल किले का भाषण है। और लाल किले के भाषण पर वैसे आप इंदिरा जी का भाषण सुनिए, नेहरू जी का सुनिए, राजीव गांधी जी का सुनिए, मनमोहन सिंह जी का सुनिए इन सबके भाषण में एक चीज कॉमन है एक गरीबी हटाओ, दूसरा महंगाई। इन सबके भाषण में लाल किले से और कारण क्या दिया नेहरू जी ने। नेहरू जी ने कारण ये दिया कि महंगाई बहुत है, मैं जानता हूं आपको तकलीफ होती होगी लेकिन आपको पता है नॉर्थ कोरिया और साउथ कोरिया में लड़ाई चल रही है उसके कारण हमें जरा महंगाई का मार झेलना पड़ रहा है। ये उस समय उनका भाषण। तब दुनिया का ग्लोबलाइजेशन का माहौल कहीं नहीं था। नॉर्थ कोरिया -साउथ कोरिया की लड़ाई से भारत का कोई लेना देना नहीं था। उसके बाद भी भारत की महंगाई के लिए उन्होंने ठीकरा फोड़ा था नॉर्थ कोरिया-साउथ कोरिया की लड़ाई पर नेहरू जी के भाषण अवेलेबल है। ये मैं ऐसे नहीं बोल रहा हूं। अभी तो जो लड़ाइयां चल रही है उसमें फूड फर्टिलाइजर एंड फ्यूल तीनों पर सीधा इंपैक्ट है। इसके बावजूद आज दुनिया में यूरिया की बोरी 3000 में बिकती है। मेरे देश के किसान को 300 से भी कम में मिलती है। तो हमने हर चीजों को उस प्रकार से सिस्टमिक कंट्रोल किया हुआ है उसका परिणाम यह है कि देश में ब्लैक मार्केटिंग भी नहीं चल रहा है, देश में स्कारसिसटी सिटी की भी समस्या नहीं आ रही है, ठीक ढंग से चला पाए हैं। ये लोग इतनी गालियां दे रहे हैं लेकिन चिपकती क्यों नहीं है। चिपकती इसलिए नहीं कि पुराने डायलॉग लेकर घूम रहे हैं। अब आप पुराने डायलॉग से नई फिल्म बनाओगे तो नहीं चलेगी जी, बेकार में मेहनत कर रहे हो।

रजत शर्मा- एक सवाल राजेंद्र टिकिया का है। हिंदुस्तान की राजनीति जो अभी तक देखी है उसमें सोनिया गांधी जी जो कर रही हैं वह राहुल गांधी जी के लिए कर रहे हैं। लालू प्रसाद यादव जो कर रहे हैं वह तेजस्वी यादव के लिए कर रहे हैं। ऐसे ही शरद पवार, ममता बनर्जी यह सब नेता अपने परिवार अपने बच्चों के भविष्य के लिए कर रहे हैं। आप जितनी अथाह मेहनत, आपकी मेहनत के मुरीद तो आपके विरोधी भी हैं। हम सब ये आपसे जानना चाहते हैं कि आपके आगे पीछे तो कोई भी नहीं है फिर आप इतनी मेहनत किसके लिए कर रहे हैं।

पीएम मोदी- देखिए मुझे लगता है कि हर कोई राजनीति में अभी जितने दलों के आपने नाम दिए। ये दल ऐसे हैं जिनमें तीन विशेषताएं कॉमन हैं ये इंडी अलायंस में और उनको जोड़ने का कारण भी। यह सभी घोर सांप्रदायिक हैं, घोर जातिवादी हैं और घोर परिवारवादी हैं। अब ये हिंदुस्तान में हर किसी के मन में सवाल उठता है कुछ लोग अलग तरीके पूछते हैं इतनी एनर्जी कहां से लाते हो। कुछ लोग कहते हैं इतनी मेहनत काहे करते हो, क्यों मर रहे हो यार 10 साल हो गए। मुझे एक नेता मिलने आए थे एक बार बहुत बड़े लीडर पहली टर्म में मेरे आखिरी पांचवां साल था। बोले मोदी जी प्रधानमंत्री बन गए इससे आगे क्या होता है दुनिया में। इतनी मेहनत क्यों करते हो ऐसा मुझे कहा था। क्योंकि उनकी एक ही प्रकार की सोच में से देश की राजनीति चली है। मैं समझता हूं कि सब लोग काम कर रहे हैं, मैं भी काम कर रहा हूं। वे भी अपनी आवश्यकता अनुसार मेहनत करते हैं, मैं भी अपनी आवश्यकता के अनुसार मेहनत करता हूं। वे भी अपने परिवार के लिए करते हैं, मैं भी अपने पर लिए करता उनके परिवार में पांच छह लोग हैं। तो उनको पांच छह लोगों के लिए मेहनत करनी होती है तो इतने घंटे में चल जाता है। मेरे परिवार में 140 करोड़ है। तो मुझे ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। अगर मेरे परिवार में भी पांच-छह होते तो मुझे भी कुछ नहीं करना। इधर दो चार इंटरव्यू दे देता रजत शर्मा को चाय पिला देता, मेरी गाड़ी चल जाती। लेकिन मैं 140 करोड़ मेरे परिवारजन के लिए जीता हूं और इसलिए मेहनत भी करता हूं। उनकी जिंदगी उनके सपने और मैं कहता हूं आपके सपने यह मेरा संकल्प है और मेरा पल पल आपके लिए ,है मेरा पल पल देश के लिए है और इसलिए मैं कहता हूं कि 24/7 फॉर 2047.

रजत शर्मा- मोदी जी एक क्योंकि चुनाव का वक्त है तरह-तरह के प्रेडिक्शन और किए जा रहे हैं, क्या-क्या दावे कर रहे लोग वो एक बार मैं दिखा देता हूं। ये मेरा फाइनल सवाल होगा। (वीडियो)। बस इसमें एक ही प्रॉब्लम है यह 2019 के वीडियो हैं।

पीएम मोदी- आपने एक काम अच्छा किया 2019 की जगह मैं तो कहता हूं आप 2014 के निकाल दीजिए यही डायलॉग हैं। 2019 के निकाल दीजिए यही डायलॉग हैं और 2024 में भी वही डायलॉग चल रहे हैं। और जनता ने भी अपना मिजाज वैसा के वैसा रखा है कि इनकी शब्दों की कोई असर उन पर नहीं है। और निराशा है तो पहले वो कहते थे कि मोदी 400 पार आंकड़ा कैसे दे सकता है। मतलब कि उसने ईवीएम में कुछ गड़बड़ किया है। अब मैं उनको पूछता हूं कि तुम आकड़ा कहां से देते हो तुमने वो कौन से ईवीएम को पकड़ा है बताओ। अब देखिए उनको, आपने देखा होगा गंभीर से गंभीर पेशेंट आएगा ना तो भी डॉक्टर कहेगा अरे चिंता मत करो ठीक हो जाओगे। तो उनको अपने कार्यकर्ताओं को जरा दौड़ाने के लिए, मीडिया में जगह बनाने कुछ तो करना पड़ेगा। इतना भी ना करने दे भाई। 4 जून के बाद बेचारे परेशान हो जाएंगे, 4 जून तक तो जिंदा रहने दो।

रजत शर्मा- 4 जून की बात नहीं अब आपने कहा 2047 तक। तो कह रहे मोदी जी ने बड़ा लंबा प्रोग्राम बना दिया, ये तो कहीं जाने वाली नहीं 47 तक।

पीएम मोदी- ऐसा है कि मैं अभी भी मानता हूं कि ईश्वर ने मुझे किसी विशिष्ट काम के लिए भेजा है। परमात्मा ने किसी परपज के लिए भेजा हुआ है। वरना मैं जिस जिंदगी से निकला हूं, यहां आने का कोई लॉजिक ही नहीं बैठता। कोई रास्ता नहीं जो मुझे यहां ले आए। ईश्वर ने ही इस काम के लिए मुझे कहा है, मुझे भेजा है और मेरा मार्गदर्शन भी परमात्मा स्वयं कर रहे हैं। मुझे रास्ता भी परमात्मा स्वयं दिखा रहे हैं। परिश्रम का, पुरुषार्थ का, पराक्रम का जो जज्बा है वह भी परमात्मा स्वयं की कृपा से मिलता रहता है। और उसी को लेकर मैं करता हूं और मुझे पक्का लगता है कि विकसित भारत 2047 तक का टारगेट यह भी ईश्वर ने ही मुझसे करवाया है और जब तक पूरा नहीं होगा वो मुझे वापस नहीं बुलाएगा। और आज दुनिया में कहीं और जगह नहीं है मेरे लिए यही है क्योंकि हिंदुस्तान को दुनिया के लिए भी कुछ करने के लिए देश का। आप अगर विवेकानंद जी को पढ़ा होगा, श्री अरविंद को पढ़ा होगा भारत सिर्फ एक देश नहीं है। भारत एक परपज को लेकर के देश है जो विश्व कल्याण उसके ही हाथों से होना है।

रजत शर्मा- मोदी जी आपके लिए एक व्यूअर ने चार लाइनें लिख के भेजी है। इन्होंने लिखा है- मैं दिया हूं मेरी दुश्मनी तो अंधेरों से है, हवाएं खामखा मेरे खिलाफ हैं। हवाओं से कह दो आजमा के दिखाए, बहुत दीये बुझाए हैं एक दिया जला के दिखाएं।

पीएम मोदी- मैं बहुत-बहुत आभारी हूं। सबका बहुत धन्यवाद।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।